दिन 98

अंदर से बाहर प्यार कैसे करें

बुद्धि भजन संहिता 42:1-6a
नए करार लूका 11:33-54
जूना करार व्यवस्था विवरण 6:1-8:20

परिचय

सीलीन एक युवा महिला जो अपनी आत्मिक खोज की वजह से अल्फा में आई थी, उसने लिखा कि, 'मुझे पूरी तरह से यकीन नहीं है कि क्या हुआ था! इन दिनों में मैं परमेश्वर की उपस्थिति के लिए ज्यादा से ज्यादा प्यासी हो गई हूँ जैसे गर्मी के दिनों में किसी को ताजे ठंडे पानी का एक घूंट मिल जाता है, बिल्कुल सही तापमान, वह पीना और पीना चाहता है और फिर भी यह पर्याप्त नहीं होता (क्षमा चाहती हूँ, मैं नहीं जानती कि इसे और किस तरह से लिखा जाए!).

'अब मैं लगातार कूद रही हूँ और हंस रही हूँ और हरएक को बताना चाहती हूँ कि परमेश्वर कितने अद्भुत हैं...... इसके अलावा ऐसा लगता है कि मैं हरएक से प्यार करती हूँ! मैं किसी को क्षमा करने के लिए खोज रही थी, लेकिन ज्यादा से ज्यादा कड़वाहट और अलगाव बढ़ता गया जब तक मैं अल्फा में नहीं पहुँच गई.... यह चला गया, मैंने उस व्यक्ति को पूरी तरह से क्षमा कर दिया और मैं उनसे भी प्यार करती हूँ!'

वह कहती है कि अब वह 'मसीह से बेहद प्यार करती हैं!' उनकी अंदरूनी प्यास बुझ गई है. उसके पास एक नई अंदरूनी रौशनी और नया अंदरूनी प्यार है.

बुद्धि

भजन संहिता 42:1-6a

संगीत निर्देशक के लिये कोरह परिवार का एक भक्ति गीत।

42जैसे एक हिरण शीतल सरिता का जल पीने को प्यासा है।
 वैसे ही, हे परमेश्वर, मेरा प्राण तेरे लिये प्यासा है।
2 मेरा प्राण जीवित परमेश्वर का प्यासा है।
 मै उससे मिलने के लिये कब आ सकता हुँ?
3 रात दिन मेरे आँसू ही मेरा खाना और पीना है!
 हर समय मेरे शत्रु कहते हैं, “तेरा परमेश्वर कहाँ है?”

4 सो मुझे इन सब बातों को याद करने दे। मुझे अपना हृदय बाहर ऊँडेलने दे।
 मुझे याद है मैं परमेश्वर के मन्दिर में चला और भीड़ की अगुवाई करता था।
 मुझे याद है वह लोगों के साथ आनन्द भरे प्रशंसा गीत गाना
 और वह उत्सव मनाना।

5-6 मैं इतना दुखी क्यों हूँ?
 मैं इतना व्याकुल क्यों हूँ?
 मुझे परमेश्वर के सहारे की बाट जोहनी चाहिए।
 मुझे अब भी उसकी स्तुति का अवसर मिलेगा।
 वह मुझे बचाएगा।
 हे मेरे परमेश्वर, मैं अति दुखी हूँ। इसलिए मैंने तुझे यरदन की घाटी में,
 हेर्मोन की पहाड़ी पर और मिसगार के पर्वत पर से पुकारा।

समीक्षा

अंदरूनी प्यास

क्या कभी ऐसा समय आता है जब आप धुंधला महसूस करते हैं और आप स्पष्ट रूप से नहीं जानते कि आप किस वजह से 'निराशा' महसूस कर रहे हैं? आप अकेले नहीं है. भजनकार इस भावना को जानते थे: ' हे मेरे प्राण, तू क्यों गिरा जाता है? और तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है?' (व.5अ). परमेश्वर नहीं चाहते कि आप इस अवस्था में बने रहें – वह आपसे प्रेम करते हैं और वह आपको प्रोत्साहित करना चाहते हैं.

भजन लिखने वाले ने अंदरूनी प्यास के बारे में कहा है. 'जैसे हरिणी नदी के जल के लिये तरसती है, वैसे ही, हे परमेश्वर, मैं तेरे लिये तरसता हूँ' (व.1). वह आगे लिखते हैं, 'मेरी अंदरूनी प्यास परमेश्वर के लिए है' (व.2, एएमपी).

केवल परमेश्वर ही इस प्यास को बुझा सकते हैं. परमेश्वर के बारे में ज्ञान अंदरूनी प्यास नहीं बुझा सकती. परमेश्वर की उपस्थिति के लिए विनती कीजिये. परमेश्वर से मिलिये (व.2) और अपने प्राण को उंडेल दीजिये (व.4).

आराधना कुंजी है: ' मैं भीड़ के संग जाया करता था, मैं जयजयकार और धन्यवाद के साथ उत्सव करने वाली भीड़ के बीच में परमेश्वर के भवन को धीरे धीरे जाया करता था;' (व.4). परमेश्वर की कृपा और उनकी आशीषों के पिछले अनुभवों को याद कीजिये. यह आपको परमेश्वर पर भरोसा रखने के लिए प्रोत्साहित करेगा और उनकी फिर से आराधना करने के लिए आपको शक्ति प्रदान करेगा (व.5ब-6अ).

