दैवीय संपर्क
परिचय
आपके जीवन के लिए परमेश्वर ने दैवीय संपर्क को तैयार रखा है। संपर्क में सामर्थ होती है। संपर्क जीवन को लाते हैं। जब एक पति और पत्नी साथ आते हैं, बच्चे पैदा होते हैं। जब एक व्यक्ति का आत्मा और परमेश्वर का आत्मा साथ आते हैं, नया जन्म होता है। जब एक भाई और बहन एकता में साथ आते हैं, परमेश्वर अपनी आशीष देते हैं (भजनसंहिता 133)। जब पिंतेकुस्त के दिन चेले इकट्ठा हुए, वहाँ पर पवित्र आत्मा ऊँडेले गए।
शैतान संपर्क से डरता है। उसका लक्ष्य है आपको परमेश्वर से दूर करना। वह विवाह को तोड़ने की , मित्रता को तोड़ने की, चर्च में फूट डालने की, समुदाय को अलग करने की और लोगों को अकेला करने की कोशिश करता है। यद्यपि हमारी संस्कृति फेसबुक और इत्यादि के द्वारा पहले से ज्यादा एक दूसरे से जुड़ी हुई है, लोग पहले से ज्यादा अकेले हैं।
586 बी सी में, यहेजकेल ने युद्ध का एक दर्शन देखा; उन्होंने मृत्यु की घाटी देखी। घाटी हड्डियों से भरी हुई थी, हड्डियाँ बहुत सूख चुकी थी क्योंकि वे अलग हो चुकी थी। वे बिखर गई थी, टुकड़े –टुकडे हो गई थी, अलग हो गई, कट गई, "त्याग दी गई थी" और इसलिए सूख गई थी। परमेश्वर के लोग निर्वासन में थे और शत्रु ने उन्हें छितरा दिया था। वे कह रहे थे, " हमारी हड्डियाँ सूख गई, और हमारी आशा जाती रही; हम पूरी रीति से कट चुके हैं" (यहेजकेल 37ः11)। परमेश्वर यहेजकेल से पूछते हैं, " क्या ये हड्डियाँ जी सकती हैं:" (व.3)। उत्तर है हाँ, हाँ, हाँ।
भजन संहिता 129:1-8
मन्दिर का आरोहण गीत।
129पूरे जीवन भर मेरे अनेक शत्रु रहे हैं।
इस्राएल हमें उन शत्रुओं के बारे में बता।
2 सारे जीवन भर मेरे अनेक शत्रु रहे हैं।
किन्तु वे कभी नहीं जीते।
3 उन्होंने मुझे तब तक पीटा जब तक मेरी पीठ पर गहरे घाव नहीं बने।
मेरे बड़े—बड़े और गहरे घाव हो गए थे।
4 किन्तु भले यहोवा ने रस्से काट दिये
और मुझको उन दुष्टों से मुक्त किया।
5 जो सिय्योन से बैर रखते थे, वे लोग पराजित हुए।
उन्होंने लड़ना छोड़ दिया और कहीं भाग गये।
6 वे लोग ऐसे थे, जैसे किसी घर की छत पर की घास
जो उगने से पहले ही मुरझा जाती है।
7 उस घास से कोई श्रमिक अपनी मुट्ठी तक नहीं भर पाता
और वह पूली भर अनाज भी पर्याप्त नहीं होती।
8 ऐसे उन दुष्टों के पास से जो लोग गुजरते हैं।
वे नहीं कहेंगे, “यहोवा तेरा भला करे।”
लोग उनका स्वागत नहीं करेंगे और हम भी नहीं कहेंगे, “तुम्हें यहोवा के नाम पर आशीष देते हैं।”
समीक्षा
परमेश्वर के साथ दैवीय संपर्क
क्या आप कभी शत्रु के द्वारा ठोकर खाया हुआ महसूस करते हैं: या सबकुछ गलत होता हुआ दिखाई देता है। आप खोते हुए दिखाई देते हैं।या आप शत्रु से सताव का अनुभव कर रहे हैं (व.1)।
लेकिन विजय परमेश्वर से मिलती है। भजनसंहिता के लेखक कहते हैं, "मेरे बचपन से लोग मुझे बार बार क्लेश देते आए हैं...हल वालों ने मेरी पीठ के ऊपर हल चलाया, और लम्बी लम्बी रेखाएँ कीं।" यहोवा सत्यनिष्ठ हैं; उन्होंने दुष्टों के फन्दों को काट डाला है" (वव.1-4, एम.एस.जी)।
यीशु ने अपनी मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा आपके लिए विजय को संभव बनाया है, जो आपको परमेश्वर से जोड़ते हैं।
प्रार्थना
परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि आपसे जुड़ा रहूँ, सभी प्रहारों के बाबजूद।
याकूब 3:1-18
वाणी का संयम
3हे मेरे भाईयों, तुममें से बहुत से को उपदेशक बनने की इच्छा नहीं करनी चाहिए। तुम जानते ही हो कि हम उपदेशकों का और अधिक कड़ाई के साथ न्याय किया जाएगा।
