कभी हार मत मानिए
परिचय
सर विंसन चर्चिल का वर्णन ब्रिटेन के महान लीडर के रूप में किया जाता है। उन्होंने एक लंबा, वीर जीवन जीया और उनके उत्साहित करने वाले शब्द ने-आडंबर के साथ एक देश का समर्थन किया। उनकी आत्मकथा का एक बहुत ही उल्लेखनीय भाग है कि प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान डार्डेनल कैम्पेन की असफलता के कारण उन्हें सेना अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा। वह शानदार रूप से असफल हुए थे, फिर भी उन्होंने हार मानना नहीं सीखा।
वीर एक बार, जब अपने पुराने विद्यालय, हारो में गए, लड़को से बातचीत करने के लिए पूरा विद्यालय उनके बुद्धि के वचन को सुनने के लिए इकट्ठा हुआ। महान व्यक्ति बोलने के लिए उठेः'युवाओ; कभी हार मत मानो, हार मत मानो, हार मत मानो, हार मत मानो।' संपूर्ण भाषण केवल कुछ ही सेकंड का था। फिर वह बैठ गए। वहाँ पर उपस्थित लोग कभी उनके वचनो को नहीं भूले।
यह कहानी का प्रसिद्ध भाग है। चर्चिल ने सच में इसके लिए शब्द कहे, लेकिन एक लंबे भाषण के भाग के रूप में। भाषण के अंत में उन्होंने कहा, 'कभी हार मत मानो, कभी हार मत मानो। कभी नहीं, कभी नहीं, कभी नहीं, कभी नहीं – किसी भी चीज में, बड़ा या छोटा – कभी हार मत मानो, सम्मान और अच्छाई के अलावा। कभी भी बल के सामने मत झुको। शत्रु सी दिखने वाली सामर्थ के सामने कभी मत झुको।'
आज की पीढ़ी में, हमारे जीवन इतने तात्कालिक हैं कि जिस चीज में धीरज से रुकने की आवश्यकता है वह अनाकर्षित लगती है। हमें तुरंत प्रतिफल और तुरंत परिणाम चाहिए। लेकिन कभी कभी बड़ा प्रतिफल लंबे समय में प्राप्त होता है।
नीतिवचन 23:10-18
कहावत 11
10 पुरानी सम्पत्ति की सीमा जो चली आ रही हो, उसको कभी मत हड़प। ऐसी जमीन को जो किसी अनाथ की हो। 11 क्योंकि उनका संरक्षक सामर्थ्यवान है, तेरे विरुद्ध उनका मुकदमा वह लड़ेगा।
कहावत 12
12 तू अपना मन सीख की बातों में लगा। तू ज्ञानपूर्ण वचनों पर कान दे।
कहावत 13
13 तू किसी बच्चे को अनुशासित करने से कभी मत रूक यदि तू कभी उसे छड़ी से दण्ड देगा तो वह इससे कभी नहीं मरेगा।
14 तू छड़ी से पीट उसे और उसका जीवन नरक से बचा ले।
कहावत 14
15 हे मेरे पुत्र, यदि तेरा मन विवेकपूर्ण रहता है तो मेरा मन भी आनन्दपूर्ण रहेगा। 16 और तेरे होंठ जब जो उचित बोलते हैं, उससे मेरा अर्न्तमन खिल उठता है।
कहावत 15
17 तू अपने मन को पापपूर्ण व्यक्तियों से ईर्ष्या मत करने दे, किन्तु तू यहोवा से डरने का जितना प्रयत्न कर सके, कर।
18 एक आशा है, जो सदा बनी रहती है और वह आशा कभी नहीं मरती।
समीक्षा
कभी भी जोशीला होना मत छोड़ो
' तू पापियों के विषय मन में डाह न करना, दिन भर यहोवा का भय मानते रहना। क्योंकि अन्त में फल होगा, और तेरी आशा न टूटेगी' (वव.17-18)।
संत पौलुस ने कुछ ऐसा ही लिखाः' प्रयत्न करने में आलसी न हो; आत्मिक उन्माद में भरे रहो; प्रभु की सेवा करते रहो' (रोमियो 12:11)। हमें उतना ही जोशीला होना है जितना हम तब थे जब पहली बार यीशु से मिले थे। जैसा कि बिअर ग्रिल कहते हैं, 'सबसे जोशीले व्यक्ति बनो। जब समय कठिन होता है, तब जोश आपको बनाए रखता है, आपके आस-पास के लोगों को उत्साहित करता है और पूरी तरह से संक्रामक है।'
