दिन 354

आपका राजा

बुद्धि भजन संहिता 145:1-7
नए करार प्रकाशित वाक्य 11:1-19
जूना करार एज्रा 4:6-5:17

परिचय

सन 2010 में युवराज चार्ल्स एचटीबी में भेंट करने आए। हमारे भविष्य के इंग्लैंड के राजा से मिलना और सिंहासन के वारिस की मेज़बानी करना, बड़े सम्मान की बात थी।

पीढ़ियों से यूनाईटेड किंग्डम में राजाओं और रानियों ने शासन किया था, और हमारा शाही परिवार हमारे राष्ट्रीय जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। परंतु बहुत से आधुनिक सम्राटों के पास सीमित शक्ति होती है। इसके विपरीत, पुरातन काल में शासन बहुत अधिक व्यापक था और राजा राष्ट्रीय मामलों के सभी पहलुओं के अंतिम अधिकारी था। हमारे पुराने नियम के लेखांश में हम फारस और इस्राइल के राजाओं के शासन काल के बारे में पढ़ते हैं। पर इसके साथ-साथ हर एक लेखांश एक और महान राजा की तरफ संकेत करता है जो कि परमेश्वर हैं।

यीशु की शिक्षा का मुख्य विषय परमेश्वर का राज्य था और इसका उल्लेख राज्य की राजनीतिक या भौगोलिक भावना से ही नहीं है, किंतु यह गतिविधी की धारणा भी बताता है – व्यवस्था और राज्य की गतिविधी। परमेश्वर के राज्य का तात्पर्य है, परमेश्वर की व्यवस्था और राज्य।

बुद्धि

भजन संहिता 145:1-7

दाऊद की एक प्रार्थना।

145हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे राजा, मैं तेरा गुण गाता हूँ!
 मैं सदा-सदा तेरे नाम को धन्य कहता हूँ।
2 मैं हर दिन तुझको सराहता हूँ।
 मैं तेरे नाम की सदा-सदा प्रशंसा करता हूँ।

3 यहोवा महान है। लोग उसका बहुत गुणगान करते हैं।
 वे अनगिनत महाकार्य जिनको वह करता है हम उनको नहीं गिन सकते।
4 हे यहोवा, लोग उन बातों की गरिमा बखानेंगे जिनको तू सदा और सर्वदा करता हैं।
 दूसरे लोग, लोगों से उन अद्भुत कर्मो का बखान करेंगे जिनको तू करता है।
5 तेरे लोग अचरज भरे गौरव और महिमा को बखानेंगे।
 मैं तेरे आश्चर्यपूर्ण कर्मों को बखानूँगा।
6 हे यहोवा, लोग उन अचरज भरी बातों को कहा करेंगे जिनको तू करता है।
 मैं उन महान कर्मो को बखानूँगा जिनको तू करता है।
7 लोग उन भली बातों के विषय में कहेंगे जिनको तू करता है।
 लोग तेरी धार्मिकता का गान किया करेंगे।

समीक्षा

अपने राजा की आराधना करिए

'हे मेरे राजा' दाऊद, 'मैं तेरे नाम को सदा सर्वदा धन्य कहूँगा।' (व. 1)

दाऊद पूरे ब्रहमांड के राजा की आराधना करता है:

'मैं तेरे नाम को सदा सर्वदा धन्य कहूँगा।' (व. 1) और आगे वह कहते हैं कि, 'ऐश्वर्य की महिमा के प्रताप पर' (व. 5अ) और 'तेरे राज्य के प्रताप की महिमा' (व. 11), और 'तेरा राज्य युग युग का और तेरी प्रभुता सब पीढ़ियों तक बनी रहेगी।' (व. 13)

दाऊद अपने राजा की आराधना हर दिन करता है, 'प्रतिदिन मैं तुमको धन्य कहूँगा' (व. 2अ) और कहता है कि वह आराधना 'सदा सर्वदा करता रहेगा।' (व 2) 'परमेश्वर की बड़ाई अगम है।' (व 3) दाऊद आराधना के गीत लिखता है: मैं तेरे आश्चर्य कर्मों पर गीत बनाऊँगा' (व. 5)

