दिन 15

परमेश्वर न्यायी और दयावंत है

बुद्धि भजन संहिता 9:13-20
नए करार मत्ती 12:1-21
जूना करार उत्पत्ति 31:1-55

परिचय

समाचार पत्रों की मुख्य लाइनें अक्सर उन न्यायधीशों के प्रति आक्रोश व्यक्त करती हैं जो ‘अपराध के प्रति नरमी’ दिखाते हैं या ‘दया के साथ न्याय’ करते हैं और किये गए अपराध के लिए उचित दंड देने में नाकामयाब होते हैं।

जब मैं एक वकील के तौर पर काम कर रहा था, तो मैंने देखा कि कानूनी पेशा उन न्यायधीशों का आदर नहीं करता जिन्हें बहुत ही दयालु समझा जाता था। हमारी अपेक्षा रहती है कि न्यायधीश न्याय करें। हम यह अपेक्षा नहीं करते कि न्यायधीश दयालु हों।

दूसरी तरफ, हम अपने व्यक्तिगत संबंधों में दया की अपेक्षा ज़रूर करते हैं। स्नेही माता-पिता अपने बच्चों के प्रति दयालु होते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि दोस्त एक दूसरे के प्रति दयालु रहें। सामान्यत: न्याय और दया एक साथ नहीं चलते । हम इन्हें एक विकल्प के रूप में देखते हैं। हम या तो न्याय की या फिर दया की उम्मीद करते हैं, लेकिन दोनों एक साथ में नहीं।

फिर भी परमेश्वर खराई से न्याय करते हैं, और परमेश्वर दयालु भी हैं। इन दो विपरीत गुणों को एक साथ कैसे मिलाया जा सकता है ? उत्तर यह है कि यीशु के बलिदान ने इसे परमेश्वर के लिए संभव बनाया है कि वह दया और न्याय को एक साथ शामिल कर सकें।

जब मैंने यीशु से मुलाकात की, तो इस उदाहरण ने मुझे समझने में मदद की, कि यीशु ने क्रूस पर हमारे लिए क्या हासिल किया है: दो लोगों ने स्कूल और महाविद्यालय में एक साथ पढ़ाई की और गहरी दोस्ती बनाई। जिन्दगी चलती रही और वे अपने अपने मार्गों पर चले गए और उनका संपर्क टूट गया। एक न्यायधीश बनने चला गया, जबकि दूसरे का जीवन गिरता गया और अंत में वह एक अपराधी बन गया। एक दिन एक अपराधी न्यायधीश के सामने उपस्थित हुआ। उसने एक अपराध किया था जिसके लिए उसे दोषी पाया गया। न्यायधीश ने अपने पुराने दोस्त को पहचान लिया और असमंजस में पड़ गया, जैसा कि सच में परमेश्वर पड़ जाते हैं।

वह एक न्यायधीश था इसलिए उसे न्याय करना ज़रूरी था; वह उस व्यक्ति को यूँ ही जाने नहीं दे सकता था। दूसरी तरफ, वह दयालु बनना चाहता था, क्योंकि उसने अपने दोस्त से प्यार किया था। इसलिए उसने अपराध करने के लिए उस पर उचित जुर्माना लगाया। यह न्याय था। फिर वह न्यायधीश की अपनी पदवी से नीचे आया और जुर्माने की राशी का एक चेक लिख कर दे दिया - यह कहते हुए कि वह उसकी तरफ से जुर्माना भरेगा। यह दया, प्रेम और बलिदान था।

यह वर्णन ठीक वैसा नहीं है। हमारा अपराध इससे भी बुरा था – और हमें दंड के रूप में मृत्यु का सामना करना पड़ता। पर यह संबंध और भी करीब है – इस संसार के माता - पिता अपने बच्चों से जितना प्यार करते हैं उससे कहीं ज़्यादा स्वर्ग में आपके पिता आप से प्यार करते हैं।

परमेश्वर अपराध के प्रति दया नहीं करते। परमेश्वर अपने न्याय में, हमारा न्याय करते हैं क्योंकि हम अपराधी हैं। फिर वह अपनी दया और प्रेम में अपने पुत्र, यीशु मसीह, के रूप में नीचे आए, और हमारे लिए वह दंड चुकाया। क्रूस पर यीशु के बलिदान के द्वारा, परमेश्वर न्यायी और दयालु दोनों हैं।

