आपकी हॉटलाईन
परिचय
अक्टूबर 1962 में, यूनाइटेड स्टेट के प्रेसिडेन्ट केन्नेडी और सोवियत यूनियन के प्रीमियर ख्रुशेव के बीच क्यूबा में मिसाईल का उत्पादन करने से संबंधित बातचीत में समझौता नहीं हो रहा था. क्यूबन मिसाईल आपदा ने लगभग विश्वयुद्ध 3 ला दिया था, लेकिन इसे रोक दिया गया क्योंकि बातचीत स्थापित हो चुकी थी. यह निर्णय लिया गया कि एक लाल टेलिफोन यूनाइटेड स्टेट के प्रेसीडेंट की मेज पर और दूसरा सोवियत रशिया के प्रीमियर की मेज पर रखा जाए. बातचीत की उस कड़ी को 'हॉटलाईन' कहा जाता था. यदि कभी गलतफहमी का खतरा होता था तो वे सिर्फ फोन उठाकर बातचीत कर लेते थे.
बातचीत हर संबंध में महत्वपूर्ण है. बातचीत को बढ़ाने और विकसित करने के लिए समय निकालना एक महत्वपूर्ण बात है. यीशु ने आपको परमेश्वर से बातचीत करने के लिए एक 'हॉटलाईन' दिया है, लेकिन यह केवल आपतकाल में इस्तेमाल करने के लिए नहीं है –वे इसे हर समय इस्तेमाल करने के लिए कहते हैं.
भजन संहिता 37:1-9
दाऊद को समर्पित।
37दुर्जनों से मत घबरा,
जो बुरा करते हैं ऐसे मनुष्यों से ईर्ष्या मत रख।
2 दुर्जन मनुष्य घास और हरे पौधों की तरह
शीघ्र पीले पड़ जाते हैं और मर जाते हैं।
3 यदि तू यहोवा पर भरोसा रखेगा और भले काम करेगा तो तू जीवित रहेगा
और उन वस्तुओं का भोग करेगा जो धरती देती है।
4 यहोवा की सेवा में आनन्द लेता रह,
और यहोवा तुझे तेरा मन चाहा देगा।
5 यहोवा के भरोसे रह। उसका विश्वास कर।
वह वैसा करेगा जैसे करना चाहिए।
6 दोपहर के सूर्य सा, यहोवा तेरी नेकी
और खरेपन को चमकाए।
7 यहोवा पर भरोसा रख और उसके सहारे की बाट जोह।
तू दुष्टों की सफलता देखकर घबराया मत कर। तू दुष्टों की दुष्ट योजनाओं को सफल होते देख कर मत घबरा।
8 तू क्रोध मत कर! तू उन्मादी मत बन! उतना मत घबरा जा कि तू बुरे काम करना चाहे।
9 क्योंकि बुरे लोगों को तो नष्ट किया जायेगा।
किन्तु वे लोग जो यहोवा पर भरोसे हैं, उस धरती को पायेंगे जिसे देने का परमेश्वर ने वचन दिया।
समीक्षा
परमेश्वर के सामने अपने हृदय को खोल दीजिए
आपकी इच्छाएँ कैसे पूरी हो सकती हैं? भजनसंहिता के लेखक कहते हैं, 'परमेश्वर में आनंद मनाओ, और वह आपके हृदय की इच्छाओं को पूरा करेंगे' (व.4). जिन चीजों की आप इच्छा करते हैं, उनके पीछे जाने के बजाय, यदि आप परमेश्वर में आनंद मनायेंगे तो वह आपके हृदय की इच्छाओं को पूरा करेंगे. यह बेहतर होगा कि आप परमेश्वर को वह चीजें देने दें, इसके बजाय कि खुद चीजों को पाने की कोशिश करते रहें. वह वायदा करते हैं:
1. आपके डरो के बीच में विश्वास
हो सकता है कि ऐसी बहुत सी चीजें हो रही हों जो आपको डराती हों और भयभीत करती हों. लेकिन भजनसंहिता के लेखक तीन बार दोहराते हैं, 'घबराओ मत' (वव.1,7ब,8ब). नाही जलन रखो (व.1ब). इसके बजाय, परमेश्वर के पास आओ, उसके पास अपने डर को ले आओ, और 'परमेश्वर में भरोसा करो' (व.3). विश्वास भरोसा है. यह डर और भय के विपरीत है.
2. आपके निर्णयों में मार्गदर्शन
'अपने मार्ग की चिंता यहोवा पर छोड़ दो' (व.5). यह मार्गदर्शन की पूंजी हैः निर्णय को परमेश्वर के पास लाओ, उन्हें कार्य करने के लिए कहो और उन पर भरोसा करो. कई बार मैंने अपने जीवन में इस वचन का इस्तेमाल किया है. दूसरों के साथ प्रार्थना करने में मैंने इसका इस्तेमाल किया है जो निर्णय लेने में हम संघर्ष कर रहे हैं, विशेष रूप से उनकी नौकरी या विवाह के लिए लड़का/ लड़की के लिए.
