इससे जुड़े रहो
परिचय
मार्च 2009 में मरियम और मार्जिया को गिरफ्तार किया गया। उनका अपराध था मसीह होना। उनकी आँखों पर पट्टी बाँधी गई, उनसे पूछताछ की गई और बंदीगृह में रहते हुए वे बीमार पड़ गई। 9 अगस्त को, उन्हें न्यायालय में ले जाया गया। श्रीमान हदाद, अभियोग वाले वकील ने उन दो महिलाओं से पूछा कि क्या वे मसीह थी। उनका जवाब था, 'हम यीशु से प्रेम करते हैं।' उन्होंने प्रश्न को फिर से पूछा और उन्होंने जवाब दिया, 'हाँ, हम मसीह हैं।'
श्रीमान हदाद ने पूछा कि क्या उन्हे मसीह होने पर पछतावा है, इसका उन्होंने जवाब दिया, 'हमें कोई पछतावा नहीं है।' तब उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, 'तुम्हे मौखिक और लिखित रूप में फिर से अपने विश्वास की घोषणा करनी चाहिए।' वे दृढ़ता से खड़ी रही और जवाब दिया, 'हम अपने विश्वास को नहीं नकारेंगे।'
जब श्रीमान हदाद ने महिलाओं को बंदीगृह में जाकर फिर एक बार सोचने के लिए और जब वे (झुकने) के लिए तैयार हैं तब वापस आकर उन्हें बताने के लिए कहा, तब मरियम और मार्जिया ने उत्तर दिया, 'हमने पहले ही सोच लिया है।'
इब्रानियों के लेखक उन मसीहों को लिखते हैं जिनका सताव हो रहा हैः' जिन में तुम ज्योति पाकर दुःखों के बड़े संघर्ष में स्थिर रहे' (इब्रानियों 10:32) – जैसा कि मरियम और मार्जिया ने अपने सताने वालों के सामने किया। (परमेश्वर का धन्यवाद हो कि अब उन्हे मुक्त कर दिया गया है।)
बने रहने की इच्छा अक्सर सफलता और असफलता के बीच का अंतर है। यह एक नये हुनर या खेल को सीखने, या काम पर सफलता को प्राप्त करने के विषय में सच है। जॉस बिलिंग ने लिखा, 'डाक की मुहर को देखिये; इसकी उपयोगिता इस बात में है कि यह एक वस्तु के साथ तब तक चिपकी रहती है जब तक यह अपने स्थान पर नहीं पहुँच जाती है।' 'चिपके रहने की योग्यता' भी मसीह जीवन की एक पूंजी है। यदि आप बाईबल पढ़ना, प्रार्थना करना, बुराई को रोकना या कोई दूसरी चीज सीखना चाहते हैं, तो बने रहना सीखिये। इब्रानियों के लेखक अपने पाठकों को उत्साहित करते हैं कि 'हार मानने वाले' मत बनो बल्कि 'इससे चिपके रहो' (वव.34-39)।
भजन संहिता 123:1-4
आरोहण गीत।
123हे परमेश्वर, मैं ऊपर आँख उठाकर तेरी प्रार्थना करता हूँ।
तू स्वर्ग में राजा के रूप में विराजता है।
2 दास अपने स्वामियों के ऊपर उन वस्तुओं के लिए
निर्भर रहा करते हैं। जिसकी उनको आवश्यकता है।
दासियाँ अपनी स्वामिनियों के ऊपर निर्भर रहा करती हैं।
इसी तरह हमको यहोवा का, हमारे परमेश्वर का भरोसा है।
ताकि वह हम पर दया दिखाए, हम परमेश्वर की बाट जोहते हैं।
3 हे यहोवा, हम पर कृपालु है।
दयालु हो क्योंकि बहुत दिनों से हमारा अपमान होता रहा है।
4 अहंकारी लोग बहुत दिनों से हमें अपमानित कर चुके हैं।
ऐसे लोग सोचा करते हैं कि वे दूसरे लोगों से उत्तम हैं।
समीक्षा
सहायता के लिए परमेश्वर को देखिये
'परमेश्वर मैं अपनी आँखें आपकी ओर लगाता हूँ' (व.1, एम.एस.जी)। भजनसंहिता के लेखक की तरह, धीरज के साथ परमेश्वर की सहायता का इंतजार कीजिए। विरोध के सामने इससे चिपके रहियेः' हम अपमान से बहुत ही भर गए हैं। हमारा जीव सुखी लोगों के ठट्ठों से, और अहंकारियों के अपमान से बहुत ही भर गया है ' (वव.3ब-4)।
इस विरोध के सामने उनकी प्रतिक्रिया ऐसी है कि वह परमेश्वर की ओर देखते हैं। वह लिखते हैं, 'मैं आपकी ओर देखता हूँ... हमारी आँखें हमारे परमेश्वर यहोवा की ओर लगी रहती हैं' (वव.1-2)। यह ध्यान इस बात को पहचानने के द्वारा है कि परमेश्वर कौन हैं – जो 'स्वर्ग में विराजमान हैं' (व.1) – और परमेश्वर के साथ संबंध भी।