2 मैं तुम्हें ऐसे इसलिए चेता रहा हूँ कि हम सबसे बहुत सी भूल होती ही रहती हैं। यदि कोई बोलने में कोई भी चूक न करे तो वह एक सिद्ध व्यक्ति है तो फिर ऐसा कौन है जो उस पर पूरी तरह काबू पा सकता है? 3 हम घोड़ों के मुँह में इसलिए लगाम लगाते हैं कि वे हमारे बस में रहें और इस प्रकार उनके समूचे देह को हम वश में कर सकते हैं। 4 अथवा जलयानो का उदाहरण भी लिया जा सकता है। देखो, चाहे वे कितने ही बड़े होते हैं और शक्तिशाली हवाओं द्वारा चलाए जाते हैं, किन्तु एक छोटी सी पतवार से उनका नाविक उन्हें जहाँ कहीं ले जाना चाहता है, उन पर काबू पाकर उन्हें ले जाता है। 5 इसी प्रकार जीभ, जो देह का एक छोटा सा अंग है, बड़ी-बड़ी बातें कर डालने की डींगे मारती है।
अब तनिक सोचो एक जरा सी लपट समूचे जंगल को जला सकती है। 6 हाँ, जीभ एक लपट है। यह बुराई का एक पूरा संसार है। यह जीभ हमारे देह के अंगों में एक ऐसा अंग है, जो समूचे देह को भ्रष्ट कर डालता है और हमारे समूचे जीवन चक्र में ही आग लगा देता है। यह जीभ नरक की आग से धधकती रहती है।
7 देखो, हर प्रकार के हिंसक पशु, पक्षी, रेंगने वाले जीव जंतु, पानी में रहने वाले प्राणी मनुष्य द्वारा वश में किए जा सकते हैं और किए भी गए हैं। 8 किन्तु जीभ को कोई मनुष्य वश में नहीं कर सकता। यह घातक विष से भरी एक ऐसी बुराई है जो कभी चैन से नहीं रहती। 9 हम इसी से अपने प्रभु और परमेश्वर की स्तुति करते हैं और इसी से लोगों को जो परमेश्वर की समरूपता में उत्पन्न किए गए हैं, कोसते भी हैं। 10 एक ही मुँह से आशीर्वाद और अभिशाप दोनों निकलते हैं। मेरे भाईयों, ऐसा तो नहीं होना चाहिए। 11 सोते के एक ही मुहाने से भला क्या मीठा और खारा दोनों तरह का जल निकल सकता है? 12 मेरे भाईयों क्या अंजीर के पेड़ पर जैतून या अंगूर की लता पर कभी अंजीर लगते हैं? निश्चय ही नहीं। और न ही खारे स्रोत से कभी मीठा जल निकल पाता है।
सच्चा विवेक
13 भला तुम में, ज्ञानी और समझदार कौन है? जो है, उसे अपने व्यवहार से यह दिखाना चाहिए कि उसके कर्म उस सज्जनता के साथ किए गए हैं जो ज्ञान से जुड़ी है। 14 किन्तु यदि तुम लोगों के हृदयों में भयंकर ईर्ष्या और स्वार्थ भरा हुआ है, तो अपने ज्ञान का ढोल मत पीटो। ऐसा करके तो तुम सत्य पर पर्दा डालते हुए असत्य बोल रहे हो। 15 ऐसा “ज्ञान” तो ऊपर अर्थात् स्वर्ग से, प्राप्त नहीं होता, बल्कि वह तो भौतिक है। आत्मिक नहीं है। तथा शैतान का है। 16 क्योंकि जहाँ ईर्ष्या और स्वार्थपूर्ण महत्त्वकाँक्षाएँ रहती हैं, वहाँ अव्यवस्था और हर प्रकार की बुरी बातें रहती है। 17 किन्तु स्वर्ग से आने वाला ज्ञान सबसे पहले तो पवित्र होता है, फिर शांतिपूर्ण, सहनशील, सहज-प्रसन्न, करुणापूर्ण होता है। और उससे उत्तम कर्मों की फ़सल उपजती है। वह पक्षपात-रहित और सच्चा भी होता है। 18 शांति के लिए काम करने वाले लोगों को ही धार्मिक जीवन का फल प्राप्त होगा यदि उसे शांतिपूर्ण वातावरण में बोया गया है।
समीक्षा
एक स्वस्थ समुदाय में दैवीय संपर्क
सूखी हड्डियाँ फिर जी सकती हैं जैसे ही हड्डियाँ एक दूसरे से फिर जुड़ जाती हैं। " मिलाप कराने वाले सत्यनिष्ठा का फल मेल- मिलाप के साथ बोते हैं " (व.18)। किंतु, कुछ शर्तें हैं जो याकूब प्रेरित लिखते हैं।
वह जीभ के विषय में चेतावनी देते हैं – विशेष रूप से हम जैसे लोगों को जो सिखाते हैं:"सिखाना बहुत ही उत्तरदायित्व का काम है। हम उपदेशक और भी दोषी ठहरेंगे" (व.1, एम.एस.जी)। सांत्वना देते हुए वह कहते हैं, " हम सब बहुत बार चूक जाते हैं" (व.2) – निश्चित ही मैं करता हूँ।
जीभ एक शक्तिशाली छोटा उपकरण है जो बहुत कुछ अच्छा कर सकती है और बहुत कुछ बुरा भी कर सकती है। यह जोड़ सकती है या अलग कर सकती हैः " जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं, वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है" (व.8, एम.एस.जी)।
