दिन 68

लेकिन….

बुद्धि भजन संहिता 31:9-18
नए करार मरकुस 14:17-42
जूना करार लैव्यव्यवस्था 17:1-18:30

परिचय

आयरलैंड में गंभीर आलू अकाल के दौरान कई परिवारों ने मिलकर अपने मालिक को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने कहा था कि अपना किराया चुकाने के लिए उनके पास ज़रा भी धन नहीं है इसलिए विनती की जाती है कि वे सारा क़र्ज़ माफ कर दें। यह मालिक कॅनन एन्ड्र्यू रॉबर्ट फॉसेट थे, जिनका जन्म आयरलैंड में एनिस्किलेन के पास, फर्मानाघ कन्ट्री में सन 1821 में हुआ था। वह इक्वावन वर्षों तक सेंट कथबर्ट्स, यॉर्क के शासक रहे थे।

कॅनन फॉसेट ने अपने किरायेदारों को एक पत्र लिखा। उन्होंने कहा कि उनका क़र्ज़ माफ करना असंभव है। यह एक बुरी मिसाल होगी। उन्हें हर एक पैसा चुकता करना पड़ेगा।

'लेकिन' उन्होंने लिखा, 'मैं इसके साथ कुछ भेज रहा हूँ जो तुम लोगों की मदद करेगा।' यह बहुत बड़े रकम की एक चेक थी – जो उनके सभी क़र्ज़ से कहीं ज़्यादा रकम की थी।

जब उन्होंने 'लेकिन' शब्द को देखा होगा, तो उनका हृदय खुशी के मारे उछल पड़ा होगा। परीक्षा, दु:ख और प्रलोभन के समय 'लेकिन' एक शक्तिशाली शब्द है।

बुद्धि

भजन संहिता 31:9-18

9 हे यहोवा, मुझ पर अनेक संकट हैं। सो मुझ पर कृपा कर।
 मैं इतना व्याकुल हूँ कि मेरी आँखें दु:ख रही हैं।
 मेरे गला और पेट पीड़ित हो रहे हैं।
10 मेरा जीवन का अंत दु:ख में हो रहा है।
 मेरे वर्ष आहों में बीतते जाते हैं।
मेरी वेदनाएँ मेरी शक्ति को निचोड़ रही हैं।
 मेरा बल मेरा साथ छोड़ता जा रहा है।
11 मेरे शत्रु मुझसे घृणा रखते हैं।
 मेरे पड़ोसी मेरे बैरी बने हैं।
मेरे सभी सम्बन्धी मुझे राह में देख कर
 मुझसे डर जाते हैं
और मुझसे वे सब कतराते हैं।
12 मुझको लोग पूरी तरह से भूल चुके हैं।
 मैं तो किसी खोये औजार सा हो गया हूँ।
13 मैं उन भयंकर बातों को सुनता हूँ जो लोग मेरे विषय में करते हैं।
 वे सभी लोग मेरे विरुद्ध हो गए हैं। वे मुझे मार डालने की योजनाएँ रचते हैं।

14 हे यहोवा, मेरा भरोसा तुझ पर है।
 तू मेरा परमेश्वर है।
15 मेरा जीवन तेरे हाथों में है। मेरे शत्रुओं से मुझको बचा ले।
 उन लोगों से मेरी रक्षा कर, जो मेरे पीछे पड़े हैं।
16 कृपा करके अपने दास को अपना ले।
 मुझ पर दया कर और मेरी रक्षा कर!
17 हे यहोवा, मैंने तेरी विनती की।
 इसलिए मैं निराश नहीं होऊँगा।
बुरे मनुष्य तो निराश हो जाएँगे।
 और वे कब्र में नीरव चले जाएँगे।
18 दुर्जन डींग हाँकते हैं
 और सज्जनों के विषय में झूठ बोलते हैं।
वे दुर्जन बहुत ही अभिमानी होते हैं।
 किन्तु उनके होंठ जो झूठ बोलते रहते हैं, शब्द हीन होंगे।

समीक्षा

परेशानी में…….'लेकिन मैं आप पर भरोसा करता हूँ'

जीवन में परेशानी के बिना कोई नहीं रह सकता। यदि दाऊद का उदाहरण किसी के साथ मेल खाता है, तो लीडरशिप की स्थिति में किसी को इससे ज़्यादा परेशानी भी हो सकती है।

