परमेश्वर कहाँ हैं?
परिचय
एली विसल रोमानिया में एक यहूदी परिवार में जन्मे थे। वह एक टिनेजर थे जब नाजिस ने उसे और उसके परिवार को इकट्ठा किया और पहले ऑस्शविज ले गए और फिर बुचनवल्ड। अपनी पुस्तक "रात" में, उस बढते हुए आतंक का एक भयानक और सूचित वर्णन देते हैं जो उन्होंने सहा था – उनके माता-पिता और आठ साल की बहन की मृत्यु, और असभ्य हाथों से उनकी मासूमियत को खोना।
पुस्तक के लिए प्रस्तावना में, फ्रांकोईस माउरेक, एली विसल के साथ अपनी मुलाकात के बारे में लिखते हैं:"उस सबसे भयानक दिन में, यहाँ तक कि बाकी सभी दूसरे बुरे दिनों के बीच में, जब बालक ने दूसरे बालक को लटकाये जाते हुए देखा, जो बताता है कि उसका चेहरा एक उदास स्वर्गदूत की तरह था, उसने अपनी पीछे कराहने की आवाज सुनीः"परमेश्वर के लिए, परमेश्वर कहाँ हैं:" और मेरे अंदर से, मैंने एक आवाज को उत्तर देते सुनाः"वह कहां हैं: यही पर - यहाँ पर लटकते हुए इस ढाँचे से।"
फ्रांकोईस माउरेक आगे कहते हैं, "और मैं, जो विश्वास करता हूँ कि परमेश्वर प्रेम हैं, मेरे युवा संभाषी (वार्ताकार) को क्या उत्तर देता... मैं उससे क्या कहता? क्या मैं उसे दूसरे यहूदी के बारे में बताता, क्रूस पर चढ़ाया गया यह भाई जो शायद से उसके समान था और जिसके क्रूस ने विश्व पर जय पायी?
"क्या मैं उसे समझाता कि जो उसके विश्वास के लिए ठोकर का कारण बन चुका था, वही मेरे लिए सिरे का पत्थर बन गया था: और यह कि क्रूस और मनुष्य के कष्टों के बीच संबंध बना रहता है, मेरे विचार में, समझ के परे रहस्य की पूंजी, जिसमें उसके बचपन का विश्वास खो चुका था... मुझे यहूदी बच्चे से यही कहना चाहिए था। लेकिन मैं केवल उसे गले लगाकर रोने लगा।"
उनके शब्द प्रश्न के लिए सबसे महान उत्तर की ओर इशारा करते हैं, "परमेश्वर कहाँ हैं?" परमेश्वर मसीह में हैं। वह क्रूस पर थे अपनी देह पर हमारे पापों को लेकर। अब जिसे क्रूस पर चढ़ा दिया गया था वह अपने लोगों के बीच में हैं। ना केवल उन्होंने आपके लिए कष्ट उठाया, लेकिन वह अब आपके साथ कष्ट उठाते हैं।
पुराने नियम में, पवित्र स्थान (और बाद में मंदिर) वह स्थान था जहाँ पर लोग परमेश्वर से मिलने के लिए जाते थे। यह परमेश्वर का घर था जैसा कि हम आज के लिए पुराने नियम के लेखांश में देखते हैं (यहेजकेल 43:5)।
यद्यपि हमारे नये नियम के लेखांश का संदेश यह है कि परमेश्वर की महिमा और उपस्थिति मुख्य रूप से यीशु में पायी जाती है। जिस क्षण यीशु को नकारा गया और क्रूस पर चढ़ाया गया, उसी क्षण लोगों के बीच में परमेश्वर की उपस्थिति को अंतत: और पूरी तरह से समझा गया। तब से भौतिक मंदिर की आवश्यकता नहीं है। एकमात्र चर्च इमारत जिसके विषय में नया नियम बताता है, वह है लोगों से बनी एक ईमारत (इफीसियों 2:20-22), और सिरे के पत्थर, यीशु की नींव पर बनी हुई। नये नियम में पवित्र मंदिर "जीवित पत्थरों" से बना हुआ है (1पतरस 2:5) – दूसरे शब्दों में, हम। यह परमेश्वर का नया घर है।
भजन संहिता 132:1-18
मन्दिर का आरोहण गीत।
132हे यहोवा, जैसे दाऊद ने यातनाएँ भोगी थी,
उसको याद कर।
2 किन्तु दाऊद ने यहोवा की एक मन्नत मानी थी।
दाऊद ने इस्राएल के पराक्रमी परमेश्वर की एक मन्नत मानी थी।
3 दाऊद ने कहा था: “मैं अपने घर में तब तक न जाऊँगा,
अपने बिस्तर पर न ही लेटूँगा,
4 न ही सोऊँगा।
अपनी आँखों को मैं विश्राम तक न दूँगा।
5 इसमें से मैं कोई बात भी नहीं करूँगा जब तक मैं यहोवा के लिए एक भवन न प्राप्त कर लूँ।
मैं इस्राएल के शक्तिशाली परमेश्वर के लिए एक मन्दिर पा कर रहूँगा!”
