परमेश्वर का महान अनुग्रह
परिचय
दोषी अपराधियों की भीड़ को मृत्युदंड के लिए ले जाते हुए देखकर, जॉन ब्रेडफोर्ड (सी.1510 - 1555), अंग्रेजी सुधारक, ने कहाः" वहाँ पर, लेकिन परमेश्वर के अनुग्रह के लिए, जॉन ब्रेडफोर्ड जाते हैं।"
1807 में, जॉन न्यूटन, जो "अमेजिंग ग्रेस (अद्भुत अनुग्रह)" गीत के संगीतकार के रूप में जाने जाते हैं, उन्होंने अपने आखिरी समय में परमेश्वर के अद्भुत अनुग्रह के कुछ अंतिम शब्दों को संपुटित किया। उन्होंने कबूल किया कि, "मैं बहुत बड़ा पापी हूँ लेकिन मसीह महान उद्धारकर्ता हैं।"
आज के नये नियम के लेखांश में, पतरस बताते हैं " परमेश्वर जो सारे अनुग्रह के दाता हैं" (1पतरस 5:10)। परमेश्वर के महान अनुग्रह के प्रति आपको कैसे उत्तर देना चाहिए:
भजन संहिता 134:1-3
आरोहण का गीत।
134ओ, उसके सब सेवकों, यहोवा का गुण गान करो।
सेवकों सारी रात मन्दिर में तुमने सेवा की।
2 सेवकों, अपने हाथ उठाओ
और यहोवा को धन्य कहो।
3 और सिय्योन से यहोवा तुम्हें धन्य कहे।
यहोवा ने स्वर्ग और धरती रचे हैं।
समीक्षा
सभी अनुग्रह के दाता परमेश्वर की स्तुति कीजिए और उनका धन्यवाद दीजिए
अनुग्रह एक वरदान है, और एक वरदान के लिए उचित उत्तर है धन्यवादिता। स्तुति धन्यवादिता का मुख्य प्रकार है, और इसलिए स्तुति और आराधना सभी अनुग्रह के दाता परमेश्वर के लिए उचित प्रतिक्रिया है।
भजनसंहिता के लेखक लिखते हैं, " हे यहोवा के सब सेवकों, सुनो, तुम जो रात को यहोवा के भवन में खड़े रहते हो, यहोवा को धन्य कहो! अपने हाथ पवित्रस्थान में उठाकर, यहोवा को धन्य कहो" (वव.1-2)।
प्रार्थना
परमेश्वर, आपका बहुत धन्यवाद कि आप सारे अनुग्रह के दाता परमेश्वर हैं। आपका धन्यवाद कि आप, "स्वर्ग और पृथ्वी के निर्माता, मुझे आशीष देते हैं" (व.3)।
1 पतरस 5:1-14
परमेश्वर का जन-समूह
5अब मैं तुम्हारे बीच जो बुज़ुर्ग हैं, उनसे निवेदन करता हूँ: मैं, जो स्वयं एक बुज़ुर्ग हूँ और मसीह ने जो यातनाएँ झेली हैं, उनका साक्षी हूँ तथा वह भावी महिमा जो प्रकट होने को है, उसका सहभागी हूँ। 2 राह दिखाने वाले परमेश्वर का जन-समूह तुम्हारी देख-रेख में है और निरीक्षक के रूप में तुम उसकी सेवा करते हो; किसी दबाव के कारण नहीं, बल्कि परमेश्वर की इच्छानुसार ऐसा करने की स्वेच्छा के कारण तुम अपना यह काम धन के लालच में नहीं बल्कि सेवा करने के प्रति अपनी तत्परता के कारण करते हो। 3 देख-रेख के लिए जो तुम्हें सौंपे गए हैं, तुम उनके कठोर निरंकुश शासक मत बनो। बल्कि लोगों के लिए एक आदर्श बनो। 4 ताकि जब वह प्रधान रखवाला प्रकट हो तो तुम्हें विजय का वह भव्य मुकुट प्राप्त हो जिसकी शोभा कभी घटती नहीं है।
5 इसी प्रकार हे नव युवकों! तुम अपने धर्मवृद्धों के अधीन रहो। तुम एक दूसरे के प्रति विनम्रता धारण करो, क्योंकि
“परमेश्वर अभिमानीयों का विरोध करता है
किन्तु दीन जनों पर सदा अनुग्रह रहता है।”
6 इसलिए परमेश्वर के महिमावान हाथ के नीचे अपने आपको नवाओ। ताकि वह उचित अवसर आने पर तुम्हें ऊँचा उठाए। 7 तुम अपनी सभी चिंताएँ उस पर छोड़ दो क्योंकि वह तुम्हारे लिए चिंतित है।
