दिन 58

परिपूर्णता में कैसे बढ़ें

बुद्धि भजन संहिता 27:1-6
नए करार मरकुस 9:33-10:12
जूना करार लैव्यव्यवस्था 1:1-3:17

परिचय

क्या आप अपनी समय सारिणी में यीशु को लाने की कोशिश करते हैं? या आप अपनी समय सारिणी यीशु के अनुसार बनाते हैं?

युजिन पीटरसन लिखते हैं, 'परमेश्वर हमारी योजनाओं में नहीं आ सकते हैं, हमें उनकी योजना में आना है।' हम परमेश्वर का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं – परमेश्वर एक औज़ार या उपकरण या क्रेडिट कार्ड नहीं हैं। वचन पवित्र है जो कि परमेश्वर को हमारी इच्छा – विश्व में सफलता बनने के लिए परिपूर्णता कल्पना या हमारे आदर्श समाज की योजनाओं में शामिल करने में हमारे सभी प्रयासों से अलग और ऊपर रखते हैं। पवित्र का अर्थ है कि परमेश्वर, अपनी शर्तों पर जीवित हैं, हमारे अनुभव और कल्पना के परे जीवित हैं। पवित्र का अर्थ है एक तीव्र शुद्धता के साथ जीवन की आग जो हर उस वस्तु को बदल देता है जो इसके संपर्क में आता है।

इब्रानी शब्द 'पवित्र' (गदोश) का शायद से अर्थ 'अलग' या 'अलग रखा गया' है। यह परमेश्वर की 'भिन्नता' का वर्णन करता था, और कैसे उनका चरित्र और स्वभाव किसी भी दूसरे व्यक्ति या वस्तु से कही ज़्यादा और अधिक अद्भुत है। किसी वस्तु के 'पवित्र' होने का अर्थ है इसका परमेश्वर के लिए समर्पित होना। आप उस हद तक पवित्र हैं कि आपका जीवन उनके लिए समर्पित है और आपके कार्य उनके चरित्र को दर्शातें हैं। पवित्रता और संपूर्णता एक - दूसरे से जुड़े हुए हैं, और परमेश्वर आपके जीवन की संपूर्णता चाहते हैं।

बुद्धि

भजन संहिता 27:1-6

दाऊद को समर्पित।

27हे यहोवा, तू मेरी ज्योति और मेरा उद्धारकर्ता है।
 मुझे तो किसी से भी नहीं डरना चाहिए!
यहोवा मेरे जीवन के लिए सुरक्षित स्थान है।
 सो मैं किसी भी व्यक्ति से नहीं डरुँगा।
2 सम्भव है, दुष्ट जन मुझ पर चढ़ाई करें।
 सम्भव है, वे मेरे शरीर को नष्ट करने का यत्न करे।
सम्भव है मेरे शत्रु मुझे नष्ट करने को
 मुझ पर आक्रमण का यत्न करें।
3 पर चाहे पूरी सेना मुझको घेर ले, मैं नहीं डरुँगा।
 चाहे युद्धक्षेत्र में मुझ पर लोग प्रहार करे, मैं नहीं डरुँगा। क्योंकि मैं यहोवा पर भरोसा करता हूँ।

4 मैं यहोवा से केवल एक वर माँगना चाहता हूँ,
 “मैं अपने जीवन भर यहोवा के मन्दिर में बैठा रहूँ,
ताकि मैं यहोवा की सुन्दरता को देखूँ,
 और उसके मन्दिर में ध्यान करुँ।”

5 जब कभी कोई विपत्ति मुझे घेरेगी, यहोवा मेरी रक्षा करेगा।
 वह मुझे अपने तम्बू मैं छिपा लेगा।
वह मुझे अपने सुरक्षित स्थान पर ऊपर उठा लेगा।
6 मुझे मेरे शत्रुओं ने घेर रखा है। किन्तु अब उन्हें पराजित करने में यहोवा मेरा सहायक होगा।
 मैं उसके तम्बू में फिर भेंट चढ़ाऊँगा।
जय जयकार करके बलियाँ अर्पित करुँगा।
 मैं यहोवा की अभिवंदना में गीतों को गाऊँगा और बजाऊँगा।

समीक्षा

पवित्रता की सुंदरता में परमेश्वर की आराधना कीजिए

आप डर के बिना जीवन कैसे जीतें हैं?

