एक प्रेम भरा और निरंतर जारी रहने वाला संबंध
परिचय
रॉक ग्रुप क्वीन के प्रमुख गायक फ्रेडी मर्क्युरी ने अपने आखिरी गीत में एक प्रश्न पूछा: 'क्या कोई जानता है कि हम किस लिए जी रहे हैं?'
अच्छा खासा ऐश्वर्य होने और हज़ारों लोगों को अपना प्रशंसक बनाने के बावजूद, फ्रेडी मर्क्युरी ने सन 1991 में अपनी मृत्यु से पहले यह कबूल किया कि वह बहुत ही अकेला था। उसने कहा, 'आपके पास दुनिया की सभी चीज़ें हो सकती हैं फिर भी आप सबसे अकेले व्यक्ति हो सकते हैं, और यह बहुत ही पीड़ादायक अकेलापन है। सफलता ने मुझे विश्व प्रसिद्ध बनाया और लाखों रूपये दिये, लेकिन इसने मुझे एक बात से रोके रखा जो हम सबके लिए ज़रूरी है – एक प्रेमी, बना रहने वाला संबंध।
केवल एक ही ऐसा संबंध है जो पूर्ण रूप से प्रेममयी और बना रहने वाला संबंध है जिसके लिए हम रचे गए हैं। इस संबंध के बिना हमें हमेशा अकेलेपन की भावना तथा अंतिम अर्थ और उद्देश्य की कमी महसूस होती रहेगी।
परमेश्वर के साथ संबंध मसीही विश्वास का केन्द्र है जहाँ हमें वह मिलता है जिसके लिए हम जी रहे हैं।
सृष्टि के रचयिता के साथ आप और मैं कैसे संबंध बना सकते हैं? हम व्यवहारिक रूप से परमेश्वर से बातचीत कैसे कर सकते हैं? इस संबंध का आधार क्या है?
भजन संहिता 28:1-9
28हे यहोवा, तू मेरी चट्टान है,
मैं तुझको सहायता पाने को पुकार रहा हूँ।
मेरी प्रार्थनाओं से अपने कान मत मूँद,
यदि तू मेरी सहायता की पुकार का उत्तर नहीं देगा,
तो लोग मुझे कब्र में मरा हुआ जैसा समझेंगे।
2 हे यहोवा, तेरे पवित्र तम्बू की ओर मैं अपने हाथ उठाकर प्रार्थना करता हूँ।
जब मैं तुझे पुकारुँ, तू मेरी सुन
और तू मुझ पर अपनी करुणा दिखा।
3 हे यहोवा, मुझे उन बुरे व्याक्तियों की तरह मत सोच
जो बुरे काम करते हैं।
जो अपने पड़ोसियों से “सलाम” (शांति) करते हैं,
किन्तु अपने हृदय में अपने पड़ोसियों के बारे में कुचक्र सोचते हैं।
4 हे यहोवा, वे व्यक्ति अन्य लोगों का बुरा करते हैं।
सो तू उनके साथ बुरी घटनाएँ घटा।
उन दुर्जनों को तू वैसे दण्ड दे जैसे उन्हें देना चाहिए।
5 दुर्जन उन उत्तम बातों को जो यहोवा करता नहीं समझते।
वे परमेश्वर के उत्तम कर्मो को नहीं देखते। वे उसकी भलाई को नहीं समझते।
वे तो केवल किसी का नाश करने का यत्न करते हैं।
6 यहोवा की स्तुति करो!