8 अपने पर नियन्त्रण रखो। सावधान रहो। तुम्हारा शत्रु शैतान एक गरजते सिंह के समान इधर-उधर घूमते हुए इस ताक में रहता है कि जो मिले उसे फाड़ खाए। 9 उसका विरोध करो और अपने विश्वास पर डटे रहो क्योंकि तुम तो जानते ही हो कि समूचे संसार में तुम्हारे भाई बहन ऐसी ही यातनाएँ झेल रहे हैं।
10 किन्तु सम्पूर्ण अनुग्रह का स्रोत परमेश्वर जिसने तुम्हें यीशु मसीह में अनन्त महिमा का सहभागी होने के लिए बुलाया है, तुम्हारे थोड़े समय यातनाएँ झेलने के बाद स्वयं ही तुम्हें फिर से स्थापित करेगा, समर्थ बनाएगा और स्थिरता प्रदान करेगा। 11 उसकी शक्ति अनन्त है। आमीन।
पत्र का समापन
12 मैंने तुम्हें यह छोटा-सा पत्र, सिलवानुस के सहयोग से, जिसे मैं अपना विश्वासपूर्ण भाई मानता हूँ, तुम्हें प्रोत्साहित करने के लिए कि परमेश्वर का सच्चा अनुग्रह यही है, इस बात की साक्षी देने के लिए लिखा है। इसी पर डटे रहो।
13 बाबुल की कलीसिया जो तुम्हारे ही समान परमेश्वर द्वारा चुनी गई है, तुम्हें नमस्कार कहती है। मसीह में मेरे पुत्र मरकुस का भी तुम्हें नमस्कार। 14 प्रेमपूर्ण चुम्बन से एक दूसरे का स्वागत सत्कार करो।
तुम सबको, जो मसीह में हो, शांति मिले।
समीक्षा
सारे अनुग्रह के दाता परमेश्वर के सामने अपने आपको दीन करिए
लीडर्स " झुंड के लिये आदर्श" बनने के लिए बुलाए गए हैं (व.3)। दीनता मसीह लीडर का चिह्न होनी चाहिए। दूसरों के बॉस बनकर मत घूमिए, उन्हें बताते हुए कि क्या करना हैः" जो लोग तुम्हें सौंपे गए हैं, उन पर अधिकार मत जताइए" (व.3); "बॉस की तरह दूसरों को मत बताइए कि क्या करना है, बल्कि सौम्यता से उन्हे मार्ग दिखाइए" (व.3, एम.एस.जी)।
चर्च में लीडर्स चरवाह बनने के लिए बुलाए गए हैं। पोप प्रांसिस कहते हैं कि पास्टर्स से भेड़ो की गंध आनी चाहिए। चरवाह अपनी भेड़ से प्रेम करते हैं, उनकी देखभाल करते हैं और उनके करीब रहते हैं। एक लीडर दूसरों के पासवान संबंधी कार्य पर ध्यान देते हैं, उन्हें उत्साहित करते हुए कि उनके उपहार का इस्तेमाल करिए।
पतरस कहते हैं कि इसे काम की तरह नहीं करना चाहिए, बल्कि ऐसा कुछ जो हम सच में करना चाहते हैं (व.2)। यह व्यक्तिगत लाभ की इच्छा से नहीं करना चाहिए - "ना ही पैसे के लालच में" (व.2) – लेकिन दूसरों की सेवा करने की इच्छा से - "सेवा करने के लिए तत्पर रहकर" (व.2)।
फिर पतरस कहते हैं कि " इसी प्रकार हे नवयुवको, तुम भी प्राचीनों के अधीन रहो" (व.5, एम.एस.जी)।एक लीडर्स को अनुग्रह के साथ अगुवाई करनी चाहिए और अनुयायियों ने अनुग्रह के साथ अनुकरण करना चाहिए।
"आप सभी के लिए" वह तीन निर्देश देकर अपने पत्र का समापन करते हैं (व.5)। वे "सारे अनुग्रह के दाता परमेश्वर" के लिए एक उत्तर है (व.10)। अनुग्रह नये नियम में फैला हुआ है और यह इस लेखांश में भरा हुआ हैः"यह सच्चा अनुग्रह है" (व.12)।
1. अपने आपको दीन करिए
पतरस लिखते हैं, " तुम सब के सब एक दूसरे की सेवा के लिये दीनता से कमर बाँधे रहो" (व.5)। क्योंकि "परमेश्वर अभिमानियों का विरोध करते हैं, परन्तु दीनों पर अनुग्रह करते हैं" (व.5ब)। दीनता एक चुनाव है। यह ऐसा कुछ है जो आपको खुद करने की आवश्यकता हैः "अपने आपको दीन करिए" (व.6)। दीनता इच्छा का एक कार्य है।
सी.एस.लेविस बताते हैं, दीनता "अपने बारे में कम सोचना नहीं है; यह अपने आपको कम समझना है।" दीनता और अनुग्रह के बीच में एक मजबूत कड़ी है। क्योंकि अनुग्रह मुफ्त है, अनुग्रह के लिए एकमात्र उचित उत्तर है दीनता।
