आत्मिक रूप से कैसे बढ़ें
परिचय
मुझे वह पहली रात बहुत अच्छी तरह से याद है। हर बार जब हम हल्की सी आवाज सुनते थे, हम बिस्तर से तेजी से उठकर उसे उठा लेते थे। वह बहुत ही छोटा था –एक हाथ जितना भी नहीं था। यह एक नया जीवन था। हमारा पहला बच्चा पैदा हुआ था। हमें बहुत गर्व था। रात में तीन या चार बार, वह दूध के लिए उठ जाता था। पीपा उसे नियमित रूप से दूध पिलाती थी। निश्चित ही, वह बड़ा हो गया है। अब जैसे ही मैं उसकी ओर देखता हूँ, वह लगभग पीपा के दुगुने आकार का है, यह विश्वास करना मुश्किल है कि वह कभी छोटा था।
नया जन्म एक उत्साहित करने वाला पल है। वैसे ही नया आत्मिक जन्म। यीशु ने कहा, " यदि कोई नये सिरे से न जन्मे तो परमेश्वर का राज्य देख नहीं सकता" (यूहन्ना 3:3)। आज के लिए हमारे लेखांश में, पतरस "नये जन्म" के विषय में लिखते हैं (1पतरस 1:3)। " जिसने यीशु मसीह को मरे हुओं में से जी उठने के द्वारा, अपनी बड़ी दया से हमें जीवित आशा के लिये नया जन्म दिया" (व.3, एम.एस.जी)।
इस आत्मिक जन्म की तुलना प्राकृतिक जन्म से की गई है, जो केवल "नाश की ओर ले जाता था, खाली जीवन की ओर" (व.18, एम.एस.जी)।
नये जन्म का अर्थ है आप परमेश्वर को पिता कह सकते हैं (व.17)। असल में, संपूर्ण त्रिऐक्य शामिल हैः" परमेश्वर पिता के भविष्य ज्ञान के अनुसार, आत्मा के पवित्र करने के द्वारा आज्ञा मानने और यीशु मसीह के लहू के छिड़के जाने के लिये चुने गए हैं " (व.2, एम.एस.जी)।
भौतिक जन्म का एक दिन भौतिक अंत होगा। आत्मिक जन्म अनंत जीवन देता है - "स्वर्ग में एक भविष्य – और भविष्य की शुरुवात अभी होती है" (व.3, एम.एस.जी)। भौतिक जीवन घास की तरह है जो सूख जाता है। यह नया जीवन परमेश्वर की ओर से मिलता है जो सर्वदा बना रहता है (वव.23-25, एम.एस.जी)।
आज के लेखांश में, हम नये जन्म के महत्व को देखते हैं, परमेश्वर के पुत्र और पुत्रियों के रूप में आत्मिक वृद्धि के विभिन्न स्तर और कैसे आप "अपने उद्धार में बढ़ सकते हैं" (2:2)।
भजन संहिता 131:1-3
आरोहण गीत।
131हे यहोवा, मैं अभिमानी नहीं हूँ।
मैं महत्वपूर्ण होने का जतन नहीं करता हूँ।
मैं वो काम करने का जतन नहीं करता हूँ जो मेरे लिये बहुत कठिन हैं।
ऐसी उन बातों की मुझे चिंता नहीं है।
2 मैं निश्चल हूँ, मेरी आत्मा शांत है।
मेरी आत्मा शांत और अचल है,
जैसे कोई शिशु अपनी माता की गोद में तृप्त होता है।
3 इस्राएल, यहोवा पर भरोसा रखो।
उसका भरोसा रखो, अब और सदा सदा ही उसका भरोसा रखो!
