दिन 44

परमेश्वर आपकी भलाई के लिए काम करते हैं

बुद्धि नीतिवचन 4:20-27
नए करार मत्ती 27:45-66
जूना करार निर्गमन 13:1-14:31

परिचय

लॉर्ड रेडस्टॉक, 19वी सदी के मध्य में नॉर्वे में एक होटल में रूके थे। उन्होंने नीचे गलियारे में एक बच्चे को पियानो बजाते हुए सुना। उसमे से भयंकर आवाज़ निकल रही थी: ‘प्लिंक….प्लोंक….प्लिंक….’। यह मुझे गुस्सा दिला रही थी! एक पुरूष आया और उसके बगल में बैठ गया और वह उसके साथ - साथ बजाने लगा, रिक्त स्थानों को भरते हुए। इसका परिणाम सबसे सुंदर संगीत था। बाद में उसने पता किया कि उस लड़की के साथ में बजाने वाला पुरूष उसका पिता, एलेक्जेंडर बोरोडिन था, जो कि प्रिंस इगोर ओपेरा का संगीतकार था।

परमेश्वर आपको उनके साथ एक संबंध में बुलाते हैं जिसमें उनके साथ सहयोगिता शामिल है। मसीही विश्वास मुख्य रूप से उस बारे में है जो मसीह में परमेश्वर ने आपके लिए कर दिया है, हम सिर्फ दर्शक नहीं हैं। हमें इसकी प्रतिक्रिया करने के लिए बुलाया गया है। परमेश्वर हमें उनकी योजना में शामिल करते हैं। परमेश्वर आपके बगल में बैठते हैं और ‘सभी बातें मिलकर….. भलाई को ही उत्पन्न करती है’ (रोमियों 8:28)। वह हमारे जीवन से ‘प्लिंक….प्लोंक….प्लिंक….’ को लेकर कुछ सुंदर बनाते हैं।

बुद्धि

नीतिवचन 4:20-27

20 हे मेरे पुत्र, जो कुछ मैं कहता हूँ उस पर ध्यान दे।
 मेरे वचनों को तू कान लगा कर सुन।
21 उन्हें अपनी दृष्टि से ओझल मत होने दे।
 अपने हृदय पर तू उन्हें धरे रह।
22 क्योंकि जो उन्हें पाते हैं उनके लिये वे जीवन बन जाते हैं
 और वे एक पुरुष की समपूर्ण काया का स्वास्थ्य बनते हैं।
23 सबसे बड़ी बात यह है कि तू अपने विचारों के बारे में सावधान रह।
 क्योंकि तेरे विचार जीवन को नियंत्रण में रखते हैं।
24 तू अपने मुख से कुटिलता को दूर रख।
 तू अपने होठों से भ्रष्ट बात दूर रख।
25 तेरी आँखों के आगे सदा सीधा मार्ग रहे
 और तेरी टकटकी आगे ही लगी रहें।
26 अपने पैरों के लिये तू सीधा मार्ग बना।
 बस तू उन राहों पर चल जो निश्चित सुरक्षित हैं।
27 दाहिने को अथवा बायें को मत डिग।
 तू अपने चरणों को बुराई से रोके रह।

समीक्षा

बुद्धिमानी से जीवन बिताएं

परमेश्वर की बुलाहट का जवाब देने में, उनके पथ पर बने रहने में, बुद्धिमानी से जीवन बिताने में, और इस तरह से अपने जीवन को सुंदर बनाने में आपको एक भूमिका निभानी है। इस पद्यांश में हम खास तौर पर चार क्षेत्रों को देखते हैं जिस पर आपको निगरानी रखनी है, यदि आप लालसाओं पर जय पाना चाहते हैं।

1. आप क्या सोचते हैं

आप जो सोचते हैं उसका चुनाव कर सकते हैं। यह सबसे ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है क्योंकि जिस तरह का जीवन आप बिताएंगे वह आपके मन से शुरू होती है। ‘सब से अधिक अपने मन की रक्षा कर; क्योंकि जीवन का मूल स्रोत वही है’ (पद - 23)। आपको अपना मन अच्छी बातों से भरना है – खासकर परमेश्वर के वचनों से (पद - 20-21)। ये ‘जीवन’ और ‘स्वास्थ्य’ लाते हैं (पद - 22)। ‘जो - जो बातें उचित है, आदरणीय हैं, सत्य हैं, पवित्र हैं और सुहावनी हैं और मनभावनी हैं’ उन्हीं बातों पर अपना मन लगाइये (फिलिप्पीयों 4:8)।

2. आप क्या कहते हैं

आपके शब्द सामर्थी हैं। इनका उपयोग सावधानी से कीजिये, ‘टेढ़ी बात अपने मुंह से मत बोल, और चालबाज़ी की बातें कहना तुझ से दूर रहे’ (नीतिवचन 4:24)। ऐसा कहा गया है कि ज़ुबान से निकले शब्दों में तीन द्वाररक्षक होने चाहिये: ‘क्या यह सही है? क्या यह नम्र है? क्या यह आवश्यक है?’

