दिन 318

विश्वास के तीन मुख्य पहलू

बुद्धि भजन संहिता 124:1-8
नए करार इब्रानियों 11:17-40
जूना करार यहेजकेल 24:1-25:17

परिचय

कोई भी किसी पर विश्वास नहीं करता था। उनका जीवन नियमित रूप से खतरे में था। वह उन्हें यीशु के बारे में सुसमाचार बताने के लिए आए थे। वह यूहन्ना के सुसमाचार को उनकी भाषा में अनुवादित करना चाहते थे, लेकिन उन्होंने पाया कि 'भरोसा', 'मानना' या 'विश्वास' के लिए उनकी भाषा में कोई शब्द नहीं था।

जॉन पॅटन (1824-1907) न्यू हेबराईड्स (दक्षिणी-पश्चिमी भाग में द्वीपों का एक समूह) में गए, उन्होंने संकल्प लिया था कि जनजातीय लोगों को यीशु के बारे में बताएँगे, लेकिन 'विश्वास' के लिए सही शब्द ढूंढ़ने में उन्हें परेशानी हुई। एक दिन, जब उनके देशी सेवक अंदर आए, पॅटन ने अपने दोनों पैर फर्श पर से ऊपर उठा लिये, अपनी कुर्सी पर पीछे होकर बैठ गए और पूछा, 'मैं अब क्या कर रहा हूँ:' जवाब में, सेवक ने एक शब्द का इस्तेमाल किया जिसका अर्थ है, 'अपना सारा भार किसी पर डाल देना।' यह वह भाव बन गया जिसका इस्तेमाल पॅटन ने किया। विश्वास है अपना सारा भार यीशु पर डाल देना।

बुद्धि

भजन संहिता 124:1-8

दाऊद का एक मन्दिर का आरोहण गीत।

124यदि बीते दिनों में यहोवा हमारे साथ नहीं होता तो हमारे साथ क्या घट गया होता
 इस्राएल तू मुझको उत्तर दे
2 यदि बीते दिनों में यहोवा हमारे साथ नहीं होता तो हमारे साथ क्या घट गया होता
 जब हम पर लोगों ने हमला किया था तब हमारे साथ क्या बीतती।
3 जब कभी हमारे शत्रु ने हम पर क्रोध किया,
 तब वे हमें जीवित ही निगल लिये होते।
4 तब हमारे शत्रुओं की सेनाएँ
 बाढ़ सी हमको बहाती हुई उस नदी के जैसी हो जाती
 जो हमें डूबा रहीं हो।
5 तब वे अभिमानी लोग उस जल जैसे हो जाते
 जो हमको डुबाता हुआ हमारे मुँह तक चढ़ रहा हो।

6 यहोवा के गुण गाओ।
 यहोवा ने हमारे शत्रुओं को हमको पकड़ने नहीं दिया और न ही मारने दिया।
7 हम जाल में फँसे उस पक्षी के जैसे थे जो फिर बच निकला हो।
 जाल छिन्न भिन्न हुआ और हम बच निकले।
8 हमारी सहायता यहोवा से आयी थी।
 यहोवा ने स्वर्ग और धरती को बनाया है।

समीक्षा

भरोसे के रूप में विश्वास जब प्रहार के अंतर्गत होते हैं

'विश्वास वह चिड़ियाँ है जो गाती है जब सुबह होने से पहले अंधेरा होता है, ' सर रविंद्रनाथ टैगोर ने लिखा।

हमारे जीवन में ऐसे समय होते हैं जब हमारे विश्वास की परीक्षा होती है। हम 'प्रहार' के अंतर्गत आ जाते हैः' जब मनुष्यों ने हम पर चढ़ाई की' (व.2, एम.एस.जी) और ' हम उसी समय जल में डूब जाते और धारा में बह जाते; उमड़ते जल में हम उसी समय ही बह जाते' (वव.4-5)।

यें चीजें आपको प्रभावित कर सकती है, लेकिन इस तथ्य के लिए कि स्वर्ग और पृथ्वी के निर्माता आपकी ओर हैं (व.1)। विश्वास का अर्थ है भरोसा करना कि वह आपको सुरक्षाहीन नहीं छोड़ेंगे। वह आपकों जाल से छुड़ाते हैं:' हमारा जीव पक्षी के समान चिड़ीमार के जाल से छूट गया; जाल फट गया; जाल फट गया, हम बच निकले' (व.7, एम.एस.जी)।

बाईबल में दाऊद सबसे अधिक जांचे और परखे गए व्यक्ति हैं। दाऊद की तरह, परमेश्वर के प्रति वफादार बने रहें। परमेश्वर पर भरोसा कीजिए। वह आपको 'जीवित निगल जाने' से बचायेंगे (व.3)। ' यहोवा जो आकाश और पृथ्वी का कर्त्ता है, हमारी सहायता उसी के नाम से होती है' (व.8)।

प्रार्थना

परमेश्वर, सहायता कीजिए...