समीक्षा
एक बालक के समान भरोसा करिए
कभी कभी मैं चिंतित, व्याकुल और यहाँ तक कि भयभीत हो जाता हूँ। मुझे यह भजन पसंद है। यह संपूर्ण भरोसे का एक सुंदर चित्र हैः"जैसा दूध छुड़ाया हुआ लड़का अपनी माँ की गोद में रहता है" (व.2, एम.एस.जी)। हाल ही में, हमारी चौथी पोती पैदा हुई। जैसे ही मैं उसे अपनी बहू के हाथों में देखता हूँ, मैं पूर्ण भरोसा और सुरक्षा का एक चित्र देखता हूँ।
यह पूर्ण भरोसा कैसे होता है: पहला, ब्रह्मांड के मॅनेजिंग डायरेक्टर के रूप में इस्तीफा दे दीजिए। हर किसी को और हर व्यक्ति को नियंत्रित करना बंद कीजिए। भजनसंहिता के लेखक लिखते हैं, " हे यहोवा, न तो मेरा मन गर्व से और न मेरी दृष्टि घमण्ड से भरी हो; और जो बातें बड़ी और मेरे लिये अधिक कठिन हैं, उनसे मैं काम नहीं रखता" (व.1, एम.एस.जी)।
दूसरा, उस तरह से परमेश्वर पर भरोसा कीजिए जैसे एक बालक माता-पिता पर पूर्ण भरासा रखता हैः"निश्चय मैंने अपने मन को शान्त और चुप कर दिया है, जैसे दूध छुड़ाया हुआ लड़का अपनी माँ की गोद में रहता है, वैसे ही दूध छुड़ाए हुए लड़के के समान मेरा मन भी रहता है" (व.2, एम.एस.जी)।
प्रार्थना
परमेश्वर, आज मुझे अपनी शांति दीजिए जैसे दूध छुड़ाया हुआ लड़का अपनी माँ की गोद में रहता है।
1 पतरस 1:1-2:3
1पतरस की ओर से, जो यीशु मसीह का प्रेरित है: परमेश्वर के उन चुने हुए लोगों के नाम जो पुन्तुस, गलातिया, कप्पदुकिया, एशिया और बिथुनिया के क्षेत्रों में सब कहीं फैले हुए हैं। 2 तुम, जिन्हें परम पिता परमेश्वर के पूर्व-ज्ञान के अनुसार चुना गया है, जो अपनी आत्मा के कार्य द्वारा उसे समर्पित हो, जिन्हें उसके आज्ञाकारी होने के लिए और जिन पर यीशु मसीह के लहू के छिड़काव के पवित्र किए जाने के लिए चुना गया है।
तुम पर परमेश्वर का अनुग्रह और शांति अधिक से अधिक होते रहें।
सजीव आशा
3 हमारे प्रभु यीशु मसीह का परम पिता परमेश्वर धन्य हो। मरे हुओं में से यीशु मसीह के पुनरुत्थान के द्वारा उसकी अपार करुणा में एक सजीव आशा पा लेने कि लिए उसने हमें नया जन्म दिया है। 4 ताकि तुम तुम्हारे लिए स्वर्ग में सुरक्षित रूप से रखे हुए अजर-अमर दोष रहित अविनाशी उत्तराधिकार को पा लो।
5 जो विश्वास से सुरक्षित है, उन्हें वह उद्धार जो समय के अंतिम छोर पर प्रकट होने को है, प्राप्त हो। 6 इस पर तुम बहुत प्रसन्न हो। यद्यपि अब तुमको थोड़े समय के लिए तरह तरह की परीक्षाओं में पड़कर दुखी होना बहुत आवश्यक है। 7 ताकि तुम्हारा परखा हुआ विश्वास जो आग में परखे हुए सोने से भी अधिक मूल्यवान है, उसे जब यीशु मसीह प्रकट होगा तब परमेश्वर से प्रशंसा, महिमा और आदर प्राप्त हो।
8 यद्यपि तुमने उसे देखा नहीं है, फिर भी तुम उसे प्रेम करते हो। यद्यपि तुम अभी उसे देख नहीं पा रहे हो, किन्तु फिर भी उसमें विश्वास रखते हो और एक ऐसे आनन्द से भरे हुए हो जो अकथनीय एवं महिमामय है। 9 और तुम अपने विश्वास के परिणामस्वरूप अपनी आत्मा का उद्धार कर रहे हो।