सालों पहले, मैंने नीतिवचन में इन वचनो के आगे मार्जिन में लिखाः ' मैं लोगों (उस समय काम पर मेरे सहकर्मी) और उनके काम के प्रति इर्ष्या महसूस कर रहा हूँ। यह मेरे लिए परमेश्वर का वचन है – ईर्ष्या न करुँ, इसके बजाय उनके लिए जोश से भरा रहूँ – और वह 'एक उज्ज्वल भविष्य' का वायदा करते हैं' (नीतिवचन 23:18, जी.एन.बी)। परमेश्वर की स्तुति हो वह वायदा मेरे काम पर लागू होता है।'
प्रार्थना
परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि जोश में कभी कम न हूँ, बल्कि आत्मिक उन्माद को बनाए रखूं। आपका धन्यवाद कि आप मुझसे 'एक उज्जवल भविष्य' का वायदा करते हैं।
गलातियों 6:1-18
एक दूसरे की सहायता करो
6हे भाईयों, तुममें से यदि कोई व्यक्ति कोई पाप करते पकड़ा जाए तो तुम आध्यात्मिक जनों को चाहिये कि नम्रता के साथ उसे धर्म के मार्ग पर वापस लाने में सहायता करो। और स्वयं अपने लिये भी सावधानी बरतो कि कहीं तुम स्वयं भी किसी परीक्षा में न पड़ जाओ। 2 परस्पर एक दूसरे का भार उठाओ। इस प्रकार तुम मसीह की व्यवस्था का पालन करोगे। 3 यदि कोई व्यक्ति महत्त्वपूर्ण न होते हुए भी अपने को महत्त्वपूर्ण समझता है तो वह अपने को धोखा देता है। 4 अपने कर्म का मूल्यांकन हर किसी को स्वयं करते रहना चाहिये। ऐसा करने पर ही उसे अपने आप पर, किसी दूसरे के साथ तुलना किये बिना, गर्व करने का अवसर मिलेगा। 5 क्योंकि अपना दायित्त्व हर किसी को स्वयं ही उठाना है।
जीवन खेत-बोने जैसा है
6 जिसे परमेश्वर का वचन सुनाया गया है, उसे चाहिये कि जो उत्तम वस्तुएँ उसके पास हैं, उनमें अपने उपदेशक को साझी बनाए।
7 अपने आपको मत छलो। परमेश्वर को कोई बुद्धू नहीं बना सकता क्योंकि जो जैसा बोयेगा, वैसा ही काटेगा। 8 जो अपनी काया के लिए बोयेगा, वह अपनी काया से विनाश की फसल काटेगा। किन्तु जो आत्मा के खेत में बीज बोएगा, वह आत्मा के द्वारा अनन्त जीवन की फसल काटेगा। 9 इसलिए आओ हम भलाई करते कभी न थकें, क्योंकि यदि हम भलाई करते ही रहेंगे तो उचित समय आने पर हमें उसका फल मिलेगा। 10 सो जैसे ही कोई अवसर मिले, हमें सभी के साथ भलाई करनी चाहिये, विशेषकर अपने धर्म-भाइयों के साथ।
पत्र का समापन
11 देखो, मैंने तुम्हें स्वयं अपने हाथ से कितने बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है। 12 ऐसे लोग जो शारीरिक रूप से अच्छा दिखावा करना चाहते हैं, तुम पर ख़तना कराने का दबाव डालते हैं। किन्तु वे ऐसा बस इसलिए करते हैं कि उन्हें मसीह के क्रूस के कारण यातनाएँ न सहनीं पड़ें। 13 क्योंकि वे स्वयं भी जिनका ख़तना हो चुका है, व्यवस्था के विधान का पालन नहीं करते किन्तु फिर भी वे चाहते हैं कि तुम ख़तना कराओ ताकि वे तुम्हारे द्वारा इस शारीरिक प्रथा को अपनाए जाने पर डींगे मार सकें।
14 किन्तु जिसके द्वारा मैं संसार के लिये और संसार मेरे लिये मर गया, प्रभु यीशु मसीह के उस क्रूस को छोड़ कर मुझे और किसी पर गर्व न हो। 15 क्योंकि न तो ख़तने का कोई महत्त्व है और न बिना ख़तने का। यदि महत्त्व है तो वह नयी सृष्टि का है। 16 इसलिए जो लोग इस धर्म-नियम पर चलेंगे उन पर, और परमेश्वर के इस्राएल पर शांति तथा दया होती रहे।
17 पत्र को समाप्त करते हुए मैं तुमसे विनती करता हूँ कि अब मुझे कोई और दुख मत दो। क्योंकि मैं तो पहले ही अपने देह में यीशु के घावों को लिए घूम रहा हूँ।
18 हे भाईयों, हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम्हारी आत्माओं के साथ बना रहे। आमीन!
