दिन 23

आपके पास कुँजियाँ हैं

बुद्धि भजन संहिता 14:1-7
नए करार मत्ती 16:1-20
जूना करार उत्पत्ति 45:1-47:12

परिचय

15 जनवरी 2009। यू.एस. एरवेज़ उड़ान संख्या 1549 हंसों के झुंड से टकरा गया। दोनों इंजिन फेल हो गए थे। हवाई जहाज़ न्यू य़ॉर्क के ऊपर उड़ रहा था। संभावित खतरा मंडरा रहा था। यात्रा करने वाले 155 प्रवासी ही खतरे में नहीं थे बल्कि न्यू यॉर्क की ऊँची बिल्डिंगों से टकरा जाने के कारण हज़ारों लोगों की जान भी जा सकती थी। कैप्टन चेसली बी ‘सुली’ सलेन्बर्गर III ने अद्भुत कौशल और साहस से क्षतिग्रस्त यू.एस. हवाई जहाज़ का मार्गदर्शन किया। उसने हडसन रिवर में सफलतापूर्वक आपातकालीन लैंडिंग करवाई। एक भी यात्री की मौत नहीं हुई, और ना ही किसी को गंभीर चोट पहुँची थी। न्यू यॉर्क के मेयर ने बहादुर पायलट को शहर की ‘कुँजियाँ’ दीं, जिसने उन्हें बचाया था।

किसी को शहर की कुँजियाँ मिलना बड़े सौभाग्य की बात है। ये पहुँच और अधिकार का प्रतीक हैं। सामान्य रूप से ये कुँजियाँ उन्हें शहर के प्रति महान सेवा के सम्मान में दी जाती हैं। नये नियम में हम देखते हैं कि यीशु मसीह ने इस कुँजी को पाया था। पुनरूत्थित यीशु कहते हैं, ‘मेरे पास मृत्यु और अधोलोक’ की कुँजियाँ हैं। उनकी मृत्यु और पुनरूत्थान के द्वारा, यीशु ने बहुत बड़ा उद्धार लाया, और ऐसा कोई भी हासिल नहीं कर पाया था। इस कारण उन्होंने जो अधिकार प्राप्त किया वह भी अब तक का सबसे महान है – उनके पास जीवन और मृत्यु की कुँजियाँ हैं

आश्चर्यजनक रूप से, यीशु ने ‘राज्य की कुँजियाँ’ पतरस और चर्च को दी हैं (मत्ती 16:19)। फिर भी कई मसीही जन किसी भी आत्मिक अधिकार की कमी महसूस करते हुए खुद को सामर्थहीन समझते हैं।

बुद्धि

भजन संहिता 14:1-7

संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का पद।

14मूर्ख अपने मनमें कहता है, “परमेश्वर नहीं है।”
 मूर्ख जन तो ऐसे कार्य करते हैं जो भ्रष्ट और घृणित होते हैं।
 उनमें से कोई भी भले काम नहीं करता है।

2 यहोवा आकाश से नीचे लोगों को देखता है,
 कि कोई विवेकी जन उसे मिल जाये।
 विवेकी मनुष्य परमेश्वर की ओर सहायता पाने के लिये मुड़ता है।
3 किन्तु परमेश्वर से मुड़ कर सभी दूर हो गये हैं।
 आपस में मिल कर सभी लोग पापी हो गये हैं।
 कोई भी जन अच्छे कर्म नहीं कर रहा है!

4 मेरे लोगों को दुष्टों ने नष्ट कर दिया है। वे दुर्जन परमेश्वर को नहीं जानते हैं।
 दुष्टों के पास खाने के लिये भरपूर भोजन है।
 ये जन यहोवा की उपासना नहीं करते।
5 ये दुष्ट मनुष्य निर्धन की सम्मति सुनना नहीं चाहते।
 ऐसा क्यों है? क्योंकि दीन जन तो परमेश्वर पर निर्भर है।
6 किन्तु दुष्ट लोगों पर भय छा गया है।
 क्यों? क्योंकि परमेश्वर खरे लोगों के साथ है।

7 सिय्योन पर कौन जो इस्राएल को बचाता है? वह तो यहोवा है,
 जो इस्राएल की रक्षा करता है!
 यहोवा के लोगों को दूर ले जाया गया और उन्हें बलपूर्वक बन्दी बनाया गया।
 किन्तु यहोवा अपने भक्तों को वापस छुड़ा लायेगा।
 तब याकूब (इस्राएल) अति प्रसन्न होगा।

समीक्षा

परमेश्वर तक पहुँचने का आनंद उठाएं

‘राज्य की कुँजिया’ (मत्ती 16:19) देने का मतलब है, परमेश्वर तक पहुँच पाना। यीशु ने हमारे लिए यही हासिल किया है। परमेश्वर हमेशा उन लोगों की तलाश में हैं ‘जो उन्हें खोजते हैं’ (भजन संहिता 14:2)। आप परमेश्वर तक पहुँच पाने का आनंद उठा सकते हैं।