10 इस उद्धार के विषय में उन नबियों ने, बड़े परिश्रम के साथ खोजबीन की है और बड़ी सावधानी के साथ पता लगाया है, जिन्होंने तुम पर प्रकट होने वाले अनुग्रह के सम्बन्ध में भविष्यवाणी कर दी थी। 11 उन नबियों ने मसीह की आत्मा से यह जाना जो मसीह पर होने वाले दुःखों को बता रही थी और वह महिमा जो इन दुःखों के बाद प्रकट होगी। यह आत्मा उन्हें बता रही थी। यह बातें इस दुनिया पर कब होंगी और तब इस दुनिया का क्या होगा।
12 उन्हें यह दर्शा दिया गया था कि उन बातों का प्रवचन करते हुए वे स्वयं अपनी सेवा नहीं कर रहे थे बल्कि तुम्हारी कर रहे थे। वे बातें स्वर्ग से भेजे गए पवित्र आत्मा के द्वारा तुम्हें सुसमाचार का उपदेश देने वालों के माध्यम से बता दी गई थीं। और उन बातों को जानने के लिए तो स्वर्गदूत तक तरसते हैं।
पवित्र जीवन के लिए बुलावा
13 इसलिए मानसिक रूप से सचेत रहो और अपने पर नियन्त्रण रखो। उस वरदान पर पूरी आशा रखो जो यीशु मसीह के प्रकट होने पर तुम्हें दिया जाने को है। 14 आज्ञा मानने वाले बच्चों के समान उस समय की बुरी इच्छाओं के अनुसार अपने को मत ढालो जो तुममें पहले थी, जब तुम अज्ञानी थे। 15 बल्कि जैसे तुम्हें बुलाने वाला परमेश्वर पवित्र है, वैसे ही तुम भी अपने प्रत्येक कर्म में पवित्र बनो। 16 शास्त्र भी ऐसा ही कहता है: “पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ।”
17 और यदि तुम, प्रत्येक के कर्मों के अनुसार पक्षपात रहित होकर न्याय करने वाले परमेश्वर को हे पिता कह कर पुकारते हो तो इस परदेसी धरती पर अपने निवास काल में सम्मानपूर्ण भय के साथ जीवन जीओ। 18 तुम यह जानते हो कि चाँदी या सोने जैसी वस्तुओं से तुम्हें उस व्यर्थ जीवन से छुटकारा नहीं मिल सकता, जो तुम्हें तुम्हारे पूर्वजों से मिला है। 19 बल्कि वह तो तुम्हें निर्दोष और कलंक रहित मेमने के समान मसीह के बहुमूल्य रक्त से ही मिल सकता है। 20 इस जगत की सृष्टि से पहले ही उसे चुन लिया गया था किन्तु तुम लोगों के लिए उसे इन अंतिम दिनों में प्रकट किया गया। 21 उस मसीह के कारण ही तुम उस परमेश्वर में विश्वास करते रहे जिसने उसे मरे हुओं में से पुनर्जीवित कर दिया और उसे महिमा प्रदान की। इस प्रकार तुम्हारी आशा और तुम्हारा विश्वास परमेश्वर में स्थिर हो।
22 अब देखो जब तुमने सत्य का पालन करते हुए, सच्चे भाईचारे के प्रेम को प्रदर्शित करने के लिए अपने आत्मा को पवित्र कर लिया है तो पवित्र मन से तीव्रता के साथ परस्पर प्रेम करने को अपना लक्ष्य बना लो। 23 तुमने नाशमान बीज से पुर्नजीवन प्राप्त नहीं किया है बल्कि यह उस बीज का परिणाम है जो अमर है। तुम्हारा पुर्नजन्म परमेश्वर के उस सुसंदेश से हुआ है जो सजीव और अटल है। 24 क्योंकि शास्त्र कहता है:
“सभी प्राणी घास की तरह हैं,
और उनकी सज-धज जंगली फूल की तरह है।
घास मर जाती है
और फूल गिर जाते हैं।
25 किन्तु प्रभु का सुसमाचार सदा-सर्वदा टिका रहता है।”
और यह वही सुसमाचार है जिसका तुम्हें उपदेश दिया गया है।
सजीव पत्थर और पवित्र प्रजा
