दिन 355

तीन तरीके हैं बुराई पर काबू पाने के

बुद्धि भजन संहिता 145:8-13a
नए करार प्रकाशित वाक्य 12:1-13:1a
जूना करार एज्रा 6:1-7:10

परिचय

डॉक्टर मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने अपने अंतिम भाषण में जो कि 31 मार्च 1968 में दिया था, उसमें उन्होंने बार-बार यहाँ पर दोहराया था, "हम विजयी होंगे"। वो लोग-गायक जोएन बेज के शब्दों का गुजंन कर रहे थे, जिन्होने 1963 में 3,00,000 की भीड़ समेत ये गीत गाया था,"हम विजयी होंगे"। ये गीत हमें विजयी होने और आशा की खोज और एक भविष्य विपत्ति के बीच के बारे में बतलाता है।

इस पूरे साल भर जैसे हमने संपूर्ण बाईबल का अध्ययन किया,हमने देखा कि एक आसान जीवन की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। बाईबल वास्तविक जीवन के लिए सच्ची है। जीवन में बहुत संघर्ष, परीक्षण, परीक्षांए, प्रलोभन, मुश्किलें और युध्द शामिल हैं। तब भी हम यीशु में विजयी हो सकते हैं।

बुद्धि

भजन संहिता 145:8-13a

8 यहोवा दयालु है और करुणापूर्ण है।
 यहोवा तू धैर्य और प्रेम से पूर्ण है।
9 यहोवा सब के लिये भला है।
 परमेश्वर जो कुछ भी करता है उसी में निजकरुणा प्रकट करता है।
10 हे यहोवा, तेरे कर्मो से तुझे प्रशंसा मिलती है।
 तुझको तेरे भक्त धन्य कहा करते हैं।
11 वे लोग तेरे महिमामय राज्य का बखान किया करते हैं।
 तेरी महानता को वे बताया करते हैं।
12 ताकि अन्य लोग उन महान बातों को जाने जिनको तू करता है।
 वे लोग तेरे महिमामय राज्य का मनन किया करते हैं।
13 हे यहोवा, तेरा राज्य सदा—सदा बना रहेगा
 तू सर्वदा शासन करेगा।

समीक्षा

परमेश्वर का प्रेम सब चीजो पर काबू पाता है

संसार में प्रेम एक बहुत ही बलशाली गुण है। और हम प्रेम सहित विजयी होते हैं। और मार्टिन लूथर किंग का यह संदेश जिसमें वो कहते हैं,"अधंकार, अधंकार को दूर नहीं कर सकता ,सिर्फ रोशनी ही कर सकती है। घृणा, घृणा को दूर नहीं कर सकती, सिर्फ प्रेम कर सकता है।"

परमेश्वर प्रेम के स्रोत हैं। परमेश्वर 'दयालु' हैं, 'प्रेम के धनी हैं'(व.4)। 'और उनकी दया उनकी सारी सृष्टि पर है'(व.9)। परमेश्वर का प्रेम ही बुराई पर विजयी होता है।

अपने सभी रिश्ते नातों में-खास तौर पर जब आप मुश्किलों का सामना करते हैं-परमेश्वर की तरह बनिए। 'कृपालु और दयालु बनिए,क्रोध करने में धीमे और प्रेम के धनी बनिए'(व.8)।

परमेश्वर का प्रेम कमजोर और धीमा प्रेम नहीं है। परमेश्वर के प्रेम को समर्थन उनकी शक्ति और पराक्रम करते हैं। परमेश्वर के लोग,"आपके राज्य की महिमा की चर्चा करेंगे और आपके पराक्रम के विषय में बाते करेंगे; कि वे आदमियों पर आपके पराक्रम के काम और आपके राज्य के प्रताप की महिमा प्रगट करें(व.11-12)।" और इस पर आप भरोसा कर सकते हैं 'सब पीढीयों तक' क्योंकि परमेश्वर का राज्य 'युग युग' का है'(व.13)

