आपकी विरासत
परिचय
कॅल्शिया फ्लॉवर शो, यूनायटेड किंगडम की (शायद दुनिया की) सबसे प्रसिद्ध फूलों की प्रदर्शनी है, जहाँ सभी द्वीपों के आगंतुक आकर्षित होते हैं.
यहाँ चार श्रेणी के पदक दिये जाते हैं, स्वर्ण, रजत-गिल्ट, रजत, कांस्य. इसके साथ-साथ बगीचों और फूलों, सब्जियों के प्रदर्शकों लिए नाइट पुरस्कार.
एक बार मैंने एक व्यक्ति से की जाने वाली मुलाकात को सुना था जिसने अपनी सब्जियों के लिए लगातार दस सालों तक स्वर्ण पदक जीता था. उसकी सफलता का राज पूछे जाने पर, उसने कहा, 'मुझे अच्छा करना चाहिये. लेकिन मैंने सर्वोत्तम करना चुना है.'
प्रेरित पौलुस लिखते हैं, 'सिद्धता का लक्ष्य रखें' (2 किरिंथियों 13:11). यह 'आदर्शवादी' होने से बिल्कुल अलग है. आदर्शवादी होना, एक व्यक्ति की विशेषता है जो दोषरहित और विशेष रूप से अधिक उच्च मानदंड के प्रदर्शन का प्रयास करता है, दूसरों के आकंलन की चिंता न करते हुए खुद के मूल्यांकन को अति महत्वपूर्ण समझता है.' इसमें असफलता के डर की और गलतियाँ करने की संभावना बनी रहती है. इससे तनाव और निराशा हो सकती है और इसमें सुअवसर खो देने का खतरा बना रहता है.
परमेश्वर के लोगों को हमेशा उच्च उद्देश्य रखने के लिए बुलाया गया है (आदर्शवाद के खतरे को टालते हुए). पुराने नियम में परमेश्वर ने उनके लोगों को विरासत में मिली क्षमता का आश्चर्यजनक दर्शन दिखाया है.
नीतिवचन 8:22-31
22 “यहोवा ने मुझे अपनी रचना के प्रथम
अपने पुरातन कर्मो से पहले ही रचा है।
23 मेरी रचना सनातन काल से हुई।
आदि से, जगत की रचना के पहले से हुई।
24 जब सागर नहीं थे, जब जल से लबालब सोते नहीं थे,
मुझे जन्म दिया गया।
25 मुझे पर्वतों—पहाड़ियों की स्थापना से पहले ही जन्म दिया गया।
26 धरती की रचना, या उसके खेत
अथवा जब धरती के धूल कण रचे गये।
27 मेरा अस्तित्व उससे भी पहले वहाँ था।
जब उसने आकाश का वितान ताना था
और उसने सागर के दूसरे छोर पर क्षितिज को रेखांकित किया था।
28 उसने जब आकाश में सघन मेघ टिकाये थे,
और गहन सागर के स्रोत निर्धारित किये,
29 उसने समुद्र की सीमा बांधी थी
जिससे जल उसकी आज्ञा कभी न लाँघे,
धरती की नीवों का सूत्रपात उसने किया,
तब मैं उसके साथ कुशल शिल्पी सी थी।
30 मैं दिन—प्रतिदिन आनन्द से परिपूर्ण होती चली गयी।
उसके सामने सदा आनन्द मनाती।
31 उसकी पूरी दुनिया से मैं आनन्दित थी।
मेरी खुशी समूची मानवता थी।
समीक्षा
आनंद पूरा होने का उद्देश्य रखें
यीशु चाहते हैं कि आपका आनंद पूरा हो जाए. वह चाहते हैं कि आप पूरा आनंद लें. उन्होंने कहा है, 'मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए' (यूहन्ना 15:11).
आज के लेखांश में व्यक्तिगत बुद्धि का वर्णन यीशु के बारे में बताते हुए नये नियम में दोबारा किया गया है. यीशु 'आदि में परमेश्वर के साथ थे' (यूहन्ना 1:2) (नीतिवचन 8:23,30 की तुलना करें).
बुद्धि आनंदित नजर आती थी, 'बुद्धि हर समय उसके सामने आनन्दित रहती थी। मैं उसकी बसाई हुई पृथ्वी से प्रसन्न थी और मेरा सुख मनुष्यों की संगति से होता था' (नीतिवचन 8:30ब. 31).
