विस्मय और आश्चर्य
परिचय
'उकाब जमीन पर उतर चुका है।' प्रेसीडेंट निक्सोन, टेलीविजन पर घटनाएँ देखते हुए, इसे 'हमारे समय का एक महान क्षण' बताते हैं। पोप ने समाचार के बारे में कहा,'परमेश्वर की महिमा हो ऊँचाईयों में और पृथ्वी पर शांति बनी रहे!'
20 जुलाई 1969, सुबह के 3:56 बजे, नेल आर्मस्ट्रोंग ईगल की सीढ़ीयों से बाहर कदम बढाकर चंद्रमा की सतह पर पैर रखा। 'यह एक मनुष्य के लिए एक छोटा सा कदम है, पर मानवजाति के लिए एक बड़ी छलांग है,' उन्होंने कहा, जैसे ही वह चंद्रमा पर चलने वाले पहले व्यक्ति बने।
टेलीविजन की खोज के कारण, यह उल्लेखनीय घटना इतिहास की सबसे बड़ी उपलब्धि बनी जिसे बहुतों ने देखा और तुरंत इसकी जानकारी लोगों को मिली। संपूर्ण विश्व विस्मय और आश्चर्य के साथ देखने लगा।
जब हम चंद्रमा पर पहले कदम रखे जाने पर विस्मय और आश्चर्य के बारे में सोचते हैं, तब हमें एक झलक मिलती है कि जिन लोगों ने यीशु को देखा होगा उन्होंने कैसा महसूस किया होगा। दूसरा अंतरिक्ष यात्री, जो चंद्रमा पर चला, जेम्स इर्विन ने कहा,'यीशु का पृथ्वी पर चलना, मनुष्य का चंद्रमा पर चलने से अधिक महत्वपूर्ण है।' जब लोगों ने यीशु के कामों को देखा तब वे चकित हो गएः 'हर कोई चकित था.. वे विस्मय से भर गए थे' (लूका 5:26)।
भजन संहिता 37:10-20
10 थोड़े ही समय बाद कोई दुर्जन नहीं बचेगा।
ढूँढने से भी तुमको कोई दुष्ट नहीं मिलेगा!
11 नम्र लोग वह धरती पाएंगे जिसे परमेश्वर ने देने का वचन दिया है।
वे शांति का आनन्द लेंगे।
12 दुष्ट लोग सज्जनों के लिये कुचक्र रचते हैं।
दुष्ट जन सज्जनों के ऊपर दाँत पीसकर दिखाते हैं कि वे क्रोधित हैं।
13 किन्तु हमारा स्वामी उन दुर्जनों पर हँसता है।
वह उन बातों को देखता है जो उन पर पड़ने को है।
14 दुर्जन तो अपनी तलवारें उठाते हैं और धनुष साधते हैं। वे दीनों, असहायों को मारना चाहते हैं।
वे सच्चे, सज्जनों को मारना चाहते हैं।
15 किन्तु उनके धनुष चूर चूर हो जायेंगे।
और उनकी तलवारें उनके अपने ही हृदयों में उतरेंगी।
16 थोड़े से भले लोग,
दुर्जनों की भीड़ से भी उत्तम है।
17 क्योंकि दुर्जनों को तो नष्ट किया जायेगा।
किन्तु भले लोगों का यहोवा ध्यान रखता है।
18 शुद्ध सज्जनों को यहोवा उनके जीवन भर बचाता है।
उनका प्रतिफल सदा बना रहेगा।
19 जब संकट होगा,
सज्जन नष्ट नहीं होंगे।
जब अकाल पड़ेगा,
सज्जनों के पास खाने को भरपूर होगा।
20 किन्तु बुरे लोग यहोवा के शत्रु हुआ करते हैं।
सो उन बुरे जनों को नष्ट किया जाएगा,
उनकी घाटियाँ सूख जाएंगी और जल जाएंगी।
उनको तो पूरी तरह से मिटा दिया जायेगा।
समीक्षा
परमेश्वर के चुनाव पर विस्मय और आश्चर्य में खड़े रहे
परमेश्वर जिस तरह के लोगों को चुनते हैं क्या आप कभी इस बात पर आश्चर्य करते हैं? जबकि विश्व 'धनी' (व.16) और 'शक्तिशाली' (व.17) लोगों के द्वारा खुश होते हैं, पर परमेश्वर के साथ ऐसा नहीं है। 'परमेश्वर ने मूर्खों को चुना..कमजोर...तुच्छ..तिरस्कार की गई चीजों को –और जो चीजें हैं ही नहीं – ताकि उन चीजों को नगण्य कर दे जो हैं, ताकि कोई भी उसके सामने घमंड न कर पाये' (1कुरिंथियो 1:27-29)। परमेश्वर चुनाव करते हैं:
1. विनम्र व्यक्ति का
