दिन 348

उत्सव कैसे मनायें

बुद्धि भजन संहिता 142:1-7
नए करार प्रकाशित वाक्य 4:1-11
जूना करार एस्तेर 6:1-8:17

परिचय

यह एक "आनंदी उत्सव" - "प्रसन्नता और आनंद, खुशी और सम्मान" का एक समय (एस्तेर 8:16-17)।

पीपा और मैं हिलसाँग कान्फरैंस से प्रेम करते हैं, एल्बर्ट हॉल में हमारा खुद का लीडरशिप कॉन्फरेंस था जहां दूसरे ऐसे कार्यक्रम जब विश्व भर से हजारों लोग यहाँ इकट्ठा होते हैं। ये महान उत्सव के समय है "स्वर्गीय" आराधना और शक्तिशाली शिक्षा के साथ – देश में सुसमाचार प्रचार करने के लिए लोगों को उत्साहित और तैयार करते हुए, चर्च को पुनर्जीवित करते हुए और समाज को बदलते हुए।

हर बार जब एक व्यक्ति मसीह में आता है, तब स्वर्ग में एक उत्सव होता है। जब उड़ाऊ पुत्र पिता के पास वापस आया, पिता ने कहा," पला हुआ पशु लाकर मारो ताकि हम खाएँ और आनन्द मनाएँ" (लूका 15:23)।

बाईबल उत्सव के विषय में बहुत कुछ कहती है। आज के लिए हमारे पुराने नियम के लेखांश में, हमने पढ़ा कि " शूशन नगर के लोग आनन्द के मारे ललकार उठे" (एस्तेर 8:15)। वे क्या उत्सव मना रहे थे? आपको अभी क्या उत्सव मनाना चाहिए? आपको कैसे उत्सव मनाना चाहिए?

बुद्धि

भजन संहिता 142:1-7

दाऊद का एक कला गीत।

142मैं सहायता पाने के लिये यहोवा को पुकारुँगा।
 मै यहोवा से प्रार्थना करुँगा।
2 मैं यहोवा के सामने अपना दु:ख रोऊँगा।
 मैं यहोवा से अपनी कठिनाईयाँ कहूँगा।

3 मेरे शत्रुओं ने मेरे लिये जाल बिछाया है।
 मेरी आशा छूट रही है किन्तु यहोवा जानता है।
 कि मेरे साथ क्या घट रहा है।
4 मैं चारों ओर देखता हूँ
 और कोई अपना मिस्र मुझको दिख नहीं रहा
 मेरे पास जाने को कोई जगह नहीं है।
 कोई व्यक्ति मुझको बचाने का जतन नहीं करता है।

5 इसलिये मैंने यहोवा को सहारा पाने को पुकारा है।
 हे यहोवा, तू मेरी ओट है।
 हे यहोवा, तू ही मुझे जिलाये रख सकता है।

6 हे यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन।
 मुझे तेरी बहुत अपेक्षा है।
 तू मुझको ऐसे लोगों से बचा ले
 जो मेरे लिये मेरे पीछे पड़े हैं।
7 मुझको सहारा दे कि इस जाल से बच भागूँ।
 फिर यहोवा, मैं तेरे नाम का गुणगान करुँगा।
 मैं वचन देता हूँ। भले लोग आपस में मिलेंगे और तेरा गुणगान करेंगे
 क्योकि तूने मेरी रक्षा की है।

समीक्षा

प्रार्थनाओं के उत्तर का उत्सव मनाओ

सालों से, जैसे ही मैंने यह भजन पढ़ा, मैंने उन "परेशानियों" और स्थितियों की एक सूची बनायी जिसके लिए मैं परमेश्वर से दया और सहायता की दोहाई दे रहा था। जैसे ही मैं पीछे के समय में देखता हूँ, यह देखना अद्भुत है कि किसी तरह से उन्होंने इन प्रार्थनाओं का उत्तर दिया है।

इस भजन का संदर्भ 1शमुएल 22:1-2 है। दाऊद एक गुफा में कैद हैं और अपने जीवन के लिए भयभीत हैं। वह ऊँचे स्वर में परमेश्वर की दोहाई देते हैं, अपनी परेशानी को बताते हुए और दया की विनती करते हुए (भजनसंहिता 142:1-2, एम.एस.जी)। वह प्रार्थना करते हैं:

" मुझ को बंदीगृह से निकालिए कि मैं तेरे नाम का धन्यवाद करुँ! सत्यनिष्ठ लोग मेरे चारों ओर आएँगे; क्योंकि तू मेरा उपकार करेगा" (व.7, एम.एस.जी)।

