दिन 189

घमंड के खतरे

बुद्धि नीतिवचन 16:18-27
नए करार प्रेरितों के काम 25:23-26:23
जूना करार 2 राजा 14:23-15:38

परिचय

जब मैं एक वकील के रूप में काम कर रहा था, मुझे याद है कि एक बहुत ही सीधा मामला था, मुझे लगा कि मैं यह अवश्य ही जीत जाऊंगा। मैं आत्मविश्वास से इतना भरा हुआ था कि मैंने निर्णय ले लिया कि इसके विषय में प्रार्थना करने या इसे परमेश्वर को सौंपने की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।

जब मैं बोलने के लिए खड़ा हुआ, तब न्यायाधीश ने मुझसे पूछा कि क्या मैं इस बात को जानता था कि पिछले कुछ दिनों में इस मामले से संबंधित नियम बदल गए हैं। मैं नहीं जानता था। इसके परिणामस्वरूप बहुत ही अपमानजनक हार को मुझे देखना पड़ा। जैसा कि आज के नीतिवचन में लेखांश चिताता है कि गिरने से पहले घमंड आता है।

शर्मिंदगी की स्थिति में मैंने सहायता के लिए परमेश्वर को पुकारा। मैंने वर्तमान मामले को पढ़ा और यह राय लिखी कि मुझे लगता है कि निर्णय गलत था और याचना करने पर यह बदल सकता है। धन्यवाद हो परमेश्वर का, कि ऐसा ही हुआ।

हम न्यायालय में वापस जा सके और मामले में जीत गए। मेरी गलती पर ध्यान देने के बजाय, वकील ने मेरे द्वारा लिखी गई राह से मोहित हो गए और मुझे और अधिक कानूनी मामले दिए। इसलिए इससे दोगुनी सीख मिली; ना केवल घमंड के खतरे के बारे में लेकिन परमेश्वर के असाधारण अनुग्रह के बारे में भी और कैसे 'वस्तुएं काम करती हैं जब आप परमेश्वर पर भरोसा करते हैं' (नीतिवचन 16:20, एम.एस.जी.)।

जब कभी मैं बोलने के लिए खड़ा होता हूँ, तब मैं घमंड के खतरे और स्वयं पर निर्भर रहने के विषय में उस सीख को न भूलने की कोशिश करता हूँ। मैं यह कहना चाहूँगा कि मैंने दोबारा वह गलती नहीं की है लेकिन यह एक सीख है जिसे मुझे कई बार दोबारा सीखना पड़ा।

अंग्रेजी में, शब्द 'घमंड' का एक अच्छा बोध है। उदाहरण के लिए, हम नहीं कहेंगे कि एक व्यक्ति को अपने बच्चों पर घमंड नहीं करना चाहिए या अपने काम पर घमंड नहीं करना चाहिए। किंतु, जब बाईबल घमंड के विषय में बात करती है तब इसका अर्थ इससे कुछ अलग है और इसका बहुत ही नकारात्मक अर्थ है।

इसका अर्थ है एक व्यक्ति के मूल्य या महत्व के विषय में बहुत ही अत्यधिक ऊँची राय रखना; यह अक्खड़पन या रौबीला बर्ताव है। यह आत्मनिर्भर आत्मा है जो कहती है कि, 'मुझे परमेश्वर की जरुरत नहीं है।' विवादास्पद रूप से, इसलिए यह सभी पाप की जड़ है। हमें प्रलोभन और घमंड के प्रति किस तरह से उत्तर देना चाहिए?

बुद्धि

नीतिवचन 16:18-27

18 नाश आने से पहले अहंकार आ जाता और
 पतन से पहले चेतना हठी हो जाती।

19 धनी और स्वाभिमानी लोगों के साथ सम्पत्ति बाँट लेने से,
 दीन और गरीब लोगों के साथ रहना उत्तम है।

20 जो भी सुधार संस्कार पर ध्यान देगा फूलेगा—फलेगा;
 और जिसका भरोसा यहोवा पर है वही धन्य है।

21 बुद्धिशील मन वाले समझदार कहलाते,
 और ज्ञान को मधुर शब्दों से बढ़ावा मिलता है।

22 जिनके पास समझ बूझ है, उनके लिए समझ बूझ जीवन स्रोत होती है,
 किन्तु मूर्खो की मूढ़ता उनको दण्ड दिलवाती।

23 बुद्धिमान का हृदय उसकी वाणी को अनुशासित करता है,
 और उसके होंठ शिक्षा को बढ़ावा देते हैं।

