दिन 52

साथ रहना बेहतर है

बुद्धि नीतिवचन 5:15-23
नए करार मरकुस 6:6-29
जूना करार निर्गमन 29:1-30:38

परिचय

मैं कभी भी दृश्यों का इस्तेमाल करने में बहुत अच्छा नहीं रहा हूँ। मैं बहुत ज़्यादा व्यवहारिक आदमी नहीं हूँ। जबकि, मेरा अच्छा मित्र, निकी ली (जिसने अपनी पत्नी सिला के साथ मिलकर विवाह से संबंधित शिक्षा और दंपत्तियो और माता - पिता के लिए अन्य शिक्षा की शुरुवात की है), वह बहुत ही व्यवहारिक है और अक्सर दृश्यों का इस्तेमाल करता है।

जब वे विवाह में बोल रहे होते हैं तब कभी – कभी वे दृश्यों की सहायता से सभोपदेशक 4 के अनुच्छेद को समझाते हैं, जहाँ पर लेखक कहते हैं, "एक से दो अच्छे हैं.... जो डोरी तीन धागों से बटी हो वह जल्दी नहीं टूटती" (पद - 9,12)।

लेखक विवाह के चित्र के रूप में, निकी ली दो अलग रंगो की ऊन की डोरी लेते हैं और उन्हे एक साथ बुनते हैं। एक साथ वे मज़बूत बन जाते हैं लेकिन फिर भी उन्हे आसानी से तोड़ा जा सकता है। फिर वे तीसरी मछली पकड़ने की जाल की डोरी लेते हैं जो कि लगभग दिखाई नहीं देती हैं। इस तीसरी डोरी के कारण ऊन के दो टुकड़ो को तोड़ना लगभग असंभव बात है। (मैंने एक बार इस उदाहरण का इस्तेमाल करने की कोशिश की थी लेकिन, मुझे अब याद नहीं आ रहा है क्योंकि यह बुरी तरह से बिगड़ गया था!)

जो बात वे अच्छी तरह से बताते हैं, और जो सभोपदेशक के लेखांश से मिलती है, वह है कि मित्रता और विवाह अद्भुत उपहार हैं, परंतु मित्रता और विवाह के बीचों - बीच परमेश्वर का होना महान सामर्थ की एक अदृश्य डोर को प्रदान करता है।

आज के लेखांश में हम लोगो के साथ और परमेश्वर के साथ मज़बूत संबंध की महत्ता को देखते हैं। हम देखते हैं कि विवाह, मिशन और सेवकाई में कैसे दो, एक से ज़्यादा मज़बूत होते हैं।

बुद्धि

नीतिवचन 5:15-23

15 तू अपने जल—कुंड से ही पानी पिया कर
 और तू अपने ही कुँए से स्वच्छ जल पिया कर।
16 तू ही कह, क्या तेरे जलस्रोत राहों में इधर उधर फैल जायें
 और तेरी जलधारा चौराहों पर फैले
17 ये तो बस तेरी हो, एकमात्र तेरी ही।
 उसमे कभी किसी अजनबी का भाग न हो।
18 तेरा स्रोत धन्य रहे और अपने जवानी की पत्नी के साथ ही
 तू आनन्दित रह का रसपान।
19 तेरी वह पत्नी, प्रियतमा, प्राणप्रिया, मनमोहक हिरणी सी तुझे सदा तृप्त करे।
 उसके माँसल उरोज और उसका प्रेम पाश तुझको बाँधे रहे।
20 हे मेरे पुत्र, कोई व्यभिचारिणी तुझको क्यों बान्ध पाये
 और किसी दूसरे की पत्नी को तू क्यों गले लगाये

21 यहोवा तेरी राहें पूरी तरह देखता है
 और वह तेरी सभी राहें परखता रहता है।
22 दुष्ट के बुरे कर्म उसको बान्ध लेते हैं।
 उसका ही पाप जाल उसको फँसा लेता है।
23 वह बिना अनुशासन के मर जाता है।
 उसके ये बड़े दोष उसको भटकाते हैं।

समीक्षा

विवाह: दो एक बन जाते हैं

यह विवाह का एक अद्भुत चित्र है, आनंद (पद - 18ब), प्रेम (पद - 19अ), अनुग्रह (पद - 19अ), संतुष्टि (पद - 19ब), प्रेम – संबंध (पद - 19क) और आशीष (पद - 18अ) के एक स्रोत के रूप में।

यह विवाह का एक सुंदर वर्णन है जिसमें दो लोग "एक शरीर बन जाते हैं" (उत्पत्ति 2:24)। इसकी सुदंरता का भाग इसकी विशेषता में है। संभोग के आनंद का वर्णन करने के लिए लेखक एक झरना, कुंआ या फव्वारे जैसे यादगार चित्र का इस्तेमाल करते हैं। यह एक आनंद है जो कि इसकी विशेषता में है, और वे चार बार इस पर ज़ोर देते हैं (नीतिवचन 5:15–18)।

एक पति और पत्नी के बीच भावनात्मक और भौतिक प्रेम की महानता ("स्थायी प्रेमसंबंध" पद – 19, एम.एस.जी.) की तुलना एक असंयमी अजनबी के साथ "भोग - विलास" के 'घटिया रोमांच’ के साथ की गई है (पद - 20, एम.एस.जी.)।

