आप आज़ाद हैं
परिचय
स्टीव मॅकक्वीन की फिल्म ट्वेल्व यर्स ए स्लेव, सोलोमन नॉर्थअप की यादों पर आधारित है, जो न्यूयॉर्क राज्य में आज़ाद जन्में थे लेकिन सन् 1841 में वाशिंग्टन डी.सी. से इनका अपहरण करके इन्हें दास्तव में बेच दिया गया था और इन्हें लुइसियाना में बारह साल तक गुलाम बना कर रखा था। वे कपास और गन्ने की खेती में इतने लंबे समय तक के दहशत का वर्णन करते हैं।
अंत में, सन् 1853 में, उन्हें गुलामी से छुड़ाया गया और उन्हें अपने परिवार से फिर से मिला दिया गया। वे लिखते हैं, ‘उन्होंने मुझे गले लगाया और मेरे आँसू गाल से बहते हुए मेरी गर्दन तक पहुँच गए। लेकिन मैंने इस दृश्य पर परदा डाल दिया जिसकी कल्पना करना वर्णन करने से बाहर है…. मेरी खुशियाँ और आज़ादी फिर से बहाल कर दी गई हैं।’
गुलामी बहुत बेकार है। आज़ादी आश्चर्यजनक है।
पुराने नियम में मूसा परमेश्वर के लोगों को आज़ादी दिलाने वाले व्यक्ति हैं। वह यीशु – सर्वोच्च मुक्तिदाता - का पूर्वाभास हैं। जैसे मूसा ने परमेश्वर के लोगों को गुलामी से आज़ाद किया, वैसे ही यीशु ने आपको पाप की गुलामी से मुक्त किया है।
‘मुक्ति’, शायद सबसे अच्छा सामयिक शब्द है जो बाइबल में ‘उद्धार’ के अर्थ को परिभाषित करता है। संपूर्ण बाइबल को ‘उद्धार का इतिहास’ के रूप में सारांशित किया जा सकता है। यह परमेश्वर की इच्छा और अपने लोगों को आज़ाद करने के उद्देश्य की कहानी है।
भजन संहिता 20:1-9
संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का एक पद।
20तेरी पुकार का यहोवा उत्तर दे, और जब तू विपति में हो
तो याकूब का परमेश्वर तेरे नाम को बढ़ायें।
2 परमेश्वर अपने पवित्रस्थान से तेरी सहायता करे।
वह तुझको सिय्योन से सहारा देवे।
3 परमेश्वर तेरी सब भेंटों को याद रखे,
और तेरे सब बलिदानों को स्वीकार करें।
4 परमेश्वर तुझे उन सभी वस्तुओं को देवे जिन्हें तू सचमुच चाहे।
वह तेरी सभी योजनाएँ पूरी करें।
5 परमेश्वर जब तेरी सहायता करे हम अति प्रसन्न हों
और हम परमेश्वर की बढ़ाई के गीत गायें।
जो कुछ भी तुम माँगों यहोवा तुम्हें उसे दे।
6 मैं अब जानता हूँ कि यहोवा सहायता करता है अपने उस राजा की जिसको उसने चुना।
परमेश्वर तो अपने पवित्र स्वर्ग में विराजा है और उसने अपने चुने हुए राजा को, उत्तर दिया
उस राजा की रक्षा करने के लिये परमेश्वर अपनी महाशक्ति को प्रयोग में लाता है।
7 कुछ को भरोसा अपने रथों पर है, और कुछ को निज सैनिकों पर भरोसा है
किन्तु हम तो अपने यहोवा परमेश्वर को स्मरण करते हैं।
8 किन्तु वे लोग तो पराजित और युद्ध में मारे गये
किन्तु हम जीते और हम विजयी रहे।
9 ऐसा कैसा हुआ? क्योंकि यहोवा ने अपने चुने हुए राजा की रक्षा की
उसने परमेश्वर को पुकारा था और परमेश्वर ने उसकी सुनी।
समीक्षा
उस आज़ादी का आनंद उठाएं जो विश्वास से आती है
क्या आप परेशानी, कष्ट या मुश्किल के समय में हैं? दाऊद भी ऐसे समय में थे, जिसे होने वाले युद्ध की तरह संबंधित किया जा सकता है। उसने परमेश्वर से मदद के लिए विनती की। भजन की पहली पंक्ति परमेश्वर से निवेदन है कि ‘वह पवित्र स्थान से तेरी सहायता करे,’ (पद - 1अ) और भजन की अंतिम पंक्ति परमेश्वर से निवेदन है कि ‘जिस दिन हम पुकारें तो महाराजा हमें उत्तर दे’ (पद - 9ब)। परमेश्वर प्रार्थना का उत्तर देते हैं।
