अपने भविष्य के बारे में विश्वस्त रहें
परिचय
आपके लिए भविष्य में क्या रखा है?
भविष्यवक्ता पूर्वानुमान लगाते हैं कि भविष्य में क्या होगा। उदाहरण के लिए, ऐसा पूर्वानुमान लगाया गया है कि कुछ बच्चे जो आज जन्मेंगे वे 150 साल तक जीएंगे। उनकी कुछ भविष्यवाणियाँ सही हो सकती हैं। और कुछ नहीं।
सन 1962 में, डेका रिकॉर्डिंग कंपनी ने कुछ बीटेल्स (रॉक गाने) अस्वीकृत किये थे। उन्होंने कहा, 'हमें उनकी आवाज अच्छी नहीं लगी, और गिटार संगीत थोड़ा हटके है।'
सन 1977 में केन ऑल्सन, डिजिटल कंपनी के अध्यक्ष, ने कहा, 'कोई अपने घर में एक कम्प्यूटर चाहता है इसका कोई कारण नहीं है।'
भविष्य के बारे में कुछ निश्चित बातें हैं जिसे हम नहीं जानते और जिसे जानना हमारे लिए ज़रूरी भी नहीं है। फिर भी, कुछ ऐसी बातें हैं जिन्हें हम भविष्य के बारे में जानते हैं और यह अब हमारे जीवन में बहुत बदलाव लाता है। आज के लेखांश में हम तीन कारणों को देखते हैं, यदि आप अपना भरोसा प्रभु पर रखें, तो आप भविष्य के बारे में निश्चिंत हो सकते हैं।
भजन संहिता 33:1-11
33हे सज्जन लोगों, यहोवा में आनन्द मनाओ!
सज्जनो सत पुरुषों, उसकी स्तुति करो!
2 वीणा बजाओ और उसकी स्तुति करो!
यहोवा के लिए दस तार वाले सांरगी बजाओ।
3 अब उसके लिये नया गीत गाओ।
खुशी की धुन सुन्दरता से बजाओ!
4 परमेश्वर का वचन सत्य है।
जो भी वह करता है उसका तुम भरोसा कर सकते हो।
5 नेकी और निष्पक्षता परमेश्वर को भाती है।
यहोवा ने अपने निज करुणा से इस धरती को भर दिया है।
6 यहोवा ने आदेश दिया और सृष्टि तुरंत अस्तित्व में आई।
परमेश्वर के श्वास ने धरती पर हर वस्तु रची।
7 परमेश्वर ने सागर में एक ही स्थान पर जल समेटा।
वह सागर को अपने स्थान पर रखता है।
8 धरती के हर मनुष्य को यहोवा का आदर करना और डरना चाहिए।
इस विश्व में जो भी मनुष्य बसे हैं, उनको चाहिए कि वे उससे डरें।
9 क्योंकि परमेश्वर को केवल बात भर कहनी है, और वह बात तुरंत घट जाती है।
यदि वह किसी को रुकने का आदेश दे, तो वह तुरंत थम दाती है।
10 परमेश्वर चाहे तो सभी सुझाव व्यर्थ करे।
वह किसी भी जन के सब कुचक्रों को व्यर्थ कर सकता है।
11 किन्तु यहोवा के उपदेश सदा ही खरे होते है।
उसकी योजनाएँ पीढी पर पीढी खरी होती हैं।
समीक्षा
प्रभु की योजना
'यहोवा की युक्ति सर्वदा स्थिर रहेगी' (पद - 11)। परमेश्वर के पास योजनाएं हैं। आपके जीवन के लिए परमेश्वर के पास योजनाएं हैं। 'जो कल्पनाएं मैं तुम्हारे विषय में करता हूँ उन्हें मैं जानता हूँ, वे हानि की नहीं, वरन कुशल ही की हैं, और अन्त में तुम्हारी आशा पूरी करूंगा' (यिर्मयाह 29:11)।
भजन के लेखक का भविष्य के बारे में विश्वास अपने अतीत को देखकर आता है। परमेश्वर ने 'प्रभु के वचन के द्वारा' जो किया है यह उसे प्रतिबिंबित करता है (भजन संहिता 22:6अ)।
जब हम इस भजन को नये नियम की दृष्टि से पढ़ते हैं, तो हम देखते हैं कि यीशु ही (परमेश्वर के वचन) थे जिससे पूरी दुनिया बनी है (पद - 6-9)। सभी 'सच्चाई और सत्य ' का वही स्रोत हैं (पद - 4अ)। वह विश्वासयोग्य हैं (पद - 4ब)। वह धर्म और न्याय से प्रीति रखते हैं; उनकी करूणा से सारी पृथ्वी भरपूर है (पद - 5)।
यह इस पर आधारित है कि भजन लिखने वाले को विश्वास है कि 'परमेश्वर की युक्ति सर्वदा स्थिर रहेगी, उसके मन की कल्पनाएं पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहेंगी' (पद - 11)। सरकार और लोग योजनाएं बनाते हैं। ये असफल हो सकती हैं (पद - 10)। मगर आप इस बात पर भरोसा कर सकते हैं कि आपके लिए और आपके जीवन के लिए परमेश्वर की योजनाएं भली हैं।
