दिन 13

गति तेज़ करने के लिए तीन कुँजियाँ

बुद्धि भजन संहिता 9:1-6
नए करार मत्ती 10:32-11:15
जूना करार उत्पत्ति 27:1-28:22

परिचय

कुछ साल पहले, मैं और पिपा को समरसेट में एक संगोष्ठी में बोलने के लिए कहा गया, जो कि दक्षिण पश्चिमी इंग्लैंड में है। लंदन से वहाँ तक जाने में तीन घंटे लगने चाहिये थे। हालाँकि, यह सच में एक गरम दिन था और हमारे आगे एक भूँसे से भरे वैगन में आग लग गई और यह पूरे मार्ग पर फैल गया, इसके परिणाम स्वरूप मार्ग का कुछ हिस्सा पिघल गया था। हम फंस गए थे, पाँच घंटों तक लगभग रूके हुए थे। अंत में हमें बड़ी राहत मिली जब हमारे आगे बढ़ने यानि गति तेज़ करने का समय आया।

हमारे व्यक्तिगत जीवन में, चर्च जीवन में और सेविकाई में भी ऐसा समय आता है जब हमें लगता है कि हम फंस गए हैं और आगे नहीं बढ़ पाते। जबकि किसी और समय में, मार्ग खुलता हुआ नज़र आता है और ‘यह समय आगे बढ़ने का’ होता है।

स्पष्ट रूप से, फोर्मूला 1 रेसिंग ड्राइवर्स को असाधारण रूप से स्वस्थ्य और शारीरिक रूप से मज़बूत होना पड़ता है क्योंकि रेस के दौरान उनके शरीर में ज़ोर से बल लगता है। हमारे आज के पद्यांशों में, हम देखते हैं गति तेज़ करने के लिए हम तीन कुँजीयों को देखते हैं जो कि रोमांचक और चुनौतीपूर्ण हैं 

बुद्धि

भजन संहिता 9:1-6

अलामौथ बैन राग पर आधारित दाऊद का पद: संगीत निर्देशक के लिये।

9मैं अपने सम्पूर्ण मन से यहोवा की स्तुति करता हूँ।
 हे यहोवा, तूने जो अद्भुत कर्म किये हैं, मैं उन सब का वर्णन करुँगा।
2 तूने ही मुझे इतना आनन्दित बनाया है।
 हे परम परमेश्वर, मैं तेरे नाम के प्रशंसा गीत गाता हूँ।
3 जब मेरे शत्रु मुझसे पलट कर मेरे विमुख होते हैं,
 तब परमेश्वर उनका पतन करता और वे नष्ट हो जाते हैं।

4 तू सच्चा न्यायकर्ता है। तू अपने सिंहासन पर न्यायकर्ता के रुप में विराजा।
 तूने मेरे अभियोग की सुनवाई की और मेरा न्याय किया।
5 हे यहोवा, तूने उन शत्रुओं को कठोर झिड़की दी
 और हे यहोवा, तूने उन दुष्टों को नष्ट किया।
 उनके नाम तूने जीवितों की सूची से सदा सर्वदा के लिये मिटा दिये।
6 शत्रु नष्ट हो गया है!
 हे यहोवा, तूने उनके नगर मिटा दिये हैं! उनके भवन अब खण्डहर मात्र रह गये हैं।
 उन बुरे व्यक्तियों की हमें याद तक दिलाने को कुछ भी नहीं बचा है।

समीक्षा

विरोध को स्वीकारें

गति में वृद्धि होने के कारण विरोध में बढ़ोतरी हो सकती है। आपका प्रोफाइल जितना ऊँचा होगा, आप उतनी ही ज़्यादा आलोचना स्वीकार कर सकते हैं। परमेश्वर के लोगों ने हमेशा विरोध का सामना किया है। दाऊद ने अनेक ‘शत्रुओं’ का सामना किया था (भजन संहिता 9:3-6)। विरोधी और शत्रु अत्यंत दु:खदायी और संकटमय होते हैं। फिर भी, मसीह में आप से वायदा किया गया है कि अंत में आप विजयी होंगे।

हम आज के लिए दिये गए भजन संहिता में इसका पूर्वानुभव देखते हैं। दाऊद ने विजय के लिए स्तुति की: ‘हे यहोवा परमेश्वर मैं अपने पूर्ण मन से तेरा धन्यवाद करूंगा; मैं तेरे सब आश्चर्य कर्मों का वर्णन करूंगा। मैं तेरे कारण आनन्दित और प्रफुल्लित होऊंगा, हे परमप्रधान, मैं तेरे नाम का भजन गाऊंगा.. जब मेरे शत्रु पीछे हटते हैं, ’ (पद - 1-3)।

हम शत्रुओं से भरे संसार में रहते हैं। यीशु ने हमें चिताया है कि, ‘यह मत सोचो कि मैं तुम्हें एक सुखद जीवन देने आया हूँ’ (मत्ती 10:34, एम.एस.जी.)। यीशु कहते हैं, ‘विरोध से अचंभित न होना।’ मेल - मिलाप करानेवाले और शांति लानेवाले बनो (5:9,38-48)। आपको प्रतिशोध का अंत करने के लिए बुलाया गया है। तब भी, उनकी ओर से भी विरोध आ सकता है जो आपके करीब हैं (10:34-36)।