उसने मुझ पर करुणा करने की विनती सुनी।
7 यहोवा मेरी शक्ति है, वह मेरी ढाल है।
मुझे उसका भरोसा था।
उसने मेरी सहायता की।
मैं अति प्रसन्न हूँ, और उसके प्रशंसा के गीत गाता हूँ।
8 यहोवा अपने चुने राजा की रक्षा करता है।
वह उसे हर पल बचाता है। यहोवा ही उसका बल है।
9 हे परमेश्वर, अपने लोगों की रक्षा कर।
जो तेरे हैं उनको आशीष दे।
उनको मार्ग दिखा और सदा सर्वदा उनका उत्थान कर।
समीक्षा
प्रार्थना करने का तरीका विकसित करें
परमेश्वर के साथ संबंध विकसित करने के लिए उनसे बातचीत करने के द्वारा प्रार्थना एक मुख्य कुंजी है। ऐसा करने के लिए कोई निर्धारित पद्धति नहीं है। बाइबल में सैकड़ों तरह की प्रार्थनाएं हैं। कभी - कभी किसी खास पद्धति का पालन करना लाभकारी होता है (जैसे कि प्रभु की प्रार्थना)। एक और तरीका जिसे मैंने मददगार पाया है और जिसे हम वचन में देखते हैं।
इस भजन का संदर्भ भय है – संभवत: मृत्यु का भय। दाऊद शायद बीमारी या गहरे दु:ख का सामना कर रहा था। उसे डर था कि त्यागे जाने के कारण वह कब्र में पड़ा रहेगा या 'पाताल में चला जाएगा' (पद - 1)।
परमेश्वर से उसकी प्रार्थना इस प्रकार थी:
- प्रभु मैं आपकी प्रशंसा करता हूँ
'यहोवा धन्य है' (पद - 6अ); बल्कि ऐसी कठिन परिस्थिति में भी, दाऊद ने परमेश्वर की स्तुति करना चुना। चाहें जैसी परिस्थिति हो, परमेश्वर की स्तुति कीजिये - उसके लिए जो वह हैं और जो उन्होंने किया है। हम इसका एक और उदाहरण नये नियम के लेखांश में देखते हैं जब लोग यीशु की आराधना करते हैं (मरकुस 11:9-10)।
- मैं विनती करता हूँ
'तब मेरी गिड़गिड़ाहट की बात सुन ले' (भजन संहिता 28:2अ); आपने जो भी गलतियाँ की हैं उसके लिए परमेश्वर से क्षमा मांगिये। यह उन लोगों को क्षमा करने का भी समय है जिन्हें आपको क्षमा करना ज़रूरी है। जैसा कि यीशु आज के नये नियम के लेखांश में कहते हैं, 'जब कभी तुम खड़े होकर प्रार्थना करते हो, तो यदि तुम्हारे मन में किसी की ओर से कुछ विरोध, हो तो क्षमा करो: इसलिये कि तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा करे' (मरकुस 11:25)।
- मैं आपको धन्यवाद दूँग
'मेरा हृदय प्रफुल्लित है; और मैं गीत गाकर उसका धन्यवाद करूंगा' (भजन संहिता 28:7क)। परमेश्वर अच्छे स्वास्थ्य, परिवार, दोस्तों आदि के लिए धन्यवाद। धन्यवाद देने का महत्त्व आज के पुराने नियम के लेखांश में भी देखा जा सकता है (लैवीयव्यवस्था 7:12-15)।
- मेरी याचना सुन लें
'….. जब मैं तेरी दोहाई दूं' (भजन संहिता 28:2अ)। खुद के लिए, अपने दोस्तों के लिए और दूसरों के लिए प्रार्थना कीजिये। दिलचस्प तरीके से दाऊद कहता है, ' तेरे पवित्र स्थान की भीतरी कोठरी की ओर अपने हाथ उठाऊं' (पद - 2ब)। यह प्रार्थना का लगभग समानार्थक अर्थ नज़र आता है। प्रार्थना में हाथों को उठाना आधुनिक विचार नहीं है; वास्तव में यह प्रार्थना का सबसे प्राचीन तरीका है।
प्रार्थना
प्रभु मैं आपकी तारीफ करता हूँ। मैं आपकी आराधना करता हूँ। प्रभु को स्तुति मिले….. प्रभु मैं अपने पापों को कबूल करता हूँ….. दया के लिए मेरी विनती सुन लीजिये और मेरे पापों के लिए मुझे क्षमा कीजिये। मैं आपका धन्यवाद करता हूँ क्योंकि आप भले हैं। मेरी विनती सुनने के लिए धन्यवाद प्रभु। आज मैं आपसे मदद की विनती करता हूँ…..
मरकुस 11:1-25
यरूशलेम में विजय प्रवेश
11फिर जब वे यरूशलेम के पास जैतून पर्वत पर बैतफगे और बैतनिय्याह पहुँचे तो यीशु ने अपने शिष्यों में से दो को 2 यह कह कर सामने के गाँव में भेजा, “जाओ वहाँ जैसे ही तुम गाँव में प्रवेश करोगे एक गधी का बच्चा बँधा हुआ मिलेगा जिस पर पहले कभी कोई नहीं चढ़ा। उसे खोल कर यहाँ ले आओ। 3 और यदि कोई तुमसे पूछे कि ‘तुम यह क्यों कर रहे हो?’ तो तुम कहना, ‘प्रभु को इसकी आवश्यकता है। फिर वह इसे तुरंत ही वापस लौटा देगा।’”
4 तब वे वहाँ से चल पड़े और उन्होंने खुली गली में एक द्वार के पास गधी के बछेरे को बँधा पाया। सो उन्होंने उसे खोल लिया। 5 कुछ व्यक्तियों ने, जो वहाँ खड़े थे, उनसे पूछा, “इस गधी के बछेरे को खोल कर तुम क्या कर रहे हो?” 6 उन्होंने उनसे वही कहा जो यीशु ने बताया था। इस पर उन्होंने उन्हें जाने दिया।
7 फिर वे उस गधी के बछेरे को यीशु के पास ले आये। उन्होंने उस पर अपने वस्त्र डाल दिये। फिर यीशु उस पर बैठ गया। 8 बहुत से लोगों ने अपने कपड़े रास्ते में बिछा दिये और बहुतों ने खेतों से टहनियाँ काट कर वहाँ बिछा दीं। 9 वे लोग जो आगे थे और वे भी जो पीछे थे, पुकार रहे थे,
‘“होशन्ना!’