इन सभी आराधनालय के लिए उचित प्रतिक्रिया होगी – जयजयकार करते हुए प्रभु के गीत गाना, नये गीत लिखना, संगीत कौशल का उपयोग करना और बल्कि बहुत सी आवाजें करना! ('आनंद से चिल्लाना', पद - 3ब)।
प्रार्थना
प्रभु, आज मैं आपकी स्तुति करता हूँ और आपको धन्यवाद करता हूँ मेरे प्रति आपके प्रेम और विश्वासयोग्यता के लिए। आपको धन्यवाद कि मेरे लिए आपकी अच्छी योजनाएं हैं। आपको धन्यवाद कि मेरे जीवन का अतीत और भविष्य आपके संपूर्ण नियंत्रण में है।
मरकुस 16:1-20
यीशु का फिर से जी उठना
16सब्त का दिन बीत जाने पर मरियम मगदलीनी, सलौमी और याकूब की माँ मरियम ने यीशु के शव का अभिषेक कर पाने के लिये सुगन्ध-सामग्री मोल ली। 2 सप्ताह के पहले दिन बड़ी सुबह सूरज निकलते ही वे कब्र पर गयीं। 3 वे आपस में कह रही थीं, “हमारे लिये कब्र के द्वार पर से पत्थर को कौन सरकाएगा?”
4 फिर जब उन्होंने आँख उठाई तो देखा कि वह बहुत बड़ा पत्थर वहाँ से हटा हुआ है। 5 फिर जब वे कब्र के भीतर गयीं तो उन्होंने देखा कि श्वेत वस्त्र पहने हुए एक युवक दाहिनी ओर बैठा है। वे सहम गयीं।
6 फिर युवक ने उनसे कहा, “डरो मत, तुम जिस यीशु नासरी को ढूँढ रही हो, जिसे क्रूस पर चढ़ाया गया था, वह जी उठा है! वह यहाँ नहीं है। इस स्थान को देखो जहाँ उन्होंने उसे रखा था। 7 अब तुम जाओ और उसके शिष्यों तथा पतरस से कहो कि वह तुम से पहले ही गलील जा रहा है जैसा कि उसने तुमसे कहा था, वह तुम्हें नहीं मिलेगा।”
8 तब भय और अचरज मे डूबी वे कब्र से बाहर निकल कर भाग गयीं। उन्होंने किसी को कुछ नहीं बताया क्योंकि वे बहुत घबराई हुई थीं।
कुछ अनुयायियों को यीशु का दर्शन
9 सप्ताह के पहले दिन प्रभात में जी उठने के बाद वह सबसे पहले मरियम मगदलीनी के सामने प्रकट हुआ जिसे उसने सात दुष्टात्माओं से छुटकारा दिलाया था। 10 उसने यीशु के साथियों को, जो शोक में डूबे, विलाप कर रहे थे, जाकर बताया। 11 जब उन्होंने सुना कि यीशु जीवित है और उसने उसे देखा है तो उन्होंने विश्वास नहीं किया।
12 इसके बाद उनमें से दो के सामने जब वे खेतों को जाते हुए मार्ग में थे, वह एक दूसरे रूप में प्रकट हुआ। 13 उन्होंने लौट कर औरों को भी इसकी सूचना दी पर उन्होंने भी उनका विश्वास नहीं किया।
शिष्यों से यीशु की बातचीत
14 बाद में, जब उसके ग्यारहों शिष्य भोजन कर रहे थे, वह उनके सामने प्रकट हुआ और उसने उन्हें उनके अविश्वास और मन की जड़ता के लिए डाँटा फटकारा क्योंकि इन्होंने उनका विश्वास ही नहीं किया था जिन्होंने जी उठने के बाद उसे देखा था।
15 फिर उसने उनसे कहा, “जाओ और सारी दुनिया के लोगों को सुसमाचार का उपदेश दो। 16 जो कोई विश्वास करता है और बपतिस्मा लेता है, उसका उद्धार होगा और जो अविश्वासी है, वह दोषी ठहराया जायेगा। 17 जो मुझमें विश्वास करेंगे, उनमें ये चिह्न होंगे: वे मेरे नाम पर दुष्टात्माओं को बाहर निकाल सकेंगे, वे नयी-नयी भाषा बोलेंगे, 18 वे अपने हाथों से साँप पकड़ लेंगे और वे यदि विष भी पी जायें तो उनको हानि नहीं होगी, वे रोगियों पर अपने हाथ रखेंगे और वे चंगे हो जायेंगे।”
यीशु की स्वर्ग को वापसी
19 इस प्रकार जब प्रभु यीशु उनसे बात कर चुका तो उसे स्वर्ग पर उठा लिया गया। वह परमेश्वर के दाहिने बैठ गया। 20 उसके शिष्यों ने बाहर जा कर सब कहीं उपदेश दिया, उनके साथ प्रभु काम कर रहा था। प्रभु ने वचन को आश्चर्यकर्म की शक्ति से युक्त करके सत्य सिद्ध किया।
समीक्षा
पुनरूत्थान की सामर्थ
