दिन 57

शौहरत से बेहतर

बुद्धि भजन संहिता 26:1-12
नए करार मरकुस 9:2-32
जूना करार निर्गमन 39:1-40:38

परिचय

लोखों लोगों का सर्वेक्षण करने पर, 50 प्रतिशत युवाओं ने कहा कि जीवन का मुख्य लक्ष्य प्रसिद्ध होना था। भूतकाल में, लोग कुछ करने की वजह से प्रसिद्ध बनना चाहते थे। अब, इसकी जगह सेलिब्रिटी ने ले ली है। इसने परमेश्वर - सरीखा विशेषताएँ प्राप्त कर ली हैं। ना केवल लोग प्रसिद्ध बनना चाहते हैं, वे उन लोगों को अपना आदर्श बना लेते हैं जिन्होंने सेलिब्रिटी का दर्जा हासिल कर लिया है। प्रसिद्ध लोगों में ऐसी व्यापक रुची को 'सेलिब्रिटी का फैशन' कहते हैं। यह पश्चिमी प्रसिद्ध संस्कृति के प्रमुख सामाजिक उल्लेखनीय व्यक्ति हैं।

महत्त्वकांक्षी के लिए प्रसिद्धी, प्यासे के लिए नमक के पानी की तरह है। जितना अधिक आपको मिलता है, उतना ही अधिक आप और चाहते हैं। मेडोना, जो एक समय शायद से पृथ्वी पर सबसे प्रसिद्ध महिला थीं, उन्होंने कहा, 'मैं तब तक खुश नहीं होऊँगी जब तक मैं परमेश्वर जितनी प्रसिद्ध न हो जाऊँ।'

सेलिब्रिटी और प्रसिद्ध, सच्ची महिमा का केवल धुंधला प्रदर्शन है। बाईबल में 'महिमा' का इस्तेमाल परमेश्वर की उपस्थिति के प्रत्यक्षिकरण को बताने के लिए किया गया है। बाईबल में महिमा एक सबसे सामान्य शब्द है। परमेश्वर की 'महिमा' का अर्थ है उनका महत्त्व, आदर, ऐश्वर्य और सम्मान।

शायद इसमें कोई आश्चर्य करनेवाली बात नहीं हैं कि समाज परमेश्वर की महिमा की आराधना करने से हटकर, सेलिब्रिटी और प्रसिद्धी की महिमा की आराधना करने लगता है। हम परमेश्वर की महिमा की आराधना करने और इसे दर्शाने के लिए बुलाए गए हैं...

बुद्धि

भजन संहिता 26:1-12

दाऊद को समर्पित।

26हे यहोवा, मेरा न्याय कर, प्रमाणित कर कि मैंने पवित्र जीवन बिताया है।
 मैंने यहोवा पर कभी विश्वस करना नहीं छोड़ा।
2 हे यहोवा, मुझे परख और मेरी जाँच कर,
 मेरे हृदय में और बुद्धि को निकटता से देख।
3 मैं तेरे प्रेम को सदा ही देखता हूँ,
 मैं तेरे सत्य के सहारे जिया करता हूँ।
4 मैं उन व्यर्थ लोगो में से नहीं हूँ।
5 उन पापी टोलियों से मुझको घृणा है,
 मैं उन धूर्तो के टोलों में सम्मिलित नहीं होता हूँ।

6 हे यहोवा, मैं हाथ धोकर तेरी वेदी पर आता हूँ।
7 हे यहोवा, मैं तेरे प्रशंसा गीत गाता हूँ,
 और जो आश्चर्य कर्म तूने किये हैं, उनके विषय में मैं गीत गाता हूँ।
8 हे यहोवा, मुझको तेरा मन्दिर प्रिय है।
 मैं तेरे पवित्र तम्बू से प्रेम करता हूँ।

9 हे यहोवा, तू मुझे उन पापियों के दल में मत मिला,
 जब तू उन हत्यारों का प्राण लेगा तब मुझे मत मार।
10 वे लोग सम्भव है, छलने लग जाये।
 सम्भव है, वे लोग बुरे काम करने को रिश्वत ले लें।
11 लेकिन मैं निश्चल हूँ, सो हे परमेश्वर,
 मुझ पर दयालु हो और मेरी रक्षा कर।
12 मैं नेक जीवन जीता रहा हूँ।
 मैं तेरे प्रशंसा गीत, हे यहोवा, जब भी तेरी भक्त मण्डली साथ मिली, गाता रहा हूँ।

समीक्षा

परमेश्वर की महिमा को खोजें

दाऊद लिखते हैं, 'परमेश्वर, मुझे आपके साथ रहना पसंद हैः आपका घर आपकी महिमा से चमकता है' (पद - 8 एम.एस.जी.)। राजा दाऊद एक 'सेलिब्रिटी' थे (1शमुएल 18:7 देखें)। फिर भी उन्होंने अपने आपको महिमा नहीं दी, इसके बजाय उन्होंने परमेश्वर को महिमा दी। वह यह कहने के द्वारा भजन की समाप्ति करते हैं, 'मेरे पाँव चौरस स्थान में स्थिर हैं; सभाओं में मैं यहोवा को धन्य कहा करुँगा' (भजन संहिता 26:12)। उन्होंने लोगों को परमेश्वर की महिमा करना सिखाया।

