दिन 365

दुल्हन

बुद्धि नीतिवचन 31:21-31
नए करार प्रकाशित वाक्य 21:1-27
जूना करार नहेमायाह 11:22-12:47

परिचय

मैं अक्सर शादी ब्याह में भावुक हो जाता हूँ। जब मैं अपनी पोती की शादी करा रहा था, एक पादरी होने के नाते, मेरे चेहरे पर आँसू बह रहे थे। बाद में उसके पिता ने भाषण में कहा कि, जब आप अपनी बेटी को गिरजा के गलियारे में से ले जा रहे थे, तो उनसे अपेक्षा की गई थी कि वह खुश रहेंगे, लेकिन इसके बजाय उसने पाया कि मैं ‘दु:खी था’!

जब मेरी खुद की बेटी की शादी होनी थी, तो मैंने निश्चय किया था कि मैं इसे रोके रहूँगा। शादी के आधे घंटा पहले तक मैं ठीक था! फिर मैं ऊपर गया और उसे शादी के जोड़े में देखा। उस समय मुझसे रुका नहीं गया।

‘दुल्हन’ का यह शक्तिशाली और सुन्दर रूपांतरण ऐसा है जिसका उल्लेख मैं चर्चों के अंदर नये नियम में किया करता हूँ (इफीसियों 5:22-32)। इसका उपयोग आज के नये नियम के लेखांश में ‘चर्च के भविष्य’ में भी किया गया है, जो स्वर्ग के परमेश्वर से नीचे उतरती है, ‘वह उस दुल्हन के समान थी, जो अपने पति के लिये सिंगार किए हो’ (प्रकाशितवाक्य 21:2)। दुल्हन यानि नये यरूशलेम की तस्वीर का पूर्वानुमान पुराने और नये नियम दोनों में अलग अलग तरह से किया गया है।

बुद्धि

नीतिवचन 31:21-31

21 जब शीत पड़ती तो वह अपने परिवार हेतु चिंतित नहीं होती है।
 क्योंकि उसने सभी को उत्तम गर्म वस्त्र दे रखे है।
22 वह चादर बनाती है और गद्दी पर फैलाती है।
 वह सन से बने कपड़े पहनती है।
23 लोग उसके पति का आदर करते हैं
 वह स्थान पाता है नगर प्रमुखों के बीच।
24 वह अति उत्तम व्यापारी बनती है।
 वह वस्त्रों और कमरबंदों को बनाकर के उन्हें व्यापारी लोगों को बेचती है।
25 वह शक्तिशाली है,
 और लोग उसको मान देते हैं।
26 जब वह बोलती है, वह विवेकपूर्ण रहती है।
 उसकी जीभ पर उत्तम शिक्षायें सदा रहती हैं।
27 वह कभी भी आलस नहीं करती है
 और अपने घर बार का ध्यान रखती हैं।
28 उसके बच्चे खड़े होते और उसे आदर देते हैं।
 उसका पति उसकी प्रशंसा करता है।
29 उसका पति कहता है, “बहुत सी स्त्रियाँ होती हैं।
 किन्तु उन सब में तू ही सर्वोत्तम अच्छी पत्नी है।”
30 मिथ्या आकर्षण और सुन्दरता दो पल की है,
 किन्तु वह स्त्री जिसे यहोवा का भय है, प्रशंसा पायेगी।
31 उसे वह प्रतिफल मिलना चाहिये जिसके वह योग्य है, और जो काम उसने किये हैं,
 उसके लिये चाहिये कि सारे लोग के बीच में उसकी प्रशंसा करें।

समीक्षा

दुल्हन जिसके लिए वह गर्व महसूस करती है

जब आप एक ‘अच्छी पत्नी’ के गुणों को पढ़ते हैं (एमएसजी), तो महसूस करते हैं कि ये सिर्फ पत्नियों पर ही लागू नहीं होते बल्कि यह स्त्रियों पर भी लागू होते हैं। क्योंकि हम मसीह की दुल्हन हैं, यह हम सब पर भी लागू होता है; महिला और पुरूष, विवाहित और अविवाहित। चर्च को इसी तरह से होना चाहिये – और एक दिन यीशु के द्वारा हम ऐसे ही हो जाएंगे।

‘पत्नी के श्रेष्ठ चरित्र’ का उल्लेख एक मानवीय दुल्हन का आदर्श है। वह अपने घराने के लिए हिम से नहीं डरती (व.21); उसके वस्त्र सूक्ष्म सन और बैंजनी रंग के होते हैं। उसकी वजह से उसके पति का सम्मान होता है (व. 23अ)। उसका व्यापार बढ़ता है (व.24)। वह बल और प्रताप का पहिरावा पहने रहती है (व.25अ); और आने वाले कल पर हंसती है (व. 25ब)।