यह एक सरल तीन-भाग की प्रक्रिया है. पहला, प्रार्थना में निर्णय को परमेश्वर को सौंप देना, उनसे मॉंगते हुए कि वह आपके लिए सही दरवाजें को खोल दें और गलत को बंद कर दें. दूसरा, इसके बाद भरोसा करें कि सब उनके नियंत्रण में है. तीसरा, विश्वास में देखें कि वह कार्य करता है जैसे ही आप अपने 'रास्ते' में आगे बढ़ते हैं, यह आशा करते हुए कि परमेश्वर कार्य करेंगे.
3. आपके हृदय में शांति
परमेश्वर के लिए अपने हॉटलाईन का इस्तेमाल कीजिए. 'परमेश्वर के सामने शांत होने के लिए समय निकालिये और धीरज के साथ उनका इंतजार कीजिए' (व.7). यह स्त्रोत्र है जो आपके सत्यनिष्ठ प्रतिफल को चमकाता है (व.6). चिंता और क्रोध न करने और शांति और आशा को पाने का यही तरीका है (वव.8-9).
प्रार्थना
परमेश्वर, मुझे डर, ईर्ष्या और गुस्से से दूर रखिये जैसे ही मैं आपमें भरोसा करता हूँ. आज मैं अपने रास्तों को आपको सौंपना चाहता हूँ. मै आपके सामने स्थिर रहूँगा. मैं आपमें आनंद मनाऊँगा.
लूका 4:38-5:16
रोगी स्त्री का ठीक किया जाना
38 तब यीशु आराधनालय को छोड़ कर शमौन के घर चला गया। शमौन की सास को बहुत ताप चढ़ा था। उन्होंने यीशु को उसकी सहायता करने के लिये विनती की। 39 यीशु उसके सिरहाने खड़ा हुआ और उसने ताप को डाँटा। ताप ने उसे छोड़ दिया। वह तत्काल खड़ी हो गयी और उनकी सेवा करने लगी।
यीशु द्वारा बहुतों को चंगा किया जाना
40 जब सूरज ढल रहा था तो जिन के यहाँ विभिन्न प्रकार के रोगों से ग्रस्त रोगी थे, वे सभी उन्हें उसके पास लाये। और उसने अपना हाथ उनमें से हर एक के सिर पर रखते हुए उन्हें चंगा कर दिया। 41 उनमें बहुतों में से दुष्टात्माएँ चिल्लाती हुई यह कहती बाहर निकल आयीं, “तू परमेश्वर का पुत्र है।” किन्तु उसने उन्हें बोलने नहीं दिया, क्योंकि वे जानती थीं, “वह मसीह है।”
यीशु की अन्य नगरों को यात्रा
42 जब पौ फटी तो वह वहाँ से किसी एकांत स्थान को चला गया। किन्तु भीड़ उसे खोजते खोजते वहीं जा पहुँची जहाँ वह था। उन्होंने प्रयत्न किया कि वह उन्हें छोड़ कर न जाये। 43 किन्तु उसने उनसे कहा, “परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार मुझे दूसरे नगरों में भी पहुँचाना है क्योंकि मुझे इसीलिए भेजा गया है।”
44 और इस प्रकार वह यहूदिया की आराधनालयों में निरन्तर उपदेश करने लगा।
यीशु के प्रथम शिष्य
5बात यूँ हुई कि भीड़ में लोग यीशु को चारों ओर से घेर कर जब परमेश्वर का वचन सुन रहे थे और वह गन्नेसरत नामक झील के किनारे खड़ा था। 2 तभी उसने झील के किनारे दो नाव देखीं। उनमें से मछुआरे निकल कर अपने जाल साफ कर रहे थे। 3 यीशु उनमें से एक नाव पर चढ़ गया जो कि शमौन की थी, और उसने नाव को किनारे से कुछ हटा लेने को कहा। फिर वह नाव पर बैठ गया और वहीं नाव पर से जनसमूह को उपदेश देने लगा।
4 जब वह उपदेश समाप्त कर चुका तो उसने शमौन से कहा, “गहरे पानी की तरफ बढ़ और मछली पकड़ने के लिए अपने जाल डालो।”
5 शमौन बोला, “स्वामी, हमने सारी रात कठिन परिश्रम किया है, पर हमें कुछ नहीं मिल पाया, किन्तु तू कह रहा है इसलिए मैं जाल डाले देता हूँ।” 6 जब उन्होंने जाल फेंके तो बड़ी संख्या में मछलियाँ पकड़ी गयीं। उनके जाल जैसे फट रहे थे। 7 सो उन्होंने दूसरी नावों में बैठे अपने साथियों को संकेत देकर सहायता के लिये बुलाया। वे आ गये और उन्होंने दोनों नावों पर इतनी मछलियाँ लाद दीं कि वे डूबने लगीं।
8-9 जब शमौन पतरस ने यह देखा तो वह यीशु के चरणों में गिर कर बोला, “प्रभु मैं एक पापी मनुष्य हूँ। तू मुझसे दूर रह।” उसने यह इसलिये कहा था कि इतनी मछलियाँ बटोर पाने के कारण उसे और उसके सभी साथियों को बहुत अचरज हो रहा था। 10 जब्दी के पुत्र याकूब और यूहन्ना को भी, (जो शमौन के साथी थे) बहुत आश्चर्य-चकित हुए।
सो यीशु ने शमौन से कहा, “डर मत, क्योंकि अब से आगे तू मनुष्यों को बटोरा करेगा!”
