मैं गुलाम था
परिचय
सॅम मॉरिस. तेईस साल की उम्र में, एक सैनिक आक्रमक नास्तिक थे. उन्होंने खुद को विश्वास और धर्म विरोधी शिक्षाओं में शामिल किया था. एक दिन शाम को, वह गए और उन्होंने पाया कि अल्फा को आसानी से घर बैठे शुरू किया जा सकता है. वह हमारे चर्च में यह सोचकर आए कि, 'मैं यहाँ से कुछ अनजान मसीही लोगों को ले जाऊँगा.'
लेकिन यीशु मसीह के व्यक्तित्व और उनकी शिक्षा से उनका परिचय इस तरह से हुआ जिसकी उन्होंने अपेक्षा भी नहीं की थी.
पाठ्यक्रम के अंत में इस प्रश्नावली पर, उन्होंने लिखा कि, 'मैंने यीशु के खिंचाव को बहुत प्रबल पाया और विश्वास न रखने वाले व्यक्ति से बहुत बड़ी आशा रखने वाला व्यक्ति बन गया. मेरे लिए असत्य की अवस्था से सत्य की अवस्था में जीना, यानि बंधन में रहने के बजाय पूर्ण आजादी में रहने जैसा था.'
तीन महीने बाद उनका बपतिस्मा हुआ. उन्होंने मुझे बताया कि, 'मैं अपने पुराने जीवन से आजाद हो गया हूँ. मैं समाज का गुलाम था, मेरे साथियों का गुलाम....... लेकिन अब मैं अपना जीवन जीने के लिए आजाद हो गया हूँ. मैं यह देखने के लिए बहुत इच्छुक हूँ कि परमेश्वर ने मेरे लिए क्या रखा है.' उद्धार यानि आजादी. सॅम ने अनुभव किया कि यीशु ने उसे किस तरह से आजाद किया है.
भजन संहिता 34:11-22
11 हे बालकों, मेरी सुनो,
और मैं तुम्हें सिखाऊँगा कि यहोवा की सेवा कैसे करें।
12 यदि कोई व्यक्ति जीवन से प्रेम करता है,
और अच्छा और दीर्घायु जीवन चाहता है,
13 तो उस व्यक्ति को बुरा नहीं बोलना चाहिए,
उस व्यक्ति को झूठ नहीं बोलना चाहिए।
14 बुरे काम मत करो। नेक काम करते रहो।
शांति के कार्य करो।
शांति के प्रयासों में जुटे रहो जब तक उसे पा न लो।
15 यहोवा सज्जनों की रक्षा करता है।
उनकी प्रार्थनाओं पर वह कान देता है।
16 किन्तु यहोवा, जो बुरे काम करते हैं, ऐसे व्यक्तियों के विरुद्ध होता है।
वह उनको पूरी तरह नष्ट करता है।
17 यहोवा से विनती करो, वह तुम्हारी सुनेगा।
वह तुम्हें तुम्हारी सब विपत्तियों से बचा लेगा।
18 लोगों को विपत्तियाँ आ सकती है और वे अभिमानी होना छोड़ते हैं। यहोवा उन लोगों के निकट रहता है।
जिनके टूटे मन हैं उनको वह बचा लेगा।
19 सम्भव है सज्जन भी विपत्तियों में घिर जाए।
किन्तु यहोवा उन सज्जनों की उनकी हर समस्या से रक्षा करेगा।
20 यहोवा उनकी सब हड्डियों की रक्षा करेगा।
उनकी एक भी हड्डी नहीं टूटेगी।
21 किन्तु दुष्ट की दुष्टता उनको ले डूबेगी।
सज्जन के विरोधी नष्ट हो जायेंगे।
22 यहोवा अपने हर दास की आत्मा बचाता है।
जो लोग उस पर निर्भर रहते हैं, वह उन लोगों को नष्ट नहीं होने देगा।
समीक्षा
आजादी का जीवन जीएं
क्या आप अपने जीवन में महान चुनौती का सामना कर रहे हैं – शायद अपने धन, रिश्ते, स्वास्थ्य, परिवार या किसी और मुश्किल परिस्थिति के बारे में? यह भजन उन लोगों के लिए मार्गदर्शन और आश्चर्यजनक वायदे से परिपूर्ण है जो 'कई परेशानियों' का सामना कर रहे हैं (व.19).
