दिन 6

जीवन के लिए निर्देश

बुद्धि भजन संहिता 5:1-12
नए करार मत्ती 5:21-42
जूना करार उत्पत्ति 11:10-13:18

परिचय

पीपा और मैं अक्सर जल्दबाजी में रहते हैं. हम अपनी कार से यात्रा करने की योजना बनाने में अच्छे नहीं है. हम अक्सर गलत दिशा निर्धारित कर देते हैं और बारबार खो जाते हैं, (बल्कि सेटनेव होने के बावजूद!).

हम में से कई लोग जीवन में इसी तरह से रहते हैं. हम अपने जीवन के लिए अच्छे दिशानिर्देश पाने के महत्व को नहीं समझते. यदि आप जीवन के लिए परमेश्वर के निर्देशों का पालन करें, तो आप उनकी आशीष का आनंद भी उठा पाएंगे और दूसरों में भी आशीष को लाएंगे.

बुद्धि

भजन संहिता 5:1-12

बाँसुरी वादकों के निर्देशक के लिये दाऊद का गीत।

5हे यहोवा, मेरे शब्द सुन
 और तू उसकी सुधि ले जिसको तुझसे कहने का मैं यत्न कर रहा हूँ।
2 मेरे राजा, मेरे परमेश्वर
 मेरी प्रार्थना सुन।

3 हे यहोवा, हर सुबह तुझको, मैं अपनी भेंटे अर्पित करता हूँ।
 तू ही मेरा सहायक है।
 मेरी दृष्टि तुझ पर लगी है और तू ही मेरी प्रार्थनाएँ हर सुबह सुनता है।
4 हे यहोवा, तुझ को बुरे लोगों की निकटता नहीं भाती है।
 तू नहीं चाहता कि तेरे मन्दिर में कोई भी पापी जन आये।
5 तेरे निकट अविश्वासी नहीं आ सकते।
 ऐसे मनुष्यों को तूने दूर भेज दिया जो सदा ही बुरे कर्म करते रहते हैं।
6 जो झूठ बोलते हैं उन्हें तू नष्ट करता है।
 यहोवा ऐसे मनुष्यों से घृणा करता है, जो दूसरों को हानि पहुँचाने का षड़यन्त्र रचते हैं।
7 किन्तु हे यहोवा, तेरी महा करुणा से मैं तेरे मन्दिर में आऊँगा।
 हे यहोवा, मुझ को तेरा डर है, मैं सम्मान तुझे देता हूँ। इसलिए मैं तेरे मन्दिर की ओर झुककर तुझे दण्डवत करुँगा।

8 हे यहोवा, तू मुझको अपनी नेकी का मार्ग दिखा।
 तू अपनी राह को मेरे सामने सीधी कर
 क्योंकि मैं शत्रुओं से घिरा हुआ हूँ।
9 वे लोग सत्य नहीं बोलते।
 वे झूठे हैं, जो सत्य को तोड़ते मरोड़ते रहते हैं।
 उनके मुख खुली कब्र के समान हैं।
 वे औरों से उत्तम चिकनी—चुपड़ी बातें करते किन्तु वे उन्हें बस जाल में फँसाना चाहते हैं।
10 हे परमेश्वर, उन्हें दण्ड दे।
 उनके अपने ही जालों में उनको उलझने दे।
 ये लोग तेरे विरुद्ध हो गये हैं,
 उन्हें उनके अपने ही बहुत से पापों का दण्ड दे।
11 किन्तु जो परमेश्वर के आस्थावान होते हैं, वे सभी प्रसन्न हों और वे सदा सर्वदा को आनन्दित रहें।
 हे परमेश्वर, तू उनकी रक्षा कर और उन्हें तू शक्ति दे जो जन तेरे नाम से प्रीति रखते हैं।

12 हे यहोवा, तू निश्चय ही धर्मी को वरदान देता है।
 अपनी कृपा से तू उनको एक बड़ी ढाल बन कर फिर ढक लेता है।

समीक्षा

हरदिन की शुरूवात निर्देश पाने के लिए इंतजार करते हुए करें

जब आपको यात्रा पर जाना हो,तो निर्देश पाने का सबसे अच्छा समय आपकी शुरुवात से पहले का है.

इस भजन में हमारे पास एक अद्भुत उदाहरण है कि हरदिन की शुरूवात कैसे की जाए: ‘हे मेरे राजा, हे मेरे परमेश्वर, मेरी दोहाई पर ध्यान दे, क्योंकि मैं तुझी से प्रार्थना करता हूँ। हे यहोवा, भोर को मेरी वाणी तुझे सुनाई देगी, मैं भोर को प्रार्थना करके तेरी बाट जोहूंगा।’ (वव2-3). ‘दाऊद निर्देशों का इंतजार कर रहा था’ (व. 8 एमएसजी).

