यह एक दावत है!
परिचय
एक दिन, मुझे निमंत्रण मिला कि इंग्लैंड की महारानी ने मुझे दोपहर के खाने पर बुलाया है. पहले मैंने सोचा कि यह एक मजाक होगा. लेकिन ऐसा नहीं था. मैं बकलिंघम राजमहल में गया और मेरी मोटर साइकिल, की निगरानी एक हंसमुख पुलिस कर्मचारी ने की. मैं रानी के बगल में बैठा और कुछ अद्भुत पदार्थ खाए. जैसे ही पर्फेट डी रुबार्बे (एक प्रकार का फल) और सफेद चॉकलेट हमारे सामने आया तब वह मुड़कर मुझ से बातें करने लगीं.
यह स्वादिष्ट नजर आ रहा था. लेकिन मैं मुंह में कुछ रखकर बोलना नहीं चाहता था – और ना ही मैं कठोर नजर आना चाहता था जबकि रानी इसे काटते हुए मुझ से बातें कर रही थीं. आखिरकार उन्होंने मुझ से पूछा कि मुझे खाना पसंद आया नहीं. 'नहीं, नहीं, नहीं,' मैंने कहा, 'मुझे बहुत अच्छा लगा' (और मैं जल्दी से इसे खाने लगा). मैंने उनसे नहीं कहा, लेकिन इसे न खाने का वास्तविक कारण यह था कि मैं भावुक हो गया था कि मुझे इंग्लैंड की रानी के साथ भोजन करने का सौभाग्य मिला.
यीशु परमेश्वर के राज्य की तुलना राजा के साथ एक महान दावत से करते हैं, जिसमें हम सब को बुलाया गया है. यह इंग्लैंड की महारानी के साथ भोजन करने के मुकाबले बड़े सौभाग्य की बात है, और जब कोई इस आमंत्रण को ठुकरा देगा, तो यह एक अनोखी बात होगी.
भजन संहिता 44:13-26
13 तूने हमें हमारे पड़ोसियों में हँसी का पात्र बनाया।
हमारे पड़ोसी हमारा उपहास करते हैं, और हमारी मजाक बनाते हैं।
14 लोग हमारी भी काथा उपहास कथाओं में कहते हैं।
यहाँ तक कि वे लोग जिनका आपना कोई राष्ट्र नहीं है, अपना सिर हिला कर हमारा उपहास करते हैं।
15 मैं लज्जा में डूबा हूँ।
मैं सारे दिन भर निज लज्जा देखता रहता हूँ।
16 मेरे शत्रु ने मुझे लज्जित किया है।
मेरी हँसी उड़ाते हुए मेरा शत्रु, अपना प्रतिशोध चाहता हैं।
17 हे परमेश्वर, हमने तुझको बिसराया नहीं।
फिर भी तू हमारे साथ ऐसा करता है।
हमने जब अपने वाचा पर तेरे साथ हस्तक्षर की थी, झूठ नहीं बोला था!
18 हे परमेश्वर, हमने तो तुझसे मुख नहीं मोड़ा।
और न ही तेरा अनुसरण करना छोड़ा है।
19 किन्तु, हे यहोवा, तूने हमें इस स्थान पर ऐसे ठूँस दिया है जहाँ गीदड़ रहते हैं।
तूने हमें इस स्थान में जो मृत्थु की तरह अंधेरा है मूँद दिया है।
20 क्या हम अपने परमेश्वर का नाम भूले?
क्या हम विदेशी देवों के आगे झुके? नहीं!
21 निश्चय ही, परमेश्वर इन बातों को जानता है।
वह तो हमारे गहरे रहस्य तक जानता है।
22 हे परमेश्वर, हम तेरे लिये प्रतिदिन मारे जा रहे हैं।
हम उन भेड़ों जैसे बने हैं जो वध के लिये ले जायी जा रहीं हैं।
23 मेरे स्वामी, उठ!
नींद में क्यों पड़े हो? उठो!
हमें सदा के लिए मत त्याग!
24 हे परमेश्वर, तू हमसे क्यों छिपता है?
क्या तू हमारे दु:ख और वेदनाओं को भूल गया है?