2इसलिए सभी बुराइयों, छल-छद्मों, पाखण्ड तथा वैर-विरोधों और परस्पर दोष लगाने से बचे रहो। 2 नवजात बच्चों के समान शुद्ध आध्यात्मिक दूध के लिए लालायित रहो ताकि उससे तुम्हारा विकास और उद्धार हो। 3 अब देखो, तुमने तो प्रभु के अनुग्रह का स्वाद ले ही लिया है।
समीक्षा
एक बालक के समान बढिए
परमेश्वर की एक संतान के रूप में जीवन उत्साहजनक है। पतरस प्रेरित लिखते हैं " ऐसे आनन्दित और मगन होते जाओ जो वर्णन से बाहर और महिमा से भरा हुआ है" (व.1:8)। यह "नये जन्म" से प्राप्त होता है (व.3)। पतरस हमें बताते हैं जो कि "नया जन्म" लाता हैः
- उम्र बढ़ने के बावजूद सुरक्षा
आपका भविष्य सुनिश्चित है क्योंकि यह यीशु के पुनरुत्थान पर आधारित है। यीशु गाड़े गए। परमेश्वर ने उन्हें मृत्यु में से जीवित किया (व.21)। एक दिन, आपके साथ भी यह होगा।
आप महान उत्तराधिकार के वारिस हैं। इस जीवन में कुछ भी सिद्ध नहीं है – पृथ्वी की सारी संपत्ति आखिर में खराब हो जाएगी या नष्ट हो जाएगी। लेकिन आपका उत्तराधिकार "कभी नष्ट" नहीं होगाः यह कभी "खराब" नहीं होगा, यह कभी "लुप्त" नहीं होगा (व.4)। इसकी गारंटी है, " एक अविनाशी, और निर्मल, और अजर मीरास के लिये जो तुम्हारे लिये स्वर्ग में रखी है; जिनकी रक्षा परमेश्वर की सामर्थ से विश्वास के द्वारा उस उध्दार के लिये, जो आने वाले समय में प्रकट होने वाली है, की जाती है" (वव.4-5)। इस पर आपका नाम लिखा हुआ है।
सी.एस.लेविस ने लिखाः"जैसे ही हम बढ़ते जाते हैं, हम पुरानी गाड़ियों के समान बन जाते हैं –बहुत ज्यादा मरम्मत और बदलाव आवश्यक है। हमें अवश्य ही नये मशीन की राह देखनी है (नये पुनरुत्थान के मॉडल) जो हमारा इंतजार कर रहे हैं, हम दैवीय गैराज पर आशा करते हैं।"
- कष्ट के बावजूद आनंद मनाना
आनंद परिस्थितियों पर निर्भर नहीं है (वव.6-7)। जीवन हमेशा सरल नहीं होता हैः"इस कारण तुम मगन होते हो, यद्यपि अवश्य है कि अभी कुछ दिन के लिये नाना प्रकार की परीक्षाओं के कारण दुःख में हो" (व.6)। यह पत्र शायद से रोम से लिखा गया, लगभग एडी 62-64 में नेरो के द्वारा सताव शुरु होने से पहले। मसीह पहले ही सताव का सामना कर रहे थे। मेरा कष्ट शायद से उनकी तुलना में बहुत छोटा हो, लेकिन हम सभी शोक, निराशा, विरोध, प्रलोभन और जीवन में संघर्षों से कष्ट उठाते हैं।
पतरस कहते हैं, "आप महान रूप से आंनद मनाते हैं" (व.6, याकूब 1:2 भी देखें) तीन कारणों सेः पहला, क्लेश थोड़े समय के लिए है ("क्षण भर के लिए, " 1पतरस 1:6) भविष्य में जो आगे रखा है उसकी तुलना में। दूसरा, इसके पीछे एक उद्देश्य हैः "हमारा विश्वास - सोने से भी कहीं अधिक बहुमूल्य है" (व.7) शुद्ध किया जाता है। तीसरा, उनका परिणाम है "स्तुति, महिमा और सम्मान" (व.7) जब यीशु मसीह प्रकट होते हैं।
- अदृश्यता के बावजूद घनिष्ठता
पतरस ने वास्तव में यीशु को देखा था। जिन्हें पतरस पत्र लिख रहे थे, उन्होंने नहीं देखा थाः"उनसे तुम बिन – देखे प्रेम रखते हो, और सब तो उस पर बिन देखे भी विश्वास करके ऐसे आनन्दित और मगन होते हैं जो वर्णन से बाहर और महिमा से भरा हुआ है" (व.8)। उनकी तरह, आपने कभी यीशु को नहीं देखा है – लेकिन उनकी तरह ही, आप भी यीशु के साथ एक व्यक्तिगत और दैनिक संबंध का अनुभव कर सकते हैं, और अपने विश्वास के लक्ष्य को ग्रहण कर सकते हैं – आपकी आत्मा का उद्धार (व.9)।
