सबसे रोमांचकारी खोज
परिचय
'क्या आप कुछ देख सकते हैं?' उनके सहायक ने पूछा जब कार्टर्स की आँखें आधे-अंधेर के लिए एडजस्ट हो रही थीं. कार्टर अच्छी तरह से देख पा रहे थे, लेकिन उन्हें बोलने में परेशानी हो रही थी क्योंकि उनके सामने चमकता हुआ खजाना फैला हुआ था.
दो हजार वर्षों से भी ज्यादा समय से, यात्री, कब्र लूटने वाले और पुरातत्त्वविद् ने मिस्र के फिरौन की कब्र की खोज की. सिर्फ कुछ प्रमाणों से लैस, ब्रिटिश के पुरातत्त्वविद् हावर्ड कार्टन की कई वर्षों की खोज असफल होती नजर आ रही थी.
अंत में, कार्टर ने मिस्र की एक प्राचीन कब्र खोली. आधुनिक दुनिया में किसी ने भी ऐसा नहीं देखा होगा. राजा की देह को कब्र में तीन खनों वाले कपाट में रखा गया था, सबसे अंदर वाली ठोस सोने की थी. राजा के सिर पर सोने का एक शानदार मुखोटा था और कई सारे आभूषण उनकी देह पर और इसके कफन पर रखे हुए थे.
दूसरे कमरे में मूर्तियों, एक रथ, हथियारों, छाती की झिलम, तराशे गए कोब्रा, फूल दानी, कटार, रत्न और सिंहासन से भरा हुआ था. यह बेशकीमती कब्र और राजा तुतानखमुन का खजाना था जिसने ईसा पूर्व 1352 से 1343 तक शासन किया था. 3265 वर्ष बाद, 26 नवंबर 1922 में कार्टर ने यह खोज की.
हावर्ड कार्टर ने दुनिया की सबसे रोमांचकारी पुरातत्व-संबंधी खोज की क्योंकि उसने प्रयास करना नहीं छोड़ा. परमेश्वर आपसे प्रेम करते हैं. परमेश्वर आप पर जबरदस्ती नहीं करते, लेकिन यदि आप ईमानदारी से पाने का प्रयास करें तो उनका वायदा है वह खुद को आप पर प्रकट करेंगे.
नीतिवचन 8:32-36
32 “तो अब, मेरे पुत्रों, मेरी बात सुनो।
वो धन्य है!
जो जन मेरी राह पर चलते हैं।
33 मेरे उपदेश सुनो और बुद्धिमान बनो।
इनकी उपेक्षा मत करो।
34 वही जन धन्य है, जो मेरी बात सुनता और रोज मेरे द्वारों पर दृष्टि लगाये रहता
एवं मेरी ड्योढ़ी पर बाट जोहता रहता है।
35 क्योंकि जो मुझको पा लेता वही जीवन पाता
और वह यहोवा का अनुग्रह पाता है।
36 किन्तु जो मुझको, पाने में चूकता, वह तो अपनी ही हानि करता है।
मुझसे जो भी जन सतत बैर रखते हैं, वे जन तो मृत्यु के प्यारे बन जाते हैं!”
समीक्षा
हर रोज परमेश्वर की बुद्धि पाने का प्रयास करें
यहाँ हम आश्चर्यजनक तस्वीर देखते हैं कि आप हर रोज क्या कर रहे हैं, जब आप अपनी बाइबक खोलते हैं और परमेश्वर से सुनने का प्रयास करते हैं. ' क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो मेरी सुनता, वरन मेरी डेवढ़ी पर प्रति दिन खड़ा रहता, और मेरे द्वारों के खंभों के पास दृष्टि लगाए रहता है' (व.34). अपनी परिपूर्णता में यह जीवन का तरीका है. यह 'परमेश्वर से पाने का तरीका है' (व.35). यह बहुत ही महत्वपूर्ण है, यह जीवन और मृत्यु का मामला है (वव.35-36).
हमने देखा कि नीतिवचन की पुस्तक में बुद्धि मसीह का पूर्वाभास है, जो कि परमेश्वर की बुद्धि हैं. यह जीवन के लिए कुछ सुझाव सीखने का मामला नहीं है, बल्कि यह स्वयं बुद्धि के स्रोत से सीखना है.
मगर, परमेश्वर की खोज करने में अनुशासन और धीरज की जरूरत है – आपको प्रभु की बाट जोहना सीखना पड़ेगा. यदि आप बहुत जल्दी में हैं तो आप इससे चूक सकते हैं.
प्रार्थना
प्रभु, आपको धन्यवाद कि जब मैं आपको पाता हूँ, तो मैं जीवन पाता हूँ. हर रोज आपकी उपस्थिति में आने, धैर्यपूर्वक आपका इंतजार करने और आपके निर्देशों को सुनने में मेरी मदद कीजिये.
