दिन 8

प्रभु के लिए कोई काम कठिन नहीं है

बुद्धि नीतिवचन 1:8-19
नए करार मत्ती 6:25-7:23
जूना करार उत्पत्ति 17:1-18:33

परिचय

क्या आप जीवन में असंभव नजर आनेवाली परिस्थिति का सामना कर रहे हैं? क्या आपके संबंधों में विच्छेद हुआ है जिसे ठीक नहीं किया जा सकता? क्या आपको आपकी नौकरी में लगभग असंभव चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? क्या ऐसी कोई आदत या व्यसन है जिसे छोड़ना आपको मुश्किल नज़र आ रहा है?

आपके सामने चाहें जैसी भी चुनौती क्यों न हो। प्रभु के लिए कोई काम कठिन नहीं है।

अब्राहम सौ साल का हो गया था। उसकी पत्नी सारा नब्बे साल की थी। परमेश्वर ने उन्हें एक पुत्र देने का वायदा किया था। उन्होंने कहा, वास्त्व में, ‘यह असंभव है’। इस प्रश्न का संदर्भ बहुत ही अलंकारिक है : ‘क्या प्रभु के लिए कोई काम कठिन है’ (उत्पत्ति 18:14)। जवाब है ‘नहीं’। यदि सारा गर्भवती हो सकती है ‘जब वह बूढ़ी हो गई थी और ….उसका स्त्री धर्म बंद हो गया था’ (पद - 11), तो फिर प्रभु के लिए कोई काम कठिन नहीं है।

सभी महान तीन चुनौतियों में हम आज के पद्यांश में देखते हैं कि हमें यह याद रखना जरूरी है कि प्रभु के लिए कोई काम कठिन नहीं है।

बुद्धि

नीतिवचन 1:8-19

विवेकपूर्ण बनो चेतावनी: प्रलोभन से बचो

8 हे मेरे पुत्र, अपने पिता की शिक्षा पर ध्यान दे
 और अपनी माता की नसीहत को मत भूल।
9 वे तेरा सिर सजाने को मुकुट
 और शोभायमान करने तेरे गले का हार बनेंगे।

10 हे मेरे पुत्र, यदि पापी तुझे बहलाने फुसलाने आयें
 उनकी कभी मत मानना।
11 और यदि वे कहें, “आजा हमारे साथ!
 आ, हम किसी के घात में बैठे! आ निर्दोष पर छिपकर वार करें!
12 आ, हम उन्हें जीवित ही सारे का सारा निगल जायें वैसे ही जैसे कब्र निगलती हैं।
 जैसे नीचे पाताल में कहीं फिसलता चला जाता है।
13 हम सभी बहुमूल्य वस्तुयें पा जायेंगे और
 अपने इस लूट से घर भर लेंगे।
14 अपने भाग्य का पासा हमारे साथ फेंक,
 हम एक ही बटुवे के सहभागी होंगे!”
15 हे मेरे पुत्र, तू उनकी राहों पर मत चल,
 तू अपने पैर उन पर रखने से रोक।
16 क्योंकि उनके पैर पाप करने को शीघ्र बढ़ते,
 वे लहू बहाने को अति गतिशील हैं।
17 कितना व्यर्थ है, जाल का फैलाना
 जबकि सभी पक्षी तुझे पूरी तरह देखते हैं।
18 जो किसी का खून बहाने प्रतीक्षा में बैठे हैं
 वे अपने आप उस जाल में फँस जायेंगे!
19 जो ऐसे बुरे लाभ के पीछे पड़े रहते हैं उन सब ही का यही अंत होता है।
 उन सब के प्राण हर ले जाता है; जो इस बुरे लाभ को अपनाता है।

समीक्षा

प्रलोभन का विरोध करें

यीशु हमें कभी नहीं कहते कि दुनिया से अलग हो जाओ। ‘दुनिया में रहकर भी दुनिया का न होना’ एक चुनौति है। हमें आस पास की दुनिया के प्रलोभन का विरोध करने के लिए बुलाया गया है।

नीतिवचन की पुस्तक हमें व्यवहारिक सुझाव देती है कि हम संतुलन कैसे बनाए रखें। किसी को भी आपको पाप करने के लिए बहकाने की अनुमति मत दीजिये: ‘यदि पापी लोग तुझे फुसलाएँ, तो उनकी बात न मानना।’ (पद - 10, एम.एस.जी.)। यदि वे आकर कहें, “हमारे संग चल …..” (पद - 11), तो हमें उनके साथ नहीं जाना चाहिये।

जब मैं एक वकील के तौर पर प्रैक्टिस कर रहा था, तो मैंने देखा कि दूसरों के यह कहने पर कि, ‘हमारे संग चल’ - तो बहुत सारे लोग अपराध में चले जाते हैं।

वैश्विक आर्थिक मंदी के बीच, यूके में कुछ बैंकों ने, ‘कि दूसरे बैंक भी ऐसा कर रहे हैं’, इस बुनियाद पर अनैतिक कार्य किये।

हर कोई ऐसा कर रहा है इसलिए पाप मत करिए – कर में या यात्रा शुल्क में चोरी करना, शराब पीना या अविवेकी होना। अन्य लोगों का अनुसरण मत कीजिये, ‘उनके पथ पर मत चलिये’ (पद - 15)। कुछ चीज़ें अपनाई नहीं जा सकतीं सिर्फ इसलिए क्योंकि दूसरे भी ऐसा कर रहे हैं। सिर्फ इसलिए कि दुनिया भी ऐसा कर रही है,इस आधार पर मेरे कार्यों को न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता।

