अब हम कैसे जीएं:
परिचय
" अब हम कैसे जीएँगे:" यह चुक कोल्सन की पुस्तक का शीर्षक है, जो प्रेसीडेंट निक्सोन के पूर्वी "सलाहकार", बंदीगृह में सहभागिता के संस्थापक, जिनका जीवन यीशु मसीह से मिलने के बाद पूरी तरह से बदल गया।
शताब्दियों पहले, जब परमेश्वर के लोग निर्वासन में थे और उदासी में थे, उन्होंने परमेश्वर को पुकारा, " हम कैसे जीवित रहें:" (यहेजकेल 33:10, के.जे.व्ही)। युगों से यही प्रश्न चला आ रहा है। "हमारे महिमामयी प्रभु यीशु मसीह में विश्वासियों" के रूप में (याकूब 2:1)। अब हम कैसे जीएँ:
भजन संहिता 128:1-6
आरोहण गीत।
128यहोवा के सभी भक्त आनन्दित रहते हैं।
वे लोग परमेश्वर जैसा चाहता, वैसा गाते हैं।
2 तूने जिनके लिये काम किया है, उन वस्तुओं का तू आनन्द लेगा।
उन ऐसी वस्तुओं को कोई भी व्यक्ति तुझसे नहीं छिनेगा।
तू प्रसन्न रहेगा और तेरे साथ भली बातें घटेंगी।
3 घर पर तेरी घरवाली अंगूर की बेल सी फलवती होगी।
मेज के चारों तरफ तेरी संतानें ऐसी होंगी, जैसे जैतून के वे पेड़ जिन्हें तूने रोपा है।
4 इस प्रकार यहोवा अपने अनुयायिओं को
सचमुच आशीष देगा।
5 यहोवा सिय्योन से तुझ को आशीर्वाद दे यह मेरी कामना है।
जीवन भर यरूशलेम में तुझको वरदानों का आनन्द मिले।
6 तू अपने नाती पोतों को देखने के लिये जीता रहे यह मेरी कामना है।
इस्राएल में शांति रहे।
समीक्षा
आशीषों में गोते लगाएं
परमेश्वर परिवार पर आशीष का वायदा करते हैं, जो उनके मार्ग पर चलते हैं, उनके लिए शांति, समृद्धि और लंबे जीवन काः" क्या ही धन्य हैं हर एक जो यहोवा का भय मानता है, और उसके मार्गों पर चलता है" (व.1)।
तू अपनी कमाई को निश्चय खाने पाएगा (व.2)। कुछ लोग पैसे और सफलता के लिए दास बन जाते हैं लेकिन कभी भी अपनी कमाई का आनंद नहीं ले पाते हैं।
लेकिन, " क्या ही धन्य है हर एक जो यहोवा का भय मानता है, और उनके मार्गों पर चलता है! तू धन्य होगा, और तेरा भला ही होगा। सुन, जो पुरुष यहोवा का भय मानता हो, वह ऐसी ही आशीष पाएगा..." (वव.1-6, एम.एस.जी)।
इससे बढ़कर यीशु ने वायदा किया कि "जीवन को बहुतायत में पाओ" (यूहन्ना 10:10, जी.एन.टी)। इस पृथ्वी पर हमारा जीवन शायद से छोटा है और बहुतों के लिए यह परेशानी और कठिनाई से भरा हुआ है। लेकिन आशीषें इससे भी बड़ी और अनंत हैं (17:3)। अनंत जीवन, जीवन की वह गुणवत्ता है जो अभी शुरु होती है और अनंतता तक चलती रहती है।
उनकी आशीषों में गोते लगाईये। उनके मार्गों में चलिये और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए कहिये।
प्रार्थना
परमेश्वर, अद्भुत वायदों के लिए आपका धन्यवाद। मेरी सहायता कीजिए कि आज मैं आपकी आशीषों में गोते लगाऊँ।
याकूब 2:1-26
सबसे प्रेम करो
2हे मेरे भाइयों, हमारे महिमावान प्रभु यीशु मसीह में जो तुम्हारा विश्वास है, वह पक्षपातपूर्ण न हो। 2 कल्पना करो तुम्हारी सभा में कोई व्यक्ति सोने की अँगूठी और भव्य वस्त्र धारण किए हुए आता है। और तभी मैले कुचैले कपड़े पहने एक निर्धन व्यक्ति भी आता है। 3 और तुम जिसने भव्य वस्त्र धारण किए हैं, उसको विशेष महत्त्व देते हुए कहते हो, “यहाँ इस उत्तम स्थान पर बैठो”, जबकि उस निर्धन व्यक्ति से कहते हो, “वहाँ खड़ा रह” या “मेरे पैरों के पास बैठ जा।” 4 ऐसा करते हुए क्या तुमने अपने बीच कोई भेद-भाव नहीं किया और बुरे विचारों के साथ न्यायकर्ता नहीं बन गए?