आपका जीवन परमेश्वर की संतान के रूप में नये जीवन को दर्शाना चाहिये. अपनी एक पत्री में प्रेरित पतरस इस भजन का उद्धरण उस तरह के जीवन के रूप में करते हैं जो हमें जीना चाहिये.
पतरस, दाऊद का परिचय धार्मिक जीवन जीने के हिसाब से करते हैं, 'जिसे जीने के लिए हमें बुलाया गया है' (1 पतरस 3:9): ' कोई जीवन की इच्छा रखता है, और अच्छे दिन देखना चाहता है, वह अपनी जीभ को बुराई से, और अपने होंठों को छल की बातें करने से रोके रहे. वह बुराई का साथ छोड़े, और भलाई ही करे; वह मेल मिलाप को ढूंढ़े, और उस के यत्न में रहे. क्योंकि प्रभु की आंखे धमिर्यों पर लगी रहती हैं, और उसके कान उन की विनती की ओर लगे रहते हैं, परन्तु प्रभु बुराई करने वालों के विमुख रहता है.' (भजन संहिता 34:12-16अ; 1पतरस 3:10-12).
'प्रभु..... उद्धार करते हैं (भजन संहिता 34:18). आप अपना उद्धार नहीं कर सकते. प्रभु ही आपको आजाद कर सकते हैं.
हमारे परमेश्वर हमें बचाते हैं. वह हमारी निगरानी करते हैं, और हमारी प्रार्थना सुनने का इंतजार करते हैं: 'उनके कान भी उसकी दोहाई की ओर लगे रहते हैं' (व.15ब). जब हम उन्हें पुकारते हैं, 'तो प्रभु सुनते हैं' (व.17अ) और वह हमें विपत्तियों से छुड़ाते हैं.' (व.17ब). पिछले सालों को देखकर आश्चर्य होता है कि किस तरह से परमेश्वर ने मुझे छुड़ाया है. उन्हें फिर से पुकारने के लिए प्रोत्साहन मिलता है.
प्रभु कहते है, 'धर्मी पर बहुत सी विपत्तियां पड़ती तो हैं, (व.19अ). परन्तु यहोवा उसको उन सब से मुक्त करता है' (व.19ब). वास्तव में वह कठिन समय से घिरे हुए थे, ' यहोवा टूटे मन वालों के समीप रहते हैं, और पिसे हुओं का उद्धार करते हैं' (व.18). जब कठिन दौर से गुजरते हैं, तो शायद आपको ऐसा महसूस न हो कि परमेश्वर आपके करीब हैं, लेकिन वह करीब होते हैं: 'परमेश्वर सदा हमारे साथ रहते हैं' (व. 19, एमएसजी).
' परमेश्वर अपने दासों का प्राण मोल लेकर उन्हें बचा लेते हैं;' (व.22, एमएसजी). उनका वायदा है कि, 'जितने उसके शरणागत हैं उन में से कोई भी दोषी न ठहरेगा' (व.22ब, रोमियों 8:1 देखें). मसीह के द्वारा आपको परमेश्वर से सत्यनिष्ठा मिली है, इसलिए, आप खुद को 'सत्यनिष्ठ' लोगों की श्रेणी में रख सकते हैं (भजनसंहिता 34:17, 19,21).
प्रार्थना
प्रभु आपको धन्यवाद क्योंकि मैंने कई बार आपको पुकारा और आपने मुझे सुना और मुझे छुड़ाया. आज मेरी मदद कीजिये कि मैं अपभी जीभ को बुराई करने से दूर रखूँ और दूसरों का भला करूँ और शांति बनाए रखूँ. मुझे दूसरों के साथ मिल जुलकर रहने में मेरी मदद कीजिये: किसी के साथ बुराई के बदले बुराई या अपमान के बदले अपमान न करूँ बल्कि उन्हें आशीष दूँ. आपको धन्यवाद कि आजादी जीवन देने के लिए मसीह ने मुझे छुड़ाया है.
लूका 1:57-80
यूहन्ना का जन्म
57 फिर इलीशिबा का बच्चे को जन्म देने का समय आया और उसके घर एक पुत्र पैदा हुआ। 58 जब उसके पड़ोसियों और उसके परिवार के लोगों ने सुना कि प्रभु ने उस पर दया दर्शायी है तो सबने उसके साथ मिल कर हर्ष मनाया।
59 और फिर ऐसा हुआ कि आठवें दिन बालक का ख़तना करने के लिए लोग वहाँ आये। वे उसके पिता के नाम के अनुसार उसका नाम जकरयाह रखने जा रहे थे, 60 तभी उसकी माँ बोल उठी, “नहीं, इसका नाम तो यूहन्ना रखा जाना है।”
61 तब वे उससे बोले, “तुम्हारे किसी भी सम्बन्धी का यह नाम नहीं है।” 62 और फिर उन्होंने संकेतों में उसके पिता से पूछा कि वह उसे क्या नाम देना चाहता है?