दाऊद के पास डरने के लिए कई कारण थे। वह 'कुकर्मियों', 'कपटी' और 'बदमाशों' से घिरे हुए थे (पद – 2 एम.एस.जी)। फिर भी उन्होंने कहा, 'मुझे कोई डर नहीं है,मैं किसी भी व्यक्ति और वस्तु से नहीं डरता हूँ' (पद – 1 एम.एस.जी.)। कैसे आप विरोध और प्रहार के सामने निर्भीक हो सकते हैं?

उनके जीवन का केंद्र था आराधना। उन्होंने 'एक वस्तु' पर अपना ध्यान केंद्रित किया (पद - 4)। यह उनकी नंबर एक प्राथमिकता थी। परमेश्वर को अपनी योजनाओं में लाने की कोशिश मत करिए। आराधना की प्राथमिकता के आस - पास अपनी योजनाएँ बनाइए।

दाऊद आराधना के एक अद्भुत वर्णन को देते हैं। किसी भी चीज़ से अधिक वह करना चाहते हैं, 'परमेश्वर की सुंदरता पर ध्यान केंद्रित करना और उनके मंदिर में उन्हें खोजना' (पद - 4ब)। वहाँ पर वह 'आनंद की गूंज के साथ बलिदान चढ़ाएँगे; (वह) गुनगान करेंगे और परमेश्वर के लिए गीत गायेंगे' (पद - 6ब)।

मुझे यह भाव पसंद है 'परमेश्वर की सुंदरता' (पद - 4ब)। 'सुंदरता' के लिए ग्रीक शब्द (केलोस) यह शब्द है जो यीशु के सभी कामों का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है (मरकुस 7:37) डॉस्टॉइवैसकी ने यीशु का वर्णन 'अनंतरूप से सुंदर' के रूप में किया है। यीशु के पास कोई बाहरी सुंदरता नहीं थी (यशायाह 53:2-3); उनके पास एक अलग प्रकार की सुंदरता थी – पवित्रता की सुंदरता।

जैसे ही आप आराधना में परमेश्वर को खोजते हैं और परमेश्वर की सुंदरता पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं, तब वह आपको सभी व्यवधानों, डर और प्रलभनों के ऊपर उठाते हैं। जैसा कि दाऊद इसे बताते हैं, 'शोर से भरे विश्व में वही एकमात्र शांत और सुरक्षित स्थान है...जो लोग मुझे नीचे लाने की कोशिश करते हैं, परमेश्वर मुझे उनसे कहीं ऊपर रख देते हैं' (भजन संहिता 27:5-6 एम.एस.जी.)।

प्रार्थना

परमेश्वर, मैं आपसे एक चीज़ माँगता हूँ कि मैं जीवन भर आपके घर में निवास करुँ, ताकि आपकी सुंदरता को निहार सकूं।

नए करार

मरकुस 9:33-10:12

सबसे बड़ा कौन है

33 फिर वे कफ़रनहूम आये। यीशु जब घर में था, उसने उनसे पूछा, “रास्ते में तूम किस बात पर सोच विचार कर रहे थे?” 34 पर वे चुप रहे। क्योंकि वे राह चलते आपस में विचार कर रहे थे कि सबसे बड़ा कौन है।

35 सो वह बैठ गया। उसने बारहों को अपने पास बुलाया और उनसे कहा, “यदि कोई सबसे बड़ा बनना चाहता है तो उसे निश्चय ही सबसे छोटा हो कर सब को सेवक बनना होगा।”

36 और फिर एक छोटे बच्चे को लेकर उसने उनके सामने खड़ा किया। बच्चे को अपनी गोद में लेकर वह उनसे बोला, 37 “मेरे नाम में जो कोई इनमें से किसी भी एक बच्चे को अपनाता है, वह मुझे अपना रहा हैं; और जो कोई मुझे अपनाता है, न केवल मुझे अपना रहा है, बल्कि उसे भी अपना रहा है, जिसने मुझे भेजा है।”

जो हमारा विरोधी नहीं है, हमारा है

38 यूहन्ना ने यीशु से कहा, “हे गुरु, हमने किसी को तेरे नाम से दुष्टात्माएँ बाहर निकालते देखा है। हमने उसे रोकना चाहा क्योंकि वह हममें से कोई नहीं था।”

39 किन्तु यीशु ने कहा, “उसे रोको मत। क्योंकि जो कोई मेरे नाम से आश्चर्य कर्म करता है, वह तुरंत बाद मेरे लिए बुरी बातें नहीं कह पायेगा। 40 वह जो हमारे विरोध में नहीं है हमारे पक्ष में है। 41 जो इसलिये तुम्हें एक कटोरा पानी पिलाता है कि तुम मसीह के हो, मैं तुम्हें सत्य कहता हूँ, उसे इसका प्रतिफल मिले बिना नहीं रहेगा।