6 एप्राता में हमने इसके विषय में सुना,
हमें किरीयथ योरीम के वन में वाचा की सन्दूक मिली थी।
7 आओ, पवित्र तम्बू में चलो।
आओ, हम उस चौकी पर आराधना करें, जहाँ पर परमेश्वर अपने चरण रखता है।
8 हे यहोवा, तू अपनी विश्राम की जगह से उठ बैठ,
तू और तेरी सामर्थ्यवान सन्दूक उठ बैठ।
9 हे यहोवा, तेरे याजक धार्मिकता धारण किये रहते हैं।
तेरे जन बहुत प्रसन्न रहते हैं।
10 तू अपने चुने हुये राजा को
अपने सेवक दाऊद के भले के लिए नकार मत।
11 यहोवा ने दाऊद को एक वचन दिया है कि दाऊद के प्रति वह सच्चा रहेगा।
यहोवा ने वचन दिया है कि दाऊद के वंश से राजा आयेंगे।
12 यहोवा ने कहा था, “यदि तेरी संतानें मेरी वाचा पर और मैंने उन्हें जो शिक्षाएं सिखाई उन पर चलेंगे तो
फिर तेरे परिवार का कोई न कोई सदा ही राजा रहेगा।”
13 अपने मन्दिर की जगह के लिए यहोवा ने सिय्योन को चुना था।
यह वह जगह है जिसे वह अपने भवन के लिये चाहता था।
14 यहोवा ने कहा था, “यह मेरा स्थान सदा सदा के लिये होगा।
मैंने इसे चुना है ऐसा स्थान बनने को जहाँ पर मैं रहूँगा।
15 भरपूर भोजन से मैं इस नगर को आशीर्वाद दूँगा,
यहाँ तक कि दीनों के पास खाने को भर—पूर होगा।
16 याजकोंको मैं उद्धार का वस्त्र पहनाऊँगा,
और यहाँ मेरे भक्त बहुत प्रसन्न रहेंगे।
17 इस स्थान पर मैं दाऊद को सुदृढ करुँगा।
मैं अपने चुने राजा को एक दीपक दूँगा।
18 मैं दाऊद के शत्रुओं को लज्जा से ढक दूँगा
और दाऊद का राज्य बढाऊँगा।”
समीक्षा
परमेश्वर के घर को पाइए
दाऊद के हृदय की इच्छा थी कि परमेश्वर का सम्मान करें और उन्हें सभी भौतिक सुविधा के ऊपर स्थान दें: "निश्चय मैं उस समय तक अपने घर में प्रवेश न करूँगा, और न अपने पलंग पर चढूँगा; न अपनी आँखों में नींद, और न अपनी पलकों में झपकी आने दूँगा, जब तक मैं यहोवा के लिये एक स्थान, अर्थात् याकूब के सर्वशक्तिमान के लिये निवास स्थान न पाऊँ" (वव.3-5, एम.एस.जी)।
लोगों ने कहा, " आओ, हम उनके निवास में प्रवेश करें, हम उनके चरणों की चौकी के आगे दण्डवत् करें! हे यहोवा, उठकर अपने विश्राम स्थान में आ..क्योंकि परमेश्वर ने सिय्योन को चुना है, उसने इसे अपना निवासस्थान बनाना चाहा है" (वव.7-8)। परमेश्वर ने कहा, " यह तो युग युग के लिये मेरा विश्रामस्थान है" (व.14, एम.एस.जी)।
प्रार्थना
परमेश्वर मैं आपकी उपस्थिति की लालसा करता हूँ। आपके चरणों के पास आराधना करना बहुत अच्छा है। आपका धन्यवाद कि पिंतेकुस्त के दिन, जब परमेश्वर का आत्मा ऊँडेला गया, आपकी उपस्थिति आपके लोगों में और उनके बीच रहने आ गई।
1 पतरस 2:4-25
4 यीशु मसीह के निकट आओ। वह सजीव पत्थर है। उसे संसारी लोगों ने नकार दिया था किन्तु जो परमेश्वर के लिए बहुमूल्य है और जो उसके द्वारा चुना गया है। 5 तुम भी सजीव पत्थरों के समान एक आध्यात्मिक मन्दिर के रूप में बनाए जा रहे हो ताकि एक ऐसे पवित्र याजकमण्डल के रूप में सेवा कर सको जिसका कर्तव्य ऐसे आध्यात्मिक बलिदान समर्पित करना है जो यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर को ग्राह्य हों। 6 शास्त्र में लिखा है:
“देखो, मैं सिय्योन में एक कोने का पत्थर रख रहा हूँ,
जो बहुमूल्य है और चुना हुआ है
इस पर जो कोई भी विश्वास करेगा उसे कभी भी नहीं लजाना पड़ेगा।”
7 तुम विश्वासियों के लिये बहुमूल्य है किन्तु जो विश्वास नहीं करते हैं उनके लिए:
“वही पत्थर जिसे शिल्पियों ने नकारा था
