दया में धनवान
परिचय
एक व्यक्ति एक सफल कलाकार के द्वारा अपनी तस्वीर बनवा रहा था। जब तस्वीर बन चुकी, तब उसे दिखाया गया। वह व्यक्ति उसे देखकर बहुत दुखी हो गया। जब उससे पूछा गया कि क्या उसे यह पंसद आया? उसने जवाब दिया, 'मुझे नहीं लगता है कि यह मेरे साथ न्याय करता है।' इसके जवाब में कलाकार ने कहा, 'श्रीमान, आपको न्याय की नहीं, बल्कि दया की आवश्यकता है!'
हम सभी को न्याय से अधिक दया की आवश्यकता है। 'परमेश्वर की दया' का विषय पूरी बाईबल में दिखाई देता है। परमेश्वर 'दया का धनी' है (इफिसियों 2:4)। ग्रीक शब्द 'एलोस' का अर्थ है 'दया, करुणा, तरस।' परमेश्वर की दया आपके लिए उपलब्ध है। आज के हमारे लेखांश में हम लोगों के कुछ उदाहरण को देखते हैं जिन्होंने परमेश्वर की दया को ग्रहण किया था।
भजन संहिता 27:7-14
7 हे यहोवा, मेरी पुकार सुन, मुझको उत्तर दे।
मुझ पर दयालु रह।
8 हे योहवा, मैं चाहता हूँ अपने हृदय से तुझसे बात करुँ।
हे यहोवा, मैं तुझसे बात करने तेरे सामने आया हूँ।
9 हे यहोवा, अपना मुख अपने सेवक से मत मोड़।
मेरी सहायता कर! मुझे तू मत ठुकरा! मेरा त्याग मत कर!
मेरे परमेश्वर, तू मेरा उद्धारकर्ता है।
10 मेरी माता और मेरे पिता ने मुझको त्याग दिया,
पर यहोवा ने मुझे स्वीकारा और अपना बना लिया।
11 हे यहोवा, मेरे शत्रुओं के कारण, मुझे अपना मार्ग सिखा।
मुझे अच्छे कामों की शिक्षा दे।
12 मुझ पर मेरे शत्रुओं ने आक्रमण किया है।
उन्होंने मेरे लिए झूठ बोले हैं। वे मुझे हानि पहुँचाने के लिए झूठ बोले।
13 मुझे भरोसा है कि मरने से पहले मैं सचमुच यहोवा की धार्मिकता देखूँगा।
14 यहोवा से सहायता की बाट जोहते रहो!
साहसी और सुदृढ़ बने रहो
और यहोवा की सहायता की प्रतीक्षा करते रहो।
समीक्षा
1. संघर्ष
इससे फरक नहीं पड़ता है कि आप अपने जीवन में किन संघर्षों का सामना कर रहे हैं, परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं को पकड़े रहिये। परमेश्वर की भलाई को देखने की आशा कीजिए, ना केवल स्वर्ग में जब आप जाऍंगे, किंतु यहाँ पर आपके जीवन की साधारण गतिविधीयों में भी (उस भूमि में जहाँ हम रहते हैं, पद - 13)।
दाऊद परमेश्वर से कहते हैं, 'मुझ पर दया करें' (पद - 7ब)। झूठा आरोप लगाया जाना एक भयानक अनुभव है। दाऊद 'विरोधियों' (पद - 11ब) और 'झूठे गवाह' (पद - 12ब) का सामना करते हैं। इस दर्द भरे अनुभव से गुज़रते हुए वह परमेश्वर से दया को माँगते हैं, और सभी आरोपों के बीच में वह कह पाते हैं, 'मैं इस बात के प्रति निर्भीक हूँ मैं जीवतों के शहर में परमेश्वर की भलाई को देखूंगा' (पद - 13)।
दाऊद के पास ऐसी निर्भीकता है क्योंकि वे जानते हैं कि परमेश्वर उनके उद्धारकर्ता (पद - 9ब) और सिद्ध पिता हैं। 'चाहे मेरे माता - पिता मुझे भूल जाएँ, तब भी परमेश्वर मुझे ग्रहण करेंगे' (पद - 10)।
आज बहुत से लोग अपने माता - पिता से प्रेम न ग्रहण करने के कारण संघर्ष उठाते हैं। किंतु आपके माता - पिता के साथ आपका संबंध चाहे जो भी हो, फिर भी आप चित्र बनाना शुरु कर सकते हैं कि सिद्ध माता - पिता के साथ संबंध किस तरह दिखाई देता है।