समीक्षा
कभी भी भलाई करना बंद मत करिए
' हम भले काम करने में साहस न छोड़ें, क्योंकि यदि हम ढीले न हों तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे' (व.9)।
जैसे ही पौलुस इस पत्र के समापन पर पहुंचे, उन्होंने गलातियों को उत्साहित किया कि एक दल के रूप में एक साथ काम करो। यदि कोई रास्ते से भटक रहा है, तो नम्रता से उन्हें वापस लाने का प्रयास करो (व.1अ)। ' अपनी भी चौकसी रखो कि तम भी परीक्षा में न पड़ो' (व.1ब)। आप अपने जीवन के लिए उत्तरदायी हैं:'हर एक अपने ही काम को जाँच ले... क्योंकि हर एक व्यक्ति अपना ही बोझ उठाएगा' (वव.4-5)।
हम पर समूह के दूसरे सदस्यों की भी जिम्मेदारी हैः' तुम एक दूसरे का भार उठाओ और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो' (व.2)।
पौलुस अनुमान लगाते हैं कि हम सब पर बोझ हैं। इस्तेमाल किए गए शब्द का अर्थ है 'भारी बोझ।' यह एक व्यापक शब्द है जिसमें कष्ट, बीमारी, भौतिक अपंगता, शोक, दुख, चिंता, उत्तरदायित्व (आर्थिक और दूसरे), प्रलोभन, गलती, संदेह, कमजोरी और असफलताएँ (नैतिक और दूसरे) शामिल हैं। दूसरे शब्दों में, इसमें कोई भी और हर बोझ शामिल है जो उठाना कठिन है।
मानवीय मित्रता के द्वारा यीशु आपके इन बोझों को उठाते हैं। इसी तरह से तीतुस ने पौलुस के बोझों को उठाने में सहायता की।
मुझे आत्मनिर्भर होना और स्वयं-सक्षम होना पसंद है, दूसरों पर निर्भर न रहना, लेकिन मैं आपके लिए एक बोझ बनने और आप मेरे लिए एक बोझ बनने के लिए डिजाईन किए गए हैं:' तुम एक दूसरे का भार उठाओ और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो' (व.2)।
मैं केवल यह कह सकता हूँ कि मेरे जीवन में मैं उन करीबी मित्रों का बहुत आभारी हूँ जिनके साथ हम नियमित रूप से बात करते हैं और प्रार्थना करते हैं, जिन्होंने ऐसे समय में हमारी सहायता की है, जब अकेले बोझ उठाना हमारे लिए बहुत भारी लगता था। हम एक साथ बहुत सी चीजों से गुजरे। हमने साथ साथ कष्ट उठाया और साथ साथ आनंद मनाया। भार को फैलाने में इन सभी चीजों ने सहायता की है।
समूह का लक्ष्य है अच्छे बीज बोते रहना। 'मनुष्य जो कुछ बोता है वही काटेगा। क्योंकि जो अपने शरीर के लिये बोता है, वह शरीर के द्वारा विनाश की कटनी काटेगा; और जो आत्मा के लिये बोता है, वह आत्मा के द्वारा अनन्त जीवन की कटनी काटेगा' (वव.7-8)।
इसलिए, संत पौलुस ने गलातियों को लिखा, 'हार मत मानो' (व.9)। भलाई करने में थक जाने का प्रलोभन आता है। लेकिन वायदा यह है कि आप एक फसल को काटेंगे यदि आप हार नहीं मानेंगे। सभी के साथ भलाई करने के हर अवसर का लाभ लो, ' विशेष करके विश्वासी भाइयों के साथ' (व.10)।
आस-पास बहुत सी निराशाएँ हैं। हार मानने का बहुत प्रलोभन आता है। जब आप एक बीज बोते हैं, तब आप तुरंत परिणामों को नहीं देखते हैं; इसमें समय लगता है। कभी कभी, केवल जब हम साल में पीछे देखते हैं, तब हमें पता चलता है कि जो बीज हमने बोया था उसने एक फसल लायी है। ऐसे बहुत से बीज भी बोए गए हैं जिसके बारे में हम कुछ नहीं जानते हैं, जब तक हम स्वर्ग में फसल को न देख ले। सकारात्मक बने रहने की पूंजी है एक अनंत दृष्टिकोण रखना।
पौलुस ने कभी भी 'मसीह के क्रूस' का सरल संदेश सुनाना नहीं छोड़ा (व.12)। वह आगे बढते रहे और बीज बोते रहे। उन्होंने संदेश में कुछ जोड़ना या घटाना अस्वीकार कर दिया। सताव से बचने के लिए उन्होंने एक प्रचलित संदेश सुनाना भी अस्वीकार कर दिया (व.12)। इसके परिणामस्वरूप, उनका सताव हुआ। उन्होंने लिखा, ' मैं यीशु के दागों को अपनी देह में लिये फिरता हूँ' (व.17)।
प्रार्थना
परमेश्वर मेरी सहायता कीजिए कि निरंतर बीजों को बोऊँ, भलाई करता रहूँ, और आपकी वाचा को पकड़े रहूँ कि उचित समय पर, हम फसल काटेंगे यदि हम हार न माने।
यशायाह 49:8-51:16
8 यहोवा कहता है,
“उचित समय आने पर मैं तुम्हारी प्रार्थनाओं का उत्तर दूँगा।
मैं तुमको सहारा दूँगा।
मुक्ति के दिनों में मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा और तुम इसका प्रमाण होगे कि लोगों के साथ में मेरी वाचा है।
अब देश उजड़ चुका है, किन्तु तुम यह धरती इसके स्वामियों को लौटवाओगे।
9 तुम बन्दियों से कहोगे, ‘तुम अपने कारागार से बाहर निकल आओ!’