परमेश्वर 'हमारे प्रभु परमेश्वर' हैं। सहायता के लिए उनकी ओर देखियेः ' जैसे दासों की ऑखें अपने स्वामियों के हाथ की ओर, और जैसे दासियों की आँखे अपनी स्वामीनी के हाथ की ओर लगी रहती हैं, वैसे ही हमारी आँखें हमारे परमेश्वर यहोवा की ओर उस समय तक लगी रहेंगी, जब तक वह हम पर अनुग्रह न करें' (व.2-3, एम.एस.जी)।
प्रार्थना
परमेश्वर, चाहे जो हो जाए, सहनशीलता रखने में, बने रहने में और आप पर अपनी आँखे लगाए रखने में मेरी सहायता कीजिए।
इब्रानियों 10:19-39
परमेश्वर के निकट आओ
19 इसलिए भाईयों, क्योंकि यीशु के लहू के द्वारा हमें उस परम पवित्र स्थान में प्रवेश करने का निडर भरोसा है, 20 जिसे उसने परदे के द्वारा, अर्थात् जो उसका शरीर ही है, एक नए और सजीव मार्ग के माध्यम से हमारे लिए खोल दिया है। 21 और क्योंकि हमारे पास एक ऐसा महान याजक है जो परमेश्वर के घराने का अधिकारी है। 22 तो फिर आओ, हम सच्चे हृदय, निश्चयपूर्ण विश्वास अपनी अपराधपूर्ण चेतना से हमें शुद्ध करने के लिए किए गए छिड़काव से युक्त अपने हृदयों को लेकर शुद्ध जल से धोए हुए अपने शरीरों के साथ परमेश्वर के निकट पहुँचते हैं। 23 तो आओ जिस आशा को हमने अंगीकार किया है, हम अडिग भाव से उस पर डटे रहें क्योंकि जिसने हमें वचन दिया है, वह विश्वासपूर्ण है।
मज़बूत रहने के लिए एक दूसरे की सहायता करो
24 तथा आओ, हम ध्यान रखें कि हम प्रेम और अच्छे कर्मों के प्रति एक दूसरे को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं। 25 हमारी सभाओं में आना मत छोड़ो। जैसी कि कुछों को तो वहाँ नहीं आने की आदत ही पड़ गयी है। बल्कि हमें तो एक दूसरे को उत्साहित करना चाहिए। और जैसा कि तुम देख ही रहे हो-कि वह दिन निकट आ रहा है। सो तुम्हें तो यह और अधिक करना चाहिए।
मसीह से मुँह मत फेरो
26 सत्य का ज्ञान पा लेने के बाद भी यदि हम जानबूझ कर पाप करते ही रहते हैं फिर तो पापों के लिए कोई बलिदान बचा ही नहीं रहता। 27 बल्कि फिर तो न्याय की भयानक प्रतीक्षा और भीषण अग्नि ही शेष रह जाती है जो परमेश्वर के विरोधियों को चट कर जाएगी। 28 जो कोई मूसा की व्यवस्था के विधान का पालन करने से मना करता है, उसे बिना दया दिखाए दो या तीन साक्षियों की साक्षी पर मार डाला जाता है। 29 सोचो, वह मनुष्य कितने अधिक कड़े दण्ड का पात्र है, जिसने अपने पैरों तले परमेश्वर के पुत्र को कुचला, जिसने वाचा के उस लहू को, जिसने उसेपवित्र किया था, एक अपवित्र वस्तु माना और जिसने अनुग्रह की आत्मा का अपमान किया। 30 क्योंकि हम उसे जानते हैं जिसने कहा था: “बदला लेना काम है मेरा, मैं ही बदला लूँगा।” और फिर, “प्रभु अपने लोगों का न्याय करेगा।” 31 किसी पापी का सजीव परमेश्वर के हाथों में पड़ जाना एक भयानक बात है।
विश्वास बनाए रखो
32 आरम्भ के उन दिनों को याद करो जब तुमने प्रकाश पाया था, और उसके बाद जब तुम कष्टों का सामना करते हुए कठोर संघर्ष में दृढ़ता के साथ डटे रहे थे। 33 तब कभी तो सब लोगों के सामने तुम्हें अपमानित किया गया और सताया गया और कभी जिनके साथ ऐसा बर्ताव किया जा रहा था, तुमने उनका साथ दिया। 34 तुमने, जो बंदीगृह में पड़े थे, उनसे सहानुभूति की तथा अपनी सम्पत्ति का जब्त किया जाना सहर्ष स्वीकार किया क्योंकि तुम यह जानते थे कि स्वयं तुम्हारे अपने पास उनसे अच्छी और टिकाऊ सम्पत्तियाँ हैं।
35 सो अपने निडर विश्वास को मत त्यागो क्योंकि इसका भरपूर प्रतिफल दिया जाएगा। 36 तुम्हें धैर्य की आवश्यकता है ताकि तुम जब परमेश्वर की इच्छा पूरी कर चुको तो जिसका वचन उसने दिया है, उसे तुम पा सको। 37 क्योंकि बहुत शीघ्र ही,
“जिसको आना है
वह शीघ्र ही आएगा,
38 मेरा धर्मी जन विश्वास से जियेगा
और यदि वह पीछे हटेगा तो
मैं उससे प्रसन्न न रहूँगा।”
39 किन्तु हम उनमें से नहीं हैं जो पीछे हटते हैं और नष्ट हो जाते हैं बल्कि उनमें से हैं जो विश्वास करते हैं और उद्धार पाते हैं।
समीक्षा
दृढ़ता से खड़े रहिये
