यीशु के सात शीर्षक
परिचय
प्रिंस चार्ल्स के कई शीर्षक हैं~ वह ताज के वारिस हैं, वह राजसी हैं, वह वेल्स के राजकुमार हैं. वेल्स के राजकुमार, गार्टर के शूरवीर, वेल्स के रॉयल रेजीमेंट के मुख्य सेनाध्यक्ष, रोथसे के राजकुमार, थिसल के शूरवीर, सह नौसेनाध्यक्ष, ऑर्डर ऑफ बाथ का सबसे बड़ा अधिकारी, चेस्टर के सामंत, कॅरिक के सामंत, रेन्फ्रू के शक्तिशाली उद्योगपति, इसेल्स के सामंत, स्कॉटलैंड के राजकुमार और महान प्रबंधक.
श्रेणी, ऑफिस या उपलब्धियों के अनुसार लोगों को शीर्षक प्राप्त होते हैं. बाईबल में, यीशु को एक राजसी राजकुमार से कई अधिक शीर्षक प्राप्त हैं. वास्तव में, यीशु को सौ से अधिक शीर्षक प्राप्त हैं.
इस गुड फ्रायडे को हम याद करते हैं कि पूरी बाईबल यीशु के बारे में है (यूहन्ना 5:39). यीशु के सात शीर्षक आज के लेखांश से आते हैं और हर एक शीर्षक यीशु के विषय में कुछ उल्लेखनीय बात बताता है. वे आपकी सहायता करते हैं यह देखने में कि यीशु को अपने जीवन के केंद्र में रखने का क्या अर्थ है.
नीतिवचन 8:1-11
सुबुद्धि की पुकार
8क्या सुबुद्धि तुझको पुकारती नहीं है?
क्या समझबूझ ऊँची आवाज नहीं देती?
2 वह राह के किनारे ऊँचे स्थानों पर खड़ी रहती है
जहाँ मार्ग मिलते हैं।
3 वह नगर को जाने वाले द्वारों के सहारे
उपर सिंह द्वार के ऊपर पुकार कर कहती है,
4 “हे लोगों, मैं तुमको पुकारती हूँ,
मैं सारी मानव जाति हेतु आवाज़ उठाती हूँ।
5 अरे भोले लोगों! दूर दृष्टि प्राप्त करो,
तुम, जो मूर्ख बने हो, समझ बूझ अपनाओ।
6 सुनो! क्योंकि मेरे पास कहने को उत्तम बातें हैं,
अपना मुख खोलती हूँ, जो कहने को उचित हैं।
7 मेरे मुख से तो वही निकलता है जो सत्य हैं,
क्योंकि मेरे होंठों को दुष्टता से घृणा हैं।
8 मेरे मुख के सभी शब्द न्यायपूर्ण होते हैं
कोई भी कुटिल, अथवा भ्रान्त नहीं हैं।
9 विचारशील जन के लिये
वे सब साफ़ है
और ज्ञानी जन के लिये
सब दोष रहित है।
10 चाँदी नहीं बल्कि तू मेरी शिक्षा ग्रहण कर
उत्तम स्वर्ग नहीं बल्कि तू ज्ञान ले।
11 सुबुद्धि, रत्नों, मणि माणिकों से अधिक मूल्यवान है।
तेरी ऐसी मनचाही कोई वस्तु जिससे उसकी तुलना हो।”
समीक्षा
1. परमेश्वर की बुद्धि
आज बहुत से लोगों को नहीं पता है कि किस तरह से जीना है. वे अपने विवाह और दूसरे से संबंधों को बिगाड़ लेते हैं. अक्सर वे खुद के जीवन को और दूसरों के जीवन को खराब कर देते हैं. अच्छी तरह से जीने के लिए हम सभी को बुद्धि की आवश्यकता है.
बुद्धि कहाँ पर मिलती है? नये नियम का जवाब है कि, 'यह यीशु मसीह में मिलती है. संत पौलुस लिखते हैं, 'मसीह...परमेश्वर की बुद्धि है' (1कुरिंथियो 1:24). 'परमेश्वर की बुद्धि' यह यीशु का एक शीर्षक है.
नीतिवचन में बुद्धि एक अलंकार और स्त्रीलींग है (महिला बुद्धि; मैडम अंतर्ज्ञान, नीतिवचन 8:1, एम.एस.जी.). इसकी तुलना व्यभिचारी स्त्री से की गई है, जो अंधियारा होने पर सड़क के किनारे लोगों को आकर्षित करती है और जो गुप्त रीति से, मोहक अंदाज में फुसफुसाती है (7:6). बुद्धि अपने विरूद्ध खुलेआम प्रतिस्पर्धा करती है, 'वह तो ऊंचे स्थानों पर मार्ग की एक ओर, और तिर्मुहानियों में खड़ी होती है' (8:2) और खुद को आकर्षण के रूप में पेश करती है – एक पवित्र दुल्हन के रूप में ना कि घातक लुभाने वाली के रूप में.