परमेश्वर की महिमा हो, उनकी सामर्थ और शासन के लिए, और उनकी बड़ी भलाई और धर्म की’ (व. 7)। भजनो की खुशी और उमंग इन दोनों सत्य से उत्पन्न होती है कि परमेश्वर राजा हैं और परमेश्वर भले हैं। और आप उन पर भरोसा रख सकते हैं कि उनका नियंत्रण कायम है और यह एक खुश खबरी है।

प्रार्थना

प्रभु आप शासन करते हैं। आप पूरी सृष्टी के राजा हैं। और आप मेरी आराधना के योग्य हैं। प्रतिदिन मैं आपकी प्रशंसा करूँगा।

नए करार

प्रकाशित वाक्य 11:1-19

दो साक्षी

11इसके पश्चात् नाप के लिए एक सरकंडा मुझे दिया गया जो नापने की छड़ी जैसा दिख रहा था। मुझसे कहा गया, “उठ और परमेश्वर के मन्दिर तथा वेदी को नाप और जो लोग मन्दिर के भीतर उपासना कर रहे हैं, उनकी गिनती कर। 2 किन्तु मन्दिर के बाहरी आँगन को रहने दे, उसे मत नाप क्योंकि यह अधर्मियों को दे दिया गया है। वे बयालीस महीने तक पवित्र नगर को अपने पैरों तले रौंदेंगे। 3 मैं अपने दो गवाहों को खुली छूट दे दूँगा और वो एक हज़ार दो सौ साठ दिनों तक भविष्यवाणी करेंगे। वे ऊन के ऐसे वस्त्र धारण किए हुए होंगे जिन्हें शोक प्रदर्शित करने के लिए पहना जाता है।”

4 ये दो साक्षियाँ वे दो जैतून के पेड़ तथा वे दो दीपदान हैं जो धरती के प्रभु के सामने स्थित रहते हैं। 5 यदि कोई भी उन्हें हानि पहुँचाना चाहता है तो उनके मुखों से ज्वाला फूट पड़ती है और उनके शत्रुओं को निगल जाती है। सो यदि कोई उन्हें हानि पहुँचाना चाहता है तो निश्चित रूप से उसकी इस प्रकार मृत्यु हो जाती है। 6 वे आकाश को बाँध देने की शक्ति रखते हैं ताकि जब वे भविष्यवाणी कर रहे हों, तब कोई वर्षा न होने पाए। उन्हें झरनों के जल पर भी अधिकार था जिससे वे उसे लहू में बदल सकते थे। उनमें ऐसी शक्ति भी थी कि वे जितनी बार चाहते, उतनी हीबार धरती पर हर प्रकार के विनाशों का आघात कर सकते थे।

7 उनके साक्षी दे चुकने के बाद, वह पशु उस महागर्त से बाहर निकलेगा और उन पर आक्रमण करेगा। वह उन्हें हरा देगा और मार डालेगा। 8 उनकी लाशें उस महानगर की गलियों में पड़ी रहेंगी। यह नगर प्रतीक रूप से सदोम तथा मिस्र कहलाता है। यहीं उनके प्रभु को भी क्रूस पर चढ़ा कर मारा गया था। 9 सभी जातियों, उपजातियों, भाषाओं और देशों के लोग उनके शवों को साढ़े तीन दिन तक देखते रहेंगे तथा वे उनके शवों को कब्रों में नहीं रखने देंगे। 10 धरती के वासी उन पर आनन्द मनायेंगे। वे उत्सव करेंगे तथा परस्पर उपहार भेजेंगे। क्योंकि इन दोनों नबियों ने धरती के निवासियों को बहुत दुःख पहुँचाया था।

11 किन्तु साढ़े तीन दिन बाद परमेश्वर की ओर से उनमें जीवन के श्वास ने प्रवेश किया और वे अपने पैरों पर खड़े हो गए। जिन्होंने उन्हें देखा, वे बहुत डर गए थे। 12 फिर उन दोनों नबियों ने ऊँचे स्वर में आकाशवाणी को उनसे कहते हुए सुना, “यहाँ ऊपर आ जाओ।” सो वे आकाश के भीतर बादल में ऊपर चले गए। उन्हें ऊपर जाते हुए उनके विरोधियों ने देखा।

13 ठीक उसी क्षण वहाँ एक भारी भूचाल आया और नगर का दसवाँ भाग ढह गया। भूचाल में सात हज़ार लोग मारे गए तथा जो लोग बचे थे, वे भयभीत हो उठे और वे स्वर्ग के परमेश्वर की महिमा का बखान करने लगे।