संबंध, यहाँ तक कि विवाह का अक्सर अंत हो जाता है, उन चीजों के कारण जो कहे गए या नहीं कहे गए। लोग अपनी नौकरी, अपना सम्मान खो देते हैं, विवाद शुरु कर देते हैं या यहाँ तक कि अपने शब्दों के द्वारा युद्ध शुरु कर देते हैं।
कठोर, अनुचित शब्दों में विनाशकारी सामर्थ हैः" इसी से हम प्रभु और पिता की स्तुति करते हैं, और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्वरूप में उत्पन्न हुए हैं श्राप देते हैं" (व.9)। श्राप देने का अर्थ है बुराई करना। आशीष देने का अर्थ है अच्छा बोलना। नकारात्मक रूप से मत बोलिये। जीभ को नियंत्रित करना सीखिये ताकि आप लोगों से और लोगों के विषय में आशीष के वचनों को बोले।
जीवन के वचनों को बोलिए। आपके वचनों में संपर्क के लिए महान सामर्थ है। आप चंगाई, उत्साह और बढ़ोत्तरी को ला सकते हैं। आपके शब्द एक व्यक्ति का दिन या यहाँ तक कि उनका जीवन बदल सकते हैं।
प्रेरित याकूब आगे बताते हैं " जो ज्ञान ऊपर से आता है" (व.17)। वह लिखते हैं, " तुम में ज्ञानवान और समझदार कौन है: जो ऐसा हो वह अपने कामों को अच्छे चाल -चलन से उस नम्रता सहित प्रकट करे जो ज्ञान से उत्पन्न होती है" (व.13, एम.एस.जी)।
सभी कड़वी ईर्ष्या और स्वार्थी अभिलाषा से छुटकारा पा लीजिए (व.14)। वे सांसारिक हैं, शैतान की ओर से हैं और सभी प्रकार की अस्तव्यस्तता और बुरे कामों को लाती है (वव.14-15)।
किंतु, जो ज्ञान ऊपर से आता है " वह पहले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया और अच्छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है। मिलाप कराने वाले सत्यनिष्ठा का फल मेल- मिलाप के साथ बोते हैं" (वव.17-18)।
यदि आप इस तरह से जीएँगे, तो आपका जीवन महान प्रभाव बनायेगा। यह "एक दूसरे के साथ मेल-मिलाप करने का कठिन परिश्रम है, एक दूसरे के साथ शालीनता से पेश आना और सम्मान करना" (व.18, एम.एस.जी)। यदि आप अपने आस-पास के लोगों के साथ कठिन परिश्रम करेंगे, तो आप "सत्यनिष्ठा की एक फसल काटेंगे, " और आप समाज पर एक बड़ा प्रभाव बनायेंगे।
प्रार्थना
परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि एक शांति लाने वाला व्यक्ति बनूँ जो लोगों को जोड़ता है; शांति को बोते हुए और सत्यनिष्ठा की फसल को उत्पन्न करते हुए।
यहेजकेल 36:1-37:28
इस्राएल देश का फिर निर्माण किया जाएगा
36“मनुष्य के पुत्र, मेरे लिए इस्राएल के पर्वतों से कहो। इस्राएल के पर्वतों को यहोवा का वचन सुनने को कहो! 2 उनसे कहो कि स्वामी यहोवा यह कहता है, ‘शत्रु ने हमें छला है। उन्होंने कहा: अहा! अब प्राचीन पर्वत हमारा होगा!’
3 “अत: मेरे लिये इस्राएल के पर्वतों से कहो। कहो कि स्वामी यहोवा यह कहता है, ‘शत्रु ने तुम्हें खाली किया। उन्होंने तुम्हें चारों ओर से कुचल डाला है। उन्होंने ऐसा किया अत: तुम अन्य राष्ट्रों के अधिकार में गए। तब तुम्हारे बारे मे लोगों ने बातें और कानाफूसी की।’”
4 अत: इस्राएल के पर्वतों, मेरे स्वामी यहोवा के वचन को सुनो। मेरा स्वामी यहोवा पर्वतों, पहाड़ियों, धाराओं, घाटियों, खाली खण्डहरों और छोड़े गए नगरों से, जो चारों ओर के अन्य राष्ट्रों द्वारा लूटे और मजाक उड़ाए गए कहता है। 5 मेरा स्वामी यहोवा कहता है: “मैं शपथ खाता हूँ कि मैं अपनी तीव्र अनुभूतियों को अपने लिये बोलने दूँगा। मैं एदोम और अन्य राष्ट्रों को अपने क्रोध का अनुभव कराऊँगा। उन राष्ट्रों ने मेरा देश अपना बना लिया! वे उस देश को लेकर बड़े प्रसन्न हुए। उन्होंने देश को अपना बना लिया!”
