दिन 105

टाइटेनिक गलती को टालें

बुद्धि नीतिवचन 9:13-18
नए करार लूका 16:1-18
जूना करार व्यवस्था विवरण 21:1-22:30

परिचय

जेम्स कॅमरोन, टाइटेनिक पिक्चर के निर्मात, कहते हैं, 'टाइटेनिक जीवन का रूपांतर है. हम सब टाइटेनिक पर हैं.'

जब टाइटेनिक को 1912 में समुद्र में उतारा गया, तो इसे 'त्रुटि रहित' बताया गया, क्योंकि इसका निर्माण नई तकनिकी का प्रयोग करके किया गया था. जहाज का ढाँचा सोलह वाटर टाइट खानों में बंटा हुआ था. इनमें से चार खाने नष्ट होने पर या बह जाने पर भी जहाज तैर सकता था.

दु:खद रूप से टाइटेनिक 15 अप्रैल 1912 के दिन सुबह 2.20 बजे डूब गया, लोगों की जान चली गई. उस समय बर्फ की चट्टान से टकराने के कारण ऐसा लगा कि इसके पाँच वाटर टाइट खाने फट गए थे.

फिर भी 1 सितंबर 1985 को जब टाइटेनिक का ढाँचा मिला जो समुद्र के तल में सीधा खड़ा था, तो जहाज के ढाँचे पर लंबे चीर का कोई निशान नहीं मिला जैसा कि पहले सोचा गया था. उन्होंने पाया कि एक खाने में हुई खराबी के कारण बाकी के खने भी प्रभावित हुए थे.

कई लोग टाइटेनिक जैसी गलतियाँ करते हैं. वे सोचते हैं कि वे अपनी जिंदगी को कई खानों में बांट सकते हैं और इसमें वे ऐसा करते हैं कि एक की वजह से बाकी के खाने प्रभावित न हों. मगर जैसा कि रिक वारेन कहते हैं (जिनसे मैंने यह स्पष्टीकरण लिया है), 'खरा जीवन वह है जो कई खानों में विभाजित न हो.'

दाऊद ने 'खरे मन' के लिए प्रार्थना की थी (भजन संहिता 86:11). उन्होंने लोगों को 'खरा मन' पाने में मदद की (78:72). असाधारण रूप से यीशु एल सच्चे मनुष्य थे (मत्ती 22:16; मरकुस 12:14). आप और मैं किस तरह से टाइटेनिक की गलती को टाल सकते हैं और खराई का जीवन जी सकते हैं?

बुद्धि

नीतिवचन 9:13-18

13 दुर्बुद्धि ऐसी स्त्री है जो बातें बनाती और
 अनुशासन नहीं मानती। उसके पास ज्ञान नहीं है।
14 अपने घर के दरवाजे पर वह बैठी रहती है,
 नगर के सर्वोच्च बिंदु पर वह आसन जमाती है।
15 वहाँ से जो गुज़रते वह उनसे पुकारकहती,
 जो सीधे—सीधे अपनी ही राह पर जा रहे;
16 “अरे निर्बुद्धियों! तुम चले आओ भीतर”
 वह उनसे यह कहती हैजिनके पास भले बुरे का बोध नहीं है,
17 “चोरी का पानी तो, मीठा—मीठा होता है,
 छिप कर खाया भोजन, बहुत स्वाद देता है।”
18 किन्तु वे यह नहीं जानते कि वहाँ मृतकों का वास होता है और
 उसके मेहमान कब्र में समाये हैं!

समीक्षा

गुप्त पाप को जड़ से उखाड़ दें

संबंधों में सच्चाई का जीवन जीना आसान नहीं है. प्रलोभन अधिकता से है और लालच मजबूत है: ' मूर्खता रूपी स्त्री हौरा मचाने वाली है;' (व.13अ), यह 'पुकारते हुए' (व.15अ) कि, मुड़कर यहीं आना!' (व.16अ). वह कहती है, ' चोरी का पानी मीठा होता है, और लुके छिपे की रोटी अच्छी लगती है' (व.17).

फिर भी यह पूरी तरह से भरमाया जाना है. चोरी का पानी मीठा क्यों लगता है या लुके छिपे की रोटी अच्छी क्यों लगती है ? वास्तव में अविश्वसनीयता आत्मा का नाश कर देती है: ' पर वह नहीं जानता है, कि वहां मरे हुए पड़े हैं, और उस स्त्री के नेवतहारी अधोलोक के निचले स्थानों में पहुंचे हैं' (व.18).