दाऊद मुश्किल में थे: 'मेरी आंखे वरन मेरा प्राण और शरीर सब शोक के मारे घुले जाते हैं' (पद - 9ब)। वह आत्मिक, मानसिक और शारीरिक चुनौतियों का सामना कर रहे थे।

उन्होंने 'संकट', 'शोक', 'तड़प', 'तकलीफ', 'बीमारी', 'शत्रुता', अपने पड़ोसियों से 'अपमान', 'टूटना', 'आतंक', षड़यंत्र और 'युक्तियों' का सामना किया था (पद - 9-13)।

फिर भी, इन सबके बीच, वह कहते रहे, 'हे यहोवा मैं ने तो तुझी पर भरोसा रखा है, मैं ने कहा, तू मेरा परमेश्वर है। मेरे दिन तेरे हाथ में है' (पद - 14-15अ)। उन्होंने परमेश्वर के अटल प्रेम पर विश्वास किया (पद - 16)। कभी - कभी जब चीज़ें गलत चल रही होती हैं, तो यह विश्वास करना मुश्किल हो जाता है कि, 'क्या परमेश्वर सच में मुझ से प्यार करते हैं"। लेकिन उन्होंने विश्वास किया। दाऊद मदद के लिए पुकारते हैं क्योंकि उन्हें विश्वास था कि परमेश्वर उन्हें छुड़ाएंगे।

मुश्किल घड़ी में ही उसकी परीक्षा होती है जिस पर आप विश्वास करते हैं। लेकिन, जैसा कि हेनरी फॉर्ड ने लिखा था, 'जब सब कुछ आपके विरूद्ध नज़र आता हो, याद रखिये कि हवाई जहाज़ हवा के विरूद्ध उड़ान भरता है, ना कि हवा की दिशा में।' विश्वास कीजिये कि सब बातें मिलकर भलाई को ही उत्पन्न करती हैं, जो उनके उद्देश्य के अनुसार बुलाए गए हैं (रोमियों 8:28)।

प्रार्थना

प्रभु, आने वाली सभी चुनौतियों में मेरी सहायता कीजिये कि मैं आप पर विश्वास बनाए रखूँ। 'आप मेरे परमेश्वर हैं।' मेरा समय आपके हाथों में है….. आपका चेहरा आपके सेवक पर चमके; मुझे अपने अटल प्रेम में बनाए रखिये। मुझे लज्जित होने मत दीजिये। क्योंकि प्रभु मैंने आपको पुकारा है (भजन संहिता 31:14ब-17अ)।

नए करार

मरकुस 14:17-42

17 दिन ढले अपने बारह शिष्यों के साथ यीशु वहाँ पहुँचा। 18 जब वे बैठे खाना खा रहे थे, तब यीशु ने कहा, “मैं सत्य कहता हूँ: तुम में से एक जो मेरे साथ भोजन कर रहा है, वही मुझे धोखे से पकड़वायेगा।”

19 इससे वे दुखी हो कर एक दूसरे से कहने लगे, “निश्चय ही वह मैं नहीं हूँ!”

20 तब यीशु ने उनसे कहा, “वह बारहों में से वही एक है, जो मेरे साथ एक ही थाली में खाता है। 21 मनुष्य के पुत्र को तो जाना ही है, जैसा कि उसके बारे में लिखा है। पर उस व्यक्ति को धिक्कार है जिसके द्वारा मनुष्य का पुत्र पकड़वाया जाएगा। उस व्यक्ति के लिये कितना अच्छा होता कि वह पैदा ही न हुआ होता।”

प्रभु का भोज

22 जब वे खाना खा ही रहे थे, यीशु ने रोटी ली, धन्यवाद दिया, रोटी को तोड़ा और उसे उनको देते हुए कहा, “लो, यह मेरी देह है।”

23 फिर उसने कटोरा उठाया, धन्यवाद किया और उसे उन्हें दिया और उन सब ने उसमें से पीया। 24 तब यीशु बोला, “यह मेरा लहू है जो एक नए वाचा का आरम्भ है। यह बहुतों के लिये बहाया जा रहा है। 25 मैं तुमसे सत्य कहता हूँ कि अब मैं उस दिन तक दाखमधु को चखूँगा नहीं जब तक परमेश्वर के राज्य में नया दाखमधु न पीऊँ।”

26 तब एक गीत गा कर वे जैतून के पहाड़ पर चले गये।

यीशु की भविष्यवाणी — सब शिष्य उसे छोड़ जायेंगे

27 यीशु ने उनसे कहा, “तुम सब का विश्वास डिग जायेगा। क्योंकि लिखा है:

‘मैं गड़ेरिये को मारूँगा और
भेड़ें तितर-बितर हो जायेंगी।’

28 किन्तु फिर से जी उठने के बाद मैं तुमसे पहले ही गलील चला जाऊँगा।”

29 तब पतरस बोला, “चाहे सब अपना विश्वास खो बैठें, पर मैं नहीं खोऊँगा।”

30 इस पर यीशु ने उससे कहा, “मैं तुझ से सत्य कहता हूँ, आज इसी रात मुर्गे के दो बार बाँग देने से पहले तू तीन बार मुझे नकार चुकेगा।”

31 इस पर पतरस ने और भी बल देते हुए कहा, “यदि मुझे तेरे साथ मरना भी पड़े तो भी मैं तुझे कभी नकारूँगा नहीं!” तब बाकी सब शिष्यों ने भी ऐसा ही कहा।

यीशु की एकांत प्रार्थना

32 फिर वे एक ऐसे स्थान पर आये जिसे गतसमने कहा जाता था। वहाँ यीशु ने अपने शिष्यों से कहा, “जब तक मैं प्रार्थना करता हूँ, तूम यहीं बैठो।” 33 और पतरस, याकूब और यूहन्ना को वह अपने साथ ले गया। वह बहुत दुखी और व्याकुल हो रहा था। 34 उसने उनसे कहा, “मेरा मन दुखी है, जैसे मेरे प्राण निकल जायेंगे। तुम यहीं ठहरो और सावधान रहो।”

35 फिर थोड़ा और आगे बड़ने के बाद वह धरती पर झुक कर प्रार्थना करने लगा कि यदि हो सके तो यह घड़ी मुझ पर से टल जाये। 36 फिर उसने कहा, “हे परम पिता! तेरे लिये सब कुछ सम्भव है। इस कटोरे को मुझ से दूर कर। फिर जो कुछ भी मैं चाहता हूँ, वह नहीं बल्कि जो तू चाहता है, वही कर।”

37 फिर वह लौटा तो उसने अपने शिष्यों को सोते देख कर पतरस से कहा, “शमौन, क्या तू सो रहा है? क्या तू एक घड़ी भी जाग नहीं सका? 38 जागते रहो और प्रार्थना करो ताकि तुम किसी परीक्षा में न पड़ो। आत्मा तो चाहती है किन्तु शरीर निर्बल है।”

39 वह फिर चला गया और वैसे ही वचन बोलते हुए उसने प्रार्थना की। 40 जब वह दुबारा लौटा तो उसने उन्हें फिर सोते पाया। उनकी आँखों में नींद भरी थी। उन्हें सूझ नहीं रहा था कि उसे क्या उत्तर दें।

41 वह तीसरी बार फिर लौट कर आया और उनसे बोला, “क्या तुम अब भी आराम से सो रहे हो? अच्छा, तो सोते रहो। वह घड़ी आ पहुँची है जब मनुष्य का पुत्र धोखे से पकड़वाया जा कर पापियों के हाथों सौंपा जा रहा है। 42 खड़े हो जाओ! आओ चलें। देखो, यह आ रहा है, मुझे धोखे से पकड़वाने वाला व्यक्ति।”

समीक्षा

परीक्षा में….. 'फिर भी मेरी इच्छा नहीं, बल्कि आपकी इच्छा पूरी हो'

जीवन में कभी - कभी आप परेशानियों का सामना कर सकते हैं इसलिए नहीं क्योंकि आप कुछ गलत कर रहे हैं, बल्कि आप सही कर रहे हैं। जीवन में हम सभी को परीक्षा, दु:ख और प्रलोभनों में से गुज़रना होगा। आप अकेले नहीं हैं, यीशु ने कभी कोई गलत काम नहीं किया था, फिर भी उन्हें मानव इतिहास में सबसे ज़्यादा परीक्षा, संकट और प्रलोभन का सामना करना पड़ा।