अंत में, यदि आपके ‘कदम पाप करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं’ (पद - 16), या ‘आप सब लालचियों की चाल चल रहे हैं’ (पद - 19अ), तो इससे आपका जीवन नाश हो जाएगा। ‘जब आप वह सब हथिया लेते हैं जो आप हथिया सकते हैं, तो क्या होता है: जितना आप पाते हैं, उतना ही आप कम हो जाते हैं’ (पद - 19, एम.एस.जी.)।

दुनिया की पकड़ बहुत मज़बूत है। फिर भी, प्रभु के लिए कुछ भी कठिन नहीं है।

प्रार्थना

प्रभु, मैं प्रार्थना करता हूँ कि आनेवाले साल में आप मुझे दुनिया के सभी प्रलोभन का विरोध करने की और पाप में न गिरने की शक्ति देंगे।

नए करार

मत्ती 6:25-7:23

चिंता छोड़ो

25 “मैं तुमसे कहता हूँ अपने जीने के लिये खाने-पीने की चिंता छोड़ दो। अपने शरीर के लिये वस्त्रों की चिंता छोड़ दो। निश्चय ही जीवन भोजन से और शरीर कपड़ों से अधिक महत्वपूर्ण हैं। 26 देखो! आकाश के पक्षी न तो बुआई करते हैं और न कटाई, न ही वे कोठारों में अनाज भरते हैं किन्तु तुम्हारा स्वर्गीय पिता उनका भी पेट भरता है। क्या तुम उनसे कहीं अधिक महत्वपूर्ण नहीं हो? 27 तुम में से क्या कोई ऐसा है जो चिंता करके अपने जीवन काल में एक घड़ी भी और बढ़ा सकता है?

28 “और तुम अपने वस्त्रों की क्यों सोचते हो? सोचो जंगल के फूलों की वे कैसे खिलते हैं। वे न कोई काम करते हैं और न अपने लिए कपड़े बनाते हैं। 29 मैं तुमसे कहता हूँ कि सुलेमान भी अपने सारे वैभव के साथ उनमें से किसी एक के समान भी नहीं सज सका। 30 इसलिये जब जंगली पौधों को जो आज जीवित हैं पर जिन्हें कल ही भाड़ में झोंक दिया जाना है, परमेश्वर ऐसे वस्त्र पहनाता है तो अरे ओ कम विश्वास रखने वालों, क्या वह तुम्हें और अधिक वस्त्र नहीं पहनायेगा?

31 “इसलिये चिंता करते हुए यह मत कहो कि ‘हम क्या खायेंगे या हम क्या पीयेंगे या क्या पहनेंगे?’ 32 विधर्मी लोग इन सब वस्तुओं के पीछे दौड़ते रहते हैं किन्तु स्वर्ग धाम में रहने वाला तुम्हारा पिता जानता है कि तुम्हें इन सब वस्तुओं की आवश्यकता है। 33 इसलिये सबसे पहले परमेश्वर के राज्य और तुमसे जो धर्म भावना वह चाहता है, उसकी चिंता करो। तो ये सब वस्तुएँ तुम्हें दे दी जायेंगी। 34 कल की चिंता मत करो, क्योंकि कल की तो अपनी और चिंताएँ होंगी। हर दिन की अपनी ही परेशानियाँ होती हैं।

यीशु का वचन: दूसरों को दोषी ठहराने के प्रति

7“दूसरों पर दोष लगाने की आदत मत डालो ताकि तुम पर भी दोष न लगाया जाये। 2 क्योंकि तुम्हारा न्याय उसी फैसले के आधार पर होगा, जो फैसला तुमने दूसरों का न्याय करते हुए दिया था। और परमेश्वर तुम्हें उसी नाप से नापेगा जिससे तुमने दूसरों को नापा है।

3 “तू अपने भाई बंदों की आँख का तिनका तक क्यों देखता है? जबकि तुझे अपनी आँख का लट्ठा भी दिखाई नहीं देता। 4 जब तेरी अपनी आँख में लट्ठा समाया है तो तू अपने भाई से कैसे कह सकता है कि तू मुझे तेरी आँख का तिनका निकालने दे। 5 ओ कपटी! पहले तू अपनी आँख से लट्ठा निकाल, फिर तू ठीक तरह से देख पायेगा और अपने भाई की आँख का तिनका निकाल पायेगा।

6 “कुत्तों को पवित्र वस्तु मत दो। और सुअरों के आगे अपने मोती मत बिखेरो। नहीं तो वे सुअर उन्हें पैरों तले रौंद डालेंगे। और कुत्ते पलट कर तुम्हारी भी धज्जियाँ उड़ा देंगे।

जो कुछ चाहते हो, उसके लिये परमेश्वर से प्रार्थना करते रहो

7 “परमेश्वर से माँगते रहो, तुम्हें दिया जायेगा। खोजते रहो तुम्हें प्राप्त होगा खटखटाते रहो तुम्हारे लिए द्वार खोल दिया जायेगा। 8 क्योंकि हर कोई जो माँगता ही रहता है, प्राप्त करता है। जो खोजता है पा जाता है और जो खटखटाता ही रहता है उसके लिए द्वार खोल दिया जाएगा।

