दिन 207

उनके विषय में क्या जो विश्वास नहीं करते हैं?

बुद्धि भजन संहिता 89:9-13
नए करार रोमियों 9:1-21
जूना करार होशे 11:12-14:9

परिचय

फरवरी 1974 में, मैं यीशु मसीह से मिला जिससे मेरा जीवन पूरी तरह से बदल गया। मैंने समझा कि वह मेरे लिए मरे। मैंने उनके प्रेम का अनुभव किया। मैं जानता था कि परमेश्वर वास्तविक हैं। मैं यीशु के साथ एक संबंध की असाधारण आशीष को जान पाया। लेकिन लगभग तुरंत ही, इसके बाद मैंने उसका अनुभव किया जो पौलुस इस लेखांश में बताते हैं: 'एक बड़ा शोक...मेरे अंदर अनगिनत दर्द' (रोमियों 9:2, एम.एस.जी.)।

मैंने चाहा कि हर कोई उसे अनुभव करे और जाने, जो मैंने हाल ही में अनुभव किया है। मैंने इच्छा की कि मेरा परिवार और मेरे मित्र मसीह को जाने, जो अब तक मसीह नहीं बने थे।

पौलुस प्रेरित अपने लोगों के विषय में जुझारू रूप से इतनी चिंता करते थे कि वह परमेश्वर और उन लोगों से जिनसे वह प्रेम करते थे, अलग होने के लिए तैयार थे, यदि उनका उद्धार हो जाता। वह लिखते हैं, ' क्योंकि मैं यहाँ तक चाहता था कि अपने भाइयों के लिये जो शरीर के भाव से मेरे कुटुम्बी हैं, स्वंय ही मसीह से शापित हो जाता।' (वव.3-4अ)।

फिर भी पौलुस भरोसा करते थे कि सबकुछ परमेश्वर के नियंत्रण में था। परमेश्वर सार्वभौमिक हैं। वह अपने ब्रहमांड में राज्य और शासन करते हैं।

कैसे हम अपने प्रियजनों के लिए इस वेदना और जूनून को संतुलित रखे, परमेश्वर की सार्वभौमिकता में भरोसे के साथ?

बुद्धि

भजन संहिता 89:9-13

9 तू गरजते समुद्र पर शासन करता है।
 तू उसकी कुपित तरंगों को शांत करता है।
10 हे परमेश्वर, तूने ही राहाब को हराया था।
 तूने अपने महाशक्ति से अपने शत्रु बिखरा दिये।
11 हे परमेश्वर, जो कुछ भी स्वर्ग और धरती पर जन्मी है तेरी ही है।
 तूने ही जगत और जगत में की हर वस्तु रची है।
12 तूने ही सब कुछ उत्तर दक्षिण रचा है।
 ताबोर और हर्मोन पर्वत तेरे गुण गाते हैं।
13 हे परमेश्वर, तू समर्थ है।
 तेरी शक्ति महान है।
 तेरी ही विजय है।

समीक्षा

परमेश्वर का धन्यवाद दीजिए, उनके राज्य और शासन के लिए

हमें सभी प्रश्नों के उत्तर नहीं पता हैं। लेकिन हम जानते हैं कि परमेश्वर अपने ब्रह्मांड को नियंत्रित रखते हैं। यह परमेश्वर का विश्व है। वह आपसे प्रेम करते हैं और आप ना केवल अपने भविष्य के लिए उन पर भरोसा कर सकते हैं, लेकिन इस बात के विषय में भी कि बाकी लोगों का क्या होगा। 'आकाश तेरा है, पृथ्वी भी तेरी है; जगत और जो कुछ उस में है, उसे तू ही ने स्थिर किया है' (व.11)।

ना केवल उन्होंने विश्व का निर्माण किया, लेकिन वह इतिहास में भी कार्य करते हैं। 'समुद्र के गर्व को तू ही तोड़ता है...तेरी भुजा बलवंत है; तेरा हाथ शक्तिमान और तेरा दाहिना हाथ प्रबल है' (वव.9अ, 13)।