सब से महत्वपूर्ण कोने का पत्थर बन गया।”
8 तथा वह बन गया:
“एक ऐसा पत्थर जिससे लोगों को ठेस लगे
और ऐसी एक चट्टान जिससे लोगों को ठोकर लगे।”
लोग ठोकर खाते हैं क्योंकि वे परमेश्वर के वचन का पालन नहीं करते और बस यही उनके लिए ठहराया गया है।
9 किन्तु तुम तो चुने हुए लोग हो याजकों का एक राज्य, एक पवित्र प्रजा एक ऐसा नर-समूह जो परमेश्वर का अपना है, ताकि तुम परमेश्वर के अद्भुत कर्मों की घोषणा कर सको। वह परमेश्वर जिसने तुम्हें अन्धकार से अद्भुत प्रकाश में बुलाया।
10 एक समय था जब तुम प्रजा नहीं थे
किन्तु अब तुम परमेश्वर की प्रजा हो।
एक समय था जब तुम दया के पात्र नहीं थे
किन्तु अब तुम पर परमेश्वर ने दया दिखायी है।
परमेश्वर के लिए जीओ
11 हे प्रिय मित्रों, मैं तुम से, जो इस संसार में अजनबियों के रूप में हो, निवेदन करता हूँ कि उन शारीरिक इच्छाओं से दूर रहो जो तुम्हारी आत्मा से जूझती रहती हैं। 12 विधर्मियों के बीच अपना व्यवहार इतना उत्तम बनाये रखो कि चाहे वे अपराधियों के रूप में तुम्हारी आलोचना करें किन्तु तुम्हारे उत्तम कर्मों के परिणाम स्वरूप परमेश्वर के आने के दिन वे परमेश्वर को महिमा प्रदान करें।
अधिकारी की आज्ञा मानो
13 प्रभु के लिये हर मानव अधिकारी के अधीन रहो। 14 राजा के अधीन रहो। वह सर्वोच्च अधिकारी है। शासकों के अधीन रहो। उन्हें उसने कुकर्मियों को दण्ड देने और उत्तम कर्म करने वालों की प्रशंसा के लिए भेजा है। 15 क्योंकि परमेश्वर की यही इच्छा है कि तुम अपने उत्तम कार्यों से मूर्ख लोगों की अज्ञान से भरी बातों को चुप करा दो। 16 स्वतन्त्र व्यक्ति के समान जीओ किन्तु उस स्वतन्त्रता को बुराई के लिए आड़ मत बनने दो। परमेश्वर के सेवकों के समान जीओ। 17 सबका सम्मान करो। अपने धर्म भाइयों से प्रेम करो। परमेश्वर का आदर के साथ भय मानो। शासक का सम्मान करो।
मसीह की यातना का दृष्टान्त
18 हे सेवकों, यथोचित आदर के साथ अपने स्वामियों के अधीन रहो। न केवल उनके, जो अच्छे हैं और दूसरों के लिए चिंता करते हैं बल्कि उनके भी जो कठोर हैं। 19 क्योंकि यदि कोई परमेश्वर के प्रति सचेत रहते हुए यातनाएँ सहता है और अन्याय झेलता है तो वह प्रशंसनीय है। 20 किन्तु यदि बुरे कर्मो के कारण तुम्हें पीटा जाता है और तुम उसे सहते हो तो इसमें प्रशंसा की क्या बात है। किन्तु यदि तुम्हें तुम्हारे अच्छे कामों के लिए सताजा जाता है तो परमेश्वर के सामने वह प्रशंसा के योग्य है। 21 परमेश्वर ने तुम्हें इसलिए बुलाया है क्योंकि मसीह ने भी हमारे लिए दुःख उठाये हैं और ऐसा करके हमारे लिए एक उदाहरण छोड़ा है ताकि हम भी उसी के चरण चिन्हों पर चल सकें।
22 “उसने कोई पाप नहीं किया
और न ही उसके मुख से कोई छल की बात ही निकली।”
23 जब वह अपमानित हुआ तब उसने किसी का अपमान नहीं किया, जब उसने दुःख झेले, उसने किसी को धमकी नहीं दी, बल्कि उस सच्चे न्याय करने वाले परमेश्वर के आगे अपने आपको अर्पित कर दिया। 24 उसने क्रूस पर अपनी देह में हमारे पापों को ओढ़ लिया। ताकि अपने पापों के प्रति हमारी मृत्यु हो जाये और जो कुछ नेक है उसके लिए हम जीयें। यह उसके उन घावों के कारण ही हुआ जिनसे तुम चंगे किये गये हो। 25 क्योंकि तुम भेड़ों के समान भटक रहे थे किन्तु अब तुम अपने गड़रिये और तुम्हारी आत्माओं के रखवाले के पास लौट आये हो।
समीक्षा
यीशु में परमेश्वर को पाइए