आज विश्व भर में लाखों मसीहों को अब भी उनके विश्वास के लिए सताया जाता है। इब्रानियों का पत्र उन मसीहों के लिए लिखा गया जो सताव सह रहे थे (शायद से रोम में नेरो के हाथों से)। पुस्तक का एक मुख्य उद्देश्य है पढ़ने वालों को बने रहने के लिए उत्साहित करना। लेखक ने अपनी शिक्षा की अभिव्यक्ति को समाप्त किया। अब वह लगातार बने रहने के लिए बार बार कहते हैं। यहाँ पर वह इससे जुड़े रहने के लिए कारण, प्र्रेणा और प्रोत्साहन देते हैं।
1. आप निर्भीक हो सकते हैं
मसीह ने आपके लिए जो किया और जो करते हैं, उसके कारण लगातार बने रहिए। आपके पास नई स्वतंत्रता, निर्भीकता और आत्मविश्वास है। यीशु के बलिदान के द्वारा परमेश्वर की उपस्थिति में आपका स्वागत हैः आप 'अब –बिना किसी हिचकिचाहट के - 'पवित्र स्थान में' परमेश्वर के पास जा सकते हैं। यीशु ने अपने बलिदान के लहू के द्वारा रास्ता साफ कर दिया है (वव.19-20, एम.एस.जी)।
2. आप अकेले नहीं हैं
हमें बने रहना है क्योंकि हम एक दूसरे की सहायता के लिए हैं। ' आओ हम अपनी आशा के अंगीकार को दृढ़ता से थामे रहें, क्योंकि जिसने प्रतिज्ञा की है, वह सच्चा है' (व.23), समुदाय के संदर्भ में वह यह करते हैं। अक्सर इकट्ठा होईयेः'प्रेम, और भले कामों में उक्साने के लिये हम एक दूसरे की चिन्ता किया करें, और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें' (वव.24-25)।
3. इससे सच में अंतर पड़ता है
वह जान बूझकर पाप में बने रहने के विरूद्ध चेतावनी देते हैं (व.26)। इसका अर्थ है 'अवज्ञा करते हुए' पाप करना। ' हाँ, दण्ड की एक भयानक बाट जोहना और आग का ज्वलन बाकी है ... जिसने परमेश्वर के पुत्र को पाँवों से रौंदा जिसने कहा, 'पलटा लेना मेरा काम है, मैं ही बदला दूँगा।' और फिर यह, कि 'प्रभु अपने लोगों का न्याय करेंगे।' ... जीवते परमेश्वर के हाथों में पड़ना भयानक बात है' (वव.26-31, एम.एस.जी)।
यह अक्सर चर्च के बाहर वालों पर लागू होता है लेकिन यह परमेश्वर के उनके लोगों का न्याय करने के संदर्भ में लिखी गई है। यह ऐसी चीज नहीं है जिसमें उसके पढ़ने वाले आते हैं। वह उन्हें उस समय की याद दिलाते हैं जब ' तुम ज्योति पाकर दुःखों के बड़े संघर्ष में स्थिर रहे' (व.32)।
4. प्रतिफल महान है
वह उन्हें उत्साहित करते हैं कि ' जिन में तुम ज्योति पाकर दुःखों के बड़े संघर्ष में स्थिर रहे। कभी – कभी तो यों कि तुम निन्दा और क्लेश सहते हुए तमाशा बने, और कभी यों कि तुम उनके साझी हुए जिनकी दुर्दशा की जाती थी। क्योंकि तुम कैदियों के दुःख में भी दुःखी हुए, और अपनी संपत्ति भी आनन्द से लुटने दी; यह जानकर कि तुम्हारे पास एक और भी उत्तम और सर्वदा ठहरने वाली संपत्ति है' (वव.32-34, एम.एस.जी)।
5. धैर्यवान बनिए
जीवन लंबा है और जीवन छोटा है। एक तरफ से, जीवन लंबा है। जीवन के दौरान परीक्षाएँ, क्लेश और कठिनाईयाँ आयेंगी जिसमें चिपके रहने की योग्यता की आवश्यकता हैः धीरज, सहनशीलता और लगातार बने रहनाः'अब आपको सहनशील धीरज की आवश्यकता है, ताकि आप निरंतर परमेश्वर की इच्छा को पूरी कर पाएं। तब आप वह सब ग्रहण करेंगे जो उन्होंने वायदा किया है' (व.36, एन.एल.टी)।
दूसरी ओर, जीवन छोटा है। थोड़े से समय में, हम या तो मर चुके होंगे या यीशु वापस आ चुके होंगेः
'क्योंकि अब बहुत ही थोड़ा समय रह गया है, जब कि आने वाला आएगा और देर न करेगा' (व.37, एन.एल.टी)।
लेखक को पूरा विश्वास है कि उनके पाठक लगातार बने रहेंगेः ' पर हम हटने वाले नहीं कि नाश हो जाएँ पर विश्वास करने वाले हैं कि प्राणों को बचाएं' (व.39)।
प्रार्थना
परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि प्रेम और भलाई के लिए दूसरों को उत्साहित करुँ और लगातार बना रहूँ जैसे ही हम साथ मिलते हैं।
यहेजकेल 20:45-22:22