दिन की शुरुवात में अपने निवेदन परमेश्वर के सम्मुख रखने में कुछ खास है. पूरे दिन का अलग अलग आयाम होता है,जब आप ‘अपेक्षा में इंतजार करते हैं’ (व.3).

प्रार्थना

प्रभु, आज मैं अपना निवेदन आपके समक्ष रखता हूँ और निर्देश का इंतजार कर रहा हूँ. मेरी अगुआई कीजिये, हे प्रभु. मुझ पर अपनी सुरक्षा फैलाइये. एक ढाल के समान मुझे अपनी कृपा से घेर लीजिये. (वव. 8,11,12).

नए करार

मत्ती 5:21-42

क्रोध

21 “तुम जानते हो कि हमारे पूर्वजों से कहा गया था ‘हत्या मत करो और यदि कोई हत्या करता है तो उसे अदालत में उसका जवाब देना होगा।’ 22 किन्तु मैं तुमसे कहता हूँ कि जो व्यक्ति अपने भाई पर क्रोध करता है, उसे भी अदालत में इसके लिये उत्तर देना होगा और जो कोई अपने भाई का अपमान करेगा उसे सर्वोच्च संघ के सामने जवाब देना होगा और यदि कोई अपने किसी बन्धु से कहे ‘अरे असभ्य, मूर्ख।’ तो नरक की आग के बीच उस पर इसकी जवाब देही होगी।

23 “इसलिये यदि तू वेदी पर अपनी भेंट चढ़ा रहा है और वहाँ तुझे याद आये कि तेरे भाई के मन में तेरे लिए कोई विरोध है 24 तो तू उपासना की भेंट को वहीं छोड़ दे और पहले जा कर अपने उस बन्धु से सुलह कर। और फिर आकर भेंट चढ़ा।

25 “तेरा शत्रु तुझे न्यायालय में ले जाता हुआ जब रास्ते में ही हो, तू झटपट उसे अपना मित्र बना ले कहीं वह तुझे न्यायी को न सौंप दे और फिर न्यायी सिपाही को, जो तुझे जेल में डाल देगा। 26 मैं तुझे सत्य बताता हूँ तू जेल से तब तक नहीं छूट पायेगा जब तक तू पाई-पाई न चुका दे।

व्यभिचार

27 “तुम जानते हो कि यह कहा गया है, ‘व्यभिचार मत करो।’ 28 किन्तु मैं तुमसे कहता हूँ कि यदि कोई किसी स्त्री को वासना की आँख से देखता है, तो वह अपने मन में पहले ही उसके साथ व्यभिचार कर चुका है। 29 इसलिये यदि तेरी दाहिनी आँख तुझ से पाप करवाये तो उसे निकाल कर फेंक दे। क्योंकि तेरे लिये यह अच्छा है कि तेरे शरीर का कोई एक अंग नष्ट हो जाये बजाय इसके कि तेरा सारा शरीर ही नरक में डाल दिया जाये। 30 और यदि तेरा दाहिना हाथ तुझ से पाप करवाये तो उसे काट कर फेंक दे। क्योंकि तेरे लिये यह अच्छा है कि तेरे शरीर का एक अंग नष्ट हो जाये बजाय इसके कि तेरा सम्पूर्ण शरीर ही नरक में चला जाये।

तलाक

31 “कहा गया है, ‘जब कोई अपनी पत्नी को तलाक देता है तो उसे अपनी पत्नी को लिखित रूप में तलाक देना चाहिये।’ 32 किन्तु मैं तुमसे कहता हूँ कि हर वह व्यक्ति जो अपनी पत्नी को तलाक देता है, यदि उसने यह तलाक उसके व्यभिचारी आचरण के कारण नहीं दिया है तो जब वह दूसरा विवाह करती है, तो मानो वह व्यक्ति ही उससे व्यभिचार करवाता है। और जो कोई उस छोड़ी हुई स्त्री से विवाह रचाता है तो वह भी व्यभिचार करता है।

