दुनिया की सबसे कीमती चीज़
परिचय
राज छह बच्चों में से एक थे, जिनका जन्म एक अमीर ब्राह्मण परिवार में हुआ था – जो भारतीय जाति व्यवस्था में सबसे ऊँची जाति मानी जाती है।
तेईस साल की उम्र में, राज का सामना यीशु से हुआ। उनके परिवार ने उन्हें विरासत से बाहर कर दिया। उन्होंने राज से सारे रिश्ते तोड़ दिए। उनके लिए राज जैसे मर चुके थे। परिवार ने तो उनके लिए एक अंतिम संस्कार तक कर दिया। उसके बाद से न तो उनके माता-पिता और न ही भाई-बहनों ने उनसे कभी बात की।
कई हफ़्तों तक वह बैंगलोर की सड़कों पर भटकते रहे। उनके पास खाने के लिए मुश्किल से कुछ होता था। वह दिनभर चलते और रात को पार्क में सो जाते।
राज ने एक नई ज़िंदगी शुरू की। उन्होंने अपने नए मिले विश्वास के बारे में लोगों से बात करना शुरू किया। उनके माध्यम से कई और लोगों ने भी यीशु को जाना। कई वर्षों तक वह भारत में अल्फा के राष्ट्रीय निदेशक रहे। वह कहते हैं कि उनकी ज़िंदगी आशीषों से भरी रही है और परमेश्वर ने उनकी सारी हानियों का भरपूर प्रतिफल दिया है। भले ही उन्होंने ‘सब कुछ’ छोड़ दिया था, लेकिन यीशु मसीह में उन्हें वह ‘कीमती मोती’ मिला (मत्ती 13:45–46), जिसकी कोई तुलना नहीं।
रिश्ते हमारी सबसे कीमती दौलत हैं। लेकिन एक खास रिश्ता है, जिसके लिए आप बनाए गए हैं। यह सबसे कीमती मोती है। इसे पाने के लिए ‘सब कुछ’ बेच देना भी सार्थक है।
भजन संहिता 11:1-7
संगित निर्देशक के लिये दाऊद का पद।
11मैं यहोवा पर भरोसा करता हूँ।
फिर तू मुझसे क्यों कहता है कि मैं भाग कर कहीं जाऊँ?
तू कहता है मुझसे कि, “पक्षी की भाँति अपने पहाड़ पर उड़ जा!”
2 दुष्ट जन शिकारी के समान हैं। वे अन्धकार में छिपते हैं।
वे धनुष की डोर को पीछे खींचते हैं।
वे अपने बाणों को साधते हैं और वे अच्छे, नेक लोगों के ह्रदय में सीधे बाण छोड़ते हैं।
3 क्या होगा यदि वे समाज की नींव को उखाड़ फेंके?
फिर तो ये अच्छे लोग कर ही क्या पायेंगे?
4 यहोवा अपने विशाल पवित्र मन्दिर में विराजा है।
यहोवा स्वर्ग में अपने सिंहासन पर बैठता है।
यहोवा सब कुछ देखता है, जो भी घटित होता है।
यहोवा की आँखें लोगों की सज्जनता व दुर्जनता को परखने में लगी रहती हैं।
5 यहोवा भले व बुरे लोगों को परखता है,
और वह उन लोगों से घृणा करता है, जो हिसा से प्रीति रखते हैं।
6 वह गर्म कोयले और जलती हुई गन्धक को वर्षा की भाँति उन बुरे लोगों पर गिरायेगा।
उन बुरे लोगों के भाग में बस झुलसाती पवन आयेगी
7 किन्तु यहोवा, तू उत्तम है। तुझे उत्तम जन भाते हैं।
उत्तम मनुष्य यहोवा के साथ रहेंगे और उसके मुख का दर्शन पायेंगे।
समीक्षा
परमेश्वर की निकट उपस्थिति
आप अपने जीवन के सबसे कठिन समय में भी परमेश्वर की निकट उपस्थिति का अनुभव कर सकते हैं। दाऊद एक संकट में था। उसे सलाह दी गई कि वह भागकर पहाड़ों में छिप जाए। लेकिन उसने उत्तर दिया, ‘मैं तो पहले ही अपनी जान बचाने के लिए सीधा परमेश्वर की बाँहों में भाग चुका हूँ। तो अब मैं क्यों भागूँ?’ (1, MSG)