25 हमको धूल में पटक दिया गया है।
हम औंधे मुँह धरती पर पड़े हुए हैं।
26 हे परमेस्वर, उठ और हमको बचा ले!
अपने नित्य प्रेम के कारण हमारी रक्षा कर!
समीक्षा
परमेश्वर को राजा के रूप में पुकारें
क्या आपने खुद को अपने विश्वास के कारण अपने पड़ोसियों की नामधराई करते हुए पाया है (व.13अ)? क्या आपके चारों ओर रहने वाले लोग आपका ठट्ठा करते हैं (व. 13ब)? मेरे साथ हुआ है. कभी कभी आप अपने जीवन में परेशानियों का सामना करते हैं, इसलिए नहीं कि आप कुछ गलत कर रहे हैं बल्कि इसलिए कि आप कुछ सही कर रहे हैं.
यह भजन परमेश्वर को एक राजा के रूप में संबोधित करता है (व.4). यह कि परमेश्वर राजा और इस्राएल के (असली लीडर) हैं जो कि सभी भजन में एक सामान्य बात है. कोई जरूरी नहीं कि राजा की आज्ञा न मानने से दु:ख उठाना पड़ता है. बल्कि उनका अनुसरण करने पर भी ऐसा हो सकता है.
कोई जरूरी नहीं कि विरोध परमेश्वर के लोगों में असफलता का एक हिस्सा है: 'यह सब कुछ हम पर बीता तब भी हम तुझे नहीं भूले, न तेरी वाचा के विषय में विश्वासघात किया है। हमारे मन न बहके, न हमारे पैर तेरी बात से मुड़े' (वव.17-18).
पौलुस इस भजन (व.22) का उद्धरण रोमियों की पुस्तक में करते हैं जब वह पूछते हैं ' कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेंडों की नाईं गिने गए हैं.' परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं' (रोमियों 8:35-37).
जैसा कि अक्सर मैंने अपनी जिंदगी में देखा है, राजा विश्वासयोग्य हैं. वह मदद के लिए हमारी पुकार का जवाब देते हैं और उनका प्रेम कभी असफल नहीं होता (भजन संहिता 44:26).
प्रार्थना
प्रभु, मेरे राजा और मेरे परमेश्वर, ' हमारी सहायता के लिये उठ खड़ा हो! और अपनी करूणा के निमित्त हम को छुड़ा ले' (व.26).
लूका 14:15-35
बड़े भोज की दृष्टान्त कथा
15 फिर उसके साथ भोजन कर रहे लोगों में से एक ने यह सुनकर यीशु से कहा, “हर वह व्यक्ति धन्य है, जो परमेश्वर के राज्य में भोजन करता है!”
16 तब यीशु ने उससे कहा, “एक व्यक्ति किसी बड़े भोज की तैयारी कर रहा था, उसने बहुत से लोगों को न्योता दिया। 17 फिर दावत के समय जिन्हें न्योता दिया गया था, दास को भेजकर यह कहलवाया, ‘आओ क्योंकि अब भोजन तैयार है।’ 18 वे सभी एक जैसे आनाकानी करने लगे। पहले ने उससे कहा, ‘मैंने एक खेत मोल लिया है, मुझे जाकर उसे देखना है, कृपया मुझे क्षमा करें।’ 19 फिर दूसरे ने कहा, ‘मैंने पाँच जोड़ी बैल मोल लिये हैं, मैं तो बस उन्हें परखने जा ही रहा हूँ, कृपया मुझे क्षमा करें।’ 20 एक और भी बोला, ‘मैंने पत्नी ब्याही है, इस कारण मैं नहीं आ सकता।’
21 “सो जब वह सेवक लौटा तो उसने अपने स्वामी को ये बातें बता दीं। इस पर उस घर का स्वामी बहुत क्रोधित हुआ और अपने सेवक से कहा, ‘शीघ्र ही नगर के गली कूँचों में जा और दीन-हीनों, अपाहिजों, अंधों और लँगड़ों को यहाँ बुला ला।’
22 “उस दास ने कहा, ‘हे स्वामी, तुम्हारी आज्ञा पूरी कर दी गयी है किन्तु अभी भी स्थान बचा है।’ 23 फिर स्वामी ने सेवक से कहा, ‘सड़कों पर और खेतों की मेढ़ों तक जाओ और वहाँ से लोगों को आग्रह करके यहाँ बुला लाओ ताकि मेरा घर भर जाये। 24 और मैं तुमसे कहता हूँ जो पहले बुलाये गये थे उनमें से एक भी मेरे भोज को न चखें!’”