आजकल दुनिया में यीशु को मानने वाले लाखों लोग शारीरिक सताव का सामना कर रहे हैं, सिर्फ इसलिए क्योंकि वे विश्वास करते हैं। कुछ लोग सरकार से राष्ट्रीय या स्थानीय स्तर पर विरोध, दबाव, पक्षपात का सामना करते हैं।

आप अपने जीवन में इस तरह के विरोध का सामना शायद ना करें, लेकिन आपको किसी विरोध की अपेक्षा करना ज़रूरी है – चाहें विरोधी मीडिया से, दोस्तों से या फिर परिवार से, जो आपके विश्वास को नहीं जानते, या अपने सहयोगियों से जो उसके साथ असहमत हैं जिसके लिए आप खड़े हैं।

प्रार्थना

प्रभु, विरोध के समय में, मैं अपने पूरे दिल से आपकी स्तुति करूँगा। मैं आपके आश्चर्य के कामों का वर्णन करूँगा। और मैं आपमें प्रसन्न और आनंदित रहूँगा (भजन संहिता 9:1-2अ)।

नए करार

मत्ती 10:32-11:15

यीशु में विश्वास

32 “जो कोई मुझे सब लोगों के सामने अपनायेगा, मैं भी उसे स्वर्ग में स्थित अपने परम-पिता के सामने अपनाऊँगा। 33 किन्तु जो कोई मुझे सब लोगों के सामने नकारेगा, मैं भी उसे स्वर्ग में स्थित परम-पिता के सामने नकारूँगा।

यीशु के पीछे चलने से परेशानियाँ आ सकती हैं

34 “यह मत सोचो कि मैं धरती पर शांति लाने आया हूँ। शांति नहीं बल्कि मैं तलवार का आवाहन करने आया हूँ। 35 मैं यह करने आया हूँ:

‘पुत्र, पिता के विरोध में,
पुत्री, माँ के विरोध में,
बहू, सास के विरोध में होंगे।
36 मनुष्य के शत्रु, उसके अपने घर के ही लोग होंगे।’

37 “जो अपने माता-पिता को मुझसे अधिक प्रेम करता है, वह मेरा होने के योग्य नहीं है। जो अपने बेटे बेटी को मुझसे ज्या़दा प्यार करता है, वह मेरा होने के योग्य नहीं है। 38 वह जो यातनाओं का अपना क्रूस स्वयं उठाकर मेरे पीछे नहीं हो लेता, मेरा होने के योग्य नहीं है। 39 वह जो अपनी जान बचाने की चेष्टा करता है, अपने प्राण खो देगा। किन्तु जो मेरे लिये अपनी जान देगा, वह जीवन पायेगा।

जो आपका स्वागत करेगा परमेश्वर उन्हें आशीष देगा

40 “जो तुम्हें अपनाता है, वह मुझे अपनाता है और जो मुझे अपनाता है, वह उस परमेश्वर को अपनाता है, जिसने मुझे भेजा है। 41 जो किसी नबी को इसलिये अपनाता है कि वह नबी है, उसे वही प्रतिफल मिलेगा जो कि नबी को मिलता है। और यदि तुम किसी भले आदमी का इसलिये स्वागत करते हो कि वह भला आदमी है, उसे सचमुच वही प्रतिफल मिलेगा जो किसी भले आदमी को मिलना चाहिए। 42 और यदि कोई मेरे इन भोले-भाले शिष्यों में से किसी एक को भी इसलिये एक गिलास ठंडा पानी तक दे कि वह मेरा अनुयायी है, तो मैं तुमसे सत्य कहता हूँ कि उसे इसका प्रतिफल, निश्चय ही, बिना मिले नहीं रहेगा।”

यीशु और बपतिस्मा देने वाला यूहन्ना

11अपने बारह शिष्यों को इस प्रकार समझा चुकने के बाद यीशु वहाँ से चल पड़ा और गलील प्रदेश के नगरों मे उपदेश देता घूमने लगा।

2 यूहन्ना ने जब जेल में यीशु के कामों के बारे मॆं सुना तो उसने अपने शिष्यों के द्वारा संदेश भेजकर 3 पूछा कि “क्या तू वही है ‘जो आने वाला था’ या हम किसी और आने वाले की बाट जोहें?”