बुद्धि

भजन संहिता 9:13-20

13 यहोवा की स्तुति मैंने गायी है: “हे यहोवा, मुझ पर दया कर।
 देख, किस प्रकार मेरे शत्रु मुझे दु:ख देते हैं।
 ‘मृत्यु के द्वार’ से तू मुझको बचा ले।
14 जिससे यहोवा यरूशलेम के फाटक पर मैं तेरी स्तुति गीत गा सकूँ।
 मैं अति प्रसन्न होऊँगा क्योंकि तूने मुझको बचा लिया।”

15 अन्य जातियों ने गड्ढे खोदे ताकि लोग उनमें गिर जायें,
 किन्तु वे अपने ही खोदे गड्ढे में स्वयं समा जायेंगे।
 दुष्ट जन ने जाल छिपा छिपा कर बिछाया, ताकि वे उसमें दूसरे लोगों को फँसा ले।
 किन्तु उनमें उनके ही पाँव फँस गये।
16 यहोवा ने जो न्याय किया वह उससे जाना गया कि जो बुरे कर्म करते हैं,
 वे अपने ही हाथों के किये हुए कामों से जाल में फँस गये।

17 वे दुर्जन होते हैं, जो परमेश्वर को भूलते हैं।
 ऐसे मनुष्य मृत्यु के देश को जायेंगे।
18 कभी—कभी लगता है जैसे परमेश्वर दुखियों को पीड़ा में भूल जाता है।
 यह ऐसा लगता जैसे दीन जन आशाहीन हैं।
 किन्तु परमेश्वर दीनों को सदा—सर्वदा के लिये कभी नहीं भूलता।

19 हे यहोवा, उठ और राष्ट्रों का न्याय कर।
 कहीं वे न सोच बैठें वे प्रबल शक्तिशाली हैं।
20 लोगों को पाठ सिखा दे,
 ताकि वे जान जायें कि वे बस मानव मात्र है।

समीक्षा

परमेश्वर के न्याय पर भरोसा करें

दाऊद जानता है कि परमेश्वर, न्याय के परमेश्वर हैं: ‘परमेश्वर अपने न्याय द्वारा जाने जाते हैं’ (पद - 16)। वह दया के लिए भी पुकारता है: ' हे यहोवा, मुझ पर अनुग्रह कर …. ताकि मैं सिय्योन के फाटकों के पास तेरे सब गुणों का वर्णन करूं, ' (पद - 13-14)।

इस भजन संहिता में, न्याय पाने की इच्छा और दया पाने की इच्छा एक साथ होती है। दाऊद प्रार्थना करता है कि परमेश्वर उसके शत्रुओं का न्याय करने के द्वारा उस पर दया करें: ‘उठ, हे परमेश्वर, जातियों का न्याय तेरे सम्मुख किया जाए’ (पद - 19)।

कभी - कभी हम न्याय को नकारात्मक रूप में सोचते हैं, मुख्यत: एक दंड के रूप में। लेकिन न्याय गंभीरतापूर्वक सकारात्मक भी है। इब्रानियों में न्याय के लिए शब्द (मिश्पात) है जो चीज़ों को खराई से समझने के बारे में है। परमेश्वर के न्याय के कारण दाऊद को विश्वास था कि, ' दरिद्र लोग अनन्तकाल तक बिसरे हुए न रहेंगे, और न तो नम्र लोगों की आशा सर्वदा के लिये नाश होगी ' (पद - 18)।

प्रार्थना

प्रभु आपका धन्यवाद, कि आप न्यायी परमेश्वर हैं। आपका धन्यवाद कि एक दिन आप सीरिया, इराक, इरान, अफगानिस्तान, जिम्बाबवे, सूड़ान, दक्षिणी कोरिया, इरीट्रिया और अन्य स्थानों का न्याय करेंगे जहाँ आजकल हमारी दुनिया में अन्याय हो रहा है। आपका धन्यवाद कि एक दिन ज़रूरत मंदों और दलित लोगों का न्याय किया जाएगा।

नए करार

मत्ती 12:1-21

यहूदियों द्वारा यीशु और उसके शिष्यों की आलोचना

12लगभग उसी समय यीशु सब्त के दिन अनाज के खेतों से होकर जा रहा था। उसके शिष्यों को भूख लगी और वे गेहूँ की कुछ बालें तोड़ कर खाने लगे। 2 फरीसियों ने ऐसा होते देख कर कहा, “देख, तेरे शिष्य वह कर रहे हैं जिसका सब्त के दिन किया जाना मूसा की व्यवस्था के अनुसार उचित नहीं है।”