यह हमें दिखाता है कि बुद्धि केवल ज्ञान के विषय में नहीं है, लेकिन बुद्धिमान होने का अर्थ है अच्छा जीवन जीना. अच्छा जीवन जीने में पहला कदम है सही लक्ष्य और अभिप्रायों को तय करना. व्यभिचारियों के द्वारा दर्शाये गए इंद्रिय आनंद के बजाय बुद्धि को खोजिये.
बुद्धि उच्च रूप से इच्छा किए जाने के योग्य है. वह चाँदी, सोने या जवाहरात से बेहतर हैः 'चाँदी के बजाय मेरे निर्देश को चुन, सोने के बजाय ज्ञान को चुन, क्योंकि बुद्धि मूँगे से अधिक कीमती है, और कोई भी वस्तु इसके तुल्य नहीं है' (वव.10-11).
यदि आप सच्ची बुद्धि चाहते हैं, तो यह यीशु मसीह के साथ एक संबंध से शुरु होती है. जो कुछ विश्व दे सकता है, उससे यह कही अधिक मूल्यवान है.
यह संबंध निर्धारित करेगा कि आप अपना जीवन किस तरह से जीते हैं. इस बुद्धि का एक उदाहरण है आपकी बातचीत में श्रेष्ठता (वव.6-9) – सत्यनिष्ठ और सत्य के वचन के साथ ईमानदार, सच्चाई से भरी बातचीत, (गिनती 20:3-5 में बोले गए वचनों को देखें, जो कि परमेश्वर में विश्वास की कमी को दर्शातें हैं.
प्रार्थना
प्रभु यीशु आपका धन्यवाद, क्योंकि सच्ची बुद्धि आपके साथ संबंध में पायी जाती है. आप मूंगे से अधिक मूल्यवान हैं और आपको जानने से बढ़कर कुछ भी नहीं है. आज मेरी सहायता कीजिए ताकि बुद्धिपूर्वक काम कर सकूं और बुद्धि के वचनों को बोल सकूं जो दूसरों को आशीष देते हैं.
लूका 5:33-6:11
उपवास पर यीशु का मत
33 उन्होंने यीशु से कहा, “यूहन्ना के शिष्य प्राय: उपवास रखते हैं और प्रार्थना करते हैं। और ऐसा ही फरीसियों के अनुयायी भी करते हैं किन्तु तेरे अनुयायी तो हर समय खाते पीते रहते हैं।”
34 यीशु ने उनसे पूछा, “क्या दूल्हे के अतिथि जब तक दूल्हा उनके साथ है, उपवास करते हैं? 35 किन्तु वे दिन भी आयेंगे जब दूल्हा उनसे छीन लिया जायेगा। फिर उन दिनों में वे भी उपवास करेंगे।”
36 उसने उनसे एक दृष्टांत कथा और कही, “कोई भी किसी नयी पोशाक से कोई टुकड़ा फाड़ कर उसे पुरानी पोशाक पर नहीं लगाता और यदि कोई ऐसा करता है तो उसकी नयी पोशाक तो फटेगी ही, साथ ही वह नया पैबन्द भी पुरानी पोशाक के साथ मेल नहीं खायेगा। 37 कोई भी पुरानी मशकों में नयी दाखरस नहीं भरता और यदि भरता है तो नयी दाखरस पुरानी मशकों को फाड़ देगी। वह बिखर जायेगा और मशकें नष्ट हो जायेंगी। 38 लोग हमेशा नया दाखरस नयी मशकों में भरते है। 39 पुराना दाखरस पी कर कोई भी नये की चाहत नहीं करता क्योंकि वह कहता है, ‘पुराना ही उत्तम है।’”
सब्त का प्रभु यीशु
6अब ऐसा हुआ कि सब्त के एक दिन यीशु जब अनाज के कुछ खेतों से जा रहा था तो उसके शिष्य अनाज की बालों को तोड़ते, हथेलियों पर मसलते उन्हें खाते जा रहे थे। 2 तभी कुछ फरीसियों ने कहा, “जिसका सब्त के दिन किया जाना उचित नहीं है, उसे तुम लोग क्यों कर रहे हो?”