' हम जानते हैं कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उनके लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती हैं; अर्थात् उन्हीं के लिये जो उनकी इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं' (रोमियों 8:28)।

प्रार्थना

आप सार्वभौमिक परमेश्वर हैं। आप विश्व के निर्माता हैं, और इतिहास के रचयिता। आपका धन्यवाद क्योंकि मैं भरोसा कर सकता हूँ कि आप मेरे जीवन की परिस्थितियों को पूरी तरह से नियंत्रित कर रहे हैं।

नए करार

रोमियों 9:1-21

परमेश्वर और यहूदी लोग

9मसीह में मैं सच कह रहा हूँ। मैं झूठ नहीं कहता और मेरी चेतना जो पवित्र आत्मा के द्वारा प्रकाशित है, मेरे साथ मेरी साक्षी देती है, 2 कि मुझे गहरा दुःख है और मेरे मन में निरन्तर पीड़ा है। 3 काश मैं चाह सकता कि अपने भाई बहनों और दुनियावी सम्बन्धियों के लिए मैं मसीह का शाप अपने ऊपर ले लेता और उससे अलग हो जाता। 4 जो इस्राएली हैं और जिन्हें परमेश्वर की संपालित संतान होने का अधिकार है, जो परमेश्वर की महिमा का दर्शन कर चुके है, जो परमेश्वर के करार के भागीदार हैं। जिन्हें मूसा की व्यवस्था, सच्ची उपासना और वचन प्रदान किया गया है। 5 पुरखे उन्हीं से सम्बन्ध रखते हैं और मानव शरीर की दृष्टि से मसीह उन्हीं में पैदा हुआ जो सब का परमेश्वर है और सदा धन्य है! आमीन।

6 ऐसा नहीं है कि परमेश्वर ने अपना वचन पूरा नहीं किया है क्योंकि जो इस्राएल के वंशज हैं, वे सभी इस्राएली नहीं है। 7 और न ही इब्राहीम के वंशज होने के कारण वे सब सचमुच इब्राहीम की संतान है। बल्कि जैसा परमेश्वर ने कहा, “तेरे वंशज इसहाक के द्वारा अपनी परम्परा बढ़ाएंगे।” 8 अर्थात यह नहीं है कि प्राकृतिक तौर पर शरीर से पैदा होने वाले बच्चे परमेश्वर के वंशज है, बल्कि परमेश्वर के वचन से प्रेरित होने वाले उसके वंशज माने जाते हैं। 9 वचन इस प्रकार कहा गया था: “निश्चित समय पर मैं लौटूँगा और सारा पुत्रवती होगी।”

10 इतना ही नहीं जब रिबका भी एक व्यक्ति, हमारे पूर्व पिता इसहाक से गर्भवती हुई 11 तो बेटों के पैदा होने से पहले और उनके कुछ भी भला बुरा करने से पहले कहा गया था जिससे परमेश्वर का वह प्रयोजन सिद्ध हो जो चुनाव से सिद्ध होता है। 12 और जो व्यक्ति के कर्मों पर नहीं टिका बल्कि उस परमेश्वर पर टिका है जो बुलाने वाला है। रिबका से कहा गया, “बड़ा बेटा छोटे बेटे की सेवा करेगा।” 13 शास्त्र कहता है: “मैंने याकूब को चुना और इसाऊ को नकार दिया।”

14 तो फिर हम क्या कहें? क्या परमेश्वर अन्यायी है? 15 निश्चय ही नहीं! क्योंकि उसने मूसा से कहा था, “मैं जिस किसी पर भी दया करने की सोचूँगा, दया दिखाऊँगा। और जिस किसी पर भी अनुग्रह करना चाहूँगा, अनुग्रह करूँगा।”

16 इसलिए न तो यह किसी की इच्छा पर निर्भर करता है और न किसी की दौड़ धूप पर बल्कि दयालु परमेश्वर पर निर्भर करता है। 17 क्योंकि शास्त्र में परमेश्वर ने फिरौन से कहा था, “मैंने तुझे इसलिए खड़ा किया था कि मैं अपनी शक्ति तुझ में दिखा सकूँ। और मेरा नाम समूची धरती पर घोषित किया जाये।” 18 सो परमेश्वर जिस पर चाहता है दया करता है और जिसे चाहता है कठोर बना देता है।