प्रेरित पौलुस लिखते हैं कि यदि आप अपना मन पापमयी इच्छाओं पर लगाएंगे तो यह आपको मृत्यु की ओर ले जाएगी, ' परन्तु आत्मा पर मन लगाना जीवन और शान्ति है' (रोमियों 8:6).

प्रार्थना

परमेश्वर अपनी आत्मा द्वारा मुझे ईमानदारी का जीवन जीने में मदद कीजिये, जो गुप्त पापों को उखाड़ दे और प्रामाणिक तथा विश्वासयोग्य जीवन जीने में मदद करे.

नए करार

लूका 16:1-18

सच्चा धन

16फिर यीशु ने अपने शिष्यों से कहा, “एक धनी पुरुष था। उसका एक प्रबन्धक था उस प्रबन्धक पर लांछन लगाया गया कि वह उसकी सम्पत्ति को नष्ट कर रहा है। 2 सो उसने उसे बुलाया और कहा, ‘तेरे विषय में मैं यह क्या सुन रहा हूँ? अपने प्रबन्ध का लेखा जोखा दे क्योंकि अब आगे तू प्रबन्धक नहीं रह सकता।’

3 “इस पर प्रबन्धक ने मन ही मन कहा, ‘मेरा स्वामी मुझसे मेरा प्रबन्धक का काम छीन रहा है, सो अब मैं क्या करूँ? मुझमें अब इतनी शक्ति भी नहीं रही कि मैं खेतों में खुदाई-गुड़ाई का काम तक कर सकूँ और माँगने में मुझे लाज आती है। 4 ठीक, मुझे समझ आ गया कि मुझे क्या करना चाहिये, जिससे जब मैं प्रबन्धक के पद से हटा दिया जाऊँ तो लोग अपने घरों में मेरा स्वागत सत्कार करें।’

5 “सो उसने स्वामी के हर देनदार को बुलाया। पहले व्यक्ति से उसने पूछा, ‘तुझे मेरे स्वामी का कितना देना है?’ 6 उसने कहा, ‘एक सौ माप जैतून का तेल।’ इस पर वह उससे बोला, ‘यह ले अपनी बही और बैट कर जल्दी से इसे पचास कर दे।’

7 “फिर उसने दूसरे से कहा, ‘और तुझ पर कितनी देनदारी है?’ उसने बताया, ‘एक सौ भार गेहूँ।’ वह उससे बोला, ‘यह ले अपनी बही और सौ का अस्सी कर दे।’

8 “इस पर उसके स्वामी ने उस बेईमान प्रबन्धक की प्रशंसा की क्योंकि उसने चतुराई से काम लिया था। सांसारिक व्यक्ति अपने जैसे व्यक्तियों से व्यवहार करने में आध्यात्मिक व्यक्तियों से अधिक चतुर है।

9 “मैं तुमसे कहता हूँ सांसारिक धन-सम्पत्ति से अपने लिये ‘मित्र’ बनाओ। क्योंकि जब धन-सम्पत्ति समाप्त हो जायेगी, वे अनन्त निवास में तुम्हारा स्वागत करेंगे। 10 वे लोग जिन पर थोड़े से के लिये विश्वास किया जायेगा और इसी तरह जो थोड़े से के लिए बेईमान हो सकता है वह अधिक के लिए भी बेईमान होगा। 11 इस प्रकार यदि तुम सांसारिक सम्पत्ति के लिये ही भरोसे योग्य नहीं रहे तो सच्चे धन के विषय में तुम पर कौन भरोसा करेगा? 12 जो किसी दूसरे का है, यदि तुम उसके लिये विश्वास के पात्र नहीं रहे, तो जो तुम्हारा है, उसे तुम्हें कौन देगा?

13 “कोई भी दास दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता। वह या तो एक से घृणा करेगा और दूसरे से प्रेम या वह एक के प्रति समर्पित रहेगा और दूसरे को तिरस्कार करेगा। तुम धन और परमेश्वर दोनों की उपासना एक साथ नहीं कर सकते।”

प्रभु की विधि अटल है

14 अब जब पैसे के पुजारी फरीसियों ने यह सब सुना तो उन्होंने यीशु की बहुत खिल्ली उड़ाई। 15 इस पर उसने उनसे कहा, “तुम वो हो जो लोगों को यह जताना चाहते हो कि तुम बहुत अच्छे हो किन्तु परमेश्वर तुम्हारे मनों को जानता है। लोग जिसे बहुत मूल्यवान समझते हैं, परमेश्वर के लिए वह तुच्छ है।