9 “तुम में से ऐसा पिता कौन सा है जिसका पुत्र उससे रोटी माँगे और वह उसे पत्थर दे? 10 या जब वह उससे मछली माँगे तो वह उसे साँप दे दे। बताओ क्या कोई देगा? ऐसा कोई नहीं करेगा। 11 इसलिये यदि चाहे तुम बुरे ही क्यों न हो, जानते हो कि अपने बच्चों को अच्छे उपहार कैसे दिये जाते हैं। सो निश्चय ही स्वर्ग में स्थित तुम्हारा परम-पिता माँगने वालों को अच्छी वस्तुएँ देगा।

व्यवस्था की सबसे बड़ी शिक्षा

12 “इसलिये जैसा व्यवहार अपने लिये तुम दूसरे लोगों से चाहते हो, वैसा ही व्यवहार तुम भी उनके साथ करो। व्यवस्था के विधि और भविष्यवक्ताओं के लिखे का यही सार है।

स्वर्ग और नरक का मार्ग

13 “सूक्ष्म मार्ग से प्रवेश करो। यह मैं तुम्हें इसलिये बता रहा हूँ क्योंकि चौड़ा द्वार और बड़ा मार्ग तो विनाश की ओर ले जाता है। बहुत से लोग हैं जो उस पर चल रहे हैं। 14 किन्तु कितना सँकरा है वह द्वार और कितनी सीमित है वह राह जो जीवन की ओर जाती है। बहुत थोड़े से हैं वे लोग जो उसे पा रहे हैं।

कर्म ही बताते हैं कि कौन कैसा है

15 “झूठे भविष्यवक्ताओं से बचो! वे तुम्हारे पास सरल भेड़ों के रूप में आते हैं किन्तु भीतर से वे खूँखार भेड़िये होते हैं। 16 तुम उन्हें उन के कर्मो के परिणामों से पहचानोगे। कोई कँटीली झाड़ी से न तो अंगूर इकट्ठे कर पाता है और न ही गोखरु से अंजीर। 17 ऐसे ही अच्छे पेड़ पर अच्छे फल लगते हैं किन्तु बुरे पेड़ पर तो बुरे फल ही लगते हैं। 18 एक उत्तम वृक्ष बुरे फल नहीं उपजाता और न ही कोई बुरा पेड़ उत्तम फल पैदा कर सकता है। 19 हर वह पेड़ जिस पर अच्छे फल नहीं लगते हैं, काट कर आग में झोंक दिया जाता है। 20 इसलिए मैं तुम लोगों से फिर दोहरा कर कहता हूँ कि उन लोगों को तुम उनके कर्मों के परिणामों से पहचानोगे।

21 “प्रभु-प्रभु कहने वाला हर व्यक्ति स्वर्ग के राज्य में नहीं जा पायेगा बल्कि वह जो स्वर्ग में स्थित मेरे परम पिता की इच्छा पर चलता है, वही उसमें प्रवेश पायेगा। 22 उस महान दिन बहुत से मुझसे पूछेंगे ‘प्रभु! हे प्रभु! क्या हमने तेरे नाम से भविष्यवाणी नहीं की? क्या तेरे नाम से हमने दुष्टात्माएँ नहीं निकालीं और क्या हमने तेरे नाम से बहुत से आश्चर्य कर्म नहीं किये?’ 23 तब मैं उनसे खुल कर कहूँगा कि मैं तुम्हें नहीं जानता, ‘अरे कुकर्मियों, यहाँ से भाग जाओ।’

समीक्षा

यीशु के जैसी जीवनशैली जीएं

यीशु के द्वारा कहे गए कथन अब तक के कहे गए कथनों में सबसे महान हैं। ये बहुत ही चुनौतीपूर्ण हैं। उदाहरण के लिए, वह कहते हैं,‘जो कुछ तुम चाहते हो, कि मनुष्य तुम्हारे साथ करें, तुम भी उन के साथ वैसा ही करो; ’ (7:12)। यह सुनहरा नियम बहुत ही आसान है लेकिन इस तरह से जीना लगभग मुश्किल लगता है। ‘लोगों से पूछें कि वे आपसे क्या चाहते हैं, फिर पहल करें और इसे उनके लिए करें’ (पद - 12,एम.एस.जी.)।

यीशु के कथनों को व्यवहार में लाना एक बहुत बड़ी चुनौती है। उनके निर्देश स्पष्ट हैं, लेकिन कुछ मापदंड असंभव रूप से ऊंचे हैं, फिर भी,प्रभु के लिए कुछ भी कठिन नहीं है।

  • चिंता करना छोड़ें और जीना शुरू करें

यीशु ने आपको आज्ञा दी है कि जीवन की या भौतिक चीजों की चिंता मत करो (6:25, 28-31)। भविष्य की सोचो, भविष्य की योजना बनाओ लेकिन भविष्य की चिंता मत करो। स्वर्गीय पिता पर भरोसा करो कि वह तुम्हें सब देंगे (पद - 32)। चिंता से मुक्ति पाना है तो विश्वास करें।

