दिन 51

परमेश्वर से मुलाकात कैसे करें

बुद्धि भजन संहिता 24:1-10
नए करार मरकुस 5:21-6:6a
जूना करार निर्गमन 27:1-28:43

परिचय

सन् 1949 में यूनाइटेड किंगडम के इतिहास में सबसे बड़ी क्रांति हेब्रीटिज़ स्थान में आई। इस क्रांति के प्रमुख, डंकन कॅम्प्बेल ने बाद में बताया कि इसकी शुरुवात कैसे हुई।

सात पुरूष और दो महिलाओं ने इस क्रांति के लिए गंभीरतापूर्वक प्रार्थना करने का निर्णय लिया। एक रात एक खलीहान में प्रार्थना मीटिंग का आयोजन किया गया और भजन संहिता 24 पढ़ा गया, जो कि आज का भजन है): ‘यहोवा के पर्वत पर कौन चढ़ सकता है? और उसके पवित्र स्थान में कौन खड़ा हो सकता है? जिसके काम निर्दोष और हृदय शुद्ध हों’ (पद - 3-4अ)।

उसने अपनी बाइबल बंद की और कहा: ‘मुझे लगता है कि यदि हम खुद परमेश्वर के साथ सही रीति से संबंधित नहीं हैं, तो जब हम प्रार्थना कर रहे होते हैं, और इंतज़ार कर रहे होते हैं या प्रार्थना कर रहे होते हैं, तो बहुत सी भावनात्मक धोखेबाज़ी हो जाती है।

उस रात परमेश्वर उनसे सामर्थी रीति से मिले। जब वे परमेश्वर का इंतज़ार कर रहे थे ‘उनकी सामर्थी उपस्थित खलिखान को उड़ा ले गई।’ वे जान गए कि यह क्रांति पवित्रता से संबंधित है। एक शक्ति प्रवाहित हुई जिसने आराधनालय को केंद्र से इसकी परिधी तक हिला कर रख दिया।

‘तीन पुरूष परमेश्वर की सामर्थ से नीचे गिरकर भूंसे पर लेटे थे। वे साधारण से असाधारण में उठाए गए। वे जान गए कि परमेश्वर वहाँ आए थे और उसके बाद वे लोग और उनका आराधनालय पहले जैसा नहीं रहे।’

चार मील दूर, दो बहनों ने परमेश्वर का दर्शन देखा जिनकी उम्र बयासी और चौरासी वर्ष थी। उन्होंने देखा कि चर्च लोगों से भर गया है और युवा और समाज के लोगों की भीड़ चर्चों में उमड़ रही है। उन्हें ‘आनंदमयी आश्वासन था कि परमेश्वर क्रांतिकारी शक्ति के साथ आ रहे हैं।’

डंकन कैम्पबेल को आकर उनसे बातें करने के लिए आमंत्रित किया गया था। जब वह पवित्र आराधनालय में आए, तो यह पूरी तरह से भर गया और सैकड़ों लोग बाहर रूके हुए थे। कोई नहीं बता सका कि वे लोग कहाँ से आए थे। सभा शुरू होने के दस मिनट के अंदर, स्त्री और पुरूष परमेश्वर को पुकारने लगे। वे लोग परमेश्वर से उनकी संपूर्ण पवित्रता में मुलाकात कर रहे थे।

पूरे द्वीप में परमेश्वर की उपस्थिति का इतना ज़्यादा एहसास था कि वहाँ पर आए एक व्यापारी ने कहा, ‘जैसे ही मैंने समुद्र के किनारे पर पैर रखा, मुझे अचानक से परमेश्वर की उपस्थिति महसूस हुई।’ परमेश्वर अपने लोगों से मुलाकात कर रहे थे।

आप परमेश्वर से कैसे मुलाकात करते हैं?

बुद्धि

भजन संहिता 24:1-10

दाऊद का एक पद।

24यह धरती और उस पर की सब वस्तुएँ यहोवा की है।
 यह जगत और इसके सब व्यक्ति उसी के हैं।
2 यहोवा ने इस धरती को जल पर रचा है।
 उसने इसको जल—धारों पर बनाया।

3 यहोवा के पर्वत पर कौन जा सकता है?
 कौन यहोवा के पवित्र मन्दिर में खड़ा हो सकता है और आराधना कर सकता है?
4 ऐसा जन जिसने पाप नहीं किया है,
 ऐसा जन जिसका मन पवित्र है,
 ऐसा जन जिसने मेरे नाम का प्रयोग झूठ को सत्य प्रतीत करने में न किया हो,
 और ऐसा जन जिसने न झूठ बोला और न ही झूठे वचन दिए हैं।
 बस ऐसे व्यक्ति ही वहाँ आराधना कर सकते हैं।

5 सज्जन तो चाहते हैं यहोवा सब का भला करे।
 वे सज्जन परमेश्वर से जो उनका उद्धारक है, नेक चाहते हैं।
6 वे सज्जन परमेश्वर के अनुसरण का जतन करते हैं।
 वे याकूब के परमेश्वर के पास सहायता पाने जाते हैं।