दाऊद शुरुआत में कहता है, ‘मैं यहोवा में शरण लेता हूँ’ (1)। और अंत में भी वह परमेश्वर के साथ अपने रिश्ते पर ध्यान केंद्रित करता है, इस वादे के साथ कि सीधे और सच्चे लोग ‘उसका मुख देखेंगे’ (7)। दाऊद रूपक भाषा का इस्तेमाल करके यहोवा की निकट उपस्थिति की तस्वीर खींचता है।
भजन की शुरुआत और अंत, दोनों जगह दाऊद का अनुभव और परमेश्वर के साथ उसके रिश्ते की चाह दिखाई देती है। इससे सुरक्षित जगह और जीवन में इससे मूल्यवान कुछ नहीं है, और न ही इस संसार की कोई चीज़ परमेश्वर की निकट उपस्थिति उसके मुख को देखने – की बराबरी कर सकती है।
प्रार्थना
प्रभु, आज मैं आपका मुख देखना चाहता हूँ। मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ कि अपनी निकट उपस्थिति से मेरे हृदय की सबसे गहरी इच्छाओं को पूरा करें।
मत्ती 13:36-58
गेहूँ और खरपतवार के दृष्टान्त की व्याख्या
36 फिर यीशु उस भीड़ को विदा करके घर चला आया। तब उसके शिष्यों ने आकर उससे कहा, “खेत के खरपतवार के दृष्टान्त का अर्थ हमें समझा।”
37 उत्तर में यीशु बोला, “जिसने उत्तम बीज बोया था, वह है मनुष्य का पुत्र। 38 और खेत यह संसार है। अच्छे बीज का अर्थ है, स्वर्ग के राज्य के लोग। खरपतवार का अर्थ है, वे व्यक्ति जो शैतान की संतान हैं। 39 वह शत्रु जिसने खरपतवार बीजे थे, शैतान है और कटाई का समय है, इस जगत का अंत और कटाई करने वाले हैं स्वर्गदूत।
40 “ठीक वैसे ही जैसे खरपतवार को इकट्ठा करके आग में जला दिया गया, वैसे ही सृष्टि के अंत में होगा। 41 मनुष्य का पुत्र अपने दूतों को भेजेगा और वे उसके राज्य से सभी पापियों को और उनको, जो लोगों को पाप के लिये प्रेरित करते हैं, 42 इकट्ठा करके धधकते भाड़ में झोंक देंगे जहाँ बस दाँत पीसना और रोना ही रोना होगा। 43 तब धर्मी अपने परम पिता के राज्य में सूरज की तरह चमकेंगे। जो सुन सकता है, सुन ले!
धन का भण्डार और मोती का दृष्टान्त
44 “स्वर्ग का राज्य खेत में गड़े धन जैसा है। जिसे किसी मनुष्य ने पाया और फिर उसे वहीं गाड़ दिया। वह इतना प्रसन्न हुआ कि उसने जो कुछ उसके पास था, जाकर बेच दिया और वह खेत मोल ले लिया।
45 “स्वर्ग का राज्य ऐसे व्यापारी के समान है जो अच्छे मोतियों की खोज में हो। 46 जब उसे एक अनमोल मोती मिला तो जाकर जो कुछ उसके पास था, उसने बेच डाला, और मोती मोल ले लिया।
मछली पकड़ने का जाल
47 “स्वर्ग का राज्य मछली पकड़ने के लिए झील में फेंके गए एक जाल के समान भी है। जिसमें तरह तरह की मछलियाँ पकड़ी गयीं। 48 जब वह जाल पूरा भर गया तो उसे किनारे पर खींच लिया गया। और वहाँ बैठ कर अच्छी मछलियाँ छाँट कर टोकरियों में भर ली गयीं किन्तु बेकार मछलियाँ फेंक दी गयीं। 49 सृष्टि के अन्त में ऐसा ही होगा। स्वर्गदूत आयेंगे और धर्मियों में से पापियों को छाँट कर 50 धधकते भाड़ में झोंक देंगे जहाँ बस रोना और दाँत पीसना होगा।”
51 यीशु ने अपने शिष्यों से पूछा, “तुम ये सब बातें समझते हो?”
उन्होंने उत्तर दिया, “हाँ!”