3. आप क्या देखते हैं

अपनी आँखों पर निगरानी रखिये। आप जो देखते हैं उसके प्रति सावधान रहिये (खासकर टी.वी. और इंटरनेट के इस युग में)। यीशु ने सचेत किया है, ‘यदि तेरी आंख बुरी हो, तो तेरा सारा शरीर भी अन्धियारा होगा’। लेकिन उन्होंने यह भी कहा है, ‘तेरी आंख निर्मल हो, तो तेरा सारा शरीर भी उजियाला होगा’ (मत्ती 6:22-23)।

4. आप कहाँ जाते हैं

यदि आप इस बारे में सचेत हैं कि आपको कहाँ जाना है तो आप बहुत सी लालसाओं पर ध्यान नहीं देंगे। ‘अपने पांव धरने के लिये मार्ग को समथर कर, ….. अपने पांव को बुराई के मार्ग पर चलने से हटा ले’ (नीतिवचन 4:26-27)। इब्रानियों पुस्तक का लेखक इस वचन से उद्धरण देता है। वह हमसे विनती करता है कि ‘वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें….. और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर ताकते रहें। और अपने पांवों के लिये सीधे मार्ग बनाएं।’ (इब्रानियों 12:1-2, 12)।

प्रार्थना

प्रभु, मेरी जीभ की निगरानी कीजिये और मेरे मन की रक्षा कीजिये। मुझे आज बुद्धि से चलने में मदद कीजिये।

नए करार

मत्ती 27:45-66

यीशु की मृत्यु

45 फिर समूची धरती पर दोपहर से तीन बजे तक अन्धेरा छाया रहा। 46 कोई तीन बजे के आस-पास यीशु ने ऊँचे स्वर में पुकारा “एली, एली, लमा शबक्तनी।” अर्थात्, “मेरे परमेश्वर, मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?”

47 वहाँ खड़े लोगों में से कुछ यह सुनकर कहने लगे यह एलिय्याह को पुकार रहा है।

48 फिर तुरंत उनमें से एक व्यक्ति दौड़ कर सिरके में डुबोया हुआ स्पंज एक छड़ी पर टाँग कर लाया और उसे यीशु को चूसने के लिए दिया। 49 किन्तु दूसरे लोग कहते रहे कि छोड़ो देखते हैं कि एलिय्याह इसे बचाने आता है या नहीं?

50 यीशु ने फिर एक बार ऊँचे स्वर में पुकार कर प्राण त्याग दिये।

51 उसी समय मन्दिर का परदा ऊपर से नीचे तक फट कर दो टुकड़े हो गया। धरती काँप उठी। चट्टानें फट पड़ीं। 52 यहाँ तक कि कब्रें खुल गयीं और परमेश्वर के मरे हुए बंदों के बहुत से शरीर जी उठे। 53 वे कब्रों से निकल आये और यीशु के जी उठने के बाद पवित्र नगर में जाकर बहुतों को दिखाई दिये।

54 रोमी सेना नायक और यीशु पर पहरा दे रहे लोग भूचाल और वैसी ही दूसरी घटनाओं को देख कर डर गये थे। वे बोले, “यीशु वास्तव में परमेश्वर का पुत्र था।”

55 वहाँ बहुत सी स्त्रियाँ खड़ी थीं। जो दूर से देख रही थीं। वे यीशु की देखभाल के लिए गलील से उसके पीछे आ रही थीं। 56 उनमें मरियम मगदलीनी, याकूब और योसेस की माता मरियम तथा जब्दी के बेटों की माता थीं।

यीशु का दफ़न

57 साँझ के समय अरिमतियाह नगर से यूसुफ़ नाम का एक धनवान आया। वह खुद भी यीशु का अनुयायी हो गया था। 58 यूसुफ पिलातुस के पास गया और उससे यीशु का शव माँगा। तब पिलातुस ने आज्ञा दी कि शव उसे दे दिया जाये। 59 यूसुफ ने शव ले लिया और उसे एक नयी चादर में लपेट कर 60 अपनी निजी नयी कब्र में रख दिया जिसे उसने चट्टान में काट कर बनवाया था। फिर उसने चट्टान के दरवाज़े पर एक बड़ा सा पत्थर लुढ़काया और चला गया। 61 मरियम मगदलीनी और दूसरी स्त्री मरियम वहाँ कब्र के सामने बैठी थीं।