14 इस प्रकार अब दूसरी विपत्ति बीत गई है किन्तु सावधान! तीसरी महाविपत्ति शीघ्र ही आने वाली है।

सातवीं तुरही का बजना

15 सातवें स्वर्गदूत ने जब अपनी तुरही फूँकी तो आकाश में तेज आवाज़ें होने लगीं। वे कह रही थीं:

“अब जगत का राज्य हमारे प्रभु का है, और उसके मसीह का ही।
अब वह सुशासन युगयुगों तक करेगा।”

16 और तभी परमेश्वर के सामने अपने-अपने सिंहासनों पर विराजमान चौबीसों प्राचीनों ने दण्डवत प्रणाम करके परमेश्वर की उपासना की। 17 वे बोले:

 “हे सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर, जो है, जो था,
  हम तेरा धन्यवाद करते हैं।
 तूने ही अपनी महाशक्ति को लेकर
  सबके शासन का आरम्भ किया था।
 18 अन्य जातियाँ क्रोध में भरी थी
  किन्तु अब तेरा कोप प्रकट समय
 और न्याय का समय आ गया।
  उन सब ही के जो प्राण थे बिसारे।
 और समय आ गया कि तेरे सेवक प्रतिफल पावें सभी नबी जन, तेरे सब जन
  और सभी जो तुझको आदर देते।
 और सभी जो छोटे जन हैं और सभी जो बड़े बने हैं अपना प्रतिफल पावें।
  उन्हें मिटाने का समय आ गया, धरती को जो मिटा रहे हैं।”

19 फिर स्वर्ग में स्थित परमेश्वर के मन्दिर को खोला गया तथा वहाँ मन्दिर में वाचा की वह पेटी दिखाई दी। फिर बिजली की चकाचौंध होने लगी। मेघों का गर्जन-तर्जन और घड़घड़ाहट के शब्द भूकम्प और भयानक ओले बरसने लगे।

समीक्षा

अपने राजा पर भरोसा रखिए

जीवन इतना बड़ा संघर्ष क्यों है? क्यों निर्दोष कष्ट सहते रहते हैं? क्या ये सब ऐसा ही रहेगा? क्या हमारे कष्टों का कोई अंत होगा? क्या कोई आशा है? भविष्य कैसा दिखने वाला है?

हमें एक झलक देखने को मिलती है कि हमारा भविष्य कैसा होगा जब यीशु वापस आएंगे और संसार के राज्य, परमेश्वर के राज्य में बदल जाएंगे, और उनके मसीहा कहेंगे जो ‘अनंतकाल तक शासन करेंगे’ (व. 15)।

यीशु परमेश्वर के राज्य की घोषणा करते हुए आए। एक भावना जिसमें यह था ‘अब’ है, और एक भावना जिसमें ‘अभी नहीं’ है।

परमेश्वर के राज्य की आज की वास्तविकता को यीशु के उन सब कार्यों से दिखाया गया है जो उन्होंने अपनी सेवकाई में किए। परमेश्वर का शासन और शासनकाल को बुराई के दमन के द्वारा दिखाया गया है। परमेश्वर के राज्य का आरंभ हमें, बीमारियों को चंगाई, दुष्ट आत्माओं को निकालना और पापों की क्षमा, के द्वारा दिखाया गया है।

दूसरी ओर, परमेश्वर के राज्य के भविष्य का पहलू, यीशु के द्वारा स्पष्ट किया गया। उन्होंने अपने चेलों को प्रार्थना करना सिखाया, ‘आपका राज्य आए’ (मत्ती 6:10)। और वो एक फसल के बारे में बताते हैं, जो ‘जगत के अंत’ में है; (13:39)। ऐसा प्रतीत होता है कि हम परमेश्वर के राज्य को पूरी तरह से महसूस नहीं कर पाएंगे, जब तक यीशु वापस नहीं आ जाते हैं।

प्रकाशितवाक्य से आज का लेखांश यह वर्णन देता है कि क्या होने वाला है, परमेश्वर के राज्य के आने से पहले। परमेश्वर के लोग एक ही समय में सताए और बचाए जाएंगे!