6 “इसलिये इस्राएल देश के बारे में ये कहो। पर्वतों, पहाड़ियों, धाराओं और घाटियों से कहो। यह कहो कि स्वामी यहोवा यह कहता है, ‘मैं अपनी तीव्र अनुभूतियों और क्रोध को अपने लिये बोलने दूँगा। क्यों क्योंकि इन राष्ट्रों से तुम्हें अपमान की पीड़ा मिली है।’”
7 अत: मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, “मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि तुम्हारे चारों ओर के राष्ट्र अपमान का कष्ट भोगेंगे।”
8 “किन्तु इस्राएल के पर्वतों, तुम मेरे इस्राएल के लोगों के लिये नये पेड़ उगाओगे और फल पैदा करोगे। मेरे लोग शीघ्र लौटेंगे। 9 मैं तुम्हारे साथ हूँ। मैं तुम्हारी सहायता करूँगा। लोग तुम्हारी भूमि जोतेंगे। लोग बीज बोएंगे। 10 तुम्हारे ऊपर असंख्य लोग रहेंगे। इस्राएल का सारा परिवार और सभी लोग वहाँ रहेंगे। नगरों में, लोग रहने लगेंगे। नष्ट स्थान नये स्थानों की तरह बनेंगे। 11 मैं तुम्हें बहुत से लोग और जानवर दूँगा। वे बढ़ेंगे और उनके बहुत बच्चे होंगे। मैं तुम्हारे ऊपर रहने वाले लोगों को वैसे ही तुम्हें प्राप्त कराऊँगा, जैसे तुमने पहले किया था। मैं तुम्हें तुम्हारे आरम्भ से भी अच्छा बनाऊँगा। तुम फिर कभी उनको, उनके सन्तानों से वंचित नही करोगे। तब तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ। 12 हाँ, मैं अपने लोग, इस्राएल को तुम्हारी भूमि पर चलाऊँगा। वे तुम पर अधिकार करेंगे और तुम उनके होगे। तुम उन्हें बिना बच्चों के फिर कभी नहीं बनाओगे।”
13 मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, “हे इस्राएल देश लोग तुमसे बुरी बातें कहते हैं। वे कहते हैं कि तुमने अपने लोगों को नष्ट किया। वे कहते हैं कि तुम बच्चों को दूर ले गए। 14 अब भविष्य में तुम लोगों को नष्ट नहीं करोगे। तुम भविष्य में बच्चों को दूर नहीं ले जाओगे।” मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं थीं। 15 “मैं उन अन्य राष्ट्रों को तुम्हें और अधिक अपमानित नहीं करने दूँगा। तुम उन लोगों से और अधिक चोट नहीं खाओगे। तुम उनको बच्चों से रहित फिर कभी नहीं करोगे।” मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं।
यहोवा अपने अच्छे नाम की रक्षा करेगा
16 तब यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 17 “मनुष्य के पुत्र, इस्राएल का परिवार अपने देश में रहता था। किन्तु उन्होंने उस देश को उन कामों से गन्दा बना दिया जो उन्होंने किया। मेरे लिये वे ऐसी स्त्री के समान थे जो अपने मासिक धर्म से अशुद्ध हो गई हो। 18 उन्होंने जब उस देश में लोगों की हत्या की तो उन्होंने धरती पर खून फैलाया। उन्होंने अपनी देवमूर्तियों से देश को गन्दा किया। अत: मैंने उन्हें दिखाया कि मैं कितना क्रोधित था। 19 मैंने उन्हें राष्ट्रों में बिखेरा और सभी देशों में फैलाया। मैंने उन्हें वही दण्ड उस बुरे काम के लिये दिया जो उन्होंने किया। 20 वे उन अन्य राष्ट्रों को गये और उन देशों में भी उन्होंने मेरे अच्छे नाम को बदनाम किया। कैसे वहाँ राष्ट्रों ने उनके बारे में बातें कीं। उन्होंने कहा, ये यहोवा के लोग हैं किन्तु इन्होंने उसका देश छोड़ दिया तो जरुर यहोवा में कुछ खराबी होगी!