5 हे मेरे प्यारे भाईयों, सुनो क्या परमेश्वर ने संसार की आँखों में उन निर्धनों को विश्वास में धनी और उस राज्य के उत्तराधिकारी के रूप में नहीं चुना, जिसका उसने, जो उसे प्रेम करते हैं, देने का वचन दिया है। 6 किन्तु तुमने तो उस निर्धन व्यक्ति के प्रति घृणा दर्शायी है। क्या ये धनिक व्यक्ति वे ही नहीं हैं, जो तुम्हारा शोषण करते हैं और तुम्हें कचहरियों में घसीट ले जाते हैं? 7 क्या ये वे ही नहीं हैं, जो मसीह के उस उत्तम नाम की निन्दा करते हैं, जो तुम्हें दिया गया है?
8 यदि तुम शास्त्र में प्राप्त होने वाली इस उच्चतम व्यवस्था का सचमुच पालन करते हो, “अपने पड़ोसी से वैसे ही प्रेम करो, जैसे तुम अपने आप से करते हो” तो तुम अच्छा ही करते हो। 9 किन्तु यदि तुम पक्षपात दिखाते हो तो तुम पाप कर रहे हो। फिर तुम्हें व्यवस्था के विधान को तोड़ने वाला ठहराया जाएगा।
10 क्योंकि कोई भी यदि समग्र व्यवस्था का पालन करता है और एक बात में चूक जाता है तो वह समूची व्यवस्था के उल्लंघन का दोषी हो जाता है। 11 क्योंकि जिसने यह कहा था, “व्यभिचार मत करो” उस ही ने यह भी कहा था, “हत्या मत करो।” सो यदि तुम व्यभिचार नहीं करते किन्तु हत्या करते हो तो तुम व्यवस्था को तोड़ने वाले हो।
12 तुम उन्हीं लोगों के समान बोलो और उन ही के जैसा आचरण करो जिनका उस व्यवस्था के अनुसार न्याय होने जा रहा है, जिससे छुटकारा मिलता है। 13 जो दयालु नहीं है, उसके लिए परमेश्वर का न्याय भी बिना दया के ही होगा। किन्तु दया न्याय पर विजयी है।
विश्वास और सत् कर्म
14 हे मेरे भाईयों, यदि कोई व्यक्ति कहता है कि वह विश्वासी है तो इसका क्या लाभ जब तक कि उसके कर्म विश्वास के अनुकूल न हों? ऐसा विश्वास क्या उसका उद्धार कर सकता है? 15 यदि भाइयों और बहनों को वस्त्रों की आवश्यकता हो, उनके पास खाने तक को न हो 16 और तुममें से ही कोई उनसे कहे, “शांति से जाओ, परमेश्वर तुम्हारा कल्याण करे, अपने को गरमाओ तथा अच्छी प्रकार भोजन करो” और तुम उनकी देह की आवश्यकताओं की वस्तुएँ उन्हें न दो तो फिर इसका क्या मूल्य है? 17 इसी प्रकार यदि विश्वास के साथ कर्म नहीं है तो वह अपने आप में निष्प्राण है।
18 किन्तु कोई कह सकता है, “तुम्हारे पास विश्वास है, जबकि मेरे पास कर्म है अब तुम बिना कर्मों के अपना विश्वास दिखाओ और मैं तुम्हें अपना विश्वास अपने कर्मों के द्वारा दिखाऊँगा।” 19 क्या तुम विश्वास करते हो कि परमेश्वर केवल एक है? अदभुत! दुष्टात्माएँ यह विश्वास करती हैं कि परमेश्वर है और वे काँपती रहती हैं।
20 अरे मूर्ख! क्या तुझे प्रमाण चाहिए कि कर्म रहित विश्वास व्यर्थ है? 21 क्या हमारा पिता इब्राहीम अपने कर्मों के आधार पर ही उस समय धर्मी नहीं ठहराया गया था जब उसने अपने पुत्र इसहाक को वेदी पर अर्पित कर दिया था? 22 तू देख कि उसका वह विश्वास उसके कर्मों के साथ ही सक्रिय हो रहा था। और उसके कर्मों से ही उसका विश्वास परिपूर्ण किया गया था। 23 इस प्रकार शास्त्र का यह कहा पूरा हुआ था, “इब्राहीम ने परमेश्वर पर विश्वास किया और विश्वास के आधार पर ही वह धर्मी ठहरा” और इसी से वह “परमेश्वर का मित्र” कहलाया। 24 तुम देखो कि केवल विश्वास से नहीं, बल्कि अपने कर्मों से ही व्यक्ति धर्मी ठहरता है।
25 इसी प्रकार राहब वेश्या भी क्या उस समय अपने कर्मों से धर्मी नहीं ठहरायी गयी, जब उसने दूतों को अपने घर में शरण दी और फिर उन्हें दूसरे मार्ग से कहीं भेज दिया।
26 इस प्रकार जैसे बिना आत्मा का देह मरा हुआ है, वैसे ही कर्म विहीन विश्वास भी निर्जीव है!