45 तब यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 46 “मनुष्य के पुत्र, यहूदा के दक्षिण भाग नेगव की ओर ध्यान दो। नेगव—वन के विरुद्ध कुछ कहो। 47 नेगव—वन से कहो, ‘यहोवा के सन्देश को सुनो। मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं: ध्यान दो, मैं तुम्हारे वन में आग लगाने वाला हूँ। आग हर एक हरे वृक्ष और हर एक सूखे वृक्ष को नष्ट करेगी। जो लपटें जलेंगी उन्हें बुझाया नहीं जा सकेगा। दक्षिण से उत्तर तक सारा देश अग्नि से जला दिया जाएगा। 48 तब लोग जानेंगे कि मैंने अर्थात यहोवा ने आग लगाई है। आग बुझाई नहीं जा सकेंगी!’”
49 तब मैंने (यहेजकेल) ने कहा, “हे मेरे स्वामी यहोवा! यदि मैं इन बातों को कहता हूँ तो लोग कहेंगे कि मैं उन्हें केवल कहानियाँ सुना रहा हूँ। वे नहीं सोचेंगे कि यह सचमुच घटित होगा!”
21इसलिये यहोवा का वचन मुझे फिर मिला। उसने कहा, 2 “मनुष्य के पुत्र, यरूशलेम की ओर ध्यान दो और उसके पवित्र स्थानों के विरुद्ध कुछ कहो। मेरे लिये इस्राएल देश के विरुद्ध कुछ कहो। 3 इस्राएल देश से कहो, ‘यहोवा ने ये बातें कहीं हैं: मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ! मैं अपनी तलवार म्यान से बाहर निकालूँगा! मैं सभी लोगों को तुमसे दूर करुँगा, अच्छे और बुरे दोनों को! 4 मैं अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के व्यक्तियों को तुमसे अलग करुँगा। मैं अपनी तलवार म्यान से निकालूँगा और दक्षिण से उत्तर तक के सभी लोगों के विरुद्ध उसका उपयोग करुँगा। 5 तब सभी लोग जानें कि मैं यहोवा हूँ और वे जान जाएंगे कि मैंने अपनी तलवार म्यान से निकाल ली है। मेरी तलवार म्यान में फिर तब तक नहीं लौटेगी जब तक यह खत्म नहीं कर लेती।’
6 परमेश्वर ने मुझसे कहा, “मनुष्य के पुत्र, टूटे हृदय वाले व्यक्ति की तरह सिसको। लोगों के सामने कराहो। 7 तब वे तुमसे पूछेंगे, ‘तुम कराह क्यों रहे हो’ तब तुम्हें कहना चाहिये, ‘कष्टदायक समाचार मिलने वाला है, इसलिये। हर एक हृदय भय से पिघल जाएगा। सभी हाथ कमजोर हो जाएंगे। हर एक अन्तरात्मा कमज़ोर हो जाएगी। हर एक घुटने पानी जैसे हो जाएंगे।’ ध्यान दो, वह बुरा समाचार आ रहा है! ये घटनायें घटित होंगी।” मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं।
तलवार तैयार है
8 परमेश्वर का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 9 “मनुष्य के पुत्र, मेरे लिये लोगों से बातें करो। ये बातें कहो, ‘मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है:
“‘ध्यान दो, एक तलवार, एक तेज तलवार है,
और तलवार झलकाई गई है।
10 तलवार को जान लेने के लिये तेज किया गया था।
बिजली के समान चकाचौंध करने के लिये इसको झलकाया गया था।
मेरे पुत्र, तुम उस छड़ी से दूर भाग गये जिससे मैं तुम्हें दण्ड देता था।
तुमने उस लकड़ी की छड़ी से दण्डित होने से इन्कार किया।
11 इसलिये तलवार को झलकाया गया है।
अब यह प्रयोग की जा सकेगी।
तलवार तेज़ की गई और झलकाई गई थी।
अब यह मारने वाले के हाथों में दी जा सकेगी।
12 “‘मनुष्य के पुत्र, चिल्लाओ और चीखो। क्यों क्योंकि तलवार का उपयोग मेरे लोगों और इस्राएल के सभी शासकों के विरुद्ध होगा! वे शासक युद्ध चाहते थे, इसलिये वे हमारे लोगों के साथ तब होंगे जब तलवार आएगी! इसलिये अपनी जांघे पीटो और अपना दुःख प्रकट करने के लिये शोर मचाओ! 13 क्यों क्योंकि यह परीक्षा मात्र नहीं है! तुमने लकड़ी की छड़ी से दण्डित होने से इन्कार किया अत: उसके अतिरिक्त तुम्हें दण्डित करने के लिये मैं क्या उपयोग में लाऊँ हाँ, तलवार ही।’” मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं। 14 परमेश्वर ने कहा, “मनुष्य के पुत्र, तालियाँ बजाओ और मेरे लिये लोगों से ये बातें करो:
“दो बार तलवार को वार करने दो,
हाँ, तीन बार!