यीशु ने सबकुछ बदल दिया।
वह नये घर के सिरे के पत्थर हैं, जो लोगों से बना हुआ हैः " उनके पास आकर, जिसे मनुष्यों ने तो निकम्मा ठहराया परन्तु परमेश्वर के निकट चुना हुआ है बहुमूल्य जीवता पत्थर है, तुम भी खुद जीवते पत्थरों के समान आत्मिक घर बनते जाते हो" (वव.4-5अ)।
यीशु या तो सिरे के पत्थर हैं या वह ठोकर का कारण हैं (वव.7-8)। आज बहुत से लोग यीशु को ठोकर का कारण पाते हैं। लेकिन यदि आप उसे अपने जीवन का सिरे का पत्थर बनायेंगे और उन पर भरोसा करेंगे, तो आप "कभी भी लज्जित नहीं होंगे" (व.6)।
पतरस हर विश्वास करने वाले से कहते हैं कि हम जीवित पत्थर बनने के लिए बुलाए गए हैं जो आत्मिक घर बनाता है जो कि यीशु के चारों ओर बना हुआ है। परमेश्वर के घराने के रूप में चर्च के इस चित्र के द्वारा मैं हाल ही में चकित हो गया। जब आप यीशु से मिलते हैं तब आप घर आ जाते हैं।
इन वचनों में इस स्थानांतरण का पूर्ण वर्णन हैः " पर तुम चुना हुआ वंश, और राज – पदधारी याजकों का समाज, और पवित्र लोग, और (परमेश्वर की) निज प्रजा हो, इसलिये कि जिसने तुम्हें अन्धकार में से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है, उसके गुण प्रकट करो" (व.9, एम.एस.जी)।"
इनके प्रकाश में, अपने आस-पास के विश्व के सामने अलग तरीके से जीओ - " हे प्रियो, मैं तुम से विनती करता हूँ कि तुम अपने आप को परदेशी और यात्री जानकर उन सांसारिक अभिलाषाओं से जो आत्मा से युध्द करती हैं, बचे रहो" (व.11, एम.एस.जी)।
हम परमेश्वर के लोग हैं। आपने दया ग्रहण की है (व.10)। अब लड़ाई आपके हाथों में है। यह बहुत ही वास्तविक है। उन सांसारिक अभिलाषाओं से जो आत्मा से युध्द करती है, बचे रहो (व.11)।
जिन – जिन बातों में वे तुम्हें कुकर्मी जानकर बदनाम करते हैं, उससे चकित मत हो (व.12)। ऐसा एक जीवन जीने का प्रयास करो जो परमेश्वर को महिमा देता है। इसमें शामिल है अधिकार के लिए सम्मान (व.13, एम.एस.जी), भलाई करना (व.15), हर किसी के साथ शालीनता से बर्ताव करना (व.17, एम.एस.जी), अपने आत्मिक परिवार के लिए प्रेम (व.17, एम.एस.जी), बदला न लेना (व.23), भलाई के बदले कष्ट उठाना (व.20) और "उनमें भरोसा करना जो सही न्याय करते हैं" (व.23)।
यह कैसे संभव है जब हम पापी मनुष्य हैं: पतरस का उत्तर यीशु की ओर संकेत करता हैः"वह आप ही हमारे पापों को अपनी देह पर लिये हुए क्रूस पर चढ़ गया, जिससे हम पापों के लिये मरकर सत्यनिष्ठा के लिये जीवन बिताएँ : उसी के मार खाने से तुम चंगे हो गए थे" (वव.24, एम.एस.जी)।
यीशु सबकुछ बदल देते हैं। पतरस यशायाह 53 में से लेते हैं, जो भविष्यवाणी करता है कि किस तरह से मसीहा अपने लोगों के स्थान में अपनी जान देगा। सिरे के पत्थर को नकारे जाने का यही अर्थ है, यह आपके विश्वास का नींव का पत्थर है, और इस तरह से आप परमेश्वर की उपस्थिति में वापस ला दिए गए। क्रूस पर, कष्ट का स्थान उद्धार का स्थान बन गया।
प्रार्थना
परमेश्वर, उस नये आत्मिक घर के लिए आपका धन्यवाद जो आप बना रहे हैं, जहाँ पर मैं परमेश्वर की उपस्थिति का अनुभव कर सकता हूँ।
यहेजकेल 43:1-44:31
यहोवा अपने लोगों के बीच रहेगा
43वह व्यक्ति मुझे फाटक तक ले गया, उस फाटक तक जो पूर्व को खुलता था। 2 वहाँ पूर्व से इस्राएल के परमेश्वर की महिमा उतरी। परमेश्वर का आवाज समुद्र के गर्जन के समान ऊँचा था। परमेश्वर की महिमा से भूमि प्रकाश से चमक उठी थी। 3 दर्शन वैसा ही था जैसा दर्शन मैंने कबार नदी के किनारे देखा था। मैंने धरती पर अपना माथा टेकते हुए प्रणाम किया। 4 यहोवा की महिमा, मन्दिर में उस फाटक से आई जो पूर्व को खुलता है।