11 फिर वे अपनी नावों को किनारे पर लाये और सब कुछ त्याग कर यीशु के पीछे चल पड़े।
कोढ़ी का शुद्ध किया जाना
12 सो ऐसा हुआ कि जब यीशु एक नगर में था तभी वहाँ कोढ़ से पूरी तरह ग्रस्त एक कोढ़ी भी था। जब उसने यीशु को देखा तो दण्डवत प्रणाम करके उससे प्रार्थना की, “प्रभु, यदि तू चाहे तो मुझे ठीक कर सकता है।”
13 इस पर यीशु ने अपना हाथ बढ़ा कर कोढ़ी को यह कहते हुए छुआ, “मैं चाहता हूँ, ठीक हो जा!” और तत्काल उसका कोढ़ जाता रहा। 14 फिर यीशु ने उसे आज्ञा दी कि वह इस विषय में किसी से कुछ न कहे। उससे कहा, “याजक के पास जा और उसे अपने आप को दिखा और मूसा के आदेश के अनुसार भेंट चढ़ा ताकि लोगों को तेरे ठीक होने का प्रमाण मिले।”
15 किन्तु यीशु के विषय में समाचार और अधिक गति से फैल रहे थे। और लोगों के दल इकट्ठे होकर उसे सुनने और अपनी बीमारियों से छुटकारा पाने उसके पास आ रहे थे। 16 किन्तु यीशु प्रायः प्रार्थना करने कहीं एकान्त वन में चला जाया करता था।
समीक्षा
परमेश्वर के वचन को सुनें
परमेश्वर से आपके हॉटलाईन में दो –तरफा बातचीत शामिल है. यह प्रार्थना में उनसे कहना और उनके वचनों को सुनना है. यह यीशु की सेवकाई का रहस्य था. यीशु से अधिक शक्तिशाली सेवकाई किसी की नहीं हुई. उनके समय में यीशु से अधिक प्रसिद्ध और ऊर्जा किसी के पास नहीं थी.
हर किसी को उनकी सहायता चाहिए थी. शिमौन की सास को चंगा करने के लिए जब उन्होंने उनकी सहायता मॉंगी, तब उन्होंने उसे चंगा किया. जिस किसी को उनके पास लाया गया उन्होंने उन पर हाथ रखे और उन्हें चंगा किया. वह निरंतर सुसमाचार का प्रचार करते रहे (4:44). उन्होंने कोढ़ियो को शुद्ध किया. भीड़ बढ़ गई; 'बहुत से लोग उनकी बातें सुनने और उनकी बीमारियों से चंगे होने के लिए आते थे' (5:15).
वह ऐसा कैसे कर सके? उनका रहस्य क्या था? उनकी सामर्थ का स्त्रोत क्या था? जब दिन हुआ तब यीशु एक सुनसान जगह में चले गए (4:42). 'अक्सर यीशु सुनसान जगह में जाकर प्रार्थना करते थे' (5:16). जब तक आप परमेश्वर के साथ अपने हॉटलाईन के द्वारा आवेशित नहीं होते हैं तब तक आप परमेश्वर के राज्य में जीवन की माँगों को नहीं सँभाल पाएँगे.
परमेश्वर के वचन को बेहतर सुनने के लिए' भीड़ यीशु को दबा रही थी (व.1, एम.एस.जी.). नाव का इस्तेमाल करते हुए यीशु ने भीड़ को सिखाया (व.3). यीशु के द्वारा परमेश्वर के वचन को सुनने से पतरस का जीवन बदल गया.
पतरस ने ना केवल एक बड़ी मात्रा में मछलियों को पकड़ा, उसने एक बड़ा दर्शन भी पकड़ लिया कि परमेश्वर उसके जीवन के साथ क्या कर सकता है. तीन साल बाद, उन्होंने एक सभा में प्रचार किया जिसमें एक ही दिन में 3000 लोगों ने विश्वास किया. उन्होंने नींव रखी जिसके द्वारा 2000 साल बाद बीस लाख से अधिक लोग यीशु के नाम का अंगीकार करते हैं. इस दृष्टांत से हम क्या सीखते हैं?
1. संभावना बहुत है
उन्होंने कोई मछली नहीं पकड़ी थी लेकिन वहाँ पर बहुत सी मछलियाँ थी पकड़ने के लिए. गलील के समुद्र में बहुत सी मात्रा में मछलियाँ थी जो समुद्र में भरी हुई थी, यदि ये समुद्र जल ठोस होता तो यह एक एकड़ के बराबर था.
यद्यपि जालों को साफ करना मछुआरों के लिए महत्वपूर्ण है, तब भी प्राथमिक उद्देश्य है मछलियाँ पकड़ना. चर्च का प्राथमिक कार्य मिशन है. यीशु कहते हैं, 'गहरे में ले चलो, और मछलियाँ पकड़ने के लिये अपने जाल को डालो' (व.4). बहुत से लोग हैं जिन्हें यीशु के संदेश को सुनने की आवश्यकता है.