- 'दीन लोग भूमि पर अधिकार लेंगे और शांति का आनंद लेंगे' (भजनसंहिता 37:11)। दीन का अर्थ कमजोर, डरपोक या दुर्बल नहीं है। मूसा के लिए इस शब्द का इस्तेमाल किया गया है (गिनती 12:3, आर.एस.व्ही.)। यीशु ने अपना वर्णन दीन के रूप में किया (मत्ती 11:29 आर.एस.व्ही.)। इसका अर्थ है सज्जन, लिहाज रखने वाला और विनम्र।
- यह अक्खड़ बनने और स्वार्थी बनने के विपरीत है। यह एक घोड़े के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है जिसे 'तोड़ा जा चुका है,' यानि, पालतू बनाया जा चुका है। इसका अर्थ है नियंत्रण में सामर्थ। यीशु इस वचन को दोहरा रहे थे जब उन्होंने कहा,'धन्य है वे जो दीन हैं, क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होगे' (मत्ती 5:5)।
2. गरीब और जरुरतमंद व्यक्ति का
- परमेश्वर 'गरीब और जरुरतमंद' के लिए चिंता करते हैं (भजनसंहिता 37:14)। जो उनके साथ बुरा व्यवहार करते हैं, परमेश्वर की नजरों में वे 'दुष्ट' हैं: 'सत्यनिष्ठ का थोड़ा सा धन, दुष्टों के बहुत से धन से उत्तम है। क्योंकि दुष्टों की भुजाएँ तो तोड़ी जाएँगी; परंतु यहोवा सत्यनिष्ठ को सँभालते हैं' (वव.16-17)।
3. सताए गए व्यक्ति का
- भजनसंहिता 37 में इन वचनों का विषय यह है कि दुष्ट सत्यनिष्ठ के विरूद्ध षड्यंत्र करते हैं। जैसा कि भजनसंहिता के लेखक 'सत्यनिष्ठ' और दुष्ट के बीच के अंतर को स्पष्ट करते हैं, ऐसा नहीं है कि ये केवल लोगों के दो अलग वर्ग हैं, लेकिन पहला दूसरों के साथ शत्रुता रखने में ज्यादा सक्रिय होता हैë 'बुरे लोगों के पास यह है अच्छे लोगों के लिए'(व.12, एम.एस.जी.)।
ये वचन हमें याद दिलाते हैं कि यदि हमारा सताव होता है तो हमें बदला नहीं लेना चाहिए क्योंकि सब कुछ परमेश्वर के नियंत्रण में है और वह सुनिश्चित करेंगे कि आखिरकार सभी को न्याय मिले। हमें अपने हाथों से बदला लेने की आवश्यकता नहीं है (रोमियों 12:17-21 देखें)।
प्रार्थना
परमेश्वर, जिन लोगों को आप चुनते हैं उन पर मैं विस्मय और आश्चर्य करता हूँ। मेरी सहायता कीजिए कि मैं लोगों को उस तरह से देखूँ जैसा कि आप उन्हें देखते हैं – विश्व के स्तर से नहीं लेकिन आपकी आँखो से।
लूका 5:17-32
लकवे के रोगी को चंगा करना
17 ऐसा हुआ कि एक दिन जब वह उपदेश दे रहा था तो वहाँ फ़रीसी और यहूदी धर्मशास्त्री भी बैठे थे। वे गलील और यहूदिया के हर नगर तथा यरूशलेम से आये थे। लोगों को ठीक करने के लिए प्रभु की शक्ति उसके साथ थी। 18 तभी कुछ लोग खाट पर लकवे के एक रोगी को लिये उसके पास आये। वे उसे भीतर लाकर यीशु के सामने रखने का प्रयत्न कर रहे थे। 19 किन्तु भीड़ के कारण उसे भीतर लाने का रास्ता न पाते हुए वे ऊपर छत पर जा चढ़े और उन्होंने उसे उसके बिस्तर समेत छत के बीचोबीच से खपरेल हटाकर यीशु के सामने उतार दिया। 20 उनके विश्वास को देखते हुए यीशु ने कहा, “हे मित्र, तेरे पाप क्षमा हुए।”
21 तब यहूदी धर्मशास्त्री और फ़रीसी आपस में सोचने लगे, “यह कौन है जो परमेश्वर के लिए ऐसे अपमान के शब्द बोलता है? परमेश्वर को छोड़ कर दूसरा कौन है जो पाप क्षमा कर सकता है?”
22 किन्तु यीशु उनके सोच-विचार को समझ गया। सो उत्तर में उसने उनसे कहा, “तुम अपने मन में ऐसा क्यों सोच रहे हो? 23 सरल क्या है? यह कहना कि ‘तेरे पाप क्षमा हुए’ या यह कहना कि ‘उठ और चल दे?’ 24 पर इसलिये कि तुम जान सको कि मनुष्य के पुत्र को धरती पर पाप क्षमा करने का अधिकार है।” उसने लकवे के मारे से कहा, “मैं तुझसे कहता हूँ, खड़ा हो, अपना बिस्तर उठा और घर चला जा!”
