दिन 77

यदि घास हरी दिखाई देती है, तो शायद यह कृत्रिम घांस - एस्ट्रो टर्

बुद्धि नीतिवचन 7:6-20
नए करार लूका 2:1-20
जूना करार गिनती 5:11-6:27

परिचय

एक ऑनलाईन एजेंसी के द्वारा एक बिलबोर्ड कैम्पेन ने विवाहित पुरुषों और महिलाओं के लिए एक मिलने का कार्यक्रम प्रस्ताव रखा जो एक अवैध –संबंध बनाना चाहते थे. इस मार्केट में वह ऐजेंसी एकमात्र नहीं हैं. इसमें नया यह था कि उन्होंने एक विस्तारपूर्वक विज्ञापन कैम्पेन शुरु किया विशेषरूप से सड़कों के किनारे बड़े बोर्ड पर इस नारे के साथ, 'घास हमेशा हरी होती है.'

महत्त्वपूर्ण रूप से, वे पैसा बना रहे थे लोगों की कमजोरी का फायदा उठाकर और बेवफा बनने में उनकी सहायता करके. शायद यह आकर्षित करने वाला दिखाई दे, लेकिन सच्चाई यह है कि यह इसमें शामिल लोगों के जीवन को बरबाद कर सकती है, साथ ही उनके पार्टनर, उनके परिवार और उनके बच्चों के जीवन को.

यीशु वफादारी को न्याय और दया के साथ बताते हैं (मत्ती 23:23). वफादारी पवित्र आत्मा का एक फल है (गलातियो 5:22). मदर टेरेसा ने कहा, 'मैं सफलता के लिए प्रार्थना नहीं करती. मैं वफादारी को माँगती हूँ.'

हमारे प्रति परमेश्वर की वफादारी हमें हमारे संबंधो में लगाने के लिए एक उदाहरण को दती है. वफादारी ऐसी चीज है जिसकी हमें विवाह में, मित्रता में और परमेश्वर के साथ हमारे संबंध में लालसा करनी चाहिए.

बुद्धि

नीतिवचन 7:6-20

6 एक दिन मैंने अपने घर की
 खिड़की के झरोखे से झाँका,
7 सरल युवकों के बीच एक ऐसा नवयुवक देखा जिसको भले—
 बुरे की पहचान नहीं थी।
8 वह उसी गली से होकर,
 उसी कुलटा के नुक्कड़ के पास से जा रहा था। वह उसके ही घर की तरफ बढ़ता जा रहा था।
9 सूरज शाम के धुंधलके में डूबता था,
 रात के अन्धेरे की तहें जमती जाती थी।

10 तभी कोई कामिनी उससे मिलने के लिये निकल कर बाहर आई।
 वह वेश्या के वेश में सजी हुई थी। उसकी इच्छाओं में कपट छुपा था।
11 वह वाचाल और निरंकुश थी।
 उसके पैर कभी घर में नहीं टिकते थे।
12 वह कभी — कभी गलियों में, कभी चौराहों पर,
 और हर किसी नुक्कड़ पर घात लगाती थी।
13 उसने उसे रोक लिया और उसे पकड़ा।
 उसने उसे निर्लज्ज मुख से चूम लिया, फिर उससे बोली,

14 “आज मुझे मौत्री भेंट अर्पित करनी थी। मैंने अपनी मन्नत पूरी कर ली है।
 मैंने जो प्रतिज्ञा की थी, दे दिया है। उसका कुछ भाग मैं घर ले जा रही हूँ। अब मेरे पास बहुतेरे खाने के लिये है!
15 इसलिये मैं तुझसे मिलने बाहर आई।
 मैं तुझे खोजती रही और तुझको पा लिया।
16 मैंने मिस्र के मलमल की रंगों भरी चादर से सेज सजाई है।
17 मैंने अपनी सेज को गंधरस,
 दालचीनी और अगर गंध से सुगन्धित किया है।
18 तू मेरे पास आ जा। भोर की किरण चूर हुए,
 प्रेम की दाखमधु पीते रहें। आ, हम परस्पर प्रेम से भोग करें।
19 मेरे पति घर पर नहीं है।
 वह दूर यात्रा पर गया है।
20 वह अपनी थैली धन से भर कर ले गया है और
 पूर्णमासी तक घर पर नहीं होगा।”

समीक्षा

संबंधों में वफादार बनें

नीतिवचन की पुस्तक बेईमानी के खतरे के विरुद्ध चेतावनी देती है. इस लेखांश में हम उन पुरुषों और महिलाओं की मूर्खता को देखते हैं जो विवाह के बाहर एक शारीरिक संबंध में जुड़े हुए हैं.

