दिन 71

संपूर्ण क्षमा

बुद्धि भजन संहिता 32:1-11
नए करार मरकुस 15:33-47
जूना करार लैव्यव्यवस्था 23:1-24:23

परिचय

बिशप सॅन्डी मिलर ने हमें एक समय के बारे में बताया जब वह समुद्र के किनारे चल रहे थे और उसने देखा कि उन लोगों के पैरों के नीचे कितनी सारी बालू दब गई है जो उसके पहले आगे गए थे। अगली सुबह पैरों के निशान समुद्र के द्वारा पोंछ दिये गए। उसने महसूस किया कि यीशु उससे कह रहे हैं, 'यह क्षमा की तस्वीर है।'

यीशु से क्षमा यानि हमारे जीवन में बुरी बातों की रिकॉर्डिंग को पूरी तरह से पोछ दिये जाने के समान है।

क्षमा पाना कभी भी आसान नहीं रहा है। हम सब जानते हैं कि दूसरों को क्षमा करना कितना मुश्किल है। मगर, हम अक्सर मान लेते हैं कि परमेश्वर की ओर से क्षमा अपने आप मिलती है। दूसरी तरफ, एम्प्रेस कॅथरीन द ग्रेट रशिया (1729-1796) ने कहा है, 'मैं एक तानाशाह बनूँगी: यह मेरा पेशा है। भले परमेश्वर मुझे क्षमा करेंगे: यह उनका है।'

आज के लेखांश में हम देखते हैं कि परमेश्वर के क्षमा की महान आशीष की कीमत बहुत बड़ी है। जैसा कि पी. टील फोरसिथ ने बताया, पहले हमें, 'अपराध बोध को मायूस करना है।' उसके बाद हम 'क्षमा के श्वासहीन आश्चर्य की' तारीफ कर पाएंगे।

बुद्धि

भजन संहिता 32:1-11

दाऊद का एक गीत।

32धन्य है वह जन जिसके पाप क्षमा हुए।
 धन्य है वह जन जिसके पाप धुल गए।
2 धन्य है वह जन
 जिसे यहोवा दोषी न कहे,
 धन्य है वह जन जो अपने गुप्त पापों को छिपाने का जतन न करे।

3 हे परमेश्वर, मैंने तुझसे बार बार विनती की,
 किन्तु अपने छिपे पाप तुझको नहीं बताए।
 जितनी बार मैंने तेरी विनती की, मैं तो और अधिक दुर्बल होता चला गया।
4 हे परमेश्वर, तूने मेरा जीवन दिन रात कठिन से कठिनतर बना दिया।
 मैं उस धरती सा सूख गया हूँ जो ग्रीष्म ताप से सूख गई है।

5 किन्तु फिर मैंने यहोवा के समक्ष अपने सभी पापों को मानने का निश्चय कर लिया है। हे यहोवा, मैंने तुझे अपने पाप बता दिये।
 मैंने अपना कोई अपराध तुझसे नहीं छुपाया।
 और तूने मुझे मेरे पापों के लिए क्षमा कर दिया!
6 इसलिए, परमेश्वर, तेरे भक्तों को तेरी विनती करनी चाहिए।
 वहाँ तक कि जब विपत्ति जल प्रलय सी उमड़े तब भी तेरे भक्तों को तेरी विनती करनीचाहिए।
7 हे परमेश्वर, तू मेरा रक्षास्थल है।
 तू मुझको मेरी विपत्तियों से उबारता है।
 तू मुझे अपनी ओट में लेकर विपत्तियों से बचाता है।
 सो इसलिए मैं, जैसे तूने रक्षा की है, उन्हीं बातों के गीत गाया करता हूँ।
8 यहोवा कहता है, “मैं तुझे जैसे चलना चाहिए सिखाऊँगा
 और तुझे वह राह दिखाऊँगा।
 मैं तेरी रक्षा करुँगा और मैं तेरा अगुवा बनूँगा।
9 सो तू घोड़े या गधे सा बुद्धिहीन मत बन। उन पशुओं को तो मुखरी और लगाम से चलाया जाता है।
 यदि तू उनको लगाम या रास नहीं लगाएगा, तो वे पशु निकट नहीं आयेंगे।”

10 दुर्जनों को बहुत सी पीड़ाएँ घेरेंगी।
 किन्तु उन लोगों को जिन्हें यहोवा पर भरोसा है, यहोवा का सच्चा प्रेम ढक लेगा।
11 सज्जन तो यहोवा में सदा मगन और आनन्दित रहते हैं।
 अरे ओ लोगों, तुम सब पवित्र मन के साथ आनन्द मनाओ।