2. यीशु के लिए कुछ भी असंभव नहीं है
पतरस का पहला जवाब नकारात्मक और निराशावादी था. उसने नहीं सोचा था कि यह काम करेगा, 'हमने सारी रात कठोर परिश्रम किया और कुछ नहीं पकड़ा' (व.5अ.) किंतु, शायद बहुत देर के बाद, वह कहते हैं, 'लेकिन आपके कहने पर, मैं जाल डालूँगा' (व.5ब). जो असंभव लगता था यीशु ने उसे संभव किया. जब उन्होंने जाल डाला, तब उन्होंने इतनी सारी मछलियाँ पकड़ी कि जाल फटने लगे (व.6).
यह अकेले नहीं किया जा सकता है परंतु यह केवल पार्टनरशिप में कर सकते हैं 'इसलिए उन्होंने दूसरी नावों से अपने सहकर्मियों को बुलाया और उनसे सहायता मांगी, और उन्होंने आकर दोनों नावों को इतना भर दिया कि वह डूबने लगी (व.7). पार्टनरशिप मिशन के लिए पूंजी है. चर्च के बाहरवालों के लिए झगड़ा प्रतिकूलता है. पार्टनरशिप और एकता बहुत आकर्षक है.
3. यह एक दर्शन है जिसके पीछे जा सकते हैं
पतरस का पहला जवाब था अपनी अयोग्यता को समझनाः 'प्रभु, मुझसे दूर हो जाईये; मैं एक पापी मनुष्य हूँ!' (व.8). उसी समय वह और दूसरी मछलियों के पकड़े जाने पर चकित हो चुके थे (व.9). अवश्य ही वे बहुत भयभीत हुए होंगे लेकिन यीशु ने कहा, 'डरो मत; अब से तुम मनुष्यों को पकड़ोगे' (व.10). उन्होंने देखा कि यह एक दर्शन था जिसके पीछे जा सकते हैं: 'और वे नावों को किनारे पर ले आए और सब कुछ छोड़कर उसके पीछे हो लिए' (व.11).
प्रार्थना
परमेश्वर, आपका धन्यवाद कि आपने मुझे आपसे बात करने के लिए एक हॉटलाईन दिया है. मेरी सहायता कीजिए कि यीशु की तरह आपके साथ अकेले में समय बिता सकूँ, एकांत स्थानों में जाकर, प्रार्थना कर सकूँ और आपके वचन को सुन सकूँ.
गिनती 15:1-16:35
बलि के नियम
15यहोवा ने मूसा से कहा, 2 “इस्राएल के लोगों से बातें करो और उनसे कहोः तुम लोग ऐसे प्रदेश में प्रवेश करोगे जिसे मैं तुम लोगों को तुम्हारे घर के रूप में दे रहा हूँ। 3 जब तुम उस प्रदेश में पहुँचोगे तब तुम्हें यहोवा को आग द्वारा विशेष भेंट देनी चाहिए। इसकी सुगन्ध यहोवा को प्रसन्न करेगी। तुम अपनी गायें, भेड़ें और बकरियों का इस्तेमाल होमबलि, बलिदानों, विशेष मनौतियों, मेलबलि, शान्ति भेंट या विशेष पर्वों में करोगे।
4 “और उस समय जो अपनी भेंट लाएगा उसे यहोवा को अन्नबलि भी देनी होगी। यह अन्नबलि एक क्वार्ट जैतून के तेल में मिली हुई दो क्वार्ट अच्छे आटे की होगी। 5 हर एक बार जब तुम एक मेमना होमबलि के रूप में दो तो तुम्हें एक क्वार्ट दाखमधु पेय भेंट के रूप में तैयार करनी चाहिए।
6 “यदि तुम एक मेढ़ा दे रहे हो तो तुम्हें अन्नबलि भी तैयार करनी चाहिए। यह अन्नबलि एक चौथाई क्वार्ट जैतून के तेल में मिली हुई चार क्वार्ट अच्छे आटे की होनी चाहीए 7 और तुम्हें एक चौथाई क्वार्ट दाखमधु पेय भेंट के रूप में तैयार करनी चाहिए। इसे यहोवा को भेंट करो। इसकी सुगन्ध यहोवा को प्रसन्न करेगी।
8 “होमबलि, शान्ति भेंट अथवा किसी मन्नौती के लिए यहोवा को भेंट के रूप में तुम एक बछड़े को तैयार कर सकते हो। 9 इसलिए तुम्हें बैल के साथ अन्नबलि भी लानी चाहिए। अन्नबलि दो क्वार्ट जैतून के तेल में मिली हुई छः क्वार्ट अच्छे आटे की होनी चाहिए। 10 दो क्वार्ट दाखमधु भी पेय भेंट के रूप में लाओ। आग में जलाई गई यह भेंट यहोवा के लिए मधुर गन्ध होगी। 11 प्रत्येक बैल या मेढ़ा या मेमना या बकरी का बच्चा, जिसे तुम यहोवा को भेंट करो, उसी प्रकार तैयार होना चाहिए। 12 जो जानवर तुम भेंट करो उनमें से हर एक के लिए यह करो।