जैसे कि वे घोषित करता है परमेश्वर का प्रेम और शक्ति एक साथ, और कोई हैरानी की बात नहीं है कि दाऊद स्तुति करता है,"हे यहोवा आपकी सारी सृष्टि आपका धन्यवाद करेगी, और आपके लोग आपको धन्य कहेंगे।"(व.10)

प्रार्थना

प्रभु आपका धन्यवाद हो कि हमारे जीवन में बहुत से युध्द हैं, फिर भी हम विजयी होंगे और आपके ऐश्वर्य की महिमा के प्रताप का आनंद लेंगे।

नए करार

प्रकाशित वाक्य 12:1-13:1a

स्त्री और विशालकाय अजगर

12इसके पश्चात् आकाश में एक बड़ा सा संकेत प्रकट हुआ: एक महिला दिखाई दी जिसने सूरज को धारण किया हुआ था और चन्द्रमा उसके पैरों तले था। उसके माथे पर मुकुट था जिसमें बारह तारे जड़े थे। 2 वह गर्भवती थी। और क्योंकि प्रसव होने ही वाला था इसलिए प्रजनन की पीड़ा से वह कराह रही थी।

3 स्वर्ग में एक और संकेत प्रकट हुआ। मेरे सामने ही एक लाल रंग का विशालकाय अजगर खड़ा था। उसके सातों सिरों पर सात मुकुट थे। 4 उसकी पूँछ ने आकाश के तारों के एक तिहाई भाग को सपाटा मारकर धरती पर नीचे फेंक दिया। वह स्त्री जो बच्चे को जन्म देने ही वाली थी, वह अजगर उसके सामने खड़ा हो गया ताकि वह जैसे ही उस बच्चे को जन्म दे, वह उसके बच्चे को निगल जाए।

5 फिर उस स्त्री ने एक बच्चे को जन्म दिया जो एक लड़का था। उसे सभी जातियों पर लौह दण्ड के साथ शासन करना था। किन्तु उस बच्चे को उठाकर परमेश्वर और उसके सिंहासन के सामने ले जाया गया। 6 और वह स्त्री निर्जन वन में भाग गई। एक ऐसा स्थान जो परमेश्वर ने उसी के लिए तैयार किया था ताकि वहाँ उसे एक हज़ार दो सौ साठ दिन तक जीवित रखा जा सके।

7 फिर स्वर्ग में एक युद्ध भड़क उठा। मीकाईल और उसके दूतों का उस विशालकाय अजगर से संग्राम हुआ। उस विशालकाय अजगर ने भी उसके दूतों के साथ लड़ाई लड़ी। 8 किन्तु वह उन पर भारी नहीं पड़ सका, सो स्वर्ग में उनका स्थान उनके हाथ से निकल गया। 9 और उस विशालकाय अजगर को नीचे धकेल दिया गया। यह वही पुराना महानाग है जिसे दानव अथवा शैतान कहा गया है। यह समूचे संसार को छलता रहता है। हाँ, इसे धरती पर धकेल दिया गया था।

10 फिर मैंने ऊँचे स्वर में एक आकाशवाणी को कहते सुना: “यह हमारे परमेश्वर के विजय की घड़ी है। उसने अपनी शक्ति और संप्रभुता का बोध करा दिया है। उसके मसीह ने अपनी शक्ति को प्रकट कर दिया है क्योंकि हमारे बन्धुओं पर परमेश्वर के सामने दिन-रात लांछन लगाने वाले को नीचे धकेल दिया गया है। 11 उन्होंने मेमने के बलिदान के रक्त और उनके द्वारा दी गई साक्षी से उसे हरा दिया है। उन्होंने अपने प्राणों का परित्याग करने तक अपने जीवन की परवाह नहीं की। 12 सो हे स्वर्गों और स्वर्गों के निवासियों, आनन्द मनाओ। किन्तु हाय, धरती और सागर, तुम्हारे लिए कितना बुरा होगा क्योंकि शैतान अब तुम पर उतर आया है। वह क्रोध से आग-बबूला हो रहा है। क्योंकि वह जानता है कि अब उसका बहुत थोड़ा समय शेष है।”