3 उत्तर देते हुए यीशु ने उनसे पूछा, “क्या तुमने नहीं पढ़ा जब दाऊद और उसके साथी भूखे थे, तब दाऊद ने क्या किया था? 4 क्या तुमने नहीं पढ़ा कि उसने परमेश्वर के घर में घुस कर, परमेश्वर को अर्पित रोटियाँ उठा कर खा ली थीं और उन्हें भी दी थीं, जो उसके साथ थे? जबकि याजकों को छोड़कर उनका खाना किसी के लिये भी उचित नहीं?” 5 उसने आगे कहा, “मनुष्य का पुत्र सब्त के दिन का भी प्रभु है।”
यीशु द्वारा सब्त के दिन रोगी का अच्छा किया जाना
6 दूसरे सब्त के दिन ऐसा हुआ कि वह यहूदी आराधनालय में जाकर उपदेश देने लगा। वहीं एक ऐसा व्यक्ति था जिसका दाहिना हाथ मुरझाया हुआ था। 7 वहीं यहूदी धर्मशास्त्रि और फ़रीसी यह देखने की ताक में थे कि वह सब्त के दिन किसी को चंगा करता है कि नहीं। ताकि वे उस पर दोष लगाने का कोई कारण पा सकें। 8 वह उनके विचारों को जानता था, सो उसने उस मुरझाये हाथ वाले व्यक्ति से कहा, “उठ और सब के सामने खड़ा हो जा।” वह उठा और वहाँ खड़ा हो गया। 9 तब यीशु ने लोगों से कहा, “मैं तुमसे पूछता हूँ सब्त के दिन किसी का भला करना उचित है या किसी को हानि पहुँचाना, किसी का जीवन बचाना उचित है या किसी का जीवन नष्ट करना?”
10 यीशु ने चारों ओर उन सब पर दृष्टि डाली और फिर उससे कहा, “अपना हाथ सीधा फैला।” उसने वैसा ही किया और उसका हाथ फिर से अच्छा हो गया। 11 किन्तु इस पर आग बबूला होकर वे आपस में विचार करने लगे कि यीशु का क्या किया जाये?
समीक्षा
2. दूल्हा
पुराने नियम में परमेश्वर का वर्णन करने के लिए शीर्षक 'दूल्हे' का इस्तेमाल किया गया है, 'जैसा एक दूल्हा अपनी दुल्हन के लिए आनंद मनाता है, वैसे ही आपके परमेश्वर आपके लिए आनंद मनायेगें' (यशायाह 62:5).
इस चित्र के उपयोग में, यीशु (लूका 5:34) अपने आपको परमेश्वर के स्थान में रखते हैं, दिखावटी रूप से नहीं, लेकिन लगभग आकस्मिक रूप से. यह उनके लिए एक सिद्ध रूप से प्राकृतिक विकल्प था. एक दैवीय भूमिका की यीशु की धारणा और भी मोहित करती है.
यीशु का चित्र दूल्हे के रूप में और हमारा दुल्हन के रूप में, यह एक महानतम संभव आत्मिकता है (इफिसियों 5:23 देखें). यह एक चित्र भी है जो यीशु के आगमन पर उसके साथ आपके संबंध के पूर्ण होने को बताता है. आप उसी सावधानी और प्रेम के साथ अपने आपको तैयार करने के लिए बुलाए गए हैं जैसा कि एक दुल्हन शादी के दिन अपने आपको तैयार करती है, विशेष रूप से 'सत्यनिष्ठ' जीवन पर ध्यान देते हुए (प्रकाशितवाक्य 19:6-9).
यीशु की शिक्षा मूलभूत रूप से नई है. यह फरिसीयों की सोच या बर्ताव में ठीक नहीं बैठ सकती (लूका 5:36-39).
परमेश्वर आपका धन्यवाद क्योंकि आपने मुझे आपके साथ एक आत्मिक संबंध में बुलाया है और मेरे लिए आप इस तरह से आनंद मनाते हैं जैसा कि एक दूल्हा अपनी दुल्हन के लिए आनंद मनाता है. मैं अपने प्रेम और आत्मिक आराधना के साथ उत्तर देना चाहता हूँ.
3. मनुष्य का पुत्र
यीशु को मनुष्य का पुत्र कहलाना पसंद था (उदाहरण के लिए, लूका 6:5 देखे). यह मसीह संबंधी शीर्षक है. दानिय्येल 7 'मनुष्य के पुत्र के समान' की बात करता है (दानिय्येल 7:13) और यह स्पष्ट है कि यीशु की पहचान और मिशन के प्रति उनकी समझ का यह पहलू उस लेखांश से मिलता है. यह एक शीर्षक है जिसमें दीनता और कष्ट के साथ अधिकार और सामर्थ शामिल है.