जब आप ‘संकट के दिनों में’ रहते हैं, तो आप प्रार्थना में परमेश्वर को पुकार सकते हैं और आपको पुकारना चाहिये, उनसे यह मांगते हुए कि वह संघर्ष के बीच आपको मुक्ति और आज़ादी दें (पद - 6-8)। यह अति साहसिक आशीर्वाद का मामला नहीं है, बल्कि यह वास्तविक विश्वास है।
दाऊद परमेश्वर के उद्धार करने वाले पराक्रम – मुक्ति दिलाने वाली सामर्थ – सामर्थ को जान जाते हैं (पद - 6क)। वह कहते हैं, ‘अब मैं जान गया कि यहोवा अपने अभिषिक्त का उद्धार करता ’ (पद - 6अ)। वह छ: बातों के बारे में कहते हैं जिन्हें आप खुद के लिए, अपने परिवार, अपने दोस्तों और अपने समाज के लिए मांग सकते हैं:
1. रक्षा करें
‘प्रभु तेरी रक्षा करें’ (पद - 1)। ‘प्रभु तुझे नुकसान की पहुँच से दूर रखें’ (पद - 1ब, एम.एस.जी.)।
2. मदद करें
' वह पवित्र स्थान से तेरी सहायता करे' (पद - 2अ)।
3. संभाल लें
' सिय्योन से तुझे संभाल ले!' (पद - 2ब)।
4. ग्रहण करें
‘स्मरण करे ….. और ग्रहण करें’ (पद - 3)।
5. सफल करें
' वह तेरे मन की इच्छा को पूरी करे, और तेरी सारी युक्ति को सफल करे! ' (पद - 4)।
6. जय दें
‘जब तू विजयी हो, तो हम तेरे नाम के झंडे खड़े करें…. प्रभु तुझे मुंह मांगा वरदान दे’ (पद - 5, एम.एस.जी.)।
सफलता, और जय, रथों और घोड़ों पर भरोसा करने से नहीं आती (पद - 7अ)। बल्कि, ये आपके विश्वास से आती है – ‘परन्तु हम तो अपने परमेश्वर यहोवा ही का नाम लेंगे। ’ (पद - 7ब)।
प्रार्थना
प्रभु, आपका धन्यवाद कि आपने मुझे मुक्ति दी है। आप जिस अद्भुत रीति से हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर देते हैं उसके लिए आपका धन्यवाद। प्रभु, आज मैं आपके सम्मुख अपनी योजनाओं को और अपने हृदय की इच्छाओं को लाता हूँ….
मत्ती 26:69-27:10
पतरस का यीशु को नकारना
69 पतरस अभी नीचे आँगन में ही बाहर बैठा था कि एक दासी उसके पास आयी और बोली, “तू भी तो उसी गलीली यीशु के साथ था।”
70 किन्तु सब के सामने पतरस मुकर गया। उसने कहा, “मुझे पता नहीं तू क्या कह रही है।”
71 फिर वह डयोढ़ी तक गया ही था कि एक दूसरी स्त्री ने उसे देखा और जो लोग वहाँ थे, उनसे बोली, “यह व्यक्ति यीशु नासरी के साथ था।”
72 एक बार फिर पतरस ने इन्कार किया और कसम खाते हुए कहा, “मैं उस व्यक्ति को नहीं जानता।”
73 थोड़ी देर बाद वहाँ खड़े लोग पतरस के पास गये और उससे बोले, “तेरी बोली साफ बता रही है कि तू असल में उन्हीं में से एक है।”
74 तब पतरस अपने को धिक्कारने और कसमें खाने लगा, “मैं उस व्यक्ति को नहीं जानता।” तभी मुर्गे ने बाँग दी। 75 तभी पतरस को वह याद हो आया जो यीशु ने उससे कहा था, “मुर्गे के बाँग देने से पहले तू तीन बार मुझे नकारेगा।” तब पतरस बाहर चला गया और फूट फूट कर रो पड़ा।
यीशु की पिलातुस के आगे पेशगी
27अलख सुबह सभी प्रमुख याजकों और यहूदी बुज़ुर्ग नेताओं ने यीशु को मरवा डालने के लिए षड्यन्त्र रचा। 2 फिर वे उसे बाँध कर ले गये और राज्यपाल पिलातुस को सौंप दिया।
यहूदा की आत्महत्या
3 यीशु को पकड़वाने वाले यहूदा ने जब देखा कि यीशु को दोषी ठहराया गया है, तो वह बहुत पछताया और उसने प्रमुख याजकों और बुज़ुर्ग यहूदी नेताओं को चाँदी के वे तीस सिक्के लौटा दिये। 4 उसने कहा, “मैंने एक निरपराध व्यक्ति को मार डालने के लिए पकड़वा कर पाप किया है।”