13 जब उस विशालकाय अजगर ने देखा कि उसे धरती पर नीचे धकेल दिया गया है तो उसने उस स्त्री का पीछा करना शुरू कर दिया जिसने पुत्र जना था। 14 किन्तु उस स्त्री को एक बड़े उकाब के दो पंख दिए गए ताकि वह उस वन प्रदेश को उड़ जाए, जो उसके लिए तैयार किया गया था। साढ़े तीन साल तक वहीं उस विशालकाय अजगर से दूर उसका भरण-पोषण किया जाना था। 15 तब उस महानाग ने उस स्त्री के पीछे अपने मुख से नदी के समान जल धारा प्रवाहित की ताकि वह उसमें बह कर डूब जाए। 16 किन्तु धरती ने अपना मुख खोलकर उस स्त्री की सहायता की और उस विशालकाय अजगर ने अपने मुख से जो नदी निकाली थी, उसे निगल लिया। 17 इसके बाद तो वह विशालकाय अजगर उस स्त्री पर बहुत क्रोधित हो उठा और उसके उन वंशजों के साथ जो परमेश्वर के आदेशों का पालन करते हैं और यीशु की साक्षी को धारण करते हैं, युद्ध करने को निकल पड़ा।

18 तथा सागर के किनारे जा खड़ा हुआ।

दो पशु

13फिर मैंने सागर में से एक पशु को बाहर आते देखा। उसके दस सींग थे और सात सिर थे। तथा अपने सीगों पर उसने दस राजसी मुकुट पहने हुए थे। उसके सिरों पर दुष्ट नाम अंकित थे।

समीक्षा

यीशु शैतान पर विजयी होते हैं

क्या कभी आप अपने आपको दोषी महसूस करते हैं, पापों को कबूल करने के बाद भी? और क्षमा मांगने के बाद भी? क्या कभी आपको अपने बारे में बुरा लगता है बिना किसी प्रकट कारण के? क्या कभी आपको एक अस्पष्ट तिरस्कार की अनुमती का अनुभव हुआ है?

पर एक तरीका है जिसमें शैतान कार्य करता है। वो 'दोष लगाने वाला' है(12:10)। इब्रानी में शैतान का मतलब 'दोष लगाने वाला' या 'निन्दक' है। वो परमेश्वर पर दोष लगाता है लोगों के सामने, और परमेश्वर पर दोष लगाया जाता है हर चीज के लिए। शैतान कहता है कि परमेश्वर विश्वास करने के लायक नहीं हैं।

और शैतान 'ईसाईयो' पर भी दोष लगाता है परमेश्वर के सामने। वो यीशु की मृत्यु की शक्ति का इनकार करता है। वो आपकी निंदा करता है और आपको दोषी महसूस करवाता है, किसी एक पाप को लेकर नहीं; परंतु एक सामान्य और अस्पष्ट अपराध की भावना के द्वारा। इसके विपरीत, जब पवित्र आत्मा हमें हमारे पापों के लिए दोष देते हैं, वे हमेशा विशिष्ट होते हैं।

ये गद्यांश हमें बताता है कि शैतान पर कैसे विजयी हो। प्रकाशितवाक्य की पुस्तक ये खुलासा करती है कि इतिहास की उन घटनाओं के पीछे क्या होने वाला है। यूहन्ना यीशु की पहली आगमन से दूसरे आगमन तक की कहानी को बार बार दोहराता है। हर क्षण एक लड़ाई और सताव है, लेकिन अंत में विजय और उत्सव है।

बारहवें अध्याय की तीन विशेष बातें:

  1. बेटा

यीशु,'वह बेटे हैं जो सब जातियों पर राज्य करेंगे'(व.5अ)। और उन्हें 'परमेश्वर के सिहांसन के पास उठा कर पहुँचा दिया गया'(व.5ब)