नए करार

इब्रानियों 11:17-40

17 विश्वास के कारण ही इब्राहीम ने, जब परमेश्वर उसकी परीक्षा ले रहा था, इसहाक की बलि चढ़ाई। वही जिसे प्रतिज्ञाएँ प्राप्त हुई थीं, अपने एक मात्र पुत्र की जब बलि देने वाला था 18 तो यद्यपि परमेश्वर ने उससे कहा था, “इसहाक के द्वारा ही तेरा वंश बढ़ेगा।” 19 किन्तु इब्राहीम ने सोचा कि परमेश्वर मरे हुए को भी जिला सकता है और यदि आलंकारिक भाषा में कहा जाए तो उसने इसहाक को मृत्यु से फिर वापस पा लिया।

20 विश्वास के कारण ही इसहाक ने याकूब और इसाऊ को उनके भविष्य के विषय में आशीर्वाद दिया। 21 विश्वास के कारण ही याकूब ने, जब वह मर रहा था, यूसुफ़ के हर पुत्र को आशीर्वाद दिया और अपनी लाठी के ऊपरी सिरे पर झुक कर सहारा लेते हुए परमेश्वर की उपासना की।

22 विश्वास के कारण ही यूसुफ़ ने जब उसका अंत निकट था, इस्राएल निवासियों के मिस्र से निर्गमन के विषय में बताया तथा अपनी अस्थियों के बारे में आदेश दिए।

23 विश्वास के आधार पर ही, मूसा के माता-पिता ने, मूसा के जन्म के बाद उसे तीन महीने तक छुपाए रखा क्योंकि उन्होंने देख लिया था कि वह कोई सामान्य बालक नहीं था और वे राजा की आज्ञा से नहीं डरे।

24 विश्वास से ही, मूसा जब बड़ा हुआ तो उसने फिरौन की पुत्री का बेटा कहलाने से इन्कार कर दिया। 25 उसने पाप के क्षणिक सुख भोगों की अपेक्षा परमेश्वर के संत जनों के साथ दुर्व्यवहार झेलना ही चुना। 26 उसने मसीह के लिए अपमान झेलने को मिस्र के धन भंडारों की अपेक्षा अधिक मूल्यवान माना क्योंकि वह अपना प्रतिफल पाने की बाट जोह रहा था।

27 विश्वास के कारण ही, राजा के कोप से न डरते हुए उसने मिस्र का परित्याग कर दिया; वह डटा रहा, मानो उसे अदृश्य परमेश्वर दिख रहा हो। 28 विश्वास से ही, उसने फसह पर्व और लहू छिड़कने का पालन किया, ताकि पहली संतानों का विनाश करने वाला, इस्राएल की पहली संतान को छू तक न पाए।

29 विश्वास के कारण ही, लोग लाल सागर से ऐसे पार हो गए जैसे वह कोई सूखी धरती हो। किन्तु जब मिस्र के लोगों ने ऐसा करना चाहा तो वे डूब गए।

30 विश्वास के कारण ही, यरिहो का नगर-परकोटा लोगों के सात दिन तक उसके चारों ओर परिक्रमा कर लेने के बाद ढह गया।

31 विश्वास के कारण ही, राहब नाम की वेश्या आज्ञा का उल्लंघन करने वालों के साथ नहीं मारी गयी थी क्योंकि उसने गुप्तचरों का स्वागत सत्कार किया था।