लूका 11:5-32
माँगते रहो
5-6 फिर उसने उनसे कहा, “मानो, तुममें से किसी का एक मित्र है, सो तुम आधी रात उसके पास जाकर कहते हो, ‘हे मित्र मुझे तीन रोटियाँ दे। क्योंकि मेरा एक मित्र अभी-अभी यात्रा से मेरे पास आया है और मेरे पास उसके सामने परोसने के लिये कुछ भी नहीं है।’ 7 और कल्पना करो उस व्यक्ति ने भीतर से उत्तर दिया, ‘मुझे तंग मत कर, द्वार बंद हो चुका है, बिस्तर में मेरे साथ मेरे बच्चे हैं, सो तुझे कुछ भी देने मैं खड़ा नहीं हो सकता।’ 8 मैं तुम्हें बताता हूँ वह यद्यपि नहीं उठेगा और तुम्हें कुछ नहीं देगा, किन्तु फिर भी क्योंकि वह तुम्हारा मित्र है, सो तुम्हारे निरन्तर, बिना संकोच माँगते रहने से वह खड़ा होगा और तुम्हारी आवश्यकता भर, तुम्हें देगा। 9 और इसीलिये मैं तुमसे कहता हूँ माँगो, तुम्हें दिया जाएगा। खोजो, तुम पाओगे। खटखटाओ, तुम्हारे लिए द्वार खोल दिया जायेगा। 10 क्योंकि हर कोई जो माँगता है, पाता है। जो खोजता है, उसे मिलता है। और जो खटखटाता है, उसके लिए द्वार खोल दिया जाता है। 11 तुममें ऐसा पिता कौन होगा जो यदि उसका पुत्र मछली माँगे, तो मछली के स्थान पर उसे साँप थमा दे 12 और यदि वह अण्डा माँगे तो उसे बिच्छू दे दे। 13 सो बुरे होते हूए भी जब तुम जानते हो कि अपने बच्चों को उत्तम उपहार कैसे दिये जाते हैं, तो स्वर्ग में स्थित परम पिता, जो उससे माँगते हैं, उन्हें पवित्र आत्मा कितना अधिक देगा।”
यीशु में परमेश्वर की शक्ति
14 फिर जब यीशु एक गूँगा बना डालने वाली दुष्टात्मा को निकाल रहा था तो ऐसा हुआ कि जैसे ही वह दुष्टात्मा बाहर निकली, तो वह गूँगा, बोलने लगा। भीड़ के लोग इससे बहुत चकित हुए। 15 किन्तु उनमें से कुछ ने कहा, “यह दैत्यों के शासक बैल्ज़ाबुल की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता है।”
16 किन्तु औरों ने उसे परखने के लिये किसी स्वर्गीय चिन्ह की माँग की। 17 किन्तु यीशु जान गया कि उनके मनों में क्या है। सो वह उनसे बोला, “वह राज्य जिसमें अपने भीतर ही फूट पड़ जाये, नष्ट हो जाता है और ऐसे ही किसी घर का भी फूट पड़ने पर उसका नाश हो जाता है। 18 यदि शैतान अपने ही विरुद्ध फूट पड़े तो उसका राज्य कैसे टिक सकता है? यह मैंने तुमसे इसलिये पूछा है कि तुम कहते हो कि मैं बैल्ज़ाबुल की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूँ। 19 किन्तु यदि मैं बैल्ज़ाबुल की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूँ तो तुम्हारे अनुयायी उन्हें किसकी सहायता से निकालते हैं? सो तुझे तेरे अपने लोग ही अनुचित सिद्ध करेंगे। 20 किन्तु यदि मैं दुष्टात्माओं को परमेश्वर की शक्ति से निकालता हूँ तो यह स्पष्ट है कि परमेश्वर का राज्य तुम तक आ पहुँचा है!
21 “जब एक शक्तिशाली मनुष्य पूरी तरह हथियार कसे अपने घर की रक्षा करता है तो उसकी सम्पत्ति सुरक्षित रहती है। 22 किन्तु जब कभी कोई उससे अधिक शक्तिशाली उस पर हमला कर उसे हरा देता है तो वह उसके सभी हथियारों को, जिन पर उसे भरोसा था, उससे छीन लेता है और लूट के माल को वे आपस में बाँट लेते हैं।
23 “जो मेरे साथ नहीं है, मेरे विरोध में है और वह जो मेरे साथ बटोरता नहीं है, बिखेरता है।
खाली व्यक्ति
24 “जब कोई दुष्टात्मा किसी मनुष्य से बाहर निकलती है तो विश्राम को खोजते हुए सूखे स्थानों से होती हुई जाती हैं और जब उसे आराम नहीं मिलता तो वह कहती हैं, ‘मैं अपने उसी घर लौटूँगी जहाँ से गयी हूँ।’ 25 और वापस जाकर वह उसे साफ़ सुथरा और व्यवस्थित पाती है। 26 फिर वह जाकर अपने से भी अधिक दुष्ट अन्य सात दुष्टात्माओं को वहाँ लाती है। फिर वे उसमें जाकर रहने लगती हैं। इस प्रकार उस व्यक्ति की बाद की यह स्थिति पहली स्थिति से भी अधिक बुरी हो जाती है।”
वे धन्य हैं
27 फिर ऐसा हुआ कि जैसे ही यीशु ने ये बातें कहीं, भीड़ में से एक स्त्री उठी और ऊँचे स्वर में बोली, “वह गर्भ धन्य है, जिसने तुझे धारण किया। वे स्तन धन्य है, जिनका तूने पान किया है।”
28 इस पर उसने कहा, “धन्य तो बल्कि वे हैं जो परमेश्वर का वचन सुनते हैं और उस पर चलते हैं!”