प्रार्थना

प्रभु, मेरा प्राण तेरा प्यासा है. केवल आपकी उपस्थिति मेरी गहरी प्यास बुझा सकती है. मेरे उद्धारकर्ता और मेरे परमेश्वर मैं आप ही पर आशा रखता हूँ और आपकी स्तुती करता हूँ.

नए करार

लूका 11:33-54

विश्व का प्रकाश बनो

33 “दीपक जलाकर कोई भी उसे किसी छिपे स्थान या किसी बर्तन के भीतर नहीं रखता, बल्कि वह इसे दीवट पर रखता है ताकि जो भीतर आयें प्रकाश देख सकें। 34 तुम्हारी देह का दीपक तुम्हारी आँखें हैं, सो यदि आँखें साफ हैं तो सारी देह प्रकाश से भरी है किन्तु, यदि ये बुरी हैं तो तुम्हारी देह अंधकारमय हो जाती है। 35 सो ध्यान रहे कि तुम्हारे भीतर का प्रकाश अंधकार नहीं है। 36 अतः यदि तुम्हारा सारा शरीर प्रकाश से परिपूर्ण है और इसका कोई भी अंग अंधकारमय नहीं है तो वह पूरी तरह ऐसे चमकेगा मानो कोई दीपक तुम पर अपनी किरणों में चमक रहा हो।”

यीशु द्वारा फरीसियों की आलोचना

37 यीशु ने जब अपनी बात समाप्त की तो एक फ़रीसी ने उससे अपने साथ भोजन करने का आग्रह किया। सो वह भीतर जाकर भोजन करने बैठ गया। 38 किन्तु जब उस फ़रीसी ने यह देखा कि भोजन करने से पहले उसने अपने हाथ नहीं धोये तो उसे बड़ा आश्चर्य हुआ। 39 इस पर प्रभु ने उनसे कहा, “अब देखो तुम फ़रीसी थाली और कटोरी को बस बाहर से तो माँजते हो पर भीतर से तुम लोग लालच और दुष्टता से भरे हो। 40 अरे मूर्ख लोगों! क्या जिसने बाहरी भाग को बनाया, वही भीतरी भाग को भी नहीं बनाता? 41 इसलिए जो कुछ भीतर है, उसे दीनों को दे दे। फिर तेरे लिए सब कुछ पवित्र हो जायेगा।

42 “ओ फरीसियों! तुम्हें धिक्कार है क्योंकि तुम अपने पुदीने और सुदाब बूटी और हर किसी जड़ी बूटी का दसवाँ हिस्सा तो अर्पित करते हो किन्तु परमेश्वर के लिये प्रेम और न्याय की उपेक्षा करते हो। किन्तु इन बातों को तुम्हें उन बातों की उपेक्षा किये बिना करना चाहिये था।

43 “ओ फरीसियों, तुम्हें धिक्कार है! क्योंकि तुम यहूदी आराधनालयों में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण आसन चाहते हो और बाज़ारों में सम्मानपूर्ण नमस्कार लेना तुम्हें भाता है। 44 तुम्हें धिक्कार है क्योंकि तुम बिना किसी पहचान की उन कब्रों के समान हो जिन पर लोग अनजाने ही चलते हैं।”

45 तब एक न्यायशास्त्री ने यीशु से कहा, “गुरु, जब तू ऐसी बातें कहता है तो हमारा भी अपमान करता है।”

46 इस पर यीशु ने कहा, “ओ न्यायशास्त्रियों! तुम्हें धिक्कार है। क्योंकि तुम लोगों पर ऐसे बोझ लादते हो जिन्हें उठाना कठिन है। और तुम स्वयं उन बोझों को एक उँगली तक से छूना भर नहीं चाहते। 47 तुम्हें धिक्कार है क्योंकि तुम नबियों के लिये कब्रें बनाते हो जबकि वे तुम्हारे पूर्वज ही थे जिन्होंने उनकी हत्या की। 48 इससे तुम यह दिखाते हो कि तुम अपने पूर्वजों के उन कामों का समर्थन करते हो। क्योंकि उन्होंने तो उन्हें मारा और तुमने उनकी कब्रें बनाईं। 49 इसलिए परमेश्वर के ज्ञान ने भी कहा, ‘मैं नबियों और प्रेरितों को भी उनके पास भेजूँगा। फिर कुछ को तो वे मार डालेंगे और कुछ को यातनाएँ देंगे।’

50 “इसलिए संसार के प्रारम्भ से जितने भी नबियों का खून बहाया गया है, उसका हिसाब इस पीढ़ी के लोगों से चुकता किया जायेगा। 51 यानी हाबिल की हत्या से लेकर जकरयाह की हत्या तक का हिसाब, जो परमेश्वर के मन्दिर और वेदी के बीच की गयी थीं। हाँ, मैं तुमसे कहता हूँ इस पीढ़ी के लोगों को इसके लिए लेखा जोखा देना ही होगा।

52 “हे न्यायशास्त्रियों, तुम्हें धिक्कार है, क्योंकि तुमने ज्ञान की कुंजी ले तो ली है। पर उसमें न तो तुमने खुद प्रवेश किया और जो प्रवेश करने का जतन कर रहे थे उनको भी तुमने बाधा पहुँचाई।”