नीतिवचन की पुस्तक में दो अलग-अलग महिलाओं के चरित्र के बारे में अतंर को बताया गया है. एक तरफ 'महिला बुद्धि' है (अध्याय 8 देखें), और दूसरी ओर है 'व्यभिचारिनी' (इस अध्याय में). अधिकतम शिक्षा को अपने बेटे के लिए पिता की सलाह के रूप में प्रस्तुत किया गया है (यद्यपी यह हम सभी के लिए महत्वपूर्ण है). पिता अपने बेटे को चिताते हैं कि 'महिला बुद्धि' को गले लगाती है, लेकिन हर कीमत पर 'व्यभिचारिनी' से दूर रहे.

ऐसा कहा जाता है कि, 'अवसर दरवाजा खटखटाता है. लेकिन प्रलोभन दरवाजें पर ही खड़ा रहता है.' यौन संबंध का प्रलोभन व्याप्त है, 'हर एक कोने पर यह बाट जोहती है' (7:12). यह शीघ्र तृप्ति प्रदान करती है लेकिन यह धोखादायक है. वह कहती है, 'इसलिये अब चल हम प्रेम से भोर तक जी बहलाते रहें;' (व.18अ).

कभी – कभी लोग 'प्रेम' शब्द का इस्तेमाल करके बेईमानी पर परदा डालने की कोशिश करते हैं. फिर भी, इसमें कोई सच्चा प्रेम नहीं है. निश्चित ही यह गहरा या लंबे समय तक बने रहने वाला नहीं है. यह केवल 'सुबह तक' बना रहता है (व.18अ). इससे भी बदतर, इन प्रलोभनों से हार मानना बेईमानी हैः 'मेरे पति घर पर नहीं हैं; वह एक लंबी यात्रा पर गए हैं' (व.19).

जो व्यक्ति इस रास्ते पर चलता है उसके पास बुद्धि की कमी है (व.7). दूर रहना गलती नहीं थी; बल्कि 'उसके घर के कोने के पास से जाना... उसके घर के मार्ग में जाना' (व.8). वफादारी का एक जीवन जीने की शुरुवात होती है ना केवल बेईमानी को नकारने के द्वारा परंतु, आपके विचारों से और आपके हृदय से. बेईमान के धोखे का भाग इसके रहस्य में है -'जैसे ही घोर अंधेरा छाता है' (व.9).

बेईमानी में एक विवाह को या भविष्य में होने वाले विवाह को नष्ट करने और जीवनों को बरबाद करने की क्षमता है. यही कारण है कि विवाह के दिन दुल्हन और दूल्हा जीवनभर एक दूसरे के प्रति वफादार रहने का वायदा करते हैं. जैसा कि अक्सर कहा जाता है, 'घास किनारे की दूसरी ओर हरी नहीं रहती – जहाँ पर हम पानी देते हैं वहाँ पर यह हरी रहती है.' असल में, 'यदि घास हरी दिखती है, तो शायद यह... एस्ट्रो टर्फ है'

प्रार्थना

परमेश्वर, हमारे सहायता कीजिए कि हमारे संबंधो में हम वफादार बने रहे. जिनका विवाह हो चुका है, उनकी सहायता कीजिए कि वे विवाह की प्रतिज्ञाओं के प्रति वफादार रहे. कृपा करके हमारे चर्च में और हमारे समाज में विवाह को सुरक्षित रखिये.

नए करार

लूका 2:1-20

यीशु का जन्म

2उन्हीं दिनों औगुस्तुस कैसर की ओर से एक आज्ञा निकाली कि सारे रोमी जगत की जनगणना की जाये। 2 यह पहली जनगणना थी। यह उन दिनों हुई थी जब सीरिया का राज्यपाल क्विरिनियुस था। 3 सो गणना के लिए हर कोई अपने अपने नगर गया।

4 यूसुफ भी, क्योंकि वह दाऊद के परिवार एवं वंश से था, इसलिये वह भी गलील के नासरत नगर से यहूदिया में दाऊद के नगर बैतलहम को गया। 5 वह वहाँ अपनी मँगेतर मरियम के साथ, (जो गर्भवती भी थी,) अपना नाम लिखवाने गया था। 6 ऐसा हुआ कि अभी जब वे वहीं थे, मरियम का बच्चा जनने का समय आ गया। 7 और उसने अपने पहले पुत्र को जन्म दिया। क्योंकि वहाँ सराय के भीतर उन लोगों के लिये कोई स्थान नहीं मिल पाया था इसलिए उसने उसे कपड़ों में लपेट कर चरनी में लिटा दिया।