प्रमाण की माँग
29 जैसे जैसे भीड़ बढ़ रही थी, वह कहने लगा, “यह एक दुष्ट पीढ़ी है। यह कोई चिन्ह देखना चाहती है। किन्तु इसे योना कि चिन्ह के सिवा और कोई चिन्ह नहीं दिया जायेगा। 30 क्योंकि जैसे नीनवे के लोगों के लिए योना चिन्ह बना, वैसे ही इस पीढ़ी के लिये मनुष्य का पुत्र भी चिन्ह बनेगा।
31 “दक्षिण की रानी न्याय के दिन प्रकट होकर इस पीढ़ी के लोगों पर अभियोग लगायेगी और उन्हें दोषी ठहरायेगी क्योंकि वह धरती के दूसरे छोरों से सुलैमान का ज्ञान सुनने को आयी और अब देखो यहाँ तो कोई सुलैमान से भी बड़ा है।
32 “नीनवे के लोग न्याय के दिन इस पीढ़ी के लोगों के विरोध में खड़े होकर उन पर दोष लगायेंगे क्योंकि उन्होंने योना के उपदेश को सुन कर मन फिराया था। और देखो अब तो योना से भी महान कोई यहाँ है!
समीक्षा
लगातार परमेश्वर की आत्मा को पाने का प्रयास करें
यीशु हमें आसानी से हार न मानने के लिए कहते हैं. वह हमें 'लगातार प्रयास' करते रहने की कहानी बताते हैं (व.8, एएमपी) बल्कि कच्चे मानवीय संबंधों में भी (वव.5-8).
वह आगे कहते हैं कि परमेश्वर के साथ संबंध बनाने में भी लगातार प्रयास करते रहना कितना महत्वपूर्ण है. ' मांगो, तो तुम्हें दिया जाएगा......... ढूंढ़ों तो तुम पाओगे;...... खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा.... क्योंकि जो कोई मांगता है, उसे मिलता है; और जो ढूंढ़ता है, वह पाता है; और जो खटखटाता है, उसके लिये खोला जाएगा' (वव.9-10).
यीशु खासतौर पर इसे पवित्र आत्मा को प्राप्त करने से संदर्भित करते हैं (व.13). आपको अपने जीवन में ज्यादा से ज्यादा पवित्र आत्मा और उनकी बुद्धि और उनकी सामर्थ को मांगते रहना चाहिये.
परमेश्वर से प्राप्त करने वाली मुख्य परेशानियों के बारे में बता रहे हैं.
- संदेह
इस पूरे क्षेत्र में लोगों को कई संदेह हैं. वे पूछते हैं, 'यदि मैं मांगूँ तो क्या मैं पवित्र आत्मा प्राप्त कर पाऊँगा ?' यीशु कहते हैं: ' मैं तुम से कहता हूं; कि मांगो, तो तुम्हें दिया जाएगा' (व.9).
यीशु ने जरूर देखा होगा कि उन्हें थोड़ा सन्देह हो रहा है, क्योंकि वह इसे अलग तरह से दोहराते हैं: 'ढूढते रहो और तुम इसे पाओगे.' फिर तीसरी बार वह कहते हैं: 'खटखटाते रहो और तुम्हारे लिए द्वार खोला जाएगा.'
वह मनुष्य के स्वभाव को जानते हैं इसलिए वह चौथी बार कहते हैं: 'क्योंकि जो कोई मांगता रहता है उसे दिया जाएगा' (व.10). वे सहमत नहीं हुए इसलिए उन्होंने पाँचवी बार कहा: 'जो कोई ढूँढता रहता है वह पाएगा.' फिर से छठी बार वह कहते हैं: 'जो कोई खटखटा रहता है उसके लिए द्वारा खोला जाएगा.'
उन्होंने इसे छ: बार क्यों कहा? क्योंकि वह हमारे शक करने की प्रवृत्ती जानते थे. आपको यह यकीन करने में परेशानी होगी कि परमेश्वर आपको कुछ भी देंगे - चाहें वह उनके पवित्र आत्मा और ऊपर से मिलने वाले वरदान जैसी आश्चर्यजनक चीज ही क्यों न हो.
- डर
चाहें आपने डर की पहली बाधा लांघ ली हो, तब भी डर की आप अगली बाधा में अटक सकते हैं. इस बात का डर कि आप क्या पाएंगे. क्या अच्छी होगी?
यीशु एक पिता का उदाहरण देते हैं. यदि कोई बच्चा मछली मांगे तो क्या उसका पिता उसे सांप देगा. यदि कोई बच्चा अंडा मांगे तो वह उसे बिच्छु देगा? यह सोचा भी नहीं जा सकता कि कोई अपने बच्चों के साथ इस प्रकार का व्यवहार करेगा.