5 तब आत्मा ने मुझे ऊपर उठाया और भीतरी आँगन में ले गई। यहोवा की महिमा ने मन्दिर को भर दिया। 6 मैंने मन्दिर के भीतर से किसी को बातें करते सुना। व्यक्ति मेरी बगल में खड़ा था। 7 मन्दिर में एक आवाज ने मुझसे कहा, “मनुष्य के पुत्र, यही स्थान मेरे सिंहासन और पदपीठ का है। मैं इस स्थान पर इस्राएल के लोगों में सदा रहूँगा। इस्राएल का परिवार मेरे पवित्र नाम को फिर बदनाम नहीं करेगा। राजा और उनके लोग मेरे नाम को अपवित्र करके या इस स्थान पर अपने राजाओं का शव दफनाकर लज्जित नहीं करेंगे। 8 वे मेरे नाम को, अपनी देहली को मेरी देहली के साथ बनाकर तथा अपने द्वार—स्तम्भ को मेरे द्वार—स्तम्भ के साथ बनाकर लज्जित नहीं करेंगे। अतीत में केवल एक दीवार उन्हें मुझसे अलग करती थी। अत: उन्होंने हर समय जब पाप और उन भयंकर कामों को किया तब मेरे नाम को लज्जित किया। यही कारण था कि मैं क्रोधित हुआ और उन्हें नष्ट किया। 9 अब उन्हें व्यभिचार को दूर करने दो और अपने राजाओं के शव को मुझसे बहुत दूर ले जाने दो। तब मैं उनके बीच सदा रहूँगा।
10 “अब मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के परिवार से उपासना के बारे में कहो। तब वे अपने पापों पर लज्जित होंगे। वे मन्दिर की योजना के बारे में सीखेंगे। 11 वे उन बुरे कामों के लिये लज्जित होंगे जो उन्होंने किये हैं। उन्हें मन्दिर की आकृति समझने दो। उन्हें यह सीखने दो कि वह कैसे बनेगा, उसका प्रवेश—द्वार, निकास—द्वार और इस पर की सारी रूपाकृतियाँ कहाँ होंगी। उन्हें इसके सभी नियमों और विधियों के बारे में सिखाओं और इन्हें लिखो जिससे वे सभी इन्हें देख सकें। तब वे मन्दिर के सभी नियमों और विधियों का पालन करेंगे। तब वे यह सब कुछ कर सकते हैं। 12 मन्दिर का नियम यह है: पर्वत की चोटी पर सारा क्षेत्र सर्वाधिक पवित्र है। यह मन्दिर का नियम है।
वेदी
13 “वेदी की माप, हाथों और इससे लम्बी माप का उपयोग करके, यह है। वेदी की नींव के चारों ओर एक गन्दा नाला था। यह एक हाथ गहरा और हर ओर एक हाथ चौड़ा था। इसके सिरे के चारों ओर एक बालिश्त नौ इंच ऊँची किनारी थी। वेदी कितनी ऊँची थी, वह यह थी। 14 भूमि से निचली किनारी तक, नींव की नाप दो हाथ है। यह एक हाथ चौड़ी थी। छोटी किनारी से बड़ी किनारी तक इसकी नाप चार हाथ होगी। यह दो हाथ चौड़ी थी। 15 वेदी पर आग का स्थान चार हाथ ऊँचा था। वेदी के चारों कोने सींगों के आकार के थे। 16 वेदी पर आग का स्थान बारह हाथ लम्बा और बारह हाथ चौड़ा था। यह पूरी तरह वर्गाकार था। 17 किनारी भी वर्गाकार थी, चौदह हाथ लम्बी और चौदह हाथ चौड़ी। इसके चारों ओर पट्टी आधा हाथ चौड़ी थी। (नींव के चारों ओर की गन्दी नाली दो हाथ चौड़ी थी।) वेदी तक जाने वाली पैड़ियाँ पूर्व दिशा में थीं।”
18 तब उस व्यक्ति ने मुझसे कहा, “मनुष्य के पुत्र, स्वामी यहोवा यह कहता है: ‘वेदी के लिये ये नियम हैं। जिस दिन होमबलि दी जानी होती है और इस पर खून छिड़कना होता है, 19 उस दिन तुम सादोक के परिवार के लोगों को एक नया बैल पाप बलि के रूप में दोगे। ये व्यक्ति लेवी परिवार समूह के हैं। वे याजक होते हैं। वे भेंट उन पुरुषों के पास लाएंगे और इस प्रकार मेरी सेवा करेंगे।’” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा। 20 “तुम बैल का कुछ खून लोगे और वेदी के चारों सींगों पर, किनारे के चारों कोनों पर और पट्टी के चारों ओर डालोगे। इस प्रकार तुम वेदी को पवित्र करोगे। 21 तुम बैल को पाप बलि के रूप में लोगे। बैल, पवित्र क्षेत्र के बाहर, मन्दिर के विशेष स्थान पर जलाया जाएगा।