वहाँ दो गवाह होंगे (प्रकाशितवाक्य 11:3)। पहले की व्यवस्था प्रणाली में हमेशा दो गवाहों की आवश्यकता होती थी। (व्यवस्थाविवरण 19:15; यूहन्ना 8:17)। यीशु हमेशा अपने गवाहों को दो दो करके भेजते थे।

यहाँ दो गवाहियाँ हैं: मूसा (जिसने पानी को रक्त में बदला था), (प्रकाशितवाक्य 11:6) और (जिसने आकाश को बन्द कर दिया था (व. 6), “इन दो नबियों ने पृथ्वी के लोगों के विवेक को जागरुक किया, और उनके पापों के आनन्द को नामुमकिन बना दिया” (व. 10)।

इन दोनों नबियों ने 1,260 दिनों तक (52 महीने या 3.5 सालों तक) भविष्यवाणी की। शायद यह एक चिन्ह है, उस अवधि का, जो यीशु के पहले और दूसरे आगमन के बीच है।

लेकिन अंत से थोड़ा पहले, जानवर द्वारा मारे गए, ‘उनके शरीर बड़े नगर के चौक में’ पड़े रहे (व. 8) - ये बेबीलोन या रोम है – अपने प्रतीकात्मक नामों के साथ, जो ‘सदोन और मिस्र हैं’ और ‘जहाँ उनके प्रभु को क्रूस पर चढ़ाया गया था’ (व. 8), जो कि यरुशलेम है।

बहुत ही कम समय के लिए (‘साढ़े तीन दिन’ व. 9), सब उनके मरने पर आनन्द मनाते हैं (व. 10)। फिर परमेश्वर उन्हें जिलाते हैं: परमेश्वर की जीवित आत्मा उनके अंदर समा जाती है – और वो दोनों अपने पैरों पर खड़े हो जाते हैं। परमेश्वर की ओर से जीवन की आत्मा उन में पैठ गई; और वे अपने पांवों के बल खड़े हो गए, और उनके देखने वालों पर बड़ा भय छा गया’ (व. 11)। जैसे ही अंतिम निर्णय का समय समीप आया उन्हें स्वर्ग ले जाया गया (वव. 12-13)।

और यह वो क्षण है जब सांतवी तुरही की ध्वनि सुनाई पड़ती है। एक तिगुना अनुक्रम होता है। पहला, अंत में परमेश्वर का राज्य, अपनी पूरी भरपूरी से आता है (व. 15)। दूसरा, सारी कलीसिया (“चौबीसों प्राचीन,” व. 16) राजा की आराधना करते हैं। अपने मुंह के बल गिरकर परमेश्वर को दंडवत करते हैं और कहते हैं:

“हम आपका धन्यवाद करते हैं, परमेश्वर, सर्वशक्तिमान, जो है और जो था। आप ने अपनी बड़ी सामर्थ से राज्य किया है” (व. 17)।

तीसरा, अंतिम निर्णय शुरु होता है (व. 18)। मिटाने वाले खुद मिट जाएंगे। परमेश्वर अपने ‘नबियों और संतों को’, दोनों छोटे और बड़े’ को पुरस्कृत करेंगे।

प्रकाशितवाक्य में ये दृश्य प्रतिकात्मक है। मूसा और एलीया ये दो परमेश्वर के गवाह हैं, महान साहस और शक्ति के दो रूप हैं, जिन्होंने विरोध और कष्टों का सामना किया, अपनी अंतिम पुष्टि से पहले।

ये एक सच्चाई है जिसकी आपको अपेक्षा करनी है, इस सदी में जो यीशु की पहली और दूसरे आगमन के बीच है – यह सदी जिसमें आप अभी जीवित हैं। परमेश्वर के राज्य और ‘पशु’ के राज्य के बीच एक संघर्ष चल रहा है। और यह एक ऐसा संघर्ष है जिसका अंतिम परिणाम आपको पता है।

आपके संघर्षों का अंत होगा। निर्दोष फिर कभी कष्ट न उठाएंगे। भविष्य के लिए एक महान आशा है। यीशु वापस आएंगे, और वो अनंत काल तक राज्य करेंगे।

प्रार्थना

प्रभु, आपको धन्यवाद, कि एक दिन इस संसार का राज्य हमारे प्रभु और उनके मसीह का बन जाएगा; और आप युग-युग तक शासन करेंगे।