24 मीठी वाणी छत्ते के शहद सी होती है,
 एक नयी चेतना भीतर तक भर देती है।

25 मार्ग ऐसा भी होता जो उचित जान पड़ता है,
 किन्तु परिणाम में वह मृत्यु को जाता है।

26 काम करने वाले की भूख भरी इच्छाएँ उससे काम करवाती रहती हैं।
 यह भूख ही उस को आगे धकेलती है।

27 बुरा मनुष्य षड्यन्त्र रचता है,
 और उसकी वाणी ऐसी होती है जैसे झुलसाती आग।

समीक्षा

दीनता को विकसित करें

परमेश्वर चाहते हैं कि आप दीनता में और दयालुता में चलें, नाकि अक्खड़पन या घमंड में। गिरने से पहले घमंड आता हैः'विनाश से पहले गर्व, और ठोकर खाने से पहले घमंड आता है' (व.18, एम.एस.जी.)।

हमें याद दिलाया गया है कि 'घमंडियो के संग लूट बाँट लेने से, दीन लोगो के संग नम्र भाव से रहना उत्तम है' (व.19, एम.एस.जी.)।

सामर्थ की कमी उस समय कितना निराश करती है जब हम सोचते हैं कि हमें पता है कि परमेश्वर के राज्य को किस तरह से बढ़ाना है। किंतु, मानवीय नजरिये से यीशु के पास बहुत कम सामर्थ थी। वह 'आत्मा में दीन और सतानेवालों के बीच में थे' (व.19)।

घमंड का विरूद्धार्थी, 'आत्मा की दीनता, लाता हैः

  1. समृद्धी

दीनता का अर्थ है सीखने की इच्छाः'जो निर्देश पर ध्यान देते हैं वह समृद्ध होते हैं' (व.20अ)।

  1. खुशी

दीन जन परमेश्वर पर भरोसा करते हैं:'जो वचन पर मन लगाता। वह कल्याण पाता है, और जो यहोवा पर भरोसा रखता है, वह धन्य होता है' (व.20ब, ए.एम.पी.)।

  1. चंगाई

जैसा कि घमंडी के अक्खड़ वचनों से ('बुरा मनुष्य बुराई की युक्ति निकालता है, और उसके वचनों से आग लग जाती है', व.27), दीन सुख देने वाले वचनों का इस्तेमाल करता है ('मधुर वाणी के द्वारा ज्ञान बढ़ता है' व.21ब)। 'मनभावने वचन मधुभरे छत्ते के समान प्राणों को मीठे लगते हैं, और हड्डियों को हरी-भरी करते हैं' (व.24)।

प्रार्थना

परमेश्वर, मेरी सहायता करिए कि मैं हमेशा आप पर निर्भर रहूँ और आप पर भरोसा करुँ।

नए करार

प्रेरितों के काम 25:23-26:23

23 सो अगले दिन अग्रिप्पा और बिरनिके बड़ी सजधज के साथ आये और उन्होंने सेनानायकों तथा नगर के प्रमुख व्यक्तियों के साथ सभा भवन में प्रवेश किया। फेस्तुस ने आज्ञा दी और पौलुस को वहाँ ले आया गया।

24 फिर फेस्तुस बोला, “महाराजा अग्रिप्पा तथा उपस्थित सज्जनो! तुम इस व्यक्ति को देख रहे हो जिसके विषय में समूचा यहूदी-समाज, यरूशलेम में और यहाँ, मुझसे चिल्ला-चिल्ला कर माँग करता रहा है कि इसे अब और जीवित नहीं रहने देना चाहिये। 25 किन्तु मैंने जाँच लिया है कि इसने ऐसा कुछ नहीं किया है कि इसे मृत्युदण्ड दिया जाये। क्योंकि इसने स्वयं सम्राट से पुनर्विचार की प्रार्थना की है इसलिये मैंने इसे वहाँ भेजने का निर्णय लिया है। 26 किन्तु इसके विषय में सम्राट के पास लिख भेजने को मेरे पास कोई निश्चित बात नहीं है। मैं इसे इसीलिये आप लोगों के सामने और विशेष रूप से हे महाराजा अग्रिप्पा! तुम्हारे सामने लाया हूँ ताकि इस जाँच पड़ताल के बाद लिखने को मेरे पास कुछ हो। 27 कुछ भी हो मुझे किसी बंदी को उसका अभियोग-पत्र तैयार किये बिना वहाँ भेज देना असंगत जान पड़ता है।”