2. परमेश्वर के सामने चिंता मुक्त जीवन जीएं
पतरस लिखते हैं, " अपनी सारी चिन्ता उन्ही पर डाल दो, क्योंकि उनको तुम्हारा ध्यान है" (व.7)। इन शब्दों के साथ वह समापन करते हैं, " तुम सब को, जो मसीह में हो, शान्ति मिलती रहे" (व.14)। परमेश्वर आपसे प्रेम करते हैं। वह सारे अनुग्रह के दाता परमेश्वर हैं। आप अपनी सारी चिंताओं को उन पर डाल सकते हैं। उन्हें देने के लिए कोई भी बहुत बड़ा या बहुत छोटा नहीं है। थॉमस अ केंपिस ने लिखा, "वे हल्की यात्रा करते हैं जिन्हें परमेश्वर का अनुग्रह लेकर जाता है।"
शांतिपूर्ण रहना प्रमाण है कि आपने अपने आपको परमेश्वर के सामने दीन किया है, और आप उन पर भरोसा करते हैं कि वह करेंगे, जो करने की आवश्यकता है।
3. सचेत रहिए
"सचेत रहिए, और जागते रहिए; क्योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गरजने वाले सिंह के समान इस खोज में रहता है कि किस को फाड़ खाए" (व.8, एम.एस.जी)। पतरस अपने पढ़ने वालों को स्मरण कराते हैं कि "केवल वे ही" कष्ट नहीं उठा रहे है और यह "हमेशा बना नहीं रहेगा, " यह कहते हुए कि परमेश्वर "अंतिम निर्णायक हैं" (वव.9-11, एम.एस.जी)।
इस लेखांश में जिन गुणों की सराहना की गई है वे हमारी संस्कृति के मूल्य से बहुत अलग है। जवानी का फैशन और सुंदरता के स्थान पर प्राचीन और बुद्धिमानों को महत्व देने और उनके प्रति समर्पित रहने पर जोर दिया गया है। आत्म-वोवर्धन के स्थान पर दीनता को बताया गया है। तनाव और चिंता के संघर्षों से निपटने के लिए आपसे परमेश्वर की सहायता का वायदा किया गया है। शीघ्र तृप्ति के पीछे जाने के बजाय, आपको "आत्मसंयमी और सचेत" होने के लिए बुलाया गया है। यह करने के लिए सरल चीजें नहीं हैं – लेकिन यदि आप उन्हें करते हैं, तो आप दृढ़ खड़े रहेंगे और शैतान का सामना करेंगे।
परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि समर्पित, दीन, आत्मसंयमी और सचेत बनूं। मेरी सहायता कीजिए कि शैतान के कार्य से अनजान न रहूँ और उसे रोकूं भी।
प्रार्थना
दानिय्येल 1:1-2:23
दानिय्येल का बाबुल ले जाया जाना
1नबूकदनेस्सर बाबुल का राजा था। नबूकदनेस्सर ने यरूशलेम पर आक्रमण किया और अपनी सेना के साथ उसने यरूशलेम को चारों ओर से घेर लिया। यह उन दिनों की बात है जब यहूदा के राजा यहोयाकीम के शासन का तीसरा वर्ष चल रहा था। 2 यहोवा ने यहूदा के राजा यहोयाकीम को नबूकदनेस्सर के द्वारा पराजित करा दिया। नबूकदनेस्सर ने परमेश्वर के मन्दिर के साज़ो—सामान को भी हथिया लिया। नबूकदनेस्सर उन वस्तुओं को शिनार ले गया। नबूकदनेस्सर ने उन वस्तुओं को उस मन्दिर में रखवा दिया जिसमें उसके देवताओं की मूर्तियाँ थीं।
3 इसके बाद राजा नबूकदनेस्सर ने अशपनज को एक आदेश दिया। (अशपनज राजा के खोजे सवकों का प्रधान था।) राजा ने अशपनज को कुछ यहूदी पुरूषों को उसके महल में लाने को कहा था। नबूकदनेस्सर चाहता था कि प्रमुख परिवारों और इस्राएल के राजा के परिवार के कुछ यहूदी पुरूषों को वहाँ लाया जाये। 4 नबूकदनेस्सर को केवल हट्टे—कट्टे यहूदी जवान ही चाहिये थे। राजा को बस ऐसे युवक ही चाहिये थे जिनके शरीर पर कोई खरोंच तक न लगी हो और उनका शरीर किसी भी तरह के दोष से रहित हो। राजा सुन्दर, चुस्त और बुद्धिमान नौजवान ही चाहता था। राजा को ऐसे युवक चाहिये थे जो बातों को शीघ्रता से और सरलता से सीखने में समर्थ हों।राजा को ऐसे युवको की आवश्यकता थी जो उसके महल में सेवा कार्य कर सकें। राजा ने अशपनज को आदेश दिया कि उन इस्राएली युवकों को कसदियों की भाषा और लिपि की शिक्षा दी जाये।