  1. बेईमानी

ईमानदारी एक बेहतरीन गुण है। दोस्तों और सहकर्मियों की ईमानदारी परीक्षा और संकट के समय में प्रोत्साहित करने वाली, बढ़ाने वाली और आश्वासन देने वाली होती है। बेईमानी अत्यधिक दु:खी कर देने वाली होती है। यीशु ने बारह शिष्यों के साथ तीन साल बिताये थे, यीशु ने उन से प्रेम किया, उनके साथ रहे और उन्हें प्रशिक्षित भी किया था। फिर भी यीशु को उनसे कहना पड़ा, 'तुम में से एक मुझे पकड़वाएगा' (पद - 18)। किसी शत्रु द्वारा या परिचित व्यक्ति द्वारा विश्वासघात किया जाना बहुत भयंकर होता है। लेकिन किसी मित्र द्वारा विश्वासघात किया जाना लगभग असहनीय होता है।

  1. बेचैनी

उनमें से केवल एक शिष्य ने धोखा नहीं दिया था, बल्कि बाकी के सभी शिष्य तितर-बितर हो गए थे (पद - 27)। एक बार फिर, इससे यीशु को बहुत निराशा हुई होगी। ये उनके सबसे करीबी दोस्त थे फिर भी परीक्षा के समय में वे अलग हो गए थे – बल्कि जो बहुत मज़बूत लीडर था वह भी, यानि पतरस। हालाँकि पतरस बहुत ही निश्चित था कि वह यीशु का इंकार नहीं करेगा, फिर भी अंत में उसने उनका इंकार किया।

  1. निराशा

जब यीशु भयंकर समय के करीब थे, वह 'बहुत ही अधीर, और व्याकुल होने लगे' (पद - 33ब)। यीशु का मन बहुत उदास था और उन्होंने कहा यहाँ तक कि मैं मरने पर हूँ (पद - 34अ)।

  1. मृत्यु

हमने पहले पुराने नियम में पाप के विरूद्ध परमेश्वर के क्रोध को देखा (BiOY Day 60 देखें)। कटोरा आगे देते समय वह कहते हैं, ' यह वाचा का मेरा वह लहू है, जो बहुतों के लिये बहाया जाता है' (पद - 24)। बाद में गतसमने में वह प्रार्थना करते हैं, ' इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले' (पद - 36अ)। इसके अलावा, 'जो बहुतों के लिये बहाया जाता है' (मरकुस 14:24ब) इस उद्धरण को यशायाह 53 में दोहराया गया है; 'तब भी उसने बहुतों के पाप का बोझ उठा लिया, और, अपराधियों के लिये बिनती करता है' (यशायाह 53:12क)। यीशु जानते थे कि जगत के पापों को अपने कंधों पर उठाने में उन्हें भयंकर कष्ट सहना पड़ेगा और हमारे लिए उन्हें अपना लहू बहाना पड़ेगा। एक बार फिर से, इसे पूरी तरह से समझने के लिए हमें पुराने नियम की पृष्ठभूमि को समझना जरूरी है। हमारे आज के पुराने नियम के लेखांश में, हम दो बार पढ़ते हैं कि, 'किसी प्राणी का जीवन लहू में है' (लैव्यव्यवस्था 17:11,14)। 'क्योंकि प्राण के कारण लहू ही से प्रायश्चित्त होता है' (पद - 11)। दूसरे शब्दों में, 'जीवने के बदले जीवन' (निर्गमन 21:23)। यीशु ने हमारे लिए अपना जीवन दिया। जब भी आप प्रभु भोज में रोटी और दाखरस लेंगे, तब उनके महान प्रेम को, उनके बलिदान को और आपके लिए उनकी मृत्यु को याद कीजिये। अपना जीवन फिर से उन्हें समर्पित कीजिये और कहिये, 'मेरी इच्छा नहीं बल्कि आपकी इच्छा पूरी हो।'

यीशु बेईमानी, निराशा, बेचैनी और मृत्यु का सामना करते वक्त भी अपना विश्वास स्वर्गीय पिता पर बनाए हुए थे और वह कहते हैं, 'तो भी मेरी इच्छा नहीं, बल्कि तेरी इच्छा पूरी हो' (मरकुस 14:36क)। वह जानते हैं कि परमेश्वर सिद्ध पिता हैं, जिन्हें वह अब्बा पिता कहकर बुला सकते हैं (पद - 36अ) – उन्हें पुकारने का घनिष्ठ तरीका, लगभग 'डैडी' या 'पापा' की तरह।

परमेश्वर जानते हैं कि परमेश्वर सर्वशक्तिमान हैं। कई तरीकों से वह इस कटोरे में से पीना नहीं चाहते थे (पद - 36ब)। फिर भी, उन्होंने भरोसा किया कि परमेश्वर सबसे अच्छा जानते हैं और वह उनकी इच्छा के अनुसार करने के लिए तैयार थे। यह हमारे लिए सबसे अच्छा उदाहरण है जब हमें डर लगता है कि आगे क्या होगा।

