आराधना क्यों और कैसे करें
परिचय
क्यों आराधना महत्वपूर्ण है: आप क्या कर रहे हैं जब आप परमेश्वर की आराधना करते हैं:
इब्रानियों के लेखक हमें चिताते हैं कि ' भक्ति, और भय सहित परमेश्वर की ऐसी आराधना करें, जिससे वह प्रसन्न होता है; क्योंकि हमारे परमेश्वर भस्म करने वाली आग हैं' (इब्रानियों 12:28-29)।
आज के तीनों लेखांशो में सामान्य विषय है सिय्योन पर्वत (भजनसंहिता 126:1), ' तुम सिय्योन के पहाड़ के पास, और जीवते परमेश्वर के नगर' (इब्रानियों 12:22), 'परमेश्वर के पवित्र पर्वत' (यहेजकेल 28:14,16)। यह परमेश्वर की उपस्थिति का स्थान है, जहाँ पर परमेश्वर की आराधना नये और पुरानी वाचा में की गई। किंतु, दोनों के बीच में एक अंतर है।
अब आपको परमेश्वर की उपस्थिति का अनुभव करने के लिए किसी निश्चित स्थान में जाने की आवश्यकता नहीं है। यीशु के कारण, 'नई वाचा का मध्यस्थ' (इब्रानियों 12:24अ), आप कही भी आराधना कर सकते हैं। यीशु ने परमेश्वर के साथ इस नये संबंध को संभव बनाया, क्रूस पर आपके लिए और मेरे लिए अपनी मृत्यु के द्वारा।
आपका 'पवित्र पर्वत, ' जहाँ पर आप यीशु की आराधना कर सकते हैं, वह संपूर्ण पृथ्वी है, और यह 'स्वर्गीय यरुशलेम' को बताता है, जो हमने इब्रानियों से हमारे लेखांश में पढ़ा, और प्रकाशितवाक्य 21 में जिसका वर्णन किया गया है – नया स्वर्ग और नई पृथ्वी।
जैसे ही आप आराधना में यीशु के नजदीक जाते हैं, जैसा कि सी.एच.स्परर्जन् ने बताया, 'यीशु के नजदीक जाने के तीन परिणाम' – खुशी, पवित्रता और दीनता।
भजन संहिता 126:1-6
आरोहण गीत।
126जब यहोवा हमें पुन: मुक्त करेगा तो यह ऐसा होगा
जैसे कोई सपना हो!
2 हम हँस रहे होंगे और खुशी के गीत गा रहे होंगे!
तब अन्य राष्ट्र के लोग कहेंगे,
“यहोवा ने इनके लिए महान कार्य किये हैं।”
3 दूसरे देशों के लोग ये बातें करेंगे इस्राएल के लोगों के लिए यहोवा ने एक अद्भुत काम किया है।
अगर यहोवा ने हमारे लिए वह अद्भुत काम किया तो हम प्रसन्न होंगे।
4 हे यहोवा, हमें तू स्वतंत्र कर दे,
अब तू हमें मरुस्थल के जल से भरे हुए जलधारा जैसा बना दे।
5 जब हमने बीज बोये, हम रो रहे थे,
किन्तु कटनी के समय हम खुशी के गीत गायेंगे!