19 तो फिर तू शायद मुझ से कहे, “यदि हमारे कर्मों का नियन्त्रण करने वाला परमेश्वर है तो फिर भी वह उसमें हमारा दोष क्यों समझता है?” आखिरकार उसकी इच्छा का विरोध कौन कर सकता है? 20 मनुष्य तू कौन होता है जो परमेश्वर को उलट कर उत्तर दे? क्या कोई रचना अपने रचने वाले से पूछ सकती है, “तूने मुझे ऐसा क्यों बनाया?” 21 क्या किसी कुम्हार की मिट्टी पर यह अधिकार नहीं है कि वह किसी एक लौंदे से एक बरतनों विशेष प्रयोजन के लिए और दूसरा हीन प्रयोजन के लिए बनाये?

समीक्षा

उनकी दया और करुणा

'यह सही नही है' यह ना केवल बच्चों की पुकार है, लेकिन बहुत से वयस्क लोगों की भी जो मसीह विश्वास को समझते हैं।

अध्याय 8 के अंत में पत्रियों के 'उच्चतम स्तर' पर पहुंचकर, पौलुस अध्याय 9-11 में इस्राएल के वंश के बारे में बताते हैं। पौलुस ने यह नहीं सोचा कि एक मसीह बनना यहूदीपन से परिवर्तित हो जाना है। इसके बजाय, उन्होंने सोचा कि यह सच्चे इस्राएली और अब्राहम की सच्ची संतान बनने का एक भाग है। पौलुस के लिए, यह बिल्कुल व्यक्तिगत था। वे उनके परिवार थे। वह उनके साथ पले-बड़े थे। उन्होंने कहा कि 'उन्हें बड़ा शोक देखा और उनका मन सदा दुखता रहता है' (व.2)।

कुछ लोग सलाह देते हैं कि किसी के एक मसीह बन जाने के बाद जीवन में कोई शोक नहीं होगा। लेकिन पौलुस के लिए, महान आनंद के साथ महान शोक और दर्द भी आया। यह एक विचित्र विडंबना है। आप भी शायद अपने परिवार के सदस्यों या मित्रों के विषय में शोक महसूस करते हैं, जो शायद से राज्य से बाहर है, या जब लोग यीशु को नकार देते हैं।

पौलुस ने उनके उद्धार के लिए इतनी चिंता की कि वह ना केवल उनके लिए मरने के लिए तैयार थे बल्कि 'मसीह से शापित हो जाएं' (व.3) – पौलुस के लिए आतंक।

मूसा ने भी ऐसी प्रार्थना की जब उन्होंने लोगों के लिए प्रार्थना की, जिन्होंने परमेश्वर के विरूद्ध पाप किया थाः'तब भी अब तू उनका पाप क्षमा कर – नहीं तो अपनी लिखी हुई पुस्तक में से मेरे नाम को काट दे' (निर्गमन 32:32)। परमेश्वर ने ना तो मूसा (वव.33-34अ) या पौलुस का प्रस्ताव और बलिदान स्वीकार किया क्योंकि दोनों में से किसी का भी जीवन उनके लोगों के पापों के लिए प्रायश्चित्त न ठहरता।

यह केवल पापरहित यीशु का जीवन था, जो यह कर सकता था। यीशु हमारे लिए 'श्रापित होने और काट दिए जाने' के लिए तैयार थे (रोमियो 9:3)। वह ना केवल इच्छुक थे; उनका बलिदान स्वीकार किया गया और यह प्रभावी था। हम इसमें कुछ भी नहीं जोड़ सकते हैं।

फिर भी, पौलुस के लिए यह बहुत दुख की बात है कि, वह समझते हैं कि उनके बहुत से लोगों ने छुटकारे और क्षमा के इस असाधारण उपहार को नकार दिया है। परमेश्वर ने उन्हें (और हमें) सबकुछ दिया है – और फिर वे इसे नकारना चुन सकते हैं।