दाऊद परमेश्वर की स्तुति करना चाहते हैं कि उन्होंने उनकी प्रार्थनाओं का उत्तर दिया और उन्हें छुड़ाया। वह वायदा करते हैं कि यदि वह छुड़ा लिये जायेंगे तो वह आराधना करेंगे और परमेश्वर की भलाई का उत्सव मनाने के लिए दूसरों को इकट्ठा करेंगे।

यह महत्वपूर्ण है कि प्रार्थनाओं के उत्तर का उत्सव मनाना स्मरण रखें परमेश्वर के नाम की स्तुति करें और उनकी भलाई का उत्सव मनाये।

प्रार्थना

परमेश्वर, आपका धन्यवाद कि आपने मेरी पुकार सुनी है जब मुझे बहुत जरुरत थी और आपने मुझे छुड़ाया। प्रभु, फिर से मैं आपको पुकारता हूँ...

नए करार

प्रकाशित वाक्य 4:1-11

स्वर्ग के दर्शन

4इसके बाद मैंने दृष्टि उठाई और स्वर्ग का खुला द्वार मेरे सामने था। और वही आवाज़ जिसे मैंने पहले सुना था, तुरही के से स्वर में मुझसे कह रही थी, “यहीं ऊपर आ जा। मैं तुझे वह दिखाऊँगा जिसका भविष्य में होना निश्चित है।” 2 फिर मैं तुरन्त ही आत्मा के वशीभूत हो उठा। मैंने देखा कि मेरे सामने स्वर्ग का सिंहासन था और उस पर कोई विराजमान था। 3 जो वहाँ विराजमान था, उसकी आभा यशब और गोमेद के समान थी। उसके सिंहासन के चारों ओर एक इन्द्रधनुष था जो पन्ने जैसा दमक रहा था।

4 उस सिंहासन के चारों ओर चौबीस सिंहासन और थे, जिन पर चौबीस प्राचीन बैठे हुए थे। उन्होंने श्वेत वस्त्र पहने थे। उनके सिर पर सोने के मुकुट थे। 5 सिंहासन में से बिजली की चकाचौंध, घड़घड़ाहट तथा मेघों का गर्जन-तर्जन निकल रहे थे। सिंहासन के सामने ही लपलपाती हुई सात मशालें जल रही थीं। ये मशालें परमेश्वर की सात आत्माएँ हैं। 6 सिंहासन के सामने पारदर्शी काँच का स्फटिक सागर सा फैला था।

सिंहासन के ठीक सामने तथा उसके दोनों ओर चार प्राणी थे। उनके आगे और पीछे आँखें ही आँखें थीं। 7 पहला प्राणी सिंह के समान था, दूसरा प्राणी बैल के जैसा था, तीसरे प्राणी का मुख मनुष्य के जैसा था और चौथा प्राणी उड़ते हुए गरूड़ जैसा था। 8 इन चारों ही प्राणियों के छह छह पंख थे। उनके चारों ओर तथा भीतर आँखें ही आँखें भरी पड़ीं थीं। दिन रात वे निरन्तर कहते रहते थे:

“सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर पवित्र है,
पवित्र है, पवित्र है, जो था, जो है और जो आनेवाला है।”

9 जब ये सजीव प्राणी उस अजर अमर की महिमा, आदर और धन्यवाद कर रहे हैं जो सिंहासन पर विराजमान था तो 10 वे चौबीसों प्राचीन उसके चरणों में गिरकर, उस सदा सर्वदा जीवित रहने वाले की उपासना करते हैं। वे सिंहासन के सामने अपने मुकुट डाल देते हैं और कहते हैं:

11 “हे हमारे प्रभु और हमारे परमेश्वर!
तू ही महिमा, आदर और शक्ति पाने को सुयोग्य है।
क्योंकि तूने ही अपनी इच्छा से सभी वस्तु सरजी हैं।
तेरी ही इच्छा से उनका अस्तित्व है। और तेरी ही इच्छा से हुई है उनकी सृष्टि।”

समीक्षा

स्वर्ग में सिंहासन के सामने उत्सव मनाये

हमारे चर्च में सप्ताह के हर दिन चौबीस घंटे प्रार्थना के लिए कमरा है। दिन के चौबीस घंटे आराधना और प्रार्थना होती है, सप्ताह में सात दिन"रात दिन, बिना रूके" (व.8, एम.एस.जी)।

