अच्छी सरकार?
परिचय
विश्व भर में, बहुत से देश जैसे कि सीरिया, इराक और उत्तरी कोरिया सरकार में परेशानी का सामना कर रहे हैं. कुछ महीनों में, ब्रिटेन अपना मतदान करेंगे कि यूरोपियन एकत्व में रहना हैं या नही. बाद में इस वर्ष, यूनायटेड स्टेट एक नए राष्ट्रपति के लिए मतदान करेंगे.
विंस्टन चर्चिल ने एक बार कहाः'लोकतंत्र सरकार का एक बदतर प्रकार है, उन दूसरे प्रकारों के अलावा जिनका समय-समय पर उपयोग किया गया है.'
सरकार में उतार -चढ़ाव होते हैं. हमारे राजनैतिज्ञ मनुष्य हैं, हमारी ही तरह उनकी मानवीय कमजोरियाँ हैं.
बाईबल में मानवीय सरकार के विषय में एक निश्चित द्वैधवृत्ति है. ऐसे भाग हैं जहाँ पर मानवीय सरकार को परमेश्वर-प्रदत्त कहा जाता है (उदाहरण के लिए रोमियो 13 में), और दूसरे हैं जहाँ पर इसे शैतानी नियंत्रण के अंतर्गत देखा गया है (उदाहरण के लिए प्रकाशितवाक्य 13). एक साथ वे मानवीय सरकार की वास्तविकता को दिखाते हैं. सरकार मिश्रण को दिखाते हैं जो कि हम सभी में है कि क्या अच्छा और सच है और क्या पाप से भरा हुआ है और क्या दोषपूर्ण है.
फिर भी हमारे पास एक नये प्रकार की सरकार की आशा है - यीशु राजा (यूहन्ना 12:122-36).
भजन संहिता 65:1-13
65हे सिय्योन के परमेश्वर, मैं तेरी स्तुती करता हूँ।
मैंने जो मन्नत मानी, तुझ पर चढ़ाता हूँ।
2 मैं तेरे उन कामों का बखान करता हूँ, जो तूने किये हैं। हमारी प्रार्थनायें तू सुनता रहता हैं।
तू हर किसी व्यक्ति की प्रार्थनायें सुनता है, जो तेरी शरण में आता है।
3 जब हमारे पाप हम पर भारी पड़ते हैं, हमसे सहन नहीं हो पाते,
तो तू हमारे उन पापों को हर कर ले जाता है।
4 हे परमेश्वर, तूने अपने भक्त चुने हैं।
तूने हमको चुना है कि हम तेरे मन्दिर में आयें और तेरी उपासना करें।
हम तेरे मन्दिर में बहुत प्रसन्न हैं।
सभी अद्भुत वस्तुएं हमारे पास है।
5 हे परमेश्वर, तू हमारी रक्षा करता है।
सज्जन तेरी प्रार्थना करते, और तू उनकी विनतियों का उत्तर देता है।
उनके लिए तू अचरज भरे काम करता है।
सारे संसार के लोग तेरे भरोसे हैं।
6 परमेश्वर ने अपनी महाशक्ति का प्रयोग किया और पर्वत रच डाले।
उसकी शक्ति हम अपने चारों तरफ देखते हैं।
7 परमेश्वर ने उफनते हुए सागर शांत किया।
परमेश्वर ने जगत के सभी असंख्य लोगों को बनाया है।
8 जिन अद्भुत बातों को परमेश्वर करता है, उनसे धरती का हर व्यक्ति डरता है।
परमेश्वर तू ही हर कहीं सूर्य को उगाता और छिपाता है। लोग तेरा गुणगान करते हैं।
9 पृथ्वी की सारी रखवाली तू करता है।
तू ही इसे सींचता और तू ही इससे बहुत सारी वस्तुएं उपजाता है।
हे परमेश्वर, नदियों को पानी से तू ही भरता है।
तू ही फसलों की बढ़वार करता है। तू यह इस विधि से करता है।
10 जुते हुए खेतों पर वर्षा कराता है।
तू खेतों को जल से सराबोर कर देता,
और धरती को वर्षा से नरम बनाता है,
और तू फिर पौधों की बढ़वार करता है।
11 तू नये साल का आरम्भ उत्तम फसलों से करता है।
तू भरपूर फसलों से गाड़ियाँ भर देता है।
12 वन औक पर्वत दूब घास से ढक जाते हैं।
13 भेड़ों से चरागाहें भर गयी।
फसलों से घाटियाँ भरपूर हो रही हैं।
हर कोई गा रहा और आनन्द में ऊँचा पुकार रहा है।
समीक्षा
परमेश्वर की सरकार
क्या आप जानते हैं कि परमेश्वर कैसे हैं? वह आपसे प्रेम करते हैं और चाहते हैं कि आप आज अपने जीवन में उनकी आशिषो का आनंद लें. यह भजन परमेश्वर की भलाई के विषय में है. यह एक सुंदर चित्र को बनाता है कि जीवन कितना सुंदर हो सकता है अब परमेश्वर के नियम में जीया जाएँ. आज उनकी भलाई पर मनन करें.
