दिन 356

परमेश्वर की कृपा दृष्टि आप पर है

बुद्धि भजन संहिता 145:13-21
नए करार प्रकाशित वाक्य 13:1-18
जूना करार एज्रा 7:11-8:14

परिचय

हाथ बहुत महत्त्वपूर्ण है। अपनी बेटी के विवाह के दिन मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसका हाथ पादरी को सौंपा (जो हमारा दामाद था)। उसका हाथ परमेश्वर के हाथ को दर्शाता था। और, फिर, उसने उसका हाथ उसके पति के हाथ में दे दिया। प्रतिकात्मक तौर से मैंने उसे परमेश्वर को सौंपा और परमेश्वर ने उसे उसके पति को सौंपा। हाथों का शामिल होना शादी की रस्म का एक प्रमुख हिस्सा है।

एक स्तर पर, हाथ सिर्फ मानव शरीर की बांह का हिस्सा है जिसमे हथेली, उंगलिया और अंगूठा होता है। पर जब हम 'हाथ' शब्द का प्रयोग करते हैं, तो अक्सर हम इसका अर्थ सिर्फ एक भौतिक अर्थ की तुलना में नहीं करते। 'हाथ' शब्द की उपमा हम, कार्यवाई, देखभाल और अधिकार के रुप में भी कर सकते हैं।

परमेश्वर हाथों का इस्तेमाल करते हैं। कई बार हम पढते हैं-यीशु बीमार लोगों पर हाथ रखकर उन्हें चंगाई देते थे या सिर्फ अपने हाथों से छू कर भी (उदाहरण के तौर पर मत्ती 6:5, 8:23)। फिर किसी समय पर, वो अपना हाथ लोगों पर उन्हें आशीषित करने के लिए रखते थे (10:16)। यीशु ने अपने चेलों से कहा, कि उनके हाथ, बीमारों को चंगा करने के लिये प्रयोग किए जाएँगे(16:18). और वास्तव में लोंगो को उनके हाथों के रखने से चंगाई मिली(उदाहरण, प्रेरितो के काम 8:17-18)। और अन्य लोग पवित्र आत्मा से भर गए थे(9:17,19:6), या उन्हें परमेश्वर के वरदान मिले हाथों के रखने के द्वारा (2तीमुथियुस 1:6)

परमेश्वर के 'हाथ' के बारे में? इसका क्या अर्थ है? बाईबल 'परमेश्वर के हाथ' का अर्थ कुछ बहुत गहराई से बताती है। परमेश्वर का अदृश्य और अदभुत हाथ आपके ऊपर है; मार्गदर्शन, उत्साहित मजबूत बनाने के लिए और आपकी रक्षा करने के लिए और आपको साहस देने के लिए।

बुद्धि

भजन संहिता 145:13-21

13 हे यहोवा, तेरा राज्य सदा—सदा बना रहेगा
 तू सर्वदा शासन करेगा।

14 यहोवा गिरे हुए लोगों को ऊपर उठाता है।
 यहोवा विपदा में पड़े लोगों को सहारा देता है।
15 हे यहोवा, सभी प्राणी तेरी ओर खाना पाने को देखते हैं।
 तू उनको ठीक समय पर उनका भोजन दिया करता है।
16 हे यहोवा, तू निज मुट्ठी खोलता है,
 और तू सभी प्राणियों को वह हर एक वस्तु जिसकी उन्हें आवश्यकता देता है।
17 यहोवा जो भी करता है, अच्छा ही करता है।
 यहोवा जो भी करता, उसमें निज सच्चा प्रेम प्रकट करता है।
18 जो लोग यहोवा की उपासना करते हैं, यहोवा उनके निकट रहता है।
 सचमुच जो उसकी उपासना करते है, यहोवा हर उस व्यक्ति के निकट रहता है।
19 यहोवा के भक्त जो उससे करवाना चाहते हैं, वह उन बातों को करता है।
 यहोवा अपने भक्तों की सुनता है।
 वह उनकी प्रार्थनाओ का उत्तर देता है और उनकी रक्षा करता है।
20 जिसका भी यहोवा से प्रेम है, यहोवा हर उस व्यक्ति को बचाता है,
 किन्तु यहोवा दुष्ट को नष्ट करता है।
21 मैं यहोवा के गुण गाऊँगा!
 मेरी यह इच्छा है कि हर कोई उसके पवित्र नाम के गुण सदा और सर्वदा गाये।