आप चिंता करके अपने जीवन में एक घंटा भी नहीं बढ़ा सकते (पद - 27)। जैसा कि कोरी टेन बूम ने लिखा है: ‘चिंता कल का दु:ख कम नहीं करती, बल्कि यह आज की ताकत को कम कर देती है।’

डे - टाइट (दिन तंग) डिब्बे में जीवन बिताइये। एक समय में एक दिन ही जीएं। कल के लिए परेशानी मोल न लें: ‘कल का दिन अपनी चिन्ता आप कर लेगा; ’ (पद - 34ब)। आज ही निर्णय लें कि आप कल के बारे में चिंता नहीं करेंगे। परमेश्वर पर भरोसा कीजिये कि वह आपको एक समय में एक ही दिन देंगे।

  • अपनी प्राथमिकता बनाएं

यीशु हमें अपनी अभिलाषाओं और प्राथमिकताओं को बदलने के लिए कहते हैं। परमेश्वर की खोज करें कि वह कौन हैं इसलिए नहीं कि वह आपके लिए क्या कर सकते हैं। हमारी तरह परमेश्वर नहीं चाहते कि उनके दोस्त केवल इसमें दिलचस्पी रखें कि वह हमारे लिए क्या कर सकते हैं। वह चाहते हैं कि आप उनकी ‘उपस्थिति’ में आने का प्रयास करें ना कि सिर्फ उनसे ‘उपहार’ पाने का प्रयास करें।

नई ज़िम्मेदारियों को लीजिये जो रोमांचक और चुनौतीपूर्ण दोनों हैं: ‘पहिले तुम उसके राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी। ’ (पद - 33)।

  • न्यायी न बनें

हमें दूसरों का न्याय करने में खुशी नहीं होनी चाहिये,दूसरों की असफलता से खुश होने का प्रयास न करें या बुरे इरादे से उनके कार्यों की प्रकल्पना न करें। यदि हम जानते कि लोग किस परिस्थिति से गुज़र रहे हैं, उनके दु:ख और उनकी तकलीफें,तो हम उनका न्याय करने में जल्दबाज़ी न करते। यीशु हमसे कहते हैं कि पहले अपने को सुधारो। इससे पहले कि हम लोगों का जीवन बदलें,हमें अपना जीवन बदलने की ज़रूरत है (7:1-5)। बजाय इसके कि हम उनकी कड़ी आलोचना करें और उनपर दोष लगाएं, हमें उन लोगों को दया, करूणा और प्रेम दिखाना है।

  • निरंतर प्रार्थना करें

प्रार्थना में बक - बक न करें, बल्कि निरंतर प्रार्थना करें। यीशु प्रार्थना का उत्तर देने के साथ - साथ अद्भुत वायदा भी करते हैं (पद - 7-8)। वह वादा करते हैं, जब आप प्रार्थना करते हैं,तो ‘परमेश्वर प्रतिफल देते हैं’ (पद - 9-11)।

  • शानदार जीवन जीने का चुनाव करें

संकरे मार्ग पर चलें जो जीवन को पहुँचता है (पद - 13-14)। संकरे मार्ग पर घमंड, बेईमानी, क्रोध, ‘शत्रु के लिए नफरत या अक्षमा’ के लिए कोई स्थान नहीं है।

नम्रता दिन का क्रम है। आपको देना है, प्रार्थना करना है, आत्म संयम रखना है और सबसे पहले परमेश्वर के राज्य की खोज करना है। यह पवित्रता, सच्चाई, ईमानदारी और क्षमा का मार्ग है। यह ऐसा मार्ग है जहाँ ‘आप दूसरों के साथ भी वैसा ही व्यवहार करते हैं जैसा कि आप उनसे अपने प्रति करवाना चाहते हैं (पद - 12)। आपको अपने चरित्र, जीवनशैली, शिक्षा,कार्य और संबंधों द्वारा अच्छे फल दिखाना है (पद - 15-23)

प्रार्थना

प्रभु, जैसा कि मैं यीशु की जीवन शैली जीने के लिए चुनौती का सामना कर रहा हूँ, मैं आपको धन्यवाद देता हूँ कि आपके लिए कुछ भी कठिन नहीं है। मुझे आज अपने पवित्र आत्मा से भर दीजिये और मुझे ऐसा जीवन जीने में मदद कीजिये जिसे मैं गहराई से जीने का प्रयास करता हूँ 

जूना करार

उत्पत्ति 17:1-18:33

खतना वाचा का सबूत

17जब अब्राम निन्यानवे वर्ष का हुआ, यहोवा ने उससे बात की। यहोवा ने कहा, “मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर हूँ। मेरे लिए ये काम करो। मेरी आज्ञा मानो और सही रास्ते पर चलो। 2 अगर तुम यह करो तो मैं अपने और तुम्हारे बीच एक वाचा तैयार करूँगा। मैं तुम्हारे लोगों को एक महान राष्ट्र बनाने का वचन दूँगा।”