3 इस पर यीशु ने उनसे पूछा, “क्या तुमने नहीं पढ़ा कि दाऊद और उसके साथियों ने, जब उन्हें भूख लगी, क्या किया था? 4 उसने परमेश्वर के घर में घुसकर परमेश्वर को चढ़ाई पवित्र रोटियाँ कैसे खाई थीं? यद्यपि उसको और उसके साथियों को उनका खाना मूसा की व्यवस्था के विरुद्ध था। उनको केवल याजक ही खा सकते थे। 5 या मूसा की व्यवस्था में तुमने यह नहीं पढ़ा कि सब्त के दिन मन्दिर के याजक ही वास्तव में सब्त को बिगाड़ते हैं। और फिर भी उन्हें कोई कुछ नहीं कहता। 6 किन्तु मैं तुमसे कहता हूँ, यहाँ कोई है जो मन्दिर से भी बड़ा है। 7 यदि तुम शास्त्रों में जो लिखा है, उसे जानते कि, ‘मैं लोगों में दया चाहता हूँ, पशु बलि नहीं’ तो तुम उन्हें दोषी नहीं ठहराते, जो निर्दोष हैं।

8 “हाँ, मनुष्य का पुत्र सब्त के दिन का भी स्वामी है।”

यीशु द्वारा सूखे हाथ का अच्छा किया जाना

9 फिर वह वहाँ से चल दिया और यहूदी आराधनालय में पहुँचा। 10 वहाँ एक व्यक्ति था, जिसका हाथ सूख चुका था। सो लोगों ने यीशु से पूछा, “मूसा के विधि के अनुसार सब्त के दिन किसी को चंगा करना, क्या उचित है?” उन्होंने उससे यह इसलिये पूछा था कि, वे उस पर दोष लगा सकें।

11 किन्तु उसने उन्हें उत्तर दिया, “मानो, तुममें से किसी के पास एक ही भेड़ है, और वह भेड़ सब्त के दिन किसी गढ़े में गिर जाती है, तो क्या तुम उसे पकड़ कर बाहर नहीं निकालोगे? 12 फिर आदमी तो एक भेड़ से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण है। सो सब्त के दिन ‘मूसा की व्यवस्था’ भलाई करने की अनुमति देती है।”

13 तब यीशु ने उस सूखे हाथ वाले आदमी से कहा, “अपना हाथ आगे बढ़ा” और उसने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया। वह पूरी तरह अच्छा हो गया था। ठीक वैसे ही जैसा उसका दूसरा हाथ था। 14 फिर फ़रीसी वहाँ से चले गये और उसे मारने के लिए कोई रास्ता ढूँढने की तरकीब सोचने लगे।

यीशु वही करता है जिसके लिए परमेश्वर ने उसे चुना

15 यीशु यह जान गया और वहाँ से चल पड़ा। बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली। उसने उन्हें चंगा करते हुए 16 चेतावनी दी कि वे उसके बारे में लोगों को कुछ न बतायें। 17 यह इसलिये हुआ कि भविष्यवक्ता यशायाह द्वारा प्रभु ने जो कहा था, वह पूरा हो:

 18 “यह मेरा सेवक है,
  जिसे मैने चुना है।
 यह मेरा प्यारा है,
  मैं इससे आनन्दित हूँ।
 अपनी ‘आत्मा’ इस पर मैं रखूँगा
  सब देशों के सब लोगों को यही न्याय घोषणा करेगा।
 19 यह कभी नहीं चीखेगा या झगड़ेगा
  लोग इसे गलियों कूचों में नहीं सुनेंगे।
 20 यह झुके सरकंडे तक को नहीं तोड़ेगा,
  यह बुझते दीपक तक को नहीं बुझाएगा, डटा रहेगा,
 तब तक जब तक कि न्याय विजय न हो।
  21 तब फिर सभी लोग अपनी आशाएँ उसमें बाँधेंगे बस केवल उसी नाम में।”

समीक्षा

यीशु की दया प्राप्त कीजिये

कभी - कभी हम पार्सल पर इन शब्दों को चिपकाकर भेजते हैं ‘नाज़ुक – सावधानी से हैंडल करें’। क्या कभी आपने खुद के लिए इन स्टीकर्स की ज़रूरत महसूस की है?