यीशु की कब्र पर पहरा

62 अगले दिन जब शुक्रवार बीत गया तो प्रमुख याजक और फ़रीसी पिलातुस से मिले। 63 उन्होंने कहा, “महोदय हमें याद है कि उस छली ने, जब वह जीवित था, कहा था कि तीसरे दिन मैं फिर जी उठूँगा। 64 तो आज्ञा दीजिये कि तीसरे दिन तक कब्र पर चौकसी रखी जाये। जिससे ऐसा न हो कि उसके शिष्य आकर उसका शव चुरा ली जायें और लोगों से कहें वह मरे हुओं में से जी उठा। यह दूसरा छलावा पहले छलावे से भी बुरा होगा।”

65 पिलातुस ने उनसे कहा, “तुम पहरे के लिये सिपाही ले सकते हो। जाओ जैसी चौकसी कर सकते हो, करो।” 66 तब वे चले गये और उस पत्थर पर मुहर लगा कर और पहरेदारों को वहाँ बैठा कर कब्र को सुरक्षित कर दिया।

समीक्षा

उदारता से दें

यीशु ने भयावह कष्ट और परमेश्वर से असली जुदाई का अनुभव किया ताकि आप उनकी उपस्थिति का आनंद ले सकें।

यीशु का परित्याग धार्मिक गुरूओं ने, उनके अपने परिवार वालों ने, उनके लोगों ने, और उनके अपने शिष्यों ने किया था और अंत में यीशु ने बड़े शब्द से पुकारकर कहा, ‘एली, एली, लमा शबक्तनी अर्थात हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया?’ (पद - 46)।

यीशु की वेदना के शब्द परमेश्वर से बिछुड़ने की सच्ची भावना को व्यक्त करते हैं। वह भजन संहिता 22:1 से कहते हैं, जो कि कष्ट, शोक, और परमेश्वर से जुदा होने की व्यथा है। अय्यूब की पुस्तक में हमने देखा कि पवित्र शास्त्र किस तरह से मनुष्य के कष्टों, परेशानियों और जटिलताओं से भरा हुआ है। हालाँकि हम क्रूस पर अपने कष्टों के प्रति परमेश्वर का अंतिम उत्तर देखते हैं – उन्होंने इसमें प्रवेश करने और इसे अपने ऊपर लेने का चुनाव किया।

जॉन स्टॉट, तकलीफों और क्रूस पर प्रतिक्रिया करते हैं: ‘यदि यह दर्द क्रूस के लिए नहीं होता, तो मैं परमेश्वर पर कभी विश्वास नहीं कर पाता…. वास्तविक दुनिया में आप कैसे उस परमेश्वर की आराधना कर सकते हैं जो इसके प्रति प्रभाव शून्य था?’

फिर भी यीशु ने क्रूस पर हमारी तकलीफों को खुद पर ले लिया जो कि पूर्ण एकता से परे है। उनके शब्द यह दर्शाते हैं कि उन्होंने किस तरह से बहुतों की छुड़ौती के लिए अपना प्राण दे दिया (मत्ती 20:28)। वह मरे ताकि आप आज़ाद हो जाएं। यीशु को त्यागा गया ताकि आप और मैं परमेश्वर द्वारा अपनाए जाएं।

यीशु की मृत्यु के समय जो हुआ था उससे हम इस अपनाए जाने की वास्तविकता को देखते हैं: ‘और देखो मन्दिर का परदा ऊपर से नीचे तक फट कर दो टुकड़े हो गया’ (27:51)। इस संकेत का वर्णन इब्रानियों की पुस्तक में समझाया गया है। इस परदे ने लोगों को ‘परम पवित्र स्थान’ से अलग कर रखा था – जो कि परमेश्वर की उपस्थिति है (इब्रानियों 9:3)।

अब यीशु के द्वारा और आपके लिए क्रूस पर उनकी मृत्यु के कारण आप परमेश्वर की उपस्थिति का और उनके साथ घनिष्ठ मित्रता का अनुभव कर सकते हैं। बल्कि संपूर्ण विवरण कि वह परदा ऊपर से नीचे तक अलग हो गया, हमें इस बात की याद दिलाता है कि यह कार्य परमेश्वर का है ना कि मनुष्य का, जिसने परमेश्वर की उपस्थिति में हमारी स्वीकार्यता को सक्षम बनाया। यीशु के परित्याग और दु:ख उठाने के कारण आप परमेश्वर की स्वीकार्यता और उनकी उपस्थिति जान सकते हैं।