पौलुस को यह बात ज्यादा दुखी करती है कि वे परमेश्वर के चुने हुए लोग हैं। परमेश्वर ने अपनी सार्वभौमिकता में इस्राएल के लोगों को चुना हैः'वे इस्राएली हैं, और लेपालकपन का अधिकारी और महिमा और वाचाएँ और व्यवस्था और उपासना और प्रतिज्ञाएँ उन्हीं की हैं। पुरखे भी उन्हीं के हैं, और मसीह भी शरीर के भाव से उन्हीं में से हुआ। सब के ऊपर परम परमेश्वर युगानुयुग धन्य हो। आमीन' (वव.4ब -5, एम.एस.जी)।

उस सामाजिक स्तर के कारण वह जलते हुए प्रश्न का सामना करते हैं, जिसने अवश्य ही उनकी सेवकाई के दौरान उन्हें परेशान किया होगाः'क्या परमेश्वर का वायदा असफल हो गया?' उनका उत्तर है, 'नहीं, यह नहीं हुआ।' तो स्पष्टीकरण क्या है?

उनका पहला उत्तर है, 'क्या आपने कभी ध्यान नहीं दिया कि परमेश्वर ने कभी भी अब्राहम की सभी संतानों से वायदा नहीं किया?' फिर वह दो उदाहरण देते हैं, एक इसहाक जिसकी तुलना उनके भाई से की गई (वव.6-9), दूसरा याकूब जो इसाव के विरूद्ध था (वव.10-13)। दोनों ही मामले में प्रतिज्ञा एक से की गई थी दूसरे से नहीं।

क्या यह सही है? क्या इससे शिकायत कर सकते हैं कि परमेश्वर अन्यायी हैं? (व.14अ, एम.एस.जी)। उनका उत्तर यह है कि यदि कोई कहता है कि परमेश्वर अन्यायी हैं, तो वे परमेश्वर को नहीं जानते हैं।

चुनाव की शिक्षा परमेश्वर की दया पर आधारित हैः 'मैं जिस किसी पर दया करना चाहूँ उस पर दया करूँगा, और जिस किसी पर कृपा करना चाहूँ उसी पर कृपा करूँगा।' अत: यह न तो चाहने वाले की, न दौडने वाले की परन्तु दया करने वाले परमेश्वर की बात है' (वव.15-16, एम.एस.जी.)। शब्द 'दया' और 'करुणा' सात बार दिखाई देते हैं (वव.14-18, एम.एस.जी.)। आप अपने भविष्य के विषय में और अपने प्रियजनों के विषय में परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं। वह पूर्ण नियंत्रण में हैं। यह उनका सार्वभौमिक उत्तरदायित्व है।

बाईबल आगे प्रश्नों के उत्तर देती है। यह परमेश्वर की महान करुणा और उनके न्याय के बारे में बताती है। यह चुनाव और स्वेच्छा दोनों को सिखाती है। स्वेच्छा का अर्थ है हम अपने चुनावों के लिए जिम्मेदार हैं। अक्सर बाईबल में सच्चाई एक तरफा या दूसरी तरफ नहीं है, नाही बीच में है, लेकिन एक ही समय में दोनों ओर है। यह एक रहस्य नहीं है जो बाईबल हमारे लिए सुलझाती है – ऐसी कुछ चीजें हैं जिनके विषय में हमें भजनसंहिता के लेखक के साथ निष्कर्ष निकालना होगा, 'ऐसा ज्ञान मेरे लिए बहुत ही अद्भुत है' (भजनसंहिता 139:6)। हमें एक ही समय में चुनाव और स्वेच्छा की सच्चाई को लेना होगा।

प्रार्थना

परमेश्वर, आपका धन्यवाद क्योंकि आप प्रेमी और दयालु हैं, क्रोध करने में धीमे और प्रेम में धनी हैं। आपका धन्यवाद क्योंकि आप हमारे लिए क्रूस पर मर गए, ताकि जो कोई आप पर विश्वास करते हैं वह मुक्त हो जाएँ। मेरी सहयता कीजिए कि आप पर भरोसा करुँ तब जब मेरी समझ काम नहीं करती है।