यह आनंद का उमड़ना है – 'प्रसन्नता से परिपूर्ण होना' (व.30). यह लगातार है 'हर समय (व.30). यह आनंद कहां से आता है?
पहले यह परमेश्वर की उपस्थिति से आता है ('उनकी उपस्थिति में', व. 30). दूसरा, यह दूसरों के साथ संबंध बनाने से आता है (मनुष्य के परिवार से', व.31, एमएसजी). तीसरा, यह परमेश्वर की रचना से आता है ('दुनिया की चीजों और प्राणियों से', व.31, एमएसजी). परमेश्वर ने हमें आनंद मनाने के लिए सभी अच्छी चीजें भरपूरी से दी हैं (1 तीमुथियुस 6:17).
यीशु ने परमेश्वर के साथ अपने संबंध का आनंद महसूस किया, धरती पर उनके जीवन में पिता ने उन्हें सशक्त किया. अपना ध्यान यीशु पर लगाएं ' विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर ताकते रहें; जिस ने उस आनन्द के लिये क्रूस का दुख सहा' (इब्रानियों 12:2-3). यीशु खुद के जीवन से हमें ऊँचा उद्देश्य रखने और कभी भी हल्के में न मानने बल्कि दु:ख उठाकर भी हमेशा परमेश्वर की उपस्थिति का आनंद लेने का प्रयास करना सिखाते हैं.
प्रार्थना
प्रभु, आपको धन्यवाद क्योंकि आप चाहते हैं कि आपका आनंद मेरा हो जाए और मेरा आनंद पूरा हो जाए. मैं कभी भी कम में न मानूँ.
लूका 9:10-27
पाँच हज़ार से अधिक का भोज
10 फिर जब प्रेरित लौट कर आये तो उन्होंने जो कुछ किया था, सब यीशु को बताया। सो वह उन्हें वहाँ से अपने साथ लेकर चुपचाप बैतसैदा नामक नगर को चला गया। 11 पर भीड़ को पता चल गया सो वह भी उसके पीछे हो ली। यीशु ने उनका स्वागत किया और परमेश्वर के राज्य के विषय में उन्हें बताया। और जिन्हें उपचार की आवश्यकता थी, उन्हें चंगा किया।
12 जब दिन ढलने लग रहा था तो वे बारहों उसके पास आये और बोले, “भीड़ को विदा कर ताकि वे आसपास के गाँवों और खेतों में जाकर आसरा और भोजन पा सकें क्योंकि हम यहाँ सुदूर निर्जन स्थान में हैं।”
13 किन्तु उसने उनसे कहा, “तुम ही इन्हें खाने को कुछ दो।”
वे बोले, “हमारे पास बस पाँच रोटियों और दो मछलियों को छोड़कर और कुछ भी नहीं है। तू यह तो नहीं चाहता है कि हम जाएँ और इन सब के लिए भोजन मोल लेकर आएँ।” 14 (वहाँ लगभग पाँच हजार पुरुष थे।)
किन्तु यीशु ने अपने शिष्यों से कहा, “उन्हें पचास पचास के समूहों में बैठा दो।”
15 सो उन्होंने वैसा ही किया और हर किसी को बैठा दिया। 16 फिर यीशु ने पाँच रोटियों और दो मछलियों को लेकर स्वर्ग की ओर देखते हुए उनके लिए परमेश्वर को धन्यवाद दिया और फिर उनके टुकड़े करते हुए उन्हें अपने शिष्यों को दिया कि वे लोगों को परोस दें। 17 तब सब लोग खाकर तृप्त हुए और बचे हुए टुकड़ों से उसके शिष्यों ने बारह टोकरियाँ भरीं।
यीशु ही मसीह है
18 हुआ यह कि जब यीशु अकेले प्रार्थना कर रहा था तो उसके शिष्य भी उसके साथ थे। सो यीशु ने उनसे पूछा, “लोग क्या कहते हैं कि मैं कौन हूँ?”
19 उन्होंने उत्तर दिया, “बपतिस्मा देने वाला यूहन्ना, कुछ कहते हैं एलिय्याह किन्तु कुछ दूसरे कहते हैं प्राचीन युग का कोई नबी उठ खड़ा हुआ है।”
20 यीशु ने उनसे कहा, “और तुम क्या कहते हो कि मैं कौन हूँ?”