पापों के परिणाम के बारे में यीशु की चेतावनी

42 “और जो कोई इन नन्हे अबोध बच्चों में से किसी को, जो मुझमें विश्वास रखते हैं, पाप के मार्ग पर ले जाता है, तो उसके लिये अच्छा है कि उसकी गर्दन में एक चक्की का पाट बाँध कर उसे समुद्र में फेंक दिया जाये। 43 यदि तेरा हाथ तुझ से पाप करवाये तो उसे काट डाल, टुंडा हो कर जीवन में प्रवेश करना कहीं अच्छा है बजाय इसके कि दो हाथों वाला हो कर नरक में डाला जाये, जहाँ की आग कभी नहीं बुझती। 44 45 यदि तेरा पैर तुझे पाप की राह पर ले जाये उसे काट दे। लँगड़ा हो कर जीवन में प्रवेश करना कहीं अच्छा है, बजाय इसके कि दो पैरों वाला हो कर नरक में डाला जाये। 46 47 यदि तेरी आँख तुझ से पाप करवाए तो उसे निकाल दे। काना होकर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कहीं अच्छा है बजाय इसके कि दो आँखों वाला हो कर नरक में डाला जाये। 48 जहाँ के कीड़े कभी नहीं मरते और जहाँ की आग कभी बुझती नहीं।

49 “हर व्यक्ति को आग पर नमकीन बनाया जायेगा।

50 “नमक अच्छा है। किन्तु नमक यदि अपना नमकीनपन ही छोड़ दे तो तुम उसे दोबारा नमकीन कैसे बना सकते हो? अपने में नमक रखो और एक दूसरे के साथ शांति से रहो।”

तलाक के बारे में यीशु की शिक्षा

10फिर यीशु ने वह स्थान छोड़ दिया और यहूदिया के क्षेत्र में यर्दन नदी के पार आ गया। भीड़ की भीड़ फिर उसके पास आने लगी। और अपनी रीति के अनुसार वह उपदेश देने लगा।

2 फिर कुछ फ़रीसी उसके पास आये और उससे पूछा, “क्या किसी पुरुष के लिये उचित है कि वह अपनी पत्नी को तलाक दे?” उन्होंने उसकी परीक्षा लेने के लिये उससे यह पूछा था।

3 उसने उन्हें उत्तर दिया, “मूसा ने तुम्हें क्या नियम दिया है?”

4 उन्होंने कहा, “मूसा ने किसी पुरुष को त्यागपत्र लिखकर पत्नी को त्यागने की अनुमति दी थी।”

5 यीशु ने उनसे कहा, “मूसा ने तुम्हारे लिए यह आज्ञा इसलिए लिखी थी कि तुम्हें कुछ भी समझ में नहीं आ सकता। 6 सृष्टि के प्रारम्भ से ही, ‘परमेश्वर ने उन्हें पुरुष और स्त्री के रूप में रचा है।’ 7 ‘इसीलिये एक पुरुष अपने माता-पिता को छोड़ कर अपनी पत्नी के साथ रहेगा। 8 और वे दोनों एक तन हो जायेंगे।’ इसलिए वे दो नहीं रहते बल्कि एक तन हो जाते हैं। 9 इसलिये जिसे परमेश्वर ने मिला दिया है, उसे मनुष्य को अलग नहीं करना चाहिए।”

10 फिर वे जब घर लौटे तो शिष्यों ने यीशु से इस विषय में पूछा। 11 उसने उनसे कहा, “जो कोई अपनी पत्नी को तलाक दे कर दूसरी स्त्री से ब्याह रचाता है, वह उस पत्नी के प्रति व्यभिचार करता है। 12 और यदि वह स्त्री अपने पति का त्याग करके दूसरे पुरुष से ब्याह करती है तो वह व्यभिचार करती है।”

समीक्षा

पवित्रता के साथ जीवन में परमेश्वर की सेवा करिए

दूसरे मसीह सेवकाईयों और दूसरे मसीह चर्च के प्रति हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए?