52 यीशु ने अपने शिष्यों से कहा, “देखो, इसीलिये हर धर्मशास्त्री जो परमेश्वर के राज्य को जानता है, एक ऐसे गृहस्वामी के समान है, जो अपने कठोर से नई-पुरानी वस्तुओं को बाहर निकालता है।”
यीशु का अपने देश लौटना
53 इन दृष्टान्त कथाओं को समाप्त करके वह वहाँ से चल दिया। 54 और अपने देश आ गया। फिर उसने यहूदी आराधनालयों में उपदेश देना आरम्भ कर दिया। इससे हर कोई अचरज में पड़ कर कहने लगा, “इसे ऐसी सूझबूझ और चमत्कारी शक्ति कहाँ से मिली? 55 क्या यह वही बढ़ई का बेटा नहीं है? क्या इसकी माँ का नाम मरियम नहीं है? याकूब, यूसुफ, शमौन और यहूदा इसी के तो भाई हैं न? 56 क्या इसकी सभी बहनें हमारे ही बीच नहीं हैं? तो फिर उसे यह सब कहाँ से मिला?” 57 सो उन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया।
फिर यीशु ने कहा, “किसी नबी का अपने गाँव और घर को छोड़ कर, सब आदर करते हैं।” 58 सो उनके अविश्वास के कारण उसने वहाँ अधिक आश्चर्य कर्म नहीं किये।
समीक्षा
परमेश्वर के पुत्र को जानना
कुछ लोग पूरी लगन से खोजते हैं और फिर यीशु को पाते हैं। कुछ, मेरी तरह, लगभग टकराकर उन्हें पा लेते हैं। लेकिन एक बार जब आप यह ख़ज़ाना पा लेते हैं, तो बाकी सब कुछ छोड़ देना भी इसके लिए सार्थक है।
जंगल में उगने वाली खरपतवार के दृष्टांत और जाल के दृष्टांत के बीच में, यीशु दो छोटे-से दृष्टांत बताते हैं जो परमेश्वर के राज्य को खोजने के बारे में हैं (44–46)। दोनों में बस इतना फर्क है कि एक में व्यक्ति सक्रिय रूप से खोज रहा था (45) और दूसरे में वह मानो अचानक उससे टकरा गया (44)। लेकिन दोनों में एक अत्यंत मूल्यवान चीज़ थी (‘ख़ज़ाना’ – पद 44, ‘सुंदर मोती’ – 45)। और दोनों ही मामलों में उसे पाने के लिए सब कुछ बेचना सार्थक था (पद 44,46)।
यहीं पर सच्चा ‘आनंद’ (44), असली ‘ख़ज़ाना’ (44) और ‘महान मूल्य’ (पद 46) मिलता है। स्वर्ग का राज्य राजा को जानने के बारे में है। यह सब यीशु के बारे में है और आप उनका क्या उत्तर देते हैं, इस पर निर्भर करता है। हर व्यक्ति का यीशु के प्रति उत्तर न केवल इस जीवन के लिए, बल्कि अनंतकाल के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
जब आप संसार की सारी बुराइयों पर विचार करते हैं, तो क्या कभी सोचते हैं कि परमेश्वर तुरंत इन्हें क्यों नहीं खत्म कर देता? खरपतवार के दृष्टांत में नौकर चाहता है कि वह खरपतवार उखाड़ दे, लेकिन उसका मालिक मना करता है (28–29)। एक दिन न्याय होगा (36–43, 47–50)।
वह चेतावनी देता है कि जो लोग पाप का कारण बनते हैं और जो बुराई करते हैं, उनका क्या अंजाम होगा (41, 49–50)। वह खरपतवार के बारे में कहता है कि परमेश्वर उन्हें ‘कूड़े में फेंक देगा’ (41) और वह ‘खराब मछलियों को अलग करके कचरे में डाल देगा’ (49–50)। वह वादा करता है कि उस दिन आप – जो यीशु के द्वारा परमेश्वर से मेल कराए गए ‘धर्मी’ हैं – ‘अपने पिता के राज्य में सूर्य की तरह चमकेंगे’ (43)। परमेश्वर के साथ आपका संबंध ही आपको चमकाता है, और इसका अर्थ है कि एक दिन आप परमेश्वर के राज्य में सूर्य की तरह चमकेंगे।