32 अब मैं और अधिक क्या कहूँ। गिदोन, बाराक, शिमशोन, यिफतह, दाऊद, शमुएल तथा उन नबियों की चर्चा करने का मेरे पास समय नहीं है 33 जिन्होंने विश्वास से, राज्यों को जीत लिया, धार्मिकता के कार्य किए तथा परमेश्वर ने जो देने का वचन दिया था, उसे प्राप्त किया। जिन्होंने सिंहों के मुँह बंद कर दिए, 34 लपलपाती लपटों के क्रोध को शांत किया तथा तलवार की धार से बच निकले; जिनकी दुर्बलता ही शक्ति में बदल गई; और युद्ध में जो शक्तिशाली बने तथा जिन्होंने विदेशी सेनाओं को छिन्न-भिन्न कर डाला। 35 स्त्रियों ने अपने मरे हुओं को फिर से जीवित पाया। बहुतों को सताया गया, किन्तु उन्होंने छुटकारा पाने से मना कर दिया ताकि उन्हें एक और अच्छे जीवन में पुनरूत्थान मिल सके। 36 कुछ को उपहासों और कोड़ों का सामना करना पड़ा जबकि कुछ को ज़ंजीरों से जकड़ कर बंदीगृह में डाल दिया गया। 37 कुछ पर पथराव किया गया। उन्हें आरे से चीर कर दो फाँक कर दिया गया, उन्हें तलवार से मौत के घाट उतार दिया गया। वे ग़रीब थे, उन्हें यातनाएँ दी गई और उनके साथ बुरा व्यवहार किया गया। वे भेड़-बकरियों की खालें ओढ़े इधर-उधर भटकते रहे। 38 यह संसार उनके योग्य नहीं था। वे बियाबानों, और पहाड़ों में घूमते रहे और गुफाओं और धरती में बने बिलों में, छिपते-छिपाते फिरे।

39 अपने विश्वास के कारण ही, इन सब को सराहा गया। फिर भी परमेश्वर को जिसका महान वचन उन्हें दिया था, उसे इनमें से कोई भी नहीं पा सका। 40 परमेश्वर के पास अपनी योजना के अनुसार हमारे लिए कुछ और अधिक उत्तम था जिससे उन्हें भी बस हमारे साथ ही सम्पूर्ण सिद्ध किया जाए।

समीक्षा

विश्वास चुनाव के रूप में, लगातार बने रहना और आशा

विश्वास कैसा दिखाई देता है: इस्राएल के इतिहास में मूसा मुख्य व्यक्ति थे। उन्होंने उन लोगों को दासत्व से बाहर निकाला। उन्होंने उन्हे नियम दिए। आज के लेखांश में, लेखक दिखाते हैं कि मूसा उत्कृष्ट रूप से विश्वास के एक पुरुष थे।

जैसा कि हमने देखा है, शब्द 'विश्वास' के बहुत से अर्थ हैं। यह परमेश्वर के साथ हमारे संपूर्ण संबंध का वर्णन करता है –उनमें भरोसा करना, अपना सारा भार यीशु पर डालना, और जिसे हम मानते हैं उस पर कार्य करने का साहस करना। मूसा के मामले में, हम विश्वास के तीन पहलुओं को देखते हैं:

1. विश्वास एक चुनाव के रूप में

मूसा 'साधारण बालक नहीं' था (व.23)। वह मिस्र के राजसी घराने में पले – बढ़े और पहले दर्जे की शिक्षा और प्रशिक्षण को पाया। वह भौतिक रूप से सुंदर दिखते थे (निर्गमन 2:2)। आज बहुत से लोग, पैसा, यौन-संबंध और ताकत की लालसा करते हैं। मूसा के पास यह सब बहुतायत में हो सकता था।

मूसा के पास एक और महान ज्ञान था – उनके माता-पिता का विश्वास (इब्रानियों 11:23)। फिरौन की बेटी ने मूसा की माँ को उनका पालन-पोषण करने का काम सौंपा। किंतु, अंत में, हम सभी की तरह, मूसा को एक चुनाव करने की आवश्यकता पड़ी।

वह चुनाव कर सकते थे कि 'पाप में थोड़े दिन के सुख भोगे' (व.25)। कितु, 'उन्हें परमेश्वर के लोगों के साथ दुःख भोगना अधिक उत्तम लगा' (व.25)। मूसा ने उन लोगों के समूह के साथ पहचाना जाना चुना, जिनके साथ उनके तरह का पालन – पोषण एक तरह से अपमान लग सकता था – एक दास देश, परमेश्वर के लोग। उनके साथ पहचाने जाने के द्वारा, उन्होंने अपने ऊपर खतरा, अपमान और संघर्ष ले लिया।