परमेश्वर आपकी प्रार्थनाओं को सुनते हैं (व.2), वह आपके पापों को क्षमा करते हैं, यहाँ तक कि जब आप 'पापों के द्वारा पराजित महसूस करते हैं' (व.3). परमेश्वर की क्षमा अद्भुत है.
'हम अच्छी चीजों से भरे हुए हैं' (व.4) उनकी उपस्थिति में रहने से वह आपको 'आशा' (व.5ब) और 'आनंद' (व.8ब) देते हैं.
जिस तरह से वह सृष्टि को रखते हैं, उसमें हमें उनका महान प्रेम दिखाई देता है (भूमि को सींचना, अनाज, पशु इत्यादि का प्रावधान,वव 9-13).
हम सीधे परमेश्वर के द्वारा नियंत्रित एक समाज में नहीं रहते हैं, लेकिन मसीह के द्वारा आप अपने व्यक्तिगत जीवन में परमेश्वर के साथ एक सीधे संबंध में हैं. आप उनके नियम को मान सकते हैं और परमेश्वर की उपस्थिति की आशीष का अनुभव कर सकते हैं. इस तरीके से आप अपने जीवन में 'परमेश्वर के राज्य' का अनुभव कर सकते हैं.
प्रार्थना
धन्यवाद परमेश्वर, आपकी अद्भुत भलाई के लिए. आपका धन्यवाद क्योंकि एक दिन आपका राज्य आएगा और हर घुटना यीशु के सामने झुकेगा और वह 'नई सृष्टि' में सही रीति से राज्य करेंगे.
यूहन्ना 12:12-36
यीशु का यरूशलेम में प्रवेश
12 अगले दिन फ़सह पर्व पर आई भीड़ ने जब यह सुना कि यीशु यरूशलेम में आ रहा है 13 तो लोग खजूर की टहनियाँ लेकर उससे मिलने चल पड़े। वे पुकार रहे थे,
‘“होशन्ना!’
‘धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है!’
वह जो इस्राएल का राजा है!”
14 तब यीशु को एक गधा मिला और वह उस पर सवार हो गया। जैसा कि धर्मशास्त्र में लिखा है:
15 “सिय्योन के लोगों, डरो मत!
देखो! तुम्हारा राजा
गधे के बछेरे पर बैठा आ रहा है।”
16 पहले तो उसके अनुयायी इसे समझे ही नहीं किन्तु जब यीशु की महिमा प्रकट हुई तो उन्हें याद आया कि शास्त्र में ये बातें उसके बारे में लिखी हुई थीं- और लोगों ने उसके साथ ऐसा व्यवहार किया था।
17 उसके साथ जो भीड़ थी उसने यह साक्षी दी कि उसने लाज़र की कब्र से पुकार कर मरे हुओं में से पुनर्जीवित किया। 18 लोग उससे मिलने इसलिए आये थे कि उन्होंने सुना था कि यह वही है जिसने वह आश्चर्यकर्म किया है। 19 तब फ़रीसी आपस में कहने लगे, “सोचो तुम लोग कुछ नहीं कर पा रहे हो, देखो सारा जगत उसके पीछे हो लिया है।”
अपनी मृत्यु के बारे में यीशु का वचन
20 फ़सह पर्व पर जो आराधना करने आये थे उनमें से कुछ यूनानी थे। 21 वे गलील में बैतसैदा के निवासी फिलिप्पुस के पास गये और उससे विनती करते हुए कहने लगे, “महोदय, हम यीशु के दर्शन करना चाहते हैं।” तब फिलिप्पुस ने अन्द्रियास को आकर बताया। 22 फिर अन्द्रियास और फिलिप्पुस ने यीशु के पास आकर कहा।
23 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मानव-पुत्र के महिमावान होने का समय आ गया है। 24 मैं तुमसे सत्य कहता हूँ कि जब तक गेहूँ का एक दाना धरती पर गिर कर मर नहीं जाता, तब तक वह एक ही रहता है। पर जब वह मर जाता है तो अनगिनत दानों को जन्म देता है। 25 जिसे अपना जीवन प्रिय है, वह उसे खो देगा किन्तु वह, जिसे इस संसार में अपने जीवन से प्रेम नहीं है, उसे अनन्त जीवन के लिये रखेगा। 26 यदि कोई मेरी सेवा करता है तो वह निश्चय ही मेरा अनुसरण करे और जहाँ मैं हूँ, वहीं मेरा सेवक भी रहेगा। यदि कोई मेरी सेवा करता है तो परम पिता उसका आदर करेगा।
यीशु द्वारा अपनी मृत्यु का संकेत
27 “अब मेरा जी घबरा रहा है। क्या मैं कहूँ, ‘हे पिता, मुझे दुःख की इस घड़ी से बचा’ किन्तु इस घड़ी के लिए ही तो मैं आया हूँ। 28 हे पिता, अपने नाम को महिमा प्रदान कर!”