यदि आप परमेश्वर की महिमा को दर्शाना चाहते है, तो दाऊद के उदाहरण को मानिये। एक निर्दोष जीवन जीने की कोशिश कीजिए (पद - 1)। अपने हृदय और दिमाग को शुद्ध रखने की कोशिश करें (पद - 2)। परमेश्वर के प्रेम और सच्चाई के द्वारा मार्गदर्शन लीजिए (पद - 3)। उन लोगों के बहुत करीब जाना बंद कर दीजिए जो शायद आपको नीचे ला दें 'निकम्मी चाल चलनेवाले'; 'कपटी'; 'कुकर्मी'; 'दुष्ट' (पद - 4-5, एम.एस.जी.)।

यद्यपि दाऊद कहते हैं, 'मैं एक निर्दोष जीवन जीता हूँ' (पद - 11अ), वह आगे कहते हैं, 'मुझे छुड़ाएँ और मुझपर दया करें' (पद - 11ब)। वह अवश्य ही सचेत रहे होंगे कि, हालाँकि वह एक पापहीन जीवन जीने की कोशिश कर रहे थे, तौभी वह हमेशा सफल नहीं होंगे और इसमें उन्हें परमेश्वर के छुटकारे और दया की आवश्यकता पड़ेगी। पापहीन होने का दावा करने के बजाय, दाऊद घोषणा कर रहे हैं कि वह 'ईमानदारी' का एक जीवन जी रहे हैं (पद - 1,11, ए.एम.पी.), जो परमेश्वर के लिए सच्ची और पूरे हृदय की है।

उस समय शायद से दूसरे राजाओं ने आशा की होगी कि 'उनके सेलिब्रिटी के रूप में' लोग उनकी आराधना करें। लेकिन दाऊद परमेश्वर के आराधक थे। वह लिखते हैं, 'मैं... तेरी वेदी की प्रदक्षिणा करूँगा। ताकि तेरा धन्यवाद ऊँचे शब्द से करॅं, और तेरे सब आश्चर्यकर्मों का वर्णन करुँ। हे यहोवा, मैं तेरे धाम में तेरी महिमा के निवासस्थान से प्रीति रखता हूँ' (पद - 6-8)।

पुराने नियम में, परमेश्वर के लोगों के लिए, यरूशलेम में मंदिर वह स्थान था जहाँ पर परमेश्वर की महिमा मिल सकती थी। नये नियम में, हम एक नये मंदिर के विषय में पढ़ते हैं जहाँ पर परमेश्वर की महिमा रहती है। उसकी उपस्थिति एक व्यक्ति में है। यीशु वह मंदिर हैं (यूहन्ना 2:10,21)। परमेश्वर की महिमा प्रमुख रूप से यीशु मसीह में प्रगट है (1:14)।

इसके अतिरिक्त, अद्भुत सच्चाई यह है कि परमेश्वर की महिमा उन सभी में रहती है जो यीशु में भरोसा करते हैं। एक व्यक्ति के रूप में (1कुरिंथियों 6:19 देखें) और एक साथ (1कुरिंथियों 3:16 देखें), परमेश्वर के लोगों को परमेश्वर के मंदिर के रूर में देखा जाता है, जिनमें आत्मा रहता है; 'जिससे तुम भी आत्मा के द्वारा परमेश्वर का निवासस्थान होने के लिये एक साथ बनाए जाते हो' (इफिसियों 2:22)।

प्रार्थना

परमेश्वर, आपका धन्यवाद क्योंकि आपकी महिमा आपके लोगों के बीच रहती हैं। जहाँ पर आप रहते हैं उस जगह से मुझे प्रेम है। मैं ऊँचे स्वर में आपकी स्तुति करुँगा और आपके सभी अद्भुत कामों का वर्णन करूँगा।

नए करार

मरकुस 9:2-32

मूसा और एलिय्याह के साथ यीशु का दर्शन देना

2 छः दिन बाद यीशु केवल पतरस, याकूब और यूहन्ना को साथ लेकर, एक ऊँचे पहाड़ पर गया। वहाँ उनके सामने उसने अपना रूप बदल दिया। 3 उस के वस्त्र चमचमा रहे थे। एकदम उजले सफेद! धरती पर कोई भी धोबी जितना उजला नहीं धो सकता, उससे भी अधिक उजले सफेद। 4 एलिय्याह और मूसा भी उसके साथ प्रकट हुए। वे यीशु से बात कर रहे थे।

5 तब पतरस बोल उठा और उसने यीशु से कहा, “हे रब्बी, यह बहुत अच्छा हुआ कि हम यहाँ हैं। हमें तीन मण्डप बनाने दे-एक तेरे लिये, एक मूसा के लिए और एक एलिय्याह के लिये।” 6 पतरस ने यह इसलिये कहा कि वह नहीं समझ पा रहा था कि वह क्या कहे। वे बहुत डर गये थे।

7 तभी एक बादल आया और उन पर छा गया। बादल में से यह कहते एक वाणी निकली, “यह मेरा प्रिय पुत्र है, इसकी सुनो!”

8 और तत्काल उन्होंने जब चारों ओर देखा तो यीशु को छोड़ कर अपने साथ किसी और को नहीं पाया।

9 जब वे पहाड़ से नीचे उतर रहे थे तो यीशु ने उन्हें आज्ञा दी कि उन्होंने जो कुछ देखा है, उसे वे तब तक किसी को न बतायें जब तक मनुष्य का पुत्र मरे हुओं में से जी न उठे।

10 सो उन्होंने इस बात को अपने भीतर ही रखा। किन्तु वे सोच विचार कर रहे थे कि “मर कर जी उठने” का क्या अर्थ है? 11 फिर उन्होंने यीशु से पूछा, “धर्मशास्त्री क्यों कहते हैं कि एलिय्याह का पहले आना निश्चित है?”