  1. शैतान

शैतान की तुलना एक 'लाल अजगर' से की गई है(व.3)। पद अ में उसका प्रमाण प्रकाशित किया गया है। और वह बड़ा अजगर अर्थात वही पुराना सांप; जो इबलीस और शैतान कहलाता है, और सारे संसार को भरमाने वाला(व.9)। वह दोष लगाने वाला है(व.10)

  1. स्त्री

शायद सबसे स्पष्ट अनुवाद यह है कि ये स्त्री मरियम हैं, यीशु की माता। और दूसरी राय यह भी है कि वह साक्षात बुध्दिमता, स्वर्गीय यरुशलेम, साक्षात इस्राएल या कलीसिया हैं। सर्वनाशक प्रकृती को देते हुए और इसकी बहुत सी अनुवाद की परतें, वह इस सब का प्रतिनिधित्व कर सकती हैं।

ये स्त्री 'जो सूर्य ओढे हुए, और चांद उनके पांव तले था और उनके सिर पर बारह तारों का मुकुट था'(व.1ब)। 'और वह एक बच्चा जन रही थी'(व.2) जब उनके बच्चे को एकाएक परमेश्वर के पास और उनके सिंहासन के पास उठा कर पहुँचा दिया जाता है, इसके बाद, ये स्त्री, 'उस जंगल में भाग गई, जहाँ परमेश्वर की ओर से उनके लिए एक जगह तैयार की गई थी, कि वहाँ वह एक हजार दो सौ साठ दिन तक पाली जाएं(व.6)।'

आगे हम पढते हैं कि वह सांप उस स्त्री को नदी में बहा देना चाहता है;"परंतु पृथ्वी ने उस स्त्री की सहायता की, और अपना मुहँ खोलकर उस नदी को जो अजगर ने अपने मुँह से बाधी थी, पी लिया"(व.16)

इस गद्यांश से यह स्पष्ट है कि अंत में यीशु शैतान और उसके सहभागियों पर विजयी होते हैं। मानव इतिहास के परदे के पीछे के दृश्यो में महान और कृतग्न भलाई और बुराई की शक्तियां हैं; 'फिर स्वर्ग पर लडाई हुई, मीकाईल और उसके स्वर्गदूत अजगर से लड़ने निकले, और अजगर और उसके दूत उस से लड़े'(व.7)।

अंत में भलाई पर काबू पाया जाता है: "परंतु वह प्रबल न हुआ, और स्वर्ग में उनके लिए फिर जगह न रही। उस बड़े अजगर को पृथ्वी पर गिरा दिया गया और उसके दूत उसके साथ गिरा दिए गए" (व.8-9)। वह सारे संसार को भरमाने की कोशिश करता है(व.9)।

आज आप बुराई की शैतानी ताकतों के विरुध्द युध्द में हैं। पर विजय सुरक्षित है: "वे उस पर जयवंत हुए"(व.11अ)। 'वे' शब्द का तात्पर्य कलीसिया से है-परमेश्वर के लोग-जो मसीह में हैं, 'उस' शब्द का तात्पर्य शैतान, ईबलीस, दोष लगाने वाला, एक अजगर, जो अंत में नाश हो जाएगा। हम शैतान पर तीन तरीकों से विजयी होते हैं:

  1. लहू पर विश्वास रखिए

यीशु का क्रूस-'मेमने का लहू'(व.11अ)-एक सर्वोच्च जीत शैतान के ऊपर। और परमेश्वर के आगे आपका स्थान सुनिश्चित है। "सो अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दंड की आज्ञा नहीं"(रोमियों 8:1)। अब आप अपने आप को सुबह सुबह दोषी मानते हुए न उठे; या सोते समय दोषी महसूस न करें। कौरी टैन बूम बताती हैं कि यीशु का लहू आखों में आँसूओ के समान है, जो गदंगी का एक एक कतरा धो डालता है।

  1. अपनी कहानी बताइए

'अपनी गवाही के वचन के कारण' वे जयवंत हुए (प्रकाशितवाक्य 12:11ब)। आपकी गवाही एक बहुत शक्तिशाली तरीका है जिससे आप विश्वास के प्रति विरोध पर जयवंत हो सकते हैं। आपकी कहानी के विरुध्द वाद विवाद करना बहुत कठिन होता है। कोई भी आपके व्यक्तिगत अनुभव का इंकार नहीं कर सकता!