यीशु के जन्म की सूचना

8 तभी वहाँ उस क्षेत्र में बाहर खेतों में कुछ गड़रिये थे जो रात के समय अपने रेवड़ों की रखवाली कर रहे थे। 9 उसी समय प्रभु का एक स्वर्गदूत उनके सामने प्रकट हुआ और उनके चारों ओर प्रभु का तेज प्रकाशित हो उठा। वे सहम गए। 10 तब स्वर्गदूत ने उनसे कहा, “डरो मत, मैं तुम्हारे लिये अच्छा समाचार लाया हूँ, जिससे सभी लोगों को महान आनन्द होगा। 11 क्योंकि आज दाऊद के नगर में तुम्हारे उद्धारकर्ता प्रभु मसीह का जन्म हुआ है। 12 तुम्हें उसे पहचान ने का चिन्ह होगा कि तुम एक बालक को कपड़ों में लिपटा, चरनी में लेटा पाओगे।”

13 उसी समय अचानक उस स्वर्गदूत के साथ बहुत से और स्वर्गदूत वहाँ उपस्थित हुए। वे यह कहते हुए प्रभु की स्तुति कर रहे थे,

14 “स्वर्ग में परमेश्वर की जय हो
और धरती पर उन लोगों को शांति मिले जिनसे वह प्रसन्न है।”

15 और जब स्वर्गदूत उन्हें छोड़कर स्वर्ग लौट गये तो वे गड़ेरिये आपस में कहने लगे, “आओ हम बैतलहम चलें और जो घटना घटी है और जिसे प्रभु ने हमें बताया है, उसे देखें।”

16 सो वे शीघ्र ही चल दिये और वहाँ जाकर उन्होंने मरियम और यूसुफ को पाया और देखा कि बालक चरनी में लेटा हुआ है। 17 गड़रियों ने जब उसे देखा तो इस बालक के विषय में जो संदेश उन्हें दिया गया था, उसे उन्होंने सब को बता दिया। 18 जिस किसी ने भी उन्हें सुना, वे सभी गड़ेरियों की कही बातों पर आश्चर्य करने लगे। 19 किन्तु मरियम ने इन सब बातों को अपने मन में बसा लिया और वह उन पर जब तब विचार करने लगी। 20 उधर वे गड़ेरिये जो कुछ उन्होंने सुना था और देखा था, उस सब कुछ के लिए परमेश्वर की महिमा और स्तुति करते हुए अपने अपने घरों को लौट गये।

समीक्षा

परमेश्वर की बुलाहट, उनके वायदे और संदेश के प्रति वफादार बनें

यीशु की बुलाहट, उनके वायदे और संदेश के प्रति वफादार बनें

यीशु के जन्म से जो लोग जुड़े हुए थे उनकी वफादारी उत्साहित करने वाली है.

1. परमेश्वर की बुलाहट के प्रति वफादार बने

इस घटना में हमने पढ़ा कि कैसे युसूफ बेतलहम गए, 'ताकि अपनी मंगेतर मरियम के साथ जो गर्भवती थी नाम लिखवाए' (व.5).

अच्छा नहीं दिखाई दिया होगा. युसूफ जानते थे कि मरियम बेईमान नहीं थी. किंतु, वह अवश्य ही जानते थे कि आस-पास के सभी लोगों के लिए ऐसा दिखाई दे रहा था जैसे उसने बेईमानी की है. अवश्य ही प्रलोभन आया होगा कि उससे वह अलग हो जाए (मत्ती 1:19 में पायी जाने वाली घटना बताती है कि वह चुपके से उसे छोड़ देना चाहते थे, लेकिन इसके बाद परमेश्वर के स्वर्गदूत ने उससे बात की).

किंतु, वह पूरी तरह से परमेश्वर की बुलाहट और मरियम के प्रति वफादार थे, चाहे यह बाहर से कैसा क्यों न दिखता हो.

2. परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं के प्रति वफादार बनें

जो कुछ हो रहा था उसे देखकर अवश्य ही मरियम घबरा गई थी. फिर भी, उसने विश्वास किया जो उसे बताया गया था – जो प्रतिज्ञा उसने ग्रहण की थी उसके प्रति वह वफादार थी. वह 'ये सब बातें अपने मन में रखकर सोचती रही' (लूका 2:19).