12 यीशु ने उनसे कहा, “हाँ, सब बातों को ठीक से व्यवस्थित करने के लिए निश्चय ही एलिय्याह पहले आयेगा। किन्तु मनुष्य के पुत्र के बारे में यह क्यों लिखा गया है कि उसे बहुत सी यातनाएँ झेलनी होंगी और उसे घृणा के साथ नकारा जायेगा? 13 मैं तुम्हें कहता हूँ, एलिय्याह आ चुका है, और उन्होंने उसके साथ जो कुछ चाहा, किया। ठीक वैसा ही जैसा उसके विषय में लिखा हुआ है।”

बीमार लड़के को चंगा करना

14 जब वे दूसरे शिष्यों के पास आये तो उन्होंने उनके आसपास जमा एक बड़ी भीड़ देखी। उन्होंने देखा कि उनके साथ धर्मशास्त्री विवाद कर रहे हैं। 15 और जैसे ही सब लोगों ने यीशु को देखा, वे चकित हुए। और स्वागत करने उसकी तरफ़ दौड़े।

16 फिर उसने उनसे पूछा, “तुम उनसे किस बात पर विवाद कर रहे हो?”

17 भीड़ में से एक व्यक्ति ने उत्तर दिया, “हे गुरु, मैं अपने बेटे को तेरे पास लाया था। उस पर एक दुष्टात्मा सवार है, जो उसे बोलने नहीं देती। 18 जब कभी वह दुष्टात्मा इस पर आती है, इसे नीचे पटक देती है और इसके मुँह से झाग निकलने लगते हैं और यह दाँत पीसने लगता है और अकड़ जाता है। मैंने तेरे शिष्यों से इस दुष्ट आत्मा को बाहर निकालने की प्रार्थना की किन्तु वे उसे नहीं निकाल सके।”

19 फिर यीशु ने उन्हें उत्तर दिया और कहा, “ओ अविश्वासी लोगो, मैं तुम्हारे साथ कब तक रहूँगा? और कब तक तुम्हारी सहूँगा? लड़के को मेरे पास ले आओ!”

20 तब वे लड़के को उसके पास ले आये और जब दुष्टात्मा ने यीशु को देखा तो उसने तत्काल लड़के को मरोड़ दिया। वह धरती पर जा पड़ा और चक्कर खा गया। उसके मुँह से झाग निकल रहे थे।

21 तब यीशु ने उसके पिता से पूछा, “यह ऐसा कितने दिनों से है?”

पिता ने उत्तर दिया, “यह बचपन से ही ऐसा है। 22 दुष्टात्मा इसे मार डालने के लिए कभी आग में गिरा देती है तो कभी पानी में। क्या तू कुछ कर सकता है? हम पर दया कर, हमारी सहायता कर।”

23 यीशु ने उससे कहा, “तूने कहा, ‘क्या तू कुछ कर सकता है?’ विश्वासी व्यक्ति के लिए सब कुछ सम्भव है।”

24 तुरंत बच्चे का पिता चिल्लाया और बोला, “मैं विश्वास करता हूँ। मेरे अविश्वास को हटा!”

25 यीशु ने जब देखा कि भीड़ उन पर चड़ी चली आ रही है, उसने दुष्टात्मा को ललकारा और उससे कहा, “ओ बच्चे को बहरा गूँगा कर देने वाली दुष्टात्मा, मैं तुझे आज्ञा देता हूँ इसमें से बाहर निकल आ और फिर इसमें दुबारा प्रवेश मत करना!”

26 तब दुष्टात्मा चिल्लाई। बच्चे पर भयानक दौरा पड़ा। और वह बाहर निकल गयी। बच्चा मरा हुआ सा दिखने लगा, बहुत लोगों ने कहा, “वह मर गया!” 27 फिर यीशु ने लड़के को हाथ से पकड़ कर उठाया और खड़ा किया। वह खड़ा हो गया।

28 इसके बाद यीशु अपने घर चला गया। अकेले में उसके शिष्यों ने उससे पूछा, “हम इस दुष्टात्मा को बाहर क्यों नहीं निकाल सके?”

29 इस पर यीशु ने उनसे कहा, “ऐसी दुष्टात्मा प्रार्थना के बिना बाहर नहीं निकाली जा सकती थी।”

अपनी मृत्यु के सम्बन्ध में यीशु का कथन

30 फिर उन्होंने वह स्थान छोड़ दिया। और जब वे गलील होते हुए जा रहे थे तो वह नहीं चाहता था कि वे कहाँ हैं, इसका किसी को भी पता चले। 31 क्योंकि वह अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा था। उसने उनसे कहा, “मनुष्य का पुत्र मनुष्य के ही हाथों धोखे से पकड़वाया जायेगा और वे उसे मार डालेंगे। मारे जाने के तीन दिन बाद वह जी उठेगा।” 32 पर वे इस बात को समझ नहीं सके और यीशु से इसे पूछने में डरते थे।