16 “यूहन्ना तक व्यवस्था की विधि और नबियों की प्रमुखता रही। उसके बाद परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार प्रचारित किया जा रहा है और हर कोई बड़ी तीव्रता से इसकी ओर खिंचा चला आ रहा है। 17 फिर भी स्वर्ग और धरती का डिग जाना तो सरल है किन्तु व्यवस्था के विधि के एक-एक बिंदु की शक्ति सदा अटल है।

तलाक और पुर्नविवाह

18 “वह हर कोई जो अपनी पत्नी को त्यागता है और दूसरी को ब्याहता है, व्यभिचार करता है। ऐसे ही जो अपने पति द्वारा त्यागी गयी, किसी स्त्री से ब्याह करता है, वह भी व्यभिचार करता है।”

समीक्षा

धन के प्रति अपना व्यवयहार सुधारें

यीशु ने वस्तुत: किसी और विषय से ज्यादा धन के बारे में कहा है (जिसमें प्रार्थना और शामिल है). उनके अंड़तीस दृष्टातों में से बारह दृष्टांत धन और संपत्ति के बारे में हैं. जैसा कि बिली ग्राहम लिखते हैं, जब एक व्यक्ति धन को लेकर अपना व्यवहार सही रखता है, तो यह जीवन के लगभग सही हिस्सों को सही रखने में मदद करता है.'

आज के लेखांश में यीशु हमें सिखाते हैं कि धन के बारे में सही दृष्टिकोण कैसे रखा जाए. बल्कि वह अधर्मी भंडारी के अजीब तरह के दृष्टांत से शुरू करते हैं, जिस पर धूर्तता का दोष इलजाम लगाया गया था.

  1. धन एक साधन है

संसार के लोग परमेश्वर के लोगों की अपेक्षा अक्सर ज्यादा संवेदनशील, विचारशील, विवेकी और बुद्धिमान होते हैं – इस समझ को लेकर कि धन एक साधन है. इस में अधर्मी भंडारी पर धूर्तता का दोष लगाया गया था. सच्चाई यह है कि धन अनंत लाभ के लिए एक साधन हो सकता है. ' मैं तुम से कहता हूं, कि अधर्म के धन से अपने लिये मित्र बना लो; ताकि जब वह जाता रहे, तो वे तुम्हें अनन्त निवासों में ले लें' (व.9).

महान दावत (14:15-24) और उड़ाऊ पुत्र (व.15:11-32) के दृष्टांत में यीशु ने हमें उनके साथ अनंतकाल तक रहने के आश्चर्य के बारे में बताया. यहाँ हमें याद दिलाया जाता है कि धरती पर धन का उपयोग अंनत परिणामों को पाने के लिए किया जा सकता है. यीशु का मुख्य उद्देश्य परमेश्वर के राज्य के सुचमाचार का प्रचार करना था (16:16). आपके धन का उपयोग – अनंत परिणामों के साथ - लोगों के जीवन में परमेश्वर की व्यवस्था और उनका राज्य लाने के लिए किया जा सकता है.

  1. धन एक परीक्षा है

बेईमानी के लिए यीशु अधर्मी भंडारी की सराहना नहीं कर रहे हैं. बल्कि यह मामला उल्टा है. वह आगे कहते हैं, ' जो थोड़े से थोड़े में सच्चा है, वह बहुत में भी सच्चा है: और जो थोड़े से थोड़े में अधर्मी है, वह बहुत में भी अधर्मी है। इसलिये जब तुम अधर्म के धन में सच्चे न ठहरे, तो सच्चा तुम्हें कौन सौंपेगा' (वव.10-11).

परमेश्वर ने आपको जो भी दिया है उसके लिए ईमानदार और विश्वासयोग्य भंडारी बनें, जिसमें आपका धन भी शामिल है. आप धन के साथ जितने विश्वासयोग्य रहेंगे, परमेश्वर आपको उतना ही ज्यादा 'सच्चा धन' देंगे.

  1. धन एक खतरा है

यीशु कहता है, 'कोई दास दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता: क्योंकि वह तो एक से बैर और दूसरे से प्रेम रखेगा; या एक से मिल रहेगा और दूसरे को तुच्छ जानेगा: तुम परमेश्वर और धन दोनों की सेवा नहीं कर सकते' (व.13). धन का उपयोग करना चाहिये, लेकिन उससे प्रेम नहीं. लोगों का उपयोग और धन से प्रेम मत कीजिये. बल्कि धन का उपयोग और लोगों से प्रेम कीजिये.