63 इस पर जकरयाह ने उनसे लिखने के लिये एक तख्ती माँगी और लिखा, “इसका नाम है यूहन्ना।” इस पर वे सब अचरज में पड़ गये। 64 तभी तत्काल उसका मुँह खुल गया और उसकी वाणी फूट पड़ी। वह बोलने लगा और परमेश्वर की स्तुति करने लगा। 65 इससे सभी पड़ोसी डर गये और यहूदिया के सारे पहाड़ी क्षेत्र में लोगों में इन सब बातों की चर्चा होने लगी। 66 जिस किसी ने भी यह बात सुनी, अचरज में पड़कर कहने लगा, “यह बालक क्या बनेगा?” क्योंकि प्रभु का हाथ उस पर है।
जकरयाह की स्तुति
67 तब उसका पिता जकरयाह पवित्र आत्मा से अभिभूत हो उठा और उसने भविष्यवाणी की:
68 “इस्राएल के प्रभु परमेश्वर की जय हो
क्योंकि वह अपने लोगों की सहायता के लिए आया और उन्हें स्वतन्त्र कराया।
69 उसने हमारे लिये अपने सेवक
दाऊद के परिवार से एक रक्षक प्रदान किया।
70 जैसा कि उसने बहुत पहले अपने पवित्र
भविष्यवक्ताओं के द्वारा वचन दिया था।
71 उसने हमें हमारे शत्रुओं से और उन सब के हाथों से,
जो हमें घृणा करते थे, हमारे छुटकारे का वचन दिया था।
72 हमारे पुरखों पर दया दिखाने का
अपने पवित्र वचन को याद रखने का।
73 उसका वचन था एक वह शपथ जो हमारे पूर्वज इब्राहीम के साथ ली गयी थी
74 कि हमारे शत्रुओं के हाथों से हमारा छुटकारा हो
और बिना किसी डर के प्रभु की सेवा करने की अनुमति मिले।
75 और अपने जीवन भर हर दिन उसके सामने हम पवित्र और धर्मी रह सकें।
76 “हे बालक, अब तू परमप्रधान का नबी कहलायेगा,
क्योंकि तू प्रभु के आगे-आगे चल कर उसके लिए राह तैयार करेगा।
77 और उसके लोगों से कहेगा कि उनके पापों की क्षमा द्वारा उनका उद्धार होगा।
78 “हमारे परमेश्वर के कोमल अनुग्रह से
एक नये दिन का प्रभात हम पर ऊपर से उतरेगा।
79 उन पर चमकने के लिये जो मौत की गहन छाया में जी रहे हैं
ताकि हमारे चरणों को शांति के मार्ग की दिशा मिले।”
80 इस प्रकार वह बालक बढ़ने लगा और उसकी आत्मा दृढ़ से दृढ़तर होने लगी। वह जनता में प्रकट होने से पहले तक निर्जन स्थानों में रहा।
समीक्षा
अपनी आजादी की महानता के बारे में सोचिये
उस समय परमेश्वर के लोग रोम शासक द्वारा सताये जा रहे थे. उन्होंने खुद को अंधकार और मृत्यु से घिरा हुआ महसूस किया. वे लोग एक मुक्तिदाता का इंतजार कर रहे थे जो उन्हें दु:ख और दर्द से मुक्ति दिलाए. वे किसी का इंतजार कर रहे थे जो आकर चीजों को सही करे. वे काफी दिनों से इंतजार कर रहे थे.
जकर्याह, यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के पिता थे. उनकी नौ महीने की चुप्पी शायद भविष्यवाणी से संबंधित खामोशी के दौर का प्रतीक थी जिसका अभी अंत होने वाला था. जब जकर्याह का मुंह खुल गया और जुबान मुक्त हो गई (व.64), तो वह ' पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गया, और भविष्यद्ववाणी करने लगा' (व.67).
बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना का जन्म महान उत्सव, आनंद और अपेक्षा का अवसर था (वव.57-66). जब जकर्याह बोल नहीं सकता था उसने लिखा, 'उसका नाम यूहन्ना है'..... और सभी ने अचंभा किया. अचरज के बाद अचरज – जकर्याह का मुंह खुल गया, उसकी जुबान खुल गई और वह बोलने लगा, और प्रभु की स्तुती करने लगा!' (वव.63-64, एमएसजी).
