परमेश्वर की कृपा
परिचय
अठ्ठारह साल की उम्र में मैं विश्वविद्यालय के पहले वर्ष में था, तब मैंने एक ही सप्ताह में पूरा नया नियम पढ़ लिया था – मत्ती से प्रकाशित वाक्य तक – और मुझे यकीन हो गया था कि 'यह सत्य है'. लेकिन मैं यीशु का अनुसरण करने में हिचकिचा रहा था, क्योंकि मैंने सोचा कि मेरा जीवन बहुत ही नीरस हो जाएगा और मुझे अपनी सारी मौज मस्ती छोड़नी पड़ेगी. परंतु वास्तव में यह इसके बिल्कुल विपरीत था. बल्कि मुझे खुशियों से भी बहुत ज्यादा मिला.
हम सब खुशी से जीना चाहते हैं. ऐरिस्टोटल ने लिखा है, 'खुशियाँ, जीवन का अर्थ और उद्देश्य हैं, मानव अस्तित्व का संपूर्ण उद्देश्य और अंत.' लेकिन कुछ इससे भी बेहतर, महान और गहरी खुशियाँ हैं. खुशियाँ उस पर निर्भर है जो हमारी परिस्थितियों में होता है. आनंद कुछ और गहरा है तथा यह बाहरी परिस्थितियों पर निर्भर नहीं होता. यह परमेश्वर की ओर से आशीष है. बल्कि आनंद, माँ के गर्भ में भी यीशु से मुलाकात का विशिष्ट अनुभव था.
आज के नये नियम का लेखांश ग्रीक शब्द का उपयोग करता है जिसका अनुवाद 'आशीषित' के रूप में किया गया है. इसका अर्थ है परमेश्वर की कृपा का सौभाग्य प्राप्त करना और इसके कारण सौभाग्यशाली और सुखी होना. एम्पलीफाइड बाइबल इसका वर्णन 'ईर्ष्या रखने योग्य सुखी होने और आत्मिक रूप से समृद्ध होने – और जीवन में आनंदित होने और परमेश्वर की कृपा और उद्धार में संतुष्ट होने' के रूप में करती है, फिर चाहें उनकी बाहरी परिस्थिति कैसे भी क्यों न हो.
भजन संहिता 34:1-10
जब दाऊद ने अबीमेलेक के सामने पागलपन का आचरण किया। जिससे अबीमेलेक उसे भगा दे, इस प्रकार दाऊद उसे छोड़कर चला गया।उसी अवसर का दाऊद का एक पद।
34मैं यहोवा को सदा धन्य कहूँगा।
मेरे होठों पर सदा उसकी स्तुति रहती है।
2 हे नम्र लोगों, सुनो और प्रसन्न होओ।
मेरी आत्मा यहोवा पर गर्व करती है।
3 मेरे साथ यहोवा की गरिमा का गुणगान करो।
आओ, हम उसके नाम का अभिनन्दन करें।
4 मैं परमेश्वर के पास सहायता माँगने गया।
उसने मेरी सुनी।
उसने मुझे उन सभी बातों से बचाया जिनसे मैं डरता हूँ।
5 परमेश्वर की शरण में जाओ।
तुम स्वीकारे जाओगे।
तुम लज्जा मत करो।
6 इस दीन जन ने यहोवा को सहायता के लिए पुकारा,
और यहोवा ने मेरी सुन ली।
और उसने सब विपत्तियों से मेरी रक्षा की।
7 यहोवा का दूत उसके भक्त जनों के चारों ओर डेरा डाले रहता है।
और यहोवा का दूत उन लोगों की रक्षा करता है।
8 चखो और समझो कि यहोवा कितना भला है।
वह व्यक्ति जो यहोवा के भरोसे है सचमुच प्रसन्न रहेगा।
9 यहोवा के पवित्र जन को उसकी आराधना करनी चाहिए।
यहोवा केभक्तों के लिए कोई अन्य सुरक्षित स्थान नहीं है।
10 आज जो बलवान हैं दुर्बल और भूखे हो जाएंगे।
किन्तु जो परमेश्वर के शरण आते हैं वे लोग हर उत्तम वस्तु पाएंगे।
समीक्षा
उनकी कृपा के लिए परमेश्वर की स्तुती करें
पिछले बीस सालों में पीपा और मैंने पूरी दुनिया में यात्रा की है. कभी-कभी हमारे सामने असामान्य दिखने वाले खाद्य पदार्थ रखे जाते थे जिसे हमने पहले कभी नहीं खाया था. अक्सर यह स्वादिष्ट होते थे. इसे परखने का केवल एक ही तरीका है – 'चखकर देखो.'