25 सो वह तुरन्त खड़ा हुआ और उनके देखते देखते जिस बिस्तर पर वह लेटा था, उसे उठा कर परमेश्वर की स्तुति करते हुए अपने घर चला गया। 26 वे सभी जो वहाँ थे आश्चर्यचकित होकर परमेश्वर का गुणगान करने लगे। वे श्रद्धा और विस्मय से भर उठे और बोले, “आज हमने कुछ अद्भुत देखा है!”
लेवी (मत्ती) यीशु के पीछे चलने लगा
27 इसके बाद यीशु चल दिया। तभी उसने चुंगी की चौकी पर बैठे लेवी नाम के एक कर वसूलने वाले को देखा। वह उससे बोला, “मेरे पीछे चला आ!” 28 सो वह खड़ा हुआ और सब कुछ छोड़ कर उसके पीछे हो लिया।
29 फिर लेवी ने अपने घर पर यीशु के सम्मान में एक स्वागत समारोह किया। वहाँ कर वसूलने वालों और दूसरे लोगों का एक बड़ा जमघट उनके साथ भोजन कर रहा था। 30 तब फरीसियों और धर्मशास्त्रियों ने उसके शिष्यों से यह कहते हुए शिकायत की, “तुम कर वसूलने वालों और पापियों के साथ क्यों खाते-पीते हो?”
31 उत्तर में यीशु ने उनसे कहा, “स्वस्थ लोगों को नहीं, बल्कि रोगियों को चिकित्सक की आवश्यकता होती है। 32 मैं धर्मियों को नहीं, बल्कि पापियों को मन फिराने के लिए बुलाने आया हूँ।”
समीक्षा
यीशु की सेवकाई पर विस्मय और आश्चर्य कीजिए
क्या आपने कभी आश्चर्य किया है कि कैसे लोगों को महसूस हुआ होगा जब उन्होंने यीशु को एक चमत्कार करते हुए देखा होगा? उनकी सेवकाई आश्चर्य चकित कर देती थीः'हर कोई चकित था...वे विस्मय से भर गए थे' (व.26)। एम्प्लीफाईड अनुवाद उत्साह के इस बोध को बताता हैः'तब सब चकित हुए और परमेश्वर की बड़ाई करने लगे और बहुत डर कर कहने लगे,'आज हम ने अनोखी बातें देखी हैं!' (व.26, ए.एम.पी.)।
1. बीमारों को चंगा करना
- यहाँ तक कि यीशु की सेवकाई में भी चंगाई के क्षेत्र में उतार-चढ़ाव थे। जब कभी वहाँ पर अविश्वास होता था, तब यीशु ने थोड़े ही लोगों को चंगा किया (मत्ती 13:58)। दूसरे समय में, जैसा कि हमने यहॉं पढ़ा,'परमेश्वर की सामर्थ यीशु के साथ थी बीमारों को चंगा करने के लिए' (लूका 5:17)।
2. पापों को क्षमा करना
- हमें चंगाई अद्भुत लगती है। लेकिन हम पापों की क्षमा को हल्के में लेते हैं। यीशु यहाँ पर दर्शाते हैं कि क्षमा चंगाई से अधिक अद्भुत और आश्चर्यजनक है। पहले वह मनुष्य के पाप को क्षमा करते हैं (व.20) और तब दिखाते हैं कि उनके पास यह करने का अधिकार है उन्हें चंगा करने के द्वारा (व.24)। क्षमा प्राथमिकता थी।
3. लोगों को पढ़ना
- यीशु ने उनके दिमाग को पढ़ा। वह जानते थे कि लोग अपने हृदय में क्या सोच रहे हैं (व.22)। उन लोगों को क्षमा करना जिन्होंने दूसरों के विरूद्ध पाप किया है, यह केवल परमेश्वर ही कर सकते हैं। जब यीशु ने दावा किया कि उनके पास अधिकार है दूसरों के पापों को क्षमा करने का, तब अपने हृदय में लोगों ने उस पर 'परमेश्वर की निंदा' करने का आरोप लगाया (व.21अ),'केवल परमेश्वर हैं जो पाप क्षमा करते हैं?' (व.21ब)।
- मनुष्य की बुद्धि से वे सही थे; यीशु दावा कर रहे थे कि पापों को क्षमा करने का अधिकार उनके पास है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि लोगों ने शंका दिखाते हुए अपनी आँखे मली – और तब परमेश्वर को महिमा दी। आश्चर्य करते हुए उन्होंने कहा,'हमने ऐसा पहले कभी नहीं देखा!' (व.26, एम.एस.जी)।
4. बहिष्कृत लोगों को चुनना