‘वह बुद्धि की बात बोलती है, और उस के वचन कृपा की शिक्षा के अनुसार होते हैं’ (व. 26)। कितना महान आदर्श है! ऐसे शब्दों को न बोलें जो नफरत, क्रोध, अलगाव और अविश्वास से भरे हों।

‘वह अपने घराने के चाल चलन को ध्यान से देखती है, और अपनी रोटी बिना परिश्रम के नहीं खाती’ (व. 27)।

‘उसके पुत्र उठ उठकर उस को धन्य कहते हैं,’ (व. 28अ)। अब्राहम लिंकन ने कहा है, ‘जिनकी माँ धर्मनिष्ठ होती है, वह कभी गरीब नहीं होता।’ केवल उसका पति और बच्चे उसे धन्य ही नहीं कहते बल्कि ‘ बहुत सी स्त्रियों ने अच्छे अच्छे काम तो किए हैं परन्तु तू उन सभी में श्रेष्ट है’ (वव. 28-29)।

आखिरी वचन सभी स्त्रियों पर केन्द्रित है: ‘शोभा तो झूठी और सुन्दरता व्यर्थ है, परन्तु जो स्त्री परमेश्वर का भय मानती है, उसकी प्रशंसा की जाएगी। उसके हाथों के परिश्रम का फल उसे दो, और उसके कार्यों से सभा में उसकी प्रशंसा होगी’ (वव. 30-31)।

प्रार्थना

पिता, इस वचन के लिए आपको धन्यवाद कि चर्च यानि – मसीह की दुल्हन को कैसा होना चाहिये। हमें उस तरह का चर्च बनने में मदद कीजिये जिस पर यीशु को गर्व हो।

नए करार

प्रकाशित वाक्य 21:1-27

नया यरूशलेम

21फिर मैंने एक नया स्वर्ग और नयी धरती देखी। क्योंकि पहला स्वर्ग और पहली धरती लुप्त हो चुके थे। और वह सागर भी अब नहीं रहा था। 2 मैंने यरूशलेम की वह पवित्र नगरी भी आकाश से बाहर निकल कर परमेश्वर की ओर से नीचे उतरते देखी। उस नगरी को ऐसे सजाया गया था जैसे मानों किसी दुल्हन को उसके पति के लिए सजाया गया हो।

3 तभी मैंने आकाश में एक ऊँची ध्वनि सुनी। वह कह रही थी, “देखो अब परमेश्वर का मन्दिर मनुष्यों के बीच है और वह उन्हीं के बीच घर बनाकर रहा करेगा। वे उसकी प्रजा होंगे और स्वयं परमेश्वर उनका परमेश्वर होगा। 4 उनकी आँख से वह हर आँसू पोंछ डालेगा। और वहाँ अब न कभी मृत्यु होगी, न शोक के कारण कोई रोना-धोना और नहीं कोई पीड़ा। क्योंकि ये सब पुरानी बातें अब समाप्त हो चुकी हैं।”

5 इस पर जो सिंहासन पर बैठा था, वह बोला, “देखो, मैं सब कुछ नया किए दे रहा हूँ।” उसने फिर कहा, “इसे लिख ले क्योंकि ये वचन विश्वास करने योग्य हैं और सत्य हैं।”

6 वह मुझसे फिर बोला, “सब कुछ पूरा हो चुका है। मैं ही अल्फा हूँ और मैं ही ओमेगा हूँ। मैं ही आदि हूँ और मैं ही अन्त हूँ। जो भी प्यासा है मैं उसे जीवन-जल के स्रोत से सेंत-मेंत में मुक्त भाव से जल पिलाऊँगा। 7 जो विजयी होगा, उस सब कुछ का मालिक बनेगा। मैं उसका परमेश्वर होऊँगा और वह मेरा पुत्र होगा। 8 किन्तु कायरों अविश्वासियों, दुर्बुद्धियों, हत्यारों, व्यभिचारियों, जादूटोना करने वालों मूर्तिपूजकों और सभी झूठ बोलने वालों को भभकती गंधक की जलती झील में अपना हिस्सा बँटाना होगा। यही दूसरी मृत्यु है।”

9 फिर उन सात दूतों में से जिनके पास सात अंतिम विनाशों से भरे कटोरे थे, एक आगे आया और मुझसे बोला, “यहाँ आ। मैं तुझे वह दुल्हिन दिखा दूँ जो मेमने की पत्नी है।” 10 अभी मैं आत्मा के आवेश में ही था कि वह मुझे एक विशाल और ऊँचे पर्वत पर ले गया। फिर उसने मुझे यरूशलेम की पवित्र नगरी का दर्शन कराया। वह परमेश्वर की ओर से आकाश से नीचे उतर रही थी।