यही कारण है कि लेखक व्यभिचार के विरुद्ध चेतावनी देते हैं। वे कहते हैं, जान लीजिए कि परमेश्वर देख रहे हैं (पद - 1)। और जो रास्ता व्यभिचार की ओर ले जाता है वह 'बुरा’ 'दुष्ट’ 'पाप से भरा हुआ’ 'मूर्ख’ है और मृत्यु की ओर ले जाता है (पद - 22-23)। नये नियम के लेखांश में हम इसके एक उदाहरण को देखते हैं, जहाँ पर हेरोदेस के व्यभिचार के कारण उसने बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना की हत्या की (मरकुस 6:14-29)।

जबकि यह तथ्य - कि हमारे 'रास्तो को परमेश्वर देखते हैं’ (नीतिवचन 5:21) यह व्यभिचार के विरूद्ध एक चेतावनी है, यह उस सामर्थ की भी याद दिलाता है जो कि एक विवाह में रस्सी की तीसरी डोर के रूप में 'परमेश्वर’ के शामिल होने से आती है।

हमारे लिए परमेश्वर का प्रेम एक सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है और मार्गदर्शित करने वाला सिद्धांत है कि कैसे हमें अपने पति या पत्नी से प्रेम करना चाहिए।

प्रार्थना

धन्यवाद परमेश्वर, उस अंतर के लिए जो कि तीसरी डोर, यीशु की उपस्थिति एक विवाह में उत्पन्न करती है। आपका धन्यवाद कि दो, एक से बेहतर होते हैं और तीन डोरियों की एक रस्सी आसानी से नहीं टूटती है।

नए करार

मरकुस 6:6-29

6 यीशु को उनके अविश्वास पर बहुत अचरज हुआ। फिर वह गाँओं में लोगों को उपदेश देता घूमने लगा।

सुसमाचार के प्रचार के लिये शिष्यों को भेजना

7 उसने सभी बारह शिष्यों को अपने पास बुलाया। और दो दो कर के वह उन्हें बाहर भेजने लगा। उसने उन्हें दुष्टात्माओं पर अधिकार दिया। 8 और यह निर्देश दिया, “आप अपनी यात्रा के लिए लाठी के सिवा साथ कुछ न लें। न रोटी, न बिस्तर, न पटुके में पैसे। 9 आप चप्पल तो पहन सकते हैं किन्तु कोई अतिरिक्त कुर्ती नहीं। 10 जिस किसी घर में तुम जाओ, वहाँ उस समय तक ठहरो जब तक उस नगर को छोड़ो। 11 और यदि किसी स्थान पर तुम्हारा स्वागत न हो और वहाँ के लोग तुम्हें न सुनें, तो उसे छोड़ दो। और उनके विरोध में साक्षी देने के लिए अपने पैरों से वहाँ की धूल झाड़ दो।”

12 फिर वे वहाँ से चले गये। और उन्होंने उपदेश दिया, “लोगों, मन फिराओ।” 13 उन्होंने बहुत सी दुष्टात्माओं को बाहर निकाला और बहुत से रोगियों को जैतून के तेल से अभिषेक करते हुए चंगा किया।

हेरोदेस का विचार: यीशु यूहन्ना है

14 राजा हेरोदेस ने इस बारे में सुना; क्योंकि यीशु का यश सब कहीं फैल चुका था। कुछ लोग कह रहे थे, “बपतिस्मा देने वाला यूहन्ना मरे हुओं में से जी उठा है और इसीलिये उसमें अद्भुत शक्तियाँ काम कर रही हैं।”

15 दूसरे कह रहे थे, “वह एलिय्याह है।”

कुछ और कह रहे थे, “यह नबी है या प्राचीनकाल के नबियों जैसा कोई एक।”

16 पर जब हेरोदेस ने यह सुना तो वह बोला, “यूहन्ना जिसका सिर मैंने कटवाया था, वही जी उठा है।”

बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना की हत्या

17 क्योंकि हेरोदेस ने स्वयं ही यूहन्ना को बंदी बनाने और जेल में डालने की आज्ञा दी थी। उसने अपने भाई फिलिप की पत्नी हेरोदियास के कारण, जिससे उसने विवाह कर लिया था, ऐसा किया। 18 क्योंकि यूहन्ना हेरोदेस से कहा करता था, “यह उचित नहीं है कि तुमने अपने भाई की पत्नी से विवाह कर लिया है।” 19 इस पर हेरोदियास उससे बैर रखने लगी थी। वह चाहती थी कि उसे मार डाला जाये पर मार नहीं पाती थी। 20 क्योंकि हेरोदेस यूहन्ना से डरता था। हेरोदेस जानता था कि यूहन्ना एक सच्चा और पवित्र पुरुष है, इसीलिये वह इसकी रक्षा करता था। हेरोदेस जब यूहन्ना की बातें सुनता था तो वह बहुत घबराता था, फिर भी उसे उसकी बातें सुनना बहुत भाता था।

21 संयोग से फिर वह समय आया जब हेरोदेस ने ऊँचे अधिकारियों, सेना के नायकों और गलील के बड़े लोगों को अपने जन्म दिन पर एक जेवनार दी। 22 हेरोदियास की बेटी ने भीतर आकर जो नृत्य किया, उससे उसने जेवनार में आये मेहमानों और हेरोदेस को बहुत प्रसन्न किया।

इस पर राजा हेरोदेस ने लड़की से कहा, “माँग, जो कुछ तुझे चाहिये। मैं तुझे दूँगा।” 23 फिर उसने उससे शपथपूर्वक कहा, “मेरे आधे राज्य तक जो कुछ तू माँगेगी, मैं तुझे दूँगा।”

24 इस पर वह बाहर निकल कर अपनी माँ के पास आई और उससे पूछा, “मुझे क्या माँगना चाहिये?”