53 और फिर जब यीशु वहाँ से चला गया तो वे धर्मशास्त्री और फ़रीसी उससे घोर शत्रुता रखने लगे। बहुत सी बातों के बारे में वे उससे तीखे प्रश्न पूछने लगे। 54 क्योंकि वे उसे उसकी कही किसी बात से फँसाने की टोह में लगे थे।

समीक्षा

आंतरिक रौशनी

शुद्ध हृदय और शुद्ध अंतरात्मा, शुद्ध हाथों से ज्यादा महत्वपूर्ण है. आपके दिल में और विचारों में क्या चल रहा है वह सच में मायने रखता है. आपकी आँखें कुंजी हैं – ये आंतरिक जीवन के लिए द्वार हैं. इसलिए आप इन मामलों को देखते हैं. आप अपनी आँखों के द्वारा अपने आंतरिक जीवन में चीजों को जाने देते हैं. आपकी आँखें भी वही दर्शाती हैं जो आपके दिल में चल रहा है.

यीशु आपके आंतरिक व्यक्तित्व को रौशनी से भरने के लिए आपको बुला रहे हैं: 'तेरे शरीर का दीया तेरी आंख है, इसलिये जब तेरी आंख निर्मल है, तो तेरा सारा शरीर भी उजियाला है; परन्तु जब वह बुरी है, तो तेरा शरीर भी अन्धेरा है। इसलिये चौकस रहना, कि जो उजियाला तुझ में है वह अन्धेरा न हो जाए। इसलिये यदि तेरा सारा शरीर उजियाला हो, ओर उसका कोई भाग अन्धेरा न रहे, तो सब का सब ऐसा उजियाला होगा, जैसा उस समय होता है, जब दीया अपनी चमक से तुझे उजाला देता है' (वव.34-36).

यीशु आपको परमेश्वर के साथ घनिष्ठ और प्रेमपूर्ण संबंध बनाने के लिए बुला रहे हैं – उस गुप्त स्थान में यानि हृदय में, जहाँ परमेश्वर के साथ सच्चा संपर्क होता है. वह आपको अंदर से साफ रखने के लिए बुला रहे हैं, ना कि सिर्फ बाहर से (व.39). यदि आप अंदर से लालच और बुराई से भरे हुए हैं तो बाहर साफ नजर आना अच्छा नहीं है (व.39).

यीशु के अनुसार हमें आंतरिक जीवन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये: 'परन्तु हां, भीतर वाली वस्तुओं को दान कर दो, तो देखो, सब कुछ तुम्हारे लिये शुद्ध हो जाएगा' (व.41). देने से हृदय शुद्ध होता है.

यीशु आगे कहते हैं, 'यदि तुम न्याय को और परमेश्वर के प्यार को टाल देते हो, तो आपका बाहरी तौर पर वस्तुओं को दान करना पर्याप्त नहीं है' (व.42).

जैसा कि फादर रॅनीरो कॅनाटेलामेसा लिखते हैं, 'यह सोचना गलत होगा कि आंतरिक जीवन पर जोर देने से राज्य और न्याय के प्रति हमारी जोशपूर्ण प्रतिबद्धता कम हो जाएगी. यह परमेश्वर के लिए कार्य करने के महत्व को धूमिल करने के बजाय, आंतरिक जीवन की नींव रखता है और इसे आगे बढ़ाता रहता है.'

यीशु इन धार्मिक गुरूओं के दिल के गलत व्यवहार के विरूद्ध हमें सावधान करते हैं जिसमें हम आसानी से गिर सकते हैं. ये शब्द हम में से उन लोगों के लिए चौनौतीपूर्ण हैं जो किसी तरह की लीडरशिप में हैं. यीशु इन सब के विरूद्ध सावधान करते हैं:

  1. खुद को महत्व देना

' तुम आराधनालयों में मुख्य मुख्य आसन चाहते हो' (व.43)

  1. सम्मान चाहना

' और बाजारों में नमस्कार चाहते हो' (व.43).

  1. पाखंड

उस शिक्षा में खतरा है जिसमे जीने के लिए हम खुद गिर जाते हैं: ' तुम ऐसे बोझ को जिनको उठाना कठिन है, मनुष्यों पर लादते हो परन्तु तुम आप उन बोझों को अपनी एक उंगली से भी नहीं छूते' (व.46).

यीशु उनके आंतरिक जीवन को विरोध करने से नहीं डरते. वह विरोध करने से नहीं डरे और ना ही उनसे शत्रुता करने से घबराए. इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि उनके आक्रमण का उद्देश्य, धार्मिक गुरूओं, का विरोध निडरता से करना था (व.54).

प्रार्थना

प्रभु, मेरी आँखें सिर्फ वही देखें जो अंदर से रौशन करे. मुझे आज अपनी पवित्र आत्मा से भर दीजिये. मेरा हृदय उदारता, न्याय और परमेश्वर के प्रेम से भर जाए.

जूना करार

व्यवस्था विवरण 6:1-8:20

सदैव परमेश्वर से प्रेम करो तथा आज्ञा मानो!