जूना करार

होशे 11:12-14:9

12 “एप्रैम ने मुझे झूठे देवताओं से ढक दिया।
इस्राएल के लोगों ने रहस्मयी योजनायें रच डालीं।
किन्तु अभी भी यहूदा एल के साथ था।
यहूदा पवित्रों के प्रति सच्चा था।”

यहोवा इस्राएल के विरूद्ध है

12एप्रैम अपना समय नष्ट करता रहता है। इस्राएल सारे दिन, “हवा के पीछे भागता रहता है।” लोग अधिक से अधिक झूठ बोलते रहते हैं, वे अधिक से अधिक चोरियाँ करते रहते हैं। अश्शूर के साथ उन्होंने सन्धि की हुई है और वे अपने जैतून के तेल को मिस्र ले जा रहे हैं।

2 यहोवा कहता है, “इस्राएल के विरोध में मेरा एक अभियोग है। याकूब ने जो कर्म किये हैं, उसे उनके लिये दण्ड दिया जाना चाहिये। अपने किये कुकर्मो के लिये, उसे निश्चय ही दण्ड दिया जाना चाहिये। 3 अभी याकूब अपनी माता के गर्भ में ही था कि उसने अपने भाई के साथ चालबाजियाँ शुरू कर दीं। याकूब एक शक्तिशाली युवक था और उस समय उसने परमेश्वर से युद्ध किया। 4 याकूब ने परमेश्वर के स्वर्गदूत से कुश्ती लड़ी और उससे जीत गया। उसने पुकारा और कृपा करने के लिये विनती की। यह बेतेल में घटा था। उसी स्थान पर उसने हमसे बातचीत की थी। 5 हाँ, यहोवा सेनाओं का परमेश्वर है। उसका नाम यहोवा है। 6 सो अपने परमेश्वर की ओर लौट आओ। उसके प्रति सच्चे बनो। उचित कर्म करो! अपने परमेश्वर पर सद भरोसा रखो!

7 “याकूब एक सचमुच का व्यापारी है। वह अपने मित्रों तक को छलता है! उसकी तराजू तक झूठी है। 8 एप्रैम ने कहा, ‘मैं धनवान हूँ! मैंने सच्ची सम्पत्ति पा ली है। मेरे अपराधों का किसी व्यक्ति को पता नहीं चलेगा। मेरे पापों को कोई व्यक्ति जान ही नहीं पायेगा।’

9 “किन्तु मैं तो तभी से तुम्हारा परमेश्वर यहोवा रहा हूँ जब तुम मिस्र की धरती पर हुआ करते थे। मैं तुझे तम्बुओं में वैसे ही रखा करूँगा जैसे तू मिलाप के तम्बू के अवसर पर रहा करता था। 10 मैंने नबियों से बात की। मैंने उन्हें अनेक दर्शन दिये। मैंने नबियों को तुम्हें अपने पाठ पढ़ाने के बहुत से तरीके दिये। 11 किन्तु गिलाद में फिर भी पाप है। वहाँ व्यर्थ की अनेक वस्तुएँ हैं। गिलाद में लोग बैलों की बलियाँ अर्पित करते हैं। उनकी बहुत सी वेदियाँ इस प्रकार की हैं, जैसे जुते हुए खेत में मिट्टी की पंक्तियाँ हो।

12 “याकूब आराम की ओर भाग गया था। इस स्थान पर इस्राएल (याकूब) ने पत्नी के लिये मजदूरी की थी। दूसरी पत्नी प्राप्त करने के लिये उसने मेढ़े रखी थी। 13 किन्तु यहोवा एक नबी के द्वारा इस्राएल को मिस्र से ले आया। यहोवा ने एक नबी के द्वारा इस्राएल को सुरक्षित रखा। 14 किन्तु एप्रैम ने यहोवा को बहुत अधिक कुपित कर दिया। एप्रैम ने बहुत से लोगों को मार डाला। सो उसके अपराधों के लिये उसको दण्ड दिया जायेगा। उसका स्वामी (यहोवा) उससे उसकी लज्जा सहन करवायेगा।”