यीशु ने फरीसियों के विधिपरायणता का सरासर विरोध किया (पद - 1-2), होशे की भविष्यवाणी का उद्धरण और इसका पूरा होना: ' मैं दया से प्रसन्न हूं, बलिदान से नहीं '(मत्ती 12:7; होशे 6:6)। न्याय और विधिपरायणता एक ही नहीं हैं –वे बिल्कुल विपरीत हो सकते हैं। यीशु ने सबत के दिन एक व्यक्ति को चंगा करके फरीसियों के विधिपरायणता के नियमों को तोड़ा जो कि दया, प्रेम और करूणा का महान कार्य था (मत्ती 12:13-14)।

यीशु न्याय और दया को एक साथ लाते हैं। उन्होंने अन्य जातियों के प्रति परमेश्वर का न्याय लाने के द्वारा पुराने नियम के सभी वायदों को पूरा किया। यहाँ मत्ती, यशायाह की भविष्यवाणी का उद्धरण करता है (यशायाह 42:1-4); जिसे यीशु ने पूरा किया (मत्ती 12:18-21)। ' वह अन्यजातियों को न्याय का समाचार देगा। ' (पद - 18क) और ' न्याय को प्रबल कराएगा ' (पद - 20क)।

फिर भी वह दया, प्रेम और करूणा से भरे हुए हैं: ' वह कुचले हुए सरकण्डे को न तोड़ेगा; और धुआं देती हुई बत्ती को न बुझाएगा, ' (पद - 20)। जीवन में ऐसा समय भी आता है जब हम ' कुचले हुए सरकण्डे' या 'धुआं देती हुई बत्ती ' की तरह शारीरिक, भावनात्मक या आत्मिक रूप से कमज़ोर हो जाते हैं।

जब हम कमज़ोर और नाज़ुक थे, तब अनेकों के विपरीत, यीशु हम पर दया, प्रेम और करूणा करते रहे। जब हम कमज़ोर होते हैं तो यीशु हमें सावधानी से संभालते हैं।

यीशु यशायाह 40-55 में से ‘सेवक के एक गीत’ का वर्णन करते हैं। ये गीत सेवक के उन कष्टों के बारे में है जो अपने पापों की क्षमा पाने के लिए अपने जीवन का बलिदान करता है (यशायाह 52:13-53:12)।

इन ‘सेवक के गीतों’ में परमेश्वर का न्याय और दया एक साथ आती है। दुनिया सही की जाती है; अन्याय और दमन का अंत होता है और ज़रूरत मंदों और टूटे हुए लोगों को मुक्त किया जाता है। फिर परमेश्वर खुद का बलिदान करते हैं, जो हमारे पापों के परिणामों और दंड को अपने ऊपर लेते हैं। परमेश्वर के न्याय द्वारा कुचले जाने के बजाय, आपको इससे आज़ाद किया गया है। क्रूस पर, दया और न्याय एक साथ मिलते हैं।

प्रार्थना

यीशु आपका धन्यवाद कि, आप एक पीड़ित सेवक के रूप में आए। आपका धन्यवाद कि क्रूस पर बलिदान के द्वारा आपने दया और न्याय को एक साथ मिलाया।

जूना करार

उत्पत्ति 31:1-55

विदा होने के समय याकूब भागता है

31एक दिन याकूब ने लाबान के पुत्रों को बात करते सुना। उन्होंने कहा, “हम लोगों के पिता का सब कुछ याकूब ने ले लिया है। याकूब धनी हो गया है, और यह सारा धन उसने हमारे पिता से लिया है।” 2 याकूब ने यह देखा कि लाबान पहले की तरह प्रेम भाव नहीं रखता है। 3 परमेश्वर ने याकूब से कहा, “तुम अपने पूर्वजों के देश को वापस लौट जाओ जहाँ तुम पैदा हुए। मैं तुम्हारे साथ रहूँगा।”

4 इसलिए याकूब ने राहेल और लिआ से उस मैदान में मिलने के लिए कहा जहाँ वह बकरियों और भेड़ों की रेवड़े रखता था। 5 याकूब ने राहेल और लिआ से कहा, “मैंने देखा है कि तुम्हारे पिता मुझ से क्रोधित हैं। उन का मेरे प्रति वह पहले जैसा प्रेम—भाव अब नहीं रहा। 6 तुम दोनों जानती हो कि मैंने तुम लोगों के पिता के लिए उतनी कड़ी मेहनत की, जितनी कर सकता था। 7 लेकिन तुम लोगों के पिता ने मुझे धोखा दिया। तुम्हारे पिता ने मेरा वेतन दस बार बदला है। लेकिन इस पूरे समय में परमेश्वर ने लाबान के सारे धोखों से मुझे बचाया है।”

8 “एक बार लाबान ने कहा, ‘तुम दागदार सभी बकरियों को रख सकते हो। यह तुम्हारा होगा।’ जब से उसने यह कहा तब से सभी जानवरों ने धारीदार बच्चे दिए। इस प्रकार वे सभी मेरे थे। लेकिन लाबान ने तब कहा, ‘मैं दागदार बकरियों को रखूँगा। तुम सारी धारीदार बकरियाँ ले सकते हो। यही तुम्हारा वेतन होगा।’ उसके इस तरह कहने के बाद सभी जानवरों न धारीदार बच्चे दिये। 9 इस प्रकार परमेश्वर ने जानवरों को तुम लोगों के पिता से ले लिया है और मुझे दे दिया है।

10 “जिस समय जानवर गाभिन होने के लिए मिल रहे थे मैंने एक स्वप्न देखा। मैंने देखा कि केवल नर जानवर जो गाभिन करने के लिए मिल रहे थे धारीदार और दागदार थे। 11 स्वप्न में परमेश्वर के दूत ने मुझ से बातें की। स्वर्गदूत ने कहा, ‘याकूब!’