लेकिन परमेश्वर अभी सारी बुराई का अंत नहीं होने देता। वह चाहता है कि वह सारा अच्छा अनाज अपने खलिहान में इकट्ठा करे। वह जानबूझकर ‘युग के अंत’ (पद 39) तक इंतज़ार करता है, ताकि और अधिक लोगों को यीशु के सुसमाचार का उत्तर देने का समय मिल सके।
प्रार्थना
प्रभु, आपका धन्यवाद कि आपके साथ का संबंध सबसे कीमती मोती है। मुझे अपने निकट बनाए रखें और किसी भी ऐसी चीज़ से बचने में मेरी मदद करें जो मुझे आपसे दूर ले जाए।
उत्पत्ति 38:1-39:23
यहूदा और तामार
38उन्हीं दिनों यहूदा ने अपने भाईयों को छोड़ दिया और हीरा नामक व्यक्ति के साथ रहने चला गया। हीरा अदुल्लाम नगर का था। 2 यहूदा एक कनानी स्त्री से वहाँ मिला और उसने उससे विवाह कर लिया। स्त्री के पिता का नाम शूआ था। 3 कनानी स्त्री ने एक पुत्र को जन्म दिया। उन्होंने उसका नाम एर रखा। 4 बाद में उसने दूसरे पुत्र को जन्म दिया। उन्होंने लड़के का नाम ओनान रखा। 5 बाद में उसे अन्य पुत्र शेला नाम का हुआ। यहूदा तीसरे बच्चे के जन्म के समय कजीब में रहता था।
6 यहूदा ने अपने पुत्र एर के लिए पत्नी के रूप में एक स्त्री को चुना। स्त्री का नाम तामार था। 7 किन्तु एर ने बहुत सी बुरी बातें की। यहोवा उससे प्रसन्न नहीं था। इसलिए यहोवा ने उसे मार डाला। 8 तब यहूदा ने एर के भाई ओनान से कहा, “जाओ और मृत भाई की पत्नी के साथ सोओ तुम उसके पति के समान बनो। अगर बच्चे होंगे तो वे तुम्हारे भाई एर के होंगे।”
9 ओनान जानता था कि इस जोड़े से पैदा बच्चे उसके नहीं होंगे। ओनान ने तामार के साथ शारीरिक सम्बन्ध किया। किन्तु उसने उसे अपना गर्भधारण करने नहीं दिया। 10 इससे यहोवा क्रोधित हुआ। इसलिए यहोवा ने ओनान को भी मार डाला। 11 तब यहूदा ने अपनी पुत्रबधू तामार से कहा, “अपने पिता के घर लौट जाओ। वहीं रहो और तब तक विवाह न करो जब तक मेरा छोटा पुत्र शेला बड़ा न हो जाए।” यहूदा को डर था कि शेला भी अपने भाईयों की तरह मार डाला जाएगा। तामार अपने पिता के घर लौट गई।
12 बाद में शुआ की पुत्री यहूदा की पत्नी मर गई। यहूदा अपने शोक के समय के बाद अदुल्लाम के अपने मित्र हीरा के साथ तिम्नाथ गया। यहूदा अपनी भेड़ों का ऊन काटने तिम्नाथ गया। 13 तामार को यह मालुम हुआ कि उसके ससुर यहूदा अपनी भेड़ों का ऊन काटने तिम्नाथ जा रहा है। 14 तामार सदा ऐसे वस्त्र पहनती थी जिससे मालूम हो कि वह विधवा है। इसलिए उसने कुछ अन्य वस्त्र पहने और मुँह को पर्दे में ढक लिया। तब वह तिम्नाथ नगर के पास एनैम को जाने वाली सड़क के किनारे बैठ गई। तामार जानती थी कि यहूदा का छोटा पुत्र शेला अब बड़ा हो गया है। लेकिन यहूदा उससे उसके विवाह की कोई योजना नहीं बना रहा था।
15 यहूदा ने उसी सड़क से यात्रा की। उसने उसे देखा, किन्तु सोचा कि वह वेश्या है। (उसका मुख वेश्या की तरह ढका हुआ था।) 16 इसलिए यहूदा उसके पास गया और बोला, “मुझे अपने साथ शारीरिक सम्बन्ध करने दो।” (यहूदा नहीं जानता था कि वह उसकी पुत्र वधू तामार है।)
तामार बोली, “तुम मुझे कितना दोगे?”
17 यहूदा ने उत्तर दिया, “मैं अपनी रेवड़ से तुम्हें एक नयी बकरी भेजूँगा।”
उसने उत्तर दिया, “मैं इसे स्वीकार करती हूँ किन्तु पहले तुम मुझे कुछ रखने को दो जब तक तुम बकरी नहीं भेजते।”
18 यहूदा ने पूछा, “मैं बकरी भेजूँगा इसके प्रमाण के लिए तुम मुझ से क्या लेना चाहोगी?”