धन से प्रेम करने से खतरा यह है कि यह हमें परमेश्वर से नफरत करने के लिए उकसाता है (व.13). फरीसी ने धन से प्रेम किया (वे धन से प्रेम करने वाले लोग थे, एमएसजी) और यीशु से नफरत करते थे (व.14). धन के प्रति विपरीत व्यवहार रखें. इसे 'तुच्छ जानें' (व.13). दूसरे शब्दों में, उदारता से देने और धन पर से अपना ध्यान हटाकर इसके प्रति अवहेलनापूर्ण व्यवहार करें, न कि परमेश्वर के प्रति जो 'आपके दिलों को जानते हैं' (व.15).

प्रार्थना

प्रभु आपने मुझे जो भी दिया है उसके लिए एक अच्छा, ईमानदार और विश्वासयोग्य भंडारी बनने में मेरी मदद कीजिये. उदारता से देने और अपने विचारों को धन पर केन्द्रित न करके आप पर केन्द्रित करने के द्वारा मेरे जीवन में धन की पकड़ तोडने में मेरी मदद कीजिये.

जूना करार

व्यवस्था विवरण 21:1-22:30

यदि कोई व्यक्ति मारा हुआ पाया जाए

21“उस देश में जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें रहने के लिए दे रहा है, कोई व्यक्ति मैदान में मरा हुआ पाया जा सकता है। किन्तु किसी को यह पता नहीं चल सकता कि उसे किसने मारा। 2 तब तुम्हारे मुखिया और न्यायाधिशों को मारे गए व्यक्ति के चारों ओर से नगरों की दूरी को नापना चाहिए। 3 जब तुम यह जान जाओ कि मरे व्यक्ति के समीपतम कौन सा नगर है तब उस नगर के मुखिया अपने झुण्डों में से एक गाय लेंगे। यह ऐसी गाय हो जिसने कभी बछड़े को जन्म न दिया हो। जिसका उपयोग कभी भी किसी काम करने में न किया गया हो। 4 उस नगर के मुखिया उस गाय को बहुत जल वाली घाटी में लाएंगे। यह ऐसी घाटी होनी चाहिए जिसे कभी जोता न गया हो और न उसमें पेड़ पौधे रोपे गये हों। तब मुखियाओं को उस घाटी में वहीं उस गाय की गर्दन तोड़ देनी चाहिए। 5 लेवीवंशी याजकों को वहाँ जाना चाहिए। (यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने इन याजकों को अपनी सेवा के लिए और अपने नाम पर आशीर्वाद देने के लिए चुना है। याजक यह निश्चित करेंगे कि झगड़े के विषय में कौन सच्चा है।) 6 मारे गये व्यक्ति के समीपतम नगर के मुखिया अपने हाथों को उस गाय के ऊपर धोएंगे जिसकी गर्दन घाटी में तोड़ दी गई है। 7 ये मुखिया अवश्य कहेंगे, ‘हमने इस व्यक्ति को नहीं मारा और हमने इसका मारा जाना नहीं देखा। 8 यहोवा, इस्राएल के लोगों को क्षमा कर, जिनका तूने उद्धार किया है। अपने लोगों में से किसी निर्दोष व्यक्ति को दोषी न ठहराने दे।’ तब वे हत्या के लिये दोषी नहीं ठहराए जाएंगे। 9 इन मामलों में वह करना ही तुम्हारे लिये ठीक है। ऐसा करके तुम किसी निर्दोष की हत्या करने के दोषी नहीं रहोगे।

युद्ध में प्राप्त स्त्रियाँ

10 “तुम अपने शत्रुओं से युद्ध करोगे और यहोवा तुम्हारा परमेश्वर उन्हें तुमसे पराजित करायेगा। तब तुम शत्रुओं को बन्दी के रूप में लाओगे। 11 और तुम युद्ध में बन्दी किसी सुन्दर स्त्री को देख सकते हो। तुम उसे पाना चाह सकते हो और अपनी पत्नी के रूप में रखने की इच्छा कर सकते हो। 12 तुम्हें उसे अपने परिवार में अपने घर लाना चाहिए। उसे अपने बाल मुड़वाना चाहिए और अपने नाखून काटने चाहिए। 13 उसे अपने पहने हुए कपड़ों को उतारना चाहिए। उसे तुम्हारे घर में रहना चाहिए और एक महीने तक अपने माता—पिता के लिए रोना चाहिए। उसके बाद तुम उसके साथ यौन सम्बन्ध स्थापित कर सकते हो और उसके पति हो सकते हो। और वह तुम्हारी पत्नी बन जाएगी। 14 किन्तु यदि तुम उससे प्रसन्न नहीं हो तो तुम उसे जहाँ वह चाहे जाने दे सकते हो। किन्तु तुम उसे बेच नहीं सकते । तुम उसके प्रति दासी की तरह व्यवहार नहीं कर सकते। क्यों? क्योंकि तुम्हारा उसके साथ यौन सम्बन्धथा।