6 हम बीज लेकर रोते हुए खेतों में गये।
सो आनन्द मनाने आओ क्योंकि हम उपज के लिए हुए आ रहे हैं।
समीक्षा
खुशी
दिन में औसतन 150 बार बच्चे हँसते हैं। बड़े औसतन दिन में केवल छ बार हँसते हैं। यीशु हमें अधिकतर बालकों के समान बनने के लिए कहते हैं।
मसीह विश्वास में हँसी और आँसू, आनंद और गंभीरता है। ' तब हम आनन्द से हँसने और जयजयकार करने लगे ... यहोवा ने हमारे साथ बड़े बड़े काम किए हैं; और इससे हम आनन्दित हैं' (वव.2-3, एम.एस.जी)। यह भजन लोगों के सिय्योन में लौटने का उत्सव मनाता है जो बंधुआई में थे। वे बहुत आनंदित हैं: ' जब यहोवा सिय्योन से लौटने वालों को लौटा ले आए, तब हम स्वप्न देखने वाले से हो गए' (व.1)।
वे पवित्र पर्वत पर लौट आए – सिय्योन पर्वत। यह परमेश्वर के मंदिर का स्थान था। यह भौतिक उद्धार इससे भी बड़े उद्धार को बताता है जो आप यीशु के द्वारा अनुभव करते हैं।
उनकी तरह, आपकी प्रतिक्रिया भी आराधना में व्यक्त होनी चाहिएः' तब हम आनन्द से हँसने और जयजयकार करने लगे; तब जाति जाति के बीच में कहा जाता था, 'यहोवा ने इनके साथ बड़े बड़े काम किए हैं।' यहोवा ने हमारे साथ बड़े बड़े काम किए हैं; और इससे हम आनन्दित हैं।' (वव.2-3)।
मसीह जीवन में बहुत से आँसू हैं। यदि इस समय जीवन आपके लिए कठिन है तो प्रार्थना कीजिए कि परमेश्वर आपकी संपत्तियों को लौटा दें। यदि अभी आप आँसुओं में बो रहे हैं, तो एक समय आएगा जब आनंद के गीत के साथ आप फसल काटेंगे (वव.5-6)।
प्रार्थना
हे परमेश्वर, मेरी संपत्ति को लौटा दीजिए। होने दीजिए कि मैं आपकी उपस्थिति में खुशी, हँसी और आनंद पाऊँ।
इब्रानियों 12:14-29
14 सभी के साथ शांति के साथ रहने और पवित्र होने के लिए हर प्रकार से प्रयत्नशील रहो; बिना पवित्रता के कोई भी प्रभु का दर्शन नहीं कर पायेगा। 15 इस बात का ध्यान रखो कि परमेश्वर के अनुग्रह से कोई भी विमुख न हो जाए और तुम्हें कष्ट पहुँचाने तथा बहुत लोगों को विकृत करने के लिए कोई झगड़े की जड़ न फूट पड़े। 16 देखो कि कोई भी व्यभिचार न करे अथवा उस एसाव के समान परमेश्वर विहीन न हो जाये जिसे सबसे बड़ा पुत्र होने के नाते उत्तराधिकार पाने का अधिकार था किन्तु जिसने उसे बस एक निवाला भर खाना के लिए बेच दिया। 17 जैसा कि तुम जानते ही हो बाद में जब उसने इस वरदान को प्राप्त करना चाहा तो उसे अयोग्य ठहराया गया। यद्यपि उसने रो-रो कर वरदान पाना चाहा किन्तु वह अपने किये का पश्चाताप नहीं कर पाया।
18 तुम अग्नि से जलते हुए इस पर्वत के पास नहीं आये जिसे छुआ जा सकता था और न ही अंधकार, विषाद और बवंडर के निकट आये हो। 19 और न ही तुरही की तीव्र ध्वनि अथवा किसी ऐसे स्वर के सम्पर्क में आये जो वचनों का उच्चारण कर रही हो, जिससे जिन्होंने उसे सुना, प्रार्थना की कि उनके लिए किसी और वचन का उच्चारण न किया जाये। 20 क्योंकि जो आदेश दिया गया था, वे उसे झेल नहीं पाये: “यदि कोई पशु तक उस पर्वत को छुए तो उस पर पथराव किया जाये।” 21 वह दृश्य इतना भयभीत कर डालने वाला था कि मूसा ने कहा, “मैं भय से थरथर काँप रहा हूँ।”