लेकिन कोई भी धर्मी नहीं है। पूरी मानव जाति ने पाप किया। हम में से हर एक जन भ्रष्ट हो चुका है (पद - 1,3; इसका उद्धरण रोमियों 3:9-12 में किया गया है)।

दाऊद इस भ्रष्टाचार का उल्लेख सामान्य रूप से करते हैं (पद - 1ब), लेकिन उसने दो खास उदाहरण भी दिये हैं:

  1. परमेश्वर के होने का इंकार करना
  • ‘मूर्ख ने अपने मन में कहा है, कोई परमेश्वर है ही नहीं’ (पद - 1)।
  1. दीनों की मदद करने से इंकार करना
  • ‘तुम तो दीन की युक्ति की हंसी उड़ाते हो ’ (पद - 6)।

परमेश्वर के राज्य में परमेश्वर को खोजना और दीनों के प्रति न्याय करना शामिल है, और इस भजन की समाप्ति बिल्कुल इसी तथ्य के साथ होती है। दाऊद परमेश्वर को पुकारता है, यह पूछते हुए, ‘भला हो कि इस्राएल का उद्धार सिय्योन से प्रगट होता!’ (पद - 7अ)।

धन्यवाद परमेश्वर ने ऐसा ही किया। सियोन से इस्राएल के लिए उद्धार यीशु के रूप में निकला है। वे जन्मे, मरे और फिर से जी उठे ताकि आपको क्षमा मिल सके, और आप उनके लहू से धर्मी बनें और आप पिता तक पहुँच पाएं (इफीसीयों 2:18)। अब यीशु आपको राज्य की कुँजियाँ दे रहे हैं।

प्रार्थना

प्रभु, आपका धन्यवाद कि आपने मुझे धार्मिकता दी है जो मेरी खुद की नहीं है। आपका धन्यवाद कि आपने मुझे पिता तक पहुँचने का मार्ग बताया है। प्रभु, आज मैं आपको खोजता हूँ।

नए करार

मत्ती 16:1-20

यहूदी नेताओं की चाल

16फिर फ़रीसी और सदूकी यीशु के पास आये। वे उसे परखना चाहते थे सो उन्होंने उससे कोई चमत्कार करने को कहा, ताकि पता लग सके कि उसे परमेश्वर की अनुमति मिली हुई है।

2 उसने उत्तर दिया, “सूरज छुपने पर तुम लोग कहते हो, ‘आज मौसम अच्छा रहेगा क्योंकि आसमान लाल है’ 3 और सूरज उगने पर तुम कहते हो, ‘आज अंधड़ आयेगा क्योंकि आसमान धुँधला और लाल है।’ तुम आकाश के लक्षणों को पढ़ना जानते हो, पर अपने समय के लक्षणों को नहीं पढ़ सकते। 4 अरे दुष्ट और दुराचारी पीढ़ी के लोग कोई चिन्ह देखना चाहते हैं, पर उन्हें सिवाय योना के चिन्ह के कोई और दूसरा चिन्ह नहीं दिखाया जायेगा।” फिर वह उन्हें छोड़कर चला गया।

यीशु की चेतावनी

5 यीशु के शिष्य झील के पार चले आये, पर वे रोटी लाना भूल गये। 6 इस पर यीशु ने उनसे कहा, “चौकन्ने रहो! और फरीसियों और सदूकियों के ख़मीर से बचे रहो।”

7 वे आपस में सोच विचार करते हुए बोले, “हो सकता है, उसने यह इसलिये कहा क्योंकि हम कोई रोटी साथ नहीं लाये।”

8 वे क्या सोच रहे हैं, यीशु यह जानता था, सो वह बोला, “ओ अल्प विश्वासियों, तुम आपस में अपने पास रोटी नहीं होने के बारे में क्यों सोच रहे हो? 9 क्या तुम अब भी नहीं समझते या याद करते कि पाँच हज़ार लोगों के लिए वे पाँच रोटियाँ और फिर कितनी टोकरियाँ भर कर तुमने उठाई थीं? 10 और क्या तुम्हें याद नहीं चार हज़ार के लिए वे सात रोटियाँ और फिर कितनी टोकरियाँ भर कर तुमने उठाई थीं? 11 क्यों नहीं समझते कि मैंने तुमसे रोटियों के बारे में नहीं कहा? मैंने तो तुम्हें फरीसियों और सदूकियों के ख़मीर से बचने को कहा है।”

12 तब वे समझ गये कि रोटी के ख़मीर से नहीं बल्कि उसका मतलब फरीसियों और सदूकियों की शिक्षाओं से बचे रहने से है।

यीशु मसीह है

13 जब यीशु कैसरिया फिलिप्पी के प्रदेश में आया तो उसने अपने शिष्यों से पूछा, “लोग क्या कहते हैं, कि मैं कौन हूँ?”

14 वे बोले, “कुछ कहते हैं कि तू बपतिस्मा देने वाला यूहन्ना है, और दूसरे कहते हैं कि तू एलिय्याह है और कुछ अन्य कहते हैं कि तू यिर्मयाह या भविष्यवक्ताओं में से कोई एक है।”

15 यीशु ने उनसे कहा, “और तुम क्या कहते हो कि मैं कौन हूँ?”