समीक्षा
म से जीएं
मदर टेरेसा ने कहा, "...हर तरह से गरीब लोग हमारे पास आते हैं। आओ सुनिश्चित करें कि कभी भी उनसे हम मुँह न मोड़े, वे हमें चाहे जहाँ भी मिलें। क्योंकि जब हम गरीब की तरफ अपना मुंह करते हैं, हम उन्हें यीशु मसीह की ओर मोड़ते हैं।"
गरीबों के लिए प्रेम एक अतिरिक्त विकल्प नहीं है। यह नये नियम का केंद्र है। यह जीवित विश्वास का प्रमाण हैः " यदि तुम पवित्र शास्त्र के इस वचन के अनुसार कि "तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख" सचमुच उस राज व्यवस्था को पूरी करते हो, तो अच्छा ही करते हो" (व.8)। आपका प्रेम विशेष रूप से इस बात में दिखाई देता है कि आप गरीब (वव.2-7), भूखे (व.15) और जरुरतमंद (व.16) के लिए क्या करते हैं। " दया न्याय पर जयवन्त होती है" (व.13, एम.एस.जी)।
अमीर और गरीब के साथ एक – समान बर्ताव कीजिए। यदि हम गरीबों के साथ भेद-भाव करें, तो " बुरे विचार से न्याय करने वाले न ठहरे:" (व.4)। " । क्या परमेश्वर ने इस जगत के कंगालो को नहीं चुना कि विश्वास में धनी और राज्य के अधिकारी हों " (व.5)।
याकूब आगे कहते हैं, " यदि कोई भाई या बहन नंगे – उघाड़े हो और उन्हें प्रतिदिन भोजन की घटी हो, और तुम में से कोई उनसे कहे, "कुशल से जाओ, तुम गरम रहो और तृप्त रहो, " पर जो वस्तुएँ देह के लिये आवश्यक हैं वह उन्हें न दे तो क्या लाभ: " (वव.15-16)।
यीशु में विश्वासियों के रूप में, हम अलग तरीके से जीने के लिए बुलाए गए हैं। आपका विश्वास अवश्य ही आपके कामों में दिखना चाहिए। सारे पुराने नियम में, यह दोनों साथ-साथ जाते हैं। जैसे वचन और कार्य; घोषणा और प्रदर्शन; व्यक्ति का बदलना और समाज का बदलना।
याकूब लिखते हैं, " हे मेरे भाइयो, यदि कोई कहे कि मुझे विश्वास है पर वह कर्म न करता हो, तो इससे क्या लाभ: क्या ऐसा विश्वास कभी उसका उध्दार कर सकता है: ... वैसे ही विश्वास भी, यदि कर्म सहित न हो तो अपने स्वभाव में मरा हुआ है" (वव.14-17): क्या यह बात स्पष्ट नहीं कि परमेश्वर की तरह बातचीत, परमेश्वर के जैसे काम के बिना निंदनीय बकवास है:" (व.17, एम.एस.जी)। दूसरे शब्दों में, यदि आपका विश्वास आपके जीने के तरीके को नहीं बदलता है, तो यह सच्चा विश्वास नहीं है।
याकूब आगे कहते हैं, " वरन कोई कह सकता है, "तुझे विश्वास है और मैं कर्म करता हूँ।" तू अपना विश्वास मुझे कर्म बिना तो दिखा; और मैं अपना विश्वास अपने कर्मों के द्वारा तुझे दिखाउँगा" (व.18, एम.एस.जी)।
वह साबित करते हैं कि परमेश्वर में केवल भरोसा करना काफी नहीं हैः" तुझे विश्वास है कि एक ही परमेश्वर हैं; तू अच्छा करता है। दुष्टात्मा भी विश्वास रखते, और थरथराते हैं" (व.19)।
दिलचस्प रूप से, पौलुस की तरह, याकूब अब्राहम का उदाहरण देते हैं। पौलुस ने अब्राहम का उदाहरण दिया, यह दर्शाने के लिए कि विश्वास के द्वारा वह निर्दोष ठहरे। याकूब उनके जीवन का इस्तेमाल करते हैं यह दर्शाने के लिए कि " अत: तू ने देख लिया कि विश्वास ने उसके कामों के साथ मिलकर प्रभाव डाला है, और कर्मों से विश्वास सिद्ध हुआ" (व.22)।
इस "निर्बाध एकता" के प्रति याकूब का दूसरा उदाहरण बहुत ही असामान्य है। वह राहब वेश्या के कार्य को देखते हैं। उसने परमेश्वर में अपना विश्वास दिखाया, दो इस्राएली जासूसों की मदद करने के द्वारा (यहोशू 2 देखें), और इसके परिणामस्वरूप वह "सत्यनिष्ठ गिनी गई"। यद्यपि मुश्किल से ही उनका वर्णन एक आधुनिक नागरिक के रूप में किया जा सकता है!