22 किन्तु तुम तो सिओन पर्वत, सजीव परमेश्वर की नगरी, स्वर्ग के यरूशलेम के निकट आ पहुँचे हो। तुम तो हज़ारों-हज़ार स्वर्गदूतों की आनन्दपूर्ण सभा, 23 परमेश्वर की पहली संतानों, जिनके नाम स्वर्ग में लिखे हैं, उनकी सभा के निकट पहुँच चुके हो। तुम सबके न्यायकर्ता परमेश्वर और उन धर्मात्मा, सिद्ध पुरुषों की आत्माओं, 24 तथा एक नये करार के मध्यस्थ यीशु और छिड़के हुए उस लहू से निकट आ चुके हो जो हाबिल के लहू की अपेक्षा उत्तम वचन बोलता है।
25 ध्यान रहे! कि तुम उस बोलने वाले को मत नकारो। यदि वे उसको नकार कर नहीं बच पाये जिसने उन्हें धरती पर चेतावनी दी थी तो यदि हम उससे मुँह मोड़ेंगे जो हमें स्वर्ग से चेतावनी दे रहा है, तो हम तो दण्ड से बिल्कुल भी नहीं बच पायेंगे। 26 उसकी वाणी ने उस समय धरती को झकझोर दिया था किन्तु अब उसने प्रतिज्ञा की है, “एक बार फिर न केवल धरती को ही बल्कि आकाशों को भी मैं झकझोर दूँगा।” 27 “एक बार फिर” ये शब्द उस हर वस्तु की ओर इंगित करते हैं जिसे रचा गया है (यानी वे वस्तुएँ जो अस्थिर हैं) वे नष्ट हो जायेंगी। केवल वे वस्तुएँ ही बचेंगी जो स्थिर हैं।
28 अतः क्योंकि जब हमें एक ऐसा राज्य मिल रहा है, जिसे झकझोरा नहीं जा सकता, तो आओ हम धन्यवादी बनें और आदर मिश्रित भय के साथ परमेश्वर की उपासना करें। 29 क्योंकि हमारा परमेश्वर भस्म कर डालने वाली एक आग है।
समीक्षा
पवित्रता
'परमेश्वर की अद्भुत उपस्थिति में अवर्णनीय शांति के एक क्षण में अधिक आत्मिक उन्नति की जा सकती है, सालों के अध्ययन की तुलना में, ' ए.डब्ल्यु. टोजर ने लिखा।
आराधना है एक पवित्र परमेश्वर की 'अद्भुत उपस्थिति' में आना उनके पवित्र पर्वत पर। हमारा परमेश्वर ' भस्म करने वाली आग है' (व.29)। आप उनकी तरह बनने के लिए बुलाए गए हैं:' उस पवित्रता के खोजी हों जिसके बिना कोई प्रभु को कदापि नहीं देखेगा' (व.14ब)। जैसा कि मदर टेरेसा ने कहा, 'पवित्रता में हमारी उन्नति परमेश्वर पर और हम पर निर्भर होती है – परमेश्वर के अनुग्रह पर और पवित्र बने रहने की हमारी इच्छा पर।' आप निर्णय ले सकते हैं कि यीशु को आपको पवित्र बनाने दें।
संबंध से सच में अंतर पड़ता हैः'सभी के साथ शांति में जीने का प्रयास करिए' (व.14अ)। ऐसा कुछ मत करिए जो आपको परमेश्वर के अनुग्रह से वंचित कर दे (उनकी पवित्र उपस्थिति से वंचित कर दे)। ' ध्यान से देखते रहिए, ऐसा न हो कि कोई परमेश्वर के अनुग्रह से वंचित रह जाए, या कोई कड़वी जड़ फूटकर कष्ट दे, और उसके द्वारा बहुत से लोग अशुध्द हो जाएँ' (व.15, एम.एस.जी)। कड़वाहट को जड़ से उखाड़ दीजिए जैसे ही आपको उनके बारे में पता चलता है।
हम अपने लिए और एक दूसरे के लिए उत्तरदायी हैं:'ऐसा न हो कि कोई जन व्यभिचारी, या एसाव के समान अधर्मी हो जिसने एक बार के भोजन के बदले अपने पहिलौठे होने का पद बेच डाला। तुम जानते हो कि बाद में जब उसने आशीष पानी चाही तो अयोग्य गिना गया, और आँसू बहा बहाकर खोजने पर भी मन फिराव का अवसर उसे न मिला' (वव.16-17, एम.एस.जी)।