यह तलवार लोगों को मारने के लिये है!
यह तलवार है, बड़े नर—संहार के लिये!
यह तलवार लोगों को धार पर रखेगी।
15 उनके हृदय भय से पिघल जाएंगे
और बहुत से लोग गिरेंगे।
बहुत से लोग अपने नगर—द्वार पर मरेंगे।
हाँ, तलवार बिजली की तरह चमकेगी।
ये लोगों को मारने के लिये
झलकाई गई है!
16 तलवार, धारदार बनो!
तलवार दायें काटो,
सीधे सामने काटो,
बायें काटो,
जाओ हर एक स्थान में जहाँ तुम्हारी धार, जाने के लिये चुनी गई!
17 “तब मैं भी ताली बजाऊँगा और
मैं अपना क्रोध प्रकट करना बन्द कर दूँगा।
मैं यहोवा, कह चुका हूँ!”
यरूशलेम तक के मार्ग को चुनना
18 यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 19 “मनुष्य के पुत्र, दो सड़कों के नक्शे बनाओ। जिन में से बाबुल के राजा की तलवार इस्राएल आने के लिये एक को चुन सके। दोनों सड़कें उसी बाबुल देश से निकलेंगी। तब नगर को पहुँचने वाली सड़क के सिरे पर एक चिन्ह बनाओ। 20 चिन्ह का उपयोग यह दिखाने के लिये करो कि कौन — सी सड़क का उपयोग तलवार करेगी। एक सड़क अम्मोनी नगर रब्बा को पहुँचाती है। दूसरी सड़क यहूदा, सुरक्षित नगर, यरूशलेम को पहुँचाती है! 21 यह स्पष्ट करता है कि बाबुल का राजा उस सड़क की योजना बना रहा है जिससे वह उस क्षेत्र पर आक्रमण करे। बाबुल का राजा उस बिन्दु पर आ चुका है जहाँ दोनों सड़कें अलग होती हैं। बाबुल के राजा ने जादू के संकेतों का उपयोग भविष्य को जानने के लिये किया है। उसने कुछ बाण हिलाये, उसने परिवार की देवमूर्तियों से प्रश्न पूछे, उसने गुर्दे को देखा जो उस जानवर का था जिसे उसने मारा था।
22 “संकेत उसे बताते हैं कि वह उस दायीं सड़क को पकड़े जो यरूशलेम पहुँचाती है! उसने अपने साथ विध्वंसक लट्ठों को लाने की योजना बनाई है। वह आदेश देगा और उसके सैनिक जान से मारना आरम्भ करेंगे। वे युद्ध—घोष करेंगे। तब वे एक मिट्टी की दीवार नगर के चारों ओर बनायेंगे। वे एक मिट्टी की सड़क दीवार तक पहुँचाने वाली बनाएंगे। वे नगर पर आक्रमण के लिये लकड़ी की मीनार बनाएंगे। 23 वे जादूई चिन्ह इस्राएल के लोगों के लिये कोई अर्थ नहीं रखते। वे उन वचनों का पालन करते हैं जो उन्होंने दिये। किन्तु यहोवा उनके पाप याद रखेगा! तब इस्राएली लोग बन्दी बनाए जाएंगे।”
24 मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, “तुमने बहुत से बुरे काम किये हैं। तुम्हारे पाप पूरी तरह स्पष्ट हैं। तुमने मुझे यह याद रखने को विवश किया कि तुम दोषी हो। अत: शत्रु तुम्हें अपने हाथों में कर लेगा 25 और इस्राएल के पापी प्रमुखों, तुम मारे जाओगे। तुम्हारे दण्ड का समय आ पहुँचा है! अब अन्त निकट है!”