तामार ने उत्तर दिया, “मुझे विशेष मुहर और इसकी रस्सी, जो तुम अपने पत्रों के लिए प्रयोग करते हो, दो और मुझे अपने टहलने की छड़ी दो।” यहूदा ने ये चीजें उसे दे दीं। तब यहूदा और तामार ने शारीरिक सम्बन्ध किया और तामार गर्भवती हो गई। 19 तामार घर गई और मुख को ढकने वाले पर्दे को हटा दिया। तब उसने फिर अपने को विधवा बताने वाले विशेष वस्त्र पहन लिए।
20 यहूदा ने अपने मित्र हीरा को तामार के घर उसको वचन दी हुई बकरी देने के लिए भेजा। यहूदा ने हीरा से विशेष मुहर तथा टहलने की छड़ी भी उससे लेने के लिए कहा। किन्तु हीरा उसका पता न लगा सका। 21 हीरा ने एनैम नगर के कुछ लोगों से पूछा, “सड़क के किनारे जो वेश्या थी वह कहाँ है?”
लोगों ने कहा, “यहाँ कभी कोई वेश्या नहीं थी।”
22 इसलिए यहूदा का मित्र यहूदा के पास लौट गया और उससे कहा, “मैं उस स्त्री का पता नहीं लगा सका। जो लोग उस स्थान पर रहते हैं उन्होंने बताया कि वहाँ कभी कोई वेश्या नहीं थी।”
23 इसलिए यहूदा ने कहा, “उसे वे चीजें रखने दो। मैं नहीं चाहता कि लोग हम पर हँसे। मैंने उसे बकरी देनी चाही, किन्तु हम उसका पता नहीं लगा सके यही पर्याप्त है।”
तामार गर्भवती है
24 लगभग तीन महीने बाद किसी ने यहूदा से कहा, “तुम्हारी पुत्रवधु तामार ने वेश्या की तरह पाप किया है और अब वह गर्भवती है।”
तब यहूदा ने कहा, “उसे बाहर निकालो और मार डालो। उसके शरीर को जला दो।”
25 उसके आदमी तामार को मारने गए। किन्तु तामार ने अपने ससुर के पास सन्देश भेजा। तामार ने कहा, “जिस पुरुष ने मुझे गर्भवती किया है उसी की ये चीजें हैं। तब उसने उसे विशेष मुहर बाजूबन्द और टहलने की छड़ी दिखाई। इन चीजों को देखो। ये किसकी है? यह किस की विशेष मुहर, बाजूबन्द और रस्सी हैं? किसकी यह टहलने की छड़ी है?”
26 यहूदा ने उन चीजों को पहचाना और कहा, “यह ठीक कहती है। मैं गलती पर था। मैंने अपने वचन के अनुसार अपने पुत्र शेला को इसे नहीं दिया।” और यहूदा उसके साथ फिर नहीं सोया।
27 तामार के बच्चा देने का समय आया और उन्होंने देखा कि वह जुड़वे बच्चों को जन्म देगी। 28 जिस समय वह जन्म दे रही थी एक बच्चे ने बाहर हाथ निकाला। धाय ने हाथ पर लाल धागा बाँधा और कहा, “यह बच्चा पहले पैदा हुआ।” 29 लेकिन उस बच्चे ने अपना हाथ वापस भीतर खींच लिया। तब दूसरा बच्चा पहले पैदा हुआ। तब धाय ने कहा, “तुम ही पहले बाहर निकलने में समर्थ हुए।” इसलिए उन्होंने उसका नाम पेरेस रखा। (इस नाम का अर्थ “खुल पड़ना” या “फट पड़ना” है।) 30 इसके बाद दूसरा बच्चा उत्पन्न हुआ। यह बच्चा के हाथ पर लाल धागा था। उन्होंने उसका नाम जेरह रखा।
यूसुफ मिस्री पोतीपर को बेचा गया
39व्यापारी जिसने यूसुफ को खरीदा वह उसे मिस्र ले गए। उन्होंने फ़िरौन के अंगरक्षक के नायक के हाथ उसे बेचा। 2 किन्तु यहोवा ने यूसुफ की सहायता की। यूसुफ एक सफल व्यक्ति बन गया। यूसुफ अपने मिस्री स्वामी पोतीपर के घर में रहा।