- महसूल लेने वाले लेवी को अपने अनुयायी के रूप में चुनना, यीशु का ऐसा चुनाव अद्भुत था। उन्होंने एक बहिष्कृत व्यक्ति को चुना। लेकिन उनका चुनाव सही था। लेवी उठा, सबकुछ छोड़कर उनके पीछे हो लिया' (व.28)। तब उसने अपने घर में यीशु के लिए एक बड़ी दावत दी और बहुत से लोग आए। स्पष्ट रूप से लेवी एक प्रभावी लीडर था। लेवी के साथ जो हुआ उससे लोग काफी आकर्षित थे और यीशु से मिलना चाहते थे।
- यीशु का चुनाव चौका देने वाला और चकित करने वाला था। जब कभी मैं बंदीगृह में जाता हूँ, मैं देखता हूँ कि यीशु अब भी उन लोगों को अपना चेला बनने के लिए बुला रहे हैं जिन्हें समाज ने नकार दिया है, और मैं विस्मय और आश्चर्य से भर जाता हूँ।
5. पापियों को मित्र बनाईये
- एक बार फिर यीशु ने लोगों को चकित किया। उन्होंने पूछा 'आप क्यों महसूल लेने वालो और 'पापियों' के साथ खाते-पीते हो? (व.30)। यीशु ने जवाब दिया,'वैद्य भले चंगो के लिए नहीं, परंतु बीमारों के लिए आवश्यक है। मैं सत्यनिष्ठ के लिए नहीं, परंतु पापियों को मन फिराने के लिए बुलाने आया हूँ' (वव.31-32)।
- हम सभी के लिए यह अच्छे समाचार का हृदय है। जॉयस मेयर इस लेखांश के बारे में लिखती हैं: 'अक्सर हम महसूस करते हैं कि हमें अवश्य ही अपनी कमजोरियों को छिपाना चाहिए और हमेशा दिखाना चाहिए कि हम मजबूत हैं और हमें किसी चीज की जरुरत नहीं है...(लेकिन) हम सभी के पास कमजोरियाँ और दुर्बलताएँ हैं...यीशु उन लोगों के लिए आए जो बीमार (जरुरतमंद) थे नाकि उनके लिए जो स्वस्थ थे (जिन्हें किसी चीज की जरुरत नहीं)। वह पहले से ही सब जानते है और इंतजार कर रहे है कि आप सहायता माँगे।
प्रार्थना
परमेश्वर, आपका धन्यवाद क्योंकि आप आज, कल और युगानुयुग एक समान हैं। मैं माँगता हूँ कि आपकी सामर्थ उपलब्ध होगी बीमारों को चंगा करने के लिए। जैसे ही लोग आपके अद्भुत कामों को देखेंगे वे आश्चर्य से भर जाएँगे।
गिनती 16:36-18:32
36 यहोवा ने मूसा से कहा, 37-38 “हारून के पुत्र याजक एलीआजार से कहो कि वह आग में से सुगन्धि के पात्रों को एकत्र करे। डेरे से दूर के क्षेत्र में उन कोयलों को फैलाओ। सुगन्धि के बर्तन अब भी पवित्र हैं। ये वे पात्र हैं जो उन व्यक्तियों के हैं जिन्होंने मेरे विरुद्ध पाप किया था। उनके पाप का मूल्य उनका जीवन हुआ। बर्तनों को पीट कर पत्तरों में बदलो। इन धातुओं के पत्तरों का उपयोग वेदी को ढकने के लिए करो। वे पवित्र थे क्योंकि उन्हें यहोवा के सामने प्रस्तुत किया गया था। उन चपटे बर्तनों को इस्राएल के सभी लोगों के लिए चेतावनी बनने दो।”
39 तब याजक एलीआजार ने काँसे के उन सभी बर्तनों को इकट्ठा किया जिन्हें वे लोग लाए थे। वे सभी व्यक्ति जल गए थे, किन्तु बर्तन तब भी वहाँ थे। तब एलीआज़ार ने कुछ व्यक्तियों को बर्तनों को, चपटी धातु के रूप में पीटने को कहा। तब उसने धातु की चपटी चादरों को वेदी पर रखा। 40 उसने इसे वैसे ही किया जैसा यहोवा ने मूसा के द्वारा आदेश दिया था। यह संकेत था कि जिससे इस्राएल के लोग याद रख सकें कि केवल हारून के परिवार के व्यक्ति को यहोवा के सामने सुगन्धि भेंट करने का अधिकार है। यदि कोई अन्य व्यक्ति यहोवा के सामने सुगन्धि जलाता है तो वह व्यक्ति कोरह और उसके अनुयायियों की तरह हो जाएगा।
हारून लोगों की रक्षा करता है
41 अगले दिन इस्राएल के लोगों ने मूसा और हारून के विरुद्ध शिकायत की। उन्होंने कहा, “तुमने यहोवा के लोगों को मारा है।”