बल्कि यूहन्ना का नाम भी परमेश्वर के आशीषों की अभिव्यक्ति थी – इसका मतलब है 'प्रभु उदारता से देते हैं.'
ऐसा कहा जाता था कि बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना पर 'प्रभु का हाथ था' (व.66). यह खुद के लिए, आपके परिवार और आपके समाज के लिए एक अच्छी प्रार्थना है: कि प्रभु का हाथ आपके साथ रहेगा.
जकर्याह पवित्र आत्मा से भर गया और उसने भविष्यवाणी की कि उद्धारकर्ता आ रहा है. उसने कहा, ' अपने सेवक दाऊद के घराने में हमारे लिये एक उद्धार का सींग निकाला.' बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना ने उसके लोगों को उद्धार का ज्ञान दिया, जो उन के पापों की क्षमा से प्राप्त होता है' (व.77, एमएसजी).
जकर्याह देखता है कि उसके लोगों का उद्धार करने के लिए परमेश्वर आ रहे हैं. लेकिन उसकी भविष्यवाणी राजनीतिक मुक्ति से परे थी. कुछ तो बहुत गहरा और बहुत बड़ा होने वाला था, पुराने नियम के वायदों को पूरा करने के लिए. इसमे 'मुक्ति' (व.68ब), 'शत्रुओं से छुड़ाया जाना' (व.74अ) और पापों से क्षमा (व.77ब). उद्धार 'शांति का मार्ग' है (व.79). उद्धार के इस वर्णन में जकर्याह आजादी की बहुत सी बातों को सारांशित करता है जो यीशु लाने वाले थे:
डर से आजादी (व.74ब)
परमेश्वर की सेवा करने के लिए आजादी (व.74ब)
पवित्र रहने के लिए आजादी (व.75)
धर्मी रहने के लिए आजादी (व.75)
मृत्यु से आजादी (व.79ब).
प्रार्थना
प्रभु आपको धन्यवाद कि आपने मुझे गुलामी से बचाया और मुझ पर दया की. मेरे पापों को क्षमा करने के लिए धन्यवाद. आपको धन्यवाद कि आपने मुझे डर और मृत्यु से आजाद किया है. आपको धन्यवाद कि आपकी सेवा करने के लिए आपने मुझे मुक्त किया है. आज मेरी मदद कीजिये कि मैं बिना किसी डर के, पवित्रता में और सत्यनिष्ठा में आपकी सेवा करूँ और मुझे शांति की ओर ले जाइये. आपका हाथ मुझ पर बना रहे.
गिनती 4:1-5:10
कहात परिवार के सेवा—कार्य
4यहोवा ने मूसा और हारून से कहाः 2 “कहात परिवार समूह के पुरुषों को गिनो। (कहात परिवार समूह लेवी परिवार समूह का एक भाग है।) 3 अपने सेवा कर्तव्य का निर्वाह करने वाले तीस से पचास वर्ष की उम्र वाले पुरुषों को गिनो। ये व्यक्ति मिलापवाले तम्बू में कार्य करेंगे। 4 उनका कार्य मिलापवाले तम्बू के सर्वाधिक पवित्र स्थान की देखभाल करना है।
5 “जब इस्राएल के लोग नए स्थान की यात्रा करें तो हारून और उसके पुत्रों को चाहिए कि वे पवित्र तम्बू में जाएँ और पर्दे को उतारें और साक्षीपत्र के पवित्र सन्दूक को उससे ढकें। 6 तब वे इन सबको सुइसों के चमड़े से बने आवरण में ढकें। तब वे पवित्र सन्दूक पर बिछे चमड़े पर पूरी तरह से एक नीला वस्त्र फैलाएंगे और पवित्र सन्दूक में लगे कड़ों में डंडे डालेंगे।
7 “तब वे एक नीला कपड़ा पवित्र मेज के ऊपर फैलाएंगे। तब वे उस पर थाली, चम्मच, कटोरे और पेय भेंट के कलश रखेंगे। वे विशेष रोटी भी मेज पर रखेंगे। 8 तब तुम इन सभी चिज़ों के ऊपर एक लाल कपड़ा डालोगे।तब हर एक चीज़ को सुइसों के चमड़े से ढक दो। तब मेज के कड़ों में डंडे डालो।