26 मेरा स्वामी यहोवा यह सन्देश देता है, “पगड़ी उतारो! मुकुट उतारो! परिवर्तन का समय आ पहुँचा है! महत्वपूर्ण प्रमुख नीचे लाए जाएंगे और जो लोग महत्वपूर्ण नहीं है, वे महत्वपूर्ण बनेंगे। 27 मैं उस नगर को पूरी तरह नष्ट करुँगा! किन्तु यह तब तक नहीं होगा जब तक उपयुक्त व्यक्ति नया राजा नहीं होता। तब मैं उसे (बाबुल के राजा को) नगर पर अधिकार करने दूँगा।”
अम्मोन के विरुद्ध भविष्यवाणी
28 परमेश्वर ने कहा, “मनुष्य के पुत्र, मेरे लिये लोगों से कहो। वे बातें कहो, ‘मेरा स्वामी यहोवा ये बातें अम्मोन के लोगों और उनके लज्जाजनक देवता से कहता है:
“‘ध्यान दो, एक तलवार!
एक तलवार अपनी म्यान से बाहर है।
तलवार झलकाई गई है!
तलवार मारने के लिये तैयार है।
बिजली की तरह चमकने के लिये इसको झलकाया गया था!
29 “‘तुम्हारे दर्शन व्यर्थ हैं।
तुम्हारे जादू तुम्हारी सहायता नहीं करेंगे।
यह केवल झूठ का गुच्छा है।
अब तलवार पापियों की गर्दन पर है।
वे शीघ्र ही मुर्दा हो जाएंगे।
उनका अन्त समय आ पहुँचा है।
उनके पाप की समाप्ति का समय आ गया है।
बाबुल के विरुद्ध भविष्यवाणी
30 “‘अब तुम तलवार (बाबुल) को म्यान में वापस रखो। बाबेल मैं तुम्हारे साथ न्याय, तुम जहाँ बने हो उसी स्थान पर करुँगा अर्थात् उसी देश में जहाँ तुम उत्पन्न हुए हो। 31 मैं तुम्हारे विरुद्ध अपने क्रोध की वर्षा करुँगा। मेरा क्रोध तुम्हें तप्त पवन की तरह जलाएगा। मैं तुम्हें क्रूर व्यक्तियों के हाथों में दूँगा। वे व्यक्ति मनुष्यों को मार डालने में कुशल हैं। 32 तुम आग के लिये ईंधन बनोगे। तुम्हारा खून भूमि में गहरा वह जाएगा अर्थात् लोग तुम्हें फिर याद नहीं करेंगे। मैंने अर्थात् यहोवा ने यह कह दिया है!’”
यहेजकेल यरूशलेम के विरुद्ध बोलता है
22यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 2 “मनुष्य के पुत्र, क्या तुम न्याय करोगे क्या तुम हत्यारों के नगर (यरूशलेम) के साथ न्याय करोगे क्या तुम उससे उन सब भयंकर बातों के बारे में कहोगे जो उसने की हैं 3 तुम्हें कहना चाहिये, ‘मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है: नगर हत्यारों से भरा है। अत: उसके लिये दण्ड का समय आएगा। उसने अपने लिये गन्दी देवमूर्तियों को बनाया और इन देवमूर्तियों ने उसे गन्दा बनाया!
4 “‘यरूशलेम के लोगों, तुमने बहुत लोगों को मार डाला। तुमने गन्दी देवमूर्तियाँ बनाई। तुम दोषी हो और तुम्हें दण्ड देने का समय आ गया है। तुम्हारा अन्त आ गया है। अन्य राष्ट्र तुम्हारा मजाक उड़ाएंगे। वे देश तुम पर हँसेंगे। 5 दूर और निकट के लोग तुम्हारा मजाक उड़ाएंगे। तुमने अपना नाम बदनाम किया है। तुम अट्टहास सुन सकते हो।
6 “‘ध्यान दो! यरूशलेम में हर एक शासक ने अपने को शक्तिशाली बनाया जिससे वह अन्य लोगों को मार सके। 7 यरूशलेम के लोग अपने माता—पिता का सम्मान नहीं करते। वे उस नगर में विदेशियों को सताते हैं। वे अनाथों और विधवाओं को उस स्थान पर ठगते हैं। 8 तुम लोग मेरी पवित्र चीजों से घृणा करते हो। तुम मेरे विश्राम के दिनों को ऐसे लेते हो मानों वे महत्वपूर्ण न हों। 9 रूशलेम के लोग अन्य लोगों के बारें में झूठ बोलते हैं। वे यह उन भोले लोगों को मार डालने के लिये करते हैं। लोग पर्वतों पर असत्य देवताओं की पूजा करने जाते हैं और तब वे यरूशलेम में उनके मैत्री—भोजन को खाने आते हैं।