पौलुस राजा अग्रिप्पा के सामने

26अग्रिप्पा ने पौलुस से कहा, “तुझे स्वयं अपनी ओर से बोलने की अनुमति है।” इस पर पौलुस ने अपना हाथ उठाया और अपने बचाव में बोलना आरम्भ किया, 2 “हे राजा अग्रिप्पा! मैं अपने आप को भाग्यवान समझता हूँ कि यहूदियों ने मुझ पर जो आरोप लगाये हैं, उन सब बातों के बचाव में, मैं तेरे सामने बोलने जा रहा हूँ। 3 विशेष रूप से यह इसलिये सत्य है कि तुझे सभी यहूदी प्रथाओं और उनके विवादों का ज्ञान है। इसलिये मैं तुझसे प्रार्थना करता हूँ कि धैर्य के साथ मेरी बात सुनी जाये।

4 “सभी यहूदी जानते हैं कि प्रारम्भ से ही स्वयं अपने देश में और यरूशलेम में भी बचपन से ही मैंने कैसा जीवन जिया है। 5 वे मुझे बहुत समय से जानते हैं और यदि वे चाहें तो इस बात की गवाही दे सकते हैं कि मैंने हमारे धर्म के एक सबसे अधिक कट्टर पंथ के अनुसार एक फ़रीसी के रूप में जीवन जिया है। 6 और अब इस विचाराधीन स्थिति में खड़े हुए मुझे उस वचन का ही भरोसा है जो परमेश्वर ने हमारे पूर्वजों को दिया था। 7 यह वही वचन है जिसे हमारी बारहों जातियाँ दिन रात तल्लीनता से परमेश्वर की सेवा करते हुए, प्राप्त करने का भरोसा रखती हैं। हे राजन्, इसी भरोसे के कारण मुझ पर यहूदियों द्वारा आरोप लगाया जा रहा है। 8 तुम में से किसी को भी यह बात विश्वास के योग्य क्यों नहीं लगती है कि परमेश्वर मरे हुए को जिला देता है।

9 “मैं भी सोचा करता था नासरी यीशु के नाम का विरोध करने के लिए जो भी बन पड़े, वह बहुत कुछ करूँ। 10 और ऐसा ही मैंने यरूशलेम में किया भी। मैंने परमेश्वर के बहुत से भक्तों को जेल में ठूँस दिया क्योंकि प्रमुख याजकों से इसके लिये मुझे अधिकार प्राप्त था। और जब उन्हें मारा गया तो मैंने अपना मत उन के विरोध में दिया। 11 यहूदी आराधनालयों में मैं उन्हें प्राय: दण्ड दिया करता और परमेश्वर के विरोध में बोलने के लिए उन पर दबाव डालने का यत्न करता रहता। उनके प्रति मेरा क्रोध इतना अधिक था कि उन्हें सताने के लिए मैं बाहर के नगरों तक गया।

पौलुस द्वारा यीशु के दर्शन के विषय में बताना

12 “ऐसी ही एक यात्रा के अवसर पर जब मैं प्रमुख याजकों से अधिकार और आज्ञा पाकर दमिश्क जा रहा था, 13 तभी दोपहर को जब मैं सभी मार्ग में ही था कि मैंने हे राजन, स्वर्ग से एक प्रकाश उतरते देखा। उसका तेज सूर्य से भी अधिक था। वह मेरे और मेरे साथ के लोगों के चारों ओर कौंध गया। 14 हम सब धरती पर लुढ़क गये। फिर मुझे एक वाणी सुनाई दी। वह इब्रानी भाषा में मुझसे कह रही थी, ‘हे शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे क्यों सता रहा है? पैंने की नोक पर लात मारना तेरे बस की बात नहीं है।’

15 “फिर मैंने पूछा, ‘हे प्रभु, तु कौन है?’

“प्रभु ने उत्तर दिया, ‘मैं यीशु हूँ जिसे तु यातनाएँ दे रहा है। 16 किन्तु अब तू उठ और अपने पैरों पर खड़ा हो जा। मैं तेरे सामने इसीलिए प्रकट हुआ हूँ कि तुझे एक सेवक के रूप में नियुक्त करूँ और जो कुछ तूने मेरे विषय में देखा है और जो कुछ मैं तुझे दिखाऊँगा, उसका तू साक्षी रहे। 17 मैं जिन यहूदियों और विधर्मियों के पास 18 उनकी आँखें खोलने, उन्हें अंधकार से प्रकाश की ओर लाने और शैतान की ताकत से परमेश्वर की ओर मोड़ने के लिये, तुझे भेज रहा हूँ, उनसे तेरी रक्षा करता रहूँगा। इससे वे पापों की क्षमा प्राप्त करेंगे और उन लोगों के बीच स्थाऩ पायेंगे जो मुझ में विश्वास के कारण पवित्र हुए हैं।’”