जूना करार

एज्रा 4:6-5:17

6 उन शत्रुओं ने यहूदियों को रोकने के लिये प्रयत्न करते हुए फारस के राजा को पत्र भी लिखा। उन्होंने यह पत्र तब लिखा था जब क्षयर्ष फारस का राजा बना।

यरूशलेम के पुनः निर्माण के विरुद्ध शत्रु

7 बाद में, जब अर्तक्षत्र फारस का नया राजा हुआ, इन लोगों में से कुछ ने यहूदियों के विरुद्ध शिकायत करते हुए एक और पत्र लिखा। जिन लोगों ने वह पत्र लिखा, वे ये थे: बिशलाम, मिथदात, ताबेल और उसके दल के अन्य लोग। उन्होंने पत्र राजा अर्तक्षत्र को अरामी में अरामी लिपि का उपयोग करते हुए लिखा।

8 तब शासनाधिकारी रहूम और सचिव शिलशै ने यरूशलेम के लोगों के विरुद्ध पत्र लिखा। उन्होंने राजा अर्तक्षत्र को पत्र लिखा। उन्होंने जो लिखा वह यह था:

9 शासनाधिकारी रहूम, सचिव शिमशै, तथा तर्पली, अफ़ारसी, एरेकी, बाबेली और शूशनी के एलामी लोगों के न्यायाधीश और महत्वपूर्ण अधिकारियों की ओर से, 10 तथा वे अन्य लोग जिन्हें महान और शक्तिशाली ओस्नप्पर ने शोमरोन के नगरों एवं परात नदी के पश्चिमी प्रदेश के अन्य स्थानों पर बसाय था।

11 यह उस पत्र की प्रतिलिपि है जिसे उन लोगों ने अर्तक्षत्र को भेजा था।

राजा अर्तक्षत्र को, परात नदी के पश्चिमी क्षेत्र में रहने वाले आप के सेवकों की ओर से है।

12 राजा अर्तक्षत्र हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि जिन यहूदियों को आपने—अपने पास से भेजा है, वे यहाँ आ गये हैं। वे यहूदी उस नगर को फिर से बनाना चाहते हैं। यरूशलेम एक बुरा नगर है। उस नगर के लोगों ने अन्य राजाओं के विरूद्ध सदैव विद्रोह किया है। अब वे यहूदी परकोटे की नींवों को पक्का कर रहे हैं और दीवारें खड़ी कर रहे हैं।

13 राजा अर्तक्षत्र आपको यह भी जान लेना चाहिये कि यदि यरूशलेम और इसके परकोटे फिर बन गए तो यरूशलेम के लोग कर देना बन्द कर देंगे। वे आपका सम्मान करने के लिये धन भेजना बन्द कर देंगे। वे सेवा कर देना भी रोक देंगे और राजा को उस सारे धन से हाथ धोना पड़ेगा।

14 हम लोग राजा के प्रति उत्तरदायी हैं। हम लोग यह सब घटित होना नहीं देखना चाहते। यही कारण है कि हम लोग यह पत्र राजा को सूचना के लिये भेज रहे हैं।

15 राजा अर्तक्षत्र हम चाहते हैं कि आप उन राजाओं के लेखों का पता लगायें जिन्होंने आपके पहले शासन किये। आप उन लेखों में देखेंगे कि यरूशलेम ने सदैव अन्य राजाओं के प्रति विद्रोह किया। इसने अन्य राजाओं और राष्द्रों के लिये बहुत कठिनाईयाँ उत्पन्न की हैं। प्राचीन काल से इस नगर में बहुत से विद्रोह का आरम्भ हुआ है ! यही कारण है कि यरूशलेम नष्ट हुआ था!

16 राजा अर्तक्षत्र हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि यदि यह नगर और इसके परकोटे फिर से बन गई तो फरात नदी के पश्चिम के क्षेत्र आप के हाथ से निकल जाएँगे।

17 तब अर्तक्षत्र ने यह उत्तर भेजा:

शासनाधिकारी रहूम और सचिव शिमशै और उन के सभी साथियों को जो शोमरोन और परात नदी के अन्य पश्चिमी प्रदेश में रहते हैं, को अपना उत्तर भेजा।