नियोजित बनो
25 यीशु के साथ अपार जनसमूह जा रहा था। वह उनकी तरफ़ मुड़ा और बोला, 26 “यदि मेरे पास कोई भी आता है और अपने पिता, माता, पत्नी और बच्चों अपने भाइयों और बहनों और यहाँ तक कि अपने जीवन तक से मुझ से अधिक प्रेम रखता है, वह मेरा शिष्य नहीं हो सकता! 27 जो अपना क्रूस उठाये बिना मेरे पीछे चलता है, वह मेरा शिष्य नहीं हो सकता।
28 “यदि तुममें से कोई बुर्ज बनाना चाहे तो क्या वह पहले बैठ कर उसके मूल्य का, यह देखने के लिये कि उसे पूरा करने के लिये उसके पास काफ़ी कुछ है या नहीं, हिसाब-किताब नहीं लगायेगा? 29 नहीं तो वह नींव तो डाल देगा और उसे पूरा न कर पाने से, जिन्होंने उसे शुरू करते देखा, सब उसकी हँसी उड़ायेंगे और कहेंगे, 30 ‘अरे देखो इस व्यक्ति ने बनाना प्रारम्भ तो किया, ‘पर यह उसे पूरा नहीं कर सका।’
31 “या कोई राजा ऐसा होगा जो किसी दूसरे राजा के विरोध में युद्ध छेड़ने जाये और पहले बैठ कर यह विचार न करे कि अपने दस हज़ार सैनिकों के साथ क्या वह बीस हज़ार सैनिकों वाले अपने विरोधी का सामना कर भी सकेगा या नहीं। 32 और यदि वह समर्थ नहीं होगा तो उसका विरोधी अभी मार्ग में ही होगा तभी वह अपना प्रतिनिधि मंडल भेज कर शांति-संधि का प्रस्ताव करेगा।
33 “तो फिर इसी प्रकार तुममें से कोई भी जो अपनी सभी सम्पत्तियों का त्याग नहीं कर देता, मेरा शिष्य नहीं हो सकता।
अपना प्रभाव मत खोओ
34 “नमक उत्तम है पर यदि वह अपना स्वाद खो दे तो उसे किसमें डाला जा सकता है। 35 न तो वह मिट्ठी के और न ही खाद की काम में आता है, लोग बस उसे यूँ ही फेंक देते हैं।
“जिसके सुनने के कान हों, वह सुन ले।”
समीक्षा
राजा के निमंत्रण को स्वीकारें
परमेश्वर का राज्य एक दावत है. यह एक उत्सव है. यीशु कहते हैं, ' धन्य है वह, जो परमेश्वर के राज्य में रोटी खाएगा' (व.15). यीशु इस दावत के मेजबान हैं. परमेश्वर के पुत्र आपको मंहगे आतिथ्य और परमेश्वर के प्रेम का अनुभव लेने के लिए बुला रहे हैं. आप मेजबान के साथ अकेले नहीं हैं. दूसरे मेहमानों की उपस्थिति भी है जो एक महान उत्सव में बदल गई है.
यीशु आपको जो भोजन देंगे वह आपके दिल की भूख को तृप्त कर देगा. यह आत्मिक खालीपन को भर देगा. यह आपके जीवन में और आपके जीवन के परे अर्थ और उद्देश्य की भूख को तृप्त कर देगा. इस दावत में जो जल मिलेगा वह हर मनुष्य के दिल की प्यास को बुझा देगा.
दु:ख की बात यह है कि कई लोग इसे एक दावत के रूप में नहीं देखते बल्कि इसे उबाऊ समझते हैं. वे न आने के बहाने बनाते हैं. 'पर वे सब के सब क्षमा मांगने लगे' (व.18). दूसरा बहाना उनकी संपत्ती है: ' दूसरे ने कहा, मैं ने पांच जोड़े बैल मोल लिए हैं: और उन्हें परखने जाता हूँ : मैं तुझ से बिनती करता हूँ, मुझे क्षमा कर दे' (व.19). तीसरा लोगों के साथ व्यस्त था: ' मै ने ब्याह किया है, इसलिये मैं नहीं आ सकता' (व.20).