7 फाटकों, अपने सिर ऊँचे करो!
 सनातन द्वारों, खुल जाओ!
 प्रतापी राजा भीतर आएगा।
8 यह प्रतापी राजा कौन है?
 यहोवा ही वह राजा है, वही सबल सैनिक है,
 यहोवा ही वह राजा है, वही युद्धनायक है।

9 फाटकों, अपने सिर ऊँचे करो!
 सनातन द्वारों, खुल जाओ!
 प्रतापी राजा भीतर आएगा।
10 वह प्रतापी राजा कौन है?
 यहोवा सर्वशक्तिमान ही वह राजा है।
 वह प्रतापी राजा वही है।

समीक्षा

अद्भुत सौभाग्य

दाऊद इस भजन की शुरूवात हमें यह याद दिलाते हुए करते हैं कि ‘परमेश्वर महान सृष्टिकर्ता हैं’।' पृथ्वी और जो कुछ उस में है यहोवा ही का है; जगत और उस में निवास करने वाले भी ' (पद - 1)। वह इसकी समाप्ति यह कहते हुए करते हैं कि वह एक प्रतापी राजा हैं। वह उनका पाँच बार वर्णन ‘प्रतापी राजा’ के रूप में करते हैं (पद - 7ब, 8अ, 9ब, 10अ, 10ब)। वह परम प्रधान परमेश्वर हैं – वह प्रतापी राजा हैं (पद - 10ब)।

परमेश्वर के तेजोमयी प्रकाश में, दाऊद एक प्रश्न पूछता है, ‘यहोवा के पर्वत पर कौन चढ़ सकता है? और उसके पवित्र स्थान में कौन खड़ा हो सकता है? ’ (पद - 3)। इसका उत्तर है, सिर्फ वही जो पूरी तरह से पवित्र हैं: ‘जिसके काम निर्दोष और हृदय शुद्ध हैं, जिसने अपने मन को व्यर्थ बात की ओर नहीं लगाया, और न कपट से शपथ खाई है’ (पद - 4)।

फिर भी हम जानते हैं कि इस तरह से कोई जीवन नहीं बिताता। केवल यीशु के द्वारा हम पवित्र किये गए हैं और हम साहस से परमेश्वर तक पहुँच सकते हैं, ‘क्योंकि उस ने एक ही चढ़ावे के द्वारा उन्हें जो पवित्र किए जाते हैं, सर्वदा के लिये सिद्ध कर दिया है’ (इब्रानियों 10:14)।

प्रार्थना

प्रभु मैं आपसे मिलने के लिए तरस रहा हूँ, मुझे दिखाइये कि मेरे हाथ शुद्ध और मेरा हृदय पवित्र है या नहीं। आपका धन्यवाद कि यीशु के लहू के द्वारा मैं पवित्र किया गया हूँ। मुझे क्षमा कीजिये, मुझे शुद्ध कीजिये और मुझे अपनी पवित्र आत्मा से भर दीजिये।

नए करार

मरकुस 5:21-6:6a

एक मृत लड़की और रोगी स्त्री

21 यीशु जब फिर उस पार गया तो उसके चारों तरफ एक बड़ी भीड़ जमा हो गयी। वह झील के किनारे था। तभी 22 यहूदी आराधनालय का एक अधिकारी जिसका नाम याईर था वहाँ आया और जब उसने यीशु को देखा तो वह उसके पैरों पर गिर कर 23 आग्रह के साथ विनती करता हुआ बोला, “मेरी नन्हीं सी बच्ची मरने को पड़ी है, मेरी विनती है कि तू मेरे साथ चल और अपना हाथ उसके सिर पर रख जिससे वह अच्छी हो कर जीवित रहे।”

24 तब यीशु उसके साथ चल पड़ा और एक बड़ी भीड़ भी उसके साथ हो ली। जिससे वह दबा जा रहा था।

25 वहीं एक स्त्री थी जिसे बारह बरस से लगातार खून जा रहा था। 26 वह अनेक चिकित्सकों से इलाज कराते कराते बहुत दुखी हो चुकी थी। उसके पास जो कुछ था, सब खर्च कर चुकी थी, पर उसकी हालत में कोई भी सुधार नहीं आ रहा था, बल्कि और बिगड़ती जा रही थी।

27 जब उसने यीशु के बारे में सुना तो वह भीड़ में उसके पीछे आयी और उसका वस्त्र छू लिया। 28 वह मन ही मन कह रही थी, “यदि मैं तनिक भी इसका वस्त्र छू पाऊँ तो ठीक हो जाऊँगी।” 29 और फिर जहाँ से खून जा रहा था, वह स्रोत तुरंत ही सूख गया। उसे अपने शरीर में ऐसी अनुभूति हुई जैसे उसका रोग अच्छा हो गया हो। 30 यीशु ने भी तत्काल अनुभव किया जैसे उसकी शक्ति उसमें से बाहर निकली हो। वह भीड़ में पीछे मुड़ा और पूछा, “मेरे वस्त्र किसने छुए?”