समीक्षा

परमेश्वर का हाथ खुला और उदार है

"आप अपनी मुठ्ठी खोलकर सब प्राणियों को आहार से तृप्त करते हैं"(व.16)। परमेश्वर की ऐसी असाधारण उदारता का रुपक, जो अपनी मुठ्ठी को खोलकर आपकी इच्छाओ को तृप्त करते हैं, भजनसंहिता के बीच में कहीं पर परमेश्वर का महान प्रेम और भक्ति देखने को मिलती है।

कवि रॉबट ब्राऊनिंग, ने लिखा, मैंने जी लिया, और परमेश्वर के हाथ को अपने पूरे जीवन में देखा, और सब मेरी भलाई के लिए था।"यहोवा सब गिरते हुओं को संभालते हैं," और सब झुके हुओं को सीधा खड़ा करते हैं(व.14अ)।"अपने सब कामों में करुणामय हैं"(व.17ब)

परमेश्वर अपने सब वायदों के प्रति वफादार हैं(व.13ब) ये भजन वायदों से भरा हुआ है, परमेश्वर आपको कायम रखेंगे(व.14), 'परमेश्वर आपके नजदीक हैं'(व.18) वे आपकी हर इच्छा पूरी करते हैं(व.19) और वे आप पर नजर रखे हुए हैं(व.20) और ये सब हमें प्रशंसा करने के लिए प्रेरित करते हैं: "मैं यहोवा की स्तुति करूँगा, और सारे प्राणी उनके पवित्र नाम को सदा सर्वदा धन्य कहते रहें।"(व.21)

प्रार्थना

पिता परमेश्वर, मुझे आपका हाथ पकड़ने दीजिए और मैं एक बच्चे के समान आपके साथ चलूंगा जीवन भर, आपके प्रेम और ताकत में सुरक्षित होता हुआ(थॉमस ए कैम्पस की प्रार्थना,1380-1471).

नए करार

प्रकाशित वाक्य 13:1-18

दो पशु

13फिर मैंने सागर में से एक पशु को बाहर आते देखा। उसके दस सींग थे और सात सिर थे। तथा अपने सीगों पर उसने दस राजसी मुकुट पहने हुए थे। उसके सिरों पर दुष्ट नाम अंकित थे। 2 मैंने जो पशु देखा था, वह चीते जैसा था। उसके पैर भालू के पैर जैसे थे और उसका मुख सिंह के मुख के समान था। उस विशालकाय अजगर ने अपनी शक्ति, अपना सिंहासन और अपना प्रचुर अधिकार उसे सौंप दिया।

3 मैंने देखा कि उसका एक सिर ऐसा दिखाई दे रहा था जैसे उस पर कोई घातक घाव लगा हो किन्तु उसका वह घातक घाव भर चुका था। समूचा संसार आश्चर्य चकित होकर उस पशु के पीछे हो लिया। 4 तथा वे उस विशालकाय अजगर को पूजने लगे। क्योंकि उसने अपना समूचा अधिकार उस पशु को दे दिया था। वे उस पशु की भी उपासना करते हुए कहने लगे, “इस पशु के समान कौन है? और ऐसा कौन है जो उससे लड़ सके?”

5 उसे अनुमति दे दी गई कि वह अहंकार पूर्ण तथा निन्दा से भरे शब्द बोलने में अपने मुख का प्रयोग करे। उसे बयालीस महीने तक अपनी शक्ति के प्रयोग का अधिकार दिया गया। 6 सो उसने परमेश्वर की निन्दा करना आरम्भ कर दिया। वह परमेश्वर के नाम और उसके मन्दिर तथा जो स्वर्ग में रहते हैं, उनकी निन्दा करने लगा। 7 परमेश्वर के संत जनों के साथ युद्ध करने और उन्हें हराने की अनुमति उसे दे दी गई। तथा हर वंश, हर जाति, हर परिवार-समूह, हर भाषा और हर देश पर उसे अधिकार दिया गया। 8 धरती के वे सभी निवासी उस पशु की उपासना करेंगे जिनके नाम उस मेमने की जीवन-पुस्तक में संसार के आरम्भ से ही नहीं लिखे जिसका बलिदान किया जाना सुनिश्चित है।