पौलुस के कार्य

19 “हे राजन अग्रिप्पा, इसीलिये तभी से उस दर्शन की आज्ञा का कभी भी उल्लंघन न करते हूए 20 बल्कि उसके विपरीत मैं पहले उन्हें दमिश्क में, फिर यरूशलेम में और यहूदिया के समूचे क्षेत्र में और ग़ैर यहूदियों को भी उपदेश देता रहा कि मनफिराव के, परमेश्वर की ओर मुड़े और मनफिराव के योग्य काम करें।

21 “इसी कारण जब मैं यहाँ मन्दिर में था, यहूदियों ने मुझे पकड़ लिया और मेरी हत्या का यत्न किया। 22 किन्तु आज तक मुझे परमेश्वर की सहायता मिलती रही है और इसीलिए मैं यहाँ छोटे और बड़े सभी लोगों के सामने साक्षी देता खड़ा हूँ। मैं बस उन बातों को छोड़ कर और कुछ नहीं कहता जो नबियों और मूसा के अनुसार घटनी ही थीं 23 कि मसीह को यातनाएँ भोगनी होंगी और वही मरे हुओं में से पहला जी उठने वाला होगा और वह यहूदियों और ग़ैर यहूदियों को ज्योति का सन्देश देगा।”

समीक्षा

सेवा करें और गवाही दें

यदि आपको यीशु के विषय में गवाही देने का अवसर मिलता है, तब आपको क्या करना चाहिए? आपको अपनी कहानी किस तरह से बतानी चाहिए? इस लेखांश में हमें एक महान उदाहरण मिलता है कि क्या करना चाहिए।

पौलुस मुकदमे के समय, न्यायालय को बताते हैं कि यीशु ने उन्हें एक आयोग दिया हैः'क्योंकि मैं ने तुझे इसलिये दर्शन दिया है कि तुझे उन बातों का भी सेवक और गवाह ठहराउं' (26:16)। जैसा कि यीशु 'इसलिए नहीं आए कि उनकी सेवा की जाए, परंतु स्वयं सेवा करने के लिए आये' (मरकुस 10:45), वैसे ही हम सभी को सेवक और गवाह बनने के लिए बुलाया गया है। एक गवाह दीनतापूर्वक अपने से परे की ओर संकेत करता है। पौलुस दीनता से यीशु की ओर संकेत करते हैं। यहाँ पर हम देखते हैं कि कैसे वह अपनी बुलाहट को पूरा करते हैं।

पौलुस बंदीगृह और मुकदमे में घमंड और 'आडंबर से भरे' के आमने-सामने आते हैं, जैसे ही उन्हें अग्रीप्पा और बिरनीके के सामने लाया जाता है (प्रेरितों के काम 25:23)। अवश्य ही यह बहुत ही डरावना अनुभव रहा होगा।

पौलुस फिर एक बार सरलता से और दीनता से अपनी गवाही बताते हैं। वह राजा अग्रीप्पा के प्रति नम्रता और सम्मान दिखाते हैं (26:2-3)। वह रीति और सामाजिक अनुग्रह के प्रति अपनी सहमति देते हैं। वह कुशलतापूर्वक अपनी कहानी के उस भाग को चुनते हैं जो उनके सुनने वालों के लिए महत्वपूर्ण है।

अपनी गवाही के पहले भाग में पौलुस 'मैं' संदेशों का इस्तेमाल करते हैं, 'तुम' संदेशों के विपरित के रूप में। जबकि 'तुम' संदेश अक्खड़ और स्वयं को श्रेष्ठ मानने जैसा लगता है, 'मैं' संदेश कभी कभी बहुत प्रभावी होते हैं, साथ ही यह बात को बताने का व धमकी न देने वाला और अनुग्रही तरीका है।

वह कहते हैं कि वह ठीक उनकी तरह थेः 'मैं ने भी समझा था कि यीशु नासरी के नाम के विरोध में मुझे बहुत कुछ करना चाहिए। और मैं ने यरूशलेम में ऐसा ही किया...बहुत से पवित्र लोगों को बन्दीगृह में डाला और जब वे मार डाले जाते थे तो मैं भी उनके विरोध में अपनी सम्मति देता था' (वव.9-10)।

अंतर्निहित संदेश यह है कि, 'मैं तुम्हारी तरह था। मैं घमंड, ताकत और आडंबर से भरा हुआ था। मैंने वह किया जो तुम अभी कर रहे हो। मैंने मसीहों का सताव किया ठीक जैसे तुम अब मेरा सताव कर रहे हो।' (व.15)।