यह मानना यीशु और उनके शिष्यों के बीच विरोधाभास होगा कि, क्या वे उसी विषय से संबंधित थे। वे ऐसी किसी चीज़ का सामना नहीं कर रहे थे जैसा कि यीशु ने सामना किया था। बल्कि वे प्रार्थना में उनकी मदद करने के लिए जाग भी नहीं सके; वे बारबार सो गए थे। मुझे कहना होगा, मुझे उनसे हमदर्दी है। जागते रहना मेरे लिए अक्सर मुश्किल हो जाता है।

यीशु कहते हैं, 'जागते और प्रार्थना करते रहो कि तुम परीक्षा में न पड़ो: आत्मा तो तैयार है, पर शरीर दुर्बल है' (पद - 38)। मुझे यह कहना पड़ेगा कि अक्सर ज़्यादा प्रार्थना करने में मुझे परेशानी होती है और यह मेरे लिए सच होता है, 'आत्मा तो तैयार है, परंतु शरीर कमज़ोर है।'

प्रार्थना

पिता आपको धन्यवाद कि, मैं भी आपको 'अब्बा' पिता कहकर पुकार सकता हूँ और अपना विश्वास मैं आप में रख सकता हूँ। आने वाली सभी योजनाओं के लिए मैं प्रार्थना करता हूँ कि, 'मेरी इच्छा नहीं, बल्कि आप की इच्छा पूरी हो' (पद - 36)। मेरी इच्छा से ज़्यादा आपकी इच्छा पूरी करने में मेरी मदद कीजिये।

जूना करार

लैव्यव्यवस्था 17:1-18:30

जानवरों को मारने और खाने के नियम

17यहोवा ने मूसा से कहा, 2 “हारून, उसके पुत्रों और इस्राएल के सभी लोगों से कहो। उनको कहो कि यहोवा ने यह आदेश दिया है: 3 कोई इस्राएली व्यक्ति किसी बैल या मेमने या बकरे को डेरे में या डेरे के बाहर मार सकता है। 4 वह व्यक्ति उस जानवर को मिलापवाले तम्बू के द्वारा पर लाएगा उसे उस जानवर का एक भाग यहोवा को भेंट के रूप में देना चाहिए। उस व्यक्ति ने खून बहाया है, मारा है इसलिए उसे यहोवा के पवित्र तम्बू में भेंट ले जानी चाहिए। यदि वह जानवर के भाग को भेंट के रूप में यहोवा को नहीं ले जाता तो उसे अपने लोगों से अलग कर देना चाहिए। 5 यह नियम इसलिए है कि लोग मेलबलि यहोवा को अर्पित करें। इस्राएल के लोगों को उन जानवरों को लाना चाहिए जिन्हें वे मैदानों में मारते हैं। उन्हें उन जानवरों को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर लाना चाहिए। उन्हें उन जानवरों को याजक के पास लाना चाहिए। 6 तब याजक उन जानवरों का खून मिलापवाले तम्बू के द्वार के समीप यहोवा की वेदी तक फेंकेगा और याजक उन जानवरों की चर्बी को वेदी पर जलाएगा। यह यहोवा के लिए मधुर सुगन्ध होगी। 7 उन्हें आगे अब कोई भी भेंट ‘बकरे की मूर्तियों’ को नहीं चढ़ानी चाहिए। ये लोग उन अन्य देवताओं के पीछे लग चुके हैं। इस प्रकार उन्होंने वेश्याओं जैसा काम किया है। ये नियम सदैव ही रहेंगे!

8 “लोगों से कहो: इस्राएल का कोई नागरिक, या कोई यात्री, या कोई विदेशी जो तुम लोगों के बीच रहता है, होमबलि या बलि चढ़ा सकता है। 9 उस व्यक्ति को वह बलि मिलापवाले तम्बू के द्वार पर ले जानी चाहिए और उसे यहोवा को चढ़ानी चाहिए। यदि वह व्यक्ति ऐसा नहीं करता तो उसे अपने लोगों से अलग कर देना चाहिए।