पतरस ने उत्तर दिया, “परमेश्वर का मसीह।”
21 किन्तु इस विषय में किसी को भी न बताने की चेतावनी देते हुए यीशु ने उनसे कहा,
यीशु द्वारा अपनी मृत्यु की भविष्यवाणी
22 “यह निश्चित है कि मनुष्य का पुत्र बहुत सी यातनाएँ झेलेगा और वह बुजुर्ग यहूदी नेताओं, याजकों और धर्मशास्त्रियों द्वारा नकारा जाकर मरवा दिया जायेगा। और फिर तीसरे दिन जीवित कर दिया जायेगा।”
23 फिर उसने उन सब से कहा, “यदि कोई मेरे पीछे चलना चाहता है तो उसे अपने आप को नकारना होगा और उसे हर दिन अपना क्रूस उठाना होगा। तब वह मेरे पीछे चले। 24 क्योंकि जो कोई अपना जीवन बचाना चाहता है, वह उसे खो बैठेगा पर जो कोई मेरे लिये अपने जीवन का त्याग करता है, वही उसे बचा पायेगा। 25 क्योंकि इसमें किसी व्यक्ति का क्या लाभ है कि वह सारे संसार को तो प्राप्त कर ले किन्तु अपने आप को नष्ट कर दे या भटक जाये। 26 जो कोई भी मेरे शब्दों के लिये लज्जित है, उसके लिये परमेश्वर का पुत्र भी जब अपने वैभव, अपने परमपिता और पवित्र स्वर्गदूतों के वैभव में प्रकट होगा तो उसके लिये लज्जित होगा। 27 किन्तु मैं सच्चाई के साथ तुमसे कहता हूँ यहाँ कुछ ऐसे खड़े हैं, जो तब तक मृत्यु का स्वाद नहीं चखेंगे, जब तक परमेश्वर के राज्य को देख न लें।”
समीक्षा
प्रेम से भरे रहने का उद्देश्य
यीशु प्रेम का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण हैं. बल्कि सांसारिक लोग भी इस बात को जानते हैं. टाइम पत्रिका ने ऐसा कहा है: 'यीशु, पश्चिमी दुनिया के इतिहास में पवित्रता, नि:स्वार्थ और प्रेम का सबसे दीर्घस्थायी उदाहरण हैं.'
यीशु आप से प्रेम करते हैं. वह आपकी भौतिक जरूरतों का ख्याल रखते हैं. भोजन की तलाश में भीड़ को भूखा भेजने के बजाय यीशु ने अपने शिष्यों को उन्हें खाना खिलाने के लिए कहा - चमत्कारी रूप से.
एक बार फिर से हम पाँच हजार लोगों को खाना खिलाने के लिए आते हैं – (पुनरूत्थान के अलावा) एकमात्र चमत्कार जिसे सुसमाचार की चारों पुस्तकों में लिखा गया है. यह हमें याद दिलाता है कि हम यीशु को जो कुछ समर्पित करते हैं, उस थोड़े से भी वह बहुत ज्यादा बना सकते हैं और यह कि वह हमें अपने चमत्कारों में शामिल करते हैं. यह बड़े सौभाग्य की बात है.
जब यीशु ने पूछा, ' तुम मुझे क्या कहते हो?' तब पतरस ने उत्तर दिया, "परमेश्वर का मसीह" (व.20). यीशु उन्हें अपनी मृत्यु (इतिहास में प्यार का सबसे बड़ा कार्य) और पुनरूत्थान के बारे में बताते हैं. वह अपने शिष्यों को ऊँचा उद्देश्य रखने के लिए कहते हैं. वह आपको तीन बातों के लिए बुलाते हैं, जो साथ मिलकर दूसरों के प्रति प्रेम और यीशु के प्रति प्रेम को समाविष्ट करते हैं.
1. पाप न करना
पाप, प्रेम का विपरीत है. अंग्रेजी में (SIN) के बीच में ('I') अक्षर है. यीशु कहते हैं, 'यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आप से इन्कार करे' (व.23). परमेश्वर आपको अपने जीवन में अलग अलग त्याग करने के लिए कह सकते हैं, लेकिन हम सबको केवल एक बात करना जरूरी है, वह है पाप को त्यागना.
हरदिन प्यार की चुनौती में खुद का इंकार करना जरूरी है.
