क्रूसित
परिचय
अमेरिका में गुलामी के दिनों में, दक्षिणी गुलाम निर्दयी स्थितियों में जी रहे थे। उन्होंने कुछ गहरे भावनात्मक गीत लिखे जिसमे भावनाओं से भरपूर भयानक धुन थी। ये धार्मिक गीत आशा और प्रतीक्षा के गीत थे। ये आज़ादी के लिए तरस रहे गुलामों की आत्मा की पुकार थी।
लगभग असहनीय संकट के बीच उन्होंने यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में माना, उन लोगों ने भविष्य के लिए उनकी कृपा, शांति और आशा का अनुभव किया। इस संबंध के कारण वे इस गीत को गा सके:
- जब उन्होंने हमारे प्रभु को क्रूस पर चढ़ाया तब क्या तुम वहाँ थे?
आज के लिए नये नियम के लेखांश में, हम नये नियम के असाधारण दृढ़ कथन को देखते हैं कि जिसे क्रूस पर चढ़ाया वास्तव में वह मेरे प्रभु हैं। पुराने नियम में परमेश्वर का उल्लेख 'प्रभु' के रूप में किया है।
'प्रभु' के लिए मूल इब्रानी शब्द (वायएचडब्ल्यूएच) है जिसमे कोई भी स्वर नहीं है और इसका उच्चारण नहीं किया जा सकता था। इसका उच्चारण करना बहुत ही पवित्र माना जाता था। इस कारण से, जब मूल शब्द में स्वर जोड़े गए तो उन्हें 'नाम' (वायएचडब्ल्यूएच) में नहीं जोड़ा गया था। आधुनिक समय में इस बात पर बहुत चर्चा हुई कि कौन सा स्वर इस्तेमाल किया जाना चाहिये – ऐसा माना गया कि इसे 'याहवे' होना चाहिये, लेकिन ज़्यादातर शास्त्री 'याहवे' को ज़्यादा सटीक नहीं मानते।
पुराने नियम के ग्रीक अनुवाद, सेप्टुजिन्ट में, पवित्र नाम (वायएचडब्ल्यूएच) को 'कायरियोस' (प्रभु) के रूप में अनुवादित किया गया। यह सच में असाधारण है, इसलिए। नये नियम के लेखकों ने (जो यहूदी एक ईश्वरवादी थे) यह मूलभूत मसीही समर्थन दिया कि 'यीशु प्रभु हैं' (कायरियोस) (रोमियों 10:9;2कुरिंथिंयों 4:5;प्रेरितों के कार्य 2:36) और यह कि हमारे प्रभु को हमारी खातिर क्रूस पर चढ़ाया गया।
भजन संहिता 31:19-24
19 हे परमेश्वर, तूने अपने भक्तों के लिए बहुत सी अदूभुत वस्तुएँ छिपा कर रखी हैं।
तू सबके सामने ऐसे मनुष्यों के लिए जो तेरे विश्वासी हैं, भले काम करता है।
20 दुर्जन सज्जनों को हानि पहुँचाने के लिए जुट जाते हैं।
वे दुर्जन लड़ाई भड़काने का जतन करते हैं।
किन्तु तू सज्जनों को उनसे छिपा लेता है, और उन्हें बचा लेता है। तू सज्जनों की रक्षा अपनी शरण में करता है।
21 यहोवा कि स्तुति करो! जब नगर को शत्रुओं ने घेर रखा था,
तब उसने अपना सच्चा प्रेम अद्भुत रीति से दिखाया।
22 मैं भयभीत था, और मैंने कहा था, “मैं तो ऐसे स्थान पर हूँ जहाँ मुझे परमेश्वर नहीं देख सकता है।”
किन्तु हे परमेश्वर, मैंने तुझसे विनती की और तूने मेरी सहायता की पुकार सुन ली।
23 परमेश्वर के भक्तों, तुम को यहोवा से प्रेम करना चाहिए!
यहोवा उन लोगों को जो उसके प्रति सच्चे हैं, रक्षा करता है।
किन्तु यहोवा उनको जो अपनी ताकत की ढोल पीटते है।
उनको वह वैसा दण्ड देता है, जैसा दण्ड उनको मिलना चाहिए।
24 अरे ओ मनुष्यों जो यहोवा की सहायता की प्रतीक्षा करते हो, सुदृढ़ और साहसी बनो!