3 पोतीपर ने देखा कि यहोवा यूसुफ के साथ है। पोतीपर ने यह भी देखा कि यहोवा जो कुछ यूसुफ करता है, उसमें उसे सफल बनाने में सहायक है। 4 इसलिए पोतीपर यूसुफ को पाकर बहुत प्रसन्न था। पोतीपर ने उसे अपने लिए काम करने तथा घर के प्रबन्ध में सहायता करने में लगाया। पोतीपर की अपनी हर एक चीज़ का यूसुफ अधिकारी था। 5 तब यूसुफ घर का अधिकारी बना दिया गया तब यहोवा ने उस घर और पोतीपर की हर एक चीज़ को आशीर्वाद दिया। यहोवा ने यह यूसुफ के कारण किया और यहोवा ने पोतीपर के खेतों में उगने वाली हर चीज़ को आशीर्वाद दिया। 6 इसलिए पोतीपर ने घर की हर चीज़ की जिम्मेदारी यूसुफ को दी। पोतीपर किसी चीज़ की चिन्ता नहीं करता था वह जो भोजन करता था एक मात्र उसकी उसे चिन्ता थी।
यूसुफ पोतीपर की पत्नी को मना करता है
यूसुफ बहुत सुन्दर और सुरूप था। 7 कुछ समय बाद यूसुफ के मालिक की पत्नी यूसुफ से प्रेम करने लगी। एक दिन उसने कहा, “मेरे साथ सोओ।”
8 किन्तु यूसुफ ने मना कर दिया। उसने कहा, “मेरा मालिक घर की अपनी हर चीज़ के लिए मुझ पर विश्वास करता है। उसने यहाँ की हर एक चीज़ की ज़िम्मेदारी मुझे दी है। 9 मेरे मालिक ने अपने घर में मुझे लगभग अपने बराबर मान दिया है। किन्तु मुझे उसकी पत्नी के साथ नहीं सोना चाहिए। यह अनुचित है। यह परमेश्वर के विरुद्ध पाप है।”
10 वह स्त्री हर दिन यूसुफ से बात करती थी किन्तु यूसुफ ने उसके साथ सोने से मना कर दिया। 11 एक दिन यूसुफ अपना काम करने घर में गया। उस समय वह घर में अकेला व्यक्ति था। 12 उसके मालिक की पत्नी ने उसका अंगरखा पकड़ा लिया और उससे कहा, “आओ और मेरे साथ सोओ।” किन्तु यूसुफ घर से बाहर भाग गया और उसने अपना अंगरखा उसके हाथ में छोड़ दिया।
13 स्त्री ने देखा कि यूसुफ ने अपना अंगरखा उसके हाथों में छोड़ दिया है और उसने जो कुछ हुआ उसके बारे में झूठ बोलने में निश्चय किया। वह बाहर दौड़ी। 14 और उसने बाहर के लोगों को पुकारा। उसने कहा, “देखो, यह हिब्रू दास हम लोगों का उपहास करने यहाँ आया था। वह अन्दर आया और मेरे साथ सोने की कोशिश की। किन्तु मैं ज़ोर से चिल्ला पड़ी। 15 मेरी चिल्लाहट ने उसे डरा दिया और वह भाग गया। किन्तु वह अपना अंगरखा मेरे पास छोड़ गया।” 16 इसलिए उसने यूसफ के मालिक अपने पति के घर लौटने के समय तक उसके अंगरखे को अपने पास रखा। 17 और उसने अपने पति को वही कहानी सुनाई। उसने कहा, “जिस हिब्रू दास को तुम यहाँ लाए उसने मुझ पर हमला करने का प्रयास किया। 18 किन्तु जब वह मेरे पास आया तो मैं चिल्लाई। वह भाग गया, किन्तु अपना अंगरखा छोड़ गया।”
19 यूसुफ के मालिक ने जो उसकी पत्नी ने कहा, उसे सुना और वह बहुत क्रोधित हुआ। 20 वहाँ एक कारागार था जिसमें राजा के शत्रु रखे जाते थे। इसलिए पोतीपर ने यूसुफ को उसी बंदी खाने में डाल दिया और यूसुफ वहाँ पड़ा रहा।
यूसुफ कारागार में
21 किन्तु यहोवा यूसुफ के साथ था। यहोवा उस पर कृपा करता रहा। 22 कुछ समय बाद कारागार के रक्षकों का मुखिया यूसुफ से स्नेह करने लगा। रक्षकों के मुखिया ने सभी कैदियों का अधिकारी यूसुफ को बनाया। यूसुफ उनका मुखिया था, किन्तु काम वही करता था जो वे करते थे। 23 रक्षकों का अधिकारी कारागार को सभी चीजों के लिए यूसुफ पर विश्वास करता था। यह इसलिए हुआ कि यहोवा यूसुफ के साथ था। यहोवा यूसुफ को, वह जो कुछ करता था, सफल करने में सहायता करता था।
समीक्षा
परमेश्वर के आशीर्वाद का अनुभव करना