"स्वर्गीय" आराधना का अनुभव करने के लिए आपको स्वर्ग तक का इंतजार करने की आवश्यकता नहीं है। यह आराधना अभी स्वर्ग में – 24 घंटे 7 दिन हो रही है। इस लेखांश में, हमें इस बात की झलक मिलती है कि यह कैसा दिखाई देता है। हर बार जब आप आराधना करते हैं, तब आप स्वर्ग की आराधना के साथ जुड़ते हैं।

यूहन्ना की आंखे पृथ्वी के चर्च पर से स्वर्ग के चर्च पर जाती हैं। यूहन्ना " क्या देखता है कि स्वर्ग में एक द्वार खुला हुआ है" (व.1)। यूहन्ना के साथ जाईये क्योंकि उन्हें "ऊपर आने और प्रवेश करने" के लिए आमंत्रित किया गया है। मैं तुम्हें बताऊँगा कि आगे क्या होता है" (व.1, एम.एस.जी)।

आगे महानता और परमेश्वर की महिमा का एक असाधारण दर्शन मिलता है। परमेश्वर ब्रह्मांड के केंद्र में हैं, यहाँ पर उन चित्रों के द्वारा घिरे हुए कि वह कौन है और उन्होंने क्या किया है। "सिंहासन" ऊँचा अधिकार बताता है, "मेघधनुष" वायदे का मेघधनुष है, "बिजलियाँ और गर्जन" परमेश्वर की सामर्थ को बताते हैं, " बिल्लौर के समान काँच का सा समुद्र" शांति और सुरक्षा को बताते हैं (वव.2-6)।

"सिंहासन के सामने आग के सात दीपक जल रहे हैं" (वे परमेश्वर की सात आत्माएँ हैं) (व.5, एम.एस.जी)। केवल एक पवित्र आत्मा है लेकिन जल रहे सात दीपक उन सभी तरीके को दर्शाते हैं जिसमें वह अपने आपको व्यक्त करते हैं और जिसमें आप अपने जीवन में उनकी परिपूर्णता का अनुभव करते हैं।

उस सिंहासन के चारों और चौबीस सिंहासन हैं; और इन सिंहासनों पर चौबीस प्राचीन श्वेत वस्त्र पहने हुए बैठे हैं, शायद से पुराने नियम के बारह गोत्रों और नये नियम के बारह प्रेरितों को दर्शाते हुए। यह यीशु मसीह का पूर्ण और सिद्ध चर्च है। आप इसमें शामिल हैं।

जैसे ही सिंहासन के आस-पास वाले परमेश्वर के आश्चर्य को समझते हैं तब स्वाभाविक रूप से वे आराधना करने लगते हैं – और यह पहली चीज है जो यूहन्ना स्वर्ग में होता हुआ देखते हैं। अगले दो अध्यायों में पाँच आराधना गीत हैं।

वे रात दिन बिना विश्राम लिये यह कहते रहते हैं, "पवित्र, पवित्र, पवित्र परमेश्वर, सर्वशक्तिमान, जो था और जो है, और जो आने वाला है।" (व.8)। (हममें से जिन्हें दोहराने में परेशानी होती है, शायद से इसकी बहुत आदत डालनी पड़ेगी!)

" जब वे प्राणी उनकी जो सिंहासन पर बैठे हैं, और जो युगानुगुग जीवते हैं, महिमा और आदर और धन्यवाद करेंगे; तब चौबीसों प्राचीन सिंहासन पर बैठने वाले के सामने गिर पड़ेंगे, और उसे जो युगानुयुग जीवता है प्रणाम करेंगे; और वे अपने – अपने मुकुट सिंहासन के सामने यह कहते हुए डाल देंगे" (वव.9-11)।

चर्च, स्वर्गदूत और सृष्टि की हुई सभी चीजें झुककर परमेश्वर की आराधना करते हैं। अनंत पिता सिंहासन पर बैठते हैं जिसके चारों ओर आराधना करने वाला समुदाय होता है।

जैसा कि जॉन स्टॉट ने लिखा, एक दिन आप "विजयी चर्च में शामिल होंगे, महान भीड़ जिसे कोई गिन नहीं पायेगा, हर देश, गोत्र, लोग और भाषा से आये हुए और परमेश्वर के सिंहासन के सामने आप उनके साथ खड़े होंगे।

"ब्रह्मांड के राजा उनके सिंहासन की छाया में आपको शरण देंगे। आप उन्हें देखेंगे और दिन रात उनकी आराधना करेंगे। मेमना जो चरवाह बन गया है, अपनी बाकी की भेड़ों के साथ आपको चरायेंगे जीवित जल के झरने के पास। उनके अनंत सोते के पास आप अपनी प्यास को सर्वदा के लिए तृप्त करेंगे।"