जब विश्लेषण किया गया तो ये सभी दयनीय बहाने हैं. हरएक व्यक्ति बिल्कुल अविवेकी और पूरी तरह से असंगत था. खेत या पाँच जोड़े बैल को देखने की कोई जल्दी नहीं थी जिसे पहले ही खरीद लिया था. दावत में जगह की कोई कमी नहीं थी और जिस व्यक्ति ने हाल ही में शादी की थी वह अपनी पत्नी के साथ आ सकता था.
मगर, यीशु के कहे गए शब्द आज भी सत्य हैं: जब लोगों को परमेश्वर के राज्य की दावत में बुलाया जाता है, तो 'सभी लोग बहाने बनाने लगते हैं' (व.18).
यीशु भीड़ से उनके पीछे चलने की कीमत के बारे में भी कहते हैं. वह उनसे कहते हैं कि, 'पहले हिसाब लगा लो' (व.28). और बाद में कीमत पर विचार करना (व.31). वह कहते हैं ' जो कोई मेरे पास आए, और अपने पिता और माता और पत्नी और लड़के वालों और भाइयों और बहनों वरन अपने प्राण को भी अप्रिय न जाने, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता' (व.26). 'अप्रिय' शब्द का समानार्थी शब्द 'कम प्यार करना' है. यह एक तुलनात्मक शब्द है जिसका अर्थ है दूसरे की तुलना में ज्यादा आदर न मिलना या सौभाग्य प्राप्त न होना. दूसरे शब्दों में आपके जीवन में यीशु सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिये बल्कि आपके परिवार और खुद के प्राण से भी ज्यादा.
वह आगे कहते हैं, ' जो कोई अपना क्रूस न उठाए; और मेरे पीछे न आए; वह भी मेरा चेला नहीं हो सकता' (व.27). क्रूस की छवि स्पष्ट रूप से दु:ख उठाने के बारे में बताती है. अंत में वह कहते हैं, ' इसी रीति से तुम में से जो कोई अपना सब कुछ त्याग न दे, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता' (व.33). आपको अपने हाथ खोलने होंगे और आपके पास जो भी है वह उन्हें सौंपना होगा.
यीशु के पीछे चलने की कीमत को याद रखना उचित होगा:
आप क्या पाएंगे
परमेश्वर ने आपके लिए दावत तैयार की है, जिसकी तुलना इस धरती पर किसी से नहीं की जा सकती.
यीशु के पीछे न चलने की कीमत
यीशु ने कहा है, ' उन नेवते हुओं में से कोई मेरी जेवनार को न चखेगा' (व.24). परमेश्वर द्वारा आपके लिए तैयार रखी सभी आशीषों से ज्यादा कीमती कुछ भी नहीं है.
इसे संभव करने के लिए उन्हें क्या कीमत चुकानी पड़ी
यीशु आपको उनका क्रूस उठाने के लिए बुलाते हैं (व.27). लेकिन यीशु ने आपके लिए जो क्रूस उठाया है उसकी तुलना में छोटा क्रूस जो आप उठाएंगे कुछ भी नहीं है.
यीशु ने आपके लिए जो संभव किया है उसे कभी न चूकें. परमेश्वर के राज्य की इस दावत का आमंत्रण स्वीकार कीजिये. और यीशु की आज्ञा - 'नगर के बाजारों और गलियों में तुरन्त जाकर कंगालों, टुण्डों, लंगड़ों और अन्धों को यहां ले आओ' (व.21) - की प्रतिक्रिया के रूप में दूसरों को भी आमंत्रित कीजिये.
प्रार्थना
प्रभु मैं आपको धन्यवाद देता हूँ कि आपने मुझे परमेश्वर के राज्य की दावत में आमंत्रित किया है. आज मैं फिर से अपने हाथों को खोलता हूँ और मेरे पास जो कुछ भी है उसे आपको सौंपता हूँ.