यह एक अद्भुत उदाहरण है कि उन भविष्यवाणी और दूसरे वचनों के साथ क्या करना है, जो आपको लगता है कि परमेश्वर की ओर से है. कभी-कभी, आपको उन्हें अपने मन में रखने की आवश्यकता होती है. मरियम की तरह, अपना मुंह बंद रखें और उसी समय, अपने हृदय को खुला रखें. आपके लिए परमेश्वर का जो वादा है उसे मन में रखे और अपने हृदय में उस पर सोचते रहे.

3. परमेश्वर के संदेश के प्रति वफादार बने

किंतु चरवाहों का संदेश बहुत अलग था. यह 'सभी लोगों के लिए...अच्छा समाचार था' (व.10). जैसे ही उन्होंने बालक को चरणी में लेटा हुआ देखा जैसा कि स्वर्गदूत ने उनको बताया था, 'वैसे ही उन्होंने उस वचन का प्रचार किया जो उन्हें बताया गया था' (व.17). आपको यीशु का यह अद्भुत संदेश सौंपा गया है और वफादारी से 'वचन का प्रचार करने के लिए' आप बुलाए गए हैं.

4. भरोसा कीजिए कि परमेश्वर वफादार हैं.

इन सबसे परे, यह परमेश्वर की वफादारी की एक घटना है. जो कुछ परमेश्वर ने मरियम, युसूफ और चरवाहों से वादा किया था, वह सब पूरा हुआ, 'ठीक जैसा कि उन्हें बताया गया था' (व.20). फिर भी उनके प्रति परमेश्वर की वफादारी इससे भी महान वस्तु का भाग थी.

हम देखना शुरु करते हैं कि कैसे यीशु पुराने नियम में परमेश्वर की सभी प्रतिज्ञाओं की परिपूर्णता हैं. वह 'दाऊद के शहर में जन्में हैं' (व.11), और उनके पृथ्वी के पिता 'दाऊद के घराने और वंश से हैं' (व.4). वह राजा हैं जिसका वायदा किया गया था, जिसके बारे में संपूर्ण पुराना नियम कहता है कि, 'वह मसीहा हैं' (व.11).

यह 'सभी मनुष्यों के लिए...अच्छा समाचार है' (व.10). यहाँ पर हम इसकी झलक को देखते हैं कि हमारे लिए इसका क्या अर्थ है. यीशु आपका 'उद्धारक' हैं (व.11), जिसके द्वारा आप परमेश्वर की शांति और अनुग्रह को जान सकते हैं (व.14). अब आपको डर के एक बोझ को लेकर जाने की आवश्यकता नहीं है ('डरो मत', व10अ). मसीह को जानने से आप परमेश्वर को जानते हैं. वह स्वयं परमेश्वर हैं; वह 'प्रभु' हैं (व.11). परमेश्वर की वफादारी और प्रेम वह आधार है जिस पर हर वस्तु टिकी है.

प्रार्थना

धन्यवाद परमेश्वर, मसीह यीशु में मेरे प्रति आपकी वफादारी के लिए. आपका धन्यवाद क्योंकि आप मुझे आशा, आनंद, स्वतंत्रता और उद्देश्य को देते हैं. मेरी सहायता कीजिए कि इस संदेश को बाहर 'सभी मनुष्यों' तक ले जाऊं (व.10).

जूना करार

गिनती 5:11-6:27

शंकालु पति

11 तब यहोवा ने मूसा से कहाः 12 “इस्राएल के लोगों से यह कहो, किसी व्यक्ति की पत्नी पतिव्रता नहीं भी हो सकती है। 13 उस का किसी दूसरे व्यक्ति के साथ शारीरिक सम्बन्ध हो सकता है और वह इसे अपने पति से छिपा सकती है। कोई ऐसा व्यक्ति भी नहीं होता जो कहे कि उसने यह पाप किया। उसका पति उसे कभी जान भी नहीं सकता जो बुराई उसने की है और वह स्त्री भी अपने पति से अपने पाप के बारे में नहीं कहेगी। 14 किन्तु पति शंका करना आरम्भ कर सकता है कि उसकी पत्नी ने उसके विरुद्ध पाप किया है। वह उसके प्रति ईर्ष्या रख सकता है। चाहे वह सच्ची हो चाहे नहीं। 15 यदि ऐसा होता है तो वह अपनी पत्नी को याजक के पास ले जाए। पति एक भेंट भी ले जाएगा। यह भेंट 1/10 एपा जौं का आटा होगा। यह उसे जौं के आटे पर तेल या सुगन्धित नहीं डालनी चाहिये। यह जौं का आटा यहोवा को अन्नबलि है. यह इसलिए दिया जाता कि पति ईर्ष्यालु है। यह भेंट यही संकेत करेगी कि उसे विस्वास है कि उसकी पत्नी पतिव्रता नहीं है।