अभिवादन,

18 तुम लोगों ने जो हमारे पास पत्र भेजा उसका अनुवाद हुआ और मुझे सुनाया गया। 19 मैंने आदेश दिया कि मेरे पहले के राजाओं के लेखों की खोज की जाये। लेख पढ़े गये और हम लोगों को ज्ञात हुआ कि यरूशलेम द्वारा राजाओं के विरूद्ध विद्रोह करने का एक लम्बा इतिहास है। यरूशलेम ऐसा स्थान रहा है जहाँ प्राय: विद्रोह और क्रान्तियाँ होती रही हैं। 20 यरूशलेम और फरात नदी के पश्चिम के पूरे क्षेत्र पर शक्तिशाली राजा राज्य करते रहे हैं। राज्य कर और राजा के सम्मान के लिये धन और विविध प्रकार के कर उन राजाओं को दिये गए हैं।

21 अब तुम्हें उन लोगों को काम बन्द करने के लिये एक आदेश देना चाहिए। यह आदेश यरूशलेम के पुन: निर्माण को रोकने के लिये तब तक है, जब तक कि मैं वैसा करने की आज्ञा न दूँ। 22 इस आज्ञा की उपेक्षा न हो, इसके लिये सावधान रहना। हमें यरूशलेम के निर्माण कार्य को जारी नहीं रहने देना चाहिए। यदि काम चलता रहा तो मुझे यरूशलेम से आगे कुछ भी धन नहीं मिलेगा।

23 सो उस पत्र की प्रतिलिपि, जिसे राजा अर्तक्षत्र ने भेजा रहुम, सचिव शिमशै और उनके साथ के लोगों को पढ़कर सुनाई गई। तब वे लोग बड़ी तेज़ी से यरूशलेम में यहूदियों के पास गए। उन्होंने यहुदियों को निर्माण कार्य बन्द करने को विवश कर दिया।

मन्दिर का कार्य रुका

24 इस प्रकार यरूशलेम में परमेश्वर के मन्दिर का काम रुक गया। फारस के राजा दारा के शासनकाल के दूसरे वर्ष तक यह कार्य नहीं चला।

5तब हाग्गै नबी और इद्दो के पुत्र जकर्याह ने इस्राएल के परमेश्वर के नाम पर भविष्यवाणी करनी आरम्भ की। उन्होंने यहूदा और यरूशलेम में यहूदियों को प्रोत्साहित किया। 2 अतःशालतीएल का पुत्र जरूब्बाबेल और योसादाक का पुत्र येशु ने फिर यरूशलेम में मन्दिर का निर्माण करना आरम्भ कर दिया। सभी परमेश्वर के नबी उनके साथ थे और कार्य में सहायता कर रहे थे। 3 उस समय फरात नदी के पश्चिम के क्षेत्र का राज्यपाल तत्तनै था। तत्तनै, शतर्बोजनै और उनके साथ के लोग जरूब्बाबेल और येशु ताथ निर्माण करने वालों के पास गए। तत्तनै और उसके साथ के लोगों ने जरूब्बाबेल और उसके साथ के लोगों से पूछा, “तुम्हें इस मन्दिर को फिर से बनाने और इस की छत का काम पूरा करने का आदेश किसने दिया?” 4 उन्होंने जरूब्बाबेल से यह भी पुछा, “जो लोग इस इमारत को बनाने का काम रहे हैं उनके नाम क्या हैं?”

5 किन्तु परमेश्वर यहूदी प्रमुखों पर दृष्टि रख रहा था। निर्माण करने वालों को तब तक काम नहीं रोकना पड़ा जब तक उसका विवरण राजा दारा को न भेज दिया गया। वे तब तक काम करते रहे जब तक राजा दारा ने अपना उत्तर वापस नहीं भेजा।

6 फ़रात के पश्चिम के क्षेत्रों के शासनाधिकारी तत्तनै, शतर्बोजनै और उनके साथ के महत्वपूर्ण व्यक्तियों ने राजा दारा के पास पत्र भेजा। 7 यह उस पत्र की प्रतिलिपि है:

राजा दारा को अभिवादन

8 राजा दारा, आपको ज्ञात होना चाहिए कि हम लोग यहूदा प्रदेश में गए। हम लोग महान परमेश्वर के मन्दिर को गए। यहूदा के लोग उस मन्दिर को बड़े पत्थरों से बना रहे हैं। वे दीवरों में लकड़ी की बड़ी—बड़ी शहतीरें डाल रहे हैं। काम बड़ी सावधानी से किया जा रहा है, और यहूदा के लोग बहुत परिश्रम कर रहे हैं। वे बड़ी तेज़ी से निर्माण कार्य कर रहे हैं और यह शीघ्र ही पूरा हो जाएगा।