शपथ

33 “तुमने यह भी सुना है कि हमारे पूर्वजों से कहा गया था, ‘तू शपथ मत तोड़ बल्कि प्रभु से की गयी प्रतिज्ञाओं को पूरा कर।’ 34 किन्तु मैं तुझसे कहता हूँ कि शपथ ले ही मत। स्वर्ग की शपथ मत ले क्योंकि वह परमेश्वर का सिंहासन है। 35 धरती की शपथ मत ले क्योंकि यह उसकी पाँव की चौकी है। यरूशलेम की शपथ मत ले क्योंकि यह महा सम्राट का नगर हैं। 36 अपने सिर की शपथ भी मत ले क्योंकि तू किसी एक बाल तक को सफेद या काला नहीं कर सकता है। 37 यदि तू ‘हाँ’ चाहता है तो केवल ‘हाँ’ कह और ‘ना’ चाहता है तो केवल ‘ना’ क्योंकि इससे अधिक जो कुछ है वह शैतान से है।

बदले की भावना मत रख

38 “तुमने सुना है: कहा गया है, ‘आँख के बदले आँख और दाँत के बदले दाँत।’ 39 किन्तु मैं तुझ से कहता हूँ कि किसी बुरे व्यक्ति का भी विरोध मत कर। बल्कि यदि कोई तेरे दाहिने गाल पर थप्पड़ मारे तो दूसरा गाल भी उसकी तरफ़ कर दे। 40 यदि कोई तुझ पर मुकद्दमा चला कर तेरा कुर्ता भी उतरवाना चाहे तो तू उसे अपना चोगा तक दे दे। 41 यदि कोई तुझे एक मील चलाए तो तू उसके साथ दो मील चला जा। 42 यदि कोई तुझसे कुछ माँगे तो उसे वह दे दे। जो तुझसे उधार लेना चाहे, उसे मना मत कर।

समीक्षा

जीवन के लिए यीशु के निर्देशों का पालन करें

कुछ सामान्य निर्देश हैं जो सभी कार यात्रा पर लागू होते हैं. ये मार्ग के नियम हैं. यूके में इन्हें हाइवे कोड में पाया जा सकता है. पहाड़ के उपदेश में यीशु के निर्देश जीवन में आशीष पाने के लिए ‘हाइवे कोड’ के समान हैं.

यीशु के निर्देशों के अनुसरण में सुधारवादी जीवनशैली शामिल है. वह हमें हरएक गलत व्यवहार, विचार शब्द और कार्य के प्रति कठोर व्यवहार करने के लिए कहते हैं.

हमारे शब्द आशीष के शब्द होने चाहिये जिसमे कोई क्रोध न हो. हमें अपने भाइयों और बहनों के विरूद्ध क्रोध भरे शब्द जरा भी नहीं बोलने चाहिये (व. 22).

हमें उन सभी लोगों को आशीष देने के लिए अपनी सामर्थ में हरएक चीज करने के लिए बुलाया गया है (वव. 23-26). यदि हमें अपने मित्र के प्रति कोई असंतोष याद आता है,तो हमें अपने मित्र के पास जाकर ‘चीजों को सही करना चाहिये’ (वव 23-24 एमएसजी). यदि हम किसी ‘पुराने शत्रु’ के सामने आ जाते हैं, तो ‘पहले हमें कदम बढ़ाकर; उनके साथ चीजों को सही करना है’ (व 25, एमएसजी).

हमें अपनी नजरों की और मन की निगरानी करनी चाहिये. यदि हम इन्हें भ्रष्ट होने दें,तो दूसरों के लिए आशीष बनने के बजाय हम खुद को नष्ट कर देंगे.

एक विलक्षण कदम उठाइये. यह शारीरिक रूप से व्यभिचार करने के बारे में नहीं है. बल्कि यीशु कहते हैं कि,‘जो कोई किसी स्त्री पर कुदृष्टि डाले वह अपने मन में उस से व्यभिचार कर चुका। ’ (व. 28, एमएसजी).

यीशु नजरों को व्यभिचार के शुरुवाती बिंदु के रूप में बताते हैं. ऐसे कामों को टालने के लिए सुधारवादी कदम उठाइये (वव. 29-30). जैसा कि अयूब ने कहा है,‘मैं ने अपनी आंखों के विषय वाचा बान्धी है, फिर मैं किसी कुंवारी पर क्योंकर आंखें लगाऊं? ’ (अयूब 31:1).

विवाह का उद्देश्य एक दूसरे के लिए आशीष का स्थान और अन्य लोगों के लिए आशीष का स्रोत होना है. इसका मतलब है विवाह में विलक्षण विश्वासयोग्यता का जीवन (मत्ती 5:31-32). यीशु तलाक के विरोध में कहते हैं कि यह ‘स्वार्थीपन और सनक को ढंकने ’ का माध्यम है.