2. कोई स्वार्थ नहीं
यीशु कहते हैं, 'जो कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आप से इन्कार करे और प्रति दिन अपना क्रूस उठाए हुए मेरे पीछे हो ले। क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहेगा वह उसे खोएगा, परन्तु जो कोई मेरे लिये अपना प्राण खोएगा वही उसे बचाएगा' (वव.23-24).
प्रभावशाली रूप से, यीशु हम से कहते हैं, 'आओ..... और मरो'. आज क्रूस आशा का प्रतीक है. मगर, तब यह दर्द, शर्म, अपमान और अंत में मृत्यु का प्रतीक था.
यीशु ने कहा है कि यदि आप खुद की अभिलाषा का जीवन जीएंगे – यदि आप सदा के लिए सबसे सफल व्यक्ति हैं और आपने सारी दुनिया जीत ली है (व.25) – तब भी इससे कुछ भला न होगा. जो कोई अपना प्राण बचाना चाहेगा वह उसे खोएगा, परन्तु जो कोई मेरे लिये अपना प्राण खोएगा वही उसे बचाएगा. प्रति दिन अपना क्रूस उठाए हुए मेरे पीछे हो ले (व.23).
अपने प्राण गंवाना प्रेम का सर्वश्रेष्ठ कार्य है. सबसे पहले यह उदाहरण यीशु ने स्थापित किया है. वह आपको और मुझे इस उदाहरण का अनुसरण करने के लिए बुलाते हैं: 'मुझसे मजबूती से चिपके रहो, पूरी तरह मेरे उदाहरण के अनुरूप रहो और यदि जरूरत पड़े तो, मृत्यु में भी' (व.23, एएमपी).
3. कोई गोपनीयता नहीं
यीशु कहते हैं, 'जो कोई मुझ से और मेरी बातों से लजाएगा; मनुष्य का पुत्र भी जब अपनी, और अपने पिता की, और पवित्र स्वर्ग दूतों की, महिमा सहित आएगा, तो उस से लजाएगा' (व.26).
यदि आप यीशु से प्यार करते हैं, तो उनसे मत लजाइये. कभी-कभी अपने होठों पर उनका नाम लेना भी एक बड़ी चुनौती बन जाती है. उनकी शिक्षा से मत लजाइये (उनके 'शब्दों' से). यदि आप चाहते हैं कि यीशु आप पर गर्व करें, तो आपको उनके प्रति गर्व करना पड़ेगा. यदि आप लोगों से प्यार करते हैं तो आप चाहेंगे कि लोग यीशु के बारे में जानें.
खुद इस बारे में कहते हुए, मैं जानता हूँ कि मैं इन क्षेत्रों में कितनी बार कमजोर पड़ा हूँ. लेकिन सच्चाई यह है कि हमारे जीवन में श्रेष्ठता काफी होने पर भी हमें ऊँचा उद्देश्य रखने से रूकना नहीं चाहिये.
प्रार्थना
प्रभु, ऊँचा उद्देश्य रखने में मेरी मदद कीजिये. मेरी आज मदद कीजिये कि मैं खुद का इंकार करूँ और आपके क्रूस को उठाकर आपके पीछे चलूँ. आपके और आपके वचनों के बारे में कहने से मैं कभी न लजाऊँ, बल्कि हमारे लिए आपकी मृत्यु का और फिर से जी उठने के सुसमाचार का प्रचार मैं साहस से करूँ.