एक व्यक्ति की दो पत्नियों के बच्चे

15 “एक व्यक्ति की दो पत्नियाँ हो सकती हैं और वह एक पत्नी से दूसरी पत्नी की अपेक्षा अधिक प्रेम कर सकता है। दोनों पत्नियों से उसके बच्चे हो सकते हैं और पहला बच्चा उस पत्नी का हो सकता है जिससे वह प्रेम न करता हो। 16 जब वह अपनी सम्पत्ति अपने बच्चों में बाँटेगा तो अधिक प्रिय पत्नी के बच्चे को वह विशेष वस्तु नहीं दे सकता जो पहलौठे बच्चे की होती है। 17 उस व्यक्ति को तिरस्कृत पत्नी के बच्चे को ही पहलौठा बच्चा स्वीकार करना चाहिए। उस व्यक्ति को अपनी चीजों के दो भाग पहलौठा पुत्र को देना चाहिए। क्यों? क्योंकि वह पहलौठा बच्चा है।

आज्ञा न मानने वाले पुत्र

18 “किसी व्यक्ति का ऐसा पुत्र हो सकता है जो हठी और आज्ञापालन न करने वाला हो। यह पुत्र अपने माता—पिता की आज्ञा नहीं मानेगा। माता—पिता उसे दण्ड देते हैं किन्तु पुत्र फिर भी उनकी कुछ नहीं सुनता। 19 उसके माता—पिता को उसे नगर की बैठक वाली जगह पर नगर के मुखियों के पास ले जाना चाहिए। 20 उन्हें नगर के मुखियों से कहना चाहिए: ‘हमारा पुत्र हठी है और आज्ञा नहीं मानता। वह कोई काम नहीं करता जिसे हम करने के लिये कहते हैं। वह आवश्यकता से अधिक खाता और शराब पीता है।’ 21 तब नगर के लोगों को उस पुत्र को पत्थरों से मार डालना चाहिए। ऐसा करके तुम अपने में से इस बुराई को खत्म करोगे। इस्राएल के सभी लोग इसे सुनेंगे और भयभीत होंगे।

अपराधी मारे और पेड़ पर लटकाये जाते हैं

22 “कोई व्यक्ति ऐसे पाप करने का अपराधी हो सकता है जिसे मृत्यु का दण्ड दिया जाए। जब वह मार डाला जाए तब उसका शरीर पेड़ पर लटकाया जा सकता है। 23 जब ऐसा होता है तो उसका शरीर पूरी रात पेड़ पर नहीं रहना चाहिए। तुम्हें उसे उसी दिन निश्चय ही दफना देना चाहिए। क्यों? क्योंकि जो व्यक्ति पेड़ पर लटकाया जाता है वह परमेश्वर से अभिशाप पाया हुआ होता है। तुम्हें उस देश को अपवित्र नहीं करना चाहिए जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें रहने के लिए दे रहा है।

विभिन्न नियम

22“यदि तुम देखो कि तुम्हारे पड़ोसी की गाय या भेड़ खुली है, तो तुम्हें इससे लापरवाह नहीं होना चाहिए। तुम्हें निश्चय ही इसे मालिक के पास पहुँचा देना चाहिए। 2 यदि इसका मालिक तुम्हारे पास न रहता हो या तुम उसे नहीं जानते कि वह कौन है तो तुम उस गाय या भेड़ को अपने घर ले जा सकते हो और तुम इसे तब तक रख सकते हो जब तक मालिक इसे ढूँढता हुआ न आए। तब तुम्हें उसे उसको लौटा देना चाहिए। 3 तुम्हें यही तब भी करना चाहिए जब तुम्हें पड़ोसी का गधा मिले, उसके कपड़े मिलें या कोई चीज जो पड़ोसी खो देता है। तुम्हें अपने पड़ोसी की सहायता करनी चाहिए।

4 “यदि तुम्हारे पड़ोसी का गधा या उसकी गाय सड़क पर पड़ी हो तो उससे आँख नहीं फेरनी चाहिए। तुम्हें उसे फिर उठाने में उसकी सहायता करनी चाहिए।