5 राजा नबूकदनेस्सर उन युवकों को प्रतिदिन एक निश्चित मात्रा में भोजन और दाखमधु दिया करता था। यह भोजन उसी प्रकार का होता था, जैसा स्वयं राजा खाया करता था। राजा की इच्छा थी कि इस्राएल के उन युवकों को तीन वर्ष तक प्रशिक्षण दिया जाये और फिर तीन वर्ष के बाद वे युवक बाबुल के राजा के सेवक बन जायें। 6 उन युवकों में दानिय्येल, हनन्याह, मीशाएल और अजर्याह शामिल थे। ये युवक यहूदा के परिवार समूह से थे। 7 सो इसके बाद यहूदा के उन युवकों को अशपनज ने नये नाम रख दिये। दानिय्येल को बेलतशस्सर का नया नाम दिया गया। हनन्याह का नया नाम था शद्रक। मीशाएल को नया नाम दिया गया मेशक और अजर्याह का नया नाम रखा गया अबेदनगो।
8 दानिय्येल राजा के उत्तम भोजन और दाखमधु को ग्रहण करना नहीं चाहता था। दानिय्येल नहीं चाहता था कि वह उस भोजन और उस दाखमधु से अपने आपको अशुद्ध कर ले। सो उसने इस प्रकार अपने आपको अशुद्ध होने से बचाने के लिये अशपनज से विनती की।
9 परमेश्वर ने अशपनज को ऐसा बना दिया कि वह दानिय्येल के प्रति कृपालु और अच्छा विचार करने लगा। 10 किन्तु अशपनज ने दानिय्येल से कहा, “मैं अपने स्वामी, राजा से डरता हूँ। राजा ने मुझे आज्ञा दी है कि तुम्हें यह भोजन और यह दाखमधु दी जाये। यदि तू इस भोजन को नहीं खाता है तो तू दुर्बल और रोगी दिखने लगेगा। तू अपनी उम्र के दूसरे युवकों से भद्दा दिखाई देगा। राजा इसे देखेगा और मुझ पर क्रोध करेगा। हो सकता है, वह मेरा सिर कटवा दे! जबकि यह दोष तुम्हारा होगा।”
11 इसके बाद दानिय्येल ने अपने देखभाल करने वाले से बातचात की। अशपनज ने उस रखवाले को दानिय्येल, हनन्याह, मीशाएल और अजर्याह के ऊपर ध्यान रखने को कहा हुआ था। 12 दानिय्येल ने उस रखवाले से कहा, “कृपा करके दस दिन तक तू हमारी परीक्षा ले। हमे खाने को साग—सब्जी और पीने को पानी के सिवाय कुछ मत दे। 13 फिर दस दिन के बाद उन दूसरे नौजवानों के साथ तू हमारी तुलना करके देख, जो राजा का भोजन करते हैं और फिर अपने आप देख कि अधिक स्वस्थ कौन दिखाई देता है। फिर तू अपने—आप यह निर्णय करना कि तू हमारे साथ कैसा व्यवहार करना चाहता है। हम तो तेरे सेवक हैं।”
14 सो वह रखवाला दानिय्येल, हनन्याह, मीशाएल और अजर्याह की दस दिन तक परीक्षा लेते रहने के लिये तैयार हो गया। 15 दस दिनों के बाद दानिय्येल और उसके मित्र उन सभी नौजवानों से अधिक हट्टे—कट्टे दिखाई देने लगे जो राजा का खाना खा रहे थे। 16 सो उस रखवाले ने उन्हें राजा का वह विशेष भोजन और दाखमधु देना बन्द कर दिया और वह दानिय्येल, हनन्याह, मीशाएल और अजर्याह को उस खाने के स्थान पर साग सब्जियाँ देने लगा।
17 परमेश्वर ने दानिय्येल, हनन्याह, मीशाएल और अजर्याह को बुद्धि प्रदान की और उन्हें अलग—अलग तरह की लिपियों और विज्ञानों को सीखने की योग्यता दी। दानिय्येल तो हर प्रकार के दिव्य दर्शनों और स्वपनों को भी समझ सकता था।