दाऊद कहते हैं, 'परखकर देखो कि यहोवा कैसा भला है! क्या ही धन्य है वह पुरूष जो उसकी शरण लेता है' (व.8). जब मैं यीशु का अनुसरण करने लगा तो मैंने यही अनुभव किया. तब से मेरी यह इच्छा रही है कि मैं ज्यादा से ज्यादा लोगों तक यह संदेश पहुँचाऊँ और उनसे कहूँ कि, 'मेरे साथ परमेश्वर की बड़ाई करो, और आओ हम मिलकर उसके नाम की स्तुति करें।' (व.3).
इस भजन में दाऊद परमेश्वर के साथ अपने संबंध के कारण उनके जीवन में आई परमेश्वर की सभी भलाई के लिए उनकी स्तुती करते हैं. वह निरंतर परमेश्वर की स्तुती करते हैं (व.1). केवल तब नहीं जब चीजें अच्छी हो रही हों या जब ऐसा करना सुविधाजनक हो: 'मैं हर समय यहोवा को धन्य कहा करूंगा; उसकी स्तुति निरन्तर मेरे मुख से होती रहेगी। मैं परमेश्वर पर घमण्ड करूंगा; नम्र लोग यह सुनकर आनन्दित होंगे' (वव.1-2).
वह खासकर इन कारणों से परमेश्वर की स्तुती करते हैं:
1. प्रार्थना का उत्तर मिलने के कारण
दाऊद लिखते हैं, 'इस दीन जन ने पुकारा तब यहोवा ने सुन लिया, और उसको उसके सब कष्टों से छुड़ा लिया' (व.6).
2. डर से मुक्ति पाने के कारण
दाऊद आगे लिखते हैं कि किस तरह से परमेश्वर ने उनकी प्रार्थना का उत्तर दिया: ' और उसने मुझे पूरी रीति से निर्भय किया' (व.4ब). जो परमेश्वर पर भरोसा करते हैं उन्हें पूरी रीति से भय से मुक्ति मिलती है. 'परमेश्वर का भय मानो' (व.9अ) यह प्रभु को खोजने के बराबर है (वचन 9ब 'उसके डरवैयों को किसी भी बात की घटी नहीं होती' की तुलना 10ब 'प्रभु के खोजियों को किसी भली वस्तु की घटी नहीं होगी' से करें). दाऊद ऐसा नहीं कहते कि हमें कभी कमी नहीं होगी, बल्कि वह कहते हैं कि, 'प्रभु के खोजियों को किसी भी भली वस्तु की घटी नहीं होगी' या जैसा कि मैसेज अनुवाद इसे लिखता है, 'आराधना सभी कृपा के द्वार खोलती है' (व.9ब).
3. दीप्तिमान चेहरे
जब मैं मसीही बना इससे भी पहले मैंने एक बात पर गौर किया कि, कई मसीही लोगों के चेहरे दीप्तिमान थे. 'जिन्होंने उसकी ओर दृष्टि की उन्होंने ज्योति पाई; और उनका चेहरा दीप्तिमान हो गया' (व.5, एमएसजी).
4. स्वर्गदूतों की सुरक्षा
'परमेश्वर के डरवैयों के चारों ओर उसका दूत छावनी किए हुए उन को बचाता है' (व.7). यह एक अद्भुत विचार है, जब हम प्रार्थना करते हैं और परमेश्वर की आराधना करते हैं तो दूतों की सुरक्षा का अनुभव करते हैं.
स्तुती में सभी आनंद एक साथ प्रवाहित होने लगते हैं, ऐसा सी.एस. लेविस लिखते हैं. '..... जब तक व्यक्त न की जाए तक तक प्रसन्नता अधूरी है.'
प्रार्थना
प्रभु, आपको धन्यवाद कि आपने मुझे सभी डर से मुक्त करने का वायदा किया है. जब मैं प्रार्थना करता हूँ तब मेरे चारों ओर सुरक्षा का घेरा बनाने के लिए धन्यवाद. प्रभु आज मैं आपको धन्यवाद करता हूँ और आपकी स्तुती करता हूँ.