तब आकाशवानी हुई, “मैंने इसकी महिमा की है और मैं इसकी महिमा फिर करूँगा।”
29 तब वहाँ मौजूद भीड़, जिसने यह सुना था, कहने लगी कि कोई बादल गरजा है।
दूसरे कहने लगे, “किसी स्वर्गदूत ने उससे बात की है।”
30 उत्तर में यीशु ने कहा, “यह आकाशवाणी मेरे लिए नहीं बल्कि तुम्हारे लिए थी। 31 अब इस जगत के न्याय का समय आ गया है। अब इस जगत के शासक को निकाल दिया जायेगा। 32 और यदि मैं धरती के ऊपर उठा लिया गया तो सब लोगों को अपनी ओर आकर्षित करूँगा।” 33 वह यह बताने के लिए ऐसा कह रहा था कि वह कैसी मृत्यु मरने जा रहा है।
34 इस पर भीड़ ने उसको जवाब दिया, “हमने व्यवस्था की यह बात सुनी है कि मसीह सदा रहेगा इसलिये तुम कैसे कहते हो कि मनुष्य के पुत्र को निश्चय ही ऊपर उठाया जायेगा। यह मनुष्य का पुत्र कौन है?”
35 तब यीशु ने उनसे कहा, “तुम्हारे बीच ज्योति अभी कुछ समय और रहेगी। जब तक ज्योति है चलते रहो। ताकि अँधेरा तुम्हें घेर न ले क्योंकि जो अँधेरे में चलता है, नहीं जानता कि वह कहाँ जा रहा है। 36 जब तक ज्योति तुम्हारे पास है उसमें विश्वास बनाये रखो ताकि तुम लोग ज्योतिर्मय हो सको।” यीशु यह कह कर कहीं चला गया और उनसे छुप गया।
समीक्षा
यीशु की सरकार
क्या आप किसी चीज से परेशान हैं जिसका आप सामना कर रहे हैं? क्या आप अपने जीवन में किसी परीक्षा से उदास हैं? यदि आप हैं, तो आपका एक लीडर है जो समझता है. यीशु ने कहा, 'मेरा प्राण खेदित और दुखित होता है...' (व.27अ, ए.एम.पी.).
यीशु हमें एक नमूना देते हैं कि अपने जीवन में कष्टों और विश्व के कष्टों के प्रति कैसे उत्तर देना है. तब, जैसा कि अभी संकट का एक समय था. जैसा कि यीशु ने कहा, 'विश्व संकट में है' (व.30, एम.एस.जी.).
फसह के पर्व के दौरान, 'बड़ी भीड़ यरूशलेम में आयी' (व.12). युसूफ ने अनुमान लगाया कि लगभग 2.7 लाख लोग इकट्ठा होंगे. यह शायद अतिश्योक्ति हो. फिर भी, यह एक बड़ा त्यौहार था और वहाँ पर लोगों में बहुत उत्साह और अपेक्षा थी.
यीशु के दिनों में, लोग मसीहा का इंतजार कर रहे थे. दाऊद के वंश में, वे एक मानवीय राजा का इंतजार कर रहे थे, जो उन्हें उनके अत्याचारियों से मुक्त करेगा. जैसे ही यीशु यरूशलेम में प्रवेश करते हैं, तब उन्हें उस राजा के रूप में देखा जाता हैः'इस्राएल का राजा धन्य है!' (व.13ब). शायद से भीड़ ने यीशु को एक सेना के राजा के रूप में देखा और जो रोमी शासन से एक शीघ्र स्वतंत्रता की आशा कर रहे थे.
तब, जैसा कि अब है, सरकार के विभिन्न व्यवहार थे. फरीसियों (व.19) का मानना था कि रोमी पेशा, यद्पि यह सताने वाला था, इसे अवश्य ही सहना था जब तक परमेश्वर इसे ना हटा दें. सदुकियो ने सरकार के साथ सहयोग को सहमति दी. जेलोतेस लोगों में अधिक प्रचलित थे. वे एक मसीहा राजा के द्वारा प्रचंड विद्रोह चाहते थे.
यीशु सच में राजा हैं. लेकिन उन्होंने यरूशलेम में विजयी रूप से, शक्तिशाली रूप से, एक रथ में या एक घोड़े पर सवारी नहीं की. वह एक अलग प्रकार के लीडर हैं: 'देखो, तेरा राजा गदहे के बच्चा पर चढ़ा हुआ चला आता है' (व15ब) – दीनता से, विनम्रता से, गदहे के एक बच्चे पर बैठकर. वह मसीहों का राजा है लेकिन एक सेना नहीं है. यह दिखाया गया दृष्टांत भीड़ की गलत आशा को सही करने के लिए बनाया गया था और यरुशलेम शहर को शांति का रास्ता दिखाने के लिए.
वह एक विजयी राजा के रूप में आए –सताने वालों के विरोध में हिंसा करते हुए नहीं बल्कि हिंसा को सहते हुए. वह कहते हैं, 'समय आता है जब मनुष्य के पुत्र की महिमा होती है' (व.23) – और फिर भी वह क्रूस के विषय में बात कर रहे हैं. 'मैं, जब ऊँचा उठाया जाऊँगा, तब सभी लोगो को अपने पास खीचूँगा.' उन्होंने यह कहा, बताने के लिए कि वह किस प्रकार की मृत्यु मरेंगे (वव.32-33).