11 वह परमेश्वर की महिमा से मण्डित थी। वह सर्वथा निर्मल यशब नामक महामूल्यवान रत्न के समान चमक रही थी। 12 नगरी के चारों ओर एक विशाल ऊँचा परकोटा था जिसमें बारह द्वार थे। उन बारहों द्वारों पर बारह स्वर्गदूत थे। तथा बारहों द्वारों पर इस्राएल के बारह कुलों के नाम अंकित थे। 13 इनमें से तीन द्वार पूर्व की ओर थे, तीन द्वार उत्तर की ओर, तीन द्वार दक्षिण की ओर, और तीन द्वार पश्चिम की ओर थे। 14 नगर का परकोटा बारह नीवों पर बनाया गया था तथा उन पर मेमने के बारह प्रेरितों के नाम अंकित थे।

15 जो स्वर्गदूत मुझसे बात कर रहा था, उसके पास सोने से बनी नापने की एक छड़ी थी जिससे वह उस नगर को, उसके द्वारों को और उसके परकोटे को नाप सकता था। 16 नगर को वर्गाकार में बसाया गया था। यह जितना लम्बा था उतना ही चौड़ा था। उस स्वर्गदूत ने उस छड़ी से उस नगरी को नापा। वह कोई बारह हज़ार स्टोडिया पायी गयी। उसकी लम्बाई, चौड़ाई और ऊँचाई एक जैसी थी। 17 स्वर्गदूत ने फिर उसके परकोटे को नापा। वह कोई एक सौ चवालीस हाथ था। उसे मनुष्य के हाथों की लम्बाई से नापा गया था जो हाथ स्वर्गदूत का भी हाथ है। 18 नगर का परकोटा यशब नामक रत्न का बना था तथा नगर को काँच के समान चमकते शुद्ध सोने से बनाया गया था।

19 नगर के परकोटे की नीवें हर प्रकार के बहुमूल्य रत्नों से सजाई गयी थी। नींव का पहला पत्थर यशब का बना था, दूसरी नीलम से, तीसरी स्फटिक से, चौथी पन्ने से, 20 पाँचवीं गोमेद से, छठी मानक से, सातवीं पीत मणि से, आठवीं पेरोज से, नवीं पुखराज से, दसवीं लहसनिया से, ग्यारहवीं धूम्रकांत से और बारहवीं चन्द्रकाँत मणि से बनी थी। 21 बारहों द्वार बारह मोतियों से बने थे, हर द्वार एक-एक मोती से बना था। नगर की गलियाँ स्वच्छ काँच जैसे शुद्ध सोने की बनी थीं।

22 नगर में मुझे कोई मन्दिर दिखाई नहीं दिया। क्योंकि सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर और मेमना ही उसके मन्दिर थे। 23 उस नगर को किसी सूर्य या चन्द्रमा की कोई आवश्यकता नहीं है कि वे उसे प्रकाश दें, क्योंकि वह तो परमेश्वर के तेज से आलोकित था। और मेमना ही उस नगर का दीपक है।

24 सभी जातियों के लोग इसी दीपक के प्रकाश के सहारे आगे बढ़ेंगे। और इस धरती के राजा अपनी भव्यता को इस नगर में लायेंगे। 25 दिन के समय इसके द्वार कभी बंद नहीं होंगे और वहाँ रात तो कभी होगी ही नहीं। 26 जातियों के कोष और धन सम्पत्ति को उस नगर में लाया जायेगा। 27 कोई अपवित्र वस्तु तो उसमें प्रवेश तक नहीं कर पायेगी और न ही लज्जापूर्ण कार्य करने वाले और झूठ बोलने वाले उसमें प्रवेश कर पाएँगे उस नगरी में तो प्रवेश बस उन्हीं को मिलेगा जिनके नाम मेमने की जीवन की पुस्तक में लिखे हैं।

समीक्षा

तैयार दुल्हन

भविष्य कैसा होगा? ‘स्वर्ग’ कैसा होगा? नया नियम बताता है कि केवल ‘स्वर्ग’ ही नहीं होगा, बल्कि ‘एक नया स्वर्ग और नई पृथ्वी’ होगी (व. 1अ)। नया स्वर्ग और नई पृथ्वी बहुत ही वास्तविक और ठोस है।