गिनती 33:1-34:29
मिस्र से इस्राएलियों की यात्रा
33मूसा और हारून ने इस्राएल के लोगों को मिस्र से समूहों में निकाला ये वे स्थान हैं जिनकी उन्होंने यात्रा की। 2 मूसा ने उन यात्राओं के बारे में लिखा। मूसा ने वे बातें लिखीं जिन्हें यहोवा चाहता था। वे यात्रायें यहाँ हैं।
3 प्रथम महीने के पन्द्रहवें दिन उन्होंने रामसेस छोड़ा। फसह पर्व के बाद सवेरे, इस्राएल के लोगों ने विजय के साथ अपने अस्त्र—शस्त्रों को उठाए हुए मिस्र से बाहर प्रस्थान किया। मिस्र के सभी लोगों ने उन्हें देखा। 4 मिस्री उन लोगों को जला रहे थे जिन्हें यहोवा ने मार डाला था। वे अपने सभी पहलौठे पुत्रों को जला रहे थे। यहोवा ने मिस्र के देवताओं के विरुद्ध अपना निर्णय दिखाया था।
5 इस्राएल के लोगों ने रामसेस को छोड़ा और सुक्कोत की यात्रा की। 6 सुक्कोत से उन्होंने एताम की यात्रा की। वहाँ पर लोगों ने मरुभूमि के छोर पर डेरे डाले। 7 उन्होंने एताम को छोड़ा और पीहहीरोत को गए। यह बालसपोन के पास था। लोगों ने मिगदोल के पास डेरे डाले।
8 लोगों ने पीहहीरोत छोड़ा और समुद्र के बीच से चले। वे मरुभूमि की ओर चले। तब वे तीन दिन तक एताम मरुभूमि से होकर चले। लोगों ने मारा में डेरे डाले।
9 लोगों ने मारा को छोड़ा और एलीम गए तथा वहाँ डेरे डाले। वहाँ पर बारह पानी के सोते थे और सत्तर खजूर के पेड़ थे।
10 लोगों ने एलीम छोड़ा और लाल सागर के पास डेरे डाले।
11 लोगों ने लालसागर को छोड़ा और सीन मरुभूमि में डेरे डाले।
12 लोगों मे सीन मरुभूमि को छोड़ा और दोपका में डेरे डाले।
13 लोगों ने दोपका छोड़ा और आलूश में डेरे डाले।
14 लोगों ने आलूश छोड़ा और रपीदीम में डेरे डाले। वहाँ लोगों को पीने के लिए पानी नहीं था।
15 लोगों ने रपीदीम छोड़ा और सीनै मरुभूमि में डेरे डाले।
16 लोगों ने सीनै मरुभूमि को छोड़ा और किब्रोथत्तावा में डेरे डाले।
17 लोगों ने किब्रोथत्तावा छोड़ा और हसेरोत में डेरे डाले।
18 लोगों ने हसेरोत को छोड़ा और रित्मा में डेरे डाले।
19 लोगों ने रित्मा को छोड़ा और रिम्मोनपेरेस में डेरे डाले।
20 लोगों ने रिम्मोनपेरेस को छोड़ा और लिब्ना में डेरे डाले।
21 लोगों ने लिब्ना छोड़ा और रिस्सा में डेरे डाले।
22 लोगों ने रिस्सा छोड़ा और कहेलाता में डेरे डाले।
23 लोगों ने कहेलाता छोड़ा और शेपेर पर्वत पर डेरे डाले।
24 लोगों ने शेपेर पर्वत छोड़ा और हरादा में डेरे डाले।
25 लोगों ने हरादा छोड़ा और मखेलोत में डेरे डाले।
26 लोगों ने मखेलोत छोड़ा और तहत में डेरे डाले।
27 लोगों ने तहत छोड़ा और तेरह में डेरे डाले।
28 लोगों ने तेरह को छोड़ा और मित्का में डेरे डाले।
29 लोगों ने मित्का छोड़ा और हशमोना में डेरे डाले।
30 लोगों ने हशमोना को छोड़ा और मोसेरोत में डेरे डाले।
31 लोगों ने मोसेरोत छोड़ा और बने—याकान में डेरे डाले।
32 लोगों ने बने—याकान छोड़ा और होर्हग्गिदगाद में डेरे डाले।
33 लोगों ने होर्हग्गिदगाद छोड़ा और योतबाता में डेरे डाले।
34 लोगों ने योतबाता छोड़ा और अब्रोना में डेरे डाले।
35 लोगों ने अब्रोना छोड़ा और एस्योनगेबेर में डेरे डाले।
36 लोगों ने एस्योनगेबेर छोड़ा और सीन मरुभमूमि में कादेश में डेरे डाले।