समीक्षा

यीशु की महिमा को दर्शायें

पतरस, याकूब और यूहन्ना ने परमेश्वर की महिमा की एक झलक को देखा, जब उनके सामने यीशु का रूप परिवर्तित हुआ था। परिवर्तन संयोग से नहीं हुआ था, लेकिन इसके बाद जब यीशु ने चेलों को पूछा, 'लोग क्या कहते हैं कि मैं कौन हूँ?' (8:27)। इसने यीशु के दैविय स्वभाव को परमेश्वर के पुत्र के रूप में दर्शाया।

समय का परदा सरका दिया गया था और चेलों ने मूसा (नियम को दर्शाते हुए) और एलिय्याह को (भविष्यवक्ता को दर्शाते हुए) स्पष्ट रूप से जीवित और यीशु के बगल में देखा। चेले मूसा और एलिय्याह के बारें में सब कुछ जानते थे। यहूदी विश्व में, यें मनुष्य सेलिब्रिटी थे। परंतु परमेश्वर कह रहे हैं कि यीशु इन दो सम्माननीय मनुष्यों से अधिक महान हैं।

जब चेलों ने दोबारा देखा, तब उन्होंने केवल यीशु को देखा (9:8)। पतरस, याकूब और यूहन्ना ने यीशु को देखा, जैसा कि हम उसे देखेंगे जब वह वापिस आयेंगे अपनी महिमा के साथ।

'परिवर्तन' के लिए इस्तेमाल किया गया शब्द वही शब्द है जिसका अनुवाद 'बदलाव' के रूप में किया गया है जब पौलुस प्रेरित लिखते हैं, 'परंतु जब हम सब के उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार प्रगट होता है, जिस प्रकार दर्पण में, तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्वी रूप में अंश - अंश करके बदलते (परिवर्तित होते) जाते हैं' (2कुरिंथियो 3:18)।

आज सेलिब्रिटी अक्सर यश और प्रसिद्ध प्राप्त करने के विषय में है। यीशु ने प्रसिद्धी को नहीं खोजा; इसके बजाय इसके विपरीत, यीशु ने उन्हें इसे गुप्त रखने के लिए कहा। 'जो तुमने देखा है किसी से न कहना' (मरकुस 9:9, एम.एस.जी.)।

अक्सर सेलिब्रिटी का अर्थ संपदा और एक आरामदायक जीवनशैली से जुड़ा हुआ है। यीशु के जीवन में, कष्ट उठाना और महिमा एक - दूसरे से जुड़े हुए हैं। जब वह पहाड़ से नीचे उतरते हैं, तब वह अपने चेलों को समझाते हैं कि 'अवश्य ही मनुष्य का पुत्र कष्ट उठाएगा और उसे नकारा जाएगा' (पद - 12)। यीशु की 'महिमा' एक अलग प्रकार की थी, जिसकी आशा विश्व तब और अभी करता है।

एक बात जो यीशु और 'सेलिब्रिटी' में सामान्य थी, वह है कि वह भीड़ को इकट्ठा कर देते थे (पद - 14): 'जैसे ही लोग यीशु को देखते थे, तब वे आश्चर्य करते थे और उसे प्रणाम करने के लिए दौड़कर उसके पास चले जाते थे' (पद - 15)।

जो चेले पहाड़ पर नहीं गए थे, उनके पास उस लड़के को चंगा करने का विश्वास नहीं था जो कि दुष्टात्मा से पीड़ित था। यीशु ने कहा, 'जो विश्वास करता है उसके लिए सब कुछ संभव है' (पद - 23)। विश्व कहता है, 'मुझे पहले देखना है, फिर मैं विश्वास करुँगा।' यीशु कहते हैं, 'पहले विश्वास करो, तब तुम देखोगे।' सेंट अगस्टीन लिखते हैं, 'विश्वास है उस पर भरोसा करना जो हम नहीं देखते है। विश्वास का ईनाम है उसे देखना जिसपर हम भरोसा करते हैं।'

यीशु उस लड़के को किसी बड़ी सभा के बिना और अपने हाथों को उसपर रखे बिना चंगा करते हैं। यहाँ पर कोई लड़ाई नहीं है किंतु यीशु की आज्ञा की सरल सामर्थ है। उनके प्रार्थना जीवन के द्वारा लड़ाई पहले ही जीत ली गई है (पद - 29)। फिर से हमने यीशु की महिमा की एक झलक को देखा है।

यीशु अपने कष्ट उठाने के बारे में बताते हैं 'मनुष्य का पुत्र मनुष्यों के हाथों में पकड़वाया जाएगा। वे उसकी हत्या करेंगे, और तीन दिन के बाद वे फिर जी उठेगा' (पद - 31)।

प्रार्थना

परमेश्वर, आज मेरी सहायता कीजिए कि मैं आपकी उपस्थिति में समय बिताऊँ और जो कुछ मैं करता हूँ और कहता हूँ उसमें आपकी महिमा को दिखाऊँ।

जूना करार

निर्गमन 39:1-40:38

याजकों के विशेष वस्त्र

39कारीगरों ने नीले, लाल और बैंगनी कपड़ों के विशेष वस्त्र याजकों के लिए बनाए जिन्हें वे पवित्र स्थान में सेवा के समय पहनेंगे। उन्होंने हारून के लिए भी वैसे ही विशेष वस्त्र बनाये जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था।