लूका 1:39-56
जकरयाह और इलीशिबा के पास मरियम का जाना
39 उन्हीं दिनों मरियम तैयार होकर तुरन्त यहूदिया के पहाड़ी प्रदेश में स्थित एक नगर को चल दी। 40 फिर वह जकरयाह के घर पहुँची और उसने इलीशिबा को अभिवादन किया। 41 हुआ यह कि जब इलीशिबा ने मरियम का अभिवादन सुना तो जो बच्चा उसके पेट में था, उछल पड़ा और इलीशिबा पवित्र आत्मा से अभिभूत हो उठी।
42 ऊँची आवाज में पुकारते हुए वह बोली, “तू सभी स्त्रियों में सबसे अधिक भाग्यशाली है और जिस बच्चे को तू जन्म देगी, वह धन्य है। 43 किन्तु यह इतनी बड़ी बात मेरे साथ क्यों घटी कि मेरे प्रभु की माँ मेरे पास आयी! 44 क्योंकि तेरे अभिवादन का शब्द जैसे ही मेरे कानों में पहुँचा, मेरे पेट में बच्चा खुशी से उछल पड़ा। 45 तू धन्य है, जिसने यह विश्वास किया कि प्रभु ने जो कुछ कहा है वह हो कर रहेगा।”
मरियम द्वारा परमेश्वर की स्तुति
46 तब मरियम ने कहा,
47 “मेरी आत्मा प्रभु की स्तुति करती है;
मेरी आत्मा मेरे रखवाले परमेश्वर में आनन्दित है।
48 उसने अपनी दीन दासी की सुधि ली,
हाँ आज के बाद
सभी मुझे धन्य कहेंगे।
49 क्योंकि उस शक्तिशाली ने मेरे लिये महान कार्य किये।
उसका नाम पवित्र है।
50 जो उससे डरते हैं वह उन पर पीढ़ी दर पीढ़ी दया करता है।
51 उसने अपने हाथों की शक्ति दिखाई।
उसने अहंकारी लोगों को उनके अभिमानपूर्ण विचारों के साथ तितर-बितर कर दिया।
52 उसने सम्राटों को उनके सिंहासनों से नीचे उतार दिया।
और उसने विनम्र लोगों को ऊँचा उठाया।
53 उसने भूखे लोगों को अच्छी वस्तुओं से भरपूर कर दिया,
और धनी लोगों को खाली हाथों लौटा दिया।
54 वह अपने दास इस्राएल की सहायता करने आया
हमारे पुरखों को दिये वचन के अनुसार
55 उसे इब्राहीम और उसके वंशजों पर सदा सदा दया दिखाने की याद रही।”
56 मरियम लगभग तीन महीने तक इलीशिबा के साथ ठहरी और फिर अपने घर लौट आयी।
समीक्षा
परमेश्वर के अनुग्रह के वायदे पर भरोसा रखें
मरियम पर अत्यधिक अनुग्रह हुआ (1:28). स्वर्गदूत ने उनसे कहा, 'मरियम; भयभीत न हो, क्योंकि परमेश्वर का अनुग्रह तुझ पर हुआ है' (व.30).
यह लेखांश आनंद मनाने से भरा हुआ है, क्योंकि इलीशिबा और मरियम वह तरीका जान जाती हैं जिसमें परमेश्वर ने उन पर अनुग्रह किया था.
इलीशिबा पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गईं और उन्होंने पुकार कर कहा: 'तू स्त्रियों में धन्य है, और तेरे पेट का फल धन्य है। और यह अनुग्रह मुझे कहां से हुआ, कि मेरे प्रभु की माता मेरे पास आई?.... और धन्य है, वह जिस ने विश्वास किया कि जो बातें प्रभु की ओर से उस से कही गईं, वे पूरी होंगी' (वव.42-45).
मरियम के विश्वास पर जोर देना महत्वपूर्ण है, क्योंकि बहुत से लोगों ने ऐसी परिस्थिति में अलग अलग प्रतिक्रियाएं की हैं. परमेश्वर की कृपा का यह मतलब नहीं है कि मरियम की सारी परेशानी दूर हो गई थीं – वह गर्भवती और अविवाहित थी, जहाँ ऐसी संस्कृति में हर तरह की परेशानियाँ हो सकती थी.
फिर भी उसने प्रभु का मार्ग चुना जिससे परमेश्वर ने उसे आशीषित किया. वह इलीशिबा का शुभकामनाएं स्वीकार करती हैं और गाना गाती हैं जो मरियम के भजन से जाना जाता है (व.47). 'क्योंकि उस शक्तिमान ने मेरे लिये बड़े बड़े काम किए हैं' (व.49).
कुछ तरीकों से मरियम पर असाधारण अनुग्रह हुआ था: 'तू स्त्रियों में धन्य है,' (व.42अ). मरियम :
1. प्रभु की माँ हैं
मरियम ने अपने गर्भ में परमेश्वर के पुत्र, आशीषित यीशु को धारण किया था (व.42ब). जब इलीशिबा भ्रूणीय यीशु के संपर्क में आती हैं, तो वह पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जाती हैं (व.41). 'आनंद' यीशु की प्रतिक्रिया में किया गया एक विशिष्ट गुण है – 'त्योंही बच्चा मेरे पेट में आनन्द से उछल पड़ा' (व.44).