एक उदाहरण के रूप में उसका इस्तेमाल करने के द्वारा, याकूब इस बात को स्पष्ट करते हैं कि अच्छे लोग बनने के द्वारा परमेश्वर को प्रसन्न करने के विषय में वह बात नहीं कर रहे हैं। इसके बजाय, वह दर्शा रहे हैं कि "विश्वास करना और कार्य करने में एकता है" (याकूब 2:25, एम.एस.जी)। राहब ने अपने विश्वास पर काम किया। याकूब अंत में बताते हैं, " अत: जैसे देह आत्मा बिना मरी हुई है, वैसा ही विश्वास भी कर्म बिना मरा हुआ है" (व.26)।
जैसा कि जॉन केल्विन बताते हैं, "केवल विश्वास से सत्यनिष्ठ ठहरते हैं, लेकिन जिस विश्वास से सत्यनिष्ठ ठहरते हैं, वह कभी अकेला नहीं होता।" आप अपने उद्धार को कमा नहीं सकते हैं। आपने अपने भले कामों के द्वारा उद्धार नहीं पाया है, बल्कि भले कामों को करने के लिए आपका उद्धार हुआ है (इफीसियों 2:9-10)। याकूब की पुस्तक पौलुस प्रेरित का विरोधाभास नहीं करती है (जैसा कि कुछ लोगों ने बताया है)। याकूब यह नहीं कहते हैं कि आप अपने भले कामों के द्वारा अपने उद्धार को कमा सकते हैं। इसके बजाय, वह कह रहे हैं कि सच्चा विश्वास इस बात से प्रकट होगा कि आप कैसा जीवन जीते हैं।
प्रार्थना
परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि प्रेम का एक जीवन जीऊँ और गरीबों के प्रति शीघ्रता से कार्य करुँ – स्थानीय रूप से और ग्लोबल रूप से।
यहेजकेल 33:21-35:15
यरूशलेम पर अधिकार कर लिया गया
21 देश—निकाले के बारहवें वर्ष में, दसवें महीने (जनवरी) के पाँचवें दिन एक व्यक्ति मेरे पास यरूशलेम से आया। वह वहाँ के युद्ध से बच निकला था। उसने कहा, “नगर (यरूशलेम) पर अधिकार हो गया!”
22 ऐसा हुआ कि जिस दिन वह व्यक्ति मेरे पास आया उसकी पूर्व संध्या को, मेरे स्वामी यहोवा की शक्ति मुझ पर उतरी। परमेश्वर ने मुझे बोलने योग्य नहीं बनाया। जिस समय वह व्यक्ति मेरे पास आया, यहोवा ने मेरा मुख खोल दिया था और फिर से मुझे बोलने दिया। 23 तब यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 24 “मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के ध्वस्त नगर में इस्राएली लोग रह रहे हैं। वे लोग कह रहे हैं, ‘इब्राहीम केवल एक व्यक्ति था और परमेश्वर ने उसे यह सारी भूमि दे दी। अब हम अनेक लोग हैं अत: निश्चय ही यह भूमि हम लोगों की है! यह हमारी भूमि है!’
25 “तुम्हें उनसे कहना चाहिये कि मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, ‘तुम लोग रक्त—युक्त माँस खाते हो। तुम लोग अपनी देवमूर्तियों से सहायता की आशा करते हो। तुम लोगों को मार डालते हो। अत: मैं तुम लोगों को यह भूमि क्यों दूँ 26 तुम अपनी तलवार पर भरोसा करते हो। तुममें से हर एक भयंकर पाप करता है। तुममें से हर एक अपने पड़ोसी की पत्नी के साथ व्यभिचार करता है। अत: तुम भूमि नहीं पा सकते।’
27 “तुम्हें कहना चाहिए कि स्वामी यहोवा यह कहता है, मैं अपने जीवन की शपथ खा कर प्रतिज्ञा करता हूँ, कि जो लोग उन ध्वस्त नगरों में रहते हैं, वे तलवार के घाट उतारे जाएंगे। यदि कोई उस देश से बाहर होगा तो मैं उसे जानवरों से मरवाऊँगा और खिलाऊँगा। यदि लोग किले और गुफाओं में छिपे होंगे तो वे रोग से मरेंगे। 28 मैं भूमि को खाली और बरबाद करूँगा। वह देश उन सभी चीजों को खो देगा जिन पर उसे गर्व था। इस्राएल के पर्वत खाली हो जाएंगे। उस स्थान से कोई गुजरेगा नहीं। 29 उन लोगों ने अनेक भयंकर पाप किये हैं। अत: मैं उस देश को खाली और बरबाद करूँगा। तब वे लोग जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ।”
30 “अब तुम्हारे विषय में, मनुष्य के पुत्र, तुम्हारे लोग दीवारों के सहारे झुके हुए और अपने दरवाजों में खड़े हैं और वे तुम्हारे बारे में बात करते हैं। वे एक दूसरे से कहते हैं, ‘आओ, हम जाकर सुनें जो यहोवा कहता है।’ 31 अत: वे तुम्हारे पास वैसे ही आते हैं जैसे वे मेरे लोग हों। वे तुम्हारे सामने मेरे लोगों की तरह बैठेंगे। वे तुम्हारा सन्देश सुनेंगे। किन्तु वे वह नहीं करेंगे जो तुम कहोगे। वे केवल वह करना चाहते हैं जो अनुभव करने में अच्छा हो। वे लोगों को धोखा देना चाहते हैं और अधिक धन कमाना चाहते हैं।
32 “तुम इन लोगों की दृष्टि में प्रेमगीत गाने वाले गायक से अधिक नहीं हो। तुम्हारा स्वर अच्छा है। तुम अपना वाद्य अच्छा बजाते हो। वे तुम्हारा सन्देश सुनेंगे किन्तु वे वह नहीं करेंगे जो तुम कहते हो। 33 किन्तु जिन चीजों के बारे में तुम गाते हो, वे सचमुच घटित होंगी और तब लोग समझेंगे कि उनके बीच सचमुच एक नबी रहता था!”