21 “इस्राएल के लोगों ने मेरे पवित्र नाम को जहाँ कहीं वे गये, बदनाम किया। मैंने अपने नाम के लिये दु:ख अनुभव किया। 22 अत: इस्राएल के परिवार से कहो कि स्वामी यहोवा यह कहता है, ‘इस्राएल के परिवार, तुम जहाँ गए वहाँ तुमने मेरे पवित्र नाम को बदनाम किया। इसे रोकने के लिये मैं कुछ करने जा रहा हूँ। मैं यह तुम्हारे लिये नहीं करूँगा। इस्राएल, मैं इसे अपने पवित्र नाम के लिये करूँगा। 23 मैं उन राष्ट्रों को दिखाऊँगा कि मेरा महान नाम सच में पवित्र है। तब वे राष्ट्र जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ।’” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा था।
24 परमेश्वर ने कहा, “मैं तुम्हें उन राष्ट्रों से बाहर निकालूँगा, एक साथ इकट्ठा करूँगा और तुम्हें तुम्हारे अपने देश में लाऊँगा। 25 तब मैं तुम्हारे ऊपर शुद्ध जल छिड़कूँगा और तुम्हें शुद्ध करुँगा। मैं तुम्हारी सारी गन्दगियों को धो डालूँगा और उन घृणित देवमूर्तियों से उत्पन्न गन्दगी को धो डालूँगा।”
26 परमेश्वर ने कहा, “मैं तुम में नयी आत्मा भी भरूँगा और तुम्हारे सोचने के ढंग को बदलूँगा। मैं तुम्हारे शरीर से कठोर हृदय को बाहर करुंगा और तुम्हें एक कोमल मानवी हृदय दूँगा। 27 मैं तुम्हारे भीतर अपनी आत्मा प्रतिष्ठित करूँगा। मैं तुम्हें बदलूँगा जिससे तुम मेरे नियमों का पालन करोगे। तुम सावधानी से मेरे आदेशों का पालन करोगे। 28 तब तुम उस देश में रहोगे जिसे मैंने तुम्हारे पूर्वजों को दिया था। तुम मेरे लोग रहोगे और मैं तुम्हारा परमेश्वर रहूँगा।”
29 परमेश्वर ने कहा, “मैं तुम्हें बचाऊँगा भी और तुम्हें अशुद्ध होने से रोकूँगा। मैं अन्न को उगने के लिये आदेश दूँगा। मैं तुम्हारे विरुद्ध भूखमरी का समय नहीं लाऊँगा। 30 मैं तुम्हारे वृक्षों से फलों की बड़ी फसलें और खेतों से अन्न की फसलें दूँगा। तब तुम अन्य देशों में भूखे रहने की लज्जा फिर कभी अनुभव नहीं करोगे। 31 तुम उन बुरे कामों को याद करोगे जो तुमने किये। तुम याद करोगे कि वे काम अच्छे नहीं थे। तब तुम अपने पापों और जो भयंकर काम किये उनके लिये तुम स्वयं अपने से घृणा करोगे।”
32 मेरा स्वामी यहोवा कहता है, “मैं चाहता हूँ कि तुम यह याद रखो: मैं तुम्हारी भलाई के लिये ये काम नहीं कर रहा हूँ! मैं उन्हें अपने अच्छे नाम के लिये कर रहा हूँ। इस्राएल के परिवार, तुम्हें अपने रहने के ढंग पर लज्जित और व्याकुल होना चाहिये!”
33 मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, “जिस दिन मैं तुम्हारे पापों को धोऊँगा, मैं लोगों को वापस तुम्हारे नगरों में लाऊँगा। वे नष्ट नगर फिर बनाए जाएंगे। 34 खाली पड़ी भूमि फिर जोती जाएगी। यहाँ से गुजरने वाले हर एक को यह बरबादियों के ढेर के रूप में नहीं दिखेगा। 35 वे कहेंगे, ‘अतीत में यह देश नष्ट हो गए थे। लेकिन अब ये अदन के उद्यान जैसे हैं। नगर नष्ट हो गये थे। वे बरबाद और खाली थे। किन्तु अब वे सुरक्षित हैं और उनमें लोग रहते हैं।’”
36 परमेश्वर ने कहा, “तब तुम्हारे चारों ओर के राष्ट्र समझेंगे कि मैं यहोवा हूँ और मैंने उन नष्ट स्थानों को फिर बसाया। मैंने इस प्रदेश में, जो खाली पड़ा था पेड़ों को रोपा। मैं यहोवा हूँ। मैंने यह कहा और मैं इसे घटित कराऊँगा!”