9 “तब दीपाधार और दीपकों को नीले कपड़े से ढको। दीपक जलने के लिए उपयोग में आनेवाली सभी चीजों और दीपक के लिए उपयोग में आने वाले तेल के सभी घड़ों को ढको। 10 तब सभी चीजों को सुइसों के चमड़े में लेपेटो और इन्हें ले जाने के लिये उपयोग में आने वाले डंडो पर इन्हें रखो।
11 “सुनहरी वेदी पर एक नीला कपड़ा फैलाओ। उसे सुइसों के चमड़े से ढको। तब वेदी को ले जाने के लिए उसमें लगे हुए कड़ो में डंडे डालो।
12 “पवित्र स्थान में उपासना के उपयोग में आने वाली सभी विशेष चीज़ों को एक साथ इकट्ठा करो। इन्हें एक साथ इकट्ठा करो और इनको नीले कपड़े में लपेटो। तब इसे सुइसों के चमड़े से ढको। इन चीजों को ले जाने के लिए इन्हें एक ढाँचे पर रखो।
13 “काँसेवाली वेदी से राख को साफ कर दो और इसके ऊपर एक बैंगनी रंग का कपड़ा फैलाओ। 14 तब वेदी पर उपासना के लिए उपयोग में आने वाली चीजों को इकट्ठा करो। आग के तसले, माँस के लिए काँटे, बेलचे और चिलमची हैं। इन चीजों को काँसे की वेदी पर रखो। तब वेदी के ऊपर सुइसों के चमड़े का आवरण फैलाओ। वेदी में लगे कड़ों में, इसे ले जाने वाले डंडे डालो।
15 “जब हारून और उसके पुत्र पवित्र स्थान की सभी पवित्र चीज़ों को ढकना पुरा कर लें तब कहात परिवार के व्यक्ति अन्दर आ सकते हैं और उन चीज़ों को ले जाना आरम्भ कर सकते हैं। इस प्रकार वे इस पवित्र वस्तुओं को छुएंगे नहीं। सो वे मरेंगे नहीं।
16 “याजक हारून का पुत्र एलीअज़ार पवित्र तम्बू के लिए उत्तरदायी होगा। वह पवित्र स्थान और इसकी हर एक चीज़ के लिए उत्तरदायी होगा। वह दीपक के तेल, मधुर सुगन्धवाली सुगन्धि तथा दैनिक बलि और अभिषेक के तेल के लिये उत्तरदायी होगा।”
17 यहोवा ने मूसा और हारून से कहा, 18 “सावधान रहो! इन कहातवंशी व्यक्तियों को नष्ट मत होने दो। 19 तम्हें यह इसलिए करना चाहिए ताकि कहातवंशी सर्वाधिक पवित्र स्थान तक जाएँ और मरें नहीं: हारून और उसके पुत्रों को अन्दर जाना चाहिए और हर एक कहातवंशी को बताना चाहिए कि वह क्या करे। उन्हें हर एक व्यक्ति को वह चीज़ देनी चाहिए जो उसे ले जानी है। 20 यदी तुम ऐसा नहीं करते हो तो कहातवंशी अन्दर जा सकते हैं और पवित्र चीज़ों को देख सकते हैं। यदि वे एक क्षण के लिए भी उन पवित्र वस्तुओं की ओर देखते हैं तो उन्हें मरना होगा।”
गेर्शोन परिवार के सेवा—कार्य
21 यहोवा ने मूसा से कहा, 22 “गेर्शोन परिवार के सभी लोगों को गिनो। उनकी सूची परिवार और परिवार समूह के अनुसार बनाओ। 23 अपना सेवा कतर्व्य कर चुकने वाले तीस वर्ष से पचास वर्ष तक के पुरुषों को गिनो। ये लोग मिलापवाले तम्बू की देखभाल का सेवा—कार्य करेंगे।
24 “गेर्शोन परिवार को यही करना चाहिए और इन्हीं चीज़ों को ले चलना चाहिएः 25 इन्हें पवित्र तम्बू के पर्दे, मिलापवाले तम्बू, इसके आवरण और सुइसों के चमड़ें से बना आवरण ले चलना चाहिए। उन्हें मिलापवाले तम्बू के द्वार के पर्दे भी ले चलना चाहिए। 26 उन्हें आँगन के उन पर्दों को, जो पवित्र तम्बू और वेदी के चारों ओर लगे हैं, ले चलना चाहिए। उन्हें आँगन के प्रवेश द्वार का पर्दा भी ले चलना चाहिए। उन्हें सारी रस्सियाँ और पर्दे के साथ उपयोग में आनेवाली सभी चीजें ले चलनी चाहिए। गेर्शोन वंश के लोग उस किसी भी चीज़ के लिए उत्तरदायी होंगे जो इन चीज़ों से की जानी हैं। 