9 यदि किसी के कान हैं तो वह सुने:

 10 बंदीगृह में बंदी होना, जिसकी नियति
  बनी है वह निश्चय ही बंदी होगा।
 यदि कोई असि से मारेगा तो
  वह भी उस ही असि से मारा जाएगा।

इसी में तो परमेश्वर के संत जनों से धैर्यपूर्ण सहनशीलता और विश्वास की अपेक्षा है।

धरती से पशु का निकलना

11 इसके पश्चात् मैंने धरती से निकलते हुए एक और पशु को देखा। उसके मेमने के सींगों जैसे दो सींग थे। किन्तु वह एक महानाग के समान बोलता था। 12 उस विशालकाय अजगर के सामने वह पहले पशु के सभी अधिकारों का उपयोग करता था। उसने धरती और धरती पर सभी रहने वालों से उस पहले पशु की उपासना करवाई जिसका घातक घाव भर चुका था। 13 दूसरे पशु ने बड़े-बड़े चमत्कार किए। यहाँ तक कि सभी लोगों के सामने उसने धरती पर आकाश से आग बरसवा दी।

14 वह धरती के निवासियों को छलता चला गया क्योंकि उसके पास पहले पशु की उपस्थिति में चमत्कार दिखाने की शक्ति थी। दूसरे पशु ने धरती के निवासियों से उस पहले पशु को आदर देने के लिए जिस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गया था, उसकी मूर्ति बनाने को कहा। 15 दूसरे पशु को यह शक्ति दी गई थी कि वह पहले पशु की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा करे ताकि पहले पशु की वह मूर्ति न केवल बोल सके बल्कि उन सभी को मार डालने का आदेश भी दे सके जो इस मूर्ति की उपासना नहीं करते। 16-17 दूसरे पशु ने छोटों-बड़ों, धनियों-निर्धनों, स्वतन्त्रों और दासों-सभी को विवश किया कि वे अपने-अपने दाहिने हाथों या माथों पर उस पशु के नाम या उसके नामों से सम्बन्धित संख्या की छाप लगवायें ताकि उस छाप को धारण किए बिना कोई भी ले बेच न कर सके।

18 जिसमें बुद्धि हो, वह उस पशु के अंक का हिसाब लगा ले क्योंकि वह अंक किसी व्यक्ति के नाम से सम्बन्धित है। उसका अंक है छः सौ छियासठ।

समीक्षा

परमेश्वर का हाथ, जीवन की पुस्तक में आपका नाम लिखते हैं

क्या ही अद्भुत विशेषाधिकार मिला है कि परमेश्वर के हाथ आपके नाम को 'जीवन की पुस्तक में' लिखते हैं जो कि यीशु के हैं।(व.8ब) सताव के दौरान "परमेश्वर के पवित्र लोग पूरी भावना और भक्ति के साथ डट कर खड़े होते हैं"(व.10ब)।

पहला 'पशु'(व.16) एक अत्याचारी शक्ति जैसा प्रतीत होता है। इस अध्याय में हमें मानव सरकार का सबसे बुरा विवरण पढ़ने को मिलता है- एक शैतानी शक्ति का! और इस अध्याय को हमें रोमियो 13 के साथ-साथ पढना चाहिए, जिसमें मानव सरकार सबसे अच्छी दिखाई गई है-एक धर्मी अधिकार! सारी मानव सरकार, प्रकाशितवाक्य 13 और रोमियों 13 के मिश्रण से बनी है। कुछ सरकारें रोमियों 13 की तरह हैं; और कुछ ऐसी जिनका वर्णन यहाँ पर दिया गया है। सो, आप आश्चर्यचकित ना हो, जब सरकारें ईसाई विरोधी कानून बनाती हैं और कलीसिया पर अत्याचार करती हैं।

हो सकता है कि 'सात सिर'(प्रकाशितवाक्य 13:1ब),उन सात पहाडियों का प्रतीक है, जिस पर रोम बनाया गया(17:9) दानियेल नबी ने ऐसे पशु देखे जो चीते, रीछ और सिंह का तीन अनुक्रमिक विश्व शक्तियों का प्रतीक है(दानियेल 7:3)। और यहाँ पर अपने आप में एक हो गई है(प्रकाशितवाक्य 13:2)

