दिन 5

सभी भली चीजें

बुद्धि भजन संहिता 4:1-8
नए करार मत्ती 4:23-5:20
जूना करार उत्पत्ति 9:18-11:9

परिचय

हम सब खुशियाँ खोजते हैं. हम सब प्रेम खोजते हैं. हम सब शांति के लिए बेचैन हैं. लेकिन कई बार, हम गलत जगहों में शांति खोजते हैं.

सेंट ऑगस्टीन ने प्रार्थना की, ‘प्रभु..... आपने हमें अपने लिये बनाया है और हमारे दिल बेचैन हैं जब तकि ये आप में शांति न पा लें.’ परमेश्वर सभी अच्छी चीजों के स्रोत हैं.

बुद्धि

भजन संहिता 4:1-8

तारवाद्यों वाले संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का एक गीत।

4मेरे उत्तम परमेश्वर,
  जब मैं तुझे पुकारुँ, मुझे उत्तर दे।
 मेरी विनती को सुन और मुझ पर कृपा कर।
  जब कभी विपत्तियाँ मुझको घेरें तू मुझ को छुड़ा ले।

2 अरे लोगों, कब तक तुम मेरे बारे में अपशब्द कहोगे?
 तुम लोग मेरे बारे में कहने के लिये नये झूठ ढूँढते रहते हो।
 उन झूठों को कहने से तुम लोग प्रीति रखते हो।

3 तुम जानते हो कि अपने नेक जनों की यहोवा सुनता है!
 जब भी मैं यहोवा को पुकारता हूँ, वह मेरी पुकार को सुनता है।

4 यदि कोई वस्तु तुझे झमेले में डाले, तू क्रोध कर सकता है, किन्तु पाप कभी मत करना।
 जब तू अपने बिस्तर में जाये तो सोने से पहले उन बातों पर विचार कर और चुप रह।
5 समुचित बलियाँ परमेश्वर को अर्पित कर
 और तू यहोवा पर भरोसा बनाये रख।

6 बहुत से लोग कहते हैं, “परमेश्वर की नेकी हमें कौन दिखायेगा?
 हे यहोवा, अपने प्रकाशमान मुख का प्रकाश मुझ पर चमका।”
7 हे यहोवा, तुने मुझे बहुत प्रसन्न बना दिया। कटनी के समय भरपूर फसल और दाखमधु पाकर जब हम आन्नद और उल्लास मनाते हैं उससे  भी कहीं अधिक प्रसन्न मैं अब हूँ।
8 मैं बिस्तर में जाता हूँ और शांति से सोता हूँ।
 क्योंकि यहोवा, तू ही मुझको सुरक्षित सोने को लिटाता है।

समीक्षा

आनंद और शांति के स्रोत

अक्सर हम शांति और आनंद गलत जगहों में खोजते हैं: ‘तुम कब तक व्यर्थ बातों से प्रीति रखोगे और झूठी युक्ति की खोज में रहोगे? ’ (व. 2). हम सोचते हैं कि धन, संपत्ति या सफलता उत्तर होंगे. लेकिन ये सब भ्रम और झूठे देवता हैं. दाऊद हमें बताते हैं कि असली आनंद और शांति कहाँ पाई जा सकती है – परमेश्वर ने आपको उनके साथ अच्छा संबंध स्थापित करने के लिए बनाया है (व. 3).

हमसे परेशानी-मुक्त जीवन का वायदा नहीं किया गया है – भजन संहिता एक पुकार से आरंभ होता है: ‘ जब मैं सकेती में पड़ा तब तू ने मुझे विस्तार दिया। मुझ पर अनुग्रह कर और मेरी प्रार्थना सुन ले॥’ (व.1ब). दाऊद को पूरा विश्वास था कि परमेश्वर उसकी प्रार्थना सुनेंगे: ‘जब मैं यहोवा को पुकारूंगा तब वह सुन लेगा॥’ (व. 3ब, एमएसजी).