तुम उन लोगों से जो अन्धेरे में हैं, कहोगे, ‘अन्धेरे से बाहर आ जाओ।’
वे चलते हुए राह में भोजन कर पायेंगे।
वे वीरान पहाड़ों में भी भोजन पायेंगे।
10 लोग भूखे नहीं रहेंगे, लोग प्यासे नहीं रहेंगे।
गर्म सूर्य, गर्म हवा उनको दु:ख नहीं देंगे।
क्यों क्योंकि वही जो उन्हें चैन देता है, (परमेश्वर) उनको राह दिखायेगा।
वही लोगों को पानी के झरनों के पास—पास ले जायेगा।
11 मैं अपने लोगों के लिये एक राह बनाऊँगा।
पर्वत समतल हो जायेंगे और दबी राहें ऊपर उठ आयेंगी।
12 देखो, दूर दूर देशों से लोग यहाँ आ रहे हैं।
उत्तर से लोग आ रहे हैं और लोग पश्चिम से आ रहे हैं।
लोग मिस्र में स्थित असवान से आ रहे हैं।”
13 हे आकाशों, हे धरती, तुम प्रसन्न हो जाओ!
हे पर्वतों, आनन्द से जयकारा बोलो!
क्यों क्योंकि यहोवा अपने लोगों को सुख देता है।
यहोवा अपने दीन हीन लोगों के लिये बहुत दयालु है।
सिय्योन: त्यागी गई स्त्री
14 किन्तु अब सिय्योन ने कहा, “यहोवा ने मुझको त्याग दिया।
मेरा स्वामी मुझको भूल गया।”
15 किन्तु यहोवा कहता है, “क्या कोई स्त्री अपने ही बच्चों को भूल सकती है नहीं!
क्या कोई स्त्री उस बच्चे को जो उसकी ही कोख से जन्मा है, भूल सकती है नहीं!
सम्भव है कोई स्त्री अपनी सन्तान को भूल जाये।
परन्तु मैं (यहोवा) तुझको नहीं भूल सकता हूँ।
16 देखो जरा, मैंने अपनी हथेली पर तेरा नाम खोद लिया है।
मैं सदा तेरे विषय में सोचा करता हूँ।
17 तेरी सन्तानें तेरे पास लौट आयेंगी।
जिन लोगों ने तुझको पराजित किया था, वे ही व्यक्ति तुझको अकेला छोड़ जायेंगे।”
इस्राएलियों की वापसी
18 ऊपर दृष्टि करो, तुम चारों ओर देखो! तेरी सन्तानें सब आपस में इकट्ठी होकर तेरे पास आ रही हैं।
यहोवा का यह कहना है,
“अपने जीवन की शपथ लेकर मैं तुम्हें ये वचन देता हूँ, तेरी सन्तानें उन रत्नों जैसी होंगी जिनको तू अपने कंठ में पहनता है।
तेरी सन्तानें वैसी ही होंगी जैसा वह कंठहार होता है जिसे दुल्हिन पहनती है।
19 आज तू नष्ट है और आज तू पराजित है।
तेरी धरती बेकार है किन्तु कुछ ही दिनों बाद तेरी धरती पर बहुत बहुत सारे लोग होंगे और वे लोग जिन्होंने तुझे उजाड़ा था, दूर बहुत दूर चले जायेंगे।
20 जो बच्चे तूने खो दिये, उनके लिये तुझे बहुत दु:ख हुआ किन्तु वही बच्चे तुझसे कहेंगे।
‘यह जगह रहने को बहुत छोटी है!
हमें तू कोई विस्तृत स्थान दे!’
21 फिर तू स्वयं अपने आप से कहेगा,
‘इन सभी बच्चों को मेरे लिये किसने जन्माया यह तो बहुत अच्छा है।
मैं दु:खी था और अकेला था।
मैं हारा हुआ था।
मैं अपने लोगों से दूर था।
सो ये बच्चे मेरे लिये किसने पाले हैं देखो जरा,
मैं अकेला छोड़ा गया।
ये इतने सब बच्चे कहाँ से आ गये?’”