हमें पूरी सच्चाई से जीना है जिसमे हम वही कहें जो हमारा मतलब है,और हमारा वही मतलब हो जो हम कहते हैं: ‘परन्तु तुम्हारी बात हां की हां, या नहीं की नहीं हो; क्योंकि जो कुछ इस से अधिक होता है वह बुराई से होता है’ (व. 37).

दूसरों को आशीष होने का मतलब है उन लोगों के लिए भी आशीष बनना जो हमारा बुरा करते हैं (वव 38-42). ‘पलटकर मत मारो...... जैसे को तैसा मत करो. उदारता से रहो’ (वव 39,42,एमएसजी). भलाई के प्रति बुरा करना शैतानी हरकत है. भलाई के प्रति भलाई करना मानवीय है. बुराई के प्रति भलाई करना यीशु का तरीका है.

प्रार्थना

प्रभु,मेरी मदद कीजिये कि इस साल मैं अपने जीवन में आपके निर्देशों को मानूँ और मैं जहाँ कहीं भी जाऊँ आपकी आशीष फैलाऊँ.

जूना करार

उत्पत्ति 11:10-13:18

शेम के परिवार की कथा

10 यह शेम के परिवार की कथा है। बाढ़ के दो वर्ष बाद जब शेम सौ वर्ष का था उसके पुत्र अर्पक्षद का जन्म हुआ। 11 उसके बाद शेम पाँच सौ वर्ष जीवित रहा। उसके अन्य पुत्र और पुत्रियाँ थीं।

12 जब अर्पक्षद पैंतीस वर्ष का था उसके पुत्र शेलह का जन्म हुआ। 13 शेलह के जन्म होने के बाद अर्पक्षद चार सौ तीन वर्ष जीवित रहा। इन दिनों उसके दूसरे पुत्र और पुत्रियाँ पैदा हुईं।

14 शेलह के तीस वर्ष के होने पर उसके पुत्र एबेर का जन्म हुआ। 15 एबेर के जन्म के बाद शेलह चार सौ तीन वर्ष जीवित रहा। इन दिनों में उसके दूसरे पुत्र और पुत्रियाँ उत्पन्न हुईं।

16 एबेर के चौंतीस वर्ष के होने के बाद उसके पुत्र पेलेग का जन्म हुआ। 17 पेलेग के जन्म के बाद एबेर चार सौ तीन वर्ष और जीवित रहा। इन दिनों में इसको दूसरे पुत्र और पुत्रियाँ हुईं।

18 जब पेलेग तीस वर्ष का हुआ, उसके पुत्र रु का जन्म हुआ। 19 रु के जन्म के बाद पेलेग दो सौ नौ वर्ष और जीवित रहा। उन दिनों में उसके अन्य पुत्रियों और पुत्रों का जन्म हुआ।

20 जब रु बत्तीस वर्ष का हुआ, उसके पुत्र सरूग का जन्म हुआ। 21 सरूग के जन्म के बाद रु दो सौ सात वर्ष और जीवित रहा। इन दिनों उसके दूसरे पुत्र और पुत्रियाँ हुईं।

22 जब सरुग तीस वर्ष का हुआ, उसके पुत्र नाहोर का जन्म हुआ। 23 नाहोर के जन्म के बाद सरुग दो सौ वर्ष और जीवित रहा। इन दिनों में उसके दूसरे पुत्रों और पुत्रियों का जन्म हुआ।

24 जब नाहोर उनतीस वर्ष का हुआ, उसके पुत्र तेरह का जन्म हुआ। 25 तेरह के जन्म के बाद नाहोर एक सौ उन्नीस वर्ष और जीवित रहा। इन दिनों में उसके दूसरी पुत्रियों और पुत्रों का जन्म हुआ।

26 तेरह जब सत्तर वर्ष का हुआ, उसके पुत्र अब्राम, नाहोर और हारान का जन्म हुआ।

तेरह के परिवार की कथा

27 यह तेरह के परिवार की कथा है। तेरह अब्राम, नाहोर और हारान का पिता था। हारान लूत का पिता था। 28 हारान अपनी जन्मभूमि कसदियों के उर नगर में मरा। जब हारान मरा तब उसका पिता तेरह जीवित था। 29 अब्राम और नाहोर दोनों ने विवाह किया। अब्राम की पत्नी सारै थी। नाहोर की पत्नी मिल्का थी। मिल्का हारान की पुत्री थी। हारान मिल्का और यिस्का का बाप था। 30 सारै के कोई बच्चा नहीं था क्योंकि वह किसी बच्चे को जन्म देने योग्य नहीं थी।