2. युग युग के लोग मरियम को धन्य कहेंगे
'अब से सब युग युग के लोग मुझे धन्य कहेंगे' (व.48). तब से मरियम युगानुयुग तक 'आशीषित कुमारी मरियम' कहलाने लगीं. यीशु का डीएनए मरियम और पवित्र आत्मा के संयोजन से आया है. वह अनुवांशिक रूप से मरियम के पुत्र थे. वह मरियम के जैसे दिखते होंगे. उनमें मरियम के शारीरिक गुण भी होंगे. उन्होंने यीशु को बड़ा किया था. उन्होंने यीशु को शिक्षा और प्रशिक्षण दिया था. यीशु के जीवन पर तीस साल तक किसी महिला का प्रभाव बना हुआ था.
3. विश्वास की पराकाष्ठा
'धन्य है, वह जिस ने विश्वास किया कि जो बातें प्रभु की ओर से उस से कही गईं, वे पूरी होंगी!' (व.45). मरियम ने विश्वास किया कि प्रभु ने उससे जो कुछ कहा है – कुछ असाधारण और मानवीय रूप से असाधारण - बातें पूरी होंगी. जैसा कि स्वर्गदूत ने मरियम से कहा था, 'परमेश्वर के लिए कुछ भी असंभव नहीं है' (व.37). मरियम के लिए, परमेश्वर ने जो भी वायदा किया था वह पूरा होकर ही रहेगा: 'क्योंकि उस शक्तिमान ने मेरे लिये बड़े बड़े काम किए हैं' (व.49).
अवश्य ही अनेक रीति से, मरियम असाधारण थीं. फिर भी कुछ तरीकों से वह अनुग्रह के बारे में कहती हैं जो आपके लिए और मेरे लिए पूरी हो सकती है. हमारी आत्मा हमारे उद्धार करने वाले परमेश्वर से आनन्दित हुई ('परमेश्वर मेरे उद्धारकर्ता हैं, व. 47). भूखों को अच्छी वस्तुओं से तृप्त करने का वायदा (व.53). हमारी आत्मिक भूख अपने प्रावधान से तृप्त करने का वायदा – आप पर और मुझ पर लागू होता है.
प्रार्थना
प्रभु, मरियम के असाधारण विश्वास के लिए आपको धन्यवाद, कि उसने विश्वास किया कि आप वह सब कर सकते हैं जो मनुष्य के लिए असंभव है. मरियम की तरह, मैं आपसे अनुग्रह चाहता हूँ कि आपकी सेवा करने में आराधना में आप मेरी अगुवाई करें.
गिनती 2:10-3:51
10 “रूबेन का झण्डा पवित्र तम्बू के दझिण में होगा। हर एक समूह अपने झण्डे के पास आपना डेरा लगाएगा। रूबेन के लोगों का नेता शदेऊर का पुत्र एलीसूर है। 11 इस समूह में छियालीस हजार पाँच सौ पुरुष थे।
12 “शिमोन का परिवार समूह रुबेन के परिवार समूह के ठीक बाद अपना डेरा लगाएगा। शिमोन के लोगों का नेता सूरीशद्दै का पुत्र शलूमीएल है। 13 इस समूह में उनसठ हजार तीन सौ पुरुष थे।
14 “गाद का परिवार समूह भी रूबेन के लोगों के ठीक बाद अपना डेरा लगाएगा। गाद के लोगों का नेता रूएल का पुत्र एल्यासाप है। 15 इस समूह में पैंतालीस हजार चार सौ पचास पुरुष थे।
16 “रूबेन के डेरे में सभी समूहों के एक लाख इकयावन हजार चार सौ पचास पुरुष थे। रूबेन का डेरा दूसरा समूह होगा जो उस समय चलेगा जब लोग एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा करेंगे।
17 “जब लोग यात्रा करेंगे तो लेवी का डेरा ठीक उसके बाद चलेगा। मिलापवाला तम्बू दूसरे अन्य डेरों के बीच उनके साथ रहेगा। लोग अपने डेरे उसी क्रम में लगाएंगे जिस क्रम में वे चलेंगे। हर एक व्यक्ति अपने परिवार के झण्डे के साथ रहेगा।
18 “एप्रैम का झण्डा पश्चिम की ओर रहेगा। एप्रैम के परिवार के समूह वहीं डेरा लगाएंगे। एप्रैम के लोगों का नेता अम्मीहूद का पुत्र एलीशामा है। 19 इस समूह में चालीस हजार पाँच सौ पुरुष थे।
20 “मनश्शे का परिवार समूह एप्रैम के परिवार के ठीक बाद अपना डेरा लगाएगा। मनश्शे के लोगों का नेता पदासूर का पुत्र गम्लीएल है। 21 इस समूह में बत्तीस हजार दो सौ पुरुष थे।