इस्राएल भेड़ों की एक रेवड़ की तरह है
34यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 2 “मनुष्य के पुत्र, मेरे लिए इस्राएल के गड़ेरियों (प्रमुखों) के विरुद्ध बातें करो। उनसे मेरे लिये बातें करो। उनसे कहो कि स्वामी यहोवा यह कहता है: ‘इस्राएल के गड़ेरियों (प्रमुखों) तुम केवल अपना पेट भर रहे हो। यह तुम्हारे लिये बहुत बुरा होगा। तुम गड़ेरियों, रेवड़ों का पेट क्यों नहीं भरते 3 तुम मोटी भेड़ों को खाते हो और अपने वस्त्र बनाने के लिये उनकी ऊन का उपयोग करते हो। तुम मोटी भेड़ को मारते हो, किन्तु तुम रेवड़ का पेट नहीं भरते। 4 तुमने दुर्बल को बलवान नहीं बनाया। तुमने रोगी भेड़ की परवाह नहीं की है। तुमने चोट खाई हुई भेड़ों को पट्टी नहीं बाँधी। कुछ भेड़ें भटक कर दूर चली गई और तुम उन्हें खोजने और उन्हें वापस लेने नहीं गए। तुम उन खोई भेड़ों को खोजने नहीं गए। नहीं, तुम क्रूर और कठोर रहे, यही मार्ग था जिस पर तुमने भेड़ों को ले जाना चाहा!
5 “‘और अब, भेड़ें बिखर गई हैं क्योंकि कोई गड़ेरिया नहीं था। वे हर एक जंगली जानवर का भोजन बनी। अत: वे बिखर गई। 6 मेरी रेवड़ सभी पर्वतों और ऊँची पहाड़ियों पर भटकी। मेरी रेवड़ धरती की सारी सतह पर बिखर गई। कोई भी उनकी खोज और देखभाल करने वाला नहीं था।’”
7 अत: तुम गड़ेरियों, यहोवा का वचन सुनो! मेरा स्वामी यहोवा कहता है, 8 “मैं अपनी जीवन की शपथ खाकर तुम्हें यह विश्वास दिलाता हूँ। जंगली जानवरों ने मेरी भेड़ों को पकड़ा। हाँ, मेरी रेवड़ सभी जंगली जानवरों का भोजन बन गई। क्यों क्योंकि उनका कोई ठीक गड़ेरिया नहीं था। मेरे गड़ेरियों ने मेरे रेवड़ की खोज नहीं की। उन गड़ेरियों ने भेड़ों को केवल मारा और स्वयं खाया। उन्होंने मेरी रेवड़ का पेट नहीं भरा।”
9 अत: तुम गड़ेरियों, यहोवा के सन्देश को सुनो! 10 यहोवा कहता है, “मैं उन गड़ेरियों के विरुद्ध हूँ! मैं उनसे अपनी भेड़ें मागूँगा! मैं उन पर आक्रमण करूँगा! वे भविष्य में मेरे गड़ेरिये नहीं रहेंगे! तब गड़ेरिये अपना पेट भी नहीं भर पाएंगे। मैं उनके मुख से अपनी रेवड़ को बचाऊँगा। तब मेरी भेड़ें उनका भोजन नहीं होंगी।”
11 मेरा स्वामी यहोवा कहता है, “मैं स्वयं उनका गड़ेरिया बनूँगा। मैं अपनी भेड़ों की खोज करूँगा। मैं उनको ढूँढूंगा। 12 यदि कोई गड़ेरिया अपनी भेड़ों के साथ उस समय है जब उसकी भेड़ें दूर भटकने लगी हों तो वह उनको खोजने जाएगा। उसी प्रकार मैं अपनी भेड़ों की खोज करूँगा। मैं अपनी भेड़ों को बचाऊँगा। मैं उन्हें उन स्थानों से लौटाऊँगा जहाँ वे उस बदली तथा अंधेरे में भटक गई थीं। 13 मैं उन्हें उन राष्ट्रों से वापस लाऊँगा। मैं उन देशों से उन्हें इकट्ठा करूँगा। मैं उन्हें उनके अपने देश में लाऊँगा। मैं उन्हें इस्राएल के पर्वतों पर, जलस्रोतों के सहारे, उन सभी स्थानों में, जहाँ लोग रहते है, खिलाऊँगा। 14 मैं उन्हें घास वाले खेतों में ले जाऊँगा। वे इस्राएल के पर्वतों के ऊँचे स्थानों पर जाएंगी। वहाँ वे अच्छी धरती पर सोएँगी और घास खाएंगी। वे इस्राएल के पर्वत पर भरी—पूरी घास वाली भूमि में चरेंगी। 15 हाँ, मैं अपने रेवड़ को खिलाऊँगा और उन्हें विश्राम के स्थान पर ले जाऊँगा।” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा था।