22 “दूसरे दिन तुम बकरा भेंट करोगे जिसमें कोई दोष नहीं होगा। यह पाप बलि होगी। याजक वेदी को उसी प्रकार शुद्ध करेगा जिस प्रकार उसने बैल से उसे शुद्ध किया। 23 जब तुम वेदी को शुद्ध करना समाप्त कर चुको तब तुम्हें चाहिए कि तुम एक दोष रहित नया बैल और रेवड़ में से एक दोष रहित मेढ़ा बलि चढ़ाओ। 24 तब याजक उन पर नमक छिड़केंगे। तब याजक बैल और मेढ़े को यहोवा को होमबलि के रूप में बलि चढ़ाएगे। 25 तुम एक बकरा प्रतिदिन सात दिन तक, पाप बलि के लिये तैयार करोगे। तुम एक नया बैल और रेवड़ से एक मेढ़ा भी तैयार करोगे। बैल और मेढ़े में कोई दोष नहीं होना चाहिए। 26 सात दिन तक याजक वेदी को पवित्र करते रहेंगे। तब याजक वेदी को समर्पित करेंगे। 27 इसके साथ ही वेदी को तैयार करने और इसे परमेश्वर को समर्पित करने के, वे सात दिन पूरे हो जाएंगे। आठवें दिन और उसके आगे याजक तुम्हारी होमबलि और मेल बलि वेदी पर चढ़ा सकते हैं। तब मैं तुम्हें स्वीकार करुँगा।” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा।
बाहरी द्वार
44तब वह व्यक्ति मुझे मन्दिर के बाहरी फाटक जिसका सामना पूर्व को है, वापस लाया। हम लोग द्वार के बाहर थे और बाहरी द्वार बन्द था। 2 यहोवा ने मुझसे कहा, “यह फाटक बन्द रहेगा। यह खोला नहीं जाएगा। कोई भी इससे होकर प्रवेश नहीं करेगा। क्यों क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा इससे प्रवेश कर चुका है। अत: यह बन्द रहना चाहिए। 3 लोगों का शासक इस स्थान पर तब बैठेगा जब वह मेल बलि को यहोवा के साथ खाएगा। वह फाटक के साथ के प्रवेश—कक्ष के द्वार से प्रवेश करेगा तथा उसी रास्ते से बाहर जाएगा।”
मन्दिर का पवित्रता
4 तब वह व्यक्ति मुझे उत्तरी द्वार से मन्दिर के सामने लाया। मैंने दृष्टि डाली और यहोवा की महिमा को यहोवा के मन्दिर में भरता देखा। मैंने अपने माथे को धरती पर टेकते हुए प्रणाम किया। 5 यहोवा ने मुझसे कहा, “मनुष्य के पुत्र, बहुत सावधानी से देखो! अपनी आँखों और कानों का उपयोग करो। इन चीजों को देखो। मैं तुम्हें मन्दिर के बारे में सभी नियम—विधि बताता हूँ। सावधानीपूर्वक मन्दिर के प्रवेश—द्वार और पवित्र स्थान से सभी निकासों को देखो। 6 तब इस्राएल के उन लोगों को यह सन्देश दो जिन्होंने मेरी आज्ञा पालन करने से इन्कार कर दिया था। उनसे कहो, मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, ‘इस्राएल के परिवार, मैंने तुम्हारे द्वारा की गई भयंकर चीजों को आवश्यकता से अधिक सहन किया है! 7 तुम विदेशियों को मेरे मन्दिर में लाये और उन लोगों का सचमुच खतना नहीं हुआ था। वे पूरी तरह से मेरे प्रति समर्पित नहीं थे। इस प्रकार तुमने मेरे मन्दिर को अपवित्र किया था। तुमने हमारी वाचा को तोड़ा, भयंकर काम किये और तब तुमने मुझे रोटी की भेंट, चर्बी और खून दिया। किन्तु इसने मेरे मन्दिर को गन्दा बनाया। 8 तुमने मेरी पवित्र चीजों की देखभाल नहीं की। नहीं, तुम विदेशियों को मेरे मन्दिर के लिये उत्तरदायी बनाया!’”