उन्होंने यह चुनाव किया क्योंकि ' उसने मसीह के कारण निन्दित होने को मिस्र के भण्डार से बड़ा धन समझा' (व.26)। विश्व के आनंद की तुलना में, जो कि क्षणिक है, परमेश्वर आपको एक अनंत प्रतिफल देते हैं।

विश्वास चुनाव के रूप में, वह विश्वास है जो निर्दोष ठहराता है। विश्वास का यह आरंभिक कार्य संक्षेप में बताया जा सकता हैः

सबकुछ छोड़कर मैं उसे लेता हूँ (विश्वास)

2. विश्वास लगातार बना रहता है

मूसा दो बार मिस्र से बाहर गए। पहली बार वह एक मिस्री की हत्या करने के बाद एक अपराधी की तरह भाग रहे थे। दूसरी बार, 'वह परमेश्वर के लोगों के लीडर के रूप में वहाँ से गए। इस दौरान, वह साहस और दृढ़ संकल्प के साथ बने रहे। ' वह अनदेखे को मानो देखता हुआ दृढ़ रहा' (व.27)। संपूर्ण आत्मिक स्तर के लिए उनकी आँखे खुली हुई थी।

चुनाव के क्षण से लेकर विजय के क्षण तक, वहाँ पर बहुत सी लड़ाईयाँ हुई। बाईबल में यह नमूना है। पहले बुलाहट आती है, फिर परेशानियाँ। अंत में, वहाँ पर परिपूर्णता आयी। इस दौरान आपको लगातार बने रहने और भरोसा करने की आवश्यकता है।

विश्वास के इस पहलू को संक्षेप में कहा जा सकता हैः

डरते हुए मैं उसमें भरोसा करता हूँ (विश्वास)

विश्वास का यह पहलू है जो इब्रानियों के लेखक के द्वारा विशेष रूप से जिस पर जोर दिया गया है। शायद से यह पौलुस के दिमाग में था जब वह वफादारी को आत्मा के एक फल के रूप में बताते हैं (गलातियों 5:22)।

3. विश्वास आशा के रूप में

एच.टी.बी लीडरशिप कॉन्फरेंस में जब मैंने रिक वॉरन से बातचीत की, उन्होंने शब्दाडांबर करते हुए पूछाः'परमेश्वर ने क्यों मेरा इस्तेमाल किया:' और उन्होंने जवाब दियाः 'क्योंकि मैं आशा करता हूँ कि वह मेरा इस्तेमाल करें।' जॉयस मेयर आशा की परिभाषा देती हैं 'आनंद से भरकर एक इच्छित परिणाम को पाने के लिए बाट जोहना।'

मूसा ने परमेश्वर की आवाज को सुना। उन्होंने वह किया जो परमेश्वर ने उनसे करने के लिए कहा था। वह जानते थे कि परमेश्वर के पास मारने की सामर्थ थी, लेकिन उन्होंने विश्वास किया की कि वह इस्राएल के घर को छोड़ देंगे जिस पर लहू छिड़का गया था (इब्रानियों 11:28)। उन्होंने परमेश्वर पर विश्वास किया चिह्न और चमत्कारों के लिए, जैसे कि लाल समुद्र को पार करना (व.29)।

आशा, आत्मविश्वास की वह रहस्यमय लहर है कि परमेश्वर एक शक्तिशाली काम करेंगे। पहले तीन सुसमाचार में, लगभग विश्वास के दो तिहाई उल्लेख चमत्कार के संबंध में हैं। यहाँ पर विश्वास को अवश्य ही समझा जा सकता है, परमेश्वर की सामर्थ पर भरोसा करना।

लेखक पुराने नियम के बहुत से विश्वास के उदाहरणों को बताते हैं, ' इन्होंने विश्वास ही के द्वारा राज्य जीते; सत्यनिष्ठा के काम किए; प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएँ प्राप्त कीं; सिंहों के मुँह बन्द किए; आग की ज्वाला को ठंडा किया; तलवार की धार से बच निकले; निर्बलता में बलवन्त हुए; लड़ाई में वीर निकले; विदेशियों की फौजों को मार भगाया' (वव.33-34)। मैं विशेषरूप से इस तथ्य को पसंद करता हूँ कि परमेश्वर हमारी दुर्बलता को सामर्थ में बदलते हैं।