यीशु आगे कहते हैं कि परमेश्वर की तुलना में हम बुरे हैं! यदि हम अपने बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करते, तो परमेश्वर हमारे साथ ऐसा व्यवहार कैसे कर सकते हैं? परमेश्वर आपको लज्जित नहीं होने देंगे. यदि आपने पवित्र आत्मा मांगा है और उनके साथ मिलने वाले सभी अद्भुत वरदान मांगे हैं, तो आप बिल्कुल वही पाएंगे (व.13).
- अयोग्यता
अवश्य ही क्षमा मांगना और अपने गलत कामों से मन फिराना महत्वपूर्ण है. मगर आपने ऐसा किया है तब भी, आपको ऐसा महसूस हो रहा होगा कि मैं अयोग्य और अनुपयुक्त हूँ.
कभी-कभी यह मानना आसान होता है कि वह उत्तम दर्जे के मसीही को यह वरदान देंगे, लेकिन हमें नहीं. लेकिन यीशु ऐसा नहीं कहते कि, 'तो स्वर्गीय पिता उत्तम दर्जे के मसीही को पवित्र आत्मा क्यों न देंगे.' बल्कि वह कहते हैं, 'तो स्वर्गीय पिता अपने मांगने वालों को पवित्र आत्मा क्यों न देंगे!' (व.13).
लेखांश का दूसरा भाग हमें इस बात का ध्यान रखने के लिए कहता है कि हमने सही चीजों को मांगना है. ' औरों ने उस की परीक्षा करने के लिये उस से आकाश का एक चिन्ह मांगा' (व.16). ' परन्तु उन में से कितनों ने कहा था कि, यह तो शैतान नामक दुष्टात्माओं के प्रधान की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता है' (व.15).
यीशु बताते हैं कि शैतान दुष्टात्माओं को नहीं भगाता (वव.17-20) जैसा कि यीशु ने किया था. फिर वह उनसे कहते हैं 'चिन्ह' पाने की तलाश में मत रहो. हमें केवल एक ही चिन्ह की जरूरत है और वह है – पुनरूत्थान (वव.29-30). यह चिन्ह बताता है कि यीशु सुलेमान और योना से बेहतर हैं (वव.31-32).
गलत चीजों को पाने का प्रयास न करें. परमेश्वर को, उनके राज्य को, उनकी धार्मिकता को और उनकी पवित्र आत्मा को पाने का प्रयास करें.
प्रार्थना
प्रभु, आज मैं मांगता हूँ, मुझे अपने प्रेम, सामर्थ और बुद्धि से फिर से भर दीजिये जो आपकी पवित्र आत्मा से मिलती है.
व्यवस्था विवरण 4:15-5:33
15 “उस दिन यहोवा ने होरेब पर्वत की आग से तुमसे बातें कीं। तुमने उसको किसी शारीरिक रूप में नहीं देखा। 16 इसलिए सावधान रहो! पाप मत करो और किसी जीवित के रूप में किसी का प्रतीक या उसकी मूर्ति बनाकर अपने जीवन को चौपट न करो। ऐसी मूर्ति न बनाओ जो किसी पुरुष या स्त्री के सदृश हो। 17 ऐसी मूर्ति न बनाओ जो धरती के किसी जानवर या आकाश के किसी पक्षी की तरह दिखाई देती हो। 18 और ऐसी मूर्ति न बनाओ जो थरती पर रेंगने वाले या समुद्र की मछली की तरह दिखाई देती है। 19 जब तुम आकाश की ओर दृष्टि डालो और सूरज, चाँद, तारे और बहुत कुछ तुम जो कभी आकाश में देखो, उससे सावधान रहो कि तुम में उनकी पूजा या सेवा के लिए प्रलोभन न उत्पन्न हो। यहोवा तुम्हारे परमेशवर ने इन सभी चीजों को संसार के दूसरे लोगों को दिया है। 20 किन्तु यहोवा तुम्हें मिस्र से बाहर लाया है जो तुम्हारे लिए लोहे की भट्टी थी। वह तुम्हें इसलिए लाया कि तुम उसके निज लोग वैसे ही बन सको जैसे तुम आज हो।
21 “यहोवा तुम्हारे कारण मुझ से क्रोधित था। उसने एक विशेष वचन दिया: उसने कहा कि मैं यरदन नदी के उस पार नहीं जा सकता। उसने कहा कि मैं उस सुन्दर प्रदेश में प्रवेश नहीं पा सकता जिसे तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हें दे रहा है। 22 इसलिए मुझे इस देश में मरना चाहिए। मैं यरदन नदी के पार नहीं जा सकता। किन्तु तुम तुरन्त उसके पार जाओगे और उस देश को रहने के लिए प्राप्त करोगे। 23 उस नये देश में तुम्हें सावधान रहना चाहिए कि तुम उस वाचा को न भूल जाओ जो यहोवा, तुम्हारे परमेश्वर ने तुमसे की है। तुम्हें किसी भी प्रकार की मूर्ति नहीं बनानी चाहिए। यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें उन्हें न बनाने की आज्ञा दी है। 24 क्यों? क्योंकि यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर अपने लोगों द्वारा किसी दूसरे देवता की पूजा से घृणा करता है और यहोवा नष्ट करने वाली आग की तरह प्रलयंकर हो सकता है!