हमारे लिए यीशु के प्रेम और हम पर उसके अधिकार के बारे में हमें याद दिलाया गया है. अक्सर हम पहले वाले पर ध्यान दे सकते हैं, और उसी समय दूसरे वाले पर शायद इतना ध्यान न दे पाये. यीशु के अधिकार के लिए अपने आपको समर्पित करें, उनकी शिक्षा को मानते हुए और वहॉं जाते हुए जहॉं वह आपको ले जाते हैं.
परमेश्वर आपका धन्यवाद क्योंकि आप मनुष्य के पुत्र के प्रतिनिधी हैं जिसने पहले गुड फ्रायडे को मेरे लिए कष्ट उठाया था.
4. प्रभु
यीशु पुराने नियम के अर्थ को बताते हैं. फरीसी पूछते हैं, 'तुम वह काम क्यों करते हो जो सब्त के दिन करना उचित नहीं?' (लूका 6:2). पुराने नियम में एक उदाहरण को दोहराने के द्वारा यीशु उत्तर देते हैं (वव. 3-4). वह पुराने नियम के व्यापक पठन से दिखाते हैं कि सब्त के प्रति फरिसीयो की समझ बहुत सकरी थी.
वह सब्त के दिन एक मनुष्य को चंगा करते हैं और यह प्रश्न पूछते हैं, 'सब्त के दिन क्या करना उचित हैः अच्छा करना या बुरा करना, जीवन को बचाना या इसे नष्ट करना?' (व.9). दूसरे शब्दों में, वह नियम के अक्षरों के परे नियम की आत्मिकता को देखते हैं और दर्शाते हैं कि 'सब्त के प्रभु के रुप में' (व.5) वह नियम के अक्षरों से बंधा हुआ नहीं है.
यीशु पुराने नियम के अपने अर्थ में सुधारवादी हैं और हमें पुराने नियम को इस दृष्टिकोण से पढ़ने की आवश्यकता है. हमें इसे इस तथ्य के प्रकाश में समझने की आवश्यकता है कि यीशु कहते हैं, 'यह वही है जो मेरी गवाही देता है' (यूहन्ना 5:39). तीन तरीके से हमारे पुराने नियम के लेखांश में हम इसे देखते हैं.
प्रार्थना
प्रभु यीशु आपका धन्यवाद क्योंकि आप वह पूंजी हैं जो पुराने नियम के विषय में हमारी समझ को खोलते हैं.
गिनती 19:1-21:3
लाल गाय की राख
19यहोवा ने मूसा और हारून से बात की। उसने कहा, 2 “ये नियम और उपदेश हैं जिन्हें यहोवा इस्राएल के लोगों को देता है। उन्हें दोष से रहित एक लाल गाय लेनी चाहिए और उसे तुम्हारे पास लाना चाहिए। उस गाय को कोई खरोंच भी न लगी हो और उस गाय के कंधे पर कभी जुआ नहीं रखा गया हो। 3 इस गाय को याजक एलीआजार को दो। एलीआजार गाय को डेरे से बाहर ले जाएगा और वह वहाँ गाय को मारेगा। 4 तब याजक एलीआजार को इसका कुछ खून अपनी उंगलियों पर लागना चाहिए और उसे कुछ खून पवित्र तम्बू की दिशा में छिड़कना चाहिए। उसे यह सात बार करना चाहिए। 5 तब पूरी गाय को उसके सामने जलाना चाहिए। चमड़ा, माँस, खून और आतेँ सभी जला डालनी चाहिए। 6 तब याजक को एक देवदारु की लकड़ी, एक जूफा की शाखा और लाल रंग का कपड़ा लेना चाहिए। याजक को इन चीज़ों को उस आग में डालना चाहिए जिसमें गाय जल रही हो। 7 तब याजक को, अपने को तथा अपने कपड़ों को पानी से धोना चाहिए। तब उसे डेरे मे लौटना चाहिए। याजक सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। 8 जो व्यक्ति गाय को जलाए उसे अपने को तथा अपने वस्त्रों को पानी से धोना चाहिए। वह सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा।
9 “तब एक पुरुष जो शुद्ध होगा, गाय की राख को इकट्ठा करेगा। वह इस राख को डेरे के बाहर एक शुद्ध स्थान पर रखेगा। यह राख उस समय उपयोग में आएगी जब लोग शुद्ध होने के लिए विशेष संस्कार करेंगे। यह राख व्यक्ति के पाप को दूर करने के लिए उपयोग में आएगी।