6“जिन आदेशों, विधियों और नियमों को यहोवा, तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें सिखाने को मुझे कहा है, वे ये हैं। इनका पालन उस देश में करो जिसमे रहने के लिए तुम प्रवेश कर रहे हो। 2 तुम और तुम्हारे वंशजों को जब तक जीवित रहो, यहोवा अपने परमेश्वर का सम्मान करना चाहिए । तुम्हें उन सभी नियमों और आदेशों का पालन करना चाहिए जिन्हें मैं तुम्हें दे रहा हूँ। यदि तुम ऐसा करोगे तो उस नये देश में लम्बी उम्र पाओगे। 3 इस्राएल के लोगो, इसे ध्यान से सुनो और इन नियमों का पालन करो। तब सब कुछ तुम्हारे साथ अच्छा होगा और तुम एक महान राष्ट्र बनोगे। यहोवा, तुम्हारे पूर्वजों के परमेश्वर ने, इन सबके लिए वचन दिया है कि तुम बहुत सी अच्छी वस्तुओं से युक्त धरती को, जहाँ दूध और शहद बहता है, प्राप्त करोगे।

4 “इस्राएल के लोगो, ध्यान से सुनो! यहोवा हमारा परमेश्वर है, यहोवा एक है! 5 और तुम्हें यहोवा, अपने परमेश्वर से अपने सम्पूर्ण हृदय, आत्मा और शक्ति से प्रेम करना चाहिए। 6 इन आदेशों को सदा याद रखो जिन्हें मैं आज तुम्हें दे रहा हूँ। 7 इनकी शिक्षा अपने बच्चों को देने के लिए सावधान रहो। इन आदेशों के बारे में तुम अपने घर में बैठे और सड़क पर घूमते बातें करो। जब तुम लेटो और जब जागो तब इनके बारे में बातें करो। 8 इन आदेशों को लिखो और मेरे उपदेशों को याद रखने में सहायता के लिए अपने हाथों पर इसे बांधो तथा प्रतीक रूप मे अपने ललाट पर धारण करो। 9 अपने घरों के दरवाजों, खम्भों और फाटकों पर इसे लिखो।

10 “यहोवा तुम्हरा परमेश्वर तुम्हें उस देश में ले जाएगा जिसके लिए उसने तुम्हारे पूर्वजों—इब्राहीम, इसहाक और याकूब को देने का वचन दिया था। तब वह तुम्हें बड़े और सम्पन्न नगर देगा जिनहें तुमने नहीं बनाया। 11 यहोवा तुम्हें अच्छी चीजों से भरे घर देगा जिन्हें तुमने वहाँ नहीं रखा। यहोवा तुम्हें कुएँ देगा जिन्हें तुमने नहीं खोदा है। यहोवा तुम्हें अंगूर और जैतून के बाग देगा जिन्हें तुमने नहीं लगाया। तुम्हारे खाने के लिए भरपूर होगा।

12 “किन्तु सावधान रहो। यहोवा को मत भूलो जो तुम्हें मिस्र से लाया, जहाँ तुम दास थे। 13 यहोवा अपने परमेश्वर का सम्मान करो और केवल उसी की सेवा करो। वचन देने के लिए तुम केवल उसी के नाम का उपयोग करोगे। 14 तुम्हें अन्य देवताओं का अनुसरण नहीं करना चाहिए। तुम्हें अपने चारों ओर रहने वाले लोगों के देवताओं का अनुसरण नहीं करना चाहिए। 15 यहोवा तुम्हारा परमेश्वर सदा तुम्हारे साथ है और यदि तुम दूसरे देवताओं का अनुसरण करोगे तो वह तुम पर बहुत क्रोधित होगा! वह धरती से तुम्हारा सफाया कर देगा। यहोवा अपने लोगों द्वारा अन्य देवताओं की पूजा से घृणा करता है।

16 “तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर का परीक्षण उस प्रकार नहीं करना चाहिए जिस प्रकार तुमने मस्सा में किया। 17 तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर के आदेशों के पालन के लिए दृढ़ निश्चय रखना चाहिए। तुम्हें उसके सभी उन उपदेशों और नियमों का पालन करना चाहिए जिन्हें उसने तुमको दिया है। 18 तुम्हें वे बातें करनी चाहिए जो ठीक और अच्छी अर्थात् यहोवा को प्रसन्न करने वाली हों। तब तुम्हारे लिये हर एक बात ठीक होगी और तुम उस अच्छे देश में जा सकते हो जिसके लिए यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों को वचन दिया था 19 और तुम अपने सभी शत्रुओं को बलपूर्वक बाहर निकाल सकोगे, जैसा यहोवा ने कहा है।

अपने बच्चों को परमेश्वर के कार्यों की शिक्षा दो

20 “भविष्य में, तुम्हारा पुत्र तुमसे यह पूछ सकता हे कि ‘यहोवा हमारे परमेश्वर ने हमें जो उपदेश, विधि और नियम दिये, उनका अर्थ क्या है?’ 21 तब तुम अपने पुत्र से कहोगे, ‘हम मिस्र में फिरौन के दास थे, किन्तु यहोवा हमें बड़ी शक्ति से मिस्र से बाहर लाया। 22 यहोवा ने हमें महान, भयंकर चिन्ह और चमत्कार दिखाए। हम लोगों ने उनके द्वारा इन घटनाओं को मिस्र के लोगों, फिरौन और फिरौन के महल के लोगों के साथ होते देखा 23 और यहोवा हम लोगों को मिस्र से इसलिए लाया कि वह वो देश हमें दे सके जिसके लिए उसने हमारे पूर्वजों को वचन दिया था। 24 यहोवा ने हमें इन सभी उपदेशों के पालन का आदेश दिया। इस प्रकार हम लोग यहोवा, अपने परमेश्वर का सम्मान करते हैं। तब यहोवा सदा हम लोगों को जीवित रखेगा और हम अच्छा जीवन बिताएंगे जैसा इस समय है। 25 यदि हम इन सारे नियमों का पालन परमेश्वर के निर्देशों के आधार पर करते हैं तो परमेश्वर हमें अच्छाईयों से भर देगा।’