31 तब उसके शिष्यों ने उससे कहा, “तू देख रहा है भीड़ तुझे चारों तरफ़ से दबाये जा रही है और तू पूछता है ‘मुझे किसने छुआ?’”

32 किन्तु वह चारों तरफ देखता ही रहा कि ऐसा किसने किया। 33 फिर वह स्त्री, यह जानते हुए कि उसको क्या हुआ है, भय से काँपती हुई सामने आई और उसके चरणों पर गिर कर सब सच सच कह डाला। 34 फिर यीशु ने उससे कहा, “बेटी, तेरे विश्वास ने तुझे बचाया है। चैन से जा और अपनी बीमारी से बची रह।”

35 वह अभी बोल ही रहा था कि यहूदी आराधनालय के अधिकारी के घर से कुछ लोग आये और उससे बोले, “तेरी बेटी मर गयी। अब तू गुरु को नाहक कष्ट क्यों देता है?”

36 किन्तु यीशु ने, उन्होंने जो कहा था सुना और यहूदी आराधनालय के अधिकारी से वह बोला, “डर मत, बस विश्वास कर।”

37 फिर वह सब को छोड़, केवल पतरस, याकूब और याकूब के भाई यूहन्ना को साथ लेकर 38 यहूदी आराधनालय के अधिकारी के घर गया। उसने देखा कि वहाँ खलबली मची है; और लोग ऊँचे स्वर में रोते हुए विलाप कर रहे हैं। 39 वह भीतर गया और उनसे बोला, “यह रोना बिलखना क्यों है? बच्ची मरी नहीं है; वह सो रही है।” 40 इस पर उन्होंने उसकी हँसी उड़ाई।

फिर उसने सब लोगों को बाहर भेज दिया और बच्ची के पिता, माता और जो उसके साथ थे, केवल उन्हें साथ रखा। 41 उसने बच्ची का हाथ पकड़ा और कहा, “तलीता, कूमी।” (अर्थात् “छोटी बच्ची, मैं तुझसे कहता हूँ, खड़ी हो जा।”) 42 फिर छोटी बच्ची तत्काल खड़ी हो गयी और इधर उधर चलने फिरने लगी। (वह लड़की बारह साल की थी।) लोग तुरन्त आश्चर्य से भर उठे। 43 यीशु ने उन्हें बड़े आदेश दिये कि किसी को भी इसके बारे में पता न चले। फिर उसने उन लोगों से कहा कि वे उस बच्ची को खाने को कुछ दें।

यीशु का अपने नगर जाना

6फिर यीशु उस स्थान को छोड़ कर अपने नगर को चल दिया। उसके शिष्य भी उसके साथ थे। 2 जब सब्त का दिन आया, उसने आराधनालय में उपदेश देना आरम्भ किया। उसे सुनकर बहुत से लोग आश्चर्यचकित हुए। वे बोले, “इसको ये बातें कहाँ से मिली हैं? यह कैसी बुद्धिमानी है जो इसको दी गयी है? यह ऐसे आश्चर्य कर्म कैसे करता है? 3 क्या यह वही बढ़ई नहीं है जो मरियम का बेटा है, और क्या यह याकूब, योसेस, यहूदा और शमौन का भाई नहीं है? क्या ये जो हमारे साथ रहतीं है इसकी बहनें नहीं हैं?” सो उन्हें उसे स्वीकार करने में समस्या हो रही थी।

4 यीशु ने तब उनसे कहा, “किसी नबी का अपने निजी देश, सम्बंधियों और परिवार को छोड़ और कहीं अनादर नहीं होता।” 5 वहाँ वह कोई आश्चर्य कर्म भी नहीं कर सकता। सिवाय इसके कि वह कुछ रोगियों पर हाथ रख कर उन्हें चंगा कर दे। 6 यीशु को उनके अविश्वास पर बहुत अचरज हुआ। फिर वह गाँओं में लोगों को उपदेश देता घूमने लगा।

समीक्षा

विश्वास का कार्य

क्या आप अपने जीवन में लंबे समय से चली आ रही परेशानी से जूझ रहे हैं जो कभी भी खत्म न होगी (5:26)? क्या कभी आप ‘चेतावनी से दबोच लिये गए हैं’ और ‘डर से प्रभावित हुए हैं’ (मत्ती 5:36)। हम इस लेखांश में देखते हैं कि यीशु ने इन परिस्थितियों में कैसी प्रतिक्रिया की।