3 अब्राम ने अपना मुँह जमीन की ओर झुकाया। तब परमेश्वर ने उससे बात—चीत की और कहा, 4 “हमारी वाचा का यह भाग मेरा है। मैं तुम्हें कई राष्ट्रों का पिता बनाऊँगा। 5 मैं तुम्हारे नाम को बदल दूँगा। तुम्हारा नाम अब्राम नहीं रहेगा। तुम्हारा नाम इब्राहीम होगा। मैं तुम्हें यह नाम इसलिए दे रहा हूँ कि तुम बहुत से राष्ट्रों के पिता बनोगे।” 6 “मैं तुमको बहुत वंशज दूँगा। तुमसे नए राष्ट्र उत्पन्न होंगे। तुमसे नए राजा उत्पन्न होंगे 7 और मैं अपने और तुम्हारे बीच एक वाचा करूँगा। यह वाचा तुम्हारे सभी वंशजों के लिए होगी। मैं तुम्हारा और तुम्हारे सभी वंशजों का परमेश्वर रहूँगा। यह वाचा सदा के लिए बनी रहेगी 8 और मैं यह प्रदेश तुमको और तुम्हारे सभी वंशजों को दूँगा। मैं वह प्रदेश तुम्हें दूँगा जिससे होकर तुम यात्रा कर रहे हो। मैं तुम्हें कनान प्रदेश दूँगा। मैं तुम्हें यह प्रदेश सदा के लिए दूँगा और मैं तुम्हारा परमेश्वर रहूँगा।”

9 परमेश्वर ने इब्राहीम से कहा, “अब वाचा का यह तुम्हारा भाग है। मेरी इस वाचा का पालन तुम और तुम्हारे वंशज करोगे। 10 यह वाचा है जिसका तुम पालन करोगे। यह वाचा मेरे और तुम्हारे बीच है। यह तुम्हारे सभी वंशजों के लिए है। हर एक बच्चा जो पैदा होगा उसका खतना अवश्य होगा। 11 तुम चमड़े को यह बताने के लिए काटोगे कि तुम अपने और मेरे बीच के वाचा का पालन करते हो। 12 जब बच्चा आठ दिन का हो जाए, तब तुम उसका खतना करना। हर एक लड़का जो तुम्हारे लोगों में पैदा हो या कोई लड़का जो तुम्हारे लोगों का दास हो, उसका खतना अवश्य होगा। 13 इस प्रकार तुम्हारे राष्ट्र के प्रत्येक बच्चे का खतना होगा। जो लड़का तुम्हारे परिवार में उत्पन्न होगा या दास के रूप में खरीदा जाएगा उसका खतना होगा। 14 यही मेरा नियम है और मेरे और तुम्हारे बीच वाचा है। जिस किसी व्यक्ति का खतना नहीं होगा वह तुम्हारे लोगों से अलग कर दिया जाएगा। क्यों? क्योंकि उस व्यक्ति ने मेरी वाचा तोड़ी है।”

इसहाक प्रतिज्ञा का पुत्र

15 परमेश्वर ने इब्राहीम से कहा, “मैं सारै को जो तुम्हारी पत्नी है, नया नाम दूँगा। उसका नाम सारा होगा। 16 मैं उसे आशीर्वाद दूँगा। मैं उसे पुत्र दूँगा और तुम पिता होगे। वह बहुत से नए राष्ट्रों की माँ होगी। उससे राष्ट्रों के राजा पैदा होंगे।”

17 इब्राहीम ने अपना सिर परमेश्वर को भक्ति दिखाने के लिए जमीन तक झुकाया। लेकिन वह हँसा और अपने से बोला, “मैं सौ वर्ष का बूढ़ा हूँ। मैं पुत्र पैदा नहीं कर सकता और सारा नब्बे वर्ष की बुढ़िया है। वह बच्चों को जन्म नहीं दे सकती।”

18 तब इब्राहीम के कहने का मतलब परमेश्वर से पूछा, “क्या इश्माएल जीवित रहे और तेरी सेवा करे?”

19 परमेश्वर ने कहा, “नहीं, मैंने कहा कि तुम्हारी पत्नी सारा पुत्र को जन्म देगी। तुम उसका नाम इसहाक रखोगे। मैं उसके साथ वाचा करूँगा। यह वाचा ऐसी होगी जो उसके सभी वंशजों के साथ सदा बनी रहेगी।

20 “तुमने मुझसे इश्माएल के बारे में पूछा और मैंने तुम्हारी बात सुनी। मैं उसे आशीर्वाद दूँगा। उसके बहुत से बच्चे होंगे। वह बारह बड़े राजाओं का पिता होगा। उसका परिवार एक बड़ा राष्ट्र बनेगा। 21 मैं अपनी वाचा इसहाक के साथ बनाऊँगा। इसहाक ही वह पुत्र होगा जिसे सारा जनेगी। यह पुत्र अगले वर्ष इसी समय में पैदा होगा।”

22 परमेश्वर ने जब इब्राहीम से बात करनी बन्द की, इब्राहीम अकेला रह गया। परमेश्वर इब्राहीम के पास से आकाश की ओर उठ गया। 23 परमेश्वर ने कहा था कि तुम अपने कुटुम्ब के सभी लड़कों और पुरुषों का खतना कराना। इसलिए इब्राहीम ने इश्माएल और अपने घर में पैदा सभी दासों को एक साथ बुलाया। इब्राहीम ने उन दासों को भी एक साथ बुलाया जो धन से खरीदे गए थे। इब्राहीम के घर के सभी पुरुष और लड़के इकट्ठे हुए और उन सभी का खतना उसी दिन उनका माँस काट कर दिया गया।

