हमेशा उदार बनें
परिचय
उदारता लोगों की एक सुंदर विशेषता है. हम उदारता से प्रेम करते हैं और इसे सराहते हैं. जब हम बच्चे थे तब मेरी माँ हमसे कहती थी, 'हमेशा उदार बनो.'
आप परमेश्वर के विषय में क्या सोचते हैं? क्या आप उसे थोड़ा मतलबी या मुटठी बंद रखने वाला समझते हैं? या आप उसे असाधारण रूप से उदार समझते हैं?
प्राकृतिक विश्व में परमेश्वर की उदारता दिखाई देती है. उदाहरण के लिए, ऑर्किड (एक प्रकार का फूलों वाला पौधा) के 25,000 प्रकार हैं. ऑर्किड फूलों के 270,000 प्रकारों में से एक है. परमेश्वर चीजों को आधा नहीं करते. हमारे सौर मंडल में सूरज की तरह ही 300000 लाख तारें हैं. हमारा सौर मंडल 100000 लाख सौर मंडल में से एक है. ऐसा माना जाता है कि रेत की हर बालू के लिए लाखों तारे हैं. उत्पत्ति में, लेखक हमें बताते हैं कि, 'उसने तारे भी बनाये' (उत्पत्ति 1:16).
परमेश्वर असाधारण रूप से, अत्यधिक रूप से उदार हैं. वह 'सभी को उदारतापूर्वक देते हैं' (याकूब 1:5). यदि परमेश्वर हमारे प्रति इतने उदार हैं, तो हमें भी 'हमेशा उदार होना चाहिए.'
भजन संहिता 36:1-12
संगीत निर्देशक के लिए यहोवा के दास दाऊद का एक पद।
36बुरा व्यक्ति बहुत बुरा करता है जब वह स्वयं से कहता है,
“मैं परमेश्वर का आदर नहीं करता और न ही डरता हूँ।”
2 वह मनुष्य स्वयं से झूठ बोलता है।
वह मनुष्य स्वयं अपने खोट को नहीं देखता।
इसलिए वह क्षमा नहीं माँगता।
3 उसके वचन बस व्यर्थ और झूठे होते हैं।
वह विवेकी नहीं होता और न ही अच्छे काम सीखता है।
4 रात को वह अपने बिस्तर में कुचक्र रचता है।
वह जाग कर कोई भी अच्छा काम नहीं करता।
वह कुकर्म को छोड़ना नहीं चाहता।
5 हे यहोवा, तेरा सच्चा प्रेम आकाश से भी ऊँचा है।
हे यहोवा, तेरी सच्चाई मेघों से भी ऊँची है।
6 हे यहोवा, तेरी धार्मिकता सर्वोच्च पर्वत से भी ऊँची है।
तेरी शोभा गहरे सागर से गहरी है।
हे यहोवा, तू मनुष्यों और पशुओ का रक्षक है।
7 तेरी करुणा से अधिक मूल्यवान कुछ भी नहीं हैं।
मनुष्य और दूत तेरे शरणागत हैं।
8 हे यहोवा, तेरे मन्दिर की उत्तम बातों से वे नयी शक्ति पाते हैं।
तू उन्हें अपने अद्भुत नदी के जल को पीने देता है।
9 हे यहोवा, तुझसे जीवन का झरना फूटता है!
तेरी ज्योति ही हमें प्रकाश दिखाती है।
10 हे यहोवा, जो तुझे सच्चाई से जानते हैं, उनसे प्रेम करता रह।
उन लोगों पर तू अपनी निज नेकी बरसा जो तेरे प्रति सच्चे हैं।
11 हे यहोवा, तू मुझे अभिमानियों के जाल में मत फँसने दे।
दुष्ट जन मुझको कभी न पकड़ पायें।
12 उनके कब्रों के पत्थरो पर यह लिख दे:
“दुष्ट लोग यहाँ पर गिरे हैं।
वे कुचले गए।
वे फिर कभी खड़े नहीं हो पायेंगे।”
समीक्षा
परमेश्वर की प्रसन्नता का उदारतापूर्ण झरना
दाऊद परमेश्वर को अमीर और उदार के रूप में बताते हैं जो कि सभी लोगों को प्रचुरता से देते हैं (व.7).
दाऊद के आस-पास ऐसे लोग थे 'जो परमेश्वर का सम्मान नहीं करते थे' और 'जो पाप करने के लिए आतुर थे' (व.1, एम.एस.जी.). वे 'दुष्ट' और 'धोखा देने वाले थे' (व.3अ) और निरंतर बुराई करते थे (व.4अ). उन्होंने 'बुद्धिपूर्वक काम करना और भलाई करना बंद कर दिया था' (व.3ब). अपने आपको एक पापभरे रास्ते में रखने के द्वारा (व.4ब), उन्होंने परमेश्वर की उदारता को ठुकरा दिया था.