यीशु के प्रथम आगमन के बाद जीना एक असाधारण सुविधा है। आप आत्मा के युग में जी रहे हैं। आपने वह अनुग्रह पाया है जिसकी ओर संपूर्ण पुराना नियम इशारा करता था। "मसीहा का आत्मा" भविष्यवक्ताओं में कार्य करता था, यीशु के कष्ट और महिमा को बताते हुए। यीशु पुराने नियम में सक्रिय थे, लेकिन उन्हें उनके पूर्ण प्रकटीकरण तक रूकना था।
- वह वापस आ रहे हैं। तैयार रहिये।
बढ़ जाईयेः "आज्ञाकारी बालकों के समान अपनी अज्ञानता के समय की पुरानी अभिलाषाओं के सदृश न बनो। पर जैसा तुम्हारा बुलाने वाला पवित्र है, वैसे ही तुम भी अपने सारे चाल - चलन में पवित्र बनो। क्योंकि लिखा है, "पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ।" (वव.14-16, एम.एस.जी)। केवल पवित्र आत्मा, जो इस नये जन्म को लाते हैं और अब आपमें रहते हैं, आपको पवित्र बना सकते हैं।
जीवन जीने के खाली तरीको को पीछे छोड़ दीजिए और इसके बजाय, " जब कि तुम ने भाईचारे की निष्कपट प्रीति के निमित्त सत्य के मानने से अपने मनों को पवित्र किया है, तो तन –मन लगाकर एक दूसरे से अधिक प्रेम रखिए" (व.22)। यह मसीह जीवन का लक्ष्य हैः यीशु के लिए प्रेम, जिसने यह सब संभव बनाने के लिए अपनी जान दी (वव.19-20) और एक दूसरे के लिए जुझारू प्रेम (व.22)।
पतरस प्रेरित लिखते हैं, " इसलिये सब प्रकार का बैरभाव और छल और कपट और डाह और निन्दा को दूर करके, नये जन्मे हुए बच्चों के समान निर्मल आत्मिक दूध की लालसा करो, ताकि उनके द्वारा उध्दार पाने के लिये बढ़ते जाओ, क्योंकि तुम ने प्रभु की कृपा का स्वाद चख लिया है" (वव.2:1-3)।
प्रार्थना
प्रभु यीशु, मैंने आपको नहीं देखा है, लेकिन मैं आपसे प्रेम करता हूँ। मेरी सहायता कीजिए कि बड़ा हो जाऊँ और परमेश्वर की एक मजबूत और स्वस्थ संतान बनूं, अपने हृदय की गहराई से दूसरों से प्रेम करते हुए।
यहेजकेल 41:1-42:20
मन्दिर का पवित्र स्थान
41वह व्यक्ति मुझे मन्दिर के बीच के कमरे पवित्र स्थान में लाया। उसने इसके प्रत्येक द्वार—स्तम्भों को नापा। वे छ: हाथ मोटे हर ओर थे। 2 दरवाजा दस हाथ चौड़ा था। द्वार की बगलें पाँच हाथ हर ओर थीं। उस व्यक्ति ने बाहरी पवित्र स्थान को नापा। यह चालीस हाथ लम्बा और बीस हाथ चौड़ा था।
मन्दिर का परम पवित्र स्थान
3 तब वह व्यक्ति अन्दर गया और हर एक द्वार—स्तम्भ को नापा। हर एक द्वार—स्तम्भ दो हाथ मोटा था। यह छ: हाथ ऊँचा था। द्वार सात हाथ चौड़ा था। 4 तब उस व्यक्ति ने कमरे की लम्बाई नापी। यह बीस हाथ लम्बा और बीस हाथ चौड़ा था। बीच के कमरे के प्रवेश के पहले था। उस व्यक्ति ने कहा, “यह परम पवित्र स्थान है।”
मन्दिर के चारों ओर के बाकी कमरें