24 जब खतना हुआ इब्राहीम निन्यानबे वर्ष का था 25 और उसका पुत्र इश्माएल खतना होने के समय तेरह वर्ष का था। 26 इब्राहीम और उसके पुत्र का खतना उसी दिन हुआ। 27 उसी दिन इब्राहीम के सभी पुरुषों का खतना हुआ। इब्राहीम के घर में पैदा सभी दासों और खरीदे गए सभी दासों का खतना हुआ।

तीम अतिथि

18बाद में यहोवा फिर इब्राहीम के सामने प्रकट हुआ। इब्राहीम मस्रे के बांज के पेड़ों के पास रहता था। एक दिन, दिन के सबसे गर्म पहर में इब्राहीम अपने तम्बू के दरवाज़े पर बैठा था। 2 इब्राहीम ने आँख उठा कर देखा और अपने सामने तीन पुरुषों को खड़े पाया। जब इब्राहीम ने उनको देखा, वह उनके पास गया और उन्हें प्रणाम किया। 3 इब्राहीम ने कहा, “महोदयों, आप अपने इस सेवक के साथ ही थोड़ी देर ठहरें। 4 मैं आप लोगों के पैर धोने के लिए पानी लाता हूँ। आप पेड़ों के नीचे आराम करें। 5 मैं आप लोगों के लिए कुछ भोजन लाता हूँ और आप लोग जितना चाहें खाएं। इसके बाद आप लोग अपनी यात्रा आरम्भ कर सकते हैं।”

तीनों ने कहा, “यह बहुत अच्छा है। तुम जैसा कहते हो, करो।”

6 इब्राहीम जल्दी से तम्बू में घुसा। इब्राहीम ने सारा से कहा, “जल्दी से तीन रोटियों के लिए आटा तैयार करो।” 7 तब इब्राहीम अपने मवेशियों की ओर दौड़ा। इब्राहीम ने सबसे अच्छा एक जवान बछड़ा लिया। इब्राहीम ने बछड़ा नौकर को दिया। इब्राहीम ने नौकर से कहा कि तुम जल्दी करो, इस बछड़े को मारो और भोजन के लिए तैयार करो। 8 इब्राहीम ने तीनों को भोजन के लिए माँस दिया। उसने दूध और मक्खन दिया। जब तक तीनों पुरुष खाते रहे तब तक इब्राहीम पेड़ के नीचे उनके पास खड़ा रहा।

9 उन व्यक्तियों ने इब्राहीम से कहा, “तुम्हारी पत्नी सारा कहाँ है?”

इब्राहीम ने कहा, “वह तम्बू में है।”

10 तब यहोवा ने कहा, “मैं बसन्त में फिर आऊँगा उस समय तुम्हारी पत्नी सारा एक पुत्र को जन्म देगी।”

सारा तम्बू में सुन रही थी और उसने इन बातों को सुना। 11 इब्राहीम और सारा दोनों बहुत बूढ़े थे। सारा प्रसव की उम्र को पार कर चुकी थी। 12 सारा मन ही मन मुस्कुरायी। उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ। उसने अपने आप से कहा, “मैं और मेरे पति दोनों ही बूढे हैं। मैं बच्चा जनने के लिए काफी बूढ़ी हूँ।”

13 तब यहोवा ने इब्राहीम से कहा, “सारा हंसी और बोली, ‘मैं इतनी बूढ़ी हूँ कि बच्चा जन नहीं सकती।’ 14 क्या यहोवा के लिए कुछ भी असम्भव है? नही, मैं फिर बसन्त में अपने बताए समय पर आऊँगा और तुम्हारी पत्नी सारा पुत्र जनेगी।”

15 लेकिन सारा ने कहा, “मैं हंसी नहीं।” (उसने ऐसा कहा, क्योंकि वह डरी हुई थी।)

लेकिन यहोवा ने कहा, “नहीं, मैं मानता हूँ कि तुम्हारा कहना सही नहीं है। तुम ज़रूर हँसी।”

16 तब वे पुरुष जाने के लिए उठे। उन्होंने सदोम की ओर देखा और उसी ओर चल पड़े। इब्राहीम उनको विदा करने के लिए कुछ दूर तक उनके साथ गया।

परमेश्वर के साथ इब्राहीम का सौदा

17 यहोवा ने मन में कहा, “क्या मैं इब्राहीम से वह कह दूँ जो मैं अभी करूँगा? 18 इब्राहीम से एक बड़ा और शक्तिशाली राष्ट्र बन जाएगा। इसी के कारण पृथ्वी के सारे मनुष्य आशीर्वाद पायेंगे। 19 मैंने इब्राहीम के साथ खास वाचा की है। मैंने यह इसलिए किया है कि वह अपने बच्चे और अपने वंशज को उस तरह जीवन बिताने के लिए आज्ञा देगा जिस तरह का जीवन बिताना यहोवा चाहता है। मैंने यह इसलिए किया कि वे सच्चाई से रहेंगे और भले बनेंगे। तब मैं यहोवा प्रतिज्ञा की गई चीज़ों को दूँगा।”

20 तब यहोवा ने कहा, “मैंने बार—बार सुना है कि सदोम और अमोरा के लोग बहुत बुरे हैं। 21 इसलिए मैं वहाँ जाऊँगा और देखूँगा कि क्या हालत उतनी ही खराब है जितनी मैंने सुनी है। तब मैं ठीक—ठीक जान लूँगा।”