इस्राएल, परमेश्वर के विशेष लोग

7“यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें उस देश में ले जायेगा जिसे अपना बनाने के लिए तुम उसमें जा रहे हो। यहोवा तुम्हारे लिए बहुत से राष्ट्रों को बलपूर्वक हटाएगा—हित्ती, गिर्गाशी, एमोरी, कनानी, परिज्जी, हिब्बी और यबूसी, सात तुमसे बड़े और अधिक शक्तिशाली राष्ट्रों को । 2 यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर इन राष्ट्रों को तुम्हारे अधीन करेगा और तुम उन्हें हराओगे। तुम्हें उन्हें पूरी तरह नष्ट कर देना चाहिए। उनके साथ कोई सन्धि न करो। उन पर दया न करो। 3 उन लोगों में से किसी के साथ विवाह न करो, और उन राष्ट्रों के किसी व्यक्ति के साथ अपने पुत्र और पुत्रियों का विवाह न करो। 4 क्यों? क्योंकि वे लोग तुम्हें परमेश्वर से दूर ले जायेगें, इसलिये तुम्हारे बच्चे दूसरे देवताओं की सेवा करेंगे और यहोवा तुम पर बहुत क्रोधित होगा। वह शीघ्रता से तुम्हें नष्ट कर देगा।

बनावटी देवताओं को नष्ट करने का आदेश

5 “तुम्हें इन राष्ट्रों के साथ यह करना चाहिएः तुम्हें उनकी वेदियाँ नष्ट करनी चाहिए और विशेष पत्थरों को टुकड़ों मे तोड़ डालना चाहिए। उनके अशेरा स्तम्भों को काट डालो और उनकी मूतिर्यों को जला दो! 6 क्यों? क्योंकि तुम यहोवा के अपने लोग हो। तुम योहवा की निज सम्पत्ति हो। संसार के सभी लोगों में से योहवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें विशेष लोग, ऐसे लोग जो उसके अपने हैं, चुना। 7 यहोवा तुमसे क्यों प्रेम करता है और तुम्हें उसने क्यों चुना? इसलिए नहीं कि अन्य लोगों की तुलना में तुम्हारी संख्या बहुत अधिक है। तुम सभी लोगों में सबसे कम थे। 8 किन्तु यहोवा तुमको अपनी बड़ी शक्ति के द्वारा मिस्र के बाहर लाया। उसने तुम्हें दासता से मुक्त किया। उसने मिस्र के सम्राट फिरौन की अधीनता से तुम्हें स्वतन्त्र किया। क्यों? क्योंकि यहोवा तुमसे प्रेम करता है और तुम्हारे पूर्वजों को दिए गए वचन को पूरा करना चाहता था।

9 “इसलिए याद रखो कि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर ही एकमात्र परमेश्वर है, और वही विश्वसनीय है! वह अपनी वाचा को पूरा करता है। वह उन सभी लोगों से प्रेम करता तथा उन पर दया करता है जो उससे प्रेम करते और उसके आदेशों का पालन करते हैं। वह हजारों पीढ़ीयों तक प्रेम और दया करता रहता है। 10 किन्तु यहोवा उन लोगों को दण्ड देता है जो उससे घृणा करते हैं। वह उनको नष्ट करेगा। वह उस व्यक्ति को दण्ड देने में देर नहीं करेगा जो उससे घृणा करता है। 11 इसलिए तुम्हें उन आदेशों, विधियों और नियमों के पालन में सावधान रहना चाहिए जिन्हें मैं आज तुम्हें दे रहा हूँ।

12 “यदि तुम मेरे इन नियमों पर ध्यान दोगे और उनके पालन में सावधान रहोगे तो यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुमसे प्रेम की वाचा का पालन करेगा। उसने यह वचन तुम्हारे पूर्वजों को दिया था। 13 वह तुमसे प्रेम करेगा और तुम्हें आशीर्वाद देगा। तुम्हारे राष्ट्र में लोग बराबर बढ़ते जाएंगे। वह तुम्हें बच्चे होने का आशीर्वाद देगा। वह तुम्हारे खेतों में अच्छी फसल का आशीर्वाद देगा वह तुम्हें अन्न, नई दाखमधु और तेल देगा। वह तुम्हारी गायों को बछड़े और तुम्हारी भेड़ों को मेमने पैदा करने का आशीर्वाद देगा। तुम वे सभी आशीर्वाद उस देश में पाओगे जिसे तुम्हें देने का वचन यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों को दिया था।