यीशु का पुनारूत्थान सच में हुआ था। जब स्त्रियाँ कब्र के पास पहुँची थीं, तो उन्होंने देखा कि पत्थर लुढ़का हुआ है क्योंकि वह बहुत ही बड़ा था, जो कि प्रवेश को रोके हुए था। यीशु जी उठे थे। उन्होंने खुद देखा कि कब्र खाली पड़ी थी (पद - 6-8)। यह एक महत्त्वपूर्ण बात है कि यीशु के पुनरूत्थान की पहली गवाह स्त्रीयाँ थीं जिनके बारे में सभी सुसमाचार में लिखा गया है। ज़्यादातर स्त्रियों की गवाही को माना नहीं जाता (लगभग सभी यहूदी न्यायायल में महिलाओं को आने की अनुमति नहीं है)। फिर भी सबसे पहले उनके सामने प्रकट होते हुए, यीशु अपने नये समुदाय में स्त्रियों की भूमिका और उनके महत्त्व की पुष्टि करते हैं।
यह आंखों देखी गवाही की सत्यता भी स्थापित करते हैं। प्राचीन चर्च इस कहानी के महत्त्व को कभी नहीं जान पाए। सच्चाई यह है कि पुनरूत्थान हुआ था, फिर भी पहले कई दिनों तक शिष्यों को इस पर विश्वास नहीं हुआ था और वैसा ही आज भी है। जब यीशु के पुनरूत्थान के बारे में अन्य शिष्यों को बताया गया, तो उन्होंने विश्वास नहीं किया (पद - 11,13) जब तक उन्होंने स्वयं यीशु को जीवित नहीं देख लिया। मगर उन्होंने जब भी यीशु के पुनरूत्थान की गवाही दी, या तो कब्र में या आने वाले अनेक पुनरूत्थान के बाद प्रकट होने पर (पद - 12,14), तो उनका जीवन बदल गया। वे डर से विश्वास की ओर, चेतावनी से कार्यशीलता की ओर, और निराशा से आशा की ओर बढ़े। पुनरूत्थान के परिणाम स्वरूप आप विश्वास से अपने भविष्य का सामना कर सकते हैं:
- अपने अनंत भविष्य के बारे में विश्वास
यह जीवन अंत नहीं है। कब्र के बाद भी जीवन है। जिस प्रकार यीशु मरे हुओं में से जी उठे, उसी प्रकार मसीह में आप भी उनके साथ जी उठेंगे (1 कुरिंथियों 15 देखें)। जैसा कि किम टेलर लिखते हैं, 'सही चीजों को करना इतना मुश्किल क्यों होता है जबकि हम जानते हैं कि इसके बदले आपको धन, लोकप्रियता और शायद जीवन भी देना पड़े? अपनी मृत्यु का या अपने प्रिय जनों की मृत्यु का सामना करना इतना मुश्किल क्यों होता है? यह इसलिए मुश्किल होता है क्योंकि हमें लगता है कि यह टूटा हुआ संसार हमेशा के लिए हमारे साथ रहेगा…… लेकिन यदि यीशु मरे हुओं में से जी उठे हैं, तो आपका भविष्य भी बहुत सुंदर होगा और उससे ज़्यादा निश्चित होगा।'
- अपने जीवन के बारे में विश्वस्त रहें
यीशु जीवित हैं। वह आपके साथ हैं जब आप 'सारे जगत में जाकर सारी सृष्टि के लोगों को सुसमाचार प्रचार करेंगे' (मरकुस 16:16)। शिष्यों की तरह आपको भी बाहर जाकर सारे जगत में सुसमाचार का प्रचार करने के लिए नियुक्त किया गया है। आप निश्चिंत रह सकते हैं कि परमेश्वर की सामर्थ आपके साथ रहेगी। आप अपने प्रचार में सहयोग देने के लिए शक्तिशाली चिन्हों की अपेक्षा कर सकते हैं – जैसे दुष्टात्माओं को भगाना, अन्य भाषाएं बोलना और बीमारों को चंगा करना। ऐसा हुआ भी है (पद - 20) और आज भी हमें इसकी अपेक्षा करनी चाहिये।
उदाहरण के लिए चंगाई, उन लोगों तक सीमित नहीं हैं जिनके पास चंगाई का विशेष वरदान है, लेकिन यह उन सभी लोगों के लिए है 'जो विश्वास करते हैं' (पद - 17)। परमेश्वर ही चंगा करते हैं, लेकिन वह आपको अपनी योजनाओं में शामिल करते हैं: 'प्रभु उन के साथ काम करता रहा, और उन चिन्हों के द्वारा जो साथ साथ होते थे वचन को, दृढ़ करता रहा' (पद - 20)। नये नियम में विभिन्न तरह के उदाहरण हैं, लेकिन वे हमेशा से साधारण रहे हैं। 'यीशु के नाम में' चंगाई मिलती है (पद - 17)। सबसे साधारण उदाहरण है – जब यीशु हाथ रखने के बारे में कहते हैं: 'वे बीमारों पर हाथ रखेंगे, और वे चंगे हो जाएंगे' (पद - 18)। प्रभु आपको यीशु के पुनरूत्थान के लिए धन्यवाद। आपको धन्यवाद कि मैं भविष्य का सामना आशा और विश्वास से कर सकता हूँ, क्योंकि आप जीवित हैं और आप मेरे साथ हैं।