यीशु के अनुयायिओं के बीच विभाजन की शुरुवात बहुत पहले हुई थी! चेलों ने विवाद करना शुरु कर दिया कि कौन सबसे बड़ा है (9:33-34)। इस संदर्भ में, यीशु उन्हें पवित्रता की विशेषताओं के बारे में बताते हैं।

  1. दीनता

यीशु उनसे कहते हैं कि नंबर एक बनने के लिए स्पर्धा मत करो। हमेशा तुलना करने का लालच आता है। द्वेष और प्रतिस्पर्धा बहुत खतरनाक है। यीशु कहते हैं यदि आप स्पर्धा करना चाहते हैं, तो अंतिम स्थान पाने के लिए स्पर्धा कीजिए। जो कोई प्रथम आना चाहता है, वे सबसे आखिरी बने, और सभी का सेवक बने (पद - 35)। लीडर्स विनम्र सेवा के लिए बुलाए गए हैं।

  1. प्रेम

'उन्होंने एक छोटे बच्चे को लेकर उनके बीच बैठाया। बच्चे को अपने हाथों में थामकर, उन्होंने उनसे कहा, 'जो कोई मेरे नाम में ऐसे छोटे बच्चो का स्वागत करता है वह मेरा स्वागत करता है' (पद - 36-37)। सभी से प्रेम करें और उनका स्वागत करें, उनसे भी जो आपके लिए कुछ नहीं कर सकते हैं – छोटे बच्चे, कमज़ोर, गरीब – ऐसा करने से आप यीशु से प्रेम कर रहे हैं और उनका स्वागत कर रहे हैं।

  1. सहनशीलता

यीशु चेलों से कहते हैं कि दूसरे लोग जो 'यीशु के नाम में' चीज़ों को करते हैं उनको सिर्फ इसलिए निकाल मत दो या उनका न्याय मत करो, कि वे आपके समूह के सदस्य नहीं हैं (पद - 38-39,41) या इसलिए कि वे चीज़ों को आपकी तुलना में एक अलग तरीकें से करते हैं। दूसरे मसीहियों, दूसरे समुदायों या दूसरी संस्थाओं को सिर्फ इसलिए तुच्छ समझना गलत बात है क्योंकि वे 'हममें से एक' नहीं हैं (पद - 38)।

  1. अनुशासन

कभी – कभी हम अपने जीवन में पाप को सह लेते हैं लेकिन दूसरों के पाप को सह नहीं पाते हैं। यीशु हमें दूसरों के प्रति सहनशील रहने, किंतु स्वयं के जीवन में पाप के विषय में असहनीय रहने के विषय में सिखाते हैं (पद - 42-49)।

निश्चित ही, यीशु अपंग बनाने के विषय में बात नहीं कर रहे हैं। इसके बजाय, वह बता रहे हैं कि हम (अपने हाथों के साथ, पद - 43) क्या करते हैं, (अपने पैरो के साथ, पद - 45) किन स्थानों पर जाते हैं और (अपनी आँखो से, पद - 47) हम क्या देखतें हैं। पाप के विषय में अनुशासित, समझौता न करने वाले और सुधारवादी व्यक्ति बनिए। अक्सर यह पाप है जो विभाजन की ओर ले जाता है। यीशु हमें पवित्रता के एक जीवन को जीने के लिए विनम्र बनने के लिए कहते हैं।

  1. शांति

यीशु उन्हें कहते हैं कि विवाद ना करें बल्कि शांति रखें। यीशु अपने चेलों के लिए चाहते थे कि वे एक दूसरे के साथ रहें, विवाद करना बंद कर दें और 'एक दूसरे के साथ शांति में रहें' (पद - 50)। बाद में, उन्होंने प्रार्थना की कि हम सब एक हो जाएँ ताकि दुनिया विश्वास करे (यूहन्ना 17:21)।

  1. वफादारी

अ. यीशु हमें विवाह में वफादारी के लिए बुलाते हैं। वह बतातें हैं कि तलाक के लिए मूसा की अनुमति एक छूट थी ना कि एक आज्ञा। विवाह के लिए परमेश्वर की इच्छा है जीवन भर की वफादारी। पति और पत्नी इस तरह से एक साथ जुड़ जाते हैं कि वे एक देह बन जाते हैं: 'इसलिए अब वे दो व्यक्ति नहीं हैं, किंतु एक देह हैं' (मरकुस 10:8)। विवाह की सभा में यह अद्भुत वचनों का उद्गम है, जिसमें हाथों को थामना और प्रतिज्ञाओं का लेना शामिल हैः 'इसलिए, जिसे परमेश्वर ने जोड़ा है, उसे कोई अलग ना करें' (पद - 9)।