16 “मैं खोई भेड़ की खोज करूँगा। मैं उन भेड़ों को वापस लाऊँगा जो बिखर गई थीं। मैं उन भेड़ों की पट्टी करूँगा जिन्हें चोट लगी थी। मैं कमजोर भेड़ को मजबूत बनाऊँगा। किन्तु मैं उन मोटे और शक्तिशाली गड़ेरियों को नष्ट कर दूँगा। मैं उन्हें वह दण्ड दूँगा जिसके वे पात्र हैं।”
17 मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, “और तुम, मेरी रेवड़, मैं प्रत्येक भेड़ के साथ न्याय करूँगा। मैं मेढ़ों और बकरों के बीच न्याय करूँगा। 18 तुम अच्छी भूमि पर उगी घास खा सकते हो। अत: तुम उस घास को क्यों कुचलते हो जिसे दूसरी भेड़ें खाना चाहती हैं। तुम पर्याप्त स्वच्छ जल पी सकते हो। अत: तुम उस जल को हिलाकर गन्दा क्यों करते हो, जिसे अन्य भेड़ें पीना चाहती हैं। 19 मेरी रेवड़ उस घास को खाएंगी जिसे तुमने अपने पैरों से कुचला और वह पानी पीएंगी जिसे तुमने अपने पैरों से हिलाकर गन्दा कर दिया!”
20 अत: मेरा स्वामी यहोवा उनसे कहता है: “मैं स्वयं मोटी और पतली भेड़ों के साथ न्याय करूँगा! 21 तुम अपनी बगल से और अपने कन्धों से धक्का देकर और अपनी सींगों से सभी कमजोर भेड़ों को तब तक मार गिरोते हो, जब तक तुम उनको दूर चले जाने के लिये विवश नहीं करते। 22 अत: मैं अपनी रेवड़ को बचाऊँगा। वे भविष्य में जंगली जानवरों से नहीं पकड़ी जाएंगीं। मैं प्रत्येक भेड़ के साथ न्याय करूँगा। 23 तब मैं उनके उपर एक गड़ेरिया अपने सेवक दाऊद को रखूँगा। वह उन्हें अपने आप खिलाएगा और उनका गड़ेरिया होगा। 24 तब मैं यहोवा और स्वामी, उनका परमेश्वर होऊँगा और मेरा सेवक दाऊद उनके बीच रहने वाला शासक होगा। मैं (यहोवा) ने यह कहा है।
25 “मैं अपनी भेड़ों के साथ एक शान्ति—सन्धि करूँगा। मैं हानिकर जानवरों को देश से बाहर कर दूँगा। तब भेड़ें मरुभूमि में सुरक्षित रहेंगी और जंगल में सोएंगी। 26 मैं भेड़ों को और अपनी पहाड़ी (यरूशलेम) के चारों ओर के स्थानों को आशीर्वाद दूँगा। मैं ठीक समय पर वर्षा करूँगा। वे आशीर्वाद सहित वर्षा करेंगे। 27 खेतों में उगने वाले वृक्ष अपने फल देंगे। भूमि अपनी फसल देगी। अत: भेड़ें अपने प्रदेश में सुरक्षित रहेंगी। मैं उनके ऊपर रखे जूवों को तोड़ दूँगा। मैं उन्हें उन लोगों की शक्ति से बचाऊँगा जिन्होंने उन्हें दास बनाया। तब वे जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ। 28 वे जानवरों की तरह भविष्य में अन्य राष्ट्रों द्वारा बन्दी नहीं बनाये जाएंगे। वे जानवर उन्हें भविष्य में नहीं खाएंगे। अपितु अब वे सुरक्षित रहेंगे। कोई उन्हें आतंकित नहीं करेगा। 29 मैं उन्हें कुछ ऐसी भूमि दूँगा जो एक अच्छा उद्यान बनेगी। तब वे उस देश में भूख से पीड़ित नहीं होंगे। वे भविष्य में राष्ट्रों से अपमानित होने का कष्ट न पाएंगे। 30 तब वे समझेंगे कि मैं उनका परमेश्वर यहोवा हूँ। तब वे समझेंगे कि मैं उनके साथ हूँ। इस्राएल का परिवार समझेगा कि वे मेरे लोग हैं! मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा था!