समीक्षा

क्षमा पाने की तसल्ली को महसूस करें

क्या कभी आपने उन चीज़ों के लिए दूसरों को क्षमा करना या बल्कि खुद को क्षमा करना कठिन पाया है जो आपने की है? दूसरों को और खुद को क्षमा करने के लिए एक कुंजी है, यह जानना कि परमेश्वर ने आपको कितना क्षमा किया है। क्षमा प्राप्त लोग क्षमा करते हैं।

जैसा कि सी.एस. लेविस ने बताया है, 'मसीही होने का मतलब है अक्षम्य लोगों को क्षमा करना क्योंकि परमेश्वर ने आप में अक्षम्य को क्षमा किया है।' जहाँ तक खुद को क्षमा करने का सवाल है, वह लिखते हैं, 'यदि परमेश्वर हमें क्षमा करते हैं, तो हमें भी खुद को क्षमा करना चाहिये। वरना, यह उनके मुकाबले खुद को एक ऊँचे स्थान पर बिठाने जैसा है।'

यीशु के द्वारा, परमेश्वर ने आपके लिए और मेरे लिए संपूर्ण क्षमा उपलब्ध कराई है। इस भजन में उस महान फर्क को देखते हैं जो परमेश्वर की क्षमा के द्वारा मिलती है।

  1. न्याय के हाथों से मुक्ति
  • दाऊद क्षमा न मिलने की पीड़ा का वर्णन करते हैं: 'जब मैं चुप रहा तब दिन भर कराहते - कराहते मेरी हडि्डयां पिघल गई। क्योंकि रात दिन मैं तेरे हाथ के नीचे दबा रहा; और मेरी तरावट धूप काल की सी झुर्राहट बनती गई' (पद - 3-4)।
  1. परमेश्वर से पारदर्शिता
  • क्षमा प्राप्त करने की जड़ है - प्रभु के पास बिना मुखौटा लगाए या बिना ढोंग़ किये आएं: 'जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, मैं यहोवा के सामने अपने अपराधों को मान लूंगा; तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया' (पद - 5)।
  1. एक नई शुरुवात
  • यह जानना कि आपको क्षमा मिल गई है, दाऊद इसका वर्णन प्रचुर आशीष के रूप में करता है: 'क्या ही धन्य है वह जिसका अपराध क्षमा किया गया, और जिसका पाप ढ़ाँपा गया हो। क्या ही धन्य है वह मनुष्य जिसके अधर्म का यहोवा लेखा न ले, और जिसकी आत्मा में कपट न हो' (पद - 1-2)।

कल्पना कीजिये कि हमारी डायरियों में, सिर्फ हमारी मुलाकात और व्यस्तता के बारे में नहीं, बल्कि हमारे पापों के बारे में भी लिखा गया है। इस भजन के पहले दो वचन हमें उन तीन तस्वीरों के बारे में बताते हैं कि परमेश्वर आपके पापों के साथ क्या करते हैं। सबसे पहले, प्रभु आपके अधर्म का लेखा नहीं लेते। (पद - 2)। वह ऐसा दिखाते हैं जैसे कि यह थे ही नहीं।

दूसरा, ये ढंके हुए हैं (पद - 1)। यह ऐसा है जैसे परमेश्वर अपना स्वर्गीय 'टिप-एक्स' लेकर आपकी डायरी में से पाप की लिखी हुई बातों को मिटा देते हैं" 'आपकी स्लेट पोंछ दी गई है' (पद - 1,एम.एस.जी.)। तीसरा, उन्हें क्षमा किया गया है (पद - 1अ)। सच में इस शब्द का अर्थ है 'मिटा देना' या 'ले लेना' (पद - 1, एम.एस.जी.)।

प्रेरित पौलुस इस भजन का दावा एक सबूत के रूप में करते हैं कि आपके लिए यीशु की मृत्यु के द्वारा, परमेश्वर आपको सत्यनिष्ठा देते हैं विश्वास के द्वारा और यह क्षमा ऐसी नहीं है जिसे आप अपने अच्छे कर्मों से कमा सकते हैं (रोमियों 4:6-8 देखें)। क्रूस के द्वारा, परमेश्वर आपको उनके साथ सही संबंध में फिर से ले आते हैं। इसलिए आप उनसे प्रार्थना कर सकते हैं (भजन सन्हिता 32:6अ)। वह आपके छिपने का स्थान बन जाते हैं (पद - 7अ)। वह आपको संकट से बचाते हैं (पद - 7ब)। वह आपका मार्गदर्शन करते हैं (पद - 8) और उनका अटूट प्रेम आपको घेरे रहता है (पद - 10)।

इसे आपके अच्छे कामों से कमाया नहीं जा सकत्ता। यह उस व्यक्ति को मिलता है जो विश्वास से उन पर भरोसा करते हैं (पद - 10)। पुराने नियम की उचित समझ यह दिखाती है कि क्षमा का मार्ग पश्चाताप करना और विश्वास करना है।