इस्राएल ने अपना नाश स्वयं किया

13“एप्रैम ने स्वयं को इस्राएल में अत्यन्त महत्वपूर्ण बना लिया। एप्रैम जब बोला करता था, तो लोग भय से थरथर काँपा करते थे किन्तु एप्रैम ने पाप किये उसने बाल को पूजना शुरू कर दिया। 2 फिर इस्राएल अधिक से अधिक पाप करने लगा। उन्होंने अपने लिये मूर्तियाँ बनाई। कारीगर चाँदी से उन सुन्दर मूर्तियों को बनाने लगे और फिर वे लोग अपनी उन मूर्तियों से बाते करने लगे! वे लोग उन मूर्तियों के आगे बलियाँ चढ़ाते हैं। सोने से उन बछड़ों को वे चूमा करते हैं। 3 इसी कारण वे लोग शीघ्र ही नष्ट हो जायेंगे। वे लोग सुबह की उस धुंध के समान होंगे जो आती है और फिर शीघ्र ही गायब हो जाती है। इस्राएली उस भूसे के समान होंगे जिसे खलिहान में उड़ाया जाता है। इस्राएली उस धुँए के समान होंगे जो किसी चिमनी से उठता है और लुप्त हो जाता है।

4 “तुम जब मिस्र में हुआ करते थे, मैं तभी से तुम्हारा परमेश्वर यहोवा रहा हूँ। मुझे छोड़ तुम किसी दुसरे परमेश्वर को नहीं जानते थे। वह मैं ही हूँ जिसने तुम्हें बचाया था। 5 मरूभूमि में मैं तुम्हें जानता था उस सूखी धरती पर मैं तुम्हें जानता था। 6 मैंने इस्राएलियों को खाने को दिया। उन्होंने वह भोजन खाया। अपना पेट भर कर वे तृप्त हो गये। उन्हें अभिमान हो गया और वे मुझे भूल गये!

7 “मैं इसीलिये उनके लिये सिंह के समान बन जाऊँगा। मैं राह किनारे घात लगाये चीता जैसा हो जाऊँगा। 8 मैं उन पर उस रींछनी की तरह झपट पड़ूँगा, जिससे उसके बच्चे छीन लिये गये हों। मैं उन पर हमला करूँगा। मैं उनकी छातियाँ चीर फाड़ दूँगा। मैं उस सिंह या किसी दूसरे ऐसे हिंसक पशु के समान हो जाऊँगा जो अपने शिकार को फाड़ कर खा रहा होता है।”

परमेश्वर के कोप से इस्राएल को कोई नहीं बचा सकता

9 “हे इस्राएल, मैंने तेरी रक्षा की थी, किन्तु तूने मुझसे मुख मोड़ लिया है। सो अब मैं तेरा नाश करूँगा! 10 कहाँ है तेरा राजा तेरे सभी नगरों में वह तुझे नहीं बचा सकता है! कहाँ है तेरे न्यायाधीश तूने उनसे यह कहते हुए याचना की थी, ‘मुझे एक राजा और अनेक प्रमुख दो।’ 11 मैं क्रोधित हुआ और मैंने तुम्हें एक राजा दे दिया। मैं और अधिक क्रोधित हुआ और मैंने तुमसे उसे छीन लिया।

12 “एप्रैम ने निज अपराध छिपाने का जतन किया;
 उसने सोचा था कि उसके पाप गुप्त हैं।
 किन्तु उन बातों के लिये उसको दण्ड दिया जायेगा।
13 उसका दण्ड ऐसा होगा जैसे कोई स्त्री प्रसव पीड़ा भोगती है;
 किन्तु वह पुत्र बुद्धिमान नहीं होगा
 उसकी जन्म की बेला आयेगी
 किन्तु वह पुत्र बच नहीं पायेगा।