भौतिक पर्वत जहाँ पर पुराने नियम में नियम दिया गया था, और स्वर्गीय पर्वत सिय्योन जहाँ पर आप अभी परमेश्वर की आराधना करने के लिए आते हैं, इन दोनों के बीच के अंतर को देखिए। परमेश्वर की पवित्रता के असाधारण प्रदर्शन के बारे में सोचिये, जिसमें नियम दिया गया और जिसने मूसा को भी भयभीत कर दिया (वव.18-21)।
हर बार जब आप आराधना करते हैं, तब आप लाखों स्वर्गदूतों से घिरे होते हैं (व.22ब) और जीवित परमेश्वर की उपस्थिति (व.23ब)। जो कोई मसीह में मर गए हैं वे स्वर्गीय आराधना में शामिल होते हैं (व.23क)। आप अभी जीवित करोड़ो मसीहों और जो स्वर्ग में हैं, उनके साथ जुड़ते हैं।
मुख्य रूप से, हर बार जब आप आराधना करते हैं 'आप यीशु के पास आ चुके हैं' (व.23, एम.एस.जी) जो यह सब संभव बनाते हैं (व.24ब)। ' नई वाचा के मध्यस्थ यीशु और छिड़काव के उस लहू के पास आए हो, जो हाबिल के लहू से उत्तम बातें कहता है' (व.24, एम.एस.जी)। मसीह का लहू शुद्धता, क्षमा और परमेश्वर के साथ शांति का एक संदेश लाता है, उन सभी के लिए जो यीशु में विश्वास करते हैं।
जैसे ही आप यीशु की आराधना करने के लिए आते हैं, ' इस कारण हम इस राज्य को पाकर जो हिलने का नहीं, कृतज्ञ हों, और भक्ति, और भय सहित परमेश्वर की ऐसी आराधना करें, जिससे वह प्रसन्न होते हैं' (व.28, एम.एस.जी)।
प्रार्थना
प्रभु यीशु, आपका धन्यवाद कि मैं आपकी उपस्थिति में आ सकता हूँ क्रूस पर मेरे लिए बहाये गए आपके लहू के द्वारा। मेरी सहायता कीजिए कि पवित्र बनूं और सम्मान और भय के साथ परमेश्वर की आराधना करुँ।
यहेजकेल 28:1-29:21
सोर अपने को परमेश्वर समझता है
28यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 2 “मनुष्य के पुत्र, सोर के राजा से कहो, ‘मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है:
“‘तुम बहुत घमण्डी हो!
और तुम कहते हो, “मैं परमेश्वर हूँ!
मैं समुद्रों के मध्य में
देवताओं के आसन पर बैठता हूँ।”
“‘किन्तु तुम व्यक्ति हो, परमेश्वर नहीं!
तुम केवल सोचते हो कि तुम परमेश्वर हो।
3 तुम सोचते हो तुम दानिय्येल से बुद्धिमान हो!
तुम समझते हो कि तुम सारे रहस्यों को जान लोगे!
4 अपनी बुद्धि और अपनी समझ से।
तुमने सम्पत्ति स्वयं कमाई है और तुमने कोषागार में सोना—चाँदी रखा है।
5 अपनी तीव्र बुद्धि और व्यापार से तुमने अपनी सम्पत्ति बढ़ाई है,
और अब तुम उस सम्पत्ति के कारण गर्वीले हो।
6 “‘अत: मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है:
सोर, तुमने सोचा तुम परमेश्वर की तरह हो।
7 मैं अजनबियों को तुम्हारे विरुद्ध लड़ने के लिये लाऊँगा।
वे राष्ट्रों में बड़े भयंकर हैं!
वे अपनी तलवारें बाहर खीचेंगे
और उन सुन्दर चीजों के विरुद्ध चलाएंगे जिन्हें तुम्हारी बुद्धि ने कमाया।
वे तुम्हारे गौरव को ध्वस्त करेंगे।
8 वे तुम्हें गिराकर कब्र में पहुँचाएंगे।
तुम उस मल्लाह की तरह होगे जो समुद्र में मरा।
9 वह व्यक्ति तुमको मार डालेगा।
क्या अब भी तुम कहोगे, “मैं परमेश्वर हूँ”?
उस समय वह तुम्हें अपने अधिकार में करेगा।
तुम समझ जाओगे कि तुम मनुष्य हो, परमेश्वर नहीं!
10 अजनबी तुम्हारे साथ विदेशी जैसा व्यवहार करेंगे, और तुमको मार डालेंगे।
ये घटनाएँ होंगी क्योंकि मेरे पास आदेश शक्ति है!’”
मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं।
11 यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 12 “मनुष्य के पुत्र, सोर के राजा के बारे में करुण गीत गाओ। उससे कहो, ‘मेरे स्वामी यहोवा यह कहता है:
“‘तुम आदर्श पुरुष थे,
तुम बुद्धिमत्ता से परिपूर्ण थे, तुम पूर्णत: सुन्दर थे,
13 तुम एदेन में थे परमेश्वर के उद्यान में
तुम्हारे पास हर एक बहुमूल्य रत्न थे—
लाल, पुखराज, हीरे, फिरोजा,
गोमेद और जस्पर नीलम,
हरितमणि और नीलमणि
और ये हर एक रत्न सोने में जड़े थे।
तुमको यह सौन्दर्य प्रदान किया गया था जिस दिन तुम्हारा जन्म हुआ था।
परमेश्वर ने तुम्हें शक्तिशाली बनाया।
14 तुम चुने गए करुब (स्वर्गदूत) थे।
तुम्हारे पंख मेरे सिंहासन पर फैले थे
और मैंने तुमको परमेश्वर के पवित्र पर्वत पर रखा।
तुम उन रत्नों के बीच चले जो अग्नि की तरह कौंधते थे।
15 तुम अच्छे और ईमानदार थे जब मैंने तुम्हें बनाया।
किन्तु इसके बाद तुम बुरे बन गए।
16 तुम्हारा व्यापार तुम्हारे पास बहुत सम्पत्ति लाता था।
किन्तु उसने भी तुम्हारे भीतर क्रूरता उत्पन्न की और तुमने पाप किया।
अत: मैंने तुम्हारे साथ ऐसा व्यवहार किया मानों तुम गन्दी चीज हो।
मैंने तुम्हें परमेश्वर के पर्वत से फेंक दिया।
तुम विशेष करुब (स्वर्गदूतों) में से एक थे,
तुम्हारे पंख फैले थे मेरे सिंहासन पर
किन्तु मैंने तुम्हें आग की तरह
कौंधने वाले रत्नों को छोड़ने को विवश किया।
17 तुम अपने सौन्दर्य के कारण घमण्डी हो गए,
तुम्हारे गौरव ने तुम्हारी बुद्धिमत्ता को नष्ट किया,
इसलिये मैंने तुम्हें धरती पर ला फेंका,
और अब अन्य राजा तुम्हें आँख फाड़ कर देखते हैं।
18 तुमने अनेक गलत काम किये, तुम बहुत कपटी व्यापारी थे।
इस प्रकार तुमने पवित्र स्थानों को अपवित्र किया,
इसलिए मैं तुम्हारे ही भीतर से अग्नि लाया,
इसने तुमको जला दिया, तुम भूमि पर राख हो गए।
अब हर कोई तुम्हारी लज्जा देख सकता है।
19 “‘अन्य राष्ट्रों मे सभी लोग, जो तुम पर घटित हुआ, उसके बारे में शोकग्रस्त थे।
जो तुम्हें हुआ, वह लोगों को भयभीत करेगा।
तुम समाप्त हो गये हो!’”
सीदोन के विरुद्ध सन्देश
20 यहोवा वचन मुझे मिला। उसने कहा, 21 “मनुष्य के पुत्र, सीदोन पर ध्यान दो और मेरे लिये उस स्थान के विरुद्ध कुछ कहो। 22 कहो, ‘मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है:
“‘सीदोन, मैं तेरे विरुद्ध हूँ!
तुम्हारे लोग मेरा सम्मान करना सीखेंगे,
मैं सीदोन को दण्ड दूँगा,
तब लोग समझेंगे कि मैं यहोवा हूँ।
तब वे समझेंगे कि मैं पवित्र हूँ
और वे मुझको उस रूप में लेंगे।
23 मैं सीदोन में रोग और मृत्यु भेजूँगा,
नगर के बाहर तलवार (शत्रु सैनिक) उस मृत्यु को लायेगी।
तब वे समझेंगे कि मैं यहोवा हूँ!