इस लेखांश में नई सृष्टि से संबंधित एक विरोधाभास है। ‘एक नया स्वर्ग और नई पृथ्वी होगी’, लेकिन मसीह कहते हैं कि, ‘मैं सभी चीजों को नया कर दूँगा’ (व5 एनकेजेवी) – ना कि ‘मैं सभी नई चीजें करूँगा।’ यह इस सृष्टि के साथ निरंतरता का संकेत है। इसलिए मार्टिन लूथर ने कहा है कि, ‘यदि मैं जानता कि कल दुनिया का अंत होने वाला है, तो मैं आज एक पेड़ लगाता।’ यह पुनरूत्थान के लिए हमारी समझ पर बहुत बड़ा प्रभाव डालता है (और इस पर भी कि इस वक्त हम अपने पर्यावरण के साथ कैसा व्यवहार कर रहे हैं)।

इस नये स्वर्ग और नई पृथ्वी में, यूहन्ना चर्च को यानि हमें देखना है कि हम कैसे होंगे। उसने पवित्र नगर नये यरूशलेम को स्वर्ग पर से परमेश्वर के पास से उतरते देखा और वह उस दुल्हन के समान थी, जो अपने पति के लिये सिंगार किए हो (व. 2)। एक स्वर्गदूत कहता है, ‘इधर आ मैं तुझे दुल्हिन अर्थात मेम्ने की पत्नी दिखाऊंगा’ (व. 9)।

20\. यीशु परमेश्वर के लिए हमारी प्यास को बुझाएंगे: ‘ये बातें पूरी हो गई हैं, मैं अल्फा और ओमेगा, आदि और अन्त हूं: मैं प्यासे को जीवन के जल के सोते में से सेंतमेंत पिलाऊंगा’ (व. 6)।

परमेश्वर के साथ एक नया संबंध होगा। पवित्र आत्मा के द्वारा चर्च में परमेश्वर के निवास करने के द्वारा आपने इस पूर्वाभास का अनुभव किया है। इस महान दिन पर आप यीशु के साथ घनिष्ठ संबंध के स्थान में लाए जाएंगे। सबसे सुंदर इस संबंध को ले लीजिये जिसे आपने कभी नहीं देखा होगा, इसे लाखों गुना बढ़ाइये और आपको अनंत में परमेश्वर के साथ घनिष्ठ संबंध की सुंदरता का बोध होगा।

परमेश्वर के साथ चर्च का केवल सिद्ध संबंध ही नहीं होगा, बल्कि इसे सिद्ध भी बनाया जाएगा। ‘दुल्हन’ का यह उल्लेख आकर्षक रूप से सुन्दर है: ‘परमेश्वर की महिमा उस में थी, ओर उस की ज्योति बहुत ही बहुमूल्य पत्थर, अर्थात बिल्लौर के समान यशब की नाईं स्वच्छ थी’ (व. 11)।

यह पूर्ण किया गया चर्च का स्थान है (मेमने के बारत प्रेरित’), जिसकी जड़ पुराने नियम में (‘बारह गोत्रों’, वव. 12-14) में है। यह शहर एक सटीक घनाकार में है (वव. 15-16)। यह बहुत ही सुन्दर, शांतिपूर्ण और पूरी तरह से सुरक्षित है (वव. 17-21)।

यहाँ पर ध्यान देने योग्य छ: बातें हैं:

  1. कोई कष्ट नहीं

परमेश्वर स्वयं आपके साथ रहेंगे और वह आपकी आँखों से सब आँसू पोछ डालेंगे (वव. 3ब-4अ))। वहाँ कोई दु:ख, बीमारी या तकलीफें नहीं होगी।

  1. कोई मृत्यु नहीं

इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; (व. 4ब)। वहाँ कोई अस्पताल या बैसाखी या शवदाह या कब्रें नहीं होंगी।

  1. कोई मंदिर नहीं

वहाँ मंदिर का कोई निशान नहीं होगा, क्योंकि सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर, और मेमना उसका मंदिर है (व.22)।

  1. कोई सूर्य नहीं

‘उस नगर में सूर्य और चाँद के उजाले का प्रयोजन नहीं, क्योंकि परमेश्वर के तेज से उस में उजाला हो रहा है, और मेमना उसका दीपक है’ (व. 23)। और जाति जाति के लोग उस की ज्योति में चले फिरेंगे, और पृथ्वी के राजा अपने अपने तेज का सामान उस में लाएंगे।

  1. रात नहीं होगी

‘उसके फाटक दिन को कभी बन्द न होंगे, और रात वहां न होगी’ (व. 25)।

  1. कोई अपवित्रता नहीं होगी

जो लोग दूसरों का विनाश करके जीवन यापन करना चाहते हैं वह इन वस्तुओं के वारिस न होंगे और वहाँ स्थान न पाएंगे (वव. 7-8)। ‘और उस में कोई अपवित्र वस्तु था घृणित काम करने वाला, या झूठ का गढ़ने वाला, किसी रीति से प्रवेश न करेगा; पर केवल वे लोग जिन के नाम मेमने के जीवन की पुस्तक में लिखे हैं’ (व. 27)। पाप के द्वारा कोई विनाश नहीं होगा। यह पूरी तरह से सिद्ध होगा।