42 मूसा और हारून मिलापवाले तम्बू के द्वार पर खड़े थे। लोग उस स्थान पर मूसा और हारून की शिकायत करने के लिए इकट्ठा हुए । किन्तु जब उन्होंने मिलापवाले तम्बू को देखा तो बादल ने उसे ढक लिया और वहाँ यहोवा का तेज प्रकट हुआ। 43 तब मूसा और हारून मिलापवाले तम्बू के सामने गए।
44 तब यहोवा ने मूसा से कहा, 45 “उन लोगों से दूर हट जाओ जिससे मैं उन्हें अब नष्ट कर दूँ।” मूसा और हारुन धरती पर गिर पड़े।
46 तब मूसा ने हारून से कहा, “वेदी की आग और अपने काँसे के बर्तन को लो। तब इसमें सुगन्धि डालो। लोगों के समूह के पास शीघ्र जाओ और उनके पाप के लिए भुगतान करो। यहोवा उन पर क्रोधित है। परेशानी आरम्भ हो चुकी है।”
47 इसलिए, हारून ने मूसा के कथनानुसार काम किया। सुगन्धि और आग को लेने के बाद वह लोगों के बीच दौड़कर पहुँचा। किन्तु लोगों में बीमारी पहले ही आरम्भ हो चुकी थी। हारून ने लोगों के भुगतान के लिए सुगन्धि की भेंट दी। 48 हारून मरे हुए और जीवित लोगों में खड़ा हुआ और तब बीमारी रूक गई। 49 किन्तु इसके पहले कि हारून उनके पापों के लिए भुगतान करे, चौदह हजार सात सौ लोग उस बीमारी से मर गए। तब यहोवा ने इसे रोका। वहाँ ऐसे लोग भी थे जो कोरह के कारण मरे। 50 तब हारून मिलापवाले तम्बू के द्वार पर मूसा के पास लौटा। लोगों की भयंकर बीमारी रोक दी गई।
परमेश्वर प्रमाणित करता है कि हारून महायाजक है
17यहोवा ने मूसा से कहा, 2 “इस्राएल के लोगों से कहो। अपने लोगों से बारह लकड़ी की छड़ियाँ लें। बारह परिवार समूहों में हर एक के नेता से एक छड़ी लो। हर एक व्यक्ति की छड़ी पर उसका नाम लिख दो। 3 लेवी की छड़ी पर हारून का नाम लिखो। बारह परिवार समूहों के हर एक मुखिया की छड़ी होनी चाहिए। 4 इन छड़ियों को साक्षीपत्र के सन्दूक के सामने मिलापवाले तम्बू में रखो। यही वह स्थान है जहाँ मैं तुमसे मिलता हूँ। 5 मैं एक व्यक्ति को चुनूँगा। तुम जान जाओगे कि किस व्यक्ति को मैंने चुना है। क्योंकि उस छड़ी में नयी पत्तियाँ उगनी आरम्भ होंगी। इस प्रकार, मैं लोगों को अपने और तुम्हारे विरुद्ध सदा शिकायत करने से रोक दूँगा।”
6 इसलिए मूसा ने इस्राएली लोगों से बातें कीं। प्रत्येक नेता ने उसे एक छड़ी दी। सारी छड़ियों की संख्या बारह थी। हर एक परिवार समूह के नेता की एक छड़ी उसमें थी। हारून की छड़ी उनमें थी। 7 मूसा ने साक्षी के मिलापवाले तम्बू में यहोवा के सामने छड़ियों को रखा।
8 अगले दिन मूसा ने तम्बू में प्रवेश किया। उसने देखा कि हारून की वह छड़ी, जो लेवीवंश की थी, एक मात्र ऐसी थी जिससे नयी पत्तियाँ उगनी आरम्भ हुई थीं। उस छड़ी में कलियाँ, फूल और बादाम भी लग गए थे। 9 इसलिए मूसा यहोवा के स्थान से सभी छड़ियों को लाया। मूसा ने इस्राएल के लोगों को छड़ियाँ दिखाईं। उन सभी ने छड़ियों को देखा और हर एक पुरुष ने अपनी छड़ी वापस ली।
10 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “हारून की छड़ी को तम्बू में रख दो। यह उन लोगों के लिए चेतावनी होगी जो सदा मेरे विरुद्ध जाते हैं। यह उनकी मेरे विरुद्ध शिकायतों को रोकेगा। इस प्रकार वे नहीं मरेंगे।” 11 मूसा ने उन आदेशों का पालन किया जो यहोवा ने दिए थे।
12 इस्राएल के लोगों ने मूसा से कहा, “हम जानते हैं कि हम मरेंगे! हमें नष्ट होना ही है! हम सभी को नष्ट होना ही है! 13 कोई व्यक्ति यहोवा के पवित्र तम्बू के निकट आने पर भी मरेगा। क्या हम सभी मर जाएंगे?”