31 तेरह ने अपने परिवार को साथ लिया और कसदियों के उर नगर को छोड़ दिया। उन्होंने कनान की यात्रा करने का इरादा किया। तेरह ने अपने पुत्र अब्राम, अपने पोते लूत (हारान का पुत्र), अपनी पुत्रवधू (अब्राम की पत्नी) सारै को साथ लिया। उन्होंने हारान तक यात्रा की और वहाँ ठहरना तय किया। 32 तेरह दो सौ पाँच वर्ष जीवित रहा। तब वह हारान में मर गया।

परमेश्वर अब्राम को बुलाता है

12यहोवा ने अब्राम से कहा,

 “अपने देश और अपने लोगों को छोड़ दो।
  अपने पिता के परिवार को छोड़ दो
 और उस देश जाओ जिसे मै तुम्हें दिखाऊँगा।
 2 मैं तुम्हें आशीर्वाद दूँगा।
  मैं तुझसे एक महान राष्ट्र बनाऊँगा।
 मैं तुम्हारे नाम को प्रसिद्ध करूँगा।
  लोग तुम्हारे नाम का प्रयोग
 दूसरों के कल्यान के लिए करेंगे।
 3 मैं उन लोगों को आशीर्वाद दूँगा, जो तुम्हारा भला करेंगे।
  किन्तु उनको दण्ड दूँगा जो तुम्हारा बुरा करेंगे।
 पृथ्वी के सारे मनुष्यों को आशीर्वाद देने के लिए
  मैं तुम्हारा उपयोग करूँगा।”

अब्राम कनान जाता है

4 अब्राम ने यहोवा की आज्ञा मानी। उसने हारान को छोड़ दिया और लूत उसके साथ गया। इस समय अब्राम पच्हत्तर वर्ष का था। 5 अब्राम ने जब हारान छोड़ा तो वह अकेला नहीं था। अब्राम अपनी पत्नी सारै, भतीजे लूत और हारान में उनके पास जो कुछ था, सबको साथ लाया। हारान में जो दास अब्राम को मिले थे वे भी उनके साथ गए। अब्राम और उसके दल ने हारान को छोड़ा और कनान देश तक यात्रा की। 6 अब्राम ने कनान देश में शकेम के नगर और मोरे के बड़े पेड़ तक यात्रा की। उस समय कनानी लोग उस देश में रहते थे।

7 यहोव अब्राम के सामने आया यहोवा ने कहा, “मैं यह देश तुम्हारे वंशजों को दूँगा।”

यहोवा अब्राम के सामने जिस जगह पर प्रकट हुआ उस जगह पर अब्राम ने एक वेदी यहोवा की उपासना के लिए बनाया। 8 तब अब्राम ने उस जगह को छोड़ा और बेतेल के पूर्व पहाड़ों तक यात्रा की। अब्राम ने वहाँ अपना तम्बू लगाया। बेतेल नगर पश्चिम में था। ये नगर पूर्व में था। उस जगह अब्राम ने यहोवा के लिए दूसरी वेदी बनाई और अब्राम ने वहाँ यहोवा की उपासना की। 9 इसके बाद अब्राम ने फिर यात्रा आरम्भ की। उसने नेगव की ओर यात्रा की।

मिस्र में अब्राम

10 इन दिनों भूमि बहुत सूखी थी। वर्षा नहीं हो रही थी और कोई खाने की चीज़ नहीं उग सकती थी। इसलिए अब्राम जीवित रहने के लिए मिस्र चला गया। 11 अब्राम ने देखा कि उसकी पत्नी सारै बहुत सुन्दर थी। इसलिए मिस्री में आने के पहले अब्राम ने सारै से कहा, “मैं जानता हूँ कि तुम बहुत सुन्दर स्त्री हो। 12 मिस्र के लोग तुम्हें देखेंगे। वे कहेंगे ‘यह स्त्री इसकी पत्नी है।’ तब वे मुझे मार डालेंगे क्योंकि वे तुमको लेना चाहेंगे। 13 इसलिए तुम लोगों से कहना कि तुम मेरी बहन हो। तब वे मुझको नहीं मारेंगे। वे मुझ पर दया करेंगे क्योंकि वे समझेंगे कि मैं तुम्हारा भाई हूँ। इस तरह तुम मेरा जीवन बचाओगी।”

14 इस प्रकार अब्राम मिस्र में पहुँचा। मिस्र के लोगों ने देखा, सारै बहुत सुन्दर स्त्री है। 15 कुछ मिस्र के अधिकारियों ने भी उसे देखा। उन्होंने फ़िरौन से कहा कि वह बहुत सुन्दर स्त्री है। वे अधिकारी सारै को फ़िरौन के घर ले गए। 16 फिरौन ने अब्राम के ऊपर दया की क्योंकि उसने समझा कि वह सारै का भाई है। फ़िरौन ने अब्राम को भेड़ें, मवेशी और गधे दिए। अब्राम को ऊँटों के साथ—साथ आदमी और स्त्रियाँ दास—दासी के रूप में मिले।