16 “याजक स्त्री को यहोवा के सामने ले जाएगा और स्त्री यहोवा के सामने खड़ी होगी। 17 तब याजक कुछ विशेष पानी लेगा और उसे मिट्टी के घड़े में डालेगा। याजक पवित्र तम्बू के फर्श से कुछ मिट्टी पानी में डालेगा। 18 याजक स्त्री को यहोवा के सामने खड़ा रहने के लिए विवश करेगा। तब वह उसके बाल खोलेगा और उसके हाथ में अन्नबलि देगा। यह जौ का आटा होगा जिसे उसके पति ने ईर्ष्या के कारण उसे दिया था। उसी समय वह विशेष कड़वे जल वाले मिट्टी के घड़े को पकड़े रहेगा। यह विशेष कड़वा जल ही है जो स्त्री को परेशानी पैदा करता है।

19 “तब याजक स्त्री से कहेगा कि उसे झूठ नहीं बोलना चाहिए। उसे सत्य बोलने का वचन देना चाहिए। याजक उससे कहेगाः यदि तुम दूसरे व्यक्ति के साथ नहीं सोई हो, और तुमने अपने पति के विरुद्ध पाप नहीं किया है, जबकि तुम्हारा विवाह उसके साथ हुआ है, तो यह कड़वा जल तुमको हानि नहीं पहुँचाएगा। 20 किन्तु यदि तुमने अपने पति के विरुद्ध पाप किया है, यदि तुम किसी अन्य पुरुष के साथ सोई हो तो तुम शुद्ध नहीं हो। क्यों क्योंकि जो तुम्हारे साथ सोया है तुम्हारा पति नहीं है और उसने तुम्हें अशुद्ध बनाया है। 21 इसलिए जब तुम इस विशेष जल को पीओगी तो तुम्हें बहुत परेशानी होगी। तुम्हारा पेट फूल जाएगा और तुम कोई बच्चा उत्पन्न नहीं कर सकोगी। यदि तुम गर्भवती हो, तो तुम्हारा बच्चा मर जाएगा। तब तुम्हारे लोग तुम्हे छोड़ देंगे और वे तुम्हारे बारे में बुरी बातें कहेंगे।

“तब याजक को स्त्री से यहोवा को विशेष वचन देने के लिए कहना चाहिए। स्त्री को स्वीकार करना चाहिए कि ये बुरी बातें उसे होंगी, यदि वह झूठ बोलेगी। 22 याजक को कहना चाहिए, तुम इस जल को लोगी जो तुम्हारे शरीर में परेशानी उत्पन्न करेगा। यदि तुमने पाप किया है तो तुम बच्चों को जन्म नहीं दे सकोगी और यदि तुम्हारा कोई बच्चा गर्भ में है तो वह जन्म लेने के पहले मर जाएगा। तब स्त्री को कहना चाहिएः मैं वह स्वीकार करती हूँ जो आप कहते हैं।

23 “याजक को इन चेतावनियों को चर्म—पत्र पर लिखनी चाहिए।फिर उसे इस लिखावट को पानी में धो देना चाहिए। 24 तब स्त्री उस पानी को पीएगी जो कड़वा है। वह पानी उसमें जाएगा और यदि वह अपराधी है, तो उसे बहुत परेशानी उत्पन्न करेगा।

25 “तब याजक उस अन्नबलि को उससे लेगा। (ईर्ष्या के लिए भेंट) और उसे यहोवा के सामने उठाएगा और उसे वेदी तक ले जाएगा। 26 तब याजक अपनी उंजली में अन्न भरेगा और उसे वेदी पर रखेगा। तब वह उसे जलाएगा। उसके बाद, वह स्त्री से पानी पीने को कहेगा। 27 यदि स्त्री ने पति के विरुद्ध पाप किया होगा, तो पानी उसे परेशान करेगा। पानी उसके शरीर में जाएगा और उसे बहुत कष्ट देगा और कोई बच्चा जो उसके गर्भ में होगा, पैदा होने से पहले मर जाएगा और वह कभी बच्चे को जन्म नहीं दे सकेगी। सभी लोग उसके विरुद्ध हो जायेंगे। 28 किन्तु यदि स्त्री ने पति के विरुद्ध पाप नहीं किया है तो वह पवित्र है, फिर याजक घोषणा करेगा कि वह अपराधी नहीं है और बच्चों को जन्म देने के योग्य हो जाएगी।