22 मेरा स्वामी यहोवा कहता है,
“देखो, अपना हाथ उठाकर हाथ के इशारे से मैं सारे ही देशों को बुलावे का संकेत देता हूँ।
मैं अपना झण्डा उठाऊँगा कि सब लोग उसे देखें।
फिर वे तेरे बच्चों को तेरे पास लायेंगे।
वे लोग तेरे बच्चों को अपने कन्धे पर उठायेंगे और वे उनको अपनी बाहों में उठा लेंगे।
23 राजा तेरे बच्चों के शिक्षक होंगे और राजकन्याएँ उनका ध्यान रखेंगी।
वे राजा और उनकी कन्याएँ दोनों तेरे सामने माथा नवायेंगे।
वे तेरे पाँवों भी धूल का चुम्बन करेंगे।
तभी तू जानेगा कि मैं यहोवा हूँ।
तभी तुझको समझ में आयेगा कि हर ऐसा व्यक्ति जो मुझमें भरोसा रखता है, निराश नहीं होगा।”
24 जब कोई शक्तिशाली योद्धा युद्ध में जीतता है तो क्या कोई उसकी जीती हुई वस्तुओं को उससे ले सकता है जब कोई विजेता सैनिक किसी बन्दी पर पहरा देता है, तो क्या कोई पराजित बन्दी बचकर भाग सकता है
25 किन्तु यहोवा कहता है, “उस बलवान सैनिक से बन्दियों को छुड़ा लिया जायेगा और जीत की वस्तुएँ उससे छीन ली जायेंगी।
यह भला क्यों कर होगा मैं तुम्हारे युद्धों को लड़ूँगा और तुम्हारी सन्तानें बचाऊँगा।
26 ऐसे उन लोगों को जो तुम्हें कष्ट देते हैं मैं ऐसा कर दूँगा कि वे आपस में एक दूसरे के शरीरों को खायें। उनका खून दाखमधु बन जायेगा जिससे वे धुत्त होंगे।
तब हर कोई जानेगा कि मैं वही यहोवा हूँ जो तुमको बचाता है।
सारे लोग जान जायेंगे कि तुमको बचाने वाला याकूब का समर्थ है।”
इस्राएल को उसके पापों का दण्ड
50यहोवा कहता है,
“हे इस्राएल के लोगों, तुम कहा करते थे कि मैंने तुम्हारी माता यरूशलेम को त्याग दिया।
किन्तु वह त्यागपत्र कहाँ है जो प्रमाणित कर दे कि मैंने उसे त्यागा है।
हे मेरे बच्चों, क्या मुझको किसी का कुछ देना है
क्या अपना कोई कर्ज चुकाने के लिये मैंने तुम्हें बेचा है नहीं!
देखो जरा, तुम बिके थे इसलिए कि तुमने बुरे काम किये थे।
इसलिए तुम्हारी माँ (यरूशलेम) दूर भेजी गई थी।
2 जब मैं घर आया था, मैंने वहाँ किसी को नहीं पाया।
मैंने बार—बार पुकारा किन्तु किसी ने उत्तर नहीं दिया।
क्या तुम सोचते हो कि तुमको मैं नहीं बचा सकता हूँ
मैं तुम्हारी विपत्तियों से तुम्हें बचाने की शक्ति रखता हूँ।
देखो, यदि मैं समुद्र को सूखने को आदेश दूँ तो वह सूख जायेगा।
मछलियाँ प्राण त्याग देंगी क्योंकि वहाँ जल न होगा
और उनकी देह सड़ जायेंगी।
3 मैं आकाशों को काला कर सकता हूँ।
आकाश वैसे ही काले हो जायेंगे जैसे शोकवस्त्र होते हैं।”
परमेश्वर का सेवक परमेश्वर के भरोसे
4 मेरे स्वामी यहोवा ने मुझे शिक्षा देने की योग्यता दी है। इसी से अब इन दु:खी लोगों को मैं सशक्त बना रहा हूँ। हर सुबह वह मुझे जगाता है और एक शिष्य के रूप में शिक्षा देता है। 5 मेरा स्वामी यहोवा सीखने में मेरा सहायक है और मैं उसका विरोधी नहीं बना हूँ। मैं उसके पीछे चलना नहीं छोड़ूँगा। 6 उन लोगों को मैं अपनी पिटाई करने दूँगा। मैं उन्हें अपनी दाढ़ी के बाल नोचने दूँगा। वे लोग जब मेरे प्रति अपशब्द कहेंगे और मुझ पर थूकेंगे तो मैं अपना मुँह नहीं मोड़ूँगा। 7 मेरा स्वामी, यहोवा मेरी सहायता करेगा। इसलिये उनके अपशब्द मुझे दु:ख नहीं पहुँचायेंगे। मैं सुदृढ़ रहूँगा। मैं जानता हूँ कि मुझे निराश नहीं होना पड़ेगा।