10 “वह व्यक्ति, जिसने गाय की राख को इकट्ठा किया, अपने कपड़े धोएगा। वह सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा।
“यह नियम सदा चलता रहेगा। यह नियम इस्राएल के नागरिकों के लिए है और यह उन विदेशियों के लिए भी है जो तुम्हारे बीच रहते हैं। 11 यदि कोई व्यक्ति एक मरे व्यक्ति को छूता है, तो वह सात दिन के लिए अशुद्ध हो जाएगा। 12 उसे अपने को तीसरे दिन तथा फिर सातवें दिन विशेष पानी से धोना चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं करता, तो वह अशुद्ध रह जाएगा। 13 यदि कोई व्यक्ति किसी शव को छूता है, तो वह व्यक्ति अशुद्ध है। यदि वह व्यक्ति अशुद्ध रहता है और तब पवित्र तम्बू में जाता है तो पवित्र तम्बू अशुद्ध हो जाता है। इसलिए उस व्यक्ति को इस्राएल के लोगों से अलग कर दिया जाना चाहिए। यदि अशुद्ध व्यक्ति पर विशेष जल नहीं डाला जाता तो वह व्यक्ति अशुद्ध रहेगा।
14 “यह नियम उन लोगों से सम्बन्धित है जो अपने खेमों में मरते हैं। यदि कोई व्यक्ति खेमें में मरता है तो उस खेमे का हर एक व्यक्ति अशुद्ध हो जाएगा। वे सात दिन तक अशुद्ध रहेंगे 15 और हर एक ढक्कन रहित बर्तन और घड़ा अशुद्ध हो जाता है। 16 यदि कोई शव को छूता है, तो वह व्यक्ति सात दिन तक अशुद्ध रहेगा। यह तब भी सत्य होगा जब व्यक्ति बाहर देश में मरा हो या युद्ध में मारा गया हो। यदि कोई व्यक्ति मरे व्यक्ति की हड्डी या किसी कब्र को छूता है तो वह व्यक्ति अशुद्ध हो जाता है।
17 “इसलिए तुम्हें दुग्ध गाय की राख का उपयोग उस व्यक्ति को पुनः शुद्ध करने के लिए करना चाहिए। स्वच्छ पानी घड़े में रखी हुई राख पर डालो। 18 शुद्ध व्यक्ति को एक जूफा की शाखा लेनी चाहिए और इसे पानी में डुबाना चाहिए। तब उसे तम्बू, बर्तनों तथा डेरे में जो व्यक्ति हैं उन पर यह जल छिड़कना चाहिए। तुम्हें यह उन सभी व्यक्तियों के साथ करना चाहिए जो शव को छुऐंगे। तुम्हें यह उस के साथ भी करना चाहिए जो युद्ध में मरे व्यक्ति के शव को छूता है या उस किसी के साथ भी जो किसी मरे व्यक्ति की हड्डियों या क्रब को छूता है।
19 “तब कोई शुद्ध व्यक्ति इस जल को अशुद्ध व्यक्ति पर तीसरे दिन और फिर सातवें दिन छिड़के। सातवें दिन वह व्यक्ति शुद्ध हो जाता है। उसे अपने कपड़ों को पानी में धोना चाहिए। वह संध्या के समय पवित्र हो जाता है।
20 “यदि कोई व्यक्ति अशुद्ध हो जाता है और शुद्ध नहीं होता तो उसे इस्राएल के लोगों से अलग कर देना चाहिए। उस व्यक्ति पर विशेष पानी नहीं छिड़का गया। वह शुद्ध नहीं हुआ। तो वह पवित्र तम्बू को अशुद्ध कर सकता है। 21 यह नियम तुम्हारे लिए सदा के लिए होगा। जो व्यक्ति इस विशेष जल को छिड़कता है, उसे भी अपने कपड़े अवश्य धो लेने चाहिए। कोई व्यक्ति जो इस विशेष जल को छुएगा, वह संध्या तक अशुद्ध रहेगा। 22 यदि कोई अशुद्ध व्यक्ति किसी अन्य को छूए, तो वह व्यक्ति भी अशुद्ध हो जाएगा। वह व्यक्ति संध्या तक अशुद्ध रहेगा।”
मरियम मरी
20इस्राएल के लोग सीन मरुभूमि में पहले महीने में पहुँचे। लोग कादेश में ठहरे। मरियम की मृत्यु हो गई और वह वहाँ दफनाई गई।