‘वह धन्य है जो प्रभु के नाम पर आ रहा है!’
10 “धन्य है हमारे पिता दाऊद का राज्य
जो आ रहा है।
होशन्ना स्वर्ग में!”
11 फिर उसने यरूशलेम में प्रवेश किया और मन्दिर में गया। उसने चारों ओर की हर वस्तु को देखा क्योंकि शाम को बहुत देर हो चुकी थी, वह बारहों शिष्यों के साथ बैतनिय्याह को चला गया।
यीशु ने कहा कि अंजीर का पेड़ मर जाएगा
12 अगले दिन जब वे बैतनिय्याह से निकल रहे थे, उसे बहुत भूख लगी थी। 13 थोड़ी दूर पर उसे अंजीर का एक हरा भरा पेड़ दिखाई दिया। यह देखने के लिये वह पेड़ के पास पहुँचा कि कहीं उसे उसी पर कुछ मिल जाये। किन्तु जब वह वहाँ पहुँचा तो उसे पत्तों के सिवाय कुछ न मिला क्योंकि अंजीरों की ऋतु नहीं थी। 14 तब उसने पेड़ से कहा, “अब आगे से कभी कोई तेरा फल न खाये।” उसके शिष्यों ने यह सुना।
यीशु का मन्दिर जाना
15 फिर वे यरूशलेम को चल पड़े। जब उन्होंने मन्दिर में प्रवेश किया तो यीशु ने उन लोगों को जो मन्दिर में ले बेच कर रहे थे, बाहर निकालना शुरु कर दिया। उसने पैसे का लेन देन करने वालों की चौकियाँ उलट दीं और कबूतर बेचने वालों के तख्त पलट दिये। 16 और उसने मन्दिर में से किसी को कुछ भी ले जाने नहीं दिया। 17 फिर उसने शिक्षा देते हुए उनसे कहा, “क्या शास्त्रों में यह नहीं लिखा है, ‘मेरा घर सभी जाति के लोगों के लिये प्रार्थना-गृह कहलायेगा?’ किन्तु तुमने उसे ‘चोरों का अड्डा’ बना दिया है।”
18 जब प्रमुख याजकों और धर्मशास्त्रियों ने यह सुना तो वे उसे मारने का कोई रास्ता ढूँढने लगे। क्योंकि भीड़ के सभी लोग उसके उपदेश से चकित थे। इसलिए वे उससे डरते थे। 19 फिर जब शाम हुई, तो वे नगर से बाहर निकले।
विश्वास की शक्ति
20 अगले दिन सुबह जब यीशु अपने शिष्यों के साथ जा रहा था तो उन्होंने उस अंजीर के पेड़ को जड़ तक से सूखा देखा। 21 तब पतरस ने याद करते हुए यीशु से कहा, “हे रब्बी, देख! जिस अंजीर के पेड़ को तूने शाप दिया था, वह सूख गया है!”
22 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “परमेश्वर में विश्वास रखो। 23 मैं तुमसे सत्य कहता हूँ: यदि कोई इस पहाड़ से यह कहे, ‘तू उखड़ कर समुद्र में जा गिर’ और उसके मन में किसी तरह का कोई संदेह न हो बल्कि विश्वास हो कि जैसा उसने कहा है, वैसा ही हो जायेगा तो उसके लिये वैसा ही होगा। 24 इसीलिये मैं तुम्हें बताता हूँ कि तुम प्रार्थना में जो कुछ माँगोगे, विश्वास करो वह तुम्हें मिल गया है, वह तुम्हारा हो गया है। 25 और जब कभी तुम प्रार्थना करते खड़े होते हो तो यदि तुम्हें किसी से कोई शिकायत है तो उसे क्षमा कर दो ताकि स्वर्ग में स्थित तुम्हारा परम पिता तुम्हारे पापों के लिए तुम्हें भी क्षमा कर दे।”
समीक्षा
विश्वास में प्रार्थना करें
नये नियम का ज़्यादा ज़ोर परमेश्वर के साथ विश्वास से संबंध बनाए रखना है। हम परमेश्वर के साथ संबंध बनाने का अधिकार कमा नहीं सकते; यह विश्वास से प्राप्त किया गया एक वरदान है। इस लेखांश में हम उस महत्त्व को देखते हैं जो यीशु ने विश्वास पर रखा है। उन्होंने कहा है, 'परमेश्वर पर विश्वास रखो' (पद - 22)। वह कहते हैं ' जो कोई इस पहाड़ से कहे; कि तू उखड़ जा, और समुद्र में जा पड़, और अपने मन में सन्देह न करे, वरन प्रतीति करे, कि जो मैं कहता हूँ वह हो जाएगा, तो उसके लिये वही होगा' (पद - 23)।