समीक्षा
प्रभु से प्रेम करें
दाऊद कहते हैं, 'प्रभु के सच्चे लोगों उनसे प्रेम करो! (पद - 23अ)। प्रभु से प्रेम करना सबसे पहली आज्ञा है। यह प्रेम का दो तरफा संबंध है। हम उनसे प्रेम करते हैं क्योंकि पहले उन्होंने हम से प्रेम किया (1यूहन्ना 4:19)। हमारा प्रेम, उनके प्रेम की प्रतिक्रिया है।
दाऊद लिखते हैं, ' परमेश्वर धन्य है, क्योंकि उसने मुझ पर अद्धभुत करूणा की है' (भजंसंहिता - 31:21अ)। इस बात को याद रखें कि परमेश्वर ने आपसे कितना प्रेम किया है। ' आहा, तेरी भलाई क्या ही बड़ी है जो तू ने अपने डरवैयों के लिये रख छोड़ी है,' (पद - 19)।
वह आपको 'अपनी उपस्थिति में छिपाये रहेगा' (पद - 20अ)। वह आपको अपने मंडप में सुरक्षित रखेगा (पद - 20ब)। वह आपको मनुष्य की बुरी गोष्ठी से बचाए रखेगा (पद - 20ब)। वह आपकी दोहाई को सुनते हैं जब आप उन्हें मदद के लिए पुकारते हैं (पद - 22ब)। जो परमेश्वर के करीब रहते हैं वह उनकी रक्षा करते हैं (पद - 23, एमएसजी)। इसलिए हियाव बान्धो और तुम्हारे हृदय दृढ़ रहें! (पद - 24अ), इसलिए जब चीज़ें मुश्किल नज़र आएं तब भी हियाव बान्धो और तुम्हारे हृदय दृढ़ रहें! (पद - 24, एम.एस.जी.)।
प्रार्थना
प्रभु, मैं आपके अद्भुत प्रेम के लिए आपको धन्यवाद देता हूँ। आपको धन्यवाद, जब मैं मदद के लिए आपको पुकारता हूँ, तो आप मेरी दोहाई सुनते हैं। प्रभु मेरी मदद कीजिये….
मरकुस 15:1-32
यीशु पिलातुस के सामने पेश
15जैसे ही सुबह हुई महायाजकों, धर्मशास्त्रियों, बुजुर्ग यहूदी नेताओं और समूची यहूदी महासभा ने एक योजना बनायी। वे यीशु को बँधवा कर ले गये और उसे राज्यपाल पिलातुस को सौंप दिया।
2 पिलातुस ने उससे पूछा, “क्या तू यहूदियों का राजा है?”
यीशु ने उत्तर दिया, “ऐसा ही है। तू स्वयं कह रहा है।”
3 फिर प्रमुख याजकों ने उस पर बहुत से दोष लगाये। 4 पिलातुस ने उससे फिर पूछा, “क्या तुझे उत्तर नहीं देना है? देख वे कितनी बातों का दोष तुझ पर लगा रहे हैं।”
5 किन्तु यीशु ने अब भी कोई उत्तर नहीं दिया। इस पर पिलातुस को बहुत अचरज हुआ।
पिलातुस यीशु को छोड़ने में विफल
6 फ़सह पर्व के अवसर पर पिलातुस किसी भी एक बंदी को, जिसे लोग चाहते थे उनके लिये छोड़ दिया करता था। 7 बरअब्बा नाम का एक बंदी उन बलवाइयों के साथ जेल में था जिन्होंने दंगे में हत्या की थी।
8 लोग आये और पिलातुस से कहने लगे कि वह जैसा सदा से उनके लिए करता आया है, वैसा ही करे। 9 पिलातुस ने उनसे पूछा, “क्या तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिये यहूदियों के राजा को छोड़ दूँ?” 10 पिलातुस ने यह इसलिए कहा कि वह जानता था कि प्रमुख याजकों ने ईर्षा-द्वेष के कारण ही उसे पकड़वाया है। 11 किन्तु प्रमुख याजकों ने भीड़ को उकसाया कि वह उसके बजाय उनके लिये बरअब्बा को ही छोड़े।
12 किन्तु पिलातुस ने उनसे बातचीत करके फिर पूछा, “जिसे तुम यहूदियों का राजा कहते हो, उसका मैं क्या करूँ बताओ तुम क्या चाहते हो?”
13 उत्तर में ये चिल्लाये, “उसे क्रूस पर चड़ा दो!”
14 तब पिलातुस ने उनसे पूछा, “क्यों, उसने ऐसा क्या अपराध किया है?”