एपोद

2 उन्होंने एपोद सन के उत्तम रेशों और नीले, लाल और बैंगनी कपड़े से बनाया। 3 (उन्होंने सोने को बारीक पट्टियों के रूप में पीटा और तब उन्होंने उसे लम्बे धागो के रूप में काटा। उन्होंने सोने को नीले, बैंगनी, लाल कपड़ों और सन के उत्तम रेशों में बुना। इसे निपुणता के साथ किया गया।) 4 उन्होंने एपोद के कंधों की पट्टियाँ बनाईं। और कंधे की इन पट्टियों को एपोद के कंधे पर टाँका। 5 पटुका उसी प्रकार बनाया गया था। यह एपोद से एक ही इकाई के रूप में जोड़ दिया गया। यह सोने के तार, सन के उत्तम रेशों, नीला, लाल और बैंगनी कपड़े से वैसा ही बना जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था।

6 कारीगरों ने रत्नों को सोने की पट्टी में जड़ा। उन्होंने इस्राएल के पुत्रों के नाम रत्नों पर लिखे। 7 तब उन्होंने रत्नों को एपोद के कंधें के पेबन्द पर लगाया। हर एक रत्न इस्राएल के बारह पुत्रों में से एक—एक का प्रतिनिधित्व करता था। यह वैसा ही किया गया जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था।

सीनाबन्द

8 तब उन्होंने सीनाबन्द बनाया। यह वही निपुणता के साथ बनाया गया था। सीनाबन्द एपोद की तरह बनाया गया था। यह सोने के तार, सन के उत्तम रेशों, नीले, लाल और बैंगनी कपड़े का बनाया गया था। 9 सीनाबन्द वर्गाकार दोहरा तह किया हुआ था। यह नौ इंच लम्बा और नौ इंच चौड़ा था। 10 तब कारीगर ने इस पर सुन्दर रत्नों की पक्तियाँ जड़ीं। पहली पंक्ति में एक लाल, एक पुखराज और एक मर्कतमणि थी। 11 दूसरी पंक्ति में एक फिरोज़ा, एक नीलम तथा एक पन्ना था। 12 तीसरी पंक्ति में एक धूम्रकान्त, अकीक और एक याकूत था। 13 चौथी पंक्ति में एक लहसुनिया, एक गोमेदक मणि, और एक कपिश मणि थी। ये सभी रत्न सोने में जड़े थे। 14 इन बारह रत्नों पर इस्राएल के पुत्रों के नाम उसी प्रकार लिखे गये थे जिस प्रराक एक कारीगर मुहर पर खोदता है। हर एक रत्न पर इस्राएल के बारह पुत्रों में से एक—एक का नाम था।

15 सीनाबन्द के लिए शुद्ध सोने की एक जंजीर बनाई गई। ये रस्सी की तरह बटी थी। 16 कारीगरों ने सोने की दो पट्टियाँ और दो सोने के छल्ले बनाए। उन्होंने दोनों छल्लों को सीनाबन्द के ऊपरी कोनों पर लगाया। 17 तब उन्होंने दोनों सोने की जंजीरों को दोनों छल्लों में बाँधा। 18 उन्होंने सोने की जंजीरों के दूसरी सिरों को दोनों पट्टियों से बाँधा। तब उन्होंने एपोद के दोनों कंधों से सामने की ओर उन्हें फँसाया। 19 तब उन्होंने दो और सोने के छल्ले बनाए और सीनाबन्द के निचले कोनों पर उन्हें लगाया। उन्होंने छल्लों को चोगे के समीप अन्दर लगाया। 20 उन्होंने सामने की ओर कंधे की पट्टी के तले में सोने के दो छल्ले लगाए। ये छल्ले बटनों के समीप ठीक पटुके के ऊपर थे। 21 तब उन्होंने एक नीली पट्टी का उपयोग किया और सीनाबन्द के छल्लों को एपोद छल्लों से बाँधा। इस प्रकार सीनाबन्द पेटी के समीप लगा रहा। यह गिर नहीं सकता था। उन्होंने यह सब चीज़ें यहोवा के आदेश के अनुसार कीं।

याजक के अन्य वस्त्र

22 तब उन्होंने एपोद के नीचे का चोगा बनाया। उन्होंने इसे नीले कपड़े से बनाया। यह एक निपुण व्यक्ति का काम था। 23 चोग़े के बीचोंबीच एक छेद था। इस छेद के चारों ओर कपड़े की गोट लगी थी। यह गोट छेद को फटने से बचाती थी। 24 तब उन्होंने सन के उत्तम रेशों, नीले, लाल और बैंगनी कपड़े से फुँदने बनाए जो अनार के आकार के नीचे लटके थे। उन्होंने इन अनारों को चोग़े के नीचे के सिरे पर चारों ओर बाँधा। 25 तब उन्होंने शुद्ध सोने की घंटियाँ बनाईं। उन्होंने अनारों के बीच में चोगे के नीचे के सिरे के चारों ओर इन्हें बाँधा। 26 लबादे के नीचे के सिरे के चारों ओर अनार और घंटियाँ थीं। हर एक अनारों के मध्य घंटी थी। याजक उस चोगे को तब पहनता था जब वह यहोवा की सेवा करता था, जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था।