प्रार्थना

मेरे प्रभु और मेरे परमेश्वर, मैं आपका धन्यवाद देता हूँ कि मुझे आपकी आराधना करने के लिए नये स्वर्ग और नई पृथ्वी का इंतजार करने की आवश्यकता नहीं है। आप आज और हर दिन महिमा, सम्मान और सामर्थ ग्रहण करने के योग्य हैं।

जूना करार

एस्तेर 6:1-8:17

मोर्दकै का सम्मान

6उस रात राजा सो नहीं पाया। सो उसने अपने एक दास से इतिहास की पुस्तक लाकर अपने सामने उसे पढ़ने को कहा। ( राजाओं के इतिहास की पुस्तक में वह सब कुछ अंकित रहता है जो एक राजा के शासनकाल के दौरान घटित होता है।) 2 सो उस दास ने राजा के लिए वह पुस्तक पढ़ी। उसने महाराजा क्षयर्ष को मार डालने के षड़यन्त्र के बारे में पढ़ा। बिगताना और तेरेश के षड़यन्त्रों का पता मोर्दकै को चला था। ये दोनों ही व्यक्ति द्वार की रक्षा करने वाले राजा के हाकिम थे। उन्होंने राजा की हत्या की योजना बनाई थी किन्तु मोर्दकै को इस योजना का पता चल गया था और उसने उसके बारे में किसी को बता दिया था।

3 इस पर महाराजा ने प्रश्न किया, “इस बात के लिए मोर्दकै को कौन सा आदर और कौन सी उत्तम वस्तुएं प्रदान की गयी थीं?”

उन दासों ने राजा को उत्तर दिया, “मोर्दकै के लिये कुछ नहीं किया गया था।”

4 उसी समय राजा के महल के बाहरी आँगन में हामान ने प्रवेश किया। वह, हामान ने फाँसी का जो खम्भा बनावाया था, उस पर मोर्दकै को लटकवाने के लिये राजा से कहने को आया था। राजा ने उसकी आहट सुन कर पूछा, “अभी अभी आँगन में कौन आया है?” 5 राजा के सेवकों ने उत्तर दिया, “आँगन में हामान खड़ा हुआ है।”

सो राजा ने कहा, “उसे भीतर ले आओ।”

6 हामान जब भीतर आया तो राजा ने उससे एक प्रश्न पूछा, “हामान, राजा यदि किसी को आदर देना चाहे तो उस व्यक्ति के लिए राजा को क्या करना चाहिए?”

हामान ने अपने मन में सोचा, “ऐसा कौन हो सकता है जिसे राजा मुझसे अधिक आदर देना चाहता होगा राजा निश्चय ही मुझे आदर देने के लिये ही बात कर रहा होगा।”

7 सो हामान ने उत्तर देते हुए राजा से कहा, “राजा जिसे आदर देना चाहता है, उस व्यक्ति के साथ वह ऐसा करे: 8 राजा ने जो वस्त्र स्वयं पहना हो, उसी विशेष वस्त्र को अपने सेवकों से मंगवा लिया जाये और उस घोड़े को भी मंगवा लिया जाये जिस पर राजा ने स्वयं सवारी की हो। फिर सेवकों के द्वारा उस घोड़े के सिर पर राजा का विशेष चिन्ह अंकित कराया जाये। 9 इसके बाद राजा के किसी अत्यन्त महत्वपूर्ण मुखिया को उस वस्त्र और घोड़े का अधिकारी नियुक्त किया जाये। फिर वह अधिकारी उस व्यक्ति को, जिसे राजा सम्मानित करना चाहता है, उस वस्त्र को पहनाये और फिर इसके बाद वह अधिकारी उस घोड़े के आगे—आगे चलता हुआ उसे नगर की गलियों के बीच से गुजारे। वह अपनी अगुवाई में घोड़े को ले जाते हुए यह घोषणा करता जाये, ‘यह उस व्यक्ति के लिये किया गया है, राजा जिसे आदर देना चाहता है।’”

10 राजा ने हामान को आदेश दिया, “तुम तत्काल चले जाओ तथा वस्त्र और घोड़ा लेकर यहूदी मोर्दकै के लिए वैसा ही करो, जैसा तुमने सुझाव दिया है। मोर्दकै राजद्वार के पास बैठा है। जो कुछ तुमने सुझाया है, सब कुछ वैसा ही करना।”

11 सो हामान ने वस्त्र और घोड़ा लिया और वस्त्र मोर्दकै को पहना कर घोड़े पर चढ़ा कर नगर की गलियों से होते हुए घोड़े के आगे आगे चल दिया। मोर्दकै के आगे आगे चलता हुआ हामान घोषणा कर रहा था, “यह सब उस व्यक्ति के लिये किया गया है, जिसे राजा आदर देना चाहता है!”