18 राजा चाहता था कि उन सभी युवकों को तीन वर्ष तक प्रशिक्षण दिया जाये। प्रशिक्षण का समय पूरा होने पर अशपनज उन सभी युवकों को राजा नबूकदनेस्सर के पास ले गया राजा ने उनसे बातें की। 19 राजा ने पाया कि उनमें से कोई भी युवक उतना अच्छा ही था जितने दानिय्येल, हनन्याह, मीशाएल और अजर्याक थे। सो वे चारों युवक राजा के सेवक बना दिये गये। 20 राजा हर बार उनसे किसी महत्वपूर्ण बात के बारे में पूछता और वे अपने प्रचुर ज्ञान और समझ बूझ का परिचय देते। राजा ने देखा कि वे चारों उसके राज्य के सभी जादूगरों और बुद्धिमान लोगों से दस गुणा अधिक उत्तम हैं। 21 सो राजा कुस्रू के शासन काल के पहले वर्ष तक दानिय्येल राजा की सेवकाई करता रहा।
नबूकदनेस्सर का स्वप्न
2नबूकदनेस्सर ने अपने शासन के दूसरे वर्ष के मध्य एक सपना देखा। उसके सपने ने उसे व्याकुल कर दिया। जैसे तैसे बहुत देर बाद उसे नींद आई। 2 सो राजा ने अपने समझदार लोगों को अपने पास बुलाया। वे लोग जादू—टोना किया करते थे, और तारों को देखा करते थे।सपनों का फल बताने के लिये वे ऐसा किया करते थे। वे ऐसा इसलिये करते थे कि जो कुछ भविष्य में घटने वाला है, वे उसे जान जायें। राजा उन लोगों से यह चाहता था कि वे, उसके बारे में उसे बतायें जो सपना उसने देखा है। सो वे भीतर आये और आकर राजा के आगे खड़े हो गये।
3 तब राजा ने उन लोगों से कहा, “मैंने एक सपना देखा है जिसमें मैं व्याकुल हूँ। मैं यह जानना चाहता हूँ कि उस सपने का अर्थ क्या है”
4 इस पर उन कसदियों ने राजा से उत्तर देते हुए कहा। वे अरामी भाषा में बोल रहे थे। “राजा चिरंजीव रहे। हम तेरे दास हैं। तू अपना स्वप्न हमें बता। फिर हम तुझे उसका अर्थ बतायेंगे।”
5 इस पर राजा नबूकदनेस्सर ने उन लोगों से कहा, “नहीं! वह सपना क्या था, यह भी तुम्हें ही बताना है और उस सपने का अर्थ क्या है, यह भी तुम्हें ही बताना है और यदि तुम ऐसा नहीं कर पाये तो मैं तुम्हारे टुकड़े—टुकड़े कर डालने की आज्ञा दे दूँगा। मैं तुम्हारे घरों को तोड़ कर मलबे के ढ़ेर और राख में बदल डालने की आज्ञा भी दे दूँगा 6 और यदि तुम मुझे मेरा सपना बता देते हो और उसकी व्याख्या कर देते हो तो मैं तुम्हें अनेक उपहार, बहुत से प्रतिफल और महान आदर प्रदान करूँगा। सो तुम मुझे मेरे सपने के बारे में बताओ और बताओ कि उसका अर्थ क्या है।”
7 उन बुद्धिमान पुरूषों ने राजा से फिर कहा, “हे राजन, कृपा करके हमें सपने के बारे में बताओ और हम तुम्हें यह बतायेंगे कि उस सपने का फल क्या है।”
8 इस पर राजा नबूकदनेस्सर ने कहा, “मैं जानता हूँ, तुम लोग और अधिक समय लेने का जतन कर रहे हो। तुम जानते हो कि मैंने जो कहा, वही मेरा अभिप्राय है। 9 तुम यह जानते हो कि यदि तुमने मुझे मेरे सपने के बारे में नहीं बताया तो तुम्हें दण्ड दिया जायेगा। सो तुम सब एक मत हो कर मुझसे बातें बना रहे हो। तुम और अधिक समय लेना चाहते हो। तुम्हें यह आशा है कि मैं जो कुछ करना चाहता हूँ उसे तुम्हारी बातों में आकर भूल जाऊँगा। अच्छा अब तुम मुझे मेरा सपना बताओ। यदि तुम मुझे मेरा सपना बता पाओगे तभी मैं यह जान पाऊँगा कि वास्तव में उस सपने का अर्थ क्या है। यह तुम मुझे बता पाओगे!”