22 तब वे लोग मुड़े और सदोम की ओर चल पड़े। किन्तु इब्राहीम यहोवा के सामने खड़ा रहा। 23 तब इब्राहीम यहोवा से बोला, “हे यहोवा, क्या तू बुरे लोगों को नष्ट करने के साथ अच्छे लोगों को भी नष्ट करने की बात सोच रहा है? 24 यदि उस नगर में पचास अच्छे लोग हों तो क्या होगा? क्या तब भी तू नगर को नष्ट कर देगा? निश्चय ही तू वहाँ रहने वाले पचास अच्छे लोगों के लिए उस नगर को बचा लेगा। 25 निश्चय ही तू नगर को नष्ट नहीं करेगा। बुरे लोगों को मारने के लिए तू पचास अच्छे लोगों को नष्ट नहीं करेगा। अगर ऐसा हुआ तो अच्छे और बुरे लोग एक ही हो जाएँगे, दोनों को ही दण्ड मिलेगा। तू पूरी पृथ्वी को न्याय देने वाला है। मैं जानता हूँ कि तू न्याय करेगा।”

26 तब यहोवा ने कहा, “यदि मुझे सदोम नगर में पचास अच्छे लोग मिले तो मैं पूरे नगर को बचा लूँगा।”

27 तब इब्राहीम ने कहा, “हे यहोवा, तेरी तुलना में, मैं केवल धूलि और राख हूँ। लेकिन तू मुझको फिर थोड़ा कष्ट देने का अवसर दे और मुझे यह पूछने दे कि 28 यदि पाँच अच्छे लोग कम हों तो क्या होगा? यदि नगर में पैंतालीस ही अच्छे लोग हों तो क्या होगा। क्या तू केवल पाँच लोगों के लिए पूरा नगर नष्ट करेगा?”

तब यहोवा ने कहा, “यदि मुझे वहाँ पैंतालीस अच्छे लोग मिले तो मैं नगर को नष्ट नहीं करूँगा।”

29 इब्राहीम ने फिर यहोवा से कहा, “यदि तुझे वहाँ केवल चालीस अच्छे ओग मिले तो क्या तू नगर को नष्ट कर देगा?”

यहोवा ने कहा, “यदि मुझे चालीस अच्छे लोग वहाँ मिले तो मैं नगर को नष्ट नहीं करूँगा।”

30 तब इब्राहीम ने कहा, “हे यहोवा कृपा करके मुझ पर नाराज़ न हो। मुझे यह पूछने दे कि यदि नगर में केवल तीस अच्छे लोग हो तो क्या तू नगर को नष्ट करेगा?”

यहोवा ने कहा, “यदि मुझे तीस अच्छे लोग वहाँ मिले तो मैं नगर को नष्ट नहीं करूँगा।”

31 तब इब्राहीम ने कहा, “हे यहोवा, क्या मैं तुझे फिर कष्ट दूँ और पूछ लूँ कि यदि बीस ही अच्छे लोग वहाँ हुए तो?”

यहोवा ने उत्तर दिया, “अगर मुझे बीस अच्छे लोग मिले तो मैं नगर को नष्ट नहीं करूँगा।”

32 तब इब्राहीम ने कहा, “हे यहोवा तू मुझसे नाराज़ न हो मुझे अन्तिम बार कष्ट देने का मौका दे। यदि तुझे वहाँ दस अच्छे लोग मिले तो तू क्या करेगा?”

यहोवा ने कहा, “यदि मुझे नगर में दस अच्छे लोग मिले तो भी मैं नगर को नष्ट नहीं करूँगा।”

33 यहोवा ने इब्राहीम से बोलना बन्द कर दिया, इसलिए यहोवा चला गया और इब्राहीम अपने घर लौट आया।

समीक्षा

कठिन समय में परमेश्वर पर भरोसा करना

परमेश्वर अब्राहम के सामने प्रकट हुए और उसके सामने एक बड़ी चुनौती रखी: ‘मैं सर्वशक्तिमान ईश्वर हूं; मेरी उपस्थिति में चल और सिद्ध होता जा। ’ (पद - 17:1)। फिर वह एक आश्चर्यजनक वायदा करते हैं: ‘मैं तेरे साथ वाचा बान्धूंगा, और तेरे वंश को अत्यन्त ही बढ़ाऊंगा।’ (पद - 2)। इसमें कोई शक नहीं कि अब्राहम ‘मुंह के बल गिरा’ (पद - 3)।

परमेश्वर अब्राहम के साथ आश्चर्यजनक वाचा बांधते हैं। वह उसे कनान देश देने का वादा करते हैं और यह कि कई जातियाँ और वंश उसके पास आएंगे (पद - 4-8)। यह वाचा तब बांधी गई जब उसका नाम ‘अब्राम’ से ‘अब्राहम’ किया गया जिसका अर्थ है ‘कई जातियों का पिता’ (पद - 5)। परमेश्वर ‘सराई’ का नाम भी ‘सारा’ रखते हैं – जो कि ‘कई जातियों की माता’ होने वाली थी (पद - 16)। इस वाचा का प्रतीक पुरूष का खतना था (पद - 9 से आगे)।

परमेश्वर ने सिर्फ एक बार ही नहीं कहा कि उसे एक पुत्र होगा। उसने इसकी पुष्टी बार - बार की (15:4; 17:16; 18:10)। आप अपने जीवन में प्रमुख घटनाओं के बारे में बताने के लिए और बारबार इसकी पुष्टी करने के लिए परमेश्वर से अपेक्षा कर सकते हैं।