5 “किसी स्त्री को किसी पुरुष के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए और किसी पुरुष को किसी स्त्री के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए। यहोवा तुम्हारा परमेश्वर उससे घृणा करता है जो ऐसा करता है।

6 “किसी रास्ते से टहलते समय तुम पेड़ पर या जमीन पर चिड़ियों का घोंसला पा सकते हो। यदि मादा पक्षी अपने बच्चों के साथ बैठी हो या अपने अण्डों पर बैठी हो तो तुम्हें मादा पक्षी को बच्चों के साथ नहीं पकड़ना चाहिए। 7 तुम बच्चों को अपने लिए ले सकते हो। किन्तु तुम्हें माँ को छोड़ देना चाहिए। यदि तुम इन नियमों का पालन करते हो तो तुम्हारे लिए सब कुछ अच्छा रहेगा और तुम लम्बे समय तक जीवित रहोगे।

8 “जब तुम कोई नया घर बनाओ तो तुम्हें अपनी छत के चारों ओर दीवार खड़ी करनी चाहिए। तब तुम किसी व्यक्ति की मृत्यु के आपराधी नहीं होओगे यदि वह उस छत पर से गिरता है।

कुछ चीजें जिन्हें एक साथ नहीं रखा जाना चाहिए

9 “तुम्हें अपने अंगूर के बाग मे अनाज के बीजों को नहीं बोना चाहिए। क्यों? क्योंकि बोये गए बीज और तुम्हारे बाग के अंगूर दोनों फसलें उपयोग में नहीं आ सकतीं।

10 “तुम्हें बैल और गधे को एक साथ हल चलाने में नहीं जोतना चाहिए।

11 “तुम्हें उस कपड़े को नहीं पहनना चाहिए जिसे ऊन और सूत से एक साथ बुना गया हो।

12 “तुम्हें अपने पहने जाने वाले चोगे के चारों कोनों पर फुंदने लगाने चाहिए।

विवाह के नियम

13 “कोई व्यक्ति किसी लड़की से विवाह करे और उससे शारीरिक सम्बन्ध करे। तब वह निर्णय करता है कि वह उसे पसन्द नहीं है। 14 वह झूठ बोल सकता है और कह सकता है, ‘मैंने उस स्त्री से विवाह किया, किन्तु जब हमने शारीरिक सम्बम्ध किया तो मुझे मालूम हुआ कि वह कुवाँरी नहीं है।’ उसके विरुद्ध ऐसा कहने पर लोग उस स्त्री के सम्बन्ध में बुरा विचार रख सकते हैं। 15 यदि ऐसा होता है तो लड़की के माता—पिता को इस बात का प्रमाण नगर की बैठकवाली जगह पर नगर प्रमुखों के सामने लाना चाहिए कि लड़की कुवाँरी थी। 16 लड़की के पिता को नगर प्रमुखों से कहना चाहिए, ‘मैंने अपनी पुत्री को उस व्यक्ति की पत्नी होने के लिए दिया, किन्तु वह अब उसे नहीं चाहता। 17 इस व्यक्ति ने मेरी पुत्री के विरुद्ध झूठ बोला है। उसने कहा, “मुझे इसका प्रमाण नहीं मिला कि तुम्हारी पुत्री कुवाँरी है।” किन्तु यहाँ यह प्रमाण है कि मेरी पुत्री कुवाँरी थी।’ तब वे उस कपड़े को नगर—प्रमुखो को दिखाएंगे। 18 तब वहाँ के नगर—प्रमुख उस व्यक्ति को पकड़ेंगे और उसे दण्ड देंगे। 19 वे उस पर चालीस चाँदी के सिक्के जुर्माना करेंगे। वे उस रुपये को लड़की के पिता को देंगे क्योंकि उसके पति ने एक इस्राएली लड़की को कलंकित किया है और लड़की उस व्यक्ति की पत्नी बनी रहेगी। वह अपनी पूरी जिन्दगी उसे तलाक नहीं दे सकता।

20 “किन्तु जो बातें पति ने अपनी पत्नी के विषय में कहीं वे सत्य हो सकती हैं। पत्नी के माता—पिता के पास यह प्रमाण नहीं हो सकता कि लड़की कुवाँरी थी। यदि ऐसा होता है तो 21 नगर—प्रमुख उस लड़की को उसके पिता के द्वार पर लाएँगे। तब नगर—प्रमुख उसे पत्थर से मार डालेंगे। क्यों? क्योंकि उसने इस्राएल में लज्जाजनक बात की। उसने अपने पिता के घर में वेश्या जैसा व्यवहार किया है। तुम्हें अपने लोगों में से हर बुराई को दूर करना चाहिए।