यहाँ पर हम यीशु के हृदय में आंतरिक संघर्ष के अंतर्ज्ञान को देखते हैं, जैसे ही वह आने वाली परीक्षा, कष्ट और मृत्यु का सामना करते हैं:'अब मेरा जी व्याकुल है. इसलिये अब मैं क्या कहूँ? 'हे पिता, मुझे इस घड़ी से बचा?' नहीं, क्योंकि मैं इसी कारण इस घड़ी को पहुँचा हूँ. हे पिता, अपने नाम की महिमा कर' (वव.27-28अ).
यीशु ने विजय सेना के बल के द्वारा नहीं किंतु स्वयं –बलिदान मृत्यु के द्वारा प्राप्त की, जिसने शैतानी ताकतों को हरा दिया (व.31). यीशु की मृत्यु विश्व का न्याय, बुराई की हार, यीशु को महिमा मिलना और सभी लोगों का उनकी ओर खींचे चले आने को दिखाता है.
यहाँ पर, सच में एक अलग प्रकार का विजयी राजा था. यीशु ने ना केवल मसीहों के राजा के विषय में भविष्यवाणी को पूरा किया, उन्होने कष्ट उठाने वाले सेवक की भविष्यवाणी को भी पूरा किया. उन्होंने भविष्यवाणी की दो पंक्तियों को साथ-साथ पूरा किया.
एक दिन यीशु विजयी राजा के रूप में वापस आऐंगे, अनंतता तक राज्य और शासन करने के लिए. तब तक, आप अंधकार में ज्योति बनने के लिए बुलाए गए हैं. यदि आप यीशु के लीडरशिप के अंतर्गत जीते हैं, ' जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है, ज्योति पर विश्वास करो ताकि तुम ज्योति की सन्तान बनो' (36, एम.एस.जी.).
प्रार्थना
परमेश्वर, आपका धन्यवाद दीनता और स्वयं-बलिदान के द्वारा लीडरशिप के उदाहरण के लिए. मेरी सहायता कीजिये कि मैं इस तरह से आपकी सेवा करुँ, जो एक अंधेरे विश्व में प्रकाश ला पाए:.
1 शमूएल 8:1-10:8
इस्राएल एक राजा की माँग करता है
8जब शमूएल बूढ़ा हो गया तो उसने अपने पुत्रों को इस्राएल के न्यायाधीश बनाया। 2 शमूएल के प्रथम पुत्र का नाम योएल रखा गया। उसके दूसरे पुत्र का नाम अबिय्याह रखा गया था। योएल और अबिय्याह बेर्शेबा में न्यायाधीश थे। 3 किन्तु शमूएल के पुत्र वैसे नहीं रहते थे जैसे वह रहता था। योएल और अबिय्याह घूस लेते थे। वे गुप्त रूप से धन लेते थे और न्यायालय में अपना निर्णय बदल देते थे। वे न्यायालय में लोगों को ठगते थे। 4 इसलिये इस्राएल के सभी अग्रज (प्रमुख) एक साथ इकट्ठे हुए। वे शमूएल से मिलने रामा गये। 5 अग्रजों (प्रमुखों) ने शमूएल से कहा, “तुम बूढ़े हो गए और तुम्हारे पुत्र ठीक से नहीं रहते। वे तुम्हारी तरह नहीं हैं। अब, तुम अन्य राष्ट्रों की तरह हम पर शासन करने के लिये एक राजा दो।”
6 इस प्रकार, अग्रजों (प्रमुखों) ने अपने मार्ग दर्शन के लिये एक राजा माँगा। शमूएल ने सोचा कि यह विचार बुरा है। इसलिए शमूएल ने यहोवा से प्रार्थना की । 7 यहोवा ने शमूएल से कहा, “वही करो जो लोग तुमसे करने को कहते हैं। उन्होंने तुमको अस्वीकार नहीं किया है। उन्होंने मुझे अस्वीकार किया है! वे मुझको अपना राजा बनाना नहीं चाहते! 8 वे वही कर रहे हैं जो सदा करते रहे। मैंने उनको मिस्र से बाहर निकाला । किन्तु उन्होंने मुझको छोड़ा, तथा अन्य देवताओं की पूजा की। वे तुम्हारे साथ भी वैसा ही कर रहे हैं। 9 इसलिए लोगों की सुनों और जो वे कहें, करो। किन्तु उन्हें चेतावनी दो। उन्हें बता दो कि राजा उनके साथ क्या करेगा। उनको बता दो कि एक राजा लोगों पर कैसे शासन करता है।”
10 उन लोगों ने एक राजा के लिये माँग की। इसलिये शमूएल ने लोगों से वे सारी बातें कहीं जो यहोवा ने कही थी। 11 शमूएल ने कहा, “यदि तुम अपने ऊपर शासन करने वाला राजा रखते हो तो वह यह करेगा: वह तुम्हारे पुत्रों को ले लेगा। वह तुम्हारे पुत्रों को अपनी सेवा के लिये विवश करेगा। वह उन्हें सैनिक बनने के लिये विवश करेगा, उन्हें उसके रथों पर से लड़ना पड़ेगा और वे उसकी सेना के घुड़सवार होंगे। तुम्हारे पुत्र राजा के रथ के आगे दौड़ने वाले रक्षक बनेंगे।