22 “बिन्यामीन का परिवार समूह भी एप्रैम के परिवार के ठीक बाद अपन डेरा लगाएगा। बिन्यामीन के लोगों का नेता गिदोनी का पुत्र अबीदान है। 23 इस समूह में पैंतीस हजार चार सौ पुरुष थे।
24 “एप्रैम के डेरे में एक लाख आठ हजार एक सौ पुरुष थे। यह तीसरा परिवार होगा जो तब चलेगा जब लोग एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा करेंगे।
25 “दान के डेरे का झण्डा उत्तर की ओर होगा। दान के परिवार का समूह वहीं डेरा लगाएगा। दान के लोगों का नेता अम्मीशद्दै का पुत्र अहीऐजेर है। 26 इस समूह में बासठ हजार सात सौ पुरुष थे।
27 “आशेर का परिवार समूह दान के परिवार समुह के ठीक बाद अपना डेरा लगाएगा। आशेर के लोगों का नेता ओक्रान का पुत्र पगीएल है। 28 इस समूह के एकतालीस हजार पाँच सौ पुरुष थे।
29 “नप्ताली का परिवार समूह भी दान के परिवार समूह के ठीक बाद अपने डेरे लगाएगा। नप्ताली के लोगों का नेता एनान का पुत्र अहीरा है। 30 इस समूह में तिरपन हजार चार सौ पुरुष थे।
31 “दान के डेरे में एक लाख सत्तावन हजार छः सौ पुरुष थे। जब लोग एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा करेंगे तो यह चलने वाला आखिरी परिवार होगा। ये अपने झण्डे के नीचे अपना डेरा लगाएंगे।”
32 इस प्रकार ये इस्राएल के लोग थे। वे परिवार के अनुसार गिने गये थे। सभी डेरों में अलग—अलग समूहों के सभी परिवारों के पुरुषों की समूची संख्या थी छः लाख तीन हजार पाँच सौ पचास। 33 मूसा ने इस्राएल के अन्य लोगों में लेवीवंश के लोगों को नहीं गिना। यह यहोवा का आदेश था।
34 यहोवा ने मूसा को जो कुछ करने को कहा उस सबका पालन इस्राएल के लोगों ने किया। हर एक समूहों ने अपने झण्डों के नीचे अपने डेरे लगाए और हर एक व्यक्ति अपने परिवार और अपने परिवार समूह के साथ रहा।
हारून का याजक परिवार
3जिस समय यहोवा ने सीनै पर्वत पर मूसा से बात की, उस समय हारून और मूसा के परिवार का इतिहास यह है।
2 हारून के चार पुत्र थे। नादाब पहलौठा पुत्र था। उसके बाद अबीहू, एलीआजार और ईतामार थे। 3 ये पुत्र चुने हुए याजक थे। इन्हें याजक के रूप में यहोवा की सेवा का विशेष कार्य सौंपा गया था। 4 किन्तु नादाब और अबीहू यहोवा की सेवा करते समय पाप करने के कारण मर गए। उन्होंने यहोवा को भेंट चढ़ाई, किन्तु उन्होंने उस आग का उपयोग किया जिसके लिए यहोवा ने आज्ञा नहीं दी थी। इस प्रकार नादाब और अबीहू वहीं सीनै की मरुभूमि में मर गए। उनके पुत्र नहीं थे, अतः एलीआज़ार और ईतामार याजक बने और यहोवा की सेवा करने लगे। वे यह उस समय तक करते रहे जब तक उनका पिता हारून जीवित था।
लेवीवंशी—याजकों के सहायक
5 यहोवा ने मूसा से कहा, 6 “लेवी के परिवार समूह के सभी लोगों को याजक हारून के सामने लाओ। वे लोग हारून के सहायक होंगे। 7 लेवीवंशी हारून की उस समय सहायता करेंगे जब वह मिलाप वाले तम्बू में सेवा करेगा और लेवीवंशी इस्राएल के सभी लोगों की इस समय सहा.ता करेंगे जिस समय वे पवित्र तम्बू में उपासना करने आएंगे। 8 इस्राएल के लोग मिलापवाले तम्बू की हर एक चीज की रक्षा करेंगे, यह उनका कर्तव्य है। किन्तु इन चीजों की देखभाल करके ही लेवीवंश के लोग इस्राएल के लोगों की सेवा करेंगे। पवित्र तम्बू में उपासना करने की उनकी यही पद्धति होगी।
9 “इस्राएल के सभी लोगों में से लेवीवंशी चुने गए थे। ये लेवी, हारून और उसके पुत्रों की सहायता के लिए चुने गए थे।
10 “तुम हारून और उसके पुत्रों को याजक नियुक्त करोगे। वे अपना कर्तव्य पूरा करेंगे और याजक के रूप में सेवा करेंगे। कोई अन्य व्यक्ति जो पवित्र चीज़ों के समीप आने का प्रयत्न करता है, मार दिया जाना चाहिए।”