29 “इस प्रकार यह ईर्ष्या के विषय में नियम है। तुम्हें यही करना चाहिए यदि कोई विवाहित स्त्री अपने पति के विरूद्ध पाप करती है। 30 या यदि कोई व्यक्ति ईर्ष्या करता है और अपनी पत्नी के सम्बन्ध में शंका करता है कि उसने उसके विरुद्ध पाप किया है तो व्यक्ति को यही करना चाहिए। याजक को कहना चाहिए कि वह स्त्री यहोवा के सामने खड़ी हो। तब याजक इन सभी कार्यों को करेगा। यही नियम है। 31 पति कोई बुरा करने का अपराधी नहीं होगा। किन्तु स्त्री कष्ट उठाएगी, यदी उसने पाप किया है।”

नाज़ीरों का वंश

6यहोवा ने मूसा से कहा, 2 “ये बातें इस्राएल के लोगों से कहोः कोई पुरुष या स्त्री कुछ समय के लिए किन्हीं अन्य लोगों से अलग रहना चाह सकता है। इस अलगाव का उद्देश्य यह हो कि वह व्यक्ति पूरी तरह अपने को उस समय के लिए यहोवा को समर्पित कर सके। वह व्यक्ति नाज़ीर कहलाएगा। 3 उस काल में व्यक्ति को कोई दाखमधु या कोई अधिक नशीली चीज़ नहीं पीनी चाहिए। व्यक्ति को सिरका जो दाखमधु से बना हो या किसी अधिक नशीले पेय को नहीं पीना चाहिए। उस व्यक्ति को अंगूर का रस नहीं पीना चाहिए और न ही अंगुर या किशमिश खाने चाहिए। 4 उस अलगाव के विशेष काल में उस व्यक्ति को अंगूर से बनी कोई चीज नहीं खानी चाहिए। उस व्यक्ति को अंगूर का बीज या छिलका भी नहीं खाना चाहिए।

5 “उस अलगाव के काल में उस व्यक्ति को अपने बाल नहीं काटने चाहिए। उस व्यक्ति को उस समय तक पवित्र रहना चाहिए जब तक अलगाव का समय समाप्त न हो। उसे अपने बालों को लम्बे होने देना चाहिए। उस व्यक्ति के बाल, परमेस्वर को दिए गये उसके वचन का एक विशेष भाग हैं। वह उन बालों को परमेस्वर के लिए भेंट के रुप में देगा। इसलिए वह व्यक्ति अपने बालों को तब तक लम्बा होने देगा जब तक अलगाव का समय समाप्त न होगा।

6 “इस अलगाव के काल में नाज़ीर को किसी शव के पास नही जाना चाहिए। क्यों क्योंकि उस व्यक्ति ने अपने को पूरी तरह यहोवा को समर्पित कर दिया है। 7 यदि उसके अपने पिता, अपनी माता, अपने भाई या अपनी बहन भी मरें तो भी उसे उनको छूना नहीं चाहिए। यह उसे अपवित्र करेगा। उसे यह दिखाना चाहिए कि उसे अलग किया गया है और अपने को पूरी तरह परमेस्वर को समर्पित कर चुका है। 8 जिस पूरे काल में वह अलग किया गया, वह पूरी तरह अपने को यहोवा को समर्पित किए हुए है। 9 यह संभव है कि नाजीर किसी दूसरे व्यक्ति के साथ हो और वह दूसरा व्यक्ति अचानक मर जाए। यदि नाज़ीर मरे व्यक्ति को छुएगा तो वह अपवित्र हो जाएगा। यदि ऐसा होता है तो नाजीर को सिर से अपने बाल कटवा लेना चाहिए। वे बाल उसके विशेष दिए गए वचन के भाग थे। उसे अपने बालों को सातवें दिन काटना चाहिए क्योंकि उस दिन वह पवित्र किया जाता है। 10 तब आठवें दिन उसे दो फाख्ते या कबूतर के दो बच्चे याजक के पास लाने चाहिए। उसे याजक को उन्हें मिलापवाले तम्बू के द्वार पर देना चाहिए। 11 तब याजक एक को पापबलि के रूप में भेंट करेगा। वह दूसरे को होमबलि के रूप में भेंट करेगा। यह होमबलि उस व्यक्ति द्वारा किये गये पाप के लिए भुगतान होगी। उसने पाप किया क्योंकि वह शव के पास था। उस समय वह व्यक्ति फिर वचन देगा कि सिर के बालों को परमेस्वर को भेंट करेगा। 12 इसका यह तात्पर्य हुआ कि उस व्यक्ति को फिर अलगाव के दूसरे समय के लिए अपने आपको यहोवा को समर्पित कर देना चाहिए। उस व्यक्ति को एक वर्ष का एक मेढ़ा लाना चाहिए। वह इसे पाप के लिए भेंट के रूप में देगा। उसके अलगाव के सभी दिन भुला दिये जाते हैं। उस व्यक्ति को नये अलगाव के समय का आरम्भ करना होगा। यह अवश्य किया जाना चाहिए क्योंकि उसने अलगाव के प्रथम काल में एक शव का स्पर्श किया।