यीशु का परमेश्वर के साथ संबंध, विशेषकर प्रार्थना के द्वारा, उन सभी घटनाओं का मुख्य केंद्र है जिन्हें हम आज के लेखांश में पढ़ने जा रहे हैं। उन्होंने पुकारा 'होसन्ना' (पद - 9-10), जो कि मूल रूप से खुशी से चिल्लाना और मदद के लिए पुकार दोनों थी, इसका अर्थ है 'उद्धार के लिए हम प्रार्थना करते हैं' या 'अब मुझे बचा'।
यरूशलेम में पहुँचने पर, यीशु लेन - देन करने वालों को बाहर भगा देते हैं, क्योंकि वह परमेश्वर के भवन में पवित्रता चाहते थे। वह कहते हैं, ' क्या यह नहीं लिखा है कि, "मेरा घर सब जातियों के लिये प्रार्थना का घर कहलाएगा? पर तुम ने इसे डाकुओं की खोह बना दी है"' (पद - 17)।
यह लेखांश अपने शिष्यों को यीशु की शिक्षा से समाप्त होता है कि 'क्षमा प्राप्त न करना' प्रार्थना में और परमेश्वर के साथ अपने संबंध में रूकावट पैदा कर सकता है। वह कहते हैं, 'जब कभी तुम खड़े हुए प्रार्थना करते हो, तो यदि तुम्हारे मन में किसी की ओर से कुछ विरोध, हो तो क्षमा करो: इसलिये कि तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा करे' (पद - 25)।
यीशु कहते हैं कि हमें किसी के विरूद्ध कुछ भी पकड़े नहीं रहना चाहिये। क्षमा करने की कोई सीमा नहीं है। क्षमा की कमी आपके संबंधों को खराब कर सकती है।
कभी - कभी क्षमा करने में बड़े साहस की ज़रूरत होती है, लेकिन यह संबंधों को बहाल करता है और आनंद लाता है। ऐसा कहा गया है कि, 'पहले क्षमा मांगने वाला सबसे बहादुर होता है। सबसे पहले क्षमा करने वाला शक्तिशाली होता है। पहले भूलने वाला सबसे खुश होता है।'
इन सभी घटनाओं में हस्तक्षेप करते हुए, अंजीर के पेड़ के दृष्टांत में यीशु प्रार्थना की सामर्थ को प्रदर्शित करते हैं। इससे वह अपने शिष्यों को विश्वास और परमेश्वर के साथ हमारे संबंध के परिणाम का महत्त्व सिखाते हैं।
अंजीर के पेड़ में पत्ते थे लेकिन उसमें कोई फल नहीं था। यीशु इसमें कहते हैं: 'अब से कोई तेरा फल कभी न खाए' (पद - 14)। जिस तरह से जॉयस मेयर इस दृष्टांत को लागू करती हैं वह मुझे अच्छा लगा: 'यदि आपका जीवन चर्च के आसपास घूमता रहे, लेकिन कोई फल नहीं लाए, तो हम विश्वास से नहीं जी रहे हैं।' हम अपनी बाइबल पढ़ सकते हैं, चर्च में प्रचार सुन सकते हैं और प्रार्थना सभा में जा सकते हैं, लेकिन 'यदि किसी की मदद करने या दया दिखाने के लिए हमारे पास समय नहीं है, तो हम अंजीर के उस पेड़ के समान हैं जिसमें पत्ते तो हैं लेकिन कोई फल नहीं है…… यदि हम में पत्ते हैं, तो हम में फल भी होना ज़रूरी है।'
यीशु अतिश्योक्ति का इस्तेमाल करते हैं यह समझाने के लिए कि हमें विश्वास से प्रतिक्रिया करने के लिए परमेश्वर की तत्परता में पूरी तरह से भरोसा रखना चाहिये। रबिनिक साहित्य में कभी - कभी 'पहाड़' को अवरोध के रूप में दर्शाया जाता है। यीशु ऐसा कहना चाह रहे थे कि विश्वास की प्रतिक्रिया में असंभव नज़र आने वाली रूकावटों को दूर करने के लिए आएंगे। वह कहते हैं, 'इसलिये मैं तुम से कहता हूँ, कि जो कुछ तुम प्रार्थना करके मांगो तो प्रतीति कर लो कि तुम्हें मिल गया, और तुम्हारे लिये हो जाएगा' (पद - 24)।
प्रार्थना
प्रभु, मुझे वह व्यक्ति बताइये जिसे मुझे क्षमा करने की ज़रूरत है। क्षमा करने में मेरी मदद कीजिये। आपके इस अद्भुत वायदे के लिए धन्यवाद कि 'जो कुछ तुम प्रार्थना करके मांगो तो प्रतीति कर लो कि तुम्हें मिल गया, और वह तुम्हारे लिये हो जाएगा' (पद - 24)। प्रभु, आज मैं मांगता हूँ कि……
लैव्यव्यवस्था 7:11-8:36
मेलबलि