5 तब उस व्यक्ति ने मन्दिर के दीवार नापी। यह छ: हाथ चौड़ी थी। बगल के कमरे चार हाथ चौड़े मन्दिर के चारों ओर थे। 6 बगल के कमरे तीन विभिन्न मंजिलों पर थे। वे एक दूसरे के ऊपर थे। हर एक मंजिल पर तीस कमरे थे। बगल के कमरे चारों ओर की दीवार पर टिके हुए थे। अत: मन्दिर की दीवार स्वयं कमरों को टिकाये हुए नहीं थी। 7 मन्दिर के चारों ओर बगल के कमरों की मंजिल नीचे की मंजिल से अधिक चौड़ी थी। मन्दिर के चारों ओर ऊँचा चबूतरा हर मंजिल पर मन्दिर की हर एक ओर फैला हुआ था। इसलिए सबसे ऊपर के मंजिल पर कमरे अधिक चौड़े थे। दूसरी मंजिल से होकर एक सीढ़ी सबसे नीचे के मंजिल से सबसे उँचे मंजिल तक गई थी।
8 मैंने यह भी देखा कि मन्दिर के चारों ओर की नींव सर्वत्र पक्की थी। बगल के कमरों की नींव एक पूरे मापदण्ड (10.6 इंच) ऊँची थी। 9 बगल के कमरों की बाहरी दीवार पाँच हाथ मोटी थी। मन्दिर के बगल के कमरो 10 और याजक के कमरों के बीच खुला क्षेत्र बीस हाथ मन्दिर के चारों ओर था। 11 बगल के कमरों के दरवाजें पक्की फर्श की उस नींव पर खुलते थे जो दीवार का हिस्सा नहीं था। एक दरवाजें का मुख उत्तर की ओर था और दूसरे का दक्षिण की ओर। पक्की फर्श चारों ओर पाँच हाथ चौड़ी थी।
12 पश्चिमी ओर मन्दिर के आँगन के सामने का भवन सत्तर हाथ चौड़ा था। भवन की दीवार चारों ओर पाँच हाथ मोटी थी। यह नब्बे हाथ लम्बी थी। 13 तब उस व्यक्ति ने मन्दिर को नापा। मन्दिर सौ हाथ लम्बा था। भवन और इसकी दीवार के साथ आँगन भी सौ हाथ लम्बे थे। 14 मन्दिर का पूर्वी मुख और आँगन सौ हाथ चौड़ा था।
15 उस व्यक्ति ने उस भवन की लम्बाई को नापा जिसका सामना मन्दिर के पीछे के आँगन की ओर था तथा जिसकी दीवारें दोनों ओर थीं। यह सौ हाथ लम्बा था।
बीच के कमरे के भीतरी कमरे (पवित्र स्थान) और आँगन के प्रवेश कक्ष पर चौखटें लगीं थीं। 16 तीनों पर ही चारों ओर जालीदार खिड़कियाँ थीं। मन्दिर के चारों ओर देहली से लगे, फर्श से खिड़कियों तक लकड़ी की चौखटें जड़ी हुई थीं। खिड़कियाँ ढकी हुई थीं। 17 द्वार के ऊपर की दीवार।
भीतरी कमरे और बाहर तक, सारी लकड़ी की चौखटों से मढ़ी गई थीं। मन्दिर के भीतरी कमरे तथा बाहरी कमरे की सभी दीवारों पर 18 करुब (स्वर्गदूतों) और खजूर के वृक्षों की नक्काशी की गई थी। करुब (स्वर्गदूतों) के बीच एक खजूर का वृक्ष था। हर एक करुब (स्वर्गदूतों) के दो मुख थे। 19 एक मुख मनुष्य का था जो एक ओर खजूर के पेड़ को देख रहा था। दूसरा मुख सिंह का था जो दूसरी ओर खजूर के वृक्ष को देखता था। वे मन्दिर के चारों ओर उकेरे गये थे। 20 बीच के कमरे पवित्र स्थान की सभी दीवारों पर करुब (स्वर्गदूत) तथा खजूर के वृक्ष उकेरे गए थे।
21 बीच के कमरे (पवित्र स्थान) के द्वार—स्तम्भ वर्गाकार थे। सर्वाधिक पवित्र स्थान के सामने ऐसा कुछ था जो 22 वेदी के समान लकड़ी का बना दिखता था। यह तीन हाथ ऊँचा और दो हाथ लम्बा था। इसके कोने, नींव और पक्ष लकड़ी के थे। उस व्यक्ति ने मुझसे कहा, “यह मेज है जो यहोवा के सामने है।”