4 उत्तर देते हुए यीशु ने कहा, “जो कुछ तुम सुन रहे हो, और देख रहे हो, जाकर यूहन्ना को बताओ कि, 5 अंधों को आँखें मिल रही हैं, लूले-लंगड़े चल पा रहे हैं, कोढ़ी चंगे हो रहे हैं, बहरे सुन रहे हैं और मरे हुए जिलाये जा रहे हैं। और दीन दुःखियों में सुसमाचार का प्रचार किया जा रहा है। 6 वह धन्य हैं जो मुझे अपना सकता है।”

7 जब यूहन्ना के शिष्य वहाँ से जा रहे थे तो यीशु भीड़ में लोगों से यूहन्ना के बारे में कहने लगा, “तुम लोग इस बियाबान में क्या देखने आये हो? क्या कोई सरकंडा? जो हवा में थरथरा रहा है। नहीं! 8 तो फिर तुम क्या देखने आये हो? क्या एक पुरुष जिसने बहुत अच्छे वस्त्र पहने हैं? देखो जो उत्तम वस्त्र पहनते हैं, वो तो राज भवनों में ही पाये जाते हैं। 9 तो तुम क्या देखने आये हो? क्या कोई नबी? हाँ मैं तुम्हें बताता हूँ कि जिसे तुमने देखा है वह किसी नबी से कहीं ज्या़दा है। 10 यह वही है जिसके बारे में शास्त्रों में लिखा है:

‘देख, मैं तुझसे पहले ही अपना दूत भेज रहा हूँ।
वह तेरे लिये राह बनायेगा।’

11 “मैं तुझसे सत्य कहता हूँ बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना से बड़ा कोई मनुष्य पैदा नहीं हुआ। फिर भी स्वर्ग के राज्य में छोटे से छोटा व्यक्ति भी यूहन्ना से बड़ा है। 12 बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना के समय से आज तक स्वर्ग का राज्य भयानक आघातों को झेलता रहा है और हिंसा के बल पर इसे छीनने का प्रयत्न किया जाता रहा है। 13 यूहन्ना के आने तक सभी भविष्यवक्ताओं और मूसा की व्यवस्था ने भविष्यवाणी की थी, 14 और यदि तुम व्यवस्था और भविष्यवक्ताओं ने जो कुछ कहा, उसे स्वीकार करने को तैयार हो तो जिसके आने की भविष्यवाणी की गयी थी, यह यूहन्ना वही एलिय्याह है। 15 जो सुन सकता है, सुने!

समीक्षा

त्याग करें

यीशु अपने शिष्यों को बुलाते हैं जो उनकी खातिर सब कुछ त्यागने के लिए तैयार हैं: ‘जो माता या पिता को मुझ से अधिक प्रिय जानता है, वह मेरे योग्य नहीं और जो बेटा या बेटी को मुझ से अधिक प्रिय जानता है, वह मेरे योग्य नहीं’ (10:37)। यीशु के लिए आपका प्यार उससे बढ़कर होना चाहिये जो आपके सबसे करीब लोगों के लिए है।

यीशु आगे कहते हैं, ‘और जो अपना क्रूस लेकर मेरे पीछे न चले वह मेरे योग्य नहीं। जो अपने प्राण बचाता है, वह उसे खोएगा; और जो मेरे कारण अपना प्राण खोता है, वह उसे पाएगा। ’ (पद - 38-39)। शायद प्रेरित पौलुस का यही मतलब था, कि वे हमें ‘अपना शरीर एक जीवित बलि के रूप में देने के लिए कहते हैं’ (रोमियों 12:1)।

यही तरीका है जिसमें आप अपने जीवन के लिए परमेश्वर की इच्छा जान पाएंगे, ‘उनकी भली, भावती और सिद्ध इच्छा’ (पद - 2)। यदि आप चाहते हैं कि परमेश्वर आपका उपयोग करें, यदि आप गति-वृद्धि चाहते हैं, तो आपको इस तरह के बलिदान के लिए तैयार रहना चाहिये।

यीशु की सेवा में आप जो भी करते हैं वह व्यर्थ नहीं जाता। यीशु कहते हैं, ‘जो कोई इन छोटों में से एक को चेला जानकर केवल एक कटोरा ठंडा पानी पिलाए, मैं तुम से सच कहता हूं, वह किसी रीति से अपना प्रतिफल न खोएगा’ (मत्ती 10:42, एम.एस.जी.)।

मार्टिन ऑफ टूर्स (ईसा पश्चात् 316-397) यह ईसा पश्चात् 371 में टुर, फ्रांस के बिशप थे। एक ठंडी रात में, घोड़े की पीठ पर सवारी करते हुए, वे एक भिखारी के पास से गुज़रे। मार्टिन अपने घोड़े से उतरे, अपनी पोशाक को दो टुकड़ों में फाड़ा और आधा उस भिखारी को दे दिया। उस रात, मार्टिन को स्वप्न आया जिसमें उसने देखा कि यीशु उस पोशाक को पहने हुए हैं जिसे कंधों पर से दो भागों में फाड़ दिया गया था। जब उनसे पूछा गया कि यह आपको कहाँ से मिला, तो यीशु ने उत्तर दिया, ‘मेरे सेवक मार्टिन ने मुझे दिया है।’

मत्ती के अगले पद्यांश में इस विरोधी दुनिया में यीशु बलिदान को शायद उनके साथ पहचाने जाने से संदर्भित करते हैं। वे कहते हैं, ‘जो कोई मनुष्यों के सामने मुझे मान लेगा, उसे मैं भी अपने स्वर्गीय पिता के सामने मान लूंगा। पर जो कोई मनुष्यों के सामने मेरा इन्कार करेगा उसे मैं भी अपने स्वर्गीय पिता के सामने इन्कार करूंगा। ’ (पद - 32-33)।