फिर माँ ने बताया, “बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना का सिर।”

25 तब वह तत्काल दौड़ कर राजा के पास भीतर आयी और कहा, “मैं चाहती हूँ कि तू मुझे बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना का सिर तुरन्त थाली में रख कर दे।”

26 इस पर राजा बहुत दुखी हुआ, पर अपनी शपथ और अपनी जेवनार के मेहमानों के कारण वह उस लड़की को मना करना नहीं चाहता था। 27 इसलिये राजा ने उसका सिर ले आने की आज्ञा देकर तुरन्त एक जल्लाद भेज दिया। फिर उसने जेल में जाकर उसका सिर काट कर 28 और उसे थाली में रखकर उस लड़की को दिया। और लड़की ने उसे अपनी माँ को दे दिया। 29 जब यूहन्ना के शिष्यों ने इस विषय में सुना तो वे आकर उसका शव ले गये और उसे एक कब्र में रख दिया।

समीक्षा

मिशन: दो - दो

विवाह अकेलेपन का एकमात्र उत्तर नहीं हैं। यद्पि विवाह एक महान आशीष है, यहाँ पर हमें बताया गया है कि समूह या परिपूर्णता को जानने के लिए हमें विवाह करने की आवश्यकता नहीं है। यीशु का विवाह नहीं हुआ था और वह सबसे परिपूर्ण मनुष्य था जो इस पृथ्वी पर चला। उन्होंने पूरिपूर्णता के दूसरे तरीके को दर्शाया।

यीशु 'भलाई करता फिरा’ (जॉन विंबर के द्वारा इस्तेमाल किए गए लेखांश में इस्तेमाल की गयी एक कहावत)। तब उन्होंने अपने चेलों को भी ऐसा ही करने के लिए भेजा। वे बाहर गए और उन्होने सुसमाचार सुनाया, दुष्टात्माओं को बाहर निकाला और बीमारो को चंगा किया (पद - 12–13)।

यह महत्त्वपूर्ण है कि यीशु ने उन्हे जोड़ियों में भेजाः 'दो - दो के समूह में’ (पद - 7)। इस प्रकार का मिशन बहुत एकांत हो सकता है यदि आप अकेले हैं। जोड़ियों में बाहर जाना बहुत ही बेहतर होता है।

एक साथ जाकर सुसमाचार का प्रचार करना, दुष्टात्माओं को बाहर निकालना और बीमारो को तेल से अभिषिक्त करना और इसके परिणामस्वरूप उन्हे चंगा होते हुए देखना बहुत ही मज़ेदार और बहुत ही संतुष्ट करने वाली बात रही होगी (पद - 13)।

'उन्होंने आनंदमय तत्परता के साथ प्रचार किया कि जीवन पूरी तरह से अलग हो सकता है; दायें और बायें ओर से उन्होंने दुष्टात्माओं को बाहर निकाला; उन्होंने बीमारों को चंगा किया, उनके शरीरो को अभिषिक्त करते हुए, उनकी आत्मा को चंगा करते हुए’ (पद - 13–14 एम.एस.जी.)

उन्होंने इसे एक साथ किया। इन चेलो के साथ तुलना करते हुए, गरीब यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला बंदीगृह में था। हमें उनमें नैतिक साहस के ध्यान खींचने वाले उदाहरण दिखाई देते हैं। वह हेरोदस से कह रहे थे, 'अपने भाई की पत्नी को रखना तेरे लिए उचित बात नहीं’ (पद - 18)। जब कभी आवश्यक था तब महान और शक्तिशाली क्रोध को सहने में वह हिचकिचायें नहीं।

हेरोदेस को यूहन्ना की बातें सुनना पसंद था (पद - 20)। एक अच्छे उपदेश के बाद उसने बेहतर महसूस किया! लेकिन हेरोदेस के जीवन में एक चीज़ थी जिसे छोड़ना उसने अस्वीकार कर दिया थाः हेरोदियास के साथ उसका व्यभिचारिक संबंध। जिसने उसे नैतिक रूप से कमज़ोर बना दिया, और इसने उसे परमेश्वर के साथ एक संबंध का आनंद लेने से रोक दिया।

यीशु के साथ पिलातुस की तरह ही, हेरोदेस बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना की मृत्यु की आज्ञा नहीं देना चाहता था। किंतु हेरोदेस ने एक मूर्खताभरा प्रस्ताव रखा और अपने आपको एक ऐसी स्थिति में पाया जहाँ पर उसे शर्मिंदा होना पड़ा यदि उसने यूहन्ना का सिर काट डालने की आज्ञा नहीं दी होती।

जबकि, बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना के चेले थे (यूहन्ना 1:35), उन्हें बंदीगृह और सिर काट दिए जाने का सामना अकेले ही करना था। यीशु उनके चेलो को 'दो - दो’ के समूह में भेजते हैं।

'थके बिना काम करना’ पुस्तक के लेखक, जेगो विन्न, लंदन में काम कर रहे लोगो के लिए मिड - वीक सभाओं में पासवान रहने के विषय में बताते हैं। वे कहते हैं कि जो लोग काम पर से अकेले मसीह के रूप में अपने आप आते थे, वे सामान्यत थके हुए दिखाई देते थे, कामकाजी जीवन के दबाव के साथ संघर्ष करते हुए।