37 लोगों ने कादेश छोड़ा और होर में डेरे डाले। यह एदोम देश की सीमा पर एक पर्वत था। 38 याजक हारून ने यहोवा की आज्ञा मानी और वह होर पर्वत पर चढ़ा। हारून पाँचवें महीने के प्रथम दिन मरा। वह मिस्र को इस्राएल के लोगों द्वारा छोड़ने का चालीसवाँ वर्ष था। 39 हारून जब होर पर्वत पर मरा तब वह एक सौ तेईस वर्ष का था।
40 अरात कनान के नेगेव प्रदेश में था। कनानी राजा ने वहाँ सुना कि इस्राएल के लोग आ रहे हैं। 41 लोगों ने होर पर्वत को छोड़ा और सलमोना में डेरे डाले।
42 लोगों ने सलमोना को छोड़ा और पूनोन में डेरे डाले।
43 लोगों ने पूनोन छोड़ा और ओबोस में डेरे डाले।
44 लोगों ने ओबोस छोड़ा और अबारीम में डेरे डाले। यह मोआब देश की सीमा पर था।
45 लोगों ने इयीम (इयीम अबारीम) को छोड़ा और दीबोन—गाद में डेरे डाले।
46 लोगों ने दीबोन—गाद छोड़ा और अल्मोनदिबलातैम में डेरे डाले।
47 लोगों ने अल्मोनदिबलातैम छोड़ा और नबो के पास अबारीम पर्वतों पर डेरे डाले।
48 लोगों ने अबारीम पर्वतों को छोड़ा और यरदन नदी के पास मोआब के प्रदेश में डेरे डाले। यह यरीहो के पास था। 49 उन्होंने यरदन के पास डेरे डाले। उनके डेरे वेत्यशीमोत से अबेलशित्तीम चरागाह तक फैले थे। यह अबारीम मोआब के मैदानों में था।
50 यरीहो के पार यरदन घाटी के मोआब के मैदानों में, यहोवा ने मूसा से बात की। उसने कहा, 51 “इस्राएल के लोगों से बात करो। उनसे यह कहोः तुम लोग यरदन नदी को पार करोगे। तुम लोग कनान देश में जाओगे। 52 तुम लोग उन लोगों से भूमि ले लोगे जिन्हें तुम वहाँ पाओगे। तुम लोगों को उनकी उत्कीर्ण मूर्तियों और प्रतीकों को नष्ट कर देना चाहिए। तुम्हें उनके सभी उच्च स्थानों को नष्ट कर देना चाहिए। 53 तुम वह देश लोगे और वहाँ बसोगे। क्यों? क्योंकि यह देश मैं तुमको दे रहा हूँ। यह तुम्हारे परिवारों का होगा। 54 तुम्हारा हर एक परिवार भूमि का हिस्सा पाएगा। तुम इस बात के लिए गोट डालोगे कि देश का कौन सा हिस्सा किस परिवार को मिलता है। बड़े परिवार भूमि का बड़ा हिस्सा पाएंगे। छोटे परिवार देश का छोटा भाग पाएंगे। भूमि उन लोगों को दी जाएगी जिनके नाम गोट निश्चित करेगी। हर एक परिवार समूह अपनी भूमि पाएगा।
55 “तुम लोगों को उन अन्य लोगों से देश खाली करा लेना चाहिए। यदि तुम उन लोगों को अपने देश में ठहरने दोगे तो वे तुम्हारे लिए बहुत परेशानियाँ उत्पन्न करेंगे। वे तुम्हारी आँखों में काँटे या तुम्हारी बगल के कीलax की तरह होंगे। वे उस देश पर बहुत विपत्तियाँ लाएंगे जहाँ तुम रहोगे। 56 मैंने तुम लोगों को समझा दिया जो मुझे उनके साथ करना है और मैं तुम्हारे साथ वही करूँगा यदि तुम लोग उन लोगों को अपने देश में रहने दोगे।”
कनान की सीमाएँ