यीशु ने उन्हें बताया, 'और मैं तुझे तेरे लोगों से और अन्यजातियों से बचाता रहूँगा, जिनके पास मैं अब तुझे इसलिये भेजता हूँ कि तू उनकी आँखें खोले कि वे अंधकार से ज्योति की ओर, और शैतान के अधिकार से परमेश्वर की ओर फिरें; कि पापों की क्षमा और उन लोगों के साथ जो मुझ पर विश्वास करने से पवित्र किए गए हैं, उत्तराधिकार पाएँ' (वव.17-18)। उनकी गवाही के इस शक्तिशाली 'मैं' संदेश के द्वारा, पौलुस वास्तव में उनसे कह रहे हैं कि वे अंधकार में हैं और शैतान की सामर्थ के अधीन हैं, उन्हें अपने पापों से क्षमा की आवश्यकता है।

ना केवल वह उनकी जरुरतों की ओर संकेत करते हैं, वह क्षमा के रास्ते की ओर भी संकेत करते हैं:'मैं समझाता रहा, कि मन फिराओ और परमेश्वर की ओर फिर कर मन फिराव के योग्य काम करो' (व.20)। वह इन घमंडी और शक्तिशाली लोगों से कह रहे हैं कि, 'तुम्हें मन फिराने और परमेश्वर की ओर फिरने की आवश्यकता है।'

वह आगे कहते हैं, ' परन्तु परमेश्वर की सहायता से मैं आज तक बना हूँ और छोटे बड़े सभी के सामने गवाही देता हूँ' (व.22)। पौलुस सभी को प्रचार करने के लिए तैयार थे, शक्तिशाली और कमजोर दोंनो को।

पौलुस का संदेश हमेशा यीशु पर केंद्रित था, जो दमस्कुस की सड़क उनके सामने प्रकट हुए थे। वह गवाही देते हैं कि, 'मसीह को अवश्य ही कष्ट उठाना है और ...मरे हुओं में से जी उठना है' (व.23, ए.एम.पी.)।

प्रार्थना

परमेश्वर, मेरी सहायता करिए कि मैं लोगों को यीशु के बारे में बताने के हर अवसर का इस्तेमाल करुँ और दीन सेवा के उनके उदाहरण के पीछे चलूं।

जूना करार

2 राजा 14:23-15:38

यारोबाम द्वितीय इस्राएल पर शासन आरम्भ करता है

23 इस्राएल के राजा योआश के पुत्र यारोबाम ने शोमरोन में यहूदा के राजा योआश के पुत्र अमस्याह के राज्यकाल के पन्द्रहवें वर्ष में शासन करना आरम्भ किया। यारोबाम ने इकतालीस वर्ष तक शासन किया। 24 यारोबाम ने वे कार्य किये जिन्हें यहोवा ने बुरा बताया था। यारोबाम ने उस नबात के पुत्र यारोबाम के पापों को करना बन्द नहीं किया, जिसने इस्राएल को पाप करने के लिये विवश किया। 25 यारोबाम ने इस्राएल की उस भूमि को जो सिवाना हमात से अराबा सागर (मृत सागर) तक जाती थी, वापस लिया। यह वैसा ही हुआ जैसा इस्राएल के यहोवा ने अपने सेवक गथेपेर के नबी, अमित्तै के पुत्र योना से कहा था। 26 यहोवा ने देखा कि सभी इस्राएली, चाहे वे स्वतन्त्र हों या दास, बहुत सी परेशानियों में हैं। कोई व्यक्ति ऐसा नहीं बचा था जो इस्राएल की सहायता कर सकता। 27 यहोवा ने यह नहीं कहा था कि वह संसार से इस्राएल का नाम उठा लेगा। इसलिये यहोवा ने योआश के पुत्र यारोबाम का उपयोग इस्राएल के लोगों की रक्षा के लिये किया।

28 यारोबाम ने जो बड़े काम किये वे इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखे हैं। उसमें इस्राएल के लिये दमिश्क और हमात को यारोबाम द्वारा वापस जीत लेने की कथा सम्मिलित है। (पहले ये नगर यहूदा के अधिपत्य में थे।) 29 यारोबाम मरा और इस्राएल के राजाओं, अपने पूर्वजों के साथ दफनाया गया। यारोबाम का पुत्र जकर्याह उसके बाद नया राजा हुआ।