37 मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, “मैं इस्राएल के परिवार से उनके लिये यह करने की याचना कराऊँगा। मैं उनको असंख्य लोग बनाऊँगा। वे भेड़ों की रेवड़ों की तरह होंगे। 38 यरूशलेम में विशेष त्योहार के अवसर के समय (बकरियों—भेड़ों की रेवड़ों की तरह, लोग होंगे) नगर और बरबाद स्थान, लोगों के झुण्ड से भर जाएंगे। तब वे समझेंगे कि मैं यहोवा हूँ।”
सूखी हड्डियों का दर्शन
37यहोवा की शक्ति मुझ पर उतरी। यहोवा की आत्मा मुझे नगर के बाहर ले गई और नीचे एक घाटी के बीच में रखा। घाटी मरे लोगों की हड्डियों से भरी थी। 2 घाटी में असंख्य हड्डियाँ भूमि पर पड़ी थी। यहोवा ने मुझे हड्डियों के चारों ओर घुमाया। मैंने देखा कि हड्डियाँ बहुत सूखी हैं।
3 तब मेरे स्वामी यहोवा ने मुझसे कहा, “मनुष्य के पुत्र, क्या यह हड्डियाँ जीवित हो सकती हैं”
मैंने उत्तर दिया, “मेरे स्वामी यहोवा, उस प्रश्न का उत्तर केवल तू जानता है।”
4 मेरे स्वामी यहोवा ने मुझसे कहा, “उन हड्डियों से मेरे लिये बातें करो। उन हड्डियों से कहो, ‘सूखी हड्डियों, यहोवा का वचन सुनों! 5 मेरा स्वामी यहोवा तुम से यह कहता है: मैं तुममें आत्मा को आने दूँगा और तुम जीवित हो जाओगे! 6 मैं तुम्हारे ऊपर नसें और माँस पेशियाँ चढ़ाऊँगा और मैं तुम्हें चमड़ी से ढक दूँगा। तब मैं तुम में प्राण का संचार करुँगा और तुम फिर जीवित हो उठोगे। तब तुम समझोगे कि मैं स्वामी यहोवा हूँ।’”
7 अत: मैंने यहोवा के लिये उन हड्डियों से वैसे ही बातें कीं जैसा उसने कहा। मैं जब कुछ कह ही रहा था तभी मैंने प्रचण्ड ध्वनि सुनी। हड्डियाँ खड़खड़ाने लगीं और हड्डियाँ हड्डियों से एक साथ जुड़ीं! 8 वहाँ मेरी आँखों के सामने नसों, माँस पेशियों और त्वचा ने हड्डियों को ढकना आरम्भ किया। किन्तु शरीर हिले नहीं, उनमें प्राण नहीं था।
9 तब तेरे स्वामी यहोवा ने मुझसे कहा, “सांस से मेरे लिये कहो। मनुष्य के पुत्र, मेरे लिये सांस से बातों करो। सांस से कहो कि स्वामी यहोवा यह कह रहा है: ‘सांस, हर दिशा से आओ और इन शवों में प्राण संचार करो। उनमें प्राण संचार करो और वे फिर जीवित हो जाएंगे!’”
10 इस प्रकार मैंने यहोवा के लिये सांस से बातें कीं जैसा उसने कहा और शवों में सांस आई। वे जीवित हुए और खड़े हो गये। वहाँ बहुत से पुरुष थे, वे एक बड़ी विशाल सेना थे!
11 तब मेरे स्वामी यहोवा ने मुझसे कहा, “मनुष्य के पुत्र, ये हड्डियाँ इस्राएल के पूरे परिवार की तरह हैं! इस्राएल के लोग कहते है, हमारी हड्डियाँ सूख गई है, ‘हमारी आशा समाप्त है। हम पूरी तरह नष्ट किये जा चुके हैं।’ 12 इसलिये उनसे मेरे लिये बातें करो। उनसे कहो, ‘स्वामी यहोवा यह कहता है: मेरे लोगों, मैं तुम्हारी कब्रें खोलूँगा और तुम्हें कब्रों के बाहर लाऊँगा! तब मैं तुम्हें इस्राएल की भूमि पर लाऊँगा। 13 मेरे लोगों, मैं तुम्हारी कब्रें खोलूँगा और तुम्हारी कब्रों से तुम्हें बाहर लाऊँगा। तब तुम समझोगे कि मैं यहोवा हूँ। 14 मैं अपनी आत्मा तुममे डालूँगा और तुम फिर से जीवित हो जाओगे। तब तुमको मैं तुम्हारे देश में वापस लाऊँगा। तब तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ। तुम जानोगे कि मैंने ये बातें कहीं और उन्हें घटित कराया।’” यहोवा ने यह कहा था।
यहूदा और इस्राएल का फिर एक होना
15 मुझे यहोवा का वचन फिर मिला। उसने कहा, 16 “मनुष्य के पुत्र, एक छड़ी लो और उस पर यह सन्देश लिखो: ‘यह छड़ी यहूदा और उसके मित्र इस्राएल के लोगों की है।’ तब दूसरी छड़ी लो और इस पर लिखो, ‘एप्रैम की यह छड़ी, यूसुफ और उसके मित्र इस्राएल के लोगों की है।’ 17 तब दोनों छड़ियों को एक साथ जोड़ दो। तुम्हारे हाथ में वे एक छड़ी होंगी।
18 “तुम्हारे लोग यह स्पष्ट करने को कहेंगे कि इसका अर्थ क्या है। 19 उनसे कहो कि स्वामी यहोवा कहता है, ‘मैं यूसुफ की छड़ी लूँगा जो इस्राएल के लोगों, जो एप्रैम और उसके मित्रों के हाथ में है। तब मैं उस छड़ी को यहूदा की छड़ी के साथ रखूँगा और इन्हें एक छड़ी बनाऊँगा। मेरे हाथ में वह एक छड़ी होगी!’