याजकों और लेवीवंशियों के कार्य
18यहोवा ने हारून से कहा, “तुम, तुम्हारे पुत्र और तुम्हारे पिता का परिवार अब किसी भी बुराई के लिए उत्तरदायी है जो पवित्र स्थान के विरुद्ध की जाएंगी। तुम और तुम्हारे पुत्र उन बुराइयों के लिए उत्तरदायी होगे जो याजकों के विरुद्ध होंगी। 2 अन्य लेविवंशी लोगों को अपना साथ देने के लिए अपने परिवार समूह से लाओ। वे तुम्हारी और तुम्हारे पुत्रों की सहायता साक्षी के पवित्र तम्बू के कार्यों को करने में करेंगे। 3 लेवी परिवार के वे लोग तुम्हारे अधीन हैं। वे उन सभी कार्यों को करेंगे जिन्हें तम्बू में किया जाना है। किन्तु उन्हें वेदी या पवित्र स्थान की चीज़ों के पास नहीं जाना चाहिए। यदि वे ऐसा करेंगे तो वे मर जायेंगे और तुम भी मर जाओगे। 4 वे तुम्हारे साथ होंगे और तुम्हारे साथ काम करेंगे। वे मिलापवाले तम्बू की देखभाल करने के उत्तरदायी होंगे। सभी कार्य, जिन्हें तम्बू में किया जाना चाहिए, वे करेंगे। अन्य कोई भी उस स्थान के निकट नहीं आएगा जहाँ तुम हो।
5 “पवित्र स्थान और वेदी की देखाभाल करने के उत्तरदायी तुम हो। मैं इस्राएल के लोगों पर फिर क्रोधित होना नहीं चाहता। 6 मैंने तुम्हारे लोगों अर्थात् लेवीवंश के लोगों को स्वयं इस्राएल के सभी लोगों में से चुना है। वे तुमको भेंट की तरह हैं। उनका एकमात्र उपयोग परमेश्वर की सेवा और मिलापवाले तम्बू के काम को करने में है। 7 किन्तु केवल तुम और तुम्हारे पुत्र याजक के रूप में सेवा कर सकते हो। एक मात्र तुम्हीं वेदी के पास जा सकते हो। केवल तुम्हीं पर्दे के भीतर अति पवित्र स्थान में जा सकते हो। मैं याजक के रूप में तुम्हारी सेवा को तुम्हें एक भेंट के रूप में दे रहा हूँ। कोई भी अन्य, जो पवित्र स्थान के पास आएगा, मार डाला जाएगा।”
8 तब यहोवा ने हारून से कहा, “मैंने अपने लिए चढ़ाई गई भेटों का उत्तरदायित्व तुमको दिया है। इस्राएल के लोग जो सारी भेंट मुझको देंगे, वह मैं तुमको देता हूँ। तुम और तुम्हारे पुत्र इन पवित्र भेटों को आपस में बाँट सकते हैं। यह सदा तुम्हारी होंगी। 9 उन सभी पवित्र भेंटों में तुम्हारा अपना भाग होगा जो जलाई नहीं जाएंगी। लोग मेरे पास भेंटें सर्वाधिक पवित्र भेंट के रूप में लाते हैं। ये अन्नबलि, या पापबलि या दोषबलि है। किन्तु ये सभी चीज़ें तुम्हारी और तुम्हारे पुत्रों की होंगी। 10 इन सबको सर्वाधिक पवित्र चीज़ों के रूप में खाओ। तुम्हारे परिवार का हर एक पुरुष इसे खाएगा। तुम्हें इसको पवित्र मानना चाहिए।
11 “और वे सभी जो इस्राएल के लोगों द्वारा उत्तोलन भेंट के रूप में दी जाएंगी, तुम्हारी ही होंगी। मैं इसे तुमको, तुम्हारे पुत्रों और तुम्हारी पुत्रियों को देता हूँ। यह तुम्हारा भाग है। तुम्हारे परिवार का हर एक व्यक्ति जो पवित्र होगा, इसे खा सकेगा।
12 “और मैं सारा अच्छा जैतून का तेल, सारी सर्वोतम नयी दाखमधु और अन्न तुम्हें देता हूँ। ये वे चीज़ें हैं जिन्हें इस्राएल के लोग मुझे अर्थात् अपने यहोवा को देते हैं। ये वे पहली चीज़ें हैं जिन्हें वे अपनी फसल पकने पर इकट्ठी करते हैं। 13 जब लोग अपनी फसलें इकट्ठी करते हैं तब लोग पहली चीज यहोवा के पास लाते हैं। अतः ये चीज़ें मैं तुमको दूँगा और हर एक व्यक्ति जो तुम्हारे परिवार में पवित्र है, इसे खा सकेगा।
14 “और इस्राएल में हर एक चीज जो यहोवा को दी जाती है, तुम्हारी है।