11 “ये मेलबलि के नियम हैं, जिसे कोई व्यक्ति यहोवा को चढ़ाता हैः 12 कोई व्यक्ति मेलबलि अपनी कृतज्ञता प्रकट करने के लिए ला सकता है। यदि वह कृतज्ञता प्रकट करने के लिए बलि लाता है तो उसे तेल मिले अखमीरी फुलके, अखमीरी चपातियाँ और तेल मिले उत्तम आटे के फुलके भी लाने चाहिए। 13 उस व्यक्ति को अननी मेलबलि के लिए खमीरी रोटियों के साथ अपनी बलि लानी चाहिए। यह वह बलि है जिसे कोई व्यक्ति यहोवा के प्रति कृतज्ञता दर्शाने के लिए लाता है। 14 उन रोटियों में से एक उस याजक की होगी जो मेलबलि के खून को छिड़कता है। 15 इस मेलबलि का माँस उसी दिन खाया जाना चाहिए जिस दिन यह चढ़ाया जाए। कोई व्यक्ति परमेश्वर के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए यह भेंट चढ़ाता है। किन्तु कुछ भी माँस अगले दिन के लिए नहीं बचना चाहिए।
16 “कोई व्यक्ति मेलबलि यहोवा को केवल भेंट चढ़ाने की इच्छा से ला सकता है अथवा सम्भवत: उस व्यक्ति ने यहोवा को विशेष वचन दिया हो। यदि यह सत्य है तो बलि उसी दिन खायी जानी चाहिए जिस दिन वब उसे चढ़ाये। यदि कुछ बच जाए तो उसे अगले दिन खा लेना चाहिए। 17 किन्तु यदि इस बलि का कुछ माँस फिर भी तीसरे दिन के लिए बच जाए तो उसे आग में जला दिया जाना चाहिए। 18 यदि कोई व्यक्ति मेलबलि का माँस तीसरे दिन खाता है तो यहोवा उस व्यक्ति से प्रसन्न नहीं होगा। यहोवा उस बलि को उसके लिए महत्व नहीं देगा। यह बलि घृणित वस्तु बन जाएगी औ यदि कोई व्यक्ति उस माँस का कुछ भी खाता है तो वह अपने पाप के लिए उत्तरदायी होगा।
19 “लोगों को ऐसा माँस भी नहीं खाना चाहिए जिसे कोई अशुद्ध वस्तु छू ले। उन्हें इस माँस को आग में जला देना चाहिए। वे सभी व्यक्ति जो शुद्ध हों, मेलबलि का माँस खा सकते हैं। 20 किन्तु यदि कोई व्यक्ति अपवित्र हो और यहोवा के लिए मेलबलि में से कुछ माँस खा ले तो उस व्यक्ति को उस के लोगों से अलग कर देना चाहिए।
21 “सम्भव है कि कोई व्यक्ति कोई ऐसी चीज छू ले जो अशुद्ध है। यह चीज लोगों द्वार या गन्दे जानवर द्वारा या किसी घृणित गन्दी चीज़ द्वारा अशुद्ध बनाई जा सकती है। वह व्यक्ति अशुद्ध हो जाएगा और यदि वह यहोवा के लिए मेलबलि से कुछ माँस खा ले तो उस व्यक्ति को उसके लोगों से अलग कर देना चाहिए।”
22 यहोवा ने मूसा से कहा, 23 “इस्राएल के लोगों से कहोः तुम लोगों को गाय, भेड़ और बकरी की चर्बी नहीं खानी चाहिए। 24 तुम उस जानवर की चर्बी का प्रयोग कर सकते हो जो स्वतः मरा हो या अन्य जानवरों द्वारा फाड़ दिया गया हो। किन्तु तुम उस जानवर को कभी नहीं खाना। 25 यदि कोई व्यक्ति उस जानवर की चर्बी खाता है जो यहोवा को आग द्वारा भेंट चढ़ाया गया हो तो उस व्यक्ति को उस के लोगों से अलग कर दिया जाना चाहिए।
26 “तुम चाहे जहाँ भी रहो, तुम्हें किसी पक्षी या जानवर का खून कभी नहीं खाना चाहिए। 27 यदि कोई व्यक्ति कुछ खून खाता है तो उस व्यक्ति को उस के लोगों से अलग कर दिया जाना चाहिए।”
उत्तोलन बलि के नियम
28 यहोवा ने मूसा से कहा, 29 “इस्राएल के लोगों से कहोः यदि कोई व्यक्ति यहोवा को मेलबलि लाए तो उस व्यक्ति को उस भेंट का एक भाग यहोवा को देना चाहिए। 30 भेंट का वह भाग आग में जलाया जाएगा। उसे उस भेंट का वह भाग अपने हाथ में लेकर चलना चाहिए। उसे जानवर की छाती की चर्बी लेकर चलना चाहिए और छाती को याजक के पास ले जाना चाहिए। छाती को यहोवा के सामने ऊपर उठाया जायेगा। यह उत्तोलन बलि होगी। 31 तब याजक को वेदी पर चर्बी जलानी चाहिए। किन्तु जानवर की छाती हारून और उसके पुत्रों की होगी। 32 मेलबलि से दायीं जांघ हारून के पुत्रों में से याजक को देनी चाहिये। 33 मेलबलि में से दायीं जांघ उस याजक की होगी जो मेलबलि की चर्बी और खून चढ़ाता है। 34 मै (यहोवा) उत्तोलन बलि की छाती तथा मेलबलि की दायीं जांघ इस्राएल के लोगों से ले रहा हूँ और मै उन चीजों को हारून और उसके पुत्रों को दे रहा हूँ। इस्राएल के लोगों के लिए यह नियम सदा के लिए होगा।”