8 यहोवा मेरे साथ है। वह दर्शाता है कि मैं निर्दोष हूँ। इसलिये कोई भी व्यक्ति मुझे अपराधी नहीं दिखा पायेगा। यदि कोई व्यक्ति मुझे अपराधी प्रमाणित करने का जतन करना चाहता है तो वह व्यक्ति मेरे पास आये। हम इसके लिये साथ साथ मुकद्दमा लड़ेंगे। 9 किन्तु देख, मेरा स्वामी यहोवा मेरी सहायता करता है, सो कोई भी व्यक्ति मुझे दोषी नहीं दिखा सकता। वे सभी लोग मूल्यहीन पुराने कपड़ों जैसे हो जायेंगे। कीड़े उन्हें चट कर जायेंगे।
10 जो व्यक्ति यहोवा का आदर करता है उसे उसके सेवक की भी सुननी चाहिये। वह सेवक, आगे क्या होगा, इसे जाने बिना ही परमेश्वर में पूरा विश्वास रखते हुए अपना जीवन बिताता है। वह सचमुच यहोवा के नाम में विश्वास रखता है और वह सेवक अपने परमेश्वर के भरोसे रहता है।
11 “देखो, तुम लोग अपने ही ढंग से जीना चाहते हो। अपनी अग्नि और अपनी मशालों का तुम स्वयं जलाते हो। तुम अपने ही ढंग से रहना चाहते। किन्तु तुम्हें दण्ड दिया जायेगा। तुम अपनी ही आग में गिरोगे और तुम्हारी अपनी ही मशालें तुम्हें जला डालेंगी। ऐसी घटना मैं घटवाऊँगा।”
इस्राएल को इब्राहीम के जैसा होना चाहिए
51“तुममें से कुछ लोग उत्तम जीवन जीने का कठिन प्रयत्न करते हो। तुम सहायता पाने को यहोवा के निकट जाते हो। मेरी सुनो। तुम्हें अपने पिता इब्राहीम की ओर देखना चाहिये। इब्राहीम ही वह पत्थर की खदान है जिससे तुम्हें काटा गया है। 2 इब्राहीम तुम्हारा पिता है और तुम्हें उसी की ओर देखना चाहिये। तुम्हें सारा की ओर निहारना चाहिये क्योंकि सारा ही वह स्त्री है जिसने तुम्हें जन्म दिया है। इब्राहीम को जब मैंने बुलाया था, वह अकेला था। तब मैंने उसे वरदान दिया था और उसने एक बड़े परिवार की शुरूआत की थी। उससे अनगिनत लोगों ने जन्म लिया।”
3 सिय्योन पर्वत को यहोवा वैसे ही आशीर्वाद देगा। यहोवा को यरूशलेम और उसके खंडहरों के लिये खेद होगा और वह उस नगर के लिये कोई बहुत बड़ा काम करेगा। यहोवा रेगिस्तान को बदल देगा। वह रेगिस्तान अदन के उपवन के जैसे एक उपवन में बदल जायेगा। वह उजाड़ स्थान यहोवा के बगीचे के जैसा हो जाएगा। लोग अत्याधिक प्रसन्न होंगे। लोग वहाँ अपना आनन्द प्रकट करेंगे। वे लोग धन्यवाद और विजय के गीत गायेंगे।
4 “हे मेरे लोगों, तुम मेरी सुनो!
मेरी व्यवस्थाएँ प्रकाश के समान होंगी जो लोगों को दिखायेंगी कि कैसे जिया जाता है।
5 मैं शीघ्र ही प्रकट करूँगा कि मैं न्यायपूर्ण हूँ।
मैं शीघ्र ही तुम्हारी रक्षा करूँगा।
मैं अपनी शक्ति को काम में लाऊँगा और मैं सभी राष्ट्रों का न्याय करूँगा।
सभी दूर—दूर के देश मेरी बाट जोह रहे हैं।
उनको मेरी शक्ति की प्रतीक्षा है जो उनको बचायेगी।
6 ऊपर आकाशों को देखो।
अपने चारों ओर फैली हुई धरती को देखो,
आकाश ऐसे लोप हो जायेगा जैसे धुएँ का एक बादल खो जाता है
और धरती ऐसे ही बेकार हो जायेगी
जैसे पुराने वस्त्र मूल्यहीन होते हैं।
धरती के वासी अपने प्राण त्यागेंगे किन्तु मेरी मुक्ति सदा ही बनी रहेगी।
मेरी उत्तमता कभी नहीं मिटेगी।
7 अरे ओ उत्तमता को समझने वाले लोगों, तुम मेरी बात सुनो।
अरे ओ मेरी शिक्षाओं पर चलने वालों, तुम वे बातें सुनों जिनको मैं बताता हूँ।
दुष्ट लोगों से तुम मत डरो।
उन बुरी बातों से जिनको वे तुमसे कहते हैं, तुम भयभीत मत हो।
8 क्यों क्योंकि वे पुराने कपड़ों के समान होंगे और उनको कीड़े खा जायेंगे।
वे ऊन के जैसे होंगे और उन्हें कीड़े चाट जायेंगे,
किन्तु मेरा खरापन सदैव ही बना रहेगा
और मेरी मुक्ति निरन्तर बनी रहेगी।”
परमेश्वर का सामर्थ्य उसके लोगों का रक्षा करता है
9 यहोवा की भुजा (शक्ति) जाग—जाग।
अपनी शक्ति को सज्जित कर!