क्या इस समय आप कठिन परिस्थिति में हैं? एक दिन आपका दु:ख समाप्त हो जाएगा, परमेश्वर आपके साथ हैं और वह आपको भविष्य का पूर्वानुभव देंगे – आज के लिए उनकी शक्ति देंगे और कल के लिए आशा।

यह आशा उन लोगों के लिए सांत्वना है जो इस समय मुश्किलों और तकलीफों से गुजर रहे हैं (उदा. के लिए रोमियों 8:18) और जो आने वाला है उसकी प्रतिक्षा में पवित्र जीवन बिताने के लिए एक प्रेरणा (उदा. के लिए 1 यूहन्ना 2:28)।

संत अगस्तीन समझाते हैं कि भविष्य की इस आशा के लिए आपको किस तरह से प्रतिक्रिया करनी चाहिये: ‘जो प्रभु के आगमन को चाहता है वह इस पुष्टि से नहीं घबराता कि इसमें काफी समय है, ना ही इस बात से जो कहता है कि यह निकट है, बल्कि वह सच्चे विश्वास, स्थिर आशा और उत्सुकता भरे प्रेम से इसका इंतजार करता है फिर चाहें यह निकट हो या दूर।’

प्रार्थना

प्रभु, भविष्य के प्रति अद्भुत आशा के लिए हम आपको धन्यवाद देते हैं। मुझे सच्चे विश्वास और स्थिर आशा तथा उत्सुकता भरे प्रेम से इसका इंतजार करने में मेरी मदद कीजिये।

जूना करार

नहेमायाह 11:22-12:47

22 यरूशलेम में लेवीवंशियों के ऊपर उज्जी को अधिकारी बनाया गया। उज्जी बानी का पुत्र था। (बानी, मीका का पड़पोता, मत्तन्याह का पोता, और हशब्याह का पुत्र था)। उज्जी आसाप का वंशज था। आसाप के वंशज वे गायक थे जिन पर परमेश्वर के मन्दिर की सेवा का भार था। 23 ये गायक राजा की आज्ञाओं का पालन किया करते थे। राजा की आज्ञाएँ इन गायकों को बताती थीं कि प्रतिदिन क्या करना है। 24 वह व्यक्ति जो राजा को लोगों से सम्बन्धित मामलों में सलाह दिया करता था वह था पतहियाह (पतहियाह जेरह के वंशज मशेजबेल का पुत्र था और जेरह यहूदा का पुत्र था।)

25 यहूदा के लोग इन कस्बों में बस गये: किर्यतर्बा और उसके आस—पास के छोटे—छोटे गाँव, दिबोन और उसके आसपास के छोटे—छोटे गाँव, यकब्सेल और उसके आसपास के छोटे—छोटे गाँव, 26 तथा येशू, मोलादा, बेतपेलेत, 27 हसर्यूआल बेरशेबा तथा उस के आसपास के छोटे—छोटे गाँव 28 और सिकलग, मकोना और उसके आसपास के छोटे गाँव। 29 एन्निम्मोन. सोरा, यर्मूत, 30 जानोह और अदुल्लाम तथा उसके आसपास के छोटे छोटे गाँव। लाकीश और उसके आसपास के खेतों, अजेका और उसके आसपास के छोटे—छोटे गाँव। इस प्रकार बरशेबा से लेकर हिन्नैाम की तराई तक के इलाके में यहूदा के लोग रहने लगे।

31 जिन स्थानों में बिन्यामीन के वंशज रहने लगे थे, वे ये थे: गेबा मिकमश, अय्या, बेतेल, ओर उसके आस—पास के छोटे—छोटे गाँव, 32 अनातोत, नोब, अनन्याह 33 हासोर रामा, गित्तैम, 34 हादीद, सबोईम, नबल्लत, 35 लोद, ओनो तथा कारीगरों की तराई। 36 लेवीवंशियों के कुछ समुदाय जो यहूदा में रहा करते थे बिन्यामीन की धरती पर बस गये थे।

याजक और लेवीवंशी

12जो याजक और लेवीवंशी यहूदा की धरती पर लौट कर वापस आये थे, वे ये थे। वे शालतीएल के पुत्र जरुब्बाबेल तथा येशू के साथ लौटे थे, उनके नामों की सूची यह है:

सरायाह, यिर्मयाह, एज्रा,

2 अमर्याह, मल्लूक, हत्तूश,

3 शकन्याह, रहूम, मरेमोत,

4 इद्दो, गिन्तोई, अबियाह,

5 मिय्यामीन, माद्याह, बिल्गा,

6 शमायाह, योआरीब, यदायाह,

7 सल्लू, आमोक, हिल्किय्याह और यदायाह।

ये लोग याजकों और उनके सम्बन्धियों के मुखिया थे। येशू के दिनों में ये ही उनके मुखिया हुआ करते थे।

8 लेवीवंशी लोग ये थे: येशू बिन्नुई, कदमिएल, शेरेब्याह, यहूदा और मत्तन्याह भी। मत्तन्याह के सम्बन्धियों समेत ये लोग परमेश्वर के स्तुति गीतों के अधिकारी थे। 9 बकबुकियाह और उन्नो, इन लेवीवंशियों के सम्बन्धी थे। ये दोनों सेवा आराधना के अवसरों पर उनके सामने खड़े रहा करते थे। 10 येशू योयाकीम का पिता था और योयाकीम एल्याशीब का पिता था और एल्याशीब के योयादा नाम का पुत्र पैदा हुआ। 11 फिर योयादा से योनातान औऱ योनातान से यहूदा पैदा हुआ।

12 योयाकीम के दिनों में ये पुरुष याजकों के परिवारों के मुखिया हुआ करते थे:

शरायाह के घराने का मुखिया मरायाह था।

यिर्मयाह के घराने का मुखिया हनन्याह था।

13 मश्शूलाम एज्रा के घराने का मुखिया था।

अर्मयाह के घराने का मुखिया था यहोहानान।

14 योनातान मल्लूक के घराने का मुखिया था।

योसेप शबन्याह के घराने का मुखिया था।

15 अदना हारीम के घराने का मुखिया था।

हेलैक मेरेमोत के घराने का मुखिया था।

16 जकर्याह इद्दो के घराने का मुखिया था।

मशुल्लाम गिन्नतोन के घराने का मुखिया था।

17 जिक्री अबियाह के घराने का मुखिया था।

पिलतै मिन्यामीन और मोअद्याह के घराने का मुखिया था।

18 शम्मू बिल्गा के घराने का मुखिया था।

यहोनातान शामायह के घराने का मुखिया था।

19 मतैन योयारीब के घराने का मुखिया था।

उजी, यदायाह के घराने का मुखिया था।

20 कल्लै सल्लै के घराने का मुखिया था।

एबेर आमोक के घराने का मुखिया था।

21 हशब्याह हिल्किय्याह के घराने का मुखिया था।

और नतनेल यदायाह के घराने का मुखिया था।

22 फारस के राजा दारा के शासन काम में लेवी परिवारों के मुखियाओं और याजक घरानों के मुखियाओं के नाम एल्याशीब, योयादा, योहानान तथा यहूदा के दिनों में लिखे गये। 23 लेवी परिवार के वंशजों के बीच जो परिवार के मुखिया थे, उनके नाम एल्याशीब के पुत्र योहानाम तक इतिहास की पुस्तक में लिखे गये।

24 लेवियों के मुखियाओं के नाम ये थे: हशब्याह, शेरेब्याह, कदमिएल का पुत्र येशू उसके साथी। उनके भाई परमेश्वर को आदर देने के लिए स्तुतिगान के वास्ते उनके सामने खड़ा रहा करते थे। वे आमने—सामने इस तरह खड़े होते थे कि एक गायक समूह दूसरे गायक समूह के उत्तर में गीत गाता था। परमेश्वर के भक्त दाऊद की ऐसी ही आज्ञा थी।

25 जो द्वारपाल द्वारों के पास के कोठियारों पर पहरा देते थे, वे ये थे: मत्तन्याह. बकबुकियाह, ओबाद्याह, मशुल्लाम, तलमोन और अक्कूब। 26 ये द्वारपाल योयाकीम के दिनों में सेवा कार्य किया करते थे। योयाकीम योसादाक के पुत्र येशू का पुत्र था। इन द्वारपालों ने ही राज्यपाल नहेमायाह और याजक और विद्वान एज्रा के दिनों में सेवा कार्य किया था।

यरूशलेम के परकोटे का समर्पित किया जाना

27 लोगों ने यरूशलेम की दीवार का समर्पण किया। उन्होंने सभी लेवियों को यरूशलेम में बुलाया। सो लेवी जिस किसी नगर में भी रह रहे थे, वहाँ से वे आये। यरूशलेम की दीवार के समर्पण को मनाने के लिए वे यरूशलेम आये। परमेश्वर को धन्यवाद देने और स्तुतिगीत गाने के लिए लेवीवंशी वहाँ आये। उन्होंने अपनी झाँझ, सारंगी और वीणाएँ बजाईं।