17 फ़िरौन ने अब्राम की पत्नी को रख लिया। इससे यहोवा ने फ़िरौन और उसके घर के मनुष्यों में बुरी बीमारी फैला दी। 18 इसलिए फिरौन ने अब्राम को बुलाया। फ़िरौन ने कहा, “तुमने मेरे साथ बड़ी बुराई की है। तुमने यह नहीं बताया कि सारै तुम्हारी पत्नी है। क्यों? 19 तुमने कहा, ‘यह मेरी बहन है।’ तुमने ऐसा क्यों कहा? मैंने इसे इसलिए रखा कि यह मेरी पत्नी होगी। किन्तु अब मैं तुम्हारी पत्नी को तुम्हें लौटाता हूँ। इसे लो और जाओ।” 20 तब फ़िरौन ने अपने पुरुषों को आज्ञा दी कि वे अब्राम को मिस्र के बाहर पहुँचा दें। इस तरह अब्राम और उसकी पत्नी ने वह जगह छोड़ी और वे सभी चीज़ें अपने साथ ले गए जो उनकी थीं।

अब्राम कनान लौटा

13अब्राम ने मिस्र छोड़ दिया। अब्राम ने अपनी पत्नी तथा अपने सभी सामान के साथ नेगेव से होकर यात्रा की। लूत भी उसके साथ था। 2 इस समय अब्राम बहुत धनी था। उसके पास बहुत से जानवर, बहुत सी चाँदी और बहुत सा सोना था।

3 अब्राम चारों तरफ यात्रा करता रहा। उसने नेगेव को छोड़ा और बेतेल को लौट गया। वह बेतेल नगर और ऐ नगर के बीच के प्रदेश में पहुँचा। यह वही जगह थी जहाँ अब्राम और उसका परिवार पहले तम्बू लगाकर ठहरा था। 4 यह वही जगह थी जहाँ अब्राम ने एक वेदी बनाई थी। इसलिए अब्राम ने यहाँ यहोवा की उपासना की।

अब्राम और लूत अलग हुए

5 इस समय लूत भी अब्राम के साथ यात्रा कर रहा था। लूत के पास बहुत से जानवर और तम्बू थे। 6 अब्राम और लूत के पास इतने अधिक जानवर थे कि भूमि एक साथ उनको चारा नहीं दे सकती थी। 7 (उन दिनों कनानी लोग और परिज्जी लोग भी इसी प्रदेश में रहते थे।) अब्राम और लूत के मज़दूर आपस में बहस करने लगे।

8 अब्राम ने लूत से कहा, “हमारे और तुम्हारे बीच कोई बहस नहीं होनी चाहिए। हमारे और तुम्हारे लोग भी बहस न करें। हम सभी भाई हैं। 9 हम लोगों को अलग हो जाना चाहिए। तुम जो चाहो जगह चुन लो। अगर तुम बायीं औरो जाओगे तो मैं दाहिनी ओर जाऊँगा। अगर तुम दाहिनी ओर जाओगे तो मैं बायीं ओर जऊँगा।”

10 लूत ने निगाह दौड़ाई और यरदन की घाटी को देखा। लूत ने देखा कि वहाँ बहुत पानी है। (यह बात उस समय की है जब यहोवा ने सदोम और अमोरा को नष्ट नहीं किया था। उस समय यरदन की घाटी सोअर तक यहोवा के बाग की तरह पूरे रास्ते के साथ—साथ फैली थी। यह प्रदेश मिस्र देश की तरह अच्छा था।) 11 इसलिए लूत ने यरदन घाटी में रहना स्वीकार किया। इस तरह दोनों व्यक्ति अलग हुए और लूत ने पूर्व की ओर यात्रा शुरू की। 12 अब्राम कनान प्रदेश में रहा और लूत घाटी के नगरों में रहा। लूत सदोम के दक्षिण में बढ़ा और ठहर गया। 13 सदोम के लोग बहुत पापी थे। वे हमेशा यहोवा के विरुद्ध पाप करते थे।