प्रार्थना

परमेश्वर, पवित्र आत्मा की सामर्थ के द्वारा मेरी सहायता कीजिए कि मैं पवित्र जीवन जीऊँ और दीनता, प्रेम, सहनशीलता, अनुशासन, शांति और वफादारी की विशेषताओं को विकसित करुँ।

जूना करार

लैव्यव्यवस्था 1:1-3:17

होमबलि के नियम

1यहोवा परमेश्वर ने मूसा को बलाया और मिलापवाले तम्बू में से उससे बोला। यहोवा ने कहा, 2 “इस्राएल के लोगों से कहो: तुम लोगों में से कोई जब यहोवा को भेंट लाए तो वह भेंट तुम्हें उन जानवरों में से लानी चाहिये जो तुमाहेरे झुण्ड या रेवड़ में से हो।

3 “यदि कोई व्यक्ति अपने पशुओं में से किसी की होमबलि दे तो वह नर होना चाहिए और उस जानवर में कोई दोष नहीं होना चाहिए। उस व्यक्ति को चाहिए कि वह जानवर को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर ले जाये। तब यहोव भेंट स्वीकार करेगा। 4 इस व्यक्ति को अपना हाथ जानवर के सिर पर रखना चाहिए। परमेश्वर होमबिल को व्यक्ति के पाप के लिए भुगतान के रुप में स्वीकार करेगा।

5 “व्यक्ति को चाहिए कि वह बछड़े को यहोवा के सामने मारे। हारुन के याजक पुत्रों को बछडे का खून लाना चाहिए। उन्हें मिलापवाले तम्बू के द्वारा की वेदी पर चारों ओर खून छिड़कना चाहिए। 6 वह उस जानवर का चमड़ा हटा देगा और उसे टुकड़ों में काटेगा। 7 हारून के याजक पुत्रों को वेदी पर लकड़ी और आग रखनी चाहिए। 8 हारून के याजक पुत्रों को वे टुकड़े, (सिर और चर्बी) लकड़ी पर रखनी चाहिए। वह लकड़ी वेदी पर आग के ऊपर होती है। 9 याजक को जानवर के भीतरी भागों और पैरों को पानी से धोना चाहिए। तब याजक को जानवर के सभी भागों को वेदी पर जलाना चाहिए। यही होमबलि है अर्थात आग के द्वारा यहोवा को सुगन्ध से प्रसन्न करना।

10 “यदि कोई व्यक्ति भेड़ या बकरी की होमबलि चढ़ाए तो वह एक ऐसे नर पशु की भेंट दे जिसमें कोई दोष न हो। 11 उस व्यक्ति को वेदी के उत्तर की ओर यहोवा के सामने पशु को मारना चाहिए। हारून के याजक पुत्रों को वेदी के चारों ओर खून छिड़कना चाहिए। 12 तब याजक को चाहिए कि वह पशु को टुकड़ों में काटे। पशु का सिर और चर्बी याजक को लकड़ी के ऊपर क्रम से रखना चाहिए। लकड़ी वेदी पर आग के ऊपर रहती है। 13 याजक को पशु के भीतरी भागों और उसके पैरों को पानी से धोना चाहिए। तब याजक को चाहिए कि वह पशु के सभी भागों को वेदी पर जलाएँ। यह होमबलि है अर्थात् आग के द्वारा यहोवा को सुगन्ध से प्रसन्न करना।

14 “यदि कोई व्यक्ति यहोवा को पक्षी की होमबलि चढ़ाए तो यह पक्षी फाख्ता या नया कबूतर होना चाहिए। 15 याजक भेंट को वेदी पर लाएगा। याजक पक्षी के सिर को अलग करेगा। तब याजक पक्षी को वेदी पर जलाएगा। पक्षी का खून वेदी की ओर बहना चाहिए। 16 याजक को पक्षी के गले की थैली और उसके पंखों को वेदी के पूर्व की ओर फेंक देना चाहिए। यह वही जगह है जहाँ वे वेदी से निकालकर राख डालते हैं। 17 तब याजक को पंख के पास से पक्षी को चीरना चाहिए किन्तु पक्षी को दो भागों में नहीं बाँटना चाहिए। याजक को वेदी के ऊपर आग पर रखी लकड़ी के ऊपर पक्षी को जलाना चाहिए। यह होमबलि है अर्थात् आग के द्वारा यहोवा को सुगन्ध से प्रसन्न करना।