व्यवस्था विवरण 16:21-18:22
परमेश्वर मूर्तियों से घृणा करता है
21 “जब तुम यहोवा अपने परमेश्वर के लिए वेदी बनाओ तो तुम वेदी के सहारे कोई लकड़ी का स्तम्भ न बनाओ जो अशेरा देवी के सम्मान में बनाए जाते हैं। 22 और तुम्हें विशेष पत्थर झूठे देवाताओं की पूजा के लिए नहीं खड़े करने चाहिए। यहोवा तुम्हारा परमेश्वर इनसे घृणा करता है!
बलियों के लिए जानवर निर्दोष होने चाहिए
17“तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर को कोई ऐसी गाय, भेड़, बलि में नहीं चढ़ानी चाहिए जिसमें कोई दोष या बुराई हो। क्यों? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर इससे घृणा करता है!
मूर्ति पूजक को दण्ड
2 “तुम उन नगरों में कोई बुरी बात होने की सूचना पा सकते हो जिन्हें यहोवा परमेश्वर तुम्हें दे रहा है। तुम यह सुन सकते हो कि तुम में से किसी स्त्री या पुरुष ने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है। तुम यह सुन सकते हो कि उन्होंने यहोवा से वाचा तोड़ी है 3 अर्थात् उन्होंने दूसरे देवताओं की पूजा की है। या यह हो सकता है कि उन्होंने सूर्य, चन्द्रमा या तारों की पूजा की हो। यह यहोवा के आदेश के विरुद्ध है जिसे मैंने तुम्हें दिया है। 4 यदि तुम ऐसी बुरी खबर सुनते हो तो तुम्हें उसकी जाँच सावधानी से करनी चाहिए। तुम्हें यह जान लेना चाहिए कि क्या यह सत्य है कि यह भयंकर काम सचमुच इस्राएल में हो चुका है। यदि तुम इसे प्रमाणित कर सको कि यह सत्य है, 5 तब तुम्हें उस व्यक्ति को अवश्य दण्ड देना चाहिए जिसने यह बुरा काम किया है। तुम्हें उस पुरुष या स्त्री को नगर के द्वार के पास सार्वजनिक स्थान पर ले जाना चाहिए और उसे पत्थरों से मार डालना चाहिए। 6 किन्तु यदि एक ही गवाह यह कहता है कि उसने बुरा काम किया है तो उसे मृत्यु दण्ड नहीं दिया जाएगा। किन्तु यदि दो या तीन गवाह यह कहते हैं की यह सत्य है तो उस व्यक्ति को मार डालना चाहिए। 7 गवाह को पहला पत्थर उस व्यक्ति को मारने के लिए फेंकना चाहिए। तब अन्य लोगों को उसकी मृत्यु पूरी करने के लिए पत्थर फेंकना चाहिए। इस प्रकार तुम्हें उस बुराई को अपने मध्य से दूर करना चाहिए।
जटिल मुकदमें
8 “कभी ऐसी समस्या आ सकती है जो तुम्हारे न्यायालयों के लिए निर्णय देने में इतनी कठिन हो कि वे निर्णय ही न दे सकें। यह हत्या का मुकदमा या दो लोगों के बीच का विवाद हो सकता है अथवा यह झगड़ा हो सकता है जिसमें किसी को चोट आई हो। जब इन मुकदमों पर तुम्हारे नगरों में बहस होती है तो तुम्हारे न्यायाधीश सम्भव है, निर्णय न कर सकें कि ठीक क्या है? तब तुम्हें उस विशेष स्थान पर जाना चाहिए जो यहोवा तुम्हारे परमेश्वर द्वारा चुना गया हो। 9 तुम्हें लेवी परिवार समूह के याजकों और उस समय के न्यायाधीश के पास जाना चाहिए। वे लोग उस मुकदमें का फैसला करेंगे। 10 यहोवा के विशेष स्थान पर वे अपना निर्णय तुम्हें सुनाएंगे। जो भी वे कहें उसे तुम्हें करना चाहिए। 11 तुम्हें उनके फैसले स्वीकार करने चाहिए और उनके निर्देश का ठीक—ठीक पालन करना चाहिए। तुम्हें उससे भिन्न कुछ भी नहीं करना चाहिए जो वे तुम्हें करने को कहते हैं।