12 “राजा तुम्हारे पुत्रों को सैनिक बनने के लिये विवश करेगा। उनमें से कुछ हजार व्यक्तियों के ऊपर अधिकारी होंगे और अन्य पचास व्यक्तियों के ऊपर अधिकारी होंगे।
“राजा तुम्हारे पुत्रों में से कुछ को अपने खेत को जोतने और फसल काटने को विवश करेगा। वह तुम्हारे पुत्रों में से कुछ को अस्त्र—शस्त्र बनाने को विवश करेगा। वह उन्हें अपने रथ के लिये चीजें बनाने के लिये विवश करेगा।
13 “राजा तुम्हारी पुत्रियों को लेगा। वह तुम्हारी पुत्रियों में से कुछ को अपने लिये सुगन्धद्रव्य चीजें बनाने को विवश करेगा और वह तुम्हारी पुत्रियों में से कुछ को रसोई बनाने और रोटी पकाने को विवश करेगा।
14 “राजा तुम्हारे सर्वोत्तम खेत, अगूंर के बाग और जैतून के बागों को ले लेगा। वह उन चीजों को तुमसे ले लेगा और अपने अधिकारियों को देगा। 15 वह तुम्हारे अन्न और अगूंर का दसवाँ भाग ले लेगा। वह इन चीजों को अपने सेवकों और अधिकारियों को देगा।
16 “यह राजा तुम्हारे दास—दासियों को ले लेगा। वह तुम्हारे सर्वोत्तम पशु और गधों को लेगा। वह उनका उपयोग अपने कामों के लिये करेगा 17 और वह तुम्हारी रेवड़ों का दसवाँ भाग लेगा।
“और तुम स्वयं इस राजा के दास हो जाओगे। 18 जब वह समय आयेगा तब तुम राजा को चुन्ने के कारण रोओगे। किन्तु उस समय यहोवा तुमको उत्तर नहीं देगा।”
19 किन्तु लोगों ने शमूएल की एक न सुनी। उन्होने कहा, “नहीं! हम लोग अपने ऊपर शासन करने के लिये एक राजा चाहते हैं। 20 तब हम वैसे ही हो जायेंगे जैसे अन्य राष्ट्र। हमारा राजा हम लोगों का मार्ग—दर्शन करेगा। वह हम लोगों के साथ जायेगा और हमारे युद्धों को लड़ेगा।”
21 शमूएल ने जब लोगों का सारा कहा हुआ सुना तब उसने यहोवा के सामने उनके कथनों को दुहराया। 22 यहोवा ने उत्तर दिया, “उनकी बात सुनो! उनको एक राजा दो।”
तब शमूएल ने इस्राएल के लोगों से कहा, “ठीक है! तुम्हारा एक नया राजा होगा। अब, आप सभी लोग घर को जायें।”
शाऊल अपने पिता के गधों की तलास करता है।
9कीश बिन्यामीन परिवार समूह का एक महत्वपूर्ण व्यक्ति था। कीश अबीएल का पुत्र था। अबीएल सरोर का पुत्र था। सरोर बकोरत का पुत्र था। बकोरत बिन्यामीन के एक व्यक्ति अपीह का पुत्र था। 2 कीश का एक पुत्र शाऊल नाम का था। शाऊल एक सुन्दर युवक था। वहाँ शाऊल से अधिक सुन्दर कोई न था। खड़ा होने पर शाऊल का सिर इस्राएल के किसी भी व्यक्ति से ऊँचा रहता था।
3 एक दिन, कीश के गधे खो गए। इसलिए कीश ने अपने पुत्र शाऊल से कहा, “सेवकों में से एक को साथ लो और गधों की खोज में जाओ।” 4 शाऊल ने गधों की खोज आरम्भ की। शाऊल एप्रैम की पहाड़ियों में होकर घूमा। तब शाऊल शलीशा के चारों ओर के क्षेत्र में घूमा। किन्तु शाऊल और उसका सेवक, कीश के गधों को नहीं पा सके। इसलिए शाऊल और सेवक शालीम के चारों ओर के क्षेत्र में गये। किन्तु गधे वहाँ नहीं मिले।। इसलिए शाऊल ने बिन्यामीन के प्रदेश में होकर यात्रा की। किन्तु वह और उसका सेवक गधों को तब भी न पा सके।
5 अन्त में, शाऊल और उसका सेवक सूफ नामक नगर में आए। शाऊल ने अपने सेवक से कहा, “चलो, हम लौटें। मेरे पिता गधों के बारे में सोचना बन्द कर देंगे और हम लोगों के बारे में चिन्तित होने लगेंगे।”
6 किन्तु सेवक ने उत्तर दिया, “इस नगर में परमेश्वर का एक व्यक्ति है। लोग उसका सम्मान करते हैं। वह जो कहता है सत्य होता है। इसलिये हम इस नगर में चलें। संभव है कि परमेश्वर का यह व्यक्ति हमें बताये कि इसके बाद हम लोग कहाँ जायें।”
7 शाऊल ने अपने सेवक से कहा, “हम नगर में चल सकते हैं। किन्तु हम लोग उस व्यक्ति को क्या दे सकते हैं? हम लोगों के थैले का भोजन समाप्त हो चुका है। हम लोगों के पास कोई भी भेंट परमेश्वर के व्यक्ति को देने के लिये नहीं है। हमारे पास उसे देने को क्या है?”