तू अपनी शक्ति का प्रयोग कर।
तू वैसे जाग जा जैसे तू बहुत बहुत पहले जागा था।
तू वही शक्ति है जिसने रहाब के छक्के छुड़ाये थे।
तूने भयानक मगरमच्छ को हराया था।
10 तूने सागर को सुखाया!
तूने गहरे समुद्र को जल हीन बना दिया।
तूने सागर के गहरे सतह को एक राह में बदल दिया और तेरे लोग उस राह से पार हुए और बच गये थे।
11 यहोवा अपने लोगों की रक्षा करेगा।
वे सिय्योन पर्वत की ओर आनन्द मनाते हुए लौट आयेंगे।
ये सभी आनन्द मग्न होंगे।
सारे ही दु:ख उनसे दूर कहीं भागेंगे।
12 यहोवा कहता है, “मैं वही हूँ जो तुमको चैन दिया करता है।
इसलिए तुमको दूसरे लोगों से क्यों डरना चाहिए वे तो बस मनुष्य है जो जिया करते हैं और मर जाते हैं।
वे बस मानवमात्र हैं।
वे वैसे मर जाते हैं जैसे घास मर जाती है।”
13 यहोवा ने तुम्हें रचा है।
उसने निज शक्ति से इस धरती को बनाया है!
उसने निज शक्ति से धरती पर आकाश तान दिया किन्तु तुम उसको और उसकी शक्ति को भूल गये।
इसलिए तुम सदा ही उन क्रोधित मनुष्यों से भयभीत रहते हो जो तुम को हानि पहुँचाते हैं।
तुम्हारा नाश करने को उन लोगों ने योजना बनाई किन्तु आज वे कहाँ हैं (वे सभी चले गये!)
14 लोग जो बन्दी हैं, शीघ्र ही मुक्त हो जायेंगे।
उन लोगों की मृत्यु काल कोठरी में नहीं होगी और न ही वे कारागार में सड़ते रहेंगे।
उन लोगों के पास खाने को पर्याप्त होगा।
15 “मैं ही यहोवा तुम्हारा परमेश्वर हूँ।
मैं ही सागर को झकोरता हूँ और मैं ही लहरें उठाता हूँ।”
(उसका नाम सर्वशक्तिमान यहोवा है।)
16 “मेरे सेवक, मैं तुझे वे शब्द दूँगा जिन्हें मैं तुझसे कहलवाना चाहता हूँ। मैं तुझे अपने हाथों से ढक कर तेरी रक्षा करूँगा। मैं तुझसे नया आकाश और नयी धरती बनवाऊँगा। मैं तुम्हारे द्वारा सिय्योन (इस्राएल) को यह कहलवाने के लिए कि ‘तुम मेरे लोग हो,’ तेरा उपयोग करूँगा।”
समीक्षा
परमेश्वर के प्रेम में भरोसा करना कभी मत छोड़िए
हर सुबह, यशायाह परमेश्वर की बाट जोहते थे कि परमेश्वर उनसे बात करें और उन्हें निर्देश दें, ताकि उन्हें 'थके हुओं को संभालने ' के लिए सही शब्द पता चले – उन लोगों को उत्साहित करने के लिए जो हार मानने की स्थिति में हैं (50:4)।
इस लेखांश में, उन्होंने इसे किया उनके लिए परमेश्वर के प्रेम को बताने के द्वारा। उन्होंने परमेश्वर की करुणा के बारे में बताया (49:10-13), और परमेश्वर के प्रेम के लिए उन्होंने पाँच समानार्थी का इस्तेमाल कियाः
- चरवाह
परमेश्वर आपसे प्रेम करते हैं जैसा एक चरवाह अपनी भेड़ों से प्रेम करता है। इस्राएल के चरवाह के रूप में, परेमश्वर उनके लोगों को निर्वासन से बाहर निकालेंगे। अपने प्रेम में, वह अड़चनों से भी अपने उद्देश्य को पूरा करवायेंगे (व.11, एम.एस.जी)। यीशु अच्छे चरवाह के इस चित्र को लेते हैं और अपने पर इसे लगाते हैं (यूहन्ना 10:3-15)।
- माता
आपके लिए परमेश्वर का प्रेम, किसी माँ का उसके बच्चे के लिए प्रेम से बढ़कर है। ' 'क्या यह हो सकता है कि कोई माता अपने दूध पीते बच्चे को भूल जाए और अपने जन्माए हुए लड़के पर दया करे? हाँ, वह भूल तो सकती है, परन्तु मैं तुझे नहीं भूल सकता' (व.15, एम.एस.जी)।