“मैंने उत्तर दिया, ‘हाँ!’

12 “स्वर्गदूत ने कहा, ‘देखो, केवल दागदार और धारीदार बकरियाँ ही गाभिन होने के लिए मिल रही हैं। मैं ऐसा कर रहा हूँ। मैंने वह सब बुरा देखा है जो लाबान तुम्हारे लिए करता है। मैं यह इसलिए कर रहा हूँ कि सभी नये बकरियों के बच्चे तुम्हारे हो जायें। 13 मैं वही परमेश्वर हूँ जिस से तुमने बेतेल में वाचा बाँधी थी। उस जगह तुमने एक स्मरण स्तम्भ बनाया था और जैतून के तेल से उसका अभिषेक किया था और उस जगह तुमने मुझसे एक प्रतिज्ञा की थी। अब, उठो और यह जगह छोड़ दो और वापस अपने जन्म भूमि को लौट जाओ।’”

14 राहेल और लिआ ने याकूब को उत्तर दिया, “हम लोगों के पिता के पास मरने पर हम लोगों को देने के लिए कुछ नहीं है। 15 उसने हम लोगों के साथ अजनबी जैसा व्यवहार किया है। उसने हम लोगों को और तुमको बेच दिया और इस प्रकार हम लोगों का सारा धन उसने खर्च कर दिया। 16 परमेश्वर ने यह सारा धन हमारे पिता से ले लिया है और अब यह हमारा है। इसलिए तुम वही करो जो परमेश्वर ने करने के लिए कहा है।”

17 इसलिए याकूब ने यात्रा की तैयारी की। उसने अपनी पत्नियों और पुत्रों को ऊँटो पर बैठाया। 18 तब वे कनान की ओर लौटने लगे जहाँ उसका पिता रहता था। जानवरों की भी सभी रेवड़ें, जो याकूब की थीं, उनके आगे चल रही थीं। वह वो सभी चीजें साथ ले जा रहा था जो उसने पद्दनराम में रहते हुए प्राप्त की थीं।

19 इस समय लाबान अपनी भेड़ों का ऊन काटने गया था। जब वह बाहर गया तब राहेल उसके घर में घुसी और अपने पिता के गृह देवताओं को चुरा लाई।

20 याकूब ने अरामी लाबान को धोखा दिया। उसने लाबान को वह नहीं बताया कि वह वहाँ से जा रहा है। 21 याकूब ने अपने परिवार और अपनी सभी चीजों को लिया तथा शीघ्रता से चल पड़ा। उन्होंने फरात नदी को पार किया और गिलाद पहाड़ की ओर यात्रा की।

22 तीन दिन बाद लाबान को पता चला कि याकूब भाग गया। 23 इसलिए लाबान ने अपने आदमियों को इकट्ठा किया और याकूब का पीछा करना आरम्भ किया। सात दिन बाद लाबान ने याकूब को गिलाद पहाड़ के पास पाया। 24 उस रात परमेश्वर लाबान के पास स्वप्न में प्रकट हुआ। परमेश्वर ने कहा, “याकूब से तुम जो कुछ कहो उसके एक—एक शब्द के लिए सावधान रहो।”

चुराए गए देवताओं की खोज

25 दूसरे दिन सबेरे लाबान ने याकूब को जा पकड़ा। याकूब ने अपना तम्बू पहाड़ पर लगाया था। इसलिए लाबान और उसके आदमियों ने अपने तम्बू गिलाद पहाड़ पर लगाए।

26 लाबान ने याकूब से कहा, “तुमने मुझे धोखा क्यों दिया? तुम मेरी पुत्रियों को ऐसे क्यों ले जा रहे हो मानो वे युद्ध में पकड़ी गई स्त्रियाँ हों? 27 मुझसे बिना कहे तुम क्यों भागे? यदि तुमने कहा होता तो मैं तुम्हें दावत देता। उसमें बाजे के साथ नाचना और गाना होता। 28 तुमने मुझे अपने नातियों को चूमने तक नहीं दिया और न ही पुत्रियों को विदा कहने दिया। तुमने यह करके बड़ी भारी मूर्खता की। 29 तुम्हें सचमुच चोट पहुँचाने की शक्ति मुझमें है, किन्तु पिछली रात तुम्हारे पिता का परमेश्वर मेरे स्वप्न में आया। उसने मुझे चेतावनी दी कि मैं किसी प्रकार तुमको चोट न पहुँचाऊँ। 30 मैं जानता हूँ कि तुम अपने घर लौटना चाहते हो। यही कारण है कि तुम वहाँ से चल पड़े हो। किन्तु तुमने मेरे घर से देवताओं को क्यों चुराया?”