16 शमौन पतरस ने उत्तर दिया, “तू मसीह है, साक्षात परमेश्वर का पुत्र।”

17 उत्तर में यीशु ने उससे कहा, “योना के पुत्र शमौन! तू धन्य है क्योंकि तुझे यह बात किसी मनुष्य ने नहीं, बल्कि स्वर्ग में स्थित मेरे परम पिता ने दर्शाई है। 18 मैं कहता हूँ कि तू पतरस है। और इसी चट्टान पर मैं अपनी कलीसिया बनाऊँगा। मृत्यु की शक्ति उस पर प्रबल नहीं होगी। 19 मैं तुझे स्वर्ग के राज्य की कुंजियाँ दे रहा हूँ। ताकि धरती पर जो कुछ तू बाँधे, वह परमेश्वर के द्वारा स्वर्ग में बाँधा जाये और जो कुछ तू धरती पर छोड़े, वह स्वर्ग में परमेश्वर के द्वारा छोड़ दिया जाये।”

20 फिर उसने अपने शिष्यों को कड़ा आदेश दिया कि वे किसी को यह ना बतायें कि वह मसीह है।

समीक्षा

विश्वास की कुँजियाँ प्राप्त कीजिये

राज्य की कुँजियों के बारे में यीशु की शिक्षा का संदर्भ यह समझना और मानना है कि ‘यीशु कौन हैं’। जब हम आज के लिए भजन संहिता का पद्यांश पढ़ते हैं, ‘परमेश्वर ने स्वर्ग में से मनुष्यों पर दृष्टि की है, कि देखे कि कोई बुद्धिमान, कोई परमेश्वर का खोजी है या नहीं’, ठीक उसी तरह यीशु अपने शिष्यों में समझ की कमी पर आश्चर्य करते हैं: ‘क्या तुम अब तक नहीं समझे?.... तुम क्यों नहीं समझते?’ (मत्ती 16:9,11)।

फिर पतरस को आश्चर्य होता है कि यीशु ‘मसीहा, जीवित परमेश्वर के पुत्र हैं’ (पद - 16)। यह इस प्रसंग में है कि यीशु पतरस को यह कुँजियाँ देते हैं कि, ‘मैं इस पत्थर पर अपनी कलीसिया बनाऊंगा: और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे। मैं तुझे स्वर्ग के राज्य की कुंजियां दूंगा: और जो कुछ तू पृथ्वी पर बान्धेगा, वह स्वर्ग में बन्धेगा; और जो कुछ तू पृथ्वी पर खोलेगा, वह स्वर्ग में खुलेगा।’ (मत्ती 18-19)।

यीशु के शब्द पतरस को संबोधित किये गए थे। पतरस ने जो विश्वास दिखाया था उस चट्टान पर यीशु अपनी कलीसिया बनाने जा रहे थे। पतरस राज्य की कुँजियाँ प्राप्त करता है। पिन्तेकुस के दिन, पतरस ने 3000 लोगों के लिए द्वार खोला (प्रेरितों के कार्य 2:41)। उसने अन्यजाति के सूबेदार, कुरनेलियुस के लिए द्वार खोला जिससे दुनिया की सारी अन्य जाति के लिए यह द्वार खुल गया (प्रेरितों के कार्य 10)।

लेकिन राज्य की कुँजियाँ केवल पतरस के पास ही नहीं है। बल्कि मत्ती के सुसमाचार में, यीशु अपने शिष्यों को ऐसा ही अधिकार देते हैं: ‘मैं तुम से सच कहता हूं, जो कुछ तुम पृथ्वी पर बान्धोगे, वह स्वर्ग में बन्धेगा और जो कुछ तुम इस पृथ्वी पर खोलोगे, वह स्वर्ग में खुलेगा’ (मत्ती 18:18)।

यह एक असाधारण ज़िम्मेदारी और सौभाग्य है जो यीशु हमें, या अपने चर्च को देते हैं। वह हमें अपने राज्य की कुँजियाँ देते हैं। ‘यदि तुम में से दो जन पृथ्वी पर किसी बात के लिये जिसे वे मांगें, एक मन के हों, तो वह मेरे पिता की ओर से जो स्वर्ग में है’ उन के लिये हो जाएगी’ (16:19)।

यीशु कहते हैं कि, वास्तव में जो यीशु पर विश्वास करते हैं उन पर नरक की शक्तियाँ प्रबल नहीं होने पाएंगी (पद - 18)। बजाय इसके, चर्च को राज्य की कुँजियों से लैस किया गया है, जो नरक के दरवाजों को खोल सकती हैं और बंदियों को आज़ाद करा सकती हैं।

‘अधोलोक के दरवाज़े’ चर्च के विरूद्ध प्रबल नहीं हो सकते। दरवाजे रक्षात्मक हैं ना कि आक्रामक, चर्च आक्रामक होते हैं और आप शत्रु के हमलों के विरूद्ध आश्वस्त हो सकते हैं।