राष्ट्र इस्राएल का मजाक उड़ाना बन्द करेंगे।
24 “‘अतीत काल में इस्राएल के चारों ओर के देश उससे घृणा करते थे। किन्तु उन अन्य देशों के लिये बुरी घटनायें घटेंगी। कोई भी तेज काँटे या कंटीली झाड़ी इस्राएल के परिवार को घायल करने वाली नहीं रह जाएगी। तब वे जानेंगे कि मैं उनका स्वामी यहोवा हूँ।’”
25 मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, “मैंने इस्राएल के लोगों को अन्य राष्ट्रों में बिखेर दिया। किन्तु मैं फिर इस्राएल के परिवार को एक साथ इकट्ठा करूँगा। तब वे राष्ट्र समझेंगे कि मैं पवित्र हूँ और वे मुझे उसी रूप में लेंगे। उस समय इस्राएल के लोग अपने देश में रहेंगे अर्थात जिस देश को मैंने अपने सेवक याकूब को दिया। 26 वे उस देश में सुरक्षित रहेंगे। वे घर बनायेंगे तथा अंगूर की बेलें लगाएंगे। मैं उसके चारों ओर के राष्ट्रों को दण्ड दूँगा जिन्होंने उससे घृणा की। तब इस्राएल के लोग सुरक्षित रहेंगे। तब वे समझेंगे कि मैं उनका परमेश्वर यहोवा हूँ।”
मिस्र के विरुद्ध सन्देश
29देश निकाले के दसवें वर्ष के दसवें महीने (जनवरी) के बारहवें दिन मेरे स्वामी यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 2 “मनुष्य के पुत्र, मिस्र के राजा फिरौन की ओर ध्यान दो, मेरे लिये उसके तथा मिस्र के विरुद्ध कुछ कहो। 3 कहो, ‘मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है:
“‘मिस्र के राजा फिरौन, मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ।
तुम नील नदी के किनारे विश्राम करते हुए विशाल दैत्य हो।
तुम कहते थे, “यह मेरी नदी है!
मैंने यह नदी बनाई है!”
4-5 “‘किन्तु मैं तुम्हारे जबड़े में आँकड़े दूँगा।
नील नदी की मछलियाँ तुम्हारी चमड़ी से चिपक जाएंगी।
मैं तुमको और तुम्हारी मछलियाँ को तुम्हारी नदियों से बाहर कर
सूखी भूमि पर फेंक दूँगा,
तुम धरती पर गिरोगे,
और कोई न तुम्हें उठायेगा, न ही दफनायेगा।
मैं तुम्हें जंगली जानवरों और पक्षियों को दूँगा,
तुम उनके भोजन बनोगे।
6 तब मिस्र में रहने वाले सभी लोग
जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ!
“‘मैं इन कामों को क्यों करूँगा?
क्योंकि इस्राएल के लोग सहारे के लिये मिस्र पर झुके,
किन्तु मिस्र केवल दुर्बल घास का तिनका निकला।
7 इस्राएल के लोग सहारे के लिये मिस्र पर झुके
और मिस्र ने केवल उनके हाथों और कन्धों को विदीर्ण किया।
वे सहारे के लिये तुम पर झुके
किन्तु तुमने उनकी पीठ को तोड़ा और मरोड़ दिया।”
8 इसलिये मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है:
“मैं तुम्हारे विरुद्ध तलवार लाऊँगा।
मैं तुम्हारे सभी लोगों और जानवरों को नष्ट करूँगा।
9 मिस्र खाली और नष्ट हो जाएगा।
तब वे समझेंगे कि मैं यहोवा हूँ।”
परमेश्वर ने कहा, “मैं वे काम क्यों करूँगा क्योंकि तुमने कहा, “यह मेरी नदी है। मैंने इस नदी को बनाया।” 10 अत: मैं (परमेश्वर) तुम्हारे विरुद्ध हूँ। मैं तुम्हारी नील नदी की कई शाखाओं के विरुद्ध हूँ। मैं मिस्र को पूरी तरह नष्ट करूँगा। मिग्दोल से सवेन तक तथा जहाँ तक कूश की सीमा है, वहाँ तक नगर खाली होंगे। 11 कोई व्यक्ति या जानवर मिस्र से नहीं गुजरेगा। कोई व्यक्ति या जानवर मिस्र में चालीस वर्ष तक नहीं रहेगा। 12 मैं मिस्र देश को उजाड़ कर दूँगा और उसके नगर चालीस वर्ष तक उजाड़ रहेंगे। मैं मिस्रियों को राष्ट्रों में बिखेर दूँगा। मैं उन्हें विदेशों में बसा दूँगा।”