यहूदा पर अजर्याह का शासन

15यहूदा के राजा अमस्याह का पुत्र अजर्याह इस्राएल के राजा यारोबाम के राज्यकाल के सत्ताईसवें, वर्ष में राजा बना। 2 शासन करना आरम्भ करने के समय अजर्याह सोलह वर्ष का था। उसने यरूशलेम में बावन वर्ष तक शासन किया। अजर्याह की माँ यरूशलेम की यकोल्याह नाम की थी। 3 अजर्याह ने ठीक अपने पिता अमस्याह की तरह वे काम किये जिन्हें यहोवा ने अच्छा बताया था। अर्जयाह ने उन सभी कामों का अनुसरण किया जिन्हें उसके पिता अमस्याह ने किया था। 4 किन्तु उसने उच्च स्थानों को नष्ट नहीं किया। इन पूजा के स्थानों पर लोग अब भी बलि भेंट करते तथा सुगन्धि जलाते थे।

5 यहोवा ने राजा अजर्याह को हानिकारक कुष्ठरोग का रोगी बना दिया। वह मरने के दिन तक इसी रोग से पीड़ित रहा। अजर्याह एक अलग महल में रहता था। राजा का पुत्र योताम राज महल की देखभाल और जनता का न्याय करता था।

6 अजर्याह ने जो बड़े काम किये वे, यहूदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखे हैं। 7 अजर्याह मरा और अपने पूर्वजों के साथ दाऊद के नगर में दफनाया गया। अजर्याह का पुत्र योताम उसके बाद नया राजा हुआ।

इस्राएल पर जकर्याह का अल्पकालीन शासन

8 यारोबाम के पुत्र जकर्याह ने इस्राएल में शोमरोन पर छः महीने तक शासन किया। यह यहूदा के राजा अजर्याह के राज्यकाल के अड़तीसवें वर्ष में हुआ। 9 जकर्याह ने वे कार्य किये जिन्हें यहोवा ने बुरा कहा था। उसने वे ही काम किये जो उसके पूर्वजों ने किये थे। उसने नबाद के पुत्र यारोबाम के पापों का करना बन्द नहीं किया जिसने इस्राएल को पाप करने के लिये विवश किया।

10 याबेश के पुत्र शल्लूम ने जकर्याह के विरुद्ध षडयन्त्र रचा। शल्लूम ने जकर्याह को इब्लैम में मार डाला। उसके बाद शल्लूम नया राजा बना। 11 जकर्याह ने जो अन्य कार्य किये वे इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखे हैं। 12 इस प्राकर यहोवा का कथन सत्य सिद्ध हुआ। यहोवा ने येहू से कहा था कि उसके वंशजों की चार पीढ़ियाँ इस्राएल का राजा बनेंगी।

शल्लूम का इस्राएल पर अल्पकालीन शासन

13 याबेश का पुत्र शल्लूम यहूदा के राजा उज्जिय्याह के राज्यकाल के उनतालीसवें वर्ष में इस्राएल का राजा बना। शल्लूम ने शोमरोन में एक महीने तक शासन किया।

14 गादी का मनहेम तिर्सा से शोमरोन आ पहुँचा। मनहेम ने याबेश के पुत्र शल्लूम को मार डाला। तब उसके बाद मनहेम नया राजा हुआ।

15 शल्लूम ने जकर्याह के विरुद्ध षडयन्त्र करने सहित जो कार्य किये, वे सभी इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखे गए हैं।

इस्राएल पर मनहेम का शासन

16 शल्लूम के मरने के बाद मनहेम ने तिप्सह और तिर्सा तक फैले हुये चारों ओर के क्षेत्रों को हरा दिया। लोगों ने उसके लिये नगर द्वार को खोलना मना कर दिया। इसलिये मनहेम ने उनको पराजित किया और नगर की सभी गर्भवतियों के गर्भ को चीर गिराया।

17 गादी का पुत्र मनहेम यहूदा के राजा जकर्याह के राज्यकाल के उनतालीसवें वर्ष में इस्राएल का राजा हुआ। मनहेम ने शोमरोन में दस वर्ष शासन किया। 18 मनहेम ने वे काम किये जिन्हें यहोवा ने बुरा बताया था। मनहेम ने नबात के पुत्र यारोबाम के पापों को करना बन्द नहीं किया, जिसने इस्राएल को पाप करने के लिये विवश किया।

19 अश्शूर का राजा पूल इस्राएल के विरुद्ध युद्ध करने आया। मनहेम ने पूल को पचहत्तर हज़ार पौंड चाँदी दी। उसने यह इसलिये किया कि पूल मनहेम को बल प्रदान करेगा और जिससे राज्य पर उसका अधिकार सुदृढ़ हो जाये। 20 मनहेम ने सभी धनी और शक्तिशाली लोगों से करों का भुगतान करवा कर धन एकत्रित किया। मनेहम ने हर व्यक्ति पर पचास शेकेल कर लगाया। तब मनहेम ने अश्शूर के राजा को धन दिया। अतः अश्शूर का राजा चला गया और इस्राएल में नहीं ठहरा।