राज्य के सुसमाचार का प्रचार करने के द्वारा आप लोगों को आज़ाद होते हुए देखने का अद्भुत सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं। आप लोगों को ड्रग, शराब के व्यसन से, अपराध और हर एक तरह के बंधन से छुटकारा पाते हुए देखने का आनंद ले सकते हैं। यह जानते हुए कि आप असाधारण आत्मिक अधिकार रखते हैं, आप बुराई से न डरते हुए साहस से चुनौती का सामना कर सकते हैं।

प्रार्थना

प्रभु, आपके वायदे के लिए धन्यवाद कि जो कुछ पृथ्वी पर बांधा जाएगा वह स्वर्ग में बांधा जाएगा और जो कुछ पृथ्वी पर खोला जाएगा वह स्वर्ग में खोला जाएगा।

जूना करार

उत्पत्ति 45:1-47:12

यूसुफ अपने को प्रकट करता है कि वह कौन है

45यूसुफ अपने को और अधिक न संभाल सका। वह वहाँ उपस्थित सभी लोगों के सामने हो पड़ा। यूसुफ ने कहा, “हर एक से कहो कि यहाँ से हट जाए।” इसलिए सभी लोग चले गये। केवल उसके भाई ही यूसुफ के साथ रह गए। तब यूसुफ ने उन्हें बताया कि वह कौन है। 2 यूसुफ रोता रहा, और फ़िरौन के महल के सभी मिस्री व्यक्तियों ने सुना। 3 यूसुफ ने अपने भाईयों से कहा, “मैं आप लोगों का भाई यूसुफ हूँ। क्या मेरे पिता सकुशल हैं?” किन्तु भाईयों ने उसको उत्तर नहीं दिया। वे डरे हुए तथा उलझन में थे।

4 इसलिए यूसुफ ने अपने भाईयों से फिर कहा, “मेरे पास आओ।” इसलिए यूसुफ के भाई निकट गए और यूसुफ ने उनसे कहा, “मैं आप लोगों का भाई यूसुफ हूँ। मैं वहीं हूँ जिसे मिस्रियों के हाथ आप लोगों ने दास के रूप में बेचा था। 5 अब परेशान न हों। आप लोग अपने किए हुए के लिए स्वयं भी पश्चाताप न करें। वह तो मेरे लिए परमेश्वर की योजना थी कि मैं यहाँ आऊँ। मैं यहाँ तुम लोगों का जीवन बचाने के लिए आया हूँ। 6 यह भयंकर भूखमरी का समय दो वर्ष ही अभी बीता है और अभी पाँच वर्ष बिना पौधे रोपने या उपज के आएँगे। 7 इसलिए परमेश्वर ने तुम लोगों से पहले मुझे यहाँ भेजा जिससे मैं इस देश में तुम लोगों को बचा सकूँ। 8 यह आप लोगों का दोष नहीं था कि मैं यहाँ भेजा गया। वह परमेश्वर की योजना थी। परमेश्वर ने मुझे फ़िरौन के पिता सदृश बनाया। ताकि मैं उसके सारे घर और सारे मिस्र का शासक रहूँ।”

इस्राएल मिस्र के लिए आमन्त्रित हुआ

9 यूसुफ ने कहा, “इसलिए जल्दी मेरे पिता के पास जाओ। मेरे पिता से कहो कि उसके पुत्र यूसुफ ने यह सन्देश भेजा है: ‘परमेश्वर ने मुझे पूरे मिस्र का शासक बनाया है। मेरे पास आइये। प्रतीक्षा न करें। अभी आएँ। 10 आप मेरे निकट गोशेन प्रदेश में रहेंगे। आपका, आपके पुत्रों का, आपके सभी जानवरों एवं झुण्डों का यहाँ स्वागत है। 11 भुखमरी के अगले पाँच वर्षों में मैं आपकी देखभाल करुँगा। इस प्रकार आपके और आपके परिवार की जो चीज़ें हैं उनसे आपको हाथ धोना नहीं पड़ेगा।’

12 “यूसुफ अपने भाईयों से बात करता रहा। उसने कहा, “अब आप लोग देखते हैं कि यह सचमुच मैं ही हूँ, और आप लोगों का भाई बिन्यामीन जानता है कि यह मैं हूँ। मैं आप लोगों का भाई आप लोगों से बात कर रहा हूँ। 13 इसलिए मेरे पिता से मेरी मिस्र की अत्याधिक सम्पत्ति के बारे में कहें। आप लोगों ने जो यहाँ देखा है उस हर एक चीज़ के बारे में मेरे पिता को बताएं। अब जल्दी करो और मेरे पिता को लेकर मेरे पास लौटो।” 14 तब यूसुफ ने अपने भाई बिन्यामीन को गले लगाया और हो पड़ा और बिन्यामीन भी हो पड़ा। 15 तब यूसुफ ने सभी भाईयों को चूमा और उनके लिए रो पड़ा। इसके बाद भाई उसके साथ बातें करने लगे।