9 हम लोगों ने उनके प्रमुखों से कुछ प्रश्न उनके निर्माण कार्य के बारे में पूछा। हम लोगों ने उनसे पूछा, “तुम्हें इस मन्दिर को फिर से बनाने और इस की छत का काम पूरा करने की स्वीकृति किसने दी है?” 10 हम लोगों नें उनके नाम भी पूछे। हम लोगों ने उन लोगों के प्रमुखों के नाम लिखना चाहा जिससे आप जान सकें कि वे कौन लोग हैं।

11 उन्होंने हमें यह उत्तर दिया:

“हम लोग स्वर्ग और पृथ्वी के परमेश्वर के सेवक हैं। हम लोग उसी मन्दिर को बना रहे हैं जिसे बहुत वर्ष पहले इस्राएल के एक महान राजा ने बनाया और पूरा किया था। 12 किन्तु हमारे पूर्वजों ने स्वर्ग के परमेश्वर को क्रोधित किया। इसलिये परमेश्वर ने हमारे पूर्वजों को बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर को दिया। नबूकदनेस्सर ने इस मन्दिर को नष्ट किया और उसने लोगों को बन्दी के रूप में बाबेल जाने को विवश किया। 13 किन्तु बाबेल पर कुस्रू के राजा होने के प्रथम वर्ष में राजा कुस्रू ने परमेश्वर के मन्दिर को फिर से बनाने के लिए विशेष आदेश दिया। 14 कुस्रू ने बाबेल में अपने असत्य देवता के मन्दिर से उन सोने चाँदी की चीज़ों को निकाला जो भूतकाल में परमेश्वर के मन्दिर से लूट कर ले जाई गइ थीं। नबूकदनेस्सर ने उन चीज़ों को यरूशलेम के मन्दिर से लूटा और उन्हें बाबेल में अपने असत्य देवताओं के मन्दिर में ले आया। तब राजा कुस्रू ने उन सोने चाँदी की चीजों को शेशबस्सर (जरूब्बाबेल) को दे दिया।” कुस्रू ने शेशबस्सर को प्रशासक चुना था।

15 कुस्रू ने तब शेशबस्सर (जरूब्बाबेल) से कहा था, “इन सोने चाँदी की चीज़ों को लो और उन्हें यरूशलेम के मन्दिर में वापस रखो। उसी स्थान पर परमेश्वर के मन्दिर को बनाओ जहाँ वह पहले था।”

16 अत: शेशबस्सर (जरूब्बाबेल) आया और उसने यरूशलेम में परमेश्वर के मन्दिर की नींव का काम पूरा किया। उस दिन से आज तक मन्दिर के निर्माण का काम चलता आ रहा है। किन्तु यह अभी तक पूरा नहीं हुआ है।

17 अब यदि राजा चाहते हैं तो कृपया वे राजाओं के लेखों को खोजें। यह देखने के लिए खोज करें कि क्या राजा कुस्रू द्वारा यरूशलेम में परमेश्वर के मन्दिर को फिर से बनाने का दिया गया आदेश सत्य है और तब, महामहिम, कृपया आप हम लोगों को पत्र भेजें जिससे हम जान सकें कि आपने इस विषय में क्या करने का निर्णय लिया है।

समीक्षा

अपने राजा पर भरोसा रखिए।

क्या कभी आपकी अन्यायपूर्ण आलोचना की गई है आपके मालिक से या किसी से जो अधिकार में हैं?

क्या कभी आपको ऐसा लगा कि परमेश्वर के कार्य में बाधा उत्पन्न की जा रही थी या विरोधियों द्वारा रुकावट पैदा की गई हो? एक स्थानीय परिषद द्वारा, आपके मालिक के द्वारा या दूसरे लोगों के द्वारा जो अधिकार में हैं?