मूसा की गलती
2 उस स्थान पर लोगों के लिए पर्याप्त पानी नहीं था। इसलिए लोग मूसा और हारून के विरुद्ध शिकायत करने के लिए इकट्ठे हुए। 3 लोगों ने मूसा से बहस की। उन्होंने कहा, “क्या ही अच्छा होता हम अपने भाइयों की तरह यहोवा के सामने मर गए होते। 4 तुम यहोवा के लोगों को इस मरुभूमि में क्यों लाए? क्या तुम चाहते हो कि हम और हमारे जानवर यहाँ मर जाए? तुम हम लोगों को मिस्र से क्यों लाएय़ 5 तुम हम लोगों को इस बुरे स्थान पर क्यों लाए यहाँ कोई अन्न नहीं है, कोई अंजीर, अंगूर या अनार नहीं है और यहाँ पीने के लिए पानी नहीं है।”
6 इसलिए मूसा और हारून ने लोगों को छोड़ा और वे मिलापवाले तम्बू के द्वार पर पहुँचे। उन्होंने दण्डवत्(प्रणाम) किया और उन पर यहोवा का तेज प्रकाशित हुआ।
7 यहोवा ने मूसा से बात की। उसने कहा, 8 “अपने भाई हारून और लोगों की भीड़ को साथ लो और उस चट्टान तक जाओ। अपनी छड़ी को भी लो। लोगो के सामने चट्टान से बातें करो। तब चट्टान से पानी बहेगा और तुम वह पानी अपने लोगों और जानवरों को दे सकते हो।”
9 छड़ी यहोवा के सामने पवित्र तुम्बू में थी। मूसा ने यहोवा के कहने के अनुसार छड़ी ली। 10 तब उसने तथा हारून ने लोगों को चट्टान के सामने इकट्ठा होने को कहा। तब मूसा ने कहा, “तुम लोग सदा शिकायत करते हो। अब मेरी बात सुनो। हम इस चट्टान से पानी बहायेंगे।” 11 मूसा ने अपनी भुजा उठाई और दो बार चट्टान पर चोट की। चट्टान से पानी बहने लगा और लोगों तथा जानवरों ने पानी पिया।
12 किन्तु यहोवा ने मूसा और हारून से कहा, “इस्राएल के सभी लोग चारों ओर इकट्ठे थे। किन्तु तुमने मुझको सम्मान नहीं दिया। तुमने लोगों को नहीं दिखाया कि पानी निकालने की शक्ति मुझसे तुममें आई। तुमने लोगों को यह नहीं बताया कि तुमने मुझ पर विश्वास किया। मैं उन लोगों को वह देश दूँगा मैने जिसे देने का वचन दिया है। लेकिन तुम उस देश में उनको पहुँचाने वाले नहीं रहोगे।”
13 इस स्थान को मरीबा का पानी कहा जाता था। यही वह स्थान था जहाँ इस्राएल के लोगों ने यहोवा के साथ बहस की और यह वह स्थान था जहाँ यहोवा ने यह दिखाया कि वह पवित्र था।
एदोम ने इस्राएल को पार नहीं होने दिया
14 जब मूसा कादेश में था, उसने कुछ व्यक्तियों को एदोम के राजा के पास एक संदेश के साथ भेजा। संदेश यह थाः
“तुम्हारे भाई इस्राएल के लोग तुमसे यह कहते हैं: तुम जानते हो कि हम लोगों ने कितनी कठिनाइयाँ सही हैं। 15 अनेक वर्ष पहले हमारे पूर्वज मिस्र चले गये थे और हम लोग वहाँ अनेक वर्ष रहे। मिस्र के लोग हम लोगों के प्रति क्रूर थे। 16 किन्तु हम लोगों ने यहोवा से सहायता के लिए प्राथना की।” यहोवा ने हम लोगों की प्रार्थना सुनी और उन्होंने हम लोगों की सहायता के लिए एक दूत भेजा। यहोवा हम लोगों को मिस्र से बाहर लाया है।
“अब हम लोग यहाँ कादेश में हैं जहाँ से तुम्हारा प्रदेश आरम्भ होता है। 17 कृपया अपने देश से हम लोगों को यात्रा करने दें। हम लोग किसी खेत या अंगूर के बाग से यात्रा नहीं करेंगे। हम लोग तुम्हारे किसी कुएँ से पानी नहीं पीएंगे। हम लोग केवल राजपथ से यात्रा करेंगे। हम राजपथ को छोड़कर दायें या बायें नहीं बढ़ेंगे। हम लोग तब तक राजपथ पर ही ठहरेंगे जब तक तुम्हारे देश को पार नहीं कर जाते।”