15 “किसी भी परिवार में पहलौठा बालक या जानवर यहोवा की भेंट होगा और वह तुम्हारा होगा। किन्तु तुम्हें प्रत्येक पहलौठे बच्चे और हर पक पहलौठे अशुध्द पशु को फिर से खरीदने के लिए स्वीकार करना चाहिए। तब पहलौठा बच्चा फिर उस परिवार का हो जाएगा। 16 जब वे एक महीने के हो जाए तब तुम्हें उनके लिए भुगतान ले लेना चाहिए। उसका मूल्य दो औंस चाँदी होगी।
17 “किन्तु तुम्हें पहलौठे गाय, भेड़ या बकरे के लिए भुगतान नहीं लेना चाहिए। वे पशु पवित्र हैं वे शुद्ध हैं। उनका खून वेदी पर छिड़को और उनकी चर्बी जलाओ। यह भेंट अग्नि द्वारा समर्पित है। इस भेंट की सुगन्ध मेरे लिए अर्थात् यहोवा के लिए मधुर सुगन्ध होगी। 18 किन्तु इन पशुओं का माँस तुम्हारा होगा। और उत्तोलन भेंट की छाती भी तुम्हारी होगी। अन्य भेंटों की दायी जांघ तुम्हारी होगी। 19 कोई भी चीज, जिसे लोग पवित्र भेंट के रूप में मुझे चढ़ाते हैं, मैं यहोवा उसे तुमको देता हूँ। यह तुम्हारा हिस्सा हैं। मै इसे तुमको और तुम्हारे पुत्रों और तुम्हारी पुत्रियों को देता हूँ। यह यहोवा के साथ की गयी वाचा है जो सदा बनी रहेगी। मैं यह वचन तुमको और तुम्हारे वंशजों को देता हूँ।”
20 यहोवा ने हारून से यह भी कहा, “तुम कोई भूमि नहीं प्राप्त करोगे और ऐसी कोई चीज़ नहीं रखोगे जैसी अन्य लोग रखते हैं। मैं, यहोवा, तुम्हारा रहूँगा। इस्राएल के लोग वह देश प्राप्त करेंगे जिसके लिए मैंने वचन दिया है। किन्तु तुम्हारे लिए अपना उपहार मैं स्वयं होऊँगा।
21 “इस्राएल के लोग उनके पास जो कुछ होगा उसका दसवाँ भाग देंगे। इस प्रकार मैं लेवीवंश के लोगों को दसवाँ भाग देता हूँ। यह उनके उस कार्य के लिए भुगतान है जो वे मिलापवाले तम्बू में सेवा करते हुए करते हैं। 22 किन्तु इस्राएल के अन्य लोगों को मिलापवाले तम्बू के निकट कभी नहीं जाना चाहिए। यदि वे ऐसा करते हैं तो उन्हें अपने पाप के लिए भुगतान करना पड़ेगा और वे मर जाएंगे! 23 जो लेवीवंश मिलापवाले तम्बू में काम कर रहे हैं वे इसके विरुद्ध किये गए पापों के लिए उत्तरदायी हैं। यह नियम भविष्य के दिनों के लिए भी रहेगा। लेवीवंशी लोग उस भूमि को नहीं लेंगे जिसे मैंने इस्राएल के अन्य लोगों को दिया है। 24 किन्तु इस्राएल के लोगों के पास जो कुछ होगा उसका दसवाँ हिस्सा मुझको देंगे। इस तरह मैं लेवीवंशी लोगों को दसवाँ हिस्सा दूँगा। यही कारण है कि मैंने लेविवंशीयों के लिए कहा हैः वे लोग उस भूमि को नहीं पाएंगे जिसे मैंने इस्राएल के लोगों को देने का वचन दिया है।”
25 यहोवा ने मूसा से कहा, 26 “लेवीवंशी लोगों से बातें करो और उनसे कहोः इस्राएल के लोग अपनी हर एक चीज़ का दसवाँ भाग यहोवा को देंगे। वह दसवाँ भाग लेवीवंशियों का होगा। किन्तु तुम्हें उसका दसवाँ भाग यहोवा को उनकी भेंट के रूप में देना चाहिए। 27 फसल कटने के बाद तुम लोग खलिहानों से अन्न और दाखमधुशाला से रस प्राप्त करोगे। तब वह भी यहोवा को तुम्हारी भेंट होगी। 28 इस प्रकार, तुम यहोवा को वैसे ही भेंट दोगे जिस प्रकार इस्राएल के अन्य लोग देते हैं। तुम इस्राएल के लोगों का दिया हुआ दसवाँ भाग प्राप्त करोगे और तब तुम उसका दसवाँ भाग याजक हारून को दोगे। 29 जब इस्राएल के लोग अपनी हर एक चीज़ का दसवाँ भाग दें तो तुम्हें उनमें से सर्वोत्तम और पवित्रतम भाग चुनना चाहिए। वही दसवाँ भाग है जिसे तुम्हें यहोवा को देना चाहिए।