फिर भी, इन सब के बीच में दाऊद परमेश्वर को जानते थे (व.10) और परमेश्वर के 'आनंद के झरने में से' दाऊद ने पीया (व.8ब). यें आनंद है परमेश्वर के प्रेम की सीमा को जानना और इसका अनुभव करना (मैसेज अनुवाद देखें):
परमेश्वर का प्रेम 'आकाशमण्डलीय' है
उनका प्रेम 'स्वर्ग तक पहुँचता है' (व.5अ). परमेश्वर की वफादारी 'खगोलीय' है
- उनकी वफादारी 'आकाश तक' पहुँचती है (व.5ब).
- परमेश्वर का उद्देश्य 'टाइटैनिक' की तरह है.
-उनकी सत्यनिष्ठा 'ऊँचे पर्वत' के समान है (व.6 ब).
परमेश्वर का न्याय ' अथाह सागर ' के समान है
- उनका न्याय 'गहराई' के समान है (व.6ब).
आप उनके पंखो के नीचे 'शरण ' पा सकते हैं (व.7ब). आप उनके घर की प्रचुरता में 'दावत' खा सकते हैं (व.8अ). प्रचुरता उदारता का सामानार्थी शब्द है. 'जीवन का झरना उनमें प्राप्त होता है (व.9अ). उनकी रौशनी में आप 'प्रकाश को देखते हैं' (व.9ब).
परमेश्वर के साथ आपके संबंध में ये कुछ आनंद हैं जिन्हें वह आपको उदारतापूर्वक देते हैं.
प्रार्थना
परमेश्वर, आपका धन्यवाद क्योंकि आप मुझे अपने घर में दावत खाने और आपके आनंद के झरने में से पीने के लिए आमंत्रित करते हैं. मैं प्रार्थना करता हूँ कि आप निरंतर उदारतापूर्वक अपने प्रेम को मुझ पर, चर्च में और अपने लोगों पर ऊंडेलते रहेंगे.
लूका 4:14-37
यीशु के कार्य का आरम्भ
14 फिर आत्मा की शक्ति से पूर्ण होकर यीशु गलील लौट आया और उस सारे प्रदेश में उसकी चर्चाएं फैलने लगी। 15 वह उनकी आराधनालयों में उपदेश देने लगा। सभी उसकी प्रशंसा करते थे।
यीशु का अपने देश लौटना
16 फिर वह नासरत आया जहाँ वह पला-बढ़ा था। और अपनी आदत के अनुसार सब्त के दिन वह यहूदी आराधनालय में गया। जब वह पढ़ने के लिये खड़ा हुआ 17 तो यशायाह नबी की पुस्तक उसे दी गयी। उसने जब पुस्तक खोली तो उसे वह स्थान मिला जहाँ लिखा था:
18 “प्रभु की आत्मा मुझमें समाया है
उसने मेरा अभिषेक किया है ताकि मैं दीनों को सुसमाचार सुनाऊँ।
उसने मुझे बंदियों को यह घोषित करने के लिए कि वे मुक्त हैं,
अन्धों को यह सन्देश सुनाने को कि वे फिर दृष्टि पायेंगे,
दलितो को छुटकारा दिलाने को और
19 प्रभु के अनुग्रह का समय बतलाने को भेजा है।”
20 फिर उसने पुस्तक बंद करके सेवक को वापस दे दी। और वह नीचे बैठ गया। आराधनालय में सब लोगों की आँखें उसे ही निहार रही थीं। 21 तब उसने उनसे कहने लगा, “आज तुम्हारे सुनते हुए शास्त्र का यह वचन पूरा हुआ!”
22 हर कोई उसकी बड़ाई कर रहा था। उसके मुख से जो सुन्दर वचन निकल रहे थे, उन पर सब चकित थे। वे बोले, “क्या यह यूसुफ का पुत्र नहीं है?”