13 मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, “मैं मिस्र के लोगों को कई राष्ट्रों में बिखेरूँगा। किन्तु चालीस वर्ष के अन्त में फिर मैं उन लोगों को एक साथ इकट्ठा करूँगा। 14 मैं मिस्र के बंदियों को वापस लाऊँगा। मैं मिस्रियों को पत्रास के प्रदेश में, जहाँ वे उत्पन्न हुए थे, वापस लाऊँगा। किन्तु उनका राज्य महत्वपूर्ण नहीं होगा। 15 यह सबसे कम महत्वपूर्ण राज्य होगा। मैं इसे फिर अन्य राष्ट्रों से ऊपर कभी नहीं उठाऊँगा। मैं उन्हें इतना छोटा कर दूँगा कि वे राष्ट्रों पर शासन नहीं कर सकेंगे 16 और इस्राएल का परिवार फिर कभी मिस्र पर आश्रित नहीं रहेगा। इस्राएली अपने पाप को याद रखेंगे। वे याद रखेंगे कि वे सहायता के लिये मिस्र की ओर मुड़े, परमेश्वर की ओर नहीं और वे समझेंगे कि मैं यहोवा और स्वामी हूँ।”
बाबुल मिस्र को लेगा
17 देश निकाले के सत्ताईसवें वर्ष के पहले महीने (अप्रैल) के पहले दिन यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 18 “मनुष्य के पुत्र, बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने सोर के विरुद्ध अपनी सेना को भीषण युद्ध में लगाया। उन्होंनेहर एक सैनिक के बाल कटवा दिये। भारी वजन ढोने के कारण हर एक कंधा रगड़ से नंगा हो गया। नबूकदनेस्सर और उसकी सेना ने सोर को हराने के लिये कठिन प्रयत्न किया। किन्तु वे उन कठिन प्रयत्नों से कुछ पा न सके।” 19 अत: मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, “मैं बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर को मिस्र देश दूँगा और नबूकदनेस्सर मिस्र के लोगों को ले जाएगा। नबूकदनेस्सर मिस्र की कीमती चीज़ों को ले जाएगा। यह नबूकदनेस्सर की सेना का वेतन होगा। 20 मैंने नबूकदनेस्सर को मिस्र देश उसके कठिन प्रयत्न के पुरस्कार के रूप में दिया है। क्यों क्योंकि उन्होंने मेरे लिये काम किया!” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा।
21 “उस दिन मैं इस्राएल के परिवार को शक्तिशाली बनाऊँगा और तुम्हारे लोग मिस्रियों का मजाक उड़ाएंगे। तब वे जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ।”
समीक्षा
दीनता
पवित्रता और दीनता परस्पर जुड़े हुए हैं। यीशु ने हमें दिखाया कि पवित्रता में मुख्य चीज है दीनता। दूसरी ओर, घमंड सारे पाप की जड़ है। घमंड के कारण शैतान का पतन हुआ।
बाईबल के विश्व-दृष्टिकोण के अनुसार, विश्व में बुराई के पीछे शैतान है। शैतान के लिए ग्रीक शब्द, डायबोलोस का अनुवाद इब्रानी शब्द शैतान करता है। हमें बाईबल में शैतान के उद्गम के विषय में ज्यादा कुछ नहीं बताया गया है। लेकिन यह लेखांश कुछ में से एक है जो शायद से शैतान के उद्गम के विषय में कुछ संकेत दे।
यद्यपि मूल संदर्भ सोर के राजा का पतन है, ऐसा लगता है कि शैतान, इस विश्व का शासक (2कुरिंथियो 4:4), सोर के शासक के पीछे था।
यशायाह 14:12-23 और प्रकाशितवाक्य 12 पढ़िये, ऐसा लगता है कि मनुष्य और शैतान दोनों को अच्छा बनाया गया थाः ' तू तो उत्तम से भी उत्तम है; तू बुध्दि से भरपूर और सर्वांग सुन्दर है। तू परमेश्वर की अदन नामक बारी में था ' (यहेजकेल 28:12-13)। ऐसा दिखाई देता है कि शैतान एक स्वर्गदूत थाः ' तू छाने वाला अभिषिक्त करूब था, मैंने तुझे ऐसा ठहराया कि तू परमेश्वर के पवित्र पर्वत पर रहता था; तू आग की तरह चमकने वाली मणियों के बीच चलता फिरता था' (व.14)। शैतान अनुग्रह के सिंहासन के पास और परमेश्वर की उपस्थिति में जा सकते थे। तुझ में कुटिलता न पाई गई (व.15)।