12 “तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर की सेवा करने वाले उस समय के याजक और न्यायाधीश की आज्ञा का पालन करने से इन्कार करने वाले किसी व्यक्ति को भी दण्ड देना चाहिए। उस व्यक्ति को मरना चाहिए। तुम्हें इस्राएल से इस बुरे व्यक्ति को हटाना चाहिए। 13 सभी लोग इस दण्ड के विषय में सुनेंगे और डरेंगे और वे इस कुकर्म को नहीं करेंगे।
राजा कैसे चुनें
14 “तुम उस प्रदेश में जाओगे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें दे रहा है। तुम उस देश पर अधिकार करोगे और उसमें रहोगे। तब तुम कहोगे, ‘हम लोग अपने ऊपर एक राजा वैसा ही प्रतिष्ठित करेंगे जैसा हमारे चारों ओर के राष्ट्रों में है।’ 15 जब ऐसा हो तब तुम्हें यह पक्का निश्चय होना चाहिए कि तुमने उसे ही राजा चुना है जिसे यहोवा चुनता है। तुम्हरा राजा तुम्हीं लोगों में से होना चाहिए। तुम्हें विदेशी को अपना राजा नहीं बनाना चाहिए। 16 राजा को अत्यधिक घोड़े अपने लिए नहीं रखने चाहिए और उसे लोगों को अधिक घोड़े लाने के लिए मिस्र नहीं भेजना चाहिए। क्यों? क्योंकि तुमसे यहोवा ने कहा है, ‘तुम्हें उस रास्ते पर कभी नहीं लौटना है।’ 17 राजा को बहुत पत्नियाँ भी नहीं रखनी चाहिए। क्यों? क्योंकि यह काम उसे यहोवा से दूर हटायेगा और राजा को सोने, चाँदी से अपने को सम्पन्न नहीं बनाना चाहिए।
18 “और जब राजा शासन करने लगे तो उसे एक पुस्तक में अपने लिए नियमों की नकल कर लेनी चाहिए। उसे याजकों और लेवीवंशियों की पुस्तकों से नकल करनी चाहिए। 19 राजा को उस पुस्तक को अपने साथ रखना चाहिए। उस पुस्तक को जीवन भर पढ़ना चाहिए। क्योंकि तब राजा यहोवा अपने परमेश्वर का सम्मान करना सीखेगा और वह नियम के आदेशों का पूरा पालन करना सीखेगा। 20 तब राजा यह नहीं सोचेगा कि वह अपने लोगों में से किसी से भी अधिक अच्छा है। वह नियम के विरुद्ध नहीं जाएगा बल्कि इसका ठीक—ठीक पालन करेगा। तब वह राजा और उसके वंशज इस्राएल के राज्य पर लम्बे समय तक शासन करेंगे।
याजकों तथा लेवीवंशियों की सहायता
18“लेवी का परिवार समूह इस्राएल में कोई भूमि का भाग नहीं पाएगा। वे लोग याजक के रूप में सेवा करेंगे। वे अपना जीवन यापन उस भेंट को खाकर करेंगे जो आग पर पकेगी और यहोवा को चढ़ाई जाएगी। लेवी के परिवार समूह के हिस्से में वही है। 2 वे लेवीवंशी लोग भूमि का कोई हिस्सा अन्य परिवार समूहों की तरह नहीं पाएंगे। लेवीवंशियों के हिस्से में स्वयं यहोवा है। यहोवा ने इसके लिए उनको वचन दिया है।
3 “जब तुम कोई बैल, या भेड़ बली के लिए मारो तो तुम्हें याजकों को ये भाग देने चाहिएः कंधा, दोनों गाल और पेट। 4 तुन्हें याजकों को अपना अन्न, अपनी नयी दाखमधु और अपनी पहली फसल का तेल देना चाहिए। तुम्हें लेवीवंशियों को अपनी भेड़ों का पहला कटा ऊन देना चाहिए। 5 क्यो? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारे सभी परिवार समूहों की देखभाल करता था और उसने लेवी और उनके वंशजों को सदा के लिए याजक के रूप में सेवा करने के लिये चुना है।
6 “लेवीवंशी जो इस्राएल में तुम्हारे नगरों में से किसी में रहता है, अपना घर छोड़ सकता है और यहोवा के विशेष स्थान पर जा सकता है। 7 तब यह लेवीवंशी यहोवा अपने परमेश्वर के नाम पर सेवा कर सकता है। उसे परमेश्वर के विशेष स्थान में वैसे ही सेवा करनी चाहिए जैसे उसके भाई अन्य लेवीवंशी करते हैं। 8 वह लेवीवंशी, अपने परिवार को सामान्य रूप से मिलने वाले हिस्से के अतिरिक्त अन्य लेवीवंशियों के साथ बराबर का हिस्सेदार होगा।