28-29 इसके अतिरिक्त जितने भी और गायक थे, वे भी यरूशलेम आये। वे गायक यरूशलेम के आसपास के नगरों से आये थे। वे नतोपातियों के गावों से, बेत—गिलगाल से, गेबा से और अजमाबेत के नगरों से आये थे। गायकों ने यरूशलेम के इर्द—गिर्द अपने लिए छोटी—छोटी बस्तियाँ बना रखी थीं।

30 इस प्रकार याजकों और लेवियों ने एक समारोह के द्वारा अपने अपने को शुद्ध किया। फिर एक समारोह के द्वारा उन्होंने लोगों, द्वारों और यरूशलेम के परकोटे को भी शुद्ध किया।

31 फिर मैंने यहूदा के मुखियाओं से कहा कि वे ऊपर जा कर परकोटे के शिखर पर खड़े हो जायें। मैंने परमेश्वर को धन्यवाद देने के लिये दो बड़ी गायक—मण्डलियों का चुनाव भी किया। इनमें से एक गायक मण्डली को कुरडी—द्वार की ओर दाहिनी तरफ परकोटे के शिखर पर जाना आरम्भ था। 32 होशायाह, औऱ यहूदा के आधे मुखिया उन गायकों के पीछे हो लिये। 33 अजर्याह, एज्रा, मशुल्लाम, 34 यहूदा, बिन्यामीन, शमायाह, और यिर्मयाह भी उनके पीछे हो लिय़े थे। 35 तुरही लिये कुछ याजक भी दीवार पर उनका अनुसरण करते हुए गये। जकर्याह भी उनके पीछे—पीछे था। (जकर्याह योहानान का पुत्र था। योहानान शमायाह का पुत्र था। शमायाह मत्तन्याह का पुत्र था। मत्तन्याह मीकायाह का पुत्र था। मीकायाह जक्कूर का पुत्र था और जक्कूर आसाप का पुत्र था।) 36 वहाँ जकर्याह के भाई शमायाह, अज़रेल, मिल्लै, गिल्लै, माऐ, नतनेल, यहूदा, और हनानी भी मौजूद थे। उनके पास परमेश्वर के पुरुष, दाऊद के बनाये हुए बाजे थे। परकोटे की दीवार को समर्पित करने के लिए जो लोग वहाँ थे, उनके समूह की अगुवाई, विद्वान एज्रा ने की। 37 और वे स्रोत—द्वार पर चले गये। फिर वे सामने की सीढ़ियों से होते हुए दाऊद के नगर पैदल ही गये। फिर वे नगर परकोटे के शिखर पर जा पहुँचे और इस तरह दाऊद के घर पर से होते हुए वे पूर्वी जल द्वार पर पहुँच गए।

38 गायकों की दूसरी मण्डली बांई ओर दूसरी दिशा में चल पड़ी। वे जब परकोटे के शिखर की ओर जा रहे थे, मैं उनके पीछे हो लिया। आधे लोग भी उनके पीछे हो लिये। भट्ठों के मीनारों को पीछे छोड़ते हुए वे चौड़े परकोटे पर चले गये। 39 इसके बाद वे इन द्वारों पर गये—एप्रैम द्वार, पुराना दरवाजा और मछली फाटक और फिर वे हननेल और हम्मेआ के बुर्जों पर गये। वे भेड़ द्वार तक जा पहुँचे और पहरेदारों के द्वार पर जा कर रुक गये। 40 फिर गायकों की वे दोनों मण्डलियाँ परमेश्वर के मन्दिर में अपने—अपने स्थानों को चली गयीं और मैं अपने सथान पर खड़ा हो गया तथा आधे हाकिम मन्दिर में अपने—अपने स्थानों पर जा खड़े हुए। 41 फिर इसके बाद अपने—अपने स्थानों पर जो याजक जा खड़े हुए थे, उनके नाम हैं—एल्याकिम, मासेमाह, मिन्यामीन, मीकायाह, एल्योएनै, जकर्याह और हनन्याह। उन याजकों ने अपनी—अपनी तुरहियाँ भी ले रखी थीं। 42 इसके बाद ये याजक भी मन्दिर में अपने—अपने स्थानों पर आ खड़े हुए: मासेयाह, शमायाह, एलियाजर, उज्जी, यहोहानाम, मल्कियाह, एलाम और एजेर।