25 “जब तुम उस देश में बहुत समय रह लो और तुम्हारे पुत्र, पौत्र हों तब अपने को नष्ट न करो, बुराई न करो। किसी भी रूप में कोई मूर्ति न बनाओ। यहोवा तुम्हारा परमेश्वर यह कहता है कि यह बुरा है! इससे वह क्रोधित होगा! 26 यदी तुम उस बुराई को करोगे तो मैं धरती और आकाश को तुम्हारे विरुद्ध साक्षी के लिए बुलाता हूँ कि यह होगा। तुम शीघ्र ही नष्ट हो जाओगे। तुम यरदन नदी को उस देश को लेने के लिए पार कर रहे हो, किन्तु तुम वहाँ बहुत समय तक नहीं रहोगे। नहीं, तुम पूरी तरह नष्ट हो जाओगे! 27 यहोवा तुमको राष्ट्रों में तितर—बितर कर देगा और तुम लोगों में से उस देश में कुछ ही जीवित रहेंगे जिसमें यहोवा तुम्हें भेजेगा। 28 तुम लोग वहाँ मनुष्यों के बनाए देवताओं की पूजा करोगे, उन चीजों की जो लकड़ी और पत्थर की होंगी जो देख नहीं सकतीं, सुन नहीं सकतीं, खा नहीं सकतीं, सूँघ नहीं सकतीं। 29 किन्तु इन दूसरे देशों में तुम यहोवा अपने परमेश्वर की खोज करोगे। यदि तुम अपने हृदय और पूरी आत्मा से उसकी खोज करोगे तो उसे पाओगे। 30 जब तुम विपत्ति में पड़ोगे और वे सभी बातें तुम पर घटेंगी तो तुम यहोवा अपने परमेश्वर के पास लौटोगे और उसकी आज्ञा का पालन करोगे। 31 यहोवा तुम्हारा परमेश्वर कृपालु है, वह तुम्हारा परित्याग नहीं करेगा। वह तुम्हें नष्ट नहीं करेगा। वह उस वाचा को नहीं भूलेगा जो उसने तुम्हारे पूर्वजों को वचन के रूप में दी।
उन महान कर्मों को सोचो जो यहोवा ने तुम्हारे लिये किये
32 “क्या इतनी महान घटनाओं में से कोई इसके पहले हुई? कभी नहीं! बीते समय को देखो। तुम्हारे जन्म के पहले जो महान घटनाएँ घटीं उन्हें याद करो। उस समय तक पीछे जाओ जब परमेश्वर ने धरती पर आदमी को बनाया। उन सभी घटनाओं को देखो जो संसार में कभी कहीं भी घटी हैं। क्या इस महान घटना जैसी घटना किसी ने कभी पहले सुनी है? नहीं! 33 तुम लोगों ने परमेश्वर को तुमसे आग में से बोलते सुना और तुम लोग अभी भी जीवित हो। 34 क्या ऐसी घटना किसी के साथ घटित हुई है? नहीं! और क्या किसी दूसरे ईश्वर ने कभी किसी दूसरे राष्ट्रों के भीतर जाकर स्वयं वहाँ से लोगों को बाहर लाने का प्रयत्न किया है? नहीं! किन्तु तुमने स्वयं यहोवा अपने परमेश्वर को, इन अद्भुत कार्यों को करते देखा है। उसने अपनी शक्ति और दृढ़ता को दिखाया। तुमने उन विपत्तियों को देखा जो लोगों के लिए परीक्षा थीं। तुम लोगों ने चमत्कार और आश्चर्य देखे। तुम लोगों ने युद्ध और जो भंयकर घटनाएँ हुईं, उन्हें देखा। 35 उसने तुम्हें ये सब दिखाए जिससे तुम जान सको कि यहोवा ही परमेश्वर है। उसके समान कोई अन्य देवता नहीं है। 36 यहोवा आकाश से अपनी बात इसलिए सुनने देता था जिससे वह तुम्हें शिक्षा दे सके। धरती पर उसने अपनी महान आग दिखायी और वह उसमें से बोला।
37 “यहोवा तुम्हारे पूर्वजों से प्यार करता था। यही कारण था कि उसने उनके वंशजों अर्थात् तुमको चुना और यही कारण है कि यहोवा तुम्हें मिस्र से बाहर लाया। वह तुम्हारे साथ था और अपनी बड़ी शक्ति से तुम्हें बाहर लाया। 38 जब तुम आगे बढ़े तो यहोवा ने तुम्हारे सामने से राष्ट्रों को बाहर जाने के लिए विवश किया। ये राष्ट्र तुमसे बड़े और अधिक शक्तिशाली थे। किन्तु यहोवा तुम्हें उनके देश में ले आया। उसने उनका देश तुमको रहने को दिया और यह देश आज भी तुम्हारा है।