प्रार्थना
प्रभु आपको यीशु के पुनरूत्थान के लिए धन्यवाद। आपको धन्यवाद कि मैं भविष्य का सामना आशा और विश्वास से कर सकता हूँ, क्योंकि आप जीवित हैं और आप मेरे साथ हैं।
लैव्यव्यवस्था 25:1-26:13
भूमि के लिए आराम का समय
25यहोवा ने मूसा से सीनै पर्वत पर कहा। यहोवा ने कहा, 2 “इस्राएल के लोगों से कहो, तुम लोग उस भूमि पर जाओगे जिसे मैं तुमको दे रहा हूँ। उस समय तुम्हें भूमि को आराम का विशेश समय देना चाहिए। यह यहोवा को सम्मान देने के लिए धरती के आराम का विशेष समय होगा। 3 तुम छ: वर्ष तक अपने खेतों में बीज बोओगे। तुम अपने अंगूर के बागों में छः वर्ष तक कटाई करोगे और उसके फल लाओगे। 4 किन्तु सातवें वर्ष तुम उस भूमि को आराम करने दोगे। यह यहोवा को सम्मान देने के लिए आराम का विशेष समय होगा। तुम्हें अपने खेतों में बीज नहीं बोना चाहिए और अँगूर के बागों में बेलों की कटाई नहीं करनी चाहिए। 5 तुम्हें उन फ़सलों की कटाई नहीं करनी चाहिए जो फ़सल काटने के बाद अपने आप उगती है। तुम्हें अपनी उन अँगूर की बेलों से अँगूर नहीं उतारने चाहिए जिनकी तुमने कटाई नहीं की है। यह भूमि के विश्राम का वर्ष होगा।
6 “यह भूमि के विश्राम का वर्ष होगा, किन्तु तुम्हारे पास फिर भी पर्याप्त भोजन रहेगा। तुम्हारे पुरुष व स्त्री दासों के लिए पर्याप्त भोजन रहेगा। मज़दूरी पर रखे गए तुम्हारे मजदूर और तुम्हारे देश में रहने वाले विदेशियों के लिए भोजन रहेगा। 7 तुम्हारे मवेशियों और अन्य जानवरों के खाने के लिए पर्याप्त चारा होगा।
जुबली मुक्ति वर्ष
8 “तुम सात वर्षों के सात समूहों को गिनोगे। ये उन्नचास वर्ष होंगें। इस समय के भीतर भूमि के लिए सात वर्ष आराम के होंगे। 9 प्रायश्चित के दिन तुम्हें मेढ़े का सींग बजाना चाहिए। वह सातवें महीने के दसवें दिन होगा। तुम्हें पूरे देश मे मेढ़े का सींगा बजाना चाहिए। 10 तुम पचासवें वर्ष को विशेष वर्ष मनाओगे। तुम अपने देश में रहने वाले सभी लोगों की स्वतन्त्रता घोषित करोगे। इस समय को “जुबली मुक्तिवर्ष” कहा जाएगा। तुममें से हर एक को उसकी धरती लौटा दी जाएगी। और तुममें से हर एक अपने परिवार में लौट जाएगा। 11 पचासवाँ वर्ष तुम्हारे लिए विशेष उत्सव का वर्ष होगा। उस वर्ष तुम बीज मत बोओ। अपने आप उगी फसल न काटो। अँगूर की उन बेलों से अँगूर मत लो। 12 वह जुबली वर्ष है। यह तुम्हारे लिए पवित्र समय होगा। तुम उस पैदावार को खाओगे जो तुम्हारे खेतों से आती है। 13 जुबली वर्ष में हर एक व्यक्ति को उसकी धरती वापस हो जाएगी।
14 “किसी व्यक्ति को अपनी भूमि बेचने में मत ठगो और जब तुम उससे भूमि खरीदो तब उसे अपने को मत ठगने दो। 15 यदि तुम किसी की भूमि खरीदना चाहते हो तो पिछले जुबली से काल गणना करो और उस गणना का उपयोग धरती का ठीक मूल्य तय करने के लिए करो। यदि तुम भूमि को बेचो, तो फसलों के काटने के वर्षों को गिनो और वर्षों की उस गणना का का उयोग ठीक मूल्य तय करने के लिए करो। 16 यदि अधिक वर्ष हैं तो मूल्य ऊँचा होगा। यदि वर्ष थोड़े हैं तो मूल्य कम करो। क्यों? क्योंकि वह व्यक्ति तुमको सचमुच कुछ वर्षों की कुछ फसलें ही बेच रहा है। अगली जुबली पर भूमि उसके परिवारों की हो जाएगी। 17 तुम्हें एक दूसरे को ठगना नहीं चाहिए। तुम्हें अपने परमेश्वर का सम्मान करना चाहिए। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ!