केवल परमेश्वर ही आनंद और शांति के स्रोत हैं: ‘हे यहोवा तू अपने मुख का प्रकाश हम पर चमका! तू ने मेरे मन में उससे कहीं अधिक आनन्द भर दिया है, जो उन को अन्न और दाखमधु की बढ़ती से होता था। मैं शान्ति से लेट जाऊंगा और सो जाऊंगा; क्योंकि, हे यहोवा, केवल तू ही मुझ को एकान्त में निश्चिंत रहने देता है’ (व. 6ब-8).

भौतिक समृद्धि और ऐश्वर्य से ज्यादा परमेश्वर की उपस्थिति में कहीं ज्यादा आनंद है. समृद्धि, जो कि अवास्तविक सुरक्षा लाती है, फिर भी इससे शांतिपूर्ण नींद नहीं आती. यह केवल परमेश्वर ही ला सकते हैं, ‘निश्चिन्त रहने देता है’ (व.8).

प्रार्थना

प्रभु, आपके मुख का प्रकाश मुझ पर चमकाइये. मेरे हृदय को अपनी उपस्थिति के आनंद से भर दीजिये और मुझे शांति की नींद प्रदान कीजिये.

नए करार

मत्ती 4:23-5:20

यीशु का लोगों को उपदेश और उन्हें चंगा करना

23 यीशु समूचे गलील क्षेत्र में यहूदीआराधनालयों में स्वर्ग के राज्य के सुसमाचार का उपदेश देता और हर प्रकार के रोगों और संतापों को दूर करता घूमने लगा। 24 समस्त सीरिया देश में उसका समाचार फैल गया। इसलिये लोग ऐसे सभी व्यक्तियों को जो संतापी थे, या तरह तरह की बीमारियों और वेदनाओं से पीड़ित थे, जिन पर दुष्टात्माएँ सवार थीं, जिन्हें मिर्गी आती थी और जो लकवे के मारे थे, उसके पास लाने लगे। यीशु ने उन्हें चंगा किया। 25 इसलिये गलील, दस नगर, यरूशलेम, यहूदिया और यर्दन नदी पार के लोगों की बड़ी बड़ी भीड़ उसका अनुसरण करने लगी।

यीशु का उपदेश

5यीशु ने जब यह बड़ी भीड़ देखी, तो वह एक पहाड़ पर चला गया। वहाँ वह बैठ गया और उसके अनुयायी उसके पास आ गये। 2 तब यीशु ने उन्हें उपदेश देते हुए कहा:

3 “धन्य हैं वे जो हृदय से दीन हैं,
 स्वर्ग का राज्य उनके लिए है।
4 धन्य हैं वे जो शोक करते हैं,
 क्योंकि परमेश्वर उन्हें सांतवन देता है
5 धन्य हैं वे जो नम्र हैं
 क्योंकि यह पृथ्वी उन्हीं की है।
6 धन्य हैं वे जो नीति के प्रति भूखे और प्यासे रहते हैं!
 क्योंकि परमेश्वर उन्हें संतोष देगा, तृप्ति देगा।
7 धन्य हैं वे जो दयालु हैं
 क्योंकि उन पर दया गगन से बरसेगी।
8 धन्य हैं वे जो हृदय के शुद्ध हैं
 क्योंकि वे परमेश्वर के दर्शन करेंगे।
9 धन्य हैं वे जो शान्ति के काम करते हैं।
 क्योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलायेंगे।
10 धन्य हैं वे जो नीति के हित में यातनाएँ भोगते हैं।
 स्वर्ग का राज्य उनके लिये ही है।

11 “और तुम भी धन्य हो क्योंकि जब लोग तुम्हारा अपमान करें, तुम्हें यातनाएँ दें, और मेरे लिये तुम्हारे विरोध में तरह तरह की झूठी बातें कहें, बस इसलिये कि तुम मेरे अनुयायी हो, 12 तब तुम प्रसन्न रहना, आनन्द से रहना, क्योंकि स्वर्ग में तुम्हें इसका प्रतिफल मिलेगा। यह वैसा ही है जैसे तुमसे पहले के भविष्यवक्ताओं को लोगों ने सताया था।