27 कारीगरों ने हारून और उसके पुत्रों के लिये लबादे बनाए। ये लबादे सन के उत्तम रेशों के थे। 28 और कारीगरों ने सन के उत्तम रेशों के साफ़े बनाए। उन्होंने सिर की पगड़ियाँ और अधोवस्त्र भी बनाए। उन्होंने इन चीज़ों को सन के उत्तम रेशों का बनाया। 29 तब उन्होंने पटुके को सन के उत्तम रेशों, नीले, बैंगनी और लाल कपड़े से बनाया। कपड़े में काढ़ने काढ़े गये। ये चीज़ें वैसी ही बनाई गईं जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था।

30 तब उन्होंने सिर पर बाँधने के लिये सोने का पतरा बनाया। उन्होंने सोने पर ये शब्द लिखे: यहोवा के लिए पवित्र। 31 तब उन्होंने पतरे से एक नीली पट्टी बाँधी और उसे पगड़ी पर इस प्रकार बाँधा जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था।

मूसा द्वारा पवित्र तम्बू का निरीक्षण

32 इस प्रकार मिलापवाले तम्बू का सारा काम पूरा हो गया। इस्राएल के लोगों ने हर चीज़ ठीक वैसी ही बनाई जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था। 33 तब उन्होंने मिलापवाला तम्बू मूसा को दिखाया। उन्होंने उसे तम्बू और उसमें की सभी चीज़ें दिखाईं। उन्होंने उसे छल्ले, तख्ते, छड़ें खम्भे तथा आधार दिखाए। 34 उन्होंने उसे तम्बू का आच्छादन दिखाया जो लाल रंगी हुई भेड़ की खाल का बना था और उन्होंने वह आच्छादन दिखाया जो सुइसों के चमड़े का बना था और उन्होंने वह कनात दिखाई जो प्रवेश द्वार से सब से अधिक पवित्र स्थान को ढकती थी।

35 उन्होंने मूसा को साक्षीपत्र का सन्दूक दिखाया। उन्होंने सन्दूक को ले जाने वाली बल्लियाँ तथा सन्दूक को ढकने वाले ढक्कन को दिखाया। 36 उन्होंने विशेष रोटी की मेज़ तथा उस पर रहने वाली सभी चीज़ें और साथ में विशेष रोटी मूसा को दिखायी। 37 उन्होंने मूसा को शुद्ध सोने का दीपाधार और उस पर रखे हुए दीपकों को दिखाया। उन्होंने तेल और अन्य सभी चीज़ें मूसा को दिखाईं, जिनका उपयोग दीपकों के साथ होता था। 38 उन्होंने उसे सोने की वेदी, अभिषेक का तेल, सुगन्धित धूप और तम्बू के प्रवेश द्वार को ढकने वाली कनात को दिखाया। 39 उन्होंने काँसे की वेदी और काँसे की जाली को दिखाया। उन्होंने वेदी को ले जाने के लिये बनी बल्लियों को भी मूसा को दिखाया। और उन्होंने उन सभी चीज़ों को दिखाया जो वेदी पर काम मे आती थीं। उन्होंने चिलमची और उसके नीचे का आधार दिखाया।

40 उन्होंने आँगन के चारों ओर की कनातों को, खम्भों और आधारों के साथ मूसा को दिखाया। उन्होंने उसको उस कनात को दिखाया जो आँगन के प्रवेशद्वार को ढके थी। उन्होंने उसे रस्सियाँ और काँसे की तम्बू वाली खूँटियाँ दिखाईं। उन्होंने मिलापवाले तम्बू में उसे सभी चीज़ें दिखाईं।

41 तब उन्होंने मूसा को पवित्र स्थान में सेवा करने वाले याजकों के लिये बने वस्त्रों को दिखाया। वे उन वस्त्रों को तब पहनते थे जब वे याजक के रूप में सेवा करते थे।

42 यहोवा ने मूसा को जैसा आदेश दिया था इस्राएल के लोगों ने ठीक सभी काम उसी तरह किये। 43 मूसा ने सभी कामों को ध्यान से देखा। मूसा ने देखा कि सब काम ठीक उसी प्रकार हुआ जैसा यहोवा ने आदेश दिया था। इसलिए मूसा ने उनको आशीर्वाद दिया।

मूसा द्वारा पवित्र तम्बू की स्थापना

40तब यहोवा ने मूसा से कहा, 2 “पहले महीने के पहले दिन पवित्र तम्बू जो मिलाप वाला तम्बू है खड़ा करो। 3 साक्षीपत्र के सन्दूक को मिलापवाले तम्बू में रखो। सन्दूक को पर्दे से ढक दो। 4 तब विशेष रोटी की मेज को अन्दर लाओ। जो सामान मेज पर होने चाहिए उन्हें उस पर रखो। तब दीपाधार को तम्बू में रखो। दीपाधार पर दीपकों को ठीक स्थानों पर रखो। 5 सोने की वेदी को, धूप की भेंट के लिये तम्बू में रखो। वेदी को साक्षीपत्र के सन्दूक के सामने रखो। तब कनात को पवित्र तम्बू के प्रवेश द्वार पर लगाओ।

6 “होमबलि की वेदी को मिलापवाले तम्बू की पवित्र तम्बू के प्रवेशद्वार पर रखो। 7 चिलमची को वेदी और मिलापवाले तम्बू के बीच मे रखो। चिलमची में पानी भरो। 8 आँगन के चारों ओर कनाते लगाओ। तब आँगन के प्रवेशद्वार पर कनात लगाओ।