इस पर उन लोगों ने कहा, “हमें क्या! यह तेरा अपना मामला है।”
5 इस पर यहूदा चाँदी के उन सिक्कों को मन्दिर के भीतर फेंक कर चला गया और फिर बाहर जाकर अपने को फाँसी लगा दी।
6 प्रमुख याजकों ने वे सिक्के उठा लिए और कहा, “हमारे नियम के अनुसार इस धन को मन्दिर के कोष में रखना उचित नहीं है क्योंकि इसका इस्तेमाल किसी को मरवाने कि लिए किया गया था।” 7 इसलिए उन्होंने उस पैसे से कुम्हार का खेत खरीदने का निर्णय किया ताकि बाहर से यरूशलेम आने वाले लोगों को मरने के बाद उसमें दफनाया जाये। 8 इसीलिये आज तक वह खेत लहू का खेत के नाम से जाना जाता है। 9 इस प्रकार परमेश्वर का, भविष्यवक्ता यिर्मयाह के द्वारा कहा यह वचन पूरा हुआ:
“उन्होंने चाँदी के तीस सिक्के लिए, वह रकम जिसे इस्राएल के लोगों ने उसके लिये देना तय किया था। 10 और प्रभु द्वारा मुझे दिये गये आदेश के अनुसार उससे कुम्हार का खेत खरीदा।”
समीक्षा
आश्चर्य कीजिये कि आपकी आज़ादी कैसे हासिल की गई
यीशु सर्वोच्च मुक्तिदाता हैं। यीशु के जन्म लेने, मारे जाने और फिर से जी उठने के कारण उद्धार का इतिहास अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच जाता है। जब हम पराकाष्ठा पर पहुँचते हैं, तो हम यह झलक देखने पाते हैं कि यीशु को इसके लिए क्या कीमत चुकानी पड़ी: उनके करीबी मित्रों ने उनका इंकार किया (26:69-75); उनके एक शिष्य ने उन्हें धोखा दिया (27:1-10); उन्हें रोमी अधिकारी को सौंपा गया (पद - 2) और उन्हें दोषी ठहराया गया (पद - 3अ)। फिर भी मत्ती देखता है कि यह सब परमेश्वर की योजना को पूरा करने के लिए हुआ था (पद - 9)।
यीशु गुलामी में ले जाया गया ताकि हम आज़ाद हो जाएं। उन्हें बांधा गया (पद - 2) ताकि आप उन चीज़ों से मुक्त हो जाएं जो आपको बांधकर रखती हैं। यीशु आपको पाप, ग्लानि, शर्मिंदगी, व्यसन और डर से मुक्ति दिलाने के लिए आए।
इस पद्यांश में हम असफलता के दो उदाहरणों को देखते हैं। एक मामले में असफलता के लिए गलत प्रतिक्रिया की गई है। दूसरे उदाहरण में सही तरीके से।
क्या आपने कभी अपने मसीही जीवन को बिगाड़ा है? क्या आपने कभी असफलता महसूस की है और यह कि आपने बुरी तरह से प्रभु को शर्मिंदा किया है? क्या आप कभी इसके परिणाम स्वरूप ‘व्याकुलता से रोए’ हैं (26:75)? मैं निश्चित ही रोया हूँ।
यीशु के दो सबसे करीबी मित्रों ने उन्हें बुरी तरह से लज्जित किया था। दु:खद रूप से, हम सभी ने अपने जीवन में कभी न कभी यीशु को शर्मिंदा किया है। ये दो उदाहरण हमें यह सीखने में मदद करते हैं कि हमें ऐसी असफलताओं और निराशा में कैसी प्रतिक्रिया करनी चाहिये।
यहूदा और पतरस में अनेक समानताएं हैं। दोनों ही यीशु के शिष्य थे। दोनों को ही कहा गया था कि वे उन्हें लज्जित नहीं करेंगे 24-25,34)। दोनों ने ही अपने कार्यों के द्वारा पुराने नियम की भविष्यवाणियों को पूरा किया (26:31; 7:9)। दोनों ने अपने कार्यों के लिए गहराई से अफसोस किया (27:5; 26:75)।
फिर भी इन दोनों पुरूषों में महत्त्वपूर्ण फर्क है। पतरस ने असफलता के लिए सही प्रतिक्रिया की। जबकि यहूदा ने ऐसा नहीं किया। जैसा कि संत पौलुस लिखते हैं, 'क्योंकि परमेश्वर - भक्ति का शोक ऐसा पश्चाताप उत्पन्न करता है जिस का परिणाम उद्धार है और फिर उस से पछताना नहीं पड़ता: परन्तु संसारी शोक मृत्यु उत्पन्न करता है ' (2कुरिंथियों 7:10)।