18 “मेरे नियमों और निर्णयों को याद रखो। उनका पालन करो। तब तुम अपने देश में सुरक्षित रहोगा। 19 भूमि तुम्हारे लिए उत्तम फ़सल पैदा करेगी। तब तुम्हारे पास बहुत अधिक भोजन होगा और तुम अपने प्रदेश में सुरक्षित रहोगे।
20 “किन्तु कदाचित तुम यह कहो, ‘यदि हम बीज न बोएं या अपनी फ़सलें न इकट्ठी करें तो सातवें वर्ष हम लोगों के लिए खाने को कुछ भी नहीं रहेगा।’ 21 चिन्ता मत करो। मैं छठे वर्ष में अपनी आशीष को तुम्हारे पास आने का आदेश दूँगा। भूमि तीन वर्ष तक फ़सल पैदा करती रहेगी। 22 जब आठवें वर्ष तुम बोओगे तब तक फसल पैदा करती रहेगी। तुम पुरानी पैदावार को नवें वर्ष तक खाते रहोगे जब आठवें वर्ष बोयी हुई फ़सल घरों में आ जाएगी।
आवासीय भूमि के नियम
23 “भूमि वस्तुत: मेरी है। इसलइए तुम इसे स्थायी रूप में नहीं बेच सकते। तुम मेरे साथ मेरी भूमि पर केवल विदेशी और यात्री के रूप में रह रहे हो। 24 कोई व्यक्ति अपनी भूमि बेच सकता है, किन्तु उसका परिवार सदैव अपनी भूमि वापस पाएगा। 25 कोई व्यक्ति तुम्हारे देश में बहुत गरीब हो सक्ता है। वह इतना गरीब हो सकता कि उसे अपनी सम्पत्ति बेचनी पड़े। ऐसी हालत में उसके नजदीकी रिश्तेदारों को आगे आना चाहिए और अपने रिश्तेदार के लिए वह सम्पत्ति वापस खरीदनी चाहिए। 26 किसी व्यक्ति का कोई ऐसा नजदीकी रिश्तेदार नहीं भी हो सकता है जो उसके लिए सम्पत्ति वापस खरीदे। किन्तु हो सक्ता है वह स्वयं भूमि को वापस खरीदने के लिए पर्याप्त धन पा ले। 27 तो उसे जब से भूमि बिकी थी तब से वर्षों को गिनना चाहिए। उसे उस गणना का उपयोग, भूमि का मूल्य निश्चित करने के लिए करना चाहिए। तब उसे भूमि को वापस खरीदना चाहिए। तब भूमि फिर उसकी हो जाएगी। 28 किन्तु यदि वह व्यक्ति अपने लिए भूमि को वापस खरीदने के लिए पर्याप्त धन नहीं जुटा पाता तो जो कुछ उसने बेचा है वह स व्यक्ति के हाथ में जिसने उसे खरीदा है, जुबली पर्व के आने के हाथ में जिसने उसे खरीदा है, जुबली पर्व के आने तक रहेगा। तब उस विशेष उत्सव के समय भूमि प्रथम भूस्वामी के परिवार की हो जाएगी। इस प्रकार सम्पत्ति पुन: मूल अधिकारी परिवार की हो जाएगी।
29 “यदि कोई व्यक्ति नगर परकोटे के भीतर अपना घर बेचता है तो घर के बेचे जाने के बाद एक वर्ष तक उसे वापस लेने का अधिकार होगा। घर को वापस लेने का उसका अधिकार एक वर्ष तक रहेगा। 30 किन्तु यदि घर का स्वामी एक पूरा वर्ष बीतने के पहले अपना घर वापस नहीं खरीदता तो नगर परकोटे भीतरका घर जो व्याक्ति खीदता है उसका और इसके वंशजों का हो जाता है। जुबली के समय प्रधम गृह स्वामी को वापस नहीं होगा। 31 बिना परकोटे वाले नगर खुले मैदान माने जाएंगे। अत: उन छोटे नगरों में बने हुए घर जुबली पर्व के समय प्रथम गृहस्वामि को वापस होंगे।
32 “किन्तु लेवियों के नगर के बारे में: जो नगर लेवियों के अपने हैं, उनमें वे अपने घरों को किसी भी समय वापस खरीद सकते हैं। 33 यदि कोई व्यक्ति लेवी से कोई घर खरीदे तो लेवीयों के नगर का वह घर फिर जुबली पर्व के समय लेवियों का हो जाएगा। क्यों? क्योंकि लेवी नगर के घर लेवी के परिवार समूह के लोगों के हैं। इस्राएल के लोगों ने उन नगरों को लेवी लोगों को दिया। 34 लेवी नगरों के चारों ओर के खेत और चरागाह बेचे नहीं जा सकते। वे खेत सदा के लिए लेवियों के हैं।
दासों के स्वमियों के लिए नियम