परमेश्वर ऐसे माता - पिता हैं। उनकी वफादारी पर प्रश्न नहीं लगाया जा सकता है। उनकी उदारता सिद्ध है। उनका स्नेह सौम्य और प्रेमी है। उनकी उपस्थिति स्थायी है। उन्होंने आपको बिना किसी शर्त के ग्रहण किया है। उनकी बातचीत आपको उठाती है और आपके सर्वश्रेष्ठ फायदे के लिए होती है। उनका अधिकार सही और सच्चा है।
जब दाऊद लिखते हैं कि 'परमेश्वर मुझे ग्रहण करेंगे' (पद - 10ब), तब वह सिद्ध माता-पिता की विशेषताओं के बारे में सोच रहे हैं।
परमेश्वर आपको निराश नहीं करेंगे, विशेष रूप से तब जब आप संघर्ष कर रहे होते हैं। पृथ्वी पर कुछ माता - पिता केवल तभी प्रेम और सुरक्षा प्रदान करते हैं, जब वे महसूस करते हैं कि उनके बच्चे इसके लायक हैं। परमेश्वर ऐसे नहीं हैं। अद्भुत सच्चाई यह है कि हमारे पिता दयावान हैं और हमें प्रेम और सुरक्षा देते हैं, यहाँ तक कि तब जब हम इसके लायक नहीं होते हैं।
प्रार्थना
परमेश्वर, जब मैं पुकारुँ तब मेरी आवाज़ सुनें; मुझ पर दया करें और मुझे उत्तर दें। मेरा हृदय आपके विषय में कहता है, 'उनके चेहरे को खोजिए!' परमेश्वर, मैं आपके चेहरे को खोजूँगा.. परमेश्वर मुझे अपने रास्ते को सिखाईये' (पद - 7-8,11)
मरकुस 10:13-31
बच्चों को यीशु की आशीष
13 फिर लोग यीशु के पास नन्हें-मुन्ने बच्चों को लाने लगे ताकि वह उन्हें छू कर आशीष दे। किन्तु उसके शिष्यों ने उन्हें झिड़क दिया। 14 जब यीशु ने यह देखा तो उसे बहुत क्रोध आया। फिर उसने उनसे कहा, “नन्हे-मुन्ने बच्चों को मेरे पास आने दो। उन्हें रोको मत क्योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसों का ही है। 15 मैं तुमसे सत्य कहता हूँ जो कोई परमेश्वर के राज्य को एक छोटे बच्चे की तरह नहीं अपनायेगा, उसमें कभी प्रवेश नहीं करेगा।” 16 फिर उन बच्चों को यीशु ने गोद में उठा लिया और उनके सिर पर हाथ रख कर उन्हें आशीष दी।
यीशु से एक धनी व्यक्ति का प्रश्न
17 यीशु जैसे ही अपनी यात्रा पर निकला, एक व्यक्ति उसकी ओर दौड़ा और उसके सामने झुक कर उसने पूछा, “उत्तम गुरु, अनन्त जीवन का अधिकार पाने के लिये मुझे क्या करना चाहिये?”
18 यीशु ने उसे उत्तर दिया, “तू मुझे उत्तम क्यों कहता है? केवल परमेश्वर के सिवा और कोई उत्तम नहीं है। 19 तू व्यवस्था की आज्ञाओं को जानता है: ‘हत्या मत कर, व्यभिचार मत कर, चोरी मत कर, झूठी गवाही मत दे, छल मत कर, अपने माता-पिता का आदर कर …’ ”
20 उस व्यक्ति ने यीशु से कहा, “गुरु, मैं अपने लड़कपन से ही इन सब बातों पर चलता रहा हुँ।”
21 यीशु ने उस पर दृष्टि डाली और उसके प्रति प्रेम का अनुभव किया। फिर उससे कहा, “तुझमें एक कमी है। जा, जो कुछ तेरे पास है, उसे बेच कर गरीबों में बाँट दे। स्वर्ग में तुझे धन का भंडार मिलेगा। फिर आ, और मेरे पीछे हो ले।”
22 यीशु के ऐसा कहने पर वह व्यक्ति बहुत निराश हुआ और दुखी होकर चला गया क्योंकि वह बहुत धनवान था।
23 यीशु ने चारों ओर देख कर अपने शिष्यों से कहा, “उन लोगों के लिये, जिनके पास धन है, परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कितना कठिन है!”