16 फ़िरौन को पता लगा कि यूसुफ के भाई उसके पास आए हैं। यह खबर फ़िरौन के पूरे महल में फैल गई। फ़िरौन और उसके सेवक इस बारे में बहुत प्रसन्न हुए। 17 इसलिए फ़िरौन ने यूसुफ से कहा, “अपने भाईयों से कहो कि उन्हें जितना भोजन चाहिए, लें और कनान देश को लौट जाएं। 18 अपने भाईयों से कहो कि वे अपने पिता और अपने परिवारों को लेकर यहाँ मेरे पास आएं। मैं तुम्हें जीविका के लिए मिस्र में सबसे अच्छी भूमि दूँगा और तुम्हारा परिवार सबसे अच्छा भोजन करेगा जो हमारे पास यहाँ है। 19 तब फ़िरौन ने कहा, “हमारी सबसे अच्छी गाड़ियों में से कुछ अपने भाईयों को दो। उन्हें कनान जाने और गाड़ियों में अपने पिता, स्त्रियों और बच्चों को यहाँ लाने को कहो। 20 उनकी कोई भी चीज़ यहाँ लाने की चिन्ता न करो। हम उन्हें मिस्र में जो कुछ सबसे अच्छा है, देंगे।”

21 इसलिए इस्राएल के पुत्रों ने यही किया। यूसुफ ने फ़िरौन के वचन के अनुसार अच्छी गाड़ियाँ दीं और यूसुफ ने यात्रा के लिए उन्हें भरपूर भोजन दिया। 22 यूसुफ ने हर एक भाई को एक एक जोड़ा सुन्दर वस्त्र दिया। किन्तु यूसुफ ने बिन्यामीन को पाँच जोड़े सुन्दर वस्त्र दिए और यूसुफ ने बिन्यामीन को तीन सौ चाँदी के सिक्के भी दिए। 23 यूसुफ ने अपने पिता को भी भेंटें भेजीं। उसने मिस्र से बहुत सी अच्छी चीज़ों से भरी बोरियों से लदे दस गधों को भेजा और उसने अपने पिता के लिए अन्न, रोटी और अन्य भोजन से लदी हुई दस गदहियों को उनकी वापसी यात्रा के लिए भेजा। 24 तब यूसुफ ने अपने भाईयों को जाने के लिए कहा। जब वे जाने को हुए थे यूसुफ ने उनसे कहा, “सीधे घर जाओ और रास्ते में लड़ना नहीं।”

25 इस प्रकार भाईयों ने मिस्र को छोड़ा और कनान देश में अपने पिता के पास गए। 26 भाईयों ने उससे कहा, “पिताजी यूसुफ अभी जीवित है और वह पूरे मिस्र देश का प्रशासक है।”

उनका पिता चकित हुआ। उसने उन पर विश्वास नहीं किया। 27 किन्तु यूसुफ ने जो बातें कही थीं, भाईयों ने हर एक बात अपने पिता से कही। तब याकूब ने उन गाड़ियों को देखा जिन्हें यूसुफ ने उसे मिस्र की वापसी यात्रा के लिए भेजा था। तब याकूब भाबुक हो गया और अत्यन्त प्रसन्न हुआ। 28 इस्राएल ने कहा, “अब मुझे विश्वास है कि मेरा पुत्र यूसुफ अभी जीवित है। मैं मरने से पहले उसे देखने जा रहा हूँ।”

परमेश्वर इस्राएल को विश्वास दिलाता है

46इसलिए इस्राएल ने मिस्र की अपनी यात्रा प्रारम्भ की। पहले इस्राएल बेर्शेबा पहुँचा। वहाँ इस्राएल ने अपने पिता इसहाक के परमेश्वर की उपासना की। उसने बलि दी। 2 रात में परमेश्वर इस्राएल से सपने में बोला। परमेश्वर ने कहा, “याकूब, याकूब।”

और इस्राएल ने उत्तर दिया, “मैं यहाँ हूँ।”

3 तब यहोवा ने कहा, “मैं यहोवा हूँ तुम्हारे पिता का परमेश्वर। मिस्र जाने से न डरो। मिस्र में मैं तुम्हें महान राष्ट्र बनाऊँगा। 4 मैं तुम्हारे साथ मिस्र चलूँगा और मैं तुम्हें फिर मिस्र से बाहर निकाल लाऊँगा। तुम मिस्र में मरोगे। किन्तु यूसुफ तुम्हारे साथ रहेगा। जब तुम मरोगे तो वह स्वयं अपने हाथों से तुम्हारी आँखें बन्द करेगा।”