21 मनहेम ने जो बड़े कार्य किये वे इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखे हैं। 22 मनहेम मरा और अपने पूर्वजों के साथ दफनाया गया। मनहेम का पुत्र पकह्याह उसके बाद नया राजा हुआ।

इस्राएल पर पकह्याह का शासन

23 मनहेम का पुत्र पकह्याह यहूदा के राजा अजर्याह के राज्यकाल के पचासवें वर्ष में शोमरोम में इस्राएल का राजा हुआ। पकह्याह ने दो वर्ष तक राज्य किया। 24 पकह्याह ने वे काम किये जिन्हें यहोवा ने बुरा कहा था। पकह्याह ने नबात के पुत्र यारोबाम के पापों का करना बन्द नहीं किया जिसने इस्राएल को पाप करने के लिये विवश किया था।

25 पकह्याह की सेना का सेनापति रमल्याह का पुत्र पेकह था। पेकह ने पकह्याह को मार डाला। उसने उसे शोमरोन में राजा के महल में मारा। पेकह ने जब पकह्याह को मारा, उसके साथ गिलाद के पचास पुरुष थे। तब पेकह उसके बाद नया राजा हुआ।

26 पकह्याह ने जो बड़े काम किये वे इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखें हैं।

इस्राएल पर पेकह का शासन

27 रमल्याह के पुत्र पेकह ने यहूदा के राजा अजर्याह के राज्यकाल के बावनवें वर्ष में, इस्राएल पर शासन करना आरम्भ किया। पेकह ने बीस वर्ष तक शासन किया। 28 पेकह वे काम किये जिन्हें यहोवा ने बुरा कहा था। पेकह ने इस्राएल को पाप करने के लिये विवश करने वाले नबात के पुत्र यारोबाम के पाप कर्मों को करना बन्द नहीं किया।

29 अश्शूर का राजा तिग्लत्पिलेसेर इस्राएल के विरुद्ध लड़ने आया। यह वही समय था जब पेकह इस्राएल का राजा था। तिग्लत्पिलेसेर ने इय्योन, अबेल्बेत्माका, यानोह, केदेश, हासोर, गिलाद गालील और नप्ताली के सारे क्षेत्र पर अधिकार कर लिया। तिग्लत्पिलेसेर इन स्थानों से लोगों को बन्दी बनाकर अश्शूर ले गया।

30 एला का पुत्र होशे ने रमल्याह के पुत्र पेकह के विरुद्ध षडयन्त्र किया। होशे ने पेकह को मार डाला। तब होशे पेकह के बाद नया राजा बना। यह यहूदा के राजा उजिय्याह के पुत्र योताम के राज्यकाल के बीसवें वर्ष में हुआ।

31 पेकह ने जो सारे बड़े काम किये वे इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखें हैं।

यहूदा पर योताम शासन करता है

32 उजिय्याह का पुत्र योताम यहूदा का राजा बना। यह इस्राएल के राजा रमल्याह के पुत्र पेकह के राज्यकाल के दूसरे वर्ष में हुआ। 33 योताम जब राजा बना, वह पच्चीस वर्ष का था। योताम ने यरूशलेम में सोलह वर्ष तक शासन किया। योताम की माँ सादोक की पुत्री यरूशा थी। 34 योताम ने वे काम, जिन्हें यहोवा ने ठीक बताया था, ठीक अपने पिता उजिय्याह की तरह किये। 35 किन्तु उसने उच्च स्थानों को नष्ट नहीं किया। लोग उन पूजा स्थानों पर तब भी बलि चढ़ाते और सुगन्धि जलाते थे। योताम ने यहोवा के मन्दिर का ऊपरी द्वार बनवाया। 36 सभी बड़े काम जो योताम ने किये वे यहूदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखे हैं।

37 उस समय यहोवा ने अराम के राजा रसीन और रमल्याह के पुत्र पेकह को यहूदा के विरुद्ध लड़ने भेजा।

38 योताम मरा और अपने पूर्वजों के साथ दफनाया गया। योताम अपने पूर्वज दाऊद के नगर में दफनाया गया। योताम का पुत्र आहाज उसके बाद नया राजा हुआ।

समीक्षा

घमंड को रोकिये

उदाहरण के लिए, यदि कोई आपके लिए काम कर रहा है, या आप एक माता-पिता हैं, या एक सेवक के रूप में आप अगुवाई करने के पद पर हैं, तो आप सामर्थ के एक स्थान में हैं।