12 इसके बाद मोर्दकै फिर राजद्वार पर चला गया किन्तु हामान तुरन्त अपने घर की ओर चल दिया। उसने अपना सिर छुपाया हुआ था क्योंकि वह परेशान और लज्जित था। 13 इसके बाद हामान ने अपनी पत्नी जेरेश और अपने सभी मित्रों से, जो कुछ घटा था, सब कुछ कह सुनाया। हामान की पत्नी और उसके सलाहकारों ने उससे कहा, “यदि मोर्दकै यहूदी है, तो तुम जीत नहीं सकते। तुम्हारा पतन शुरु हो चुका है। तुम निश्चय ही नष्ट हो जाओगे!”

14 अभी वे लोग हामान से बात कर रही रहे थे कि राजा के खोजे हामान के घर पर आये और तत्काल ही हामान को एस्तेर के भोज में बुला ले गये।

हामान को प्राणदण्ड

7फिर राजा और हामान महारानी एस्तेर के साथ भोजन करने के लिये चले गये। 2 इसके बाद जब वे दूसरे दिन के भोज में दाखमधु पी रहे थे तो राजा ने एस्तेर से फिर एक प्रश्न किया, “महारानी एस्तेर, तुम मुझ से क्या माँगना चाहती हो? जो कुछ तुम मांगोगी, पाओगी। बताओ तुम्हें क्या चाहिए? मैं तुम्हें कुछ भी दे सकता हूँ। यहाँ तक कि मेरा आधा राज्य भी।”

3 इस पर महारानी एस्तेर ने जवाब दिया, “हे महाराज! यदि मैं तुम्हें भाती तुम्हारी कृपा पात्र हूँ और यदि यह तुम्हें अच्छा लगता हो तो कृपा करके मुझे जीने दीजिये और मैं तुमसे यह चाहती हूँ कि मेरे लोगों को भी जीने दीजिये! बस मैं यही माँगती हूँ। 4 ऐसा मैं इसलिये चाहती हूँ कि मुझे और मेरे लोगों को विनाश, हत्या और पूरी तरह से नष्ट कर डालने के लिए बेच डाला गया है। यदि हमें दासों के रूप में बेचा जाता, तो मैं कुछ नहीं कहती क्योंकि वह कोई इतनी बड़ी समस्या नहीं होती जिसके लिये राजा को कष्ट दिया जाता।”

5 इस पर महाराजा क्षयर्ष ने महारानी एस्तेर से पूछा, “तुम्हारे साथ ऐसा किसने किया कहाँ है? वह व्यक्ति जिसने तुम्हारे लोगों के साथ ऐसा व्यवहार करने की हिम्मत की?”

6 एस्तेर ने कहा, “हमारा विरोधी और हमारा शत्रु यह दुष्ट हामान ही है।”

तब हामान राजा और रानी के सामने आतंकित हो उठा। 7 राजा बहुत क्रोधित था। वह खड़ा हुआ। उसने अपना दाखमधु वहीं छोड़ दिया और बाहर बगीचे में चला गया। किन्तु हामान, रानी एस्तेर से अपने प्राणों की भीख माँगने के लिये भीतर ही ठहरा रहा। हामान यह जानता था कि राजा ने उसके प्राण लेने का निश्चय कर लिया है। इसलिये वह अपने प्राणों की भीख माँगता रहा। 8 राजा जैसे ही बगीचे से भोज के कमरे की ओर वापस आ रहा था, तो वह क्या देखता है कि जिस बिछौने पर एस्तेर लेटी है, उस पर हामान झुका हुआ है। राजा ने क्रोध भरे स्वर में कहा, “अरे, क्या तू महल में मेरे रहते हुए ही महारानी पर आक्रमण करेगा?”

जैसे ही राजा के मुख से ये शब्द निकले, राजा के सेवकों ने भीतर आ कर हामान का मुँह ढक दिया। 9 राजा के एक खोजे सेवक ने जिसका नाम हर्बोना था, कहा, “हामान के घर के पास पचहत्तर फुट लम्बा फाँसी देने का एक खम्भा बनाया गया है। हामान ने यह खम्भा मोर्दकै को फाँसी पर चढ़ाने के लिये बनाया था। मोर्दकै वही व्यक्ति है जिसने तुम्हारी हत्या के षड़यन्त्र को बताकर तुम्हारी सहायता की थी।”

राजा बोला, “उस खम्भे पर हामान को लटका दिया जाये!”