फिर दोनों, गायक मण्डलियों ने यिज्रहियाह की अगुवाई में गाना आरम्भ किया। 43 सो उस विशेष दिन, याजकों ने बहुत सी बलियाँ चढ़ाईं। हर कोई बहुत प्रसन्न था। परमेश्वर ने हर किसी को आनन्दित किया था। यहाँ तक कि स्त्रियाँ और बच्चे तक बहुत उल्लसित और प्रसन्न थे। दूर दराज के लोग भी यरूशलेम से आते हुए आनन्दपूर्ण शोर को सुन सकते थे।

44 उस दिन मुखियाओं ने कोठियारों के अधिकारियों की नियुक्ति की। ये कोठियार उन उपहार को रखने के लिए थे जिन्हें लोग अपने पहले फलों और अपनी फसल और आय के दसवें हिस्से के रुप में लाया करते थे। व्यवस्था के विधान के अनुसार लोगों को नगर के चारों ओर के खेतों और बगीचों से उपज का एक हिस्सा, याजकों और लेवियों के लिये लाना चाहिये। यहूदा के लोग जो याजक और लेवी सेवा कार्य करते थे उनके लिए ऐसा करने में प्रसन्नता का अनुभव करते थे। 45 याजकों और लेवियों ने अपने परमेश्वर के लिये अपना कर्तव्य पालन किया था। उन्होंने वे समारोह किये थे जिनसे लोग पवित्र हुए। गायकों और द्वारपालों ने भी अपने हिस्से का काम किया। दाऊद और उस के पुत्र सुलैमान ने जो भी आज्ञाएँ दी थीं, उन्होंने सब कुछ वैसा ही किया था। 46 (बहुत दिनों पहलें दाऊद और आसाप के दिनों में वह धन्यवाद के गीतों और परमेश्वर की स्तुतियों तथा गायकों के मुखिया हुआ करते थे।)

47 सो जरुब्बबेल और नहेमायाह के दिनों में गायकों और द्वारपालों के रखरखाव के लिये इस्राएल के सभी लोग प्रतिदिन दान दिया करते थे। दूसरे लेवियों के लिए भी वे विशेष दान दिया करते थे और फिर लेवी उस में से हारुन के वंशजों याजकों के लिये विशेष योगदान दिया करते थे।

समीक्षा

आदिरूप दुल्हन

उत्सव मनाना महत्वपूर्ण है। एक दिन हम अनंत उत्सव मनाएंगे। जब सभी चर्च इकठ्ठा हो जाएंगे, तब हमारा उत्सव मनाना उस महान उत्सव का पूर्वाभास होगा जो आने वाला है। इस सबका आदिरूप पुराने नियम में दिया गया है।

यरूशलेम शहर पूर्वानुमान है और यह उसका आदिरूप है जो आने वाला है। नया यरूशलेम चर्च, महिमामय और विजय है; ‘दुल्हन, मेमने की पत्नी’ (प्रकाशितवाक्य 21:9-10)।

पुराने नियम में यरूशलेम पर ज्यादा ध्यान दिया है। इसलिए वहाँ पर बहुत आनंद और उत्सव मनाया गया था जब यरूशलेम को फिर से बनाया गया था। ‘जिस से आनन्द और धन्यवाद कर के और झांझ, सारंगी और वीणा बजाकर, और गाकर उसकी प्रतिष्ठा करें’ (12:27)।

नये यरूशलेम के आनंद का अनुमान इस तरह से किया गया जब दो दल धन्यवाद करते हुए धूमधाम से आगे बढ़े थे (नहेम्याह 12:31 से आगे): ‘ उसी दिन लोगों ने बड़ा आनन्द मनाया; क्योंकि परमेश्वर ने उन को बहुत ही आनन्दित किया था; स्त्रियों ने और बाल-बच्चों ने भी आनन्द मनाया। और यरूशलेम के आनन्द की ध्वनी दूर दूर तक फैल गई’ (व. 43)।

प्रार्थना

प्रभु, महान खुशी, आराधना और उत्सव के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ जिसका आनंद हम अनंत काल तक नये यरूशलेम में मनाएंगे, जो परमेश्वर के स्वर्ग से उतरेगी, जो उस दुल्हन के समान होगी जो अपने पति के लिये सिंगार किये हो (प्रकाशितवाक्य 21:2)।’

पिप्पा भी कहते है

नीतिवचन 31:23

‘श्रेष्ठ चरित्र’ वाली पत्नी चीजों को करने में असाधारण रूप से व्यस्त रहती है। मैं उस पति से कम प्रभावित हुई हूँ जो ‘सभा में देश के पुरनियों के संग बैठता है।’ ऐसा लगता है सिर्फ बातें करते रहो और काम कुछ भी न करो!

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संदर्भ

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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