14 “क्या मैं उन्हें कब्र की शक्ति से बचा लूँ?
 क्या मैं उनको मृत्यु से मुक्त करा लूँ?
 हे मृत्यु, कहाँ है तेरी व्याधियाँ?
 हे कब्र, तेरी शक्ति कहाँ है?
 मेरी दृष्टी से करूणा छिपा रहेगी!
15 इस्राएल निज बंधुओं के बीच बढ़ रहा है किन्तु पवन पुरवाई आयेगी।
 वह यहोवा को आंधी मरूस्थल से आयेगी,
 और इस्राएल के कुएँ सूखेंगे।
 उसका पानी का सोता सूख जायेगा।
 वह आँधी इस्राएल के खजाने से हर मूल्यवान वस्तु को ले जायेगी।
16 शोमरोन को दण्ड दिया जायेगा
 क्योंकि उसने अपने परमेश्वर से मुख फेरा था।
 इस्राएली तलवारों से मार दिये जायेंगे
 उनकी संतानों के चिथड़े उड़ा दिये जायेंगे।
 उनकी गर्भवती स्त्रियाँ चीर कर खोल दी जायेंगी।”

यहोवा की ओर मुड़ना

14हे इस्राएल, तेरा पतन हुआ और तूने परमेश्वार के विरूद्ध पाप किया। इसलिये अब तू अपने परमेश्वार यहोवा की ओर लौट आ। 2 जो बातें तुझे कहनी हैं, उनके बारे में सोच और यहोवा की ओर लौट आ। उससे कह,

 “हमारे पापों को दूर कर
 और उन अच्छी बातों को स्वीकार कर जिन्हें हम कर रहे हैं।
 हम अपने मुख से तेरी स्तुति करेंगे।”
3 अश्शूर हमें बचा नहीं पायेगा।
 हम घोड़ों पर सवारी नहीं करेंगे।
 हम फिर अपने ही हाथों से बनाई हुई वस्तुओं को,
 “अपना परमेश्वार” नहीं कहेंगे।
 क्यों? क्योंकि बिना माँ—बाप के अनाथ बच्चों पर
 दया दिखाने वाला बस तू ही है।

यहोवा इस्राएल को क्षमा करेगा

4 यहोवा कहता है, “उन्होंने मुझे त्याग दिया।
 मैं उन्हें इसके लिये क्षमा कर दूँगा।
 मैं उन्हें मुक्त भाव से प्रेम करुँगा।
 मैं अब उन पर क्रोधित नहीं हूँ।
5 मैं इस्राएल के निमित्त ओस सा बनूँगा।
 इस्राएल कुमुदिनी के फूल सा खिलेगा।
 उसकी बढ़वार लबानोन के देवदार वृक्षों सी होगी।
6 उसकी शाखायें जैतून के पेड़ सी बढ़ेंगी
 वह सुन्दर हो जायेगा।
 वह उस सुगंध सा होगा जो
 लबानोन के देवदार वृक्षों से आती है।
7 इस्राएल के लोग फिर से मेरे संरक्षण में रहेंगे।
 उनकी बढ़वार अन्न की होगी,
 वे अंगूर की बल से फलें—फूलेंगे।
 वे ऐसे सर्वप्रिय होंगे जैसे लबनोन का दाखमधु है।”

इस्राएल को मूर्तियों के विषय में यहोवा की चेतावनी

8 “हे एप्रैम, मुझ यहोवा को इन मूर्तियों से कोई सरोकार नहीं है।
मैं ही ऐसा हूँ जो तुम्हारी प्रार्थनाओं का उत्तर देता हूँ और तुम्हारी रखवाली करता हूँ।
 मैं हरे—भरे सनोवर के पेड़ सा हूँ।
 तुम्हारे फल मुझसे ही आते हैं।”

अन्तिम सम्मति

9 ये बातें बुद्धिमान व्यक्ति को समझना चाहिये,
 ये बातें किसी चतुर व्यक्ति को जाननी चाहियें।
 यहोवा की राहें उचित है।
 सज्जन उसी रीति से जीयेंगे;
 और दुष्ट उन्हीं से मर जायेंगे।

समीक्षा

पाप से मुड़कर परमेश्वर के पास आईये

आपके लिए परमेश्वर का प्रेम बिना शर्त का है। वह इसलिए हमसे प्रेम नहीं करते हैं क्योंकि हम इसके योग्य थे या हमने इसे कमाया। वह मुक्त रूप से आपसे प्रेम करते हैं (14:4)। वह हमारी बेईमानी को चंगा करना चाहते हैं। परमेश्वर के बिना शर्त के प्रेम में सामर्थ है हमारे पापों को क्षमा करने की, हमारे घावों को चंगा करने की और हमारे टूटे हृदय को जोड़ने की।