10 सो उन्होंने उसी खम्भे पर जिसे उसने मोर्दकै के लिए बनाया था हामान को लटका दिया। इसके बाद राजा ने क्रोध करना छोड़ दिया।

यहूदियों की मदद के लिये राजा का आदेश

8उसी दिन महाराजा क्षयर्ष ने यहूदियों के शत्रु हामान के पास जो कुछ था, वह सब महारानी एस्तेर को दे दिया। एस्तेर ने राजा को बता दिया कि मोर्दकै रिश्ते में उसका भाई लगता है। इसके बाद मोर्दकै राजा से मिलने आया। 2 राजा ने हामान से अपनी जो अँगूठी वापस ले ली थी, उसे अपनी अँगूली से निकाल कर मोर्दकै को दे दिया। इसके बाद एस्तेर ने मोर्दकै को हामान की सारी सम्पत्ति का अधिकारी नियुक्त कर दिया।

3 तब एस्तेर ने राजा से फिर कहा और वह राजा के पैरों में गिर कर रोने लगी। उसने राजा से प्रार्थना की कि वह अगागी हामान की उस बुरी योजना को समाप्त कर दे जिसे हामान ने यहूदियों के नाश के लिए सोचा था।

4 इस पर राजा ने अपने सोने के राजदण्ड को एस्तेर की ओर आगे बढ़ाया। एस्तेर उठी और राजा के आगे खड़ी हो गयी। 5 फिर एस्तेर ने कहा, “महाराज, यदि तुम मुझे पसंद करते हो और यह तुम्हें अच्छा लगता है तो कृपा करके मेरे लिए यह कर दीजिये। यदि आपको यह किया जाना ठीक लगे तो इसे पूरा कर दीजिये। यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो कृपा करके एक आदेश पत्र लिखिये, जो उस आदेश पत्र को रद्द कर दे जिसे हामान ने भेजा था। अगागी हामान ने राजा के सभी प्रांतों में बसे यहूदियों को नष्ट करने की एक योजना सोची थी और उस योजना को क्रियान्वित करने के लिए उसने आज्ञा पत्र भिजवा दिये थे। 6 मैं महाराज से यह प्रार्थना इसलिए कर रही हूँ कि मैं अपने लोगों के साथ उस भयानक काण्ड को घटते देखना सहन नहीं कर पाऊँगी। मैं अपने परिवार की हत्या को देखना सहन नहीं कर पाऊँगी।”

7 महाराजा क्षयर्ष ने महारानी एस्तेर और यहूदी मोर्दकै को उत्तर देते हुए जो कहा था, वह यह है, “हामान, क्योंकि यहूदियों के विरोध में था, इसलिए उसकी सम्पत्ति मैंने एस्तेर को दे दी तथा मेरे सिपाहियों ने उसे फाँसी देने के खम्भे पर लटका दिया। 8 अब राजा की ओर से एक और दूसरा आज्ञा पत्र लिखा जाये। इसे तुम्हें यहूदियों की सहायता के लिए जो सबसे अच्छा लगे वैसा ही लिखो। फिर राजा की विशेष अँगूठी से उस आज्ञा पर मुहर लगा दो। राजा की ओर से लिखा गया और राजा की अँगूठी से जिस पर मुहर दी गयी हो, ऐसा कोई भी राजकीय पत्र रद्द नहीं किया जा सकता।”

9 राजा के सचिवों को तत्काल बुलाया गया। सीवान नाम के तीसरे महीने की तेईसवीं तारीख को वह आदेश पत्र लिखा गया। यहूदियों के लिये मोर्दकै के सभी आदेशों को सचिवों ने लिखकर यहूदियों, मुखियाओं, राज्यपालों और एक सौ सत्ताईस प्रांतो के अधिकारियों के पास पहुँचा दिया। ये प्रांत भारत से लेकर कूश तक फैले हुए थे। ये आदेश पत्र हर प्रांत की लिपि और भाषा में लिखे गये थे और हर देश के लोगों की भाषा में उसका अनुवाद किया गया था। यहूदियों के लिये ये आदेश उन की अपनी भाषा और उनकी अपनी लिपि में लिखे गये थे। 10 मोर्दकै ने ये आदेश महाराजा क्षयर्ष की ओर से लिखे थे और फिर उन पत्रों पर उसने राजा की अँगूठी से मुहर लगा दी थी। फिर उन पत्रों को उसने तीव्र घुड़सवार सन्देश वाहकों के द्वारा भिजवा दिया। ये सन्देश वाहक उन घोड़ों पर सवार थे जिन्हें विशेष राजा के लिए पाला—पोसा गया था।