घमंड, सामर्थ के स्थान पर बैठे एक व्यक्ति के लिए एक प्रलोभन है - चाहे सामर्थ प्रतिष्ठा, सफलता, प्रसिद्धी या संपदा से आये।

इस्राएल और यहूदा के राजाओं का इतिहास दर्शाता है कि शक्तिशाली बनना और घमंड के प्रलोभन को रोकना बहुत ही कठिन बात है। इस समय के दौरान, यहूदा के राजा, इस्राएल के राजाओं से बेहतर काम कर रहे थे। इस्राएल में एक के बाद एक राजा ने परमेश्वर की नजरों में बुरा किया (14:24; 15:18,24,28), यहूदा में, अजर्याह और उनके पुत्र योताम दोनों ने 'वह किया जो परमेश्वर की नजरों में सही है' (15:3,34)।

अजर्याह, उज्जिय्याह नाम से भी जाना जाता है (व.32)। पुराने नियम के दूसरे भागों से हम उनके विषय में और अधिक जानते हैं (उदाहरण के लिए, आमोस 1:1, यशायाह 6:1एफ और 2इतिहास 26:16-23)।

यहाँ पर हमने पढ़ा कि यद्यपि 'उसने वह किया जो परमेश्वर की नजरों में सही था...तब भी ऊँचे स्थान गिराए नहीं गए...यहोवा ने उस राजा को ऐसा मारा, कि वह मरने के दिन तक कोढ़ का रोगी रहा' (2राजाओं 15:3-5)। उनका जीवन इतनी बुरी तरह से क्यों समाप्त हुआ?

इतिहास की पुस्तक उत्तर देती हैः'उसकी कीर्ति दूर दूर तक फैल गई, क्योंकि उसे अद्भुत सहायता यहाँ तक मिली कि वह सामर्थी हो गया। परंतु जब वह सामर्थी हो गया, तब उसका मन फूल उठा; और उसने बिगड़कर अपने परमेश्वर यहोवा का विश्वासघात किया' (2इतिहास 26:15-16)।

यह हमें चेतावनी देता है कि यदि परमेश्वर ने हमें सफलता की आशीष दी है, तो वहाँ पर हमेशा घमंडी होने का प्रलोभन आयेगा।

प्रार्थना

परमेश्वर, आपका धन्यवाद बाईबल में सभी चेतावनियों के लिए, साथ ही प्रोत्साहनों के लिए। हमेशा मेरी सहायता करें कि इन चेतावनियों पर मैं ध्यान दूं। परमेश्वर मैं पूरी तरह से आप पर निर्भर हूँ। मेरी सहायता कीजिए कि अपनी आँखे हमेशा यीशु पर लगाए रखूं, जो सर्वसामर्थी थे, तब भी उन्होंने अपने आपको इतना दीन किया और एक सेवक के समान बन गए (फिलिप्पियों 2:6-8)।

पिप्पा भी कहते है

नीतिवचन 16:18

एक बार मैंने एक गति से एक छोटी पार्किंग जगह में गाड़ी लगा दी और अपने आपसे प्रसन्न हो गई। मैंने अपनी माँ को बताया, जो मेरे साथ गाड़ी में बैठी थी, कि मैं अपने परिवार में पार्किंग करने में सबसे श्रेष्ठ हूँ और मैनें इस टिप्पणी पर नाराजगी दिखाई कि महिलाएँ पार्किंग करने में इतनी अच्छी नहीं होती हैं। बाद में, किसी ने कहा कि क्या मैं जाकर कुछ ला सकती हूँ। मैं अपने एक मित्र के साथ गाड़ी में चली गई और हम वापस आ गए। वही जगह खाली थी। लेकिन क्या मैं इसमें गाड़ी लगा पायी? पाँच बार मैंने कोशिश की और अंत में मेरे मित्र ने पार्पिंग करने में मेरी सहायता की! मेरे साथ सही हुआ। गिरने से पहले घमंड आता है!

reader

App

Download The Bible with Nicky and Pippa Gumbel app for iOS or Android devices and read along each day.

reader

Email

Sign up now to receive The Bible with Nicky and Pippa Gumbel in your inbox each morning. You’ll get one email each day.

Podcast

Subscribe and listen to The Bible with Nicky and Pippa Gumbel delivered to your favourite podcast app everyday.

reader

Website

Start reading today’s devotion right here on the BiOY website.

संदर्भ

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

एक साल में बाइबल

  • एक साल में बाइबल

This website stores data such as cookies to enable necessary site functionality and analytics. Find out more