इस्राएल मिस्र को जाता है

5 तब याकूब ने बेर्शेबा छोड़ा और मिस्र तक यात्रा की। उसके पुत्र, अर्थात् इस्राएल के पुत्र अपने पिता, अपनी पत्नियों और अपने सभी बच्चों को मिस्र ले आए। उन्होंने फ़िरौन द्वारा भेजी गयी गाड़ियों में यात्रा की। 6 उनके पास उनके पशु और कनान देश में उनका अपना जो कुछ था, वह भी साथ था। इस प्रकार इस्राएल अपने सभी बच्चे और अपने परिवार के साथ मिस्र गया। 7 उसके साथ उसके पुत्र और पुत्रियाँ एवं पौत्र और पौत्रियाँ थीं। उसका सारा परिवार उसके साथ मिस्र को गया।

याकूब का परिवार (इस्राएल)

8 यह इस्राएल के उन पुत्रों और परिवारों के नाम हैं जो उसके साथ मिस्र गए:

रूबेन याकूब का पहला पुत्र था।

9 रूबेन के पुत्र थे:
 हनोक, पललू, हेस्रोन और कर्म्मी।

10 शिमोन के पुत्र:
 यमूएल, यामीन, ओहद, याकीन और सोहर। वहाँ शाऊल भी था। (शाऊल कनानी पत्नी से पैदा हुआ था।)

11 लेवी के पुत्र:
 गेर्शोन, कहात और मरारी।

12 यहूदा के पुत्र:
 एर, ओनान, शेला, पेरेस और जेरह। (एर और ओनान कनान में रहते समय मर गये थे।) पेरेस के पुत्र: हेब्रोन और हामूल।

13 इस्साकार के पुत्र:
 तोला, पुब्बा, योब और शिम्रोन।

14 जबूलून के पुत्र:
 सेरेद, एलोन और यहलेल।

15 रूबेन, शिमोन लेवी, इस्साकार और जबूलून और याकूब की पत्नी लिआ से उसकी पुत्री दीना भी थी। इस परिवार में तैंतीस व्यक्ति थे।

16 गाद के पुत्र:
 सिय्योन, हाग्गी, शूनी, एसबोन, एरी, अरोदी और अरेली।

17 आशेर के पुत्र:
 यिम्ना, यिश्वा, यिस्वी, बरीआ और उनकी बहन सेरह और बरीआ के पुत्र: हेबेर और मल्कीएल थे।

18 ये सभी याकूब की पत्नी की दासी जिल्पा से उसके पुत्र थे। इस परिवार में सोलह व्यक्ति थे।

19 याकूब के साथ उसकी पत्नी राहेल से पैदा हुआ पुत्र बिन्यामीन भी था। (यूसुफ भी राहेल से पैदा था, किन्तु वह पहले से ही मिस्र में था।)

20 मिस्र में यूसुफ के दो पुत्र थे,
 मनश्शे, एप्रैम। (यूसुफ की पत्नी ओन के याजक पोतीपेरा की पुत्री आसनत थी।)

21 बिन्यामीन के पुत्र:
 बेला, बेकेर, अश्बेल, गेरा, नामान, एही, रोश, हुप्पीम, मुप्पीम और आर्द।

22 वे याकूब की पत्नी राहेल से पैदा हुए उसके पुत्र थे। इस परिवार में चौदह व्यक्ति थे।

23 दान का पुत्र:
 हूशीम।

24 नप्ताली के पुत्र:
 यहसेल, गूनी, सेसेर शिल्लेम।

25 वे याकूब और बिल्हा के पुत्र थे। (बिल्हा राहेल की सेविका थी।) इस परिवार में सात व्यक्ति थे।

26 इस प्रकार याकूब का परिवार मिस्र में पहुँचा। उनमें छियासठ उसके सीधे वंशज थे। (इस संख्या में याकूब के पुत्रों की पत्नियाँ सम्मिलित नहीं थीं।) 27 यूसुफ के भी दो पुत्र थे। वे मिस्र में पैदा हुए थे। इस प्रकार मिस्र में याकूब के परिवार में सत्तर व्यक्ति थे।

इस्राएल मिस्र पहुँचता है

28 याकूब ने पहले यहूदा को यूसुफ के पास भेजा। यहूदा गोशेन प्रदेश में यूसुफ के पास गया। जब याकूब और उसके लोग उस प्रदेश में गए। 29 यूसुफ को पता लगा कि उसका पिता निकट आ रहा है। इसलिए यूसुफ ने अपना रथ तैयार कराया और अपने पिता इस्राएल से गीशोन में मिलने चला। जब यूसुफ ने अपने पिता को देखा तब वह उसके गले से लिपट गया और देर तक रोता रहा।

30 तब इस्राएल ने यूसुफ से कहा, “अब मैं शान्ति से मर सकता हूँ। मैंने तुम्हारा मुँह देख लिया और मैं जानता हूँ कि तुम अभी जीवित हो।”