यीशु को ‘मानना’ विरोध और परेशानी खड़ी कर सकता है। कई आरंभिक शिष्यों के लिए इसका मतलब है, ‘अपना क्रूस उठाकर उनके पीछे हो लेना ’ (पद - 38), बल्कि मृत्यु तक। हमारे लिए यह कीमत अलग हो सकती है, लेकिन हमें इसी पूर्ण बलिदान के लिए बुलाया गया है।

प्रार्थना

प्रभु, बलिदान देने में मेरी मदद कीजिये। अपना क्रूस उठाकर आपके पीछे चलने में मेरी मदद कीजिये। आपके साथ पहचाने जाने में और चाहें जो भी परिस्थिति हो उसमें आपको मानने के लिए शर्म न करने में मेरी मदद कीजिये। आज मैं अपने शरीर को जीवित बलिदान के रूप में समर्पित करता हूँ।

जूना करार

उत्पत्ति 27:1-28:22

वसीयत के झगड़े

27जब इसहाक बूढ़ा हो गया तो उसकी आँखें अच्छी न रहीं। इसहाक साफ—साफ नहीं देख सकता था। एक दिन उसने अपने बड़े पुत्र एसाव को बुलाया। इसहाक ने कहा, “पुत्र।”

एसाव ने उत्तर दिया, “हाँ, पिताजी।”

2 इसहाक ने कहा, “देखो, मैं बूढ़ा हो गया। हो सकता है मैं जल्दी ही मर जाऊँ। 3 अब तू अपना तरकश और धनुष लेकर, मेरे लिए शिकार पर जाओ। मेरे खाने के लिए एक जानवर मार लाओ। 4 मेरा प्रिय भोजन बनाओ। उसे मेरे पास लाओ, और मैं इसे खाऊँगा। तब मैं मरने से पहले तुम्हें आशीर्वाद दूँगा।” 5 इसलिए एसाव शिकार करने गया।

रिबका ने वे बातें सुन ली थीं, जो इसहाक ने अपने पुत्र एसाव से कहीं। 6 रिबका ने अपने पुत्र याकूब से कहा, “सुनो, मैंने तुम्हारे पिता को, तुम्हारे भाई से बातें करते सुना है। 7 तुम्हारे पिता ने कहा, ‘मेरे खाने के लिए एक जानवर मारो। मेरे लिए भोजन बनाओ और मैं उसे खाऊँगा। तब मैं मरने से पहले तुमको आशीर्वाद दूँगा।’ 8 इसलिए पुत्र सुनो। मैं जो कहती हूँ, करो। 9 अपनी बकरियों के बीच जाओ और दो नई बकरियाँ लाओ। मैं उन्हें वैसा बनाऊँगी जैसा तुम्हारे पिता को प्रिय है। 10 तब तुम वह भोजन अपने पिता के पास ले जाओगे और वह मरने से पहले तुमको ही आशीर्वाद देंगे।”

11 लेकिन याकूब ने अपनी माँ रिबका से कहा, “किन्तु मेरा भाई रोएदार है और मैं उसकी तरह रोएदार नहीं हूँ। 12 यदि मेरे पिता मुझको छूते हैं, यो जान जाएंगे कि मैं एसाव नहीं हूँ। तब वे मुझे आशीर्वाद नहीं देंगे। वे मुझे शाप देंगे क्योंकि मैंने उनके साथ चाल चलने का प्रयत्न किया।”

13 इस पर रिबका ने उससे कहा, “यदि कोई परेशानी होगी तो मैं अपना दोष मान लूँगी। जो मैं कहती हूँ करो। जाओ, और मेरे लिए बकरियाँ लाओ।”

14 इसलिए याकूब बाहर गया और उसने दो बकरियों को पकड़ा और अपनी माँ के पास लाया। उसकी माँ ने इसहाक की पसंद के अनुसार विशेष ढंग से उन्हें पकाया। 15 तब रिबका ने उस पोशाक को उठाया जो उसका बड़ा पुत्र एसाव पहन्ना पसंद करता था। रिबका ने अपने छोटे पुत्र याकूब को वे कपड़े पहना दिए। 16 रिबका ने बकरियों के चमड़े को लिया और याकूब के हाथों और गले पर बांध दिया। 17 तब रिबका ने अपना पकाया भोजन उठाया और उसे याकूब को दिया।

18 याकूब पिता के पास गया और बोला, “पिताजी।”

और उसके पिता ने पूछा, “हाँ पुत्र, तुम कौन हो?”

19 याकूब ने अपने पिता से कहा, “मैं आपका बड़ा पुत्र एसाव हूँ। आपने जो कहा है, मैंने कर दिया है। अब आप बैठें और उन जानवरों को खाएं जिनका शिकार मैंने आपके लिए किया है। तब आप मुझे आशीर्वाद दे सकते हैं।”

20 लेकिन इसहाक ने अपने पुत्र से कहा, “तुमने इतनी जल्दी शिकार करके जानवरों को कैसे मारा है?”