24 उसके शब्दों पर उसके शिष्य अचरज में पड़ गये। पर यीशु ने उनसे फिर कहा, “मेरे बच्चो, परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कितना कठिन है। 25 परमेश्वर के राज्य में किसी धनी के प्रवेश कर पाने से, किसी ऊँट का सुई के नाके में से निकल जाना आसान है!”
26 उन्हें और अधिक अचरज हुआ। वे आपस में कहने लगे, “फिर किसका उद्धार हो सकता है?”
27 यीशु ने उन्हें देखते हुए कहा, “यह मनुष्यों के लिये असम्भव है किन्तु परमेश्वर के लिये नहीं। क्योंकि परमेश्वर के लिये सब कुछ सम्भव है।”
28 फिर पतरस उससे कहने लगा, “देख, हम सब कुछ त्याग कर तेरे पीछे हो लिये हैं।”
29 यीशु ने कहा, “मैं तुमसे सत्य कहता हूँ, कोई भी ऐसा नहीं है जो मेरे लिये और सुसमाचार के लिये घर, भाईयों, बहनों, माँ, बाप, बच्चों, खेत, सब कुछ को छोड़ देगा। 30 और जो इस युग में घरों, भाईयों, बहनों, माताओं, बच्चों और खेतों को सौ गुना अधिक करके नहीं पायेगा-किन्तु यातना के साथ और आने वाले युग में अनन्त जीवन। 31 और बहुत से वे जो आज सबसे अन्तिम हैं, सबसे पहले हो जायेंगे, और बहुत से वे जो आज सबसे पहले हैं, सबसे अन्तिम हो जायेंगे।”
समीक्षा
1. बच्चे
ऐसे एक समाज में जहाँ 'छोटे बच्चों' (पद - 13) को ज़्यादा सम्मान नहीं दिया जाता है, वहीं यीशु उन पर दया करते हैं (पद - 13-16)। उन्होंने कहा, 'परमेश्वर का राज्य ऐंसो का ही है' (पद - 14ब)। उन्होंने बच्चो को 'अपनी बाँहों में' लिया, उन पर अपने हाथ रखें और उन्हें आशीष दी' (पद - 16)। हमें अवश्य ही सुनिश्चित करना है कि एक चर्च समुदाय के रूप में हम बच्चों को वही प्रेम, सुरक्षा और प्राथमिकता देते हैं जो यीशु ने उन्हें दिया – समय, ऊर्जा और स्त्रोतों के रूप में।
वास्तव में, यीशु हमें बताते हैं, हम चाहें जो भी हो, हमारी उम्र चाहे कितनी भी हो, जब परमेश्वर के राज्य का एक भाग बनने की बात आती है तब हम सभी को बच्चों से सीखने की ज़रूरत हैः 'मैं आपसे सच कहता हूँ, जो कोई एक बालक की तरह परमेश्वर के राज्य को ग्रहण नहीं करेगा, वह इसमें प्रवेश नहीं कर पायेगा।' (पद - 15)
यीशु नहीं कह रहे हैं कि हम हर पहलू में बच्चों की तरह बन जाएं। हमें बच्चों जैसी शरारतों को नही अपनाना है या हमारे कामों के प्रति लापरवाह नहीं बनना है। लेकिन बच्चों की तरह, हमें खुला और ग्रहणशील बनना है, हमारी भावनाओं के प्रति ईमानदार होना है - यह पहचानते हुए कि हम कितने कमज़ोर और असुरक्षित हैं और हमें कितनी ज़्यादा दूसरों की ज़रूरत है। बच्चों की तरह क्षमा करने में शीघ्र बनें और भरोसा करने में शीघ्र बनें।
सामान्य रूप से बच्चें जोशीले, सराहने वाले और उत्साहित होते हैं जब उन्हें उपहार दिए जाते हैं। जब परमेश्वर के राज्य की बात आती है, हमें ऐसा ही बनना है – हमें यीशु के उपहार पर निर्भर रहना है और एक उपहार के रूप में इसे ग्रहण करने के लिए तैयार रहना है जिसके हम लायक नहीं है, लेकिन यीशु ने दया करके हमें दिया है।
परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि मैं बच्चों से सीख सकूं, सहीं तरीकों में उनकी तरह बन सकूं और उन्हें वही प्राथमिकता दे सकूं जो आप उन्हें देते हैं।
2. गरीब
यीशु एक अमीर युवा को 'गरीबों को देने' के लिए कहते हैं (पद - 21ब)। निश्चित ही यह केवल उस युवा के लाभ के लिए नहीं था लेकिन इसलिए कि यीशु के जीवन और सेवकाई में गरीब लोग ऊंची प्राथमिकता रखते थे।
परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि गरीबों से वैसा ही प्रेम और दया कर सकूं जैसा कि आप उनसे करते हैं।
3. अमीर
यीशु की करुणा ना केवल गरीबों तक पहुँची किंतु अमीरों तक भी। यीशु ने इस अमीर युवक को देखा और 'उससे प्रेम किया' (पद - 21अ)। अमीर का परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कठिन बात है (पद - 24-25)।
अमीर लोग और अमीर देश कभी - कभी सुसमाचार को रोकते हैं। धन अक्खड़पन और गलत प्रकार की आत्म - निर्भरता को ला सकता है। फिर भी यीशु कहते हैं कि अमीर का उद्धार पाना कठिन बात हैः 'परमेश्वर के लिए सब कुछ संभव है' (पद - 27)।
परमेश्वर, आपका धन्यवाद क्योंकि आप बहुत दयावान हैं – ना केवल गरीबों के लिए किंतु अमीरों के लिए भी।
4. सताव सहने वाले
यीशु कहते हैं कि उनके सभी अनुयायी सताये जाएँगे (पद - 30)। हममें से कुछ के लिए 'सताव' बहुत ही कम और तुच्छ बात है। शायद से लोग आप पर हॅंसे, आपका विरोध करें। किंतु, विश्व भर में लाखों मसीहो के लिए सताव बहुत ही वास्तविक और भौतिक है।
यह यीशु के पीछे चलने की कीमत है – सताव। हमेशा यीशु के पीछे चलने के लिए दाम चुकाना पड़ेगा। हो सकता है कि हम अपने मित्रों को खो दें या यीशु हमें एक स्थिति या एक संबंध को छोड़ने के लिए कहें। किंतु यह कीमत आशीष में लिपटे हुए आती है – इसी जीवन में हम सौ गुना पाते हैं (पद - 29-30), 'और फिर अनंत जीवन का बोनस!' (पद - 30 एम.एस.जी.)। परमेश्वर सताए गए लोगो के प्रति दयावान रहेंगे।
प्रार्थना
परमेश्वर, आपका धन्यवाद उन लोगों के साहस, उदाहरण और उत्साह के लिए जो आपके लिए सच्ची कठिनाई को सहते हैं। चाहे जो कीमत क्यों न चुकानी पड़े, मुझे आपके पीछे आने की निर्भीकता दीजिए।
लैव्यव्यवस्था 4:1-5:13
संयोगवश हुए पापों के लिए पापबलि के नियम
4यहोवा ने मूसा से कहा, 2 “इस्राएल के लोगों से कहोः यदि किसी व्यक्ति से संयोगवश कोई ऐसा पाप हो जाए जिसे यहोवा ने न करने का आदेश दिया हो तो उस व्यक्ति को निम्न बातें करनी चाहिए:
3 “यदि अभीषिक्त याजक से कोई ऐसा पाप हुआ हो जिसका बुरा असर लोगों पर पड़ा हो तो उसे अपने किए गए पाप के लिए यहोवा को बलि चढ़ानी चाहिए: उसे एक बछड़ा यहोवा को भेंट में देना चाहिए जिसमें कोई दोष न हो। उसे यहोवा को बछड़ा पापबलि के रूप में चढ़ाना चाहिए। 4 अभिषिक्त याजक को उस बछड़े को परमेश्वर के सामने मिलापवाले तम्बू के द्वार पर लाना चाहिए। उसे अपना हाथ उस बछड़े के सिर पर रखाना चाहिए और यहोवा के सामने उसे मार देना चाहिए। 