इस्राएलियों को अन्य राष्ट्रों की नकल नहीं करनी चाहिए
9 “जब तुम उस राष्ट्र में पहुँचो, जो यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुमको दे रहा है, तब उस राष्ट्र के लोग जो भयंकर काम वहाँ कर रहें हों उन्हें मत सीखो। 10 अपने पुत्रों और पुत्रियों की बलि अपनी वेदी पर आग में न दो। किसी ज्योतिषी से बात करके या किसी जादूगर, डायन या सयाने के पास जाकर यह न सीखो कि भविष्य में क्या होगा? 11 किसी भी व्यक्ति को किसी पर जादू—टोना चलाने का प्रयत्न न करने दो और तुम में से कोई व्यक्ति ओझा या भूतसिद्धक नहीं बनेगा। और कोई व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति से बात करने का प्रयत्न न करेगा जो मर चुका है। 12 यहोवा तुम्हारा परमेश्वर उन लोगों से घृणा करता है जो ऐसा करते हैं। यही कारण है कि वह तुम्हारे सामने इन लोगों को देश छोड़ने को विवश करेगा। 13 तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर पर पूर्ण विश्वास करना चाहिए और उसके प्रति निष्ठावान होना चाहिए।
यहोवा का विशेष नबी:
14 “तुम्हें उन राष्ट्रों के लोगों को बलपूर्वक अपने देश से हटा देना चाहिए। उन राष्ट्रों के लोग ज्योतिषियों और जादूगरों की बात मानते हैं। किन्तु यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें वैसा नहीं करने देगा। 15 यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारे पास अपना नबी भेजेगा। यह नबी तुम्हारे अपने ही लोगों में से आएगा। वह मेरी तरह ही होगा। तुम्हें इस नबी की बात माननी चाहिए। 16 यहोवा तुम्हारे पास इस नबी को भेजेगा क्योंकि तुमने ऐसा करने के लिए उससे कहा है। उस समय जब तुम होरेब (सीनै) पर्वत के चारों ओर इकट्ठे हुए थे, तुम यहोवा की आवाज और पहाड़ पर भीषण आग को देखकर भयभीत थे। इसलिए तुमने कहा था, हम लोग यहोवा अपने परमेश्वर की आवाज फिर न सुनें। ‘हम लोग उस भीषण आग को फिर न देखें। हम मर जाएंगे!’
17 “यहोवा ने मुझसे कहा, ‘वे जो चाहते हैं, वह ठीक है। 18 मैं तुम्हारी तरह का एक नबी उनके लिए भेज दूँगा। यह नबी उन्हीं लोगों में से कोई एक होगा। मैं उसे वह सब बताऊँगा जो उसे कहना होगा और वह लोगों से वही कहेगा जो मेरा आदेश होगा। 19 यह नबी मेरे नाम पर बोलेगा और जब वह कुछ कहेगा तब यदि कोई व्यक्ति मेरे आदेशों को सुनने से इन्कार करेगा तो मैं उस व्यक्ति को दण्ड दूँगा।’
झूठे नबियों को कैसे जाना जाये
20 “किन्तु कोई नबी कुछ ऐसा कह सकता है जिसे करने के लिए मैंने उसे नहीं कहा है और वह लोगों से कह सकता है कि वह मेरे स्थान पर बोल रहा है। यदि ऐसा होता है तो उस नबी को मार डालना चाहिए या कोई ऐसा नबी हो सकता है जो दूसरे देवताओं के नाम पर बोलता है। उस नबी को भी मार डालना चाहिए। 21 तुम सोच सकते हो, ‘हम कैसे जान सकते हैं कि नबी का कथन, यहोवा का नहीं है?’ 22 यदि कोई नबी कहता है कि वह यहोवा की ओर से कुछ कह रहा है, किन्तु उसका कथन सत्य घटित नहीं होता, तो तुम्हें जान लेना चाहिए कि यहोवा ने वैसा नहीं कहा। तुम समझ जाओगे कि यह नबी अपने ही विचार प्रकट कर रहा था। तुम्हें उससे डरने की आवश्यकता नहीं।
समीक्षा
अपने परमेश्वर और राजा के रूप में यीशु की आराधना करें
यीशु ही सच्चे राजा हैं. केवल उनकी ही आराधना करें. 'पराये देवी देवताओं' की उपासना करने के विरोध में इस लेखांश में चेतावनी दी गई है (16:21-17:7).