वह कुछ असाधारण कहने के द्वारा इतिहास के वर्णन का निष्कर्ष बताते हैं:'परमेश्वर के पास हमारे लिए एक बेहतर योजना थी' (व.39, एम.एस.जी)। वह कह रहे हैं कि आप नूह, अब्राहम, मूसा, यहोशू, शिमशोन, दाऊद, और बाकी दूसरों से अलग हैं। ' विश्वास ही के द्वारा इन सब के विषय में अच्छी गवाही दी गई, तब भी उन्हें प्रतिज्ञा की हुई वस्तु न मिली' (व.39, एम.एस.जी)। जबकि वे केवल कुछ बेहतर की बाट जोहते थे, आप आत्मा के युग में रहते हैं और मसीह में इस बेहतर और पूर्ण प्रकाशन को आपने ग्रहण किया है।

प्रार्थना

परमेश्वर मेरी सहायता कीजिए कि आप पर भरोसा करुँ, लगातार बना रहूँ और आपमें विश्वास रखूं चंगाई और चमत्कार के लिए।

जूना करार

यहेजकेल 24:1-25:17

पात्र और माँस

24मेरे स्वामी यहोवा का वचन मुझे मिला। यह देश—निकाले के नवें वर्ष के दसवें महीने का दसवाँ दिन था। उसने कहा, 2 “मनुष्य के पुत्र, आज की तिथि और इस टिप्पणी को लिखो: ‘आज बाबुल के राजा की सेना ने यरूशलेम को घेरा।’ 3 यह कहानी उस परिवार से कहो जो (इस्राएल) आज्ञा मानने से इन्कार करे। उनसे ये बातें कहो। ‘मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है:

“‘पात्र को आग पर रखो,
पात्र को रखो और उसमें जल डालो।
4 उसमें माँस के टुकड़े डालो,
हर अच्छे टुकड़े डालो, जाँघे और कंधे।
पात्र को सर्वोत्तम हड्डियों से भरो।
5 झुण्ड के सर्वोत्तम जानवर का उपयोग करो,
पात्र के नीचे ईधन का ढेर लगाओ,
और माँस के टुकड़ों को पकाओ।
शोरवे को तब तक पकाओ जब तक हड्डियाँ भी न पक जाय!

6 “‘इस प्रकार मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है:
“यह यरूशलेम के लिये बुरा होगा।
यह हत्यारों से भरे नगर के लिये बुरा होगा।
यरूशलेम उस पात्र की तरह है जिस पर जंख के दाग हों,
और वे दाग दूर न किये जा सकें! वह पात्र शुद्ध नहीं है,
इसलिये माँस का हर एक टुकड़ा पात्र से बाहर निकालो!
उस माँस को मत खाओ!
याजकों को उस बेकार माँस में से कोई टुकड़ा मत चुनने दो!
7 यरूशलेम एक जंख लगे पात्र की तरह है,
क्यों क्योंकि हत्याओं का रक्त वहाँ अब तक है!
उसने रक्त को खुली चट्टानों पर डाला है!
उसने रक्त को भूमि पर नहीं डाला और इसे मिट्टी से नहीं ढका।
8 मैंने उसका रक्त को खुली चट्टान पर डाला।
अत: यह ढका नहीं जाएगा। मैंने यह किया,
जिससे लोग क्रोधित हो,
और उसे निरपराध लोगों की हत्या का दण्ड दें।”
9 अत:, मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है: हत्यारों से भरे इस नगर के लिये यह बुरा होगा!
मैं आग के लिए बहुत सी लकड़ी का ढेर बनाऊँगा।
10 पात्र के नीचे बहुत सा ईधन डालो।
आग जलाओ।
अच्छी प्रकार माँस को पकाओ!
मसाले मिलाओ और हड्डियों को जल जाने दो।
11 तब पात्र को अंगारों पर खाली छोड़ दो।
इसे इतना तप्त होने दो कि इसका दाग चमकने लगे।
वे दाग पिघल जाएंगे। जंख नष्ट होगा।
12 यरूशलेम अपने दागों को धोने का कठोर प्रयत्न कर सकती है।
किन्तु वह जंख दूर नहीं होगा!
केवल आग (दण्ड) उस जंख को दूर करेगी!
13 तुमने मेरे विरुद्ध पाप किया
और पाप से कलंकित हुई।
मैंने तुम्हें नहलाना चाहा और तुम्हें स्वच्छ करना चाहा!
किन्तु दाग छूटे नहीं।
मैं तुमको फिर नहलाना नहीं चाहूँगा।
जब तक मेरा तप्त क्रोध तुम्हारे प्रति समाप्त नहीं होता।