पर उन्होंने और अधिक चिल्ला कर कहा, “उसे क्रूस पर चढ़ा दो।”
15 पिलातुस भीड़ को खुश करना चाहता था इसलिये उसने उनके लिए बरअब्बा को छोड़ दिया और यीशु को कोड़े लगवा कर क्रूस पर चढ़ाने के लिए सौंप दिया।
16 फिर सिपाही उसे रोम के राज्यपाल निवास में ले गये। उन्होंने सिपाहियों की पूरी पलटन को बुला लिया। 17 फिर उन्होंने यीशु को बैंजनी रंग का वस्त्र पहनाया और काँटों का एक ताज बना कर उसके सिर पर रख दिया। 18 फिर उसे सलामी देने लगे: “यहूदियों के राजा का स्वागत है!” 19 वे उसके सिर पर सरकंडे मारते जा रहे थे। वे उस पर थूक रहे थे। और घुटनों के बल झुक कर वे उसके आगे नमन करते जाते थे। 20 इस तरह जब वे उसकी खिल्ली उड़ा चुके तो उन्होंने उसका बैंजनी वस्त्र उतारा और उसे उसके अपने कपड़े पहना दिये। और फिर उसे क्रूस पर चढ़ाने, बाहर ले गये।
यीशु का क्रूस पर चढ़ाया जाना
21 उन्हें कुरैन का रहने वाला शिमौन नाम का एक व्यक्ति, रास्ते में मिला। वह गाँव से आ रहा था। वह सिकन्दर और रुफुस का पिता था। सिपाहियों ने उस पर दबाव डाला कि वह यीशु का क्रूस उठा कर चले। 22 फिर वे यीशु को गुलगुता (जिसका अर्थ है “खोपड़ी-स्थान”) नामक स्थान पर ले गये। 23 तब उन्होंने उसे लोहबान मिला हुआ दाखरस पीने को दिया। किन्तु उसने उसे नहीं लिया। 24 फिर उसे क्रूस पर चढ़ा दिया गया। उसके वस्त्र उन्होंने बाँट लिये और यह देखने के लिए कि कौन क्या ले, उन्होंने पासे फेंके।
25 दिन के नौ बजे थे, जब उन्होंने उसे क्रूस पर चढ़ाया। 26 उसके विरुद्ध एक लिखित अभियोग पत्र उस पर अंकित था: “यहूदियों का राजा।” 27 उसके साथ दो डाकू भी क्रूस पर चढ़ाये गये। एक उसके दाहिनी ओर और दूसरा बाँई ओर। 28
29 उसके पास से निकलते हुए लोग उसका अपमान कर रहे थे। अपना सिर नचा-नचा कर वे कहते, “अरे, वाह! तू वही है जो मन्दिर को ध्वस्त कर तीन दिन में फिर बनाने वाला था। 30 अब क्रूस पर से नीचे उतर और अपने आप को तो बचा ले!”
31 इसी तरह प्रमुख याजकों और धर्मशास्त्रियों ने भी यीशु की खिल्ली उड़ाई। वे आपस में कहने लगे, “यह औरों का उद्धार करता था, पर स्वयं अपने को नहीं बचा सकता है। 32 अब इस ‘मसीह’ और ‘इस्राएल के राजा को’ क्रूस पर से नीचे तो उतरने दे ताकि हम यह देख कर उसमें विश्वास कर सकें।” उन दोनों ने भी, जो उसके साथ क्रूस पर चढ़ाये गये थे, उसका अपमान किया।
समीक्षा
यीशु प्रभु हैं
'जब उन्होंने मेरे प्रभु को क्रूस पर चढ़ाया था तब क्या आप वहाँ थे?' जब मैं यीशु के दु:ख उठाने, सताए जाने और क्रूस पर चढ़ाए जाने के बारे में पढ़ता हूँ मैं इसे हृदयविदारक पाता हूँ। उन्होंने मेरे प्रभु को सलीब पर चढ़ा दिया था। यीशु:
- मेरे राजा हैं
यीशु 'यहूदियों के राजा' शीर्षक को स्वीकार करते हैं (मरकुस 15:2)। सैनिक इसका उपयोग गाली के रूप में करते हैं (पद - 18) और उनके दोष पत्र के रूप में इसे क्रूस पर लिखा गया था (पद - 26)। फिर भी, इस्रायलियों की महान प्रतिक्षा और यहूदी राजा से संबंधित अनेक वायदों की परिपूर्णता है (यशायाह अध्याय 9 और 11 देखें)। वह बदलाव लाने वाले राजा हैं। धार्मिक गुरूओं ने उन्हें डाह से पिलातुस के हाथों दे दिया ('सरासर विरोध' मरकुस 15:10, एम.एस.जी.)। डाह से सावधान रहें। कभी - कभी इसका उल्लेख 'धार्मिक पाप' के रूप में किया गया है। यीशु का अपमान किया गया और उन पर गलत दोष लगाए गए। यदि आप बदनाम किये गए हैं या आपको गाली दी गई है, तो परमेश्वर का धन्यवाद करें क्योंकि यह आप पर छोटे तौर पर हुआ है, यीशु के दु:ख में सहभागी होने के लिए और प्रार्थना कीजिये कि परमेश्वर आपकी मदद करेंगे – जैसा कि वह प्रेम और क्षमा में करते हैं।