34यहोवा ने मूसा से बात की। उसने कहा, 2 “इस्राएल के लोगों को यह आदेश दोः तुम लोग कनान देश में आ रहे हो। तुम लोग इस देश को हराओगे। तुम लोग पूरा कनान देश ले लोगे। 3 दक्षिणी ओर तुम लोग एदोम के निकट सीन मरुभूमि का भाग प्राप्त करोगे। तुम्हारी दक्षिणी सीमा मृत सागर की दक्षिणी छोर से आरम्भ होगी। 4 यह बिच्छूदर्रे (स्कार्पियन पास) के दक्षिण से गुजरेगी। यह सीन मरुभूमि से होकर कादेशबर्ने तक जाएगी, और तब हसरद्दार तथा तब यह अस्मोन से होकर जाएगी। 5 अस्मोन से सीमा मिस्र की नदी तक जाएगी और इसका अन्त भूमध्य सागर पर होगा। 6 तुम्हारी पश्चिमी सीमा भूमध्य सागर होगी। 7 तुम्हारी उत्तरी सीमा भूमध्य सागर पर आरम्भ होगी और होर पर्वत तक जाएगी। लबानोन में 8 होर पर्वत से यह लेबोहामात को जाएगी और तब सदाद कहो। 9 तब यह सीमा जिप्रोन को जाएगी और तथा यह हसेरनान पर समाप्त होगी। इस प्रकार यह तुम्हारी उत्तरी सीमा होगी। 10 तुम्हारी पूर्वी सीमा एनान पर आरम्भ होगी और यह शापान तक जाएगी। 11 शापान से सीमा ऐन के पूर्व रिबला तक जाएगी। किन्नरेत सागर गलील के सागर के साथ की पहाड़ियों के साथ सीमा चलती रहेगी। 12 तब सीमा यरदन नदी के साथ—साथ चलेगी। इसका अन्त मृत सागर पर होगा। तुम्हारे देश के चारों ओर की सीमा यही है।”
13 मूसा ने इस्राएल के लोगों को आदेश दियाः “यही वह देश है जिसे तुम प्राप्त करोगे। तुम लोग नौ परिवार समूहों और मनश्शे परिवार समूह के आधे लोगों के लिए भूमि बाँटने के लिए उनके नाम गोटें डालोगे। 14 रूबेन, गाद और मनश्शे के आधे परिवार के लोगों के परिवार समूहों ने पहले ही अपना प्रदेश ले लिया है। 15 उस ढाई परिवार समूह ने यरीहो के निकट यरदन नदी के पूर्व अपना प्रदेश ले लिया है।”
16 तब यहोवा ने मूसा से बात की। उसने कहा, 17 “ये लोग हैं जो भूमि बाँटने में तुम्हारी सहायता करेंगेः याजक एलीआज़ार, नून का पुत्र यहोशू 18 और हर एक परिवार समूह से तुम एक नेता चुनोगे। ये लोग भूमि का बँटवारा करेंगे। 19 नेताओं के नाम ये हैं:
यहूदा के परिवार समूह से, यपुन्ने का पुत्र कालेब;
20 शिमोन के परिवार समूह से, अम्मीहूद का पुत्र शमूएल।
21 बिन्यामीन के परिवार समूह से, किसलोन का पुत्र एलीदाद।
22 दान के परिवार समूह से, योग्ली का पुत्र बुक्की।
23 मनश्शे (यूसुफ का पुत्र) के परिवार समूह से, एपोद का पुत्र हन्नीएल।
24 एप्रैम (यूसुफ का पुत्र) के परिवार समूह से, शिप्तान का पुत्र कमूएल।
25 जबूलून के परिवार समूह से, पर्नाक का पुत्र एलीसापान।
26 इस्साकार के परिवार समूह से, अज्जान का पुत्र पलतीएल।
27 आशेर के परिवार समूह से, शलोमी का पुत्र अहीदूद।
28 नप्ताली के परिवार समूह से, अम्मीहूद का पुत्र पदहेल।”
29 यहोवा ने इन पुरुषों को इस्राएल के लोगों में कनान की भूमि बाँटने के लिये चुना।
समीक्षा
पवित्र आत्मा से परिपूर्ण उद्देश्य
यह लेखांश उस विरासत का उल्लेख करता है जिसे परमेश्वर ने अपने लोगों को दिया है (34:29). हालांकि इन्हें 'साहस' से स्थापित किया गया था (33:3), वे चालीस वर्षों तक जंगल में भटकते रहे (व.38). परंतु वे कभी भी विरासत का पूरा लाभ नहीं उठा पाए.
पौलुस, प्रेरितों के कार्य में प्रचार करते हुए, समझाते हैं कि परमेश्वर ने अपने लोगों को उनकी विरासत के रूप में वह देश दे दिया था (प्रेरितों के कार्य 13:17-20). वह आगे कहते हैं, 'और हम तुम्हें यह सुसमाचार सुनाते हैं। कि परमेश्वर ने यीशु को जिलाकर, वही प्रतिज्ञा हमारी सन्तान के लिये पूरी की, जैसा दूसरे भजन में भी लिखा है, कि तू मेरा प्रिय पुत्र है; आज मैं ही ने तुझे जन्माया है' (वव.32-33).