31 यूसुफ ने अपने भाईयों और अपने पिता के परिवार से कहा, “मैं जाऊँगा और फ़िरौन से कहूँगा कि मेरे पिता यहाँ आ गए हैं। मैं फिरौन से कहूँगा, ‘मेरे भाईयों और मेरे पिता के परिवार ने कनान देश छोड़ दिया है और यहाँ मेरे पास आ गए हैं। 32 यह चरवाहों का परिवार है। उन्होंने सदैव पशु और रेवड़े रखी हैं। वे अपने सभी जानवर और उनका जो कुछ अपना है उसे अपने साथ लाएं हैं।’ 33 जब फ़िरौन आप लोगों को बुलाएँगे और आप लोगों से पूछेंगे कि, ‘आप लोग क्या काम करते हैं?’ 34 आप लोग उनसे कहना, ‘हम लोग चरवाहे हैं। हम लोगों ने पूरा जीवन अपने जानवरों की देखभाल में बिताया है। हम लोगों से पहले हमारे पूर्वज भी ऐसे ही रहे।’ तब फ़िरौन तुम लोगों को गीशोन प्रदेश में रहने की आज्ञा दे देगा। मिस्री लोग चरवाहों को पसन्द नहीं करते, इसलिए अच्छा यही होगा कि आप लोग गीशोन में ही ठहरें।”

इस्राएल गोशेन में बसता है

47यूसुफ फ़िरौन के पास गया और उसने कहा, “मेरे पिता, मेरे भाई और उनके सब परिवार यहाँ आ गए हैं। वे अपने सभी जानवर तथा कनान में उनका अपना जो कुछ था, उसके साथ हैं। इस समय वे गोशेन प्रदेश में हैं।” 2 यूसुफ ने अपने भाईयों में से पाँच को फ़िरौन के सामने अपने साथ रहने के लिए चुना।

3 फ़िरौन ने भाईयों से पूछा, “तुम लोग क्या काम करते हो?”

भाईयों ने फ़िरौन से कहा, “मान्यवर, हम लोग चरवाहे हैं। हम लोगों से पहले हमारे पूर्वज भी चरवाहे थे।” 4 उन्होंने फ़िरौन से कहा, “कनान में भूखमरी का यह समय बहुत बुरा है। हम लोगों के जानवरों के लिए घास वाला कोई भी खेत बचा नहीं रह गया है। इसलिए हम लोग इस देश में रहने आए हैं। आप से हम लोग प्रार्थना करते हैं कि आप कृपा करके हम लोगों को गोशेन प्रदेश में रहने दें।”

5 तब फ़िरौन ने यूसुफ से कहा, “तुम्हारे पिता और तुम्हारे भाई तुम्हारे पास आए हैं। 6 तुम मिस्र में कोई भी स्थान उनके रहने के लिए चुन सकते हो। अपने पिता और अपने भाईयों को सबसे अच्छी भूमि दो। उन्हें गोशेन प्रदेश में रहने दो और यदि ये कुशल चरवाहे हैं, तो वे मेरे जानवरों की भी देखभाल कर सकते हैं।”

7 तब यूसुफ ने अपने पिता याकूब को अन्दर फ़िरौन के सामने बुलाया। याकूब ने फिरौन को आशीर्वाद दिया।

8 तब फ़िरौन ने याकूब से पूछा, “आपकी उम्र क्या है?”

9 याकूब ने फ़िरौन से कहा, “बहुत से कष्टों के साथ मेरा छोटा जीवन रहा। मैं केवल एक सौ तीस वर्ष जीवन बिताया हूँ। मेरे पिता और उनके पिता मुझसे अधिक उम्र तक जीवित रहे।”

10 याकूब ने फ़िरौन को आशीर्वाद दिया। तब फिरौन से बिदा लेकर चल दिया।

11 यूसुफ ने फ़िरौन का आदेश माना। उसने अपने पिता और भाईयों को मिस्र में भूमि दी। यह रामसेस नगर के निकट मिस्र में सबसे अच्छी भूमि थी। 12 यूसुफ ने अपने पिता, भाईयों और उनके अपने लोगों को जो भोजन उन्हें आवश्यक था, दिया।

समीक्षा

दरवाज़ों को खोलें और जीवन को बदलता हुआ देखें

एलेक्ज़ेंडर दमास ने लिखा है, ‘जिन्होंने सबसे ज्यादा दु:ख महसूस किया है, वे परम - सुख को महसूस कर सकते हैं।’ याकूब (इस्राएल) और उसका परिवार गहरे संकट में था। फिर उन्होंने परम - सुख का अनुभव किया।

कभी - कभी मैं अपनी भावनाओं को छिपाने की कोशिश करता हूँ। फिर भी यूसुफ बहुत ही संवेदनशील था। जब उसे पता चला कि वे उसके भाई हैं, उसने खुद को अपने भाइयों के साथ जाना, ‘तब वह चिल्ला चिल्लाकर रोने लगा और मिस्रियों ने सुना, ’ (45:2)। भावनाएं हमारी ‘रचनात्मकता’ का उतना ही अहम हिस्सा हैं जितना कि हमारे हाथ और फेफड़े हैं। अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में न डरें। यीशु रोए और खुलेआम अपनी करूणा दिखाई।