याकूब ने उत्तर दिया, “क्योंकि आपके परमेश्वर यहोवा ने मुझे जल्दी ही जानवरों को प्राप्त करा दिया।”

21 तब इसहाक ने याकूब से कहा, “मेरे पुत्र मेरे पास आओ जिससे मैं तुम्हें छू सकूँ। यदि मैं तुम्हें छू सकूँगा तो मैं यह जान जाऊँगा कि तुम वास्तव में मेरे पुत्र एसाव ही हो।”

22 याकूब अपने पिता इसहाक के पास गया। इसहाक ने उसे छुआ और कहा, “तुम्हारी आवाज़ याकूब की आवाज़ जैसी है। लेकिन तुम्हारी बाहें एसाव की रोंएदार बाहों की तरह हैं।” 23 इसहाक यह नहीं जान पाया कि यह याकूब है क्योंकि उसकी बाहें एसाव की बाहों की तरह रोएंदार थीं। इसलिए इसहाक ने याकूब को आशीर्वाद दिया।

24 इसहाक ने कहा, “क्या सचमुच तुम मेरे पुत्र एसाव हो?”

याकूब ने उत्तर दिया, “हाँ, मैं हूँ।”

याकूब के लिए “आशीर्वाद”

25 तब इसहाक ने कहा, “भोजन लाओ। मैं इसे खाऊँगा और तुम्हें आशीर्वाद दूँगा।” इसलिए याकूब ने उसे भोजन दिया और उसने खाया। याकूब ने उसे दाखमधु दी, और उसने उसे पिया।

26 तब इसहाक ने उससे कहा, “पुत्र, मेरे करीब आओ और मुझे चूमो।” 27 इसलिए याकूब अपने पिता के पास गया और उसे चूमा। इसहाक ने एसाव के कपड़ों की गन्ध पाई और उसको आशीर्वाद दिया। इसहाक ने कहा,

 “अहा, मेरे पुत्र की सुगन्ध यहोवा से वरदान पाए
  खेतों की सुगन्ध की तरह है।
 28 यहोवा तुम्हें बहुत वर्षा दे।
  जिससे तुम्हें बहुत फसल और दाखमधु मिले।
 29 सभी लोग तुम्हारी सेवा करें।
  राष्ट्र तुम्हारे सामने झुकें।
 तुम अपने भाईयों के ऊपर शासक होगे।
  तुम्हारी माँ के पुत्र तुम्हारे सामने झुकेंगे और तुम्हारी आज्ञा मानेंगे।
 हर एक व्यक्ति जो तुम्हें शाप देगा, शाप पाएगा
  और हर एक व्यक्ति जो तुम्हें आशीर्वाद देगा, आशीर्वाद पाएगा।”

एसाव को “आशीर्वाद”

30 इसहाक ने याकूब को आशीर्वाद देना पूरा किया। तब ज्योंही याकूब अपने पिता इसहाक के पास से गया त्योंही एसाव शिकार करके अन्दर आया। 31 एसाव ने अपने पिता की पसंद का विशेष भोजन बनाया। एसाव इसे अपने पिता के पास लाया। उसने अपने पिता से कहा, “पिताजी, उठें और उस भोजन को खाएं जो आपके पुत्र ने आपके लिए मारा है। तब आप मुझे आशीर्वाद दे सकते हैं।”

32 किन्तु इसहाक ने उससे कहा, “तुम कौन हो?”

उसने उत्तर दिया, “मैं आपका पहलौठा पुत्र एसाव हूँ।”

33 तब इसहाक बहुत झल्ला गया और बोला, “तब तुम्हारे आने से पहले वह कौन था? जिसने भोजन पकाया और जो मेरे पास लाया। मैंने वह सब खाया और उसको आशीर्वाद दिया। अब अपने आशीर्वादों को लौटाने का समय निकल चुका है।”

34 एसाव ने अपने पिता की बात सुनी। उसका मन बहुत गुस्से और कड़वाहट से भर गया। वह चीखा। वह अपने पिता से बोला, “पिताजी, तब मुझे भी आशीर्वाद दें।”

35 इसहाक ने कहा, “तुम्हारे भाई ने मुझे धोखा दिया। वह आया और तुम्हारा आशीर्वाद लेकर गया।”

36 एसाव ने कहा, “उसका नाम ही याकूब (चालबाज़) है। यह नाम उसके लिए ठीक ही है। उसका यह नाम बिल्कुल सही रखा गया है वह सचमुच में चालबाज़ है। उसने मुझे दो बार धोखा दिया। वह पहलौठा होने के मेरे अधिकार को ले ही चुका था और अब उसने मेरे हिस्से के आशीर्वाद को भी ले लिया। क्या आपने मेरे लिए कोई आशीर्वाद बचा रखा है?”