  1. यीशु के लिए

'उन्होंने अपने प्राणों को प्रिय न जाना, यहाँ तक कि मृत्यु को भी सह लिया'(व.11सी)

'उन्होंने अपने प्राणों को प्रिय न जाना; और वह यीशु के लिए मरने को तैयार थे'(व.11सी)।

आप अपने भविष्य को लेकर सुरक्षित हो सकते हैं इसलिए आप अपने जीवन को दाव पर रख सकते हैं यीशु पर, उनके बाजुओं में सुरक्षित होकर।

प्रार्थना

प्रभु धन्यवाद हो कि जिस क्षण हम यीशु के साथ हो लेते हैं, हम जीत की ओर हो जाते हैं। मेरी मदद करिए कि मैं शत्रु पर विजयी हो जाऊँ, मेमने के लहू, मेरी गवाही और अपने जीवन को आपके लिए दाव पर रख कर।

जूना करार

एज्रा 6:1-7:10

दारा का आदेश

6अत: राजा दारा ने अपने पूर्व के राजाओं के लेखों की जाँच करने का आदेश दिया। वे लेख बाबेल में वहीं रखे थे जहाँ खज़ाना रखा गया था। 2 अहमत्ता के किले में एक दण्ड में लिपटा गोल पत्रक मिला। (एकवतन मादे प्रान्त में है।) उस दण्ड में लिपटे गोल पत्रक पर जो लिखा था, वह यह है:

सरकारी टिप्पणी: 3 कुस्रू के राजा होने के प्रथम वर्ष में कुस्रू ने यरूशलेम में परमेश्वर के मन्दिर के लिये एक आदेश दिया। आदेश यह था:

परमेश्वर का मन्दिर फिर से बनने दो। यह बलि भेंट करने का स्थान होगा। इसकी नींव को बनने दो। मन्दिर साठ हाथ ऊँचा और साठ हाथ चौड़ा होना चाहिए। 4 इसके परकोटे में विशाल पत्थरों की तीन कतारें और विशाल लकड़ी के शहतीरों की एक कतार होनी चाहिए। मन्दिर को बनाने का व्यय राजा के खज़ाने से किया जाना चाहिये। 5 साथ ही साथ, परमेशवर के मन्दिर की सोने और चाँदी की चीज़ें उनके स्थान पर वापस रखी जानी चाहिए। नबूकदनेस्सर ने उन चीज़ों को यरूशलेम के मन्दिर से लिया था और उन्हें बाबेल लाया था। वे परमेश्वर के मन्दिर में वापस रख दिये जाने चाहिये।

6 इसलिये अब, मैं दारा,

फरात नदी के पश्चिम के प्रदेशों के शासनाधिकारी तत्तनै और शतर्बोजनै और उस प्रान्त के रहने वाले सभी अधिकारियों, तुम्हें आदेश देता हूँ कि तुम लोग यरूशलेम से दूर रहो। 7 श्रमिकों को परेशान न करो। परमेश्वर के उस मन्दिर के काम को बन्द करने का प्रयत्न मत करो। यहूदी प्रशासक और यहूदी प्रमुखों को इन्हें फिर से बनाने दो। उन्हें परमेश्वर के मन्दिर को उसी स्थान पर फिर से बनाने दो जहाँ यह पहले था।