जबकि दूसरी ओर, जो लोग दूसरे मसीह सहकर्मियों और जो सभा में दो या इससे अधिक लोगों के साथ आते थे, वे बहुत ही खुश और चमकदार होते थे।

जेगो लिखते हैं, 'यदि हम अपने दिन – प्रतिदिन के वातावरण में एकांत मसीह हैं, चाहें काम के स्थान में या विद्यालय में या यूनिवर्सिटी में या घर में, तो यह अच्छा होगा कि परमेश्वर से प्रार्थना करें कि वह हमें मसीह में दूसरा भाई या बहन दें। यहाँ तक कि उनकी केवल उपस्थिति भी जीवन में और मिशन में प्रोत्साहन का एक स्रोत बन सकती है।

जैसा कि सभोपदेशक के लेखक कहते हैं, 'एक से दो अच्छे हैं .....क्योंकि यदि उन में से एक गिरे, तो दूसरा उसको उठाएगा; परन्तु हाय उस पर जो अकेला होकर गिरे और उसका कोई उठाने वाला न हो।
.....यदि कोई अकेले पर प्रबल हो तो हो, परन्तु दो उसका सामना कर सकेंगे। जो डोरी तीन धागे से बनी हो वह जल्दी नहीं टूटती’ (सभोपदेशक 4:9–12)। मित्रता और विवाह में एकता के महत्त्व को समझाने के लिए अक्सर इस वचन का इस्तेमाल किया गया है – किंतु इस वचन का मूल संदर्भ मित्रता के विषय में है।

प्रार्थना

परमेश्वर आपका धन्यवाद, मित्रता के लिए। आपका धन्यवाद, क्योंकि आप हमें अकेले बाहर नहीं भेजते हैं। आपका धन्यवाद क्योंकि जैसे ही हम बाहर जाते हैं, दो - दो के समूह में, हम जानते हैं कि एक तीसरी रस्सी भी है। आपने कहा,'जाओ और जाकर सभी देशों में चेला बनाओ... और निश्चित ही मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ’ (मत्ती 28:19–20)।

जूना करार

निर्गमन 29:1-30:38

याजकों की नियुक्ति का उत्सव

29“अब मैं तुम्हें बताऊँगा कि हारून और उसके पुत्र मेरी सेवा विशेष रूप में करते हैं, यह दिखाने के लिए तुम्हें क्या करना चाहिए। एक दोष रहित बछड़ा और दो दोष रहित मेढ़े लाओ। 2 जिसमें खमीर न मिलाया गया हो ऐसा महीन आटा लो और उससे तीन तरह की रोटीयाँ बनाओ—पहली बिना खमीर की सादी रोटी। दूसरी तेल का मोमन डली रोटी और तीसरी वैसे ही आटे की छोटी पतली रोटी बनाकर उस पर तेल चुपड़ो। 3 इन रोटियों को एक टोकरी में रखो और फिर इस टोकरी को हारून और उसके पुत्रों को दो, साथ ही वह बछड़ा और दोनों मेढ़े भी दो।

4 “तब हारून और उसके पुत्रों को मिलापवाले तम्बू के द्वार के सामने लाओ, तब उन्हें पानी से नहलाओ। 5 हारून की विशेष पोशाक उसे पहनाओ, लबादा, चोगा और एपोद। फिर उस पर सीनाबन्द, फिर विशेष पटुका बाँधो 6 और फिर पगड़ी उसके सिर पर बाँधो। सोने की पट्टी को जो एक विशेष मुकुट के जैसी है पगड़ी के चारों ओर बाँधो 7 और जैतून का तेल डालो जो बताएगा कि हारून इस काम के लिए चुना गया है।”

8 “तब उसके पुत्रों को उस स्थान पर लाओ और उन्हें चोंगे पहनाओ। 9 तब उनकी कमर के चारों ओर पटुके बाँधो। उन्हें पहनने को पगड़ी दो। उस समय से वे याजक के रूप में काम करना आरम्भ करेंगे। वे उस नियम के अनुसार जो सदा रहेगा, याजक होंगे। यही ढंग है जिससे तुम हारून और उसके पुत्रों को याजक बनाओगे।”

10 “तब मिलापवाले तम्बू के सामने के स्थान पर बछड़े को लाओ। हारून और उसके पुत्रों को चाहिए कि वे बछड़े के सिर पर हाथ रखें। 11 तब उस बछड़े को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा के सामने मार डालो। 12 तब बछड़े का कुछ खून लो और वेदी तक जाओ। अपनी उँगली से वेदी पर लगे सींगों पर कुछ खून लगाओ। बचा हुआ सारा खून नीचे वेदी पर डालो। 13 तब बछड़े में से सारी चर्बी निकालो। तब कलेजे के चारों ओर की चर्बी और दोनों गुर्दे और उसके चारों ओर की चर्बी लो। इस चर्बी को वेदी पर जलाओ। 14 तब बछड़े के माँस, उसके चमड़े और उसके दूसरे अंगों को लो और अपने डेरे से बाहर जाओ। इन चीज़ों को डेरे के बाहर जलाओ। यह भेंट है जो याजकों के पापों को दूर करने के लिए चढ़ाई जाती है।