वह 'प्राणघातक घाव' जो 'अच्छा हो गया'(व.3)। नीचे की ओर संकेत करता है जिसने ईसाईयों पर बहुत अत्याचार किए; और उसने ए.डी.68 में आत्महत्या करने का प्रयत्न किया और ऐसा कहा जाता है कि वो बच गया था(कहावत के अनुसार)। और इस घटना को हम यीशु की मृत्यु और जी उठने की हास्यानुकृति के रुप में देख सकते हैं।

वह पशु परमेश्वर के लोगों पर 42 महीने या साढे तीन सालों तक हमला करता है(आमतौर पर ये वो अवधि है जो यीशु के पहली और दूसरी आमद के बीच की अवधि है-और वह है-कलीसिया की उम्र). और वह पशु कलीसिया पर अत्याचार करता है और वह 'संतो के विरुध्द जंग' करता है(व.7) और उसके पीछे बहुत कुछ है।

और वो लोग जो उस पशु के साथ नहीं हुए, वो है जिनका नाम जीवन की पुस्तक में लिखा है जिसका अधिकारी वो मेमना है, जो उत्पत्ति के समय से घात हुआ है(व.8ब)।

और दूसरा पशु नकली यीशु की आकृती है। वह 'बड़े-बड़े चिन्ह दिखाता है'(व.13)। वो एक धोकेबाज है। वो सब पर दबाव डालता है कि उसकी छाप अपने दाहिने हाथ या माथे पर लगाए(व.16) उसका अंक 666 है(व.8ब)।

666 का अंक एक स्तर पर दोबारा से नीचे की ओर संकेत करता है, क्योंकि इब्रानी अक्षरों में 'नीरो सीजर' को जब हम अंको में परिवर्तित करते हैं तो 666 अंक निकलता है। दूसरे स्तर पर प्रकाशितवाक्य में जो अंक है वो सामान्य रुप से प्रतीकात्मक है। अंक 6 अपूर्णता का अंक है (क्योंकि अंक 7 पूर्णता का अंक है)। इसलिए अंक 666, तीगुने अपूर्णता या पूर्ण रुप से अधर्मी।

'ज्ञान इसी में है'(व.18): शैतान आज भी ज्योतिमय स्वर्गदूत का रुप धारण करता है और उसके सेवक धर्म के सेवक का रुप धारण करते हैं(2कुरिंथियों 11:13-14)। पहले पशु का मुँह सिंह का सा है(प्रकाशितवाक्य 13:2)। दूसरे पशु के 'मेमने के जैसे दो सींग हैं'(व.11)। और ऐसा लगता है मानो वो यीशु की तरह दिखना चाहते हैं। जो एक सिंह और मेमने हैं;(प्रकाशितवाक्य 5:5-6)।

परमेश्वर का धन्यवाद हो कि उन्होंने अपने हाथों से आपका नाम जीवन की पुस्तक में लिखा है।

प्रार्थना

प्रभु, कृपया मुझे ज्ञान , भक्ति और धैर्य दीजिए। मेरी मदद कीजिए कि मैं बुराई पर जयवंत होऊँ।

जूना करार

एज्रा 7:11-8:14

राजा अर्तक्षत्र का एज्रा को पत्र

11 एज्रा एक याजक और शिक्षक था। इस्राएल को यहोवा द्वारा दिये गए आदेशों और नियमों के बारे में वह पर्याप्त ज्ञान रखता था। यह उस पत्र की प्रतिलिपि है जिसे राजा अर्तक्षत्र ने उपदेशक एज्रा को दिया था।

12 राजा अर्तक्षत्र की ओर से,

याजक एज्रा को जो स्वर्ग के परमेशवर के नियमों का शिक्षक है:

अभिवादन!