“‘यरूशलेम में लोग अनेक यौन—सम्बन्धी पाप करते हैं। 10 यरूशलेम में लोग अपने पिता की पत्नी के साथ व्यभिचार करते हैं। यरूशलेम में लोग मासिक धर्म के समय में भी नारियों से बलात्कार करते हैं। 11 कोई अपने पड़ोसी की पत्नी के विरुद्ध भी ऐसा भयंकर पाप करता है। कोई अपनी पुत्रवधू के साथ शारीरिक सम्बन्ध करता है और उसे अपवित्र करता है और कोई अपने पिता की पुत्री अर्थात अपनी बहन के साथ शारीरिक सम्बन्ध करता है। 12 यरूशलेम में, तुम लोग, लोगों को मार डालने के लिये धन लेते हो। तुम लोग ऋण देते हो और उस ऋण पर ब्याज लेते हो। तुम लोग थोड़े धन को पाने के लिये अपने पड़ोसी को ठगते हो और तुम लोग मुझे भूल गए हो।’ मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं।
13 “परमेश्वर ने कहा, ‘अब ध्यान दो! मैं अपनी भुजा को नीचे टिकाकर, तुम्हें रोक दूँगा! मैं तुम्हें लोगों को धोखा देने और मार डालने के लिये दण्ड दूँगा। 14 क्या तब भी तुम वीर बने रहोगे क्या तुम पर्याप्त बलवान रहोगे जब मैं तुम्हें दण्ड देने आऊँगा नहीं! मैं यहोवा हूँ। मैंने यह कह दिया है और मैं वह करुँगा जो मैंने करने को कहा है! 15 मैं तुम्हें राष्ट्रों में बिखेर दूँगा। मैं तुम्हें बहुत से देशों में जाने को विवश करूँगा। मैं नगर की गन्दी चीजों को पूरी तरह नष्ट करूँगा। 16 किन्तु यरूशलेम तुम अपवित्र हो जाओगे और अन्य राष्ट्र इन घटनाओं को होता देखेंगे। तब तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ।’”
इस्राएल बेकार कचरे की तरह है
17 यहोवा का वचन मुझ तक आया। उसने कहा, 18 “मनुष्य के पुत्र, काँसा, लोहा, सीसा और टीन चाँदी की तुलना में बेकार हैं। कारीगर चाँदी को शुद्ध करने के लिये आग में डालते हैं। चाँदी गल जाती है और कारीगर इसे कचरे से अलग करता है। इस्राएल राष्ट्र उस बेकार कचरे की तरह हो गया है। 19 इसलिये यहोवा तथा स्वामी यह कहता है, ‘तुम सभी लोग बेकार कचरे की तरह हो गए हो। इसलिये मैं तुम्हें इस्राएल में इकट्ठा करूँगा। 20 कारीगर चाँदी, काँसा, लोहा, सीसा और टीन को आग में डालते हैं। वे आग को अधिक गर्म करने के लिये फूँकते हैं। तब धातुओं का गलना आरम्भ हो जाता है। इसी प्रकार मैं तुम्हें अपनी आग में डालूँगा और तुम्हें पिघलाऊँगा। वह आग मेरा गरम क्रोध है। 21 मैं तुम्हें उस आग में डालूँगा और मैं अपने क्रोध की आग को फूँके मारूँगा और तुम्हारा पिघलना आरम्भ हो जाएगा। 22 चाँदी आग में पिघलती है और कारीगर चाँदी को ढालते हैं तथा बचाते हैं। इसी प्रकार तुम नगर में पिघलोगे। तब तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ और तुम समझोगे कि मैंने तुम्हारे विरुद्ध अपने क्रोध को उंड़ेला है।’”
समीक्षा
बुराई का सामना करिए
व्यक्तिगत रूप से, मैं सोचता हूँ कि सामना करना कभी भी आसान बात नहीं है, लेकिन यह कभी कभी आवश्यक है। यहेजकेल से कहा गया कि बुराई को बता दें (22:2)।
उन्हें प्रचार करने और भविष्यवाणी करने के लिए बुलाया गया (20:46)। उनका काम सरल नहीं था। उनका संदेश कठिन था। यह विपरीत परंम्परा थी। फिर भी वह बने रहे। उन्होंने हार नहीं मानी। वह इसमें बने रहे। वह प्रचार करते रहे। समय समय पर परमेश्वर का वचन उनके पास आया और उन्होंने वफादारी से इसका प्रचार किया।
परमेश्वर जानते थे कि यह सरल नहीं था। उन्होंने यहेजकेल को उत्साहित किया, 'अपना मुख इस ओर कर' (20:46; 21:2): 'अपना मुख यरूशलेम की ओर कर और पवित्रस्थानों की ओर वचन सुना; इस्राएल देश के विषय में भविष्यवाणी कर और उससे कह, प्रभु यहोवा यह कहता है : देख, मैं तेरे विरुध्द हूँ' (वव.2-3)। यह अवश्य ही कठिन रहा होगा।