भले ही परमेश्वर ने मनुष्य के इतिहास में निर्णयात्मक ढंग से कार्य किया है फिर भी यीशु मसीह के कूस पर मरने और पुनर्जीवित होने के द्वारा उन्होंने आपको अपनी योजनाओं में शामिल किया है। उन्होंने अरिमतियाह के यूसुफ नामक व्यक्ति का उपयोग किया, जो यीशु का शिष्य बना, उस कब्र को खरीदने के लिए जहाँ पर यीशु को दफनाया गया था और जहाँ वे पुनर्जीवित हुए थे (मत्ती 27:57-60)।

आप अमीर हैं या गरीब यह इतना मायने नहीं रखता; लेकिन यीशु ने आपके लिए जो किया है उसके लिए आप कैसी प्रतिक्रिया करते हैं और आपके पास जो है उसके साथ आप क्या करते हैं वह मायने रखता है। यूसुफ ने उदारता से दिया और परमेश्वर ने उसके जीवन से कुछ सुंदर बनाया जिसे हर समय याद रखा जाएगा।

प्रार्थना

प्रभु, आपका धन्यवाद कि मेरे लिए इन सबसे गुज़रे। आपका धन्यवाद कि आपने मुझे केवल क्षमा ही नहीं किया बल्कि मुझे अपनी योजनाओं में हिस्सा लेने की अनुमति भी दी है।

जूना करार

निर्गमन 13:1-14:31

13तब यहोवा ने मूसा से कहा, 2 “प्रत्येक पहलौठा इस्राएली लड़का मुझे समर्पित होगा। हर एक स्त्री का पहलौठा नर बच्चा मेरा ही होगा। तुम लोग हर एक नर पहलौठा जानवर को भी मुझे समर्पित करना।”

3 मूसा ने लोगों से कहा, “इस दिन को याद रखो। तुम लोग मिस्र में दास थे। किन्तु इस दिन यहोवा ने अपनी महान शक्ति का उपयोग किया और तुम लोगों को स्वतन्त्र किया। तुम लोग खमीर के साथ रोटी मत खाना। 4 आज के दिन आबीब के महीने में तुम लोग मिस्र से प्रस्थान कर रहे हो। 5 यहोवा ने तुम लोगों के पूर्वजों से विशेष प्रतिज्ञा की थी। यहोवा ने तुम लोगों को कनानी, हित्ती, एमोरी, हिब्बी और यबूसी लोगों की धरती देने की प्रतिज्ञा की थी। यहोवा जब तुम लोगों को उस सम्पन्न और सुन्दर देश में पहुँचा दे तब तुम लोग इस दिन को अवश्य याद रखना। तुम लोग हर वर्ष के पहले महीने में इस दिन को उपासना का विशेष दिन रखना।

6 “सात दिन तक तुम लोग वही रोटी खाना जिसमें ख़मीर न हो। सातवें दिन एक बड़ी दावत होगी। यह दावत यहोवा के सम्मान का सूचक होगी। 7 अत: सात दिन तक लोगों को ख़मीर के साथ बनी रोटी खानी नहीं चाहिए। तुम्हारे प्रदेश में किसी भी जगह ख़मीर की कोई रोटी नहीं होनी चाहिए। 8 इस दिन तुम को अपने बच्चों से कहना चाहिए, ‘हम लोग यह दावत इसलिए कर रहे हैं कि यहोवा ने मुझ को मिस्र से बाहर निकाला।’

9 “यह पवित्र दिन तुम लोगों को याद रखने में सहायता करेगा अर्थात् तुम लोगों के हाथ पर बंधे धागे का काम करेगा। यह पवित्र दिन यहोवा के उपदेशों को याद करने में तुमको सहायता करेगा। तुम्हें यह याद दिलाने में सहायता करेगा कि यहोवा ने तुम लोगों को मिस्र से बाहर निकालने के लिए अपनी महान शक्ति का उपयोग किया। 10 इसलिए हर वर्ष इस दिन को ठीक समय पर याद रखो।