15 “तब हारून और उसके पुत्रों से मेढ़े के सिर पर हाथ रखने को कहो। 16 तब उस मेढ़े को मार डालो और उसके खून को लो। खून को वेदी के चारों ओर छिड़को। 17 तब मेढ़े को कई टुकड़ों में काटो। मेढ़े के भीतर के सभी अंगो और पैरों को धोओ। इन चीज़ों को सिर तथा मेढ़े के अन्य टुकड़ों के साथ रखो। 18 तब वेदी पर इन को जलाओ। यह वह विशेष भेंट है जो जलाई जाती है। यह होमबलि यहोवा के लिए है। इसकी सुगन्ध यहोवा को प्रसन्न करेगी। यह ऐसी होमबलि है जो यहोवा को आग के द्वारा दी जाती है।

19 “हारून और उसके पुत्रों को दूसरे मेढ़े पर हाथ रखने को कहो। 20 उस मेढ़े को मारो और उसका कुछ खून लो। उस खून को हारून और उसके पुत्रों के दाएं कान के निचले भाग में लगाओ। उनके दाएँ हाथ के अंगूठों पर भी कुछ खून लगाओ और कुछ खून उनके दाएँ पैर के अगूँठों पर लगाओ। बाकी के खून को वेदी के चारों ओर छिड़को। 21 तब वेदी पर छिड़के खून में से कुछ खून लो। इसे अभिषेक के तेल में मिलाओ और हारून तथा उसके वस्त्रों पर छिड़को और उसके पुत्रों और उनके वस्त्रों पर भी छिड़को। यह बताएगा कि हारून और उसके पुत्र मेरी सेवा विशेष रूप से करते हैं। और यह सूचित करेगा कि उनके वस्त्र विशेष अवसर पर ही काम में आते हैं।

22 “तब उस मेढ़े से चर्बी लो। (यही मेढ़ा है जिसका उपयोग हारून को महायाजक बनाने में होगा।) पूँछ के चारों ओर की चर्बी तथा उस चर्बी को लो जो शरीर के भीतर के अंगों को ढकती है, कलेजे को ढकने वाली चर्बी को लो, दोनो गुर्दों और दाएँ पैर को लो। 23 तब उस रोटी की टोकरी को लो जिसमें तुमने अख़मीरी रोटियाँ रखी थीं। यही टोकरी है जिसे तुम्हें यहोवा के सम्मुख रखना है। इन रोटियों को टोकरी से बाहर निकालो। एक रोटी, सादी, एक तेल से बनी और एक छोटी पतली चुपड़ी हुई। 24 तब इन को हारून और उसके पुत्रों को दो: फिर उनसे कहो कि वे यहोवा के सामने इन्हें अपने हाथों में उठाएँ। यह यहोवा को विशेष भेंट होगी। 25 तब इन रोटियों को हारून और उसके पुत्रों से लो और उन्हें वेदी पर मेढ़ें के साथ रखो। यह एक होमबलि है, यह यहोवा को ऐसी भेंट होगी जो आग के द्वारा दी जाती है। इस की सुगन्ध यहोवा को प्रसन्न करेगी।”

26 “तब इस मेढ़े से उसकी छाती को निकालो। (यही मेढ़ा है जिसका उपयोग हारून को महायाजक बनाने के लिए बलि दिया जाएगा।) मेढ़े की छाती को विशेष भेंट के रूप में यहोवा के सामने पकड़ो। जानवर का यह भाग तुम्हारा होगा। 27 तब मेढ़े की उस छाती और टाँग को लो जो हारून को महायाजक बनाने के लिए उपयोग में आयी थी। इन्हें पवित्र बनाओ और इन्हें हारून और उसके पुत्रों को दो। वह भेंट का विशेष अंश होगा। 28 इस्राएल के लोग इन अंगो को हारून और उसके पुत्रों को सदा देंगे। जब कभी इस्राएल के लोग यहोवा को मेलबलि चढ़ायेंगे तो ये भाग सदा याजकों के होंगे। जब वे इन भागों को याजकों को देंगे तो यह यहोवा को देने जैसा ही होगा।

29 “उन विशेष वस्त्रों को सुरक्षित रखो जो हारून के लिए बने थे। ये वस्त्र उसके उत्तराधिकारी वंशजों के लिए होंगे। वे उन वस्त्रों को तब पहनेंगे जब याजक नियुक्त किए जाएँगे। 30 हारून का जो पुत्र उसके बाद अगला महायाजक होगा, वह सात दिन तक उन वस्त्रों को पहनेगा, जब वह मिलापवाले तम्बू के पवित्र स्थान में सेवा करने आएगा।

31 “उस मेढ़े के माँस को पकाओ जो हारून को महायाजक बनाने के लिए उपयोग में आया था। उस माँस को एक पवित्र स्थान पर पकाओ। 32 तब हारून और उसके पुत्र मिलापवाले तम्बू के द्वार पर माँस खाएंगे, और वे उस टोकरी की रोटी भी खाएंगे। 33 इन भेटों का उपयोग उनके पाप को समाप्त करने के लिए तब हुआ था जब वे याजक बने थे। ये मेढ़े बस उन्हीं को खाना चाहिए किसी अन्य को नहीं। क्योंकि ये पवित्र हैं। 34 यदि उस मेढ़े का कुछ माँस या कोई रोटी अगले सवेरे के लिए बच जाए तो उसे जला देना चाहिए। तुम्हें वह रोटी या माँस नहीं खाना चाहिए क्योंकि यह केवल विशेष ढंग से विशेष समय पर ही खाया जाना चाहिए।