8 अब मैं यह आदेश देता हूँ, तुम्हें परमेश्वर के मन्दिर को बनाने वाले यहूदी प्रमुखों के लिये यह करना चाहिये: इमारत की लागत का भुगतान राजा के खज़ाने से होना चाहिये। यह धन फ़रात नदी के पश्चिम के क्षेत्र के प्रान्तों से इकट्ठा किये गये राज्य कर से आयेगा। ये काम शीघ्रता से करो, जिससे काम रूके नहीं। 9 उन लोगों को वह सब दो जिसकी उन्हें आवश्यकता हो। यदि उन्हें स्वर्ग के परमेश्वर को बलि के लिये युवा बैलों, मेढ़ों या मेमनों की जरूरत पड़े तो उन्हें वह सब कुछ दो। यदि यरूशलेम के याजक गेहूँ, नमक, दाखमधु और तेल माँगें तो बिना भूल चूक के प्रतिदिन ये चीज़ें उन्हें दो। 10 उन चीज़ों को यहूदी याजकों को दो जिससे वे ऐसी बलि भेंट करें कि जिससे स्वर्ग का परमेश्वर प्रसन्न हो। उन चीज़ों को दो जिससे याजक मेरे और मेरे पुत्रों के लिये प्रार्थना करें।

11 मैं यह आदेश भी देता हूँ कि यदि कोई व्यक्ति इस आदेश को बदलता है तो उस व्यक्ति के मकान से एक लकड़ी की कड़ी निकाल लेनी चाहिए और उस लकड़ी की कड़ी को उस व्यक्ति के शरीर पर धँसा देना चाहिये और उसके घर को तब तक नष्ट किया जाना चाहिये जब तक कि वह पत्थरों का ढेर न बन जाये।

12 परमेश्वर यरूशलेम पर अपना नाम अंकित करे और मुझे आशा है कि परमेश्वर किसी भी उस राजा या व्यक्ति को पराजित करेगा जो इस आदेश को बदलने का प्रयत्न करता है। यदि कोई यरूशलेम में इस मन्दिर को नष्ट करना चाहता है तो मुझे आशा है कि परमेश्वर उसे नष्ट कर देगा।

मैं (दारा) ने, यह आदेश दिया है। इस आदेश का पालन शीघ्र और पूर्ण रूप से होना चाहिए!

मन्दिर का पूर्ण और समर्पित होना

13 अत: फ़रात नदी के पश्चिम क्षेत्र के प्रशासक तत्तनै, शतर्बोजनै और उसके साथ के लोगों ने राजा दारा के आदेश का पालन किया। उन लोगों ने आज्ञा का पालन शीघ्र और पूर्ण रूप से किया। 14 अत: यहूदी अग्रजों (प्रमुखों) ने निर्माण कार्य जारी रखा और वे सफल हुए क्योंकि हाग्गै नबी और इद्दो के पुत्र जकर्याह ने उन्हें प्रोत्साहित किया। उन लोगों ने मन्दिर का निर्माण कार्य पूरा कर लिया। यह इस्राएल के परमेश्वर के आदेश का पालन करने के लिये किया गया। यह फारस के राजाओं, कुस्रू, दारा और अर्तक्षत्र ने जो आदेश दिये थे उनका पालन करने के लिये किया गया। 15 मन्दिर का निर्माण अदर महीने के तीसरे दिन पूरा हुआ। यह राजा दारा के शासन के छठें वर्ष में हुआ।

16 तब इस्राएल के लोगों ने अत्यन्त उल्लास के साथ परमेश्वर के मन्दिर का समर्पण उत्सव मनाया। याजक, लेवीवंशी, और बन्धुवाई से वापस आए अन्य सभी लोग इस उत्सव में सम्मिलित हुये।

17 उन्होंने परमेश्वर के मन्दिर को इस प्रकार समर्पित किया: उन्होंने एक सौ बैल, दो सौ मेंढ़े और चार सौ मेमने भेंट किये और उन्होंने पूरे इस्राएल के लिये पाप भेंट के रूप में बारह बकरे भेंट किये अर्थात् इस्राएल के बारह परिवार समूह में से हर एक के लिए एक बकरा भेंट किया। 18 तब उन्होंने यरूशलेम में मन्दिर में सेवा करने के लिये याजकों और लेवीवंशियों के समूह बनाये। यह सब उन्होंने उसी प्रकार किया जिस प्रकार मूसा की पुस्तक में बताया गया है।