27 हारून और उसके पुत्र इन सभी किए गए कार्यों की निगरानी करेंगे। गोर्शोन वंश के लोग जो कुछ ले जाएंगे और जो दूसरे कार्य करेंगे उनकी निगरानी हारून और उसके पुत्र करेंगे। तुम्हें उनको वे सभी चीज़े बतानी चाहिए जिनके ले जाने के लिये वे उत्तरदायी हैं। 28 यही काम है जिसे गेर्शोन वंश के परिवार समूह के लोगों को मिलापवाले तम्बू के लिए करना है हारून का पुत्र ईतामार याजक उनके काम के लिए उत्तरदायी होगा।”
मरारी परिवार के सेवा—कार्य
29 “मरारी परिवार समूह के परिवार ओर परिवार समूह के पुरुषों को गिनो। 30 सेवा—कर्तव्य कर चुके तीस से पचास वर्ष के सभी पुरुषों को गिनो। ये लोग मिलापवाले तम्बू के लिए विशेष कार्य करेंगे। 31 जब तुम यात्रा करोगे तब उनका यह कार्य है कि वे मिलापवाले तम्बू के तख्ते ले चलें। उन्हें तख्ते, खम्भों और आधारों को ले चलना चाहिए। 32 उन्हें आँगन के चारों ओर के खम्भों को भी ले चलना चाहिए। उन्हें उन तम्बू की खूंटियों, रस्सियों और वे सभी चीजें जिनका उपयोग आँगन के चारों ओर के खम्भों के लिए होता है, ले चलना चाहिए। नामों की सूची बनाओ और हर एक व्यक्ति को बताओ कि उसे क्या—क्या चीज़े ले जाना है। 33 यही बातें हैं जिसे मरारी वंश के लोग मिलापवाले तम्बू के कार्यों में सेवा करने के लिए करेंगे। हारून का पुत्र ईतामार याजक इनके कार्य के लिए उत्तरदायी होगा।”
लेवी परिवार
34 मूसा, हारून और इस्राएल के लोगों के नेताओं ने कहातवंश के लोगों को गिना। उन्होंने उनको परिवार और परिवार समूह के अनुसार गिना। 35 उन्होंने अपना सेवा—कर्तव्य कर चुके तीस से पचास पर्ष के उम्र के लोगों को गिना। इन लोगों को मिलापवाले तम्बू के लिए विशेष कार्य करने को दिए गए।
36 कहात परिवार समूह में जो इस कार्य को करने की योग्यता रखते थे, दो हजार सात सौ पचास पुरुष थे। 37 इस प्रकार कहात परिवार के इन लोगों को मिलापवाले तम्बु के बिशेष कार्य करने के लिए दिए गए। मूसा और हारून ने इसे वैसे ही किया जैसा यहोवाने मूसा से करने को कहा था।
38 गेर्शोन परिवार समूह को भी गिना गया। 39 सभी पुरुष जो अपना कर्तव्य सेवा कर चुके थे और तीस से पचास वर्ष की उम्र के थे, गिने गए। इन लोगों को मिलापवाले तम्बू में विशेष कार्य करने का सेवा—कार्य दिया गया। 40 गेर्शोन परिवार समूह के परिवारों में जो योग्य थे, वे दो हजार छः सौ तीस पुरुष थे। 41 इस प्रकार इन पुरुषों को जो गेर्शोन परिवार समूह के थे, मिलापवाले तम्बू में विशेष कार्य करने का सेवा—कार्य सौंपा गया। मूसा और हारून ने इसे वैसे ही किया जैसा यहोवा ने मूसा को करने को कहा था।
42 मरारी के परिवार और परिवार समूह भी गिने गए। 43 सभी पुरुष जो अपना सेवा—कर्तव्य कर चुके थे और तीस से पचास वर्ष की उम्र के थे, गिने गए। इन व्यक्तियों को मिलापवाले तम्बू के लिए विशेष कार्य करने का सेवा—कार्य दिया गया।
44 मरारी परिवार समूह के परिवारों में जो लोग योग्य थे, वे तीन हजार दो सौ व्यक्ति थे। 45 इस प्रकार मरारी परिवार समूह के इन लोगों को विशेष कार्य दिया गया। मूसा और हारून ने इसे वैसे ही किया जैसा यहोवा ने मूसा से करने को कहा था।