11 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, 12-13 “मैंने तुमसे कहा कि इस्राएल का हर एक परिवार अपना पहलौठा पुत्र मुझ को देगा, किन्तु अब मैं लेवीवंश को अपनी सेवा के लिए चुन रहा हूँ। वे मेरे होंगे। अतः इस्राएल के सभी अन्य लोगों को अपना पहलौठा पुत्र मुझको नहीं देना पड़ेगा। जब तुम मिस्र में थे, मैंने मिस्र के लोगों के पहलोठों को मार डाला था। उस समय मैंने इस्राएल के सभी पहलौठों को अपने लिए लिया। सकभी पहलौठे बच्चे और सभी पहलौठे जानवर मेरे हैं। किन्तु अब मैं तुम्हारे पहलौठे बच्चों को तुम्हें वापस करता हूँ और लेवीवंश को अपना बनाता हूँ। मैं यहोवा हूँ।”
14 यहोवा ने फिर सीनै की मरुभूमि में मूसा से बात की। यहोवा ने कहा, 15 “लेवीवंश के सभी परिवार समुहों और परिवारों को गिनो। प्रत्येक पुरुष या लड़कों को जो एक महीने या उससे अधिक के हैं, उनको गीनो।” 16 अतः मूसा ने यहोवा की आज्ञा मानी। उसने उन सभी को गिना।
17 लेवी के तीन पुत्र थेः उनके नाम थेः गेर्शोन, कहात और मरारी।
18 हर एक पुत्र परिवार समूहों का नेता था।
गेर्शोन के परिवार समूह थेः लिब्नी और शिमी।
19 कहात के परिवार समूह थेः अम्राम, यिसहार, हेब्रोन, उज्जीएल।
20 मरारी के परिवार समूह थेः महली और मूशी।
ये ही वे परिवार थे जो लेवी के परिवार समूह से सम्बन्धित थे।
21 लिब्नी और शिमियों के परिवार गेर्शोन के परिवार समूह से सम्बन्धित थे। वे गेर्शोनवंशी परिवार समूह थे। 22 इन दोनों परिवार समूहों में एक महीने से अधिक उम्र के लड़के या पुरुष सात हजार पाँच सौ थे। 23 गेर्शोन वंश के परिवार समूहों को पश्मि में डेरा लगाने के लिये कहा गया। उन्होंने पवित्र तम्बू के पीछे अपना डेरा लगाया। 24 गेर्शोन वंश के परिवार समूहों का नेता लाएल का पुत्र एल्यासाप था। 25 मिलापवाले तम्बू में गेर्शोन वंशी लोग पवित्र तम्बु, आच्छादन और बाहरी तम्बू की देखभाल का कार्य करने वाले थे। वे मिलापवाले तम्बू के प्रवेश द्वार के पर्दे कि भी देखभाल करते थे। 26 वे आँगन के पर्दे की देखभाल करते थे।वे आँगन के द्वार के पर्दो की भी देखभाल करते थे। यह आँगन पवित्र तम्बू और वेदी के चारों ओर था। वे रस्सियों और पर्दे के लिए काम में आने वाली हक एक चीज़ की देखभाल करते थे।
27 अम्रामियों, यिसहारियों, हेब्रोनियों और उज्जीएल के परिवार कहात के परिवार से सम्बन्धित थे। वे कहात परिवार समूह के थे। 28 इस परिवार समूह में एक महीने या उससे अधिक उम्र के लड़के और पुरूष आठ हजार छः सौ थे। कहात वंश के लोगों को पवित्र स्थान की देखभाल का कार्य सौंपा गया. 29 कहात के परिवार समूहों को “पवित्र तम्बू” के दक्षिण का क्षेत्र दिया गया। यह वह क्षेत्र था जहाँ उन्होंने डेरे लगाए। 30 कहात के परिवार समूह का नेता उज्जीएल का पुत्र एलीसापान था। 31 उनका कार्य पवित्र सन्दूक, मेज, दीपाधार, वेदियों और पवित्र स्थान के उपकरणों की देखभाल करना था। वे पर्दे और उनके साथ उपयोग में आने वाली सभी चीजों की भी देखभाल करते थे।
32 लेवीवंश के प्रमुखों का नेता हारून का पुत्र एलीआजार था। वह याजक था एलीआजार पवित्र चीज़ों की देखभाल करने वाले सभी लोगों का अधीक्षक था।