फसह पर्व

19 पहले महीने के चौदहवें दिन उन यहूदियों ने फसह पर्व मनाया जो बन्धुवाई से वापस लौटे थे। 20 याजकों और लेविवंशियों ने अपने को शुद्ध किया। उन सभी ने फसह पर्व मनाने के लिये अपने को स्वच्छ और तैयार किया। लेविवंशियों ने बन्धुवाई से लौट ने वाले सभी यहूदियों के लिये फसह पर्व के मेमने को मारा। उन्होंने यह अपने लिये और अपने याजक बंधुओं के लिये किया। 21 इसलिये बन्धुवाई से लौटे इस्राएल के सभी लोगों ने फसह पर्व का भोजन किया। अन्य लोगों ने स्नान किया और अपने आपको उन अशुद्ध चीज़ों से अलग हट कर शुद्ध किया जो उस प्रदेश में रहने वाले लोगों की थीं। उन शुद्ध लोगों ने भी फसह पर्व के भोजन में हिस्सा लिया। उन लोगों ने यह इसलिये किया, कि वे यहोव इस्राएल के परमेश्वर के पास सहायता के लिये जा सकें। 22 उन्होंने अखमीरी रोटी का उत्सव सात दिन तक बहुत अधिक प्रसन्नता से मनाया। यहोवा ने उन्हें बहुत प्रसन्न किया क्योंकि उसने अश्शूर के राजा के व्यवहार को बदल दिया था। अत: अश्शूर के राजा ने परमेश्वर के मन्दिर को बनाने में उनकी सहायता की थी।

एज्रा यरूशलेम आता है

7फारस के राजा अर्तक्षत्र के शासनकाल में इन सब बातों के हो जाने के बाद एज्रा बाबेल से यरूशलेम आया। एज्रा सरायाह का पुत्र था। सरायाह अजर्याह का पुत्र था। अजर्याह हिलिकय्याह का पुत्र था। 2 हिल्किय्याह शल्लूम का पुत्र था। शल्लूम सादोक का पुत्र था। सादोक अहीतूब का पुत्र था। 3 अहीतूब अमर्याह का पुत्र था। अमर्याह अजर्याह का पुत्र था। अजर्याह मरायोत का पुत्र था। 4 मरायोत जरह्याह का पुत्र था। जरह्याह उज्जी का पुत्र था। उज्जी बुक्की का पुत्र था। 5 बुक्की अबीशू का पुत्र था। अबीशू पीनहास का पुत्र था। पीनहास एलीआज़र का पुत्र था। एलीआज़र महायाजक हारून का पुत्र था।

6 एज्रा बाबेल से यरूशलेम आया। एज्रा का शिक्षक था। वह मूसा के नियमों को अच्छी तरह जानता था। मूसा का नियम यहोवा इस्राएल के परमेश्वर द्वारा दिया गया था। राजा अर्तक्षत्र ने एज्रा को वह हर चीज़ दी जिसे उसने माँगा क्योंकि यहावा परमेशवर एज्रा के साथ था। 7 इस्राएल के बहुत से लोग एज्रा के साथ आए। वे याजक लेवीवंशी, गायक, द्वारपाल और मन्दिर के सेवक थे। इस्राएल के वे लोग अर्तक्षत्र के शासनकाल के सातवें वर्ष यरूशलेम आए। 8 एज्रा यरूशलेम में राजा अर्तक्षत्र के राज्यकाल के सातवें वर्ष के पाँचवें महीन में आया। 9 एज्रा और उसके समूह ने बाबेल को पहले महीने के पहले दिन छोड़ा। वह पाँचवें महीने के पहले दिन यरूशलेम पहुँचा। यहोव परमेशवर एज्रा के साथ था। 10 एज्रा ने अपना पूरा समय और ध्यान यहोवा के नियमों को पढ़ने और उनके पालन करने में दिय। एज्रा इस्राएल के लोगों को यहोवा के नियमों और आदेशों की शिक्षा देना चाहता था और वह इस्राएल में लोगों को उन नियमों का अनुसरण करने में सहायता देना चाहता था।