नये नियम में हम यीशु के द्वारा परमेश्वर से मुलाकात की असाधारण समझ को देखते हैं। संत यूहन्ना (1यूहन्ना 1:1) उस दुनिया के जीवन के बारे में लिखते हैं (मरकुस 5:27), जिसे हमने खुद की आँखों से देखा है’ (पद - 22) और ‘हमारे हाथों से छुआ है’ (पद - 27, 30-31)।

ऐसा लगता है कि जो लोग यीशु के संपर्क में आए हैं उन्हें पवित्र परमेश्वर की उपस्थिति में आने का एहसास हुआ है। याईर ने ‘उनके पांवों में गिरकर दंडवत किया’ (पद - 22, एम.एम.पी.)। बीमार स्त्री ‘उनके पांवों में गिर गई’ (पद - 33)।

यह स्त्री बारह वर्षों से बीमार थी, जो कि उस समय लाइलाज था (पद - 26)। ‘उसने यीशु के बारे में सुना’ (पद - 27) और उसने विश्वास से प्रतिक्रिया की। ‘उसने उनके वस्त्र को छू लिया’ क्योंकि उसने सोचा ‘यदि मैं उसके वस्त्र ही को छू लूंगी, तो चंगी हो जाऊंगी’ (पद - 27-28)। 'और तुरन्त उसका लोहू बहना बन्द हो गया; और उस ने अपनी देह में जान लिया, कि मैं उस बीमारी से अच्छी हो गई' (पद - 29)।

यीशु के साथ संपर्क ने लोगों पर गहरा प्रभाव डाला। यीशु उस बीमार स्त्री से कहते हैं, ‘पुत्री तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है: कुशल से जा, और अपनी इस बीमारी से बची रह’ (पद - 34)। पिछले बारह वर्षों का दर्द शांति और मुक्ति में बदल गया। आप अपने जीवन में चाहें किसी भी चीज़ से संघर्ष कर रहे हों, और यह चाहें कितने दिनों से क्यों न हो, इस स्त्री की तरह, आप भी मदद के लिए यीशु के पास जा सकते हैं।

याईर की बेटी ने यीशु के साथ मुलाकात का असाधारण अनुभव किया क्योंकि वह फिर से जीवित हो गई। जब यीशु आए, तो वहाँ पर विश्वास का ज़रा भी वातावरण नहीं था। वहाँ सिर्फ रोना और चिल्लाना हो रहा था। उन्होंने कहा ‘अब गुरू को क्यों दुख देता है? ’ (पद - 35)। परंतु यीशु ने कहा, ‘मत डर; केवल विश्वास रख’ (पद - 36)।

यीशु ने कहा, ‘लड़की मरी नहीं, परन्तु सो रही है। ’ (पद - 39)। क्योंकि यीशु उसे फिर से जिलाने वाले थे, उसकी मृत्यु गहरी नींद से ज़्यादा और कुछ नहीं थी। जैसा कि यीशु ने ‘गहरी नींद’ कहा था उसी तरह से प्रेरित पौलुस भी कहते हैं। जब तुम गहरी निद्रा में होते हो तो अगली बात आप जानते हो कि सुबह हुई है। उसी तरह से जब आप मसीह में मर जाएंगे, तो अगली बात आप यह जानेंगे कि आप प्रभु के साथ हैं।

यीशु ने अपने साथ (लड़की के माता - पिता के अलावा) सिर्फ तीन शिष्यों को लिया जिनके विश्वास पर भरोसा किया जा सकता था। ऐसा प्रतीत होता है कि वह वहाँ पर विश्वास का वातावरण चाहते थे क्योंकि वह उस लड़की को मृत्यु में से जिलाने के लिए प्रार्थना करने जा रहे थे।

यहाँ यीशु के बारे में कोई ‘उत्तम - आत्मिकता’ नहीं थी। वह बहुत व्यवहारिक हैं। उन्होंने उस लड़की को कुछ खाने को देने के लिए कहा (पद - 43)। फिर से, यह वर्णन डर से शुरू होता है और विश्वास पर खत्म होता है।

जब लोगों ने यीशु के इस कार्य को देखा, तो वे बहुत चकित हुए (पद - 42) और अचंभित हो गए (6:2ब)। निश्चित ही, जैसा आजकल होता है, हर किसी की ऐसी प्रतिक्रिया नहीं होती। कुछ लोगों ने उनकी हंसी उड़ाई (5:40) और कुछ लोगों ने उनके विषय में ठोकर खाई (6:3)। उनके अपने देश और कुटुंब और घर में उनका निरादर हुआ था (6:4)। जो उनके सबसे करीब थे उन लोगों ने उन्हें पहचानने से इंकार कर दिया था। कभी - कभी हमें उनसे समर्थन मिलना मुश्किल हो जाता है जिन्हें हम सबसे ज़्यादा जानते हैं।

जैसा कि आजकल होता है, कुछ यीशु को जान गए और कुछ पूरी तरह से चूक गए। मुख्य अंतर यह था कि उनके पास ‘विश्वास’ था या नहीं। उन्होंने बीमार स्त्री से कहा, ‘तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है’ (पद - 36ब)। अपने खुद के देश में ‘वह उनके विश्वास को देखकर अचंभित हुए’ (6:6)।