14 “तुम अन्य लोगों से अधिक आशीर्वाद पाओगे। हर एक पति—पत्नी बच्चे उत्पन्न करने योग्य होंगे। तुम्हारे पशु बछड़े उत्पन्न करने योग्य होंगे। 15 और यहोवा तुमसे सभी बीमारियों को दूर करेगा। यहोवा तुमको उन भयंकर बीमारियों से बचायेगा तथा उन भयंकर बीमारियों को उन सभी लोगों को देगा जो तुमसे घृणा करते हैं। 16 तुम्हें उन सभी लोगों को नष्ट करना चाहिए जिन्हें हराने में यहोवा तुम्हारा परमेश्वर सहायता करता है। उन पर दया न करो। उनके देवताओं की सेवा न करो! क्यों? क्योंकि यदि तुम उनके देवताओं की सेवा करोगे तो तुम्हें दण्ड भुगतना होगा।

यहोवा अपने लोगों को सहायता का वचन देता है

17 “अपने मन में यह न सोचो, ‘ये राष्ट्र हम लोगों से अधिक शक्तिशाली हैं। हम उन्हें बलपूर्वक कैसे भगा सकते हैं?’ 18 तुम्हें उनसे डरना नहीं चाहिए। तुम्हें वह याद रखना चाहिए जो परमेशवर, तुम्हारे यहोवा ने फिरौन और मिस्र के लोगों के साथ किया। 19 जो बड़ी विपत्तियाँ उसने दीं तुमने उन्हें देखा। तुमने उसके किये चमत्कार और आश्चर्यों को देखा। तुमने यहोवा की बड़ी शक्ति और दृढ़ता को, तुम्हें बाहर लाने में उपयोग करते देखा। यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर उसी शक्ति का उपयोग उन लोगों के विरुद्ध करेगा जिनसे तुम डरते हो।

20 “यहोवा तुम्हारा परमेश्वर, बड़ी बर्रो को उन सभी लोगों का पता लगाने के लिए भेजेगा जो तुमसे भागे हैं और अपने को छिपाया है। यहोवा उन सभी लोगों को नष्ट करेगा। 21 तुम उनसे डरो नहीं क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारे साथ है। वह महान और विस्मयकारी परमेश्वर है। 22 यहोवा तुम्हारा परमेश्वर उन राष्ट्रों को तुम्हारा देश थोड़ा—थोड़ा करके छोड़ने को विवश करेगा। तुम उन्हें एक ही बार में सभी को नष्ट नहीं कर पाओगे। यदि तुम ऐसा करोगे तो जंगली जानवरों की संख्या तुम्हारी तुलना में अधिक हो जाएगी। 23 किन्तु यहोवा तुम्हारा परमेश्वर उन राष्ट्रों को तुमको देगा। यहोवा उनको युद्ध में भ्रमित कर देगा, जब तक वे नष्ट नहीं होते। 24 यहोवा तुम्हें उनके राजाओं को हराने में सहायता करेगा। तुम उन्हें मार डालोगे और संसार भूल जाएगा कि वे कभी थे। कोई भी तुम लोगों को रोक नहीं सकेगा। तुम उन सभी को नष्ट करोगे!

25 “तुम्हें उनके देवताओं की मूर्तियों को जला देना चाहिए। तुम्हें उन मूर्तियों पर मढ़े सोने या चाँदी को लेने की इच्छा नहीं रखनी चाहीए। तुम्हें उस सोने और चाँदी को अपने लिए नहीं लेना चाहिए। यदि तुम उसे लोगे तो दण्ड पाओगे। क्यो? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर उन मूर्तियों से घृणा करता है 26 और तुम्हें अपने घर मे उन मूर्तियों में से कोई लानी नहीं चाहिए जिनसे यहोवा घृणा करता है। यदि तुम उन मूर्तियों को अपने घर में लाते हो तो तुम मूर्तियों की तरह नष्ट हो जाओगे। तुम्हें उन मूर्तियों से घृणा करनी चाहिए। तुम्हें उनसे तीव्र घृणा करनी चाहिए! यहोवा ने उन मूर्तियों को नष्ट करने की प्रतिज्ञा की है!

यहोवा को याद रखो

8“तुम्हें आज जो आदेश दे रहा हूँ उसे ध्यान से सुनना और उनका पालन करना चाहिए। क्योंकि तब तुम जीवित रहोगे। तुम्हारी संख्या अधिक से अधिक होती जाएगी। तुम उस देश में जाओगे और उसमें रहोगे जिसे यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों को देने का वचन दिया है 2 और तुम्हें उस लम्बी यात्रा को याद रखना है जिसे यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने मरुभूमि में चालीस वर्ष तक काराई है। यहोवा तुम्हारी परीक्षा ले रहा था। वह तुम्हें विनम्र बनाना चाहता था। वह चाहता था कि वह तुम्हारे हृदय की बात जाने कि तुम उसके आदेशों का पालन करोगे या नहीं। 3 यहोवा ने तुमको विनम्र बनाया और तुम्हें भूखा रहने दिया। तब उसने तुम्हें मन्ना खिलाया, जिसे तुम पहले से नहीं जानते थे, जिसे तुम्हारे पूर्वजों ने कभी नहीं देखा था। यहोवा ने यह क्यों किया? क्योंकि वह चाहता था कि तुम जानो कि केवल रोटी ही ऐसी नहीं है जो लोगों को जीवित रखती है। लोगों का जीवन यहोवा के वचन पर आधारित है। 4 इन पिछले चालीस वर्षों में तुम्हारे वस्त्र फटे नहीं और यहोवा ने तुम्हारे पैरों की रक्षा सूजन से भी की। 5 इसलिए तुम्हें जानना चाहिए कि यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें शिक्षित करने और सुधारने के लिए वह सब वैसे ही किया जैसे कोई पिता अपने पुत्र की शिक्षा के लिए करता है।