क्षमा, पाप करने का कारण नहीं है – यह पाप न करने का प्रतिफल है। हम परमेश्वर के मार्ग पर बने रहना चाहते हैं। वह हमसे वादा करते हैं कि वह आपका मार्गदर्शन करेंगे: 'मैं तुझे बुद्धि दूंगा, और जिस मार्ग में तुझे चलना होगा उस में तेरी अगुवाई करूंगा; मैं तुझ पर कृपा दृष्टि रखूंगा और सम्मत्ति दिया करूंगा' (पद - 8)।

वह चाहते हैं कि 'तुम घोड़े और खच्चर के समान न बनो जो समझ नहीं रखते, उनकी उमंग लगाम और बाग से रोकनी पड़ती है, नहीं तो वे तेरे वश में नहीं आने के' (पद - 8)। वह चाहते हैं कि आप पवित्र आत्मा का इंकार करने के दर्द से बच जाएं। यदि आप पवित्र आत्मा की आवाज़ सुनें तो आप अनावश्यक दर्द से बच जाएंगे। वह चाहते हैं कि आप उनकी आवाज़ सुनें। उनका निर्देश सुनें, उनके मार्ग पर चलें और उनके प्रेम पर विश्वास करें।

प्रार्थना

प्रभु, आपको धन्यवाद कि, आप क्रूस पर बलिदान हुए ताकि मैं क्षमा के सुकून को जान सकूँ। अपने जीवन में गलतियों के लिए मैं क्षमा चाहता हूँ…. कृपया मुझे क्षमा कीजिये।

नए करार

मरकुस 15:33-47

यीशु की मृत्यु

33 फिर समूची धरती पर दोपहर तक अंधकार छाया रहा। 34 दिन के तीन बजे ऊँचे स्वर में पुकारते हुए यीशु ने कहा, “इलोई, इलोई, लमा शबकतनी।” अर्थात, “मेरे परमेश्वर, मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों भुला दिया?”

35 जो पास में खड़े थे, उनमें से कुछ ने जब यह सुना तो वे बोले, “सुनो! यह एलिय्याह को पुकार रहा है।”

36 तब एक व्यक्ति दौड़ कर सिरके में डुबोया हुआ स्पंज एक छड़ी पर टाँग कर लाया और उसे यीशु को पीने के लिए दिया और कहा, “ठहरो, देखते हैं कि इसे नीचे उतारने के लिए एलिय्याह आता है कि नहीं।”

37 फिर यीशु ने ऊँचे स्वर में पुकारा और प्राण त्याग दिये।

38 तभी मन्दिर का पट ऊपर से नीचे तक फट कर दो टुकड़े हो गया। 39 सेना के एक अधिकारी ने जो यीशु के सामने खड़ा था, उसे पुकारते हुए सुना और देखा कि उसने प्राण कैसे त्यागे। उसने कहा, “यह व्यक्ति वास्तव में परमेश्वर का पुत्र था!”

40 कुछ स्त्रियाँ वहाँ दूर से खड़ी देख रही थीं जिनमें मरियम मग्दलीनी, छोटे याकूब और योसेस की माता मरियम और सलौमी थीं। 41 जब यीशु गलील में था तो ये स्त्रियाँ उसकी अनुयायी थीं और उसकी सेवा करती थी। वहीं और भी बहुत सी स्त्रियाँ थीं जो उसके साथ यरूशलेम तक आयी थीं।

यीशु का दफ़नाया जाना

42 शाम हो चुकी थी और क्योंकि सब्त के पहले का, वह तैयारी का दिन था 43 इसलिये अरिमतिया का यूसुफ़ आया। वह यहूदी महासभा का सम्मानित सदस्य था और परमेश्वर के राज्य के आने की बाट जोहता था। साहस के साथ वह पिलातुस के पास गया और उससे यीशु का शव माँगा।

44 पिलातुस को बड़ा अचरज हुआ कि वह इतनी जल्दी कैसे मर गया। उसने सेना के अधिकारी को बुलाया और उससे पूछा क्या उसको मरे काफी देर हो चुकी है? 45 फिर जब उसने सेनानायक से ब्यौरा सुन लिया तो यूसुफ को शव दे दिया।

46 फिर यूसूफ ने सन के उत्तम रेशमों का बना थोड़ा कपड़ा खरीदा, यीशु को क्रूस पर से नीचे उतारा, उसके शव को उस वस्त्र में लपेटा और उसे एक कब्र में रख दिया जिसे शिला को काट कर बनाया गया था। और फिर कब्र के मुँह पर एक बड़ा सा पत्थर लुढ़का कर टिका दिया। 47 मरियम मगदलीनी और योसेस की माँ मरियम देख रही थीं कि यीशु को कहाँ रखा गया है।