11 “यहोवा तुम लोगों को उस देश में ले चलेगा जिसे तुम लोगों को देने के लिए उसने प्रतिज्ञा की है। इस समय वहाँ कनानी लोग रहते हैं। किन्तु यहोवा ने तुम से पहले तुम्हारे पूर्वजों से यह प्रतिज्ञा की थी कि वह यह प्रदेश तुम लोगों को देगा। परमेश्वर जब यह प्रदेश तुम को देगा उसके बाद 12 तुम लोग अपने हर एक पहलौठे पुत्र को उसे समर्पित करना याद रखना और हर एक पहलौठा नर जानवर यहोवा को अवश्य समर्पित होना चाहिए। 13 हर एक पहलौठा गधा यहोवा से वापस खरीदा जा सकता है। तुम लोग उसके बदले मेमने को अर्पित कर सकते हो और गधे को वापस ले सकते हो। यदि तुम यहोवा से गधे को खरीदना नहीं चाहते तो इसे मार डालो। यह एक बलि होगी तुम उसकी गर्दन अवश्य तोड़ दो। हर एक पहलौठा लड़का यहोवा से पुनः अवश्य खरीद लिया जाना चाहिए।

14 “भविष्य में तुम्हारे बच्चे पूछेंगे कि तुम यह क्यों करते हो? वे कहेंगे, ‘इस सबका क्या मतलब है?’ और तुम उत्तर दोगे, ‘यहोवा ने हम लोगों को मिस्र से बचाने के लिए महान शक्ति का उपयोग किया। हम लोग वहाँ दास थे। किन्तु यहोवा ने हम लोगों को बाहर निकाला और वह यहाँ लाया। 15 मिस्र में फ़िरौन हठी था। उसने हम लोगों को प्रस्थान नहीं करने दिया। किन्तु यहोवा ने उस देश के सभी पहलौठे नर सन्तानों को मार डाला। (यहोवा ने पहलौठे नर जानवरों और पहलौठे पुत्रों को मार डाला।) इसलिए हम लोग हर एक पहलौठे नर जानवर को यहोवा को समर्पित करते हैं। और यही कारण है कि हम प्रत्येक पहलौठे पुत्रों को फिर यहोवा से खरीदते हैं।’ 16 यह तुम्हारे हाथ पर बँधे धागे की तरह है और यह तुम्हारे आँखों के सामने बँधे चिन्ह की तरह है। यह इसे याद करने में सहायक है कि यहोवा अपनी महान शक्ति से हम लोगों को मिस्र से बाहर लाया।”

मिस्र से बाहर यात्रा

17 फ़िरौन ने लोगों को मिस्र छोड़ने के लिए विवश किया। यहोवा ने लोगों को समुद्र के तट की सड़क को नहीं पकड़ने दिया। वह सड़क पलिश्ती तक का सबसे छोटा रास्ता है, किन्तु यहोवा ने कहा, “यदि लोग उस रास्ते से जाएंगे तो उन्हें लड़ना पड़ेगा। तब वे अपना मन बदल सकते हैं और मिस्र को लौट सकते हैं।” 18 इसलिए यहोवा उन्हें अन्य रास्ते से ले गया। वह लाल सागर की तटीय मरुभूमि से उन्हें ले गया। किन्तु इस्राएल के लोग तब युद्ध के लिए वस्त्र पहने थे जब उन्होंने मिस्र छोड़ा।

यूसुफ़ की अस्थियों का घर ले जाया जाना

19 मूसा यूसुफ़ की अस्थियों को अपने साथ ले गया। (मरने के पहले यूसुफ़ ने इस्राएल की सन्तानों से प्रतिज्ञा कराई कि वे यह करेंगे। मरने के पहले यूसुफ़ ने कहा, “जब परमेश्वर तुम लोगों को बचाए, मेरी अस्थियों को मिस्र के बाहर अपने साथ ले जाना याद रखना।”)

यहोवा का अपने लोगों को ले जाया जाना

20 इस्राएल के लोगों ने सुक्कोत नगर छोड़ा और एताम में डेरा डाला। एताम मरुभूमि के छोर पर था। 21 यहोवा ने रास्ता दिखाया। दिन में यहोवा ने एक बड़े बादल का उपयोग लोगों को ले चलने के लिए किया। और रात में यहोवा ने रास्ता दिखाने के लिए एक ऊँचे अग्नि स्तम्भ का उपयोग किया। यह आग उन्हें प्रकाश देती थी अतः वे रात को भी यात्रा कर सकते थे। 22 एक ऊँचे स्तम्भ के रूप में बादल सदा उनके साथ दिन में रहा और रात को अग्नि स्तम्भ सदा उनके साथ रहा।