तुम नमक के समान हो: तुम प्रकाश के समान हो

13 “तुम समूची मानवता के लिये नमक हो। किन्तु यदि नमक ही बेस्वाद हो जाये तो उसे फिर नमकीन नहीं बनाया जा सकता है। वह फिर किसी काम का नहीं रहेगा। केवल इसके, कि उसे बाहर लोगों की ठोकरों में फेंक दिया जाये।

14 “तुम जगत के लिये प्रकाश हो। एक ऐसा नगर जो पहाड़ की चोटी पर बसा है, छिपाये नहीं छिपाया जा सकता। 15 लोग दीया जलाकर किसी बाल्टी के नीचे उसे नहीं रखते बल्कि उसे दीवट पर रखा जाता है और वह घर के सब लोगों को प्रकाश देता है। 16 लोगों के सामने तुम्हारा प्रकाश ऐसे चमके कि वे तुम्हारे अच्छे कामों को देखें और स्वर्ग में स्थित तुम्हारे परम पिता की महिमा का बखान करें।

यीशु और यहूदी धर्म-नियम

17 “यह मत सोचो कि मैं मूसा के धर्म-नियम या भविष्यवक्ताओं के लिखे को नष्ट करने आया हूँ। मैं उन्हें नष्ट करने नहीं बल्कि उन्हें पूर्ण करने आया हूँ। 18 मैं तुम से सत्य कहता हूँ कि जब तक धरती और आकाश समाप्त नहीं हो जाते, मूसा की व्यवस्था का एक एक शब्द और एक एक अक्षर बना रहेगा, वह तब तक बना रहेगा जब तक वह पूरा नहीं हो लेता।

19 “इसलिये जो इन आदेशों में से किसी छोटे से छोटे को भी तोड़ता है और लोगों को भी वैसा ही करना सिखाता है, वह स्वर्ग के राज्य में कोई महत्व नहीं पायेगा। किन्तु जो उन पर चलता है और दूसरों को उन पर चलने का उपदेश देता है, वह स्वर्ग के राज्य में महान समझा जायेगा। 20 मैं तुमसे सत्य कहता हूँ कि जब तक तुम व्यवस्था के उपदेशकों और फरीसियों से धर्म के आचरण में आगे न निकल जाओ, तुम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं पाओगे।

समीक्षा

परमेश्वर की कृपा और सच्ची खुशी

यीशु के अनुसार सच्ची खुशी उन सभी चीजों से नहीं आती इसका सुझाव समाज देता है. यह प्रसिद्धि, सुंदरता, धन और संपत्ति से नहीं आती. यह इस बारे में नहीं है कि आप कैसा महसूस करते हैं या बल्कि आप क्या करते हैं.

ग्रीक शब्द जिसे 5:3-11 मे उपयोग किया गया है, वह ‘मॅकेरियोस’ है जिसका अर्थ है ‘आशीषित’, भाग्यशाली, ‘खुश’ – परमेश्वर की कृपा प्राप्त करने वाला सौभाग्यशाली. या जैसा कि एम्प्लीफाइड संस्करण इसे लिखता है, ‘खुश, ईर्ष्या के योग्य और आत्मिक रूप से समृद्ध, यानि आनंद और संतोष से भरा जीवन..... चाहें उनकी स्थिति कैसी भी क्यों न हो.’

परम सुख (‘सुंदर व्यवहार’!) की अवस्था में यीशु आठ अनपेक्षित स्थितियों का वर्णन करते हैं जिसमें आप परमेश्वर की कृपा और आशीषों को प्राप्त करते हैं.