23 बीच का कमरा (पवित्र स्थान) और सर्वाधिक पवित्र स्थान दो दरवाजों वाले थे। 24 एक दरवाजा दो छोटे दरवाजों से बना था। हर एक दरवाजा सचमुच दो हिलते हुए दरवाजों सा था। 25 बीच के कमरे (पवित्र स्थान) के दरवाजों पर करुब (स्वर्गदूत) और खजूर के वृक्ष उकेरे गए थे। वे वैसे ही थे जैसे दीवारों पर उकेरे गए थे। बाहर की ओर प्रवेश कक्ष के बाहरी हिस्से पर लकड़ी की नक्काशी थी 26 और प्रवेश कक्ष के दोनों ओर खिड़कियों के दीवारों पर और प्रवेश कक्ष के ऊपरी छत में तथा मन्दिर के चारों ओर के कमरों खजूर के वृक्ष अंकित थे।
याजकों के कमरे
42तब वह व्यक्ति मुझे बाहरी आँगन में ले गया जिसका सामना उत्तर को था। वह उन कमरों में ले गया जो मन्दिर से आँगन के आर—पार और उत्तर के भवनों के आर—पार थे। 2 उत्तर की ओर का भवन सौ हाथ लम्बा और पचास हाथ चौड़ा था। 3 वहाँ छज्जों के तीन मंजिल इन भवनों की दीवारों पर थे। वे एक दूसरे के सामने थे। भीतरी आँगन और बाहरी आँगन के पक्के रास्ते के बीच बीस हाथ खुला क्षेत्र था। 4 कमरों के सामने एक विशाल कक्ष था। वह भीतर पहुँचाता था। यह दस हाथ चौड़ा, सौ हाथ लम्बा था। उनके दरवाजे उत्तर को थे। 5 ऊपर के कमरे अधिक पतले थे क्योंकि छज्जे मध्य और निचली मंजिल से अधिक स्थान घेरे थे। 6 कमरे तीन मंजिलों पर थे। बाहरी आँगन की तरह के उनके स्तम्भ नहीं थे। इसलिये ऊपर के कमरे मध्य और नीचे की मंजिल के कमरों से अधिक पीछे थे। 7 बाहर एक दीवार थी। यह कमरों के समान्तर थी। 8 यह बाहरी आँगन को ले जाती थी। यह कमरों के आर—पार थी। यह पचास हाथ लम्बी थी। 9 इन कमरों के नीचे एक द्वार था जो बाहरी आँगन से पूर्व को ले जाता था। 10 बाहरी दीवार के आरम्भ में, दक्षिण की ओर मन्दिर के आँगन के सामने और मन्दिर के भवन की दीवार के बाहर, कमरे थे।
इन कमरों के सामने 11 एक विशाल कक्ष था। वे उत्तर के कमरों के समान थे। दक्षिण के द्वार लम्बाई—चौड़ाई में उतने ही माप वाले थे जितने उत्तर के। दक्षिण के द्वार नाप, रूपाकृति और प्रवेश कक्ष की दृष्टि से उत्तर के द्वारों के सामने थे। 12 दक्षिण के कमरों के नीचे एक द्वार था जो पूर्व की ओर जाता था। यह विशाल—कक्ष में पहुँचाता था। दक्षिण के कमरों के आर—पार एक विभाजक दीवार थी।
13 उस व्यक्ति ने मुझसे कहा, “आँगन के आर—पार वाले दक्षिण के कमरे और उत्तर के कमरे पवित्र कमरे हैं। ये उन याजकों के कमरे हैं जो यहोवा को बलि—भेंट चढ़ाते हैं। वे याजक इन कमरों में अति पवित्र भेंट को खाएंगे। वे सर्वाधिक पवित्र भेंट को वहाँ रखेंगे। क्यों क्योंकि यह स्थान पवित्र है। सर्वाधिक पवित्र भेंट ये हैं: अन्न भेंट, पाप के लिये भेंट और अपराध के लिये भेंट। 14 याजक पवित्र—क्षेत्र में प्रवेश करेंगे। किन्तु बाहरी आँगन में जाने के पहले वे अपने सेवा वस्त्र पवित्र स्थान में रख देंगे। क्यों क्योंकि ये वस्त्र पवित्र है। यदि याजक चाहता है कि वह मन्दिर के उस भाग में जाए जहाँ अन्य लोग हैं तो उसे उन कमरों में जाना चाहिए और अन्य वस्त्र पहन लेना चाहिए।”
मन्दिर का बाहरी भाग