14तब यहोवा ने मूसा से कहा, 2 “लोगों से पीहाहीरोत तक पीछे मुड़कर यात्रा करने को कहो। रात में मिगदोल और समुद्र के बीच उनसे ठहरने को कहो। यह बाल-सपोन के करीब है। 3 फ़िरौन सोचेगा कि इस्राएल के लोग मरुभूमि में भटक गए है और वह सोचेगा कि लोगों को कोई स्थान नहीं मिलेगा जहाँ वे जाएं। 4 मैं फ़िरौन की हिम्मत बढ़ाऊँगा ताकि वह तुम लोगों का पीछा करे। किन्तु फ़िरौन और उसकी सेना को हराऊँगा। इससे मुझे गौरव प्राप्त होगा। तब मिस्र के लोग जानेंगे कि मैं ही यहोवा हूँ।” इस्राएल के लोगों ने परमेश्वर का आदेश माना अर्थात् उन्होंने वही किया जो उसने कहा।

फ़िरौन द्वारा इस्राएलियों का पीछा किया जाना

5 तब फ़िरौन को यह सूचना मिली कि इस्राएल के लोग भाग गए हैं तो उसने और उसके अधिकारियों ने उन्हें वहाँ से चले जाने देने का जो वचन दिया था, उसके प्रति अपना मन बदल दिया। फ़िरौन ने कहा, “हमने इस्राएल के लोगों को क्यों जाने दिया? हमने उन्हें भागने क्यों दिया? अब हमारे दास हमारे हाथों से निकल चुके हैं।”

6 इसलिए फ़िरौन ने अपने युद्ध रथ को तैयार किया और अपनी सेना को साथ लिया। 7 फ़िरौन ने अपने लोगों में से छः सौ सबसे अच्छे आदमियों तथा अपने सभी रथों को लिया। हर एक रथ में एक अधिकारी बैठा था। 8 इस्राएल के लोग विजय के उत्साह में अपने शस्त्रों को ऊपर उठाए जा रहे थे किन्तु यहोवा ने मिस्र के राजा फिरौन को साहसी बनाया। और फ़िरौन ने इस्राएल के लोगों का पीछा करना शुरु कर दिया।

9 मिस्री सेना के पास बहुत से घोड़े, सैनिक और रथ थे। उन्होंने इस्राएल के लोगों का पीछा किया और उस समय जब वे लाल सागर के तट पर पीहाहीरोत में, बालसपोन के पूर्व में डेरा डाले थे, वे उनके समीप आ गए।

10 इस्राएल के लोगों ने फिरौन और उसकी सेना को अपनी ओर आते देखा तो लोग बुरी तरह डर गए। उन्होंने सहायता के लिए यहोवा को पुकारा। 11 उन्होंने मूसा से कहा, “तुम हम लोगों को मिस्र से बाहर क्यों लाए? तुम हम लोगों को इस मरुभूमि में मरने के लिए क्यों ले आए? हम लोग शान्तिपूर्वक मिस्र में मरते, मिस्र में बहुत सी कब्रें थीं। 12 हम लोगों ने कहा था कि ऐसा होगा। मिस्र में हम लोगों ने कहा था, ‘कृपया हम लोगों को कष्ट न दो। हम लोगों को यहीं ठहरने और मिस्रियों की सेवा करने दो।’ यहाँ आकर मरुभूमि में मरने से अच्छा यह होता कि हम लोग वहीं मिस्रियों के दास बनकर रहते।”

13 किन्तु मूसा ने उत्तर दिया, “डरो नही! भागो नहीं! रूक जाओ! ज़रा ठहरो और देखो कि आज तुम लोगों को यहोवा कैसे बचाता है। आज के बाद तुम लोग इन मिस्रियों को कभी नहीं देखोगे! 14 तुम लोगों को शान्त रहने के अतिरिक्त और कुछ नहीं करना है। यहोवा तुम लोगों के लिए लड़ता रहेगा।”

15 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “तुम्हें मुझको पुकारना नहीं पड़ेगा; इस्राएल के लोगों को आगे चलने का आदेश दो। 16 अपने हाथ की लाठी को लाल सागर के ऊपर उठाओ और लाल सागर फट जाएगा। तब लोग सूखी भूमि से समुद्र को पार कर सकेंगे। 17 मैंने मिस्रियों को साहसी बनाया है। इस प्रकार वे तुम्हारा पीछा करेंगे। किन्तु मैं दिखाऊँगा कि मैं फ़िरौन, उसके सभी घुड़सवारों और रथों से अधिक शक्तिशाली हूँ। 18 तब मिस्री समझेंगे कि मैं यहोवा हूँ। जब मैं फ़िरौन, उसके घुड़सवारों और रथों को हराऊँगा वे तब मुझे सम्मान देंगे।”