14 “‘मैं यहोवा हूँ। मैंने कहा, तुम्हें दण्ड मिलेगा, और मैं इसे दिलाऊँगा। मैं दण्ड को रोकूँगा नहीं। मैं तुम्हारे लिये दु:ख का अनुभव नहीं करूँगा। मैं तुम्हें उन बुरे पापों के लिये दण्ड दूँगा जो तुमने किये।’ मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा।”

यहेजकेल की पत्नी की मृत्यु

15 तब यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 16 “मनुष्य के पुत्र, तुम अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करते हो किन्तु मैं उसे तुमसे दूर कर रहा हूँ। तुम्हारी पत्नी अचानक मरेगी। किन्तु तुम्हें अपना शोक प्रकट नहीं करना चाहिए। तुम्हें जोर से रोना नहीं चाहिए। तुम रोओगे और तुम्हारे आँसू गिरेंगे। 17 किन्तु तुम्हें अपना शोक—रूदन बहुत मन्द रखना चाहिए। अपनी मृत पत्नी के लिये जोर से न रोओ। तुम्हें सामान्य नित्य के वस्त्र पहनने चाहिए। अपनी पगड़ी और अपने जूते पहनो। अपने शोक को प्रकट करने के लिये अपनी मूँछे न ढको और वह भोजन न करो जो प्राय: किसी के मरने पर लोग करते हैं।”

18 अगली सुबह मैंने लोगों को बताया कि परमेश्वर ने क्या कहा है। उसी शाम मेरी पत्नी मरी। अगली प्रात: मैंने वही किया जो परमेश्वर ने आदेश दिया था। 19 तब लोगों ने मुझसे कहा, “तुम यह काम क्यों कर रहे हो इसका मतलब क्या है”

20 मैंने उनसे कहा, “यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने मुझसे, 21 इस्राएल के परिवार से कहने को कहा। मेरे स्वामी यहोवा ने कहा, ‘ध्यान दो, मैंअपने पवित्र स्थान को नष्ट करूँगा। तुम लोगों को उस पर गर्व है और तुम लोग उसकी प्रशंसा के गीत गाते हो। तुम्हें उस स्थान को देखने का प्रेम है। तुम सचमुच उस स्थान से प्रेम करते हो। किन्तु मैं उस स्थान को नष्ट करूँगा और तुम्हारे पीछे छूटे हुए तुम्हारे बच्चे युद्ध में मारे जाएंगे। 22 किन्तु तुम वही करोगे जो मैंने अपनी मृत पत्नी के बारे में किया है। तुम अपना शोक प्रकट करने के लिये अपनी मूँछे नहीं ढकोगे। तुम वह भोजन नहीं करोगे जो लोग प्राय: किसी के मरने पर खाते हैं। 23 तुम अपनी पगड़ियाँ और अपने जूते पहनोगे। तुम अपना शोक नहीं प्रकट करोगे। तुम रोओगे नहीं। किन्तु तुम अपने पाप के कारण बरबाद होते रहोगे। तुम चुपचाप अपनी आहें एक दूसरे के सामने भरोगे। 24 अत: यहेजकेल तुम्हारे लिये एक उदाहरण है। तुम वही सब करोगे जो इसने किया। दण्ड का यह समय आयेगा और तब तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ।’”

25-26 “मनुष्य के पुत्र, मैं उस सुरक्षित स्थान यरूशलेम को लोगों से ले लूँगा। वह सुन्दर स्थान उनको आनन्दित करता है। उन्हें उस स्थान को देखने का प्रेम है। वे सचमुच उस स्थान से प्रेम करते हैं। किन्तु उस समय मैं नगर और उनके बच्चों को उन लोगों से ले लूँगा। बचने वालों में से एक यरूशलेम के बारे में बुरा सन्देश लेकर तुम्हारे पास आएगा। 27 उस समय तुम उस व्यक्ति से बातें कर सकोगे। तुम और अधिक चुप नहीं रह सकोगे। इस प्रकार तुम उनके लिये उदाहरण बनोगे। तब वे जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ।”