37 इसहाक ने जवाब दिया, “नहीं, अब बहुत देर हो गई। मैंने याकूब को तुम्हारे ऊपर शासन करने का अधिकार दे दिया है। मैंने यह भी कह दिया कि सभी भाई उसके सेवक होंगे। मैंने उसे बहुत अधिक अन्न और दाखमधु का आशीर्वाद दिया है। पुत्र तुम्हें देने के लिए कुछ नहीं बचा है।”

38 किन्तु एसाव अपने पिता से माँगता रहा। “पिताजी, क्या आपके पास एक भी आशीर्वाद नहीं है? पिताजी, मुझे भी आशीर्वाद दें।” यूँ एसाव रोने लगा।

39 तब इसहाक ने उससे कहा,

 “तुम अच्छी भूमि पर नहीं रहोगे।
  तुम्हारे पास बहुत अन्न नहीं होगा।
 40 तुम्हें जीने के लिए संघर्ष करना होगा।
  और तुम अपने भाई के दास होगे।
 किन्तु तुम आज़ादी के लिए लड़ोगे,
  और उसके शासन से आज़ाद हो जाओगे।”

Jacob Leaves the Country

41 इसके बाद इस आशीर्वाद के कारण एसाव याकूब से घृणा करता रहा। एसाव ने मन ही मन सोचा, “मेरा पिता जल्दी ही मरेगा और मैं उसका शोक मनाऊँगा। लेकिन उसके बाद मैं याकूब को मार डालूँगा।”

42 रिबका ने एसाव द्वारा याकूब को मारने का षड़यन्त्र सुना। उसने याकूब को बुलाया और उससे कहा, “सुनो, तुम्हारा भाई एसाव तुम्हें मारने का षडयन्त्र कर रहा है। 43 इसलिए पुत्र जो मैं कहती हूँ, करो। मेरा भाई लाबान हारान में रहता है। उसके पास जाओ और छिपे रहो। 44 उसके पास थोड़े समय तक ही रहो जब तक तुम्हारे भाई का गुस्सा नहीं उतरता। 45 थोड़े समय बाद तुम्हारा भाई भूल जाएगा कि तुमने उसके साथ क्या किया? तब मैं तुम्हें लौटाने के लिए एक नौकर को भेजूँगी। मैं एक ही दिन दोनों पुत्रों को खोना नहीं चाहती।”

46 तब रिबका ने इसहाक से कहा, “तुम्हारे पुत्र एसाव ने हित्ती स्त्रियों से विवाह कर लिया है। मैं इन स्त्रियों से परेशान हूँ क्योंकि ये हमारे लोगों में से नहीं हैं। यदि याकूब भी इन्हीं स्त्रियों में से किसी के साथ विवाह करता है तो मैं मर जाना चाहूँगी।”

28इसहाक ने याकूब को बुलाया और उसको आशीर्वाद दिया। तब इसहाक ने उसे आदेश दिया। इसहाक ने कहा, “तुम कनानी स्त्री से विवाह नहीं कर सकते। 2 इसलिए इस जगह को छोड़ो और पद्दनराम को जाओ। अपने नाना बतूएल के घराने में जाओ। वहाँ तुम्हारा मामा लाबान रहता है। उसकी किसी एक पुत्री से विवाह करो। 3 मैं प्रार्थना करता हूँ कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर तुम्हें आशीर्वाद दे और तुम्हें बहुत से पुत्र दे। मैं प्रार्थना करता हूँ कि तुम एक महान राष्ट्र के पिता बनो। 4 मैं प्रार्थना करता हूँ कि जिस तरह परमेश्वर ने इब्राहीम को वरदान दिया था उसी तरह वह तुमको भी आशीर्वाद दे। मैं प्रार्थना करता हूँ कि परमेश्वर तुम्हें इब्राहीम का आशीर्वाद दे, यानी वह तुम्हें और तुम्हारी आने वाली पीढ़ी को, यह जगह जहाँ तुम आज परदेशी की तरह रहते हो, हमेशा के लिए तुम्हारी सम्पत्ति बना दे।”

5 इस तरह इसहाक ने याकूब को पद्दनराम के प्रदेश को भेजा। याकूब अपने मामा लाबान के पास गया अरामी बतूएल लाबान और रिबका का पिता था और रिबका याकूब और एसाव की माँ थी।

6 एसाव को पता चला कि उसके पिता इसहाक ने याकूब को आशीर्वाद दिया है और उसने याकूब को पद्दरनाम में एक पत्नी की खोज के लिए भेजा है। एसाव को यह भी पता लगा कि इसहाक ने याकूब को आदेश दिया है कि वह कनानी स्त्री से विवाह न करे। 7 एसाव ने यह समझा कि याकूब ने अपने पिता और माँ की आज्ञा मानी और वह पद्दरनाम को चला गया। 8 एसाव ने इससे यह समझा कि उसका पिता नहीं चाहता कि उसके पुत्र कनानी स्त्रियों से विवाह करें। 9 एसाव की दो पत्नियाँ पहले से ही थी। किन्तु उसने इश्माएल की पुत्री महलत से विवाह किया। इश्माएल इब्राहीम का पुत्र था। महलत नबायोत की बहन थी।