व्यभिचार का पाप दण्डित होना चाहिए

22 “यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे की पत्नी के साथ शारीरिक सम्बनध करता हुआ पाया जाता है तो दोनों शारीरिक सम्बन्ध करने वाले स्त्री—पुरुष को मारा जाना चाहिए। तुम्हें इस्राएल से यह बुराई दूर करनी चाहिए।

23 “कोई व्यक्ति किसी उस कुवाँरी लड़की से मिल सकता है जिसका विवाह दूसरे से पक्का हो चुका है। वह उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध भी कर सकता है। यदि नगर में ऐसा होता है तो 24 तुम्हें उन दोनों को उस नगर के बाहर फाटक पर लाना चाहिए और तुम्हें उन दोनों को पत्थरों से मार डालना चाहिए। तुम्हें पुरुष को इसलिए मार देना चाहिए कि उसने दूसरे की पत्नी के साथ शारीरिक सम्बन्ध किया और तुम्हें लड़की को इसलिए मार डालना चाहिए कि वह नगर में थी और उसने सहायता के लिये पुकार नहीं की। तुम्हें अपने लोगों में से यह बुराई भी दूर करनी चाहिए।

25 “किन्तु यदि कोई व्यक्ति मैदानों में, विवाह पक्की की हुई लड़की को पकड़ता है और उससे बलपूर्वक शारीरिक सम्बन्ध करता है तो पुरुष को ही मारना चाहिए। 26 तुम्हें लड़की के साथ कुछ भी नहीं करना चाहिए क्योंकि उसने ऐसा कुछ भी नहीं किया जो उसे प्राण—दण्ड का भागी बनाता है। यह मामला वैसा ही है जैसा किसी व्यक्ति का निर्दोष व्यक्ति पर आक्रमण और उसकी हत्या करना। 27 उस व्यक्ति ने विवाह पक्की की हुई लड़की को मैदान में पकड़ा। लड़की ने सहायता के लिए पुकारा, किन्तु उसकी कोई सहायता करने वाला नहीं था।

28 “कोई व्यक्ति किसी कुवाँरी लड़की जिसकी सगाई नहीं हुई है, को पकड़ सकता है और उसे अपने साथ बलपूर्वक शारीरिक सम्बनध करने को विवश कर सकता है। यदि लोग ऐसा होता देखते हैं तो 29 उसे लड़की के पिता को बीस औंस चाँदी देनी चाहिए और लड़की उसकी पत्नी हो जाएगी। क्यों? क्योंकि उसने उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध किया वह उसे पूरी जिन्दगी तलाक नहीं दे सकता।

30 “किसी व्यक्ति को अपने पिता की पत्नी के साथ शारीरिक सम्बन्ध करके अपने पिता को कलंक नहीं लगाना चाहिए।

समीक्षा

पवित्र आत्मा के वायदे को ग्रहण करें

इनमें से ज्यादातर नियमों का उद्देश्य अस्थायी था. उदाहरण के लिए, खाने का नियम इत्यादि सांकेतिक थे. पवित्रता बनाए रखने के लिए उन्होंने परमेश्वर के लोगों को शिक्षित किया.

बाके के नियम समय के मापदंड के लिए आश्चर्यजनक रूप से उच्च श्रेणी के थे. उदाहरण के लिए, दासत्व में लाई स्त्रीयों के साथ कैसा व्यवयहार किया जाना चाहिये (21:10-14); उसकी बदनामी या अपमान नहीं होना चाहिये (व.14).

लैंगिक संबंधों में आदर होना चाहिये. परमेश्वर शादी से पहले लैंगिक संबंध, या स्वच्छंद संभोग (22:21), व्यभिचार (व.22), बलात्कार (वव.25-27) और कौटुम्बिक व्यभिचार (व.30) को लेकर चिंतित थे. जैसा कि हमने आज के नये नियम के लेखांश में देखा, यीशु ने स्वयं दृढता से विवाह की शपथ का सम्मान करने की आवश्यकता के बारे में कहा था (लूका 16:18).

परमेश्वर अतिसंवेदनशील लोगों की सुरक्षा को लेकर भी चिंतित थे. बलात्कार हमेशा से एक भयानक अपराध रहा है, लेकिन प्राचीन समाज में इससे महिलाओं के विवाह के अवसर भी कम हो गए थे. बलात्कार करनेवाले को मुआवजा देने और उस महिला से विवाह करने के पीछे यही उद्देश्य था. फिर भी, निर्गमन 22:17 में ऐसा ही पद्यांश दिया गया है जिससे यह स्पष्ट होता है कि इसका अर्थ यह नहीं है कि महिला को उसी पुरूष से शादी करना जरूरी है. यह कानून बलात्कार से पीड़ित महिला की सुरक्षा के लिए बनाया गया था – ना कि जबर्दस्ती विवाह करके उनकी तकलीफों को बढ़ाने के लिए.