33-34 महली और मूशियों के परिवार समूह मरारी परिवार से सम्बन्धित थे। एक महीने या उससे अधिक उम्र के लड़के और पुरुष महली परिवार समूह में छः हजार दो सौ थे। 35 मरारी समूह का नेता अबीहैल का पुत्र सूरीएल था। इस परिवार समूह को पवित्र तम्बू के उत्तर का क्षेत्र दिया गया था। यही वह क्षेत्र है जहाँ उन्होंने डेरा लगाया। 36 मरारी लोगों को पवित्र तम्बू के ढाँचे की देखभाल का कार्य सौंपा गया। वे सभी छड़ों, खम्बों, आधारों और पवित्र तम्बू के ढाँचे में जो कुछ लगा था, उन सब की दखभाल करते थे। 37 पवित्र तम्बू के चारों ओर के आँगन के सभी खम्भों की भी देखभाल किया करते थे। इनमें सभी आधार, तम्बू की खूटियाँ और रस्सियाँ शामिल थीं।
38 मूसा, हारून और उसके पुत्रों ने मिलापवाले तम्बू के सामने पवित्र तम्बू के पूर्व में अपने डेरे लगाए। उन्हें पवित्र स्थान की देखभाल का काम सौंपा गया। उन्होंने यह इस्राएल के सभी लोगों के लिए किया। कोई दूसरा व्यक्ति जो पवित्र स्थान के समीप आता, मार दिया जाता था।
39 यहोवा ने लेवी परिवार समूह के एक महीने या उससे अधिक उम्र के लड़कों और पुरुषों को गिनने का आदेश दिया। सारी संख्या बाइस हजार थी।
लेवीवंशी पहलौठे पुत्र का स्थान लेते हैं
40 यहोवा ने मूसा से कहा, “इस्राएल में सभी एक महीने या उससे अधिक उम्र के पहलौठे लड़के और पुरुषों को गिनो। उनके नामों की एक सूची बनाओ। 41 अब मैं इस्राएल के सभी पहलौठे लड़कों और पुरुषों को नहीं लूँगा। अब मैं अर्थात् यहोवा लेवीवंशी को ही लूँगा। इस्राएल के अन्य सभी लोगों के पहलौठे जानवरों को लेने के स्थान पर अब मैं लेवीवंशी के लोगों के पहलौठे जानवरों को ही लूँगा।”
42 इस प्रकार मूसा ने वह किया जो यहोवा ने आदेश दिया। मूसा ने इस्राएल के पहलौठी सारी सन्तानों को गिना। 43 मूसा ने सभी पहलौठे एक महीने या उससे अधिक उम्र के लड़कों और पुरुषों की सूची बनाई। उस सूची में बाइस हजार दो सौ तिहत्तर नाम थे।
44 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, 45 “मैं अर्थात् यहोवा यह आदेश देता हुँ: इस्राएल के अन्य परिवारों के पहलौठे पुरुषों के स्थान पर लेवीवंशी के लोगों को लो और मैं अन्य लोगों के जानवरों के स्थान पर लेवीवंश के जानवरों को लूँगा। लेवीवंशी मेरे हैं। 46 लेवीवंश के लोग बाइस हजार हैं और अन्य परिवारों के बाइस हजार दो सौ तिहत्तर पहलौठे पुत्र हैं। इस प्रकार केवल दो सौ तिहत्तर पहलौठे पुत्र लेवीवंश के लोगों से अधिक हैं। 47 इसलिए पहलौठे दो सौ तिहत्तर पुत्रों में से हर एक के लिए पाँच शेकेल चाँदी दो। यह चाँदी इस्राएल के लोगों से इकट्ठा करो। 48 वह चाँदी हारून और उसके पुत्रों को दो। यह एस्राएल के दो सौ तिहत्तर लोगों के लिए भुगतान है।”
49 मूसा ने दो सौ तिहत्तर लोगों के लिए धन इकट्ठा किया। क्योंकि यहाँ इतने लेवी नहीं थे जो दूसरे परिवार समूह के दो सौ तिहत्तर पहलौठों की जगह ले सकें। 50 मूसा ने इस्राएल के पहलौठे लोगों से चाँदी इकट्ठा की। उसने एक हजार तीन सौ पैंसठ शेकेल चाँदी “अधिकृत भार” का उपयोग करके इकट्ठा की। 51 मूसा ने यहोवा की आज्ञा मानी। मूसा ने यहोवा के आदेश के अनुसार वह चाँदी हारून और उसके पुत्रों को दी।
समीक्षा
अब परमेश्वर की उपस्थिति का अनुभव करें
बहुत ज्यादा ख्याल रखने की जरूरत है क्योंकि बहुत बड़ी जिम्मेदारी और परमेश्वर की उपस्थिति की महान आशीष उनके लोगों के बीच में है. मिलाप वाला तंबू (जहाँ परमेश्वर की उपस्थिति बनी रहती थी) छावनियों के बीचोंबीच हुआ करे' (2:17). हरएक को जिम्मेदारी और भूमिका दी गई थी, खासकर कुछ लोगों (लेवियों) के दल को पूर्ण कालिक सेविकाई के लिए नियुक्त किया गया था. उन्हें सेवा के लिए नियुक्त किया गया था (3:3); और 'वे पूरी तरह से परमेश्वर को समर्पित थे' (व.9).