10 कसदियों ने राजा को उत्तर देते हुए कहा, “हे राजन, धरती पर कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जैसा, आप करने को कह रहे हैं, जो वैसा कर सके। बुद्धिमान पुरूषों अथवा जादूगरों या कसदियों से किसी भी राजा ने कभी भी ऐसा करने को नहीं कहा। यहाँ तक कि महानतम और सबसे अधिक शक्तिशाली किसी भी राजा ने कभी अपने बुद्धिमान पुरूषों से ऐसा करने को नहीं कहा। 11 महाराज, आप वह काम करने को कह रहे हैं, जे असम्भव है। बस राजा को उसके सपने के बारे में और उसके फल के बारे में देवता ही बता सकते हैं। किन्तु देवता तो लोगों के बीच नहीं रहते।”
12 जब राजा ने यह सुना तो उसे बहुत क्रोध आया और उसने बाबुल के सभी विवेकी पुरूषों को मरवा डालने की आज्ञा दे दी। 13 राजा नबूकदनेस्सर के आज्ञा का ढ़िढोरा पिटवा दिया गया। सभी बुद्धिमान पुरूषों को मारा जाना था, इसलिये दानिय्येल और उसके मित्रों को भी मरवा डालने के लिये उनकी खोज में राज—पुरूष भेज दिये गये।
14 अर्योक राजा के रक्षकों का नायक था। वह बाबुल के बुद्धिमान पुरूषों को मार डालने के लिये जा रहा था, किन्तु दानिय्येल ने उससे बातचीत की। दानिय्येल ने अर्योक से बुद्धिमानी के साथ नम्रतापूर्वक बात की। 15 दानिय्येल ने अर्योक से पूछा, “राजा ने इतना कठोर दण्ड देने की आज्ञा क्यों दी है”
इस पर अर्योक ने राजा के सपने वाली सारी कहानी कह सुनाई, दानिय्येल उसे समझ गया। 16 दानिय्येल ने जब यह कहानी सुन ली तो वह राजा नबूकदनेस्सर के पास गया। दानिय्येल ने राजा से विनती की कि वह उसे थोड़ा समय और दे। उसके बाद वह राजा को उसका स्वप्न और उस स्वप्न का फल बता देगा।
17 इसके बाद दानिय्येल अपने घर को चल दिया। उसने अपने मित्र हनन्याह, मीशाएल और अजर्याह को वह सारी बात कह सुनाई। 18 दानिय्येल ने अपने मित्रों से स्वर्ग के परमेश्वर से प्रार्थना करने को कहा। दानिय्येल ने उनसे कहा कि वे परमेश्वर से प्रार्थना करें कि वह उन पर दयालु हो और इस रहस्य को समझने में उनकी सहायता करे जिससे बाबुल के दूसरे विवेकी पुरूषों के साथ दानिय्येल और उसके मित्र भी मौत के घाट न उतार दिये जायें।
19 रात के समय परमेश्वर ने एक दर्शनमें दानिय्येल को वह रहस्य समझा दिया। इस पर स्वर्ग के परमेश्वर की स्तुति करते हुए 20 दानिय्येल ने कहा:
“परमेश्वर के नाम की सदा प्रशंसा करो!
शक्ति और सामर्थ्य उसमें ही होते हैं!
21 वह ही समय को बदलता है वह ही वर्ष के ऋतओं को बदलता है।
वह ही राजाओं को बदलता है।
वही राजाओं को शक्ति देता है और वही छीन लेता है।
वही बुद्धि देता है और लोग बुद्धिमान बन जाते हैं।
वही लोगों को ज्ञान देता है और लोग ज्ञानी बन जाते हैं।
22 वह गहन और छिपे रहस्यों का ज्ञाता है जो समझ पाना कठिन है।
उसके संग प्रकाश बना रहता है,
सो इसी से वह जानता है कि अंधेर में और रहस्य भरे स्थानों में क्या है!