46 मूसा, हारून और इस्राएल के लोगों के नेताओं ने लेवीवंश परिवार समूह के सभी सदस्यों को गिना। उन्होंने प्रत्येक परिवार और प्रत्येक परिवार समूह को गिना। 47 सभी व्यक्ति जो अपने सेवा—कर्तव्य का निर्वाह कर चुके थे और जो तीस वर्ष से पचास वर्ष उम्र के थे, गिने गए। इन व्यक्तियों को मिलापवाले तम्बू के लिए विशेष कार्य करने का सेवा—कार्य दिया गया। उन्होंने मिलापवाले तम्बू को ले चलने का कार्य तब किया जब उन्होंने यात्रा की। 48 पुरुषों की सारी संख्या आठ हजार पाँच सौ अस्सी थी। 49 यहोवा ने यह आदेश मूसा को दिया था। हर एक पुरुष को अपना कार्य दिया गया था और हर एक पुरुष से कहा गया था कि उसे क्या—क्या ले चलना चाहिए। इसलिए यहोवा ने जो आदेश दिया था उन चीज़ों को पूरा किया गया। सभी पुरुषों को गिना गया।
शुद्धता सम्बन्धी नियम
5यहोवा ने मूसा से कहा, 2 “मैं इस्राएल के लोगों को, उनके डेरे बीमारियों व रोगों से मुक्त रखने का आदेश देता हूँ। इस्राएल के लोगों से कहो कि हर उस व्यक्ति को जो बुरे चर्म रोगों, शरीर से निकलने वाले स्रावों या किसी शव को छूने के कारण अशुद्ध हो गये हैं, उन्हें डेरे से बाहर निकाल दो, 3 चाहे वे पुरुष हों चाहे स्त्री। उन्हें डेरे से बाहर निकाल दो ताकि वे जिस डेरे में मेरा निवास है उसे वे अशुद्ध न कर दें। मैं तुम्हारे डेरे में तुम लोगों के बीच रह रहा हूँ।”
4 अतः इस्राएल के लोगों ने परमेश्वर का आदेश माना। उन्होंने उन लोगों को डेरे के बाहर भेज दिया। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था।
अपराध के लिए अर्थ—दण्ड
5 यहोवा ने मूसा से कहा, 6 “इस्राएल के लोगों को यह बताओः जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति का कुछ बुरा करता है तो वस्तुतः वह यहोवा के विरूद्ध पाप करता है। वह व्यक्ति अपराधी है। 7 इसलिए वह व्यक्ति लोगों को अपने किए गए पाप को बताए। तब यह व्यक्ति अपने बुरे किए गए काम का पूरा भुगतान करे। वह भुगतान में पाँचवाँ हिस्सा जोड़े और उसका भुगतान उसे करे जिसका बुरा उसने किया है। 8 किन्तु जिस व्यक्ति का उसने बुरा किया है, वह मर भी सकता है और सम्भव है उस मृतक का कोई नजदीकी सम्बन्धी न हो जिसे भुगतान किया जाए। उस स्थिति में, बुरा करने वाला व्यक्ति यहोवा को भुगतान करेगा। वह व्यक्ति पूरा भूतगन याजक को करेगा।याजक को क्षमादान रुपी मेढ़े की बली देनी चाहिए। बुरा करने वाले व्यक्ति के पापों को ढकने के लिए इस मेढ़े की बलि दी जानी चाहिए किन्तु याजक बाकी बचे भुगतान को अपने पास रख सकता है।
9 “यदि इस्राएल का कोई व्यक्ति यहोवा को विशेष भेंट देता है तो वह याजक जो उसे स्वीकार करता है उसे अपने पास रख सकता है। यह उसकी है। 10 किसी व्यक्ति को ये विशेष भेंट देनी नहीं पड़ेगी। किन्तु यदि वह उनको देता है तो वह याजक की होगी।”
समीक्षा
अपनी आजादी को कभी कम मत समझिये
क्या आप किसी न किसी तरह से कोई स्थानीय चर्च में सेवा कर रहे हैं? क्या आप योग दान करते हैं या सिर्फ उपभोग करते हैं? परमेश्वर ने आपके लिए एक भूमिका और जिम्मेदारी रखी है.