समीक्षा

मेरी क्षमा की कीमत चुकाने के लिए धन्यवाद यीशु

यीशु को धन्यवाद देने के लिए समय निकालिये कि वह आपकी खातिर बलिदान हुए। हमारी क्षमा के लिए यीशु ने बहुत बड़ी कीमत चुकाई है। क्षमा पाना आसान नहीं है, लेकिन यीशु ने यह संभव किया है।

  1. यीशु आपके लिए क्रूस पर मरे
  • कभी - कभी लोग ऐसा कहते हैं कि सच में यीशु क्रूस पर नहीं मरे, बल्कि वह कब्र की ठंडक में फिर से बच गए।
  • मगर, पिलातुस ने जाँचा था कि वह मर चुके थे (पद - 44अ)। जिस सूबेदार ने क्रूस पर चढ़ाए जाने का निरीक्षण किया था उसने पुष्टी की थी कि यीशु मर चुके हैं। रोम के सैनिक क्रूस पर चढ़ाने में निपुण थे। यदि उसने एक जीवित कैदी को जाने दिया होता, तो उस सूबेदार को भी कड़ी सज़ा मिलती।
  • अरिमतिया के यूसुफ ने 'लाश ली और उसे एक कपड़े में लपेटा, और एक कब्र में रख दिया जो एक चट्टान में खोदी गई थी' (पद - 46)। यदि यीशु जीवित होते और सांस ले रहे होते, तो यूसुफ ने इस पर गौर किया होता। उसने जीवित यीशु को दफनाया नहीं होता।
  1. हमारे पापों के कारण 'परमेश्वर ने यीशु को त्याग दिया था'
  • '…. सारे देश में अन्धियारा छा गया' (पद - 33)। ' यीशु ने बड़े शब्द से पुकार कर कहा, इलोई, इलोई, लमा शबक्तनी?' (पद - 34अ)। मरकुस ने यीशु के मूल इब्रानी शब्दों को लिखा है, जिसका अर्थ है, ' हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया? ' (पद - 34ब)। जैसा कि पहले हमने एक साल के बाइबल पठन में देखा है, यह उद्धरण भजन संहिता 22 से है, जिसका अंत महान खुशी में होता है (BiOY Day 46 देखें)।
  1. यीशु ने क्षमा पाने और परमेश्वर की उपस्थिति में आने का मार्ग खोल दिया है
  • मंदिर का परदा (आज के पुराने नियम का लेखांश देखें, लैव्यव्यवस्था 24:3), जिसमे लोग परमेश्वर की उपस्थिति से दूर हो गए थे, अलौकिक रूप से परमेश्वर द्वारा ऊपर से नीचे तक दो भागों में फट गया था। यह साठ फुट ऊँचा और कम से कम एक इंच मोटा था। सच्चाई यह है कि यह बिल्कुल ऊपर से फटा था (जहाँ कोई मनुष्य नहीं पहुँच सकता) यह इस बात पर ज़ोर देता है कि परमेश्वर के कारण ही यह फटा था।
  • यह इस बात का संकेत है कि यीशु की मृत्यु के द्वारा आप परमेश्वर तक पहुँच सकते हैं, क्योंकि आपके पाप क्षमा हो गए हैं। परमेश्वर आपको सत्यनिष्ठा देते हैं और आपको और मुझे उनके साथ घनिष्ठ संबंध में आने का सौभाग्य प्रदान करते हैं।

प्रार्थना

प्रभु, यीशु आपको धन्यवाद कि 'आपने मुझ से प्रेम किया, और मेरे लिये अपने आप को दे दिया' (गलातियों 2:20)। आपको धन्यवाद कि अब मैं आपके नाम में परमेश्वर की उपस्थिति में विश्वास और साहस के साथ जा सकता हूँ।

जूना करार

लैव्यव्यवस्था 23:1-24:23

विशेष पवित्र दिन

23यहोवा ने मूसा के कहा, 2 “इस्राएल के लोगों से कहोः तुम यहोवा के निश्चित पर्वों को पवित्र घोषित करो। ये मेरे विशेष पवित्र दिन हैं:

सब्त

3 “छ: दिन काम करो। किन्तु सातवाँ दिन, आराम का एक विशेष दिन या पवित्र मिलन का दिन होगा। उस दिन तुम्हें कोई काम नहीं करना चाहिए। यह तुम्हारे सभी घरों में यहोवा का सब्त है।

फ़सह पर्व

4 “ये यहोवा के चुने हुए पवित्र दिन हैं। उनके लिए निश्चित समय पर तुम पवित्र सभाओं की घोषणा करोगे। 5 यहोवा का फसह पर्व पहले महीने की चौदह तारीख को सन्धया काल में है:

अख़मीरी मैदे के फुलकों का पर्व

6 “उसी महीने की पन्द्रह तारीख को अख़मीरी मैदे के फुलकों का पर्व होगा। तुम सात दिन तक अखमीरी मैदे के फुलके खाओगे। 7 इस पर्व के पहले दिन तुम एक पवित्र सभा करोगे। उस दिन तुम्हें कोई काम नहीं करना चाहिए। 8 सात दिन तक तुम यहोवा को आग द्वारा बलि चढ़ाओगे। सातवें दिन एक पवित्र सभा होगी। उस दिन तुम्हें कोई काम नहीं करना चाहिए।”

पहली फ़सल का पर्व

9 यहोवा ने मूसा से कहा, 10 “इस्राएल के लोगों से कहो: तुम उस धरती पर जाओगे जिसे मैं तुम्हें दूँगा। तुम उसकी फ़सल काटोगे। उस समय तुम्हें अपनी फ़सल की पहली पूली याजक के पास लानी चाहिए। 11 याजक पूली को यहोवा के सामने उत्तोलित करेगा। तब वह तुम्हारे लिए स्वीकार कर ली जाएगी। याजक पूली को रविवार के प्रात: काल उत्तोलित करेगा।

12 “जिस दिन तुम पूली को उत्तोलित करो, उस दिन तुम एक वर्ष का एक नर मेमना बलि चढ़ाओगे। उस मेमने में कोई दोष नहीं होना चाहिए। वह मेमना यहोवा की होमबलि होगी। 13 तुम्हें चार क्वार्ट अच्छे जैतून के तेल मिले आटे की अन्नबलि देनी चाहिए। तुम्हें एक क्वार्ट दाखमधु भी देनी चाहिए। यह भेंट यहोवा को प्रसन्न करने वाली सुगन्ध होगी। 14 जब तक तुम अपने परमेश्वर को भेंट नहीं चढ़ाते, तब तक तुम्हें कोई नया अन्न, या फल या नये अन्न से बनी रोटी नहीं खानी चाहिए। यह नियम तुम चाहे जहाँ भी रहो, तुम्हारी पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहेगा।

सप्ताहों का पर्व

15 “उस रविवार के प्रातःकाल से (वह दिन जब तुम पूली उत्तोलन भेंट के लिए लाते हो), सात सप्ताह गिनो। 16 सातवें सप्ताह के अगले रविवार को (अर्थात् पचास दिन) बाद तुम यहोवा के लिए नये अन्नबलि लाओगे। 17 उस दिन तुम अपने घरों से दो—दो रोटियाँ लाओ। ये रोटियाँ उत्तोलन भेंट होगी। खमीर का उपयोग करो और चार क्वार्ट आटे की रोटियाँ बनाओ। वह तुम्हारी पहली फसल से यहोवा की भेंट होगी।

18 “लोगों से अन्नबलि के साथ में एक बछड़ा, दो मेढ़े और एक एक वर्ष के सात नर मेमने भेंट किए जाएंगे। इन जानवरों में कोई दोष नहीं होना चाहिए। ये यहोवा की होमबलि होंगे। वे आग द्वारा यहोवा को दी गई भेंट होगी। इस की सुगन्ध से यहोवा प्रसन्न होगा। 19 तुम भी पापबलि के रूप में एक बकरा तथा एक वर्ष के दो मेमने मेलबलि के रूप में चढ़ाओगे।

20 “याजक यहोवा के सामने उत्तोलन बलि के लिए दो मेमने और पहली फ़सल की रोटी उन्हें उत्तोलित करेगा। वे यहोवा के लिए पवित्र हैं। वे याजक के होंगे। 21 उसी दिन, तुम एक पवित्र सभा बुलाओगे। तुम कोई काम नहीं करोगे। यह नियम तुम्हारे सभी घरों में सदैव चलेगा।

22 “जब तुम अपने खेतों की फ़सल काटो तो खेतों के कोनों की सारी फ़सल मत काटो। जो अन्न जमीन पर गिरे, उसे मत उठाओ। उसे तुम गरीब लोगों तथा तुम्हारे देश में यात्रा करने वाले विदेशियों के लिए छोड़ दो। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ!”