5 तब अभिषिक्त याजक को बछड़े का कुछ खून लेना चाहिए और मिलापवले तम्बू में ले जाना चाहिए। 6 याजक को अपनी उँगलियाँ खून में डालनी चाहिए और महापवित्र स्थान के पर्दे के सामने खून को सात बार परमेश्वर के सामने छिड़कना चाहिए। 7 याजक को कुछ खून सुगन्धित धूप की वेदी के सिरे पर लगाना चाहिए। (यह वेदी यहोवा के सामने मिलापवाले तम्बू में है।) याजक को बछड़े का सारा ख़ून होमबलि की वेदी की नींव पर डालना चाहिए। (वह वेदी मिलापवले तम्बू के द्वार पर है।) 8 और उसे पापबलि किए गए बछड़े की सारी चर्बी को निकाल लेना चाहिए। उसे भीतरी भागों के ऊपर और उसके चारों ओर की चर्बी को निकाल लेनी चाहिए। 9 उसे दोनों गुर्दे, उसके ऊपर की चर्बी और पुट्ठे पर की चर्बी ले लेनी चाहिए। उसे कलेजे को ढकने वाली चर्बी भी लेनी चाहिये और उसे कलेजे को गुर्दे के साथ निकाल लेना चाहिए। 10 याजक को ये चीजें ठीक उसी तरह लेनी चाहिए जिस प्रकार उसने ये चीजें मेलबलि के बछड़े से ली थीं। याजक को होमबलि की वेदी पर पशु के भागों को जलाना चाहिए। 11-12 किन्तु याजक को बछड़े का चमड़ा, सिर सहित इसका सारा माँस, पैर, भीतरी भाग और शरीर का बेकार भाग निकाल लेना चाहिए। याजक को डेरे के बाहर विशेष स्थान पर बछड़े के पूरे शरीर को लेजाना चाहिए जहाँ राख डाली जाती है। याजक को वहाँ लकड़ी की आग पर बछड़े को जलान चाहिए। बछड़े को वहाँ जलाया जाना चाहिए जहाँ राख डाली जाती है।
13 “ऐसा हो सकता है कि पूरे इस्राएल राष्ट्र से अनजाने में कोई ऐसा पाप हो जाए जिसे न करने का आदेश परमेश्वर ने दिया है। यदि ऐसा होता है तो वे दोषी होंगे। 14 यदि उन्हें इस पाप का पता चलता है तो पूरे राष्ट्र के लिए एक बछड़ा पापबलि के रूप में चढ़ाया जाना चाहिए। उन्हें बछड़े को मिलापवाले तम्बू के सामने लाना चाहिए। 15 बुजुर्गों को यहोवा के सामने बछड़े के सिर पर अपने हाथ रखने चाहिए। यहोवा के सामने बछड़े को मारना चाहिए। 16 तब अभिषिक्त याजक को बछड़े का कुछ खून मिलापवले तम्बू में लाना चाहिए। 17 याजक को अपनी उँगलियाँ खून में डूबानी चाहिए और पर्दे के सामने सात बार खून को यहोवा के सामने छिड़कना चाहिए। 18 तब याजक को कुछ खून वेदी के सिरे के सींगों पर डालना चाहिए। (वह वेदी मिलापवाले तम्बू में यहोवा के सामने है।) याजक को सारा खून होमबली की वेदी की नींव पर डालना चाहिए। वह वेदी मिलापवाले तम्बू के द्वार पर है। 19 तब याजक को पशु की सारी चर्बी निकाल लेनी चाहिए और उसे वेदी पर जलाना चाहिए। 20 वह बछड़े के साथ वैसा ही करेगा जैसा उसने पापबलि के रूप में चढ़ाये गए बछड़े के साथ किया था। इस प्रकार याजक लोगों के पाप का भुगतान करता है, इससे यहोवा इस्राएल के लोगों को क्षमा कर देगा। 21 याजक डेरे के बाहर बछड़े को ले जाएगा और उसे वहाँ जलाएगा। यह पहले के समान होगा। यह पूरे समाज के लिए पापबलि होगी।