35 “वैसा ही करो जैसा मैंने तुम्हें हारून और उसके पुत्रों के लिए करने को आदेश दिया है। यह समारोह सात दिन तक चलेगा। 36 सात दिन तक हर रोज़ एक—एक बछड़े को मारो। यह हारून और उसके पुत्रों के पाप के लिए भेंट होगी। तुम इन दिनों दिए गए बलिदानों का उपयोग वेदी को शुद्ध करने के लिए करना और वेदी को पवित्र बनाने के लिए जैतून का तेल इस पर डालना। 37 तुम सात दिन तक वेदी को शुद्ध और पवित्र करना। उस समय वेदी अत्याधिक पवित्र होगी। वेदी को छूने वाली कोई भी चीज़ पवित्र हो जाएगी।

38 “हर एक दिन वेदी पर तुम्हें एक भेंट चढ़ानी चाहिए। तुम्हें एक—एक वर्ष के दो मेमनों की भेंट चढ़ानी चाहिए। 39 एक मेमने की भेंट प्रातःकाल चढ़ाओ और दूसरे की सन्ध्या के समय। 40-41 जब तुम पहले मेमने को मारो, दो पौण्ड गेहूँ का महीन आटा भी भेंट चढ़ाओ। गेहूँ के आटे को एक क्वार्ट भेंट स्वरूप दाखमधु में मिलाओ। जब तुम दूसरे मेमने को सन्ध्या के समय मारो तब दो पौण्ड महीन आटा भी भेंट में चढ़ाओ और एक क्वार्ट दाखमधु भी भेंट करो। यह वैसा ही है जैसा तुमने प्रातः काल किया था। यह यहोवा को भोजन की भेंट होगी। जब तुम उस भेंट को जलाओगे तो यहोवा इसकी सुगन्ध लेगा और यह उसे प्रसन्न करेगी।

42 “तुम्हें इन चीज़ों को यहोवा को भेंट में रोज़ जलाना चाहिए। यह यहोवा के सामने, मिलापवाले तम्बू के द्वार पर करो। यह सदा करते रहो। जब तुम भेंट चढ़ाओगे तब मैं अर्थात् यहोवा वहाँ तुम से मिलूँगा और तुमसे बातें करूँगा। 43 मैं इस्राएल के लोगों से उस स्थान पर मिलूँगा और वह स्थान मेरे तेज के कारण पवित्र बन जाएगा।

44 “इस प्रकार मैं मिलापवाले तम्बू को पवित्र बनाऊँगा और मैं वेदी को भी पवित्र बनाऊँगा और मैं हारून और उसके पुत्रों को पवित्र बनाऊँगा जिससे वे मेरी सेवा याजक के रूप में कर सकें। 45 मैं इस्राएल के लोगों के साथ रहूँगा। मैं उनका परमेश्वर होऊँगा। 46 लोग यह जानेंगे कि मैं उनका परमेश्वर यहोवा हूँ। वे जानेंगे कि मैं ही वह हूँ जो उन्हें मिस्र से बाहर लाया ताकि मैं उनके साथ रह सकूँ। मैं उनका परमेश्वर यहोवा हूँ।”

धूप जलाने की वेदी

30परमेश्वर ने मूसा से कहा, “बबूल की लकड़ी की एक वेदी बनाओ। तुम इस वेदी का उपयोग धूप जलाने के लिए करोगे। 2 तुम्हें वेदी को वर्गाकार अट्ठारह इंच लम्बी और अट्ठारह इंच चौड़ी बनानी चाहिए। यह छत्तीस इंच ऊँची होनी चाहिए। चारों कोनों पर सींग लगे होने चाहिए। ये सींग वेदी के साथ एक ही इकाई के रूप में वेदी के साथ जड़े जाने चाहिए। 3 वेदी के ऊपरी सिरे तथा उसकी सभी भुजाओं को शुद्ध सोने से मढ़ो। वेदी के चारों ओर सोने की पट्टी लगाओ। 4 इस पट्टी के नीचे सोने के दो छल्ले होने चाहिए। वेदी के दूसरी ओर भी सोने के दो छल्ले होने चाहिए। ये छल्ले वेदी को ले जाने के लिए बल्लियों को फँसाने के लिए होंगे। 5 बल्लियों को भी बबूल की लकड़ी से ही बनाओ। बल्लियों को सोने से मढ़ो। 6 वेदी को विशेष पर्दे के सामने रखो। साक्षीपत्र का सन्दूक उस पर्दे के दूसरी ओर है। उस सन्दूक को ढकने वाले ढक्कन के सामने वेदी रहेगी। यही वह स्थान है जहाँ मैं तुमसे मिलूँगा।

7 “हारून हर प्रातः सुगन्धित धूप वेदी पर जलाएगा। वह यह तब करेगा जब वह दीपकों की देखभाल करने आएगा। 8 उसे शाम को जब वह दीपकों की देखभाल करने आए फिर धूप जलानी चाहिए। जिससे यहोवा के सामने नित्य प्रति सुबह शाम धूप जलती रहे। 9 इस वेदी का उपयोग किसी अन्य प्रकार की धूप या होमबलि के लिए मत करना। इस वेदी का उपयोग अन्नबलि या पेय भेंट के लिए मत करना।