35 “सम्भवत: तुम्हारे देश का कोई व्यक्ति इतना अधिक गरीब हो जाए कि अपना भरण पोषण न कर सके। तुम उसे एक अतिथि की तरह जीवित रखोगे। 36 उसे दिए गए अपने कर्ज पर कोई सूद मत लो। अपने परमेश्वर का सम्मान करो और अपने भाई को अपने साथ रहने दो। 37 उसे सूद पर पैसा उधार मत दो। जो भोजन वह करे, उस पर कोई लाभ लेने का प्रयत्न मत करो। 38 मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ। मैं तुम्हें मिस्र देश से कनान प्रदेश देने और तुम्हारा परमेश्वर बनने के लिए बाहर लाया।
39 “सम्भवत: तुम्हारा कोई बन्धु इतना गरीब हो जाय कि वह दास के रूप में तुम्हें अपने को बेचे। तुम्हें उससे दास की तरह काम नहीं लेना चाहिए। 40 वह जुबली वर्ष तक मजदूर और एक अतिथि की तरह तुम्हारे सात रहेगा। 41 तब वह तुम्हें छोड़ सकता है। वह अपने बच्चों को अपने साथ ले जा सकता है और अपने पिरवार में लौट सकता है। वह अपने पूर्वजों की सम्पत्ति को लौट सकता है। 42 क्यों? क्योंकि वे मेरे सेवक हैं। मैंने उन्हें मिस्र की दासता से मुक्त किया। वे फिर दास नहीं होने चाहिए। 43 तुम्हें ऐसे व्यक्ति पर क्रूरता से शासन नहीं करना चाहिए। तुम्हें अपने परमेश्वर का सम्मान करना चाहिए।
44 “तुम्हारे दास दासियों के बारे में: तुम अपने चारों ओर के अन्य राष्ट्रों से दास दासियाँ ले सकते हो। 45 यदि तुम्हारे देश में रहने वले विदेशियों के परिवारों के बच्चे तुम्हारे पास आते हैं तो तुम उन्हें भी दास रख सकते हो। वे बच्चे तुम्हारे दास होंगे। 46 तुम इन विदेशी दासों को अपने बच्चों को भी दे सकते हो जो तुम्हारे मरने के बाद तुम्हारे बच्चों के होंगे। वे सदा के लिए तुम्हारे दास रहेंगे। तुम इन विदेशियों को दास बना सकते हो। किन्तु तुम्हें अपने भाईयों, इस्राएल के लोगों पर क्रूरता से शासन नहीं करना चाहिए।
47 “सम्भव है कि कोई विदेशी यात्री या अतिथि तुम्हारे बीच धनी हो जाय। सम्भव है कि तुम्हारे देश का कोई व्यक्ति इतना गरीब हो जाय कि वह अपने को तुम्हारे बीच रहने वाले किसी विदेशी या विदेशी परिवार के सदस्य को दास के रूप में बेचे। 48 वह व्यक्ति वापस खरीदे जाने और स्वतन्त्र होने का अधिकारी होगा। उसके भाईयों में से कोई भी उसे वास खरीद सकता है 49 अथवा उसके चाचा, मामा व चचेरे, ममेरे भाई उसे वापस खरीद सकते हैं या उसके नजदीकी रिश्तेदारों में से उसे कोई खरीद सकता है अथवा यदि व्यक्ति पर्याप्त धन पाता है तो स्वयं धन देकर वह फिर मुक्त हो सकता है।
50 “तुम उसका मूल्य कैसे निश्चित करोगे? विदेशी के पास जब से उसने अपने को बेचा है तब से अगली जुबली तक के वर्षों को तुम गिनोगे। उस गणना का उपयोग मूल्य निश्चित करने में करो। क्यों? क्योंकि वस्तुत: उस व्यक्ति ने कुछ वर्षों के लिए उसे ‘मजदूरी’ पर रखा। 51 यदि जुबली के वर्ष के पूर्व कई वर्ष हों तो व्यक्ति को मूल्य का बड़ा हिस्सा लौटाना चाहिए। यह उन वर्षों की संख्या पर आधारित है। 52 यदि जुबली के वर्ष तक कुछ ही वर्ष शेष हों तो व्यक्ति को मूल कीमत का थोड़ा सा भाग ही लौटाना चाहिए। 53 किन्तु वह व्यक्ति प्रति वर्ष विदेशी के यहाँ मजदूर की तरह रहेगा, विदेशी को उस व्यक्ति पर क्रूरता से शासन न करने दो।
54 “वह व्यक्ति किसी के द्वारा वापस न खरीदे जाने पर भी मुक्त होगा। जुबली के वर्ष वह तथा उसके बच्चे मुक्त हो जाएंगे। 55 क्यों? क्योंकि इस्राएल के लोग मेरे दास हैं। वे मेरे सेवक हैं। मैंने मिस्र की दासता से उन्हें मुक्त किया। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ!