9 “अभिषेक के तेल को डालकर पवित्र तम्बू और इसमें की हर एक चीज़ का अभिषेक करो। जब तुम इन चीज़ों पर तेल डालोगे तो तुम इन्हें पवित्र बनाओगे। 10 होमबलि की वेदी का अभिषेक करो। वेदी की हर एक चीज़ का अभिषेक करो। तुम वेदी को पवित्र करोगे। यह अत्यधिक पवित्र होगी। 11 तब चिलमची और उसके नीचे के आधार का अभिषेक करो। ऐसा उन चीज़ों के पवित्र करने के लिये करो।

12 “हारून और उसके पुत्रों को मिलापवाले तम्बू के प्रवेशद्वार पर लाओ। उन्हें पानी से नहलाओ। 13 तब हारून को विशेष वस्त्र पहनाओ। तेल से उसका अभिषेक करो और उसे पवित्र करो। तब वह याजक के रूप में मेरी सेवा कर सकता है। 14 तब उसके पुत्रों को वस्त्र पहनाओ। 15 पुत्रों का अभिषेक वैसे ही करो जैसे उनके पिता का अभिषेक किया। तब वे भी मेरी सेवा याजक के रूप में कर सकते हैं। जब तुम अभिषेक करोगे, वे याजक हो जाएंगे। वह परिवार भविष्य में भी सदा के लिये याजक बना रहेगा।” 16 मूसा ने यहोवा की आज्ञा मानी। उसने वह सब किया जिसका यहोवा ने आदेश दिया था।

17 इस प्रकार ठीक समय पर पवित्र तम्बू खड़ा किया गया। यह मिस्र छोड़ने के बाद के दूसरे वर्ष में पहले महीने का पहला दिन था। 18 मूसा ने पवित्र तम्बू को यहोवा के कथानानुसार खड़ा किया। पहले उसने आधारों को रखा। तब उसने आधारों पर तख़्तों को रखा। फिर उसने बल्लियाँ लगाईं और खम्भों को खड़ा किया। 19 उसके बाद मूसा ने पवित्र तम्बू के ऊपर आच्छादन रखा। इसके बाद उसने तम्बू के आच्छादन पर दूसरा आच्छादन रखा। उसने यह यहोवा के आदेश के अनुसार किया।

20 मूसा ने साक्षीपत्र के उन पत्थरों को जिन पर यहोवा के आदेश लिखे थे, सन्दूक में रखा। मूसा ने बल्लियों को सन्दूक के छल्लों में लगाया। तब उसने ढक्कन को सन्दूक के ऊपर रखा। 21 तब मूसा सन्दूक को पवित्र तम्बू के भीतर लाया। और उसने पर्दे को ठीक स्थान पर लटकाया। उसने पवित्र तम्बू में साक्षीपत्र के सन्दूक को ढक दिया। मूसा ने ये चीज़ें यहोवा के आदेश के अनुसार कीं। 22 तब मूसा ने विशेष रोटी की मेज को मिलापवाले तम्बू में रखा। उसने इसे पवित्र तम्बू के उत्तर की ओर रखा। उसने इसे पर्दे के सामने रखा। 23 तब उसने यहोवा के सामने मेज पर रोटी रखी। उसने यह यहोवा ने जैसा आदेश दिया था, वैसा ही किया। 24 तब मूसा ने दीपाधार को मिलापवाले तम्बू में रखा। उसने दीपाधार को पवित्र तम्बू के दक्षिण ओर मेज के पार रखा। 25 तब यहोवा के सामने मूसा ने दीपाधार पर दीपक रखे। उसने यह यहोवा के आदेश के अनुसार किया।

26 तब मूसा ने सोने की वेदी को मिलापवाले तम्बू में रखा। उसने सोने की वेदी को पर्दे के सामने रखा। 27 तब उसने सोने की वेदी पर सुगन्धित धूप जलाई। उसने यह यहोवा के आदेशानुसार किया। 28 तब मूसा ने पवित्र तम्बू के प्रवेश द्वार पर कनात लगाई।

29 मूसा ने होमबलि वाली वेदी को, मिलापवाले तम्बू के प्रवेशद्वार पर रखा। तब मूसा ने एक होमबलि उस वेदी पर चढ़ाई। उसने अन्नबलि भी यहोवा को चढ़ाई। उसने ये चीज़ें यहोवा के आदेशानुसार कीं।

30 तब मूसा ने मिलापवाले तम्बू और वेदी के बीच चिलमची को रखा। और उसमे धोने के लिये पानी भरा। 31 मूसा, हारून और हारून के पुत्रों ने अपने हाथ और पैर धोने के लिए इस चिलमची का उपयोग किया। 32 वे हर बार जब मिलापवाले तम्बू में जाते तो अपने हाथ और पैर धोते थे। जब वे वेदी के निकट जाते थे तब भी वे हाथ और पैर धोते थे। वे इसे वैसे ही करते थे जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था।

33 तब मूसा ने पवित्र तम्बू के आँगन के चारों ओर कनातें खड़ी कीं। मूसा ने वेदी को आँगन में रखा। तब उसने आँगन के प्रवेश द्वार पर कनात लगाई। इस प्रकार मूसा ने वे सभी काम पूरे कर लिए जिन्हें करने का आदेश यहोवा ने दिया था।

यहोवा की महिमा

34 जब सभी चीज़ें पूरी हो गईं, बादल ने मिलापवाले तम्बू को ढक लिया। और यहोवा के तेज़ से पवित्र तम्बू भर गया। 35 बादल मिलापवाले तम्बू पर उतर आया। और यहोवा के तेज ने पवित्र तम्बू को भर दिया। इसलिए मूसा मिलापवाले तम्बू में नहीं घुस सका।