13 “जब व्यक्ति के अलगाव का समय पूरा हो तो उसे मिलापवाले तम्बू के द्वार पर जाना चाहिए। 14 वहाँ वह अपनी भेंट यहोवा को देगा। उसकी भेंट होनी चाहिएः

होमबलि के लिए बिना दोष का एक वर्ष का एक मेढ़ा पापबलि के लिए बिना दोष की एक वर्ष की एक मादा भेड़,

मेलबलि के लिए बिना दोष का एक नर भेड़,

15 अखमीरी रोटियों की एक टोकरी, (तेल से मिश्रित अच्छे आटे के फुलके इन “फुलकों” पर तेल लगाना चाहिए।)

अन्य भेंट तथा पेय भेंट जो इन भेंटों का एक भाग है।

16 “तब याजक इन चीज़ों को यहोवा को देगा। याजक पापबलि और होमबलि चढ़ाएगा। 17 याजक रोटियों की टोकरी यहोवा को देगा। तब वह यहोवा की मेलबलि के रूप में नर भेड़ को मारेगा। वह यहोवा को अन्नबलि और पेय भेंट के साथ इसे देगा। 18 नाजीर को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर जाना चाहिए। वहाँ उसे अपने बाल कटवाने चाहिए जिन्हें उसने यहोवा के लिए बढ़ाया था। उन बालों को मेलबलि के रूप में दी गई बलि के नीचे जल रही आग में डाला जाना चाहिए।

19 “जब नाज़ीर अपने बालों को काट चुकेगा तो याजक उसे नर मेढ़े का एक पका हुआ कंधा और टोकरी से एक बड़ा और एक छोटा ‘फुलका’ देगा। ये दोनों अखमीरी फुलके होंगे। 20 तब याजक इन चीजों को यहोवा के सामने उत्तोलित करेगा। यह एक उत्तोलन भेंट हैं। ये चीजें पवित्र हैं और याजक की हैं। नर भेड़ की छाती और जांघ भी यहोवा के सामने उत्तोलित किये जाएंगे। ये चीज़ें भी याजक की हैं। इसके बाद नाज़ीर दाखमधु पी सकता है।

21 “यह नियम उन व्यक्तियों के लिए है जो नाजीर होने का वचन लेते हैं। उस व्यक्ति को यहोवा को ये सभी भेंट देनी चाहिए यदि कोई व्यक्ति अधिक देने का वचन देता है तो उसे अपने वचन का पालन करना चाहिए। लेकिन उसे कम से कम वह सभी चीज़े देनी चाहिए जो नाज़ीर के नियम में लिखी हैं।

याजक का आशीर्वाद

22 यहोवा ने मूसा से कहा, 23 “हारून और उसके पुत्रों से कहो। इस्राएल के लोगों को आशीर्वाद देने का ढंग यह है। उन्हें कहना चाहिएः

24 ‘यहोवा तुम पर कृपा करे और तुम्हारी रक्षा करे।
25 यहोवा की कृपादृष्टि तुम पर प्रकाशित हो।
वह तुमसे प्रेम करे।
26 यहोवा की दृष्टि तुम पर हो।
वह तुम्हें शान्ति दे।’

27 इस प्रकार हारून और उसके पुत्र इस्राएल के लोगों के सामने मेरा नाम लेंगे और मैं उन्हें आशीर्वाद दूँगा।”