परमेश्वर की आज्ञा पालन का पुरस्कार
26“अपने लिए मूर्तियाँ मत बनाओ। मूर्तियाँ या यादगार के पत्थर स्थापित मत करो। अपने देश में उपासना करने के लिए पत्थर की मूर्तियाँ स्थापित न करो। क्यों कियोंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ!
2 “मेरे आराम के विशेष दिनों को याद रखो और मेरे पवित्र स्थान का सम्मान करो। मैं यहोवा हूँ!
3 “मेरे नियमों और आदेशों को याद रखो और उनका पालन कोरो। 4 यदि तुम ऐसा करोगे तो मैं जिस समय वर्षा आनी चाहिए, उसी समय वर्षा कराऊँगा। भूमि फ़सलें पैदा करेगी और पेड़ अपने फल देंगे। 5 तुम्हारा अनाज निकालने का काम तब तक चलेगा जब तक अँगूर इकट्ठा करने का समय आएगा और अँगूर का इकट्ठा करना तब तक चलेगा जब तक बोने का समय आएगा। तब तुम्हारे पास खाने के लिए बहुत होगा, और तुम अपने प्रदेश में सुरक्षित रहोगे। 6 मै तुम्हारे देश को शान्ति दूँगा। तुम शान्ति से सो सकोगे। कोई वयक्ति भयभीत करने नहीं आएगा। मैं विनाशकारी जानवरों को तुम्हारे देश से बाहर रखूँगा। और सेनाएँ तुम्हारे देश से नहीं गुजरेंगी।
7 “तुम अपने शत्रुओं को पीछा करके भाओगे और उन्हें हराओगे। तुम उन्हें अपनी तलवार से मार डालोगे। 8 तुम्हारे पाँच व्यक्ति सौ व्यक्तियों को पीछा कर के भगाएंगे और तुम्हारे सौ व्यक्ति हजार व्यक्तियों का पीछा करेंगे। तुम अपने शुत्रओं को हराओगे और उन्हें तलवार से मार डालोगे।
9 “तब मेंम तुम्हारी ओर मुड़ूँगा मैं तुम्हें बहुत से बच्चों वाला बनाऊँगा। मैं तुम्हारे साथ अपनी वाचा का पालन करूँगा। 10 तुम्हारे पास एक वर्ष से अधिक चलने वाली पर्याप्त पैदावार रहेगी। तुम नयी फसल काटोगे। किन्तु तब तुम्हें पुरानी पैदावार नयी पैदावार के लिए जगह बनाने हेतु फेंकनी पड़ेगी। 11 तुम लोगों के बीच मैं अपना पवित्र तम्बू रखूँगा। मैं तुम लोगों से अलग नहीं होऊँगा। 12 मै तुम्हारे साथ चलूँगा 13 और तुम्हारा परमेश्वर रहूँगा। तुम मेरे लोग रहोगे। मै तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ तुम मिस्र में दास थे। किन्तु में तुम्हें मिस्र से बाहर लाया। तुम लोग दास के रूप में भारी बोझ ढोने से झुके हुए थे किन्तु मैंने तुम्हारे कंधों के जुंए को तोड़ फेंका। मैंने तुम्हें पुन: गर्व से चलने वाला बनाया।
समीक्षा
परमेश्वर के वायदे
हालाँकि आप भविष्य का विवरण नहीं जान सकते, फिर भी आप अपने भविष्य के लिए परमेश्वर की आशीष पर भरोसा कर सकते हैं। अध्याय 26 में, परमेश्वर वायदा करते हैं कि यदि आप उनकी आज्ञाओं को मानेंगे तो आप फल (पद - 4), संतोष, सुरक्षा (पद - 5), शांति (पद - 6) कोई डर नहीं (पद - 6), बढ़त (पद - 9), प्रभु की उपस्थिति (पद - 12) और विश्वास से सिर उठाकर चलने (पद - 13) का आनंद उठाएंगे। परमेश्वर कहते हैं, 'यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानकर उनका पालन करो….. तो भर पेट खाया करोगे और सुरक्षित और शांत जगह पर रहोगे – तुम चैन से सोओगे, तुम्हें डराने वाला कोई न होगा ….. तुम बहुगुणित होगे….. मैं तुम्हारे बीच में अपना निवास स्थान बनाए रखूँगा….. मैं तुम्हारा परमेश्वर होऊँगा और तुम मेरी प्रजा बने रहोगे। मैं तुम्हारा परमेश्वर हूँ, तुम्हारा व्यक्तिगत परमेश्वर….. मैं ने तुम्हारे जुए को तोड़ डाला है ताकि तुम आज़ादी से घूमो (पद - 3-13)।