अपने लोगों को कनान देश देने का परमेश्वर का वायदा अचल संपत्ति देने से कहीं ज्यादा है. यह फूलने – फलने का वायदा है, जैसा कि परमेश्वर के लोगों ने परमेश्वर के साथ संबंध का आनंद उठाया, परमेश्वर की सुरक्षा के अंदर सुरक्षित रहते हुए, परमेश्वर के वायदे के स्थान में. यह नये नियम के 'परमेश्वर के राज्य' की ओर इशारा करता है, परमेश्वर की उपस्थिति और राज्य का क्षेत्र. यह यीशु में परिपूर्ण हुआ है और जिसका आप अनुभव लेना शुरु कर सकते हैं.
मसीह में, आपकी विरासत 'अनंत विरासत का वायदा है' (इब्रानियों 9:15).. यह ऐसी विरासत है 'जो कभी नाश, धूमिल या बरबाद नहीं होगी, जो आपके लिए स्वर्ग में रखी हुई है (1 पतरस 1:4).
आपको भविष्य में इस विरासत की प्रतिक्षा ही नहीं करनी है बल्कि आप इस विरासत का अनुभव इसी वक्त कर सकते हैं: 'जब तुम ने सत्य का वचन सुना, जो तुम्हारे उद्धार का सुसमाचार है, और जिस पर तुम ने विश्वास किया, प्रतिज्ञा किए हुए पवित्र आत्मा की छाप लगी। वह उसके मोल लिए हुओं के छुटकारे के लिये हमारी मीरास का बयाना है' (इफीसियों 1:13-14).
बयाना के लिए ग्रीक शब्द (अराबोन - arabone) है जिसका मतलब है 'नकद भुगतान'. दूसरे शब्दों में, आप इसका अनुभव करते हैं और अब यह उस विरासत का पूर्वाभास है जो कि पवित्र आत्मा के द्वारा है. जब आप पवित्र आत्मा में जीते हैं, तो आपका जीवन फल उत्पन्न करता है जैसे 'प्रेम, आनंद, शांति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वासयोग्यता, नम्रता और आत्म संयम' (गलातियों 5:22). कम दर्जे की श्रेष्ठता में सहमत मत होइये; पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होने का उद्देश्य रखिये.
प्रार्थना
प्रभु, पवित्र आत्मा में पाप के प्रति निष्ठुर रहने में मेरी मदद कीजिये ताकि हम किसी ऐसी चीज में न पड़ें जो हमारी आँखों में कांटें और हमारे पंजरों में कीलों के समान हों' (गिनती 33:55). मेरी मदद कीजिये कि मैं कभी भी दूसरे दर्जे की श्रेष्ठता से सहमत न होने पाऊँ बल्कि आपकी पवित्र आत्मा के द्वारा ऊँचा और चुनौतीपूर्ण उद्देश्य रखूँ.
पिप्पा भी कहते है
गिनती 33:6-48
इस्रायली लोग लगातार चलते जा रहे थे. मैं इस लेखांश को पूरी तरह से विषय से बाहर ले जा रहा हूँ, लेकिन यह मुझे सच में अपने वार्षिक कैम्पिंग चर्च छुट्टी/त्यौहार पर ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित करता है. अच्छी बात यह है कि जब हम जुलाई में समरली एस्टेट पहुँचते हैं और अपने तंबू गाड़ते हैं, तो हमें तुरंत कहीं जाना नहीं पड़ता. ' उस देश को अपने अधिकार में लेकर उस में निवास करना, क्योंकि मैं ने वह देश तुम्हीं को दिया है कि तुम उसके अधिकारी हो' (व.53) \[केवल 6 दिनों के लिए\]. 'तुम उस देश को चिट्ठी डालकर अपने कुलों के अनुसार बांट लेना; अर्थात जो कुल अधिक वाले हैं उन्हें अधिक, और जो थोड़े वाले हैं' उन्हे थोडे (व.54). यदि परमेश्वर के लोग तंबुओं में चालीस वर्षों तक रह सकते हैं, तो मुझे भी एक हफ्ते तक रहने में दिक्कत नहीं होनी चाहिये. यह अद्भुत होगा, कुड़कुड़ाने की अनुमति नहीं है!
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संदर्भ
नोट्स:
टाइम, सोमवार जून 21, 1971, 'द आल्टरनेटिव जीसस: साइकेडेलिक क्राइस्ट' © Time inc.
विकिपीडिया, ‘Perfectionism’, https://en.wikipedia.org/wiki/Perfectionism\_(psychology) \[last accessed March 2016\]
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