14 जब लूत चला गया तब यहोवा ने अब्राम से कहा, “अपने चारों ओर देखो, उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम की ओर देखो। 15 यह सारी भूमि, जिसे तुम देखते हो, मैं तुमको और तुम्हारे बाद जो तुम्हारे लोग रहेंगे उनको देता हूँ। यह प्रदेश सदा के लिए तुम्हारा है। 16 मैं तुम्हारे लोगों को पृथ्वी के कणों के समान अनगिनत बनाऊँगा। अगर कोई व्यक्ति पृथ्वी के कणों को गिन सके तो वह तुम्हारे लोगों को भी गिन सकेगा। 17 इसलिए जाओ। अपनी भूमि पर चलो। मैं इसे अब तुमको देता हूँ।”

18 इस तरह अब्राम ने अपना तम्बू हटाया। वह मम्रे के बड़े पेड़ों के पास रहने लगा। यह हेब्रोन नगर के करीब था। उस जगह पर अब्राम ने एक वेदी यहोवा की उपासना के लिए बनायी।

समीक्षा

एक समय में एक कदम निर्देशित करने के लिए परमेश्वर पर भरोसा करें

कितना अच्छा होता जब एक लंबी कार यात्रा में मेरे साथ कार में कोई और भी होता (बल्कि सेटनेव से बेहतर) जो सारे दिशानिर्देशों को जानता और मुझे एक समय में एक कदम बताता,कि मुझे कहाँ जाना है. जीवन की यात्रा में परमेश्वर आपको एक साथी प्रदान करते हैं और जीवन की आशीष में एक समय में एक कदम निर्देशित करते हैं.

यह बाइबल में सबसे महत्वपूर्ण पलों में से एक है,क्योंकि परमेश्वर मानव जाति के लिए बचाव योजना की पहल करते हैं.

परमेश्वर अब्राहम से वादा करते हैं : ‘और मैं तुझ से एक बड़ी जाति बनाऊंगा, और तुझे आशीष दूंगा, और तेरा नाम बड़ा करूंगा, और तू आशीष का मूल होगा। और जो तुझे आशीर्वाद दें, उन्हें मैं आशीष दूंगा; और जो तुझे कोसे, उसे मैं शाप दूंगा; और भूमण्डल के सारे कुल तेरे द्वारा आशीष पाएंगे।’ (12:2-3).

परमेश्वर एक व्यक्ति को चुनते हैं और उसे आशीष देते हैं,और फिर एक देश को और उन्हें आशीष देते हैं – लेकिन हमेशा योजना यह रहती है कि वे आशीष को आगे बढ़ाएं (व.3ब). यह पुराने नियम की हमारी समझ की कुँजी है, क्योंकि यह समझाता है कि परमेश्वर ने इस्राएल को क्यों चुना – ताकि उनके द्वारा पूरी दुनिया आशीष पाएं.

अंत में यह वायदा यीशु में पूरा हुआ. वह सारे वायदों और इस्राएल की आशाओं की पूर्णता हैं (जैसा कि हमने पिछले सप्ताह में मत्ती के सुसमाचार में देखा),और उनके द्वारा ‘सारे लोग’ आशीषित हो सकते हैं.

अब यह आपके लिए परमेश्वर का उद्देश्य है. प्रेरित पौलुस लिखते हैं,‘जो विश्वास करने वाले हैं, वे ही इब्राहीम की सन्तान हैं। और पवित्र शास्त्र ने पहले ही से यह जान कर, कि परमेश्वर अन्यजातियों को विश्वास से धर्मी ठहराएगा, पहले ही से अब्राहम को यह सुसमाचार सुना दिया, कि तुझ में सब जातियां आशीष पाएंगी। तो जो विश्वास करने वाले हैं, वे विश्वासी अब्राहम के साथ आशीष पाते हैं। ’ (गलातियों 3:7-9).

चर्च आशीषित है, अब्राहम और इस्राएल की तरह, अपने खुद के लिए नहीं,बल्कि पूरी दुनिया में आशीष लाने के लिए. यदि आप परमेश्वर द्वारा आशीषित हैं, तो यह आपके स्वार्थ आसक्ति या स्वयं को बधाई देने के लिए नहीं; बल्कि इसलिए कि आप दूसरों के लिए आशीष बन सकें.

परमेश्वर अब्राहम को अपना देश, अपने लोग और अपने पिता के घराने को छोड़ने के लिए कहते हैं,और परमेश्वर के देश में जाने के लिए कहते हैं जिसे वे दिखाएंगे (उत्पत्ति 12:1). अब्राहम ने बिल्कुल वही किया जैसा कि प्रभु ने उसे निर्देश दिया था (व. 4, एएमपी). उसने परमेश्वर पर भरोसा किया कि वह एक समय पर एक कदम निर्देशित करें. वह उस समय पर अगला कदम नहीं देख सकता था लेकिन उसने परमेश्वर के वायदों पर भरोसा किया.