1. परमेश्वर के लिए आत्मिक रूप से बेचैन रहें

‘धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं’ (व. 3अ). दीन शब्द का अर्थ है ‘भीख मांगना..... समर्थन के लिए दूसरों पर निर्भर होना’. यहाँ इसका अर्थ है यीशु पर निर्भर होने की जरूरत का एहसास होने पर निम्न और कमजोर होना: ‘तुम आशीषित हो जब तुम अपनी रस्सी के छोर पर हो’ (व. 3अ, एमएसजी). धन्य है वह जो आत्मा में दीन हैं क्योंकि, किसके लिए यीशु ने संभव किया है, ‘क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है।’ (व. 3ब).

2. अपनी स्थिति का शोक मनाएं

‘धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं,’ (व. 4अ). अपने खुद के पाप पर और अपनी आसपास की दुनिया में गड़बड़ी पर शोक मनाओ. जो रो रहे हैं उनके साथ शोक मनाओ. जिनसे आप प्यार करते हैं उनके खोने पर रोना और शोक मनाना गलत नहीं है. यीशु ने वादा किया है कि ‘जो शोक करते हैं, वे शांति पाएंगे।’ (व. 4ब). परमेश्वर की सांत्वना किसी भी तरह की सामान्य सांत्वना से परे है. जैसा कि जॉयस मेयर लिखती हैं, ‘किसी परेशानी का होना लगभग उचित है ताकि हम इसे अनुभव करने के काबिल हो सकें.’

3. आप जो है उसके प्रति संतुष्ट रहें

‘धन्य हैं वे, जो नम्र हैं, ’ (व. 5अ). ‘नम्र’ के लिए ग्रीक शब्द का अर्थ है ‘विनम्र’, ‘दूसरों का ध्यान रखनेवाला’, ‘विनयशील’. यह दूसरों के प्रति दया और करूणा दिखाना है. यह घमंड और स्वार्थी के विपरीत है. इसका मतलब है ‘टूटना’, ग्लास के टूटने के संदर्भ में नहीं जो कि बिखर गया हो, बल्कि इस संदर्भ में यहाँ एक घोड़े को – लगाम द्वारा नियंत्रित किया गया है या यह काबू में है. यीशु के द्वारा नम्र लोग धन्य हैं – ‘क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे। ’ (व. 5ब).

‘आप जो हैं – न कम, न ज्यादा - यदि आप उसमें संतुष्ट रहेंगे तो आप धन्य हैं’ (व. 5, एमएसजी).

4. परमेश्वर के लिए भूखे हों

‘धन्य हैं वे जो धर्म के भूखे और प्यासे हैं,’ (व. 6अ). परमेश्वर के साथ संबंध बनाने का प्रयास करें जो कि आपकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिये. अपने लिए किसी चीज के पीछे भागना आपको खोखला बना देता है. लेकिन परमेश्वर और उनकी धार्मिकता के लिए भूखे रहने से ‘वे तृप्त किये जाएंगे’ (व. 6ब).

‘आप धन्य हैं जो आपने परमेश्वर के लिए अच्छी भूख बनाई है.’ (व. 6अ, एमएसजी).

5. क्षमा प्राप्त करें और दयावन्त बनें

‘धन्य हैं वे, जो दयावन्त हैं, क्योंकि उन पर दया की जाएगी’ (व. 7अ). लोगों को वह न दें जिसके वे ‘योग्य’ हैं, बल्कि उन्हें वह दें जिसके वे योग्य नहीं हैं. जैसा कि सी.एस. लेविस लिखते हैं, ‘मसीही होना यानि उसे क्षमा करना जो क्षमा करने योग्य नहीं है, परमेश्वर ने आपमें अक्षम्य को क्षमा किया है.’ धन्य हैं जो दयावन्त हैं, क्योंकि ‘उन पर दया की जाएगी’ (व. 7ब).

6. पूरी तरह से निष्कपट रहें

‘धन्य हैं वे, जिन के मन शुद्ध हैं’ (व. 8अ). यह सिर्फ बाहरी पवित्रता नहीं है, बल्कि ईमानदारी, निष्कपटता, सच्चाई, और प्रमाणिकता है. यह वह पवित्रता है जो आपको ‘परमेश्वर को देखने’ में मदद करती है (व. 8ब). पवित्र मन आपके विचारों से शुरु होता है क्योंकि आपके विचार आपके शब्द, आपके कार्य और आपका चरित्र बनते हैं.