अम्मोन के विरुद्ध भविष्यवाणी

25यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 2 “मनुष्य के पुत्र, अम्मोन के लोगों पर ध्यान दो और मेरे लिये उनके विरुद्ध कुछ कहो। 3 अम्मोन के लोगो से कहो: ‘मेरे स्वामी यहोवा का कथन सुनो! मेरा स्वामी यहोवा कहता है: तुम तब प्रसन्न थे जब मेरा पवित्र स्थान नष्ट हुआ था। तुम लोग तब इस्राएल देश के विरुद्ध थे जब यह दूषित हुआ था। तुम यहूदा के परिवार के विरुद्ध थे जब वे लोग बन्दी बनाकर ले जाए गए। 4 इसलिये मैं तुम्हें, पूर्व के लोगों को दूँगा। वे तुम्हारी भूमि लेंगे। उनकी सेनायें तुम्हारे देश में अपना डेरा डालेंगी। वे तुम्हारे बीच रहेंगे। वे तुम्हारे फल खाएंगे और तुम्हारा दूध पीएंगे।

5 “‘मैं रब्बा नगर को ऊँटों की चरागाह और अम्मोन देश को भेड़ों का बाड़ा बना दूँगा। तब तुम समझोगे कि मैं यहोवा हूँ। 6 यहोवा यह कहता है: तुम प्रसन्न थे कि यरूशलेम नष्ट हुआ। तुमने तालियाँ बजाई और पैरों पर थिरके। तुमने इस्राएल प्रदेश को अपमानित करने वाले मज़ाक किये। 7 अत: मैं तुम्हें दण्ड दूँगा। तुम वैसी कीमती चीजों की तरह होगे जिन्हें सैनिक युद्ध में पाते हैं। तुम अपना उत्तराधिकार खो दोगे। तुम दूर देशों में मरोगे। मैं तुम्हारे देश को नष्ट करूँगा! तब तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ।’”

मोआब और सेईर के विरुद्ध भविष्यवाणी

8 मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है: “मोआब और सेईर (एदोम) कहते है, ‘यहूदा का परिवार ठीक किसी अन्य राष्ट्र की तरह है।’ 9 मैं मोआब के कन्धे पर प्रहार करूँगा, मैं इसके उन नगरों को लूँगा जो इसकी सीमा पर प्रदेश के गौरव, बेत्यशीमोत, बालमोन और किर्यातैम हैं। 10 तब मैं इन नगरों को पूर्व के लोगों को दूँगा। वे तुम्हारा प्रदेश लेंगे और मैं पूर्व के लोगों को अम्मोन को नष्ट करने दूँगा। तब हर एक व्यक्ति भूल जाएगा कि अम्मोन के लोग एक राष्ट्र थे। 11 इस प्रकार मैं मोआब को दण्ड दूँगा। तब वे जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ।”

एदोम के विरुद्ध भविष्यवाणी

12 मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, “एदोम के लोग यहूदा के परिवार के विरुद्ध उठ खड़े हुए और उससे बदला लेना चाहा। एदोम के लोग दोषी है।” 13 इसलिये मेरा स्वामी यहोवा कहता है: “मैं एदोम को दण्ड दूँगा। मैं एदोम के लोगों और जानवरों को नष्ट करूँगा। मैं एदोम के पूरे देश को तेमान से ददान तक नष्ट करूँगा। एदोमी युद्ध में मारे जाएंगे। 14 मैं अपने लोगों, इस्राएल का उपयोग करूँगा और एदोम के विरुद्ध भी होऊँगा। इस प्रकार इस्राएल के लोग मेरे क्रोध को एदोम के विरुद्ध प्रकट करेंगे। तब एदोम के लोग समझेंगे कि मैंने उनको दण्ड दिया।” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा।

पलिश्तियों के विरुद्ध भविष्यवाणी

15 मेरे स्वामी यहोवा ने यहा कहा, “पलिश्तियों ने भी बदला लेने का प्रयत्न किया। वे बहुत क्रूर थे। उन्होंने अपने क्रोध को अपने भीतर अत्याधिक समय तक जलते रखा।” 16 इसलिये मेरे स्वामी यहोवा ने कहा, “मैं पलिश्तियों को दण्ड दूँगा। हाँ, मैं करेत से उन लोगों को नष्ट करूँगा। मैं समुद्र—तट पर रहने वाले उन लोगों को पूरी तरह नष्ट करुँगा। 17 मैं उन लोगों को दण्ड दूँगा, मैं उनसे बदला लूँगा। मैं अपने क्रोध द्वारा उन्हें एक सबक सिखाऊँगा तब वे जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ!”