यहोवा का मिस्री सेना को हराना

19 उस समय यहोवा का दूत लोगों के पीछे गया। (यहोवा का दूत प्रायः लोगों के आगे था और उन्हें ले जा रहा था)। इसलिए बादल का स्तम्भ लोगों के आगे से हट गया और उनके पीछे आ गया। 20 इस प्रकार बादल मिस्रियों और इस्राएलियों के बीच खड़ा हुआ। इस्राएल के लोगों के लिए प्रकाश था किन्तु मिस्रियों के लिए अँधेरा। इसलिए मिस्री उस रात इस्राएलियों के अधिक निकट न आ सके।

21 मूसा ने अपनी बाहें लाल सागर के ऊपर उठाईं। और यहोवा ने पूर्व से तेज आँधी चला दी। आँधी रात भर चलती रही। समुद्र फटा और पुरवायी हवा ने जमीन को सुखा दिया। 22 इस्राएल के लोग सूखी जमीन पर चलकर समुद्र के पार गए। उनकी दायीं और बाईं ओर पानी दीवार की तरह खड़ा था। 23 तब फ़िरौन के सभी रथों और घुड़सवारों ने समुद्र में उनका पीछा किया। 24 बहुत सवेरे ही यहोवा ने लम्बे बादल और आग के स्तम्भ पर से मिस्र की सेना को देखा और यहोवा ने उन पर हमला किया और उन्हें हरा दिया। 25 रथों के पहिए धंस गए। रथों का नियन्त्रण कठिन हो गया। मिस्री चिल्लाए, “हम लोग यहाँ से निकल चलें। यहोवा हम लोगों के विरुद्ध लड़ रहा है। यहोवा इस्राएल के लोगों के लिए लड़ रहा है।”

26 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “अपने हाथ को समुद्र के ऊपर उठाओ। फिर पानी गिरेगा तथा मिस्री रथों और घुड़सवारों को डूबो देगा।”

27 इसलिए ठीक दिन निकलने से पहले मूसा ने अपना हाथ समुद्र के ऊपर उठाया और पानी अपने उचित तल पर वापस पहुँच गया। मिस्री भागने का प्रयत्न कर रहे थे। किन्तु यहोवा ने मिस्रियों को समुद्र में बहा कर डूबो दिया। 28 पानी अपने उचित तल तक लौटा और उसने रथों तथा घुड़सवारों को ढक लिया। फ़िरौन की पूरी सेना जो इस्राएली लोगों का पीछा कर रही थी, डूबकर नष्ट हो गई। उनमें से कोई भी न बचा!

29 किन्तु इस्राएल के लोगों ने सूखी जमीन पर चलकर समुद्र पार किया। उनकी दायीं और बायीं ओर पानी दीवार की तरह खड़ा था। 30 इसलिए उस दिन यहोवा ने इस्राएल के लोगों को मिस्रियों से बचाया और इस्राएल के लोगों ने मिस्रियों के शवों को लाल सागर के किनारे देखा। 31 इस्राएल के लोगों ने यहोवा की महान शक्ति को देखा जब उसने मिस्रियों को हराया। अत: लोगों ने यहोवा का भय माना और सम्मान किया और उन्होंने यहोवा और उसके सेवक मूसा पर विश्वास किया।

समीक्षा

पूरी तरह से विश्वास करें

यीशु के द्वारा परमेश्वर के छुटाकरे का पूर्वाभास पुराने नियम में है। जिस तरह से परदे के फटने के द्वारा परमेश्वर ने अपनी उपस्थिति का मार्ग खोला है, उसी तरह से परमेश्वर ने समुद्र को दो भागों में बाँटने के द्वारा मार्ग खोला था।

पूरे समय हम परमेश्वर द्वारा अपने लोगों को मिस्र से छुड़ाने की पहल देखते हैं: ‘प्रभु तो तुम को वहां से निकाल लाया… उस दिन तुम अपने पुत्रों को यह कहके समझा देना, कि यह तो हम उसी काम के कारण करते हैं, जो यहोवा ने हमारे लिये किया था….. प्रभु ने हमें अपने बलवन्त हाथों से मिस्र से निकाला है…. प्रभु हम लोगों को दासत्व के घर से निकाल लाया है’ (13:3-16)।