मन के शुद्ध बनना यानि जैसे हम हैं वैसे ही दूसरों को दिखाना – अपने सभी टूटेपन में और अति संवेदनशीलता में. ‘आप धन्य हैं जब आप अपनी अंदर की दुनिया को पाएंगे – यानि अपने मन और हृदय को – सही करेंगे.’ (व. 8ब, एमएसजी).

7. मेल मिलाप करवाने का प्रयास करें

‘धन्य हैं वे, जो मेल करवाने वाले हैं, ’ (व. 9अ). मतभेद खड़ा मत कीजिये, बल्कि शांति बनाए रखिये. यीशु, परमेश्वर के पुत्र, आपके लिए क्रूस पर शांति बनाने के लिए आए (कुलिसियों 1:20). ‘धन्य हैं वे, जो मेल करवाने वाले हैं, क्योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे, ’ (मत्ती 5:9ब).

‘आप तभी धन्य होंगे जब आप लोगों को प्रतियोगिता करने या लड़ने के बजाय सहयोग करना सिखाएंगे’ (व. 9अ, एमएसजी).

8. कुछ भी अपेक्षा न करें, बल्कि सताव की अपेक्षा करें

‘धन्य हैं वे, जो धर्म के कारण सताए जाते हैं,’ (व. 10अ). अपमान के अलावा दुनिया से किसी भी चीज की अपेक्षा न करें. लेकिन परमेश्वर सताई गई कलीसियाओं के साथ हैं: ‘क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है।’ (व. 10ब).

‘आप धन्य हैं जब परमेश्वर के प्रति समर्पण सताव को भड़काता है’ (व. 10, एमएसजी).

हमने यहाँ पर तीसरा तरीका देखा जिसमें यीशु ने पुराने नियम को पूरा किया. हम पहले ही देख चुके हैं कि यीशु ने पुराने नियम के इतिहास को पूरा किया है (1:1-17) और किस तरह से उन्होंने पुराने नियम की भविष्यवाणियों को पूरा किया है. (1:18-4:16). अब, पहाड़ के उपदेश में इसकी गहराई और अर्थ को प्रकट करते हुए, यीशु पुराने नियम की व्यवस्था को पूरा करते हैं: ‘एक पल के लिए भी यह न सोचें कि मैं वचनों को तोड़ने आया हूँ – ना ही परमेश्वर या भविष्यवक्ताओं की व्यवस्था को. मैं यहाँ तोड़ने नहीं बल्कि इसे पूरा करने आया हूँ’ (5:17, एमएसजी).

एक अमेरिकी रॉक गायक पासवान बना, जॉन विम्बर, उसने कहा कि, ‘यीशु अतृप्य हैं. हम उन्हें खुश करने के लिए सबकुछ करते हैं लेकिन उन्हें कुछ भी संतुष्ट नहीं कर पाता. मैं यीशु से संतुष्ट रहा हूँ. लेकिन वह मुझ से संतुष्ट नहीं रहे. वह मानकों को बढ़ाते रहते हैं. वह ऊँचे स्थानों में चलते हैं.’ पर्वत के उपदेश में, यीशु ने पैमाने को ‘आकाश में उठाया ’ हमें नीचा दिखाने के लिए नहीं बल्कि हमें ऊँचा उठाने के लिए: ‘मैंने तुम्हें पहाड़ की चोटी पर, एक दीवट पर रखा है – चमको!’ (5:16, एमएसजी).

प्रार्थना

प्रभु, इस वर्ष मुझे पहाड़ के उपदेश के मूल्यों द्वारा जीने में और परम सुख को साकार करने में मेरी मदद कीजिये, ताकि मैं अपने आसपास की दुनिया में चमक सकूँ.