15 वह व्यक्ति जब मन्दिर के भीतर की नाप लेना समाप्त कर चुका, तब वह मुझे उस फाटक से बाहर लाया जो पूर्व को था। उसने मन्दिर के बाहर चारों ओर नापा। 16 उस व्यक्ति ने मापदण्ड से, पूर्व के सिरे को नापा। यह पाँच सौ हाथ लम्बा था। 17 उसने उत्तर के सिरे को नापा। यह पाँच सौ हाथ लम्बा था। 18 उसने दक्षिण के सिरे को नापा। यह पाँच सौ हाथ लम्बा था। 19 वह पश्चिम की तरफ चारों ओर गया और इसे नापा। यह पाँच सौ हाथ लम्बा था। 20 उसने मन्दिर को चारों ओर से नापा। दीवार मन्दिर के चारों ओर गई थी। दीवार पाँच सौ हाथ लम्बी और पाँच सौ हाथ चौड़ी थी। यह पवित्र क्षेत्र को अपवित्र क्षेत्र से अलग करती थी।
समीक्षा
बुढ़ापे में फल उत्पन्न कीजिए
कुछ लोग अपनी सुंदरता कभी नहीं खोते हैं। यह उनके चेहरे से निकलकर उनके हृदय तक जाता है। अंग्रेजी में एक पुरानी कहावत है, "वायलिन जितना पुराना होता है, उसकी धुन उतनी ही मीठी होती है।" नब्बे वर्ष की उम्र में, टिटियन ने लेपांटो के युद्ध का उनका ऐतिहासिक चित्र बनाया। बुढ़ापा महान फलदायीपन का एक समय हो सकता है।
यहेजकेल नये मंदिर का अपना वर्णन देते हैं। जैसे ही वह "परमपवित्र स्थान" का वर्णन करते हैं (41:4), वह "करुब" और "खजूर के पेड़" पर ध्यान देते हैं (व.18)। हम अनुमान लगा सकते हैं कि उनका कार्य केवल सजावट के लिए था, लेकिन असल में वे बहुत ही प्रतीकारात्मक हैं।
क्योंकि हम अपने नये नियम के लेखांश से जानते हैं कि ये वचन "मसीह के आत्मा" की प्रेरणा से रचे गए थे (1पतरस 1:11), शायद से हर एक करुब के दोनों चेहरों में महत्व को देखना इतनी बड़ी बात नहीं है; एक मनुष्य का और एक सिंह का, दोनों उसकी ओर इशारा करते है जो पूरी तरह से मनुष्य है और "यहूदा के गोत्र का सिंह" है (प्रकाशितवाक्य 5:5) – अर्थात् यीशु मसीह।
भजनसंहिता के लेखक लिखते हैं, " सत्यनिष्ठ लोग खजूर के समान फूले फलेंगे... वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे" (भजनसंहिता 92:12-14)।
ये पेड़ शायद खजूर पैदा करनेवाले पेड़ हैं – विश्व का पुराना खाद्य –पदार्थ उत्पन्न करने वाला पेड़। खजूर ऊर्जा, विटामिन, मिनरल, फॅट, फायबर, प्रोटीन, शुगर, रिबोफ्लेविन और निआसिन प्रदान करते हैं। खजूर के पेड़ सामर्थ, पोषण और सहनशीलता को बताते हैं।
परमेश्वर, आपका धन्यवाद कि आप मुझे जीवन के सभी स्तरों से लेकर जाते हैं, नये जन्म से लेकर नये जन्मे बालक तक जो शुद्ध आत्मिक दूध की लालसा करता है, एक आज्ञाकारी संतान जो अपने उद्धार में बढ़ रहा है, बुढ़ापे में भी फल उत्पन्न करते हुए। होने दीजिए कि मैं एक खजूर का पेड़ बनूं – सामर्थ, पोषण और सहनशीलता का एक स्रोत।
प्रार्थना
मन्दिर और पवित्रस्थान के द्वारों के दो किवाड़ थे"
पिप्पा भी कहते है
परमेश्वर के समीप जाने की कोशिश करते हुए, हमें मंदिर के बाहरी या आंतरिक भाग में दो दरवाजों के पीछे रहने की आवश्यकता नहीं है। यीशु के द्वारा, हम सीधे परमेश्वर की उपस्थिति में जा सकते हैं।
सी.एस. लेविस, एक अमेरिकन महिला को पत्र, (डब्ल्यु बी, एदर्मन पब. कं, 1967) पी.78
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संदर्भ
2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी", बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।