परमेश्वर हमें कहते हैं कि पाप से मुड़कर उनके प्रेम के पास वापस आ जाओः'इसलिये तू अपने परमेश्वर की ओर फिर; कृपा और न्याय के काम करता रह, और अपने परमेश्वर की बाट निरंतर जोहता रह' (12:6, ए.एम.पी.)। यह होशे के संदेश को व्यक्त करता है।

परमेश्वर उनके लोगों को प्रायश्चित्त करने के लिए कहते हैं (14:1-2) और वायदा करते हैं, 'मैं उनकी भटक जाने की आदत को दूर करुँगा; मैं सेंतमेंत उन से प्रेम करुँगा...मैं एक नई शुरुवात करुँगा...मुझ से ही तू फल पाया करेगा' (वव.4-8, एम.एस.जी.)।

इस्राएल के पाप इक्कीसवीं शताब्दी के पापों से बहुत अलग नहीं थे। उदाहरण के लिए, शहर में वहाँ पर छल थाः'वह व्यापारी हैं, और उनके हाथ में छल का तराजू है; अंधेर करना ही उसको भाता है' (12:7, एम.एस.जी)। लोग अपने धन में सुरक्षा के खोजी थे। 'एप्रैम कहता है, 'मैं धनी हो गया, मैंने संपत्ति प्राप्त की है; मेरे किसी काम में ऐसी बुराई नही पायी गयी जिससे पाप लगे' (व.8)।

जब परमेश्वर आशीष देते हैं, तब हम संतुष्ट बन जाते हैं (13:6अ)। जब हम संतुष्ट हो जाते हैं तब हम घमंडी बन जाते हैं (व.6ब)। तब हम परमेश्वर को भूल जाते हे (व.6क)। हम इस श्रृंखला को अपने देश में और अपने खुद के जीवन में देखते हैं:

'परंतु जब इस्राएली चराए जाते थे और वे तृप्त हो गए, तब तृप्त होने पर उनका मन घमंड से भर गया; इस कारण वे मुझ को भूल गए' (व.6, एम.एस.जी)।

उनके पापों के बावजूद, परमेश्वर ने छुटकारे का वायदा कियाः'मैं उसको अधोलोक के वश से छुड़ा लूँगा और मृत्यु से उसको छुटकारा दूंगा। हे मृत्यु, तेरी मारने की शक्ति कहाँ रही? हे अधोलोक, तेरी नष्ट करने की शक्ति कहां रही?' (व.14, 1कुरिंथियो 15:55 भी देखें)। यीशु के द्वारा, मृत्यु ने हमारे जीवन पर से इसकी सामर्थ को खो दिया है। जब हम परमेश्वर की ओर फिरते हैं तो वह वायदा करते हैं कि हम फूले-फलेंगे और उन्ही से हम फल पाया करेंगे (होशे 14:7,8)।

प्रार्थना

परमेश्वर, कृपया मेरे पापों को क्षमा करिए, अनुग्रही रूप से मुझे ग्रहण कीजिए, मेरे भटकने की आदत को चंगा कीजिए और मुक्त रूप से मुझसे प्रेम कीजिए। मेरी कीर्ति दाखमधु की सी कीजिए और मुझे फलदायी बनाईये।

पिप्पा भी कहते है

होशे 14:4

'मैं उनकी भटक जाने की आदत को दूर करॅंगा; मैं सेंतमेंत उनसे प्रेम करुँगा।'

मुक्त रूप से प्रेम किया जाना अद्भुत बात है, जब हम परमेश्वर से इस प्रेम का अनुभव करते हैं, तब यह हमारे हृदय को बदलता है।

इसके द्वारा, परमेश्वर ने भटक जाने की आदत को काफी दूर किया है लेकिन अब भी थोड़ा बाकी है!

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संदर्भ

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

एक साल में बाइबल

  • एक साल में बाइबल

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