जूना करार

उत्पत्ति 9:18-11:9

समस्यायें फिर शुरु होती हैं

18 नूह के पुत्र उसके साथ जहाज से बाहर आए। उनके नाम शेम, हाम और येपेत थे। (हाम तो कनान का पिता था।) 19 तीनों नूह के पुत्र थे और संसार के सभी लोग इन तीनों से ही पैदा हुए।

20 नूह किसान बना। उसने अंगूरों का बाग लगाया। 21 नूह ने दाखमधु बनाया और उसे पिया। वह मतवाला हो गया और अपने तम्बू में लेट गया। नूह कोई कपड़ा नहीं पहना था। 22 कनान के पिता हाम ने अपने पिता को नंगा देखा। तम्बू के बाहर अपने भाईयों से हाम ने यह बताया। 23 तब शेम और येपेत ने एक कपड़ा लिया। वे कपड़े को पीठ पर डाल कर तम्बू में ले गए। वे उल्टे मुँह तम्बू में गए। इस तरह उन्होंने अपने पिता को नंगा नहीं देखा।

24 बाद में नूह सोकर उठा। (वह दाखमधु के कारण सो रहा था।) तब उसे पता चला कि उसके सब से छोटे पुत्र हाम ने उसके बारे में क्या किया है। 25 इसलिए नूह ने शाप दिया,

 “यह शाप कनान के लिए हो
 कि वह अपने भाईयों का दास हो।”

26 नूह ने यह भी कहा,

 “शेम का परमेश्वर यहोवा धन्य हो!
 कनान शेम का दास हो।
27 परमेश्वर येपेत को अधिक भूमि दे।
 परमेश्वर शेम के तम्बूओं में रहे
 और कनान उनका दास बने।”

28 बाढ़ के बाद नूह साढ़े तीन सौ वर्ष जीवित रहा। 29 नूह पूरे साढ़े नौ सौ वर्ष जीवित रहा, तब वह मरा।

राष्ट्र बढ़े और फैले

10नूह के पुत्र शेम, हाम, और येपेत थे। बाढ़ के बाद ये तीनों बहुत से पुत्रों के पिता हुए। यहाँ शेम, हाम और येपेत से पैदा होने वाले पुत्रों की सूची दी जा रही है:

येपेत के वंशज

2 येपेत के पुत्र थे: गोमेर, मागोग, मादै, यावान, तूबल, मेशेक और तीरास।

3 गोमेर के पुत्र थे: अशकनज, रीपत और तोगर्मा

4 यावान के पुत्र थे: एलीशा, तर्शीश, कित्ती और दोदानी

5 भूमध्य सागर के चारों ओर तटों पर जो लोग रहने लगे वे येपेत के वंशज के ही थे। हर एक पुत्र का अपना अलग प्रदेश था। सभी परिवार बढ़े और अलग राष्ट्र बन गए। हर एक राष्ट्र की अपनी भाषा थी।

हाम के वंशज

6 हाम के पुत्र थे: कूश, मिस्र, फूत और कनान।

7 कूश के पुत्र थे: सबा, हबीला, सबता, रामा, सबूतका।

रामा के पुत्र थे: शबा और ददान।

8 कूश का एक पुत्र निम्रोद नाम का भी था। निम्रोद पृथ्वी पर बहुत शक्तिशाली व्यक्ति हुआ। 9 यहोवा के सामने निम्रोद एक बड़ा शिकारी था। इसलिए लोग दूसरे व्यक्तियों की तुलना निम्रोद से करते हैं और कहते है, “यह व्यक्ति यहोवा के सामने बड़ा शिकारी निम्रोद के समान है।”

10 निम्रोद का राज्य शिनार देश में बाबुल, एरेख और अव्कद प्रदेश में प्रारम्भ हुआ। 11 निम्रोद अश्शूर में भी गया। वहाँ उसने नीनवे, रहोबोतीर, कालह और 12 रेसेन नाम के नगरों को बसाया। (रेसेन, नीनवे और बड़े शहर कालह के बीच का शहर है।)

13 मिस्रम (मिस्र) लूद, अनाम, लहाब, नप्तूह, 14 पत्रूस, कसलूह और कप्तोर देशों के निवासियों का पिता था। (पलिश्ती लोग कसलूह लोगों से आए थे।)