तुरही का पर्व

23 यहोवा ने मूसा से फिर कहा, 24 “इस्राएल के लोगों से कहो: सातवें महीने के प्रथम दिन तुम्हें आराम का विशेष दिन मानना चाहिए। उस दिन एक धर्म सभा होगी। तुम्हें इसे मनाने के लिए तुरही बजानी चाहिए। 25 तुम्हें कोई काम नहीं करना चाहिए। तुम यहोवा को आग द्वारा बलि चढ़ाने के लिए बलि लाओगे।”

प्रायश्चित का दिन

26 यहोवा ने मूसा से कहा, 27 “सातवें महीने के दसवें दिन प्रायश्चित का दिन होगा। उस दिन एक धर्म सभा होगी। तुम भोजन नहीं करोगे और तुम यहोवा को आग द्वारा बलि चढ़ाओगे। 28 तुम उस दिन कोई काम नहीं करोगे। क्यों? क्यों की यह प्रायश्चित का दिन है। उस दिन याजक यहोवा के सामने जाएगा और वह उपासना करेगा जो तुम्हें सुद्ध बनाती है।

29 “यदि कोई व्यक्ति उस दिन उपवास करने से मना करता है तो उसे अपने लोगों से अलग कर देना चाहिए। 30 यदि कोई व्यक्ति उस दिन काम करेगा तो उसे मैं (परमेश्वर) उसके लोगों में से काट दूँगा। 31 तुम्हें कोई भी काम नहीं करना चाहिए। यह नियम तुम जहाँ कहीं भी रहो, सदैव रहेगा। 32 यह तुम्हारे लिए आराम का विशेष, दिन होगा। तुम्हें भोजन नहीं करना चाहिए। तुम आराम के इस विशेष दिन को महीने के नवें दिन की सन्ध्या से आरम्भ करोगे। यह आराम का विशेष दिन उस सन्ध्या से आरम्भ करके अगली सन्धया तक रहता है।”

आश्रय का पर्व

33 यहोवा ने मूसा से फिर कहा, 34 “इस्राएल के लोगों से कहो: सातवें महीने के पन्द्रहवें दिन आश्रय का पर्व होगा। यहोवा के लिए यह पवित्र पर्व सात दिन तक चलेगा। 35 पहले दिन एक धर्म सभा होगी। तुम्हें तब कोई काम नहीं करना चाहिए। 36 तुम सात दिनों तक यहोवा के लिए आग द्वारा बलि चढ़ाओगे। आठवें दिन तुम दूसरी धर्म सभा करोगे। तुम यहोवा को आग द्वारा बलि चढ़ाओगे। यह एक धर्म सभा होगी। तुम्हें तब कोई काम नहीं करना चाहिए।

37 “ये यहोवा का विशेष पवित्र दिन है। उन दिनों धर्म सभाएँ होंगी। तुम यहोवा को होमबलि, अन्नबलि, बलियाँ, पेयबलि अग्नि द्वारा चढ़ाओगे। तुम वे बलियाँ ठीक समय पर लाओगे। 38 तुम यहोवा के सबत दिवसों को याद करने के अतिरिक्त उन पवित्र दिनों का पर्व मनाओगे। तुम उन बलियों को यहोवा को अपनी अन्नबलि के अतिरिक्त दोगे। तुम विशेष दिए गये अपने वचन को पूरा करने के रूप में दी गई किसी भेंट के अतिरिक्त उन चीज़ों को दोगे। वे उन विशेष भेंटों के अतिरिक्ति होंगी जिन्हें तुम यहोवा को देना चाहते हो।

39 “सातवें महीने के पन्द्रहवें दिन, जब तुम अपने खेतों से फसल ला चकोगे, सात दिन तक यहोवा का पर्व मनाओगे। तुम पहले और आठवें दिन आराम करोगे। 40 पहले दिन तुम फलदार पेड़ों से अच्छे फल लोगे और तुम नाले के किनारे के खजूर के पेड़, चीड़ और बेंत के पेड़ों से शाखाएँ लोगे। तुम अपने परमेश्वर यहोवा के सामने सात दिन तक पर्व मनाओगे। 41 तुम इस पवित्र दिन को हर वर्ष यहोवा के लिए सात दिनों तक मनाओगे। यह नियम सदैव रहेगा। तुम इस पवित्र दिन को सातवें महीने में मनाओगे। 42 तुम सात दिन तक अस्थायी आश्रयों में रहोगे। इस्राएल में उत्पन्न हुए सबी लोग उन आश्रयों में रहोगे। इस्राएल में उत्पन्न हुए सभी लोग उन आश्रयों में रहेंगे। 43 क्यों? इससे तुम्हारे सभी वंशज यह जानेंगे कि मैंने इस्राएल के लोगों को अस्थायी आश्रयों में रहने वाला उस समय बनाया जिस समय मैं उन्हें मिस्र से लाया। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ!”