10 “मैं (परमेश्वर) हर ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध होऊँगा जो खून खाता है। चाहे वह इस्राएल का नागरिक हो या वह तुम्हारे बीच रहने वाला कोई विदेशी हो । मैं उसे उसके लोगों से अलग करूँगा। 11 क्यों? क्योंकि प्राणी का जीवन खून में है। मैंने तुम्हें उस खून को वेदी पर डालने का नियम दिया है। तुम्हें अपने को शुद्ध करने के लिए यह करना चाहिए। तुम्हें वह खून उस जीवन के बदले में मुझे देना होगा जो तुम लेते हो। 12 इसलिए मैं इस्राएल के लोगों से कहता हूँ: तुममें से कोई खून नहीं खा सकता और न ही तुम्हारे बीच रहने वाला कोई विदेशी खून खा सकता है।

13 “यदि कोई व्यक्ति किसी जंगली जानवर या पक्षी को पकड़ता है जिसे खाया जा सेक तो उस व्यक्ति को खून जमीन पर बहा देना चाहिए और मिट्टी से उसे ढक देना चाहिए। चाहे वह व्यक्ति इस्राएल का नागरिक हो या तुम्हारे बीच रहने वाले विदेशी। 14 तुम्हें यह क्यों करना चाहिए? क्योंकि यदि खून तब भी माँस में है तो उस जानवर का प्राण भी माँस में है। इसलिए मैं इस्राएल के लोगों को आदेश देता हूँ उस माँस को मत खाओ जिसमे खून हो! कोई भी व्यक्ति जो खून खाता है अपने लोगों से अलग कर दिया जाए।

15 “यदि कोई व्यक्ति अपने आप मरे जानवर या किसी दूसरे जानवर द्वारा मारे गए जानवर को खाता है तो वह व्यक्ति सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। उस व्यक्ति को अपने वस्त्र और अपना पूरा शरीर पानी से धोना चाहिए। चाहे वह व्यक्ति इस्राएल का नागरिक हो या तुम्हारे बीच रहने वाला कोई विदेशी। 16 यदि वह व्यक्ति अपने वस्त्रों को नहीं धोता और न ही नहाता है तो वह पाप करने का अपराधी होगा।”

यौन सम्बन्धों के बारे में नियम

18यहोवा ने मूसा से कहा, 2 “इस्राएल के लोगों से कहोः मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ। 3 यहाँ आने के पहले तुम लोग मिस्र में थे। तुम्हें वह नहीं करना चाहिए जो वहाँ हुआ करता था! मैं तुम लोगों को कनान ले जा रहा हूँ। तुम लोगों को वह नहीं करना है जो उस देश में किया जाता है! 4 तम्हें मेरे नियमों का पालन करना चाहिए। और मेरे नियमों के अनुसार चलना चाहिए। उन नियमों के अनुसार चलना चाहिए। उन नियमों के पालन में सावधान रहो! क्यों? क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ। 5 इसलिए तुम्हें मेरे नियमों और निर्णयों का पालन करना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति मेरे विधियों और नियमों का पालन करता है तो वह जीवित रहेगा! मैं यहोवा हूँ!

6 “तुम्हें अपने निकट सम्बन्धियों से कभी यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए। मैं यहोवा हूँ!

7 “तुम्हें अपने पिता का अपमान नहीं करना चाहिए अर्थात् तुम्हें अपनी माता के साथ यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए। 8 तुम्हें अपनी विमाता से भी यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए। पिता की पत्नी से यौन सम्बन्ध केवल तुम्हारे पिता के लिए है।

9 “तम्हें अपने पिता या माँ की पुत्री अर्थात् अपनी बहन से यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए। इससे अन्तर नहीं पड़ता कि तुम्हारी उस बहन का पालन पोषण तुम्हारे घर हुआ या किसी अन्य जगह।

10 “तुम्हें अपने नाती पोतियों से यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए। वे बच्चे तुम्हारे अंग हैं!

11 “यदि तुम्हारे पिता और उनकी पत्नी की कोई पुत्री है तो वह तुम्हारी बहन है। तुम्हें उसके साथ यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए।

12 “अपने पिता की बहन के साथ तुम्हारा यौन सम्बन्ध नहीं होना चाहिए। वह तुम्हारे पिता के गोत्र की है। 13 तुम्हें अपनी माँ की बहन के साथ यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए। वह तुम्हारी माँ के गोत्र की है। 14 तुम्हें अपने पिता के भाई का अपमान नहीं करना चाहिए अर्थात् उसकी पत्नी के साथ यौन सम्बन्ध के लिए नहीं जाना चाहिए।