समीक्षा

विडंबना के समय में विश्वास

'विश्वास कठिनाईयों के सामने छिपना नहीं है, बल्कि सारे विरोधाभास के सामने भरोसा करना, ' पॉल टूर्नियर ने लिखा।

यहेजकेल का विश्वास उल्लेखनीय है। उनका संदेश बहुत कठिन है। परमेश्वर अपने लोगों से कह रहे हैं कि उन्होंने उनकी अशुद्धता से उन्हें शुद्ध करने की कोशिश की, लेकिन वे शुद्ध नहीं हुए और इसलिए न्याय आ रहा हैः' तेरे चालचलन और कामों ही के अनुसार तेरा न्याय किया जाएगा' (24:14)। यदि हम परमेश्वर की क्षमा को स्वीकार करना मना कर दें (जोकि अब हम जानते हैं कि मसीह के क्रूस के द्वारा संभव बनाई गई है), तो हमारे बर्ताव और कामों के अनुसार हमारा न्याय होगा।

यहेजकेल का विश्वास उनकी पत्नी के मर जाने पर भी बना हुआ था ('उनकी आँखों की प्रिय', व.16)। परमेश्वर कहते हैं कि इस्राएल के पवित्रस्थान को ले लेंगे - ' जो तुम्हारी आँखों का चाहा हुआ है, और जिसको तुम्हारा मन चाहता है' (व.21)। बेबीलोन के द्वारा वह यरुशलेम के भयानक विनाश की घोषणा करते हैं।

वह दूसरे देशों को चेतावनी देते हैं कि अपने हृदय में द्वेष के साथ आनंद ना मनाएं (25:6,15)। परमेश्वर मजबूती से उस रहस्यमय उल्लास की भावना से असहमत होते हैं (जिसका हमें लालच आ सकता है) जब हम दूसरों को परेशानी में पड़ते हुए देखते हैं - यह प्रेम के विपरीत है।

जब लोग हमें चोट पहुँचाते हैं तब हमें अपने हाथों में प्रतिशोध नहीं लेना है। हमें परमेश्वर पर भरोसा करने की आवश्यकता है जिन्होंने वायदा किया कि अंत में, वह न्याय को चुकायेंगे (वव.15-17)।

इस लेखांश में अंधकार के बीच में प्रकाश की एक किरण है। जैसे ही संदेशवाहक यरुशलेम के विनाश का समाचार लेकर आते हैं, यहेजकेल का मौन समाप्त हो जाता है (यहेजकेल 3:24-27)। यह उनकी सेवकाई में एक उल्लेखनीय बदलाव लाता है। अध्याय 33 में, जब उनका ध्यान फिर से इस्राएल देश पर जाता है, तबाही का भविष्यवक्ता आशा के एक दूत में बदल जाता है। न्याय के परमेश्वर अनुग्रह और उद्धार के परमेश्वर के रूप में भी प्रकट होंगे।

यीशु ने दंड को अपने ऊपर ले लिया। यीशु का लहू आपको सारे पापों से शुद्ध करता है। पवित्र आत्मा आपके अंदर रहते हैं। आशा कीजिए कि वह आपके द्वारा महान काम करें –जैसे ही आप अपना पूरा भार उन पर डालते हैं।

प्रार्थना

परमेश्वर आज मैं आपके पास अपने सभी डर, चिंता और चुनौतियों को लाता हूँ जो आगे आने वाली हैं। मैं आप पर भरोसा करता हूँ। मैं आज आप पर अपना संपूर्ण भार डालता हूँ।

पिप्पा भी कहते है

इब्रानियों 11:31

'विश्वास के द्वारा वेश्या राहाब...'

विश्वास बहुत से ऐसे स्थानों में पाया जा सकता है जहाँ पर आशा भी नहीं की गई हो।

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संदर्भ

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी', बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

एक साल में बाइबल

  • एक साल में बाइबल

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