44 इस प्रकार मूसा ने इस्राएल के लोगों को यहोवा के विशेष पवित्र दिनों के बारे में बताया।

दीपाधार और पवित्र रोटी

24यहोवा ने मूसा से कहा, 2 “इस्राएल के लोगों को कोल्हू से निकाला हुआ जैतून का शुद्ध तेल अपने पास लाने का आदेश दो। वह तेल दीपकों के लिए है। ये दीपक बिना बुझे जलते रहने चाहिए। 3 हारून यहोवा के मिलापवाले तम्बू में साक्षीपत्र के पर्दे के आगे सन्ध्या समय से प्रातःकाल तक दीपकों को जलाये रखेगा। यह नियम सदा सदा के लिए है। 4 हारून को सोने की दीपाधार पर यहोवा के सामने दीपकों को सदैव जलता हुआ रखना चाहिए।

5 “अच्छा महीन आटा लो और उसकी बारह रोटियाँ बनाओ। हर एक रोटी के लिए चार क्वार्ट आटे का उपयोग करो। 6 उन्हें दो पँक्तियों में सुनहरी मेज़ पर यहोवा के सामने रखो। हर एक पँक्ति में छ: रोटियाँ होंगी। 7 हर एक पँक्ति पर शुद्ध लोबान रखो। यह यहोवा को आग द्वारा दी गई भेंट के सम्बन्ध में यहोवा को याद दिलाने में सहायता करेगा। 8 हर एक सब्त दिवस को हारून रोटियों को यहोवा के सामने क्रम में रखेगा। इसे सदैव करना चाहिए। इस्राऐल के लोगों के साथ यह वाचा सदैव बनी रहेगी। 9 वह रोटी हारून और उसके पुत्रों की होगी। वे रोटियों को पवित्र स्थान में खायेंगे। क्यों?क्योंकि वह रोटी यहोवा को आग द्वारा चढ़ाई गई भेंटों में से है। वह रोटी सदैव हारून का हिस्सा है।”

वह व्यक्ति जिसने यहोवा को शाप दिया

10 एक इस्राएली स्त्री का पुत्र था। उसका पिता मिस्री था। इस्राएली स्त्री का यह पुत्र इस्राएली था। वह इस्राएली लोगों के बीच में घूम रहा था और उसने डेरे में लड़ना आरम्भ किया। 11 इस्राएली स्त्री के लड़के ने यहोवा के नाम के बारे मे बुरी बातें कहनी शुरू कीं। इसलिए लोग उस पुत्र को मूसा के सामने लाए। (लड़के की माँ का नाम शलोमीत था जो दान के परिवार समूह से दिब्री की पुत्री थी।) 12 लोगों ने लड़के को कैदी की तरह पकड़े रखा और तब तक प्रतीक्षा की, जब तक यहोवा का आदेश उन्हें स्पष्ट रूप से ज्ञात नहीं हो गया।

13 तब यहोवा ने मूसा से कहा, 14 “उस व्यक्ति को डेरे के बाहर एक स्थान पर लाओ, जिसने शाप दिया है। तब उन सभी लोगों को एक साथ बुलाओ जिन्होंने उसे शाप देते सुना है। वे लोग अपने हाथ उसके सिर पर रखेंगे। और तब सभी लोग उस पर पत्थर मारेंगे और उसे मार डालेंगे। 15 तुम्हें इस्राएल के लोगों से कहना चाहिए: यदि कोई व्यक्ति अपने परमेश्वर को शाप देता है तो उस व्यक्ति को दण्ड मिलना चाहिए। 16 कोई व्यक्ति, जो यहोवा के नाम के विरुद्ध बोलता है, अवश्य मार दिया जाना चाहिए। सभी लोगों को उसे पत्थर मारने चाहए। विदेशी को वैसे ही दण्ड मिलना चाहिए जैसे इस्राएल में जन्म लेने वाले व्यक्ति को मिलता है। यदि कोई व्यक्ति योहवा के नाम को अपश्ब्द कहता है तो उसे अवश्य मार देना चाहिए।

17 “और यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को मार डालता है तो उसे अवश्य मार डालना चाहिए। 18 यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति के जानवर को मार डालता है तो उसके बदले में उसे दसूरा जानवर देना चाहिए।

19 “यदि कोई व्यक्ति अपने पड़ोस में किसी को चोट पहुँचाता है तो उस व्यक्ति को उसी प्रकार की चोट उस व्यक्ति को पहुँचानी चाहिए। 20 एक टूटी हड्डी के लिए एक टूटी हड्डी, एक आँख के लिए एक आँख, और एक दाँत के लिए दाँत। उसी प्रकार की चोट उस व्यक्ति को पहुँचानी चाहिए, जैसी उसने दूसरे को पहुँचाई है। 21 इसलिए जो व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के जानवर को मारे तो इसके बदनले में उसे दूसरा जानवर देना चाहिए। किन्तु जो व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को मार डालता है वह अवश्य मार डाला जाना चाहिए।

22 “तुम्हारे लिए एक ही प्रकार का न्याया होगा। यह विदेशी और तुम्हारे अपने देशवासी के लिए समान होगा। क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।”

23 तब मूसा ने इस्राएल के लोगों से बात की और वे उस व्यक्ति को डेरे के बाहर एक स्थान पर लाए, जिसने शाप दिया था। तब उन्होंने उस् पत्थरों से मार डाला। इस प्रकार इस्राएल के लोगों ने वह किया जो यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था।