- नक्काशी करने वाले
परमेश्वर कहते हैं, ' देख, मैंने तेरा चित्र अपनी हथेलियों पर खोदकर बनाया है' (व.16, ए.एम.पी)। बेबीलोन के निवासी टॅटू का इस्तेमाल करते थे अपने आपको उस व्यक्ति की याद दिलाने के लिए जिनसे वे प्रेम करते थे। आपके लिए परमेश्वर का प्रेम और कटिबद्धता, इस बात से दिखाई देती है कि उन्होंने अपनी हथेलियों पर आपका चित्र बनाया है।
- विजेता
परमेश्वर का प्रेम एक विजेता की तरह है (वव.25-26)। वह आपके लिए अपने उद्देश्य को पूरा करनें में और आपको सताने वालो से मुकदमा लड़ने के लिए पर्याप्त शक्तिशाली हैं (व.25)।
- पति
लोग कह रहे थे कि परमेश्वर ने उन्हें छोड़ दिया था उनके पापों के कारण। परमेश्वर जवाब देते हैं कि यद्यपि यह उनकी कमजोरी और उनका पाप था जिससे निर्वासन आया, तब भी वह उन्हें वापस लाने में सक्षम हैं। उन्होंने उन्हें नहीं छोड़ा या दासत्व में नहीं बेचा (50:1)। कोई भी परमेश्वर की पहुँच से बहुत दूर नहीं है। वह अपने लोगों से विवाहित हैं। आपके लिए उनका प्रेम, एक पति और पत्नी के बीच के महान प्रेम से बढ़कर है।
यशायाह लोगों को चिताते हैं कि परमेश्वर पर भरोसा करते रहोः' मेरी बाट जोहने वाले कभी लज्जित न होंगे' (49:23)। उनके कष्ट उठाने वाले सेवक के द्वारा परमेश्वर उन्हें छुड़ायेंगेः'मैंने मारने वालो को अपनी पीठ और गलमोछ नोचने वालो की ओर अपने गाल किए; अपमानित होने और उनके थूकने से मैं ने मुँह न छिपाया। क्योंकि प्रभु यहोवा मेरी सहायता करते हैं, इस कारण मैंने संकोच नहीं किया; वरन् अपना माथा चकमक के समान कड़ा किया क्योंकि मुझे निश्चय था कि मुझे लज्जित होना न पड़ेगा' (50:6-7)।
यीशु, यह जानते हुए कि उनका मजाक उड़ाया जाएगा और उन पर थूंका जाएगा, अपने चेहरे को चकमक के समान कड़ा किया और यरुशलेम में गए, यह जानते हुए कि वहाँ उन्हें क्रूस पर चढ़ाया जाएगा। वह पूरी तरह से दृढ़संकल्पित थे। उन्होंने हार नहीं मानी। परमेश्वर ने उनका मुकदमा लड़ा (व.8)। इसके परिणामस्वरूप महान विजय और महान फसल प्राप्त हुई।
प्रार्थना
परमेश्वर, आपका धन्यवाद कि जो आप पर भरोसा करते हैं वे कभी निराश नहीं होंगे। मेरी सहायता कीजिए कि अपने लिए आपके महान प्रेम पर निरंतर भरोसा करुँ।
पिप्पा भी कहते है
गलातियो 6:9
' हम भले काम करने में साहस न छोड़ें, क्योंकि यदि हम ढीले न हों तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे'
निराश होना आसान बात है जब एक स्थिति में बदलाव नहीं आता है, या जिस व्यक्ति की आप सहायता करने की कोशिश कर रहे थे, वह और भी बुरी स्थिति में आ जाता है। यह वचन कहता है कि निरंतर आगे बढ़ते रहो, और आखिरकार आप एक फसल पायेंगे।

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संदर्भ
बिअर ग्रिल, जीवन की मार्गदर्शिका (कोग्रि, 2013) पी.29
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