Jacob’s Dream at Bethel परमेश्वर का घर बेतेल

10 याकूब ने बेर्शेबा को छोड़ा और वह हारान को गया। 11 याकूब के यात्रा करते समय ही सूरज डूब गया था। इसलिए याकूब रात बिताने के लिए एक जगह ठहरने गया। याकूब ने उस जगह एक चट्टान देखी और सोने के लिए इस पर अपना सिर रखा। 12 याकूब ने सपना देखा। उसने देखा कि एक सीढ़ी पृथ्वी से स्वर्ग तक पहुँची है। 13 याकूब ने स्वर्गदूतों को उस सीढ़ी पर चढ़ते उतरते देखा और यहोवा को सीढ़ी के पास खड़ा देखा। यहोवा ने कहा, “मैं तुम्हारे पितामह इब्राहीम का परमेश्वर यहोवा हूँ। मैं इसहाक का परमेश्वर हूँ। मैं तुम्हें वह भूमि दूँगा जिस पर तुम अब सो रहे हो। मैं यह भूमि तुम्हें और तुम्हारे वंशजों को दूँगा। 14 तुम्हारे वंशज उतने होंगे जितने पृथ्वी पर मिट्टी के कण हैं। वे पूर्व, पश्चिम, उत्तर तथा दक्षिण में फैलेंगे। पृथ्वी के सभी परिवार तुम्हारे वंशजों के कारण वरदान पाएँगे।

15 “मैं तुम्हारे साथ हूँ और मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा जहाँ भी जाओगे और मैं इस भूमि पर तुम्हें लौटा ले आऊँगा। मैं तुमको तब तक नहीं छोड़ूँगा जब तक मैं वह नहीं कर लूँगा जो मैंने करने का वचन दिया है।”

16 तब याकूब अपनी नींद से उठा और बोला, “मैं जानता हूँ कि यहोवा इस जगह पर है। किन्तु यहाँ जब तक मैं सोया नहीं था, मैं नहीं जानता था कि वह यहाँ है।”

17 याकूब डर गया। उसने कहा, “यह बहुत महान जगह है। यह तो परमेश्वर का घर है। यह तो स्वर्ग का द्वार है।”

18 याकूब दूसरे दिन बहुत सबेरे उठा। याकूब ने उस शिला को उठाया और उसे किनारे से खड़ा कर दिया। तब उसने इस पर तेल चढ़ाया। इस तरह उसने इसे परमेश्वर का स्मरण स्तम्भ बनाया। 19 उस जगह का नाम लूज था किन्तु याकूब ने उसे बेतेल नाम दिया।

20 तब याकूब ने एक वचन दिया। उसने कहा, “यदि परमेश्वर मेरे साथ रहेगा और अगर परमेश्वर, जहाँ भी मैं जाता हूँ, वहाँ मेरी रक्षा करेगा, अगर परमेश्वर मुझे खाने को भोजन और पहनने को वस्त्र देगा। 21 अगर मैं अपने पिता के पास शान्ति से लौटूँगा, यदि परमेश्वर ये सभी चीजें करेगा, तो यहोवा मेरा परमेश्वर होगा। 22 इस जगह, जहाँ मैंने यह पत्थर खड़ा किया है, परमेश्वर का पवित्र स्थान होगा और परमेश्वर जो कुछ तू मुझे देगा उसका दशमांश मैं तुझे दूँगा।”

समीक्षा

चुनौती का आनंद लें

यदि हम परमेश्वर के राज्य की बढ़ोतरी में गति वृद्धि देखना चाहते हैं, तो यीशु कहते हैं कि इसके लिए बलवान लोगों की ज़रूरत पड़ेगी (मत्ती 11:12)। (कुछ अनुवाद ‘ज़ोरदार’ शब्द के बजाय ‘हिंसक’ शब्द का प्रयोग करते हैं। मगर ज़्यादातर व्याख्याकार इस अनुवाद को और इसके सकारात्मक अर्थ को पसंद करते हैं।) ये लोग ऐसे हैं जो विरोध से या बलिदान करने से पीछे नहीं हटते। वास्तव में, ये चुनौती का आनंद लेते हैं।

जब हम चर्च के इतिहास को देखते हैं तो ऐसे कई स्त्रियों और पुरूषों के उदाहरण हैं जो अपने जोशीले और गतिशील और अग्रसक्रिय जीवन से हमें प्रेरित करते हैं। दुनिया को बदलने के लिए उनका उपयोग किया गया। पूरे इतिहास में, स्वर्ग का राज्य प्रभावशाली और पवित्र आत्मा से भरे हुए लोगों के रूप में आगे बढ़ रहा था।

यीशु कहते हैं, ‘यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के दिनों से अब तक स्वर्ग के राज्य पर ज़ोर होता रहा है, और बलवान उसे छीन लेते हैं।’ (मत्ती 11:12)। इन वचनों में संदर्भ यह था कि यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले कैद में थे और यीशु के बारे में पूछ रहे थे। वास्तव में, यीशु यह कहकर उत्तर देते हैं कि, ‘तुम इन प्रमाणों को देखो’ (पद - 4-5)।