9 मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, “एक विदेशी को जिसका खतना न हुआ हो, मेरे मन्दिर में नहीं आना चाहिए, उन विदेशियों को भी नहीं, जो इस्राएल के लोगों के बीच स्थायी रूप से रहते हैं। उसका खतना अवश्य होना चाहिए और उसे मेरे प्रति पूरी तरह समर्पित होना चाहिए, इसके पूर्व कि वह मेरे मन्दिर में आए। 10 अतीत में, लेवीवंशियों ने मुझे तब छोड़ दिया, जब इस्राएल मेरे विरुद्ध गया। इस्राएल ने मुझे अपनी देवमूर्तियों का अनुसरण करने के लिये छोड़ा। लेवीवंशी अपने पाप के लिये दण्डित होंगे। 11 लेवीवंशी मेरे पवित्र स्थान में सेवा करने के लिये चुने गये थे। उन्होंने मन्दिर के फाटक की चौकीदारी की। हन्होंने मन्दिर में सेवा की। उन्होंने बलियों तथा होमबलियों के जानवरों को लोगों के लिये मारा। वे लोगों की सहायता करने और उनकी सेवा के लिये चुने गए थे। 12 किन्तु उन लेवीवंशियों ने मेरे विरुद्ध पाप करने में लोगों की सहायता की! उन्होंने लोगों को अपनी देवमूर्तियों की पूजा करने में सहायता की। अत: मैं उनके विरुद्ध प्रतिज्ञा कर रहा हूँ, ‘वे अपने पाप के लिये दण्डित होंगे।’” मेरे स्वामी यहोवा ने यह बात कही है।
13 “अत: लेवीवंशी बलि को मेरे पास याजकों की तरह नहीं लाएंगे। वे मेरी किसी पवित्र चीज के पास या सर्वाधिक पवित्र वस्तु के पास नहीं जाएंगे। वे अपनी लज्जा को, जो बुरे काम उन्होंने किये, उसके कारण, ढोएंगे। 14 किन्तु मैं उन्हें मन्दिर की देखभाल करने दूँगा। वे मन्दिर में काम करेंगे और वे सब काम करेंगे जो इसमें किये जाते हैं।
15 “सभी याजक लेवी के परिवार समूह से हैं। किन्तु जब इस्राएल के लोग मेरे विरुद्ध मुझसे दूर गए तब केवल सादोक परिवार के याजकों ने मेरे पवित्र स्थान की देखभाल की। अत: केवल सादोक के वंशज ही मुझे भेंट लाएंगे। वे मेरे सामने खड़े होंगे और अपने बलि चढ़ाए गए जानवरों की चर्बी और खून मुझे भेंट करेंगे।” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा! 16 “वे मेरे पवित्र स्थान में प्रवेश करेंगे। वे मेरी मेज के पास मेरी सेवा करने आएंगे। वे उन चीजों की देखमाल करेंगे जिन्हें मैंने उन्हें दीं। 17 जब वे भीतरी आँगन के फाटकों में प्रवेश करेंगे तब वे बहुमूल्य सन के वस्त्र पहनेंगे। जब वे भीतरी आँगन के फाटक और मन्दिर में सेवा करेंगे तब वे ऊनी वस्त्र पहनेंगे। 18 वे सन की पगड़ी अपने सिर पर धारण करेंगे और वे सन की जांघिया पहनेंगे। वे ऐसा कुछ नहीं पहनेंगे जिससे पसीना आये। 19 वे मेरी सेवा करते समय के वस्त्र को, बाहरी आँगन में लोगों के पास जाने के पहले, उतारेंगे। तब वे इन वस्त्रों को पवित्र कमरों में रखेंगे। तब वे दूसरे वस्त्र पहनेंगे। इस प्रकार वे लोगों को उन पवित्र वस्त्रों को छूने नहीं देंगे।
20 “वे याजक अपने सिर के बाल न ही मुड़वायेंगे, न ही अपने बालों को बहुत बढ़ने देंगे। यह इस बात को प्रकट करेगा कि वे शोकग्रस्त हैं और याजकों को यहोवा की सेवा के विषय में प्रसन्न रहना चाहिये। याजक अपने सिर के बालों की केवल छंटाई कर सकते हैं। 21 कोई भी याजक उस समय दाखमधु नहीं पी सकता जब वे भीतरी आँगन में जाता है। 22 याजक को विधवा से या तलाक प्राप्त स्त्री से विवाह नहीं करना चाहिए। नहीं, वे इस्राएल के परिवार की कन्यायों से विवाह करेंगे, या वे उस स्त्री से विवाह कर सकते हैं, जिसका पति याजक रहा हो।”
23 “याजक मेरे लोगों को, पवित्र चीजों और जो चीजें पवित्र नहीं है, के बीच अन्तर के विषय में भी शिक्षा देंगे। वे मेरे लोगों को, जो शुद्ध और जो शुद्ध नहीं है, की जानकारी करने में सहायता देंगे। 24 याजक न्यायालय में न्यायाधीश होगा। वे लोगों के साथ न्याय करते समय मेरे नियम का अनुसरण करेंगे। वे मेरी विशेष दावतों के समय मेरे नियम—विधियों का पालन करेंगे। वे मेरे विशेष विश्राम के दिनों का सम्मान करेंगे और उन्हें पवित्र रखेंगे। 25 वे व्यक्ति के शव के पास जाकर अपने को अपवित्र करने नहीं जाएंगे। किन्तु वे तब अपने को अपवित्र कर सकते हैं यदि मरने वाला व्यक्ति पिता, माता, पुत्र, पुत्री, भाई या अविवाहित बहन हो। ये याजक को अपवित्र बनायेगा। 26 शुद्ध किये जाने के बाद याजक को सात दिन तक प्रतीक्षा करनी चाहिए। 27 तब यह पवित्र स्थान को लौट सकता है। किन्तु जिस दिन वह भीतरी आँगन के पवित्र स्थान में सेवा करने जाये उसे पापबलि अपने लिये चढ़ानी चाहिये।” मेरा स्वामी यहोवा ने यह कहा।