11 उन पत्रों पर राजा के ये आदेश लिखे थे: यहूदियों को हर नगर में आपस में एक जुट होकर अपनी रक्षा करने का अधिकार है। उन्हें अधिकार है कि वे किसी भी प्रांत और समूह के लोगों की ऐसी किसी भी सेना को छिन्न—भिन्न कर दें, मार डालें अथवा पूरी तरह नष्ट कर दें जो उन पर, उनकी स्त्रियों पर, और उनके बच्चों पर आक्रमण कर रही हो। यहूदियों को अधिकार है कि वे अपने शत्रुओं की सम्पत्ति को ले लें और उसे नष्ट कर डालें।

12 जब यहूदियों के लिये ऐसा किया जायेगा, उसके लिये उदार नाम के बारहवें महीने की तेरहवीं तारीख का दिन निश्चित किया गया। महाराजा क्षयर्ष के अपने सभी प्रांतों में यहूदियों को ऐसा करने की अनुमति दे दी गयी। 13 इस पत्र की एक प्रति राजा के आदेश के साथ हर प्रांत को बाहर भेजी जानी थी। यह एक नियम बन गया। हर प्रांत में इसने नियम का रुप ले लिया। राज्य में रहने वाली प्रत्येक जाति के लोगों के बीच इसका प्रचार किया गया। उन्होंने ऐसा इसलिये किया जिससे उस विशेष दिन के लिये यहूदी तैयार हो जायें जब यहूदियों को अपने शत्रुओं से बदला लेने की अनुमति दे दी जाएगी। 14 राजा के घोड़ों पर सवार सन्देश वाहक जल्दी से बाहर निकल गये। उन्हें राजा ने आज्ञा दी थी कि जल्दी करें। वह आज्ञा शूशन की राजधानी नगरी में भी लगा दी गयी।

15 फिर मोर्दकै राजा के पास से चला गया। मोर्दकै ने राजा से प्राप्त वस्त्र धारण किये हुए थे। उसके कपड़े नीले और सफेद रंग के थे। उसने एक लम्बा सोने का मुकुट पहन रखा था। बढ़िया सूत का बना हुआ बैगनी रंग का चोगा भी उसके पास था। शूशन की राजधानी नगरी में विशेष समारोह हो रहा था। लोग बहुत खुश थे। 16 यहूदियों के लिये तो यह विशेष प्रसन्नता का दिन था। यह आनन्द प्रसन्नता और बड़े सम्मान का दिन था।

17 जहाँ कहीं भी किसी प्रांत या किसी भी नगर में राजा का वह आदेश पत्र पहुँचा, यहूदियों में आनन्द और प्रसन्नता की लहर दौड़ गयी। यहूदी भोज दे रहे थे और उत्सव मना रहे थे और दूसरे बहुत से सामान्य लोग यहूदी बन गये। क्योंकि वे यहूदियों से बहुत डरा करते थे, इसीलिए उन्होंने ऐसा किया।

समीक्षा

परमेश्वर के महान कार्यों का उत्सव मनाईये

कभी कभी जब हम विश्व को देखते हैं, तो ऐसा लगता है कि बुराई जीत रही है। अच्छे लोग कष्ट उठाते हैं और उनके विश्वास के कारण उनका सताव होता है। क्या कभी चीजें सही होंगी?

हाँ होंगी। अपने पुत्र, यीशु के रूप में परमेश्वर पृथ्वी पर आ चुके हैं (यीशु का जन्म, जो हम क्रिसमस को मनाते हैं)। क्रूस और पुनरुत्थान के द्वारा उन्होंने बुराई को हरा दिया है (जो हम ईस्टर को मनाते हैं)। अंतिम विजय प्राप्त होगी जब यीशु वापस आयेंगे। इस दौरान, उन्होंने आपको पवित्र आत्मा दिया है ताकि आप अभी उस विजय के स्वाद का अनुभव कर सकें (इसे हम पिंतेकुस्त के दिन मनाते हैं)।

इन महान घटनाओं के लिए परमेश्वर अपने लोगों को तैयार कर रहे थे। एस्तेर की पुस्तक में, हम आदिरूप और एक चित्र को देखते हैं कि यीशु में क्या आने वाला था।