6 “तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन करना चाहिए। उसके बताए मार्ग पर जीवन बिताओ और उसका सम्मान करो। 7 यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें एक अच्छे देश में ले जा रहा है, ऐसे देश में जिसमें नदियाँ और पानी के ऐसे सोते हैं जिनसे जमीन से पानी घाटियों और पहाड़ियों में बहता है। 8 यह ऐसा देश है जिसमें गेहूँ, जौ, अंगूर की बेलें, अंजीर के पेड़ और अनार होते हैं। यह ऐसा देश है जिसमें जैतून का तेल और शहद होता है। 9 वहाँ तुम्हें बहुत अधिक भोजन मिलेगा। तुम्हें वहाँ किसी चीज की कमी नहीं होगी। यह ऐसा देश है जहाँ लोहे की चट्टाने हैं। तुम पहाड़ियों से तांबा खोद सकते हो। 10 तुम्हारे खाने के लिए पर्याप्त होगा और तुम संतुष्ट होगे। तब तुम यहोवा अपने परमेश्वर की प्रशंसा करोगे कि उसने तुम्हें ऐसा अच्छा देश दिया।

यहोवा के कार्यों को मत भूलो

11 “सावधान रहो, यहोवा अपने परमेश्वर को न भूलो। सावधान रहो कि आज मैं जिन आदेशों, विधियों और नियमों को दे रहा हूँ उनका पालन हो। 12 तुम्हारे खाने के लिए बहुत अधिक होगा और तुम अच्छे मकान बनाओगे और उनमें रहोगे। 13 तुम्हारे गाय, मवेशी और भेड़ों के झुण्ड बहुत बड़े होंगे, तुम अधिक से अधिक सोना और चाँदी पाओगे और तुम्हारे पास बहुत सी चीजें होंगी। 14 जब ऐसा होगा तो तुम्हें सावधान रहना चाहिए कि तुम्हें घमण्ड न हो। तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर को नहीं भूलना चाहिए। वह तुमको मिस्र से लाया, जहाँ तुम दास थे। 15 यहोवा तुम्हें विशाल और भयंकर मरुभूमि से लाया। जहरीले साँप और बिच्छु उस मरुभूमि में थे। जमीन शुष्क थी और कहीं पानी नहीं था। किन्तु यहोवा ने चट्टान के नीचे से पानी दिया। 16 मरुभूमि में यहोवा ने तुम्हें मन्ना खिलाया, ऐसी चीज जिसे तुम्हारे पूर्वज कभी नहीं जान सके। यहोवा ने तुम्हारी परिक्षा ली। क्यों? क्योंकि यहोवा तुमको विनम्र बनाना चाहता था। वह चाहता था कि अन्ततः तुम्हारा भला हो। 17 अपने मन में कभी ऐसा न सोचो, ‘मैंने यह सारी सम्पत्ति अपनी शक्ति और योग्यता से पाई है।’ 18 यहोवा अपने परमेश्वर को याद रखो। याद रखो कि वह ही एक है जो तुम्हें ये कार्य करने की शक्ति देता है। यहोवा ऐसा क्यों करता है? क्योंकि इन दिनों वह तुम्हारे पूर्वजों के साथ की गई वाचा को पूरा कर रहा है।

19 “यहोवा अपने परमेश्वर को कभी न भूलो। तुम किसी दूसरे देवता की पूजा या सेवा के लिए उसका अनुसरण न करो! यदि तुम ऐसा करोगे तो मैं तुम्हें आज चेतावनी देता हूँ तुम निश्चय ही नष्ट कर दिये जाओगे! 20 यहोवा तुम्हारे लिए अन्य राष्ट्रों को नष्ट कर रहा है। तुम भी उन्हीं राष्ट्रों की तरह नष्ट हो जाओगे जिन्हें यहोवा तुम्हारे सामने नष्ट कर रहा है। यह होगा क्योंकि तुमने यहोवा अपने परमेश्वर की आज्ञा का पालन नहीं किया।

समीक्षा

आंतरिक प्रेम

पुराने नियम का केंद्र प्रेम करना है, जैसा कि नये नियम में है. ' तू अपने परमेश्वर यहोवा से अपने सारे हृदय, सारे मन, और सारे जीव, और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना' (6:5). यहाँ पर इब्रानी शब्द किये गए किसी भी अनुवाद से ज्यादा प्रभावशाली है, जो चारों तरफ अनुवाद का उपयोग करते हुए नये नियम में प्रतिबिंबित होता है (हृदय, प्राण, शक्ति, मन). इस वाक्यांश का अर्थ पूरा जीवन है, जिसमें मन और इच्छा दोनों शामिल हैं.