परमेश्वर अपने लोगों को ले गए – हालाँकि दिलचस्प बात यह है कि परमेश्वर उन्हें छोटे मार्ग से नहीं ले गए (पद - 17)। कभी - कभी परमेश्वर आने वाले युद्ध के लिए हमें तैयार करने के लिए आसान मार्ग से न ले जाकर लंबे मार्ग से और परेशानियों में से ले जाते हैं। हालाँकि अब वे मिस्र से बाहर थे और इसके बाद वे एक दूसरे से युद्ध नहीं करने वाले थे। फिर भी उन्हें पूरी तरह से परमेश्वर की सामर्थ और मार्गदर्शन पर विश्वास करने के लिए सीखना जरूरी था।

प्रभु ने दिन में बादल के खंभे द्वारा रात में आग के खंभे के द्वारा उनका मार्गदर्शन किया (पद - 21); प्रभु ने उन लोगों का लगातार मार्गदर्शन किया। हमें व्यक्तिगत रूप में और परमेश्वर के लोगों के समाज के रूप में यही चाहिये – उनका लगातार मार्गदर्शन।

कभी-कभी हम ऐसी स्थिति में पड़ जाते हैं जहाँ से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं होता। उनके पीछे मिस्री थे और उनके आगे समुद्र था, ‘वे लोग बहुत ही भयभीत हो गए’ (14:10, ए.एम.पी.)। फिर भी उन्हें छुड़ाने के लिए मूसा ने पूरी तरह से परमेश्वर पर भरोसा किया। उसने कहा, ‘डरो मत, खड़े - खड़े वह उद्धार का काम देखो, जो यहोवा आज तुम्हारे लिये करेगा;…. प्रभु आप ही तुम्हारे लिये लड़ेगा,’ (पद - 13-14)। जब मैं ऐसी स्थिति में घिर जाता हूँ जहाँ मानवीय तौर पर बाहर निकलने का कोई रास्ता नज़र नहीं आता, तो मैं अक्सर इस वचन पर वापस आ जाता हूँ।

मूसा को अपनी भूमिका निभानी पड़ी (‘तू अपनी लाठी उठा कर अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ा, और वह दो भाग हो जाएगा’, पद - 16अ), बल्कि परमेश्वर की भूमिका ज़्यादा कठिन थी; उन्होंने पानी को दो भागों में बाँट दिया था। उदाहरण के लिए जब हम किसी के लिए प्रार्थना करते हैं, कि वह पवित्र आत्मा से भर जाए, तो परमेश्वर हमारा उपयोग करते हैं। आपको अपना हाथ बढ़ाकर प्रार्थना करनी चाहिये। लेकिन परमेश्वर लोगों को पवित्र आत्मा से भरते हैं – वह अपनी भूमिका निभाते हैं, तब भी वह आपको अपनी योजनाओं में शामिल करते हैं।

परमेश्वर की भूमिका थी लोगों को छुड़ाना और उन्हें बचाना: ‘प्रभु ने इस्राएल को छुड़ाया (पद - 30)। आपका भाग है परमेश्वर पर भरोसा रखना: ‘इस्रालियों ने प्रभु का भय माना और यहोवा की और उसके दास मूसा की भी प्रतीति की’ (पद - 31)।

परमेश्वर चाहते हैं कि आप उनके साथ सहयोग करें। उन्होंने इसी तरह से अपनी सृष्टि को बनाया है – चाहें यह प्राकृतिक दुनिया हो (जहाँ हम उगाते हैं और बढ़ाते हैं) या परमेश्वर का राज्य हो (जहाँ परमेश्वर अपना राज्य लाते हैं, फिर भी आपको अपनी भूमिका निभानी है)।

प्रार्थना

प्रभु, आपका धन्यवाद कि आपने कठिन भूमिका निभाई है, लेकिन आप ने मुझे अपने राज्य का हिस्सा बनने दिया और मुझे एक भूमिका निभाने दी। कृपया मुझ में से सभी ‘प्लिंक…..प्लोंक….प्लिंक’ ले लीजिये और इसे किसी सुंदरता में बदल दीजिये।

पिप्पा भी कहते है

मत्ती 27:52-53

‘और कब्रें खुल गईं; और सोए हुए पवित्र लोगों की बहुत लोथें जी उठीं। और उसके जी उठने के बाद वे कब्रों में से निकलकर पवित्र नगर में गए, और बहुतों को दिखाई दिए’। इससे हर कोई भयभीत हो गया होगा!

यह उस चमत्कार का प्रमाण था कि उस दिन कुछ अनोखा हुआ है।

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संदर्भ

नोट्स:

जॉन सॉट, द क्रॉस ऑफ क्राइस्ट, (इंटरवासिटी प्रेस, 2012)

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है। कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

एक साल में बाइबल

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