31 “तुम मेरी भेड़ों, मेरी चरागाह की भेड़ों, तुम केवल मनुष्य हो और मैं तुम्हारा परमेश्वर हूँ।” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा।
एदोम के विरुद्ध सन्देश
35मुझे यहोवा का वचन मिला। उसने कहा, 2 “मनुष्य के पुत्र, सेईर पर्वत की ओर ध्यान दो और मेरे लिये इसके विरुद्ध कुछ कहो। 3 इससे कहो, ‘मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है:
“‘सेईर पर्वत, मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ!
मैं तुम्हें दण्ड दूँगा, मैं तुम्हें खाली बरबाद क्षेत्र कर दूँगा।
4 मैं तुम्हारे नगरों को नष्ट करूँगा,
और तुम खाली हो जाओगे।
तब तुम समझोगे कि मैं यहोवा हूँ।
5 “‘क्यों क्योंकि तुम सदा मेरे लोगों के विरुद्ध रहे। तुमने इस्राएल के विरुद्ध अपनी तलवारों का उपयोग उनकी विपत्ति के समय में किया, उनके अन्तिम दण्ड के समय में।’” 6 अत: मेरा स्वामी यहोवा कहता है, “मैं अपने जीवन की शपथ खाकर प्रतिज्ञा करता हूँ कि तुम्हें मैं मृत्यु के मुँह में भेजूँगा। मृत्यु तुम्हारा पीछा करेगी। तुम्हें व्यक्तियों के मारने से घृणा नहीं है, अत: मृत्यु तुम्हारा पीछा करेगी। 7 मैं सेईर पर्वत को खाली बरबाद कर दूँगा। मैं उस हर एक व्यक्ति को मार डालूँगा जो उस नगर से आएगा और मैं उस हर व्यक्ति को मार डालूँगा जो उस नगर में जाने का प्रयत्न करेगा। 8 मैं उसके पर्वतों को शवों से ढक दूँगा। वे शव तुम्हारी सारी पहाड़ियों, तुम्हारी घाटी और तुम्हारे सारे विषम जंगलों में फैले होंगे। 9 मैं तुझे सदा के लिये खाली कर दूँगा। तुम्हारे नगरों में कोई नहीं रहेगा। तब तुम समझोगे कि मैं यहोवा हूँ।”
10 तुमने कहा, “ये दोनों राष्ट्र और देश (इस्राएल और यहूदा) मेरे होंगे। हम उन्हें अपना बना लेंगे।”
किन्तु यहोवा वहाँ है! 11 मेरा स्वामी यहोवा कहता है, “तुम मेरे लोगों के प्रति ईर्ष्यालु थे। तुम उन पर क्रोधित थे और तुम मुझसे घृणा करते थे। अत: अपने जीवन की शपथ खाकर मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं तुम्हें वैसे ही दण्डित करूँगा जैसे तुमने उन्हें चोट पहुँचाई। मैं तुझे दण्ड दूँगा और अपने लोगों को समझने दूँगा कि मैं उनके साथ हूँ। 12 तब तुम भी समझोगे कि मैंने तुम्हारे लिये सभी अपमानों को सुना है।
“तुमने इस्राएल पर्वत के विरुद्ध बहुत सी बुरी बातें की हैं। तुमने कहा, ‘इस्राएल नष्ट कर दिया गया! हम लोग उसे भोजन की तरह चबा जाएंगे!’ 13 तुम गर्वीले थे तथा मेरे विरुद्ध तुमने बातें कीं। तुमने अनेक बार कहा और जो तुमने कहा, उसका हर एक शब्द मैंने सुना! हाँ, मैंने तुम्हें सुना।”
14 मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, “उस समय सारी धरती प्रसन्न होगी जब मैं तुम्हें नष्ट करूँगा। 15 तुम तब प्रसन्न थे जब इस्राएल देश नष्ट हुआ था। मैं तुम्हारे साथ वैसा ही व्यवहार करुँगा। सेईर पर्वत और एदोम का पूरा देश नष्ट कर दिया जाएगा। तब तुम समझोगे कि मैं यहोवा हूँ।”
समीक्षा
भेड़ की रखवाली करें
परमेश्वर ने इस्राएल के लीडर्स के विरूद्ध कहा - "इस्राएल के चरवाह" (34:2)। उन्होंने उन पर दोष लगाया कि वे केवल अपना ध्यान रखते हैं और भेड़ का ध्यान नहीं रखते हैं (व.8)। " तुम ने बीमारों को बलवान न किया, न रोगियों को चंगा किया, न घायलों के घावों को बाँधा, न निकाली हुई को लौटा लाए, न खोई हुई को खोजा" (व.4)।