क्रूस पर उनकी मृत्यु के कारण, यीशु ने परमेश्वर के साथ मिलने की सारी शर्तों को पूरा किया। अब यह विश्वास है जिसके द्वारा हम यीशु से मुलाकात करते हैं और उनके द्वारा हम परमेश्वर से मिलते हैं।

प्रार्थना

प्रभु, मुझे अपमान और निंदा से बचाइये। आपका धन्यवाद कि विश्वास के द्वारा मैं आपसे मुलाकात कर सकता हूँ। प्रभु, मेरा विश्वास बढ़ाइये। जब मैं ‘चेतावनी के पकड़’ में या ‘भय से भरा हुआ’ होऊँ, तो विश्वास बनाए रखने में मेरी मदद कीजिये।

जूना करार

निर्गमन 27:1-28:43

भेंट जलाने के लिए वेदी

27यहोवा ने मूसा से कहा, “बबूल की लकड़ी का उपयोग करो और एक वेदी बनाओ। वेदी वर्गाकार होनी चाहिए। यह साढ़े सात फुट लम्बी साढ़े सात फुट चौड़ी और साढ़े चार फुट ऊँची होनी चाहिए। 2 वेदी के चारों कोनों पर सींग बनाओ। हर एक सींग को इसके कोनों से ऐसे जोड़ो कि सभी एक हो जाएं तब वेदी को काँसे से मढ़ो।

3 “वेदी पर काम आने वाले सभी उपकरणों और तश्तरियों को काँसे का बनाओ। काँसे के बर्तन, पल्टे, कटोरे, काँटे और तसले बनाओ। ये वेदी से राख को निकालने में काम आएंगे। 4 जाल के जैसी काँसे की एक बड़ी जाली बनाओ। जाली के चारों कोनों पर काँसे के कड़े बनाओ। 5 जाली को वेदी की परत के नीचे रखो। जाली वेदी के भीतर बीच तक रहेगी।

6 “वेदी के लिए बबूल की लकड़ी के बल्ले बनाओ और उन्हें काँसे से मढ़ो। 7 वेदी के दोनों ओर लगे कड़ो में इन बल्लों को डालो। इन बल्लों को वेदी को ले जाने के लिए काम में लो। 8 वेदी भीतर से खोखली रहेगी और इसकी अगल—बगल तख्तों की बनी होगी। वेदी वैसी ही बनाओ जैसी मैंने तुमको पर्वत पर दिखाई थी।

पवित्र तम्बू का आँगन

9 “तम्बू के चारों ओर कनातों की एक दीवार बनाओ। यह तम्बू के लिए एक आँगन बनाएगी। दक्षिण की ओर कनातों की यह दीवार पचास गज लम्बी होनी चाहिए। ये कनातें सन के उत्तम रेशों से बनी होनी चाहिए। 10 बीस खम्भों और उनके नीचे बीस काँसे के आधारों का उपयोग करो। खम्भों के छल्ले और पर्दे की छड़ें चाँदी की बननी चाहिए। 11 उत्तर की ओर लम्बाई उतनी ही होनी चाहिए जितनी दक्षिण की ओर थी। इसमें पचास गज़ लम्बी पर्दो की दीवार, बीस खम्भे और बीस काँसे के आधार होने चाहिए। खम्भे और उनके पर्दो की छड़ों के छल्ले चाँदी के बनने चाहिए।”

12 “आँगन के पश्चिमी सिरे पर कनातों की एक दीवार पच्चीस गज लम्बी होनी चाहिए। वहाँ उस दीवार के साथ दस खम्भे और दस आधार होने चाहिए। 13 आँगन का पूर्वी सिरा भी पच्चीस गज लम्बा होना चाहिए। 14 यह पूर्वी सिरा आँगन का प्रवेश द्वार है। 15 प्रवेश द्वार की हर एक ओर की कनातें साढ़े सात गज लम्बी होनी चाहिए। उस ओर तीन खम्भे और तीन आधार होने चाहिए।”

16 “एक कनात दस गज लम्बी आँगन के प्रवेश द्वार को ढ़कने के लिए बनाओ। इस कनात को सन के उत्तम रेशों और नीले, लाल और बैंगनी कपड़े से बनाओ। इन कनातों पर चित्रों को काढ़ो। उस पर्दे के लिए चार खम्भे और चार आधार होने चाहिए। 17 आँगन के चारों ओर के सभी खम्भे चाँदी की छड़ों से ही जोड़े जाने चाहिए। खम्भों के छल्ले चाँदी के बनाने चाहिए और खम्भों के आधार काँसे के होने चाहिए। 18 आँगन पचास गज लम्बा और पच्चीस गज चौड़ा होना चाहिए। आँगन के चारों ओर की दीवार साढ़े सात फुट ऊँची होनी चाहिए। पर्दा सन के उत्तम रेशों का बना होना चाहिए। सभी खम्भों के नीचे के आधार काँसे के होने चाहिए। 19 सभी उपकरण, तम्बू की खूँटियाँ और तम्बू में लगी हर एक चीज़ काँसे की ही बननी चाहिए। और आँगन के चारों ओर के पर्दो के लिए खूँटियाँ काँसे की ही होनी चाहिए।