23 फिर यीशु ने उनसे कहा, “निश्चय ही तुम मुझे यह कहावत सुनाओगे, ‘अरे वैद्य, स्वयं अपना इलाज कर। कफ़रनहूम में तेरे जिन कर्मो के विषय में हमने सुना है, उन कर्मो को यहाँ अपने स्वयं के नगर में भी कर!’” 24 यीशु ने तब उनसे कहा, “मैं तुमसे सत्य कहता हूँ कि अपने नगर में किसी नबी की मान्यता नहीं होती।
25-26 “मैं तुमसे सत्य कहता हूँ इस्राएल में एलिय्याह के काल में जब आकाश जैसे मुँद गया था और साढ़े तीन साल तक सारे देश में भयानक अकाल पड़ा था, तब वहाँ अनगिनत विधवाएँ थीं। किन्तु सैदा प्रदेश के सारपत नगर की एक विधवा को छोड़ कर एलिय्याह को किसी और के पास नहीं भेजा गया था।
27 “और नबी एलिशा के काल में इस्राएल में बहुत से कोढ़ी थे किन्तु उनमें से सीरिया के रहने वाले नामान के कोढ़ी को छोड़ कर और किसी को शुद्ध नहीं किया गया था।”
28 सो जब यहूदी आराधनालय में लोगों ने यह सुना तो सभी को बहुत क्रोध आया। 29 सो वे खड़े हुए और उन्होंने उसे नगर से बाहर धकेल दिया। वे उसे पहाड़ की उस चोटी पर ले गये जिस पर उनका नगर बसा था ताकि वे वहाँ चट्टान से उसे नीचे फेंक दें। 30 किन्तु वह उनके बीच से निकल कर कहीं अपनी राह चला गया।
दुष्टात्मा से छुटकारा दिलाना
31 फिर वह गलील के एक नगर कफरनहूम पहुँचा और सब्त के दिन लोगों को उपदेश देने लगा। 32 लोग उसके उपदेश से आश्चर्यचकित थे क्योंकि उसका संदेश अधिकारपूर्ण होता था।
33 वहीं उस आराधनालय में एक व्यक्ति था जिसमें दुष्टात्मा समायी थी। वह ऊँचे स्वर में चिल्लाया, 34 “हे यीशु नासरी! तू हमसे क्या चाहता है? क्या तू हमारा नाश करने आया है? मैं जानता हूँ तू कौन है — तू परमेश्वर का पवित्र पुरुष है!” 35 यीशु ने झिड़कते हुए उससे कहा, “चुप रह! इसमें से बाहर निकल आ!” इस पर दुष्टात्मा ने उस व्यक्ति को लोगों के सामने एक पटकी दी और उसे बिना कोई हानि पहुँचाए, उसमें से बाहर निकल आयी।
36 सभी लोग चकित थे। वे एक दूसरे से बात करते हुए बोले, “यह कैसा वचन है? अधिकार और शक्ति के साथ यह दुष्टात्माओं को आज्ञा देता है और वे बाहर निकल आती हैं।” 37 उस क्षेत्र में आस-पास हर कहीं उसके बारे में समाचार फैलने लगे।
समीक्षा
परमेश्वर अपना पवित्र आत्मा उदारतापूर्वक देते हैं
'आत्मा की सामर्थ में' यीशु गलील में वापस आए (व.14अ). वह नासरत के आराधनालय में गए और अपने उद्देश्य को बताया. यशायाह 61 से पढ़ते हुए उन्होंने कहा, 'परमेश्वर का आत्मा मुझ पर है, क्योंकि उसने मुझे अभिषिक्त किया है कि मैं गरीबो को सुसमाचार सुनाऊं और मुझे इसलिये भेजा है कि बंदियों को छुटकारे का और अंधो को दृष्टि पाने का सुसमाचार प्रचार करुँ और कुचले हुओं को छुड़ाऊँ, और प्रभु के प्रसन्न रहने के वर्ष का प्रचार करुँ' (लूका 4:18-19).
उन्होंने घोषणा की, 'तुमने सुना है वचन इतिहास बनाते हैं. अभी इस स्थान में यह सच हुआ है' (व.21 एम.एस.जी.).
'प्रभु का आत्मा' पवित्र आत्मा है 'जिसे परमेश्वर ने हमें हमारे उद्धारकर्ता यीशु मसीह के द्वारा उदारतापूर्वक दिया है' (तीतुस 3:6). यीशु में हम पवित्र आत्मा से भरे हुए जीवन के फल को देखते हैं जो कि उन सभी के लिए उपलब्ध हैं जो उनके पीछे चलते हैं:
1. आत्मा का अभिषेक
शब्द 'मसीह' का अर्थ है 'अभिषिक्त व्यक्ति' (यह इब्रानी शब्द, 'मसीहा' का ग्रीक रूप है). यहाँ पर हम देखते हैं कि कैसे उनकी सेवकाई में यीशु पवित्र आत्मा से अभिषिक्त थे. पिंतेकुस्त के दिन वही अभिषेक उनके अनुयायियों को दिया गयाः 'उन्होंने हमें अभिषेकित किया है... और हमारे हृदय में अपनी आत्मा को रख दिया है' (2कुरिंथियो 1:21-22). अंताकिया के थियुफिलुस ने लिखा है, 'हम मसीह (क्रिस्टिनो) कहलाते हैं क्योंकि हम परमेश्वर के तेल से अभिषिक्त (क्रिस्टोमेथा) किए गए हैं.'
पवित्र आत्मा आपको अभिषेकित करते हैं 'गरीबों को सुसमाचार सुनाने के लिए...बंदी को छुटकारे का और अंधो को दृष्टि का, और कुचले हुओं को छुटकारे का समाचार देने के लिए.'
2. अनुग्रही वचन
लोग उन 'अनुग्रही वचन से चकित हुए' जो यीशु के मुख से निकलते थे (व.22). प्रेम कभी कठोर नहीं होता (1कुरिंथियो 13:5). यीशु हमेशा उदार थे. अनुग्रही वचन आपके जीवन में सामर्थ का प्रमाण हैं.