22 “हो सकता है किसी शासक से संयोगवश, कोई ऐसी बात हो जाए जिसे उसके परमेश्वर यहोवा ने न करने का आदेश दिया है, तो यह शासक दोषी होगा। 23 यदि उसे इस पाप का पता चलता है तब उसे एक ऐसा बकरा लाना चाहिए जिसमें कोई कोई दोष न हो। यही उसकी भेंट होगी। 24 शासक को बकरे के सिर पर हाथ रखना चाहिए और उसे उस स्थान पर मारना चाहिए जहाँ वे होमबलि को यहोवा केसामने मारते हैं। बकरा पापबलि है। 25 याजक को पापबलि का कुछ खून अपनी ऊँगली पर लेना चाहिए। याजक होमबलि की वेदी के सिरे पर खून छिड़केगा। याजक को बाकी खून होमबलि की वेदी की नींव पर डालना चाहिए 26 और याजक को बकरे की सारी चर्बी वैदी पर जलानी चाहिए। इसे उसी प्रकार जलाना चाहिए जिस प्रकार वह मेलबलि की चर्बी को जलाता है। इस प्रकार याजक शासक के पाप का भुगतान करता है और यहोवा शासक को क्षमा करेगा।
27 “हो सकता है कि साधारण जनता में से किसी व्यक्ति से संयोगवश कोई ऐसी बात हो जाए जिसे यहोवा ने न करने का आदेश दिया है। 28 यदि उस व्यक्ति को अपने पाप का पता चले तो वह एक बकरी लाए जिसमें कोई दोष न हो। यह उस व्यक्ति की भेंट होगी। वह इस बकरी को उस पाप के लिए लाए जो उसने किया है। 29 उसे अपना हाथ पशु के सिर पर रखना चाहिए और होमबलि के स्थान पर उसे मारना चाहिए। 30 तब याजक को उस बकरी का कुछ खून अपनी उँगली पर लेना चाहिए और होमबतलि की वेदी के सिरे पर डालना चाहिए। याजक को वेदी की नींव पर बकरी का सारा खून उँडेलना चाहिए। 31 तब याजक को बकरी की सारी चर्बी उसी प्रकार निकालनी चाहिए जिस प्रकार मलेबलि से चर्बी निकाली जाती है। याजक को इसे यहोवा के लिये सुगन्धि धूप की वेदी पर जलाना चाहिए। इस प्रकार याजक उस व्यक्ति के पापों का भुगतान कर देगा और यहोवा उस व्यक्ति को क्षमा कर देगा।
32 “यदि यह व्यक्ति पापबलि के रूप में एक मेमने को लाता है तो उसे एक मादा मेमना लानी चाहिए जिसमें कोई दोष न हो। 33 व्यक्ति को उसके सिर पर हाथ रखना चाहिए और उसे उस स्थान पर पापबलि के रूप में मारना चाहिए जहाँ वे होमबलि के पशु को मारते हैं। 34 याजक को अपनी ऊँगली पर पापबलि का खून लेना चाहिए और इसे होमबलि की वेदी के सिरे पर डालना चाहिए। तब उसे मेमने के सारे खून को वेदी की नींव पर उँडेलना चाहिए। 35 याजक को मेमने की सारी चर्बी उसी प्रकार लेनी चाहिए जिस प्रकार मेलबलि के मेमने की चर्बी ली जाती है। याजक को यहोवा के लिए आग द्वारा दी जाने वाली भेंटों के समान ही वेदी पर इन टुकड़ों को जलाना चाहिए। इस प्रकार याजक उस व्यक्ति के पापों का भुगतान करेगा और यहोवा उस व्यक्ति को क्षमा कर देगा।
असावधानी में किए गए विभिन्न अपराध
5“यदि कोई व्यक्ति न्यायालय में गवाही देने के लिए बुलाया जाता है और जो कुछ उसने देखा है या सुना है, उसे नहीं बताता तो वह पाप करता है। उसे उसके अपराध के लिए अवश्य ही दण्ड भोगना होगा।
2 “अथवा कोई व्यक्ति किसी ऐसी चीज को छूता है जो अशुद्ध है जैसे अशुद्ध जंगली जानवर का शव या अशुद्ध मवेशी का शव अथवा रेंगने वाले किसी अशुद्ध जन्तु का शव और उस व्यक्ति को इसका पता भी नहीं चलता कि उसने उन चीजों को छुआ है, तो भी वह बुरा करने का दोषी होगा।