यहूदा ‘संसारी शोक’ का उदाहरण है। वह धार्मिक गुरू के पास गया और अपने पापों का अंगीकार किया, लेकिन उन्होंने उसे और ज़्यादा अपराध बोध में डाल दिया (मत्ती 27:4)। वह अफसोस से भर गया था लेकिन दु:खद रूप से वह परमेश्वर की दया और उनकी क्षमा नहीं पा सका।
दूसरी तरफ, पतरस ‘परमेश्वर भक्ति शोक’ का उदाहरण है।
पतरस डर गया होगा कि उसने यीशु का तीन बार इंकार किया। शायद, समझ में आने लायक ढंग से, उसने सोचा होगा कि उसे भी यीशु के साथ क्रूस पर चढ़ाया जाएगा या शायद उसे इस बात पर संदेह होगा कि यीशु जिसका दावा करते थे वह सच में ऐसे हैं या नहीं। लेकिन मुर्गे की बांग ने उसके सारे संदेह को मिटा दिया होगा। इसने उसे व्याकुल कर दिया था: ‘ वह बाहर जाकर फूट - फूट कर रोने लगा’ (26:75)।
यह जान लेना कि हमने यीशु को शर्मिंदा किया है इससे बढ़कर कोई एहसास नहीं है। धन्यवाद कि यह पतरस के लिए कहानी का अंत नहीं है (यूहन्ना 21 देखें)। ‘परमेश्वर भक्ति के शोक ने उसमें पश्चाताप उत्पन्न किया’ और यीशु के साथ उसका संबंध फिर से बहाल हो गया। उसे अपने अपराध बोध और शर्मिंदगी से मुक्ति मिल गई और वह यीशु के चर्च का एक महान, पवित्र, सामर्थी और अभिषिक्त अगुआ बना।
अपनी अतीत की गलतियों और पापों की वजह से आपको अपराध बोध या शर्मिंदगी महसूस करने की ज़रूरत नहीं है। यीशु ने जिन्हें आज़ाद किया है वे अवश्य ही आज़ाद हैं (यूहन्ना 8:36)। आपने चाहें कितना भी बिगाड़ दिया है या असफलता पाई है, अब भी ज़्यादा देरी नहीं हुई है। जैसे पतरस ने प्रतिक्रिया की थी वैसा ही आप भी करें और यीशु की सेवा में आपका भविष्य बहुत ही महान हो सकता है।
प्रार्थना
प्रभु, आपका धन्यवाद, आपको बांधा गया ताकि हम अपने पापों, अपराध बोध, शर्मिंदगी, व्यसन, डर और असफलताओं से मुक्त हो जाएं। मैं जब भी असफल हो जाऊँ, तो मुझे ‘परमेश्वर भक्ति का शोक करने में हमेशा मेरी मदद कीजिये जो पश्चाताप उत्पन्न करता है और कोई पछतावा नहीं छोड़ता।’
निर्गमन 9:1-10:29
खेतों के जानवरों को बीमारियाँ
9तब यहोवा ने मूसा से कहा फ़िरौन के पास जाओ और उससे कहो, “हिब्रू लोगों का परमेश्वर यहोवा कहता है, ‘मेरी उपासना के लिए मेरे लोगों को जाने दो।’ 2 यदि तुम उन्हें रोकते रहे और उनका जाना मना करते रहे 3 तब यहोवा अपनी शक्ति का उपयोग तुम्हारे खेत के जानवरों के विरुद्ध करेगा। यहोवा तुम्हारे सभी घोड़ों, गधों, ऊँटो, गाय, बैल, बकरियों और भेड़ों को भयंकर बीमारियों का शिकार बना देगा। 4 यहोवा इस्राएल के जानवरों के साथ मिस्र के जानवरों से भिन्न बरताव करेगा। इस्राएल के लोगों का कोई जानवर नहीं मरेगा। 5 यहोवा ने इसके घटित होने का समय निश्चित कर दिया है। कल यहोवा इस देश में इसे घटित होने देगा।”
6 अगली सुबह मिस्र के सभी खेत के जानवर मर गए। किन्तु इस्राएल के लोगों के जानवरों में से कोई नहीं मरा। 7 फ़िरौन ने लोगों को यह देखने भेजा कि क्या इस्राएल के लोगों का कोई जानवर मरा या इस्राएल के लोगों का कोई जानवर नहीं मरा। फ़िरौन हठ पकड़े रहा। उसने लोगों को नहीं जाने दिया।
फोड़े फुंसियाँ