18 किन्तु एदोम के राजा ने उत्तर दिया, “तुम हमारे देश से होकर यात्रा नहीं कर सकते। यदि तुम हमारे देश से होकर यात्रा करने का प्रयत्न करते हो तो हम लोग आएंगे और तुमसे तलवारों से लड़ेंगे।”
19 इस्राएल के लोगों ने उत्तर दिया, “हम लोग मुख्य सड़क से यात्रा करेंगे। यदि हमारे जानवर तुम्हारा कुछ पानी पीएंगे, तो हम लोग उसके मूल्य का भुगतान करेंगे। हम लोग तुम्हारे देश से केवल चलकर पार जाना चाहते हैं। हम लोग इसे अपने लिए लेना नहीं चाहते।”
20 किन्तु एदोम ने फिर उत्तर दिया, “हम अपने देश से होकर तुम्हें जाने नहीं देगे।”
तब एदोम के राजा ने एक विशाल और शक्तिशाली सेना इकट्ठी की और इस्राएल के लोगों से लड़ने के लिए निकल पड़ा। 21 एदोम के राजा ने इस्राएल के लोगों को अपने देश से यात्रा करने से मना कर दिया और इस्राएल के लोग मुड़े और दूसरे रास्ते से चल पड़े।
हारून मर जाता है
22 इस्राएल के सभी लोगों ने कादेश से होर पर्वत तक यात्रा की। 23 होर पर्वत एदोम की सीमा पर था। यहोवा ने मूसा और हारून से कहा, 24 “हारून को अपने पूर्वजों के साथ जाना होगा। यह उस प्रदेश में नहीं जाएगा जिसे देने के लिए मैंने इस्राएल के लोगों को वचन दिया है। मूसा, मैं तुमसे यह कहता हूँ क्योंकि तुमने और हारून ने मरीबा के पानी के विषय में मेरे दिये आदेश का पूरी तरह पालन नहीं कया।
25 “हारून और उसके पुत्र एलीआज़ार को होर पर्वत पर लाओ। 26 हारून के विशेष वस्त्रों को उससे लो औ र उन वस्त्रो को उसके पुत्र ऐलीआज़ार को पहनाओ। हारून वहाँ पर्वत पर मरेगा और वह अपने पूर्वजों के साथ हो जाएगा।”
27 मूसा ने यहोवा के आदेश का पालन किया। मूसा, हारून और एलीआज़ार होर पर्वत पर गए। इस्राएल के सभी लोगों ने उन्हें जाते देखा। 28 मूसा ने हारून के वस्त्र उतार लिए और उन वस्रों को हारून के पुत्र एलीआजार को पहनाया। तब हारून पर्वत की चोटी पर मर गया। मूसा और एलीआज़ार पर्वत से उतर आए। 29 तब इस्राएल के सभी लोगों ने जाना कि हारून मर गया। इसलिए इस्राएल के हर व्यक्ति ने तीस दिन तक शोक मनाया।
कनानियों से युद्ध
21अराद का कनानी राजा नेगेव मरुभूमि में रहता था। उस ने सुना कि इस्राएल के लोग अथारीम को जाने वाली सड़क से आ रहे हैं। इसलिए राजा बाहर निकला और उसने इस्राएल के लोगों पर आक्रमण कर दिया। उसने उनमें से कुछ को पकड़ लिया और उन्हें बन्दी बनाया। 2 तब इस्राएल के लोगों ने यहोवा को यह वचन दियाः “हे यहोवा, इन लोगों को पराजित करने में हमारी मदद करो। उन्हें हमारे अधीन कर दो। यदि तु ऐसा करेगा, तो हम लोग उनके नगरों को पूरी तरह नष्ट कर देंगे।”
3 यहोवा ने इस्राएल के लोगों की प्रार्थना सुनी ओर यहोवा ने इस्राएल के लोगों से कनानी लोगों को हरवा दिया। इस्राएल के लोगों ने कनानी लोगों तथा उनके नगरों को पूरी तरह नष्ट कर दिया। इसलिए उस स्थान का नाम होर्मा पड़ा।
समीक्षा
5. मध्यस्थ
बकरों और बैलो का लहू और 'बछिया की राख' (19:9) के विषय में यें लेखांश हमारे स्थान में यीशु की मृत्यु को दर्शाते हैं.