35 यहोवा को आग द्वारा दी गई भेंट हारून और उसके पुत्रों की है, जब कभी हारून और उसके पुत्र यहोवा के याजक के रूप में सेवा करते हैं तब वे बलि का वह भाग पाते हैं। 36 जिस समय यहोवा ने याजकों का अभीषेक किया उसी समय उन्होंने इस्राएल के लोगों को वे भाग याजकों को देने का आदेश दिया। वे भाग सदा उनकी पीढ़ी याजकों को दिए जाने हैं।
37 ये होमबलि, अन्नबलि, पापबलि, दोषबलि, याजकों की नियुक्ति, और मेलबलि के नियम हैं। 38 यहोवा ने सीनै पर्वत पर ये नियम मूसा को दिए। यहोवा ने ये नियम उस दिन दिए जिस दिन उसने इस्राएल के लोगों को सीनै मरुभूमि में यहोवा के लिए अपनी भेंट लाने का आदेश दिया था।
मूसा हारून और उसके पुत्रों को उपासना के लिए पवित्र करता है
8यहोवा ने मूसा से कहा, 2 “हारून और उसके साथ उसके पुत्रों, उनके वस्त्र, अभिषेक का तेल, पापबलि का बैल, दो भेड़ें और अखमीरी मैदे के फुलके की टोकरी लो, 3 तब मिलापवाले तम्बू के द्वार पर लोगों को एक साथ लाओ।”
4 मूसा ने वही किया जो यहोवा ने उसे आदेश दिया। लोग मिलापवाले तम्बू के द्वार पर एक साथ मिले। 5 तब मूसा ने लोगों से कहा, “यह वही है जिसे करने का आदेश यहोवा ने दिया है।”
6 तब मूसा, हारून और उसके पुत्रों को लाया। उसने उन्हें पानी से नहलाया। 7 तब मूसा ने हारून को अन्तःवस्त्र पहनाया। मूसा ने हारून के चारों ओर एक पेटी बाँधी। तब मूसा ने हारून को बाहरी लबादा पहनाया। इसके ऊपर मूसा ने हारुन को चोगा पहनाया और उस पर एपोद पहनाई, फिर उस पर सुन्दर पटुका बाँधा। 8 तब मूसा ने न्याय की थैली की जेब में ऊरीम और तुम्मीम रखा। 9 मूसा ने हारून के सिर पर पगड़ी भी बाँधी। मूसा ने इस पगड़ी के अगले भाग पर सोने की पट्टी बाँधी। यह सोने की पट्टी पवित्र मुकुट के समान है। मूसा ने यह यहोवा के आदेश के अनुसार किया।
10 तब मूसा ने अभिषक का तेल लिया और पवित्र तम्बू तथा इसमें की सभी चीजों पर छिड़का। इस प्रकार मूसा ने उन्हें पवित्र किया। 11 मूसा ने अभिषेक का कुछ तेल वेदी पर सात बार छिड़का। मूसा ने वेदी, उसके उपकरणों और तश्तरियों का अभिषेक किया। मूसा ने बड़ी चिलमची और उसके आधार पर भी अभिषेक का तेल छिड़का। इस प्रकार मूसा ने उन्हें पवित्र किया। 12 तब मूसा ने अभिषेक के कुछ तेल को हारून के सिर पर डाला। इस प्रकार उसने हारून को पवित्र किया। 13 तब मूसा हारून के पुत्रों को लाया और उन्हें विशेष वस्त्र पहनाए। उसने उन्हें पटुके पेटियाँ बाँधे। तब उसने उन के सिर पर पगड़ियाँ बाँधीं। मूसा ने ये सब वैसे ही किया जैसा यहोवा ने आदेश दिया था।
14 तब मूसा पापबलि के बैल को लाया। हारून और उसके पुत्रों ने अपने हाथों को पापबलि के बैल के सिर पर रखा। 15 तब मूसा ने बैल को मारा। मूसा ने उसके खून को लिया। मूसा ने अपनी ऊँगली का उपयोग किया और कुछ खून वेदी पर के सभी कोनों पर छिड़का। इस प्रकार मूसा ने वेदी को बलि के लिए शुद्ध किया। तब मूसा ने वेदी की नींव पर खून को उँडेला। इस प्रकार मूसा ने वेदी को लोगों के पापों के भुगतान के लिए पाप बलियों के लिए तैयार किया। 16 मूसा ने बैल के भीतरी भागों से सारी चर्बी ली। मूसा ने दोनों गुर्दे और उनके ऊपर की चर्बी के साथ कलेजे को ढकने वाली चर्बी ली। तब उसने उन्हें बेदी पर जलाया। 17 किन्तु मूसा बैल के चमड़े, उसके माँस और शरीर के वयर्थ भीतरी भाग को डेरे के बाहर ले गया। मूसा ने डेरे के बाहर आग में उन चीजों को जलाया। मूसा ने ये सब बैसा ही किया जैसा यहोवा ने आदेश दिया था।