समीक्षा

परमेश्वर के लोग विरोध पर विजयी होते हैं

मार्क ट्वेन ने कहा, "शब्द कोष ही एक ऐसी जगह है जहाँ सफलता कार्य से पहले मिलती है।" दृश्य बिना कार्य मात्र एक भ्रम ही है। कलीसिया का पुर्नस्थापन परमेश्वर के हाथों के बिना नहीं होगा(7:6) लेकिन बिना कठिन परिश्रम, प्रतिबध्दता और प्रयोग के ये पुर्नस्थापित नहीं हो पाएगा।

हालांकि विद्रोह के कारण परमेश्वर के भवन का काम रूक गया था, लेकिन राजा दारा ने आज्ञा दी(6:1) उन्हे राजा कुसू की मूल आज्ञा मिली जिसमें परमेश्वर के भवन को पुर्नस्थापित करने की आज्ञा थी(व.3)। राजा दारा ने इस आज्ञा को पुन:प्रकाशित किया कि परमेश्वर के भवन बनाने का काम चलता रहना चाहिए, और कोई भी इसमें बाधा न डाले।(व.6-12)

परमेश्वर का भवन 515 बी.सी. में बनकर समाप्त हुआ। और यहाँ वजह बनी एक बड़े उत्सव और आनंद की(व.10)। "उन्होने आनंद से उत्सव मनाया क्योंकि यहोवा ने उन्हें आनन्दित किया था"(व.22)।

छठे अध्याय के अंत में और सातवें अध्याय के आरंभ के बीच के समय में एक लंबी अवधि हुई थी(संभवत: 458 बी.सी)। एज्रा के एक ऐसे रुप को पेश किया है जो दूसरों के ऊपर था, कानून की स्थापना की जिम्मेदारी मिली थी। परमेश्वर के लोगों के धार्मिक और सामाजिक जीवन के लिए, जब वे बाबिल से बंधुत्व से छूटकर वापस आए थे।

एज्रा एक शिक्षक और 'परमेश्वर यहोवा का हृदय उस पर था'(7:6) क्योंकि एज्रा ने यहोवा की व्यवस्था का अर्थ बूझने और उसके अनुसार चलने, और इस्राएल में विधि और नियम सिखाने के लिए अपना मैनेजर लगाया था(व.10) यहोवा की व्यवस्था का अध्ययन बिना कार्यों के व्यर्थ है।

एज्रा की मिसाल हमें एक अद्भुत आदर्श देती है,पालन करने के लिए। अपने आपको परमेश्वर के वचन में डुबो दीजिए, अपना समय और प्रयास लगाकर उसका अध्ययन करिए। हमें यह समझना है अपने आप से ये काफी नहीं है। परमेश्वर के वचन को अनुमति दीजिए कि वे आपके जीवन को आकार दें और बदल दें; उसे कार्य में लाइए और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए सिखाइए।

प्रार्थना

प्रभु धन्यवाद हो आपका कि आप मुझे हर बाधा और विद्रोह पर जयवंत करते हैं। आप मुझे आनंद से भर देते हैं। परमेश्वर के प्रकाशितवाक्य का अध्ययन करने में मेरी मदद कीजिए, उसको जीने के लिए और उसे दूसरों को सिखाने के लिए कि वे उनकी सच्चाई और तरीकों में रहकर जीयें।

पिप्पा भी कहते है

प्रकाशितवाक्य 12:9

और वह बड़ा अजगर अर्थात वही पुराना सांप, जो ईबलीस और शैतान कहलाता है, और संसार का भरमाने वाला है, पृथ्वी पर गिरा दिया गया; उसके दूत उसके साथ गिरा दिए गए।

ये अच्छा है कि शैतान को स्वर्ग से गिरा दिया गया, पर यहाँ दुख की बात यह है कि वो पृथ्वी पर है,(.... पर अधिक समय के लिए नहीं)

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संदर्भ

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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