3. अद्भुत शिक्षा
'वे उसकी शिक्षा से चकित होते थे, क्योंकि उसके वचन में अधिकार था' (लूका 4:32). 'उनकी शिक्षा खरी, निर्भीक, और अधिकारमय थी, ना कि छल-कपट से भरी हुई थी' (व.32, एम.एस.जी.). आत्मा की सामर्थ से अधिकार आता है. पवित्र आत्मा के बिना शिक्षा एकमात्र शब्द है.
4. अधिकार और सामर्थ
पवित्र आत्मा की सामर्थ के द्वारा यीशु ने शैतानी ताकतों से निपटा (वव.33-35). फिर से, 'सभी लोग चकित हो गए' (व.36), क्योंकि 'अधिकार और सामर्थ से वह अशुद्ध आत्माओं को आदेश देते थे और वे निकल जाते थे!' (व.36).
5. स्तुति और क्रोध
पवित्र आत्मा की सामर्थ में सेवकाई दो विरोधी प्रतिक्रियाओं को उकसाती है – स्तुति और क्रोध. 15वें वचन में हमने पढ़ा कि यीशु 'उनके आराधनालयों में सिखा रहे थे और सभी ने उनकी स्तुति की.' तब कुछ वचन आगे हमने पढ़ा, 'आराधनालय में सभी लोग क्रोध से भर गए' (व.28). आज, आप भी ऐसी प्रतिक्रिया को देख सकते हैं. यीशु के संदेश और पवित्र आत्मा की सेवकाई ने स्तुति और क्रोध दोनों को उत्पन्न किया.
प्रार्थना
धन्यवाद परमेश्वर, क्योंकि वही पवित्र आत्मा जिसने यीशु को भर दिया और उन्हें अभिषेकित किया अब वह मुझ में हैं और अभिषेकित करते हैं. मैं आज प्रार्थना करता हूँ कि आप मुझे पवित्र आत्मा की सामर्थ से अभिषेकित कीजिए. मेरी सहायता कीजिए कि मैं अनुग्रही वचनों को उस अधिकार के साथ बोल सकूँ जो आपसे आती है.
गिनती 13:26-14:45
26 वे व्यक्ति मूसा, हारून और अन्य इस्राएल के लोगों के पास कादेश में लौटे। यह पारान मरुभूमि में था। तब उन्होंने मूसा, हारून और सभी लोगों को, जो कुछ देखा सब कुछ सुनाया और उन्होंने उन्हें उस प्रदेश के फलों को दिखाया। 27 उन लोगों ने मूसा से यह कहा, “हम लोग उस प्रदेश में गए जहाँ आपने हमें भजा। वह प्रदेश अत्यधिक अच्छा है यहाँ दूध और मधु की नदियाँ बह रही हैं! ये वे कुछ फल हैं जिन्हें हम लोगों ने वहाँ पाया 28 किन्तु वहाँ जो लोग रहते हैं, वे बहुत शक्तिशाली और मजबूत हैं। उनके नगर मजबूती के साथ सुरक्षित हैं और उनके नगर बहूत विशाल हैं। हम लोगों ने वहाँ उनके परिवार के कुछ लोगों को देखा भी। 29 अमालेकी लोग नेगेव की घाटी में रहते हैं। हित्ती, यबूसी और एमोरी पहाड़ी प्रदेशों में रहते हैं। कनानी लोग समुद्र के किनारे और यरदन नदी के किनारे रहते हैं।”
30 तब कालेब ने मूसा के समीप के लोगों को शान्त होने को कहा। कालेब ने कहा, “हम लोगों को वहाँ जाना चाहिए और उस प्रदेश को अपने लिए लेना चाहिए। हम लोग उस प्रदेश को सरलता से ले सकते हैं।”
31 किन्तु जो व्याक्ति उसके साथ गया था, वह बोला, “हम लोग उन लोगों के विरुद्ध लड़ नहीं सकते। वे हम लोगों की तुलना में अधिक शक्तिशाली हैं।” 32 और उन लोगों ने सभी इस्राएली लोगों से कहा कि उस प्रदेश के लोगों को पराजित करने के लिए वे पर्याप्त शक्तिशाली नहीं हैं उन्होंने कहा, “जिस प्रदेश को हम लोगों ने देखा, वह शक्तिशाली लोगों से भरा है। वे लोग इतने अधिक शक्तिशाली हैं कि जो कोई व्यक्ति वहाँ जाएगा उसे वे सरलता से हरा सकते हैं। 33 हम लोगों ने वहाँ नपीलियों को देखा! (अनाक के परिवार के लोग जो नपीलों के वंश के थे।) उनके सामने खड़े होने पर हम लोगों ने अपने आपको टिड्डा अनुभव किया। उन लोगों ने हम लोगों को ऐसे देखा मानो टिड्डे के समान छोटे हों।”