8 सेवक ने शाऊल को फिर उत्तर दिया “देखो, मेरे पास थोड़ा सा धन है। हम परमेश्वर के व्यक्ति को यही दें। तब वह बतायेगा कि हम लोग कहाँ जायें।”
9-11 शाऊल ने अपने सेवक से कहा, “अच्छा सुझाव है! हम चलें!” वे नगर में वहाँ गए जहाँ परमेश्वर का व्यक्ति था।
शाऊल और उसका सेवक पहाड़ी पर चढ़ते हुए नगर को जा रहे थे। रास्ते में वे कुछ युवतियों से मिले। युवतियाँ बाहर से पानी लेने जा रही थीं। शाऊल और उसके सेवक ने युवतियों से पूछा, “क्या भविष्यवक्ता यहाँ है?” (प्राचीन काल में इस्राएल के निवासी नबियों को “भविष्यवक्ता” कहते थे। इसलिए यदि वे परमेश्वर से कुछ माँगना चाहते थे तो वे कहते थे, “हम लोग भविष्यवक्ता के पास चलें।”)
12 युवतियों ने उत्तर दिया, “हाँ, भविष्यवक्ता यहीं है। वह ठीक इसी सड़क पर आगे है। वह आज ही नगर में आया है। कुछ लोग वहाँ एक साथ इसलिये इकट्ठे हो रहे हैं कि आराधनालय पर मेलबलि में भाग ले सकें। 13 आप लोग नगर में जाएँ, और आप उनसे मिल लेंगे। यदि आप लोग शीघ्रता करेंगे तो आप उनसे आराधनालय पर भोजन के लिये जाने के पहले मिल लेंगे। भविष्यवक्ता बलि—भेंट को आशीर्वाद देते हैं। इसलिये लोग तब तक भोजन करना आरम्भ नहीं करेंगे जब तक वे वहाँ न पहुँचें। इसलिये यदि आप लोग शीघ्रता करें, तो आप भविष्यवक्ता को पा सकते हैं।”
14 शाऊल और सेवक ने ऊपर पहाड़ी पर नगर की ओर बढ़ना आरम्भ किया। जैसे ही वे नगर में घुसे उन्होंने शमूएल को अपनी ओर आते देखा। शमूएल नगर के बाहर उपासना के स्थान पर जाने के लिये अभी आ ही रहा था।
15 एक दिन पहले यहोवा ने शमूएल से कहा था, 16 “कल मैं इसी समय तुम्हारे पास एक व्यक्ति को भेजूँगा। वह बिन्यामीन के परिवार समूह का होगा। तुम्हें उसका अभिषेक कर देना चाहिये। तब वह हमारे लोग इस्राएलियों का नया प्रमुख होगा। यह व्यक्ति हमारे लोगों को पलिश्तियों से बचाएगा। मैंने अपने लोगों के कष्टों को देखा है। मैंने अपने लोगों का रोना सुना है।”
17 शमूएल ने शाऊल को देखा और यहोवा ने उससे कहा, “यही वह व्यक्ति है जिसके बारे में मैंने तुमसे कहा था। यह मेरे लोगों पर शासन करेगा।”
18 शाऊल द्वार के पास शमूएल के निकट आया। शाऊल ने शमूएल से पूछा, “कृपया बतायें भविष्यवक्ता का घर कहाँ है।”
19 शमूएल ने उत्तर दिया, “मैं ही भविष्यवक्ता हूँ। मेरे आगे उपासना के स्थान पर पहुँचो। तुम और तुम्हारा सेवक आज हमारे साथ भोजन करोगे। मैं कल सवेरे तुम्हें घर जाने दूँगा मैं तुम्हारे सभी प्रश्नों का उत्तर दूँगा। 20 उन गधों की चिन्ता न करो जिन्हें तुमने तीन दिन पहले खो दिया। वे मिल गये हैं। अब, तुम्हें सारा इस्राएल चाहता है। वे तुम्हें और तुम्हारे पिता के परिवार के सभी लोगों को चाहते हैं।”
21 शाऊल ने उत्तर दिया, “किन्तु मैं बिन्यामीन परिवार समूह का एक सदस्य हूँ। यह इस्राएल में सबसे छोटा परिवार समूह है और मेरा परिवार बिन्यामीन परिवार समूह में सबसे छोटा है। आप क्यों कहते हैं कि इस्राएल मुझको चाहता है?”