- मेरे मसीहा हैं
यह विडंबना है कि धार्मिक गुरूओं ने ठठ्ठा किया और 'राजा मसीहा' कहकर उनका मजाक उड़ाया (पद - 31-32), क्योंकि यीशु सच में राजा थे और हैं। अंग्रेजी संदर्भ में 'मसीहा' को ग्रीक शब्द 'क्राइटोस' से लिया गया है, जिसे इब्रानी में 'मसाया' या 'मसीहा' कहा गया है। ग्रीक और इब्रानी दोनों में इसका अर्थ है 'परमेश्वर का अभिषेकित महायाजक।'
- मेरे उद्धारकर्ता
फिर से हम असाधारण निंदा देखते हैं: 'मार्ग में जाने वाले सिर हिला - हिलाकर और यह कहकर उस की निन्दा करते थे। क्रूस पर से उतर कर अपने आप को बचा ले। ' (पद - 30) और धार्मिक गुरू कहते थे, 'इस ने औरों को बचाया, और अपने को नहीं बचा सकता' (पद - 31)। यह बिल्कुल सही था – संसार का उद्धारकर्ता खुद को नहीं बचा सका। आपको और मुझे बचाने के लिए उन्हें क्रूस पर दु:ख उठाना पड़ा। बरअब्बा की घटना हमें वह तस्वीर दिखाती है जो यीशु ने जगत के उद्धारकर्ता के रूप में किया है। बरअब्बा, मेरी तरह, अपराधी था और वह दंड पाने के योग्य था। वह उन बलवाइयों के साथ बन्धुआ था, जिन्होंने बलवे में हत्या की थी (पद - 7)। दूसरी तरफ यीशु पूरी तरह निर्दोष थे। जैसा कि पिलातुस ने कहा था, 'इस ने क्या बुराई की है? ' (पद - 14)। फिर भी उसने बरअब्बा को उन के लिये छोड़ दिया, और यीशु को कोड़े लगवाकर सौंप दिया, कि क्रूस पर चढ़ाया जाए (पद - 15)। निर्दोष ने मृत्यु दंड का सामना किया ताकि मैं, अपराधी, आज़ाद हो सके। शायद हमने बरअब्बा के समान हत्या नहीं की होगी, लेकिन हम सभी को जगत के उद्धारकर्ता द्वारा बचाया जाना ज़रूरी है।
- मेरे प्रभु हैं
कल के लेखांश में हमने देखा जब यीशु से महायाजक ने पूछा, 'क्या तू उस परम धन्य का पुत्र मसीह है? यीशु ने कहा; हां मैं हूँ' (14:61-62)। महायाजक की प्रतिक्रिया यीशु पर दोष ईश-निंदा का दोष लगाना था – यानि परमेश्वर होने का दावा करना। ऐसा क्यों? जब परमेश्वर ने मूसा को अपना नाम याहवे (YHWH) बताया (निर्गमन 3:14-15), तब उन्होंने इसका अर्थ भी बताया था। यह इब्रानी कथन 'मैं जो हूँ सो हूँ' से या 'मैं हूँ' से आया है। मरकुस 14:62 में महायाजक की प्रतिक्रिया में यीशु का जवाब यह बताता है कि यीशु खुद को कोई और नहीं बल्कि याहवे (प्रभु) बता रहे थे (यूहन्ना 8:58 भी देखें)। यह अद्भुत सत्य फिल्लिपियों 2:5-11 में संत पौलुस के आत्मा की असाधारण पुकार की पृष्ठभूमि है (जो नीचे दी गई प्रार्थना का आधार बनाती है)।
प्रार्थना
प्रभु, यीशु के जैसा स्वभाव पाने में मेरी मदद कीजिये, जिन्होंने खुद को दीन किया और मृत्यु तक आज्ञाकारी बने रहे। आपको धन्यवाद कि आपने उन्हें महायाजक के स्थान तक उठाया और उन्हें वह नाम दिया जो सब नामों से ऊँचा है, और यह कि धरती और स्वर्ग में यीशु के सामने हर घुटना टिकेगा और जुबान कबूल करेगी कि यीशु मसीह ही प्रभु हैं।
लैव्यव्यवस्था 21:1-22:33
याजकों के लिए नियम
21यहोवा ने मूसा से कहा, “ये बातें हारून के याजक पुत्रों से कहो: किसी मरे व्यक्ति को छूकर याजक अपने को अशुद्ध न करें। 2 किन्तु यदि मरा हुआ व्यक्ति उसके नजदीकी सम्बन्धियों मेंसे कोई है तो वह मृतक के शरीर को छू सकता है। याजक अपने को अशुद्ध कर सकता है यदि मृत व्यक्ति उसकी माँ, पिता, उसका पुत्र, या पुत्री, उसका भाई, 3 उसकी अविवाहित बहन है। (यह बहन उसकी नजदीकी है क्योंकि उसका पति नहीं है। इसलिए याजक अपने को अशुद्ध कर सकता है, यदि वह मरती है।) 4 किन्तु याजक अपने को अशुद्ध नहीं कर सकता, यदि मरा व्यक्ति उसके दासों में से एक हो।