लोग फिर शिकायत करते हैं
14उस रात डेरे के सब लोगों ने जोर से रोना आरम्भ किया। 2 इस्राएल के सभी लोगों ने हारून और मूसा के विरुद्ध फिर शिकायत की। सभी लोग एक साथ आए और मूसा तथा हारून से उन्होंने कहा, “हम लोगों को मिस्र या मरुभूमि में मर जाना चाहिए था, अपने नए प्रदेश में तलवार से मरने की अपेक्षा यह बहुत अच्छा रहा होता। 3 क्या यहोवा हम लोगों को इस नये प्रदेश में मरने के लिए लाया है? हमारी पत्नियाँ और हमारे बच्चे हमसे छीन लिए जाएंगे और हम तलवार से मार डाले जाएंगे। यह हम लोगों के लिए अच्छा होगा कि हम लोग मिस्र को लौट जाएं।”
4 तब लोगों ने एक दूसरे से कहा, “हम लोगों को दूसरा नेता चुनना चाहिए और मिस्र लौट चलना चाहिए।”
5 तब मूसा और हारून वहाँ इकट्ठे सारे इस्राएल के लोगों के सामने भूमि पर झुक गए। 6 उस प्रदेश की छानबीन करने वाले लोगों में से दो व्यक्ति बहुत परेशान हो गए। (वे दोनो नून का पुत्र यहोशू और यपुन्ने का पुत्र कालेब थे।) 7 इन दोनों ने वहाँ इकट्ठे इस्राएल के सभी लोगों से कहा, “जिस प्रदेश को हम लोगों ने देखा है वह बहुत अच्छा है। 8 और यदि यहोवा हम लोगों से प्रसन्न है तो वह हम लोगों को उस प्रदेश में ले चलेगा। वह प्रदेश सम्पन्न है, ऐसा है जैसे वहाँ दूध और मधु की नदियाँ बहती हों और यहोवा उस प्रदेश को हम लोगों को देने के लिए अपनी शक्ति का उपयोग करेगा। 9 किन्तु हम लोगों को यहोवा के विरुद्ध नहीं जाना चाहिए। हम लोगों को उस प्रदेश के लोगों से डरना नहीं चाहिए। हम लोग उन्हें सरलता से हरा देंगे। उनके पास कोई सुरक्षा नहीं है, उन्हें सुरक्षित रखने के लिए उनके पास कुछ नहीं है। किन्तु हम लोगों के साथ यहोवा है। इसलिए इन लोगों से डरो मत!”
10 तब इस्राएल के सभी लोग उन दोनों व्यक्तियों को पत्थरों से मार देने की बातें करने लगे। किन्तु यहोवा का तेज मिलापवाले तम्बू पर आया। इस्राएल के सभी लोग इसे देख सकते थे। 11 यहोवा ने मूसा से कहा, “ये लोग इस प्रकार मुझसे कब तक घृणा करते रहेंगे? वे प्रकट कर रहे हैं कि वे मुझ पर बिश्वास नहीं करते। वे दिखाते हैं कि उन्हें मेरी शक्ति पर बिश्वास नहीं। वे मुझ पर बिश्वास करने से तब भी इन्कार करते हैं जबकि मैंने उन्हें बहुत से शक्तिशाली चिन्ह दिखाये हैं। मैंने उनके बीच अनेक बड़ी चीजें की हैं। 12 मैं उन्हें नष्ट कर दूँगा और तुम्हारा उपयोग दूसरा राष्ट्र बनाने के लिए करूँगा और तुम्हारा राष्ट्र इन लोगों से अधिक बड़ा और अधिक शक्तिशाली होगा।”
13 तब मूसा ने यहोवा से कहा, “यदि तू ऐसा करता है तो मिस्र में लोग यह सुनेंगे कि तूने अपने सभी लोगों को मार डाला। तूने अपनी बड़ी शक्ति का उपयोग उन लोगों को मिस्र से बाहर लाने के लिए किया 14 और मिस्र के लोगों ने इसके बारे में कनान के लोगों को बताया है। वे पहले से ही जानते हैं कि तू यहोवा है। वे जानते हैं कि तू अपने लोगों के साथ है और वे जानते हैं कि तू प्रत्यक्ष है। इस देश में रहने वाले लोग उस बादल के बारे में जानेंगे जो लोगों के ऊपर ठहरता है तूने उस बादल का उपयोग दिन में अपने लोगों को रास्ता दिखाने के लिए किया और रात को वह बादल लोगों को रास्ता दिखाने के लिए आग बन जाता है। 15 इसलिए तुझे अब लोगों को मारना नहीं चाहिए। यदि तू उन्हें मारता है तो सभी राष्ट्र, जो तेरी शक्ति के बारे में सुन चुके हैं, कहेंगे, 16 ‘यहोवा इन लोगों को उस प्रदेश में ले जाने में समर्थ नहीं था जिस प्रदेस को उसने उन्हें देने का वचन दिया था। इसलिए यहोवा ने उन्हें मरुभूमि में मार दिया।’