8 यहोवा ने मूसा और हारून से कहा, “अपनी अंजलियों में भट्टी की राख भरो। और मूसा तुम फ़िरौन के सामने राख को हवा में फेंको। 9 यह धूल बन जाएगी और पूरे मिस्र देश में फैल जाएगी। जैसे ही धूल आदमी या जानवर पर मिस्र में पड़ेगी, चमड़े पर फोड़े फुंसी (घाव) फूट निकलेंगे।”
10 इसलिए मूसा और हारून ने भट्टी से राख ली। तब वे गए और फ़िरौन के सामने खड़े हो गए। उन्होंने राख को हवा में फेंका और लोगों और जानवरों को फोड़े होने लगे। 11 जादूगर मूसा को ऐसा करने से न रोक सके, क्योंकि जादूगरों को भी फोड़े हो गए थे। सारे मिस्र में ऐसा ही हुआ। 12 किन्तु यहोवा ने फ़िरौन को हठी बनाए रखा। इसलिए फ़िरौन ने मूसा और हारून को सुनने से मना कर दिया। यह वैसा ही हुआ जैसा यहोवा ने कहा था।
ओले
13 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “सवेरे उठो और फ़िरौन के पास जाओ। उससे कहो कि हिब्रू लोगों का परमेश्वर यहोवा कहता है, ‘मेरे लोगों को मेरी उपासना के लिए जाने दो! 14 यदि तुम यह नहीं करोगे तो मैं तुम्हें, तुम्हारे अधिकारियों और तुम्हारे लोगों के विरुद्ध पूरी शक्ति का प्रयोग करुँगा। तब तुम जानोगे कि मेरे समान दुनिया में अन्य कोई परमेश्वर नहीं है। 15 मैं अपनी शक्ति का प्रयोग कर सकता हूँ तथा मैं ऐसी बीमारी फैला सकता हूँ जो तुम्हें और तुम्हारे लोगों को धरती से समाप्त कर देगी। 16 किन्तु मैंने तुम्हें यहाँ किसी कारणवश रखा है। मैंने तुम्हें यहाँ इसलिए रखा है कि तुम मेरी शक्ति को देख सको। तब सारे संसार के लोग मेरे बारे में जान जाएंगे। 17 तुम अब भी मेरे लोगों के विरुद्ध हो। तुम उन्हें स्वतन्त्रतापूर्वक नहीं जाने दे रहे हो। 18 इसलिए कल मैं इसी समय भयंकर ओला बारिश उत्पन्न करुँगा। जब से मिस्र राष्ट्र बना तब से मिस्र में ऐसी ओला बारिश पहले कभी नहीं आई होगी। 19 अतः अपने जानवरों को सुरक्षित जगह में रखना। जो कुछ तुम्हारा खेतों में हो उसे सुरक्षित स्थानों में अवश्य रख लेना। क्यों? क्योंकि कोई भी व्यक्ति या जानवर जो मैदानों में होगा, मारा जाएगा। जो कुछ तुम्हारे घरों के भीतर नहीं रखा होगा उस सब पर ओले गिरेंगे।’”
20 फ़िरौन के कुछ अधिकारियों ने यहोवा के सन्देश पर ध्यान दिया। उन लोगों ने जल्दी—जल्दी अपने जानवरों और दासों को घरों में कर लिया। 21 किन्तु अन्य लोगों ने यहोवा के सन्देश की उपेक्षा की। उन लोगों के वे दास और जानवर नष्ट हो गए तो बाहर मैदानों में थे।
22 यहोवा ने मूसा से कहा, “अपनी भुजाएं हवा में उठाओ और मिस्र पर ओले गिरने आरम्भ हो जाएंगे। ओले पूरे मिस्र के सभी खेतों में लोगों, जानवरों और पेड़—पौधों पर गिरेंगे।”
23 अतः मूसा ने अपनी लाठी को हवा में उठाया और यहोवा ने गर्जन और बिजलियां भेजीं, तथा ज़मीन पर ओले बरसाये। ओले पूरे मिस्र पर पड़े। 24 ओले पड़ रहे थे और ओलों के साथ बिजली चमक रह थी। जब से मिस्र राष्ट्र बना था तब से मिस्र को हानि पहुँचाने वाले ओले वृष्टि में यह सबसे भयंकर थे। 25 आँधी ने मिस्र के खेतों में जो कुछ था उसे नष्ट कर दिया। ओलों ने आदमियों, जानवरों और पेड़—पौधों को नष्ट कर दिया। ओले ने खेतों में सारे पेड़ों को भी तोड़ दिया। 26 गोशेन प्रदेश ही, जहाँ इस्राएल के लोग रहते थे, ऐसी जगह थी जहाँ ओले नहीं पड़े।