10 “वर्ष में एक बार हारून यहोवा को विशेष बलिदान अवश्य चढ़ाए। हारून पापबलि के खून का उपयोग लोगों के पापों को धोने के लिए करेगा, हारून इस वेदी के सींगों पर यह करेगा। यह दिन प्रायश्चित का दिन कहलाएगा। यह यहोवा के लिए अति पवित्र दिन होगा।”

मन्दिर के लिए कर

11 यहोवा ने मूसा से कहा, 12 “इस्राएल के लोगों को गिनो जिससे तुम जानोगे कि वहाँ कितने लोग हैं। जब कभी यह किया जाएगा हर एक व्यक्ति अपने जीवन के लिए यहोवा को धन देगा। यदि हर एक व्यक्ति यह करेगा तो लोगों के साथ कोई भी भयानक घटना घटित नहीं होगी। 13 हर व्यक्ति जिसे गिना जाए वह (आधा शेकेल चाँदी अवश्य दे। 14 हर एक पुरुष जिसे गिना जाए और जो बीस वर्ष या उससे अधिक आयु का हो,) यहोवा को यह भेंट देगा। 15 धनी लोग आधे शेकेल से अधिक नहीं देंगे और गरीब लोग आधे शेकेल से कम नहीं देंगे। सभी लोग यहोवा को बराबर ही भेंट देंगे यह तुम्हारे जीवन का मूल्य होगा। 16 इस्राएल के लोगों से यह धन इकट्ठा करो। मिलापवाले तम्बू में सेवा के लिए इसका उपयोग करो। यह भुगतान यहोवा के लिए अपने लोगों को याद करने का एक तरीका होगा। वे अपने जीवन के लिए भुगतान करते रहेंगे।”

हाथ पैर धोने की चिलमची

17 यहोवा ने मूसा से कहा, 18 “एक काँसे की चिलमची बनाओ और इसे काँसे के आधार पर रखो। तुम इसका उपयोग हाथ पैर धोने के लिए करोगे। चिलमची को मिलापवाले तम्बू और वेदी के बीच रखो। चिलमची को पानी से भरो। 19 हारून और उसके पुत्र इस चिलमची के पानी से अपने हाथ पैर धोएंगे। 20 हर बार जब वे मिलापवले तम्बू में आएँ तो पानी से हाथ पैर अवश्य धोएँ, इससे वे मरेंगे नहीं। जब वे वेदी के समीप यहोवा की सेवा करने या धूप जलाने आएं, 21 तो वे अपने हाथ पैर अवश्य धोएँ, इससे वे मरेंगे नहीं। यह ऐसा नियम होगा जो हारून और उसके लोगों के लिए सदा बना रहेगा। यह नियम हारून के उन सभी लोगों के लिए बना रहेगा जो भविष्य में होंगे।”

अभिषेक का तेल

22 तब यहोवा ने मूसा से कहा, 23 “बहुत अच्छे मसाले लाओ। बारह पौंड द्रव लोबान लाओ और इस तोल का आधा अर्थात् छः पौंड, सुगन्धित दालचीनी और बारह पौंड सुगन्धित छाल, 24 और बारह पौंड तेजपात लाओ। इन्हें नापने के लिए प्रामाणिक बाटों का उपयोग करो। एक गैलन जैतून का तेल भी लाओ।

25 “सुगन्धित अभिषेक का तेल बनाने के लिए इन सभी चीज़ों को मिलाओ। 26 मिलापवाले तम्बू और साक्षीपत्र के सन्दूक पर इस तेल को डालो। यह इस बात का संकेत करेगा कि इन चीज़ों का विशेष उद्देश्य है। 27 मेज़ और मेज़ पर की सभी तश्तरियों पर तेल डालो। इस तेल को दीपक और सभी उपकरणों पर डालो। 28 धूप वाली वेदी पर तेल डालो। यहोवा के लिए होमबलि वाली वेदी पर भी तेल डालो। उस वेदी की सभी चीज़ों पर यह तेल डालो। कटोरे और उसके नीचे के आधार पर यह तेल डालो। 29 तुम इन सभी चीज़ों को समर्पित करोगे। वे अत्यन्त पवित्र होंगी। कोई भी चीज जो इन्हें छूएगी वह भी पवित्र हो जाएगी।

30 “हारून और उसके पुत्रों पर तेल डालो। यह स्पष्ट करेगा कि वे मेरी विशेष डंग से सेवा करते हैं। तब ये मेरी सेवा याजक की तरह कर सकते हैं। 31 इस्राएल के लोगों से कहो कि अभिषेक का तेल मेरे लिए सदैव अति विशेष होगा। 32 साधारण सुगन्ध की तरह कोई भी इस तेल का उपयोग नहीं करेगा। उस प्रकार कोई सुगन्ध न बनाओ जिस प्रकार तुमने यह विशेष तेल बनाया। यह तेल पवित्र है और यह तुम्हारे लिए अति विशेष होना चाहिए। 33 यदि कोई इस पवित्र तेल की तरह सुगन्ध बनाए और उसे किसी विदेशी को दे तो उस व्यक्ति को अपने लोगों से अवश्य अलग कर दिया जाये।”