22 तब शमूएल, शाऊल और उसके सेवक को भोजन के क्षेत्र में ले गया। लगभग तीस व्यक्ति एक साथ भोजन के लिये और बलि—भेंट में भाग लेने के लिये आमन्त्रित थे। शमूएल ने शाऊल और उसके सेवक को मेज पर सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान दिया। 23 शमूएल ने रसोइये से कहा, “वह माँस लाओ जो मैंने तुम्हें दिया था। यह वह भाग है जिसे मैंने तुमसे सुरक्षित रखने के लिये कहा था।”
24 रसोइये ने जांघ ली और शाऊल के सामने मेज पर रखी। शमूएल ने कहा, “यही वह माँस है जिसे मैंने तुम्हारे लिये सुरक्षित रखा था। यह खाओ क्योंकि यह इस विशेष समय के लिये तुम्हारे लिये सुरक्षित था।” इस प्रकार उस दिन शाऊल ने शमूएल के साथ भोजन किया।
25 जब उन्होंने भोजन समाप्त कर लिया, वे आराधनालय से उतरे और नगर को लौटे। शमूएल ने छत पर शाऊल के लिये बिस्तर लागाया और शाऊल सो गया। 26 अगली सुबह सवेरे, शमूएल ने शाऊल को छत पर जोर से पुकारा।
शमूएल ने कहा, “उठो। मैं तुम्हें तुम्हारे रास्ते पर भेजूँगा।” शाऊल उठा, और शमूएल के साथ घर से बाहर चल पड़ा।
27 शाऊल, उसका सेवक और शमूएल एक साथ नगर के सिरे पर चल रहे थे। शमूएल ने शाऊल से कहा, “अपने सेवक से हम लोगों से कुछ आगे चलने को कहो। मेरे पास तुम्हारे लिये परमेश्वर का एक सन्देश है।” इसलिये दास उनसे कुछ आगे चलने लगा।
शमूएल शाऊल का अभिषेक करता है
10शमूएल ने विशेष तेल की एक कुप्पी ली। शमूएल ने तेल को शाऊल के सिर पर डाला। शमूएल ने शाऊल को चुम्बन किया और कहा, “यहोवा ने तुम्हारा अभिषेक अपने लोगों का प्रमुख बनाने के लिये किया है। तुम यहोवा के लोगों पर नियन्त्रण करोगे। तुम उन्हें उन शत्रुओं से बचाओगे जो उनको चारों ओर से घेरे हैं। यहोवा ने तुम्हारा अभिषेक (चुनाव) अपने लोगों का शासक होने के लिये किया है। एक चिन्ह प्रकट होगा जो प्रमाणित करेगा कि यह सत्य है। 2 जब तुम मुझसे अलग होगे, तो तुम राहेल के कब्र के पास दो व्यक्तियों से, बिन्यामीन की धरती के सिवाने पर, सेलसह में मिलोगे। वे दोनों व्यक्ति तुमसे कहेंगे, ‘जिन गधों की खोज तुम कर रहे थे उन्हें किसी व्यक्ति ने प्राप्त कर लिया है। तुम्हारे पिता ने गधों के सम्बन्ध में चिन्ता करना छोड़ दिया है। अब उसे तुम्हारी चिन्ता है। वह कह रहा है: मैं अपने पुत्र के विषय में क्या करूँ?’”
3 शमूएल ने कहा, “अब तुम तब तक चलते रहोगे जब तक तुम ताबोर में बांज के विशाल पेड़ तक पहुँच नहीं जाते। वहाँ तुमसे तीन व्यक्ति मिलेंगे। वे तीनों व्यक्ति बेतेल में परमेश्वर की उपासना के लिये यात्रा पर होंगे। एक व्यक्ति बकरियों के तीन बच्चों को लिये होगा। दूसरा व्यक्ति तीन रोटियाँ लिये हुए होगा और तीसरा व्यक्ति एक मश्क दाखमधु लिये हुए होगा। 4 ये तीनों व्यक्ति कहेंगे, ‘आपका स्वागत है।’ वे तुम्हें दो रोटियाँ देंगे। तुम उनसे उन दो रोटियों को स्वीकार करोगे। 5 तब तुम गिबियथ— एलोहिम जाओगे। उस स्थान पर पिलिश्तियों का एक किला है। जब तुम उस नगर में पहुँचोगे तो कई नबी निकल आयेंगे। ये नबी आराधनास्थल से नीचे उपासना के लिये आयेंगे। वे भविष्यवाणी करेंगे। वे वीणा, खंजड़ी, और तम्बूरा बजा रहे होंगे। 6 तब तत्काल तुम पर यहोवा की आत्मा उतरेगी। तुम बदल जाओगे। तुम एक भिन्न ही पुरुष हो जाओगे। तुम इन भविष्यवक्ताओं के साथ भविष्यवाणी करने लगोगे। 7 इन बातों के घटित होने के बाद, तुम जो चाहोगे, करोगे। परमेश्वर तुम्हारे साथ होगा।
8 “मुझसे पहले गिलगाल जाओ। मैं तुम्हारे पास उस स्थान पर आऊँगा। तब मैं होमबलि और मेलबलि चढ़ाऊँगा। किन्तु तुम्हें सात दिन प्रतीक्षा करनी होगी। तब मैं आऊँगा और बताऊँगा कि तुम्हें क्या करना है।”
समीक्षा
मनुष्यों की सरकार
परमेश्वर ने योजना बनाई थी कि उनके लोग दूसरों से अलग होगे. उन्होंने ऐसे एक समाज की योजना बनाई जिसमें स्वयं परमेश्वर राजा थे. लेकिन इस्राएल बाकी दूसरों की तरह बनाना चाहता था. परमेश्वर का सीधा नियम केवल तभी काम करता है जब लोग पूरी तरह से परमेश्वर के प्रति समर्पित होते हैं. यदि ऐसा नहीं है, तो यह गड़बड़ी उत्पन्न करता है, जैसा कि हमने न्यायियों में देखा. कोई राजा न हो, इससे बेहतर है कि एक मानवीय राजा हो. हम इस तरह से उल्लेख कर सकते हैं:
परमेश्वर राजा के रूप में: परमेश्वर चाहते थे – उनकी सिद्ध इच्छा
एक मानवीय राजाः जिस स्थिति की परमेश्वर ने अनुमति दी –उनकी अनुमति के अनुसार कोई अच्छा राजा नहीं था: न्यायियों की स्थिति –गड़बड़ी परमेश्वर के लोगों ने उनके शासन को नकार दिया था. परमेश्वर कहते हैं, 'उनके राजा के रूप में उन्होंने मुझे नकार दिया है' (8:7). लोग एक राजा को माँगते हैं. वे कहते हैं, 'सभी दूसरे देशों की तरह, हमें एक राजा दे' (व.5).