अन्नबलि के नियम

2“जब कोई व्यक्ति यहोवा को अन्नबलि चढ़ाये तो उसकी भेंट महीन आटे की होनी चाहिए। वह व्यक्ति उस आटे पर तेल डाले और उस पर लोबान रखे। 2 तब वह इसे हारून के याजक पुत्रों के पास लाए। वह व्यक्ति तेल और लोबान से मिला हुआ एक मुट्ठी महीन आटा ले तब योजक वेदी पर स्मृतिभेंट के रूप में आटे को आग में जलाए। यह यहोवा के लिये सुगन्ध होगी 3 और बची हुई अन्नबलि हारून और उसके पुत्रों के लिए होगी। यह भेंट यहोवा को आग से दी जाने वाली भेंटों में सबसे अधिक पवित्र होगी।

चूल्हे में पकी अन्नबलि के नियम

4 “जब तुम चूल्हे में पकी अन्नबलि लाओ तो यह अखमीरी मैदे के फुलके या ऊपर से तेल डाली हुई अख़मीरी चपातियाँ होनी चाहिए। 5 यदि तुम भूनने की कड़ाही से अन्नबलि लाते हो तो यह तेल मिली अख़मीरी महीन आटे की होनी चाहिए। 6 तुम्हे इसे कई टुकड़े करके कई भागों में बाँटना चाहिए और इन पर तेल डालना चाहिए। यह अन्नबलि है। 7 यदि तुम अन्नबलि तलने की कड़ाही से लाते हो तो यह तेल मिले महीन आटे की होनी चाहिए।

8 “तुम इन चीजो से बनी अन्नबलि यहोवा के लिए लाओगे। तुन उन चीजों को याजक के पास ले जाओगे औ वह उन्हें बेदी पर रखेगा। 9 फिर उस अन्नबलि में से याजक इसका कुछ भाग लेकर उसे स्मृति भेंट के रूप में वेदी पर जलायेगा। यह आग द्वारा दी गई एक भेंट है। इस की सुगन्ध से यहोवा प्रसन्न होता है। 10 बची हुई अन्नबलि हारून और उसके पुत्रों की होगी। यह भेंट यहोवा को आग से चढ़ाई जाने वाली भेंटों में अति पवित्र होगी।

11 “तुम्हें यहोवा को खमीर वाली कोई अन्नबलि नहीं चढ़ानी चाहिए। तुम्हें यहोवा को, आग द्वारा भेंट के रूप में ख़मीर या शहद नहीं जलाना चाहिए। 12 तुम पहली फ़सल से तैयार की गई खमीर या शहद यहूदा को भेंटके रूप में ला सकते हो, किन्तु खमीर और शहद मधुर गन्ध के रूप में ऊपर जाने के लिए वैदी पर जलाने नहीं चाहिए। 13 तुम्हें अपनी लायी हुई हर एक अन्नबलि पर नमक भी रखना चाहिए। यहोवा से तुम्हारे वाचा के प्रतीक रूप, नमक का अभाव तुम्हारी किसी अन्नबलि में नहीं होना चाहिए। तुम्हें अनपी सभी भेटों के साथ नमक लाना चाहिए।

पहली फ़सल से अन्नबलि के नियम

14 “यदि तुम पहली फ़सल से यहोवा को अन्नबलि लाते हो तो तुम्हें भुनी हुई अन्न की बालें लानी चाहिए। इस अन्न को दलकर छोटे टुकड़ों में तोड़ा जाना चाहिए। इस पहली फसल से तुम्हारी अन्नबलि होगी। 15 तुम्हें इस पर तेल डालना और लोबान रखना चाहिए। यह अन्नबलि है। 16 याजक को चाहिए कि वह स्मृति भेंटके रूप में दले गए अन्न के कुछ भाग, तेल और इस पर रखे पूरे लोबान को जलाए। यह यहोवा को आग से चढ़ाई भेंट है।