31 याकूब ने उत्तर दिया, “मैं तुमसे बिना कहे चल पड़ा, क्योंकि मैं डरा हुआ था। मैंने सोचा कि तुम अपनी पुत्रियों को मुझसे ले लोगे। 32 किन्तु मैंने तुम्हारे देवताओं को नहीं चुराया। यदि तुम यहाँ मेरे पास किसी व्यक्ति को, जो तुम्हारे देवताओं को चुरा लाया है, पाओ तो वह मार दिया जाएगा। तुम्हारे लोग ही मेरे गवाह होंगे। तुम अपनी किसी भी चीज को यहाँ ढूँढ सकते हो। जो कुछ भी तुम्हारा हो, ले लो।” (याकूब को यह पता नहीं था कि राहेल ने लाबान के गृह देवता चुराए हैं।)

33 इसलिए लाबान याकूब के तम्बू में गया और उसमें ढूँढा। उसने याकूब के तम्बू में ढूँढा और तब लिआ के तम्बू में भी। तब उसने उस तम्बू में ढूँढा जिसमें दोनों दासियाँ ठहरी थीं। किन्तु उसने उसके घर से देवताओं को नहीं पाया। तब लाबान राहेल के तम्बू में गया। 34 राहेल ने ऊँट की जीन में देवताओं को छिपा रका था और वह उन्हीं पर बैठी थी। लाबान ने पूरे तम्बू में ढूँढा किन्तु वह देवताओं को न खोज सका।

35 और राहेल ने अपने पिता से कहा, “पिताजी, मुझ पर क्रोध न हो। मैं आपके सामने खड़ी होने में असमर्थ हूँ। इस समय मेरा मासिकधर्म चल रहा है।” इसलिए लाबान ने पूरे तम्बू में ढूँढा, लेकिन वह उसके घर से देवताओं को नहीं पा सका।

36 तब याकूब बहुत क्रोधित हुआ। याकूब ने कहा, “मैंने क्या बुरा किया है? मैंने कौन सा नियम तोड़ा है? मेरा पीछा करने और मुझे रोकने का अधिकार तुम्हें कैसे है? 37 मेरा जो कुछ है उसमें तुमने ढूँढ लिया। तुमने ऐसी कोई चीज़ नहीं पाई जो तुम्हारी है। यदि तुमने कोई चीज़ पाई हो तो मुझे दिखाओ। उसे यहाँ रखे जिससे हमारे साथी देख सकें। हमारे साथियों को तय करने दो कि हम दोनों में कौन ठीक है। 38 मैंने तुम्हारे लिए बीस वर्ष तक काम किया है। इस पूरे समय में बच्चा देते समय कोई मेमना तुम्हारी रेवड़ में से नहीं खाया है। 39 यदि कभी जंगली जानवरों ने कोई भेड़ मारी तो मैंने तुरन्त उसकी कीमत स्वयं दे दी। मैंने कभी मरे जानवर को तुम्हारे पास ले जाकर यह नहीं कहा कि इसमें मेरा दोष नहीं। किन्तु रात—दिन मुझे लूटा गया। 40 दिन में सूरज मेरी ताकत छीनता था और रात को सर्दी मेरी आँखों से नींद चुरा लेती थी। 41 मैंने बीस वर्ष तक तुम्हारे लिए एक दास की तरह काम किया। पहले के चौदह वर्ष मैंने तुम्हारी दो पुत्रियों को पाने के लिए काम किया। बाद में छः वर्ष मैंने तुम्हारे जानवरों को पाने के लिए काम किया और इस बीच तुमने मेरा वेतन दस बार बदला। 42 लेकिन मेरे पूर्वजों के परमेश्वर इब्राहीम का परमेश्वर और इसहाक का भय मेरे साथ था। यदि परमेश्वर मेरे साथ नहीं होता तो तुम मुझे खाली हाथ भेज देते। किन्तु परमेश्वर ने मेरी परेशानियों को देखा। परमेश्वर ने मेरे किए काम को देखा और पिछली रात परमेश्वर ने प्रमाणित कर दिया कि मैं ठीक हूँ।”