यह जीवन में मेरा अनुभव रहा है. परमेश्वर हमें सामान्य तस्वीर दिखा सकते हैं कि वह हमसे क्या करवाना चाहते हैं – लेकिन जहाँ तक विस्तृत विवरण का सवाल है वह हमें एक समय में एक कदम ले जाते हैं. विश्वास के जीवन में एक समय पर एक कदम के निर्देशों का पालन करना शामिल है.

यात्रा हमेशा बिना निर्विघ्न नहीं होती. अब्राहम हमारे जैसा ही बहुत दोषपूर्ण व्यक्ति था. परमेश्वर ने उसे अपार धन संपत्ति से आशीषित किया (13:1 एमएसजी) और ‘असाधारण रूप से सुंदर’ एक पत्नी से (12:14, एमएसजी). फिर भी, कमजोरी और धोखे के कार्य में,उसने फिरौन को उसे अपनी पत्नी के रूप में ले जाने दिया (वव. 10-20).

फिर, बाद में,‘अब्राम, और लूत की भेड़-बकरी, और गाय-बैल के चरवाहों के बीच में झगड़ा हुआ’ (13:7). अब्राम ने निर्णय लिया कि वह और उसका भतीजा अलग हो जाएं (वव. 8-11). वास्तव में अब्राहम और लूत अलग होना नहीं चाहते थे – पर जैसा कि अक्सर होता है,उनके लोग अलग होना चाहते थे. मनुष्य के रिश्तों में टकराव की सच्चाई बहुत स्पष्ट है.

लूत से सबसे उपजाऊ भूमि चुनी और अब्राहम के लिए कम उपजाऊ भूमि छोड़ दी. लेकिन फिर से,परमेश्वर अब्राहम को निर्देश देते हैं. वह उससे कहते हैं: ‘अपनी आँख उठाकर देख’ (व. 14).

परमेश्वर कहते हैं मैं तेरे वंश को धूल के किनकों की नाई बहुत करूँगा यहां तक कि जो कोई पृथ्वी की धूल के किनकों को गिन सकेगा वही तेरा वंश भी गिन सकेगा। तो उठ, इस देश की लम्बाई और चौड़ाई में चल फिर; क्योंकि मैं उसे तुझी को दूंगा।(वव. 16-17 एमएसजी).

जैसा कि जॉयस मेयर लिखती हैं, ‘जब लोग हमें निराश करते हैं तब निरूत्साह, तनावग्रस्त या क्रोधित होने के बजाय,परमेश्वर चाहते हैं कि हम अपनी आँखें ऊपर उठाकर चारों तरफ देखें और उन पर भरोसा करें कि वह हमें इससे भी बेहतर स्थिति में ले जाएंगे. वह चाहते हैं कि हम आसपास देखें और अपनी आशीषों को गिने बजाय इसके कि हम उस पर ध्यान दें जो हमारे पास नहीं है.’

यह परमेश्वर का अनुग्रह ही था कि अब्राहम से इन आशीषों का वायदा किया गया. इसका उद्देश्य यह था कि उसके द्वारा पूरी दुनिया आशीष पाए. इसी तरह से आप भी हैं. आपको परमेश्वर की आशीष में जीने के लिए और अपने आसपास के लोगों में आशीष लाने के लिए बुलाया गया है.

प्रार्थना

प्रभु,मेरी मदद कीजिये कि इस साल मैं आपकी आशीष में जीने के लिए - एक समय में एक कदम - आपके निर्देशों का पालन करूँ और अपने आसपास के सभी लोगों में ज्यादा से ज्यादा आशीष ला सकूँ.

पिप्पा भी कहते है

हमें जीवन के सभी निर्णय लेने में मार्गदर्शन की जरूरत है. सीधा मार्ग अपनाने से भटकने के कारण खर्च होनेवाले समय और ऊर्जा की बचत होती है: ‘हे प्रभु, मुझे अपनी धार्मिकता में अगुआई कर...... और मेरे सामने मार्ग को सीधा कर’ (भजन संहिता 5:8).

\[‘पहाड़ पर दिये गए उपदेश’ (मत्ती 5-7) के विस्तृत विवरण और एप्लीकेश के लिए निकी गुम्बेल्स की किताब ‘द जीसस लाइफस्टाइल ’ देखें: shop.alpha.org/product/182/jesus-lifestyle-nicky-gumbel\]

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संदर्भ

जिन वचनों को (एएमपी) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

एक साल में बाइबल

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