15 “तुम्हें अपनी पुत्रवधू के साथ यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए। वह तुम्हारे पुत्र की पत्नी है। तुम्हें उसके साथ यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए।

16 “तुम्हें अपने भाई की वधू के साथ यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए। यह अपने भाई के साथ यौन सम्बन्ध रखने जैसा होगा। केवल तुम्हारा भाई अपनी पत्नी के साथ यौन सम्बन्ध रख सकता है।

17 “तुम्हें किसी स्त्री और उसकी पुत्री के साथ यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए और तुम्हें इस स्त्री की पोती से यौन सम्बनध नहीं रखना चाहिए। इससे अन्तर नहीं पड़ता कि वह पोती उस स्त्री के पुत्र की या पुत्री की बेटी है। उसकी पोतियाँ उसके गोत्र की हैं। उनके साथ यौन सम्बन्ध करना अनुचित है।

18 “जब तक तुम्हारी पत्नी जीवित है, तुम्हें उसकी बहन को दूसरी पत्नी नहीं बनाना चाहीए। यह बहनों को परस्पर शत्रु बना देगा। तुम्हें अपनी पत्नी की बहन से यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए।

19 “तुम्हें किसी स्त्री के पास उसके मासिकधर्म के समय यौन सम्बन्ध के लिए नहीं जाना चाहिए। वह इस समय अशुद्ध है।

20 “तुम्हें अपने पड़ोसी की पत्नी से यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए। यह तुम्हें केवल अशुद्ध बनाएगा!

21 “तुम्हें अपने किसी बच्चे को आग द्वारा मोलेक को भेंट नहीं चढाना चाहिए। यदि तुम ऐसा करते हो तो तुम यही दिखाते हो कि तुम अपने यहोवा के नाम का सम्मान नहीं करते! मैं यहोवा हूँ।

22 “तुम्हें किसी पुरुष के साथ वैसा ही यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए जैसा किसी स्त्री के साथ किया जाता है। यह भयंकर पाप है!

23 “किसी जानवर के साथ तुम्हारा यौन सम्बन्द नहीं होना चाहिए। यह केवल तुम्हें घिनौना बना देगा! स्त्री को भी किसी जानवर के साथ यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए। यह प्राकृति के विरुद्ध है!

24 “इन अनुचित कामों में से किसी से अपनेको अशुद्ध न करो! मैं उन जातियों को उनके देश से बाहर कर रहा हूँ और मैं उनकी धरती तुम को दे रहा हूँ। क्यों? क्योंकि वे लोग वैसे भयंकर पाप करते हैं! 25 इसलिए वह देश अशुद्ध हो गया है! वह देश अब उन कामों से ऊब गया है और वह देश उसमें रहने वालों को बाहर निकाल फेंक रहा है!

26 “इसलिए तुम मेरे नियमों और निर्णयों का पालन करोगे। तुम्हें उन में से कोई भयंकर पाप नहीं करना चाहिए। ये नियम इस्राएल के नागरिकों और जो तम्हारे बीच रहते हैं, उनके लिए है। 27 जो लोग तुम से पहले वहाँ रहे उन्होंने वे सभी भयंकर काम किए। जिससे वह धरती गन्दी हो गयी। 28 यदि तुम भी वही काम करोगे तो तुम धरती को गंदा बनाओगे। यह तुम लोगों को वैसे ही निकाल बाहर करेगी, जैसे तुमसे पहले रहने वाली जातियों को किया गया। 29 यदि कोई व्यक्ति वैसे भयंकर पाप करता है तो उस व्यक्ति को अपने लोगों से अलग कर देना चाहिए। 30 अन्य लोगों ने उन भयंकर पापों को किया है। किन्तु मेरे नियमों का पालन करना चाहिए। तुम्हें उन भयंकर पापों में से कोई भी नहीं करना चाहिए। उन भयंकर पापों से अपने को असुद्ध मत बनाओ। मैं तम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।”

समीक्षा

परीक्षा में…… 'लेकिन आप…..'