यीशु आगे कहते हैं ‘ मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो स्त्रियों से जन्मे हैं, उन में से यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से कोई बड़ा नहीं हुआ’ (पद - 11)। यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले पुराने नियम के आखिरी भविष्यवक्ता थे (पद - 13)। वचन 12 में उल्लेखित हम पुराने नियम में बलवान स्त्रियों और पुरूषों के अनेक उदाहरण देखते हैं।

याकूब एक बलवान पुरूष था। बाद में हम पढ़ेंगे कि वह कैसे बलवान था जो परमेश्वर की आशीष पाने के लिए दृढ़ संकल्पी था (उत्पत्ति 32:22-32 देखें)। मगर इस पद्यांश में, हम देखते हैं कि उसके प्रभावशाली स्वभाव ने उसे गलत काम करने में कैसे मदद की। वह अपने पिता से आशीष पाने में दृढ़ संकल्पी था। वह जानता था कि यह कितना महत्त्वपूर्ण है, इसलिए अंत में इसे पाने के लिए उसने छल किया (अध्याय 27)।

याकूब की माँ, रिबका, एक बलवान स्त्री थी। उसने याकूब के प्रति पक्षपात ही नहीं दिखाया, बल्कि उसने इसहाक को धोखा देने के लिए जाल भी रचा। परंतु इस वजह से परिवार में शत्रुता हुई जो कि सदियों तक चली।

यह पूरी तरह से अशोभनीय कहानी है और हम सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि इसका क्या औचित्य था – अवश्य ही यह अनुसरण करने के लिए अच्छा उदाहरण नहीं है!

इन सबके बावजूद, परमेश्वर की योजना और उद्देश्य पूरे होते रहे। अब्राहम और उसके वंश में उनके वायदे पूरे होते रहे। और ये याकूब तक पहुँचे (28:13-15), ठीक उसी तरह जैसे परमेश्वर ने उसके भाइयों के पैदा होने से पहले वायदा किया था (25:23)। यदि हर किसी ने समझदारी से और ईमानदारी से काम किया होता तो बहुत से दु:ख और संकट को टाला जा सकता था।

इन सभी कहानियों और लोगों के बारे में सब कुछ दोषपूर्ण है – फिर भी परमेश्वर उनके द्वारा कार्य करने में सफल हो जाते हैं। मुझे इस बात से राहत मिलती है कि सिद्ध परमेश्वर दोषपूर्ण लोगों का उपयोग कर सकते हैं।

परमेश्वर ने याकूब को आशीष दी। उसके पिता, इसहाक ने भी उसे आशीष दी (28:3-4)। बाद में परमेश्वर ने याकूब से स्वप्न में बात की। उसने एक सीढ़ी देखी जो धरती से स्वर्ग तक पहुँचती है, जिस पर से परमेश्वर के स्वर्गदूत उतर रहे थे और चढ़ रहे थे (पद - 12)। हम सभी के लिए स्वर्ग और पृथ्वी के बीच एक खुला मार्ग है। परमेश्वर उससे कहते हैं, ‘तेरे और तेरे वंश के द्वारा पृथ्वी के सारे कुल आशीष पाएंगे। और सुन, मैं तेरे संग रहूंगा, और जहां कहीं तू जाए वहां तेरी रक्षा करूंगा ’

परमेश्वर ने इन बलवान स्त्रियों और पुरूषों का उपयोग किया: अब्राहम और सारा, इसहाक और रिबका, याकूब और राहेल। लेकिन यीशु कहते हैं इन में से कोई भी यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से महान नहीं था। और आनेवाले दिनों में स्वर्ग के राज्य में यीशु का छोटे से छोटा अनुयायी यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से ज़्यादा महान है।

प्रार्थना

प्रभु, मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आप मेरे साथ है और मैं जहाँ कहीं भी जाऊँ आप मेरी रक्षा करते हैं। मेरी मदद कीजिये कि मैं उन बलवान लोगों में गिना जाऊँ जो यीशु का अनुसरण करते हुए उल्लासपूर्ण, जोशीला और चुनौतीपूर्ण जीवन जी रहे हैं।

पिप्पा भी कहते है

उत्पत्ति 27

धोखा और झूठ परिवार की एकता के लिए ज़्यादा कुछ नहीं करते। आज का वचन

reader

App

Download The Bible with Nicky and Pippa Gumbel app for iOS or Android devices and read along each day.

reader

Email

Sign up now to receive The Bible with Nicky and Pippa Gumbel in your inbox each morning. You’ll get one email each day.

Podcast

Subscribe and listen to The Bible with Nicky and Pippa Gumbel delivered to your favourite podcast app everyday.

reader

Website

Start reading today’s devotion right here on the BiOY website.

संदर्भ

नोट्स:

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है। कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002। जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

एक साल में बाइबल

  • एक साल में बाइबल

This website stores data such as cookies to enable necessary site functionality and analytics. Find out more