18 मूसा होमबलि के मेढ़े को लाया। हारून और उसके पुत्रों ने अपने हाथ मेढ़े के सिर पर रखे। 19 तब मूसा ने मेढ़े को मारा। उसने वेदी के चारों ओर खून छिड़का । 20-21 मूसा ने मेढ़े को टुकड़ों में काटा। मूसा ने भीतरी भागों और पैरों को पानी से धोया। तब मूसा ने पूरे मेढ़े को वेदी पर जलाया।मूसा ने उसका सिर, टुकड़े और चर्बी को जलाया। यह आग द्वारा होमबलि थी। यह यहोवा के लिए सुगन्ध थी। मूसा ने यहोवा के आदेश के अनुसार वे सब काम किए।
22 तब मूसा दूसरे मेढ़े को लाया। इस मेढ़े का उपयोग हारून और उसके पुत्रों को याजक बनाने के लिए किया गाया। हारून और उसके पुत्रों ने अपने हाथ मेढ़े के सिर पर रखे। 23 तब मूसा ने मेढ़े को मारा। उसने इसका कुछ खून हारून के कान के निचले सिरे पर, दाएं हाथ के अंगूठे पर और हारून के दाएं पैर के अंगूठे पर लगाया। 24 तब मूसा हारून के पुत्रों को वेदी के पास लाया। मूसा ने कुछ खून उनके दाएं कान के निचले सिरे पर, दाएं हाथ के अंगूठे पर और उनके दाएं पैर के अंगूठे पर लगाया। तब मूसा ने वेदी के चारों ओर खून डाला। 25 मूसा ने चर्बी और चर्बी भरी पूँछ, भीतरी भाग की सारी चर्बी कलेजे को ढकने वाली चर्बी, दोनों गुर्दे और उनकी चर्बी और दायीं जाँघ को लिया। 26 एक टोकरी अखमीरी मैदे के फुलके हर एक दिन यहोवा के सामने रखी जाती हैं। मूसा ने उन फुलकियों में से एक रोटी, और एक तेल से सनी फुलकी, और एक अखमीरी चपाती ली। मूसा ने उन फुलकियों के टुकड़ों को चर्बी तथा मेढ़े की दायीं जाँघ पर रखा। 27 तब मूसा ने उन सभी को हारून और उके पुत्रों के हाथों में रखा। मूसा ने उन टुकड़ों को यहोवा के सामने उत्तोलन बलि के रूप में हाथों में ऊपर उठवाया। 28 तब मूसा ने इन चीजों को हारून और उसके पुत्रों के हाथों से लिया। मूसा ने उन्हें वेदी पर होमबली के ऊपर जलाया। इस प्रकार वह बलि हारून और उसके पुत्रों को याजक नियुक्त करने के लिए थी। यह आग द्वारा दी गई बलि थी। यह यहोवा को प्रसन्न करने के लिए सुगन्ध थी। 29 तब मूसा ने उस मेढ़े की छाती को लिया और यहोवा के सामने उत्तोलन बलि के लिए ऊपर उठवाया। याजकों को नियुक्त करने के लिए यह मूसा के हिस्से का मेढ़ा था। यह ठीक वैसा ही था जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था।
30 मूसा ने अभिषेक का कुछ तेल और वेदी पर का कुछ खून लिया। मूसा ने उस में से थोड़ा हारून और उसके वस्त्रों पर छिड़का और कुछ हारुन के उन पुत्रों पर जो उसके साथ थे और कुछ उनके वस्त्रों पर छिड़का। इस प्रकार मूसा ने हारून, उसके वस्त्रों, उसके पुत्रों और उनके वस्त्रों को पवित्र बनाया।
31 तब मूसा ने हारून और उसके पुत्रों से कहा, “क्या तुम्हें मेरा आदेश याद है? मैंने कहा, ‘हारून और उसके पुत्र इन चीजों को खाएंगे।’ अत: याजक नियुक्ति संस्कार से रोटी की टोकरी और माँस लो। मिलापवाले तम्बू के द्वार पर उस माँस को उबालो। तुम उस माँस और उस रोटी को उसी स्थान पर खाओगे। 32 यदि कुछ मांस या रोटी बच जाए तो उसे जला देना। 33 याजक नियुक्ति संस्कार सात दिन तक चलेगा। तुम मिलापवाले तम्बू से तब तक नहीं जाओगे जब तक तुमहार याजक नियुक्ति संस्कार का समय पूरा नहीं हो जाता। 34 यहोवा ने उन कामों को करने का आदेश दिया था जो आज किए गए उन्होंने तुम्हारे पापों के भुगतान के लिए यह आदेश दिया था। 35 तुम्हें मिलापवाले तम्बू के द्वार पर सात दिन तक, पूरे दिन रात रहना चाहिए। यदि तुम यहोवा का आदेश नहीं मानते हो तो तुम मर जाओगे। यहोवा ने मुझे ये आदेश दिया था।”