15 कनान सीदोन का पिता था। सिदोन कनान का पहला पुत्र था। कनान, हित का भी पिता था। 16 और कनान, यबूसी, एमोरी, गिर्गाशी, 17 हिव्वी, अकरी, सीनी, 18 अर्बदी, समारी, हमाती लोगों का पिता था।

कनान के परिवार संसार के विभिन्न भागों मे फैले। 19 कनान लोगों का देश सीदोन से उत्तर में और दक्षिण में गरार तक, पश्चिम में अज्जा से पूर्व में सदोम और अमोरा तक, अदमा और सबोयीम से लाशा तक था।

20 ये सभी लोग हाम के वंशज थे। उन सभी परिवारों की अपनी भाषाएँ और अपने प्रदेश थे। वे अलग—अलग राष्ट्र बन गए।

शेम के वंशज

21 शेम येपेत का बड़ा भाई था। शेम का एक वंशज एबेर हिब्रू लोगों का पिता था।

22 शेम के पुत्र एलाम, अश्शूर, अर्पक्षद, लूद और अराम थे।

23 अराम के पुत्र ऊस, हूल, गेतेर और मश थे।

24 अर्पक्षद शेलह का पिता था।

शेलह एबेर का पिता था।

25 एवेर के दो पुत्र थे। एक पुत्र का नाम पेलेग था। उसे यह नाम इसलिए दिया गया क्योंकि जीवन काल में धरती का विभाजन हुआ। दूसरे भाई का नाम योक्तान था।

26 योक्तान अल्मोदाद, शेलेप, हसर्मावेत, येरह, 27 यदोरवाम, ऊजाल, दिक्ला, 28 ओबाल, अबीमाएल, शबा, 29 ओपीर हवीला और योबाब का पिता था। ये सभी लोग योक्तान की संतान हुए। 30 ये लोग मेशा और पूर्वी पहाड़ी प्रदेश के बीच की भूमि में रहते थे। मेशा सपारा प्रदेश की ओर था।

31 वे लोग शेम के परिवार से थे। वे परिवार, भाषा, प्रदेश और राष्ट्र की इकाईयों में व्यवस्थित थे।

32 नूह के पुत्रों से चलने वाले परिवारों की यह सूची है। वे अपने—अपने राष्ट्रो में बँटकर रहते थे। बाढ़ के बाद सारी पृथ्वी पर फैलने वाले लोग इन्हीं परिवारों से निकले।

संसार बँटा

11बाढ़ के बाद सारा संसार एक ही भाषा बोलता था। सभी लोग एक ही शब्द समूह का प्रयोग करते थे। 2 लोग पूर्व से बढ़े। उन्हें शिनार देश में एक मैदान मिला। लोग वहीं रहने के लिए ठहर गए। 3 लोगों ने कहा, “हम लोगों को ईंटें बनाना और उन्हें आग में तपाना चाहिए, ताकि वे कठोर हो जाएं।” इसलिए लोगों ने अपने घर बनाने के लिए पत्थरों के स्थान पर ईंटों का प्रयोग किया और लोगों ने गारे के स्थान पर राल का प्रयोग किया।

4 लोगों ने कहा, “हम अपने लिए एक नगर बनाएं और हम एक बहुत ऊँची इमारत बनाएँगे जो आकाश को छुएगी। हम लोग प्रसिद्ध हो जाएँगे। आगर हम लोग ऐसा करेंगे तो पूरी धरती पर बिखरेंगे नहीं, हम लोग एक जगह पर एक साथ रहेंगे।”

5 यहोवा, नगर और बहुत ऊँची इमारत को देखने के लिए नीचे आया। यहोवा ने लोगों को यह सब बनाते देखा। 6 यहोवा ने कहा, “ये सभी लोग एक ही भाषा बोलते हैं और मैं देखता हूँ कि वे इस काम को करने के लिए एकजुट हैं। यह तो, ये जो कुछ कर सकते हैं उसका केवल आरम्भ है। शीघ्र ही वे वह सब कुछ करने के योग्य हो जाएँगे जो ये करना चाहेंगे। 7 इसलिए आओ हम नीचे चले और इनकी भाषा को गड़बड़ कर दें। तब ये एक दूसरे की बात नहीं समझेंगे।”