5 “याजक को शोक प्रकट करने के लिए अपने सिर का मुण्डन नहीं कराना चाहिए। याजक को अपनी दाढ़ी के सिरे नहीं कटवाने चाहिए। याजक को अपने शरीर को कहीं भी काटना नहीं चाहिए। 6 याजक को अपने परमेश्वर के लिए पवित्र होना चाहिए। उन्हें परमेश्वर के नाम के लिए सम्मान दिखाना चाहिए। क्यों क्योंकि वे रोटी और आग द्वारा भेंट यहोवा को पहुँचाते हैं। इसलिए उन्हें पवित्र होना चाहिए।
7 “याजक परमेश्वर की सेवा विशेष ढंग से करता है। इसलिए याजक को ऐसी स्त्री से विवाह नहीं करना चाहिए जिसने किसी के साथ यौन सम्बन्ध किया हो। याजक को किसी वेश्या, या किसी तलाक दी गई स्त्री से विवाह नहीं करना चाहिए। 8 याजक परमेश्वर की सेवा विशेष ढंग से करता है। इसलिए तुम्हें उसके साथ विशेष व्यवहार करना चाहिए। क्यों? क्योंकि वह पवित्र चीज़ें ले चलता है। वह पवित्र रोटी यहोवा को पहुँचता है। और मैं पवित्र हूँ, मैं यहोवा हूँ, और में तुम्हें पवित्र बनाता हूँ।
9 “यदि याजक की पुत्री वेश्या बन जाती है तो वह अपनी प्रतिष्ठा नष्ट करती है तथा अपने पिता को कलंक लगाती है। इसलिए उसे जला देना चाहिए।
10 “महायाज अपने भाईयों में से चुना जाता था। अभिषेक का तेल उसके सिर पर डाला जाता था। इस प्रकार वह माहायाजक के विशेष कर्त्तव्य के लिए नियुक्त किया जाता था। वह महायाजक के विशेष वस्त्र को पहनने के लिए चुना जाता था। इसलिए उसे अपने दुःख को प्रकट करने वाला कोई काम समाज में नहीं करना चाहिए। उसे अपने बाल जंगली ढंग से नहीं बिखेरने चाहिए। उसे अपने वस्त्र नहीं फाड़ने चाहिए। 11 उसे मुर्दे को छूकर अपने को अशुद्ध नहीं बनाना चाहिए। उसे किसी मुर्दे के पास नहीं जाना चाहिए। चाहे वह उसके अपने माता—पिता का ही क्यों न हो। 12 महायाजक को परमेश्वर के पवित्र स्थान के बाहर नहीं जाना चाहिए। यदि उसने ऐसा किया तो वह अशुद्ध हो जायेगा और तब वह परमेश्वर के पवित्र स्थान को अशुद्ध कर देगा। अभिषेक का तेल महायाजक के सिर पर डाला जाता था। यह उसे शेष लोगों से भिन्न करता था। मैं यहोवा हूँ!
13 “महायाजक को विवाह करके उसे पत्नी बनाना चाहिए जो कुवाँरी हो । 14 महायाजक को ऐसी सत्री से विवाह नहीं करना चाहिए जो किसी अन्य पुरुष के साथ यौन सम्बन्ध रख चुकी हो। महायजक को किसी वेश्या, या तलाक दी गई स्त्री, या विधवा स्त्री से विवाह नहीं करना चाहिए। महायाजक को अपने लोगों में से एक कुवाँरी से विवाह करना चाहिए। 15 इस प्रकार लोग उसके बच्चों को सम्मान देंगे। मैं, यहोवा ने, याजक को विशेष काम के लिए भिन्न बनाया है।”
16 यहोवा ने मूसा से कहा, 17 “हारून से कहो: यदि तुम्हारे वंशजों की सन्तानों में से कोई अपने में कोई दोष पाए तो उन्हें विशेष रोटी परमेश्वर तक नहीं ले जानी चाहिए। 18 कोई व्यक्ति जिसमें कोई दोष हो, याजक का काम न करे और न ही मेरे पास भेंट लाए, ये लोग याजक के रूप में सेवा नहीं कर सकते: अन्धे व्यक्ति, लगंड़े व्यक्ति, विकृत चेहरे वाले व्यक्ति, अत्याधिक लम्बी भुजा और टाँग वाले व्यक्ति। 19 टूटे पैर या हाथ वाले व्यक्ति, 20 कुबड़े व्यक्ति, बौने, आँख में दोष वाले व्यक्ति,। खुजली और चर्म रोग वाले व्यक्ति बधिया किए गे नपुंसक व्यक्ति।
21 “यदि हारून के वंशजों मे से कोई कुछ दोष वाला है तो वह यहोवा को आग से बलि नहीं चढ़ा सकता और वह व्यक्ति विशेष रोटी अपने परमेश्वर को नहीं पहुँचा सकता। 22 वह व्यक्ति याजकों के पिरवार से है अतः वह पवित्र रोटी खा सकता है। वह अती पवित्र रोटी बी खा सकता है। 23 किन्तु वह सबसे अधिक पवित्र स्थान में पर्दे से होकर नहीं जा सकता और न ही वह वेदी के पास जा सकता है। क्यों? क्योंकि उस में कुछ दोष है। उसे मेरे पवित्र स्थान को अपवित्र नहीं बनाना चाहिए। मैं यहोवा उन स्थानों को पवित्र बनाता हूँ।”