13 “इसलिए जब लोग यह होमबलि देंगे तो यहोवा को यह सुगन्ध प्रसन्न करेगी। किन्तु इस्राएल के हर एक नागरिक को इसे वैसे ही करना चाहिए जिस प्रकार मैंने बताया है। 14 और भविष्य के सभी दिनों में, यदि कोई व्यक्ति जो इस्राएल के परिवार में उत्पन्न नहीं है और तुम्हारे बीच रह रहा है तो उसे भी इन सब चीजों का पालन करना चाहिए। उसे ये वैसे ही करना होगा जैसा मैंने तुमको बताया है। 15 इस्राएल के परिवार में उत्पन्न लोगों के लिये जो नियम होगें वही नियम उन अन्य लोगों के लिये भी होंगे जो तुम्हारे बीच रहते हैं। यह नियम अब से भविष्य में लागू रहेगा। तुम और तुम्हारे बीच रहने वाले लोग यहोवा के सामने समान होंगे। 16 इसका यह तात्पर्य है कि तुम्हें एक ही विधि और नियम का पालन करना चाहिए। वे नियम इस्राएल के परिवार में उत्पन्न तुम्हारे लिए और अन्य लोगों के लिए भी हैं जो तुम्हारे बीच रहते हैं।”
17 यहोवा ने मूसा से कहा, 18 “इस्राएल के लोगों से यह कहोः मैं तुम्हें दूसरे देश में ले जा रहा हुँ। 19 जब तुम भोजन करो जो उस प्रदेश में उत्पन्न हो तो भोजन का कुछ अंश यहोवा को भेंट के रूप में दो। 20 तुम अन्न इकट्ठा करोगे और इसे आटे के रूप में पीसोगे और उसे रोटी बनाने के लिए गूँदोगे। फिर उस आटे की पहली रोटी को यहोवा को अर्पित करोगे। वह ऐसी अन्नबलि होगी जो खलिहान से आती है। 21 यह नियम सदा सर्वदा के लिए है। इसका तात्पर्य है कि जिस अन्न को तुम आटे के रूप में माढ़ते हो, उसकी पहली रोटी यहोवा को अर्पित की जानी चाहिए।
22 “यदि तुम यहोवा द्वारा मूसा को दिये गए आदेशों में से किसी का पालन करना भूल जाओ तो तुम क्या करोगे 23 ये आदेश उसी दिन से आरम्भ हो गए थे जिस दिन यहोवा ने इन्हें तुमको दिया था और ये आदेश भविष्य में भी लागू रहेंगे। 24 इसलिये यदि तुम कोई गलती करते हो और इन सभी आज्ञाओं का पालन करना भूल जाते हो तो तुम क्या करोगे यदि इस्राएल के सभी लोग गलती करते हैं, तो सभी लोगों को मिलकर एक बछड़ा यहोवा को भेंट चढ़ाना चाहिए। यह होमबलि होगी और इसकी यह सुगन्ध यहोवा को प्रसन्न करेगी। बैल के साथ अन्नबलि और पेय भेंट भी याद रखो और तुम्हें एक बकरा भी पापबलि के रूप में देना चाहिए।
25 “याजक लोगों को पापों से शुद्ध करने के लिये ऐसा करेगा। वह इस्राएल के सभी लोगों के लिए ऐसा करेगा। लोगों ने नहीं जाना था कि वे पाप कर रहे हैं। किन्तु जब उन्होंने यह जाना तब वे यहोवा के पास भेंट लाए। वे एक भेंट अपने पाप के लिए देने आए और एक होमबलि के लिये जिसे आग में जलाया जाना था।इस प्रकार लोग क्षमा किये जाएंगे। 26 इस्राएल के सभी लोग और उनके बीच रहने वाले सभी अन्य लोग क्षमा कर दिये जाएंगे। वे इसलिए क्षमा किये जाएंगे क्योंकि वे नहीं जानते थे कि वे बुरा कर रहे हैं।
27 “किन्तु यदि एक व्यक्ति आदेश का पालन करना भूल जाता है तो उसे एक वर्ष की बकरी पापबलि के रूप में लानी चाहिए। 28 याजक इसे उस व्यक्ति के पापों के लिए यहोवा को अर्पित करेगा और उस व्यक्ति को क्षमा कर दिया जाएगा क्योंकि याजक ने उसके लिए भुगतान कर दिया है। 29 यही हर उस व्यक्ति के लिए नियम है जो पाप करता है, किन्तु जानता नहीं कि बुरा किया है। यही नियम इस्राएल के परिवार में उत्पन्न लोगों के लिए है या अन्य लोगों के लिए भी जो तुम्हारे बीच में रहते हैं।
30 “किन्तु कोई व्यक्ति जो पाप करता है और जानता है कि वह बुरा कर रहा है, वह यहोवा का अपमान करता है। उस व्यक्ति को अपने लोगों से अलग भेज देना चाहिए। यह इस्राएल के परिवार में उत्पन्न व्यक्ति तथा किसी भी अन्य व्यक्ति के लिए, जो तुम्हारे बीच रहता है, समान है। 31 वह व्यक्ति यहोवा के आदेश के विरुद्ध गया है। उसने यहोवा के आदेश का पालन नहीं किया है। उस व्यक्ति को तुम्हारे समूह से अलग कर दिया जाना चाहिए। वह व्यक्ति अपराधी ही रहेगा और दण्ड का भागी होगा!”