अब्राहम का परमेश्वर से संबंध बहुत ही घनिष्ठ था। परमेश्वर अब्राहम से बात करते रहते थे,अब्राहम ने इश्माइल के बारे में उनसे निवेदन किया। परमेश्वर ने जवाब दिया, ‘हाँ, लेकिन….’ (17:19)। वह कहते हैं कि वह केवल इश्माइल के लिए अब्राहम की प्रार्थना का उत्तर नहीं देंगे बल्कि वह इससे भी ज्यादा करेंगे जिसके बारे में अब्राहम ने ना तो कभी कहा था और ना कभी कल्पना की थी। (पद - 19-21)।

तीसरी बार परमेश्वर ने अब्राहम से यह वाचा बाँधी जब उसने उसके पास ‘तीन यात्री’ भेजे थे (18:1-15)। जब हम इसे नये नियम की दृष्टि से पढ़ते हैं, तो हम यहाँ त्रिएक ईश्वर के तस्वीर की कल्पना कर सकते हैं। यह स्पष्ट है कि वहाँ उनमें से तीनों थे (पद - 2) और फिर भी ऐसा लगता है कि यह एक ही बात कर रहा है: ‘तब प्रभु ने कहा’ (पद - 13)।

अवश्य ही, 1410 में एन्ड्रे रुबलेव द्वारा बना यह प्रसिद्ध चित्रण (नीचे देखें), जो तीन स्वर्गदूतों की बातचीत को दर्शाता है जो अब्राहम के पास आए थे और परमेश्वर के त्रिएक चरित्र (परमेश्वर के तीन व्यक्तित्व) और परमेश्वर के दिल में प्रेम की सहभागिता को दर्शाते हैं।

परमेश्वर ने वादा किया,‘मैं वसन्त ऋतु में निश्चय तेरे पास फिर आऊंगा; और तब तेरी पत्नी सारा के एक पुत्र उत्पन्न होगा। ’ (पद - 10)। सारा हंसी। उसने सोचा, ‘मैं तो बूढ़ी हूं, और मेरा पति भी बूढ़ा है, तो क्या मुझे यह सुख होगा?’ (पद - 12)।

यह उम्मीद दिलाने वाली बात है कि सारा में भी सामान्य कमजोरियाँ थीं  प्रभु अब्राहम से पूछते हैं,‘ सारा यह कहकर क्यों हंसी, कि क्या मुझे, जो ऐसी बुढिय़ा हो गई हूं, सचमुच एक पुत्र उत्पन्न होगा? ’ (पद - 13)। ‘तब सारा डर के मारे यह कह कर मुकर गई, कि मैं नहीं हंसी। उसने कहा, नहीं; तू हंसी तो थी॥ ’ (पद - 15)। हम सब परेशानी से बचने के लिए कभी कभी झूठ बोलते हैं। यीशु की अपेक्षा में, बाइबल परमेश्वर के महान पुरूषों और स्त्रियों को कभी निर्दोष नहीं बताती।

प्रभु की प्रतिक्रिया थी अपनी वाचा को दोहराना और अलंकारिक ढंग से पूछना ‘क्या परमेश्वर के लिए कोई काम कठिन है?’

प्रार्थना

प्रभु, इस वर्ष मेरी सहायता कीजिये कि मैं आप पर भरोसा करता रहूँ। आपका धन्यवाद, चाहें मैं अपने जीवन में किसी भी परिस्थिति का सामना क्यों न कर रहा हूँ, लेकिन आपके लिए कुछ भी कठिन नहीं है।

पिप्पा भी कहते है

मत्ती 6:25

‘अपने जीवन की चिंता न करें……’

मैंने अपने जीवन का बहुत ज्यादा समय चिंता करते हुए बिताया है - जैसे परिवार, बीमारी, क्या पहनना है! …. मुझे जरा भी चिंता न करना मुश्किल लग रहा था। यदि आप चिंता नहीं करेंगे, तो तकरीबन ऐसा लगेगा कि आपको किसी की परवाह नहीं है।

सचमुच चिंता करने और जिम्मेदारी से प्रार्थना करने और परेशान होने में एक संतुलन है। मैं सोचती हूँ कि जवाब सच में भरोसेमंद है कि परमेश्वर हमारी प्रार्थना सुनते हैं और कार्य करते हैं, उम्मीद है हमारे कई बार मांगने से उन्हें बुरा नहीं लगता होगा!

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संदर्भ

कोरी टेन बूम, माइ नोटबुक से क्लिपिंग्स (ट्राइएंगल, 1983)

एन्ड्रे रुब्लेव,हॉली ट्रिनिटी आइकॉन 1410, http://commons.wikimedia.org/wiki/File:Angelsatmamre-trinity-rublev-1410.jpg

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जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’,बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

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कॉपीराइट स्पष्टीकरण के लिए संपादकीय नोट:

एनआईवी वचन: 13

एम.एस.जी. : 5

एंड्रे रुब्लेव, हॉली ट्रिनिटी आइकॉन, Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivs 3.0 Unported License (http://creativecommons.org/licenses/by-nc-nd/3.0/) के अंतर्गत लाइसेंसधारक।

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