39 “इसलिए आज तुम्हें याद रखना चाहिए और स्वीकार करना चाहिए कि यहोवा परमेश्वर है। वहाँ ऊपर स्वर्ग में तथा यहाँ धरती का परमेश्वर है। यहाँ और कोई दूसरा परमेशवर नहीं है! 40 और तुम्हें उसके उन नियमों और आदेशों का पालन करना चाहिए जिन्हें मैं आज तुम्हें दे रहा हूँ। तब हर एक बात तुम्हारे और तुम्हारे उन बच्चों के लिए ठीक रहेगी जो तुम्हारे बाद होंगे और तुम लम्बे समय तक उस देश में रहोगे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें सदा के लिए दे रहा है।”
मूसा सुरक्षा के नगरों को चुनता है
41 तब मूसा ने तीन नगरों को यरदन नदी की पूर्व की ओर चुना । 42 यदि कोई व्यक्ति किसी वयक्ति को संयोगवश मार डाले तो वह इन नगरों में से किसी में भागकर जा सकता था और सुरक्षित रह सकता था। यदि वह मारे गए व्यक्ति से घृणा नहीं करता था और उसे मार डालने का इरादा नहीं रखता था तो वह उन नगरों में से किसी एक में जा सकता था और उसे प्राण—दण्ड नहीं दिया जा सकता था। 43 मूसा ने जिन तीन नगरों को चुना, वे ये थे: रुबेनी लोगों के लिए मरुभूमि की मैदानी भूमि में बेसेर; गादी लोगों के लिए गिलाद में रामोत और मनश्शे लोगों के लिए बाशान में गोलान।
मूसा के नियमों का परिचय
44 इस्राएली लोगों के लिए जो नियम मूसा ने दिया वह यह है। 45 ये उपदेश, विधि और नियम मूसा ने लोगों को तब दिये जब वे मिस्र से बाहर आए। 46 मूसा ने इन नियमों को तब दिया जब लोग यरदन नदी के पूर्वी किनारे पर बेतपोर के पार घाटी में थे। वे एमोरी राजा सीहोन के देश में थे, जो हेशबोन में रहता था। (मूसा और इस्राएल के लोगों ने सीहोन को तब हराया था जब वे मिस्र से आए थे। 47 उन्होंने सीहोन के देश को अपने पास रखने के लिए ले लिया था। ये दोनों एमोरी राजा यरदन नदी के पूर्व में रहते थे। 48 यह प्रदेश अर्नोन घाटी के सिरे पर स्थित अरोएर से लेकर सीओन पर्वत तक फैला था, (अर्थात् हेर्मोन पर्वत तक।) 49 इस प्रदेश में यरदन नदी के पूर्व का पूरा अराबा सम्मिलित था। दक्षिण में यह अराबा सागर तक पहुँचता था और पूर्व में पिसगा पर्वत के चरण तक पहुँचता था।)
दस आदेश
5मूसा ने इस्राएल के सभी लोगों को एक साथ बुलाया और उनसे कहा, “इस्राएल के लोगो, आज जिन नियम व विधियों को मैं बता रहा हूँ उन्हें सुनो। इन नियमों को सीखो और दृढ़ता से उनका पालन करो। 2 यहोवा, हम लोगों के परमेश्वर ने होरेब (सीनै) पर्वत पर हमारे साथ वाचा की थी। 3 यहोवा ने यह वाचा हम लोगों के पू्र्वजों के साथ नहीं की थी, अपितु हम लोगों के साथ की थी। हाँ, हम लोगों के साथ जो यहाँ आज जीवित हैं। 4 यहोवा ने पर्वत पर तुमसे आमने—सामने बातें कीं। उसने तुम से आग में से बातें कीं। 5 उस समय तुमको यह बताने के लिए कि यहोवा ने क्या कहा, मैं तुम लोगों और यहोवा के बीच खड़ा था। क्यों? क्योंकि तुम आग से डर गए थे और तुमने पर्वत पर जाने से इन्कार कर दिया था। यहोवा ने कहाः
6 ‘मैं यहोवा तुम्हारा वह परमेश्वर हूँ जो तुम्हें मिस्र से बाहर लाया जहाँ तुम दास की तरह रहते थे।
7 ‘मेरे अतिरिक्त किसी अन्य देवता की पूजा न करो।
8 ‘किसी की मूर्तियाँ या किसी के चित्र जो आकाश में ऊपर, पृथ्वी पर या नीचे समुद्र में हों, न बनाओ। 9 किसी प्रकार के प्रतीक की पूजा या सेवा न करो। क्यों? क्योंकि मैं यहोवा तुम्हारा परमेश्वर हूँ। मैं अपने लोगों द्वारा किसी अन्य देवता की पूजा से घृणा करता हूँ। ऐसे लोग जो मेरे विरुद्ध पाप करते हैं, मेरे शत्रु हो जाते हैं। मैं उन लोगों को दण्ड दूँगा और मैं उनके पुत्रों, पौत्रों और प्रपौत्रों को दण्ड दूँगा। 10 किन्तु मैं उन लोगों पर बहुत दयालु रहूँगा जो मुझसे प्रेम करते हैं. और मेरे आदेशों को मानते हैं। मैं उनकी सहस्र पीढ़ी तक उन पर दयालु रहूँगा!