क्या इस समय आपकी परिस्थितियाँ आदर्श से बहुत दूर हैं? उदाहरण के लिए, क्या आपको लगता है कि परिस्थितियाँ आपको बाँधकर रखी हुई हैं? क्या आप चाहते हैं कि आप किसी और नौकरी, किसी और जगह, या किसी और रिश्ते में होते? आपकी परिस्थितियाँ जैसी भी हों, यह पाठ हमें दिखाता है कि यदि आप परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य बने रहें, तो आप उसी स्थान पर उसकी उपस्थिति, कृपा और आशीर्वाद का अनुभव कर सकते हैं।
यहाँ हम यहूदा की अविश्वासयोग्यता और कपट की तुलना यूसुफ की यौन प्रलोभन के सामने विश्वासयोग्यता से देखते हैं।
पत्नी की मृत्यु के बाद यहूदा कमजोर हो गया और पाप में गिर गया। उसकी अपनी बहू तामार ने वेश्या का रूप धारण किया और यहूदा उसके साथ सो गया। उसने गिरवी के रूप में अपनी मुहर, उसकी डोरी और एक लाठी छोड़ दी। तामार उससे गर्भवती हो गई (उत्पत्ति 38:1–18)।
जब यहूदा को पता चला कि उसकी बहू वेश्यावृत्ति के दोष में पकड़ी गई है और गर्भवती हो गई है, तो उसने कहा, ‘उसे बाहर लाओ और जला दो!’ (24)। तब तामार ने वही मुहर, डोरी और लाठी दिखा दी जो यहूदा ने छोड़ी थी (25)। यहूदा पकड़ा गया। उसे अपनी कपट और पाप का एहसास हुआ (26)।
परमेश्वर का अनुग्रह अद्भुत है। इस घटना से जन्मे पुत्रों में से एक, पेरेज़, यीशु की वंशावली में दर्ज है (मत्ती 1:3)। अपनी कृपा में, परमेश्वर उस चीज़ को भी, जिसे शैतान ने बुराई के लिए सोचा था, भलाई के लिए बदल देता है।
यहूदा के पाप के विपरीत, यूसुफ की धार्मिकता है: ‘यहोवा यूसुफ के साथ था और वह सफल हुआ’ (उत्पत्ति 39:2)। पोटीफर ने देखा कि यहोवा यूसुफ के साथ है और जो कुछ वह करता है उसमें उसे सफलता मिलती है, तो उसने उसे अपने पूरे घर का प्रबंधक बना दिया (पद 4)। इसके परिणामस्वरूप, यहोवा ने उसके घर को आशीष दी (पद 5)।
इस खंड में ‘यहोवा यूसुफ के साथ था’ यह वाक्य चार बार आता है (39:2, 3, 21, 23)। लेकिन परमेश्वर का आपके साथ होना, इसका मतलब यह नहीं कि आप प्रलोभन से बच जाएँगे। यूसुफ को भी बड़ा प्रलोभन झेलना पड़ा। पोटीफर की पत्नी ने उसे अपने साथ सोने के लिए उकसाया। लेकिन उसने साफ़ मना कर दिया।
उसने समझा कि इस प्रलोभन में गिरना परमेश्वर और अपने मालिक पोटीफर दोनों के विरुद्ध पाप होगा: ‘मैं उसकी विश्वासघात करके और परमेश्वर के विरुद्ध पाप करके यह कैसे कर सकता हूँ?’ (9, MSG)। उसने न सिर्फ उसके साथ सोने से मना किया, बल्कि उस प्रलोभन के आसपास भी नहीं रहा (10)।
यूसुफ हमें दिखाता है कि प्रलोभन से कैसे निपटना है। प्रलोभन का सामना करने का सबसे अच्छा तरीका है, उससे भाग जाना (2 तीमुथियुस 2:22)। यदि आप बड़े प्रलोभन का सामना कर रहे हैं, तो कठोर कदम उठाएँ। यूसुफ की तरह, वहाँ से भाग जाएँ।
पोटीफर की पत्नी ने यूसुफ को उसकी चादर से पकड़कर फिर कहा, ‘मेरे साथ सो जाओ!’ लेकिन यूसुफ ने अपनी चादर उसके हाथ में छोड़ दी और घर से बाहर भाग गया (उत्पत्ति 39:12)।
यहूदा से इसकी तुलना करें। यहूदा ने अपनी मुहर, डोरी और लाठी तामार के हाथ में छोड़ दी – जो उसके दोष का सबूत था। यूसुफ ने अपनी चादर पोटीफर की पत्नी के हाथ में छोड़ दी – जिसे उसने उसके दोष का सबूत बताने के लिए इस्तेमाल किया, जबकि वास्तव में वह उसकी निर्दोषता का सबूत था।