यूसुफ ने अपने भाइयों को पूरी तरह से क्षमा कर दिया (पद - 5)। आर.टी. केन्दाल अपनी किताब ‘टोटल फोरगिवनेस में इसका वर्णन अब तक के सबसे मुश्किल काम के रूप में करते हैं: ‘जब मैं क्षमा करने लगा तो एक अनपेक्षित आशीष उमड़ आई: मुझे दिल में ऐसी शांति मिली जिसे मैंने बरसों से महसूस नहीं किया था’ 

यूसुफ देख सकता था कि सारी मुश्किलों के बावजूद वह खड़ा था और ‘जीवनों को बचाने के लिए’ परमेश्वर द्वारा उसका उपयोग किया गया था (पद - 5)। उसने तीन बार कहा परमेश्वर ने मुझे भेजा है (पद - 5,7-8)।

यूसुफ कहता है, ‘अब तुम लोग मत पछताओ, और तुम ने जो मुझे यहां बेच डाला, इस से उदास मत हो; क्योंकि परमेश्वर ने तुम्हारे प्राणों को बचाने के लिये मुझे आगे से भेज दिया है’ (पद - 5)।

जब मैं अपने पिछले जीवन को देखता हूँ तो मुझे अहसास होता है कि मैंने कितनी बार अनावश्यक रूप से चिंता की थी। यदि मैंने परमेश्वर पर पूरा भरोसा किया होता तो मैं कई सारी बेचैनी से बच जाता। ज़रा सोचिये कि यूसुफ के बारे में याकूब कितना बेचैन हुआ होगा जबकि यह पूरी तरह से परमेश्वर के नियंत्रण में था।

यीशु ने कहा था कि वह पुराने नियम को पूरा करने आए हैं (मत्ती 5:17-20)। यूसुफ की कहानी इसका अच्छा उदाहरण है: युसुफ का जो पूर्वाभास था उसे यीशु ने पूरा किया। यूसुफ की तकलीफें परमेश्वर की योजना का एक हिस्सा थी   अपने लोगों को बचाने में, परमेश्वर ने यूसुफ को पूरे मिस्र पर एक अधिकारी और शासक बनाया (उत्पत्ति 45:8-9)।

यह समझना कि यीशु इस संसार के उद्धारकर्ता हैं राज्य की एक कुँजी है – और यह देखना कि जीवनों को बचाने के लिए यीशु के कष्ट उठाने के द्वारा क्रूस के पीछे परमेश्वर का हाथ था: ‘महान छुटकारे के द्वारा’ (पद - 7)। अब परमेश्वर ने यीशु को सिर्फ मिस्र का ही नहीं बल्कि सारी सृष्टि का प्रभु बना दिया है।

उड़ान संख्या 1549 के हीरो ने 155 लोगों की जान बचाई और उसे न्यू यॉर्क की कुँजी दी गई। यूसुफ ने परमेश्वर के लोगों की जान बचाई और उसे सारा मिस्र दिया गया। यीशु ने पूरी दुनिया को बचाया है और उन्हें राज्य की कुँजी दी गई है, जिसे उन्होंने अपने चर्च को दे दी हैं। आप कितने सौभाग्यशाली हैं।

प्रार्थना

प्रभु, आपका धन्यवाद कि यीशु के द्वारा, मैं संपूर्ण क्षमा पा सकता हूँ। लोगों को पूरी तरह से क्षमा करने के लिए मेरी मदद कीजिये। हम, यानि चर्च, इन कुँजियों का उपयोग अधोलोक के दरवाज़े खोलने के लिए और लोगों को स्वतंत्र करने के लिए कर सकें।

पिप्पा भी कहते है

उत्पत्ति 45:1-47:12

हर जगह मेल - मिलाप केवल बहुत सी क्षमा से ही संभव है। यूसुफ का अपने भाइयों को क्षमा करना संपूर्ण – प्रेम था जिसमे अनेकों पाप छिप गए थे। यदि मैं याकूब होती तो मैं अपने बेटों के साथ भयभीत होता उन सभी तकलीफों के लिए जो उन्होंने मुझ पर डाली थीं। लेकिन याकूब ने भी भरपूर आनंद मनाया कि उसका मूल्यवान पुत्र जीवित है। वे लोग केवल परमेश्वर की असाधारण बचाव योजना से ही आश्चर्यचकित हो सकते थे।

reader

App

Download The Bible with Nicky and Pippa Gumbel app for iOS or Android devices and read along each day.

reader

Email

Sign up now to receive The Bible with Nicky and Pippa Gumbel in your inbox each morning. You’ll get one email each day.

Podcast

Subscribe and listen to The Bible with Nicky and Pippa Gumbel delivered to your favourite podcast app everyday.

reader

Website

Start reading today’s devotion right here on the BiOY website.

संदर्भ

नोट्स:

एलेक्जेंडर डुमास, द काउंट ऑफ मोन्टे क्रिस्टो, (वर्ड्सवर्थ संस्करण, 1997)।
आर।टी। केन्डाल, टोटल फोरगिवनेस, (होडर एंड स्टोटन, 2003)।

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है। कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है. (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी, MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

एक साल में बाइबल

  • एक साल में बाइबल

This website stores data such as cookies to enable necessary site functionality and analytics. Find out more