36 इस बादल ने लोगों को संकेत दिया कि उन्हें कब चलना है। जब बादल तम्बू से उठता तो इस्राएल के लोग चलना आरम्भ कर देते थे। 37 किन्तु जब बादल तम्बू पर ठहर जाता तो लोग चलने की कोशिश नहीं करते थे। वे उसी स्थान पर ठहरे रहते थे, जब तक बादल तम्बू से नहीं उठता था। 38 इसलिए दिन में यहोवा का बादल तम्बू पर रहता था, और रात को बादल में आग होती थी। इसलिए इस्राएल के सबी लोग यात्रा करते समय बादल को देख सकते थे।

समीक्षा

महिमा की अनंतता का इंतजार

दाऊद ने परमेश्वर के महिमा की एक झलक को देखा जब वह मंदिर में गए थे। चेलों ने परमेश्वर की महिमा की एक झलक को देखा जब यीशु उनके सामने परिवर्तित हुए थे। जब आप परमेश्वर के लोगों के साथ इकट्ठा होते हैं, तब आपने परमेश्वर की महिमा की एक झलक को देखना चाहिए।

जब वे मंदिर का निर्माण कर चुके (निवासस्थान, एम.एस.जी.) तब सभा के तंबू पर बादल छा गया और 'परमेश्वर की महिमा ने निवासस्थान को भर दिया' (40:34, एम.एस.जी.)। मूसा सभा के तंबू में प्रवेश नहीं कर सके क्योंकि बादल इसपर स्थायी हो चुका था और 'परमेश्वर की महिमा ने निवासस्थान को भर दिया था' (पद - 35 एम.एस.जी.)।

उस समय परमेश्वर की महिमा दृश्य रूप से शक्तिशाली थी। असल में वे इसे मंदिर पर 'उतरते' हुए देख सकते थे। उतरने के लिए इब्रानी शब्द (शेकिनाह) का इस्तेमाल आज परमेश्वर की उपस्थिति और महिमा के शक्तिशाली और दिखाई देनेवाले बोध का वर्णन करने के लिए किया जाता है।

मंदिर के ऊपर का बादल, जो कि परमेश्वर की महिमा को दर्शाता था, यात्रा में परमेश्वर के लोगों के साथ - साथ चलता था और दिन-रात उनकी अगुवाई करता था (पद - 36-38) जैसा कि परमेश्वर का पवित्र आत्मा अब आपकी अगुवाई करता है। परिवर्तन की कहानी में बादल के लिए यह पुराने नियम की व्याख्या है। उस समय पतरस, याकूब और यूहन्ना ने जो अनुभव किया, वह परमेश्वर की महिमा की एक झलक थी (मरकुस 9:7)।

'उस सुसमाचार के द्वारा जो मसीह की महिमा को दर्शाती है' (2कुरिंथियों 4:4) आप परमेश्वर की महिमा की एक झलक को पा सकते हैं। इसलिये कि वो परमेश्वर ही हैं, जिसने कहा, 'अंधकार में से ज्योति चमके,' और वही हमारे हृदयों में चमकी, ताकि परमेश्वर की महिमा को दर्शानेवाली ज्योति यीशु मसीह के चेहरे से प्रकाशमान हो (पद - 6)।

यह केवल एक झलक है और एक दिन आप इसकी वास्तविकता को देखेंगे। पौलुस प्रेरित कहते हैं कि यही कारण है कि आपको डरना नहीं चाहिए यहाँ तक कि जब आप कठिन समयों से गुज़रते हैं 'क्योंकि हमारा पलभर का हल्का सा क्लेश हमारे लिये बहुत ही महत्त्वपूर्ण और अनंत महिमा को उत्पन्न करता जाता है' (पद - 17)।

प्रार्थना

परमेश्वर, आपका धन्यवाद कि आप हमारे लिए उस समय की तैयारी कर रहे हैं जब आप अपनी पूरी महिमा को हमपर प्रगट करेंगे। मेरी सहायता कीजिए इस जीवन के संघर्षों को 'इन सबसे कही बड़ी एक अनंत महिमा' के दृष्टिकोण से देखने में।

पिप्पा भी कहते है

भजन संहिता 26:1-12

यह भजन दाऊद के लिए है। मुझे पसंद है कि 1ला वचन कहता है, 'मैंने एक निर्दोष जीवन जीया है; मेरा भरोसा परमेश्वर पर अटल है।' काश! मैं भी ऐसा कह पाती, लेकिन मैं जानती हूँ कि मेरा जीवन निर्दोष होने से बहुत दूर है और बहुत सी डगमगाहटें रास्तें में आयी हैं। परेशानी यह है कि हम जानते हैं कि दाऊद का जीवन निर्दोष नहीं था। या तो वह बहुत अच्छा कर रहे थे और तब उन्होंने अपने आपको एक परेशानी में पाया, या वह उतना अच्छा नहीं कर रहे थे जितना की उन्होंने सोचा था। 11वीं आयत में उन्होंने कहा, 'मुझपर दया करें।' दाऊद जानते थे कि उन्हें परमेश्वर के दया की आवश्यकता है, और मुझे भी इसकी आवश्यकता है।

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संदर्भ

नोट्स:

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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