मेलबलि के नियम

3“यदि यह भेंट मेलबलि है और यह यहोवा को अपने पशुओं के झुण्ड से एक नर या मादा पशु देता है, तो इस पशु में कोई दोष नहीं होना चाहिए। 2 इस व्यक्ति को अनपा हाथ पशु के सिर पर रखना चाहिए। मिलापवाले तुम्बू के द्वार पर उस व्यक्ति द्वारा उस पशु को मार डालना चाहिए। तब हारून के याजक पुत्रों को वेदी पर चारों ओर खून छिड़कना चाहिए। 3 इस व्यक्ति को मेलबलि में से यहोवा को आग द्वारा भेंट चढ़ानी चाहिए। भीतरी भागों को ढकने वाली और भीतरी भागों में रहने वाली चर्बी की भेंट चढ़ानी चाहिए। 4 उस के दोनों गुर्दों पर की चर्बी और पुट्ठे की चर्बी भी भेंट में चढ़ानी चाहिए। गुर्दों के सात कलेजे को ढकने वाली चर्बी भी निकाल लेनी चाहिए। 5 तब हारून के पुत्र चर्बी को वेदी पर जलाएंगे। वे आग पर रखी हुई लकड़ी, जिस पर होमबलि रखी गी, उसके ऊपर उसे रखेंगे। इस की सुगन्ध यहोवा को प्रसन्न करती है।

6 “यदि व्यक्ति यहोवा के लिए अपनी रेवड़ में से मेलबलि के रूप में पशु को लाता है, तब उसे एक नर या मादा पशु भेंट में देना चाहिए जिसमें कोई दोष न हो। 7 यदि वह भेंट में एक मेमना लाता है तो उसे यहोवा के सामने लाना चाहिए। 8 उसे अपना हाथ पशु के सिर पर रखना चाहिए और मिलापवाले तम्बू के सामने उसे मारना चाहिए। हारून के पुत्र वेदी पर चारों ओर पशु का खून डालेंगे। 9 तब वह व्यक्ति मेलबलि का एक भाग यहोवा को आग द्वारा भेंट के रूप में चढ़ाएगा। इस व्यक्ति को चर्बी और चर्बी से भरी सम्पूर्ण पूँछ और पशु के भीतरी भागों के ऊपर और चारों ओर की चर्बी लानी चाहिए। (उसे उस पूँछ को रीढ़ की हड्डी के एकदम पास से काटना चाहिए।) 10 इस व्यक्ति को दोनों गुर्दे और उन्हें ढकने वाली चर्बी और पुट्ठे की चर्बी भी भेंट में चढ़ानी चाहिए। उसे कलेजे को ढकने वाली चर्बी भी भेंट में चढ़ानी चाहीए। उसे गुर्दों के साथ कलेजे को भी निकाल लेना चाहिए। 11 तब याजक वेदी पर इस को जलाएगा। यह यहोवा को आग द्वारा दी गई भेंट होगी तथा यह लोगों के लिए भी भोजन होगी।

12 “यदि किसी व्यक्ति की भेंट एक बकरा है तो वह उसे यहोवा के सामने भेंट करे। 13 इस व्यक्ति को बकरे के सिर पर हाथ रखना चाहिए और मिलापवाले तम्बू के सामने उसे मारना चाहिए। तब हारून के पुत्र बकरे का खून वेदी पर चारों ओर डालेंगे। 14 तब व्यक्ति को बकरे का एक भाग यहोवा को अग्नि द्वारा भेंट के रूप में चढ़ाने के लिए लाना चाहिए। इस व्यक्ति को भीतरी भाग के ऊपर और उसके चारों ओर की चर्बी की भेंट चढ़ानी चाहिए। 15 उसे दोनों गुर्दे, उसे ढकने वाली चर्बी तथा पशु के पुट्ठे की चर्बी भेंट में चढ़ानी चाहिए। उसे कलेजे को ढकलने वाली चर्बी चढ़ानी चाहिए। उसे कलेजे के साथ गुर्दे को निकाल लेना चाहिए। 16 याजक को वेदी पर बकरे के भागों को जलाना चाहिए। यह यहोवा को आग द्वारा दी गई भेंट तथा याजक का भोजन होगा। इसकी सुगन्ध यहोवा को प्रसन्न करती है। (लेकिन सारा उत्तम भाग यहोवा का है।) 17 यह नियम तुम्हारी सभी पीढ़ीयों में सदा चलता रहेगा। तुम जहाँ कहीं भी रहो, तुम्हें खून या चर्बी नहीं खानी चाहिए।”

समीक्षा

पवित्र बनें जैसा कि परमेश्वर पवित्र हैं

आप कैसे एक पवित्र जीवन जी सकते हैं, जबकि आस - पास का विश्व अपवित्र है?