पुराने नियम के इस लेखांश में हम चर्च की पूर्वानुमान और पूर्वाभास देखते हैं, जिसमे हरएक सदस्य को अलग अलग भूमिका निभानी है (इफीसियों 4:7, 11-13). जब हम तीस वर्ष से लेकर पचार वर्ष तक की अवस्था वालों में कहातियों, गर्शोनियों और मरारियों के बारे में पढ़ते हैं, जो सेवा करने के लिए आए थे, तो हम देखते हैं कि परमेश्वर ने हरएक को एक खास काम दिया था (गिनतीयों 4:3-4, 24-25, 31-32), जैसा कि परमेश्वर ने हमें आज भी चर्च में विशेष कार्य सौंपा है.
इस्रालियों की सेविकाई मिलाप के तंबू के केंद्र – परमेश्वर की उपस्थिति के स्थान – में थी. अब परमेश्वर की उपस्थिति मसीह की देह में उनके लोगों के बीच रहती है. यह एक तरीका है जहाँ आज आप परमेश्वर की उपस्थिति अनुभव कर सकते हैं. परमेश्वर की उपस्थिति किसी खास जगह तक सीमित नहीं है, बल्कि जहाँ भी उनके लोग हैं वहाँ पर इसका अनुभव किया जा सकता है.
इस लेखांश में हम देखते हैं कि हम अपनी आजादी को कम नहीं समझ सकते. हमें परमेश्वर की पवित्रता को याद रखना जरूरी है और सच्चाई यह है कि आपको परमेश्वर के साथ कुछ अद्भुत संबंध बनाना जरूरी है ताकि आप इसका आनंद ले सकें.
परमेश्वर मूसा को याद दिलाते हैं कि वास्तव में किसी भी तरह का पाप परमेश्वर के प्रति अविश्वासयोग्यता का कार्य है: 'जब कोई पुरूष व स्त्री ऐसा कोई पाप करके जो लोग किया करते हैं यहोवा के साथ विश्वासघात करे, और वह प्राणी दोषी हो (5:6). तब वह अपना किया हुआ पाप मान ले; वह उसका प्रायश्चित्त करे और उस दोष का जो बदला भर दिया जाए.' (वव.6-8).
हम खुद के लिए प्रायश्चित नहीं कर सकते. हमारे लिए प्रायश्चित किया जाना चाहिये. यीशु ने क्रूस पर यही किया है. प्रायश्चित की सरल परिभाषा है 'क्षतिपूर्ति' – दूसरे शब्दों में, परमेश्वर ने आपको इस योग्य बनाया है कि आप उनके साथ एक हो सकें. पाप की बाधा यीशु के द्वारा हटा दी गई है ताकि आप और मैं यह कह सकें कि, 'मैं गुलाम था, पर अब मैं आजाद हूँ.'
प्रार्थना
प्रभु आपको धन्यवाद कि मुझे आजादी से जीने के लिए आपने मुझे छुड़ा लिया है. मैं इस आजादी को कभी कम न समझूँ. मेरी मदद कीजिये कि मैं अपनी आजादी का उपयोग आपकी और दूसरों की सेवा के लिए करूँ. अपनी जिम्मेदारी पूरी करने में मेरी मदद कीजिये ताकि मैं आपको प्रसन्न कर सकूँ.
पिप्पा भी कहते है
भजन संहिता 34:18
'यहोवा टूटे मन वालों के समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्धार करता है.'
मैंने कई बार देखा है कि, प्रभु का प्यार अद्भुत रीति से उन लोगों को संभालता है जो बड़ी मुश्किलों में से गुजर रहे हैं: ' धर्मी पर बहुत सी विपत्तियां पड़ती तो हैं, परन्तु यहोवा उसको उन सब से मुक्त करता है' (भजन संहिता 34:19). बल्कि मैं ऐसा कहूँगा कि 'धर्मी' पर बहुत सी विपत्तियाँ नहीं पड़तीं, लेकिन यह कहता है, 'बहुत सी विपत्तियाँ पड़ सकती हैं.' मुझे लगता है अगर हम पर विपत्तियाँ नहीं पड़तीं तो हम यह नहीं जान पाते कि परमेश्वर मुक्तिदाता हैं और यह कि हम ऐसे समय में उन पर भरोसा कर सकते हैं.

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संदर्भ
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।
संपादकीय नोट्स
'किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिस के द्वारा हम उद्धार पा सकें' (प्रेरितों के कार्य 4:12).