30 “मूसा, लेवियों से यह कहोः इस्राएल के लोग तुम लोगों को अपनी फसल या अपनी दाखमधु का दसवाँ भाग देंगे। तब तुम लोग उसका सर्वोत्तम भाग यहोवा को दोगे। 31 जो बचेगा उसे तुम और तुम्हारे परिवार के व्यक्ति खा सकते हैं। यह तुम लोगों के उस काम के लिए भुगतान है जो तुम लोग मिलापवाले तम्बू में करते हो। 32 और यदि तुम सदा इसका सर्वोत्तम भाग यहोवा को देते रहोगे तो तुम कभी दोषी नहीं होगे। तुम इस्राएल के लोगों की पवित्र भेंट के प्रति पाप नहीं करोगे और तुम मरोगे नहीं।”
समीक्षा
क्षमा के आश्चर्यकर्म पर चकित होते हुए मनन करें
हमारे अंदर प्रवृत्ति है क्षमा को हल्के में लेने की। कवी हेनरिच हेन ने एक बार कहा,'डियु मि पर्डोन्नेरा। सेस्ट सन मेटियर।' (परमेश्वर मुझे क्षमा करेंगे। यह उनका काम है।) कुछ भी सच्चाई से परे नहीं है। पाप की कीमत बहुत बड़ी है (16:38)। बहुत सी चीजें जिन्हें हमने पुराने नियम में पढा है हमें 'भयानक' रीति से चौका देती हैं।
किंतु, शब्द 'भयानक' का अर्थ है 'विस्मय से भरा होना।' 'भयानक' की एक डिक्शनरी परिभाषा है 'योग्य होना या गहरा सम्मान पाना या सम्मानयुक्त भय या आश्चर्य...एकमेव आकर्षित करने वाला, ऐश्वर्यकारक।'
इस लेखांश की भाषा पाप की गंभीरता को दिखाती है –इसकी कीमत और इसके प्रति परमेश्वर की प्रतिक्रियाः 'परमेश्वर क्रोधित हुए' (व.46)। उदाहरण के लिए, परमेश्वर 'निरंतर कुड़कुड़ाने से' खुश नहीं होते हैं (17:5)।
पाप को प्रायश्चित्त की आवश्यकता थी (16:46)। छुटकारे की आवश्यकता थी (18:15-16)। लहू के छिड़के जाने की आवश्कयता थी (व.17)। लेवीयों की महायाजक व्यवस्था को बनाना आवश्यक था ताकि यीशु के लिए रास्ते को तैयार किया जा सके, महायाजक, जिनका लहू छिड़का गया और हमारे पापों से हमें छुड़ाने के लिए जिसने प्रायश्चित्त किया (इब्रानियो 4:14; 12:24; 2:17)।
जब तक आप पाप की गंभीरता को नहीं समझ लेते हैं और पुराने नियम का इतिहास, जो कि पाप की क्षमा ग्रहण करने में कठिनाई और जटिलता को दिखाता है, तब तक आप नहीं समझ पायेंगे कि परमेश्वर की क्षमा कितनी अद्भुत, आश्चर्यकारक और महान है। क्षमा अपने आप नहीं मिल गई लेकिन यीशु ने इसे संभव बनाया। जैसे ही आप इस बात पर मनन करते हैं कि परमेश्वर ने क्या कर दिया है, वैसे ही आपको आश्चर्य, और विस्मय से भर जाना चाहिए।
प्रार्थना
परमेश्वर, आपका धन्यवाद क्योंकि यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा मैं जान सकता हूँ कि मुझे क्षमा मिल चुकी है। आपका धन्यवाद क्योंकि मैं पवित्र आत्मा के समय में जी रहा हूँ। आपका धन्यवाद क्योंकि यीशु के जीवन, मृत्यु और पुनरुत्थान और पवित्र आत्मा के ऊँडेले जाने से मेरा जीवन बदल गया है और यह विश्व बदल गया है। होने दीजिए कि संपूर्ण विश्व की आँखे खुल जाएँ इन उल्लेखनीय घटनाओं को आश्चर्य और विस्मय के साथ देखने के लिए।
पिप्पा भी कहते है
लूका 5:17-26
हमेशा अपने मित्रों को यीशु के पास लेकर आना आसान बात नहीं है। इसमें निरंतरता की आवश्यकता पड़ेगी और बॉक्स के बाहर सोचना पड़ेगा (या, इस मामले में छत के ऊपर!)
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संदर्भ
नोट्स:
जॉयस मेयर, इव्रीडे लाईफ बाईबल, (फेथवर्ड्स 2013) पी.1615
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
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