परमेश्वर के लोगों का जीवन सचमुच परमेश्वर की उपस्थिति के आसपास बना रहता था. यह उनकी पहचान, सफलता और उनके आशीषित होने की कुंजी थी.
इस लेखांश में हम देखते हैं कि यद्यपि उनके लोगों के साथ परमेश्वर की उपस्थिति सीमित थी. फिर भी लोगों को पवित्र स्थान – परमेश्वर की उपस्थिति के केन्द्र – में जाने के लिए मनाई थी. नये नियम का अनूठा संदेश यह है कि अब यह दूरी हटा दी गई है.
अब आप अपने साथ परमेश्वर की उपस्थिति की संपूर्ण आशीषों का अनुभव कर सकते हैं. परमेश्वर की आशीष का यह विषय पूरे पवित्र शास्त्र में बारबार दोहराया गया. यीशु हमारे लिए परमेश्वर की उपस्थिति लेकर आए हैं (यूहन्ना 1:14अ). यीशु ने आपको पवित्र आत्मा दी है, जो कि परमेश्वर की शक्ति प्रदान करने वाली उपस्थिति आपके अंदर है (1 कुरिंथिंयों 6:19). हम परमेश्वर की उपस्थिति का अनुभव करते हैं खासकर जब हम इकठ्ठा होते हैं (मत्ती 18:20). एक दिन आप परमेश्वर की उपस्थिति को आमने सामने जानेंगे (प्रकाशितवाक्य 21:3. 22:4).
प्रार्थना
प्रभु, आपकी उपस्थिति की आशीष के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद. आपको धन्यवाद कि आपकी उपस्थिति मेरी आत्मिक भूख को तृप्त करती है. आपको धन्यवाद कि यीशु ने क्रूस के द्वारा परमेश्वर की उपस्थिति में पहुँचना संभव बनाया. हम आपकी उपस्थित को कभी भी कम न समझें, बल्कि ऐसा जीवन जीएं जो उन लोगों के लिए उचित हो जिनके बीच में परमेश्वर रहते हों
पिप्पा भी कहते है
पीपा विज्ञापन
लूका 1:39-56
हमारे साथ ऐसा कोई होना जरूरी है जो यात्रा में हम से थोड़ा आगे हो. परमेश्वर ने इस प्रकाशन को ले जाने के लिए मरियम को अकेला नहीं छोड़ा. परमेश्वर ने उन्हें इलीशिबा दिया. वे एक दूसरे के लिए बहुत प्रोत्साहन रहे होंगे, यह जानते हुए कि उनके बेटे परमेश्वर के कुछ आश्चर्यजन मिशन को पूरा करने के लिए इस दुनिया में आने वाले हैं (और उनमें से एक परमेश्वर था!).
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संदर्भ
नोट्स:
सी.एस. लेविस, रिफ्लेक्शन ऑन द साल्म्स, (फाउन्ट, 1993) पन्ने 94-95.
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।
संपादकीय नोट
जैसा कि सी.एस. लेविस ने लिखा है, 'सभी आनंद एक साथ स्तुती में प्रवाहित होते हैं..... दुनिया स्तुती से भर गई है – प्रेमी अपनी प्रेमिका की तारीफ करते हैं, पाठक अपने कवि की, राहगीर अपने गांव की, खिलाड़ी अपने मनपसंद खेल की.... मैंने ध्यान नहीं दिया कि किस तरह से सबसे नम्र और इसके साथ साथ सबसे संतुलित.... मन सबसे ज्यादा स्तुती करता है.... स्तुती करने से हमें खुशी मिलती है जिसका हम आनंद उठाते हैं, क्योंकि स्तुती ज्यादा व्यक्त नहीं करती, लेकिन यह आनंद को पूरा करती है.... प्रेमी एक दसरे से कहते रहते हैअं कि वे कितने सुंदर हैं; जब तक कि व्यक्त न किया जाए हर खुशी अधूरी है.' (सी.एस. लेविस, रिफ्लेक्शन्स ऑन द साल्म्स, पन्ने 94-95).