हालाँकि ‘यहोवा यूसुफ के साथ था’, उसने प्रलोभन का सामना किया और उससे बच निकला, फिर भी उसे भयानक अन्याय सहना पड़ा (19 से आगे) और उसे कैदखाने में डाल दिया गया (20)। उसने अपनी आज़ादी खो दी, लेकिन अपनी आंतरिक स्वतंत्रता नहीं।
यहाँ तक कि जेल में भी यहोवा उसके साथ था। उसने ‘उस पर कृपा की और जेल के अधिकारी की नज़रों में उसे अनुग्रह दिया’ (21)। ‘जेल के प्रमुख ने यूसुफ को सभी कैदियों का प्रभारी बना दिया – वह पूरे संचालन का प्रबंधक बन गया’ (22,) – ‘क्योंकि यहोवा यूसुफ के साथ था और जो कुछ वह करता था उसमें उसे सफलता देता था’ (23)।
आपकी परिस्थितियाँ आदर्श न हों। आप स्वयं को जेल में महसूस कर सकते हैं – चाहे सचमुच जेल में, या नौकरी, स्वास्थ्य समस्या, कठिन रिश्ते या अन्य परिस्थितियों में बंधा हुआ। फिर भी, इन सबके बीच, यदि आप परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य बने रहते हैं, तो आप उसकी उपस्थिति, दूसरों की नज़रों में उसका अनुग्रह, और अपने जीवन पर उसका आशीर्वाद अनुभव कर सकते हैं। यही वह ‘कीमती मोती’ है (मत्ती 13:45–46)। यही दुनिया की सबसे मूल्यवान चीज़ है।
प्रार्थना
प्रभु, धन्यवाद कि जब चीज़ें गलत लग रही हों और परीक्षाएँ व प्रलोभन हों, तब भी मैं जान सकता हूँ कि आप मेरे साथ हैं और अपने जीवन में आपके आशीर्वाद का अनुभव कर सकता हूँ।
पिप्पा भी कहते है
उत्पत्ति 39:1–23
एक अच्छे इंसान को दबाकर नहीं रखा जा सकता। जब सब कुछ गलत हो रहा था, तब भी परमेश्वर यूसुफ के साथ था। उसने ज़रूरी नहीं कि उसे उन परिस्थितियों से तुरंत निकाल लिया हो, लेकिन उसने उनका उपयोग भलाई के लिए किया। परमेश्वर यूसुफ के चरित्र पर काम कर रहा था। यह सब उसकी तैयारी का हिस्सा था।

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संदर्भ
निक्की और पिप्पा गम्बल के साथ बाइबल (जिसे पहले Bible in One Year के नाम से जाना जाता था) © Alpha International 2009। सर्वाधिकार सुरक्षित।
दैनिक बाइबल पाठों का संकलन © Hodder & Stoughton Limited 1988। इसे Bible in One Year के रूप में Hodder & Stoughton Limited द्वारा प्रकाशित किया गया है।
जब तक अन्यथा उल्लेख न किया गया हो, पवित्रशास्त्र के उद्धरण पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनेशनल वर्शन (एंग्लिसाइज़्ड) से लिए गए हैं, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 Biblica, जिसे पहले International Bible Society के नाम से जाना जाता था। इसे Hodder & Stoughton Publishers, जो कि Hachette UK कंपनी है, की अनुमति से प्रयोग किया गया है। सर्वाधिकार सुरक्षित। ‘NIV’ Biblica का पंजीकृत ट्रेडमार्क है। UK ट्रेडमार्क संख्या 1448790।
(AMP) से चिह्नित पवित्रशास्त्र के उद्धरण Amplified® Bible से लिए गए हैं, कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 The Lockman Foundation द्वारा। अनुमति से प्रयुक्त। (www.Lockman.org)
MSG से चिह्नित पवित्रशास्त्र के उद्धरण The Message से लिए गए हैं, कॉपीराइट © 1993, 2002, 2018 Eugene H. Peterson द्वारा। NavPress की अनुमति से प्रयुक्त। सर्वाधिकार सुरक्षित। Tyndale House Publishers द्वारा प्रतिनिधित्व किया गया है।