13 मैं यह आदेश देता हूँ: कोई व्यक्ति, याजक या इस्राएल का लेवीवंशी जो मेरे राज्य में रहता है और एज्रा के साथ यरूशलेम जाना चाहता है, जा सकता है।

14 एज्रा, मैं और मेरे सात सलाहकार तुम्हें भेजते हैं। तुम्हें यहूदा और यरूशलेम को जाना चाहिये। यह देखो कि तुम्हारे लोग तुम्हारे परमेश्वर के नियमों का पालन कैसे कर रहे हैं। तुम्हारे पास वह नियम है।

15 मैं और मेरे सलाहकार इस्राएल के परमेशवर को सोना—चाँदी दे रहे हैं। परमेश्वर का निवास यरूशलेम में है। तुम्हें यह सोना चाँदी अपने साथ ले जाना चाहिये। 16 तुम्हें बाबेल के सभी प्रान्तों से होकर जाना चाहिये। अपने लोगों,याजकों और लेवीवंशियों से भी भेटें इकट्ठी करो। ये भेटें उनके यरूशलेम में परमेश्वर के मन्दिर के लिये हैं।

17 इस धन का उपयोग बैल, मेंढ़े और नर मेमने खरीदने में करो। उन बलियों के साथ जो अन्न भेंट और पेय भेंट चढ़ाई जानी है, उन्हें खरीदो। तब उन्हें यरूशलेम में अपने परमेश्वर के मन्दिर की वेदी पर बलि चढ़ाओ। 18 उसके बाद तुम और अन्य यहूदी बचे हुये सोने चाँदी को जैसे भी चाहो, खच कर सकते हो। इसका उपयोग वैसे ही करो जो तुम्हारे परमेश्वर को प्रसन्न करने वाला हो। 19 उन सभी चीज़ों को यरूशलेम के परमेश्वर के पास ले जाओ। वे चीज़ें तुम्हारी परमेश्वर के मन्दिर में उपासना के लिये हैं। 20 तुम कोई भी अन्य चीज़ों ले सकते हो जिन्हें तुम अपने परमेश्वर के मन्दिर के लिये आवश्यक समझते हो। राजा के खज़ाने के धन का उपयोग जो कुछ तुम चाहते हो उसके खरीदने के लिये कर सकते हो।

21 अब मैं, राजा अर्तक्षत्र यह आदेश देता हूँ: मैं उन सभी लोगों को जो फरात नदी के पश्चिमी क्षेत्र में राजा के कोषपाल हैं, आदेश देता हूँ कि वे एज्रा को जो कुछ भी वह माँगे दें। एज्रा स्वर्ग के परमेश्वर के नियमों का शिक्षक और याजक है। इस आदेश का शीघ्र और पूर्ण रूप से पालन करो। 22 एज्रा को इतना तक दे दो: पौने चार टन चाँदी, छ: सौ बुशल गेहूँ, छ: सौ गैलन दाखमधु, छ: सौ गैलन जैतून का तेल और उतना नमक जितना एज्रा चाहे। 23 स्वर्ग का परमेश्वर, एज्रा को जिस चीज़ को पाने के लिये आदेश दे उसे तुम्हें शीघ्र और पूर्ण रूप से एज्रा को देना चाहिये। स्वर्ग के परमेश्वर के मन्दिर के लिये ये सब चीज़ें करो। हम नहीं चाहते कि परमेश्वर मेरे राज्य या मेरे पुत्रों पर क्रोधित हो।

24 मैं चाहता हूँ कि तुम लोगों को ज्ञात हो कि याजकों, लेवियों, गायकों, द्वारपालों और परमेश्वर के मन्दिर के अन्य कर्मचारियों ताथ सेवकों को किसी भी प्रकार का कर देने के लिये बाध्य करना, नियम के विरोध है। 25 एज्रा मैं तुम्हें तुम्हारे परमेश्वर द्वारा प्राप्त बुद्धि के उपयोग तथा सरकारी और धार्मिक न्यायाधीशों को चुनने का अधिकार देता हूँ। ये लोग फरात नदी के पश्चिम में रहने वाले सभी लोगों के लिये न्यायाधीश होंगे। वे उन सभी लोगों का न्याय करेंगे जो तुम्हारे परमेश्वर के नियमों को जानते हैं। यदि कोई व्यक्ति उन नियमों को नहीं जानता तो वे न्यायाधीश उसे उन नियमों को बताएंगे। 26 यदि कोई ऐसा व्यक्ति हो जो तुम्हारे परमेश्वर के नियमों या राजा के नियमों का पालन नाहीं करता हो, तो उसे अवश्य दण्डित किया जाना चाहिये। अपराध के अनुसार उसे मृत्यु दण्ड, देश निकाला, उसकी सम्पत्ति को जब्त करना या बन्दीगृह में डालने का दण्ड दिया जाना चाहिए।