एक व्यक्ति विश्राम के दिन काम करता है
32 इस समय, इस्राएल के लोग अभी तक मरुभूमि में ही थे। ऐसा हुआ कि एक व्यक्ति को जलाने के लिए कुछ लकड़ी मिलीं। इसलिए वह व्यक्ति लकड़ियाँ इकट्ठी करता रहा। किन्तु वह सब्त (विश्राम) का दिन था। कुछ अन्य लोगों ने उसे यह करते देखा। 33 जिन लोगों ने उसे लकड़ी इकट्ठी करते देखा, वे उसे मूसा और हारून के पास लाए और सभी लोग चारों ओर इकट्ठे हो गए। 34 उन्होंने उस व्यक्ति को वहाँ रखा क्योंकि वे नहीं जानते थे कि उसे कैसे दण्ड दें।
35 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “इस व्यक्ति को मरना चाहिए। सभी लोग डेरे से बाहर इसे पत्थर से मारेंगे।” 36 इसलिए लोग उसे डेरे से बाहर ले गए और उसे पत्थरों से मार डाला। उन्होंने यह वैसे ही किया जैसा मूसा को यहोवा ने आदेश दिया था।
परमेश्वर नियमों को याद रखने में लोगों की सहायता करता है
37 यहोवा ने मूसा से कहा, 38 “इस्राएल के लोगों से बातें करो और उनसे यह कहोः मैं तुम लोगों को कुछ अपने आदेशों को याद रखने के लिए दूँगा। धागे के कई टुकड़ों को एक साथ बांधकर उन्हें अपने वस्त्रों के कोने पर बांधो। एक नीले रंग का धागा हर एक ऐसी गुच्छियों में डालो। तुम इन्हें अब से हमेशा के लिये पहनोगे। 39 तुम लोग इन गुच्छियों को देखते रहोगे और यहोवा ने जो आदेश तुम्हें दिये हैं, उन्हें याद रखोगे। तब तुम आदेशों का पालन करोगे। तुम लोग आदेशों को नहीं भूलोगे और आँखों तथा शरीर की आवश्यकताओं से प्रेरित होकर कोई पाप नहीं करोगे। 40 तुम हमारे सभी आदेशों के पालन की बात याद रखोगे। तब तुम यहोवा के विशेष लोग बनोगे। 41 मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ। वह मैं हूँ जो तुम्हें मिस्र से बाहर लाया। मैंने यह किया अतः मैं तुम्हारा परमेश्वर रहूँगा। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।”
कोरह, दातान और अबीराम मूसा के विरुद्ध हो जाते हैं
16कोरह दातान, अबीराम और ओन मूसा के विरुद्ध हो गए। (कोरह यिसहार का पुत्र था। यिसहार कहात का पुत्र था, और कहात लेवी का पुत्र था। एलीआब के पुत्र दातान और अबीराम भाई थे और ओन पेलेत का पुत्र था। दातान, अबीराम और ओन रूबेन के वंशज थे।) 2 इन चार व्यक्तियों ने इस्राएल के दो सौ पचास व्यक्तियो को एक साथ इकट्ठा किया और ये मूसा के विरुद्ध आए। ये दो सौ पचास इस्राएली व्यक्ति लोगों में आदरणीय नेता थे। वे समिति के सदस्य चुने गए थे। 3 वे एक समूह के रूप में मूसा और हारून के विरुद्ध बात करने आए। इन व्यक्तियों ने मूसा और हारून से कहा, “हम उससे सहमत नहीं जो तुमने किया है। इस्राएली समूह के सभी लोग पवित्र हैं। यहोवा उनके साथ है। तुम अपने को सभी लोगों से ऊँचे स्थान पर क्यों रख रहे हो”
4 जब मूसा ने यह बात सुनी तो वह भूमि पर गिर गया। 5 तब मूसा ने कोरह और उसके अनुयायियों से कहा, “कल सवेरे यहोवा दिखाएगा कि कौन व्यक्ति सचमुच उसका है। यहोवा दिखाएगा कि कौन व्यक्ति सचमुच पवित्र है और यहोवा उसे अपने समीप ले जाएगा। यहोवा उस व्यक्ति को चुनेगा और यहोवा उस व्यक्ति को अपने निकट लेगा। 6 इसलिए कोरह, तुम्हें और तुम्हारे सभी अनुयायियों को यह करना चाहिएः 7 किसी विशेष अग्निपात्र में आग और सुगन्धित धूप रखो। तब उन पात्रों को यहोवा के सामने लाओ। यहोवा एक पुरुष को चुनेगा जो सचमुच पवित्र होगा। किन्तु मुझे डर है कि तुमने और तुम्हारे लेवीवंशी भाईयों ने सीमा का अतिक्रमण किया है।”
8 मूसा ने कोरह से यह भी कहा, “लेविवंशियो! मेरी बात सुनो। 9 तुम लोगों को प्रसन्न होना चाहिए कि इस्राएल के परमेश्वर ने तुम लोगों को अलग और विशेष बनाया है। तुम लोग बाकी इस्राएली लोगों से भिन्न हो। यहोवा ने तुम्हें अपने समीप लिया जिससे तुम यहोवा की उपासना में इस्राएल के लोगों की सहायता के लिए यहोवा के पवित्र तम्बू में विशेष कार्य कर सको। क्या यह पर्याप्त नहीं है? 10 यहोवा ने तुम्हें और अन्य सभी लेवीवंश के लोगों को अपने समीप लिया है। किन्तु अब तुम याजक भी बनना चाहते हो। 11 तुम और तुम्हारे अनुयायी परस्पर एकत्र होकर यहोवा के विरोध में आए हो। क्या हारून ने कुछ बुरा किया है? नहीं। तो फिर उसके विरुद्ध शिकायत करने क्यों आए हो?”