परमेश्वर का हमेशा से यह उद्देश्य रहा है कि प्रेम का नियम आंतरिक हो – हृदय में: ' और ये आज्ञाएं जो मैं आज तुझ को सुनाता हूं वे तेरे मन में बनी रहें' (व.6).

परमेश्वर के लिए आपका प्यार, उनके लिए आपके प्यार से प्रवाहित होता है. आपके लिए उनका प्यार किसी स्वाभाविक गुण पर निर्भर नहीं है जो आपके पास है. यह परमेश्वर का अनुग्रह है – हमारे पाप, हमारी कमजोरियाँ और हमारी असफलताओं के बावजूद हम से प्रेम करना. ' यहोवा ने जो तुम से स्नेह करके तुम को चुन लिया, इसका कारण यह नहीं था कि तुम गिनती में और सब देशों के लोगों से अधिक थे, किन्तु तुम तो सब देशों के लोगों से गिनती में थोड़े थे. इसका यही करण है कि वह तुम से प्रेम रखता है' (7:7-8अ).

परमेश्वर अपने चरित्र और विश्वासयोग्यता के कारण आप पर अपना प्रेम बरसाते हैं: ' तेरा परमेश्वर यहोवा भी करूणामय वाचा को पालेगा..... वह तुझ से प्रेम रखेगा, और तुझे आशीष देगा, और गिनती में बढ़ाएगा' (वव.12-13).

परमेश्वर के साथ घनिष्ठ और प्रेमपूर्ण संबंध रखने के लिए आपको बुलाया गया है. मगर, अध्याय छ: में तीन बातें दी गई हैं:

  1. आसपास की मूर्ति पूजा के कारण परमेश्वर को त्यागने से होने वाला खतरा – ' हमारा परमेश्वर है, यहोवा एक ही है' (6:4).

 अपने आसपास की संस्कृति और अपने आसपास के लोगों की मान्यताओं को अपनाने की लालसा बनी रहती है. मगर, परमेश्वर चाहते हैं कि अपने  आसपास के लोगों के अनुरूप बनने का प्रयास करने के बजाय आप परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य बने रहें, (व्यवस्थाविवरण अध्याय 7 इसे विस्तार से  समझाता है).

  1. मुश्किलों के कारण परमेश्वर पर संदेह करने का खतरा – 'परमेश्वर की परीक्षा न करना' (6:16):

 जब परेशानियाँ आती हैं, तो यह सोचने का दिल करता है कि परमेश्वर आपका ख्याल नहीं रखते, लेकिन आपको परमेश्वर की विश्वासयोग्यता और उनके वचनों को पकड़े रखना है. (व्यवस्थाविवरण 8:1-5 इस चुनौती को और भी खोलता है.)

 परमेश्वर आपको दु:ख और परीक्षा में से जाने देते हैं ताकि आप इस अनुभव द्वारा कुछ सीख सकें कि उनकी इच्छा के अनुसार चीजों का करना सबसे अच्छा तरीका है. यदि आप जीवन की मुश्किल घड़ी (तराई) में उनकी सेवा और आराधना नहीं करेंगे, तो शायद आप अच्छे समय में (पर्वत की चोटी पर) उनकी सेवा और आराधना नहीं कर पाएंगे. याद रखिये पर्वत की चोटी आपको प्रोत्साहित करती है लेकिन तराई आपको परिपक्व करती है.

  1. किसी प्रभाव की वजह से परमेश्वर को भूलने का खतरा – चाहें यह व्यक्तिगत संपत्ति हो या 'मूर्तियां' हों – संतुष्ट न होना: ' मनुष्य केवल रोटी ही से जीवित नहीं रहता, परन्तु जो वचन यहोवा के मुंह से निकलते हैं उन ही से वह जीवित रहता है' (8:3).

 यीशु ने इस वचन का उल्लेख किया जब जंगल में गलत तरीके से भूख मिटाने के लिए शैतान द्वारा उनकी परीक्षा हो रही थी. शैतान ने उनकी प्रतिक्रिया की कि यह आंतरिक जीवन है – आंतरिक भूख – जो कि भौतिक चीजों से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है. यह आंतरिक भूख केवल वचनों से मिट सकती है जो परमेश्वर के मुख से निकलते हैं.

चाहें आप भौतिक रूप से अच्छे हैं या नहीं, आपके जीवन का केंद्र आपका आंतरिक जीवन होना चाहिये जिसे केवल गहरी आंतरिक चाह द्वारा ही तृप्त किया जा सकता है जिसे परमेश्वर हरएक मनुष्य के हृदय में डालते हैं.

प्रार्थना

प्रभु, मेरे लिए आपके अद्भुत प्रेम को देने के लिए आपका धन्यवाद. आपको धन्यवाद कि आपने मुझ से प्रेम करने और मुझे आशीष देने का वायदा किया है. संपूर्ण हृदय और प्राण और शक्ति से आपसे प्रेम करने के लिए मेरी मदद कीजिये.

पिप्पा भी कहते है

व्यवस्थाविवरण 6:12; 8:1,11

'सावधान रहो.'

मैंने इतने सालों में अपने बच्चों से यह हजार बार कहा होगा और अब भी कहती हूँ! यह ज्यादातर उनकी शारीरिक सुरक्षा के लिए है, लेकिन उनकी आत्मिक सुरक्षा इससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है.

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संदर्भ

नोट्स:

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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