8 यहोवा ने लोगों को पूरी पृथ्वी पर फैला दिया। इससे लोगों ने नगर को बनाना पूरा नहीं किया। 9 यही वह जगह थी जहाँ यहोवा ने पूरे संसार की भाषा को गड़बड़ कर दिया था। इसलिए इस जगह का नाम बाबुल पड़ा। इस प्रकार यहोवा ने उस जगह से लोगों को पृथ्वी के सभी देशों में फैलाया।

समीक्षा

प्रेम और एकता का स्रोत

प्रेम ढंकता है और सुरक्षित करता है . यह दूसरों की कमजोरियों और गलतियों को उघाड़ने का प्रयास नहीं करता. यह दूसरों की दुर्गति पर प्रसन्न नहीं होता.

बल्कि आज का पद्यांश नूह के नशे में होने से शुरु होता है. सच्चाई यह है कि वह एक धार्मिक व्यक्ति था इसका मतलब यह नहीं कि उसमे कोई गलतियाँ नहीं थी. शेम और येपेत दोनों को आज्ञा दी गई थी कि वे अपने पिता के नंगे तन को ढांप दें (9:23).

प्रेम और एकता साथ-साथ चलते हैं. बाबुल गुम्मट आपसी फूट का उदाहरण है (11:1-9). लोगों ने कहा ‘आओ, हम एक नगर और एक गुम्मट बना लें, जिसकी चोटी आकाश से बातें करे, इस प्रकार से हम अपना नाम करें ऐसा न हो कि हम को सारी पृथ्वी पर फैलना पड़े। ’ (व. 4).

पेंताकुस का दिन बबुल (Babel) का उलटाव था. पवित्र आत्मा लोगों को बोलने में मदद करते हैं : ‘हम में से हर एक अपनी अपनी जन्म भूमि की भाषा सुनता है’ (प्रेरितों के कार्य 2:8). अन्य भाषा बोलने का वरदान इस सच्चाई को दर्शाता है कि पवित्र आत्मा ने बबुल (Babel) के विभेद को पलट देते हैं और सभी लोगों को और भाषाओं को आपस में जोड़ते हैं.

जब हम पवित्र आत्मा को चर्चों, भाषाओं और देशों में प्रेम और एकता लाते हुए देखते हैं तो यह एक सामान्य अनुभव है.

प्रार्थना

प्रभु, हम कभी भी खुद के लिए या अपने चर्च के लिए नाम कमाने की कोशिश न करें. बल्कि हम आपको महिमा देने का प्रयास करें. अपना पवित्र आत्मा उंडेलिये, हे प्रभु, जैसा कि आपने पेंताकुस के दिन किया था. बबुल का ठीक विपरीत होने दें. सभी विभेद का अंत हो जाए. आपके पवित्र आत्मा और परमेश्वर के राज्य का मूल्य प्रेम, आनंद, शांति, सच्ची खुशी और एकता हो जाए.

पिप्पा भी कहते है

मत्ती 4:24

‘जो नाना प्रकार की बीमारियों और दुखों में जकड़े हुए थे, ...... उसके पास लाए और उस ने उन्हें चंगा किया। ’

मैं उन सबके लिए प्रार्थना करूँगा जो आज बीमार हैं या कष्ट में हैं.

\[‘पहाड़ के उपदेश’ (मत्ती 5-7) पर व्यापक विवरण और एप्लीकेशन जानने के लिए निकी गंबलेस की किताब ‘द जीसस लाइफ स्टाइल’ देखें : shop.alpha.org/product/182/jesus-lifestyle-nicky-gumbel\]

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संदर्भ

जिन वचनों को (एएमपी) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

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