नाटकीय रूप से, हामान का षड्यंत्र असफल हो जाता है। यहूदी मोर्दकै का सम्मान होता है। बुरे और अक्खड़ हामान को दंड मिलता है। लोगों को बचाने के लिए परमेश्वर ने एस्तेर का इस्तेमाल किया।

महान यहूदी पर्व पुरिम का यह उद्गम है। परमेश्वर के प्रावधान करने वाले हाथों ने उनके लोगों को "विनाश और घात होने और वध कर दिये जाने से" बचाया (7:4)।

घटनाएँ बदलने लगी जब " उस रात राजा को नींद नहीं आई, इसलिये उनकी आज्ञा से इतिहास की पुस्तक लाई गई, और पढ़कर राजा को सुनाई गई" (6:1)। "उन्हें मोर्दकै की वीर ईमानदारी के बारे में स्मरण कराया गया" (व.2)।

क्या आपने कभी कोई उपलब्धि प्राप्त की जिसका श्रेय दूसरे लोगों ने ले लिया? हामान ने उस सम्मान को लेने की कोशिश की थी जोकि मोर्दकै का था। मोर्दकै का उत्तर दीनता और परमेश्वर पर भरोसे का एक आर्दश रूप है। दूसरे लोग शायद से न देख पाये कि आपने क्या किया है, लेकिन परमेश्वर देखते हैं और वह आपको प्रतिफल देंगे।

सूली पर चढ़ाये जाने के बजाय, मोर्दकै को सम्मान और आदर प्राप्त होता है। सब नगरों के यहूदियों को राजा की ओर से अुनमति दी गई, कि वे इकट्ठे हों और अपना अपना प्राण बचाने के लिये तैयार हो" (8:11)।

शूशन शहर ने "उत्सव मनाया" (व.15)। यह "प्रसन्नता और आनंद, खुशी और सम्मान का" एक समय था (व.16) "दावत और उत्सव के साथ" (व.17)।

" उस देश के लोगों में से बहुत लोग यहूदी बन गए, क्योंकि उनके मन में यहूदियों का डर समा गया था" (व.17)। यह आरंभिक उल्लेख है बहुत से गैर-इब्रानियों का जिन्होंने परमेश्वर पर विश्वास किया। वहाँ पर व्यक्तियों के द्वारा विश्वास में आने के मामले आते हैं (उदाहरण के लिए, रुत और उरिया हित्ती), लेकिन इससे पहले कभी इतना बड़ा अभियान नहीं हुआ था।

जब यहूदी त्योहार पुरिम मनाया जाता है, एस्तेर की पुस्तक पढ़ी जाती है। अब यह यूहदी उत्सव के तीन महान उत्सव में से एक है।

चर्च में भी तीन महान उत्सव मनाये जाने वाले त्योहार हैं: क्रिसमस, ईस्टर और पिंतेकुस्त। इसे खुशी, आनंद, सम्मान और उपवास का आनंद उत्सव होना चाहिए – इतिहास में परमेश्वर के महान कार्यों का उत्सव मनाते हुएः यीशु का जन्म, यीशु का पुनरुत्थान जो क्रूस पर हमारे लिए मर गए और पवित्र आत्मा का ऊँडेला जाना। साथ ही वार्षिक उत्सव, अपने हृदय में प्रतिदिन इन घटनाओं का उत्सव मनाईये।

प्रार्थना

परमेश्वर, आपका धन्यवाद कि आपने हमें उत्सव मनाने के लिए बहुत कुछ दिया है। आपका धन्यवाद कि जैसे ही आपने अपने लोगों को हामान के हाथों से छुड़ाया, वैसे ही आपने हमें यीशु मसीह के द्वारा छुड़ाया है। आपका धन्यवाद, यीशु के जन्म, मृत्यु और पुनरुत्थान के लिए और पवित्र आत्मा के ऊँडेले जाने के लिए। मेरी सहायता कीजिए इन महान घटनाओं का उत्सव मनाने में, वार्षिक रूप से हमारे चर्च उत्सवों में और प्रतिदिन मेरे हृदय में।

पिप्पा भी कहते है

एस्तेर 6:6b

जब हामान भीतर आया, तब राजा ने उससे पूछा, "जिस मनुष्य की प्रतिष्ठा राजा करना चाहता हो तो उसके लिये क्या करना उचित होगा?"

अपने ही बारे में अधिक सोचना अच्छी बात नहीं है।

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संदर्भ

जॉन स्टॉट, मसीह चर्च के बारे में क्या सोचते है (कँडल बुक्स, 2000) पी.127

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट ऊ 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। "एनआईवी", बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइडऍ बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट ऊ 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट ऊ 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

एक साल में बाइबल

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