याकूब और लाबान की सन्धि

43 लाबान ने याकूब से कहा, “ये लड़कियाँ मेरी पुत्रियाँ हैं। उनके बच्चे मेरे हैं। ये जानवर मेरे हैं। जो कुछ भी तुम यहाँ देखते हो, मेरा है। लेकिन मैं अपनी पुत्रियों और उनके बच्चों को रखने के लिए कुछ नहीं कर सकता। 44 इसलिए मैं तुमसे एक सन्धि करना चाहता हूँ। हम लोग पत्थरों का एक ढेर लगाएँगे जो यह बताएगा कि हम लोग सन्धि कर चुके हैं।”

45 इसलिए याकूब ने एक बड़ी चट्टान ढूँढी और उसे यह पता देने के लिए वहाँ रखा कि उसने सन्धि की है। 46 इसने अपने पुरुषों की और अधिक चट्टानें ढूँढने और चट्टानों का एक ढेर लगाने को कहा। तब उन्होंने चट्टानों के समीप भोजन किया। 47 लाबान ने उस जगह का नाम रखा यज्र सहादूधा रखा। लेकिन याकूब ने उस जगह का नाम गिलियाद रखा।

48 लाबान ने याकूब से कहा, “यह चट्टानों का ढेर हम दोनों को हमारी सन्धि की याद दिलाने में सहायता करेगा।” यह कारण है कि याकूब ने उस जगह को गिलियाद कहा।

49 तब लाबान ने कहा, “यहोवा, हम लोगों के एक दूसरे से अलग होने का साक्षी रहे।” इसलिए उस जगह का नाम मिजपा भी होगा।

50 तब लाबान ने कहा, “यदि तुम मेरी पुत्रियों को चोट पहुँचा ओगे तो याद रखो, परमेश्वर तुमको दण्ड देगा। यदि तुम दूसरी स्त्री से विवाह करोगे तो याद रखो, परमेश्वर तुमको देख रहा है। 51 यहाँ ये चट्टानें हैं, जो हमारे बीच में रखी हैं और यह विशेष चट्टान है जो बताएगी कि हमने सन्धि की है। 52 चट्टानों का ढेर तथा यह विशेष चट्टान हमें अपनी सन्धि को याद कराने में सहायता करेगी। तुमसे लड़ने के लिए मैं इन चट्टानों के पार कभी नहीं जाऊँगा और तुम मुझसे लड़ने के लिए इन चट्टानों से आगे मेरी ओर कभी नहीं आओगे। 53 यदि हम लोग इस सन्धि को तोड़ें तो इब्राहीम का परमेश्वर, नाहोर का परमेश्वर और उनके पूर्वजों का परमेश्वर हम लोगों का न्याय करेगा।”

याकूब के पिता इसहाक ने परमेश्वर को “भय” नाम से पुकारा। इसलिए याकूब ने सन्धि के लिए उस नाम का प्रयोग किया। 54 तब याकूब ने एक पशु को मारा और पहाड़ पर बलि के रूप में भेंट किया और उसने अपने पुरुषों को भोजन में सम्मिलित होने के लिए बुलाया। भोजन करने के बाद उन्होंने पहाड़ पर रात बिताई। 55 दूसरे दिन सबेरे लाबान ने अपने नातियों को चूमा और पुत्रियों को बिदा दी। उसने उन्हें आशीर्वाद दिया और घर लौट गया।

समीक्षा

परमेश्वर के बलिदान में आनंद मनाएं

क्या आपने कभी पदोन्नती के वायदे का अनुभव किया है जो कभी पूरा नहीं हुआ या बिना लाभ वाले कुछ कामों को पूरा करने के लिए देर तक काम करते हुए अनगिनत घंटों को बेकार करने का अनुभव किया है? क्या आप कभी ईर्ष्या, गलत दोष या पूरी तरह से छल कपट का शिकार हुए हैं?

इस पद्यांश में हमारे दैनिक जीवन को समझाया गया है। हमारे हर दिन की व्याकुलता और दु:ख की स्थिति में, यह जानना आश्वस्त प्रदान करता है कि प्रभु का शब्द हमेशा अंतिम है।

इस पद्यांश में हम एक खराबी देखते हैं जो कि एक पारिवारिक व्यवसाय में थी। शायद लाबान ने अपने दामाद का फायदा उठाया था। अवश्य ही याकूब को लगा कि उसकी सद्भावना का फायदा उठाया गया है। उसने महसूस किया कि लाबान का व्यवहार ऐसा नहीं है जैसा कि पहले था (पद - 2)। उसने अपने काम में 100% प्रयास किया था – उसने अपनी पूरी सामर्थ से काम किया था: ‘मैंने तुम्हारे पिता की सेवा पूरी सामर्थ से की है’ (पद - 6)।