11 ‘यहोवा, अपने परमेश्वर के नाम का उपयोग गलत ढ़ंग से न करो। यदि कोई व्यक्ति उसके नाम का उपयोग गलत ढ़ंग से करता हो तो वह दोषी है और यहोवा उसे निर्दोष नहीं बनाएगा।
12 ‘सब्त के दिन को विशेष महत्व देना याद रखो। यहोवा, तुम्हारे परमेश्वर ने आदेश दिया है कि तुम सब्त के दिन को सप्ताह के अन्य दिनों से भिन्न करो। 13 पहले छ: दिन तुम्हारे काम करने के लिए हैं। 14 किन्तु सातवाँ दिन यहोवा तुम्हारे परमेश्वर के सम्मान में आराम का दिन है। इसलिए सब्त के दिन कोई व्यक्ति काम न करे, अर्थात् तुम, तुम्हारे पुत्र, तुम्हारी पुत्रियाँ, तुम्हारे सेवक, दास स्त्रियाँ, तुम्हारी गायें, तुम्हारे गधे, अन्य जानवर, और तुम्हारे ही नगरों में रहने वाले विदेशी, कोई भी नहीं! तुम्हारे दास तुम्हारी ही तरह आराम करने की स्थिति में होने चाहिए। 15 यह मत भूलो कि तुम मिस्र में दास थे। यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर महान शक्ति से तुम्हें मिस्र से बाहर लाया। उसने तुम्हें स्वतन्त्र किया। यही कारण है कि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर आदेश देता है कि तुम सब्त के दिन को हमेशा विशेष दिन मानो।
16 ‘अपने माता—पिता का सम्मान करो। यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें यह करने का आदेश दिया है। यदि तुम इस आदेश का पालन करते हो तो तुम्हारी उम्र लम्बी होगी और उस देश में जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुमको दे रहा है तुम्हारे साथ सब कुछ अच्छा होगा।
17 ‘किसी की हत्या न करो।
18 ‘व्यभिचार का पाप न करो।
19 ‘कोई चीज मत चुराओ।
20 ‘दूसरों ने जो कुछ किया है उसके बारे में झूठ मत बोलो।
21 ‘तुम दूसरों की चीजों को अपना बनाने की इच्छा न करो। दूसरे व्यक्ति की पत्नी, घर, खेत, पुरुष या स्त्री सेवक, गाये और गधे को लेने की इच्छा तुम्हें नहीं करनी चाहिए।’”
लोगों का भय
22 मूसा ने कहा, “यहोवा ने ये आदेश तुम सभी को दिये जब तुम एक साथ पर्वत पर थे। यहोवा ने स्पष्ट शब्दों में बातें कीं और उसकी तेज आवाज आग, बादल और घने अन्धकार से सुनाई दे रही थी। जब उसने यह आदेश दे दिये तब और कुछ नहीं कहा। उसने अपने शब्दों को दो पत्थर की शिलाओं पर लिखा और उन्हें मुझे दे दिया।
23 “तुमने आवाज को अंधेरे में तब सुना जब पर्वत आग से जल रहा था। तब तुम मेरे पास आए, तुम्हारे परिवार समूह के सभी नेता और तुम्हारे सभी बुजुर्ग। 24 उन्होंने कहा, ‘यहोवा हमारे परमशेवर ने अपना गौरव और महानता दिखाई है। हमने उसे आग में से बोलते सुना है! आज हम लोगों ने देख लिया है कि किसी व्यक्ति का परमेश्वर से बात करने के बाद भी जीवित रह सकना, सम्भव है। 25 किन्तु यदि हमने यहोवा अपने परमेश्वर को दुबारा बात करते सुना तो हम जरूर मर जाएंगे! वह भयानक आग हमें नष्ट कर देगी। किन्तु हम मरना नहीं चाहते। 26 कोई ऐसा व्यक्ति नहीं जिसने हम लोगों की तरह कभी जीवित परमेश्वर को आग में से बात करते सुना हो और जीवित हो! 27 मूसा,तुम समीप जाओ और यहोवा हम लोगों का परमेश्वर, जो कहता है सुनो। तब वह सब बातें हमें बताओ जो यहोवा तुमसे कहता है, और हम लोग वह सब करेंगे जो तुम कहोगे।’
यहोवा मूसा से बात करता है
28 “यहोवा ने वे बातें सुने जो तुमने मुझसे कहीं। तब यहोवा न मुझसे कहा, ‘मैंने वे बातें सुनीं जो इन लोगों ने कहीं। जो कुछ उन्होंने कहा है, ठीक है। 29 मैं केवल यह चाहता हूँ कि वे हृदय से मेरा सम्मान करें और मेरे आदेशों को मानें। तब हर एक चीज उनके तथा उनके वंशजों के लिए सदैव अच्छी रहेगी।
30 “‘जाओ और लोगों से कहो कि अपने डेरों में लौट जायें। 31 किन्तु मूसा, तुम मेरे निकट खड़े रहो। मैं तुम्हें सारे आदेश, विधि और नियम दूँगा जिसकी शिक्षा तुम उन्हें दोगे। उन्हें ये सभी बातें उस देश में करनी चाहिए जिसे मैं उन्हें रहने के लिए दे रहा हूँ।’
32 “इसलिए तुम सभी लोगों को वह सब कुछ करने के लिए सावाधान रहना चाहिए जिसके लिए यहोवा का तुम्हें आदेश है। तुम्हें न दाहिने हाथ मुड़ना चाहिये और न ही बायें हाथ। सदैव उसकी आज्ञाओं का पालन करना चाहिये! 33 तुम्हें उसी तरह रहना चाहिए, जिस प्रकार रहने का आदेश यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुमको दिया है। तब तुम सदा जीवित रह सकते हो और हर चीज तुम्हारे लिए अच्छी होगी। उस देश में, जो तुम्हारा होगा, तुम्हारी आयु लम्बी हो जायेगी।
समीक्षा
पूरे दिल से परमेश्वर की उपस्थिति में आने का प्रयास करें
आप परमेश्वर के साथ व्यक्तिगत संबंध रख सकते हैं. परमेश्वर अपने लोगों से कहते हैं कि, ' यह सब तुझ को दिखाया गया, इसलिये कि तू ध्यान रखे कि यहोवा ही परमेश्वर हैं' (4:35).