17 “इसलिए तुझे अपनी शक्ति दिखानी चाहिए। तुझे इसे वैसे ही दिखाना चाहिए जैसा दिखाने की घोषणा तूने की है। 18 तूने कहा था, ‘यहोवा क्रोधित होने में सहनशील है। यहोवा प्रेम से परिपूर्ण है। यहोवा पाप को क्षमा करता है और उन लोगों को क्षमा करता है जो उसके विरुद्ध भी हो जाते हैं। किन्तु यहोवा उन लोगों को अवश्य दण्ड देगा जो अपराधी हैं। यहोवा तो बच्चों को, उनके पितामह और प्रपितामह के पापों के लिए भी दण्ड देता है!’ 19 इसलिए इन लोगों को अपना महान प्रेम दिखा। उनके पाप को क्षमा कर। उनको उसी प्रकार क्षमा कर जिस, प्रकार तू उनको मिस्र छोड़ने के समय से अब तक क्षमा करता रहा है।”
20 यहोवा ने उत्तर दिया, “मैंने लोगों को तुम्हारे कहे अनुसार क्षमा कर दिया है। 21 किन्तु मैं तुमसे यह सत्य कहता हूँ, क्योंकि मैं शाशवत हूँ और मेरी शक्ति इस सारी पृथ्वी पर फैली है। अतः मैं तुमको यह वचन दूँगा। 22 उन लोगों में से कोई भी व्यक्ति जिसे मैं मिस्र से बाहर लाया, उस देश को कभी नहीं देखेगा। उन लोगों ने मिस्र में मेरे तेज और मेरे महान संकेतो को देखा है और उन लोगों ने उन महान कार्यों को देखा जो मैंने मरुभूमि में किए। किन्तु उन्होंने मेरी आज्ञा का उल्लंघन किया और दस बार मेरी परीक्षा ली। 23 मैंने उनके पूर्वर्जों को वचन दिया था। मैंने प्रतिज्ञा की थी कि मैं उनको एक महान देश दूँगा। किन्तु उनमें से कोई भी व्यक्ति जो मेरे विरुद्ध में हो चुका है उस देश में प्रवेश नहीं करेगा। 24 किन्तु मेरा सेवक कालेब इनसे भिन्न है। वह पूरी तरह मेरा अनुसरण करता है। इसलिए मैं उसे उस देश में ले जाऊँगा जिसे उसने पहले देखा है और उसके लोग प्रदेश प्राप्त करेगें। 25 अमालेकियों और कनानी लोग घाटी में रह रहे हैं इसलिये तुम्हारे जाने के लिए कोई जगह नही है। कल इस स्थान को छोड़ो और रेगिस्तान की ओर लालसागर से होकर लौट जाओ।”
यहोवा लोगों को दण्ड देता है
26 यहोवा ने मूसा और हारून से कहा, 27 “ये लोग कब तक मेरे विरुद्ध शिकायत करते रहेंगे मैं इन लोगों की शिकायत और पीड़ा को सुन चुका हूँ। 28 इसलिए इनसे कहो, ‘यहोवा कहता है कि वह निश्चय ही सभी काम करेगा जिनके बारे में तुम लोगों की शिकायत है। 29 तुम लोगों को यह सब होगाः तुम लोगों के शरीर इस मरुभूमि में मरे हुए गिरेंगे। हर एक व्यक्ति जो बीस वर्ष में या अधिक उम्र का था हमारे लोंगों के सदस्य के रुप गिना गया और तुम लोगों में से हर एक ने मेरे अर्थात् यहोवा के विरुद्ध शिकायत की। इसलिए तुम लोगों में से हर एक मरुभूमि में मरेगा। 30 तुम लोगों में से कोई भी कभी उस देश में प्रवेश नहीं करेगा जिसे मैंने तुमको देने का वचन दिया था। केवल यपुन्ने का पुत्र कालेब और नून का पुत्र यहोशू उस देश में प्रवेश करेंगे। 31 तुम लोग डर गए थे और तुम लोगों ने शिकायत की कि उस नये देश में तुम्हारे शत्रु तुम्हारे बच्चों को तुमसे छीन लेंगे। किन्तु मैं तुमसे कहता हूँ कि मैं उन बच्चों को उस देश में ले जाऊँगा। वे उन चीज़ों का भोग करेंगे जिनका भोग करना तुमने स्वीकार नहीं किया। 32 जहाँ तक तुम लोगों की बात है, तुम्हारे शरीर इस मरुभूमि में गिर जाएंगे।’”