एज्रा परमेश्वर की स्तुति करता है

27 हमारे पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा की स्तुति करो। उस ने राजा के मन में ये विचार डाला कि वह यरूशलेम में यहोवा के मन्दिर का सम्मान करे। 28 यहोवा ने राजा, उसके सलाहकारों और बड़े अधिकारियों के सामने मुझ पर अपना सच्चा प्रेम प्रकट किया। यहोवा मेरा परमेश्वर मेरे साथ था, अत: मैं साहसी रहा और मैंने इस्राएल के प्रमुखों को अपने साथ यरूशलेम जाने के लिये इकट्ठा किया।

एज्रा के साथ लौटने वाले परिवार प्रमुखों की सूची

8यह बाबेल से यरूशलेम लौटने वाले परिवार प्रमुखों और अन्य लोगों की सूची है जो मेरे (एज्रा) के साथ लौटे। हम लोग राजा अर्तक्षत्र के शासनकाल में यरूशलेम लौटे। यह नामों की सूची है:

2 पीनहास के वंशजों में से गेर्शोम था: ईतामार के वंशजों में से दानिय्येल था: दाऊद के वंशजों में से हत्तूस था;

3 शकन्याह के वंशजों में से परोश, जकर्याह के वंशज तथा डेढ़ सौ अन्य लोग;

4 पहत्मोआब के वंशजों में से जरह्याह का पुत्र एल्यहोएनै और अन्य दो सौ लोग;

5 जत्तु के वंशजों में से यहजीएल का पुत्र शकन्याह और तीन सौ अन्य लोग;

6 आदीन के वंशजों में से योनातान का पुत्र एबेद, और पचास अन्य लोग;

7 एलाम के वंशजों में से अतल्याह का पुत्र यशायाह और सत्तर अन्य लोग;

8 शपत्याह के वंशजों में से मीकाएल का पुत्र जबद्याह और अस्सी अन्य लोग;

9 योआब के वंशजों में से यहीएल का पुत्र ओबद्याह और दो सौ अट्ठारह अन्य व्यक्ति;

10 शलोमति के वंशजों में से योसिय्याह का पुत्र शलोमति और एक सौ साठ अन्य लोग;

11 बेबै के वंशजों में से बेबै का पुत्र जकर्याह और अट्ठाईस अन्य व्यक्ति;

12 अजगाद के वंशजों में से हक्कातान का पुत्र योहानान, और एक सौ दस अन्य लोग;

13 अदोनीकाम के अंतिम वंशजों में से एलीपेलेत, यीएल, समायाह और साठ अन्य व्यक्ति थे;

14 बिगवै के वंशजों में से ऊतै, जब्बूद और सत्तर अन्य लोग।

समीक्षा

परमेश्वर का हाथ उनके ऊपर है जो उनकी ओर देखते हैं

एज्रा पर परमेश्वर का हाथ था, एज्रा की पुस्तक एक समुदाय के बारे में है जो एक ताजी शुरुवात करती है।ये सिर्फ एक आदमी के बारे में नही है। तब भी, परमेश्वर ने एज्रा का इस्तेमाल एक विशेष रुप से किया।

एज्रा जानता था कि प्रभु का हाथ उस पर था: "क्योंकि मेरे परमेश्वर यहोवा की कृपा दृष्टि मुझ पर हुई, इसके अनुसार मैंने हियाव बांधा और इस्रायल में से मुख्य पुरुषों को इकठ्ठा किया, कि वे मेरे संग चलें। एज्रा ने और 1,500 पुरुषों ने..... हो सकता है कुल मिलाकर 5,000 (व.8:1-14)।"