मूसा परमेश्वर के लोगों से कहते हैं कि ' परमेश्वर तुम को देश देश के लोगों में तितर बितर करेगा' (व.27). लेकिन उसने कहा, 'यदि तुम अपने परमेश्वर यहोवा को ढूंढ़ोगे, तो वह तुम को मिल जाएगा, शर्त यह है कि तुम अपने पूरे मन से और अपने सारे प्राण से उसे ढूंढ़ो' (व.29).
दस आज्ञाओं के आरंभ में हम परमेश्वर के साथ अपने संबंध के बारे में भी इसी तरह का महत्व देखते हैं. हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जिसके लिए केवल यही बात मायने रखती है कि हम दूसरों के साथ किस तरह से संबंध रखते हैं. हम दूसरों के साथ कैसा संबंध रखते हैं यह अत्यधिक महत्वपूर्ण है और यह दस में से छ: आज्ञाओं का खास विषय है (5:16-21). फिर भी, आप दूसरे के साथ किस तरह से संबंध रखते हैं उससे भी ज्यादा कुछ और महत्वपूर्ण है. परमेश्वर के साथ आपका संबंध आपके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है.
इस संबंध की वजह से आप में से दूसरों के लिए प्यार बहना चाहिये. परमेश्वर आपके जीवन में कोई अतिरिक्त विकल्प नहीं है. मूसा कहते हैं, ' तुम्हारा परमेश्वर यहोवा भस्म करने वाली आग है' (4:24). वह आपसे प्रेम करते हैं. उन्होंने आपको चुना है और वह आपको अपनी उपस्थिति से आशीषित करना चाहते हैं (व.37). वह दयालु परमेश्वर हैं (व.31). उन्होंने आपको गुलामी से छुड़ाया है, जैसे उन्होंने इस्रालियों को छुड़ाया था: 'तेरा परमेश्वर यहोवा, जो तुझे दासत्व के घर अर्थात मिस्र देश में से निकाल लाया है, वह मैं हूँ' (5:6).
यही एक विषय है जिसमें वह आपसे कहते हैं कि उनके साथ अपने संबंध को बाकी सबसे ऊपर रखें (आज्ञाएं 1 से चार, वव. 6-15). आपकी अगली प्राथमिकता है आपके परिवार के साथ आपका संबंध (व.16). फिर दूसरों के साथ आपका संबंध (आज्ञाएं छ: से नौ, वव. 17-20). और अंत में दसवी आज्ञा आपके विचार-जीवन को व्यक्त करते हैं (व.21).
मूसा लोगों से कहते हैं कि इन निर्देशों को 'सुनों' उन्हें 'सीखो' और उन्हें 'जीयो' (व.1, एमएसजी). यदि आप हररोज परमेश्वर को खोजेंगे, लगातार और पूरे दिल से, तो आप भरपूरी का जीवन पाएंगे और यह दूसरों के साथ आपके प्यार करने और उनकी सेवा करने के तरीके को बदल देगा.
प्रार्थना
प्रभु, आज मैं पूरे दिल से आपकी उपस्थिति में आता हूँ. मुझे वयक्तिगत रूप से आपके प्रेम और महान सामर्थ को अनुभव करने, आपकी दस आज्ञाओं को सुनने, और उनका पालन करने और आपकी कृपा में रहने में मेरी मदद कीजिये.
पिप्पा भी कहते है
व्यवस्थाविवरण 5:29
' भला होता कि वे मेरा भय मानते हुए मेरी सब आज्ञाओं पर चलते रहें'
मैं गलत चीजों से आसानी से डर जाती हूँ (जो कि ज्यादा ऊँचाई, सांप, गुर्रानेवाले कुत्ते और हिंसक लोग). लेकिन हमारे शक्तिशाली परमेश्वर का सही भय (अद्भुत आदर) अच्छा है. सभी चीजों को सही दृष्टिकोण में रखने के लिए मुझे अपने महान परमेश्वर का ज्यादा भय मानना चाहिये. मुझे वचन का अगला भाग अच्छा लगा: ' जिस से उनकी और उनके वंश की सदैव भलाई होती रहे!' (व.29ब).

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संदर्भ
नोट्स:
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।