भावी कहने वाले, मनोविज्ञानी, कुंडली, टॅरोट कार्ड्स, और हाथ पढ़ने वाले, ओज़ा बोर्ड और अन्य गतिविधियों के विरोध में भी गंभीर रूप से चेतावनी दी गई है (18:10-11).
तारों की उपासना करने की कोई जरूरत नहीं है जबकि आप उनके बनाने वाले की आराधना कर सकते हैं. अपना समय, शक्ति या धन उन लोगों पर न गंवायें जो आपके भविष्य के बारे में नहीं बता सकते. जहाँ तक भविष्य का संबंध है केवल परमेश्वर को ही आपका मार्गदर्शन करने दें.
इस्रालियों के इतिहास में ऐसा समय आएगा जब वे कहेंगे, 'आओ हम अपने ऊपर एक राजा ठहराएं' (17:14). अवश्य ही परमेश्वर के अलावा कोई भी सिद्ध राजा नहीं होगा. वह इस्राएल और यहूदा के कई राजा और लीडर्स की तरह अनेक प्रलोभनों में गिर जाएगा और आज भी ऐसा हो रहा है. इन प्रलोभनों में अनैतिकता (व.17अ), लालच (वव. 16,17ब) और घमंड (व.20) शामिल है.
ये लेखांश आदर्श राजा को स्थापित करते हैं (वव.18-20). इस साम्राज्य का उच्च आदर्श दाऊद में पूरा होने के करीब है. लेकिन पूरी तरह से इसका एहसास कभी नहीं हुआ. बाद के वर्षों में इसने आने वाले राजा की आशा को आधार प्रदान किया जो 'दाऊद के सिंहासन पर और उसके राज्य पर शासन करेगा' (यशायाह 9:7).
यीशु केवल आदर्श राजा ही नहीं हैं, बल्कि वह आदर्श भविष्यवक्ता भी हैं. मूसा ने भविष्यवाणी की थी कि उसके जैसा एक भविष्यवक्ता होगा जो परमेश्वर के वचनों को बोलेगा (व्यवस्थाविवरण 18:15). प्रेरित पतरस और स्तुफनिस, प्रथम शहीद, इस लेखांश का उद्धरण करते हैं और यीशु को इसकी परिपूर्णता के रूप में देखते हैं (प्रेरितों के कार्य 3:21-22; 7:37).
ऐसे समय में जीना कितने अद्भुत सौभाग्य की बात है जब परमेश्वर के राज्य का शुभारंभ यीशु के द्वारा हुआ है. महान भविष्यवक्ता खड़ा हो गया है. पुराने नियम की सभी भविष्यवाणियाँ पूरी हो गई हैं. यीशु राजा हैं.
प्रार्थना
प्रभु यीशु, आप मेरे परमेश्वर और मेरे राजा हैं. मैं आपसे प्रेम करता हूँ और आपको धन्यवाद करता हूँ कि आपने मुझ से प्रेम किया है और मुझे अनंत दावत में आमंत्रित किया है.
पिप्पा भी कहते है
लूका 14:33
'जो कोई अपना सब कुछ त्याग न दे, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता' ओह मदद करें! मुझे यकीन है मैं बहुत सी चीजों को पकड़े हुए हूँ.
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संदर्भ
नोट्स:
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।