परमेश्वर ने कहा, " मैं आप ही अपनी भेड़ -बकरियों की सुधि लूँगा, और उन्हें ढूँढूंगा... मैं आप ही अपनी भेड़-बकरियों का चरवाहा रहूँगा, और मैं आप ही उन्हें बैठाऊँगा, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है। मैं खोई हुई को ढूँढूँगा, और निकाली हुई को लौटा लाउँगा, और घायल के घाव बाँधूगा, और बीमार को बलवान करूँगा और जो बलवन्त हैं उन्हें मैं नष्ट करूँगा; मैं उनकी चरवाही न्याय से करूँगा" (वव.11,15-16)।
यहेजकेल के द्वारा परमेश्वर के लोगों के लिए परमेश्वर का संदेश का विषय याकूब के जैसा ही था। परमेश्वर ने यहेजकेल से कहा, " वे प्रजा के समान बैठकर तेरे वचन सुनते हैं, परन्तु वे उन पर चलते नहीं; मुँह से तो वे बहुत प्रेम दिखाते हैं, परन्तु उनका मन लालच ही में लगा रहता है।" (33:31-32, एम.एस.जी)।
अब हम कैसे जीएँ: जब हम अच्छे चरवाह की तुलना उन लोगों के साथ करते हैं जो भेड़ो का ध्यान नहीं रखते हैं, तो यह बात स्पष्ट है कि आप बहुत सी चीजों को करने के लिए बुलाए गए हैं:
1. कमजोरो को मजबूत करने के लिए
हम इसे अच्छी शिक्षा, प्रोत्साहन, प्रार्थना और समुदाय को बढ़ाने के द्वारा करते हैं।
2. बीमारो को चंगा करिए
उन सभी का सम्मान करिए जो चिकित्सीय काम करते हैं और जो बीमारों को चंगा करने में शामिल हैं। आप बीमारों पर हाथ रखकर यीशु के नाम में उनके लिए प्रार्थना कर सकते हैं।
3. घायल के घाव बाँधो
हमारे समाज में बहुत से टूटे हुए लोग हैं – बंदीगृह में, सड़क पर बेघर और कंपनी के बोर्डरूम्स में। परमेश्वर का आत्मा आपको सक्षम करता है टूटे हृदय को जोड़ने में, जैसे ही आप उनके लिए प्रार्थना करते हैं, उन्हें अपनाते हैं, उनकी बातें सुनते हैं और अपने समुदाय में उनकी देखभाल करते हैं।
4. भटके हुओं के पीछे जाइए
बहुत से ऊडाऊँ पुत्र और पुत्रियाँ हैं जो पिता से दूर चले गए हैं, खोई हुई भेड़ो के समान। पिता की बाँहो में वापस आने में उनकी सहायता कीजिए।
5. खोए हुओं को ढूँढ़िये
शायद से आपको कभी कभी दूसरी भेड़ो को छोड़कर उस भेड़ को ढूंढ़ने जाना होगा जो खो गई हैं, ताकि उनका मन फिराये और स्वर्ग में और आनंद लाये (लूका 15:1-7)।
6. न्याय के साथ चरवाही करिए
कुचले हुओ, जरुरतमंदो और गरीबों के लिए न्याय को खोजिए। हमें बच्चों, महिलाओं और पुरुषों को दासत्व से छुड़ाना चाहिए, अपराधीयों को न्याय में लाना है, बंधको को मुक्त करना है और उनकी देखभाल करनी है।
अपनी भेड़ों की रखवाली करने का परमेश्वर का वायदा नये चरवाह के वायदे के साथ जुड़ा हुआ है, "मेरा दास दाऊद" (यहेजकेल 34:23)। यह वायदा पीछे की ओर ऐतिहासिक राजा दाऊद की ओर संकेत करता है, जो इस्राएल का सर्वश्रेष्ठ चरवाह था, लेकिन यह आगे की ओर उससे भी बड़े "दाऊद" की ओर संकेत करता है जो इन सभी वायदों को पूरा करेंगे - यीशु।
यीशु ने कहा, "अच्छा चरवाह मैं हूँ" (यूहन्ना 10:14)। उनके द्वारा आप "आशीषों" को ग्रहण करते हैं (यहेजकेल 34:26) और उद्धार को (व.27)। वह कहते हैं, " तुम तो मेरी भेड़-बकरियाँ, मेरी चराई की भेड़- बकरियाँ हो, तुम तो मनुष्य हो, और मैं तुम्हारा परमेश्वर हूँ" (व.31)।
उनकी आशीषों में गोते लगाईये। प्रेम का एक जीवन जीएं। कमजोर को मजबूत करें। बीमारों को चंगा करें, घायल के घाव बाँधे, भटके हुओं को वापस लाये, खोये हुओं को ढूंढे और न्याय के साथ लोगों की रखवाली करे। आपको आज इसी तरह से जीना चाहिए।
प्रार्थना
परमेश्वर होने दीजिए कि मैं ना केवल आपके वचनों को सुनूं, बल्कि उन पर काम करुँ।
पिप्पा भी कहते है
याकूब 2:13ye
" दया न्याय पर जयवन्त होती है "
क्षमा करना सही होने से अधिक महत्वपूर्ण है।

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संदर्भ
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