लैंगिक अभिलाषा और उनके आसपास के लोगों की गतिविधियों की वजह से इस्रायली बड़े प्रलोभन का सामना कर रहे थे। फिर भी परमेश्वर ने अपने लोगों को बताया कि उन्हें किस तरह से जीना है: 'इस कारण तुम लोग मेरी विधियों और नियमों को निरन्तर मानना' (लैव्यव्यवस्था 18:26अ)।

मैंने यह सच्ची कहानी सुनी है: एक महिला से पूछा गया, '104 वर्ष की उम्र की होने में सबसे अच्छी बात क्या है? उसने जवाब दिया: 'कोई दबाव नहीं।'

अक्सर दबाव में आने का और हमारे आसपास के लोगों के मापदंड अपनाने का प्रलोभन बना रहता है। एक क्षेत्र जिसका सामना करने के लिए ज़्यादा दबाव बना रहता है, वह है यौन नैतिकता।

इस विषय में परमेश्वर अपने लोगों से कहते हैं, ' तुम मिस्र देश के कामों के अनुसार जिस में तुम रहते थे न करना; और कनान देश के कामों के अनुसार भी जहां मैं तुम्हें ले चलता हूँ न करना; और न उन देशों की विधियों पर चलना। मेरे ही नियमों को मानना, और मेरी ही विधियों को मानते हुए उन पर चलना। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।' (पद - 2-4)।

प्राचीन इस्रायलियों की तरह हम ऐसी सभ्यता में रहते हैं जिनकी यौन नीतियाँ परमेश्वर की नीतियों से बिल्कुल अलग हैं। परमेश्वर चाहते हैं कि आप यौन - क्रिया के अद्भुत वरदान की रक्षा करें और अपने आसपास के वातावरण में न फंसें। परमेश्वर की विधियों को मानने के लिए सचेत रहें। यदि आप ऐसा करेंगे, तो क्षणिक आनंद गंवाने के बदले, आप वास्तव में जीवन प्राप्त करेंगे; 'इसलिये तुम मेरे नियमों और मेरी विधियों को निरन्तर मानना; जो मनुष्य उन को माने वह उनके कारण जीवित रहेगा' (पद - 5)।

परमेश्वर के लोगों को कुछ खास बनने के लिए बुलाया गया है। संत पौलुस लिखते हैं, 'इस संसार के सदृश न बनो' (रोमियों 12:2)। कुछ खास बनने की यह बुलाहट परमेश्वर के लोगों के सबसे प्राचीन दिनों से संबंधित है (लैव्यव्यवस्था 18)।

नये नियम में, प्रेरित पौलुस कुछ कार्यों की सूची देते हैं (जिसमें यौन गतिविधियाँ भी शामिल हैं) जिसमे मसीही जन यीशु में विश्वास में आने के पहले शामिल थे। वह फिर से इस शक्तिशाली शब्द का उपयोग करते हैं, 'लेकिन': 'लेकिन तुम' वह कहते हैं, 'प्रभु यीशु मसीह के नाम से और हमारे परमेश्वर के आत्मा से धोए गए, और पवित्र हुए और धर्मी ठहरे' (1कुरिंथियों 6:11)। इसलिए आपको बिल्कुल अलग तरीके से रहना है।

प्रार्थना

प्रभु, मेरी मदद कीजिये कि मैं अपने आसपास के लोगों की तरह न बनूँ। बजाय इसके आपकी विधियों और नियमों को मानने में मेरी मदद कीजिये। मुझे पूरी रीति से – अपने मन, हृदय और तन से - आपका बनने में मेरी मदद कीजिये।

पिप्पा भी कहते है

मरकुस 14:34

शिष्यों के लीडर और दोस्त, यीशु ने उनसे कहा था कि वह बेचैन हैं। पर वे नहीं समझ पाए। मुझे लगता है कि मैं इससे बेहतर कर पाऊँगी, लेकिन शायद नहीं कर पाई। आत्मा हमेशा तैयार रहती है, परंतु शरीर बहुत कमज़ोर है। और कभी-कभी तो आत्मा भी तैयार नहीं रहती। धन्यवाद हो कि, पवित्र आत्मा ने शिष्यों को बदल दिया और वह मुझे भी बदल सकते हैं।

reader

App

Download The Bible with Nicky and Pippa Gumbel app for iOS or Android devices and read along each day.

reader

Email

Sign up now to receive The Bible with Nicky and Pippa Gumbel in your inbox each morning. You’ll get one email each day.

Podcast

Subscribe and listen to The Bible with Nicky and Pippa Gumbel delivered to your favourite podcast app everyday.

reader

Website

Start reading today’s devotion right here on the BiOY website.

संदर्भ

नोट्स:

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है। कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

एक साल में बाइबल

  • एक साल में बाइबल

This website stores data such as cookies to enable necessary site functionality and analytics. Find out more