परमेश्वर के पर्वत पर परमेश्वर की आराधना करने के बजाय ' तू ने मन में फूलकर यह कहा है, ‘मैं ईश्वर हूँ, मैं समुद्र के बीच परमेश्वर के असान पर बैठा हूँ' (व.2, एम.एस.जी)। वह 'एक ईश्वर बनने की कोशिश कर रहा था' (व.3, एम.एस.जी)। ' तू ने बड़ी बुध्दि से लेन-देन किया जिस से तेरा धन बढ़ा, और धन के कारण तेरा मन फूल उठा है' (व.5)।
ठीक जैसे कि बड़ा हुनर और संपत्ति घमंड ला सकती है, वैसे ही सुंदर दिखना कर सकता हैः' सुन्दरता के कारण तेरा मन फूल उठा था; और वैभव के कारण तेरी बुध्दि बिगड़ गई थी' (व.17)।
यह एक स्वयं आराधना का वर्णन है, जो होता है जब हम अपनी सफलता को अपनी बुद्धि, हुनर और योग्यताओं पर निर्भर करते हैं (व.4), बिना समझे कि यें चीजे परमेश्वर की ओर से मिलती हैं और हमें केवल उनकी आराधना करनी चाहिए। महान परमेश्वर की आराधना करने के बजाय, सफलता, संपत्ति और सुंदरता की आराधना करने का प्रलोभन आता है – हमारी संस्कृति के ईश्वर – वे 'परमेश्वर के मिथ्याभिमानी व्यवहार है' (व.7, एम.एस.जी)।
परमेश्वर घमंड को नीचे लाते हैं और दीन को ऊँचा उठाते हैं। उसके घमंड और पाप के कारण, शैतान को परमेश्वर की उपस्थिति में से बाहर निकाल दिया गयाः ' परन्तु लेन– देन की बहुतायत के कारण तू उपद्रव से भरकर पापी हो गया; इसी से मैं ने तुझे अपवित्र जानकर परमेश्वर के पर्वत पर से उतारा, और हे छाने वाले करूब मैं ने तुझे आग की तरह चमकने वाली मणियों के बीच से नष्ट किया है' (व.16), ' मैंने तुझे भूमि पर पटक दिया' (व.17; यशायाह 14:12; लूका 10:18 देखें)। शैतान का अंतिम विनाश सुनिश्चित है (यहेजकेल 28:18ye-19)। अपनी मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा यीशु ने शैतान को हरा दिया।
यीशु का व्यवहार शैतान के व्यवहार से बिल्कुल अलग है। उसने विरूद्ध मार्ग अपनायाः 'जिसने परमेश्वर के स्वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। वरन् अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। और मनुष्य के रूप में प्रकट होकर अपने आप को दीन किया, और यहाँ तक आज्ञाकारी रहा कि मृत्यु, हाँ, क्रूस की मृत्यु भी सह ली। इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ हैं, कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और पृथ्वी के नीचे हैं, वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें; और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु हैं' (फिलिप्पियों 2:6-11)।
आज यीशु की आराधना कीजिए। जैसे ही आप जीवनभर उनके नजदीक आयेंगे, आप इन लाभों का अनुभव करेंगे – खुशी, पवित्रता और दीनता।
प्रार्थना
प्रभु यीशु, आज मैं आपकी आराधना करने के लिए घुटने टेकता हूँ और घोषणा करता हूँ कि आप परमेश्वर हैं पिता परमेश्वर की महिमा के लिए।
पिप्पा भी कहते है
इब्रानियों 12:14
'सब से मेल मिलाप रखिए, और उस पवित्रता के खोजी हो जाइए जिसके बिना कोई प्रभु को कदापि नहीं देखेगा'।
हमें 'सभी के साथ शांति में जीने' के लिए काम करना है। असुरक्षा, गलतफहमी और असफलताएँ रास्ते में आ सकती हैं। और पवित्र बनना एक चुनौती है!

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संदर्भ
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी', बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।