27 फ़िरौन ने मूसा और हारून को बुलाया। फ़िरौन ने उनसे कहा, “इस बार मैंने पाप किया है। यहोवा सच्चा है और मैं तथा मेरे लोग दुष्ट हैं। 28 ओले और परमेश्वर की गरजती आवाज़ें अत्याधिक हैं। परमेश्वर से तूफान को रोकने को कहो। मैं तुम लोगों को जाने दूँगा। तुम लोगों को यहाँ रहना नहीं पड़ेगा।”
29 मूसा ने फ़िरौन से कहा, “जब मैं नगर को छोड़ूँगा तब मैं प्रार्थना में अपनी भुजाओं को यहोवा के सामने उठाऊँगा और गर्जन तथा ओले रूक जाएंगे। तब तुम जानोगे कि पृथ्वी यहोवा ही की है। 30 किन्तु मैं जानता हूँ कि तुम और तुम्हारे अधिकारी अब भी यहोवा से नहीं डरते हैं और न ही उसका सम्मान करते हैं।”
31 जूट में दाने पड़ चुके थे। और जौ पहले ही फट चुका था। इसलिए ये फसलें नष्ट हो गईं। 32 गेहूँ और कठिया नामक गेहूँ अन्य अन्नों से बाद में पकते हैं अतः ये फसलें नष्ट नहीं हुई थीं।
33 मूसा ने फिरौन को छोड़ा और नगर के बाहर गया। उसने यहोवा के सामने अपनी भुजाएं फैलायीं और गरज तथा ओले बन्द हो गए। वर्षा भी धरती पर होनी बन्द हो गई।
34 जब फिरौन ने देखा कि वर्षा, ओले और गर्जन बन्द हो गए तो उसने फिर गलत काम किया। वह और उसके अधिकारी फिर हठ पकड़े रहे। 35 फ़िरौन ने इस्राएल के लोगों को स्वतन्त्रतापूर्वक जाने से इन्कार कर दिया। यह ठीक वैसा ही हुआ जैसा यहोवा ने मूसा से कहा था।
टिड्डियाँ
10यहोवा ने मूसा से कहा, “फिरौन के यहाँ जाओ। मैंने उसे और उसके अधिकारियों को हठी बना दिया है। मैंने यह इसलिए किया है कि मैं उन्हें अपने शक्तिशाली चमत्कार दिखा सकूँ। 2 मैंने इसे इसलिए भी किया कि तुम अपने पुत्र—पुत्रियों तथा पौत्र—पौत्रियों को उन चमत्कारों और अद्भुत बातों को बता सको जो मैंने मिस्र में कि हैं। तब तुम सभी जानोगे कि मैं यहोवा हूँ।”
3 इसलिए मूसा और हारून फ़िरौन के पास गए। उन्होंने उससे कहा, “हिब्रू लोगों का परमेश्वर यहोवा कहता है, ‘तुम मेरे आदेशों का पालन करने से कब तक इन्कार करोगे? मेरे लोगों को मेरी उपासना करने के लिए जाने दो! 4 यदि तुम मेरे लोगों को जाने से मना करते हो तो मैं कल तुम्हारे देश में टिड्डियों को लाऊँगा। 5 टिड्डियाँ पूरी जमीन को ढक लेंगी। टिड्डियों की संख्या इतनी अधिक होगी कि तुम जमीन नहीं देख सकोगे। जो कोई चीज ओले भरी आँधी से बच गई है उसे टिड्डियाँ खा जाएंगी। टिड्डियाँ मैदानों में पेड़ों की सारी पत्तियाँ खा डालेंगी। 6 टिड्डियाँ तुम्हारे सभी घरों, तुम्हारे अधिकारियों के सभी घरों और मिस्र के सभी घरों में भर जाएंगी। जितनी टिड्डियाँ तुम्हारे बाप—दादों ने कभी देखीं होंगी उससे भी अधिक टिड्डियाँ यहाँ होंगी। जब से लोग मिस्र में, रहने लगे तब से जब कभी जितनी टिड्डियाँ हुईं होंगी उससे अधिक टिड्डियाँ होंगी।’” तब मूसा मुड़ा और उसने फ़िरौन को छोड़ दिया।
7 फ़िरौन के अधिकारियों ने उससे पूछा, “हम लोग कब तक इन लोगों के जाल में फँसे रहेंगे। लोगों को उनके परमेश्वर यहोवा की उपासना करने जाने दें। यदि आप उन्हें नहीं जाने देंगे तो आपके जानने से पहले मिस्र नष्ट हो जाएगा।”
8 अत: फ़िरौन के अधिकारियों ने मूसा और हारून को उसके पास वापस बुलाने को कहा। फ़िरौन ने उनसे कहा, “जाओ और अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना करो। किन्तु मुझे बताओ कि सचमुच कौन—कौन जा रहा है?”