समीक्षा

परमेश्वर की वफादारी के प्रति उत्तर देने में वफादार बनें

1. विवाह में अपने पार्टनर के प्रति वफादार रहिये

यहाँ पर समझाया गया निर्देश एक संकेत है कि कैसे विवाह में बेईमानी विनाशकारी हो सकती है. जबकि नीतिवचन में हमारा लेखांश व्यभिचार के विरूद्ध एक चेतावनी था, यह लेखांश व्यभिचार के परिणामों को बताता है. किंतु, नियम ने पहचाना कि यौन-संबंधी बेईमानी का संदेह पर्याप्त नहीं था. हो सकता है कि यह केवल ईर्ष्या के कारण आया है. हो सकता है कि यह झूठा आरोप हो. यह महत्वपूर्ण था कि महिलाओं को झूठे आरोप से बचाया जाए, क्योंकि पुराने जमाने के समाज में उनका दर्जा बहुत ही असुरक्षित था. यदि महिला निर्दोष थी, तो इस जाँच का अर्थ था कि उसे डरने की कोई आवश्यकता नहीं है. पानी अपने आपमें हानिकारक नहीं है. नियम में आत्मिग्लानि को दर्शाने की आवश्यकता थी, इसके बजाय कि निर्दोष होने को दर्शाया जाएँ. चाहे पति ने इस जाँच का इस्तेमाल करना चुना हो, यह इस बात पर निर्भर था कि वह किस प्रकार का व्यक्ति था. युसूफ ने इसका इस्तेमाल नहीं किया (मत्ती 1:19).

2. अपने वायदों के प्रति वफादार बनें

नाज़ीर की मन्नत (गिनती 6:1-21) जीवनभर के लिए हो सकती है (उदारहण के लिए शिमशोन, शमुएल और यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला) या थोड़े समय के लिए. यह एक पवित्रता का प्रदर्शन था जो सभी से अपेक्षित नहीं था. यह अतिरिक्त योग्य होने के बारे में नहीं था. स्वयं यीशु नाज़ीर नहीं थे (यद्यपी वह नासरी थे – जो कि थोड़ा अलग है!) इस लेखांश का महत्वपूर्ण बिंदु यह हैं कि यदि आप परमेश्वर से प्रतिज्ञाओं को करते हैं तो आपको उनके प्रति वफादार होना चाहिए.

3. परमेश्वर की वफादारी के प्रति उत्तर देने में वफादार बनें

हारुन और उसके बेटों को परमेश्वर ने बताया था कि उनके लोगों पर आशीषों की घोषणा किस प्रकार करनी है (वव.24-27). इसी तरह से परमेश्वर आपको और मुझे आशीषित करना चाहते हैं.

वह अपनी उपस्थिति से आपको आशीषित करना चाहते हैं, आप पर उनके प्रकाश को चमकते हुएः'परमेश्वर आपको देखकर मुस्कराते हैं' (व.25, एम.एस.जी.). वह आपके प्रति अनुग्रहकारी बनना चाहते हैं (व.25ब). वह नम्र, दयालु, क्षमा करने वाले और प्रेम से भरे हुए हैं.

वह अपनी शांति आपको देते हैं (व.26ब) जीवन की परेशानियों और उनकी सुरक्षा के बीच में (व.24). वह चाहते हैं कि आपको बुराई से दूर रखे और उनसे दूर भटकने से बचाए. शुरुवात से लेकर अंत तक परमेश्वर की इच्छा है कि आपको आशीष दे (वव.24,27).

जैसे ही आप अपने प्रति परमेश्वर की वफादारी का अनुभव करते हैं, वैसे ही आपके सभी संबंधों में आपका उत्तर उसके प्रति वफादारी होना चाहिए. आज मैं इस आशीष को आप पर बोलता हूँ:

प्रार्थना

परमेश्वर आपको आशीष दें और आपको सुरक्षित रखे;
अपने प्रकाश को आप पर चमकाए और आप पर अनुग्रह करें;
आपकी ओर मुड़े और आपको शांति दे.'
गिनती 6:24-26)

पिप्पा भी कहते है

लूका 2:19

परंतु मरियम इन बातों को मन में रखकर सोचती रही.'

सालों से मैंने अपने हृदय में बहुत सी चीजों को संग्रहित करके रखा है. वे चीजें जो मैंने महसूस की परमेश्वर ने कहा और परमेश्वर के साथ साक्षात्कार की यादें और प्रार्थनाओं के अद्भुत उत्तर. और मैंने बहुत सी वस्तुओं पर मनन भी किया है, चीजें जो उलझा देती है या प्रार्थनाऍं जिनके विषय में मैं अब भी आशा करता हूँ कि उत्तर आएगा, या परमेश्वर के अद्भुत रहस्य.

reader

App

Download The Bible with Nicky and Pippa Gumbel app for iOS or Android devices and read along each day.

reader

Email

Sign up now to receive The Bible with Nicky and Pippa Gumbel in your inbox each morning. You’ll get one email each day.

Podcast

Subscribe and listen to The Bible with Nicky and Pippa Gumbel delivered to your favourite podcast app everyday.

reader

Website

Start reading today’s devotion right here on the BiOY website.

संदर्भ

नोट्स:

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

एक साल में बाइबल

  • एक साल में बाइबल

This website stores data such as cookies to enable necessary site functionality and analytics. Find out more