यह आपके भविष्य के लिए परमेश्वर की दीर्घकालीन योजना है। जब आप इस जीवन में परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करेंगे तो परीक्षाओं और संकट का सामना करना पड़ेगा, लेकिन यीशु के द्वारा अब आप इन आशीषों का लाभ उठा सकते हैं। परमेश्वर की आज्ञा मानने के लिए अध्याय 25 में हम कुछ बातों को देखते हैं जिसे हमें करना ज़रूरी है। इनमें से कुछ बातें प्राचीन इस्रायली हैं लेकिन कुछ हमेशा के लिए लागू होती हैं।
पचासवें वर्ष (जुबली वर्ष) के बारे में जॉयस मेयर जो लिखती हैं वह मुझे अच्छा लगा (लैव्यव्यवस्था 25) जिसमें सभी क़र्ज़ माफ कर दिये गए हैं और सभी क़र्ज़दार को माफी और मुक्ति मिल गई: 'मसीह में, हरदिन जुबली वर्ष हो सकता है। निरंतर पश्चाताप करने और यीशु मसीह में विश्वास के द्वारा हमारे पाप क्षमा हो सकते हैं। हम लगातार जुबली वर्ष का आनंद मना सकते हैं। हमारी परेशानी यह है कि या तो हम प्रभु को अपना क़र्ज़ अदा करने की कोशिश कर रहे हैं या हम अब भी दूसरों से अपने क़र्ज़ जमा करने में लगे हैं। जिस तरह से परमेश्वर ने हमारे क़र्ज़ माफ कर दिये हैं, उसी तरह से हम भी दूसरों के क़र्ज़ रद्द कर सकते हैं और उन्होंने हमें जितना देना है उस क़र्ज़ को भी रद्द कर सकते हैं।'
इस अध्याय की कुंजी है, 'एक दूसरे का फायदा मत उठाओ' (पद - 14,17)। ईमानदार होना पर्याप्त नहीं है – हमें दूसरों का ध्यान रखने वाला भी होना चाहिये।
यह दुनिया के नज़रिए से मौलिक रूप से अलग है। जो धन कमाते हैं दुनिया उनकी तारीफ करती है – मगर निर्दयतापूर्वक। वे एक तरह से सफल व्यक्ति हो सकते हैं। लेकिन परमेश्वर उस बात पर ध्यान देते हैं कि हम अपनी अपेक्षा दूसरों के साथ क्या करते हैं और वह खासकर के इस बात पर ज़्यादा ध्यान देते हैं कि हम गरीबों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं (पद - 25,35,39)।
हम केवल प्रबंधक हैं। प्रभु कहते हैं, 'देश मेरा है….. तुम इसमें विदेशी और अजनबी के रूप में रहते हो' (पद - 23)। हमें धन - संपत्ति के बारे में इसी तरह से सोचना चाहिये। ये परमेश्वर के हैं। ये आप पर क़र्ज़ है। परमेश्वर अपनी प्रजा को सिखा रहे थे कि स्थायी संपत्ति जैसी कोई चीज़ नहीं है। तुम्हारे पास जो भी है वह क्षण मात्र के लिए है। ये सभी चीज़ें सिर्फ परमेश्वर की हैं।
प्रार्थना
प्रभु आशीष के सभी वायदों के लिए आपको धन्यवाद। आपको धन्यवाद कि मेरे भविष्य के लिए आपकी दीर्घकालीन योजना है। आपको धन्यवाद कि, एक दिन, मैं यीशु के साथ पूर्ण रूप से और अनंत जीवन के लिए जी उठूँगा।
पिप्पा भी कहते है
मरकुस 15:40-41
इतिहास के इतने महत्वपूर्ण समय में, जब यीशु अंधकार की शक्ति को पराजित कर रहे थे, उनके सभी शिष्य और उनको माननेवाले तितर-बितर हो गए थे. लेकिन क्रूस पर स्त्रीयाँ थीं. कितनी बहादुरी और विश्वासयोग्यता! ऐसी सभ्यता में जहाँ स्त्रीयों को तकरीबन नकारा जाता है, यीशु ने उन्हें सशक्त किया: 'और भी बहुत सी स्त्रियां थीं, जो उसके साथ यरूशलेम में आई थीं' (मरकुस 15:41). आपने एक क्रांति महसूस की!

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संदर्भ
नोट्स:
सी.एस. लेविस, द व्हेट ऑफ ग्लोरी, (न्यू यॉर्क: हार्पर कोलिन्स, 2001; मूल रूप से प्रकाशित 1949) प.158
सी.एस. लेविस, कलेक्टेड लेटर्स ऑफ सी.एस. लेविस, (ज़ोन्डरवन, 2007) प. 1591
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