20 “उनके आँखों के सामने उन छड़ियों को अपने हाथों में पकड़ो। तुमने वे नाम उन छड़ियों पर लिखे थे। 21 लोगों से कहो कि स्वामी यहोवा यह कहता है: ‘मैं इस्राएल के लोगों को उन राष्ट्रों से लाऊँगा, जहाँ वे गए हैं। मैं उन्हें चारों ओर से एकत्रित करूँगा और उनके अपने देश में लाऊँगा। 22 मैं उन्हें इस्राएल के पर्वतों के प्रदेश में एक राष्ट्र बनाऊँगा। उन सभी का केवल एक राजा होगा। वे दो राष्ट्र नहीं बने रहेंगे। वे भविष्य में राज्यों में नहीं बाँटे जा सकते। 23 वे अपनी देवमूर्तियों और भयंकर मूर्तियों या अपने अन्य किसी अपराध से अपने आपको गन्दा बनाते नहीं रहेंगे। किन्तु मैं उन्हें सभी पापों से बचाता रहूँगा, चाहे वे जहाँ कहीं भी हों। मैं उन्हें नहलाऊँगा और शुद्ध करूँगा। वे मेरे लोग होंगे और मैं उनका परमेश्वर रहूँगा।
24 “‘मेरा सेवक दाऊद उनके ऊपर राजा होगा। उन सभी का केवल एक गड़ेरिया होगा। वे मेरे नियमों के सहारे रहेंगे और मेरे विधियों का पालन करेंगे। वे वह काम करेंगे जो मैं कहूँगा। 25 वे उस भूमि पर रहेंगे जो मैंने अपने सेवक याकूब को दी। तुम्हारे पूर्वज उस स्थान पर रहते थे और मेरे लोग वहाँ रहेंगे। वे, उनके बच्चे और उनके पौत्र—पौत्रियाँ वहाँ सर्वदा रहेंगी और मेरा सेवक दाऊद उनका प्रमुख सदा रहेगा। 26 मैं उनके साथ एक शान्ति—सन्धि करूँगा। यह सन्धि सदा बनी रहेगी। मैं उनको उनका देश देना स्वीकार करता हूँ। मैं उन्हें बहुसंख्यक लोग बनाना स्वीकार करता हूँ। मैं अपना पवित्र स्थान वहाँ उनके साथ सदा के लिये रखना स्वीकार करता हूँ। 27 मेरा पवित्र तम्बू वहाँ उनके बीच रहेगा। हाँ, मैं उनका परमेश्वर और वे मेरे लोग होंगे। 28 तब अन्य राष्ट्र समझेंगे कि मैं यहोवा हूँ और वे जानेंगे कि मैं इस्राएल को, उनके बीच सदा के लिये अपना पवित्र स्थान रखकर, अपने विशेष लोग बना रहा हूँ।’”
समीक्षा
पवित्र आत्मा के द्वारा दैवीय संपर्क
आखिरकार आशा है! सूखी हड्डियाँ जी सकती हैं! हमने न्याय के विषय में बहुत सी भविष्यवाणीयों को पढ़ा है। लेकिन परमेश्वर कार्य करने वाले हैं। परमेश्वर अपने लोगों से कहते हैं, " क्योंकि उसका लौट आना निकट है। देखो, मैं तुम्हारे पक्ष में हूँ, और तुम्हारी ओर कृपादृष्टि करूँगाः मैं तुम में मनुष्य और पशु दोनों को बहुत बढ़ाउँगा; और वे बढ़ेंगे और फूले – फलेंगे; और मैं तुम को प्राचीनकाल के समान बसाउँगा, और पहले से अधिक तुम्हारी भलाई करूँगा" (36:8-11, एम.एस.जी)। यह कैसे होगा: इस लेखांश में हम तीन दैवीय जोड़ने वालों को देखते हैं – विश्व के सबसे महान वायरलेस जोड़ने वालेः
- परमेश्वर का वचन
परमेश्वर का वचन आपको परमेश्वर के साथ जोड़ता है और आपके संबंधो को बदलता हैः"इन हड्डियों से भविष्यवाणी करके कह, "हे सूखी हड्डियों, यहोवा का वचन सुनो" (37:4)। मैं अपने जीवन में, मैं आत्मिक रूप से सूखा हुआ था। असल में, मैं मरा हुआ था। मेरे बहुत से मित्र थे लेकिन कोई गहरा संबंध नहीं था। लेकिन तब मैंने नया नियम पढ़ा। मैंने परमेश्वर का वचन सुना। मैं परमेश्वर के साथ जुड़ गया और मैंने दूसरों के साथ अत्यधिक गहरे संबंध का अनुभव किया। सुधार के परमेश्वर का वायदा बहुत ही शक्तिशाली हैः"मैं तुम को नया मन दूँगा, और तुम्हारे भीतर नई आत्मा उत्पन्न करूँगा, और तुम्हारी देह में से पत्थर का हृदय निकालकर तुम को मांस का हृदय दूँगा। मैं अपना आत्मा तुम्हारे भीतर देकर ऐसा करूँगा कि तुम मेरी विधियों पर चलोगे और मेरे नियमों को मानकर उनके अनुसार करोगे" (36:26-27)।