24 इसलिए मूसा ने ये बातें हारून से, हारून के पुत्रों और इस्राएल के सभी लोगों से कहीं।
22परमेश्वर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 “हारून और उसके पुत्रों से कहोः इस्राएल के लोग जो चीज़ें मुझे देंगे, वे पवित्र हो जाएंगी। वे मेरी हैं। इसलिए तुम याजकों को वे चीज़ें नहीं लेनी चाहिए। यदि तुम उन पवित्र चीज़ों का उपयोग करते हो तो तुम यह प्रकट करोगे कि तुम मेरे पवित्र नाम का सम्मान नहीं करते। मैं यहोवा हूँ। 3 यदि तुम्हारे सभी वंशजो में से कोई व्यक्ति उन चीज़ों को छूएगा तो वह अशुद्ध हो जाएगा। वह व्यक्ति मुझसे अलग हो जाएगा। इस्राएल के लोगों ने वे चीजें मुझे दीं। मैं यहोवा हूँ!
4 “यदि हारून के किसी वंशज को बुरे चर्म रोगों में से कोई रोग हो या उससे कुछ रिस रहा हो तो वह तब तक पवित्र भोजन नहीं कर सकता जब तक वह शुद्ध न हो जाए। यह नियम किसी भी याजक के लिए है जो अशुद्ध हो। वह याजक किसी शव को छू कर या अपने वीर्य पात से अशुद्ध हो सकता है। 5 वह तब अशुद्ध हो सकता है जब वह किसी रेंगने वाले जानवर को छूए। वह तब अशुद्ध हो सकात है जब वह किसी अशुद्ध व्यक्ति को छूए। इसका कोई महत्व नहीं कि उस व्यक्ति को किस चीज़ ने अशुद्ध किया है। 6 यदि कोई व्यक्ति उन चीज़ों को छूएगा तो वह सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। उस व्यक्ति को पवित्र भोजन में से कुछ भी नहीं खाना चाहिए। पानी डालकर नहाये बिना वह पवित्र भोजन नहीं कर सकता है। 7 वह सूरज के डूबने पर ही शुद्ध होगा। तभी वह पवित्र भोजन कर सकता है। क्यों? क्योंकि वह भोजन उसका है।
8 “यदि याजक को कोई ऐसा जानवर मिलता है जो स्वयं मर गया हो या किसी अन्य जानवर द्वारा मार दिया गया हो तो उसे मरे जानवर को नहीं खाना चाहिए। यदि वह व्यक्ति उस जानवर को खाता है तो वह अशुद्ध होगा। मैं यहोवा हूँ!
9 “याजक को मेरी सेवा के विशेष समय रखने होंगे। उन्हें उन दिनों सावधान रहना होगा। उन्हें इस बात के लिए सावधान रहना होगा कि वे पवित्र चीज़ों को अपवित्र न बनाएँ। यदि वे सावधान रहेंगे तो मरेंगे नहीं। मैं यहोवा ने उन्हें इस विशेष काम के लिए दूसरों से भिन्न किया है। 10 केवल याजकों के परिवार के व्यक्ति ही पवित्र भोजन खा सकते हैं। याजक के साथ ठहरने वाला अतिथि या मजदूर पवित्र भोजन में से कुछ भी नहीं खाएगा। 11 किन्तु यदि याजक अपने धन से किसी दास को खरीदता है तो वह पवित्र चीज़ों में से कुछ को खा सकता है और याजक के घर में उत्पन्न दास भी उस पवित्र भोजन में से कुछ खा सकता है। 12 किसी याजक की पुत्री ऐसे व्यक्ति से विवाह कर सकती है जो याजक न हो। यदि वह ऐसा करती है तो पवित्र भेंट में से कुछ नहीं खा सकती। 13 किसी याजक की पुत्री विधवा हो सकती है, या उसे तलाक दिया जा सकता है। यदि उके भरन पोषण के लिए उसके बच्चे नहीं हैं और वह अपने पिता के यहाँ लौटती है, जहाँ वह बचपन में रही है तो वह पिता के भोजन मेंसे कुछ खा सकती है। किन्तु केवल याजक के परिवार के व्यक्ति ही इस भोजन को खा सकते हैं।
14 “कोई व्यक्ति भूल से कुछ पवित्र भोजन खा सकता है। उस व्यक्ति को वह पवित्र भोजन याजक को देना चाहिए और उसके अतिरिक्त उस भोजन के मूल्य का पाँचवाँ भाग उसे और देना होगा।
15 “इस्राएल के लोग यहोवा को भेंट चढ़ाएँगे। वे भेटें पवित्र हो जाती हैं। इसलिए याजक को उन पवित्र चीज़ों को अपवित्र नहीं बनाना चाहिए। 16 यदि याजक उन चीज़ों को अपवित्र समझते हैं तो वे तब अपने पाप को बढ़ाएँगे जब पवित्र भोजन को खाएँगे। मैं, यहोवा उन्हें पवित्र बनाता हूँ!”