पड़ोसियों का लिहाज करना चाहिये (व्यवस्थाविवरण 22:1-3). अपने पड़ोसी को कोई नुकसान न पहुँचाना पर्याप्त नहीं था. सकारात्मक रूप से उनकी भलाई करना. जरूरतमंदों को अनदेखा करना गलत है. ' तू देखी-अनदेखी न करना' (व.3).

यहाँ हम अपने अंग्रेजी कानून के वर्णन की शुरूवात को अपने पड़ोसी का 'ख्याल रखने की जिम्मेदारी' के रूप में देखते हैं. इस बात का ध्यान रखें कि आपकी सम्पत्ति (घर, गाड़ी, बाइक और बाकि सब) सुरक्षित हैं और वे आपके पड़ोसियों को हानि नहीं पहुँचा रहे हैं. 'उन्हें सुरक्षित बनाइए' (व.8, एम.एस.जी).

मुझे आज का संदेश काफी चुनौतीपूर्ण लगा. मैं जानता हूँ कि मैं इनमें से कई बातों को नहीं करता हूँ. क्या कोई आशा है?

इन सारे नियमों के बीच में एक संकेस्त है: 'जो पेड़ पर लटकाया गया हो वो परमेश्वर की ओर से शापित है' (21:23). पॉलुस ने ये वचन गलातियों में कहा और इसका महत्व हम सभी को समझाया. हर कोई जो परमेश्वर के सारे नियमों का पालन करने में असफल होता है वो परमेश्वर की ओर से शापित है – ये नियम का श्राप है (गलातियों 3:10). लेकिन, अच्छा समाचार ये है कि यीशु ने क्रूस पर चढ़कर उस श्राप को हमारे बदले खुद पर ले लिया है ('वो पेड़').

'वे श्राप बन गए और उसी समय उन्होंने उस श्राप को नष्ट कर दिया' (व.13 एम.एस.जी). इसके परिणामस्वरूप हम सभी अब विश्वास के द्वारा पवित्र आत्मा के वायदों को प्राप्त कर सकते हैं (व. 14)

मैं सम्पूर्णता से शुद्ध रहने में असफल हो गया मतलब मैं नियम का पालन करने में असफल हो गया. इसलिए मुझपर परमेश्वर का श्राप होना चाहिए. लेकिन यीशु मेरे लिए क्रूस पर एक श्राप बन गए. उस पेड़ पर लटककर उन्होंने परमेश्वर के श्राप को खुद पर ले लिया ताकि आप और मैं छुटकारा पा सकें, और पवित्र आत्मा के वायदे को प्राप्त करने के द्वारा सम्पूर्ण शुद्धता का जीवन बिता सकें.

प्रार्थना

प्रभु, मैं धन्यवाद करता हूँ कि आप मेरे लिए मारे गए ताकि मैं क्षमा पाऊँ और पवित्र आत्मा के वरदानों को प्राप्त कर पाऊँ. पवित्र आत्मा के द्वारा मेरी सहायता कीजिए ताकि मेरा जीवन और हृदय शुद्ध हो जाए.

पिप्पा भी कहते है

व्यवस्था विवरण 21:18-21

मुझे ये पथ बहुत कठिन लगा. मैं यीशु के साथ रहना पसंद करूँगा.

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संदर्भ

नोट्स:

रोक वारेन, डेली होप विथ रिक वारेन, 'टेक द फर्स्ट स्टेप टू इंट्रीग्रिटी',नवंबर 2014,

accessed via: http://rickwarren.org/devotional/english/take-the-first-step-to-integrity \[last accessed March 2016\]

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

जिन वचनों को \[आरएसवी RSV\] से चिन्हित किया गया है वे बाइबल के रिवाइज्ड स्टैंडर्ड संस्करण से लिए गए हैं, कॉपीराइट © 1946, 1952, और 1971 युनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरीका में द डिविजन ऑफ एज्युकेशन ऑफ द नैशनल काउंसिल ऑफ द चर्चेस. अनुमति द्वारा उपयोग किये गए हैं. सभी अधिकार सुरक्षित. .

एक साल में बाइबल

  • एक साल में बाइबल

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