23 हे मेरे पूर्वजों के परमेश्वर, मैं तुझको धन्यवाद देता हूँ और तेरे गुण गाता हूँ।
तूने ही मझको ज्ञान और शक्ति दी।
जो बातें हमने पूछीं थी उनके बारे में तूने हमें बताया!
तूने हमें राजा के सपने के बारे में बताया।”
समीक्षा
सारे अनुग्रह के दाता परमेश्वर पर भरोसा कीजिए
क्या आप एक सांसारिक वातावरण में काम करते हैं जहाँ पर आपके आस-पास के लोगों का स्तर आपसे बहुत ही अलग है:
दानिय्येल की पुस्तक दानिय्येल और तीन दूसरे युवाओं के जीवन और कैरिअर के बारे में बताती है, जो बेबीलोन की नागरिक सेवा में समृद्ध हो पाये। उनका उदाहरण आपको एक महान आदर्श देता है कि कैसे एक भक्तिमय तरीके से काम करना है, इस संदर्भ में जहाँ पर परमेश्वर को पहचाना या उनके पीछे नहीं जाया जाता है। यह बहुत से "लौकिक" कार्यस्थलों में स्थिति को दर्शाता है। इसलिए ये अध्याय प्रायोगिक उदाहरण और सहायता के लिए सोने की खान है।
हम चार मित्रों को देखते हैं जो अपने मालिक की सहायता करते हैं, लेकिन बिना किसी समझौते के। वे झुकना अस्वीकार कर देते हैं, लेकिन वह अपने आपको उनकी नई स्थिति और कैरिअर में पूरे हृदय से डाल देते हैं। वे तीन वर्ष की लीडरशिप प्रशिक्षण और तैयारी से गुजरते हैं। वे अपने नामों को बदलने देते हैं यह दर्शाने के लिए कि वे अब बेबीलोन प्रशासन के एक भाग हैं, इसके परिणाम स्वरूप वे सभी सफल कैरिअर के पीछे जाते हैं।
उसी समय, वे संकल्प लेते हैं कि वे अपने विश्वास के साथ समझौता नहीं करेंगे या अपने आपको अशुद्ध नहीं करेंगे। आज आप अपने आपको अशुद्ध कर सकते हैं उन फिल्मों और टी.व्ही के द्वारा जो आप देखते हैं, इंटरनेट की जो साइट पर आप जाते हैं, या जिन चीजों को आप सुनते हैं। " परन्तु दानिय्येल ने अपने मन में ठान लिया था कि वह राजा का भोजन खाकर, और उसके पीने का दाखमधु पीकर अपवित्र नहीं होगा" (1:8)। (शायद से ऐसा इसलिए था क्योंकि राजसी भोजन बेबीलोन के ईश्वरों को चढ़ाया गया बलिदान था)। उन्होंने कभी भी अपने नये कैरिअर के लिए अपनी कटिबद्धता को परमेश्वर के प्रति उनकी निष्ठा के ऊपर जाने नहीं दिया।
किंतु, दानिय्येल बुद्धिमान थे उन्होंने केवल आज्ञा का पालन ही नहीं किया – उन्होंने अपने ऊपर अधिकारियों के साथ काम करने की कोशिश की। उन्होंने अनुमति माँगी और फिर परमेश्वर ने अपने अनुग्रह में, " खोजों के प्रधान के मन में दानिय्येल के प्रति कृपा और दया भर दी" (व.9)।
" परमेश्वर ने उन चारों जवानों को सब शास्त्रों और सब प्रकार की विद्याओं में बुध्दिमानी और प्रवीणता दी; और दानिय्येल सब प्रकार के दर्शन और स्वप्न के अर्थ का ज्ञानी हो गया" (व.17)। यद्यपि इन युवाओं में उल्लेखनीय स्वाभाविक योग्यता थी - " जो निर्दोष, सुन्दर और सब प्रकार की बुध्दि में प्रवीण, और ज्ञान में निपुण और विद्वान, और राजमन्दिर में हाजिर रहने के योग्य हों; और उन्हें कसदियों के शास्त्र और भाषा की शिक्षा दें" (व.4) –दानिय्येल की वास्तविक सामर्थ परमेश्वर की दैवीय बुद्धि से आयी।
दानिय्येल की तरह आप शुद्धता का जीवन जीने और पूरी तरह से शांति में रहने के लिए बुलाए गए हैं। दानिय्येल के उदाहरण पर चलिए और अपनी त्वचा में आरामदायक रहिए और परमेश्वर के साथ नजदीकी संबंध में चलिए।