जैसा कि परमेश्वर के लोग वाचा की भूमि में प्रवेश करने वाले हैं, युजिन पीटरसन इसे 'विवरणात्मक ठहराव' कहते हैं; निर्देशानुसार – एक बढ़ाया गया समय, एक ऐसी संस्कृति में 'पवित्र' जीवन जीने के लिए एक विवरणमय और सूक्ष्म तैयारी जिसमें धुंधला विचार नहीं है कि 'पवित्र' क्या है।

'पहले' वह लिखते हैं, 'हमारे जीवन की हर चीज़ पवित्र परमेश्वर की उपस्थिति से प्रभावित होती है।' आपके दैनिक जीवन के हर पहलू में आप पवित्रता के लिए बुलाए गए हैं। दूसरा, युजिन पीटरसन आगे कहते हैं, 'परमेश्वर एक रास्ता प्रदान करते हैं (बलिदान और पर्व और सब्त) हमारे अंदर और हमारे विषय में हर वस्तु को उनकी पवित्र उपस्थिति में लाने के लिए, जो पवित्र के उग्र ज्वाला द्वारा परिवर्तित किया गया है।'

लैव्यव्यवस्था की भाषा हमारे कानों को विचित्र जान पड़ती है। नियम को आवश्यकता थी कि बलिदान सिद्ध हो - 'बिना किसी खराबी के' (1:3)। बलिदान के द्वारा, 'प्रायश्चित' किया जाता था (पद - 4)। प्रतीकात्मक रूप से, बैलों, बकरो और मेमनों (उदाहरण के लिए 3:2,8) पर हाथों के रखे जाने से पाप उस विकल्प में चला जाता था, जो मनुष्यों के बदले बलिदान किया जाने वाला था। बलिदान का लहू बहुत ज़रूरी था (1:5; 3:2,8,13)।

नये नियम के प्रकाश में इन सभी बातों को पूरी तरह से समझा जा सकता है। इब्रानियों के लेखक हमें बताते हैं 'लहू बहाए बिना पापों की क्षमा नहीं' (इब्रानियों 9:22)। वह हमें बताते हैं कि नियम एक 'नकल' (पद - 23) और एक 'परछाई' है (10:1)। दूसरे शब्दो में, यह बहुत कुछ महान और बहुत शक्तिशाली की केवल एक परछाई और एक चित्र है।

वह लिखते हैं, 'नियम केवल आने वाली अच्छी वस्तुओं की एक परछाई है – ना कि वास्तविकताएं..... बैलों बकरो के लहू का पापों को हटाना असंभव बात है' (पद - 1,4)।

यह सब 'एक ही बार में सभी के लिए यीशु मसीह की देह के बलिदान' की ओर ले जा रहा था' (पद - 10)। 'एक बलिदान के द्वारा उसने उन सभी को सिद्ध बनाया जो पवित्र किए जाते हैं' (पद - 14)। हम पूर्ण क्षमा को ग्रहण करते हैं और 'जहाँ इनकी क्षमा हो चुकी है, तो अब पाप के लिए बलिदान की कोई आवश्यकता नहीं है' (पद - 18)।

इसलिए, नया नियम हमें बताता है कि अब इनमें से किसी भी बलिदान की आवश्यकता नहीं है। किंतु, वे यीशु के बलिदान के इतिहास को बताती है और यह समझने में हमारी सहायता करती है कि यह कितना अद्भुत है। पवित्रता की शुरुवात होती है यीशु ने आपके लिए जो किया है उसमें अपने विश्वास को लगाने के द्वारा और उनकी पवित्र आत्मा को आपके जीवन में आने के लिए कहने के द्वारा ताकि वह आकर एक पवित्र जीवन जीने में आपकी सहायता करें।

जो कुछ परमेश्वर ने आपके लिए किया है उसके प्रति आभार मानते हुए, आपके बदले में यीशु के बलिदान के द्वारा, अपने शरीर को 'एक जीवित बलिदान, पवित्र और परमेश्वर को भावता हुए अर्पण करिए - यह आपकी सच्ची और सही आराधना है' (रोमियो 12:1-2)।

प्रार्थना

परमेश्वर, धन्यवादिता और स्तुति से भरकर, मैं अपने शरीर को, आपको जीवता बलिदान के रूप में चढ़ाता हूँ। मेरे अंदर रहने वाले आपकी पवित्र आत्मा के द्वारा मेरी सहातया कीजिए कि मैं पवित्र बनूं जैसा कि आप पवित्र हैं।

पिप्पा भी कहते है

यीशु कहते हैं, 'एक दूसरे के साथ शांति में रहो' (मरकुस 9:50)। यह विश्व की बहुत सी परेशानियों को सुलझा देगा!

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संदर्भ

नोट्स:

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

एक साल में बाइबल

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