3 “किसी भी व्यक्ति से बहुत सी ऐसी चीज़ें निकलती है जो शुद्ध नहीं होतीं। कोई व्यक्ति इनमें से दूसरे व्यक्ति की किसी भी अशुद्ध वस्तु को अनजाने में ही छू लेता है तब वह दोषी होगा।
4 “अथवा ऐसा हो सकता है कि कोई व्यक्ति अच्छा या बुरा करने का जल्दी में वचन दे देता है। लोग बहुत प्रकार के वचन जल्दी में दे देते हैं। यदि कोई व्यक्ति ऐसा वचन दे देता है और उसे भूल जाता है तो वह अपराधी है और जब उसे अपना वचन याद आता है तब भी वह अपराधी है। 5 अत: यदि वह इनमें से किसी का दोषी है तो उसे अपनी बुराई स्वीकार करनी चाहिए। 6 उसे परमेश्वर को अपने किए हुए पाप के लिए दोषबलि लानी चाहिए। उसे दोषबलि के रूप में अपनी रेवड़ से एक मादा जानवर लाना चाहिए। यह मेमना या बकरी हो सकता है। तब याजक वह कार्य करेगा जिससे उस व्यक्ति के पाप का भुगतान होगा।
7 “यदि कोई व्यक्ति मेमना भेंट करने में असमर्थ है तो उसे दो फ़ाख्ता या कबूतर के दो बच्चे यहोवा को भेंट में देना चाहिए। यह उसके पाप के लिए दोषबलि होगी। एक पक्षी दोषबलि के लिए होना चाहिए तथा दूसरा होमबलि के लिए होना चाहिए। 8 उस व्यक्ति को चाहिए कि वह उन पक्षियों को याजक के पास लाए। पहले याजक को दोषबलि के रूप में एक पक्षी को चढ़ाना चाहिए। याजक पक्षी की गर्दन को मोड़ देगा। किन्तु याजक पक्षी को दो भागों में नहीं बाँटेगा। 9 तब याजक को दोषबलि के खून को वेदी के सिरों पर डालना चाहिए। तब याजक को बचा हुआ खून वेदी की नींव पर डालना चाहिए। यह दोषबलि है। 10 तब याजक को नियम के अनुसार होमबलि के रूप में दूसरे पक्षी की भेंट चढ़ानी चाहिए। इस प्रकार याजक उस व्यक्ति के अपराधों का भुगतान देगा। और परमेश्वर उस व्यक्ति को क्षमा करेगा।
11 “यदि कोई व्यक्ति दो फाख्ता या दो कबूतर भेंट चढ़ाने में असमर्थ हो तो उसे एपा का दसवाँ भाग महीन आटा लाना चाहिए। यह उसकी दोषबलि होगी। उस व्यक्ति को आटे पर तेल नहीं डालना चाहिए। उसे इस पर लोबान नहीं रखना चाहिए क्यों यह दोषबलि है। 12 व्यक्ति को आटा याजक के पास लाना चाहिए। याजक इसमें से मुट्ठी भर आटा निकालेगा। यह स्मृति भेंट होगी। याजक यहोवा को आग द्वारा दी गई भेंट पर वेदी के ऊपर आटे को जलाएगा। यह दोषबलि है। 13 इस प्रकार याजक व्यक्ति के अपराधों के लिए भुगतान करेगा और यहोवा उस व्यक्ति को क्षमा करेगा। बची हुई दोषबलि याजक की वैसे ही होगी जैसे अन्नबलि होती है।”
समीक्षा
6. दोषी
हम सभी ने पाप किया है (याकूब 2:10)। इस लेखांश में शब्द 'दोष' बार - बार दिखाई देता है (लैव्यव्यवस्था 4:3,13,22,27;5:2,3,4,5)। पाप के लिए एक दंड है (5:5-6)। पौलुस प्रेरित हमें बताते हैं कि पाप का दंड मृत्यु है (रोमियो 6:23)।
इस लेखांश में बताए गए बलिदान, लोगों को यीशु के एक सिद्ध बलिदान के लिए तैयार कर रहे थे, जो आपके लिए और मेरे लिए (दोषी) मरा, ताकि हम परमेश्वर की दया को ग्रहण करें।