याकूब की नौकरी करने की शर्ते काफी सख्त थीं। उसका ससुर एक निर्दयी मालिक था। चोरी या अपघात की वजह से हुए किसी भी नुकसान की भरपाई याकूब को ही करनी पड़ती थी। उसके काम करने की स्थिति बहुत ही असंतोषजनक थी (पद - 40)।

इसके अलावा, उसे लगा कि उसके साथ छल किया गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि लाबान ने उसकी मज़दूरी बढ़ाने के बजाय दस बार कम कर दी थी। राहेल और लिआ को लगा कि उनका कुछ अंश नहीं बचा है। उन्हें याकूब को बेच दिया गया और फिर उन्होंने देखा कि उनके पिता उनके पति की सफलता से ईर्ष्या करते हैं। (पद - 14-16)।

यह साफ ज़ाहिर है कि उन्होंने लाबान के प्रति नाराज़गी महसूस की। फिर भी उनकी प्रतिक्रिया बहुत कृपापूर्ण नहीं थी। जब लाबान काम पर गया था वे सभी भाग गए। उन्होंने उसे अपने बच्चों और नाती-पोतों को अलविदा करने का मौका भी नहीं दिया (पद - 26,28)। इन सबके अलावा, किसी अबोध्य कारण से, राहेल ने अपने पति को बिना बताए अपने पिता के घर से चोरी की।

इन सबके बावजूद, परमेश्वर याकूब को आशीष देते हैं: ‘परन्तु परमेश्वर ने उसको \[लाबान को\] मेरी हानि करने नहीं दिया’ (पद - 7)। वह लाबान से ज़्यादा सम्रृद्ध हो गया। परमेश्वर ने ही याकूब को इसहाक के घर वापस जाने के लिए कहा था और उससे वादा किया था कि, ‘मैं तुम्हारे साथ रहूँग़ा’ (पद - 3)। हालाँकि याकूब सही कार्य कर रहा था, लेकिन जिस तरह से वह कर रहा था वह सही नहीं था। फिर भी, परमेश्वर ने सपने में लाबान से उसकी तरफ से बात की (पद - 24)। लेकिन इसके लिए, शायद याकूब को खाली हाथ भेजना पड़ा होता (पद - 42)।

अंत में, उन्होंने संतोषजनक समझौता किया। इस पद्यांश के बीच में हम आनेवाले समय का पूर्वाभास देखते हैं। याकूब और लाबान दोनों ने न्याय के लिए परमेश्वर की दोहाई दी (पद - 53)। फिर वहाँ पर बलि दी गई (पद - 54)।

जब उन्होंने परमेश्वर से न्याय पाना चाहा और यह बलि दी, तो हमें एक बार फिर क्रूस की याद आती है जहाँ परमेश्वर का न्याय और दया एक साथ मिलते हैं।

प्रार्थना

पिता, आपको धन्यवाद देना और आपकी स्तुति करना मैं कैसे भूल सकता हूँ। आपका धन्यवाद कि आप न्यायी और दयालु हैं। यीशु के बलिदान के लिए आपको धन्यवाद। धन्यवाद कि अन्याय के समय में, मैं आपकी दया और सुरक्षा पा सकता हूँ। जैसे आप मुझ पर दयालु हैं वैसे ही मुझे भी दयालु बनने के लिए मेरी मदद कीजिये।

पिप्पा भी कहते है

उत्पत्ति 31:32

अपने पिता के घराने के देवताओं को चुराकर राहेल क्या कर रही थी? और अपने घराने के देवताओं के साथ लाबान क्या करने वाला था?

उनके दूसरे देवता थे ओर राहेल ने उसे चुराया था, झूठ बोला और अपने पिता का अपमान किया ….. इसमें कोई शक नहीं कि परमेश्वर को दस आज्ञाएं देना ज़रूरी था।

reader

App

Download The Bible with Nicky and Pippa Gumbel app for iOS or Android devices and read along each day.

reader

Email

Sign up now to receive The Bible with Nicky and Pippa Gumbel in your inbox each morning. You’ll get one email each day.

Podcast

Subscribe and listen to The Bible with Nicky and Pippa Gumbel delivered to your favourite podcast app everyday.

reader

Website

Start reading today’s devotion right here on the BiOY website.

संदर्भ

नोट्स:

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है। कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002। जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

एक साल में बाइबल

  • एक साल में बाइबल

This website stores data such as cookies to enable necessary site functionality and analytics. Find out more