इब्रानियों का लेखक इन बलिदानों की ओर ध्यान ले जाते हैं, लेकिन फिर समझाते हैं: 'तो मसीह का लहू जिसने अपने आप को सनातन आत्मा के द्वारा परमेश्वर के सामने निर्दोष चढ़ाया, तुम्हारे विवेक को मरे हुए कामों से क्यों न शुद्ध करेगा ताकि तुम जीवते परमेश्वर की सेवा करो. इसी कारण वह नई वाचा का मध्यस्थ है' (इब्रानियो 9:14-15अ).
परमेश्वर आपका धन्यवाद क्योंकि 'परमेश्वर एक ही हैं, और परमेश्वर और मनुष्यों के बीच में भी एक ही मध्यस्थी है, अर्थात् मसीह यीशु जो मनुष्य हैं. जिसने अपने आप को सब के छुटकारे के दाम में दे दिया' (1तीमुथियुस 2:5-6).
6. चट्टान
परमेश्वर मूसा से चट्टान में से पानी बाहर निकालने के लिए कहते हैं. मूसा चट्टान पर दो बार मारता है और चट्टान में से पानी बाहर आता है (गिनती 20:1-11). 'पानी बहुतायत रूप से बाहर आया' (व.11 ए.एम.पी.).
पौलुस प्रेरित भी हमें बताते हैं कि चट्टान में से निकले पानी का क्या अर्थ है. वह कहते है, 'उन्होंने...एक ही आत्मिक जल पीया; क्योंकि वे उस आत्मिक चट्टान से पीते थे जो उनके साथ-साथ चलती थी, और वह चट्टान मसीह हैं' (1कुरिंथियो 10:3-4). वह हमारी प्यास को बुझाते हैं. केवल भौतिक चीजें ही संतुष्ट नहीं करतीं.
परमेश्वर हमारे प्रति बहुत उदार हैं. पानी बूंद-बूंद करके बाहर नहीं आया -यह बहुतायत रूप से बाहर आया. यीशु आपको बहुतायत का जीवन देने आए (यूहन्ना 10:10 आर.एस.व्ही.). 'जीवित जल की नदियों' से वह आपकी आत्मिक प्यास को तृप्त करने का वादा करते हैं (7:37-38).
परमेश्वर, मेरी चट्टान आपका धन्यवाद क्योंकि आप मेरी आत्मिक प्यास को तृप्त करते हैं. मेरे अंदर रहने वाले पवित्र आत्मा के द्वारा, मैं दूसरो को जीवन का जल दे पाऊँ.
7. महायाजक
यीशु 'महायाजक' हैं (इब्रानियो 4:14) जो हमारे लिए विनती करने के लिए सर्वदा जीवित हैं. जैसे ही हम हारुन की मृत्यु के विषय में पढ़ते हैं (गिनती 20:28-29) हमें याद दिलाया जाता है कि लेवी याजक की एक कमजोरी यह थी कि याजक मर गए.
इब्रानियों के लेखक याजक हारुन जिसकी 'मृत्यु ने उसे सेवकाई में काम करने से रोक दिया', उनकी तुलना यीशु से करते हैं 'जो कि सर्वदा जीवित है' और 'उनके पास अनंतकाल की याजकीय सेवकाई है'. इसीलिये जो उसके द्वारा परमेश्वर के पास आते हैं, वह उनका पूरा पूरा उद्धार कर सकते हैं, क्योंकि वह उनके लिये विनती करने को सर्वदा जीवित हैं (इब्रानियो 7:23 -25).
यह हमें उस निश्चितता की याद दिलाता है जो आप अपने विश्वास में रख सकते हैं. आपको इस विषय में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है कि क्या आप 'पर्याप्त अच्छे' बनेंगे, यीशु में जो उद्धार आपके पास है उसके प्रति आप पूरी तरह से आश्वस्त हो सकते हैं.
प्रार्थना
धन्यवाद प्रभु मेरे महायाजक जो सर्वदा जीवित हैं, और आप मुझे पूरी तरह से बचाने में सक्षम हैं. आपका धन्यवाद क्योंकि आप मृत्यु में से जी उठे और मेरे लिए मध्यस्थता करने के लिए जीवित हैं. आपका धन्यवाद क्योंकि अभी आप मेरे लिए मध्यस्थता कर रहे हैं.
पिप्पा भी कहते है
एक दिन की छुट्टी लेने, विश्राम करने और इसका आनंद लेने में आत्मग्लानि नहीं मसहसू करनी चाहिए!
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संदर्भ
नोट्स:
- वेबसाईट ऑफ ब्रिटिश मोनार्कः 'स्टाईल एण्ड टाईटल्स'
http://www.royal.gov.uk/ThecurrentRoyalFamily/ThePrinceofWales/Stylesandtitles.aspx \[Last accessed February 2015\]
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।