17 यहोवा ने मूसा से कहा, 18 “हारून और उसके पुत्रों, और इस्राएल के सभी लोगों से कहो: सम्भव है कि इस्राएल का कोई नागरिक या कोई विदेशी कोई भेंट लाना चाहे। सम्भव है उसने कोई विशेष वचन दिया हो, और यह उसके लिए हो। या सम्भव है यह वह विशेष भेंट हो जिसे वह व्यक्ति अर्पित करना चाहता हो। 19-20 ये ऐसी भेटें हैं जिन्हें लोग इसलिए लाते हैं कि वे यहोवा को भेंट चढ़ाना चहते हैं। तुम्हें कोई ऐसी भेंट नहीं स्वीकार करनी चाहिए जिसमें कोई दोष हो। मैं उस भेंट से प्रसन्न नहीं होऊँगा! यदि भेंट एक साँड़ है, या एक भेड़ है, या एक बकरा है तो वह नर होना चाहिए और इसमें कोई दोष नहीं होना चाहिए।
21 “कोई वयक्ति यहोवा को मेलबलि चढ़ा सकता है। वह मेलबलि उस व्यक्ति द्वारा दिए गए किसी वचन के लिए भेंट के रूप में हो सकती है या यह कोई स्वत: प्रेरित भेंट हो सकती है जिसे वह व्यक्ति यहोवा को चढ़ाना चाहता है। यह बैल या मेढ़ा हो सकता है। किन्तु वह स्वस्थ तथा दोष रहित होना चाहिए। 22 तुम्हें यहोवा को ऐसा कोई जानवर नहीं भेंट करना चाहिए जो अन्धा हो या जिसकी हड्डियाँ टूटी हों, या जो लंगड़ा हो, या जिसका कोई घाव रिस रहा हो या बुरे चर्म रोग वाला हो। तुम्हें यहोवा की वेदी की आग पर उस बीमार जानवर की भेंट नहीं चढ़ानी चाहिए।
23 “कभी कभी किसी मवेशी या मेमने के पैर अत्याधिक लम्बे हो सकते हैं या ऐसे पैर हो सकते हैं जिनका विकास ठीक से न हुआ हो। यदि कोई व्यक्ति ऐसे जानवर को यहोवा को विशेष भेंट के रुप में चढ़ाना चाहता है तो वह स्वीकार किया जाएगा। किन्तु इसे किसी व्यक्ति द्वारा दिए गए वचन के लिए किये जाने वाले भुगतान के रुप में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
24 “यदि जानवर के अण्ड कोष जख्मी, कुचले हुए या फाड़े हूए हों तो तुम्हें उस जानवर की भेंट यहोवा को नहीं चढ़ानी चाहिए।
25 “तुम्हें विदेशियों से बलि के लिए ऐसे जनावरों को नहीं लेना चाहिए। क्यों? क्योंकि ये जानवर किसी प्रकार चोट खाए हुए हैं। उनमें कुछ दोष है। ये स्वीकार नहीं किए जाएंगे।”
26 यहोवा ने मूसा से कहा, 27 “जब को ई बछड़ा या भेड़ या बकरी पैदा हो तो अपनी माँ के साथ उसे सात दिन रहने देना चाहिए। तब आठवें दिन और उसके बाद यह जानवर यहोवा को आग द्वारा दी जाने वाली बलि के रूप में स्वीकार किया जाएगा। 28 किन्तु तुम्हें उसी दिन उस जानवर और उसकी माँ को नहीं मारना चाहिए। यही नियम गाय और भेड़ों के लिए है।
29 “यदि तुम्हें यहोवा को कोई विशेष कृतज्ञता बलि चढ़ानी हो तो तुम उस भेंट को चढ़ाने में स्वतन्त्र हो । किन्तु यह इस प्रकार करो कि वह परमेश्वर को प्रसन्न करे। 30 तुम्हें पूरा जानवर उसी दिन खा लेना चाहिए। तुम्हें अगली सुबह के लिए कुच भी माँस नहीं छोड़ना चाहिए। मैं यहोवा हूँ!