12 तब मूसा ने एलीआब के पुत्रों दातान और अबीराम को बुलाया। किन्तु दोनों आदमियों ने कहा, “हम लोग नहीं आएंगे! 13 तुम हमें उस देश से बाहर निकाल लाए हो जो सम्पन्न था और जहाँ दूध और मधु की नदियाँ बहती थीं। तुम हम लोगों को यहाँ मरुभूमि में मारने के लिए लाए हो और अब तुम दिखाना चाहते हो कि तुम हम लोगों पर अधिक अधिकार भी रखते हो। 14 हम लोग तुम्हारा अनुसरण क्यों करें? तुम हम लोगों को उस नये देश में नहीं लाए हो जो सम्पन्न है और जिसमें दूध और मधु की नदियाँ बहती हैं। तुमने हम लोगों को वह देश नहीं दिया है जिसे देने का वचन यहोवा ने दिया था। तुमने हम लोगों को खेत या अंगूर के बाग नहीं दिये हैं। क्या तुम इन लोगों को अपना गुलाम बनाओगे? नहीं! हम लोग नहीं आएंगे।”
15 इसलिए मूसा बहुत क्रोधित हो गया। उसने यहोवा से कहा, “इनकी भेंटें स्वीकार न कर! मैंने इनसे कुछ नहीं लिया है एक गधा तक नहीं और मैंने इनमें से किसी का बुरा नहीं किया है।”
16 तब मूसा ने कोरह से कहा, “तुम्हें और तुम्हारे अनुयायियों को कल यहोवा के सामने खड़ा होना चाहिए। हारून तुम्हारे साथ यहोवा के सामने खड़ा होगा। 17 तुम में से हर एक को एक अग्निपात्र लेना चाहिए और उसमें धूप रखनी चाहिए। ये दो सौ पचास अग्निपात्र प्रमुखों के लिये होंगे। हर एक अग्निपात्र को यहोवा के सामने ले जाओ। तुम्हें और हारून को अपने अग्निपात्रों को यहोवा के सामने ले जाना चाहिए।”
18 इसलिए हर एक व्यक्ति ने एक अग्निपात्र लिया और उसमें जलती हुई धूप रखी। तब वे मिलापवाले तम्बू के द्वार पर खड़े हुए।मूसा और हारुन भी वहाँ खड़े हुए। 19 कोरह ने अपने सभी अनुयायियों को एक साथ इकट्ठा किया। ये वे व्यक्ति हैं जो मूसा और हारून के विरुद्ध हो गए थे। कोरह ने उन सभी को मिलावाले तम्बू के द्वार पर इकट्ठा किया। तब यहोवा का तेज वहाँ हर एक व्यक्ति पर प्रकट हुआ।
20 यहोवा ने मूसा और हारून से कहा, 21 “इन पुरुषों से दूर हटो! मैं अब उन्हें नष्ट करना चाहता हूँ!”
22 किन्तु मूसा और हारून भूमि पर गिर पड़े और चिल्लाए, “हे परमेश्वर, तू जानता है कि लोग क्या सोच रहे हैं। कृपा करके इस पूरे समूह पर क्रोधित न हो। एक ही व्यक्ति ने सचमुच पाप किया है।”
23 तब यहोवा ने मूसा से कहा, 24 “लोगों से कहो कि वे कोरह दातान और अबीराम के डेरों से दूर हट जाएं।”
25 मूसा खड़ा हुआ और दातान और अबिराम के पास गया। इस्राएल के सभी अग्रज (नेता) उसके पीछे चले। 26 मूसा ने लोगों को चेतावनी दी, “इन बुरे आदमियों के डेरों से दूर हट जाओ। इनकी किसी चीज को नो छुओ! यदि तुम लोग छूओगे तो इनके पापों के कारण नष्ट हो जाओगे।”
27 इसलिए लोग कोरह, दातान और अबीराम के तम्बुओं से दूर हट गए। दातान और अबीराम अपने डेरे के बाहर अपनी पत्नी, बच्चे और छोटे शिशुओं के साथ खड़े थे।
28 तब मूसा ने कहा, “मैं प्रमाण प्रस्तुत करूँगा कि यहोवा ने मुझे उन चीज़ों को करने के लिए भेजा है जो मैंने तुमको कहा है। मैं दिखाऊँगा कि वे सभी मेरे विचार नहीं थे। 29 ये पुरुष यहाँ मरेंगे। किन्तु यदि ये सामान्य ढंग से मरते हैं अर्थात् जिस प्रकार आदमी सदा मरते हैं तो यह प्रकट करेगा कि यहोवा ने वस्तुतः मुझे नहीं भेजा है। 30 किन्तु यदि यहोवा इन्हें दूसरे ढंग अर्थात् कुछ नये ढंग से मरने देता है तो तुम लोग जानोगे कि इन व्यक्तियों ने सचमुच यहोवा के विरुद्ध पाप किया है। पृथ्वी फटेगी और इन व्यक्तियों को निगल लेगी। वे अपनी कब्रों में जीवित ही जाएंगे और इनकी हर एक चीज इनके साथ नीचे चली जाएगी।”
31 जव मूसा ने इन बातों का कहना समाप्त किया, व्यक्तियों के पैरों के नीचे पृथ्वी फटी। 32 यह ऐसा था मानों पृथ्वी ने अपना मुँह खोला ओ इन्हें खा गई और उनके सारे परिवार और कोरह के सभी व्यक्ति तथा उनकी सभी चीजें पृथ्वी में चली गईं। 33 वे जीवित ही कब्र में चले गए। उनकी हर एक चीज उनके साथ गई। तब पृथ्वी उनके ऊपर से बन्द हो गई। वे नष्ट हो गए और वे उस डेरे से लुप्त गो गए।
34 इस्राएल के लोगों ने नष्ट किये जाते हुए लोगों का रोना चिल्लाना सुना। इसलिए वे चारों ओर दौड़ पड़े और कहने लगे, “पृथ्वी हम लोगों को भी निगल जाएगी।”
35 तब यहोवा से आग आई और उसने दो सौ पचास पुरुषों को, जो सुगन्धि भेंट कर रहे थे, नष्ट कर दिया।
समीक्षा
परमेश्वर के साथ बातचीत को प्राथमिकता दीजिए
जैसे ही आप पुराने नियम को पढ़ते हैं और विशेष रूप से आज के कुछ लेखांश, तो यह आपको थोड़ा हैरान कर देगें. यहाँ पर कोई सरल उत्तर या स्पष्टीकारण नहीं है. बहुत सी चीजें हैं जो समझने में कठिन हैं. शायद यह बेहतर हैं कि उसपर ध्यान दिया जाए जिसे हम समझ सकते हैं.