दीपक के लिए तेल

20 “इस्राएल के लोगों को सर्वोत्तम जैतून का तेल लाने का आदेश दो। इस तेल का उपयोग हर एक सन्ध्या को जलने वाले दीपक के लिए करो। 21 हारून और उसके पुत्र प्रकाश का प्रबन्ध करने का कार्य संभालेंगे। वे मिलापवाले तम्बू के पहले कमरे में जाएंगे। यह कमरा साक्षीपत्र के सन्दूक वाले कमरे के बाहर उस पर्दे के सामने है जो दोनों कमरों को अलग करता है। वे इसका ध्यान रखेंगे कि इस स्थान पर यहोवा के सामने दीपक सन्ध्या से प्रातः तक लगातार जलते रहेंगे। इस्राएल के लोग और उनके वंशज इस नियम का पालन सदैव करेंगे।”

याजकों के वस्त्र

28“अपने भाई हारून और उसके पुत्रों नादाब, अबीहू, एलिआजार और ईतामर को इस्राएल के लोगों में से अपने पास आने को कहो। ये व्यक्ति मेरी सेवा, याजक के रूप में करेंगे।” 2 “अपने भाई हारून के लिए विशेष वस्त्र बनाओ। ये वस्त्र उसे आदर और गौरव देंगे। 3 लोगों में ऐसे कुशल कारीगर हैं जो ये वस्त्र बना सकते हैं। मैंने इन व्यक्तियों को विशेष बुद्धि दी है। उन लोगों से हारून के लिए वस्त्र बनाने को कहो। ये वस्त्र बताएंगे कि वह मेरी सेवा विशेष रूप से करता है। तब वह मेरी सेवा याजक के रूप में कर सकता है। 4 कारीगरों को इन वस्त्त्रों को बनाना चाहिए न्याय का थैला एपोद बिना बाँह की विशेष एपोद एक नीले रंग का लबादा, एक सफेद बुना चोगा, सिर को ढकने के लिए एक साफा और एक पटुका लोगों को ये विशेष वस्त्र तुम्हारे भाई हारून और उसके पुत्रों के लिए बनवाने चाहिए तब हारू न और अस के पुत्र मेरी सेवा याजक के रूप में कर सकते हैं। 5 लोगों से कहो कि वे सुनहरे धागों, सन के उत्तम रेशों तथा नीले, लाल और बैंगनी कपड़े उपयोग में लाएं।

एपोद और पटुका

6 “एपोद बनाने के लिए सुनहरे धागे, सन के उत्तम रेशों तथा नीले, लाल और बैंगनी कपड़े का उपयोग करो। इस विशेष एपोद को कुशल कारीगर बनाएंगे। 7 एपोद के हर एक कंधे पर पट्टी लगी होगी। कंधे की ये पट्टियाँ एपोद के दोनों कोनों पर बंधी होंगी।

8 “कारीगर बड़ी सावधानी से एपोद पर बाँधने के लिए एक पटुका बुनेंगे। (यह पटुका उन्हीं चीज़ों की होगी जिनका एपोद, सुनहरे धागे, सन के उत्तम रेशों और बैंगनी कपड़े।)

9 “तुम्हें दो गोमेदक रत्न लेने चाहिए। इन नगों पर इस्राएल के बारह पुत्रों के नाम खोदो। 10 छः नाम एक नग पर और छः नाम दूसरे नग पर। नामों को सबसे बड़े से सबसे छोटे के क्रम में लिखो। 11 इस्राएल के पुत्रों के नामों को इन नगों पर खुदवाओ। यह उसी प्रकार करो जिस प्रकार वह व्यक्ति जो मुहरें बनाता है, शब्द और चित्रों को खोदता है। नग के चारों ओर सोना लगाओ जिससे उन्हें एपोद के कंधो पर टाँका जा सके। 12 तब एपोद के हर एक कंधे की पट्टी पर इन दोनों नगों को जड़ो। हारून यहोवा के सम्मुख जब खड़ा होगा, इस विशेष एपोद को पहनेगा और इस्राएल के पुत्रों के नाम वाले दोनों नग एपोद पर होंगे। यह इस्राएल के लोगों को याद रखने में यहोवा की सहायता करेगा। 13 अच्छा सोना ही नगों को एपोद पर ढाँकने के लिए उपयोग में लाओ। 14 रस्सी की तरह एक में शुद्ध सोने की जंजीरें बटो। सोने की ऐसी दो जंजीरें बनाओ और सोने के जड़ाव के साथ इन्हें बांधो।”