33 “‘तुम्हारे बच्चे यहाँ मरुभूमि में चालीस वर्ष तक गड़ेरिए रहेंगे। उनको यह कष्ट होगा क्योंकि तुम लोगों ने विश्वास नहीं किया। वे इस मरुभूमि में तब तक रहेंगे जब तक तुम सभी यहाँ मर नहीं जाओगे। तब तुम सबके शरीर इस मरुभूमि में दफन हो जाएंगे। 34 तुम लोग अपने पाप के लिए चालीस वर्ष तक कष्ट भोगोगे। (तुम लोगों ने इस देश की छानबीन में जो चालीस दिन लागए उसके प्रत्येक दिन के लिए एक वर्ष होगा।) तुम लोग जानोगे कि मेरा तुम लोगों के विरुद्ध होना कितना भयानक है।
35 “मैं यहोवा हूँ और मैंने यह कहा है। मैं वचन देता हूँ कि मैं इन सभी बुरे लोगों के लिए यह करुँगा। ये लोग मेरे विरुद्ध एक साथ आए इसलिए वे सभी यहाँ मरुभूमि में मरेंगे।”
36 जिन लोगों को मूसा ने नये प्रदेश की छानबीन के लिए भेजा, वे ऐसे थे जो लौट आए और जो सभी इस्राएलियों में शिकायत करते हुए फैल गए। उन लोगों ने कहा कि लोग उस प्रदेश में प्रवेश करने के लिए पर्याप्त शक्तिशाली नहीं हैं। 37 वे लोग इस्राएली लोगों में परेशानी फैलाने के लिए उत्तरदायी थे। इसलिए यहोवा ने एक बीमारी उत्पन्न करके उन सभी को मर जाने दिया। 38 किन्तु नून का पुत्र यहोशू और यपुन्ने का पुत्र कालेब उन लोगों में थे जिन्हें देश की छानबीन करने के लिए भेजा गया था और यहोवा ने उन दोनों आदमियों को बचाया। उनको वह बीमारी नहीं हुई जिसने अन्य लोगों को मार डाला।
लोग कनान में जाने का प्रयत्न करते हैं
39 मूसा ने ये सभी बातें इस्राएल के लोगों से कहीं। लोग बहुत अधिक दुःखी हुए। 40 अगले दिन बहुत सवेरे लोगों ने ऊँचे पहाड़ी प्रदेश की ओर बढ़ना आरम्भ किया। लोगों ने कहा, “हम लोगों ने पाप किया है। हम लोगों को दुःख है कि हम लोगों ने यहोवा पर विश्वास नहीं किया। हम लोग उस स्थान पर जाएंगे जिसे यहोवा ने देने का वचन दिया है।”
41 किन्तु मूसा ने कहा, “तुम लोग यहोवा के आदेश का पालन क्यों नहीं कर रहे हो? तूम लोग सफल नहीं हो सकोगे। 42 उस देश में प्रवेश न करो।यहोवा तूम लोगों के साथ नहीं है। तुम लोग सरलता से अपने शत्रुओं से हार जाओगे। 43 अमालेकी और कनानी लोग वहाँ तुम्हारे विरुद्ध लड़ेंगे। तुम लोग यहोवा से विमुख हुए हो। इसलिए वह तुम लोगों के साथ नहीं होगा जब तुम लोग उनसे लड़ोगे और तुम सभी उनकी तलवार से मारे जाओगे।”
44 किन्तु लोगों ने मूसा पर विश्वास नहीं किया। वे ऊँचे पहाड़ी प्रदेश की ओर गए। किन्तु मूसा और यहोवा का साक्षीपत्र का सन्दूक लोगों के साथ नहीं गया।
45 तब अमालेकी और कनानी लोग जो पहाड़ी प्रदेशों में रहते थे, आए और उन्होंने इस्राएली लोगों पर आक्रमण कर दिया। अमालेकी और कनानी लोगों ने उनको सरलता से हरा दिया और होर्मा तक उनका पीछा किया।
समीक्षा
परमेश्वर का उदार प्रावधान
परमेश्वर अपने लोगों के लिए बहुत ही उदार हैं. इस लेखांश में, हम देखते हैं कि कैसे परमेश्वर ने उन्हें 'दूध और शहद की नदियॉं बहने वाला देश दिया.' यहोशू और कालेब ने बताया कि 'जिस देश का भेद लेने को हम इधर उधर घूम कर आए हैं, वह अत्यंत उत्तम देश है. यदि यहोवा हम से प्रसन्न हो, तो हम को उस देश में, जिसमें दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, पहुँचाकर उसे हमें दे देगें' (14:7-8).