दूसरी ओर, नबूकदनेसर के पास बहुत सामर्थ और पैसा था। वह प्रसिद्ध, माननीय थे और लोग उनका भय मानते थे। उनकी सुरक्षा पर कोई वास्तविक खतरा नहीं था और फिर भी वह बहुत ही असुरक्षित और भय में थे। हमें जानने की आवश्यकता है कि स्वयं –सक्षमता के दिखावे के नीचे गहरी असुरक्षा छिपी हो सकती है।
वह अपने सपनों के द्वारा इतने घबराये हुए थे कि सो नहीं पा रहे थे। इस संकट में, वह अपने हृदय में जानते थे कि जादूगर के पास वह सामर्थ नहीं थी जिसका वे दावा करते थे बल्कि वे केवल खेल खेल रहे थे। उन्होंने माना कि उनके पास दैवीय बुद्धि नहीं थी (2:9-11)।
दानिय्येल ने पहचाना कि केवल परमेश्वर ही सारी सामर्थ और बुद्धि के स्रोत हैं (व.20)। अद्भुत रीति से, परमेश्वर अपने अनुग्रह में, ना केवल आप पर वस्तुओं को प्रकट करेंगे, बल्कि आपको बुद्धि और सामर्थ भी देंगे ताकि आप अपनी स्थिति को समझें और इससे निपट पाएं। आप दानिय्येल के उदाहरण से सीख सकते हैं:
1. परमेश्वर पर विश्वास रखिए
उन्होंने विश्वास किया कि परमेश्वर उनसे बात करेंगे (व.16)।
2. प्रार्थना की सामर्थ को जानिये
उन्होंने थोड़ा समय माँगा और फिर अपने मित्रों से कहा कि "स्वर्ग के परमेश्वर से प्रार्थना करिए कि इस रहस्य को सुलझाने में दया करें" (व.18, एम.एस.जी)।
3. कार्य के साथ प्रार्थना को जोड़िये
वह जब नबूकदनेसर से मिलने के लिए गए और सोच विचारकर और बुध्दिमानी के साथ कहा" (व.14)।
4. परमेश्वर की आवाज को पहचानना सीखिए
जब परमेश्वर ने एक दर्शन में उनसे बात की, वह इतने आश्वस्त थे कि राजा को इस बात को बताने के लिए वह पहले ही परमेश्वर का धन्यवाद देने लगे और उनकी स्तुति करने लगेः""परमेश्वर का नाम युगानुयुग धन्ह है; क्योंकि बुध्दि पराक्रम उन्ही के हैं ... मैं आपका धन्यवाद और स्तुति करता हूँ" (वव.20,23)।
प्रार्थना
आपकी स्तुति करता हूँ कि आप स्वर्ग और पृथ्वी के निर्माता हैं जो मुझे आशीष देते हैं। मेरी सहायता कीजिए कि दानिय्येल की तरह, शुद्धता का एक जीवन जीऊँ, आपके साथ एक नजदीकी संबंध में। कृपया मुझे बुद्धि और सामर्थ दीजिए। मेरी सहायता कीजिए कि आपकी आवाज को सुनूं और आत्मविश्वास के साथ इसे बोलूं।
पिप्पा भी कहते है
"हमारे खाने के लिये सागपात और पीने के लिये पानी ही दिया जाए। फिर दस दिन के बाद हमारे मुँह और जो जवान राजा का भोजन खाते हैं उनके मुँह को देख; और जैसा तुझे देख पड़े, उसी के अनुसार अपने दासों से व्यवहार करना।" उनकी यह विनती उसने मान ली, और दस दिन तक उनको जाँचता रहा। दस दिन के बाद उनके मुँह राजा के भोजने के खाने वाले सब जवानों से अधिक अच्छे और चिकने दिखाई पड़े।"
स्वास्थवर्धक रूप से खाने में निश्चित ही अच्छी बात है। बिअर ग्रिल स्वस्थ भोजन पर जोर देते हैं और उन्हें देखिये। (कुछ सब्जियाँ खरीदने चले गए हैं)
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संदर्भ
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट© 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी", बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइडऍ बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट© 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट© 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।