सीनाबन्द

15 “महायाजक के लिए सीनाबन्द बनाओ। कुशल कारीगर इस सीनाबन्द को वैसे ही बनाएं जैसे एपोद को बनाया। वे सुनहरे धागे, सन के उत्तम रेशों तथा नीले, लाल और बैंगनी कपड़े का उपयोग करें। 16 सीनाबन्द नौ इंच लम्बा और नौ इंच चौड़ा होना चाहिए। चौकोर जेब बनाने के लिए इसकी दो तह करनी चाहिए। 17 सीनाबन्द पर सुन्दर रत्नों की चार पक्तियाँ जड़ो। रत्नों की पहली पंक्ति में एक लाल, एक पुखराज और एक मर्कत मणि होनी चाहिए। 18 दूसरी पंक्ति में फिरोजा, नीलम तथा पन्ना होना चाहिए। 19 तीसरी पंक्ति मे धुम्रकान्त, अकीक और याकूत लगना चाहिए। 20 चौथी पंक्ति में लहसुनिया, गोमेदक रत्न और कपिश मणि लगानी चाहिए। सीनाबन्द पर इन्हें लगाने के लिए उन्हें सोने मे जड़ो। 21 सीनाबन्द पर बारह रत्न होंगे जो इस्राएल के बारह पुत्रों का एक प्रतिनिधित्व करेंगे। हर एक नग पर इस्राएल के पुत्रों में से एक—एक का नाम लिखो। मुहर की तरह हर एक नग पर इन नामों को खोदो।

22 “सीनाबन्द के चारों ओर जाती हुई सोने की जंजीरें बनाओ। ये जंजीर बटी हुई रस्सी की तरह होगी। 23 दो सोने के छल्ले बनाओ और इन्हें सीनाबन्द के दोनों कोनों पर लगाओ। 24 (दोनों सुनहरी जंजीरों को सीनाबन्द में दोनों में लगे छल्लों में डालो।) 25 सोने की जंजीरों के दूसरे सिरों को कंधे की पट्टियों पर के जड़ाव में लगाओ। जिससे वे एपोद के साथ सोने पर कसे रहें। 26 दो अन्य सोने के छल्ले बनाओ और उन्हें सीनाबन्द के दूसरे दोनों कोनों पर लगाओ। इस सीनाबन्द का भीतरी भाग एपोद के समीप होगा। 27 दो और सोने के छल्ले बनाओ और उन्हें कंधे की पट्टी के तले एपोद के सामने लगाओ। सोने के छल्लों को एपोद की पेटी के समीप ऊपर के स्थान पर लगाओ। 28 सीनाबन्द के छल्लों को एपोद के छल्लों से जोड़ो। उन्हें पेटी से एक साथ जोड़ने के लिए नीली पट्टियों का उपयोग करो। इस प्रकार सीनाबन्द एपोद से अलग नहीं होगा।

29 “हारून जब पवित्र स्थान में प्रवेश करे तो उसे इस सीनाबन्द को पहने रहना चाहिए। इस प्रकार इस्राएल के बारहों पुत्रों के नाम उसके मन में रहेंगे और यहोवा को सदा ही उन लोगों की याद दिलाई जाती रहेगी। 30 ऊरीम और तुम्मीम को सीनाबन्द में रखो। हारून जब यहोवा के सामने जाएगा तब ये सभी चीज़ें उसे याद होंगी। इसलिए हारून जब यहोवा के सामने होगा तब वह इस्राएल के लोगों का न्याय करने का साधन सदा अपने साथ रखेगा।”

याजक के अन्य वस्त्र

31 “एपोद के नीचे पहनने के लिए एक चोगा बनाओ। चोगा केवल नीले कपड़े का बनाओ। 32 सिर के लिए इस कपड़े के बीचोबीच एक छेद बनाओ। इस छेद के चारों ओर गोट लगाओ जिससे यह फटे नहीं। 33 नीले, लाल और बैंगनी कपड़े के फुँदन बनाओ जो अनार के आकार के हों। इन अनारों को चोगे के निचले सिरे में लटकाओ और उनके बीच सोने की घंटियाँ लटकाओ। 34 इस प्रकार चोगे के निचले सिरे के चारों ओर क्रमशः एक अनार और एक सोने की घंटी होगी। 35 हारून तब इस चोगे को पहनेगा जब वह याजक के रूप में सेवा करेगा और यहोवा के सामने पवित्र स्थान में जाएगा। जब वह पवित्र स्थान में प्रवेश करेगा और वहाँ से निकलेगा तब ये घंटियाँ बजेंगी। इस प्रकार हारून मरेगा नहीं।