मानव नेता शक्तिशाली हैं और वे अपनी शक्ति का इस्तेमाल भलाई या बुराई के लिए करते हैं। अर्तक्षत्र फारस का राजा था (4:7)। उसे एक पत्र मिला जिसे हम ‘खौफनाक पत्र’ कह सकते हैं। ये पत्र उनकी ओर से आ रहे थे जो परमेश्वर के कार्य के विरोध में थे, और ये पत्र चापलूसी, सत्य और झूठ से भरे हुए थे।

उन पत्रों के लिखने वालों ने इस तरह लिखा मानों वे राजा के प्रति बहुत उपयोगी हैं: “राजा को यह विदित हो...” (वव. 12-13)। इसमें येरुशलेम का वर्णन एक विद्रोही और दुष्ट शहर के रूप में किया गया है। आज की तरह उस वक्त भी, धन की शक्ति अपार थी और वो धमकी कि ‘वे लोग कर, चुंगी और राहदारी, फिर न देंगे, और अंत में राजाओं की हानि होगी’ (व. 13)। यह एक जोरदार धमकी थी, और ये भी कि राजा का ‘अनादर’ होगा (व. 14)। इस विद्रोही और क्लेशदायी शहर के द्वारा, और इसका परिणाम यह हुआ कि परमेश्वर के भवन का काम जो यरुशलेम में चल रहा था, रुक गया (व. 24)।

अगर आप इस तरह की शत्रुता की प्राप्ति स्थल पर हैं; तो यह एक उत्साह की बात है कि एकमात्र आप ही हैं जिसे ‘आलोचना’ भरे पत्र मिल रहे हैं, (व. 6) उन लोगों की ओर से जिन्हें आशंका होती है (व. 22), और जो कार्य रुकवाना चाहते हैं (व. 21)। वो हमारे कार्यों को रोक सकते हैं और अस्थायी रूप से कार्य रुक भी जाता है, परंतु हम जानते हैं कि अगर परमेश्वर इस योजना के पीछे हैं, तो अंत में कोई भी सफल नहीं होगा ।

अंत में ये आलोचना करने वाले सफलता नहीं पाते। एक दूसरा राजा आया और हमें बताया जाता है, “परमेश्वर की दृष्टि उन पुरनियों पर रही” (5:5)।

राजा दारियस के पास एक अच्छा विवरण भेजा गया। और उसमें इस्रायल के एक महान राजा का उल्लेख किया गया था, जिसने परमेश्वर के भवन को बनाया और पूरा किया था (व. 11) और इसमें बाबेल के राजा क्रुसू की अनुमति थी (व. 13)।

अंत में आप परमेश्वर की व्यवस्था पर भरोसा रख सकते हैं: “राजा का मन नालियों के जल की नाई यहोवा के हाथ में रहता है, जिधर वह चाहता है उधर उसको फेर देता है” (नीतिवचन 21:1)। अपना भरोसा मानव अगुओं पर मत रखिए, बल्कि आप अपने परमेश्वर अपने राजा पर भरोसा रखिए।

मानव अगुवे आते और जाते रहते हैं। कुछ तो भले होते हैं, पर कुछ बुरे। परंतु परमेश्वर ने पूरी तरह से इतिहास को नियंत्रण में रखा हुआ है।

प्रार्थना

प्रभु धन्यवाद हो कि सारा सच्चा शासन अंत में आप ही की ओर संकेत करता है। आप मेरे परमेश्वर, मेरे राजा हैं। मैं आपके राज्य को अपने समुदाय में, शहर में और राष्ट्र में और बढ़ता हुआ देखूँ । आपका राज्य आए।

पिप्पा भी कहते है

भजनसंहिता 145:4

आपके कामों की प्रशंसा और आपके पराक्रम के कामों का वर्णन पीढ़ी से पीढ़ी तक होता रहे।

हमारी जिम्मेदारी है कि हम सुसमाचार को अगली पीढ़ी को बाँटें और उन सब कहानियों को बताएँ जो अच्छी चीज़ें परमेश्वर ने हमारे जीवन में की हैं।

reader

App

Download The Bible with Nicky and Pippa Gumbel app for iOS or Android devices and read along each day.

reader

Email

Sign up now to receive The Bible with Nicky and Pippa Gumbel in your inbox each morning. You’ll get one email each day.

Podcast

Subscribe and listen to The Bible with Nicky and Pippa Gumbel delivered to your favourite podcast app everyday.

reader

Website

Start reading today’s devotion right here on the BiOY website.

संदर्भ

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

एक साल में बाइबल

  • एक साल में बाइबल

This website stores data such as cookies to enable necessary site functionality and analytics. Find out more