जिन पापों के विरूद्ध बात करते हैं वह हमारे लिए उतना ही महत्व रखते हैं जितना कि वह इस्राएल के लोगों के लिए रखते थेः'तुझ में माता – पिता तुच्छ जाने गए हैं; अनाथ और विधवा तुझ में पीसी गई हैं। किसी ने तुझ में पड़ोसी की स्त्री के साथ घिनौना काम किया; और किसी ने अपनी बहू को बिगाड़ कर महापाप किया है; और किसी ने अपनी बहन अर्थात् अपनी बेटी को भ्रष्ट किया है। तुझ में हत्या करने के लिए उन्होंने घूस ली है; तू ने ब्याज और सूद लिया और अपने पड़ोसियों को पीस पीसकर अन्याय से लाभ उठाया' (22:7-12)।
वे परमेश्वर को भूल गए हैं:' मुझ को तूने भुला दिया है, प्रभु यहोवा की यही वाणी है' (व.12)। हममें से जो पश्चिम में रहते हैं, हम ऐसे एक समाज में रहते हैं जिन पर इस बात का खतरा है कि वे परमेश्वर को भूल जाएँगे। जैसे ही हम आस-पास के विश्व में देखते हैं जहाँ पर बहुत ज्यादा गलत है, तो यह सोचना सरल है कि परमेश्वर ने अवश्य ही हमें भुला दिया है। यद्यपि विरोधाभास रूप से, इस तरह के न्याय का लेखांश असल में हमें दिखाता है कि परमेश्वर हमारी कितनी चिंता करते हैं। परमेश्वर जुनूनी रूप से अन्याय और कष्ट के विषय में चिंता करते हैं -यही कारण है कि वह उन पर बहुत क्रोधित होते हैं जो दूसरों के साथ ऐसा करते हैं, और यही कारण है वह कष्ट उठाने वालों को नजरअंदाज करना अस्वीकार करते हैं।
इन सब का एक आत्मिक आयाम भी है। हमारी चिंता केवल अन्याय का विरोध करना नहीं है, लेकिन लोगों को परमेश्वर की ओर फेरना भी है। यहेजकेल के दूसरे आधे भाग का अद्भुत संदेश (और सच में संपूर्ण बाईबल) यह है कि यह न्याय अंतिम न्याय नहीं है। परमेश्वर अनुग्रह में भी काम करेंगे, अपने लोगों को छुड़ाने और बचाने के लिए।
गरीब, पीड़ित और खोए हुओं के लिए परमेश्वर के इस जुनूनी चिंता ने यहेजकेल को उत्साहित किया और इसने मसीहों को शताब्दियों से उत्साहित किया है। जनरल विलियम बूथ, उद्धार सेना के संस्थापक, में उल्लेखनीय चिपके रहने की योग्यता पायी गई। उन्होंने कहा, 'जब तक महिलाएँ रोती हैं जैसा कि वे अब भी करती हैं, मैं लडूंगा; जब तक छोटे बच्चे भूखे रहते हैं, जैसा कि वे अब रहते हैं, मैं लडूंगा; जब तक लोग बंदीगृह में अंदर बाहर आते जाते रहते हैं, मैं लडूंगा; जब तक सड़क पर एक गरीब खो चुकी लड़की है, मैं लडूंगा; जब तक परमेश्वर के प्रकाश के बिना यदि एक भी आत्मा है, तो मैं लडूंगा – मैं अंत तक लडूंगा।'
प्रार्थना
परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि दृढ़ संकल्प के साथ अपने मुख को इस ओर फेरुँ कि विरोध, अपमान और मजाक उड़ाये जाने के द्वारा पीछे न हटूँ। मेरी सहायता कीजिए कि इसमें बना रहूँ; बुराई का सामना करते हुए और अंत तक यीशु के विषय में सुसमाचार का प्रचार करते हुए।
पिप्पा भी कहते है
इब्रानियों 10:23-25
मैं निरंतर सीरिया, इराक, इरान और ऐसे दूसरे स्थानों में मसीहों के कष्ट के बारे में सोचती हूँ, जहाँ पर मसीहों का सताव होता है। उनके लिए बिना हिले डटे रहना कितनी कठिन बात होगी जब उनके चर्च और मित्र पर प्रहार होता है और उनकी हत्या कर दी जाती है। एक साथ इकट्ठा होने में उनका वास्तविक विरोध होता है (व.25)। प्रार्थना करना शायद बहुत न दिखाई देता हो,लेकिन यह 'शक्तिशाली और प्रभावी है, ' और हमें अवश्य ही स्वतंत्रता के हर अवसर का लाभ लेना है ताकि परमेश्वर के राज्य को लायें।
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संदर्भ
विलियम बूथ, सिरील बार्नस (एड), द फाउंडर स्पीक्स अगेन, (साल्वेशन आर्मी, 1960)
मर्यम रोस्टमपुर एण्ड मार्जिया अमिरिजदेह विथ जॉन पेरि, कैप्टिव इन इरान
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