धूप

34 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “इन सुगन्धित मसालों को लो: रसगंधा, कस्तूरी गंधिका, बिरोजा और शुद्ध लोबान। सावधानी रखो कि तुम्हारे पास मसालों की बराबर मात्रा हो। 35 मसालों को सुगन्धित धूप बनाने के लिए आपस में मिलाओ। इसे उसी प्रकार करो जैसा सुगन्ध बनाने वाला व्यक्ति करता है। इस धूप में नमक भी मिलाओ। यह इसे शुद्ध और पवित्र बनाएगा। 36 कुछ धूप को तब तक पीसते रहो जब तक उसका बारीक चूर्ण न हो जाये। मिलापवाले तम्बू में साक्षीपत्र के सन्दूक के सामने इस चूर्ण को रखो। यही वह स्थान है जहाँ मैं तुमसे मिलूँगा। तुम्हें इस धूप के चूर्ण का उपयोग इसके अति विशेष अवसर पर ही करना चाहिए। 37 तुम्हें इस चूर्ण का उपयोग केवल विशेष ढँग से यहोवा के लिए ही करना चाहिए। तुम इस धूप को विशेष ढँग से बनाओगे। इस विशेष ढँग का उपयोग अन्य कोई धूप बनाने के लिए मत करो। 38 कोई व्यक्ति अपने लिए कुछ ऐसे धूप बनाना चाह सकता है जिससे वह सुगन्ध का आनन्द ले सके। किन्तु यदि वह ऐसा करे तो उसे अपने लोगों से अवश्य अलग कर दिया जाये।”

समीक्षा

सेवकाईः दो मेम्ने

इस लेखांश में हमने जिस विस्तृत समारोह के विषय में पढ़ा वह हमें उस सावधानी के विषय में बताता है जिसके साथ पवित्र परमेश्वर के पास जाया जाता था। यह बाहरी सजावट थी जिसने याजक को महिमा, सुंदरता और पवित्रता दी। नये नियम में, कपड़े जो कि आंतरिक सुंदरता और पवित्रता को लाते हैं वे आपके हृदय में परमेश्वर की आत्मा से आते हैं।

पुराने नियम की इन विधियों में, हर वस्तु का बढ़ना आवश्यक था। यही कारण है कि उन्हे दो बछड़ों (29:1,3), दो मेढ़ों (30:4), और अति महत्त्वपूर्ण रूप से, दो मेमनों (29:38) की आवश्यकता थी। सामग्रियों और बलिदानों का बढ़ना परमेश्वर की महानता का एक चिह्न था। हमें सच में परमेश्वर के पास लाने के लिए उन्होंने किसी भी पशु-बलिदान या विधी की अयोग्यता को बताया। दो, एक से बेहतर हैं – लेकिन यह फिर भी पर्याप्त नहीं है।

इब्रानियों के लेखक हमें बताते हैं कि यें सभी नियम अलग रख दिए गए हैं 'पुराना नियम अगल रख दिया गया है क्योंकि यह कमज़ोर और व्यर्थ था’ (इब्रानियों 7:18)। दो मेमनों के बजाय, एक सिद्ध मेमना हमारे लिए बलिदान किया गया था - यीशु। उस ने अपने आप को बलिदान चढ़ाकर उसे एक ही बार निपटा दिया (पद - 27)। अब हमें बहुत से बलिदानों की आवश्यकता नहीं है।

प्रायश्चित आवश्यक था (निर्गमन 29:33,37; 30:10,16) और इसमें 'प्रायश्चित के बलिदान के लहू की’ आवश्यकता थी (30:10)।

यीशु ने हमारे लिए अपना लहू बहाया। पौलुस क्रूस पर उसकी मृत्यु का वर्णन 'प्रायश्चित के बलिदान’ के रूप में करते हैं (रोमियो 3:25)।

केवल बलिदान चढ़ाने के द्वारा ही याजक 'सेवकाई करने के लिए’ वेदी के पास जा सकते थे (निर्गमन 30:20)। 'सेवकाई’ का अर्थ है परमेश्वर की सेवा। यह क्रूस पर यीशु का बलिदान है जो हमें सेवकाई (परमेश्वर और दूसरों की सेवा) में शामिल होने के लिए सक्षम बनाता है।

प्रार्थना

धन्यवाद यीशु, क्योंकि आप वह सिद्ध मेमने हैं जो मेरे पापों के लिए एक बार और हमेशा के लिए बलिदान चढ़ाए गए थे। आपका धन्यवाद क्योंकि अब मुझे बहुत से बलिदानो की आवश्यकता नहीं हैं। आपका धन्यवाद, जैसे कि महान भजन इसे बताता है, मैं 'छुड़ाया गया हूँ, चंगा हूँ, क्षमा किया गया हूँ।’

पिप्पा भी कहते है

मरकुस 6 : 26

राजा बहुत ही दुखी था, किंतु उसकी प्रतिज्ञा की वजह से और उसके मेहमानों की वजह से, वह उसकी बात का इनकार नहीं करना चाहता था।’

एक प्रतिज्ञा को पूरा न करना अच्छा नहीं है, लेकिन बहुत बुरा करने से तो बेहतर है। हेरोदेस को अपने मेहमानो के सामने अपमान सहने के लिए तैयार हो जाना चाहिए था और अपनी प्रतिज्ञा को तोड़ देना चाहिए था। क्या कभी गलत काम करने के लिए आपकी परीक्षा हुई सिर्फ इसलिए कि आपको दूसरो के सामने शर्मिंदा नहीं होना था?

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संदर्भ

नोट्स

जेगो विन्न, बिना थके काम करना

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट ऊ 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइडऍ बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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