36 इसलिए हारून और उसके पुत्रों ने वह सब कुछ किया जिसे करने का आदेश यहोवा ने मूसा को दिया था।
समीक्षा
यीशु के द्वारा परमेश्वर तक पहुँचें
पुराने नियम में परमेश्वर के पास याजक के द्वारा पहुँचा जाता था। पाप के कारण मनुष्य के साथ सीधे संबंध नहीं रख सकते थे। उन्हें याजक के द्वारा जाना पड़ता था और खासकर के उन्हें महायाजक की ज़रूरत पड़ती थी।
इस लेखांश में हम देखते हैं कि इस कार्य के लिए हारून किस तरह से अभिषिक्त किया गया था। 'मूसा ने अभिषेक के तेल में से कुछ हारून के सिर पर डालकर उसका अभिषेक करके उसे पवित्र किया' (8:12)। हारून यीशु मसीह का पूर्वज था। मसीह शब्द का अर्थ है 'अभिषिक्त'। हारून की याजिकाई अविश्वसनीय थी; उसे लोगों के साथ - साथ खुद के पापों के लिए बलि चढ़ानी पड़ी। यीशु महायाजक हैं। यीशु के द्वारा हम विश्वास से परमेश्वर के साथ संबंध बना सकते हैं और उनके साथ सीधे संबंध स्थापित कर सकते हैं।
जैसा कि इब्रानियों की पुस्तक के लेखक लिखते हैं, 'सो जब हमारा ऐसा बड़ा महायाजक है, जो स्वर्गों से होकर गया है, अर्थात परमेश्वर का पुत्र यीशु; तो आओ, हम अपने अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहे। क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी न हो सके; वरन वह सब बातों में हमारी नाईं परखा तो गया, तब भी निष्पाप निकला। इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे।' (इबानियों 4:14-16)।
वास्तव में, आपके पापों के लिए यीशु के बलिदान के कारण, आप पुराने नियम के याजकों से भी बेहतर स्थिति में हैं (इब्रानियों 10:22 की तुलना लैव्यव्यवस्था 8:30 से करें)। पश्चाताप करने और क्षमा पाने के द्वारा परमेश्वर के साथ आपके संबंध पूरी तरह से बदल गए हैं और आप सीधे परमेश्वर की उपस्थिति में जा सकते हैं, जैसा कि पुराने नियम में याजक जाया करते थे जब वे मिलाप के तंबू में होते थे। 'तो आओ; हम सच्चे मन से, और पूरे विश्वास के साथ, और विवेक को दोष दूर करने के लिये हृदय पर छिड़काव लेकर, और देह को शुद्ध जल से धुलवा कर परमेश्वर के समीप जाएं' (इब्रानियों 10:22)।
प्रार्थना
प्रभु, आपका धन्यवाद कि यीशु के द्वारा मैं साहस से अनुग्रह के सिंहासन के पास जा सकता हूँ और दया और कृपा पा सकता हूँ। मैं जो भी कहूँ या करूँ उन सब में आपसे दया और अनुग्रह मांगता हूँ। आपके समीप बने रहने में और आपके साथ प्रेमपूर्वक संबंध में बने रहने में और चलने में मेरी मदद कीजिये।
पिप्पा भी कहते है
भजन संहिता 28:6-9
मुझे यह संयोजन पसंद है कि, परमेश्वर हमारी ताकत हैं और सुरक्षा हैं और वे एक नम्र चरवाहे हैं जो हमें सदा लिये फिरते हैं।
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संदर्भ
नोट्स:
जॉयस मेयर, एवरीडे लाइफ बाइबल, (फेथवर्ड्स, 2013) पन्ना 1583
क्वीन, 'द शो मस्ट गो ऑन', पार्लोफोन, 1991, संगीत © EMI Music Publishing
शॅरोन फेंस्टीन, सनडे मैगेज़ीन। फ्रेडी मर्क्युरी – 'रॉक ऑन फ्रेडी' (मई 1985)
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