परमेश्वर के साथ आपके संबंध और उनके साथ समय बिताने का महत्व इस लेखांश में स्पष्ट है. यह कई बार देखा गया है कि 'परमेश्वर को हव्य भाता है' (15:7,10,13,24). 'प्रायश्चित्त' करने के लिए भेंट चढ़ाने की आवश्यकता थी (व.25). 'प्रायश्चित्त' हमें परमेश्वर के साथ एक बनाता है. इसके लिए, क्षमा की आवश्यकता है (वव.25-26,28). यह सब हमें यीशु के बलिदान के लिए तैयार कर रहा था, जोकि संपूर्ण क्षमा और प्रायश्चित्त को लाता है ताकि आपके पास परमेश्वर से बातें करने के लिए हॉटलाईन हो.
यीशु ने सब्त के विषय में हमारी समझ को बदल दिया. परमेश्वर के लोगों ने सब्त को बहुत ज्यादा महत्व दिया, एक ऐसे दिन के रूप में जो परमेश्वर के साथ समय बिताने के लिए अलग रखा गया है. शायद से सब्त के नियम अभी लागू नहीं होते हैं, लेकिन विश्राम करने और परमेश्वर के साथ समय बिताने के लिए समय निकालने का अभ्यास अब भी चला आ रहा है.
सब्त के विश्राम का उद्देश्य है हमारे हृदय और आँखो की अभिलाषा (व.39) को हमारे लिए मूर्ति बनने से रोकना. आप परमेश्वर के लिए अलग रखे गए हैं (व.40) और परमेश्वर आपको अपने नजदीक लाना चाहते हैं (16:9). इस संबंध के महत्व के कारण, बदतमीजी या विद्रोह के द्वारा इसे पहुँचने वाली किसी भी हानि को बहुत ही गंभीरतापूर्वक लिया जाता है.
आप बहुत ही सुविधा में हैं कि पवित्र आत्मा के दिनों में जी रहे हैं ताकि उस स्वतंत्रता का आनंद ले सकें जिसे यीशु ने क्रूस और पुनरुत्थान के द्वारा ला दिया है. यह आपको बिना किसी डर के परमेश्वर के साथ हॉटलाईन का आनंद लेने में सक्षम बनाता है. ये लेखांश आपको उत्साहित करता है कि आप इस असाधारण सुविधा का लाभ ले सकें और उनके साथ अकेले में समय बिता सकें, उनकी उपस्थिति में आनंद मनाते हुए और उनके पास अपने निवेदनों को लाते हुए.
प्रार्थना
परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए ऐसा एक जीवन जीने के लिए जो आपको भाता है, मैं हर दिन आपके पास रह सकूं और आपके साथ अकेले में समय बिता सकूं.
पिप्पा भी कहते है
भजन संहिता 37:4
परमेश्वर में आनंद मनाइए, और वह आपके हृदय की इच्छाओं को पूरा करेंगे' (व.4).
निरंतर याद रखने की कोशिश करता हूँ कि 'आनंद' को पहले आना चाहिए; केवल यह नहीं कि 'वह आपके हृदय की इच्छाओं को पूरा करेंगे.' लेकिन यह अब भी एक अद्भुत वादा है -यदि हम करेंगे, वह करेंगे.

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संदर्भ
नोट्स:
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।
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के समुद्र में बहुत सी मात्रा में मछलियाँ थी जो समुद्र में भरी गई थीं, यदि समुद्र जल की सतह ठोस होती तो यह एक एकड़ के बराबर होती.' विल्यिम बार्ले, न्यु डेलि स्टडि बाईबल गॉस्पल ऑफ लूक,(वेस्टमिंस्टर जोह्न नॉक्स प्रेस, 1956) पी.68