परमेश्वर उन चीजों को पुनर्जीवित कर सकते हैं जो सूखी थी और मरी हुई थी। जब परमेश्वर का वचन और परमेश्वर का आत्मा एक साथ आते हैं, तब वहाँ पर पुनरुत्थानी जीवन और परमेश्वर का ज्ञान आता है। जो मनुष्यो के लिए असंभव है वह परमेश्वर की सामर्थ से संभव बन जाता है। परमेश्वर के बिना, चर्च सच में टूट जाएगा, जैसा कि विश्व हमें बताता है। लेकिन परमेश्वर के साथ, यें सूखी हड्डियाँ फिर जी उठेंगी।
- मसीह की देह
चर्च की एकता बहुत महत्वपूर्ण है। हमें एकता के दृश्य चिह्नों की आवश्यकता है, चर्च के विभिन्न भागों में दैवीय संपर्क और हर स्थानीय कलीसिया के अंदर। यूहन्ना 17 में यीशु ने इसके लिए प्रार्थना की थी। यहाँ पर परमेश्वर यहेजकेल को एक दर्शन देते हैं, दो लकड़ीयों का इस्तेमाल करके उस एकता को बताते हुए जो परमेश्वर स्थापित करने वाले हैं:" फिर उन लकड़ियों को एक दूसरे से जोड़कर एक ही कर ले कि वे तेरे हाथ में एक ही लकड़ी बन जाएँ ... उन सभों का एक ही राजा होगा ... उन सभों का एक ही चरवाहा होगा" (यहेजकेल 37:17,22,24)।
यह मसीह की देह की एकता की परछाई है (इफीसियों 4:4-6)। परमेश्वर वायदा करते हैं, " मैं उनका परमेश्वर हूँगा, और वे मेरी प्रजा होंगे" (यहेजकेल 37:27)। चर्च की एकता के कारण शहर फिर से बसेंगे (36:33-38)ः " जो नगर अब खण्डहर हैं वे अनगिनित मनुष्यों के झुण्डों से भर जाएँगे" (व.38)। फिर से एकता का दर्शन मुझे हमारे देश में और विश्व भर में चर्च के लिए आशा प्रदान करता है। परमेश्वर ने कभी अपने लोगों को नहीं छोड़ा, और हमेशा से उनकी योजना है कि हमें फिर से बसाये और हमें बचाये।
- पवित्र आत्मा
सूखी हड्डियों में "साँस कुछ न थी " (37:8), लेकिन परमेश्वर ने कहा, " तब उसने मुझ से कहा, " साँस से भविष्यवाणी कर, और साँस से भविष्यवाणी करके कह, हे साँस परमेश्वर यहोवा यों कहता है: चारों दिशाओं से आकर इन घात किए हुओं में समा जा कि ये जी उठें।" उनकी इस आज्ञा के अनुसार मैंने भविष्यवाणी की, तब साँस उन में आ गई, और वे जीकर अपने अपने पाँवों के बल खड़े हो गए; और एक बहुत बड़ी सेना हो गई" (वव.9-10)। कोई अंग्रेजी अनुवाद इब्रानी शब्द "रुआच" के साथ न्याय नहीं कर सकता है। यह पुराने नियम में 400 बार दिखाई देता है (और इस लेखांश में विभिन्न अंग्रेजी शब्दों के रूप में इसका अनुवाद किया गया है - "साँस" (वव.8-9), "हवा" (व.9), और "आत्मा" (वव.1,14)। यह आत्मा नया जीवन लाता हैः" मैं तुम्हारी कब्रें खोलकर"
तुम को उन से निकालूँगा ... मैं तुम में अपना आत्मा समाउँगा, और तुम जीओगे" (वव.12,14)। यह पुनरुत्थानी सामर्थ आपके अंदर है, जो नया जीवन लाती हैः" उन्ही का आत्मा जिन्होंने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया, तुम में बसा हुआ है" (रोमियों 8:11)।
वहाँ पर खड़खड़ाने की आवाज होती है जैसे ही हड्डियाँ एक दूसरे से जुड़ने लगती हैं। दैवीय संपर्क की आवाज जो फिर से बन रही है। अपनी आत्मा से उनके चर्च में परमेश्वर के द्वारा नया जीवन दिए जाने की आवाज। चर्च उठेंगे, आत्मा से भरे लोगों की एक बड़ी सेना, सामर्थ से भरी हुई, जिसका उद्देश्य एक ही है।
प्रार्थना
परमेश्वर, अपने लोगों में नया जीवन दीजिए। सूखी हड्डियों से एक बड़ी सेना खड़ी कीजिए ताकि सारे देश जान लें कि यीशु मसीह ही प्रभु हैं।
पिप्पा भी कहते है
यहेजकेल 36:26
" मैं तुम को नया मन दूँगा, और तुम्हारे भीतर नई आत्मा उत्पन्न करूँगा"
हम हाल ही में अल्फा की छुट्टियों से आए हैं, जहाँ पर हमने पत्थर के हृदय को पिघलकर माँस का हृदय बनते हुए देखा –एक असाधारण दृश्य।
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संदर्भ
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।