शमुएल उन्हें चेतावनी देते हैं कि मानवीय सरकार कमजोर है और असफल होती है. शक्ति भ्रष्ट करती है. शमुएल चिताते हैं कि जो राजा उन पर शासन करेगा, वह उनके परिवार, भूमि, संपत्ति और कर्मचारी को ले लेगा और अपने और अपने प्रियजनों के लाभ के लिए उनका इस्तेमाल करेगा (वव.11-16).
दूसरे शब्दों में, वह उन्हें सभी मानवीय सरकार की असफलताओं और कमजोरियों के विषय में चिताते हैं. वह उन्हें कर और 'अत्यधिक नौकरशाही' के बारे में भी चिताते हैं! (व.15, एम.एस.जी.).
चेतावनी के बावजूद, लोग कहते हैं, 'हमे राजा चाहिए' (व.19). परमेश्वर ने 'योजना बी' की अनुमति दीः उन्होंने उन्हें एक राजा दिया (व.22). शाऊल को इस्राएल के अभिषिक्त लीडर के रुप में चुना गया ताकि अपने लोगों को छुड़ाए (9:6). जिस क्षण शमुएल शाऊल को देखते हैं, पलक झपकते ही वह पहचान लेते हैं कि यह व्यक्ति परमेश्वर के लोगों पर शासन करेगा (व.17). शाऊल, जो एक दीन परिवार से था (व.21), अभिषिक्त राजा बन जाता है (10:1).
परमेश्वर अनुग्रही रूप से इस नई योजना को आशीष देते हैं. शाऊल के साथ तीन उल्लेखनीय चीजें हुई (जो कि अब आपके साथ और हर मसीह के साथ होती हैं). पहला, जब उनका अभिषेक हुआ तब परमेश्वर का आत्मा सामर्थ में उन पर उतरा (व.6ब). दूसरा, वह 'बदल गए.' वह एक नए व्यक्ति बन गए' (व.6क, 2कुरिंथियो 5:17 देखे). तीसरा, शमुएल उनसे कहते हैं, 'जो कोई काम तुम्हें करने को दिया जाए, उसे करना. परमेश्वर तुम्हारे साथ हैं!' (व.7, एम.एस.जी.).
शाऊल के बारे में यह सच था और आपके बारे में यह सच है. एक परिस्थिति के विषय में आप चाहे जितनी भी निराशा महसूस करें, आप चाहे जितना परमेश्वर से दूर महसूस करें, प्रार्थना करना आपको चाहे जितना कठिन लगे, आपके पास चाहे जो भी संदेह हो, परमेश्वर का आत्मा आपके ऊपर है; आप उनके स्वरूप में बदल रहे हैं और परमेश्वर आपके साथ हैं.
प्रार्थना
परमेश्वर, हमारे लीडर्स को बुद्धि दें ताकि वे अपने व्यक्तिगत कामों को पास में रखकर, साथ मिलकर न्याय, शांती और आपकी महिमा के लिए देश में एकत्व को बनाए रखने में काम करे.
पिप्पा भी कहते है
1शमुएल 8:3
शमुएल के पुत्र परमेश्वर के मार्ग पर नहीं चलते थे. शमुएल ने बहुत से लोगों को परमेश्वर के मार्ग में लाए थे. यह कितने दुख की बात है कि उनके पुत्र इसमें शामिल नही थे. हमें विशेष रूप से मसीह लीडर्स के बच्चों के लिए प्रार्थना करने की आवश्यकता है.
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संदर्भ
विंस्टन एस. चर्चिन, चर्चिल कहते हैः शांति और युद्ध में संग्रहित भाषण, 1897 -1963, (एंsथेनम, 1981) (स्पीच इन द हाउस ऑफ कॉमन्स, 11नवंबर 1947)
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