9 मूसा ने उत्तर दिया, “हमारे युवक और बूढ़े लोग जाएंगे और हम लोग अपने साथ अपने पुत्रों और पुत्रियों, तथा भेड़ों और पशुओं को भी ले जाएंगे। हम सभी जाएंगे क्योंकि यह हमारे लिए हम लोगों के यहोवा का त्यौहार है।”
10 फ़िरौन ने उनसे कहा, “इससे पहले कि मैं तुम्हें और तुम्हारे सभी बच्चों को मिस्र छोड़कर जाने दूँ यहोवा को वास्तव में तुम्हारे साथ होना होगा। देखो तुम लोग एक बहुत बुरी योजना बना रहे हो। 11 केवल पुरुष जा सकते हैं और यहोवा की उपासना कर सकते हैं। तुमने प्रारम्भ में यही माँग की थी। किन्तु तुम्हारे सारे लोग नहीं जा सकते।” तब फ़िरौन ने मूसा और हारून को भेज दिया।
12 यहोवा ने मूसा से कहा, “मिस्र की भूमि के ऊपर अपना हाथ उठाओ और टिड्डियाँ आ जाएंगी। टिड्डियाँ मिस्र की सारी भूमि पर फैल जाएंगी। टिड्डियाँ ओलों से बचे सभी पेड़—पौधों को खा जाएंगी।”
13 मूसा ने अपनी लाठी को मिस्र देश के ऊपर उठाया और यहोवा ने पूर्व से प्रवल आँधी उठाई। आँधी उस पूरे दिन और रात चलती रही। जब सवेरा हुआ, आँधी ने मिस्र देश में टिड्डियों को ला दिया था। 14 टिड्डियाँ मिस्र देश में उड़कर आईं और भूमि पर बैठ गईं। मिस्र में कभी जितनी टिड्डियाँ हुई थीं उनसे अधिक टिड्डियाँ हुईं और उतनी संख्या में वहाँ टिड्डियाँ फिर कभी नहीं होंगी। 15 टिड्डियों ने जमीन को ढक लिया और पूरे देश में अँधेरो छा गया। टिड्डियों ने उन सभी पौधों और पेड़ों के हर फल को, जो ओले से नष्ट नहीं हुआ था खा डाला। मिस्र में कहीं भी किसी पेड़ या पौधे पर कोई पत्ती नहीं रह गई।
16 फ़िरौन ने मूसा और हारून को जल्दी बुलवाया। फ़िरौन ने कहा, “मैंने तुम्हारे और तुम्हारे परमेश्वर यहोवा के विरुद्ध पाप किया है। 17 इस समय मेरे पाप को अब क्षमा करो। अपने परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना करो कि इस ‘मृत्यु’ (टिड्डियों) को मुझ से दूर करे।”
18 मूसा फ़िरौन को छोड़ कर चला गया और उसने यहोवा से प्रार्थना की। 19 इसलिए यहोवा ने हवा का रूख बदल दिया। यहोवा ने पश्चिम से तेज़ आँधी उठाई और उसने टिड्डियों को दूर लाल सागर में उड़ा दिया। एक भी टिड्डी मिस्र में नहीं बची। 20 किन्तु यहोवा ने फ़िरौन को फिर हठी बनाया और फ़िरौन ने इस्राएल के लोगों को जाने नहीं दिया।
अंधकार
21 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “अपनी बाहों को आकाश में ऊपर उठाओ और अंधकार मिस्र को ढक लेगा। यह अंधकार इतना सघन होगा कि तुम मानो उसे महसूस कर सकोगे।”
22 अतः मूसा ने हवा में बाहें उठाईं और घोर अन्धकार ने मिस्र को ढक लिया। मिस्र में तीन दिन तक अधंकार रहा। 23 कोई भी किसी अन्य को नहीं देख सकता था और तीन दिन तक कोई अपनी जगह से नहीं उठ सका। किन्तु उन सभी जगहों पर जहाँ इस्राएल के लोग रहते थे, प्रकाश था।
24 फ़िरौन ने मूसा को फिर बुलाया। फ़िरौन ने कहा, “जाओ और यहोवा की उपासना करो! तुम अपने साथ अपने बच्चों को ले जा सकते हो। केवल अपनी भेड़ें और पशु यहाँ छोड़ देना।”
25 मूसा ने कहा, “हम लोग केवल अपनी भेड़ें और पशु ही अपने साथ नहीं ले जाएंगे बल्कि जब हम लोग जाएंगे तुम हम लोगों को भेंट और बलि भी दोगे और हम लोग इन बलियों का अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना के रूप में प्रयोग करेंगे। 26 हम लोग अपने जानवर अपने साथ अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना के लिए ले जाएंगे। एक खुर भी पीछे नहीं छोड़ा जाएगा। अभी तक हम नहीं जानते कि यहोवा की उपासना के लिए किन चीज़ों की सचमुच आवश्यकता पड़ेगी। यह हम लोग तब जान सकेंगे जब हम लोग वहाँ पहुँचेंगे जहाँ हम जा रहे हैं। अतः ये सभी चीज़ें अवश्य ही हम अपने साथ ले जाएंगे।”
27 यहोवा ने फ़िरौन को फिर हठी बनाया। इसलिए फ़िरौन ने उनको जाने से मना कर दिया। 28 तब फ़िरौन ने मूसा से कहा, “मुझ से दूर हो जाओ। मैं नहीं चाहता कि तुम यहाँ फिर आओ! इसके बाद यदि तुम मुझसे मिलने आओगे तो मारे जाओगे!”