यीशु ने आपके पापों के लिए प्रायश्चित्त किया
पाप से, पश्चाताप के बिना क्षमा नहीं मिलती है (लैव्यव्यवस्था 4:31,35; 5:10,13)। पश्चाताप की एक परिभाषा है 'गलती या हानि को सुधारने के लिए किया गया कार्य जो दो लोगों को एक साथ लाती है' – इसलिए शब्द 'पश्चाताप'। आखिरकार, यह केवल यीशु हैं जिसने हमारे पापों के लिए सिद्ध पश्चाताप किया (इब्रानियों 2:17)।
पश्चाताप के लिए एक बलिदान के रूप में यीशु मरे
हमने यहाँ पर 'पाप बलिदान' के बलिदान करने के सिस्टम के विस्तृत विवरण को पढ़ा (लैव्यव्यवस्था 4:3,29,33,34;5:9,11,12), आपके और मेरे पापों के लिए 'पश्चाताप के बलिदान' के रूप में यीशु मर गए (रोमियों 3:25)।
यीशु सिद्ध बलिदान थे
बलिदान में 'कोई खराबी' नहीं होनी चाहिए थी (लैव्यव्यवस्था 4:3,28,32)। यह केवल यीशु थे जो सिद्ध बलिदान बन सकते थे (इब्रानियों 5:9)।
यीशु परमेश्वर के मेमने हैं
एक पाप बलिदान के रूप में एक मेमने को लाया गया था (लैव्यव्यवस्था 4:32)। दोषी व्यक्ति को इसके सिर पर अपने हाथों को रखना होता था। पाप को हटाने के लिए एक पाप बलिदान के रूप में मेमने को मरना पड़ा। यीशु 'परमेश्वर के मेमने हैं, जो विश्व के पापों को ले लेते हैं!' (यूहन्ना 1:29)।
यीशु का लहू आपके लिए बहाया गया
याजक को 'पाप बलिदान में से थोड़ा लहू लेकर...बाकि लहू बहा देना पड़ता था' (लैव्यव्यवस्था 4:34)। लहू जानवर के जीवन को दर्शाता था (17:11)। लहू का ऊंडेला जाना इस तथ्य का प्रतीक था कि जानवर मर चुका था। यह उस व्यक्ति के बदले किया जाता था जो बलिदान कर रहा था। यीशु का लहू आपके लिए और मेरे लिए बहाया गया (मत्ती 26:28)।
यीशु ने सभी के लिए परमेश्वर की दया को उपलब्ध किया है
शब्द 'क्षमा' और 'क्षमा किए गए' यें शब्द बार - बार दिखाई देते हैं (लैव्यव्यवस्था 4:20,26,31,35;5:10,13)। 'बिना लहू बहाए पापों की क्षमा नहीं' (इब्रानियों 9:22)। यीशु के लहू के द्वारा, पापों की क्षमा संभव है (इफिसियो 1:7)। परिणाम स्वरूप, परमेश्वर की दया आपके लिए और मेरे लिए उपलब्ध है।
प्रार्थना
परमेश्वर, आपका बहुत धन्यवाद क्योंकि अब मुझे दया और क्षमा को प्राप्त करने के लिए इन विस्तृत प्रक्रियाओं से गुज़रने की आवश्यकता नहीं है। आपका धन्यवाद क्योंकि यीशु के द्वारा मेरे लिए पूर्ण क्षमा उपलब्ध है। आपका धन्यवाद क्योंकि मेरे लिए आपके महान प्रेम में, आप 'दया के धनी' हैं (2:4)।
पिप्पा भी कहते है
लैव्यव्यवस्था 4:1-5:13
ओह प्यारे, वे सभी बलिदान। क्षमा किए जाने का कितना अस्त - व्यस्त, जटिल तरीका। यह बहुत ही अद्भुत है कि हम शांत रूप से और दीनता के साथ यीशु के पास जा सकते हैं, और क्षमा मॉंग सकते हैं और हमारे सभी पापों से शुद्ध हो सकते हैं। यह कितना अद्भुत है!
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संदर्भ
नोट्स:
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।