36 “शुद्ध सोने का एक पतरा बनाओ। सोने में मुहर की तरह शब्द लिखो। ये शब्द लिखो: यहोवा के लिए पवित्र 37 सोने के इस पतरे को उस पगड़ी पर लगाओ जो सिर को ढकने के लिए पहनी गयी है। उस पगड़ी से सोने के पतरे को बाँधने के लिए नीले कपड़े की पट्टी का उपयोग करो। 38 हारून यह दर्शाने के लिए इसे अपने ललाट पर पहनेगा कि इस्राएल के लोगों ने अपने अपराधों के लिए जो पवित्र भेंटे यहोवा को अर्पित की हैं उनके अपराधों को प्रतीक रूप में हारून वहन कर रहा है। हारून जब भी यहोवा के सामने जाएगा ये सदा पहने रहेगा, ताकि यहोवा उन्हें स्वीकार कर ले।

39 “लबादा बनाने के लिए सन के उत्तम रेशों को उपयोग में लाओ और उस कपड़े को बनाने के लिए भी सन के उत्तर रेशों को उपयोग में लाओ जो सिर को ढ़कता है, इसमें कढ़ाई कढ़ी होनी चाहिए। 40 लबादा, पटुका और पगड़ियाँ हारून के पुत्रों के लिए भी बनाओ ये उन्हें गौरव तथा आदर देंगे। 41 ये पोशाक अपने भाई हारून और उसके पुत्रों को पहनाओ। उसके बाद जैतून का तेल उनके सिर पर यह दिखाने के लिए डालो कि वे याजक हैं, यह उन्हें पवित्र बनायेगा। तब वे मेरी सेवा याजक के रूप में करेंगे।

42 “उन के वस्त्रों को बनाने के लिए सन के उत्तम रेशों का उपयोग करो जो विशेष याजक के वस्त्रों के नीचे पहनने के लिए होंगे। ये अधोवस्त्र कमर से जाँघ तक पहने जाएंगे। 43 हारून और उसके पुत्रों को इन वस्त्रों को ही पहनना चाहिए जब कभी वे मिलापवाले तम्बू में जाएं। उन्हें इन्हीं वस्त्रों को पहनना चाहिए जब कभी वे पवित्र स्थान में याजक के रूप में सेवा के लिए वेदी के समीप आएं। यदि वे इन पोशाकों को नहीं पहनेंगे, तो वे अपराध करेंगे और उन्हें मरना होगा। यह ऐसा नियम होना चाहिए जो हारून और उसके बाद उसके वंश के लोगों के लिए सदा के लिए बना रहेगा।”

समीक्षा

यीशु के द्वारा प्रवेश

हम पूरी तरह से नहीं समझ सकते कि पुराने नियम की पृष्ठ भूमि को देखे बिना परमेश्वर से मिल पाना हमारे लिए कितने सौभाग्य की बात है। यहाँ हम तंबू में मुलाकात का वर्णन देखते हैं (27:21) (जहाँ परमेश्वर मूसा से और याजकों से मुलाकात करते हैं: 30:36; 28:30)। ‘प्रभु की उपस्थिति में प्रवेश’ करना एक अद्भुत बात है’ (28:30अ)। हारून ‘प्रभु के पहले पवित्र स्थान में प्रवेश कर रहा था’ (पद - 35)।

इब्रानियों का लेखक समझाता है कि यह सब यीशु की ओर कैसे इशारा करते हैं। तंबू उसका प्रतिरूप और प्रतिबिंब था जो स्वर्ग में है (इब्रानियों 8:5अ)। तब भी, याजकों को केवल ‘पवित्र स्थान’ में जाने की अनुमति थी ना कि अति पवित्र स्थान में। ‘इस से पवित्र आत्मा यही दिखाता है, कि जब - तक पहला तम्बू खड़ा है, तब - तक पवित्रस्थान का मार्ग प्रगट नहीं हुआ’ (9:8)। यह एक दृष्टांत था (पद - 9अ)।

जैसा कि इब्रानियों के लेखक दर्शाते हैं, यह लेखांश हमारे बजाय यीशु के बलिदान की पृष्ठभूमि तैयार करता है – यीशु के लहू के द्वारा आपको और मुझे पवित्र परमेश्वर से मुलाकात को संभव बनाते हुए, जिसे सदा के लिए बहाया गया है (पद - 26)।

प्रार्थना

प्रभु, मैं आपको धन्यवाद देता हूँ कि आपने यीशु के लहू के द्वारा संभव बनाया है कि मैं अति पवित्र स्थान में प्रवेश कर सकूँ और प्रभु की उपस्थिति में आ सकूँ। आपका धन्यवाद कि, यीशु के द्वारा हम दोनों की एक आत्मा में पिता के पास पंहुच होती है।

पिप्पा भी कहते है

मरकुस 5:21-34

यीशु हमारे अत्यधिक शर्मिंदगी से भरी परेशानियों के बारे में भी चिंता करते हैं।

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संदर्भ

नोट्स

डंकन कॅम्पबेल, द प्राइज एंड पॉवर ऑफ रीवाइवल, (फेथ मिशन, 2000)

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है। कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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