29 तब मूसा ने फिरौन से कहा, “तुम जो कहते हो, सही है। मैं तुमसे मिलने फिर कभी नहीं आऊँगा!”
समीक्षा
अपनी आज़ादी का उपयोग परमेश्वर की आराधना करने के लिए करें
परमेश्वर की सेवा में हम संपूर्ण मुक्ति पाते हैं। आपको परमेश्वर की आराधना और सेवा करने के लिए रचा गया है। यह आपका उद्देश्य है।
पोप बेनिडिक्ट XVI (जब वह कार्डिनल रॅज़िंगर थे) ने लिखा है, ‘निर्गमन में दर्शाया गया एकमात्र लक्ष्य आराधना करना है… लोगों को वह देश सच्चे परमेश्वर की आराधना करने के लिए दिया गया था….. परमेश्वर की सच्ची आराधना करने की आज़ादी देने के लिए, जो फिरौन का सामना करते वक्त प्रतीत होते हैं, यह निर्गमन का एकमात्र उद्देश्य है, बिल्कुल, इसका यही सार है।’
एक बार फिर, इस्रालियों के इतिहास में, हम परमेश्वर की उद्धार की योजना का पूर्वाभास देखते हैं। हम मूसा के द्वारा उनके लोगों को आज़ाद करने की योजना देखते हैं। इन पंक्तियों द्वारा परमेश्वर मूसा से बार - बार ये शब्द कहते हैं: ‘फिरोन के पास जा कर कह, कि इब्रियों का परमेश्वर यहोवा तुझ से इस प्रकार कहता है, कि मेरी प्रजा के लोगों को जाने दे, कि मेरी उपासना करें’ (9:1)।
वह फिरौन को बहुत अवसर देते हैं। मूसा बार - बार फिरौन से परमेश्वर के शब्दों को कहता है: ‘मेरी प्रजा के लोगों को जाने दे, कि मेरी उपासना करें’ (9:13;10:3,7)। या जैसा कि मैसेज अनुवाद कहता है, ‘मेरे लोगों को आज़ाद कर दे कि वे मेरी आराधना करें।’
दुनिया हमारे ‘अच्छे कार्यों’ को देखती है लेकिन हमारी आराधना के महत्त्व को नहीं देखती। फिरौन उन पर आलसी होने और काम के बजाय आराधना को एक विकल्प मानने का आरोप लगाता है – वास्तव में इस पद्यांश में ‘आराधना’ का इब्रानी शब्द (‘अवाद’) है, जिसे आराधना और काम दोनों के रूप में अनुवादित किया जा सकता है।
परमेश्वर आपसे प्यार करते हैं और वह नहीं चाहते कि किसी का भी नाश हो, लेकिन हर एक को अपना मन फिराना है (2पतरस 3:9)। एकमात्र तरीका जिससे हम नाश हो सकते हैं, वह है फिरौन के जैसे हम भी अपना मन कठोर कर लें और उन सभी चेतावनी संकेत को अनदेखा करें जो परमेश्वर हमारे मार्ग में डालते हैं। घमंड, फिरौन के पाप का मूल था। उसने जितना ज़्यादा इंकार किया, उसे अपने मन को बदल पाना उतना ही मुश्किल हो गया था। गलत दिशा में जाने के बजाय अपनी गलतियों को मानने के लिए तैयार रहें।
परमेश्वर की इच्छा है कि वह अपने लोगों को आज़ाद करें ताकि वे पूरे जीवन भर उनकी आराधना कर सकें। वह आपको अपराध बोध, शर्म, पाप, व्यसन और डर से मुक्त करना चाहते हैं। वह आपको उनसे प्रेम करने, उनकी सेवा करने और उनकी आराधना करने के लिए मुक्त करना चाहते हैं।
प्रार्थना
प्रभु आपका धन्यवाद, आपने कहा है ‘यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्वतंत्र हो जाओगे’ (यूहन्ना 8:36)। मैं अपनी स्वतंत्रता का उपयोग आपकी आराधना और आपकी सेवा के लिए करूँग़ा।**
पिप्पा भी कहते है
निर्गमन 9:20
‘इसलिये फिरौन के कर्मचारियों में से जो लोग यहोवा के वचन का भय मानते थे उन्होंने तो अपने सेवकों और पशुओं को घर में हाँक दिया’
लोगों का मन बहुत कठोर हो सकता है: चाहें उन्हें कितने भी चिन्ह दिखाए जाएं, कुछ लोग विश्वास नहीं करेंगे। लेकिन सबसे असंभव जगहों में भी कुछ लोग होते हैं जो परमेश्वर को प्रतिक्रिया दिखाते हैं।

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संदर्भ
नोट्स
सोलोमन नॉर्थअप, ट्वेल्व यर्स ए स्लेव, (लंडन, सॅम्पसन लो, सन एंड कंपनी, 1853)
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