31 “मेरे आदेशों को याद रखो और उनका पालन करो। मैं यहोवा हूँ! 32 मेरे पवित्र नाम का सम्मान करो! मुझे इस्राएल के लोगों के लिए बहुत विशिष्ट होना चाहिए। मैं, यहोवा ने तुम्हें अपना विशेष लोग बनाया है। 33 मैं तुम्हें मिस्र से लाया। मैं तुम्हारा परमेश्वर बना। मैं यहोवा हूँ!”
समीक्षा
प्रभु की आराधना करें
इस लेखांश में परमेश्वर 'पवित्र नाम' (22:2) पर ज़्यादा ज़ोर दिया गया है। अध्याय 22 में परमेश्वर अपने लोगों से नौ बार कहते हैं कि, 'मैं प्रभु हूँ' (पद - 2-3,8-9,16,30-33)। इन वचनों में परमेश्वर अपने नाम पर क्यों ज़ोर देते हैं?
प्राचीन युग में नाम बहुत ही महत्त्वपूर्ण थे। ऐसा माना जाता है कि ये आपको उस व्यक्ति के संबंध में कुछ महत्त्वपूर्ण बताते हैं। जैसा कि हमने देखा, परमेश्वर का नाम अपवाद नहीं है। याहवे नाम परमेश्वर की असाधारणता और महानता को प्रदर्शित करता है।
परमेश्वर का नाम लोगों को उनके साथ असाधारण संबंध की याद भी दिलाता है। यह वह नाम है जिसे मूसा को एक संकेत के रूप में प्रकट किया गया कि परमेश्वर अपने लोगों के संग रहेंगे (निर्गमन 3)।
परमेश्वर हर बार बताते हैं कि 'मैं प्रभु हूँ', यह लोगों को उनकी महानता और उनके साथ संबंध की याद दिलाता है। इस अध्याय में हरएक नियम इन सच्चाइयों पर बनाये गए हैं और इन्हें उनकी ओर संकेत करने के लिए बनाया गया है।
लैव्यव्यवस्था 21 का विषय परमेश्वर की पवित्रता और महायजक की आवश्यकता पर आधारित है ताकि लोग परमेश्वर तक पहुँच सकें। नये नियम में हम देखते हैं कि यीशु महायाजक हैं और उनके द्वारा हम परमेश्वर तक पहुँच सकते हैं। यीशु:
- पूर्णत: पवित्र हैं
महायाहक में रीति - रिवाज के हिसाब से कोई दोष न हो (पद - 21ब)। यीशु सामान्य रूप से सिद्ध थे। यीशु 'पूर्णत: पवित्र हैं, और यीशु पवित्र, और निष्कपट और निर्मल, और पापियों से अलग हैं' (इब्रानियों 7:26)।
- परमेश्वर को समर्पित हैं
महायाजक परमेश्वर को समर्पित होना चाहिये (लैव्यव्यवस्था 21:12), जैसा कि यीशु थे (लूका 2:22)।
- अभिषेकित हैं
महायाजक पवित्र आत्मा के प्रतीक के रूप में अपने परमेश्वर के अभिषेक का तेलरूपी मुकुट धारण किए हुए हो (लैव्यव्यवस्था 21:12)। बपतिस्मा के समय यीशु का अभिषेक पवित्र आत्मा से हुआ था। वह अभिषेकित हैं: मसीहा।
यदि हमें अध्याय 21 में एक सिद्ध याजक की याद दिलाई जाती है, तो अध्याय 22 में हमें सिद्ध बलिदान की आवश्यकता की याद भी दिलाई जाती है। यह बलिदान दोष युक्त नहीं होना चाहिये (22:19,21)। यीशु सिद्ध बलिदान और सिद्ध महायाजक दोनों थे।
जब हम तीनों लेखांशों को एक साथ देखते हैं, तो हम आत्मा की इस असाधारण पुकार पर: 'यीशु मसीह प्रभु हैं' (फिल्लिपियों 2:11) और हमारे लिए उनके असाधारण पर मनन कर सकते हैं जिसे उन्हें हमारी खातिर क्रूस पर बलिदान होने के द्वारा प्रदर्शित किया और हमारी उचित प्रतिक्रिया होगी 'प्रभु से प्रेम करना' (भजन संहिता 31:23अ)।
प्रार्थना
प्रभु, मैं आपकी आराधना करना चाहता हूँ। आप ही मुझे पवित्र करते हैं। आप ही हमें बंधुआई से छुड़ाते हैं। आप प्रभु हैं। मैं आप से प्रेम करता हूँ, प्रभु।
पिप्पा भी कहते है
भजन संहिता 31:24
'परमेश्वर पर आशा रखने वालों हियाव बान्धो और तुम्हारे हृदय दृढ़ रहें!'
आज, बल्कि लगभग हरदिन मुझे बहुत शक्ति चाहिये! ज़्यादा शक्ति प्रभु, कृपया।

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संदर्भ
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है। कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।