28 “लेवीवंशियों की अपनी भूमि के विषय में: मैं उनकी सम्पत्ति हूँ। तुम लेवीवंशियों को कोई सम्पत्ति (भूमि) इस्राएल में नहीं दोगे। मैं इस्राएल में उनके हिस्से में हूँ। 29 वे अन्नबलि, पापबलि, दोषबलि खाने के लिये पाएंगे। जो कुछ इस्राएल के लोग यहोवा को देंगे, वह उनका होगा। 30 हर प्रकार की तैयार फसल का प्रथम भाग याजकों के लिये होगा। तुम अपने गूंधे आटे का प्रथम भाग भी याजक को दोगे। यह तुम्हारे परिवार पर आशीर्वाद की वर्षा करेगा। 31 याजक को उस पक्षी या जानवर नहीं खाना चाहिये जिसकी स्वाभाविक मृत्यु हो या जो जंगली जानवर द्वारा टुकड़े—टुकड़े कर दिया गया हो।
समीक्षा
परमेश्वर के "घर" में परमेश्वर को पाइए
परमेश्वर का आत्मा आपके लिए यीशु को वास्तविक बनाते हैं:" तब आत्मा ने मुझे उठाकर भीतरी आँगन में पहुँचाया; और यहोवा का तेज भवन में भर गया था" (43:5)।
यीशु मसीह परमेश्वर की महिमा हैं:"वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उनकी ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते पुत्र की महिमा" (यूहन्ना 1:14)।
दर्शन में, यहेजकेल यीशु को देखते हैं, "इस्राएल के परमेश्वर की महिमा" (यहेजकेल 43:2)। " उनकी वाणी बहुत से जल की घरघराहट सी हुई; और उनके तेज से पृथ्वी प्रकाशित हुई" (व.2)। जहाँ पर यीशु हैं, उनके आस-पास की हर चीज चमकने लगती है। यीशु की उपस्थिति में, हम केवल मुँह के बल गिरकर उनकी आराधना कर सकते हैं (व.3):"यहोवा का तेज उस फाटक से होकर भवन में आ गया और मैं मुँह के बल गिर पड़ा" (व.4, ए.एम.पी.)।
हर बार जब परमेश्वर के लोग आराधना में इकट्ठा होते हैं, उदाहरण के लिए रविवार की सभा में, आशा कीजिए कि "परमेश्वर की महिमा" घर को भर दे। यही कारण है कि चर्च को बहुत ही उत्साहजनक, शक्तिशाली और जीवन बदलने वाला होना चाहिए।
जैसे ही हमने पुराने नियम में उन सभी बलिदानों के विषय में पढ़ा, जो उन्हें अपने पापों के लिए चढाना पड़ता था, हम याद रखते हैं कि इब्रानियों की पुस्तक हमें बताती है कि यह एक उदाहरण है (व.23)। वह आने वाली चीजों की "परछाई" थी (10:1)। उन्हें पाप बलिदान चढ़ाना पड़ता था (यहेजकेल 43:19) लहू के साथ (व.20) शुद्ध करने और प्रायश्चित करने के लिए (व.20)। बकरे में कोई खराबी नहीं होनी चाहिए थी (व.22)।
यह सब आपके लिए यीशु के सिद्ध बलिदान की परछाई था (1पतरस 2:24)।
यहेजकेल 44 की पवित्र याजकीय सेवकाई, 1पतरस 2:5 में वर्णन किए गए पवित्र याजकीय सेवकाई की परछाई था। अब यह हर मसीह का कार्य है। एक "याजक" के रूप में आपका पहला काम है अपने आपको पवित्र रखना, अपने आपको शुद्ध रखना ताकि परमेश्वर आपको इस्तेमाल कर सकें। आपका दूसरा कार्य है दूसरों की सहायता करना यह करने में, अपनी शिक्षा और अपने उदाहरण के द्वारा (यहेजकेल 44:23)।
अब परमेश्वर कहाँ हैं: अपने आत्मा के द्वारा वह आपके अंदर रहते हैं। वह वहाँ पर हैं, जहाँ हम उनके नाम में इकट्ठा होते हैं और आराधना, सम्मान और स्तुति में उनके सामने दंडवत करते हैं।
प्रार्थना
परमेश्वर, आपका धन्यवाद कि मैं एक पवित्र मंदिर हूँ जिसमें आप अपने आत्मा के द्वारा रहते हैं। एक पवित्र जीवन जीने के लिए मुझे आपकी सहायता की आवश्यकता है।
पिप्पा भी कहते है
1 पतरस 2:24
"उनके कोड़े खाने से तुम चंगे हो गए थे।"
जो चोट हमें जीवन में पहुँचती है, उसे हम क्रूस पर लाकर यीशु को दे सकते हैं। हमें भूतकाल को पकड़कर रखने की आवश्यकता नहीं है। यीशु ने कष्ट उठाया और अपनी जान दी ताकि हम चंगे हो जाएँ।
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संदर्भ
एलि विसल, रात, (पेन्गुविन , 1985)
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी", बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।
जैसा कि रिक वॉरन कहते है, "आप उन झूठ को नियंत्रित नहीं कर सकते है जो लोग शायद से आपके बारे में बोलते है। इस तरह से जीओ की लोगों को आप पर दोष लगाने के लिए बातें बनानी पड़े" (निकी गंबल)