परमेश्वर की उदारता अद्भुत है. कुछ चीजें भविष्य के लिए संग्रहित करके रखी गई हैं जब हम उनसे आमने-सामने मिलेंगे (इफिसियो 1:13-14; इब्रानियो 4:8-11 और 1पतरस 1:4-5), लेकिन अभी परमेश्वर अपने लोगों को यहाँ पृथ्वी पर बहुत कुछ देते हैं. परमेश्वर की सारी उदारता का आनंद लेने के लिए आपको कुछ चीजों को करने की आवश्यकता हैः
1. अधिकार को लीजिए
कालेब ने कहा, 'हमें ऊपर जाना चाहिए और देश पर अधिकार लेना चाहिए, क्योंकि निश्चित ही हम यह कर सकेंगे' (गिनती 13, 30ब). लेकिन दूसरों ने इनकार किया, 'वे हमसे अधिक शक्तिशाली हैं. उन्होंने भयानक अफवाहें फैलायी' (वव.31-32, एम.एस.जी.). विरोध हमेशा आएँगे लेकिन दानवों के द्वारा हार मत मानिये.
लोग सोच नहीं पाये कि वे दानवों को हरा सकते हैं. केवल चार लोग (मूसा, हारून, कालेब और यहोशू) ने विश्वास किया कि परमेश्वर परेशानी से बड़ा था. जॉयस मेयर कहती हैं, 'दु:खद रूप से, हम अक्सर अपनी बड़ी परेशानियों को देखते हैं इसके बजाय कि परमेश्वर को देखें...मैं विश्वास करती हूँ कि परमेश्वर की स्तुति और आराधना करने में अधिक समय बिताना एक स्पष्ट केंद्र बनाए रखने में हमारी सहायता करेगा और एक मजबूत और सकारात्मक बर्ताव के साथ आगे बढ़ने में हमें सक्षम करेगा, यह विश्वास करते हुए कि हम वह सब कर सकते हैं जो परमेश्वर हमें करने के लिए कहते हैं.'
2. परमेश्वर के वायदों पर विश्वास कीजिए
परमेश्वर ने मूसा से कहा, 'कब तक वे मेरा तिरस्कार करेंगे?' (14:11). परमेश्वर के लोगों ने उनके लीडर के विरूद्ध कुड़कुड़ाना शुरु कर दिया और कहा, 'क्यों हम मिस्त्र में ही न मर गए?...आओ हम एक नया लीडर चुन लेते हैं; आओ फिर मिस्र चले जाते हैं' (वव.2-, एम.एस.जी.). विरोध और कुछ परेशानियों के सामने, क्या आप कभी आत्मग्लानि से भर जाते हैं और पुराने जीवन में फिर से चले जाना चाहते हैं - यह सोचते हुए कि यीशु के पीछे चलना शुरु करने से पहले आप बेहतर थे? यह एक प्रलोभन है जिसे अवश्य ही नकारना है.
3. परमेश्वर के मार्गदर्शन को खोजो
परमेश्वर हमारे प्रति बहुत ही दयालु और उदार हैं. वह हमारे आगे-आगे 'दिन को बादल के खम्भे में, और रात को अग्नि के खम्भे में होकर' चलने का वादा करते हैं (व.14). यदि आप उन सभी अच्छी चींजो का आनंद लेना चाहते हैं जो आपके लिए परमेश्वर के पास हैं, तो परमेश्वर के मार्गदर्शन पर अपनी आँखो को केंद्रित कीजिए.
4. जोश के साथ परमेश्वर के पीछे जाईये
अधिकतर लोग दानवों के द्वारा भयभीत हो चुके थे. केवल यहोशू और कालेब अलग थेः 'कालेब के पास एक अलग आत्मा है और पूरे दिल से वह मेरे पीछे आता है' (व.24). अंत में, केवल वे लोग जो 'जोश' के साथ परमेश्वर के पीछे चलते थे, उन्होंने ही दूध और शहद की धाराएँ बहने वाले देश का आनंद लिया.
प्रार्थना
परमेश्वर, मैं आपका धन्यवाद देता हूँ आपकी अद्भुत उदारता के लिए और उन सभी अच्छी वस्तुओं के लिए जो अपने लोगों के लिए आपने संग्रह करके रखी है. मेरी सहायता कीजिए कि उन उपहारों का अधिकार लूँ जो मेरे लिए आपके पास हैं, और आपके वायदों में विश्वास करुँ, आपके मार्गदर्शन को सुनूं और जोश के साथ आपके पीछे चलूं.
पिप्पा भी कहते है
गिनतीयों 14:29-30
परमेश्वर के प्रति आधा कटिबद्ध होना या कुड़कुड़ाना या उनकी आज्ञा न मानना अच्छी बात नहीं है. परमेश्वर के लोग बहुत सी चीजों से चूक गए. (भोजन के विषय में चिंता करने के कारण मुझे आत्मिग्लानि महसूस हो रही है!)
लेकिन परमेश्वर उसकी वफादारी का ईनाम देते हैं: 'मेरे दास कालेब के पास एक अलग आत्मा है और वह पूरे हृदय से मेरे पीछे चलता है' (व.24).
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संदर्भ
नोट्स:
- मेयर, एव्रीडे लाईफ बाईबल (हॉडर एण्ड स्टॉटन,2006) प.233
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