कल के गद्यांश में हम पढेंगे: "हमारे परमेश्वर की कृपा दृष्टि हम पर हुई(व.18); हमारे परमेश्वर की कृपा दृष्टि उन सब पर है जो उनकी खोज में रहते हैं"(व.22); परमेश्वर की कृपादृष्टि हम पर रही और उन्होंने हम को शत्रुओं और मार्ग पर घात लगाने वालों के हाथ से बचाया(व.31)। और जब आप परमेश्वर की ओर देखते हैं तो आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि उनका हाथ आपके ऊपर भी है।

एज्रा एक याजक और शास्त्री था जिसने शास्त्रों को बहुत ध्यान लगा कर पढा था-"याजक और शास्त्री"

परमेश्वर ने धर्मनिरपेक्ष नेता (अर्तक्षत्र) के द्वारा अपनी भली योजना पूरी की। और एक राजा का हृदय ‘परमेश्वर के हाथ में रहता है: जिधर वह चाहते हैं उधर उसको फेर देते हैं'(नीतिवचन 21:1) अर्तक्षत्र ने चिठ्ठी लिखी जिसमें उसने एज्रा को देने की सामग्री के लिए लिखा था (एज्रा 7:12 के बाद की)।

यहाँ हम धर्मनिरपेक्ष सरकार का उदाहरण देखते हैं जो ज्यादा रोमियों 2 जैसी है, न कि प्रकाशितवाक्य 13 जैसी। अर्तक्षत्र लिखता है,'तू तो राजा और उसके सारे मंत्रियो की ओर से भेजा गया है.... कि अपने परमेश्वर की व्यवस्था के विषय में जो तेरे पास है यहूदा और येरूशलेम की दशा पूछ ले'(एज्रा 7:14)। और वे आगे कहता है कि मैं तुम्हे अधिकार देता हूँ एज्रा, तेरे परमेश्वर से मिली हुई बुद्धि के अनुसार जो तुम में है, न्यायियो और विचार करने वालों को नियुक्त कर जो महानद के पार रहने वाले उन सब लोगों में जो तेरे परमेश्वर की व्यवस्था जानते हों न्याय किया करें और जो उन्हें ना जानते हों, उनको तुम सिखाया करो (व.25)।

एज्रा कहता है,'धन्य है हमारे पितरों का परमेश्वर यहोवा, जिन्होंने ऐसी मनसा राजा के मैनेजर में उत्पन्न की है, कि यहोवा के यरुशलेम के भवन को संवारे, और मुझ पर राजा और उसके मंत्रियो और राजा के सब बड़े हाकिमों को दयालु किया'(व.27-28)।

प्रार्थना

जब परमेश्वर का हाथ आप पर है; तो आप पहाड़ पर एक रौशनी के समान हो जाते हो(मत्ती 5:15)। परमेश्वर की रौशनी आप में से चमकती है और वो रौशनी लोगों को उनकी तरफ आकर्षित करती है। वे आपको एक अगुवे की तरह इस्तेमाल करेंगे, और आपको सारे साहस और अधिकार से परिपूर्ण करेंगे।

पिप्पा भी कहते है

मैं प्रकाशितवाक्य को लेकर थोड़ा संघर्ष कर रहा हूँ। मैं आज बाईबल से सांत्वना की खोज कर रहा हूँ, सो मैं सोचता हूँ कि भजनसंहिता पर ही जुड़ा रहूँगा(और मैं सुनिश्चित नहीं हूँ कि मैं सताव सहने के लिए मजबूत हूँ)।

'परमेश्वर पूरी सृष्टि से प्रेम करने वाले प्रभु हैं'(भजनसंहिता 145:1)प्रभु 'थामते हैं','उठाते हैं','तृप्त करते हैं', नजदीक हैं, 'नजर रखते हैं'(व.14-20)।

मैं बेहतर महसूस कर रहा हूँ।

reader

App

Download The Bible with Nicky and Pippa Gumbel app for iOS or Android devices and read along each day.

reader

Email

Sign up now to receive The Bible with Nicky and Pippa Gumbel in your inbox each morning. You’ll get one email each day.

Podcast

Subscribe and listen to The Bible with Nicky and Pippa Gumbel delivered to your favourite podcast app everyday.

reader

Website

Start reading today’s devotion right here on the BiOY website.

संदर्भ

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

एक साल में बाइबल

  • एक साल में बाइबल

This website stores data such as cookies to enable necessary site functionality and analytics. Find out more