समीक्षा

यह बात समझ लें कि क्षमा हमारे द्वारा नहीं है बल्कि हमारे लिए है

हम पुराने नियम में देखते हैं कि पाप को कितनी गंभीरता से लिया जाता है। यह तुच्छ मामला नहीं है। और क्षमा को हल्के में नहीं लिया जा सकता।

न्याय के लिए एक बराबरी की आवश्यकता है: 'जान के बदल जान' (24:18); 'अंग - भंग करने की सन्ती अंग - भंग किया जाए, आंख की सन्ती आंख, दांत की सन्ती दांत' (पद - 20)। इसका इरादा कभी भी व्यक्तिगत संबंधों से नहीं था बल्कि हिंसा को कम करने के उद्देश्य से न्याय के कानून बनाए गए थे।

यह पाप के लिए उचित दंड की आवश्यकता को दर्शाता है (वैसे तो यह कानून ईश्वर निंदा के तहत था, पद - 10-16, जिसमें स्वयं यीशु को प्राण दंड दिया गया जैसा कि हमने मरकुस 14:64 में देखा)।

फिर से, इस लेखांश में हम यीशु की मृत्यु का पूर्वाभास देखते हैं। पापों की क्षमा के लिए बलिदान की आवश्यकता होती है, इसके लिए एक मेमना चाहिये होता है। और यह मेमना निर्दोष होना चाहिये, 'बिना किसी दोष के' (लैव्यव्यस्था 23:12)।

जैसा कि हमने (BiOY Day 43 and Day 66) में देखा, प्रेरित पौलुस यीशु का उल्लेख 'फसह के मेमने' के रूप में करते हैं, जिसे हमारे पापों के लिए बलिदान किया गया (1 कुरिंथियों 5:7)।

क्षमा हमारे द्वारा कमाई नहीं जा सकती। न्याय के दिन, प्रायश्चित के दिन, 'आपके लिए प्रायश्चित किया गया' (लैव्यव्यवस्था 23:28)। यह आपके द्वारा नहीं किया गया बल्कि आपके लिए किया गया है। यह संपूर्ण बाइबल की मौलिक और क्रांतिकारी शिक्षा है। जब आप समझ लेंगे कि किस तरह यीशु के द्वारा क्षमा संभव हो पाई है, आपकी सांस रूक जाएगी और यह आपके संपूर्ण जीवन को बदल कर रख देगा।

प्रार्थना

प्रभु यीशु आपको धन्यवाद कि, आपने मुझे पुराने नियम की व्यवस्था से आज़ाद किया है। आपको धन्यवाद कि आप परमेश्वर के मेमने हैं जो इस जगत का पाप उठा ले जाते हैं (यूहन्ना 1:29)। आपको धन्यवाद कि आप मेरे लिए प्रायश्चित बने। आपके क्षमा की श्वासहीन आश्चर्य के लिए आपको धन्यवाद जिसने मेरे जीवन और अनंत को बदल डाला।

पिप्पा भी कहते है

मरकुस 15:40-41

इतिहास के इतने महत्त्वपूर्ण समय में, जब यीशु अंधकार की शक्ति को पराजित कर रहे थे, उनके सभी शिष्य और उनको माननेवाले तितर-बितर हो गए थे। लेकिन क्रूस पर स्त्रियाँ थीं। कितनी बहादुरी और विश्वासयोग्यता! ऐसी सभ्यता में जहाँ स्त्रियों को तकरीबन नकारा जाता है, यीशु ने उन्हें सशक्त किया: 'और भी बहुत सी स्त्रियाँ थीं, जो उसके साथ यरूशलेम में आई थीं' (मरकुस 15:41)। आपने एक क्रांति महसूस की!

reader

App

Download The Bible with Nicky and Pippa Gumbel app for iOS or Android devices and read along each day.

reader

Email

Sign up now to receive The Bible with Nicky and Pippa Gumbel in your inbox each morning. You’ll get one email each day.

Podcast

Subscribe and listen to The Bible with Nicky and Pippa Gumbel delivered to your favourite podcast app everyday.

reader

Website

Start reading today’s devotion right here on the BiOY website.

संदर्भ

नोट्स:

सी.एस. लेविस, द व्हेट ऑफ ग्लोरी, (न्यू यॉर्क: हार्पर कोलिन्स, 2001; मूल रूप से प्रकाशित 1949) प**.158

सी.एस. लेविस, कलेक्टेड लेटर्स ऑफ सी.एस. लेविस, (ज़ोन्डरवन, 2007) प**.** 1591

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है। कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

एक साल में बाइबल

  • एक साल में बाइबल

This website stores data such as cookies to enable necessary site functionality and analytics. Find out more